काम का मजा चुनौती में है : जोनिता डोडा

‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ फिल्म की शूटिंग के लिए अभिनेत्री जोनिता डोडा ने 104 डिग्री बुखार में न केवल मुंबई से चंडीगढ़ तक का सफर तय किया, बल्कि इतने ही बुखार में उन्होंने शूटिंग भी की. ये ऐसे लमहे थे, जो उन्हें कभी नहीं भूलेंगे और न ही जीवन में हार मानने देंगे. ‘चंडीगढ़ दी सोहनी कुड़ी’, ‘चक जवाना’ व ‘यारा ओ दिलदारा’ जैसी पंजाबी तथा साउथ इंडियन फिल्मों की अभिनेत्री जोनिता डोडा की पंजाबी फिल्म ‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ कुछ अरसा पहले रिलीज हुई.

बुखार में शूटिंग

जोनिता कहती हैं कि चंडीगढ़ में परवरिश हुई तो इस से ऐसा लगाव हो गया कि इसे छोड़ने के नाम से ही उन्हें बुखार हो जाता है. अपना ख्वाब पूरा करने के लिए मुंबई तक का सफर तय किया. वहां की आबोहवा में सैट होने में ही उन्हें एकडेढ़ साल लग गया. पंजाबी फिल्म ‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ की शूटिंग के लिए चंडीगढ़ आना था, परंतु उन्हें 104 डिग्री बुखार था. फिर भी वे वहां आईं और शूटिंग की. यही कारण है कि इस फिल्म के रिलीज होने का इंतजार दर्शकों को ही नहीं, बल्कि जोनिता को भी बेसब्री से था. ‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ एक फैमिली ड्रामा एवं ऐक्शन फिल्म है, जिस में वे एक गांव की लड़की बनी हैं और खूब पढ़लिख कर टीचर बनना चाहती हैं ताकि वे अपने गांव के हर बच्चे को शिक्षित कर सकें. इस फिल्म में पंजाबी के गायक राज काकड़ा हीरो हैं.

क्या हमेशा अभिनेत्री बनने की ही सोची थी? पूछे जाने पर वे कहती हैं, ‘‘नहीं, ऐसा नहीं है. मैं दरअसल पापा की तरह पायलट बनना चाहती थी, पर कुदरत ने मेरे हिस्से अभिनेत्री बनना ही लिखा था. तभी तो रास्ते अपनेआप बनते चले गए. अब तक की अभिनय यात्रा मेरे लिए सुखद ही रही. सब का प्यार मुझे और अच्छा करने को प्रेरित करता गया.’’ जोनिता ने कई साउथ इंडियन फिल्में भी की हैं. क्या कभी भाषा और इमोशन ऐक्सप्रैस करने की मुश्किल नहीं आई? सवाल पर जोनिता का जवाब था, ‘‘किसी भी चीज में मुश्किल तब आती है, जब हम उसे पूरी तरह से समझ नहीं पाते. काम करने का मजा  तभी है जब आप उसे किसी चुनौती की तरह लेते हैं. असिस्टैंट डायरैक्टर आप को पूरा सीन समझा देता है, जिस से डायलौग बोलते हुए इमोशन अपनेआप ही आ जाते हैं. यही चीज आप को दर्शकों से जोड़ देती है.’’

जोनिता का कहना है कि दक्षिण की फिल्म इंडस्ट्री इसलिए भी डिफरैंट है, क्योंकि वे लोग जहां ज्यादा क्रिएटिव हैं, वहीं नए ऐक्सपैरिमैंट से भी नहीं हिचकते. यही कारण है कि साउथ इंडियन फिल्में करते हुए किसी उत्तर भारतीय को कोई खास परेशानी नहीं होती. ड्रीम बौय के बारे में कुछ बताएं? सवाल पर जोनिता कहती हैं, ‘‘मैं सिंगल हूं और अभी सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देना चाहती हूं. हां, किसी का इंतजार तो है, परंतु रिलेशनशिप बहुत बड़े कमिटमैंट का नाम है. अपने कैरियर की तरफ पूरा ध्यान देना, उसे ऊंचाइयों तक ले जाना तथा अपना सौ प्रतिशत इस में देना ही मेरा लक्ष्य है.’’ जोनिता डोडा यह भी कहती हैं कि रिव्यू पढ़ कर फिल्म के बारे में राय न बनाएं, बल्कि खुद उसे देखने के बाद निर्णय लें, क्योंकि एक फिल्म को बनाने में बहुत लोगों की मेहनत लगी होती है. इन दिनों जोनिता एक मलयालम फिल्म और एक पंजाबी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं.

बच्चों को जंक फूड से बचाएं घर में ये बनाएं

बर्गर, पिज्जा, हौटडौग, नूडल्स, पास्ता, चिप्स इत्यादि खाद्यपदार्थ बच्चों को काफी पसंद आते हैं. मगर चिकित्सकों का कहना है कि इन चीजों को खाने से बच्चों के शरीर को पौष्टिकता नहीं मिलती, उलटे जंक फूड में फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर में कोलैस्ट्रौल बढ़ाती है. इन चीजों के अत्यधिक सेवन से बच्चे मोटापे, डायबिटीज, हाई ब्लडप्रैशर, दिल व लिवर की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

आइए, जानें कि किस तरह हर मां अपने बच्चों को घर में उन की पसंद के टेस्ट की संतुष्टि करा सकती है:

बच्चों को चाउमिन, पास्ता, नूडल्स आदि बहुत पसंद आते हैं. अत: आटा नूडल्स या फिर मल्टीग्रेन आदि ही खरीदें. इन में रंगबिरंगी खूब सारी सब्जियां जैसे ब्रोकली, गाजर, मटर, हरी, पीली व लाल शिमलामिर्च, टमाटर आदि हैंड चौपर से काट कर डालें ताकि जो सब्जी बच्चों को पसंद न हो उस का उन्हें पता न चले. नूडल्स, पास्ता आदि कम रखें और सब्जियां ज्यादा. पास्ता में टमाटर के साथ कुछ सब्जियां पीस कर पेस्ट बना लें, फिर पकाएं. बच्चे चाव से खाएंगे.

2-3 फलों को मिक्स कर के उन का जूस निकाल कर बच्चों को पिलाएं. बच्चे अकसर पालक नहीं खाते पर यदि उस की प्यूरी में जलजीरा पाउडर, नमक, जीरा व नीबू का डाल कर कूलकूल ड्रिंक बच्चों को दिया जाए तो वे उसे मजे से पीएंगे. आम, केला, चीकू तो बच्चों के मनपसंद फल होते हैं. इन्हें दूध के साथ मिक्स कर के शेक बना कर बच्चों को दें.

गरमी के मौसम में बच्चों को आइसक्रीम, कुल्फी बहुत पसंद आती है. अत: खूब सारे फलों को चौपर से बारीकबारीक काटें. दूध के साथ केला या आम डाल कर शेक बनाएं. उस में सारे फल व मेवा डाल कर आइसक्रीम या कुल्फी जमाएं और फिर बच्चों को खिलाएं.

सैंडविच भी बच्चों को अच्छे लगते हैं खासकर आलू या पनीर के. उस में तीनों प्रकार की शिमलामिर्च बारीक काट कर मिलाएं व फिर सेंकें. इस से पौष्टिकता बढ़ जाएगी.

बच्चों को जो रोटी खिलाएं उस के आटे में सब्जी प्यूरी मिलाएं, अन्य आटे जैसे मूंगदाल आटा, जौ का आटा, रागी का आटा आदि मिक्स करें. इस से बनाई गई रोटियां स्वादिष्ठ व पौष्टिक होंगी और बच्चे भी चाव से खाएंगे.

बच्चों को पौपकौर्न बहुत पसंद होते हैं. अत: घर में बनाएं सादे साल्टेड पौपकौर्न.

फ्रोजन सब्जियां व कौर्न का प्रयोग कर के कटलेट, बर्गर बनाएं. बस डीप फ्राई करने के बजाय शैलो फ्राई करें. बर्गर में टमाटर, प्याज, पनीर, सलादपत्ता आदि लगाएं ताकि देखने में आकर्षक लगे व खाने में पौष्टिक.

राजमा, सूखे सफेद मटर, लोबिया, चना आदि को उबाल कर थोड़े से आलू या कटी सब्जियों के साथ मिक्स कर के हौटडौग में भरें. देखने में आकर्षक और खाने में स्वादिष्ठ लगेगा.

पिज्जा बेस आटे वाला बाजार में उपलब्ध है. उस का प्रयोग करें पर बनाएं घर में.

ब्राउन राइस को उबाल कर चटपटी भेल चाट बनाएं. यकीनन बच्चों को खूब पसंद आएगी.

बच्चों को गरमी के मौसम में बर्फीली चुसकी बहुत अच्छी लगती है. तरबूज, स्ट्राबैरीक्रश, खरबूजा व खस शरबत की चुसकी जमाएं. उस में स्टिक लगा दें. जमने के बाद बच्चों को चूसने में बड़ा मजा आएगा.

फलों को काट कर कस्टर्ड में मिला कर बच्चों को दें.

हरी पत्तेदार सब्जियों की प्यूरी बनाएं और उसे आटे में मांड कर हरी, लाल, पीली रोटी या परांठे बनाएं.

बच्चों को चिप्स भी बहुत अच्छे लगते हैं. आलू के चिप्स शैलो फ्राई करें. बहुत कम फैट में चिप्स तैयार हो जाएंगे. एक छोटे चम्मच तेल में 100 ग्राम मूंगफली आराम से तली जा सकती है.

बच्चों को ओट्स वाला परांठा दें. वे ओट्स खाना पसंद नहीं करते. अत: ओट्स को पीस कर पाउडर बना लें और आटे में गूंध कर परांठे बनाएं. परांठे टेस्टीटेस्टी व पौष्टिक होंगे.

अजय के घर आई नन्ही परी

अजय और ज्योति मक्कड़ के घर एक नन्ही  परी ने जन्म लिया है. टीवी ऐक्टरअजय सिंह चौधरी ने 2013 में ऐक्ट्रैस ज्योति से शादी की और अब एक बेटी के पापा बन गए हैं. अजय ने बताया कि उन की बेटी का जन्म लास एंजिल्स में हुआ, क्योंकि ज्योति की फैमिली वहीं रहती है. हम चाहते थे कि उस का नाम हम दोनों के नाम को मिला कर रखा जाए, इसलिए हम ने बेटी का नाम जियाना रख दिया, जिस का मतलब होता है हमारे दिल का मोती. 

हब्बी की फिल्म है तो करनी ही पड़ेगी

छोटे परदे की अदाकारा श्वेता तिवारी जल्द ही अपने पति अभिनव कोहली के साथ फिल्म ‘सिक्स एक्स’ में नजर आएंगी. इस फिल्म में ऐक्ट्रैस का डुप्लीकेट बनना भी उन्होंने स्वीकार लिया है. इस का कारण यह है कि इस फिल्म की कोस्टार मल्लिका राजपूत बीच में ही शूटिंग छोड़ कर मुंबई चली गई थीं.

उपेन ने दी प्यार की परीक्षा

बिग बौस 8’ के हौट कपल करिश्मा तन्ना और उपेन पटेल के रोमांस व अलगाव की कई सारी खबरें आती रहती हैं. पर एक घटना ने यह साबित कर दिया कि उपेन आज भी करिश्मा के लिए कुछ भी कर सकते हैं. हुआ यह कि गोरेगांव स्टूडियो से मड आईलैंड के रास्ते में जाते हुए उन का ड्राइवर कार का संतुलन खो बैठा जिस में करिश्मा और उपेन बैठे थे. इसी दौरान ड्राइवर के बगल में बैठे उपेन ने स्टेयरिंग को थाम लिया, जिस की वजह से जानलेवा हादसा होतेहोते टल गया.

छा गईं दिव्यांका

पैर में फ्रैक्चर होने के बावजूद भी दिव्यांका त्रिपाठी स्टार परिवार अवार्ड्स समारोह में छाई रहीं. मुंबई के नैशनल स्पोर्ट्स क्लब औफ इंडिया के एसवीपी औडिटोरियम में हुए अवार्ड समारोह में दिव्यांका और करण ने 3 अवार्ड्स, जो बैस्ट डिजिटल सदस्य, बैस्ट जोड़ी और बैस्ट इंटरनैशनल जोड़ी के थे, अपने नाम किए. वहीं इसी शो में इशिता की क्यूट सी बेटी रूही का किरदार निभाने वाली रुहानिका धवन को सब से छोटे सदस्य का अवार्ड मिला. समारोह में दिव्यांका की कीमती ज्वैलरी भी गायब हो गई थी, जिस की वजह से वे परेशान तो दिखीं पर अपनी परफौर्मैंस के दौरान उन्होंने इसे जाहिर नहीं होने दिया.

छोटे परदे से कभी मन नहीं भरा

‘लव ने मिला दी जोड़ी’ और ‘एक हजारों में मेरी बहना है’ जैसे टैलीविजन धारावाहिकों से चर्चित हुए अभिनेता करण टैकर का मानना है कि वे टैलीविजन से ऊबे नहीं हैं, लेकिन छोटे परदे पर कुछ अलग भूमिकाएं अदा करना चाहते हैं. करण ने एक शो के दौरान संवाददाताओं से कहा कि मनोरंजन जगत में मेरी ऐंट्री टैलीविजन से ही हुई है. मैं आज जो कुछ हूं, टैलीविजन की बदौलत ही हूं. लिहाजा मैं टैलीविजन से ऊब कैसे सकता हूं. लेकिन अब मैं चाहता हूं कि कुछ, अलग तरह की भूमिकाएं करूं. क्योंकि अगर आप अलगअलग भूमिकाएं निभाते हैं, तो बतौर अदाकार लंबे वक्त तक लोगों के जेहन में बने रहते हैं.

ऋचा का जलवा

ऋचा चड्ढा और संजय मिश्रा की फिल्म ‘मसान’ ने 68वें कांस इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल में 2 अवार्ड जीते हैं. इस फिल्म को प्रौमिसिंग फ्यूचर प्राइज और इंटरनैशनल फैडरेशन औफ फिल्म्स क्रिटिक्स अवार्ड दिया गया है. फिल्म के निर्देशक नीरज घेवन के अनुसार, कांस में अवार्ड मिलना उन के किसी सपने के सच होने जैसा है. फिल्म में 4 लोगों के जीवन को दर्शाया गया है और यह दिखाया गया है कि किस तरह जिंदगी की उठापटक में वे अपनी नैतिकता को बचाए रखते हैं. यह फिल्म 24 जुलाई को रिलीज होगी.

कौमेडी में फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल मैं नहीं करती : सुगंधा मिश्रा

रेडियो जौकी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली कौमेडियन सुगंधा मिश्रा पंजाब के जालंधर की हैं. बचपन से ही उन्हें संगीत का माहौल मिला. उन्होंने अपने दादा पं. शंकर लाल मिश्रा से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली. वैसे 2 साल की उम्र से ही उन्होंने स्टेज पर परफौर्म करना शुरू कर दिया था. बाद में रेडियो जौकी रहते हुए ही उन्हें औडिशन के जरीए ‘लाफ्टर चैलेंज’ के लिए चुना गया. फिर वे ‘सारेगामापा’ की रनरअप बनीं, तो कई फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग करने के साथसाथ टीवी शोज में ऐक्टिंग, ऐंकरिंग आदि सब कुछ किया. इस समय सुगंधा सब टीवी पर ‘हंसी ही हंसी… मिल तो ले’ हास्य धारावाहिक में स्टैंडअप कौमेडियन की भूमिका निभा रही हैं, जिस का हर ऐपिसोड में अलग अंदाज होगा.

सुगंधा से मिल कर बात करना रोचक था. पेश हैं बातचीत के खास अंश:

यहां तक पहुंचने में संघर्ष कितना था?

मैं ने अधिक संघर्ष नहीं किया. मुझे अपने परिवार में गुरु मिले, तो मैं ने उन से कई साल शास्त्रीय संगीत सीख कर अपनी नींव मजबूत की. मैं इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाली अपने परिवार की चौथी पीढ़ी की हूं और मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे गुरु के रूप में दादाजी जैसे महान कलाकार मिले. इस के अलावा परिवार का बहुत सहयोग रहा, जिस में खासकर मेरी मां, हमेशा मेरे साथ रहीं. इस के बाद कपिल शर्मा का सहयोग रहा जिस की वजह से मैं मुंबई आ पाई. संघर्ष तो हमेशा अच्छा काम करने का रहा.

कौमेडी का सफर कैसे शुरू हुआ?

वैसे मैं गायिका हूं लेकिन मिमिक्री करने में मुझे मजा आता था. लेकिन तब मैं ने सोचा नहीं था कि यह मेरा पेशा बनेगा. जब पंजाब में लाफ्टर चैलेंज के लिए मैं चुन ली गई, तभी से मेरा सफर शुरू हो गया.

कौमेडी करते वक्त किस बात का खास ध्यान रखती हैं?

कौमेडी में फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल मैं नहीं करती. लोग डबल मीनिंग वाली कौमेडी पसंद करते हैं पर मैं ने जब भी इस तरह के औफर आए मना कर दिया. मुझे अच्छा तब लगता है जब लोग कहते हैं कि आप की कौमेडी कोे पूरे परिवार के साथ बैठ कर देखा जा सकता है. महिला होने के नाते भी मैं साफसुथरी कौमेडी कर लोगों को हंसाना चाहती हूं.

आगे और क्या करने वाली हैं?

मैं संगीत को आगे लाना चाहती हूं. इस के अलावा फिल्मों में काम करने वाली हूं. बोल्ड चरित्र मैं नहीं कर सकती, इसलिए अच्छे रोल की तलाश में रहती हूं. टीवी पर कई शो कर रही हूं. आगे भी अभिनय के क्षेत्र में आने वाली हूं.

आप के जीवन की खट्टीमीठी बातें कौन सी हैं?

सारेगामापा की रनरअप बनने के बाद मुझे दिलीप कुमार के घर पर उन के 90वें जन्मदिन के अवसर पर सायरा बानो द्वारा बुलाया जाना मेरे लिए बहुत खास रहा. मैं ने वहां पर टप्पा गाया, जो मुश्किल शैली थी. पर सभी को बहुत पसंद आया. खासकर सायरा बानो ने मेरी बहुत तारीफ की, जो बड़ी बात थी.

आप अपनेआप में परफौर्मैंसवाइज कितना सुधार पाती हैं यानी पहले की तुलना में आप कितनी बदल चुकी हैं?

मेरी परफौर्मैंस पहले से काफी सुधरी है. पहले कमियां बहुत थीं. लेकिन मैं अपनी परफौर्मैंस को हमेशा देखती थी और अपनी कमियों को सुधारती थी. मेरी प्रतियोगिता अपनेआप से ही रहती है.

काम के अलावा आप और किस बात की शौकीन हैं?

मुझे शौपिंग बहुत पसंद है, क्योंकि मैं हर तरह के कपड़े पहनने की बड़ी शौकीन हूं. इसीलिए ब्रैंडेड कपड़ों की शौपिंग हो या स्ट्रीट शौपिंग, सब करना पसंद करती हूं. मैं मूड के हिसाब से कपड़े पहनती हूं और मुझे घर का खाना पसंद है.

रेखा ने फिल्म क्यों छोड़ी

सुनने में बड़ा अजीब लगता है पर यह सच है कि  सदाबहार हरदिल अजीज अदाकारा रेखा के भी नखरे हैं, जिन्होंने निर्देशक अभिषेक कपूर की फिल्म ‘फितूर’ को छोड़ दिया है. यह फिल्म चार्ल्स डिकैंस के उपन्यास ‘ग्रेट ऐक्सपैक्टेशंस’ का बौलीवुड रूपांतरण है. रेखा को इस में मिस हैविशम का किरदार अदा करने को दिया गया था. माना जा रहा है कि वे फिल्म में अपने किरदार को ले कर खुश नहीं थीं, लेकिन यह बात साफ नहीं हो पा रही है कि जब फिल्म की काफी शूटिंग हो चुकी है तब उन्होंने फिल्म छोड़ने का मन क्यों बनाया? वजह के बारे में रेखा ने कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन इस फिल्म में अब रेखा की जगह तब्बू काम कर रही हैं. 

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