धर्म का पाखंड ऐसा भी

धर्म की दुकानें यों ही नहीं चलतीं, इस के लिए हर समय कुछ न कुछ करना पड़ता है. ईस्टर के समय सारे ईसाई जगत में धर्मगुरुओं ने ईसा की मृत्यु और पुनर्जीवित होने के दृश्य मंचित कराए ताकि धर्म का पाखंड मन में गहरा बैठा रहे और दानपात्र खनकते रहें.

मैं लड़की हूं या लड़का

हाय, मैं कैसी लग रही हूं प्यारे. प्यारे मैं जानती हूं कि मैं सैक्सी लग रही हूं पर मैं लड़की हूं या लड़का जानू तुम कैसे जानोगे, क्योंकि मैं तो टोक्यो की एलजीबीटी कम्युनिटी की हूं. एलजीबीटी यानी लेस्बियन बाई सैक्सुअल ट्रांसजैंडर. नहीं समझ आया? छोडि़ए, तसवीर देख लीजिए.

क्या होगा कुछ पता नहीं:

इस तरह  के मासूम भोले चेहरे अफगानिस्तान की जेलों में भरे पड़े हैं. वहां कानून की नहीं, पुलिस, सेना और कबीलों की चलती है और भोली, निर्दोष औरतें भी चक्करों में फंस जाती हैं. ईरान शहर की जेल से आईं 27 औरतों को वर्षों और महीनों बाद रहम खा कर छोड़ा गया है. क्या इन औरतों का भविष्य बाहर भी सुरक्षित होगा या समाज के दरिंदे इन्हें दागी मान कर नोच खाएंगे?

यह चुड़ैल है या और कोई

भागो. न जाने कौन से ग्रह से आ गई है यह चुड़ैल. अजी डरिए नहीं, यह कमाल बौडी पेंट का है, जो रूस के शहर सैंट पीटर्सबर्ग (अफवाह है कि इस का नाम जल्दी ही पुटीनबर्ग होने वाला है) के एक शो में दिखा.

पार्कों की खूबी

डिजनीलैंड पार्कों की खूबी यही है कि वहां कहानियों के पात्र सड़क पर घूमते नजर आ जाते हैं. अब पार्कों ने आम लोगों को भी परियों की दुनिया की पोशाकें देनी शुरू कर दी हैं. जरा ध्यान से जाना वहां, कहीं आप के साहब को ऐसी परी उड़ा न ले जाए.

फूल भी कांटे भी

गृहशोभा का अप्रैल (द्वितीय), 2014 अंक बहुत पसंद आया. इस में विहंगम के अंतर्गत प्रकाशित टिप्पणी ‘बेईमानो आप का स्वागत है’ पढ़ कर मन गौरवान्वित हो उठा कि आज भी ऐसी निर्भीक संपादकीय टिप्पणियां लिखी जा रही हैं वरना तो आज तलवे चाटने की होड़ में इतना कटु सत्य कहने की हिम्मत रखने वाले न के बराबर ही हैं.

भ्रष्टाचारमुक्त देश का दावा करने वाले ये नेता खुद बेईमान, झूठे और मक्कार हैं. ये अरबों रुपए डकार कर जेल जाते तो हैं पर वहां भी खूब सुख भोगते हैं. बाद में इसे विरोधी पार्टियों की साजिश बता कर गलीगली बेशरमों की तरह घूमते हैं और अपने निर्दोषिता के चालीसा से जनता को बेवकूफ बनाते हैं. क्या है कोई ऐसी अदालत जो इन्हें इन के कुकर्मों की सजा दे सके? शायद नहीं, क्योंकि कानून बनाने वाले भी तो यही होते हैं.

रेणु श्रीवास्तव, बिहार

गृहशोभा के अप्रैल (द्वितीय), 2014 अंक में प्रकाशित शीर्ष लेख ‘जब दर्द मिले अपनों से’ काफी पीड़ादायक है. कोई भी पुरुष खासकर जिस से कोई रिश्ता जुड़ा हो, महिला के साथ अमानवीय व्यवहार करने लगता है तो वाकई यह बेहद अफसोसजनक स्थिति होती है. किंतु रिश्तों की दुहाई दे कर महिलाओं/लड़कियों द्वारा अपमान सहते रहना और भी गलत है.

हमें याद रखना होगा कि महिलाओं में केवल धैर्य ही नहीं, बल्कि हिम्मत और बुद्धि का भी शानदार संगम है. बस आवश्यकता इस बात की है कि महिलाएं और लड़कियां घर, बाहर यानी हर जगह सजग रहें और खुद पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा कर कानूनी सहायता लें. तभी हम समाज में होने वाली ऐसी घटनाओं को रोकने में सफल होंगे. महिलाएं हमेशा अपने साथ महिला हैल्प लाइन नंबर 1091 रखें.

अंत में मैं इस लेख के लिए सभी महिलाओं की ओर से गृहशोभा का शुक्रिया अदा करती हूं.

पंकज गुप्ता, .प्र.

गृहशोभा का अप्रैल (द्वितीय), 2014 अंक विविध जानकारी से सराबोर है. विहंगम के अंतर्गत प्रकाशित टिप्पणी ‘कपड़े तो रेशमी पर पटरियां बदरंग’ में संपादक महोदय द्वारा व्यक्त विचारों से वैसे तो मैं सहमत हूं, पर देश के सभी नागरिकों के लिए फूहड़, बेहूदा सरकारी कर्मचारी, कामचोर, लालची जैसे हलके शब्दों का इस्तेमाल उचित नहीं लगा. इस तरह की शब्दावली गृहशोभा जैसी गंभीर पत्रिका में विहंगम के तहत उठाए जाने वाले समसामयिक मुद्दों पर लेखों की गुणवत्ता एवं उन की गंभीरता को कम कर देती है.

विहंगम के ही तहत प्रकाशित टिप्पणी ‘जीवट भरा है जीवन उस का’ में व्यक्त संपादकजी के विचार यकीनन मन को झकझोरने और उद्वेलित करने वाले हैं. इस में मेलिसा मीरा ग्रांट का यह मंतव्य बिलकुल सटीक व सार्थक है कि वेश्यावृत्ति की सेवा को भी अन्य सेवाओं की तरह सम्मान मिलना चाहिए.

यह विडंबना है कि हमारा समाज एक ओर तो वेश्यावृत्ति को घृणित मानता है, लेकिन इस तथाकथित घृणित सेवा का उपयोग करने वाले पुरुषों के बारे में कोई स्पष्ट विचार व्यक्त नहीं करता.

वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं के जीवट को सलाम है, जिन्हें अपना व अपने बच्चों का पेट पालने के लिए अपने जमीर को मार कर अपनी इच्छा के विरुद्ध तरहतरह के लोगों के साथ यौन संबंध बनाने पड़ते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान उन की मनोदशा की सहज कल्पना की जा सकती है.

अनु जैन, दिल्ली

सर्वश्रेष्ठ पत्र

गृहशोभा का अप्रैल (द्वितीय), 2014 अंक बहुत अच्छा लगा. इस अंक के सभी लेख ज्ञान से सराबोर हैं. पत्रिका की भाषाशैली और सकारात्मकता मन को छू लेती है.

पूजा केनी, कैप्टन, मुंबई मोनोरेल के आत्मविश्वास और कुछ अलग करने के जज्बे की मैं कायल हो गई. वाकई समर्पण, लगन और मेहनत के बल पर किसी भी क्षेत्र

में सफलता हासिल की जा सकती है. फिर चाहे वह लड़की हो या लड़का. 23 वर्षीय पूजा केनी इस का उदाहरण हैं.

शिल्पा पाटनी, झारखंड

गृहशोभा का अप्रैल (द्वितीय), 2014 अंक दिल के बेहद करीब लगा. गृहशोभा पढ़ने से मेरी हर समस्या का बेहतर समाधान मिलता है.

‘कटौती बिल की खुशी आप की’ लेख से मुझे बहुत जरूरी जानकारी मिली. लेख में ऐसी छोटीछोटी बातें बताई गई हैं, जिन का पालन कर हम अपनी व्यस्त दिनचर्या में भी इस तरह के जरूरी काम अच्छी तरह से निबटा सकते हैं जिन्हें निबटाने के लिए हम काफी तनावग्रस्त रहते हैं.

कविता गुप्ता, .प्र.

गृहशोभा का अप्रैल (द्वितीय), 2014 अंक पढ़ा. पढ़ कर अच्छा लगा कि गृहशोभा में नएनए विषयों का समावेश हो रहा है.

‘दोषी कौन’ कहानी पढ़ कर लगा कि वास्तव में समाज में फैले भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी की हम निंदा तो करते हैं, पर हमारा अपना काम जब रुकता है तो हम भी रिश्वत दे कर काम करवा लेते हैं.

भ्रष्ट अधिकारी भी क्या करें? वे अपनी निरंतर बढ़ती इच्छाओं, आवश्यकताओं व दिखावे की प्रथा निभाने के लिए ही रिश्वत लेते हैं. आर.टी.आई. जैसे कानून हमारी मदद के लिए बने हैं, परंतु हम आसान रास्ता ही अपनाते हैं.

कंचन मुखर्जी, नई दिल्ली

तंदूरी फलधारी चाट

सामग्री

100 ग्राम अमरूद, 100 ग्राम सेब, 100 ग्राम पीयर, 100 ग्राम पाइनऐप्पल, पर्याप्त औलिव औयल.

सामग्री मैरीनेट की

5 ग्राम लालमिर्च पाउडर, 10 ग्राम जीरा पाउडर, 50 ग्राम टोमैटो प्यूरी, 100 ग्राम टोमैटो कैचअप, 5 ग्राम काला नमक, 5 ग्राम सौंफ पाउडर, 3 ग्राम कसूरी मेथी पाउडर.

विधि

सारे फलों को छोटेछोटे टुकड़ों में काटें. एक बाउल में मैरीनेशन की सारी सामग्री मिलाएं. इस में सारे फलों को मिला कर 30 मिनट रख दें. फलों की सीखों में लगा कर 180 डिग्री सैंटीग्रेड पर गरम ओवन में 45 मिनट रोस्ट करें. फिर औलिव औयल लगा कर 2 मिनट और रोस्ट करें. अब सीखों से निकाल कर चाटमसाला बुरक कर गरमगरम सर्व करें.

हाइड्रोथेरैपी : पानी से रोगों का उपचार

पानी जीवन का आधार ही नहीं बल्कि संजीवनी भी है. वैसे पानी के इस्तेमाल के कुछ तरीके हम बचपन से ही जान जाते हैं. जैसे : पीने के लिए पानी, नहाने के लिए पानी और बरतन धोने के लिए पानी. उसी तरह खेती, बगीचे, खाना पकाने, फैक्टरी आदि के लिए भी पानी जरूरी है, यह भी हम जान जाते हैं.

हम यहां पर आप को पानी के खास उपयोग के बारे में बता रहे हैं, जो है हाइड्रोथेरैपी. यानी पानी से रोगों का उपचार करना. हाइड्रोथेरैपी का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. ग्रीक व रोमन संस्कृति के साथ अपने आयुर्वेद शास्त्र में भी इस का उल्लेख मिलता है.

कार्यपद्धति

हाइड्रोथेरैपी कहती है कि गरम पानी शरीर को शीतलता देता है. गरम पानी पीने से शरीर की क्रिया शांत होती है. थकावट व वैचारिक तनाव दूर होता है. हम जब अपना शरीर पानी में डुबोते हैं तब हमें एक वजनरहित अवस्था मिलती है. इस की हमारे शरीर को जरूरत होती है. जब स्विमिंग पूल, कुआं, नदी का पानी हमारे शरीर से टकराता है तब हमें मालिश जैसा एहसास होता है, जिस से हमारी त्वचा उत्तेजित होती है और रक्तसंचार बढ़ता है.

हाइड्रोथेरैपी के कई प्रकार हैं:

1. नहाना.

2. पानी में बैठना.

3. पैरों का स्नान.

4. दस्तानों के घर्षण से किया हुआ स्नान.

5. शरीर को भाप देना.

6. गरम पानी से सेंकना.

7. ठंडे पानी से सेंकना.

8. गरम व ठंडे पानी के विकल्प से सेंकना.

उपचार

अगर छाती में बलगम हो या खांसी आती हो तो छाती को और अगर पांव के टखनों, कुहनी या उंगली में चोट लगने से सूजन आ गई हो तो चोट लगी जगह को गरम पानी में भिगोए कपड़े से सेंकें.

अगर सिरदर्द या दांतदर्द हो या पैर या हाथ में मोच आ गई हो तो उन जगहों को ठंडे पानी से सेंकें.

हाइड्रोथेरैपी से बवासीर, प्रोटेस्ट ग्रंथि की सूजन, मूत्राशय व योनिमार्ग के रोग दूर होते हैं और घुटने, पांव के टखने आदि का दर्द भी दूर होता है. लेकिन इस के लिए सही ढंग से उपचार किए जाने की जरूरत होती है.

दिन भर में लगभग 3 लिटर पानी पीना जरूरी है, क्योंकि शरीर के सभी अवयवों को पानी की जरूरत होती है. त्वचा की नमी हमें पानी से ही मिलती है. इतना ही नहीं पानी तनाव को कम कर के शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. अवयवों की क्रियाशीलता बढ़ती है. रक्तसंचार बढ़ता है और पिंपल्स कम होते हैं. गठिया का दर्द कम होता है, सिरदर्द कम होता है और नींद अच्छी आती है.

गला सूखना, पेशाब की कमी, खाजखुजली आदि लक्षण पानी की कमी से ही होते हैं. खिलाडि़यों को तो पानी पीने पर खास ध्यान देना जरूरी है क्योंकि 2% पानी की कमी 25% खेल की कार्यक्षमता कम करती है.

गरमी के मौसम में इन बातों पर ध्यान दें.

1. हमेशा ठंडे पानी से नहाएं.

2. धूप से घर आने पर खूब सारा पानी पिएं.

3. कपड़े में बर्फ रख कर चेहरे पर घुमाएं.

4. आंखों पर गुलाबजल की पट्टी रखें.

5. खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, पपीता, अंगूर आदि खाएं.

खूबसूरती अंदर से आती है : यामी गौतम

विज्ञापनों से अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री यामी गौतम पहले आई.ए.एस. अधिकारी बनना चाहती थीं, क्योंकि वे एक अच्छी विद्यार्थी थीं. इस के अलावा यामी को बचपन से हमेशा कुछ अलग और चुनौतीपूर्ण काम करने की इच्छा थी, लेकिन वह क्षेत्र अभिनय का होगा यह पता नहीं था. हां यह जरूर रहा कि यामी के पिता फिल्मों और न्यूज चैनल से जुड़े हैं, जिन से उन्हें प्रेरणा मिली.

स्वभाव से नम्र, हंसमुख और मृदुभाषी यामी ने अपने कैरियर की शुरुआत धारावाहिक ‘चांद के पार चलो’ से की. इस के बाद ‘ये प्यार न होगा कम’, ‘मीठी छुरी नंबर वन’ धारावाहिकों और कई फिल्मों में भी काम किया. उन की फिल्म ‘विक्की डोनर’ काफी चर्चित रही, जिस में उन्होंने बंगाली लड़की आशिमा राय की भूमिका निभाई. इस के बाद उन की फिल्म ‘टोटल सियापा’ आई जो बौक्स औफिस पर सफल नहीं रही पर वे विज्ञापन की दुनिया में हमेशा सफल रहीं.

वे कहती हैं कि हर फिल्म के लिए मेहनत करनी पड़ती है पर अगर वह सफल नहीं हुई तो उस पर अधिक विचार न कर वे आगे निकल जाती हैं. हिंदी फिल्मों के अलावा यामी ने तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है.

एक उत्पाद की लौचिंग के वक्त उन से मुलाकात हुई तो दिलचस्प बातचीत हुई. पेश हैं बातचीत के खाश अंश:

आप अपनी खूबसूरती की देखभाल कैसे करती हैं?

मैं हमेशा संतुलित आहार लेती हूं और घर का खाना पसंद करती हूं. मैं हिमाचल की हूं, इसलिए वहां की स्पैशल डिशेज जैसे चंबा का राजमा, उरद की दाल वगैरह खूब खाती हूं. मैं अपने परिवार के बहुत करीब हूं. मुझे मां के हाथ का बना हर व्यंजन अच्छा लगता है. इस के अलावा मैं खूब पानी पीती हूं ताकि बौडी में पानी की कमी न हो.

अपनी त्वचा की देखभाल कैसे करती हैं?

संतुलित आहार हमेशा आप की त्वचा को अच्छा रखता है, इसलिए मैं खाने में फल और हरी सब्जियां अवश्य खाती हूं. इस के अलावा सुबह हलका गरम पानी नीबू के रस और शहद के साथ पीती हूं. जब घर से कहीं बाहर जाना होता है तो सनब्लौक क्रीम और मौइश्चराइजर अवश्य लगाती हूं. रात को सोने से पहले मेकअप को अच्छी तरह उतार कर मौइश्चराइजर लगा लेती हूं.

आप किस तरह के परिधान पहनना पसंद करती हैं?

मुझे जो भी परिधान आरामदायक लगता है मैं उसे पहनती हूं. मैं एक भारतीय लड़की हूं, इसलिए इंडियन ड्रैसेज अधिक पसंद हैं. मुझे गौरव गुप्ता, नम्रता जोशीपुरा, सव्यसाची, मसाबा आदि सभी डिजाइनरों के कपड़े पसंद हैं.

क्या आप मेकअप अधिक पसंद करती हैं? अपने पर्स में कौन सी 3 चीजें हमेशा रखती हैं?

मुझे मेकअप अधिक पसंद नहीं. मैं हमेशा लाइट मेकअप में ही रहना पसंद करती हूं. लेकिन जब मैं धारावाहिकों में काम कर रही थी तो काफी हैवी मेकअप करना पड़ता था. फिल्मों में उतना मेकअप नहीं करना पड़ता. मैं नैचुरल दिखना ज्यादा पसंद करती हूं. मेरे पर्स में लिपबाम, फेसवाश और मौइश्चराइजर हमेशा रहता है.

आप की नजर में खूबसूरती क्या है?

यह अंदर से आती है. इस के अलावा आप जो पहनते हैं उस से भी आप सुंदर दिखते हैं. सुंदर दिखने के लिए आप में आत्मविश्वास होना भी जरूरी है, साथ ही हमेशा खुश रहना भी.

आप किसे अपना आदर्श मानती हैं?

मेरे मातापिता मेरे आदर्श हैं.

किन हीरोइनों की खूबसूरती से आप प्रभावित हैं.

मधुबाला, वहीदा रहमान और नफीसा अली की सुंदरता मुझे प्रभावित करती है.

अपने जीवनसाथी के बारे में क्या सोचती हैं?

अभी सोचने का समय नहीं मिल पाता. मैं आगे और अच्छा काम करना चाहती हूं. इस समय बस इतना कह सकती हूं कि वह व्यक्ति मुझ से अलग सोच रखने वाला होना चाहिए.

अभिनेत्री, मौडल के रूप में आप कितनी सफल हैं?

हिंदी फिल्मों में तो मैं ने कम काम किया है और अभी मैं नई हूं इसलिए ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं. लेकिन मौडल के रूप में मुझे जो काम मिला है, उस से मैं खुश हूं. एक कंपनी का मैं शुरू से फेस हूं और उस की वजह से मैं हर घर तक पहुंच पाई हूं. मैं उस कंपनी को थैंक्स कहना चाहती हूं.

7 उपाय केशों को गरमी से बचाएं

धूप की तपिश और गरम हवाएं आप की त्वचा को ही नहीं, केशों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसलिए गरमी के मौसम में उन की देखभाल के प्रति सजग रहना बहुत जरूरी होता है.

यहां मेकओवर ऐक्सपर्ट आशमीन मुंजाल आप को बता रहे हैं कि कैसे इस मौसम में भी केशों को रखें मुलायम और चमकदार;

क्लोरीन से बचाएं

गरमी से राहत पाने के लिए स्विमिंग पूल से बेहतर भला और क्या हो सकता है? मगर पूल के पानी में मौजूद क्लोरीन केशों के लिए बेहद हानिकारक होता है. ऐसे में पूल का मजा लेने से पहले केशों में हेयर औयल जरूर लगाएं और स्विमिंग कैप का इस्तेमाल करना न भूलें.पूल से निकलने के बाद शैंपू का इस्तेमाल किए बगैर शौवर से नहाएं. यदि आप अकसर स्विमिंग के लिए जाती हैं तो कभीकभी हेयर स्पा भी कराएं ताकि आप के केश हमेशा स्वस्थ रहें.

जब सिर की त्वचा हो तैलीय

यदि आप की स्कैल्प औयली है तो कंडीशनर का इस्तेमाल न करें. यह आप के केशों को और भी औयली बना सकता है. कंडीशनर का प्रयोग करना ही है, तो वाटर बेस्ड कंडीशनर चुनें. केशों से औयल को कम करने के लिए पानी में थोड़ा सा नीबू का रस मिला कर केशों को धोएं. केशों को चमकदार बनाने के लिए उन पर ऐस्ट्रिंजैंट स्प्रे कर के कंघी करें.

रूखे केश

केशों में रूखेपन की समस्या सर्दी के मौसम में होती है पर गरमी में यह समस्या और भी बढ़ जाती है, क्योंकि हम ज्यादा समय एअरकंडीशनर वाले बंद कमरों में बिताते हैं. ऐसे में केशों की नमी समाप्त हो जाती है और वे रूखे हो जाते हैं.

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लीव इन सीरम का स्प्रे करने के बाद कंघी करें. इस के अलावा कुछ समय के अंतराल पर हेयर औयलिंग अवश्य करें. केशों की हलकी स्टीमिंग और बनाना हेयर मास्क का प्रयोग भी रूखेपन को समाप्त करता है.

बेजान केश

केशों का बेजान होना तो किसी भी मौसम में समस्या है. इस से आप का लुक खराब होता है. इस समस्या को दूर करने के लिए केशों को कोकोनट मिल्क से धोएं. हेयर ऐक्सपर्ट से आप टैक्सचरिंग भी कर सकती हैं.

आजकल बाजार में केशों को चमकदार बनाए रखने के लिए कई उत्पाद मौजूद हैं. ये

2-3 महीनों तक टिकते भी हैं तो इन का प्रयोग कर सकती हैं.

रंगे केशो के लिए

गरमी और उमस से बच पाना इस मौसम में संभव नहीं होता. घर से बाहर निकलने से पहले स्कार्फ से केशों को अच्छी तरह से कवर कर लें. यदि आप को ज्यादा समय तक घर से बाहर धूप के संपर्क में रहना पड़ता है, तो शाम को शौवर जरूर लें, शौवर हमेशा ठंडे पानी का ही लें क्योंकि ठंडा पानी हेयरकलर को नुकसान नहीं पहुंचाता.

ठंडा पानी केशों में क्यूटिकल को लौक करता है जिस से वे दिखते हैं हमेशा चमकदार. केशों पर हेयर सनस्क्रीन एसपीएफ 10 भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

चिपचिपे केश

चिपचिपे केशों को धोने के लिए ड्राई शैंपू का इस्तेमाल करें. घरेलू उपाय के तौर पर नीबू के रस में अंडे का सफेद भाग मिला कर घोल तैयार करें और उस से केशों को धोएं. सप्ताह में 3 बार ऐसा करने से केशों का चिपचिपापन कम हो जाएगा. शिकाकाई का प्रयोग भी गरमी के मौसम में केशों के लिए उपयोगी है.

पतले केश

केशों का पतला होना आम समस्या है. इस से बचने के लिए 30-40 दिनों में 1 बार केशों को ट्रिम कराएं. इस से केशों की ग्रोथ तो बढ़ेगी ही, दोमुंहे केशों से भी छुटकारा मिलेगा. मुलायम ब्रिसल्स वाली कंघी का इस्तेमाल करें और यदि केश उलझ जाएं तो जबरदस्ती सुलझाने के बजाय हलके हाथों से कंघी कर के सुलझाएं.

अगर आप भी चाहती हैं कि सभी आप के केशों की तारीफ करें तो अपनाएं ये उपाय और केशों की समस्या को करें बायबाय.

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