ह्यूंडै: विजेता लगातार तीसरी बार

भारत की दूसरी सब से बड़ी कार निर्माता कंपनी ह्यूंडै मोटर इंडिया लिमिटेड की तो जैसे जीतने की आदत हो गई है. यह न सिर्फ ग्राहकों के दिलोदिमाग को, बल्कि ऐक्सपर्ट्स के दिलों को भी जीत रही है. साल 2014 से ह्यूंडै इंडियन कार औफ द ईयर का खिताब लगातार जीतती आ रही है. ऐसा करना आसान न था.

ग्रैंड आई 10, जिस ने कि 2014 में इंडियन कार औफ द ईयर का खिताब जीता था, वह शहरों में दौड़ने वाली एक छोटी कार से कहीं ज्यादा है. यह आरामदायक, प्रभावी और सभी जरूर सुविधाओं से लैस होने के साथसाथ हाइवे पर भी फर्राटे से दौड़ती है. इस के स्मार्ट ऐक्सटीरियर से लेकर शानदार व सुनियोजित तरीके से बनाए गए इंटीरियर तक, ग्रैंड आई 10 देती है ड्राइविंग का बेहतरीन अनुभव, आसान व सुविधाजनक मैनुअल गियर बौक्स, जोशीली मोटर और हलके स्टीयरिंग के चलते यह शहरी युवाओं के लिए एक परफैक्ट कार है.

एलीट आई 20 के फीचर्स तो और भी शानदार हैं. इसके प्रीमियम फीचर्स, गुणवत्ता और ऐक्सटीरियर को देखते हुए इसे एक कंप्लीट स्टाइलिश कार ही कहा जाएगा.

इसकी 1.2 लीटर पेट्रोल मोटर हो या फिर 1.4 लीटर डीजल मोटर, दोनों ही बेहतरीन इंजनों में शुमार हैं. कार के अंदर की प्रीमियम फिनिशिंग, शानदार टच स्क्रीन आडियो, नेविगेशन यूनिट और 5 लोगों व उनके सामान के लिए अच्छा स्पेस, एलीट आई 20 के कुछ ऐसे फीचर्स हैं जो दूसरे कार निर्माताओं के लिए मिसाल पेश करते हैं. इन सब बातों को देखते हुए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि एलीट आई 20 साल 2015 की इंडियन कार औफ द ईयर बनी.

यदि आप ऐसी एसयूवी खरीदना चाहते हैं, जो उपयोगिता और क्षमता के मामले में बेहतरीन साबित हो, तो भारत की पसंदीदा एसयूवी और साल 2016 की इंडियन कार औफ द ईयर ह्यूंडै क्रेटा आपकी हमसफर बन सकती है. सड़क पर इसकी शानदार पकड़ के साथसाथ इसके सुनियोजित तरीके से बने इंटीरियर की वजह से कार में बैठना और उतरना काफी सुविधाजनक है.

मजबूत 1.4 और 1.6 लीटर डीजल मोटरों व 1.6 लीटर पेट्रोल मोटर के साथ शानदार प्रदर्शन ही इसकी विशेषता है. आरामपसंद लोगों को इसके दोनों 1.6 लीटर मोटर वर्जन में उपलब्ध 6 गियर काफी पसंद आएंगे.

निश्चित तौर पर डिजाइन, प्रदर्शन, इंटीरियर, कार्यप्रणाली और ड्राइविंग डायनामिक के कौंबिनेशन को देखते हुए ह्यूंडै ग्रैंड आई 10, एलीट आई 20 और क्रेटा इंडियन कार औफ द ईयर की सही विजेता हैं.   

कैंसर से बचाएगी कोल्ड कॉफी

क्या आप कॉफी पीना पसंद करते हैं? अगर हां, तो कॉफी पीते समय आपको कुछ सावधानियां रखना होंगी, अगर आप कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचना चाहते हैं. जी हां, एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर आप गर्मागर्म कॉफी पीने के शौकीन हैं, तो इसके बजाए आपको कोल्ड कॉफी पीना शुरू कर देना चाहिए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर शोध ईकाई द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार कोल्ड कॉफी का सेवन कर आप कैंसर से बचाव कर सकते हैं. डब्ल्यूएचओ की इकाई आईएआरसी के अनुसार, कॉफी कैंसर पैदा करने वाले तत्वों में शामिल नहीं है लेकिन अधिक गर्म अवस्था में इसका सेवन कैंसर का खतरा पैदा कर सकता है.

कॉफी को अगर 65 डिग्री सेल्सियल से अधिक तापमान पर गर्म किया जाए या इसका सेवन किया जाए तो यह ग्रासनली में कैंसर पैदा कर सकता है.

जानवर भी देते हैं छलावा

जानवर छलावा देने की कला में इतने माहिर होते हैं कि अच्छेअच्छे उन के सामने अनाड़ी साबित हो जाएं. नकल करने के ये उस्ताद आभास, गंध, ध्वनि, व्यवहार (उदाहरण के तौर पर साधारण रैड स्नेक खतरे की स्थिति में अपना रंग बदल कर जहरीले कोरल स्नेक की तरह दिखने लगता है), छद्मावरण, मृत या घायल होने का बहाना, खतरनाक मुद्रा में आना, मौखिक या सुनियोजित तरीके से छलना इत्यादि तरीके तब आजमाते हैं जब उन को खाने की जरूरत हो, जान बचानी हो या फिर अपने दुश्मन पर जीत हासिल करनी हो. कभीकभी तो इस कला के चलते साधारण जंतु भी खतरनाक व विषैले दिखने लगते हैं.

कुछ जानवर अपने हावभाव को इस तरह बदल लेते हैं कि उन का शिकार खुदबखुद उन की तरफ लालच से आकर्षित हो जाए. पेरैंट बर्ड शिकारी को अपने बच्चों से दूर रखने के लिए ऐसा दिखावा करती है जैसेकि उस का पर टूट गया हो और वह असहाय पड़ी हो. उस की इस चाल से शिकारी उस के बच्चों के बजाय उस की तरफ आकर्षित हो जाता है.

कुछ पतंगे चमगादड़ों को चकमा देने का अनूठा और प्रभावशाली तरीका अपनाते हैं. जब पतंगों को शिकारी चमगादड़ों के आने का आभास होता है, तो वे टाइगर पतंगे की तरह खटखट की आवाज लगातार करना शुरू कर देते हैं. चमगादड़ों को लगता है कि यहां स्वादिष्ठ पतंगों के बजाय अरुचिकर टाइगर पतंगे हैं और वे वापस चले जाते हैं.

छलिया जंतु और भी

सैंट्रल अफ्रीका के 2 सिरों वाले सांप की पूंछ उस के सिर जैसी दिखती है और उस का सिर पूंछ की तरह दिखता है. यह सांप अपनी पूंछ को इस तरह घुमा सकता है जैसेकि दूसरे सांप अपना सिर घुमाते हैं. इस सांप की यह खूबी इस के शिकार को संशय में डाल देती है और वह समझ नहीं पाता कि उस पर हमला आखिर हो किस तरफ से रहा है.

अदृश्य होने की खूबी

बहुत से जानवर अपने शरीर का रंग अपने आसपास के वातावरण के हिसाब से बदलने की क्षमता रखते हैं ताकि शिकार या शिकारी की नजरों को धोखा दे सकें. यूरोप्लैटस छिपकली को तो पूरी तरह गायब होने की कला में महारत हासिल है. कैटीडिड पतंगा अपने रंग और आकार को पूरी तरह से पत्ती, आधी खाई हुई पत्ती, पत्ती जिस पर चिडि़या की बीट हो, लकड़ी या टहनी के अनुरूप ढाल लेता है.

गिरगिट की अलगअलग प्रजातियों में पिंक, ब्लू, रैड, औरेंज, ग्रीन, ब्लैक, ब्राउन, यलो, पर्पल रंगों में अपने शरीर को बदलने की क्षमता होती है. कुछ औक्टोपस अपनी त्वचा की मांसपेशियों का इस्तेमाल कर के रंग और हावभाव दोनों बदल कर समुद्री शैवाल जैसा छद्मावरण धारण कर लेते हैं या फिर समुद्री चट्टानों जैसा ऊबड़खाबड़ और टेढ़ामेढ़ा रूप धारण कर लेते हैं. इस तरह की खूबी वाले औक्टोपस अपनी फ्लैक्सिबल बौडी और रंग बदलने की क्षमता के चलते कभीकभी खतरनाक जंतुओं जैसे लौयनफिश, समुद्री सांप या सर्पमीन जैसे दिखने लगते हैं.

खाने के लिए छलना

ऐप्स सुनियोजित ढंग से छलावा देने में माहिर होते हैं. इस का सब से अच्छा उदाहरण हैं चिंपांजी, जिन पर उन का प्रतिद्वंद्वी पीछे से झपटने की कोशिश करता है. ऐसे में चिंपांजी अपने होंठों को कई बार अलगअलग आकार देता है ताकि भयमुक्त हो कर आक्रामक दिख सके. जब वह ऐसा कर लेता है तब प्रतिद्वंद्वी की तरफ भयमुक्त भावभंगिमा के साथ मुड़ता है.

खाना बचाने और सुरक्षित रखने के दूसरे तरीके में चिंपांजियों के ग्रुप में बेले नाम की एक सदस्य होती है और सिर्फ उसी को खाना रखने की जगह के बारे में मालूम होता है. बेले चिंपांजियों के समूह को खाने की जगह तक ले जाती है. लेकिन जब रौक नामक चिंपांजी खाना दूसरे चिंपांजियों के साथ बांटने में आनाकानी करता है, तो बेले अपना तौरतरीका बदल देती है और तब तक खाने के ऊपर बैठी रहती है जब तक रौक वहां से दूर नहीं चला जाता. रौक के जाते ही वह खाना खा लेती है. इस प्रक्रिया को जल्दी शुरू करने के लिए रौक इधरउधर देखने का बहाना करने लगता है ताकि बेले खाने की भागदौड़ शुरू कर सके. कई बार तो वह वहां से चला भी जाता है ताकि बेले को लगे कि उस की खाने में कोई रुचि नहीं है, फिर जैसे ही बेले खाना खोलती है वह कहीं से अचानक आ कर झपट पड़ता है.

छलावा देने के दूसरे तरीके

कुछ जंतु जैसे छिपकली, चिडि़या, चूहे, मोगरी और शार्क शिकारियों से बचने के लिए मरने का अभिनय करते हैं, क्योंकि ज्यादातर शिकारी जिंदा शिकार को ही अपना निशाना बनाते हैं. प्रजनन के दौरान मेल स्पाइडर मरने का बहाना करते हैं ताकि फीमेल स्पाइडर उन को खा न सके.

कई जानवर अपने असली रूप से ज्यादा खतरनाक भी दिखने लगते हैं. मैंटिस झींगे के शरीर के अगले हिस्से में लिंब होते हैं जिन का इस्तेमाल वह हमला करने के लिए करता है. छोटे मैंटिस झींगे अपने शिकारी को छलावा देने के लिए अपने लिंब फैला देते हैं जबकि असलियत में वे अपने लिंब का इस्तेमाल अपने नाजुकमुलायम शरीर के चलते तब तक नहीं कर सकते जब तक कि खुद को नुकसान न पहुंचा लें.

कटलफिश तो इस मामले में और भी आगे है. कटलफिश एकसाथ 2 दुश्मनों को अपना अलगअलग रूप दिखा कर छलावा दे सकती है. जब मेल कटलफिश फीमेल को दूसरे मेल कटलफिश की उपस्थिति में रिझाने की कोशिश कर रही होती है, तो वह 2 तरह के रूप एकसाथ दिखाती है. उस का मेल पैटर्न फीमेल की तरफ रहता है और फीमेल पैटर्न बना कर वह दूसरी तरफ मेल को धोखा दे रही होती है.

फीमेल मार्श हरिअर चिडि़या मेल के द्वारा जुटाए गए खाने को पाने के लिए उसे रिझाने का नाटक करती है. इस खाने को वह अपने बच्चों को देती है, जोकि किसी दूसरे मेल मार्श हरिअर से पैदा हुए हैं.

अलग अलग जानवर अलग अलग तरीके

बबून तो देखने का ऐसा तरीका अपनाते हैं ताकि लगे कि वे शिकारी ढूंढ़ रहे हैं. ऐसा वे वयस्क मेल के हमले से बचने के लिए करते हैं. सैंट्रल अमेरिका में पाए जाने वाले छोटे कपुचिन बंदर सुनियोजित तरीके से छलावा देने के लिए ध्वनि का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा वे तब करते हैं जब उन को खुद से शक्तिशाली बंदरों के साथ खाने को ले कर प्रतिस्पर्धा करनी हो.

कपुचिन बंदर शिकारियों से आगाह करने वाली आवाज निकालने लगते हैं, जिस से सभी बंदर तितरबितर हो जाते हैं और फिर कपुचिन बंदर खाना चुरा कर भाग जाते हैं.

इसी तरह आस्ट्रेलियन स्पाइडर चींटियों की तरह व्यवहार करते हैं और उन की तरह गंध भी छोड़ते हैं. कुछ तो इस कला में इतने माहिर होते हैं कि चींटियां उन को हमेशा के लिए अपने घोंसले में रहने देती हैं. फिर धीरेधीरे मकड़ी चींटियों को अपना शिकार बनाना शुरू करती है. लेकिन वह सारी चींटियों को एकसाथ नहीं खाती, बल्कि धीरेधीरे इन का सफाया करती है.

विशाल जियोमीटर मोथ कैटरपिलर छद्मावरण को एक अलग स्तर पर ले आए हैं. ये अपने शरीर में हर उस पेड़ के अंश का समावेश कर लेते हैं, जिसे वे खाते हैं और फिर लकड़ी की तरह ही गंध छोड़ते हैं. इस तरह ये भूखी चींटियों को छलावा देते हैं. चींटियां इन के ऊपर से गुजर जाती हैं और उन्हें इन की मौजूदगी की भनक भी नहीं लगती. यदि कैटरपिलर जिस पेड़ पर बैठे हैं और उस पेड़ के अंशों का समावेश नहीं कर पाए हैं तो चींटियां इन की गंध पहचान कर हमला कर देती हैं.

हार्लेक्विन फाइलफिश हिंद महासागर में मूंगे की चट्टानों के बीच रहती है. यह ऐक्रोपोरा मूंगे की तरह खा कर और गंध छोड़ कर शिकारियों से खुद को सुरक्षित रखती है. इस तरह मूंगे की चट्टानों में रहने वाले केकड़े या शिकारी कौड मछली, मूंगा खाने वाली फाइलफिश और मूंगे की गंध के बीच का फर्क महसूस नहीं कर पाते.

छल का प्रयोग जीवजंतु सिर्फ खुद को खाए जाने से बचाने के लिए ही नहीं करते. कुछ डरपोक पतंगे जैसे मेल एशियन कौर्न बोरर्स चमगादड़ की आवाज निकाल कर फीमेल को डरा देते हैं. फिर मौके का फायदा उठा कर उस के साथ प्रजनन करते हैं. ये मेल संभोग करने में कमजोर होते हैं, इसलिए इस चाल की आड़ लेते हैं. मेल यलो पीच पतंगे इस से भी बढि़या तरीका अपनाते हैं. ये भी इसी तरह की आवाज निकालते हैं, जब इन को किसी फीमेल की तलाश हो.

फैशनेबल नाखून के लिए मिरर नेलपेंट

आपके हाथों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए बाजार में तरह तरह के नेलपॉलिश मौजूद है. अगर आप भी हैं फैशनेबल तो आपके नाखून अलग ही लुक देंगे जब इन्हें आप सजाएंगे मिरर नेलपेंट से.

इंस्टाग्राम पर भी इस नए तरह के नेलपैंट के ट्रेंडी होने की मुहर लग चुकी है. यह हाई शाइन पॉलिश इतनी चमकदार होती है कि आप अपना चेहरा इसमें देख सकते है. यही वजह है कि इसे मिरर नेलपॉलिश नाम मिला है.

दिखने में मैटालिक नेलपॉलिश के समान, मिरर नेलपैंट की शाइन इसे अलग बनाती है. इसमें बनने वाली मिरर इमेज इसे खास लुक देती है.

एक महल हो सपनों का…

एक तरफ जहां दुनिया भर के शहरों में जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं और अपने घर का सपना लोगों से और दूर होता जा रहा है, दुनिया में ऐसी जगह भी मौजूद है जहां सरकार ने फ्री में जमीन देने की घोषणा कर रखी है. ये दुनिया की ऐसी जगहें हैं जहां आबादी बहुत कम है और सरकार विदेशियों को भी फ्री जमीन देने के लिए तैयार है.

Marquette and Lincoln, America

अमेरिका के कंसास स्टेट की मैकपर्सन काउंटी के पास स्थित मेक्वेटे शहर नदी के किनारे मौजूद है. 114 हेक्टेयर में बसे इस शहर की कुल आबादी 614 है. साल 2003 से ही सरकार ने यहां आकर बसने वालों को फ्री जमीन और बाक़ी सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा की हुई है. लिंकन शहर भी कंसास के दक्षिण में स्थित है और यहां की जनसंख्या भी सिर्फ 1200 के आस-पास है. ये शहर मेक्वेटे से भी बड़ा है और अगर इसकी पूरी ज़मीन को यहां रहने वाले लोगों को बांटा जाए तो हर एक के हिस्से में 1000 स्क्वायर मील जगह आएगी. आबादी बढ़ाने के लिए ही यहां की लोकल काउन्सिल ने फ्री जमीन देने का एलान किया हुआ है.

Marne, America

संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित लोवा स्टेट में मौजूद मरने शहर 148 हेक्टेयर में फैला हुआ है. हालांकि आपको जानकार ये आश्चर्य होगा कि इस शहर की आबादी सिर्फ 120 है. इस शहर में 52 घर हैं जिनमें कुल 37 परिवार रहते हैं. इस शहर के विकास और इसे आबाद करने के लिए ही यहां की ज़मीनों पर आकर बसने वालों को फ्री में देने की घोषणा की गई है.

New Richland, America

मिन्सेटा शहर में स्थित न्यू रिचलैंड की कुल आबादी 1200 के आस-पास है और ये 158 हेक्टेयर में फैला हुआ है. सरकार यहां आपको रहने के लिए फ्री जमीन देती है लेकिन एक साल के अन्दर आपको उस जमीन पर कंस्ट्रक्शन शुरू कर देना होता है नहीं तो दी गई ज़मीन खुद ब खुद सरकार के पास वापस चली जाती है.

Michigan, America

इंडस्ट्रियल डवलपमेंट के लिए यहां की सरकार ने ‘मिशीगन-25’ नाम की योजना निकाली हुई है. इस योजना के तहत यहां आकर इंडस्ट्री लगाने वालों को फ्री जमीन दी जाती है. ये शहर 14 स्क्वायर मील में फैला है और इसकी आबादी सिर्फ 38 हज़ार के आस-पास है.

Beatrice, America

नेब्रास्का स्टेट की गेज काउंटी में मौजूद ये शहर बिग ब्लू नदी के नजदीक स्थित है. 10 स्क्वायर मील में फैले इस शहर में बसे इस शहर की कुल जनसंख्या सिर्फ 12 हज़ार के आस-पास है. सरकार ने साल 2010 में यहां फ्री ज़मीन देने की घोषणा की है.

Alaska, America

अलास्का भी अमेरिका का ही एक स्टेट है और ये एरिया के मामले में अमेरिका का सबसे बड़ा स्टेट भी है. हालांकि यहां की आबादी सिर्फ 7 लाख है जबकि ये साढ़े छह लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैला है. इसका ज्यादातर हिस्सा बर्फ से ढका है जिसके चलते इसके कई शहरों में सरकार आकार बसने वालों को फ्री जमीन देती है.

Camden, America

मेन स्टेट की नॉक्स काउंटी में मौजूद इस शहर की कुल आबादी सिर्फ 4 हज़ार के आस-पास है और ये 26 स्क्वायर मील में फैला हुआ है. आबादी को बढ़ाने के लिए सरकार ने यहां जमीन फ्री देने की घोषणा की है.

8 साल में तारक मेहता ने दोहराई ये गलतियां

पॉपुलर कॉमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ ने हाल ही में अपने 2000 एपिसोड्स पूरे किए हैं. जुलाई 2008 में यह शो शुरू हुआ था और पिछले आठ सालों से यह ऑडियंस के बीच काफी पॉपुलर है.

हालांकि, इस शो में कई ऐसी मिस्टेक्स भी हुई हैं, जिन्हें देखने के बावजूद भी ज्यादातर लोग नहीं पकड़ पाए.

मिस्टेक नंबर 1

जेठालाल के घर के किचन में आने-जाने का रास्ता बेडरूम से होकर जाता है. लेकिन बेडरूम में देखें तो एक तरफ बाथरूम है और बाकी जगह दीवारें. ऐसे किचन के लिए क्या बाथरूम से होकर जाते हैं?

मिस्टेक नंबर 2

बाघा जेठालाल की दुकान में मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता है. लेकिन उसे इससे पहले टप्पू के स्कूल टीचर के रूप में देखा जा चुका है. बाद में वह टैक्सी ड्राइवर के रूप भी दिखा. फिर वह ऑटो रिक्शा ड्राइवर भी बना. इसके अलावा, उसे रुक्मणी बाई के हसबैंड के रूप में भी देखा गया.

अब यह तो प्रोडक्शन हाउस वाले ही बता सकते हैं कि बाघा एक ही शक्ल के पांच भाई हैं या फिर पैसे बचाने के चक्कर में एक ही एक्टर को बार-बार दिखा दिया.

मिस्टेक नंबर 3

जेठालाल के घर में एक ही बाथरूम को अलग-अलग तरीके से दिखाते हैं. कभी यह बाथरूम बड़ा हो जाता है तो कभी यह छोटा हो जाता है. क्या यह बाथरूम फ्लेक्सिबल है?

मिस्टेक नंबर 4

दया भाभी के किचन की खिड़की से कभी गोकुलधाम सोसाइटी दिखती है तो कभी कोई और बिल्डिंग दिखती है. लगता है दया भाभी चलते-फिरते किचन में काम करती हैं.

मिस्टेक नंबर 5

गोकुल धाम के गेट पर जब टेम्पो फंस जाता है, तब सोसाइटी वाले बाहर जाने के लिए अजीबोगरीब तरकीबें अपनाते हैं. लेकिन जब सोसाइटी का रेनोवेशन होता है तो आने-जाने के लिए पीछे के रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा क्यों? यह तो मेकर्स ही बता सकते हैं.

मिस्टेक नंबर 6

अगर इस टेम्पो को ध्यान से देखें तो उसके साइड से, ऊपर से और नीचे से आसानी से बाहर जाया जा सकता था. लेकिन इन लोगों को बस ऑडियंस को बेवकूफ बनाना है.

मिस्टेक नंबर 7

पिछले आठ सालों में टप्पू सेना फर्स्ट स्टैंडर्ड से कॉलेज से तक पहुंच गई है. लेकिन अभी तक अंजलि और बबिता के घर एक भी बच्चा नहीं हुआ. खास बात यह है कि इतने सालों में गोकुलधाम सोसाइटी के मेंबर्स की शक्लों में कोई बदलाव भी नहीं आया.

बड़े सवाल, जिनके जवाब अब तक नहीं मिले

दया की मां कहां हैं?

पिंकू के माता-पिता और उसका घर कौन सा है?

कब होगी पोपटलाल की शादी?

कब बढ़ेगी नट्टू काका की पगार?

अब्दुल शादीशुदा है या नहीं? और वह रहता कहां है?

हिजाब पहनकर पॉर्न फिल्में करती पाक अभिनेत्री

पाकिस्तान मूल की अमेरिकी अभिनेत्री नादिया अली, पाकिस्तान में हिजाब यानी बुरका पहनकर पॉर्न ऍक्टर के तौर पर काम करती है. उनका मकसद दुनिया को ये बताना है कि हिजाब पहनने वाली महिलाओं की भी सेक्शुअल इच्छाएं होती है.

नादिया पिछले एक साल से पॉर्न फिल्मों में काम कर रही हैं और उनके मुताबिक वो एक सच्ची मुसलमान हैं जो दो वक्त नमाज भी पढ़ती हैं.

सूत्रों की मानें तो वो खुद को पाकिस्तानी औरतों के लिबरल मूवमेंट का हिस्सा बता रही हैं.

हिजाब पहनी महिला को भी हो सकती है सेक्स की इच्छा: नादिया

नादिया के मुताबिक जब मैं बड़ी हो रही थी, कई बातें सुनने में आती थीं. जैसे ‘उसके बुर्क़े से धोखा मत खाना, वो लड़की स्लट है.’ वो सब चीजें मेरे दिमाग में रह गईं. अगर एक हिजाबी औरत को सेक्स की इच्छा हो, तो वो क्या करेगी? बस यही बात मैं कैमरे पर ले आती हूं और लोग नाराज हो जाते हैं क्योंकि वो इसे छिपाना चाहते हैं.

सेक्स को औरतों के लिबरल मूवमेंट की तरह देखती हूं: नादिया

‘मैं खुद को पाकिस्तानी औरतों के लिबरल मूवमेंट के हिस्से के तौर पर देखती हूं. मैं हिजाबी औरतों को कैमरे पर लेकर आई हूं. अब वो दीवारों में कैद नहीं, मैं पॉर्न में धर्म को कभी नहीं लाती. डायरेक्टर्स को कहती हूं, टाइटल में से ‘मुस्लिम’ हटा दो. ये मेरे लिए पाकिस्तानी कल्चर का हिस्सा है, मुसलमान धर्म का नहीं. दुनिया को ये दिखाना चाहती हूं कि पाकिस्तानी मूल की मिडिल ईस्टर्न लड़कियों को भी सेक्स की इच्छा होती है लेकिन उन्हें इसका जिक्र करने की मनाही है. इसलिए में लड़कियों का पॉर्न शूट करना चाहती हूं, ये दिखाना चाहती हूं कि लड़कियां किस तरह दूसरी लड़कियों के साथ सेक्स करती हैं या किस तरह मास्टरबेट करती हैं. इन चीजों को जिंदा करना चाहती हूं.’

जान से मारने की मिलती है धमकियां: नादिया

 ‘अगर मेरा नाम नेगेटिव चीजों को लेकर हेडलाइन में आए, तो भी कोई बात नहीं, मैं औरतों की आवाज बनना चाहती हूं. मैं चाहती हूं औरतें अपने लिए जिएं. अपनी दुनिया बनाएं, चाहे जितना भी समय क्यों ना लगे. औरतें अपने बच्चों को भी यही सिखाएं उनके साथ खड़ी रहें. क्रांति लाने के लिए पुरुषों का साथ ज़रूरी नहीं.’

नादिया कहती हैं कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है तो वो उसे इग्नोर कर देती हैं या पॉजिटिव तरीके से लेती हैं.

रितेश की लव स्टोरी में कंगना

बालीवुड में क्वीन ओर तनु वेड्स मनु जैसी सुपरहीट फिल्में दे चुकी कंगना रनौत अब रितेश बत्रा की लव स्टोरी बेस्ड् मूवी में नजर आ सकती है. सूत्रों की मानें तो लंच बॉक्स फेम निर्देशक रितेश बत्रा अपनी इस फिल्म में कंगना रनौत को साइन करने वाले हैं.

रितेश कंगना को नैरेशन दे चुके हैं. कंगना को स्क्रिप्ट काफी पसंद आई है. ये फिल्म वे ‘झांसी की रानी’ की शूटिंग कंपलीट करने के बाद इस फिल्म में काम करेंगी.

फिल्म में इरफान खान के होने की भी चर्चा थी, लेकिन उन्होंने हाल ही में इससे इनकार किया. उन्होंने कहा कि अभी तक उनके पास ऐसा कोई ऑफर नहीं आया है, यदि ऑफर आता है तो वे विचार करेंगे.

गौरतलब है कि दोनों एक्टर पहले अनुराग बसु की फिल्म ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ में नजर आ चुके हैं.

सेंसर बोर्ड के पैमाने पर सही उतरी ‘मोहन जोदाड़ो’

आशुतोष गोवारिकर की आने वाली फिल्म ‘मोहन जोदाड़ो’ को सेंसर बोर्ड से बिना किसी कट फिल्म को रिलीज करने की अनुमति मिल गई है.

यानी अब रितिक रोशन और पूजा हेगड़े स्टारर यह फिल्म 12 अगस्त को बिना किसी कट रिलीज के लिए तैयार है. यह फिल्म सभी पैमाने पर खरी उतरी है जिसके किसी भी सीन से सेंसर बोर्ड को कोई भी आपत्ति नहीं है.

बता दें कि इस फिल्म में रितिक ने फिल्म की लीड एक्ट्रेस पूजा को 3 बार किस किया है. ऐसी आंशका थी कि इस सीन पर बोर्ड की कैंची चल सकती हैं लेकिन सेंसर बोर्ड ने किसी भी सीन पर कैंची नहीं चलाई और इसे यूए सर्टिफिकेट के साथ पास कर दिया.

इस फिल्म में रितिक रोशन डेब्यू एक्ट्रेस पूजा हेगड़े के साथ रोमांस करते नजर आएंगे. यह फिल्म भारतीय संस्कृति के उस दौर की झलक दिखाएगी जब धीरे-धीरे सामाजिक व्यवस्था की शुरुआत हुई थी.

रितिक इससे पहले आशुतोष के साथ ‘जोधा अकबर’ फिल्म में भी काम कर चुके हैं. फिल्म में रितिक और पूजा के अलावा एक्टर कबीर बेदी भी अहम रोल में नजर आएंगे. फिल्म की शूटिंग भुज और गुजरात में हुई है.

क्विकली बनाएं क्विक ड्रीम

सामग्री

– 250 ग्राम दही

– 4 ब्रैडस्लाइस

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– 8 किशमिश द्य 1 कप दूध

– 2 छोटे चम्मच हरी धनिया चटनी

– 3 छोटे चम्मच टोमैटो कैचअप

– 4-5 काजू

– 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला

– 3-4 चम्मच अनार के दाने ताजा

– 2 छोटे चम्मच चौकलेट सौस

– लालमिर्च व नमक स्वादानुसार.

विधि

ब्रैड के किनारे काट कर ब्रैडस्लाइस को दूध में भिगो कर निचोड़ लें. बीच में 2 किशमिश, 1 काजू रख कर दोनों हाथों से लड्डू बना लें. इस तरह 1 ब्रैड का 1 लड्डू बना लें. दही में जीरा पाउडर, लालमिर्च, चाटमसाला, नमक व गरममसाला मिला कर अच्छी तरह फेंट लें. ब्रैड के बने लड्डू को फेंटे दही में मिला दें. आधा घंटा दही में ही रखा रहने दें. फ्रिज में रख कर ठंडा करें. अब प्लेट में दही से लिपटा लड्डू रखें. ऊपर टोमैटो कैचअप व हरी चटनी डालें. फिर अनारदाना. सब से ऊपर चौकलेट सौस से सजाएं और ठंडाठंडा सर्व करें.

-व्यंजन सहयोग: कमलेश संधु

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें