केसर पेड़ा

सामग्री

250 ग्राम खोया

3 बड़े चम्मच चीनी

थोड़ा सा केसर दूध में भिगोया

2 बडे़ चम्मच गरम दूध

जरूरतानुसार देशी घी

जरूरतानुसार पिस्ता बारीक कटा

थोड़ा सा इलायची पाउडर.

विधि

खोया कद्दूकस कर लें. अब एक कड़ाही में खोया और चीनी मिला कर चीनी घुल जाने तक धीमी आंच पर पकाएं. चीनी घुल जाने के बाद केसर और दूध डाल कर चलाते हुए पकाएं. जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो उस में इलायची पाउडर मिला कर आंच से उतारें और ठंडा होने के लिए छोड़ दें. अब हथेलियों पर देशी घी लगा कर मिश्रण को छोटेछोटे पेड़ों का आकार दें और फिर पिस्ते से सजा कर परोसें.

निटिंग बेबी ड्रैसेज – 2

पिंक फ्रौक विद स्टोल

सामग्री: 3 प्लाई वाला बेबी ब्लू ऊन 400 ग्राम, 10 नं. का क्रोशिया, हुक, 3 शोबटन.

नाप: 3 वर्ष की बच्ची के लिए यह फ्रौक गले से शुरू होगा.

फ्रौक: इसे बनाने के लिए 70 चे. बना लें. फिर 1 लाइन ट्रे. की बना कर फं. इस प्रकार विभाजित करें- 12 ट्रे. बना कर 4 ट्रे. का फूल, 12 ट्रे. 4 ट्रे. का फूल, 22 ट्रे. 4 का फूल, 12 ट्रे. 4 का फूल 12 ट्रे. इस के बाद ट्रे. पर ट्रे. और फूल पर फूल बनाते हुए 14 लाइन बना लें. इस तरह फ्रौक की चोली और बांहें अपनेआप बन जाएंगी.

घेर: बाजू की चे. छोड़ कर केवल आगेपीछे का भाग बुनें. घेर का डिजाइन गोलाई में बनेगा. शुरू की चे. ट्रे. में बुनते हुए 4 का फूल बनाएं. 1 चे. छोड़ कर, 9 चे. ट्रे. की बुनें, 2 चे. बुनें. 2-2 चे. छोड़ कर 9 चे. ट्रे. की बुनें, 4 का फूल. इसी तरह पूरी लाइन बनाएं.

दूसरी पंक्ति: फूल की जगह फूल बुनें. 7 चे. टे्र. की बुनें. 2 चे. की जगह 3 बार ट्रे. चे. बुनें, 2 चे. बुनें, 7 चे. ट्रे. की बुनें, 4 का फूल बुनें, इसी तरह पूरी लाइन बनाएं. तीसरी पंक्ति: फूल की जगह फूल, खाली चे. की जगह 3 चे. ट्रे. की बुनें, 2 चे. खाली बुनें, 3 चे. ट्रे. की बुनें, 2 चे. बुनें, 5 चे. ट्रे. की बुनें, फूल की जगह फूल बुनें. इसी तरह पूरी लाइन दोहराएं.

चौथी पंक्ति: फूल की जगह फूल बुनें, 3 चे. ट्रे. की बुनें, 2 खाली चे. की जगह 3 चे. की ट्रे. बुनें, 2 चे. बुनें, 3 चे. ट्रे. की बुनें, 2 चे. बुनें, 3 चे. ट्रे. की बुनें, फूल बुनें पूरी पंक्ति इसी तरह बनाएं. 

5वीं पंक्ति: फूल की जगह फूल बुनें, 1 चे. ट्रे. बुनें, 2 चे. बुनें, 3 चे. ट्रे. बुनें.

2 चे. बुनें. इसी तरह सारी पंक्ति बुन लें.

इसी तरह डिजाइन डालते हुए अंत तक (30 सैं. मी.) तक बुनें. नीचे, बांहों पर किंगरी बना कर बंद कर दें. बटनपट्टी पर बटन टांक दें. -सरिता वर्मा द्य

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स्मार्ट लुक बेबी फ्रौक

सामग्री पुलोवर के लिए: सफेद ऊन 200 ग्राम, 9 नं. की स., स्वैटर सिलने की सुई.

पिछला हिस्सा व अगला हिस्सा : आगे व पीछे का हिस्सा दोनों एकजैसे बनेंगे. 9 नं. की स. पर 70 फं. डालें. 1 सी. व 1 उ. बुनते हुए 2 इंच का बौर्डर बुनें. फिर प्लेन ही 10 इंच बुनें. अब मुड्ढा क्रमश: 8 व 2 फं. बारीबारी से घटाएं और 14 इंच की पूरी लं. बुनें. गला बंद है इसलिए गला घटाने की आवश्यकता नहीं है.

बाजू: 9 नं. की स. पर 44 फं. डालें. अगलेपिछले हिस्से की तरह 2 इंच का बौर्डर बुनें. फिर दोनों तरफ 4-4 स. पर 1-1 फं. बढ़ाते हुए 10 इंच लं. बुनें. उस के बाद मुड्ढे की तरह घटाएं. उस के बाद भी दोनों तरफ 1-1 फं. घटाते हुए कुल 12 इंच की लं. पूरी करें. फिर सारा स्वैटर सिल लें व गला बुन लें.

सामग्री बेबी फ्रौक के लिए: औरेंज कलर का ऊन 150 ग्राम, सफेद ऊन 50 ग्राम, 8 नं. की स., स्वैटर सिलने की सूई, सजाने के लिए लेस, शीशे, सितारे, स्टोन, फूल आदि.

अगला व पिछला हिस्सा: अगला व पिछला दोनों हिस्से एक ही साइज के बनेंगे. सिर्फ पिछला हिस्सा प्लेन बनेगा व अगले हिस्से में ग्राफ डालते हुए डिजाइन बनेगा और सजाया जाएगा. 8 नं. की स. पर सफेद ऊन से 100 फं. डालें. 4 स. दोनों तरफ से सी. सी. बुनें. फिर ग्राफ डालें. उस के बाद फिर 4 स. दोनों तरफ से सी. सी. बुनें. उस के बाद हर दूसरी स. पर दोनों तरफ से 1-1 फं. घटाते हुए 64 फं. करें व फ्रौक की शेप दें. लं. 10 इंच पूरा होने पर मुड्ढे 8-10 फं. के क्रम में घटाएं. फिर बीच में चौकोर गला घटा कर दोनों तरफ 10-10 फं. की स्ट्रिप बुनते हुए 15 इंच की लं. पूरी करें. फिर स्वैटर को सिल लें. सजावट की सारी सामग्री से फ्रौक को सजाएं.   -विभा शुक्ला द्य

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स्कर्ट विद फ्रिल

सामग्री: काला ऊन 300 ग्राम, पिंक ऊन 150 ग्राम, सितारे.

पिंक टौप: 65 चे. बना कर धनिया भरें 2 लाइन. 1 चे. 1 चावल पूरी लाइन बनाएं. 4 और 5 लाइन धनिया की. इस तरह हर 2 लाइन धनिया की और 1 चे. चावल की बना कर लं. पूरी करें. आर्महोल की कटाई करें, 5-3-2-1-1 के क्रम से.

2 पल्ले तैयार करें और कंधे की बैल्ट बनाएं और दोनों साइड की सिलाई करें. आर्महोल और 3 गले धनिया की लाइन भर लें. 2 प्रैसबटन लगा दें और लेश से सजा दें. स्कर्ट: क्रो. से 30 सैं. मी. की चे. बना कर दूसरी लाइन में एक धनिया और 4 चे. पूरी लं. तक बुनें. तीसरी लाइन में 1 धनिया 1 चे. ले कर पहले की 4 चे. में 2 चावल 1 चे. फिर 2 चावल 1 धनिया पूरी लाइन बुनें. इस तरह 4 लाइन और बुनें. 5वीं लाइन में 6 चावल बुनते हुए गोल करें. दूसरे फ्रिल में 40 इंच लंबी चे. डालें. तीसरे फ्रिल में 45 इंच लंबी चे. डालें. इस तरह फ्रिल बना लें और तीनों को जोड़ें. 1 चे. और चावल का जाल बनाएं.

ये जाली 5-5 इंच की होनी चाहिए और इस को आपस में 5 जोड़ कर सिलाई करें. अब ऊपर की फ्रिल में सिलाई में कमर की पट्टी उठाएं. 2 इंच बुन कर बंद करें. इलास्टिक लगाते हुए सिलाई कर दें. सजावट करें.   -नीलम प्रसाद द्य

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आकर्षक रेनबो ड्रैस

सामग्री: काला ऊन 50 ग्राम, लाल, औरेंज, पीला, नीला, हरा और जामुनी ऊन 30-30 ग्राम, 1/2 मीटर इलास्टिक.

विधि काला टौप: पहले 11-12 इंच की लं. के बराबर चे. बना लें. फिर हर चे. में 1-1 ट्रे. बनाते हुए 3 इंच लं. कर लें. फिर कंधे की शेप देते हुए और ड. ट्रे. बनाते हुए 1 इंच बुनें, फिर आगे गले के लिए बीच से वी शेप दे कर 6 इंच का कंधा और गले की शेप पूरी करें. पीछे के हिस्से के लिए भी ऐसे ही बुनें पर गला चौरस रखें. फिर पीले ऊन से 3 चे., 2 ट्रे. बनाते हुए गले और कंधे की लेस बनाएं. साइड से सिल कर और रंगबिरंगे ट्रैसल्स बना कर नीचे वाली 4 चे. की रौ में टांक दें.

स्कर्ट: लाल ऊन 6 इंच चौड़ी 24 इंच लं. ट्रे. बनाते हुए बैल्ट तैयार करें. फिर इसे मोड़ कर सिल लें और बीच में लास्टिक डाल दें.

पहली पंक्ति: लाल ऊन से 3 चे., 1 ड. क्रो. बनाते हुए पूरी बैल्ट का घेरा बनाएं.

दूसरी पंक्ति: हर चे. स्पेस में * 2 ट्रे. 1 चे. 2 ट्रे. बनाएं और 3 चे. * इसी तरह पूरी पंक्ति बना लें.

तीसरी पंक्ति: हर 1 चे. में * 2 ट्रे. 1 चे., 2 ट्रे. बनाते हुए टर्च बुनें और उसे 3 चे. के मध्य से ड. क्रो. से जोड़ती रहें.

चौथी पंक्ति: 1 चे. स्पेस में 14 ट्रे. बनाएं और ड. क्रो. पर ड. क्रो. इंद्रधनुषी रंगों का प्रयोग करते हुए पूरी स्कर्ट तैयार करें.

ऐश्वर्या की लेटलतीफी

हमारे यहां नेताओं के लिए ऐसा माना जाता है कि जो सभा में जितना लेट पहुंचे वह उतना बड़ा नेता. पर यही बात अब बौलीवुड में आ गई है. तभी तो फिल्म ‘जज्बा’ की प्रैस कौन्फ्रैंस में राजधानी पहुंचीं ऐश्वर्या तय समय से 3 घंटे लेट पहुंचीं. जब इंतजार की हद हो गई तो वहां मौजूद प्रैस वालों ने उन के आते ही उन से पूछ ही लिया कि ‘मैडम, आप के फादर इन ला तो समय से पहले हर कौन्फ्रैंस में पहुंच जाते हैं. आप ने उन से क्या कुछ सीखा नहीं जो इतना इंतजार करवाया? जवाब में ऐश्वर्या सिर्फ मुसकरा दीं और बात का रुख कहीं और मोड़ दिया. लेकिन उन के चेहरे से साफ झलक रहा था कि आज प्रैस वालों के सामने लेट होना महंगा पड़ गया.

दीवाली औफर्स की बरसात समझदारी से बनेगी बात

फैस्टिवल सीजन खुशी भरा माहौल लाता है. ऐसे में कारपोरेट वर्ल्ड भी इस माहौल को और खुशनुमा बना कर अपने बिजनैस को बढ़ाना चाहता है. फैस्टिवल के इस सीजन में सब से अधिक खरीदारी मकानों, फ्लैटों और कारों की होती है. कारपोरेट वर्ल्ड ज्यादातर 30 से 40 साल की आयु के लोगों को सामने रख कर अपनी योजनाएं बनाता है. ये लोग अपनी घरगृहस्थी को सजाना चाहते हैं. नौकरीपेशा ऐसे लोगों के पास एकमुश्त देने के लिए पैसा नहीं होता. ऐसे में वे छोटीबड़ी बहुत सारी चीजों को ईएमआई यानी ईजी मंथली इंस्टालमैंट पर लेते हैं. बिजनैस करने वाले दीवाली में अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए दीवाली में ऐसे औफर ले कर आते हैं. 20 से 30 हजार के सामान में कई बार ब्याज माफ कर दिया जाता है. केवल कारपोरेट वर्ल्ड ही नहीं, बैंक भी ऐसे अवसरों का लाभ उठाने के लिए मकान और फ्लैट की ईएमआई सस्ती कर देते हैं. कुछ अपनी लोन की ब्याज दर में कमी करते हैं तो कुछ प्रोसैसिंग फीस जीरो कर देते हैं.

रिजर्व बैंक औफ इंडिया ने दीवाली के पहले ही देश के सभी बैंकों से कहा है कि वे अपने होम लोन पर ब्याज दर कम करें. इस से उन लोगों को राहत मिलेगी जो 20 से 30 लाख की कीमत में मकान तलाश रहे हैं. रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से कहा है कि जहां होम लोन के मामले में लोन मूल्य अनुपात (एलटीवी) 80% होगा, वहीं 75 लाख से ऊपर के मकान में यह 75% होगा. रिजर्व बैंक के इस आदेश के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बैंक नीतिगत ब्याज दर में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को देंगे. रिजर्व बैंक 1.25 फीसदी नीतिगत दर से ब्याज घटा चुका है. मौजूदा समय में रिजर्व बैंक ने बैंकों से 0.65 फीसदी ब्याज घटवाया है. रिजर्व बैंक मान रहा है कि बैंक ग्राहकों से अभी भी ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि इस दीवाली होम लोन और उस की ईएमआई को ले कर बैंक नए औफर दे सकते हैं.

कार लोन के औफर को समझें

5 लाख से ऊपर की कीमत वाली कारों के महंगे होने से उन की ईएमआई में भी बदलाव हो सकता है. ऐसे में दीवाली में कार लोन की ईएमआई लेने से पहले ठीक से जांचपरख कर लें. होम लोन के बाद सब से ज्यादा ईएमआई कार लोन पर ही ली जाती है. कार बेचने वाले डीलर इस बात को समझते हैं. वे फैस्टिवल औफर में कुछ ऐसी घोषणा करते हैं, जिन से महंगी होने के बाद भी कार खरीदना आम आदमी की जेब पर बोझ न बने. बाजार के जानकार मानते हैं कि बढ़ती महंगाई त्योहारों का मजा किरकिरा कर देगी, इसलिए तमाम तरह के दूसरे सामान जैसे एसी, महंगे मोबाइल, फ्रिज, फर्नीचर, एलईडी टीवी, कंप्यूटर और लैपटौप पर भी ईएमआई ली जाएगी. बाजार के जानकार मानते हैं कि अब लोगों के पास बचत कर सामान खरीदने का समय नहीं रह गया है. अब लोग सामान खरीद कर किश्तों में उस की कीमत चुकाने की नीति पर चल रहे हैं. ऐसे में ईएमआई सब से जरूरी हो जाती है. सामान बेचने वाली कंपनियों ने भी ईएमआई को सुलभ बनाने का काम शुरू कर दिया है. फैस्टिवल के समय ऐसे बहुत सारे औफर प्रचार में लाए जाते हैं.

एसोचैम के डायरैक्टर जनरल डीएस रावत मानते हैं कि महंगाई बढ़ने से लोगों में सामान की खरीदारी करने की प्रवृत्ति कम होगी, जिस का नुकसान कंपनियों को उठाना पड़ेगा. बढ़ती महंगाई कंपनियों और बाजार दोनों को नुकसान करेगी. इस नुकसान को रोकने में ईएमआई सब से अहम रोल अदा कर सकती है. ईएमआई के जरीए बिना पूरा पैसा दिए सामान को घर ले जाया जा सकता है, जिस से त्योहार का मजा भी आएगा और जेब पर भी बोझ कम पड़ेगा.

लुभावने औफर

फैस्टिवल सीजन में ग्राहकों को लुभाने के लिए टीवी, फ्रिज और माइक्रोवेव ओवन बनाने वाली कंपनियों ने जोरदार प्रचारप्रसार की योजना बनाई है. इन्हें पूरी उम्मीद है कि बढ़ती महंगाई के बाद भी दीवाली में 30 फीसदी से ज्यादा टीवी और फ्रिज बिकेंगे. इस के लिए इन उत्पादों को बनाने वाली एलजी, पैनासोनिक और सैमसंग जैसी कंपनियां नई प्रचार नीतियां ले कर बाजार में आएंगी. इन में सभी का फोकस ईएमआई पर होगा. वे ईएमआई को सरल बनाने की सोच रही हैं. इस में ग्राहकों को बिना अतिरक्त ब्याज के या कम से कम ब्याज पर 1 साल या कम समय में ही कीमत चुकाने का औफर दिया जाएगा. ग्राहक से केवल एक फार्म भरवा कर किश्तों के पोस्ट डेटेड चैक ले लिए जाएंगे. पैनासोनिक इंडिया ने केवल भारत के फैस्टिवल सीजन में मार्केटिंग गतिविधियों के लिए 90 करोड़ का बजट रखा है. इस तरह के औफर दूसरी कंपनियों के भी होंगे. इलैक्ट्रौनिक बाजार में एलईडी टीवी, स्मार्ट टीवी, डबलडोर फ्रिज और जैट स्प्रे वाशिंग मशीन जैसी घरेलू जरूरत की चीजें शामिल हैं. कुकिंग रेंज भी इसी तरह के औफर के साथ बाजार में अपनी जगह बनाएगी.

आज बाजार का रूप बदल गया है. अब महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए औफर योजनाओं की भरमार होगी. इन औफर्स में कपड़े, किचन का सामान, खानेपीने का सामान, उपहार देने का सामान सब कुछ नए औफर के साथ मौल्स में बिकेगा. ग्राहकों को बाजार से मौल्स तक लाने में औफर की सब से अहम भूमिका होती है. मौल्स में तमाम तरह के औफर मिलते हैं. इन में कई तरह की छूट तो शामिल होती ही है, कई बार निश्चित रकम तक की खरीदारी करने वाले ग्राहक को बिल में छूट और कोई उपहार भी दिया जाता है. एक ही जगह बहुत सारी वैराइटी होने की वजह से मौल्स में खरीदारी करना ग्राहकों के लिए सुविधाजनक होता है. महंगाई के दौर में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए औफर किसी हथियार की ही तरह प्रयोग किए जाते हैं. समझदारी के साथ औफर का लाभ ले कर ग्राहक अपनी जेब का बोझ हलका कर सकते हैं. इस से उन की फैस्टिवल की जरूरतें पूरी हो सकेंगी.

मेकअप अच्छा तो फोटो लाजवाब

सुमन जब भी अपना फोटो खिंचवाने जाती थी, उसे अपना फोटो अच्छा नहीं लगता था. सुमन को इस बात का बहुत अफसोस होता. उस ने ब्यूटी एक्सपर्ट अनीता मिश्रा को अपनी परेशानी बताई. अनीता मिश्रा ने सुमन का फोटो देखने के बाद कहा कि तुम्हें फोटो खिंचवाते समय अपना मेकअप सही ढंग से करना चाहिए. फोटो सही न आने का सब से बड़ा कारण उस समय किया गया मेकअप होता है. बढि़या मेकअप न होने से फोटो खराब आता है. इस से फोटो उतना सुंदर नहीं दिखता जितना सुंदर दिखना चाहिए. इस तरह की परेशानी बहुत सारे लोगों को होती है. अगर आप फोटो में सुंदर दिखना चाहती हैं तो सही मेकअप करना होगा.

सब से पहले इस बात का पूरा खयाल रखें कि फोटो कब और किस समय खींचा जाना है. शादी के समारोह में जब आप हैवी मेकअप करेंगी तो फोटो अच्छा आएगा. इस मेकअप में चमक नहीं होनी चाहिए. चमकने वाले मेकअप से फोटो खराब हो जाता है. इसी तरह से अगर फोटो नैचुरल लाइट में खींचना हो तो हलका मेकअप करना सही रहता है. आंखों के नीचे हलका सा कंसीलर लगाएं और फाउंडेशन को हलका रखें. रोज टोन का फाउंडेशन लगाने के बजाय यलो टोन का लगाएं तो फोटो नैचुरल लगेगा. जिन जगहों पर फोटो खिंचने के समय फ्लैश लाइट चलाने की जरूरत पड़ती हो वहां होंठों पर गहरे रंग की लिपस्टिक लगाना सही रहता है.

परफैक्ट मेकअप

कुछ लोग मानते हैं कि फोटो में स्किन नहीं दिखती. इसलिए वे स्किन का मेकअप नहीं करते. सचाई यह है कि फोटो खिंचवाने के लिए स्किन का मेकअप करना भी जरूरी होता है. फोटो खिंचवाते समय पलकों के मेकअप का भी ध्यान रखना चाहिए. पलकों की खूबसूरती से फोटो में सजीवता आती है. आमतौर पर जो कंसीलर आप प्रयोग में लाती हों, फोटो खिंचवाते समय उस से एक शेड हलके कंसीलर का प्रयोग करें. ब्लशर को सही तरह से ब्लैंड करें. अगर लकीरें रह जाती हैं तो फोटो में वे अलग सी दिखने लगती हैं. स्किन पर चिपचिपापन रहता है तो कांपैक्ट साथ रखें. फोटो खिंचवाने से पहले चेहरे को इस से थपथपा लें, जिस से चेहरे पर गैरजरूरी चमक नहीं दिखेगी. फोटो खिंचवाते समय अगर आप ने लो कट या बिना बांहों वाली पोशाक पहन रखी है तो देख लें कि नेकलाइन और बांहों का रंग एक जैसा हो. ब्रौंज पाउडर लगा कर स्किन का कलर एक सा जरूर कर लें. चमकीले आई शैडो और लिपस्टिक का प्रयोग न करें. फोटो खिंचवाते समय होंठों के मेकअप का भी सही तरीका प्रयोग में लाना चाहिए. इस के लिए लिप पेंसिल और लिपस्टिक का कलर बिलकुल मेल खाता हुआ होना चाहिए.

इन सब के अलावा फोटो खिंचवाते समय फेस का इंप्रैशन भी बहुत माने रखता है. सही फोटो के लिए मूड का सही होना जरूरी है. अगर आप इस तरह से परफैक्ट मेकअप और अच्छे मूड के साथ फोटो खिंचवाएंगी तो फोटो बहुत सुंदर आएगा. लोग कहेंगे, ‘वाह, क्या खूबसूरत तसवीर है.’

कोना-कोना हो गुलजार

घर आप के विचारों, संस्कारों और व्यक्तित्व का आईना होता है. यों तो आप हमेशा अपने घर को करीने से सजा कर रखते हैं, लेकिन उत्सव के मौके पर घर को दुलहन की तरह सजानेसंवारने का अपना अलग मजा है. फिर दिल में यह खयाल भी रहता है कि आने वाले मेहमान आप की सुरुचिपूर्ण सज्जा व साफसफाई से प्रभावित भी हों.

पेश हैं, कुछ टिप्स, जिन को अपना कर आप इस दीवाली में घर को करीने से संवार सकती हैं.

पहले से करें तैयारी

घर के परदे झाड़ लें. यदि अधिक मैले हों तो उन्हें धुला कर प्रेस करा लें.

किचन के सभी कपबोर्ड अंदरबाहर से चमका कर सभी सामान यथास्थान रख दें. फ्रिज को भी साफ करना न भूलें.

किचन के मसालों और दाल वगैरह के सभी डब्बे चमका दें. टाइल्स और सिंक को भी चमकाएं.

यदि घर में कुरसियां कम हों तो अपनी पाकेट के हिसाब से दरी, चटाई या कालीन खरीद लें.

खुशबू मिट्टी की

मिट्टी या टेराकोटा से बने गमले और अन्य कलाकृतियां आजकल क्व200 से ले कर क्व1000 तक में आसानी से मिल जाती हैं. खूबसूरत रंगों से रंगा, आकार में लंबा लेकिन पतला बांस ले कर उस में लंबी डंडी वाला कृत्रिम फूल रख कर ड्राइंगरूम के कोने में रखें. कमरे का लुक भी बदल जाएगा और इस के लिए अलग से जगह भी नहीं बनानी पड़ेगी.

फूलों से गुलजार आशियाना

अनेक फूलों का एक बंच बना कर सैंटर टेबल पर रखने से बेहतर होगा कि अलगअलग रंग के फूलों को 1-1 या 2-2 कर के पारदर्शी बोतलों में पानी भर कर उन में रखें. इन बोतलों को घर की अलगअलग जगहों पर रखें ताकि पूरे घर को फ्रैश लुक मिले.

बैठने की व्यवस्था

ड्राइंगरूम में सभी सोफे दीवारों के साथ सटा दें. उन के साथ घर की सारी कुरसियां, मोढ़े आदि रख दें. छोटे स्टूल भी वहीं रख दें, जिन पर मेहमान अपने खाली कपगिलास रख सकें.

यदि कुरसियां कम हैं तो ड्राइंगरूम में एक गद्दा बिछा कर उस पर सुंदर सी चादर बिछा दें. गोल सिरहाने और कुशन सजा दें.

बच्चों के कमरे से फालतू सामान हटा दें. एक दरी या कालीन बिछा दें. बच्चों को बैठाने की व्यवस्था यहीं कर दें.

दिमागी शक्ति बढ़ाता आहार

हमारे मस्तिष्क का अनगिनत तंत्रतंत्रिकाओं का विस्तृत नैटवर्क एक कंप्यूटर के समान है, जो हमें निर्देश देता है कि किस प्रकार विभिन्न संवेदों, जैसे गरम, ठंडा, दबाव, दर्द आदि के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त की जाए. इस के साथ ही यह बोनसस्वरूप हमें भावनाओं व विचारों को सोचनेसमझने की शक्ति भी देता है. हम जो चीज खाते हैं, उस का सीधा असर हमारे मस्तिष्क के कार्य पर पड़ता है. यह सिद्ध किया जा चुका है कि सही भोजन खाने से हमारा आई.क्यू. बेहतर होता है, मनोदशा (मूड) अच्छी रहती है, हम भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत बनते हैं, स्मरणशक्ति तेज होती है व हमारा मस्तिष्क जवान रहता है. यही नहीं, यदि मस्तिष्क को सही पोषक तत्त्व दिए जाएं तो हमारी चिंतन करने की क्षमता बढ़ती है, एकाग्रता बेहतर होती है व हम ज्यादा संतुलित व व्यवस्थित व्यवहार करते हैं.

ऐजिंग का असर

ऐजिंग का हमारी सीखने की शक्ति व याददाश्त पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. कई शोधों से यह बात सामने आई है कि मुक्त मूलकों (फ्री रैडिकल्स) द्वारा होने वाले ‘औक्सीडेटिव डैमेज’ व ‘ब्रेन स्टारवेशन’ दिमागी कमजोरी के 2 मुख्य कारण हैं. लेकिन अन्य अंगों, जैसे हृदय, लीवर आदि की तरह हम अपने मस्तिष्क को भी स्वस्थ रख सकते हैं. ऐजिंग की प्रक्रिया को स्लो करने व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए ब्रेन बूस्टिंग यानी दिमागी शक्ति को बढ़ाने वाला ऐसा आहार लें, जो विटामिंस, ऐंटीऔक्सीडेंट्स, ओमेगा-3 फैटी ऐसिड्स व डी.एच.ए. से भरपूर हो. यह आहार न सिर्फ ऐजिंग की प्राकृतिक प्रक्रिया को संतुलित करने में सहायक होगा, बल्कि डिप्रैशन से भी सुरक्षा प्रदान करने में मदद करेगा.

निम्न फलों और खाद्यपदार्थों पोषक तत्त्वों से भरपूर होने की वजह से बहुत लाभकारी हैं-

सेब: सेब में विटामिन सी के साथसाथ ‘कुएरसीटिन’ नामक पदार्थ भी पाया जाता है, जो एक ‘फ्लावोनोइड’ है (फ्लावोनोइड पौधों में पाए जाने वाले पिगमेंट होते हैं, जो पत्तियों को पीला, लाल, नीला या अन्य रंग देते हैं). विटामिन सी व ‘कुएरसीटिन’ दोनों ही ऐंटीऔक्सीडेंट की तरह कार्य करते हैं. ये मुक्त मूलकों के द्वारा किए जाने वाले नर्व डैमेज को रोकते हैं. पार्किंसंस व एल्जिमेर्स जैसी न्यूरोडीजनरेटिव डिजीज से सुरक्षा करते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि सेब के छिलकों में कीटनाशक के अंश पाए जाते हैं. अत: और्गेनिक तरीके से उगाए गए सेब खरीदें अथवा सेब को अच्छी तरह धो कर प्रयोग में लाएं. छिलके न निकालें, क्योंकि इन में कई सारे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं.

टिप: एप्पल शेक बनाएं व उस में 1/4 चम्मच दालचीनी का पाउडर डालें. इस से न सिर्फ स्वाद में वृद्धि होगी, बल्कि दालचीनी में प्रचुर मात्रा में ऐंटीऔक्सीडेंट तत्त्व होने की वजह से यह बच्चों के लिए लाभकारी भी होगा.

काले अंगूर: काले अंगूरों के बीज में ‘गामा लिनोलिक ऐसिड’ नामक फैटी ऐसिड पाया जाता है, जोकि एक ओमेगा-6 फैटी ऐसिड है. यह स्ट्रैस के दुष्प्रभाव से भी ब्रेन की रक्षा करता है. अन्य फलों की तरह इस में भी विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है.

टिप: बीज सहित इस का रस निकालें व प्रयोग करें.

हरी पत्तेदार सब्जियां: रक्त में लौह की कमी को कमजोर स्मरणशक्ति से जोड़ा गया है.  रक्त में लौह की कमी होगी, तो रक्त कोशिकाएं कम मात्रा में बनेंगी, जिस का अर्थ है मस्तिष्क तक कम मात्रा में औक्सीजन का पहुंचना और अधिक ‘औक्सीडेटिव स्ट्रैस’ होना. ऐसा न हो, इस के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों, जैसे पालक, सरसों, मेथी, शलगम के पत्तों, लेट्स, पत्तागोभी व अन्य मौसमी सब्जियों का प्रयोग करें. इन में प्रचुर मात्रा में ‘केरोटीनोइड्स’ भी पाए जाते हैं, जोकि ‘ऐंटीऔक्सीडेंट्स’ हैं.

टिप: सलाद में अच्छी तरह से साफ व धुली हुई पत्तेदार सब्जियां उपयोग में लें, औलिव औयल में सिरका या नीबू का फ्रैश रस डाल कर प्रयोग करें.

ग्रीन टी: पानी के बाद ग्रीन टी को दुनिया का सब से बेहतरीन पेयपदार्थ माना जाता है. दिन भर में 2 कप ग्रीन टी न सिर्फ आप की स्मरणशक्ति को बढ़ाएगी, बल्कि आप की एकाग्रता को भी बेहतर करेगी. ग्रीन टी में ‘पौली फिनौल्स’ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शक्तिशाली ‘ऐंटीऔक्सीडेंट्स’ हैं और ब्रेन की रक्षा करते हैं.

डार्क चौकलेट: डार्क चौकलेट में पाए जाने वाले ‘प्रोसायनेडीस’ व ‘एपीकेटचिन’ नामक फ्लावोनोइड्स मस्तिष्क की तरफ रक्त प्रवाह को बेहतर बनाते हैं. मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं.

हैल्दी औयल: औलिव औयल, अलसी का तेल, सफेद सरसों का तेल, कच्ची घानी सरसों का तेल व सनफ्लावर औयल में ओमेगा- 3 फैटी ऐसिड पाया जाता है. यह एक प्रकार का आवश्यक ‘फैटी ऐसिड’ होता है, जो हमारे शरीर में नहीं बनता, इसलिए इसे डाइट के द्वारा लेना आवश्यक है. यह हमारी कोशिकाओं की टूटफूट की रिपेयर, उन के उचित रखरखाव, हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थों को निकालने और उचित पोषण प्राप्त करने के लिए जरूरी है. चूंकि इन औयल्स का स्मोकिंग पौइंट कम होता है, इसलिए इन में पाया जाने वाला फैटी ऐसिड उच्च तापमान पर नष्ट हो जाता है. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि इन्हें डीप फ्राइंग के लिए प्रयोग न करें. इन का प्रयोग सलाद ड्रैसिंग करने के लिए करें या फिर इन्हें कच्चा ही इस्तेमाल करें.

फिश: कई शोधों से पता चला है कि यदि आप डाइट में मछली का सेवन नियमित रूप से करते हैं तो आप के मस्तिष्क पर ऐजिंग का इतना प्रभाव नहीं पड़ता. सालमोन, सारडिंस, ट्यूना, हैलिबट, कोड, वाइट फिश आदि में प्रचुर मात्रा में डी.एच.ए. व ओमेगा-3-फैटी ऐसिड पाए जाते हैं. यह एक प्रकार की उत्तम वसा है. यह न सिर्फ हमारे मस्तिष्क को स्वस्थ रखती है, बल्कि हमारे हृदय के लिए भी अति फायदेमंद है.

पूजा की दिलवाली दीवाली

जब सारा देश त्योहारों की खुशियां बांट रहा होता है, तो हमारे सितारे भी अपने अलग अंदाज और ढंग से त्योहार मनाते हैं. दीपों की जगमगाहट को पसंद करने वाली पूर्व मिस इंडिया पूजा चोपड़ा कहती हैं कि अंधकार रूपी कुरूतियों को हटा कर सभी के दिलों में नए विचारों और मेलजोल से रहने की रोशनी का होना ही सही माने में दीवाली का त्योहार है. 2008 में फिल्म ‘फैशन’ से बौलीवुड डैब्यू करने वाली पूजा आखिरी बार फिल्म ‘कमांडो’ में नजर आई थीं.

बड़ी उम्र में मातृत्व

घर में छोटे बच्चे की किलकारियां सुनने की लालसा लिए डाक्टर के कमरे के सामने कुछ लोग प्रतीक्षा कर रहे थे. बच्चे को लाड़प्यार करने का मोह इन सभी दंपतियों के मन में था. यह दृश्य था केरल के डा. एस. सबाइन के क्लीनिक के सामने का, जहां हनीमून मनाने वालों से ले कर 50 साल से ऊपर की आयु वाले लोग भी आते हैं. अपनी बारी का इंतजार करते वक्त टीवी चैनल पर खबर आ रही थी, ‘58 साल की एक महिला ने एक बेटे को जन्म दिया…’ कोचीन स्थित मुवाट्टुपुझा में सैंट जार्ज अस्पताल के इन्फर्टिलिटी विशेषज्ञ डा. एस. सबाइन की चिकित्सा की सफलता मानी गई थी यह अद्भुत घटना. क्लीनिक में इंतजार करने वालों के चेहरों पर अनोखी खुशी झलक रही थी. उन्हें उम्मीद थी कि कल उन के सपने भी पूरे हो सकेंगे. 58 वर्ष की सिसली के जरिए डा. एस. सबाइन यही साबित करना चाहते हैं कि मां बनने में उम्र कोई बाधा नहीं डालती.

केरल के ही इडुक्की जिले के एक किसान परिवार की सिसली 2 बेटों की मां थी. बड़ा बेटा मस्तिष्क रोग के कारण चल बसा. लाड़प्यार से पाला गया दूसरा बेटा भी दिसंबर, 2008 में तोम्मनकुट्टु जलप्रपात की दुर्घटना में मारा गया. दोनों बेटों को खो चुकी इस मां की स्थिति बहुत दयनीय थी. उस मां का मन बच्चे के लिए तरसने लगा. इसी दौरान सिसली और जार्ज इन्फर्टिलिटी विशेषज्ञ डा. एस. सबाइन के पास मुवाट्टुपुझा पहुंचे. जनवरी, 2009 में सिसली की चिकित्सा शुरू की गई. रजोनिवृत्ति हो जाने के कारण स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करना सिसली के लिए असंभव था, ऊपर से शारीरिक परेशानियां अलग से थीं. लेकिन बच्चे को पाने के लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार थी. डा. सबाइन ने कृत्रिम गर्भाधान करने की विधि अपनाई. अंडाणु और वीर्य को एक टैस्ट ट्यूब में निषेचित कर भ्रूण के रूप में विकसित कर 3 दिन के बाद इसे गर्भाशय में स्थापित कर दिया. इस विधि को इनविट्रो फर्टिलाइजेशन नाम से जाना जाता है.

डा. सबाइन ने बताया कि इस तरीके को अपना कर अक्तूबर, 2009 में सिसली ने गर्भधारण किया. सिसली ने डाक्टर के निर्देशों का हूबहू पालन किया, जिस से चिकित्सा आसान हो गई. वैल्लूर मैडिकल कालेज से इन्फर्टिलिटी ट्रीटमैंट में स्पैशलाइजेशन पा कर 2000 में डा. सबाइन मुवाट्टुपुझा आए थे अस्पताल में आने वाले 10 हजार से भी अधिक दंपतियों के लिए डा. सबाइन फरिश्ते के समान थे. अगर उन्हें कोई आधी रात को भी बुलाता तो वे सहायता के लिए हमेशा तैयार रहते थे. आसपास यह फुसफुसाहट थी कि यह डाक्टर सरकारी नौकरी कर रहा है तो इस के समय की कोई सीमा तो होनी ही चाहिए. लेकिन इन बातों को अनसुना कर डा. सबाइन मरीजों की सेवा में लगे रहे. 2004 में ट्रांसफर होने पर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी. आम लोगोें को बोझ न लगने वाली उत्तम चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में वे सक्षम रहे. अब वही डा. सबाइन मुवाट्टुपुझा सैंट जार्ज अस्पताल में इन्फर्टिलिटी लैप्रोस्कोपी विभाग के प्रमुख हैं.

डा. सबाइन अपनी देखरेख में अब तक 25,000 लैप्रोस्कोपिक सर्जरियां कर चुके हैं. की होल सर्जरी कराने के लिए दूसरे अस्पतालोें में जहां क्व40,000 तक खर्च आता है, सैंट जार्ज अस्पतल में इस के लिए क्व10,000 से कम खर्च आता है. गरीबों को बेहतर ट्रीटमैंट दिलाना ही उन का उद्देश्य है. डा. सबाइन का कहना है कि बांझपन को दूर करने के लिए उन के पास आने वाले दंपतियों में, चाहे वे पति हो या पत्नी, 30% मामालों में शारीरिक समस्याएं ही कारण होती हैं. बच्चा न होने पर एकदूसरे पर इलजाम लगाना सही नहीं है. शारीरिक समस्याएं किसी भी तरह की हों, उन का हल अब मैडिकल साइंस में है.

औरत का बांझपन

लगभग 40% औरतों में कई वजहों से बांझपन पाया जाता है. पोलिसिस्टिक ओवरी, एंड्रोमेट्रियोसिस, यूटरस में सिस्ट, अंडाणु का न बन पाना और मोटापा आदि औरतों में बांझपन होने के मुख्य कारण हैं. अंडाशय में छोटीछोटी गांठें बनने की अवस्था ही पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कहलाता है. गर्भाशय में होने वाले एंड्रोमेट्रियम टिश्यू गर्भाशय से बाहर या ओवरी में पहुंच कर सिस्ट बन कर गर्भधारण में बाधा बन जाते हैं. यही एंड्रोमेट्रियोसिस है. इस प्रकार की समस्याओं को दूर करने में लैप्रोस्कोपी चिकित्सा सहायक होती है. जिन महिलाओं में मोटापा अधिक है उन में पुरुष हारमोन ज्यादा होंगे. बालों की असाधारण वृद्धि, मैंस्ट्रुअल डिसआर्डर आदि औरतों में अंडोत्पादन की संभावना कम करते हैं. सही तरीके से दवाइयां खाएं तो इन समस्याओं का 70% हल संभव है.

पुरुषों में बांझपन

30 से 40% पुरुषों में भी बांझपन पाया जाता है. इस का प्रमुख कारण वेरिकोसिल बीमारी है. टैस्टीज की रक्त धमनियों में सूजन होने की वजह से रक्तप्रवाह में बाधा आती है. अशुद्ध रक्त थक्का बन कर जम जाता है, जिस से शुक्राणुओं के बाहर निकलने में बाधा पहुंचती है. सरल आपरेशन द्वारा इस समस्या का समाधान ढूंढ़ा जा सकता है. यदि इस रोग से ग्रस्त होेने की आशंका हो तो एक अच्छे यूरोलोजिस्ट की सहायता लें. शुक्राणुओं की जांच व स्कैनिंग से बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

दंपतियों के लिए जानकारी

आजकल बांझपन की समस्या आम होती जा रही है, जिस की वजह आज की जीवनशैली एवं खानपान की आदतें भी हैं. अगर कोई महिला शादी के 1 साल बाद भी गर्भवती न हो पाए तो दंपती को जल्द से जल्द किसी डाक्टर के पास जा कर अपनी बेसिक जांच करानी चाहिए. जरूरत पड़ने पर जल्द से जल्द लैप्रोस्कोपिक सर्जरी कराएं. पतिपत्नी दोनों एकसाथ डाक्टर के पास जाएं और जांच कराएं. दोनों में से यदि किसी एक की वजह से समस्या आई है तो दूसरा उसे मानसिक तौर पर भरोसा दिलाए. समय पर दवाइयां खाएं, डाक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें, समयसमय पर जांच कराते रहें. यदि पति और पत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं तो पत्नी के गर्भवती होने तक पति उस के साथ रहने की कोशिश करे. पतिपत्नी का भिन्नभिन्न जगहों पर रहना गर्भधारण में विलंब ला सकता है. विदेशों में रहने वाले लोग इन बातों पर ज्यादा ध्यान दें.

खुशियां देना उद्देश्य

डा. सबाइन का सपना इन्फर्टिलिटी अस्पताल बनाने का है ताकि कम खर्च में आम लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके. टैस्ट ट्यूब शिशुओं को जन्म दिलाने की सुविधाएं और गर्भस्थ शिशु की असमानताओं को गर्भाशय में ही हल करने की सुविधाएं इस अस्पताल में होंगी. बिना गर्भाशय को निकाले (हिस्टैरेक्टोमी) गर्भाशय की बीमारियों से कैसे नजात पाई जा सकती है, डा. सबाइन इस विषय पर स्टडी कर रहे हैं. उन्होंने इस विषय पर कई यूरोपियन देशों में शोध प्रबंध भी पेश किए हैं. पिछले 3 सालों से वे सोसाइटी औफ रीप्रोडक्टिव सर्जन्स, अमेरिकन सोसाइटी औफ रीप्रोडक्टिव मैडिसिन, अमेरिकन एसोसिएशन औफ गायनोकोलोजिकल लैप्रोस्कोपिस्ट, यूरोपियन सोसाइटी औफ ह्यूमन रीप्रोडक्टिव ऐंड एम्ब्रयोलोजी आदि अंतर्देशीय संगठनों के मैंबर भी हैं. ‘अतिथि’ नाम  से गरीबों को मुफ्त में इन्फर्टिलिटी ट्रीटमैंट की सुविधा दिलाने वाला एक चैरिटेबल और्गनाइजेशन इन की देखरेख में चल रहा है. रेडियोलोजिस्ट डा. स्मिता डा. सबाइन की पत्नी हैं. इन की एक बेटी है गायत्री. मुवाट्टुपुझा के के.एस.आर.टी.सी. बस स्टैंड के पास सबदीप नाम से इन का घर है, जिस में जब चाहे कोई भी आ सकता है. डा. सबाइन के चेहरे पर बच्चों जैसी मासूमियत नजर आती है. संतानहीन, दुखी दंपतियों को खुशियां देना ही डा. सबाइन का उद्देश्य है.            

– पी.के. वेलायुधन

ज्वैलरी गैजेट्स

इनसान आज गैजेट्स का गुलाम हो चुका है. इस की वजह शायद यह भी है कि हम सुविधाभोगी हैं. हमें अधिक से अधिक सुविधाएं चाहिए ताकि हमारा काम कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा सुचारु रूप से चले. कह सकते हैं कि बाजार भी हमें गैजेट्स का गुलाम बनाता जा रहा है. आए दिन एक से बढ़ कर एक गैजेट्स मार्केट में आ रहे हैं.

इन दिनों गैजेट्स महज गैजेट्स नहीं रह गए हैं, बल्कि ये ‘स्टाइल स्टेटमैंट’ में तबदील हो गए हैं. गैजेट्स की दुनिया में सब से नवीनतम संयोजन है गैजेट ज्वैलरी. ज्वैलरी वैसे ही शौकिया चीज है, लेकिन अगर उस में गैजेट का नाम भी जुड़ जाए तो क्या कहने. एक गैजेट, जो हमारे लिए उपयोगी होता है, वह हमारी जरूरत है और अगर यही गैजेट काफी आकर्षक रूप में मिल जाए तो एक पंथ दो काज हो जाते हैं. आज ज्वैलरी गैजेट्स की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और अब ये गैजेट्स ऐलीगैंसी और स्टेटस सिंबल बन गए हैं. इस समय नई पीढ़ी में ज्वैलरी गैजेट्स की मांग दीवानगी की हद तक है. हम यहां कुछ चुनिंदा ज्वैलरी गैजेट्स की चर्चा कर रहे हैं.

ज्वैलरी ब्लूटूथ हैंडसेट

इसे वायरलैस कम्यूनिकेशन का जरिया भी कहा जा सकता है. इसे पहली बार बाजार में ले कर आने वाली कंपनी है रोज एंड जेट. इस गैजेट का डिजाइन खासतौर पर लड़कियों को ध्यान में रख कर किया गया है. यह दिखने में बहुत कुछ ईयर स्टड जैसाहै. इस की खासियत यह है कि इस वायरलैस कम्यूनिकेशन गैजेट का इस्तेमाल कर ज्यादा से ज्यादा 8 घंटे तक बातचीत की जा सकती है. यह बिलकुल हलका है, इस में वोल्यूम कम या अधिक किया जा सकता है. इसे नोकिया, सैमसंग, एल.जी. और मोटोरोला के माफिक बनाया गया है.

ज्वैलरी सैलफोन ईअरफोन

सोने से बना हीरे जड़ा ईअरफोन भला किस का दिल नहीं लुभाएगा. 18 से 20 कैरेट सोने से बने इस ज्वैलरी गैजेट को दुनिया की नामीगिरामी कंपनियां ही बनाती हैं. इन्हीं में से एक कंपनी है कासा जी. हाल ही में 18 कैरेट सोने और 118 हीरे जड़े एक ईअरफोन को बना कर यह कंपनी ज्वैलरी ऐक्सैसरीज और गैजेट्स के बाजार में छा गई है. जाहिर है दुनिया में जिस के पास भी यह ईअरफोन है वह रईसों में होगा. आम लोगों के लिए तो इस तरह गाने सुनना बड़ा महंगा पड़ेगा.

सैल्युलर ज्वैलरी

सैलफोन आमतौर पर हम सब इस्तेमाल करते हैं. सैलफोन की सुविधा के साथसाथ एक दिक्कत यह है कि यह समय नहीं देखता, जगह नहीं देखता, बस बज उठता है. यही कारण है कि कई जगहों पर सैलफोन को हमें औफ रखना पड़ता है. लेकिन हो सकता है कि हम कोई जरूरी फोनकाल मिस कर जाएं. ऐसे में सेल्युलर ज्वैलरी बड़े काम की चीज है. यह आने वाले फोनकाल की सूचना बज कर नहीं, बल्कि फ्लैश कर के देती है. अब घड़ी, बे्रसलैट, नैकलेस और यहां तक कि पैन में भी फ्लैश कर के फोन काल की सूचना दी जा सकती है. यह दरअसल वायरलैस डिवाइस है. जानकार बताते हैं कि इस में एक खराबी यह है कि यह सीडीएमए नैटवर्क के साथ ठीक तरीके से काम नहीं कर सकता.

ज्वैलरी वाच

जाहिर है यह एक कलाई घड़ी होगी. समय भी बताती होगी, लेकिन इस का काम महज समय बताना नहीं है. यह काम तो सैलफोन भी कर सकता है. इस घड़ी को कलाई में बांधने का अर्थ स्टेटस में इजाफा माना जाता है. इस तरह की ज्वैलर घडि़यां बाजार में बहुत सारी मिल जाएंगी. लेकिन अगर यह वरसैस की हो तो बात ही कुछ और है. इस के डायल में 122 कैरेट क्रिस्टल क्लीयर डायमंड लगे हैं. डायमंड से सजी यह ज्वैलरी वाच आर्डर दिए जाने पर ही बनाई जाती है.

आईरिंग

आईपौड, आईफोन की तर्ज पर आईरिंग. यह गैजेट दरअसल रिमोट कंट्रोल डिवाइस है. इस का इस्तेमाल आईपौड और आईफोन को नियंत्रित करने के लिए होता है. इसे पहली बार एप्पल ने बाजार में उतारा. इस के बाद और भी कई कंपनियां बाजार में आईं, लेकिन इस का आविष्कार और डिजाइन करने वाली कंपनी विक्टर सोटो है. इस में ब्लूटूथ टैक्नोलोजी और टच स्क्रीन का इस्तेमाल किया गया है.

ज्वैलरी हैडफोन

यह क्रिस्टल ज्वैलरी की श्रेणी में है. कह सकते हैं कि हैडफोन की दुनिया में यह एक नई क्रांति ले कर आया है. किसी भी मौके पर इसे गिफ्ट के रूप में दिया जा सकता है, खासतौर पर उसे, जिस की जिंदगी में एक खास जगह है या फिर जो डी.जे. के पेशे में है, उस के लिए यह गिफ्ट सही माने में बहुत ही बहुमूल्य साबित होगा.

क्रिस्टल टौयलेट

इसे तैयार किया है स्वारोस्की ने, जिस की कीमत लाखों डालर होगी. इस का हरेक इंच बहुमूल्य क्रिस्टल से बना है. पर मजे की बात यह है कि किसी भी आम टौयलेट का उद्देश्य जो हुआ करता है, शायद ही कोई इसे उस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करे. इस की जगमगाहट आंखें चौंधिया देती है. बताया जाता है कि हौलीवुड स्टारों में स्वारोस्की की ज्वैलरी पहनने की होड़ मची होती है, लेकिन इस चीज का भला वे इस्तेमाल करेंगे? एक हिचक होगी. इसीलिए इस के इस्तेमाल किए जाने की बात पर विश्वास कर पाना किसी के लिए भी मुश्किल होगा. हां, सजावट के लिए वे इस्तेमाल जरूर कर सकते हैं. वैसे बगैर ‘उद्देश्य’ के इस पर बैठ कर कोई भी अपनेआप को धन्य मान सकता है.

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