म्यूजिक ने मिला दी जोड़ी! डीजे योगी, चारु सेमवाल के साथ लिए सात फेरे

म्यूजिक लोगों को जोड़ने के लिए जाना जाता है, लेकिन डीजे योगी के लिए यह लाइफ टाइम रिलेशनशिप बन गया क्योंकि संगीत के माध्यम से उनकी मुलाकात चारु सेमवाल से हुई और हाल ही में, उन्होंने दिल्ली में शादी कर ली. जहां योगी आज भारत के अग्रणी डीजे में से एक हैं, वहीं चारू इंडियन आइडल फाइनलिस्ट हैं .

पहली मुलाकात शो के दौरान

यह सब कैसे शुरू हुआ, इस बारे में बात करते हुए, योगी ने बताया कि उन्होंने एक गाने का रीमेक बनाने के लिए चारु से संपर्क किया था, जिसे मूल रूप से चारु ने गाया था. इसके बाद उनकी पहली मुलाकात मुंबई में उनके एक शो के दौरान हुई. “वहीं हमने नंबर एक्सचेंज किए और हमारी बातचीत शुरू हो गई. बातचीत कुछ इस तरह शुरू हुई कि हमारे शो कैसे हुए और धीरेधीरे रिश्ता विकसित हुआ और हमें कभी पता नहीं चला कि कब और कैसे, यह बस हो गया, ”वह कहते हैं.

जुड़ाव का प्वाइंट संगीत के प्रति प्यार

योगी ने साझा किया कि वह और उनकी दुलहन फूड और ट्रैवल के प्रति अपने साझा प्रेम से जुड़े हुए हैं. “लेकिन हमारा सबसे बड़ा जुड़ाव का प्वाइंट संगीत के प्रति हमारा प्यार था. मेरे मन में कोई संदेह नहीं था कि मैं उससे शादी करना चाहता था और आज, हम यहां खड़े हैं, अपना शेष जीवन एक साथ जीने के लिए पूरी तरह तैयार हैं,” उन्होंने निष्कर्ष निकाला.

क्या Karan Veer Mehra ने अपनी दोनों ऐक्स-वाइफ से की थी मारपीट? बिग बौस में तलाक पर दी सफाई

बिग बौस 18 में इस बार एक से बढ़कर एक कंटेस्टैंट ने भाग लिए हैं. जिससे यह शो काफी ज्यादा इंट्रैस्टिंग होता जा रहा है. बिग बौस हाउस में हर कंटेस्टैंट्स की अपनी डार्क सीक्रेट्स हैं. जो एकदूसरे से शेयर करते दिखाई दे रहे हैं.

बिग बौस के बिते एपिसोड में टीवी ऐक्ट्रैस शिल्पा शिरोडकर ने गुणरत्न को अपने लाइफ के बड़े सीक्रेट शेयर किए, शिल्पा ने बताया कि उनके पैरेंट्स के गुजर जाने के बाद उन्होंने काफी मुश्किलों का सामना किया और उसके बाद वह डिप्रैशन की शिकार हो गईं. तो अब हाल ही में करणवीर मेहरा (Karan Veer Mehra) ने अपने लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातों का जिक्र किया. बिग बौस में करणवीर एक स्ट्रौंग कंटेस्टेंट हैं. करणवीर ने अपनी 2 असफल शादियों के बारे में बात की.

क्या करणवीर मेहरा के खिलाफ घरेलू हिंस का खिलाफ शिकायत दर्ज है?

दरअसल, शो के होस्ट सलमान खान करणवीर मेहरा से उनके तलाक के बारे में पूछा. सलमान ने उनसे FIR के बारे में भी सवाल किया. उन्होंने करणवीर मेहरा से पूछा कि क्या उनके खिलाफ कोई डोमैस्टिक वायलेंस के लिए शिकायत दर्ज है? करणवीर ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि नहीं… करणवीर ने आगे कहा कि दोनों शादियां असफल रही, तलाक हुआ, दोनों ऐक्स वाइफ से बहुत झगड़े हुए हैं, लेकिन बात कभी मारपीट नहीं पहुंची थी.

सारा अरफीन ने करणवीर को कहा ‘सबसे रुड कंटेस्टैंट’

कुछ दिनों पहले बिग बौस से जुड़ा एक क्लिप सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि अरफीन कहते हैं कि करणवीर मेहरा एक मजबूत कंटेस्टैंट हैं, उन्हें ट्रिगर करना आसान है. अरफीन ने आगे ये भी कहा कि करवीर का आक्रामक स्वभाव के हैं, वह गुस्से में लड़कियों पर हाथ भी उठा सकते हैं. दूसरी तरफ दूसरी तरफ अरफीन की वाइफ सारा ने करणवीर मेहरा को सबसे रुड कंटेस्टैंट बताया था.

हालांकि बाद में बिग बौस हाउस में अरफीन ने अपनी बातों पर सफाई देते हुए कहा, कि उन्होंने शो के अनुभव पर इस तरह की बात कहीं, उनका कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं है.

करणवीर की दोनों शादियां टूट गई

करणवीर मेहरा अपनी पर्सनल लाइफ के कारण अक्सर चर्चे में रहते हैं. दरअसल करणवीर ने दो शादियां की और दोनों रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल पाया. करणवीर की पहली शादी साल 2009 में हुई थी और 8 साल बाद दोनों अलग हो गए. करणवीर ने दूसरी शादी साल 2021 में ऐक्ट्रैस निधी सेठ से की, ये रिश्ता भी 2023 में टूट गया.

दूसरी ऐक्स पत्नी निधी सेठ ने करणवीर को बताया था ‘जीवन की सबसे बड़ी गलती’

एक रिपोर्ट के मुताबिक करणवीर की दूसरी ऐक्स पत्नी निधी सेठ ने अपने तलाक को लेकर कुछ बातें की थी. उन्होंने करणवीर के साथ शादी को लेकर सबसे बड़ी गलती बताया था. उन्होंने कहा कि करणवीर मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थे. निधी ने ये भी कहा था कि मुझे लगता है कि रिलेशनशिप में हर रोज लड़ाइयां सहन नहीं करनी चाहिए और इस तरह के कंडीशन में हम कभी साथ नहीं रह सकते हैं. शादी में मन की शांति, एकदूसरे के लिए सम्मान, ईमानदारी और आर्थिक रूप से सक्षम होना काफी मायने रखता है. आपको बता दें कि करणवीर मेहरा शो खतरों के खिलाड़ी 14 के विनर भी रह चुके हैं. अब वह बिग बौस हाउस में गेम खेलते हुए नजर आ रहे हैं.

वह चमकता सितारा : मशहूर होने के बाद भी क्यों वह गुमनाम जिंदगी जीने लगा

 Writer- सबा नूरी

सोने और हीरों की चकाचौंध वाली लाइट्स, छत से ले कर दीवारों तक अनेक कैमरे और कांच जैसे फर्श वाला विशाल मंच. मंच के एक ओर अनेक वाद्ययंत्र संभाले हुए वादक मंडली. मंच के बिलकुल सामने विराजमान 4 जजेस और उन के पीछे मौजूद दर्शकों का हुजूम.

यह दृश्य था एक सिंगिंग शो के सैट का. नाम की उद्घोषणा के साथ ही प्रियांश ने एक मीठी मुसकान लिए मंच पर प्रवेश किया. एक कर्णप्रिय धुन के साथ उस ने माइक के सामने खड़े हो कर अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरना शुरू किया. उस की आवाज औडिटोरियम में खुशबू की तरह फैलने लगी थी. कुरसियों पर बैठे जज कानों में हैडफोन लगाए आंखे मूंदे ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो उस के गायन को अपनी रूह में  उतार लेना चाहते हों और दर्शक भी जैसे सांस रोक कर गीत को महसूस कर रहे थे.

गाना खत्म हुआ और हाल तालियों से गूंज उठा. ऐंकर्स ने दौड़ कर मंच संभाला और एक ने तो उसे कंधे पर उठा लिया. दर्शक ‘वंस मोर’ ‘वंस मोर’ के नारे लगाने लगे. जजेस ने स्कोर कार्ड से पूरेपूरे नंबर देने का इशारा किया. प्रियांश ने सभी का अभिवादन किया और फिर

अगले प्रतिभागी की बारी आई.

दरअसल, यहां ‘सिंगिंग स्टार’ की खोज कार्यक्रम में देशभर से चुनिंदा गायकों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए बुलाया गया था. अनेक युवकयुवतियां यहां मौजूद थीं.

प्रियांश भी अपने गांव से ‘सिंगिंग स्टार’ बनने का सपना लिए यहां मुंबई आया था. हां वह अलग बात थी कि कुछ समय पहले तक उस का लक्ष्य एक अच्छी सरकारी नौकरी पाना ही था और उस की जीतोड़ मेहनत और उस के पिता की कोशिश से उसे ग्राम पंचायत में सहायक के तौर पर चयन होने का चयनपत्र मिल चुका था.

इसी बीच सिंगिंग स्टार वाले टेलैंट की खोज में गांव आए और उन्हें प्रियांश की आवाज इतनी भा गई कि उन्होंने उसे मुंबई बुला लिया और बचपन से गाने के शौकीन रहे प्रियांश को जैसे सपनो का जहान मिल गया. अब उसे सहायक पद की सरकारी नौकरी में कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा था.

प्रियांश एक मृदुभाषी, होनहार और आज्ञाकारी युवक था. लेकिन न जाने इस ग्लैमर की दुनिया में क्या आकर्षण था कि मातापिता के न चाहते हुए भी वह गायकी की दुनिया में नाम कमाने मुंबई आ गया.

फिल्मसिटी की चकाचौंध ने उसे आसमान में उड़ने के पंख दे दिए थे. अपने गांव में रहते हुए वह कभी इस ग्लैमरस दुनिया का हिस्सा नहीं बन सकता था. बड़ीबड़ी गाडि़यों से उतरती छोटेछोटे कपड़े पहने हाई हील्स पर चलती हसीनाएं. महंगे जूतोंकपड़ों में इठला कर चलते आदमी. सबकुछ इतने नजदीक से देख और महसूस कर पाना कोई मामूली बात न थी. उसे भी स्टेज पर गाना गाने का और टीवी पर आने का मौका मिलने वाला था. कुछ ही समय बाद ये ऐपिसोड्स टीवी पर आएंगे यह सोच कर ही वह रोमांचित हो उठता.

आयोजकों की ओर से सभी प्रतिभागियों को फाइवस्टार होटल में ठहरने का अच्छा प्रबंध किया गया था. सैपरेट कमरों में सभी को रहनेखाने की उच्च स्तरीय सुविधाएं दी गई थीं. ऐसी भव्य इमारतों में एक दिन भी रहने को मिल जाए तो लगता है कि कहीं स्वर्ग में आ गए हों. ऐसे में यह अनुभव तो दुनिया बदलने वाला था.

होटल से शूटिंग साइट पर प्रतिभागियों को लाने ले जाने के लिए शो की तरफ से गाडि़यां उपलब्ध थीं. इस के अलावा कहीं और आनेजाने की अनुमति इन लोगों को नहीं थी. बस सप्ताह में एक बार प्रबंधक से अनुमति ले कर ये प्रतिभागी कहीं बाहर जा सकते थे.

उस दिन प्रियांश ने अपने साथियों रेहान, कुणाल और अमन के साथ मुंबई घूमने की योजना बनाई. रेहान बीटैक प्रथम वर्ष का छात्र था, जोकि पुणे में रह कर पढ़ाई कर रहा था, वहीं कुणाल के पिता का रामपुर में कपड़े का व्यापार था. चौकलेटी लुक वाले कुणाल को उस का सिंगिंग का शौक यहां खींच लाया था तो अमन ने बीकौम अंतिम वर्ष की परीक्षा दी थी और अपने घर जयपुर से ही मैनेजमैंट के कोर्स की तैयारी करना चाह रहा था. संगीत के साथसाथ शौहरत, ग्लैमर और वाहवाही किसे नहीं अच्छी लगती. बस इसी आकर्षण ने इन सब को यहां पहुंचा दिया था.

मैनेजर से अनुमति ले कर ये लोग निकल पड़े. दिनभर घूमफिर कर शाम को डूबते सूरज को निहारने के इरादे से ये सब जुहू चौपाटी पहुंच गए. समुद्र की चंचल लहरों और ठंडी हवा के साथ शाम कब रात में तबदील हो गई पता ही न चला. रंगबिरंगी रोशनियों में जुहू बीच और सुंदर लग रहा था. थोड़ी भूख लग आई थी  तो इन्होंने ने बीच पर ही स्थित एक रैस्टोरैंट का रुख किया. समुद्र के रेत पर आकर्षक रंगीन छतरियों के नीचे कुरसीमेज, हलका पार्श्व म्यूजिक इस स्पौट को और अधिक लुभावना बना रहा था.

‘‘क्या और्डर किया जाए?’’ प्रियांश ने पूछा.

‘‘कुछ हलका ही लेंगे डिनर तो होटल में ही करना है,’’ अमन ने उत्तर दिया तो रेहान ने भी हां में सिर हिला कर उस का साथ दिया.

‘‘ओके. 1-1 वड़ा पाव और चाय?’’

‘‘ठीक है,’’ प्रियांश के प्रस्ताव पर तीनों ने अंगूठे के इशारे से सहमति दी.

प्रियांश ने वहां इशारे से एक युवक को पास बुलाया और और्डर बता दिया. कुछ ही देर में वह युवक ट्रे में चाय और नाश्ता ले कर आता हुआ नजर आया और बहुत धीमेधीमे चाय और नाश्ते की प्लेटो को मेज पर रखने लगा. प्रियांश ने देखा कि उस युवकों के हाथ कांप रहे हैं. कांपते हाथों को देख कर उस ने उस युवक की ओर ध्यान दिया और बड़े गौर से उस के चेहरे की ओर देखा और फिर तो उछल ही पड़ा प्रियांश और उस युवक का हाथ अपने दोनों हाथों में थाम लिया. इस हरकत से युवक घबरा गया और हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा और प्रियांश उसे देखते हुए कहता जा रहा था कि तुम. तुम तो अभि हो. तुम तो अभि हो न…

इसी बीच किसी तरह अपना हाथ छुड़ा कर वह युवक तेजी से रैस्टोरैंट में अंदर की ओर भाग खड़ा हुआ. प्रियांश भी खुद को उस के पीछे भागने से रोक न पाया और अंदर काउंटर तक पहुंच गया.

‘‘क्या हुआ क्या चाहिए?’’ एक भारी आवाज सुन कर वह पलटा. सफेद मलमल का कुरता, सफेद पाजामा, वजनदार काया, बालों और दाढ़ी में बराबर की सफेदी और सिर पर टोपी रजा साहब उसे वहां देख कर पूछ रहे थे.

‘‘सर वह जो अभी अंदर गया है वह.’’

‘‘कोई नहीं है वह जाओ यहां से…

‘‘सर वह मेरे गांव का ही है और मैं…’’

‘‘अरे कहा न जाओ यहां से.’’

रैस्टोरैंट के मालिक रजा साहब बात के पक्के थे और बड़े भले आदमी थे. कैसे बता देते जब मना किया गया था तो. किसी का भरोसा तोड़ना उन की फितरत न थी.

प्रियांश भारी कदमों से वापस आ गया. इधर रेहान और कुणाल प्रियांश की इस हरकत पर हंस हंस कर लोटपोट हुए जा रहे थे.

‘‘यार कोई आशिक भी लड़की के पीछे ऐसे नहीं भागता जैसे तू उस लड़के के पीछे भागा है,’’ कुणाल जोरों से हंस रहा था.

‘‘हंस मत यार तू नहीं जानता वह कौन है.’’

‘‘होगा तेरे गांव का कोई लड़का और तू बेचारे की पोलपट्टी खोल देगा गांव में इसीलिए छिप रहा है तु?ा से,’’ अब रेहान की बात पर कुणाल ने भी हामी भरी.

‘‘ऐसा नहीं है,’’ प्रियांश ने जोर दे कर कहा.

‘‘ऐसा है हम लेट हो गए हैं, टाइम पर वापस होटल पहुंचना है,’’ अमन अपनी कुसी से उठ खड़ा हुआ और इन सब ने वापसी की राह पकड़ी.

 

रात के 2 बज गए थे मगर प्रियांश को नींद नहीं आ रही थी. उसे रहरह कर अभिलाष

का चेहरा याद आ जाता. हां अभिलाष ही था वह. कितना स्मार्ट दिखता था पहले वह और अब तो दुबला, शरीर सांवली पड़ चुकी रंगत, आंखों में सूनापन. कैसे सब गांव में मिसाल दिया करते थे अभिलाष की. फिर कहां गया वह कुछ पता न चला. रातोंरात मिली शोहरत तो नजर आती है लेकिन बाद में उस मशहूर शख्स के साथ क्या हुआ यह नहीं पता चलता.

अगली ही सुबह प्रियांश ने प्रबंधक से बाहर जाने देने का अनुरोध किया पर उसे अगले सप्ताह ही जाने की अनुमति मिल पाई. किसी तरह एक सप्ताह बीता और वह सीधा रैस्टोरैंट मालिक रजा साहब के पास जा पहुंचा. उसे भरोसा था कि वही उस की मदद कर सकते हैं. प्रियांश ने उन्हें अपने बारे में सबकुछ बताया. रजा साहब को अपनी नेक नीयत का यकीन दिलाना आसान नहीं था. प्रियांश ने अपने घर पर फोन कर के अपने पिता से उन की बात कराई और बताया कि वह उस युवक का भला चाहता है. तब वे प्रियांश को अंदर कमरे में ले गए और एक ठंडी सांस ले कर कहा, ‘‘हां, चला गया वह यहां से,’’ और फिर जो कुछ उन्होंने बताया उस के बाद तो प्रियांश के पैरों तले जमीन खिसक गई.

उन्होंने बताया, ‘‘ऐसे न जाने कितने लोग आते हैं मुंबई, वह भी आया था. अपनी पहचान छिपाए यहां काम कर रहा था. अब दिक्कत यह है कि कहीं छोटामोटा काम मिल जाता है तो तुम जैसे लोग पहचान लेते हो. फिर वही लोगों के सवालजवाब पिछली बातों को याद दिला देते हैं. पिछले 1 महीने से यहां काम कर रहा था वह, किसी तरह अवसाद से निकलने की कोशिश में. रीहैब सैंटर में कई माह बिताने के बाद इस लायक हुआ था कि अपने पैरों पर खड़ा हो सके.’’

प्रयांश ने अपना सिर पकड़ लिया. रजा साहब ने उस के कंधे थपथपाए और पानी पिलाया. फिर एक कपड़े का बैग उस की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘यह कुछ सामान उस का यहीं रह गया है. तुम कभी गांव जाओ तो उस के घर पर दे देना.’’

प्रियांश दुखी मन से होटल के कमरे पर वापस आ गया. वह रहरह कर अपराधी सा महसूस कर रहा था. उस ने उस थैले को दोनों हाथों में उठाया और सीने से लगा कर रो पड़ा. कुछ शांत हुआ तो उसे उस थैले में कुछ कागज जैसे रखे मालूम हुए. उस ने बैग को खोला कुछ पुराने कपड़े, दवाइयों के अतिरिक्त उस में एक लिफाफा भी था. लिफाफा खोलने पर मिली एक चिट्ठी आज के जमाने में चिट्ठी और उस पर भी कोई पता नहीं लिखा था. उस ने उस चिट्ठी को पढ़ना शुरू किया:

‘‘मेरे प्यारे साथियो,

‘‘यह चिट्ठी मैं तब लिख रहा हूं जब मेरे सभी चाहने वाले मु?ो भूल चुके हैं. नाम भी बता दूं तब भी शायद ही किसी को याद आऊं क्योंकि ऐसे न जाने कितने नाम रोशन हुए और खो गए. किसकिस को याद रखा जाए.

 

‘‘एक वक्त था जब मेरा सितारा बुलंदियों पर था. मैं था

‘सिंगिंग स्टार औफ इंडिया.’ चारों ओर मेरे सिंगिंग टेलैंट की धूम मची हुई थी. मु?ो चैनल्स से इंटरव्यू के लिए कौल आ रहे थे. सोशल मीडिया पर मैं ही छाया हुआ था. मु?ो जैसे रातोंरात किसी ने आसमान पर बिठा दिया था.

‘‘दरअसल, मैं बिहार के छोटे से गांव माधोपुर का आम सा लड़का. मु?ो बचपन से ही गाने का शौक था और लोकगीत मंडलियों में मैं गाया करता था. मेरे गांव में आए ‘सिंगिंग स्टार’ की खोज वालों को मेरी आवाज भा गई और उन्होंने मु?ो शो के लिए मुंबई आने का औफर टिकट के साथ दे दिया.

‘‘बस फिर क्या था? मैं मुंबई पहुंच गया. एक सुपरहिट सिंगिंग शो में कंटैस्टैंट के तौर पर मेरी ऐंट्री हुई. हर ऐपिसोड में अन्य प्रतिभागियों के साथ मेरा कंपीटिशन होता और मैं एक के बाद एक लैवल पार करता गया.

‘‘वहां कुरसी पर बैठे जजेस मेरे गाने और आवाज की भरपूर तारीफें करते, मेरी हरेक परफौर्मैंस पर फिदा हो जाते, अदाएं दिखाते और नएनए तरीकों से मेरे टेलैंट का बखान करते.

‘‘तब वहां ऐपिसोड की शूटिंग के दौरान मु?ो एक नई चीज पता चली जिसे ‘टीआरपी’ कहते हैं. चैनल को और अधिक टीआरपी चाहिए थी.

‘‘फिर एक दिन उन्होंने मु?ा से कहा कि मैं अपनी मां और बहन को मुंबई बुला लूं. वे मु?ो यहां स्टेज पर देख कर बहुत खुश होंगी. बस फिर तो मेरी मां और मेरी नेत्रहीन बहन भी अब शो के हर ऐपिसोड का हिस्सा बनने लगी. मेरी मां की गरीबी और बहन की नेत्रहीनता ने चैनल की ‘टीआरपी’ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया. मैं बहुत खुश था. खुश तो मां भी बहुत थी.

‘‘अब जैसे ही मेरा गाना पूरा होता तो वहां बैठे दर्शक मेरी कहानी पर आंसू बहाते. मेरी मां और बहन की बेबसी टीवी पर हाथोंहाथ बिक रही थी. एक अच्छी बात यह थी कि उन में से कई जजेस ने मु?ा से शो के दौरान वादा किया कि वे मु?ो अपने आने वाले म्यूजिक अलबम्स में काम देंगे और मेरी आर्थिक मदद करेंगे.

‘‘दर्शकों के प्यार और जजेस की भरपूर प्रशंसा ने जैसे मु?ो पंख लगा दिए थे. लगभग हर ऐपिसोड में मेरी गरीबी और लाचारी की चर्चा होती. उन्होंने मेरे गांव के घर का वीडियो भी बनाया था, जिस में घर के परदों पर लगे पैबंदों को बड़ी बारीकी से दिखाया गया था. मेरे दोस्तों, रिश्तेदारों से बात भी कराई थी. सब ने भरभर कर मेरी तारीफें की थीं. सबकुछ किसी सपने जैसा लग रहा था. मु?ा जैसे आम से व्यक्ति को आज इन बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए मैं इन शो वालों का बेहद एहसानमंद था.

‘‘और फिर वह दिन भी आया जब शो का फाइनल ऐपिसोड हुआ और ये वह खूबसूरत दिन था जब मैं ‘सिंगिंग स्टार औफ द इंडिया’ चुन लिया गया.

‘‘मु?ो शो जीतने के एवज में आयोजकों की ओर से एक अच्छी रकम का चैक दिया गया. खिताब जीतने के बाद तो मेरी दुनिया ही बदल गई.

‘‘सोशल मीडिया चैनल्स पर मेरे फोटो, वीडियो फ्लैश होते रहते. मेरी गरीबी और कामयाबी की कहानियां सुनाई जातीं. मु?ा से टीवी ऐंकर मेरी सुरीली आवाज के राज पूछते. लगभग रोज ही किसी न किसी शो में शामिल होने के लिए मेरे पास फोन आते रहते. इसी बीच मु?ो मेरे गांव की ओर से स्वागत निमंत्रण मिला.

‘‘गांव पहुंचने पर मेरा जोरदार स्वागत हुआ. फूलमालाओं से लाद कर मु?ो खुली जीप में घुमाया गया. अपने पीछे भीड़ चलती देख मैं खुशी से गदगद हो जाता.

‘‘मैं बहुत खुश था. अब हमने गांव में अपना पक्का मकान बना लिया और नए परदे भी लगा लिए थे. दोस्त, रिश्तेदार सभी बहुत इज्जत दे रहे थे. लेकिन अब काम के सिलसिले में मु?ो मुंबई में ही रहना था तो हम ने एक फर्नीश्ड फ्लैट किराए पर ले लिया. किराया काफी ज्यादा तो था लेकिन यह फ्लैट जरूरी था हमारे लिए. कई महीने हंसीखुशी में बीत गए. लेकिन वह कहते हैं न कि रातोंरात मिली कामयाबी ज्यादा देर तक नहीं टिकती, तो वही हुआ.

‘‘इनाम की धनराशि अब खत्म होने लगी थी. मु?ो चिंता होने लगी थी क्योंकि अभी तक मेरे पास कोई काम नहीं था. मुंबई जैसे बड़े शहर में रहनसहन के लिए अच्छी आमदनी का होना बहुत जरूरी था.

‘‘मैं ने 1-1 कर उन सभी म्यूजिक डाइरैक्टर्स को कौंटैक्ट किया जिन्होंने शो के दौरान मु?ो अपने फोन नंबर दिए थे और काम देने का वादा किया था. मगर फिर जो हुआ उस की मु?ो उम्मीद नहीं थी क्योंकि कोई भी मेरा फोन नहीं उठा रहा था.

‘‘किसी प्रोड्यूसर की पीए से बात हुई भी तो उस ने ‘सर बिजी हैं’ कह कर फोन काट दिया और बाद में तो वे सभी नंबर बंद ही आने लगे. मु?ो काम देने के जो कौंट्रैक्ट कैमरे के सामने साइन किए गए थे वे कागज मेरे सामने पड़े मुंह चिढ़ा रहे थे.

 

‘‘धीरेधीरे मेरी ख्याति कम होने लगी और साल खत्म होतेहोते मेरा

क्रेज बिलकुल खत्म हो गया. मैं बहुत परेशान रहने लगा. थक कर मैं अपने गांव वापस आ गया और फिर से अपनी मंडलियों का रुख किया. लेकिन वहां तो पहले ही बड़ा कंपीटिशन था. जो लोग गाने के लिए चयनित हो चुके थे वो किसी और को अपनी जगह नहीं दे रहे थे. कुल मिला कर मेरे पास कोई काम नहीं था. मेरी मां को वापस अपना सिलाई का काम शुरू करना पड़ा.

‘‘मैं अवसाद का शिकार हो चुका था. एक दिन मैं ने नींद की गोलियां खा कर अपनी जान देने की कोशिश की. मगर बचा लिया गया. मेरे कुछ साथियों ने मु?ो शहर ले जा कर मानसिक चिकित्सक को दिखाया. यहां से मु?ो रिहैबिलिटेशन सैंटर भेज दिया गया. कई महीने रिहैब में गुजारने के बाद मेरी स्थिति पहले से बेहतर तो हो गई, मगर पिछली जिंदगी में लौटने के भी सारे दरवाजे बंद हो चुके थे.लोग मु?ो पहचान जाते और हंसते मु?ा से तरहतरह के सवाल पूछते और आगे बढ़ जाते.

‘‘यह दुनिया सिर्फ उगते सूरज को सलाम करती है. मु?ो किसी से कोई शिकायत नहीं. अब मु?ो सम?ा आ चुका था कि यह कामयाबी यह शोर मेरा नहीं था. यह तो बस चैनल वालों का था. शो खत्म मैं भी खत्म. फिर किसी अगले शो के अगले सीजन में किसी मु?ा जैसे गरीब छोटे गायक को शिकार बनाया जाएगा. हां. मैं एक दिन इस अंधेरे से बाहर जरूर निकल आऊंगा. इंतजार में एक गुमनाम गायक ‘‘अभिलाष.’’

पत्र पढ़ कर प्रियांश की आंखों से आंसू बह निकले. जैसे अपना ही आने वाला कल उस की आंखों के सामने आ गया. साल दर साल कितने ही गायक ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेते हैं मगर कुछेक के अलावा बाकी सब न जाने कहां गुम हो जाते हैं. क्या वह खुद भी कल ऐसे ही… नहीं. ऐसा नहीं होगा. अपने मातापिता का चेहरा उस की नजरों के सामने घूम गया. तो फिर किया क्या जाए? क्या हाथ आए अवसर को ऐसे ही ठुकरा दे? उस के माथे पर पसीने को बूंदें उभर आईं.

तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई. दरवाजा खोलने पर सामने अमन और रेहान तैयार खड़े थे, ‘‘क्या हुआ? रियाज करने नहीं चलना,’’ पूछते हुए अमन ने उस के हाथ से वह पत्र ?ाटक लिया और पढ़ने लगा. पत्र देख रेहान भी उस के साथ शामिल हो गया. तभी कुणाल भी वहीं आ गया और पत्र देख सारी बात सम?ाते उन्हें देर न लगी.

‘‘यार, तो उस दिन वह युवक अभिलाष था?’’ अमन ने पत्र रखते हुए अचरज से पूछा.

‘‘हां,’’ प्रियांश सोफे पर निढाल हो गया.

विशाल,कीर्ति, सिद्धार्थ… फिर तो कितने ही नाम याद आ गए जो किसी न किसी सीजन में विनर रहे थे मगर आज किसी को याद तक नहीं.

‘‘गाइज सब के साथ बुरा नहीं होता. आई एम श्योर वह और बाकी सब भी कहीं न कहीं सैटल हो ही गए होंगे लाइफ में,’’ अमन बोला.

‘‘औफकोर्स,’’ रेहान ने कहा.

‘‘लेकिन सवाल तो उन का है जो कहीं के नहीं रहे.’’

‘‘हां,’’ तीनों ने एक सुर में कहा, ‘‘और सवाल यह भी है कि हम क्या कर सकते हैं.’’

‘‘यार अभिलाष को अवसाद से निकालने की कोशिश तो हमें करनी चाहिए,’’ अमन ने कहा और फिर उन्होंने अगली शूटिंग के सैट पर आयोजकों से मिलने की योजना बनाई.

 

प्रोडक्शन टीम को लड़कों की कोशिश अच्छी लगी. इसीलिए उन्होंने

प्रोड्यूसर आदित्य सर के साथ मीटिंग कर के तय किया कि वे 2 ऐपिसोड्स इस शो के भूलेबिछड़े लेजैंड्स गायकों को केंद्र में रख कर प्लान कर लेंगे. लेकिन अभिलाष या उस जैसे और भी किसी लेजैंड को प्रोडक्शन टीम के पास लाने की जिम्मेदारी ये लोग लें तो. इन लड़कों ने इस के लिए हामी भर दी.

अगले ही दिन ये चारों रजा साहब के पास रैस्टोरैंट पहुंचे और पूरी बात बताई. उन्होंने यहां काम करने वाले सभी लड़कों को बुलाया और इन लोगों से मिलवाया उन में से एक ने उन्हें एक ‘एनजीओ’ का पता दिया. शहर के कोलाहल से कुछ दूर स्थित इस बिल्डिंग को खोजने में कोई खास दिक्कत न हुई. लेकिन असल दिक्कत तो अभी बाकी थी और वह थी और्गेनाइजेशन की निरीक्षक और डाक्टर माहिरा आलम जो किसी भी अपरिचित को अपने किसी पेशैंट से मिलने नहीं देती थीं. उन का कहना था कि अनजान लोग सिर्फ दिल्लगी के लिए ही इन अवसादग्रस्त लोगों के पास आते हैं और इन के जख्मों को छेड़ कर फिर से ताजा कर देते हैं.

कोई घंटे भर के इंतजार के बाद आखिरकार एक वार्ड बौय ने आ कर खबर दी कि डाक्टर अब फ्री हैं. अब वे उन से मिल सकते हैं. लंबे कद की उजली रंगत वाली डाक्टर माहिरा अपने सवालिया अंदाज में रूबरू थीं.

‘‘आज अचानक कैसे याद आ गई आप सब को? अभिलाष करीब 1 साल से यहां हैं और इतने अरसे में मैं ने आप में से किसी को नहीं देखा न ही आप के बारे में कुछ सुना. तो फिर अब कैसे? और जब वह अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने बाहर की दुनिया में गया भी तो कुछ लोगों की मेहरबानी से वापस यहीं आ गया.’’

‘‘वे लोग हम ही थे,’’ प्रियांश, रेहान, अमन और कुणाल की चोर नजरों ने जैसे एकदूसरे से यही कहा.

डाक्टर का सवाल जायज था. लेकिन अब कैसे वे इन्हें सम?ाएं कि अभिलाष में खुद को देख रहे थे वे. इस आम से लड़के को जब शोहरत की बुलंदियों पर देखा था उस दिन के बाद वे और न जाने कितने लड़के उस जैसा बनने के सपने देखने लगे थे, जिसे आज तक टीवी पर गाते देखासुना उस की ऐसी दुर्दशा की कल्पना भी करना मुश्किल था और ऐसे में जब वह सामने आया तो उस की यह हालत देख कर यों ही छोड़ दें. यह इन से हो न सका और फिर यह कुदरत का करिश्मा है जो लोगों को एकदूसरे से मिला देती है.

मगर डाक्टर को इस से क्या. उन्हें थोड़े ही इस तरह तसल्ली हो जानी थी. उन के अनुसार तो लोग सिर्फ स्टोरी के लिए ही यहां आते हैं.

मगर ‘जहां चाह वहां राह’ तो लड़कों ने भी ठान ली थी कि ऐसे हार नहीं मानेंगे. उन्होंने सीधा प्रोडक्शन हाउस के ओनर आदित्य सर से संपर्क किया और डाक्टर माहिरा से उन की बात करा दी. बस फिर क्या था डाक्टर के पास इन की बात पर भरोसा करने के अलावा कोई चारा न था. इसीलिए कुछ जरूरी हिदायतें दे कर उन्होंने इन्हें मिलने की इजाजत दे दी.

थोड़ी औपचारिकताओं के बाद एक वार्ड बौय ने इन लोगों को एक हालनुमा कमरे पर पहुंचा दिया और वहां से चला गया. अंदर पहुंचने पर इन्होंने देखा कि वह दीवार की ओर मुंह किए बैठा था.

‘‘अभिलाष,’’ नाम पुकारने पर उस ने पलट कर देखा वही चेहरा, वही आंखें, वही अभिलाष.

‘‘हम तुम्हें लेने आए हैं. हमें पता है तुम इस अंधेरे से निकलना चाहते हो.’’

उस ने उन की बात को सुन कर भी अनसुना कर दिया. शायद ऐसी बातों से भरोसा टूट चुका था उस का.

‘‘अभिलाष मैं, मैं प्रियांश, पहचाना? मैं भी माधोपुर से हूं. हम जानते हैं तुम ने बहुत दुख देखे हैं लेकिन अब मुश्किल समय बीत चुका है और एक नई दुनिया तुम्हारा इंतजार कर रही है. हमारा विश्वास करो. कहो तो ‘सिंगिंग स्टार की खोज’ के प्रोडक्शन हाउस से बात करा दें?’’ अमन ने अभिलाष का हाथ पकड़ कर कहा.

 

वह अपनी जगह से उठा और बाहर की ओर जाने लगा. तभी रेहान ने अपना फोन उस

की तरफ घुमा दिया. दूसरी तरफ मां और बहन को देख कर यह टूटा दिल भी अपने जज्बात काबू में न रख सका और बिखर गया.

‘‘‘बेटा, ये लोग कई दिनों से मेरे से संपर्क में हैं. इन्होंने तेरे लिए अच्छा सोचा है. तू कोशिश कर और आगे बढ़ आगे सब अच्छा होगा. मेरा अच्छा बेटा,’’ मां ने विश्वास दिलाया.

उस के साथियों ने अभिलाष को उस का पत्र मिलने से ले कर प्रोडक्शन टीम से बात कर लेने तक की सारी कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि वे और पूरी टीम उसे गुमनामी के अंधेरे से निकालना चाहती है. सच्ची बात सच्चे दिल तक पहुंच ही जाती है और जब कोई खुद ही अंधेरे से निकलने की कोशिश में हो तो मदद के लिए मिला हाथ ठुकराने की हिम्मत नहीं होती.

उन्होंने अभिलाष का विश्वास जीत लिया था. उन की बातों से उस की आंखों में चमक नजर आई. साथ ही उन्होंने अभिलाष को खुशखबरी सुनाई कि डाइरैक्टर आदित्य सर ने एक स्कूल में भी संगीत शिक्षक के तौर पर तुम्हें काम दिलाने के लिए आवेदन करवा दिया है.

‘‘और तुम्हारा क्या? कहीं कल तुम भी मेरी तरह…’’ अभिलाष ने प्रियांश से सीधा सवाल किया.

‘‘दरअसल, हम चारों को ही सम?ा आ

गया है कि चाहे यहां से जीत के जाएं या बीच

में ही शो से बाहर हो जाएं हम अपनी जड़ों

को नहीं छोड़ेंगे. मैं यहां से जा कर अपनी

सहायक की नौकरी जौइन करूंगा और यह अपनी पढ़ाई पूरी करेगा और ये दोनों अपने पापा का बिजनैस देखेंगे.’’

‘‘मतलब लौट के बुद्धू …’’

‘‘न… न… लौट के सम?ादार अनुभव ले कर आए,’’ अमन के मुंह से निकले अनोखे मुहावरे पर वे सब हंस पड़े. यहां अब उम्मीद की एक नई किरण का उदय हो चुका था.

नोकझोंक : आदित्य अपनी पत्नी से क्यों नफरत करने लगा?

डोरबेल की आवाज सुन कर जैसे ही शिप्रा ने दरवाजा खोला. आदित्य उस के सामने खड़ा था. जैसेकि इंसान के बोलनेसमझने से पहले ही आंखें बहुत कुछ बोलसुन, समझ जाती हैं उसी तरह शिप्रा और आदित्य को पता चल गया था कि दोनों से गलती हुई है. दोनों में से किसी ने बात खत्म करने की नहीं सोची थी. बहस बहुत छोटी सी बात की थी.

उस दिन शिप्रा अपने भाईभाभी के शादी की सालगिरह पर जाने को तैयार बैठी थी. आदित्य ने भी 5 बजे आने को बोला था पर औफिस में ऐन मौके पर मीटिंग की वजह से भूल गया. फोन साइलैंट पर था तो आदित्य ने फोन उठाया नहीं. काम समेटते साढे 6 बज गए. काम खत्म कर फोन देखा तो शिप्रा की 13 मिस्ड कौल्स थीं. आननफानन में आदित्य घर की तरफ भागा पर घर पहुंचतेपंहुचते 7 बज गए.

उधर शिप्रा का गुस्सा 7वें आसमान पर था. आदित्य ने तुरंत शिप्रा को सौरी बोला पर शिप्रा ने तो जैसे सुना ही नहीं और अकेले ड्राइवर के साथ मायके चली गई. आदित्य भी तब तक नाराज हो चुका था कि यह भी कोई बात हुई कि सामने वाले को कुछ कहने का मौका ही न दो. वह भी पीछे से नहीं गया.

उधर शिप्रा से मायके में हरकोई आदित्य को पूछ रहा था. बहाने बनातेबनाते शिप्रा का मूड बहुत औफ हो गया. पार्टी खत्म होने के बाद सारे मेहमान चले गए तो शिप्रा ने गुस्से में ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद मां के पास रुक गई.

‘‘आदित्य मीटिंग से लौटेगा तो तुम्हें मिस करेगा,’’ भाभी ने मजाक किया.

‘‘अरे नहीं भाभी, उस को मैं ने बता दिया है और क्या मैं अब इतनी पराई हो गई कि यहां रुक नहीं सकती,’’ शिप्रा ने बहाना बनाने के साथ एक भावनात्मक तीर भी छोड़ दिया.

‘‘यह तुम्हारा ही घर है बेटा. जब तक रुकना चाहो रुको. पर आदित्य को बता कर,’’ मां ने उसे गले लगाते हुए कहा. मां सम?ा गई थीं कि शिप्रा की आदित्य से कुछ तो अनबन हुई है. पर अनुभव से यह भी समझ गई कि सुबह तक सब ठीक हो जाएगा, नईनई शादी में इस तरह की नोक?ांक टौनिक का काम करती है. ऐसे में किसी और का कुछ न टोकना ही अच्छा है नहीं तो बात बनेगी नही बिगड़ जाएगी. मां बहुत सुलझ और सरल महिला थीं.

इधर ड्राइवर के खाली गाड़ी ले कर लौट आने पर आदित्य का मन और खिन्न हो गया. थोड़ा लेट ही सही, आ गया था और वह भी मेरे आने के बाद ही तो गई. इतनी भी क्या अकड़.

आदित्य सारी रात सो न सका. अभी शादी को 3 महीने भी तो नहीं हुए थे. वह शिप्रा को इतना मिस करने लगा कि वह अपनी सारी नाराजगी भूल गया. नींद तो शिप्रा को भी नहीं आ रही थी. उसे भी अब अपने ऊपर गुस्सा आने लगा था कि नाहक आदित्य पर इतना नाराज हुई. क्या हो जाता. थोड़ी वह ही सम?ादार बन जाती. रात आंखोंआंखों में कट गई. सुबह होते ही आदित्य शिप्रा के मायके पहुंच गया और शिप्रा भी जैसे उसी का इंतजार कर रही थी. डोरबैल की आवाज पर लपक कर दरवाजा खोला.

‘‘चलें,’’ आदित्य ने मुसकराते हुए कहा तो शिप्रा ने तुरंत उस की बांह थाम ली.

‘‘चले जाना… चले जाना, पर कम से कम नाश्ता कर लो वरना अब वहां तो टाइम नहीं मिलेगा. मेरा मतलब है नाश्ते का समय निकल जाएगा,’’ शिप्रा की भाभी ने चुटकी लेते हुए छेड़ा तो दोनों ?ोंप गए.

नाश्ता कर के सब से विदा ले ली. गाड़ी में बैठते ही शिप्रा ने आदित्य की आंखों में देखते हुए अपने दोनों कान पकड़ लिए तो आदित्य ने भी उस का माथा चूम लिया. बिन कहे, बिन सुने दोनों ने अपनीअपनी गलती भी मान ली और माफी भी मांग ली.

साइलेंट किलर है हाई बीपी, कंट्रोल करने के लिए अपनाएं ये उपाय

हाई बीपी या हाइपरटेंशन आज के समय की एक बहुत ही सामान्य लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है. यह बीमारी दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है और धीरे-धीरे शरीर के कई अंगों पर बुरा असर डाल सकती है. अगर इसका समय रहते इलाज नहीं किया गया तो यह दिल के दौरे, स्ट्रोक और
किडनी से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है.

 

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साओल हार्ट सेंटर , नई दिल्ली के डौक्टर बिमल छाजेर ( डायरेक्टर)  विस्तार से
हाई बी पी की समस्या के बारे में बता रहे हैं;
हाई बीपी क्या है
ब्लड प्रेशर वह दबाव है जिससे हमारा खून आर्टरीज़  के द्वारा पूरे शरीर में बहता है. जब यह दबाव सामान्य से ज़्यादा  हो जाता है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन कहा जाता है. सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 एम् एम्ल एचजी  होता है. जब यह स्तर 140/90 एम् एम्  एचजी से ऊपर हो जाता है, तो
इसे हाई बीपी कहा जाता है.
हाई बीपी के कारण दिल और अन्य अंगों पर दबाव बढ़ जाता है जिससे समय के साथ उन में नुकसान हो सकता है. यह समस्या कई बार बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी हो सकती है, इसलिए इसे “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है.
हाई बीपी के लक्षण
हाई बीपी के कई लक्षण होते हैं, जिन्हें समझकर आप इसे पहचान सकते हैं:
सिरदर्द: अगर आपके सिर के पीछे के हिस्से में अक्सर सिरदर्द रहता है, तो
यह हाई बीपी का संकेत हो सकता है.
चक्कर आना: कई बार हाई ब्लड प्रेशर के कारण आपको चक्कर आ सकते हैं, जिससे
आपका सिर घूम सकता है.
धुंधला दिखना: अगर आपकी आंखों में धुंधलापन है या आपको देखने में दिक्कत
हो रही है, तो यह भी हाई बीपी का लक्षण हो सकता है.
सीने में दर्द: हाई बीपी के कारण दिल पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे कभी-कभी
सीने में दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है.
नाक से खून बहना: अगर आपकी नाक से बिना किसी कारण खून निकलता है, तो यह
भी हाई बीपी का संकेत हो सकता है.
हाई बीपी के कारण
हाई बीपी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख कारण हैं-
अनियमित जीवनशैली: ज्यादा तला-भुना और नमक युक्त भोजन, फिजिकल  एक्टिविटी
 की कमी,  हाई बीपी के मुख्य कारण हैं.
मोटापा: जिन लोगों का वजन ज़्यादा  होता है, उनमें हाई बीपी होने का खतरा
ज्यादा होता है.
स्ट्रेस : ज्यादा स्ट्रेस लेने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है.
शराब और तंबाकू का सेवन: ये दोनों चीजें भी ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का काम करती हैं.
जेनेटिक : अगर परिवार में किसी को हाई बीपी है, तो आपको भी इसके होने की
संभावना ज्यादा होती है.
हाई बीपी से होने वाले खतरे
हाई बीपी अगर समय पर ठीक नहीं किया गया तो यह शरीर के कई अंगों पर बुरा
असर डाल सकता है. इसमें प्रमुख समस्याएं हैं:
दिल का दौरा: लगातार बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर दिल पर दबाव डालता है, जिससे
हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
स्ट्रोक: हाई बीपी के कारण दिमाग की नसों में भी ब्लड सर्कुलेशन  बढ़
सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है.
किडनी की समस्या: ब्लड प्रेशर बढ़ने से किडनी पर भी असर पड़ता है, जिससे
वह ठीक से काम नहीं कर पाती.
हाई बीपी को कैसे कंट्रोल  करें
हाई बीपी को रोकने और कंट्रोल  करने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में कुछ
बदलाव करने होंगे. नीचे दिए गए कुछ सरल उपायों को अपनाकर आप इसे कंट्रोल
में रख सकते हैं:
1. नियमित व्यायाम करें
रोजाना 30 मिनट हल्का व्यायाम करना आपके ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद
कर सकता है. जैसे तेज चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना या योग करना. व्यायाम
करने से दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है और ब्लड
प्रेशर सामान्य रहता है.
2. स्वस्थ आहार लें
अपने भोजन में नमक और तले-भुने खाने को कम करें. ज्यादा नमक का सेवन हाई
बीपी का प्रमुख कारण होता है. इसके बदले ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज
का सेवन बढ़ाएं. पालक, पत्ता गोभी और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां ब्लड
प्रेशर को कंट्रोल  करने में सहायक होती हैं. इसके साथ ही, ओमेगा-3 फैटी
एसिड से भरपूर मछली का सेवन भी लाभकारी हो सकता है.
3.स्ट्रेस  कम करें
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव आम हो गया है, लेकिन यह हाई बीपी का
बड़ा कारण भी है. तनाव को कम करने के लिए ध्यान (मेडिटेशन), योग और गहरी
सांस लेने की तकनीकें अपनाएं. इससे आपका दिमाग शांत रहेगा और ब्लड प्रेशर
भी कम होगा.
4. वजन को कंट्रोल में  रखें
अधिक वजन या मोटापा भी हाई बीपी का मुख्य कारण है. अगर आपका वजन अधिक है,
तो उसे कंट्रोल  करने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करें. आपका
वजन जितना कंट्रोल  में  रहेगा, हाई बीपी का खतरा उतना ही कम होगा.
5. शराब और तंबाकू से परहेज करें
अधिक मात्रा में शराब पीना और तंबाकू का सेवन भी हाई बीपी को बढ़ाता है.
इसलिए अगर आप हाई बीपी से बचना चाहते हैं, तो इन दोनों चीजों से पूरी तरह
से दूरी बनाएं.
6. पर्याप्त नींद लें
नींद का भी हमारे ब्लड प्रेशर पर बड़ा असर होता है. दिन में कम से कम 7-8
घंटे की नींद जरूर लें. अच्छी और पूरी नींद आपके दिमाग को शांत रखती है
और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल  करती है.
7. दवाइयां समय पर लें
अगर आपका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा है, तो डॉक्टर से मिलकर दवाइयों का
सेवन करें. दवाइयों को सही समय पर लेना बहुत जरूरी है ताकि आपका ब्लड
प्रेशर सामान्य बना रहे.
कई बार हाई बीपी के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं और लोग इसे नजरअंदाज कर
देते हैं. इसलिए समय-समय पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना जरूरी
है. खासकर अगर आपको सिरदर्द, चक्कर आना, या सीने में दर्द जैसी समस्याएं
हैं, तो तुरंत डौक्टर से सलाह लें.
हाई बीपी एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे रोकना और कंट्रोल  करना संभव
है. जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव, नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार और तनाव
को कम करने की तकनीक अपनाकर आप इस बीमारी से बच सकते हैं. हमेशा याद
रखें, सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेना और अपनी सेहत का ध्यान रखना ही हाई
बीपी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है.

ट्रैंडिंग वरमाला डिजाइन, जो वैडिंग आउटफिट को देंगे बेहतरीन लुक

शादी के दिन दुलहन अपने सैंडल्स से ले कर नाखुन, हेयरस्टाइल, चूड़ियां सब को ले कर खूब मेहनत कर, पसंद की चीजें खरीदती है और जीवन के इस पल में सब से खूबसूरत दिख कर, शादी के लमहे को यादगार बनाना चाहती है. लेकिन अकसर बाकी सब चीजों की शौपिंग में दुलहनें एक सब से जरूरी चीज को भूल जाती है, जो शादी के दिन दुलहन की करीकराई मेहनत पर पानी फेर सकती है और वह है मिसमैच वरमाला.

कई मौके ऐसे आते हैं, जब दुलहन बड़ी खूबसूरत लग रही होती है, लेकिन जैसे ही वरमाला की रस्म होती है, तो वरमाला का रंग और डिजाइन आउटफिट से मैच न होने के चलते दुलहन के लहंगे, ज्वैलरी का सारा लुक खराब हो जाता है.

हम ट्रैंडी वरमाला के डिजाइन आप के लिए लाए हैं जिस से अपनी शादी में चार चांद लगा पाएं :

लाल गुलाब की वरमाला : प्रेम का प्रतीक

गुलाब को प्रेम का सब से सच्चा प्रतीक माना जाता है. विवाह जैसे पवित्र अवसर पर लाल गुलाबों से बनी वरमाला विशेष आकर्षण जोड़ती है. इस की सुंदरता और महक दोनों ही विवाह समारोह में खुशियों और सकारात्मकता का संचार करती हैं. अगर आप अपनी शादी को रोमांटिक और यादगार बनाना चाहते हैं, तो यह डिजाइन आप के लिए एकदम सही है. लाल रंग की वरमाला आप की आउटफिट में अलग रंग भरने का काम करेगी.

लाल और सफेद रजनीगंधा के फूलों से बनी वरमाला : पवित्रता का प्रतीक

ट्यूबरोज (रजनीगंधा) की सफेद पंखुड़ियों और गुलाब की लाल पंखुड़ियों से बुनी गई वरमाला बहुत ही आकर्षक लगती है. इस वरमाला की महक और पवित्रता इसे विवाह का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाती है. यह वरमाला सिल्क से बनी, हर रंग और डिजाइन की साड़ियों की साथ खूब मेल खाता है.

लाल और सफेद गुलाब की जोड़ी : सुंदरता का मेल

लाल और सफेद गुलाबों से बनी वरमाला वैडिंग आटफिट में जान डाल सकती है. इस डिजाइन में सफेद गुलाबों की शांति और लाल गुलाबों का प्रेम दोनों का अद्भुत संयोजन होता है. अगर आप इसे और खास बनाना चाहते हैं, तो इस में सफेद मोतियों का प्रयोग भी कर सकते हैं, जो इस वरमाला को और भी भव्य बनाएगा.

गुलाब की पंखुड़ियों से बुनी वरमाला : पारंपरिक सौंदर्य

गुलाब की पंखुड़ियों से बनी पारंपरिक वरमालाएं सदियों से भारतीय विवाह का हिस्सा रही हैं. गुलाब की नन्ही पंखुड़ियां न केवल आप के लुक को बढ़ाती हैं, बल्कि इन की महक आप के मेहमानों को भी मोह लेती है. यह डिजाइन शादी के जोड़े के साथ शानदार तरीके से मेल खाता है और पारंपरिक होते हुए भी ताजगी भरा लुक देता है.

कमल की वरमाला : दिव्यता और शांति का प्रतीक

कमल का फूल भारतीय संस्कृति में दिव्यता, शांति और पवित्रता का प्रतीक है. अगर आप अपनी शादी में वरमाला को सब से अलग टच देना चाहती हैं, तो कमल की वरमाला को आप अपने खास दिन का हिस्सा बना सकते हैं. दक्षिण भारतीय विवाहों में यह वरमाला बहुत लोकप्रिय है और इसे शुभ माना जाता है. देवी लक्ष्मी को समर्पित इस पवित्र फूल से बनी वरमाला आप की वैडिंग आउटफिट बेहद खास बना देगी.

बेबीज ब्रीथ की वरमाला : आधुनिक और स्टाइलिश

अगर आप पारंपरिक वरमालाओं से कुछ अलग और आधुनिक चाहती हैं, तो बेबीज ब्रीथ और गुलाब के संयोजन वाली यह वरमाला आप के लिए एकदम सही है. सफेद और गुलाबी रंग के हलके फूलों से बनी यह वरमाला बहुत ही स्टाइलिश लगती है. छोटे गुलाब की कली के साथ यह डिजाइन आजकल भारतीय शादियों में बेहद लोकप्रिय हो रहा है.

मोतियों की वरमाला : शाही और सुंदरता का संगम

अगर आप अपनी शादी को यादगार और अनोखा बनाना चाहते हैं, तो फूलों की जगह मोतियों से बनी वरमाला का चयन करें. मोतियों से बनी वरमालाएं एक नयी ट्रैंडिंग डिजाइन बन चुकी हैं और यह आप की शादी में एक खास आकर्षण जोड़ेगी. मोती का चमकदार और सुंदर लुक इसे एक क्लासिक डिजाइन बनाता है.

और्किड की वरमाला : प्यार और सुंदरता का प्रतीक

और्किड के फूल प्यार और सौंदर्य के प्रतीक माने जाते हैं. बैंगनी और नीले और्किड के फूलों से बनी वरमाला बहुत ही आकर्षक लगती है. यह डिजाइन न केवल आप के लुक को बढ़ाएगा, बल्कि यह बेहद हलका और आरामदायक भी होता है, जिस से आप इसे आसानी से पहन सकती हैं.

गुलाबी और सफेद गुलाब का जादुई मिश्रण

अगर आप अपनी वरमाला में कोमलता और नजाकत जोड़ना चाहती हैं, तो गुलाबी और सफेद गुलाबों का संयोजन सब से सही विकल्प है. यह डिजाइन आप के ब्राइडल लुक को और भी आकर्षक बना देगा. आजकल यह डिजाइन बहुत ही ट्रैंड में है और इसे पहन कर आप अपनी शादी के दिन और भी खूबसूरत दिख सकती हैं.

हरी पत्तियों की वरमाला : प्रकृति की सुंदरता का स्पर्श

प्रकृति प्रेमी और इको फ्रैंडली विवाह के शौकीनों के लिए तुलसी या अन्य हरी पत्तियों से बनी वरमाला एकदम सही विकल्प है. यह वरमाला ताजगी और सजीवता का प्रतीक है और विवाह में एक अनोखी और जीवंत उपस्थिति जोड़ेगी. अगर आप पारंपरिक और पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं, तो यह वरमाला आप के लिए एक यादगार चयन हो सकता है.

विवाह का दिन हर किसी के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण और विशेष दिन होता है. इस दिन को और भी खास बनाने के लिए सही वरमाला का चयन बेहद जरूरी है. चाहे वह गुलाब की महक हो, कमल की दिव्यता हो या मोती की ख़ूबसूरती, हर वरमाला का अपना एक विशेष महत्त्व और सुंदरता है.

वरमाला केवल एक रस्म नहीं, बल्कि यह प्रेम और निष्ठा का प्रतीक होती है. यह छोटेछोटे डिजाइन आइडियाज विवाह को और भी भव्य और यादगार बना सकते हैं.

होंठों से घुटनों तक के कालापन से पाना चाहती हैं छुटकारा, तो ऐक्सपर्ट के टिप्स को करें फौलो

ब्लॉसम कोचर, सौंदर्य विशेषज्ञा

काले धब्बे या त्वचा का असमान रंग एक सामान्य सौंदर्य समस्या है, जिस से कई लोग परेशान होते हैं. होंठों, घुटनों, कोहनी, गर्दन, अंडरआर्म्स और यहां तक कि नितंबों पर कालापन या त्वचा का असमान रंग होने के कई कारण हो सकते हैं, जिन में धूप के प्रभाव, प्रदूषण, अनुचित स्किनकेयर रूटीन और हार्मोनल बदलाव शामिल हैं. हालांकि, इसे हल करना कठिन नहीं है.

होंठों का कालापन

होंठों का कालापन एक बहुत आम समस्या है, खासकर उन लोगों के लिए जो धूम्रपान करते हैं या जिन के होंठों पर बहुत अधिक धूप का असर होता है. इस के अलावा, होंठों को नियमित रूप से मौइस्चराइज न करने से भी उन में सूखापन और कालापन आ सकता है.

उपाय

नीबू और शहद का मिश्रण: नीबू में मौजूद प्राकृतिक ब्लीचिंग गुण होंठों के कालेपन को दूर करने में मदद करते हैं. नीबू के रस में थोड़ा शहद मिला कर होंठों पर लगाएं और 10-15 मिनट के बाद धो लें. इसे रोजाना उपयोग करने से होंठों की त्वचा धीरेधीरे हलकी हो जाएगी.

गुलाबजल और ग्लिसरीन: गुलाबजल होंठों को ताजगी और नमी प्रदान करता है, जबकि ग्लिसरीन उन्हें मौइस्चराइज रखता है. रात को सोने से पहले गुलाब जल और ग्लिसरीन को मिला कर होंठों पर लगाएं.

चीनी स्क्रब: चीनी के छोटेछोटे दाने डेड स्किन को हटाने में मदद करते हैं. चीनी और नारियल तेल का स्क्रब बना कर होंठों पर हल्के हाथ से मसाज करें. इस से होंठ साफ, मुलायम और गुलाबी दिखाई देंगे.

कोहनी और घुटनों का कालापन

कोहनी और घुटनों पर कालापन अकसर कठोर त्वचा के कारण होता है. ये स्थान हमेशा घर्षण के संपर्क में होते हैं, जिस से वहां की त्वचा मोटी और काली हो जाती है.

उपाय

नीबू और बेकिंग सोडा: नीबू और बेकिंग सोडा का मिश्रण कोहनी और घुटनों के काले धब्बों को हलका करने के लिए प्रभावी होता है. आधे नीबू पर बेकिंग सोडा छिड़कें और इसे प्रभावित क्षेत्रों पर रगड़ें. यह त्वचा के मृत कोशिकाओं को हटा कर काले धब्बों को हल्का करता है.

एलोवेरा जैल: एलोवेरा त्वचा के रंग को सुधारने के साथ ही उसे नमी और पोषण भी प्रदान करता है. एलोवेरा जैल को सीधे घुटनों और कोहनी पर लगाएं और 20 मिनट बाद धो लें. इसे रोजाना

उपयोग करें.

नारियल तेल और हल्दी: नारियल तेल त्वचा को गहराई से मौइस्चराइज करता है और हल्दी में ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटीइंफ्लैमेटरी गुण होते हैं. नारियल तेल में थोड़ी हल्दी मिला कर प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएं और 15-20 मिनट के बाद धो लें.

गर्दन का कालापन

गर्दन का कालापन अकसर अशुद्धियों और धूलमिट्टी के कारण होता है. साथ ही, त्वचा को साफ न करने या नियमित देखभाल न करने से भी गर्दन का रंग असमान हो सकता है.

उपाय

दूध और बेसन: दूध एक प्राकृतिक क्लींजर होता है और बेसन त्वचा की गहराई से सफाई करता है. दूध और बेसन को मिला कर पेस्ट बनाएं और इसे गर्दन पर लगाएं.

नीबू और गुलाबजल: नीबू का रस और गुलाबजल मिला कर रोजाना रात को सोने से पहले गर्दन पर लगाएं. यह त्वचा की रंगत को सुधारने में मदद करता है और काले धब्बों को दूर करता है.

खीरे का रस: खीरा त्वचा को ठंडक और ताजगी प्रदान करता है. खीरे का रस निकाल कर इसे रोजाना गर्दन पर लगाएं. इस से गर्दन की त्वचा साफ और चमकदार होगी.

अंडरआर्म्स का कालापन

अंडरआर्म्स का कालापन के कई कारण हो सकते हैं जैसे अत्यधिक पसीना, शेविंग और कठोर डियोडरेंट्स का उपयोग शामिल हैं.

उपाय

आलू का रस: आलू एक प्राकृतिक ब्लीचिंग एजेंट है. आलू के रस को अंडरआर्म्स पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें. यह कालापन दूर करने में मदद करता है.

एप्पल साइडर विनेगर: एप्पल साइडर विनेगर में एसिडिक गुण होते हैं, जो त्वचा को साफ करने और मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करते हैं. इसे पानी में मिला कर अंडरआर्म्स पर लगाएं और कुछ देर बाद धो लें.

टी ट्री औयल और पानी: टी ट्री औयल

में ऐंटीसेप्टिक और ऐंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो अंडरआर्म्स को ताजगी प्रदान करने के साथसाथ त्वचा के रंग को भी हलका करते हैं.

टी ट्री औयल की कुछ बूंदें पानी में मिलाकर अंडरआर्म्स पर स्प्रे करें.

पति के शक्की स्वभाव के कारण मैं परेशान हूं, क्या करूं ?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 32 वर्षीय विवाहित महिला हूं. विवाह को 5 वर्ष हो चुके हैं. मेरे पति के साथ एक समस्या है कि वे बहुत शक्की स्वभाव के हैं. मैं किसी भी पुरुष से बात करूं, फिर चाहे वह सेल्सबौय ही क्यों न हो तो वे मुझ से लड़नेझगड़ने लगते हैं. किसी से फोन पर भी बात करूं तो पूछते हैं किस का फोन था, क्या बात हुई. मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं लेकिन उन का मेरे प्रति यह रवैया मुझे दुखी कर देता है. मैं ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की है कि मैं उन के अलावा और किसी को नहीं चाहती लेकिन उन की शक कर ने की आदत मुझे परेशान करती है.

जवाब

देखिए, शक का कोई इलाज नहीं होता. आप के पति के साथ भी ऐसा ही है. सामान्यतया शक वही लोग करते हैं जिन्हें अपने ऊपर विश्वास नहीं होता और वे दूसरों से खुद को कमतर समझते हैं. आप अपने पति के गुणों की तारीफ करें और जताएं कि वे संपूर्ण हैं और उन के अलावा आप किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकतीं. आप का यह व्यवहार धीरेधीरे उन के शक्की स्वभाव को बदल देगा.

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शादी के बाद इसलिये धोखा देते हैं पति-पत्नी

इंसान की फितरत है धोखा देना. दरअसल इसे कमजोरी भी कहा जा सकता है. लोग दोस्ती में धोखा देते हैं, रिश्तों में धोखा देते हैं, प्यार में धोखा देते हैं और यहां तक कि शादी के बाद भी धोखा देते हैं.

देखा गया है कि शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बार धोखा का बदला लेने के लिये धोखा दिया जाता है. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है.

हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि शादीशुदा लोग क्यों एक दूसरे को धोखा देते हैं.

पति का शादी के बाद धोखा देने के कारण

संतुष्टि न मिलना

कई बार पति को अपनी पति से सेक्स से वो संतुष्टि नहीं मिलती जो वो चाहता और तब वह शादी के बाहर इस संतुष्टि की तलाश करने लगता है और दूसरी महिलाओं के संपर्क में आ जाता है.

ओपन सोसाइटी

आधुनिकता की वजह से समाज में आ रहे बदलाव यानी खुलेपन की कारण भी पति अपनी पत्नी को धोखा देने लगता है. दरअसल, नयी आब-ओ-हवा में समाज में खुलापन तेज़ी से आ रहा है और इसकी वजह से लोगों की मानसिकता भी खुलती जा रही है और वे शादी के बाहर संबंध बनाने में अब कम हिचकते हैं. इस मामले में महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. ज़ाहिर है ऐसे रिश्ते की बुनियाद धोखे पर ही रखी जाती है.

सोशल मीडिया का फैलाव

आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हो गई हैं क्योंकि आप सोसल मीडिया के ज़रिये आसानी से दोस्त बना लते हैं जो पहले इतना आसान नहीं था.

आपसी संवाद का अभाव

पति और पत्नी के बीच नियमित रुप से संवाद कई समस्याओं को पैदा होने से रोक देता है लेकिन देखा गया है कि जिस दंपत्ति में आपसी संवाद नहीं होता या बहुत कम होता है वहां भी धोखे की संभावना बढ़ जाती है. संवाद न होने से दोनों में कई बार ग़लतफ़हमी हो जाती है जो फिर कड़वाहट में बदल जाती है.

प्रयोगवादी होना

लोग आजकल अपनी सेक्ल-लाइफ को और दिलचस्प बनाने के लिये नए-नए प्रयोग करने की सोचते हैं. पति को अगर पति को सेक्स का सुक नहीं मिल रहा हो या फिर ऊब गया हो तो तो वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं चूकता. लेकिन जब पत्नी इसमें सहयोग नहीं देती तो पुरूष धोखा देने लगते हैं.

महिलाओं का शादी के बाद धोखा देने के कारण

अफेयर होना

आमतौर पर कोई पत्नी शादी के बाद पति को या तो इसलिए धोखा देने लगती हैं क्योंकि उसका शादी से पहले किसी से अफेयर होता है या फिर उसका पहला प्रेमी उसे परेशान और ब्लैकमेल कर रहा हो.

पति का शक़्की मिजाज

कई हार पत्नी अपने पति को इसलिए धोखा देने लगती है क्योंकि उसका पति शक्की होता है और बात-बात पर उस पर शक़ करता है.

अकेलापन और बोरियत होना

कई बार पत्नि घर में अकेली रहकर या फिर एक ही तरह के रूटीन से बोर हो जाती है और ऐसे में वह बाहरी दुनियां की तरफ आकर्षित हो जाती है नतीजन उसका अफेयर चलने लगता है.

पति से विचार ना मिलना

कई बार पति से विचार ना मिलना या फिर हर समय घर के झगड़े के कारण भी पत्नी बाहर किसी पराये मर्द की तरफ आकर्षित हो जाती है.

इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिससे महिलाएं और पुरूष शादी के बाद भी अपने साथी को धोखा देने लगती हैं.

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ब्रैकफास्ट में बनाएं हैल्दी डोसा, यहां जानें आसान रेसिपी

ब्रैकफास्ट में अगर आप हैल्दी डोसा अपनी फैमिली को परोसना चाहती हैं तो ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट औप्शन होगा.

सामग्री

2 कप ब्राउन राइस

1/2 कप उरद धुली

1/4 कप चना दाल

1/2 कप पतला चिड़वा

1/2 छोटा चम्मच मेथीदाना

डोसा सेंकने के लिए थोड़ा सा रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार

भरावन की सामग्री

2 कप हरे मटर

1 कप गाजर बारीक कटी

1/2 छोटा चम्मच राई

चुटकी भर हींग पाउडर

2 हरीमिर्चें बारीक कटी

2 बड़े चम्मच प्याज बारीक कटा

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

2 छोटे चम्मच रिफाइंड आयल छौंक के लिए

नमक स्वादानुसार

विधि

ब्राउन राइस को पानी से धो कर एक कांच के बाउल में रखें व उस में 1 इंच ऊपर तक पानी भर दें. बाउल को माइक्रोवेव में हाई पर 5 मिनट गरम करें व आधा घंटा उसी में रहने दें. फिर बाहर निकालें. बाउल का पानी फेंक कर दोबारा भरें.

चना व उरद की दाल और मेथीदाना भी धो कर चावलों के साथ मिला दें. रात भर भिगोएं. सवेरे पानी निथार कर मिक्सी में थोड़ा पानी डाल कर डोसे लायक मिश्रण तैयार कर लें.

एक नौनस्टिक पैन में थोड़ा सा तेल गरम कर के हींग, राई व प्याज का तड़का लगा कर मटर व गाजर छौंक दें. नमक व मिर्च डालें और गलने तक पकाएं. धनियापत्ती डालें.

एक नौनस्टिक तवे को तेल से चिकना कर के थोड़ा थोड़ा मिश्रण तवे पर डालें और दोनों तरफ से करारा सेंकें, फिर मटर व गाजर बीच में भर कर रोल करें और चटनी के साथ सर्व करें.

सिसकता शैशव: मातापिता के झगड़े में पिसा अमान का बचपन

लेखिका- विनोदिनी गोयनका

जिस उम्र में बच्चे मां की गोद में लोरियां सुनसुन कर मधुर नींद में सोते हैं, कहानीकिस्से सुनते हैं, सुबहशाम पिता के साथ आंखमिचौली खेलते हैं, दादादादी के स्नेह में बड़ी मस्ती से मचलते रहते हैं, उसी नन्हीं सी उम्र में अमान ने जब होश संभाला, तो हमेशा अपने मातापिता को लड़तेझगड़ते हुए ही देखा. वह सदा सहमासहमा रहता, इसलिए खाना खाना बंद कर देता. ऐसे में उसे मार पड़ती. मांबाप दोनों का गुस्सा उसी पर उतरता. जब दादी अमान को बचाने आतीं तो उन्हें भी झिड़क कर भगा दिया जाता. मां डपट कर कहतीं, ‘‘आप हमारे बीच में मत बोला कीजिए, इस से तो बच्चा और भी बिगड़ जाएगा. आप ही के लाड़ ने तो इस का यह हाल किया है.’’

फिर उसे आया के भरोसे छोड़ कर मातापिता अपनेअपने काम पर निकल जाते. अमान अपने को असुरक्षित महसूस करता. मन ही मन वह सुबकता रहता और जब वे सामने रहते तो डराडरा रहता. परंतु उन के जाते ही अमान को चैन की सांस आती, ‘चलो, दिनभर की तो छुट्टी मिली.’

आया घर के कामों में लगी रहती या फिर गपशप मारने बाहर गेट पर जा बैठती. अमान चुपचाप जा कर दादी की गोद में घुस कर बैठ जाता. तब कहीं जा कर उस का धड़कता दिल शांत होता. दादी के साथ उन की थाली में से खाना उसे बहुत भाता था. वह शेर, भालू और राजारानी के किस्से सुनाती रहतीं और वह ढेर सारा खाना खाता चला जाता.बीचबीच में अपनी जान बचाने को आया बुलाती, ‘‘बाबा, तुम्हारा खाना रखा है, खा लो और सो जाओ, नहीं तो मेमसाहब आ कर तुम्हें मारेंगी और मुझे डांटेंगी.’’

अमान को उस की उबली हुई सब्जियां तथा लुगदी जैसे चावल जहर समान लगते. वह आया की बात बिलकुल न सुनता और दादी से लिपट कर सो जाता. परंतु जैसेजैसे शाम निकट आने लगती, उस की घबराहट बढ़ने लगती. वह चुपचाप आया के साथ आ कर अपने कमरे में सहम कर बैठ जाता. घर में घुसते ही मां उसे देख कर जलभुन जातीं, ‘‘अरे, इतना गंदा बैठा है, इतना इस पर खर्च करते हैं, नित नए कपड़े लाला कर देते हैं, पर हमेशा गंदा रहना ही इसे अच्छा लगता है. ऐसे हाल में मेरी सहेलियां इसे देखेंगी तो मेरी तो नाक ही कट जाएग.’’ फिर आया को डांट पड़ती तो वह कहती, ‘‘मैं क्या करूं, अमान मानता ही नहीं.’’

फिर अमान को 2-4 थप्पड़ पड़ जाते. आया गुस्से में उसे घसीट कर स्नानघर ले जाती और गुस्से में नहलातीधुलाती. नन्हा सा अमान भी अब इन सब बातों का अभ्यस्त हो गया था. उस पर अब मारपीट का असर नहीं होता था. वह चुपचाप सब सहता रहता. बातबात में जिद करता, रोता, फिर चुपचाप अपने कमरे में जा कर बैठ जाता क्योंकि बैठक में जाने की उस को इजाजत नहीं थी. पहली बात तो यह थी कि वहां सजावट की इतनी वस्तुएं थीं कि उन के टूटनेफूटने का डर रहता और दूसरे, मेहमान भी आते ही रहते थे. उन के सामने जाने की उसे मनाही थी.

जब मां को पता चलता कि अमान दादी के पास चला गया है तो वे उन के पास लड़ने पहुंच जातीं, ‘‘मांजी, आप के लाड़प्यार ने ही इसे बिगाड़ रखा है, जिद्दी हो गया है, किसी की बात नहीं सुनता. इस का खाना पड़ा रहता है, खाता नहीं. आप इस से दूर ही रहें, तो अच्छा है.’’

सास समझाने की कोशिश करतीं, ‘‘बहू, बच्चे तो फूल होते हैं, इन्हें तो जितने प्यार से सींचोगी उतने ही पनपेंगे, मारनेपीटने से तो इन का विकास ही रुक जाएगा. तुम दिनभर कामकाज में बाहर रहती हो तो मैं ही संभाल लेती हूं. आखिर हमारा ही तो खून है, इकलौता पोता है, हमारा भी तो इस पर कुछ अधिकार है.’’ कभी तो मां चुप  हो जातीं और कभी दादी चुपचाप सब सुन लेतीं. पिताजी रात को देर से लड़खड़ाते हुए घर लौटते और फिर वही पतिपत्नी की झड़प हो जाती. अमान डर के मारे बिस्तर में आंख बंद किए पड़ा रहता कि कहीं मातापिता के गुस्से की चपेट में वह भी न आ जाए. उस का मन होता कि मातापिता से कहे कि वे दोनों प्यार से रहें और उसे भी खूब प्यार करें तो कितना मजा आए. वह हमेशा लाड़प्यार को तरसता रहता.

इसी प्रकार एक वर्र्ष बीत गया और अमान का स्कूल में ऐडमिशन करा दिया गया. पहले तो वह स्कूल के नाम से ही बहुत डरा, मानो किसी जेलखाने में पकड़ कर ले जाया जा रहा हो. परंतु 1-2 दिन जाने के बाद ही उसे वहां बहुत आनंद आने लगा. घर से तैयार कर, टिफिन ले कर, पिताजी उसे स्कूटर से स्कूल छोड़ने जाते. यह अमान के लिए नया अनुभव था. स्कूल में उसे हमउम्र बच्चों के साथ खेलने में आनंद आता. क्लास में तरहतरह के खिलौने खेलने को मिलते. टीचर भी कविता, गाना सिखातीं, उस में भी अमान को आनंद आने लगा. दोपहर को आया लेने आ जाती और उस के मचलने पर टौफी, बिस्कुट इत्यादि दिला देती. घर जा कर खूब भूख लगती तो दादी के हाथ से खाना खा कर सो जाता. दिन आराम से कटने लगे. परंतु मातापिता की लड़ाई, मारपीट बढ़ने लगी, एक दिन रात में उन की खूब जोर से लड़ाई होती रही. जब सुबह अमान उठा तो उसे आया से पता चला कि मां नहीं हैं, आधी रात में ही घर छोड़ कर कहीं चली गई हैं.

पहले तो अमान ने राहत सी महसूस की कि चलो, रोज की मारपीट  और उन के कड़े अनुशासन से तो छुट्टी मिली, परंतु फिर उसे मां की याद आने लगी और उस ने रोना शुरू कर दिया. तभी पिताजी उठे और प्यार से उसे गोदी में बैठा कर धीरेधीरे फुसलाने लगे, ‘‘हम अपने बेटे को चिडि़याघर घुमाने ले जाएंगे, खूब सारी टौफी, आइसक्रीम और खिलौने दिलाएंगे.’’  पिता की कमजोरी का लाभ उठा कर अमान ने और जोरों से ‘मां, मां,’ कह कर रोना शुरू कर दिया. उसे खातिर करवाने में बहुत मजा आ रहा था, सब उसे प्यार से समझाबुझा रहे थे. तब पिताजी उसे दादी के पास ले गए. बोले, ‘‘मांजी, अब इस बिन मां के बच्चे को आप ही संभालिए. सुबहशाम तो मैं घर में रहूंगा ही, दिन में आया आप की मदद करेगी.’’ अंधे को क्या चाहिए, दो आंखें, दादी, पोता दोनों प्रसन्न हो गए.

नए प्रबंध से अमान बहुत ही खुश था. वह खूब खेलता, खाता, मस्ती करता, कोई बोलने, टोकने वाला तो था नहीं, पिताजी रोज नएनए खिलौने ला कर देते, कभीकभी छुट्टी के दिन घुमानेफिराने भी ले जाते. अब कोई उसे डांटता भी नहीं था. स्कूल में एक दिन छुट्टी के समय उस की मां आ गईं. उन्होंने अमान को बहुत प्यार किया और बोलीं, ‘‘बेटा, आज तेरा जन्मदिन है.’’ फिर प्रिंसिपल से इजाजत ले कर उसे अपने साथ घुमाने ले गईं. उसे आइसक्रीम और केक खिलाया, टैडीबियर खिलौना भी दिया. फिर घर के बाहर छोड़ गईं. जब अमान दोनों हाथभरे हुए हंसताकूदता घर में घुसा तो वहां कुहराम मचा हुआ था. आया को खूब डांट पड़ रही थी. पिताजी भी औफिस से आ गए थे, पुलिस में जाने की बात हो रही थी. यह सब देख अमान एकदम डर गया कि क्या हो गया.

पिताजी ने गुस्से में आगे बढ़ कर उसे 2-4 थप्पड़ जड़ दिए और गरज कर बोले, ‘‘बोल बदमाश, कहां गया था? बिना हम से पूछे उस डायन के साथ क्यों गया? वह ले कर तुझे उड़ जाती तो क्या होता?’’ दादी ने उसे छुड़ाया और गोद में छिपा लिया. हाथ का सारा सामान गिर कर बिखर गया. जब खिलौना उठाने को वह बढ़ा तो पिता फिर गरजे, ‘‘फेंक दो कूड़े में सब सामान. खबरदार, जो इसे हाथ लगाया तो…’’  वह भौचक्का सा खड़ा था. उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या? क्यों पिताजी इतने नाराज हैं?

2 दिनों बाद दादी ने रोतरोते उस का सामान और नए कपड़े अटैची में रखे. अमान ने सुना कि पिताजी के साथ वह दार्जिलिंग जा रहा है. वह रेल में बैठ कर घूमने जा रहा था, इसलिए खूब खुश था. उस ने दादी को समझाया, ‘‘क्यों रोती हो, घूमने ही तो जा रहा हूं. 3-4 दिनों में लौट आऊंगा.’’ दार्जिलिंग पहुंच कर अमान के पिता अपने मित्र रमेश के घर गए. दूसरे दिन उन्हीं के साथ वे एक स्कूल में गए. वहां अमान से कुछ सवाल पूछे गए और टैस्ट लिया गया. वह सब तो उसे आता ही था, झटझट सब बता दिया. तब वहां के एक रोबीले अंगरेज ने उस की पीठ थपथपाई और कहा, ‘‘बहुत अच्छे.’’ और टौफी खाने को दी. परंतु अमान को वहां कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. वह घर चलने की जिद करने लगा. उसे महसूस हुआ कि यहां जरूर कुछ साजिश चल रही है. उस के पिताजी कितनी देर तक न जाने क्याक्या कागजों पर लिखते रहे, फिर उन्होंने ढेर सारे रुपए निकाल कर दिए. तब एक व्यक्ति ने उन्हें स्कूल और होस्टल घुमा कर दिखाया. पर अमान का दिल वहां घबरा रहा था. उस का मन आशंकित हो उठा कि जरूर कोई गड़बड़ है. उस ने अपने पिता का हाथ जोर से पकड़ लिया और घर चलने के लिए रोने लगा.

शाम को पिताजी उसे माल रोड पर घुमाने ले गए. छोटे घोड़े पर चढ़ा कर घुमाया और बहुत प्यार किया, फिर वहीं बैंच पर बैठ कर उसे खूब समझाते रहे, ‘‘बेटा, तुम्हारी मां वही कहानी वाली राक्षसी है जो बच्चों का खून पी जाती है, हाथपैर तोड़ कर मार डालती है, इसलिए तो हम लोगों ने उसे घर से निकाल दिया है. उस दिन वह स्कूल से जब तुम्हें उड़ा कर ले गई थी, तब हम सब परेशान हो गए थे. इसलिए वह यदि आए भी तो कभी भूल कर भी उस के साथ मत जाना. ऊपर से देखने में वह सुंदर लगती है, पर अकेले में राक्षसी बन जाती है.’’ अमान डर से कांपने लगा. बोला, ‘‘पिताजी, मैं अब कभी उन के साथ नहीं जाऊंगा.’’ दूसरे दिन सवेरे 8 बजे ही पिताजी उसे बड़े से गेट वाले जेलखाने जैसे होस्टल में छोड़ कर चले गए. वह रोता, चिल्लाता हुआ उन के पीछेपीछे भागा. परंतु एक मोटे दरबान ने उसे जोर से पकड़ लिया और अंदर खींच कर ले गया. वहां एक बूढ़ी औरत बैठी थी. उस ने उसे गोदी में बैठा कर प्यार से चुप कराया, बहुत सारे बच्चों को बुला कर मिलाया, ‘‘देखो, तुम्हारे इतने सारे साथी हैं. इन के साथ रहो, अब इसी को अपना घर समझो, मातापिता नहीं हैं तो क्या हुआ, हम यहां तुम्हारी देखभाल करने को हैं न.’’ अमान चुप हो गया. उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. फिर उसे उस का बिस्तर दिखाया गया, सारा सामान अटैची से निकाल कर एक छोटी सी अलमारी में रख दिया गया. उसी कमरे में और बहुत सारे बैड पासपास लगे थे. बहुत सारे उसी की उम्र के बच्चे स्कूल जाने को तैयार हो रहे थे. उसे भी एक आया ने मदद कर तैयार कर दिया.

फिर घंटी बजी तो सभी बच्चे एक तरफ जाने लगे. एक बच्चे ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘चलो, नाश्ते की घंटी बजी है.’’ अमान यंत्रवत चला गया, पर उस से एक कौर भी न निगला गया. उसे दादी का प्यार से कहानी सुनाना, खाना खिलाना याद आ रहा था. उसे पिता से घृणा हो गई क्योंकि वे उसे जबरदस्ती, धोखे से यहां छोड़ कर चले गए. वह सोचने लगा कि कोई उसे प्यार नहीं करता. दादी ने भी न तो रोका और न ही पिताजी को समझाया. वह ऊपर से मशीन की तरह सब काम समय से कर रहा था पर उस के दिल पर तो मानो पहाड़ जैसा बोझ पड़ा हुआ था. लाचार था वह, कई दिनों तक गुमसुम रहा. चुपचाप रात में सुबकता रहा. फिर धीरेधीरे इस जीवन की आदत सी पड़ गई. कई बच्चों से जानपहचान और कइयों से दोस्ती भी हो गई. वह भी उन्हीं की तरह खाने और पढ़ने लग गया. धीरेधीरे उसे वहां अच्छा लगने लगा. वह कुछ अधिक समझदार भी होने लगा. इसी प्रकार 1 वर्ष बीत गया. वह अब घर को भूलने सा लगा था. पिता की याद भी धुंधली पड़ रही थी कि एक दिन अचानक ही पिं्रसिपल साहब ने उसे अपने औफिस में बुलाया. वहां 2 पुलिस वाले बैठे थे, एक महिला पुलिस वाली तथा दूसरा बड़ी मूंछों वाला मोटा सा पुलिस का आदमी. उन्हें देखते ही अमान भय से कांपने लगा कि उस ने तो कोई चोरी नहीं की, फिर क्यों पुलिस पकड़ने आ गई है.

वह वहां से भागने ही जा रहा था कि प्रिंसिपल साहब ने प्यार से उस की पीठ सहलाई और कहा, ‘‘बेटा, डरो नहीं, ये लोग तुम्हें तुम्हारे मातापिता के  पास ले जाएंगे. तुम्हें कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. इन के पास कोर्ट का और्डर है. हम अब कुछ भी नहीं कर सकते, तुम्हें जाना ही पड़ेगा.’’ अमान ने रोतेरोते कहा, ‘‘मेरे पिताजी को बुलाइए, मैं इन के साथ नहीं जाऊंगा.’’ तब उस पुलिस वाली महिला ने उसे प्यार से गोदी में बैठा कर कहा, ‘‘बेटा, तुम्हारे पिताजी की तबीयत ठीक नहीं है, तभी तो उन्होंने हमें लेने भेजा है. तुम बिलकुल भी डरो मत, हम तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे. पर यदि नहीं जाओगे तो हम तुम्हें जबरदस्ती ले जाएंगे.’’ उस ने बचाव के लिए चारों तरफ देखा, पर कहीं से सहारा न पा, चुपचाप उन के साथ जाने को तैयार हो गया. होस्टल की आंटी उस का सामान ले आई थी.  कलकत्ता पहुंच कर पुलिस वाली आंटी अमान के बारबार कहने पर भी उसे पिता और दादी के पास नहीं ले गई. उस का मन भयभीत था कि क्या मामला है? रात को उन्होंने अपने घर पर ही उसे प्यार से रखा. दूसरे दिन पुलिस की जीप में बैठा कर एक बड़ी सी इमारत, जिस को लोग कोर्ट कह रहे थे, वहां ले गई. वहां उस के मातापिता दोनों दूरदूर बैठे थे और काले चोगे पहने बहुत से आदमी चारों तरफ घूम रहे थे. अमान सहमासहमा बैठा रहा. वह कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि यह सब क्या हो रहा है? फिर ऊंची कुरसी पर सफेद बालों वाले बड़ी उम्र के अंकल, जिन को लोग जज कह रहे थे, ने रोबदार आवाज में हुक्म दिया, ‘‘इस बच्चे यानी अमान को इस की मां को सौंप दिया जाए.’’

पुलिस वाली आंटी, जो उसे दार्जिलिंग से साथ लाई थी, उस का हाथ पकड़ कर ले गई और उसे मां को दे दिया. मां ने तुरंत उसे गोद में उठाया और प्यार करने लगीं. पहले तो उन का प्यारभरा स्पर्श अमान को बहुत ही भाया. परंतु तुरंत ही उसे पिता की राक्षसी वाली बात याद आ गई. तब उसे सचमुच ही लगने लगा कि मां जरूर ही एक राक्षसी है, अभी तो चख रही है, फिर अकेले में उसे खा जाएगी. वह घबरा कर चीखचीख कर रोने लगा, ‘‘मैं इस के साथ नहीं रहूंगा, यह मुझे मार डालेगी. मुझे पिताजी और दादी के साथ अपने घर जाना है. छोड़ दो मुझे, छोड़ो.’’ यह कहतेकहते डर से वह बेहोश हो गया. जब उस के पिता उसे लेने को आगे बढ़े तो उन्हें पुलिस ने रोक दिया, ‘‘कोर्ट के फैसले के विरुद्ध आप बच्चे को नहीं ले जा सकते, इसे हाथ भी न लगाएं.’’तब पिता ने गरज कर कहा, ‘‘यह अन्याय है, बच्चे पर अत्याचार है, आप लोग देख रहे हैं कि बच्चा अपनी मां के पास नहीं जाना चाहता. रोरो कर बेचारा अचेत हो गया है. आप लोग ऐसे नहीं मानेंगे तो मैं उच्च न्यायालय में याचिका दायर करूंगा. बच्चा मुझे ही मिलना चाहिए.’’ जज साहब ने नया फैसला सुनाया, ‘‘जब तक उच्च न्यायालय का फैसला नहीं होता है, तब तक बच्चा पुलिस की संरक्षण में ही रहेगा.’’

4 वर्ष का बेचारा अमान अकेला घर वालों से दूर अलग एक नए वातावरण में चारों तरफ पुलिस वालों के बीच भयभीत सहमासहमा रह रहा था. उसे वहां किसी प्रकार की तकलीफ नहीं थी. खाने को मिलता, पर कुछ खाया ही न जाता. टीवी, जिसे देखने को पहले वह सदा तरसता रहता था, वहां देखने को मिलता, पर कुछ भी देखने का जी ही न चाहता. उसे दुनिया में सब से घृणा हो गई. वह जीना नहीं चाहता था. उस ने कई बार वहां से भागने का प्रयत्न भी किया, पर बारबार पकड़ लिया गया. उस का चेहरा मुरझाता जा रहा था, हालत दयनीय हो गई थी. पर अब कुछकुछ बातें उस की समझ में आने लगी थीं. करीब महीनेभर बाद अमान को नहलाधुला कर अच्छे कपड़े पहना कर जीप में बैठा कर एक नए बड़े न्यायालय में ले जाया गया. वहां उस के मातापिता पहले की तरह ही दूरदूर बैठे हुए थे. चारों तरफ पुलिस वाले और काले कोट वाले वकील घूम रहे थे. पहले के समान ही ऊंची कुरसी पर जज साहब बैठे हुए थे.

पहले पिता के वकील ने खड़े हो कर लंबा किस्सा सुनाया. अमान के मातापिता, जो अलगअलग कठघरे में खड़े थे, से भी बहुत सारे सवाल पूछे. फिर दूसरे वकील ने भी, जो मां की तरफ से बहस कर रहा था, उस का नाम ‘अमान, अमान’ लेले कर उसे मां को देने की बात कही. अमान को समझ ही नहीं आ रहा था कि मातापिता के झगड़े में उस का क्या दोष है. आखिर में जज साहब ने अमान को कठघरे में बुलाया. वह भयभीत था कि न जाने अब उस के साथ क्या होने वाला है. उसे भी मातापिता की तरह गीता छू कर कसम खानी पड़ी कि वह सच बोलेगा, सच के सिवा कुछ भी नहीं बोलेगा. जज साहब ने उस से प्यार से पूछा, ‘‘बेटा, सोचसमझ कर सचसच बताना कि तुम किस के पास रहना चाहते हो… अपने पिता के या मां?’’ सब की नजरें उस के मुख पर ही लगी थीं. पर वह चुपचाप सोच रहा था. उस ने किसी की तरफ नहीं देखा, सिर झुकाए खड़ा रहा. तब यही प्रश्न 2-3 बार उस से पूछा गया तो उस ने रोष से चिल्ला कर उत्तर दिया, ‘‘मुझे किसी के भी साथ नहीं रहना, कोई मेरा अपना नहीं है, मुझे अकेला छोड़ दो, मुझे सब से नफरत है.’’

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