जैसा मौसम वैसा फैशन

गरमी का मौसम आते ही फैशन का रंग बदल जाता है. गरमी से हर कोई परेशान हो जाता है. हर किसी को इस बात की चिंता रहती है कि इन दिनों आखिर क्या पहनें ताकि स्टाइलिश भी दिखें और गरमी भी न लगे.

यह सही है कि गरमी के मौसम में सूती कपड़े खासा आरामदायक होते हैं. ये पसीना सोखते हैं और गरमी से राहत देते हैं.

इस बारे में डिजाइनर श्रुति संचेती कहती हैं कि गरमी के मौसम में सही कपड़ों का चयन करना एक चुनौती होती है, क्योंकि यही वह समय है जब स्कूल की छुट्टियां शुरू होती हैं. लोग बाहर घूमने जाते हैं. ऐसे में गरमी से राहत पाने के लिए सही पोशाक पहनना आवश्यक है. पेश हैं, इस संबंध में कुछ टिप्स:

– धूप को परावर्तित कर गरमी से राहत देने वाले कपड़े पहनें.

– इस मौसम में नैचुरल फैब्रिक यानी कौटन, मलमल, खादी, बौयल के कपड़े सही रहते हैं.

– कपड़ों के बाद रंगों का चयन भी सही करें. ऐक्वा ब्लू, बेज, सफेद, क्रीम, मिंट ग्रीन, सोरबे औरेंज, सौफ्ट पीच आदि रंग के कपड़े मानसिक रूप से भी ठंडक प्रदान करते हैं.

– इस मौसम में काले या डार्क रंग के कपड़े कम पहनें.

– कपड़े अधिक टाइट न पहनें. शरीर से चिपकने वाले कपड़े पहनने पर पसीना तो आता ही है, शरीर से चिपकने पर भद्दे भी दिखते हैं, इसलिए लूज फिटिंग के कपड़े पहनें.

– घूमनेफिरने के लिए बाजू वाले कपड़े ठीक रहते हैं, पर औफिस के लिए हाफ बाजू वाले टौप चुनें ताकि पसीने को आसानी से सोख सकें.

– प्रिंट वाले कपड़ों में डिजिटल प्रिंट, रोटरी प्रिंट आदि पहनें.

– इस मौसम में कैप्री, कुरता, पलाजो पैंट, स्कर्ट आदि जो थोड़ी हवादार हो, पहनें. साड़ी पहनने वाली महिलाएं स्लीवलैस ब्लाउज पहनें.

– जींस के बजाय ट्राउजर पहनें. लिनेन के ट्राउजर काफी आरामदायक होते हैं.

– गरमी के मौसम में मेकअप हलका करें. लिप कलर और आईलाइनर अच्छा रहता है. अधिक

– मेकअप इस समय पसीने से पिघल जाता है और आप की खूबसूरती को खराब कर देता है. सनस्क्रीन अवश्य लगाएं.

– ज्वैलरी भी हलकी पहनें या फिर न ही पहनें. हैट और सनग्लासेज इस मौसम में लगाना ठीक रहता है.

– इस मौसम में बंद शूज या सैंडल्स न पहनें.

– फ्रैश और कूल महसूस करने के लिए हाइजीन का खास खयाल रखें.

गरमी के बाद आता है मौनसून. बारिश की बूंदें गरमी से राहत तो देती हैं पर पहनावा क्या हो, इस पर विचार करना आवश्यक है. डिजाइनर श्रुति कहती हैं कि अगर बारिश में सही वस्त्र पहने जाएं तो इस मौसम का मजा दोगुना हो जाता है. इस मौसम में इन बातों का रखें ध्यान:

– मौनसून में पौलिएस्टर, रेयोन, मिक्स मैन मेड फैब्रिक, लाइक्रा, जौर्जेट आदि अधिक पहनें. ये भीग जाने पर जल्दी सूख जाते हैं और बदन से चिपकते भी नहीं.

– सूती कपड़े, जींस बारिश में कभी न पहनें, क्योंकि ये कपड़े भीग जाने पर जल्दी क्रश हो जाते हैं और सूखने में भी समय लगता है.

– इस मौसम में चटकीले रंग पहनें, क्योंकि बरसात में मौसम डल या ग्रे रहता है. ऐसे में फ्रैश कलर आप के मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रखते हैं. फ्रैश रैड, बर्न औरेंज, इमरल्ड ग्रीन आदि रंग ताजगी देते हैं.

– बरसात में नीलैंथ कपड़े पहनें. इस से नीचे से कपड़े के गीला होने का डर कम रहता है. कैप्री, मिडी, नीलैंथ पलाजो पैंट या ट्राउजर्स पहनना ठीक रहता है. सफेद और काले रंग के कपडे़ इस मौसम में न पहनें.

– बारिश में वाटरप्रूफ मेकअप करें, जिस में काजल, आईलाइनर अवश्य लगाएं. लिपस्टिक ड्रैस के अनुसार लगाएं. फाउंडेशन वाटरप्रूफ हो, इस का खयाल रखें.

– मौनसून में नमी बालों को उलझा सकती है, इसलिए बालों का जूड़ा या चोटी बना कर रखें और बारिश में भीगने से बचाएं.

– ड्रैस को स्टाइलिश बनाने के लिए कलरफुल जैकेट या विंडशिटर पहनें. छाता अपने परिधान के अनुसार चुनें.

– मौनसून में चमड़े के जूते या सैंडल न पहनें, क्योंकि ये जल्दी गीले होते हैं और फिर सूखने में काफी समय लगता है. आजकल बाजार में कई प्रकार के स्टाइलिश रबड़ के शूज उपलब्ध हैं. उन्हें पहनें. बिना हील वाली चप्पलें, गम बूट्स, जैली शूज आदि पहनें ताकि फिसलने का डर न रहे.

– इस मौसम में फुटवियर को पहनने के बाद घर आ कर धो कर अच्छी तरह सुखा लें

साथ ही पैरों को भी अच्छी तरह धो लें.ताकि किसी प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारी न हो.                          

दीपिका-सल्लू ने रोका शूट

सलमान खान का व्यवहार हमेशा से मीडिया की सुर्खियां बना रहता है. और एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा किया कि सुनकर आपको बस थोड़ा अजीब लगेगा और कुछ नहीं. हुआ यूं कि सलमान खान और जैकलीन फर्नांडीज एक एड के लिए शूटिंग कर रहे थे.

तभी सलमान खान को पता चला कि बगल वाले स्टूडियो में दीपिका पादुकोण शूट कर रही हैं. बस फिर क्या था, सलमान खान उनसे मिलने उनके सेट पर चले गए. बिना जैकलीन को लिए.

इधर दीपिका के सेट पर सलमान आए तो सब रूकना ही था. दीपिका सलमान से मिलीं और बातें होने लगीं. और ये बातें लगभग दो घंटे चलीं. उधर जैकलीन सेट पर सलमान का इंतज़ार कर रही थीं.

यानि कि सलमान और दीपिका दोनों के सेट पर 2 घंटे सारा काम रूका रहा, क्योंकि दोनों गपशप में व्यस्त थे. बाद में सलमान अपने सेट पर वापस आए और जैकलीन शूट खत्म कर भागीं क्योंकि उन्हें झलक दिखला जा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंचना था.

जैकलीन के 2 घंटा लेट आने के कारण मीडिया का उन पर गुस्सा होना लाजमी था. लेकिन सवाल ये है कि सलमान और दीपिका को इतने लोगों का टाइम वेस्ट कर चिट चैट करने की जरूरत क्या थी!

‘संस्कारी’ रेटिंग चाहते हैं पहलाज निहलानी

सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने जबसे ये पद संभाला है, वो अपने फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. फिल्ममेकर्स उन पर फिल्मों की गैरजरूरी सेंसरशिप का आरोप लगाते रहे हैं.

मगर, अब निहलानी एक ऐसी पहल करने वाले हैं, जिससे साफ-सुथरी फैमिली फिल्में बनाने वाले फिल्ममेकर्स प्रोत्साहित होंगे. सेंसर बोर्ड अध्यक्ष फिल्मों के लिए एक नई रेटिंग केटेगरी ‘Q’ शुरू करना चाहते हैं.

ये रेटिंग उन फिल्मों को दी जाएगी, जो बिना किसी कट के ‘U’ सर्टिफिकेट हासिल करती हैं. पहलाज निहलानी के मुताबिक इस रेटिंग के तहत आने वाली फिल्मों को गवर्न्मेंट रिकॉग्निशन के साथ टैक्स बेनिफिट भी दिए जाएंगे, ताकि प्रोड्यूसर्स साफ-सुथरी फिल्में बनाने का रिस्क उठा सकें.

इस रेटिंग से संबंधित प्रस्ताव पर अभी काम चल रहा है, और पहलाज को उम्मीद है कि सरकार उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगी. ये नई केटेगरी खास तौर पर हिंदी सिनेमा के लिए ईजाद की जा रही है, क्योंकि क्षेत्रीय फिल्मों को उनके राज्यों में पहले से ही सरकारी मदद और टैक्स बेनिफिट मिलते रहते हैं.

मसलन, तमिलनाडु में अगर तमिल फिल्म का टाइटल तमिल में है और उसे ‘U’ सर्टिफिकेट दिया गया है, तो वो टैक्स फ्री होती है. इतना ही नहीं पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित किया था, जिसके तहत थिएटर मालिकों को टैक्स बेनिफिट से होने वाला फायदा दर्शकों को भी देने को कहा गया था. इस आदेश के बाद एक टिकट पर 36 से 120 रुपए तक की बचत होने लगी.

महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड और गुजरात में स्थानीय भाषा में बनने वाली फिल्मों को टैक्स में छूट मिलती है. निहलानी का मानना है, कि हिंदी भाषा की फिल्मों का योगदान विश्व स्तर पर है. ऐसे में इस भाषा में अच्छी फिल्में बनाने वाले प्रोड्यूसर्स को प्रोत्साहन देने की जरूरत है.

सनी लियोनी पर चढ़ा रेसलिंग का खुमार

बॉलीवुड अभिनेत्री सनी लियोनी दी ग्रेट खली की बहुत बड़ी फैन है. कुछ ही दिन पहले उनकी मुलाकात द ग्रेट खली से एक हवाई यात्रा के दौरान हुई थी.

मुलाकात के बाद सनी बेहद खुश हुई थी और उन्होंने उनकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा था कि उनका बचपन का सपना पूरा हो गया.

द ग्रेट खली से मुलाकात के बाद वह अपने मेकअप आर्टिस्ट मोकस तोमा के यहां पहुंची. सनी को खली से सीखे कुश्ती के हुनर को आजमाना था. फिर क्या था, उन्होंने मेकअप आर्टिस्ट मोकस तोमा को रेफरी बना दिया और खुद एक जूनियर आर्टिस्ट को चुनौती दे खेल-खेल में रेसलिंग के दो-दो हाथ आजमाए.

जाहिर सी बात है इस रेसलिंग का नतीजा सनी के ही पक्ष में आना था. वीडियो में सनी लियोनी खली की तरह ही हाव-भाव दिखाती और दांव-पेंच इस्तेमाल करती हुई दिख रही है. सनी लियोनी ने यह वीडियो सोशल नेटवर्किंग साइट इंस्टाग्राम पर शेयर किया है.

Haha yup I'm weird! But I had to pull out the the great Khali vice grip! @sunnyrajani @tomasmoucka

A video posted by Sunny Leone (@sunnyleone) on

“ये है बॉलीवुड का बेस्ट लिपलौक”

ऋतिक रोशन और पूजा हेगड़े स्टारर मोहनजोदड़ो 12 अगस्त को रिलीज़ होने के लिए तैयार है लेकिन फिल्म को लेकर चर्चा ज़्यादा नहीं है. इसलिए धीरे धीरे, फिल्म को फ्रंट पर लाने का काम शुरू हो चुका है. वैसे भी फिल्म अक्षय कुमार की रुस्तम से टक्कर ले रही है.

अब पूजा हेगड़े ने मोहनजोदड़ो के लव मेकिंग सीन पर बात की है. उनका मानना है कि उनका और ऋतिक रोशन का ये बेहतरीन किस सीन बॉलीवुड के बेस्ट सीन्स में शुमार होगा.

गौरतलब है कि मोहनजोदड़ो में ऋतिक रोशन और पूजा हेगड़े का गुफाओं में एक जबर्दस्त लव मेकिंग सीन है, जो कि अंग्रेजी सीरियल गेम ऑफ थ्रोन्स से काफी ज्यादा मिलता जुलता है. फिल्म में ऋतिक और पूजा का बेहद ही इंटिमेट सीन है.

अब चूंकि कहानी उस समय की है जब सभ्यताएं बन रही थीं ऐसे में ये सीन हुआ है गुफा में शूट. और वो भी पूरे ढाई मिनट का. हालांकि पूजा हेगड़े अपनी फिल्म के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हैं.  भले ही उनके लुक से लेकर डांस तक हर चीज का लोगों ने मजाक बनाया है. वहीं मोहनजोदड़ो को लेकर भी लोगों में पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है.

ये हमारे ही देश का हिस्सा था…

बांग्लादेश की भी अपनी खासियत है. ये देश भी अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है और कई बातों के लिए ये लोगों के लिए आकर्षण है. आज हम आपको बताते है यहां कि पांच ऐसी जगहों के बारे में जिसकी अपनी खूबियां है.

1. ढाका

ढाका, बांग्लादेश की राजधानी होने के साथ-साथ बांग्लादेश का औद्यौगिक और प्रशासनिक केंद्र भी है. धान, गन्ना और चाय का व्यापार भी सबसे ज्यादा यहीं होता है. ढाका की खूबसूरती को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. यहां बहुत सी पुरानी सभ्याताओं के नमूने देखने को मिलते है. यहां पर बहुत से बाज़ार जेसै पागला, तेजगांव, टोंगी, डेमरा है जहां रोजमार्रा वाली कई चीजें उपलब्ध कराई जा सकती हैं. ढाका में एक प्रसिद्ध सदरघाट है जो बूढ़ी गंगा नदी पर बना हुआ है. यहां हर समय लोगों की आवाजाही देखने को मिलती है. ढाका में घूमने के लिए बहुत सी चर्चित जगह हैं जिनमें प्रमुख है धाकेश्वरी मंदिर, लालबाग किला, खान मोहम्मद मृधा की मस्जिद, अर्मेनियाई चर्च, स्टार मस्जिद, अहसान मंज़िल और संसद की इमारत.

2. चिट्टगांव

चिटगांव, बांग्लादेश की दूसरी बड़ी जगह है. इसे बांग्लादेश की व्यावसायिक राजधानी माना जाता है. इसके आसपास फैले पहाड़ और नदियां, चिटगांव में गिरती हुई करणापुली नदी इस शहर को और आकर्षक बनाते है. देश का सबसे बड़ा भूमि बंदरगाह चिटगांव में स्थित है, जो ‘चटगांव पोर्ट’ के नाम से जाना जाता है.

3. रंगामाटी

रंगामाती तक जाने के लिए आपको टेढ़े- मेढ़े रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है जो हरियाली से भरा हुआ है. अगर आप खूबसूरत पहाड़ों और प्राकृतिक दृश्यों को देखने के शौकीन है तो एक बार जरूर रंगामाती जाएं. यह चिटगांव की पहाड़ी का ही एक हिस्सा है. यहां ‘कप्ताई’ नाम की झील है जिसे झीलों का दिल माना जाता है. यही झील रंगामती को सबसे आकर्षक बनाती है. आप जब भी रंगामाती जाएं तब कप्ताई झील में बोटिंग जरूर करें जो एक दिल्चस्प अनुभव की गारंटी देता है.

4. सिलहट

बांग्लादेश की खूबसूरत जगहों में से एक सिलहट भी है. यहां पर 150 तरह की चाय के बगान हैं. हरे-भरे चाय के लहराते हुए बगान और सुरमा घाटी इस जगह को और भी ज्यादा खूबसूरत एवं आकर्षक बनाती है. यहां पर चाय के अलावा संतरे और अनानास के पेड़ भी फैले हुए हैं. सिलहट के श्रीमंगल को बांग्लादेश की चाय की राजधानी कहा जाता है. मीलों दूर तक फैले हुए चाय के खेत दूर से ही नज़र आ जाते है. सिलहट में हजरत शाह हलाल नाम की जगह भी बहुत प्रसिद्ध है.

5. सुंदरवन

सुंदरवन विश्व प्रसिद्ध धरोहर में से एक है. यहां पर 1400 हेक्टेयर में फैला दुनिया का सबसे बड़ा वन है. बांग्लादेश पर्यटन के क्षेत्र में सुंदरवन सबसे अहम भूमिका निभाता है. हर साल बड़ी संख्या में विदेशी यहां केवल इस खूबसूरत सदाबहार जंगल में घूमने के लिए आते हैं. और स्थानीय लोग भी हर साल सुंदरवन यात्रा करने जाते हैं.

ह्यूंडै: विजेता लगातार तीसरी बार

भारत की दूसरी सब से बड़ी कार निर्माता कंपनी ह्यूंडै मोटर इंडिया लिमिटेड की तो जैसे जीतने की आदत हो गई है. यह न सिर्फ ग्राहकों के दिलोदिमाग को, बल्कि ऐक्सपर्ट्स के दिलों को भी जीत रही है. साल 2014 से ह्यूंडै इंडियन कार औफ द ईयर का खिताब लगातार जीतती आ रही है. ऐसा करना आसान न था.

ग्रैंड आई 10, जिस ने कि 2014 में इंडियन कार औफ द ईयर का खिताब जीता था, वह शहरों में दौड़ने वाली एक छोटी कार से कहीं ज्यादा है. यह आरामदायक, प्रभावी और सभी जरूर सुविधाओं से लैस होने के साथसाथ हाइवे पर भी फर्राटे से दौड़ती है. इस के स्मार्ट ऐक्सटीरियर से लेकर शानदार व सुनियोजित तरीके से बनाए गए इंटीरियर तक, ग्रैंड आई 10 देती है ड्राइविंग का बेहतरीन अनुभव, आसान व सुविधाजनक मैनुअल गियर बौक्स, जोशीली मोटर और हलके स्टीयरिंग के चलते यह शहरी युवाओं के लिए एक परफैक्ट कार है.

एलीट आई 20 के फीचर्स तो और भी शानदार हैं. इसके प्रीमियम फीचर्स, गुणवत्ता और ऐक्सटीरियर को देखते हुए इसे एक कंप्लीट स्टाइलिश कार ही कहा जाएगा.

इसकी 1.2 लीटर पेट्रोल मोटर हो या फिर 1.4 लीटर डीजल मोटर, दोनों ही बेहतरीन इंजनों में शुमार हैं. कार के अंदर की प्रीमियम फिनिशिंग, शानदार टच स्क्रीन आडियो, नेविगेशन यूनिट और 5 लोगों व उनके सामान के लिए अच्छा स्पेस, एलीट आई 20 के कुछ ऐसे फीचर्स हैं जो दूसरे कार निर्माताओं के लिए मिसाल पेश करते हैं. इन सब बातों को देखते हुए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि एलीट आई 20 साल 2015 की इंडियन कार औफ द ईयर बनी.

यदि आप ऐसी एसयूवी खरीदना चाहते हैं, जो उपयोगिता और क्षमता के मामले में बेहतरीन साबित हो, तो भारत की पसंदीदा एसयूवी और साल 2016 की इंडियन कार औफ द ईयर ह्यूंडै क्रेटा आपकी हमसफर बन सकती है. सड़क पर इसकी शानदार पकड़ के साथसाथ इसके सुनियोजित तरीके से बने इंटीरियर की वजह से कार में बैठना और उतरना काफी सुविधाजनक है.

मजबूत 1.4 और 1.6 लीटर डीजल मोटरों व 1.6 लीटर पेट्रोल मोटर के साथ शानदार प्रदर्शन ही इसकी विशेषता है. आरामपसंद लोगों को इसके दोनों 1.6 लीटर मोटर वर्जन में उपलब्ध 6 गियर काफी पसंद आएंगे.

निश्चित तौर पर डिजाइन, प्रदर्शन, इंटीरियर, कार्यप्रणाली और ड्राइविंग डायनामिक के कौंबिनेशन को देखते हुए ह्यूंडै ग्रैंड आई 10, एलीट आई 20 और क्रेटा इंडियन कार औफ द ईयर की सही विजेता हैं.   

कैंसर से बचाएगी कोल्ड कॉफी

क्या आप कॉफी पीना पसंद करते हैं? अगर हां, तो कॉफी पीते समय आपको कुछ सावधानियां रखना होंगी, अगर आप कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचना चाहते हैं. जी हां, एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर आप गर्मागर्म कॉफी पीने के शौकीन हैं, तो इसके बजाए आपको कोल्ड कॉफी पीना शुरू कर देना चाहिए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर शोध ईकाई द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार कोल्ड कॉफी का सेवन कर आप कैंसर से बचाव कर सकते हैं. डब्ल्यूएचओ की इकाई आईएआरसी के अनुसार, कॉफी कैंसर पैदा करने वाले तत्वों में शामिल नहीं है लेकिन अधिक गर्म अवस्था में इसका सेवन कैंसर का खतरा पैदा कर सकता है.

कॉफी को अगर 65 डिग्री सेल्सियल से अधिक तापमान पर गर्म किया जाए या इसका सेवन किया जाए तो यह ग्रासनली में कैंसर पैदा कर सकता है.

जानवर भी देते हैं छलावा

जानवर छलावा देने की कला में इतने माहिर होते हैं कि अच्छेअच्छे उन के सामने अनाड़ी साबित हो जाएं. नकल करने के ये उस्ताद आभास, गंध, ध्वनि, व्यवहार (उदाहरण के तौर पर साधारण रैड स्नेक खतरे की स्थिति में अपना रंग बदल कर जहरीले कोरल स्नेक की तरह दिखने लगता है), छद्मावरण, मृत या घायल होने का बहाना, खतरनाक मुद्रा में आना, मौखिक या सुनियोजित तरीके से छलना इत्यादि तरीके तब आजमाते हैं जब उन को खाने की जरूरत हो, जान बचानी हो या फिर अपने दुश्मन पर जीत हासिल करनी हो. कभीकभी तो इस कला के चलते साधारण जंतु भी खतरनाक व विषैले दिखने लगते हैं.

कुछ जानवर अपने हावभाव को इस तरह बदल लेते हैं कि उन का शिकार खुदबखुद उन की तरफ लालच से आकर्षित हो जाए. पेरैंट बर्ड शिकारी को अपने बच्चों से दूर रखने के लिए ऐसा दिखावा करती है जैसेकि उस का पर टूट गया हो और वह असहाय पड़ी हो. उस की इस चाल से शिकारी उस के बच्चों के बजाय उस की तरफ आकर्षित हो जाता है.

कुछ पतंगे चमगादड़ों को चकमा देने का अनूठा और प्रभावशाली तरीका अपनाते हैं. जब पतंगों को शिकारी चमगादड़ों के आने का आभास होता है, तो वे टाइगर पतंगे की तरह खटखट की आवाज लगातार करना शुरू कर देते हैं. चमगादड़ों को लगता है कि यहां स्वादिष्ठ पतंगों के बजाय अरुचिकर टाइगर पतंगे हैं और वे वापस चले जाते हैं.

छलिया जंतु और भी

सैंट्रल अफ्रीका के 2 सिरों वाले सांप की पूंछ उस के सिर जैसी दिखती है और उस का सिर पूंछ की तरह दिखता है. यह सांप अपनी पूंछ को इस तरह घुमा सकता है जैसेकि दूसरे सांप अपना सिर घुमाते हैं. इस सांप की यह खूबी इस के शिकार को संशय में डाल देती है और वह समझ नहीं पाता कि उस पर हमला आखिर हो किस तरफ से रहा है.

अदृश्य होने की खूबी

बहुत से जानवर अपने शरीर का रंग अपने आसपास के वातावरण के हिसाब से बदलने की क्षमता रखते हैं ताकि शिकार या शिकारी की नजरों को धोखा दे सकें. यूरोप्लैटस छिपकली को तो पूरी तरह गायब होने की कला में महारत हासिल है. कैटीडिड पतंगा अपने रंग और आकार को पूरी तरह से पत्ती, आधी खाई हुई पत्ती, पत्ती जिस पर चिडि़या की बीट हो, लकड़ी या टहनी के अनुरूप ढाल लेता है.

गिरगिट की अलगअलग प्रजातियों में पिंक, ब्लू, रैड, औरेंज, ग्रीन, ब्लैक, ब्राउन, यलो, पर्पल रंगों में अपने शरीर को बदलने की क्षमता होती है. कुछ औक्टोपस अपनी त्वचा की मांसपेशियों का इस्तेमाल कर के रंग और हावभाव दोनों बदल कर समुद्री शैवाल जैसा छद्मावरण धारण कर लेते हैं या फिर समुद्री चट्टानों जैसा ऊबड़खाबड़ और टेढ़ामेढ़ा रूप धारण कर लेते हैं. इस तरह की खूबी वाले औक्टोपस अपनी फ्लैक्सिबल बौडी और रंग बदलने की क्षमता के चलते कभीकभी खतरनाक जंतुओं जैसे लौयनफिश, समुद्री सांप या सर्पमीन जैसे दिखने लगते हैं.

खाने के लिए छलना

ऐप्स सुनियोजित ढंग से छलावा देने में माहिर होते हैं. इस का सब से अच्छा उदाहरण हैं चिंपांजी, जिन पर उन का प्रतिद्वंद्वी पीछे से झपटने की कोशिश करता है. ऐसे में चिंपांजी अपने होंठों को कई बार अलगअलग आकार देता है ताकि भयमुक्त हो कर आक्रामक दिख सके. जब वह ऐसा कर लेता है तब प्रतिद्वंद्वी की तरफ भयमुक्त भावभंगिमा के साथ मुड़ता है.

खाना बचाने और सुरक्षित रखने के दूसरे तरीके में चिंपांजियों के ग्रुप में बेले नाम की एक सदस्य होती है और सिर्फ उसी को खाना रखने की जगह के बारे में मालूम होता है. बेले चिंपांजियों के समूह को खाने की जगह तक ले जाती है. लेकिन जब रौक नामक चिंपांजी खाना दूसरे चिंपांजियों के साथ बांटने में आनाकानी करता है, तो बेले अपना तौरतरीका बदल देती है और तब तक खाने के ऊपर बैठी रहती है जब तक रौक वहां से दूर नहीं चला जाता. रौक के जाते ही वह खाना खा लेती है. इस प्रक्रिया को जल्दी शुरू करने के लिए रौक इधरउधर देखने का बहाना करने लगता है ताकि बेले खाने की भागदौड़ शुरू कर सके. कई बार तो वह वहां से चला भी जाता है ताकि बेले को लगे कि उस की खाने में कोई रुचि नहीं है, फिर जैसे ही बेले खाना खोलती है वह कहीं से अचानक आ कर झपट पड़ता है.

छलावा देने के दूसरे तरीके

कुछ जंतु जैसे छिपकली, चिडि़या, चूहे, मोगरी और शार्क शिकारियों से बचने के लिए मरने का अभिनय करते हैं, क्योंकि ज्यादातर शिकारी जिंदा शिकार को ही अपना निशाना बनाते हैं. प्रजनन के दौरान मेल स्पाइडर मरने का बहाना करते हैं ताकि फीमेल स्पाइडर उन को खा न सके.

कई जानवर अपने असली रूप से ज्यादा खतरनाक भी दिखने लगते हैं. मैंटिस झींगे के शरीर के अगले हिस्से में लिंब होते हैं जिन का इस्तेमाल वह हमला करने के लिए करता है. छोटे मैंटिस झींगे अपने शिकारी को छलावा देने के लिए अपने लिंब फैला देते हैं जबकि असलियत में वे अपने लिंब का इस्तेमाल अपने नाजुकमुलायम शरीर के चलते तब तक नहीं कर सकते जब तक कि खुद को नुकसान न पहुंचा लें.

कटलफिश तो इस मामले में और भी आगे है. कटलफिश एकसाथ 2 दुश्मनों को अपना अलगअलग रूप दिखा कर छलावा दे सकती है. जब मेल कटलफिश फीमेल को दूसरे मेल कटलफिश की उपस्थिति में रिझाने की कोशिश कर रही होती है, तो वह 2 तरह के रूप एकसाथ दिखाती है. उस का मेल पैटर्न फीमेल की तरफ रहता है और फीमेल पैटर्न बना कर वह दूसरी तरफ मेल को धोखा दे रही होती है.

फीमेल मार्श हरिअर चिडि़या मेल के द्वारा जुटाए गए खाने को पाने के लिए उसे रिझाने का नाटक करती है. इस खाने को वह अपने बच्चों को देती है, जोकि किसी दूसरे मेल मार्श हरिअर से पैदा हुए हैं.

अलग अलग जानवर अलग अलग तरीके

बबून तो देखने का ऐसा तरीका अपनाते हैं ताकि लगे कि वे शिकारी ढूंढ़ रहे हैं. ऐसा वे वयस्क मेल के हमले से बचने के लिए करते हैं. सैंट्रल अमेरिका में पाए जाने वाले छोटे कपुचिन बंदर सुनियोजित तरीके से छलावा देने के लिए ध्वनि का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा वे तब करते हैं जब उन को खुद से शक्तिशाली बंदरों के साथ खाने को ले कर प्रतिस्पर्धा करनी हो.

कपुचिन बंदर शिकारियों से आगाह करने वाली आवाज निकालने लगते हैं, जिस से सभी बंदर तितरबितर हो जाते हैं और फिर कपुचिन बंदर खाना चुरा कर भाग जाते हैं.

इसी तरह आस्ट्रेलियन स्पाइडर चींटियों की तरह व्यवहार करते हैं और उन की तरह गंध भी छोड़ते हैं. कुछ तो इस कला में इतने माहिर होते हैं कि चींटियां उन को हमेशा के लिए अपने घोंसले में रहने देती हैं. फिर धीरेधीरे मकड़ी चींटियों को अपना शिकार बनाना शुरू करती है. लेकिन वह सारी चींटियों को एकसाथ नहीं खाती, बल्कि धीरेधीरे इन का सफाया करती है.

विशाल जियोमीटर मोथ कैटरपिलर छद्मावरण को एक अलग स्तर पर ले आए हैं. ये अपने शरीर में हर उस पेड़ के अंश का समावेश कर लेते हैं, जिसे वे खाते हैं और फिर लकड़ी की तरह ही गंध छोड़ते हैं. इस तरह ये भूखी चींटियों को छलावा देते हैं. चींटियां इन के ऊपर से गुजर जाती हैं और उन्हें इन की मौजूदगी की भनक भी नहीं लगती. यदि कैटरपिलर जिस पेड़ पर बैठे हैं और उस पेड़ के अंशों का समावेश नहीं कर पाए हैं तो चींटियां इन की गंध पहचान कर हमला कर देती हैं.

हार्लेक्विन फाइलफिश हिंद महासागर में मूंगे की चट्टानों के बीच रहती है. यह ऐक्रोपोरा मूंगे की तरह खा कर और गंध छोड़ कर शिकारियों से खुद को सुरक्षित रखती है. इस तरह मूंगे की चट्टानों में रहने वाले केकड़े या शिकारी कौड मछली, मूंगा खाने वाली फाइलफिश और मूंगे की गंध के बीच का फर्क महसूस नहीं कर पाते.

छल का प्रयोग जीवजंतु सिर्फ खुद को खाए जाने से बचाने के लिए ही नहीं करते. कुछ डरपोक पतंगे जैसे मेल एशियन कौर्न बोरर्स चमगादड़ की आवाज निकाल कर फीमेल को डरा देते हैं. फिर मौके का फायदा उठा कर उस के साथ प्रजनन करते हैं. ये मेल संभोग करने में कमजोर होते हैं, इसलिए इस चाल की आड़ लेते हैं. मेल यलो पीच पतंगे इस से भी बढि़या तरीका अपनाते हैं. ये भी इसी तरह की आवाज निकालते हैं, जब इन को किसी फीमेल की तलाश हो.

फैशनेबल नाखून के लिए मिरर नेलपेंट

आपके हाथों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए बाजार में तरह तरह के नेलपॉलिश मौजूद है. अगर आप भी हैं फैशनेबल तो आपके नाखून अलग ही लुक देंगे जब इन्हें आप सजाएंगे मिरर नेलपेंट से.

इंस्टाग्राम पर भी इस नए तरह के नेलपैंट के ट्रेंडी होने की मुहर लग चुकी है. यह हाई शाइन पॉलिश इतनी चमकदार होती है कि आप अपना चेहरा इसमें देख सकते है. यही वजह है कि इसे मिरर नेलपॉलिश नाम मिला है.

दिखने में मैटालिक नेलपॉलिश के समान, मिरर नेलपैंट की शाइन इसे अलग बनाती है. इसमें बनने वाली मिरर इमेज इसे खास लुक देती है.

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