शाहरुख पर भारी तारीख पर तारीख

बॉलीवुड में फिल्म रिलीज के लिए सितारे खास तारीख ढूंढते हैं.

सलमान ईद, ऋतिक और अजय दिवाली के मौके पर तो आमिर हर साल क्रिसमस और नए साल के आसपास अपनी फिल्म की रिलीज रखने की कोशिश करते हैं. मकसद एक ही है, त्योहार के मौके को बॉक्स ऑफिस पर कैश कराना.

इस साल भी यही होना है, पर इस बार सुपरस्टार शाहरुख खान खासे परेशान दिख रहे हैं. अपनी दो फिल्मों ‘दिलवाले’ और ‘फैन’ के ज्यादा न चल पाने से वह पहले ही थोड़े परेशान हैं. अब नई फिल्म ‘रईस’ की रिलीज के लिए उन्हें कोई तारीख नहीं मिल रही है. जो हैं, वो पहले ही बुक हो चुकी हैं.

साल 2015 में घोषित इस फिल्म को इस साल ईद के मौके पर सलमान की फिल्म ‘सुल्तान’ के साथ रिलीज होना था. शायद बॉक्स ऑफिस पर दोनों खानों की यह पहली टक्कर होती. मगर फिल्म पूरी न होने का हवाला देकर ‘रईस’ के निर्माता रिलीज की तारीख टाल गए.

सलमान खान ने कहा था कि “हमारी फिल्में साथ रिलीज करना किसी भी निर्माता के लिए फायदे का सौदा नहीं होगा क्योंकि इससे कमाई बँट जाएगी.”

शाहरुख ‘सुल्तान’ से टकराव तो बचा ले गए, पर अब ऐसे फँसे कि इस साल तो क्या, उनकी फिल्म अगले साल भी शायद ही थिएटर का मुँह देख पाए.

उनके सामने अगस्त में ‘रुस्तम’ (अक्षय कुमार) और ‘मोहनजोदारो’ (ऋतिक), दिवाली के मौके पर ‘शिवाय’ (अजय देवगन) और फिर ‘दंगल’ (आमिर खान) के साथ अपनी फिल्म रिलीज करने का ही रास्ता बचा है.

लेकिन वह पहले ही ‘बाजीराव मस्तानी’ के साथ टकराव का नतीजा झेल चुके हैं और अब किसी भी बड़े सितारे से टक्कर नहीं लेना चाहते. इसलिए उन्होंने तकरीबन मन बना लिया है कि वे अपनी फिल्म 26 जनवरी 2017 को रिलीज कर ही देंगे.

मगर यहां भी एक पेंच फँसा है. इसी दिन रौशन परिवार अपनी फिल्म ‘काबिल’ रिलीज करने को तैयार है.

शाहरुख का कहना है, “देश में वैसे ही थिएटर कम हैं और जब दो बड़ी फिल्में एक साथ आती हैं, तो दोनों को अच्छी संख्या में थिएटर नहीं मिल पाते और साथ ही बड़े बजट की फिल्मों को आर्थिक घाटा उठाना पड़ता है जिसे बचाने की हम कोशिश कर रहे हैं.”

उनका कहना था, “हम रौशन परिवार से बात कर रहे हैं कि वो ‘काबिल’ की डेट आगे बढ़ा लें क्योंकि उनकी फिल्म अभी शुरू नहीं हुई है.”

इस पर ऋतिक ने कन्नी काटते हुए कहा, “देखिए, रिलीज के फैसले पैसों से जुड़े होते हैं. मुझे अपनी फिल्म की रिलीज की तारीख किसी के साथ शेयर करने में कोई तकलीफ नहीं, पर चूंकि यह पैसे से जुड़ा फैसला है तो निर्माता ही इस पर बात करेंगे.”

वैसे ‘रईस’ के निर्माता शाहरूख ही हैं और ‘काबिल’ भी ऋतिक का होम प्रोडक्शन है. ऐसे में बात तो इन्हीं के बीच होगी. पर शायद वो इसे जाहिर नहीं करना चाहते.

हैरानी की हात ये है कि बॉलीवुड के सुपरस्टार को अपनी फिल्म की रिलीज डेट के लिए इतनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. हो सकता है कि इसकी वजह शाहरूख की पिछली फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर खराब परफॉर्मेंस हो.

‘रईस’ की हालत देखकर फिल्म ‘दामिनी’ का डॉयलॉग याद आता है, “तारीख पर तारीख मिलती रही है मीलॉर्ड….और अब मिली भी तो बस तारीख.”

नए अंदाज में आ रहा है ‘बिग बॉस’

हर बार की तरह इस बार भी फैन्स टीवी इंडस्ट्री के सबसे लोकप्रिय रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. अब जबकी ये तय हो गया है कि ‘बिग बॉस’ का दसवां सीजन भी इंडस्ट्री के ‘सुल्तान’ ही होस्ट करेंगे, तो फैन्स का शो के लिए एक्साइटमेंट लेवल हाई होना तो लाजमी ही है.

सूत्रों के मुताबिक ‘बिग बॉस’ का दसवां सीजन मिड-अक्टूबर में शुरू होने की उम्मीद है. इतना ही नहीं, सलमान, कबीर खान की फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ के कुछ मेजर सीन्स की शूटिंग के बाद जल्द ही इस शो की शूटिंग भी शुरू करने वाले हैं.

बता दें कि इस बार बिग बॉस’ में कुछ ऐसा होने जा रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ. दरअसल इस बार शो के 10वें सीजन के दरवाजे आम लोगों के लिए भी खोल दिए गए हैं.

अभी तक के नौ सीजन में बिग बॉस के घर में सेलिब्रिटी ही हिस्सा लेते आए हैं. लेकिन अब कलर्स चैनल उन लोगों की इच्छा पूरी करने जा रहा है जो इस शो में हिस्सा लेने की इच्छा रखते हैं.

शाहरुख, सलमान से कोई कंपिटिशन नहीं: अक्की

इस साल 2 सुपरहिट फिल्में दे चुके सुपरस्टार अक्षय कुमार का कहना है कि उन्हें शाहरुख खान, सलमान खान से कोई कंपिटिशन नहीं हैं.

कोई शक नहीं कि अक्षय कुमार एक ऐसे सुपरस्टार हैं, जिन्हें बच्चे से लेकर उम्रदराज.. हर जेनेरेशन के दर्शक पसंद करते हैं. इस साल अक्षय ने एयरलिफ्ट और हाउसफुल 3 जैसी सफल फिल्में दी हैं. वहीं, रूस्तम रिलीज को तैयार है.

ऐसे में हर अगले दिन अक्षय की तुलना बॉलीवुड की खान तिकड़ी- शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान से की जाती है. लेकिन अक्षय इसे सही नहीं मानते.

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अक्षय ने साफ कहा कि वे किसी से कंपिटिशन नहीं करना चाहते. अक्षय कुमार ने कहा, अपने साथ वालों के साथ कंपिटिशन करना मूर्खता होगी. मैं खान्स के स्टार पॉवर को पसंद करता हूं. और उनकी सफलता को सेल्यूट करता हूं. वे भी मेरे साथ ऐसा ही करते हैं. लेकिन हम एक ही रेस में नहीं हैं.. ना थे.. ना होंगे.

”सलमान खान, अजय देवगन से ही मैंने मारपीट सीखी है….” अक्षय कुमार ने साफ कहा कि ना खान्स उनके साथ कंपिटिशन करते हैं और ही वे खान तिकड़ी के साथ करना चाहते हैं.

वहीं, हाल में ऋतिक रौशन और अक्षय कुमार को भी एक दूसरे की फिल्मों के लिए शुभकामनाएं देते देखा गया. बता दें, ऋतिक की मोहनजोदड़ो और अक्षय कुमार की रूस्तम 12 अगस्त को क्लैश हो रही है.

दीपिका की हॉलीवुड फिल्म XXX… का लोगो लाँच

भारतीय अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अपनी आगामी हॉलीवुड फिल्म ‘एक्सएक्सएक्स: द रिटर्न ऑफ जेंडर केज’ का लोगो जारी किया है. इस फिल्म में अभिनेत्री को हॉलीवुड स्टार विन डीजल के साथ देखा जाएगा. इस फिल्म में दीपिका सेरेना उनगेर की भूमिका निभा रही हैं.

लोगो में डीजल की आवाज में कहा गया है, दुनिया बदल गई है. हमें कुशल और अलग नजरिए वाले लोगों की जरूरत है, जो ऐसे जोखिम उठा सकें, जिनके बारे में हमें पता भी नहीं होता. हमें अलग तरह के जवानों की जरूरत है.

इस वीडियो को जारी करते हुए दीपिका ने लिखा, ‘एक्सएक्सएक्स : द रिटर्न ऑफ जेंडर केज’ का लोगो जारी. डी.जे. कारुसो द्वारा निर्देशित हॉलीवुड फिल्म 2002 में आई फिल्म एक्सएक्सएक्स और 2005 में आई फिल्म ‘एक्सएक्सएक्स : स्टेट ऑफ द यूनियन’ का सीक्वल है. यह फिल्म 20 जनवरी, 2017 को रिलीज होगी.

फेशियल से हो सकते हैं ये नुकसान

चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने और त्वचा की समस्याओं से बचने के लिए अगर आप भी फेशियल करवाती हैं, तो जरा संभल जाएं. क्योंकि यह जरूरी नहीं कि फेशियल आपको सिर्फ दमकती हुई त्वचा ही दे. यह आपको कुछ समस्याएं भी दे सकता है. जानें फेशियल के यह 5 नुकसान …

1. खुजली – फेशियल में अक्सर केमिकल युक्त क्रीम और कॉस्मेटिक उत्पादों का प्रयोग किया जाता है, जो सभी को सूट करें ही यह जरूरी नहीं है. इनके साइड इफेक्ट के तौर पर आपको त्वचा पर खुजली भी हो सकती है. इतना ही नहीं यह आपकी त्वचा के लिए हानिकारक भी हो सकता है.

2. लालिमा आना – सही प्रक्रिया न होने के चलते या फिर अत्यधिक स्क्रबिंग और गलत मसाज से चेहरे की त्वचा लाल भी पड़ सकती है, जो आगे जाकर त्वचा की अन्य समस्याओं को जन्म दे सकती है.

3. मुहांसे – कई लोगों को यह शिकायत होती है कि फेशियल के बाद चेहरे पर मुहांसे हो जाते हैं. इसका मुख्य कारण आपके रोमछिद्रों का खुलना है. रोमछिद्र खुलने पर सीबम का निर्माण एवं स्त्राव होता है जिसके कारण त्वचा तैलीय होती है और मुहांसे  होने लगते हैं.

4. एलर्जी – चेहरे की खूबसूरती के लिए कई प्रकार के फेशियल किए जाते हैं जिनमें प्रयोग किए जाने वाले उत्पाद भी अलग-अलग होते हैं. त्वचा के लिए उसके टाइप के अनुरूप उत्पादों का चयन करना बेहद जरूरी होता है. ऐसा नहीं होने पर त्वचा पर एलर्जी भी हो सकती है.

5. पीएच बैलेंस – यदि आप नियमित रूप से चेहरे पर फेशियल करवाते हैं तो आपकी  त्वचा अपनी कुदरती नमी खो सकती है जिसके कारण त्वचा का पीएच बैलेंस भी बिगड़ सकता है.

बालों को सिल्की और शाईनिंग बनाने के ये है आसान तरीकें

बरसात के दिनों में अक्सर बालों में चिपचिपाहट की समस्या सामने आती है. नमी और उमस के कारण पैदा होने वाली यह समस्या परेशान कर देती है. खासतौर पर तैलीय बालों में तो और भी ज्यादा चिपचिपाहट होती है . हम बता रहे हैं,  सिल्की, शाईनिंग और तैलीय बालों के लिए कुछ खास उपाय जिन्हें आजमाकर आप बालों की देखभाल और बेहतर तरीके से कर सकते हैं-

1. बरसात के मौसम में तैलीय ग्रंथि‍यां ज्यादा सक्रिय होती हैं, जिसके कारण सिर की त्वचा पर जमने से बाल चिपचिपे हो जाते हैं . ऐसे में सिर की सफाई पर विशेष ध्यान दें और हर दूसरे दिन शैंपू करते रहें .

2. बालों के लिए माइल्ड शैंपू का इस्तेमाल करें. इसके अलावा आप घर पर नींबू के रस को एक मग में लेकर शैंपू करने के बाद बालों में लगाएं. इससे बालों की चमक बनी रहेगी और डेंड्रफ की समस्या नहीं होगी.

3. बालों से अतिरिक्त नमी हटाने के लिए आप बेसन और दही मिलाकर सिर की त्वचा पर लगा सकते हैं. इससे सिर की त्वचा पर थोड़ी देर मालिश करने के बाद साफ पानी से धो लें.

4. गुलाबजल को रूई की सहायता से बालों की जड़ों में लगाएं, इससे अतिरिक्त तैलीयता कम होगी. इसके अलावा 3 चम्मच बेसन, 2 चम्मच  आंवला पाउडर, एक चम्मच सफेद सिरका और कुछ स्ट्रॉबेरी को पीस कर एक साथ बालों में अच्छी तरह से लगाएं, और कम से कम आधा घंटा रखकर धो लें.

5. बालों में शैंपू करने के एक घंटे पहले, अंडे की सफेदी लगा सकते हैं. इसकी गंध से बचने के लिए, अप इसमें थोड़ा-सा नींबू भी मिला सकते हैं. बालों की कंडिशनिंग के लिए यह एक बेहतर विकल्प है.

6.

दूसरी औरत पहली के लिए खतरा

दुनिया भर में वेश्यावृत्ति में औरतों को देह परोस कर पैसा पाने से ज्यादा पैसा वेश्याओं का लालच दे कर पुरुषों से लूटा जाता है. दिल्ली में एक ऐसा गिरोह पकड़ा गया है, जो मसाजपार्लर चलाने के नाम पर ठगी करता था. वह गिरोह मसाज का बहाना बना कर ग्राहकों को फंसाता था. जब आदमी कपड़े उतार चुका होता तो उसी गिरोह के लोग पुलिस की वरदी में पहुंच जाते और उसे लूट लेते.

इस काम में औरतें पूरी तरह शामिल रहती हैं और वे ही वे कीड़ा होती हैं, जिन से मछली फंस ही जाती है. ऐसा कमोबेश सारे देशों और सारे शहरों में होता है. औरतें 1-2 बार तो नानुकुर करती हैं पर फिर साथ देने लगती हैं, क्योंकि जीने के लिए पैसा चाहिए. फिर चाहे वह देह परोस कर मिले या आकर्षित कर के.

औरतों के प्रति यह उत्सुकता घरों पर बहुत भारी पड़ती है. पत्नियों को जब पता चलता है कि पति इस तरह लुट कर आया है, तो उन को मालूम नहीं होता कि वे हमदर्दी दिखाएं या गुस्सा करें. पति का इस तरह का कार्य पत्नी के स्वाभिमान के खिलाफ होता है और वह इस बात को किसी से शेयर भी नहीं कर सकती. परिणामस्वरूप पतिपत्नी के बीच एक दरार पड़ जाती है.

वेश्यावृत्ति के मामलों में आमतौर पर हमदर्दी वेश्याओं के प्रति दर्शाई जाती है कि उन्हें देह बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों का अपहरण भी होता है. वे आमतौर पर बीमार रहती हैं और जल्दी बूढ़ी हो जाती हैं. उन के उद्धार के लिए बहुत रोना रोया जाता है पर उन औरतों का क्या जिन के पति या बेटे इस तरह की औरतों के पास जा कर पैसा बरबाद कर के आते हैं?

पुरुषों में दूसरी औरत के लिए स्वाभाविक प्राकृतिक चाह होती है, पर हमेशा से यह दूसरी औरत पहली वाली के लिए खतरा बनी रही है. यहां मामला सिर्फ सौतिया ढाह का नहीं है, घर की पूरी व्यवस्था का है. यदि पति को किसी से प्रेम हो जाए तो पत्नी फिर भी तसल्ली दे सकती है कि तलाक तो लिया जा सकता है. बाजारू औरतों के चक्कर में लूटे गए पति के बारे में किस से कैसी शिकायत करे पत्नी या मां?

कानून और पुलिस इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. यह मामला तो सामाजिक है और अफसोस यह है कि समाज में विचारक कम हैं तोड़फोड़ करने वाले, धमकी देने वाले, खिल्ली उड़ाने वाले या मजा लेने वाले ज्यादा. यह व्यापार चल रहा ही इसलिए है कि समाज की इस लूट को बंद कराने में कोई रुचि नहीं है. भले इस की वजह से सारी पत्नियां या मांएं परेशान रहती हों.

ऐसे परिवार कैसे खुश रह सकता है

स्वास्थ्य में सुधार और लंबी आयु तक जीना अब नई समस्याएं पैदा कर रहा है. घर में पला बेटा बड़ा होने के बाद विवाह और बच्चों के बाद घर में और ज्यादा जगह चाहता है, तो मातापिता जिन्होंने अपने पैसे से मकान बनाया हो अपने क्षेत्र को खाली करने को तैयार नहीं होते. दिल्ली के तिलक नगर इलाके में पहली मंजिल पर रह रहे बेटे बहू के खिलाफ एक 65 वर्षीय मां को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा कि बेटेबहू को घर से निकालो.

अदालत ने थोड़ा समय तो लिया पर फिर फैसला दिया कि बेटाबहू मकान खाली करें, पिछले सालों का किराया दें और आगे हर माह क्व10 हजार मां को दें. यह निर्णय निचली अदालत का है और हो सकता है कि अपील में बेटेबहू को रहने की अनुमति मिल ही जाए.

ऐसे मामले नए नहीं हैं. सदियों से चले आ रहे हैं जब बेटाबहू वृद्ध मातापिता या दादादादी को घर से बाहर निकालते रहे हैं. अब ऐसे मामले चौंकाने वाले बन रहे हैं, क्योंकि अब मिल्कीयत निकाले गए की होती है. हिंदू अविभाजित संपत्ति कानून में बेटे का पैतृक संपत्ति पर हक पैदा होते ही हो जाता था और पिता के मरने के बाद वह हक बेटों में बंट जाता था और तब न तो मां को कुछ मिलता था न ही बहनों को.

अब संपत्ति पर मां का भी हक है और बहनों का भी. बहुत मामलों में जो मकान, शेयर, जमापूंजी होती ही मां के नाम है और बेटा बहू लालच में सेवा करते हैं, फर्ज या प्यार में नहीं. मांबेटे का प्यार तो स्वाभाविक होना चाहिए पर कई बार बहू की जिद के तो कई बार मां के अहम के कारण मनमुटाव बहुत बढ़ जाता है. आज के युग में मांओं को अनपढ़ नहीं माना जा सकता. उन्हें ही समझना होगा कि व्यवहार ऐसा हो कि चाहे बेटाबहू उन के घर में रहते हों, वे मिल्कीयत का सवाल ही न उठाएं.

खानेपीने में, घूमने में, रीतिरिवाजों पर आदरसम्मान के सवालों को ले कर सवाल खड़ा करना गलत होगा. बड़ा होता बेटा एक बिछुड़े रिश्तेदार की तरह हो जाता है. उस की अपनी जिंदगी होती है, अपनी जिम्मेदारियां होती हैं, अपनी परेशानियां होती हैं. बेटे को मां और पत्नी की चक्की में न पीसा जाए, क्योंकि बेटा वैसे ही आर्थिक व सामाजिक चक्कियों का शिकार होता है.

समर्थ मांओं को बेटेबेटियों पर सीमित ही विश्वास करना चाहिए, क्योंकि वे अपनी जिंदगी में क्या कर रहे हैं और कौन से जोखिम ले रहे हैं, यह आमतौर पर पता नहीं चलेगा.

आज आयु 85-90 साल तक की हो गई है और 60 के बाद प्लानिंग कर ली जानी चाहिए, केवल वृद्धों को ही नहीं, बच्चों को भी.

बच्चों को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब वे अपने बुढ़ा रहे मातापिता से झगडे़ंगे तब तक उन के अपने बेटेबेटियां भी समझदार हो गए होंगे और इतिहास दोहराया जा सकता है. परिवार में एक स्वस्थ परंपरा बनी रहे, उस की जिम्मेदारी सब की है.

इंस्‍टालमेंट में लें हेल्‍थ कवर

अगर आप ज्‍यादा हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कवर लेना चाहते हैं तो आपको प्रीमियम देने में दिक्‍कत नहीं होगी. अब आप मंथली इंस्‍टालमेंट पर हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी ले सकेंगे. इसके लिए आपके पास मासिक, तिमाही और छमाही इंस्‍टालमेंट में प्रीमियम के भुगतान का विकल्‍प है. बाजार में कई बीमा कंपनियां इंस्‍टालमेंट पर हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी दे रहीं हैं. इसके अलावा कुछ और कंपनियां इंस्‍टालमेंट ऑप्‍शन वाली हेल्‍थ इंश्‍यारेंस पॉलिसी बाजार में लांच करने की तैयारी कर रही हैं.

इंस्‍टालमेंट पर बढ़ जाएगा प्रीमियम

इंस्‍टालमेंट ऑप्‍शन के साथ ज्‍यादा हेल्‍थ कवर वाली पॉलिसी ली जा सकती है. फ्यूचर जनरल इंश्‍योरेंस ऐसी पॉलिसी लांच करने वाली पहली कंपनी है जो आपको इंस्‍टालमेंट पर हेल्‍थ कवर लेने का विकल्‍प देती है. देशपांडे ने बताया कि इंस्‍टालमेंट ऑप्‍शन के साथ हेल्‍थ कवर लेने पर थोड़ा ज्यादा प्रीमियम देना होगा. अगर आप छमाही इंस्‍टालमेंट का ऑप्‍शन चुनते हैं तो 3 फीसदी ज्‍यादा प्रीमियम देना होगा. तिमाही इंस्‍टालमेंट में प्रीमियम 4 फीसदी और मासिक इंस्‍टालमेंट पर प्रीमियम 5 फीसदी बढ़ जाएगा. हालांकि यह ऑप़्शन दो या तीन साल की पॉलिसी के लिए ही उपलब्‍ध है. एक साल की हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी के लिए ऑप्‍शन उपलब्‍ध नहीं है.

दूसरी कंपनियां भी लाएंगी पॉलिसी

कई दूसरी बीमा कंपनियों को इंश्‍योरेंस रेगुलेटर से इस तरह की पॉलिसी के लिए मंजूरी मिली है. एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि कई दूसरी कंपनियां भी इस तरह की पॉलिसी बाजार में लांच कर सकती हैं. इंश्‍योरेंस इंडस्‍ट्री के एक्‍सपर्ट का कहना है कि इंस्‍टालमेंट प्रीमियम का ऑप्‍शन हेल्‍थ इंश्‍योरेंस का प्रसार बढ़ाने का बेहतर जरिया है. खास कर मिडिल और लोअर इनकम ग्रुप के लिए प्रीमियम का सस्‍ता होना बेहद अहम है. ज्‍यादा समइंश्‍योर्ड के लिए वन टाइम प्रीमियम ज्‍यादा होता है. सीनियर सिटीजन जैसे हायर एज ग्रुप के लिए यह और भी ज्‍यादा पड़ता है. ऐसे में इंस्‍टालमेंट ऑप्‍शन कुछ राहत दे सकता है.

क्रेडिट कार्ड ईएमआई से अलग है इंस्टालमेंट वाली पॉलिसी

आईसीआईसीआई लोबार्ड जैसी कई इंश्योरेंस कंपनियां पहले ही हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी खरीदने के लिए क्रेडिट कार्ड से ईएआई के जरिए प्रीमियम चुकाने का ऑप्शन पहले से दे रहीं हैं. क्रेडिट कार्ड से ईएमआई के जरिए प्रीमियम चुकाने पर आपको कुछ इंट्रेस्‍ट भी चुकाना होता है. मासिक, तिमाही और छमाही इंस्‍टालमेंट का ऑप्शन इससे अलग है.

जानिए ऑनलाइन बीमा के बारे में

इंटरनेट उपयोग में चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश हो गया है. इंटरनेट का बढ़ता इस्तेमाल हर तरह के कारोबार को प्रभावित करेगा. हर क्षेत्र की कंपनियां इस बदलते माहौल के लिए खुद को तैयार कर रही हैं. ग्राहकों को भी इस  माहौल के लिए तैयार रहना चाहिए. इसे सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह कंपनियों के साथ ही ग्राहकों के हितों को भी बढ़ावा देगा.

दरअसल, इंटरनेट का बढ़ता इस्तेमाल ग्राहकों के फैसला लेने के तौर-तरीके को प्रभावित करने लगा है. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का एक अध्ययन बताता है कि 40 फीसद शहरी ग्राहक कोई भी उत्पाद या सेवा खरीदने से पहले उसके बारे में इंटरनेट पर रिसर्च करते हैं. स्मार्टफोन के ग्राहकों की बढ़ती संख्या इसमें नया आयाम जो रहा है. इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते प्रचलन की वजह से ग्राहकों के फैसला लेने का तौर तरीका बदलता जा रहा है.

वर्ष 2017 तक 31-32 करोड़ भारतीयों के पास स्मार्टफोन होगा. यह आने वाले दिनों में कई तरह का बदलाव लाने जा रहा है. बीमा भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां इंटरनेट का बढ़ता दायरा कई बदलाव करेगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या देश की बीमा कंपनियां इस बदलाव के लिए तैयार हैं? बीमा कंपनियों की तैयारियों को देख कर लगता है कि उन्होंने इस मुद्दे को समझना शुरू कर दिया है.

बीमा कंपनियों ने भी इंटरनेट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

1. ज्यादा से ज्यादा बीमा कंपनियों ने ग्राहकों के साथ इंटरनेट के जरिए संपर्क साधना शुरू कर दिया है. यह कंपनियों को भौगोलिकी सीमा की बाधाओं को खत्म कर ग्राहकों तक पहुंच बढ़ाने का आसान साधन हो गया है. साथ ही ग्राहकों की बदलती हुई जरूरत के मुताबिक उनकी बीमा की मांग में बदलाव करने और इस बारे में उन्हें जानकारी उपलब्ध कराना आसान हो गया है.

2. इंटरनेट के जरिये बीमा पॉलिसियों की बिक्री आज की एक बड़ी हकीकत है. अब कंपनियों के लिए किसी मध्यवर्ती के जरिये बीमा बेचने की बाध्यता खत्म हो गई है. बीमा कंपनी और ग्राहकों के बीच सीधा संपर्क हो गया है.

3. इंटरनेट ने बीमा कंपनियों को ग्राहकों की समस्या का समाधान तुरंत सुनने और उनका ज्यादा बेहतर तरीके से समाधान करने को भी सुविधाजनक बना दिया है. मेरा मानना है इंटरनेट के इस तेजी से बढ़ रहे प्रभाव के बावजूद ग्राहकों का सीधा कंपनी के साथ व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क साधने की ललक अभी खत्म नहीं होने वाली है. इसलिए बीमा कंपनियों को दोनों तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बनानी होगी.

एक रिपोर्ट बताती है कि हेल्थ बीमा जैसे क्षेत्र के लिए इंटरनेट सबसे ज्यादा बदलाव वाला जरिया बन सकता है. कुछ हेल्थ बीमा कंपनियों ने इस बदलते माहौल को स्वीकार किया है और इस हिसाब से अपनी रणनीति को बदलना भी शुरू कर दिया है. इसके बावजूद इस बात के साफ प्रमाण मिलने लगे हैं कि इंटरनेट का बढ़ता प्रसार कंपनियों को यह साबित करने का मौका देगा कि उनके लिए ग्राहकों के हितों से ज्यादा कुछ भी महत्व नहीं रखता. जो कंपनी इस तथ्य को जल्दी से अपनाएगी वह निश्चित तौर पर अपनी प्रतिद्वंदियों से आगे रहेगी.

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