अर्जुन रणवीर की बदमाशियां

‘एआईबी नौकआउट’ से भरपूर पब्लिसिटी पा चुके अर्जुन कपूर और रणवीर सिंह की जोड़ी ने कुआलालंपुर में हुए आईफा अवार्ड समारोह में भी जम कर मस्ती की और कई फिल्मों और कलाकारों की टांग खींचने के साथसाथ उन्होंने रणबीर कपूर की फिल्म ‘बौंबे वैलवेट’ की भी जम कर खिंचाई की. खबर यह भी है कि अर्जुन कैटरीना के साथ आर.बाल्की की फिल्म में आ रहे हैं. अभी तक फिल्म के नाम की घोषणा नहीं की गई है पर यह फिल्म एक रोमांटिक कौमेडी फिल्म है, जिस में अर्जुन ओर कैट  शादीशुदा कपल बने हुए हैं.

वरुण की फिल्म देखने को बेताब सायना

वरुण धवन और श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘एबीसीडी 2’ को देखने के लिए  बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल बड़ी बेताब थीं. उन्होंने फिल्म रिलीज होने के पहले खुद वरुण को एसएमएस कर के फिल्म के बारे में राय मांगी थी और पूछा था कि फिल्म में देशभक्ति की भावना कितनी है? वरुण कहते हैं कि अगर सायना को फिल्म की कहानी में देशभक्ति नजर आई तो यह मेरे लिए बहुत फख्र की बात है.  फिल्म ‘एबीसीडी 2’ में अपने जबरदस्त परफौर्मैंस के बाद इंडस्ट्री में वरुण की तुलना रितिक रोशन से होने लगी थी, जो वरुण को पसंद नहीं आई. उन का कहना है कि बौलीवुड के डांसरों की जमात मिथुन दा, गोविंदा और रितिक रोशन की तुलना में मैं एकदम नया हूं और अभी इन लोगों से मुझे बहुत कुछ सीखना है. और रितिक तो बचपन से मेरे लिए डांस की प्रेरणा रहे हैं. उन के साथ मेरी कोई तुलना करे यह मुझे पसंद नहीं

हो गए एकदूजे से दूर

जो कभी दिल के पास रहते थे आज वे एकदूसरे के लिए अनजाने हो गए, यह जुमला बिपाशा और हरमन के लिए तब सच लगा जब आर. माधवन की बर्थडे पार्टी पर दोनों का आमनासामना हुआ. इस पार्टी के दौरान कभी एकदूसरे के साथ हमेशा रहने वाले बिप व हरमन एकदूसरे से दूर और बचते नजर आए. दोनों में से किसी ने भी बात करने की पहल नहीं की. पर बिप का तो यह हाल है कि इस दिल का क्या करें जनाब, कमबख्त एक जगह टिकता है नहीं.

हम दिल दे चुके सनम

अभी हाल में हुए आईफा अवार्ड में रणवीर सिंह ने अपनी गर्लफ्रैंड दीपिका को सब के सामने स्टेज पर घुटनों के बल बैठ कर प्रपोज किया और एक बना हुआ हार्ट भी दीपिका को दिया. बाद में यहां से दोनों साथ में ही भारत लौटे. वैसे ये दोनों काफी समय से एकदूसरे को डेट कर रहे हैं. अब खबर है कि 2016 की फरवरी तक दोनों वैवाहिक बंधन में बंध जाएंगे. वैसे हाल ही में हुए एक इंटरव्यू में रणवीर ने कहा था कि उन की इच्छा है कि अब वे भी एक फैमिली मैन के तौर पर स्थापित हो जाएं. तो इस का मतलब साफ है कि दोनों ने शहनाई बजवाने का एकसाथ मूड बना लिया है. इस खबर के अलावा कंगना और दीपिका के बीच कोल्डवार की भी चर्चा गरम है. एक इवेंट में कंगना को इसलिए जल्दी जाना पड़ा क्योंकि वहां दीपिका की ऐंट्री होने वाली थी.

परिणीति बनेंगी सलमान की नायिका

एक अदद हिट फिल्म की तलाश में भटक रहीं परिणीति ने सलमान खान के साथ 2 फिल्में साइन की हैं. परिणीति हमेशा यशराज फिल्म की चहेती रही हैं. इसलिए जब फिल्म ‘सुलतान’ के स्टार चयन का मामला आया तो कई नामों को पीछे छोड़ कर परिणीति का नाम फाइनल किया गया. पर अब सुनने में आ रहा है कि परिणीति फिल्म ‘सुलतान’ में नहीं हैं. यह फिल्म डाइरैक्टर अली अब्बास जफर की फिल्म है. इस में सलमान एक 40 साल के बौक्सर का रोल अदा कर रहे हैं. उन के अलावा अक्षय कुमार अपनी आने वाली फिल्म ‘ब्रदर’ में बौक्सर के किरदार में, तो आमिर खान फिल्म ‘दंगल’ में रेसलर की भूमिका में नजर आएंगे. तो इस का मतलब यह कि आजकल हमारे बौलीवुड पर बौक्सिंग का बुखार छाया हुआ है

मौनसून फैशन हो ऐसा

मौनसून आते ही बरसात को जी भर के ऐंजौय करना हर किसी को अच्छा लगता है, लेकिन इस के लिए दिल से खुश रहना बहुत जरूरी होता है. बरसात को आप कैसे ऐंजौय करें इस के गुर जानें फैशन डिजाइनर स्वप्निल शिंदे से:

डर मन में न पालें

बरसात ऐंजौय करते वक्त अगर हम हमारे कपड़े भीग जाएंगे, यह डर मन में पाले रहे तो बरसात को कभी ऐंजौय नहीं कर सकते. बरसात में भी हम कपड़े चुनते वक्त सजग रह कर अपने फैशन के शौक को बरकरार रख सकते हैं और बरसात को भी ऐंजौय कर सकते हैं  गरमी और जाड़े में हम हर रोज के इस्तेमाल के लिए फीके कलर के कपड़े पहन सकते हैं, लेकिन बरसात में गहरे रंग के कपड़े पहनना ही ज्यादा बेहतर होता है, क्योंकि गहरे रंग के कपड़े बरसात में खराब होने के बावजूद भी गंदे नहीं दिखते. इसलिए बरसात में रंगों का चयन करते वक्त डार्क कलर्स ही चुनें. आप फ्लोरल ग्रीन, पेस्टल ब्लू, फ्लोरल औरेंज, फ्लोरल यलो, डार्क ग्रे और डार्क ब्लैक रंगों का चयन कर सकती हैं. ये रंग पहनने से बरसात में आप खुश तो रहेंगी ही मूड भी अच्छा बना रहेगा.

सलवारकमीज, चूड़ीदार या लैगिंग्स पहनते वक्त भी ब्राइट कलर्स का ही चुनाव करें, जिस से बरसात में बौटम खराब भी हो जाए तो जल्दी नजर न आए. आप डार्क पिंक, डार्क रैड और डार्क चौकलेटी जैसे रंग इस्तेमाल कर सकती हैं. ये रंग रोमांटिक तो माने ही जाते हैं, दिखने में भी सुंदर लगते हैं. औफिसवियर के लिए सलवारकमीज पर आप अच्छी मैचिंग भी कर सकती हैं यानी टौप लाइट कलर का लें और बौटम ब्राइट कलर का रखें. औफिसवियर के लिए आप सलवारकमीज, साड़ी और जींस के साथ एक ऐक्स्ट्रा स्टोल भी ले सकती हैं. यह स्टोल आप फैशन के रूप में तो कभी बरसात में भीग जाने पर अपर बौडी कवर के लिए भी इस्तेमाल कर सकती हैं. कालेज गोइंग गर्ल्स भी स्कर्टटौप या जींस के साथ स्टोल पहन सकती हैं. जींस चुनते वक्त हमेशा लाइट वेटेड जींस चुनें ताकि बरसात में भीगने के बाद वह जल्दी सूख जाए.

हलके सूती कपड़ों का विकल्प

बरसात में लाइट वेट कौटन यानी हलके सूती कपड़े पहनना भी अच्छा विकल्प हो सकता है, इसलिए आप बरसात में भी पेस्टल शेड्स का चुनाव कर सकती हैं. ब्राइट रंग के टौप और कुरतियां फिर से इन फैशन हैं. लड़कियों के लिए कैप्रीज और लड़कों के लिए बरमूडा मौनसून सीजन की औल टाइम फेवरेट पसंद होती है. लेकिन ये कपड़े जल्दी सूखने के नजरिए से ही आप चुनें तो ज्यादा बेहतर होगा. इस के लिए शिफौन, क्रेप, पौली या नायलौन जैसे सिंथैटिक कपड़े हमेशा अच्छे साबित होते हैं. औफिस में साड़ी अगर कंपलसरी हो तो आप सिंथैटिक साड़ी भले ही पहनें पर पेटीकोट कौटन का ही पहनें, क्योंकि सिंथैटिक पेटीकोट के बरसात में गीला होने पर उस में चलना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन कौटन पेटीकोट में हम आसानी से चल सकते हैं.

मौनसून में हवा में आर्द्रता बहुत होती है और यह आर्द्रता सिर्फ कौटन के कपड़ों से ही कम होती है. इसलिए इस मौसम के लिए कौटन के कपड़े बहुत अच्छा विकल्प होते हैं. बरसात हो तो भी कौटन ही बेहतर होता है. आजकल बाजार में खास बरसात के लिए लाइट कौटन के कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिन का हम पूरापूरा फायदा उठा सकते हैं.

डैनिम जींस इस्तेमाल करें कम

बरसात में डैनिम के कपड़े न ही पहनें, क्योंकि इन कपड़ों के सूखने में वक्त लगता है और उन से हलकीहलकी बदबू आती है. बरसात में सिंथैटिक, पौलिएस्टर, टैरीकौट, नायलौन, रेऔन आदि जैसे कपड़ों का हम इस्तेमाल कर सकते हैं. जींस और डैनिम के कपड़े पहनने हों तो थ्री फोर्थ या कैप्रीज इस्तेमाल करें. बरसात में डार्क ब्राउन, मैरून, मेहंदी कलर आदि जैसे रंगों का आप ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें. बरसात में किसी फंक्शन या शादी वगैरह के लिए आप साड़ी पहनना चाह रही हों, तो फ्लोरल प्रिंट का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर रहेगा. ज्वैलरी भी लाइट वेटेड और रंग न जाने वाली हो. साथ ही कपड़ों का भी रंग न उतरे इस बात का खयाल रखें. कपड़ों के साथ ही बरसात में मेकअप और अपने फुटवियर की ओर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है.            

-वर्षा फडके आंधले

टशन फैशनेबल अंब्रेला का

मौनसून ने दस्तक दी नहीं कि घरघर में छिपे छाते बाहर निकलने लगते हैं. लाल, गुलाबी, नीले, पीले छाते रिमझिम में तितली के पंखों जैसे सुंदर नजर आने लगते हैं. बरसात का मौसम नौजवान लड़केलड़कियों का जितना पसंदीदा होता है उतनी ही इस मौसम में लड़कियां अपनी सुंदरता की बाबत चिंतित भी होती हैं कि कहीं संवारे गए बाल बिगड़ न जाएं, मेकअप खराब न हो जाए. इन समस्याओं से बचने के लिए उन के पास एक ही विकल्प होता है और वह है छाता. मगर आजकल की युवा पीढ़ी छातों को सिर्फ वर्षा से खुद को बचाने के साधन के रूप में नहीं देखती है. आजकल के फैशनप्रिय लड़केलड़कियां अलगअलग टाइप और डिजाइन के छातों को फैशन के रूप में लेने लगे हैं. अब आप कहेंगे भला छातों में कैसा फैशन? खोलो और बरसात से खुद को बचाओ. पर आप जानते नहीं हैं कि आजकल की लड़कियां कुछ ज्यादा ही फैशनेबल हैं इसीलिए तो आज मार्केट में फैशनेबल छातों की भरमार है:

सिंपल प्लेन कलर्ड छाता: अपनी ड्रैस से मैचिंग या फिर कंट्रास्ट छाते में आप का लुक और भी कमाल का लगेगा.

यू हैंडल वाला लंबी डंडी का छाता: यह छाता बरसात में सुंदर तो नजर आता ही है, पर बरसात न होने पर भी अगर आप खड़ी या चल रही हों तो कंधे पर पर्स, एक हाथ में थैलियां और दूसरे में यू हैंडल वाला लंबा छाता ले कर चलना आप के व्यक्तित्व को और भी निखार देगा.

लेस वाला छाता: घेरदार या चुन्नट वाली फ्रौक या स्कर्ट के साथ रंगबिरंगा या प्रिंटेड और किनारों पर लेस लगा छाता लेने पर अलग ही कौंबिनेशन नजर आएगा.

स्कैलौप्ड छाता: गोल, लेकिन चारों किनारों से यू कट और सुंदर लेस सजा स्कैलौप्ड छाता कालेजगोइंग गर्ल्स पर बहुत ही फबेगा.

डबल और ट्रिपल फ्रिल गिगी छाता: कई रंगों में मिलने वाला प्रिंटेड या प्लेन डबल या ट्रिपल फ्रिल वाला गिगी छाता वैस्टर्न ड्रैस पर कुछ ज्यादा ही फबेगा.

क्लाउड्स और रेनड्रौप छाता: आसमान बादलों से घिरा हो और बरसात हो रही हो तब बादलों के जोड़ के रूप में क्लाउड्स छाता और बरसात की जोड़ के रूप में रेनड्रौप छाता अगर आप लें तो सभी आप को देख कर यही गुनगुनाएंगे कि रूप सुहाना लगता है…

डेजी फुललैंथ छाता: डेजी फूल जैसे प्रिंट का डेजी फुललैंथ छाता अगर आप लें तो ऐसा लगेगा मानों आप छाता नहीं, बल्कि अपने सिर पर डेजी का बड़ा सा फूल ले कर बरसात से अपना बचाव कर रही हैं. यह छाता लाल, पीले, जामुनी आदि कई अलगअलग कलर्स में मिलता है.

सनफ्लौवर ब्लूम फुललैंथ छाता: पीले या हरे पहनावे के साथ अगर आप सनफ्लौवर ब्लूम छाता ले कर चलेंगी तो ऐसे लगेगा जैसे सचमुच सूरजमुखी फूल चल रहा हो.

एस्फाल्ट छाता: मूसलाधार बरसात हो रही हो और आप अपने पार्टनर के साथ एक ही छाते के नीचे चलना चाहती हों, तो सोचना क्या. जल्दी से एस्फाल्ट छाता खरीद लाएं. यह छाता रोमांटिक कपल्स के लिए बहुत ही रोमांचकारी साबित होगा.

न्यूबे्रला छाता: बरसात में अगर आप के हाथों में थैलियां या दूसरा सामान हो, तब सामान के साथ छाता लेने में जरूर परेशानी होगी. लेकिन घबराएं नहीं. मार्केट में अब न्यूब्रेला छाता भी मिलने लगा है. यह छाता कंधे पर एक पट्टे से फिट बैठता है. इसे हाथों से पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ती. यह अलगअलग डिजाइनों में मिलता है और इस्तेमाल करने में बिलकुल सहज और हलका होता है.

तलवार छाता: तलवार छाते का हैंडल बिलकुल तलवार के हैंडल जैसा होता है. यह लंबा और स्टैंडिंग छाता होता है, जो बंद रहने पर हाथों में तलवार की तरह नजर आता है.

गन छाता: यह फोल्डिंग छाता होता है और इस का हैंडल गन जैसा दिखता है. अगर आप इस बंद छाते का हैंडल पकड़ कर बंदूक पकड़ने जैसा पोज लें तो लोगों को यही लगेगा कि आप सचमुच बंदूक से किसी को शूट कर रही हैं.

पैकेट छाता: अरे, आप के हाथ में यह किस चीज का पैकेट है? अगर आप से कोई यह पूछे और आप उस पैकेट को खटाक से खोल दें तो बड़ा सा छाता दिखने पर देखने वाला दांतों तले उंगली दबा लेगा.

हथेली भर छोटा नजर आने वाले इस छाते को आप छोटे पौकेट की तरह हाथों में भी ले सकती हैं और पर्स में कम जगह में भी आराम से रख सकती हैं.

ट्विलाइट छाता: यह बहुत ही मजेदार छाता है. बरसात में बिजली का जाना आम बात है. ऐसे में अंधेरे रास्ते में लाइट के बिना चलना मुश्किल होता है. पर आप घबराएं नहीं. ट्विलाइट छाता है न. इस में लगी लाइट आप जब चाहें तब जला सकती हैं और मजे से चल सकती हैं.

अब कटे इयर लौब्स समस्या नहीं

हमेशा हैवी ज्वैलरी पहनने की शौकीन अर्चना को अचानक अपने इयर लौब्स कटने के कगार पर दिखाई देने लगे. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे अपने कानों को कैसे बचाएं ताकि फिर से ज्वैलरी पहन सकें. इधर अर्चना की ही बहन की लड़की जो शादीशुदा थी, कानों में इयररिंग्स पहने कहीं जा रही थी कि पीछे से बदमाशों ने उस के इयररिंग्स खींच लिए. नतीजा, उस के कान के लौब्स बीच से ही कट गए. देखा जाए तो यह समस्या वैसी महिलाओं को ही ज्यादा होती है, जो अकसर कानों में बड़ेबड़े टौप्स या फिर झुमके वगैरह डाले रहती हैं. इस वजह से इन महिलाओं के कान के छेद धीरेधीरे बड़े हो कर कटने शुरू हो जाते हैं. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप ज्वैलरी पहनें ही नहीं. लेकिन हां, कानों को कटनेफटने से बचाने के लिए यह जरूरी है कि आप हमेशा कानों में हैवी ज्वैलरी न पहन कर उन्हें बीचबीच में खुला ही छोड़ दें और रात को सोते समय उन से ज्वैलरी को निकालना न भूलें. इस के अलावा कभी भी

2 गेज से ज्यादा की ज्वैलरी न पहनें.

लौब्स ठीक करने की तकनीक

कानों के लौब्स को ठीक करने के लिए जिस तकनीक का प्रयोग किया जाता है उसे इयर लौबिंग कहते हैं. इयर लौबिंग एक सामान्य प्रक्रिया है. इसे करने से पहले सामान्यतया उस हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है और फिर पीछे से कटे कान को मिला कर स्टिच कर दिया जाता है. इस के लिए त्वचा के ऊतकों में हलका सा कट का निशान भी लगाया जाता है. ऐसा ऊतकों को और कानों को सही शेप देने के लिए किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनट का समय लगता है. इयर लौबिंग कराने के बाद हलका सा दर्द का अनुभव हो सकता है, जिस के लिए पेनकिलर दी जाती है. स्टिच को 7 दिन बाद निकाल दिया जाता है. उस के बाद त्वचा को कोमल बनाने के लिए कुछ सप्ताह तक किसी मौइश्चराइजर से हलके हाथ से मालिश करने की सलाह दी जाती है ताकि लौब्स सामान्य अवस्था में आ जाएं. सर्जरी के पश्चात कानों को इन्फैक्शन से बचाने के लिए दिन में 3 बार पानी और साबुन से साफ करने के लिए कहा जाता है.

ध्यान देने योग्य बातें

यदि इयर लौबिंग करवाने के बाद वहां पर लाली के साथ स्वैलिंग हो, कान को छूने पर दर्द हो या फिर पस भरा पीलापन दिखाई दे, तो इसे हाइड्रोजन पैराडाईऔक्साइड से या फिर अल्कोहल युक्त किसी भी ऐंटीसैप्टिक से साफ करें. फिर इस पर ऐंटीबायोटिक क्रीम लगाना न भूलें. जब तक इयर लौबिंग पूरी तरह से ठीक न हो जाए, इस में किसी भी तरह की ज्वैलरी न पहनें. अगर इयर लौबिंग ट्रीटमैंट के 48 घंटे बाद भी जख्म बने रहें या आप को फीवर हो जाए, तो तुरंत अपने डाक्टर से मिलें.  

कौस्मैटिक सर्जन विजय कक्कड़ से सीमा झा द्वारा की गई बातचीत पर आधारित

गर्भावस्था में क्या नहीं खाएं

गर्भावस्था में आहार को ले कर एक पहलू ऐसी चीजों का है जो ऐसे नाजुक वक्त में नुकसान पहुंचा सकती हैं. इस के अलावा गर्भावस्था में डाक्टर द्वारा गर्भवती को बहुत सीमित दवाओं का इस्तेमाल करने की अनुमति मिलती है क्योंकि कुछ दवाओं का कोख में बढ़ते हुए भ्रूण पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐंटीबायोटिक, ऐंटीपायरिटिक और पेन रिलीफ दवाओं का सेवन भी निर्धारित होता है. कुल मिला कर ऐसी परिस्थिति में यह जरूरी है कि गर्भवती महिला को किसी भी प्रकार का इन्फैक्शन न होने पाए.

इस के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन न करें:

सलाद व कटे फल

कई होटलों में सलाद और फल खाने के मेन्यू का हिस्सा होते हैं और आप अलग से भी सलाद और फलों का और्डर दे सकती हैं. लेकिन ये फल और सलाद कई घंटे पहले काटे जाते हैं और इन में कई प्रकार के कीटाणु होते हैं, जो आप को इन्फैक्शन का शिकार बना सकते हैं.

फलों या गन्ने का रस

फलों का रस बनाते वक्त साफ पानी का इस्तेमाल नहीं होता और न ही वे साफ बरतन में बनाए जाते हैं. अगर आप फलों के रस का सेवन करना चाहती हैं, तो उन्हें भली प्रकार साफ करें और रस घर में ही बनाएं. फलों के रस के मुकाबले साबूत फलों का सेवन करना ज्यादा अच्छा रहता है क्योंकि वे आप को ज्यादा पोषण तथा फाइबर प्रदान करते हैं और आप के ब्लड शुगर को बढ़ने नहीं देते.

अंडे

अंडों में सालमोनेला स्पिसीज के बैक्टीरिया/जीवाणु होते हैं, जो कई किस्म के इन्फैक्शन का कारण बन सकते हैं. गर्भावस्था में अंडों का सेवन कम या नहीं करना चाहिए क्योंकि इन्फैक्शन के साथ ही इन को पचाना आसान नहीं होता.अगर आप अंडे का सेवन करती हैं, तो उस को अच्छी तरह पका कर ही खाएं. आधा पका अंडा जैसे फ्रैंच टोस्ट या सिंगल फ्राई कभी भी न खाएं.

डब्बाबंद या पैक्ड मांसमछली

डब्बाबंद, फ्रोजेन मांस या मछली, प्रौंस, टूना फिश, बेकन वगैरह का सेवन न करें क्योंकि इन में मरकरी के बढ़े हुए स्तर पाए जाते हैं, जो भ्रूण के मानसिक विकास पर असर डाल सकते हैं.

मिठाई और डेजर्ट

इन का इस्तेमाल बहुत कम करें. मिठाई आप को किसी प्रकार का पोषण नहीं देती अपितु ज्यादा मीठी चीजों का सेवन करने से आप का वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ सकता है जोकि बच्चे के जन्म के वक्त जटिलता पैदा कर सकता है. साथ ही यह इंसुलिन सैंस्टिविटी का कारण बन कर ब्लड शुगर बढ़ा सकता है जो भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है.

कैफीन

चाय या कौफी का अधिक सेवन बच्चे के विकास में तकलीफ पैदा कर सकता है तथा भ्रूण में मानसिक या शारीरिक कमी का कारण बन सकता है. इसलिए दिन में 2 कप चाय या कौफी के सेवन तक ही सीमित रहें.

पानी की जांच स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी

पानीजीवन के लिए अमृत माना जाता है. बिना इस के हमारी पृथ्वी पर कोई भी चीज जीवित नहीं रह सकती. मानव शरीर में खून का70% भाग पानी से बना होता है. एक स्वस्थ जीवन के लिए हर दिन 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी है. लेकिन क्या होगा जब यह पानी शुद्ध नहीं होगा?

पानी से होने वाली बीमारियों से हर साल लोगों की काफी संख्या में मौत हो रही है. इस में आंत तथा पेट में जलन सब से मुख्य कारण हैं. क्या आप को नहीं लगता कि इस समस्या से निपटने के लिए हमें पानी की शुद्धता की जांच करनी चाहिए?

क्यों जरूरी है जांच

आज कीटाणुनाशक दवाइयों के अंधाधुंध प्रयोग, तेजी से औद्योगिकीकरण, उत्पादक संयंत्र और मानव की गतिविधियों ने जीवन के लिए उपलब्ध सारे प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता को दूषित कर दिया है. चूंकि पानी एक विलायक द्रव है, इस में कोई भी चीज आसानी से घुल जाती है इसलिए यह बहुत तेजी से दूषित हो रहा है. पानी पीने के अलावा और कई घरेलू उपयोग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. नल व टंकी जहां से हमें पानी प्राप्त होता है वह क्लोरीनयुक्त होता है. ऐसा माना जाता है कि वह पानी स्वच्छ है लेकिन यह क्लोरीनयुक्त पानी जिन माध्यमों से हमारे पास पहुंचता है उस में कई अवयव मिल जाते हैं जिस की वजह से पानी शुद्ध नहीं रहता.

किसलिए करें जांच

पानी में प्रदूषण को5 प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया जाता है:

1. भौतिक और रासायनिक: पीएच लेवल, मैलापन, विभिन्न आयन जैसे क्लोराइड, नाइट्रेट, सल्फेट, फ्लोराइड, सल्फाइड, फिनोलिक, कंपाउड, ऐनीओनिक डिटर्जेंट इत्यादि.

2. विषैले तत्त्व: विषैले रासायनिक पदार्थ, आयरन, कैल्सियम, मैगनीशियम, ऐल्युमीनियम इत्यादि.

3. कीटनाशक : एचसीएच आइसमर, एंडोसल्फान, डीडीटी एलाचलर इत्यादि.

4. वाष्पशील कार्बनिक यौगिक: बैंजीन, टोल्युइन, हाइड्रोकार्बन व विभिन्न सुगंधित यौगिक.

5. रोगजनक: इशरीकिया कोलाई व अन्य कोलिफार्म बैक्टीरिया.

ऊपर उल्लेखित पांचों समूहों की मात्रा आइएस की तय सीमा10500 से थोड़ी भी ज्यादा होने पर पानी सेवन के लिए और अन्य किसी भी उपयोग के लिए अनुपयुक्त होता है और पानी में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक की जांच भी नहीं हो सकती. व्हाटर्स (ङ्खद्धड्डह्लद्गह्म्ह्य) थाइरोकेयर लैब की एक नई तकनीक है जो इपीए के निर्देशानुसार इन की भी जांच की सुविधा प्रदान करता है.

जांच प्रक्रिया

पानी में दूषित पदार्थों और अवांछनीय विश्लेष्य को पीपीबी और पीपीएम के स्तर पर मापा जाता है. चूंकि पानी बहुत ही संवेदनशील पदार्थ है इसलिए बहुत ही सावधानी से इस की जांच करनी चाहिए. इस की जांच में मानव की भागीदारी कम होनी चाहिए, मशीनों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए. पानी में भौतिक और रासायनिक जांच के लिए अभी तक मैनुअल टाइटरेशन सब से प्रसिद्ध पद्धति है, लेकिन इस के समापन बिंदु पर अनुमापन, प्रलेखन और समझने में काफी परिवर्तन होता है. जबकि थाइरोकेयर लैब की व्हाटर्स (ङ्खद्धड्डह्लद्गह्म्ह्य) तकनीक में पानी की शुद्धता की जांच में किसी तरह की परेशानी नहीं होती.

व्हाटर्स के विश्लेषक

सैग्मेंटेड कंटिन्यूअस फ्लो ऐनलाइजर: यह पानी की जांच के लिए एक अच्छा उपकरण है जिस से पानी में भौतिक और रासायनिक वस्तुओं की मात्रा सही है या नहीं है, इस की जांच की जाती है. इस उपकरण से प्रत्येक सैंपल की जांच से संबंधित सभी इकाइयों को मापा जाता है. गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पैक्ट्रोमिट्री: इस के उपयोग से 16 कीटनाशक दवाइयों की जांच की जाती है. यह पीपीबी के स्तर की जांच करता है. गैस क्रोमैटोग्राफी फ्लेम आयनाइजेशन डिटैक्टर: इस से पानी में घुले19 वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों की जांच की जाती है. यह मशीन भी पीपीबी के स्तर की जांच करती है. इंडक्टिविली कपल्ड प्लाज्मा औपटिकल इमीशन स्पैक्ट्रोमिट्री: यह पानी में16 जहरीले पदार्थों का पता लगाता है. पानी के लिए यह सब से अच्छा जांच उपकरण माना जाता है. पानी जीवन के लिए सब से कीमती चीज है. हमें हौस्पिटल, घर, कालोनी, स्कूल और कंपनी बनाने से पहले पानी की जांच अवश्य करनी चाहिए. अगर आज हम स्वच्छ पानी पीएंगे तभी अपने कल को सुरक्षित रख पाएंगे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें