कौमेडी में फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल मैं नहीं करती : सुगंधा मिश्रा

रेडियो जौकी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली कौमेडियन सुगंधा मिश्रा पंजाब के जालंधर की हैं. बचपन से ही उन्हें संगीत का माहौल मिला. उन्होंने अपने दादा पं. शंकर लाल मिश्रा से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली. वैसे 2 साल की उम्र से ही उन्होंने स्टेज पर परफौर्म करना शुरू कर दिया था. बाद में रेडियो जौकी रहते हुए ही उन्हें औडिशन के जरीए ‘लाफ्टर चैलेंज’ के लिए चुना गया. फिर वे ‘सारेगामापा’ की रनरअप बनीं, तो कई फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग करने के साथसाथ टीवी शोज में ऐक्टिंग, ऐंकरिंग आदि सब कुछ किया. इस समय सुगंधा सब टीवी पर ‘हंसी ही हंसी… मिल तो ले’ हास्य धारावाहिक में स्टैंडअप कौमेडियन की भूमिका निभा रही हैं, जिस का हर ऐपिसोड में अलग अंदाज होगा.

सुगंधा से मिल कर बात करना रोचक था. पेश हैं बातचीत के खास अंश:

यहां तक पहुंचने में संघर्ष कितना था?

मैं ने अधिक संघर्ष नहीं किया. मुझे अपने परिवार में गुरु मिले, तो मैं ने उन से कई साल शास्त्रीय संगीत सीख कर अपनी नींव मजबूत की. मैं इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाली अपने परिवार की चौथी पीढ़ी की हूं और मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे गुरु के रूप में दादाजी जैसे महान कलाकार मिले. इस के अलावा परिवार का बहुत सहयोग रहा, जिस में खासकर मेरी मां, हमेशा मेरे साथ रहीं. इस के बाद कपिल शर्मा का सहयोग रहा जिस की वजह से मैं मुंबई आ पाई. संघर्ष तो हमेशा अच्छा काम करने का रहा.

कौमेडी का सफर कैसे शुरू हुआ?

वैसे मैं गायिका हूं लेकिन मिमिक्री करने में मुझे मजा आता था. लेकिन तब मैं ने सोचा नहीं था कि यह मेरा पेशा बनेगा. जब पंजाब में लाफ्टर चैलेंज के लिए मैं चुन ली गई, तभी से मेरा सफर शुरू हो गया.

कौमेडी करते वक्त किस बात का खास ध्यान रखती हैं?

कौमेडी में फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल मैं नहीं करती. लोग डबल मीनिंग वाली कौमेडी पसंद करते हैं पर मैं ने जब भी इस तरह के औफर आए मना कर दिया. मुझे अच्छा तब लगता है जब लोग कहते हैं कि आप की कौमेडी कोे पूरे परिवार के साथ बैठ कर देखा जा सकता है. महिला होने के नाते भी मैं साफसुथरी कौमेडी कर लोगों को हंसाना चाहती हूं.

आगे और क्या करने वाली हैं?

मैं संगीत को आगे लाना चाहती हूं. इस के अलावा फिल्मों में काम करने वाली हूं. बोल्ड चरित्र मैं नहीं कर सकती, इसलिए अच्छे रोल की तलाश में रहती हूं. टीवी पर कई शो कर रही हूं. आगे भी अभिनय के क्षेत्र में आने वाली हूं.

आप के जीवन की खट्टीमीठी बातें कौन सी हैं?

सारेगामापा की रनरअप बनने के बाद मुझे दिलीप कुमार के घर पर उन के 90वें जन्मदिन के अवसर पर सायरा बानो द्वारा बुलाया जाना मेरे लिए बहुत खास रहा. मैं ने वहां पर टप्पा गाया, जो मुश्किल शैली थी. पर सभी को बहुत पसंद आया. खासकर सायरा बानो ने मेरी बहुत तारीफ की, जो बड़ी बात थी.

आप अपनेआप में परफौर्मैंसवाइज कितना सुधार पाती हैं यानी पहले की तुलना में आप कितनी बदल चुकी हैं?

मेरी परफौर्मैंस पहले से काफी सुधरी है. पहले कमियां बहुत थीं. लेकिन मैं अपनी परफौर्मैंस को हमेशा देखती थी और अपनी कमियों को सुधारती थी. मेरी प्रतियोगिता अपनेआप से ही रहती है.

काम के अलावा आप और किस बात की शौकीन हैं?

मुझे शौपिंग बहुत पसंद है, क्योंकि मैं हर तरह के कपड़े पहनने की बड़ी शौकीन हूं. इसीलिए ब्रैंडेड कपड़ों की शौपिंग हो या स्ट्रीट शौपिंग, सब करना पसंद करती हूं. मैं मूड के हिसाब से कपड़े पहनती हूं और मुझे घर का खाना पसंद है.

रेखा ने फिल्म क्यों छोड़ी

सुनने में बड़ा अजीब लगता है पर यह सच है कि  सदाबहार हरदिल अजीज अदाकारा रेखा के भी नखरे हैं, जिन्होंने निर्देशक अभिषेक कपूर की फिल्म ‘फितूर’ को छोड़ दिया है. यह फिल्म चार्ल्स डिकैंस के उपन्यास ‘ग्रेट ऐक्सपैक्टेशंस’ का बौलीवुड रूपांतरण है. रेखा को इस में मिस हैविशम का किरदार अदा करने को दिया गया था. माना जा रहा है कि वे फिल्म में अपने किरदार को ले कर खुश नहीं थीं, लेकिन यह बात साफ नहीं हो पा रही है कि जब फिल्म की काफी शूटिंग हो चुकी है तब उन्होंने फिल्म छोड़ने का मन क्यों बनाया? वजह के बारे में रेखा ने कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन इस फिल्म में अब रेखा की जगह तब्बू काम कर रही हैं. 

मैं ने बहुत संघर्ष किया है

धारावाहिक ‘रजिया सुल्तान’ में सुलतान के बेटे का किरदार निभा रहे अंकित अरोड़ा ने बड़े संघर्ष और मेहनत के बाद यह मुकाम पाया है. अंकित ने बताया, ‘‘मुझे घर से कोई सपोर्ट नहीं मिला क्योंकि पापामम्मी 2005 में ही नैनीताल में अपना घर और अपना सब कुछ खो चुके थे. उन की एकमात्र आशा केवल मैं ही हूं. मुझे ही अपने मांबाप के सपने पूरे करने हैं. ‘‘मैं काफी कम उम्र में काम की तलाश में मुंबई आ गया था, लेकिन मुझे वापस घर लौटना पड़ा क्योंकि मेरे पिता को बिजनैस में काफी बड़ा लौस सहना पड़ा था. उस वक्त दूरदराज के रिश्तेदारों से ले कर करीबी दोस्तों तक ने हमें अपने से अलग कर दिया था. मैं ने गुजरबसर के लिए आगरा में अखबार तक बेचने का काम किया है.

मैजिक फ्रोजन स्मूदी

सामग्री

1 बड़ा चम्मच ओट्स

1 बड़ा चम्मच अलसी के बीज

6-7 बादाम

1/2 कप फ्रोजन दूध

1/2 फ्रोजन केला 

2 बड़े चम्मच पाइनऐप्पल क्रश

3 बड़े चम्मच दही.

ओट्स, बादाम और अलसी के बीजों का ग्राइंडर में पाउडर बना लें. अब जार में दूध, केला, दही और पाइनऐप्पल डाल कर चला लें. तुरंत गिलास में डाल कर ठंडाठंडा सर्व करें.

कैटरीना बनीं पत्रकार

फिल्म इंडस्ट्री में आजकल मीडिया पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. तभी तो फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ में फरहान अख्तर के पत्रकार बनने के बाद अब कैटरीना कैफ अपनी आने वाली फिल्म ‘जग्गा जासूस’ में पत्रकार की भूमिका में दिखेंगी. इस फिल्म के नाम से ही लगता है कि यह एक जासूसी फिल्म होगी, जिस में कैट के रीयल लाइफ बौयफ्रैंड रणबीर कपूर जासूस का रोल प्ले कर रहे हैं. इस फिल्म की पूरी शूटिंग साउथ अफ्रीका के केपटाउन में हुई है. फिल्म में दिखाया जाएगा कि रणबीर अपने पिता की तलाश में हैं और इस दौरान उन को कैटरीना से प्यार हो जाता है. फिल्म अगले साल जून तक सिनेमाघरों में आएगी.

50 गार्ड्स द्वारा सुरक्षा

यह सुरक्षा जंगल के राजा के लिए नहीं है. ये गार्ड्स तो बौलीवुड के उभरते सितारे टाइगर श्रौफ की सुरक्षा में रखे गए हैं. टाइगर श्रद्धा कपूर के साथ फिल्म ‘बागी’ की शूटिंग कर रहे हैं और फिल्म के निर्मातानिर्देशक साजिद नाडियाडवाला और शब्बीर खान टाइगर के लुक को अभी सीक्रेट रखना चाहते हैं, इसलिए इतनी सुरक्षा की गई है.  साजिद और शब्बीर के साथ टाइगर की यह दूसरी फिल्म है. इस से पहले यह तिकड़ी फिल्म ‘हीरोपंती’ में धूम मचा चुकी है. 1990 में ‘बागी’ नाम की ही सलमान खान और नगमा की फिल्म आ चुकी है, जिस ने अच्छाखासा बिजनैस किया था. अब टाइगर की ‘बागी’ क्या कमाल दिखाएगी यह तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा

सब को अपनी राय रखने का हक है

सासबहू धारावाहिकों में औरतों के ये वाक्य अकसर सुनने को मिल जाएंगे- ‘मैं तो सच कहती हूं’, ‘अजी सांच को आंच कहां’, ‘मेरी बात बुरी लगे पर है तो सच न’, ‘मैं तो कभी किसी की बुराई करती ही नहीं’, ‘कसम दिला जो अगर मैं ने किसी को बुरा कहा पर…’ यानी कहने वाली गलत हो ही नहीं सकती. स्मृति ईरानी इस तरह के वाक्य एकता कपूर के सैटों से शास्त्री भवन तक ले आई हैं जहां वे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री हैं और कक्षा 12वीं पास के अपने तमगे को छिपाने के लिए आईआईटीयों और आईआईएमों पर सासों की तरह युवा, शिक्षित, तेज, स्मार्ट बहुओं पर अपनी श्रेष्ठता साबित करने में लगी रहती हैं.

ताजा विवाद आईआईटी मद्रास का है, जहां के कुछ छात्रों ने अंबेडकर पैरीयर स्टडी ग्रुप बना कर मोदी सरकार के भगवाईकरण पर टीकाटिप्पणी कर डाली थी. किसी भक्त की शिकायत पर स्मृति ईरानी ने सास की तरह फरमान सुना दिया कि बहू इस घर के कायदेकानून से चलो. हंगामा होते ही स्मृति ईरानी ने बहू वाला पैतरा अपना लिया. ‘मैं तो सीधी बात करने वाली हूं’, ‘मैं तो सिस्टम बदलना चाहती हूं’, ‘दूसरे अपना लाभ इस हंगामे में ढूंढ़ रहे हैं’, ‘मैं तो खाना… माफ कीजिए… किताबें औनलाइन करा रही हूं ताकि सब को मिल सकें’ (और उस बहाने हरदम चैटिंग करते रहें या पौर्न देखते रहें), ‘मैं तो ओछी बातों से ऊपर वाली हूं’ जैसे वाक्य मामले की सफाई देने के लिए निकल पड़े मानों धारावाही से उठाए गए हों.

मामला गंभीर इसलिए है कि शिक्षा मंत्रालय को गुमनाम पत्र पर कोई काररवाई करने का हक था ही नहीं. क्या शिक्षा मंत्रालय हर गुमनाम पत्र पर इस तरह की काररवाई करता है? तब तो हर प्रिंसिपल, हर विश्वविद्यालय, हर कालेज, हर स्कूल हर रोज बीसियों चिट्ठियां स्मृति ईरानी से पा लेगा. यह मामला शिक्षा मंत्रालय ने उठाया ही इसलिए कि अंबेडकर पैरीयर स्टडी सर्कल ने नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया था और स्मृति ईरानी के लिए कोई भी स्मृति, कोई भी देवता, कोई भी भगवा ग्रंथ, कोई भी भाजपाई नेता गलत नहीं हो सकता. नरेंद्र मोदी की आलोचना उन संस्थानों में हो जो सरकारी पैसे पर पल रहे हों, यह कैसे पचाया जा सकता है.

स्मृति ईरानी को अपने को शिक्षा मंत्री के सांचे में ढालने में कठिनाई हो रही है. शिक्षा मंत्री का उद्देश्य नए विचारों, क्रांतिकारी सोच व अलग रास्तों की खोज की स्वतंत्रता देना है, कम्यूनिस्टी या तालिबानी राज स्थापित करना नहीं, जहां तानाशाह या ईश्वर का एजेंट ही सब कुछ हो. सासबहू वाले घर में अब न ससुर की चलती है, न बड़ी आपा की. सब को अपनी राय रखने का हक है.

कैसी हो समर वार्डरोब

गरमी के मौसम में भारीभरकम कपड़ों की जगह हलकेफुलके कपड़ों की जरूरत महसूस होने लगती है ताकि आप के तन को ठंडक भी मिलती रहे और आप फैशनेबल व स्टाइलिश भी नजर आएं. जाहिर सी बात है कि इस के लिए आप को गरमी से मुकाबला करने के लिए गरमी शुरू होने से पहले ही अपने वार्डरोब में ऐसे कपड़ों को तरजीह देनी होगी जो गरमी में आप की सभी जरूरतों को पूरा कर सकें.

आइए, जानते हैं कि इस बार के समर सीजन के फैशन में क्या नयाताजा रहेगा.

फैब्रिक ट्रैंड

इस बार के समर सीजन में रयान, क्रेप, पौली क्रेप, कौटन, सिल्क कौटन, मलमल, जौर्जेट, खादी, लिनेन जैसे हलके कपड़ों का जलवा रहेगा. वजन में हलका होने के साथसाथ इन में हवा भी आसानी से पास हो जाती है. साथ ही इन्हें कैरी और मैंटेन करना भी आसान होता है.

रंगों की पिचकारी

गरमी में वैसे तो लाइट कलर ही आमतौर पर पसंद किए जाते हैं, लेकिन आजकल निओन कलर सभी की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. इन के अलावा यलो, पिंक, ग्रीन, औरेंज, पर्पल, ग्रे, रस्ट, ब्लू, नेवी ब्लू, क्रीम, व्हाइट, ब्राउन, वेज, पीच कलर भी इस बार अपना जादू खूब बिखेरेंगे.

प्रिंट

फ्लौवर प्रिंट्स खूब देखने को मिलेंगे. ये छोटेबड़े सभी साइजों में होंगे. लेकिन इन का चुनाव आप अपनी बौडी साइज को ध्यान में रख कर करें. जहां हैल्दी लड़कियों पर छोटे प्रिंट्स अच्छे लगते हैं वहीं अधिक ब्राइट और बड़े प्रिंट्स मोटापे को और उभारते हैं. अगर आप की बौडी स्लिमट्रिम है, तो बड़े साइज की फूलपत्तियों वाले प्रिंट्स आप की पर्सनैलिटी को और उभारेंगे. इस के अलावा ऐनिमल प्रिंट्स, ब्लैक ऐंड व्हाइट प्रिंट्स व कढ़ाई भी आउटफिट पर देखने को मिलेगी. ब्लौक प्रिंट्स भी इन रहेंगे.

डिजाइन

हमेशा की तरह इस बार भी कुरतियों व कुरतों के डिजाइनों में चेंज देखने को मिलेगा.

स्लीव: इस बार कैप स्लीव, मेगा स्लीव व थ्रीफोर्थ स्लीव का जादू छाया रहेगा. शौर्ट स्लीव व फुललैंथ स्लीव कम ही देखने को मिलेगी.

लैंथ: जहां तक आउटफिट की लैंथ की बात है, तो नीलैंथ इन रहेगी. फुललैंथ व थर्डलैंथ भी होंगी पर कम.

नैक: राउंड नैक काफी हिट रहेगी. इस के अलावा स्काइवर, वी, क्रू नैक भी छाई रहेगी.

ऐवरग्रीन फैशन

यह सच है कि हर सीजन में कुछ नया फैशन आता रहता है तो कुछ पुराना जाता रहता है, बावजूद इस के कुछ फैशन सदा बरकरार रहता है. समर फैशन में हौट दिखने के लिए आप ऐनिमल प्रिंट्स जैसे टाइगर, जेब्रा आदि व पोल्का डौट को अपने वार्डरोब का हिस्सा जरूर बनाएं. ये प्रिंट्स आप को रिच लुक के साथसाथ ऐलिगैंट लुक भी देंगे. इसी तरह कौटन फैब्रिक हमेशा ऐवरग्रीन रहता है. अगर आप वर्किंग हैं तो कोशिश करें कि रिंकल रिसिस्टैंट कौटन खरीदें. यदि आप ट्रैडिशनल कपड़ों की शौकीन हैं, तो समर फैब्रिक में कांथा वर्क, लखनवी चिकनकारी, कलमकारी, पैच वर्क, नीडल वर्क, मिरर वर्क आदि अपनाएं. इस बात का ध्यान रखें कि अमूमन समर कपड़ों की उम्र ज्यादा नहीं होती है. ऐसे में कपड़ों के कलर फेड होने व उन के घिसने के बाद भी उन्हें पहनने का मोह न पालें.

यह फैशन भी रहेगा हौट

कफतान लुक वाले कुरते.

ब्रिक डिजाइन वाली सैटल लेस.

डीप नैकलाइन आउट रहेगी और कौलर वाली नैकलाइन इन रहेगी.

हैरम और प्लाजो पैंटें इन रहेंगी.

डैनिम जींस की जगह प्रिंटेड लाइक्रा जींस ट्रैंड में रहेगी.

निऔन शेड में जंप सूट और कैप्रीज इन रहेंगी.

घेरदार धोती सलवार के साथ यू शेप का शौर्ट कुरता इन रहेगा.

कैप्रीज और शौर्ट स्कर्ट का जादू चलेगा.

हर सीजन की तरह इस बार भी ग्रैफिटी व प्रिंटेड टीशर्ट यंग जैनरेशन की पसंद बनी रहेगी.

इंडियन प्रिंट्स के साथ घाघरा स्कर्ट भी युवतियों की पसंद होगी.

दुपट्टे की जगह स्टोल व स्कार्फ कैरी करें.

मिक्स मैच का जादू पिछले सीजन की तरह ही हिट रहेगा.

ऐक्सैसरीज में आप फ्लोेरल प्रिंट वाले सनग्लासेज, प्ले निऔन कलर वाले रबड़बैंड, वुडन ज्वैलरी, कोल्हापुरी व फ्लैट चप्पलें, डैनिम व जूट से बने बैग कैरी कर सकती हैं.

– फैशन डिजाइनर गौतम गुप्ता से सीमा झा द्वारा बातचीत पर आधारित

समर ब्यूटी ट्रैंड 2015

आप गरमियों में भी स्टाइलिश दिखें, इस के लिए मेकअप के दौरान किन बातों का ध्यान रखें यह जानना जरूरी है. इस बार के समर ब्यूटी ट्रैंड में क्याक्या खास बातें हैं, आइए जानते हैं:

पंक्चुएटेड रैड लिप्स: अपने होंठों को पूरी तरह क्लासिक बोल्ड लुक देने के बजाय होंठों के बीच कोई रंग लगाएं और किनारों की तरफ उसे हलका रखें. रंग थोड़ा धब्बे जैसा और गरमी में बहुत कोमल लगे, इस के लिए लिप लाइन को हलका रखें.

कैट फ्लिक आईलाइनर: हर किसी के लिए आंखों का मेकअप बेहद महत्त्वपूर्ण होता है. अगर आप को बहुत हलका मेकअप पसंद है तो इस गरमी के मौसम में आईलाइनर की मोटी लकीर के बजाय आंखों की बाहरी ओर उसे हलका सा फ्लिक दें. यह करना बहुत ही आसान है और इस में बहुत समय भी नहीं लगता है. गरमी के दिनों में इस से बेहतर कुछ नहीं हो सकता.

अगर आप को लगता है कि काला आईलाइनर अब बोरिंग हो चुका है और आप अन्य रंग का आईलाइनर प्रयोग करना चाहती हैं, तो उस फ्लिक को पीले, हरे या फिर ब्रिक रैड रंग के आईशैडो से रंगें. इस के लिए आईलाइनर या ऐंग्यूलर ब्रश को गीला कर सकती हैं और फ्लिक बनाने के लिए कलर्ड आईशैडो का इस्तेमाल करें.

दमकती त्वचा के लिए: खामीरहित त्वचा और न्यूनतम मेकअप ही गरमी के इस मौसम में सभी का पसंदीदा लुक होता है. चेहरे व गरदन पर सनब्लौक लगाने के बाद रंगीन मौइश्चराइजर या फिर 1 बूंद फाउंडेशन का प्रयोग करें. तरोताजा और दमकती त्वचा के लिए इल्युमिनेटर भी लगा सकती हैं. इस के साथ न्यूड पिंक आईशैडो और वाटरपू्रफ मसकारा लगाएं. इस लुक के लिए होंठों पर कुछ न लगाएं.

ताकि खिल उठे त्वचा: गरमी के इस मौसम में आंखों और नाखूनों पर लाइलैक और लैवेंडर के टोन बेहद पसंद किए जा रहे हैं. इस से चेहरे पर पेस्टल रंगों की झलक दिखती है और बाकी का काम रंग अपनेआप कर देते हैं.

अपने गालों को उभारें. त्वचा पर रैस्पबेरी टोन ब्लश का प्रयोग करने से गरमी के मौसम में भी त्वचा खिल उठती है.

जूड़ा हेयरस्टाइल: जूड़ा एक ऐसा हेयरस्टाइल है, जो बेहद लोकप्रिय है और बनाने में भी बहुत आसान होता है. गरमी से बचने के लिए यह बनाया जा सकता है और इसे संभालना भी मुश्किल नहीं है. नीचा जूड़ा बनाने की कोई खास तकनीक नहीं है. बालों को मोड़ और घुमा कर अपना स्टाइल बना सकती हैं. कोशिश करें कि हर बार यह अलग हो ताकि आप गरमियों में भी स्टाइलिश दिखें.

स्टाइलिश बौब हेयरस्टाइल: यह हेयरस्टाइल सभी बालों पर अच्छा लगता है. गरमी के सीजन में छोटे हेयरस्टाइल्स काफी लोकप्रिय होते हैं. उन्हें बहुत अधिक रखरखाव की भी जरूरत नहीं पड़ती है. जो भी परिधान पहनें वे उस के साथ बहुत स्टाइलिश लगते हैं. आप अपने बाल सीधे, घुंघराले और बिना कंघी किए भी छोड़ सकती हैं क्योंकि इस हेयरस्टाइल में आप हमेशा तैयार दिखती हैं.

वैंपी लिप्स: गरमियों की शाम के लिए आईलाइनर और मसकारे की मदद से आंखों का डार्क मेकअप करें और होंठों पर बरगंडी, औक्सब्लड और प्लम शेड की लिपस्टिक लगाएं. इस में मेकअप नहीं के बराबर होता है. लेकिन यह स्टेटमैंट लुक है.

बबलगम लिप्स: अगर आप को गहरे रंग के होंठ पसंद नहीं हैं, तो इस मौसम में तरोताजा दिखने के लिए कैंडी शेड्स में गुलाबी रंग अपनाएं.

मार्शल है इस सीजन का रंग: यह गहरा लाल रंग होता है और इस की नेलपौलिश या लिपस्टिक का प्रयोग इस सीजन में बेहद चलन में रहेगा.

– आकृति कोचर ब्यूटी एवं मेकअप विशेषज्ञा

मैं कौमेडी ही कर सकता हूं

कलर्स टीवी के पौपुलर शो ‘कौमेडी नाइट विद कपिल’ की गुत्थी के सुनील ग्रोवर का कहना है कि मैं कौमेडी को छोड़ कर और कुछ नहीं कर सकता. मुझे टीवी पर फिक्शन ड्रामा पसंद नहीं और अगर मेरे पास कुछ दिनों तक ईएमआई देने के लिए पैसे न हों, तब भी मैं फिक्शन ड्रामा नहीं करूंगा. अगर ऐसी नौबत आई तो मैं बाजार में एक दुकान खोल लूंगा, लेकिन फिक्शन ड्रामा को दूर से ही नमस्ते कर लूंगा.

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