मेरा बौयफ्रेंड अपनी ऐक्स गर्लफ्रैंड से बात करता है, ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं एक युवक से बहुत प्यार करती हूं. पहले मेरी गलती के कारण हम दोनों में ब्रेकअप हो गया था, लेकिन अब फिर हम बात करने लगे हैं. मैं अब उस पर भरोसा नहीं कर पा रही हूं क्योंकि वह अब भी अपनी ऐक्स गर्लफ्रैंड से बात करता है. पूछने पर बताता है कि उस से प्यार की बात नहीं वैसे ही बात करता हूं, प्यार तो मैं सिर्फ तुम से ही करता हूं. पर मुझे उस का उस युवती से बात करना अच्छा नहीं लगता. मैं क्या करूं?

जवाब

शक प्यार की कैंची है. प्रेम भरोसे का रिश्ता होता है. ऐसा व्यक्ति जिसे शक की बीमारी हो दूसरे को क्या खुश रखेगा. आप सब से पहले अपने बौयफ्रैंड पर शक करना छोड़ें. संभवतया पहले भी आप की यही गलती रही होगी.

सोचिए, जब पहले ब्रेकअप के बाद भी वह आप से बात करता है और कहता है कि वह आप से ही प्यार करता है तो क्यों परेशान होती हैं. प्यार को ऐंजौय कीजिए. रही उस की किसी अन्य युवती से बात करने वाली बात, तो करने दीजिए.

आप से प्रेम करने के कारण वह समाज में रहना थोड़ी छोड़ देगा. हां, उस की लगाम कस कर रखिए. उस का ज्यादा साथ दीजिए. दूसरी युवती से बात करते वक्त भी अगर आप साथ होंगी तो वह कम ही बात करेगा. साथ ही वह युवती भी ज्यादा इंट्रस्ट नहीं दिखाएगी, जिस से आप का शक भी दूर होगा और उस के साथ रहने से प्यार भी बढ़ेगा. निराश न हों.

आप विवाह के योग्य हैं और कोई अच्छी नौकरी कर रहे हैं तो आप को लड़की वाले अवश्य घेरते होंगे. अकसर किसी न किसी लड़की की फोटो आप को देखनी पड़ती होगी. फिर आप की मां एकांत में आप से अवश्य पूछती होंगी, ‘क्यों बेटा, लड़की पसंद है?’ और आप हैं कि आप को कोई भी लड़की पसंद नहीं आती. कारण स्पष्ट है कि आप अपने लिए स्वप्नलोक की किसी सुंदरी की तलाश में रहते हैं जिस का एकएक अंग सुघड़ हो, नाक पतली हो, होंठ गुलाबी, कमर लचीली और रंग गोरा वगैरावगैरा.

यह सच है कि सुंदरता हरेक को प्रिय है. सुंदर चेहरे और रूपरंग की ओर हर कोई आकर्षित होता है. इसीलिए हर नवयुवक सुंदर पत्नी की ही तलाश करता है. हां, यह बात दूसरी है कि वह चाहे स्वयं उस सुंदर पत्नी के योग्य न हो, साथसाथ चलने पर लोग उन की जोड़ी पर कटाक्ष करें. किंतु सुंदर पत्नी मिल जाने पर रोजमर्रा के जीवन में कितनी परेशानियां आती हैं, क्या किसी ने कभी इस पर भी गौर फरमाया है? शायद नहीं. जरा इतिहास के पन्ने पलट कर देखिए, सुंदरता के नाम पर क्या हुआ? कितनी ही लड़ाइयां सिर्फ सुंदरता के नाम पर हुई हैं.

सुंदरता मनुष्य की चाहत

हमारे रिश्ते के एक भाई हैं. शादी से पहले उन पर भी खूबसूरत पत्नी पाने का भूत सवार था. खैर, उन्हें सुंदर पत्नी मिल गई. सुंदर पत्नी पा कर वे फूले नहीं समाए. रोज शाम को अपनी पत्नी के साथ सैर करने निकलते थे. पर, इधर कुछ दिनों से उन्होंने घूमनाफिरना बिलकुल बंद कर दिया था. भाभीजी भी दिनभर घर पर ही रहती थीं. कारण पूछने पर पता चला कि एक दिन वे अपनी पत्नी के साथ कहीं जा रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उन की पत्नी की सुंदरता को ले कर कटाक्ष किया. भाईसाहब बिगड़ गए. मामला बढ़ गया और उन्हें पुलिस थाने जाना पड़ा. उस दिन से उन्होंने अपनी पत्नी के साथ बाहर निकलना बंद कर दिया. लेकिन यह कब तक चल सकता है? सुंदर चीज को देखना मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्ति है. आप सुंदर पत्नी को ले कर बाहर जाएंगे तो लोग उसे देखेंगे ही. वे उस पर फिकरे कसेंगे और उसे देख कर आहें भरेंगे. उस समय आप जहर का घूंट पी कर रह जाएंगे क्योंकि आप अकेले क्या कर पाएंगे? क्या आप अकेले ऐसे लोगों से लड़ने का साहस जुटा पाएंगे? शायद नहीं. और अगर आप शरीर से कमजोर हैं तो क्या आप अपनी सुंदर पत्नी की सुंदरता की रक्षा कर पाएंगे? उस समय आप की सुंदर पत्नी आप को सदैव के लिए अपनी नजरों से गिरा देगी क्योंकि वह आप को अपने सौंदर्य का एकमात्र रक्षक समझती है.

आप उसे सुरक्षा नहीं प्रदान कर सकेंगे तो उस की नजरों से आप का गिरना स्वाभाविक है. आप की सुंदर पत्नी में आप के लिए कभी भी समर्पण की भावना नहीं आ सकेगी. इस से आप के अहं को ठेस पहुंचेगी. यहीं से आप के परिवार के विघटन की नींव पड़ जाएगी.

सुंदर पत्नी तो मुसीबत

हमारे एक परिचित हैं, कमलजी. शादी से पहले यानी कुंआरेपन में वे दिनभर शीशे के सामने बैठ कर चेहरा देखा करते थे, तरहतरह से बाल बनाते थे. घर वालों पर उन का बड़ा रोब था. किसी की जरा सी भी बात सहन नहीं करते थे. उन की भी सुंदर पत्नी पाने की इच्छा थी. खैर, स्वयं सुंदर थे, सो सुंदर पत्नी उन्हें मिल गई. पर जब से उन की शादी हुई है, वे कुछ परेशान से दिखने लगे हैं. कारण स्पष्ट है, पत्नी सुंदर है. सुंदर पत्नी के हजारों नखरे उन्हें उठाने पड़ते हैं. पहले मांबाप तक का कहना नहीं मानते थे, पर अब सुंदर पत्नी की हर बात उन्हें सिर झुका कर माननी पड़ती है. और न मानने पर डांट पड़ती है.

घर में पत्नी की डांट और दफ्तर में अफसर की डांट, दोनों के बीच वे घुन की तरह पिसते हैं. कभीकभी उन्हें क्रोध भी आता है, पर कर कुछ नहीं सकते. किस पर क्रोध करें? दफ्तर में अफसर पर क्रोध प्रकट करें तो नौकरी जाती है. घर में पत्नी पर क्रोध उतार नहीं सकते क्योंकि वह सुंदर है. सो, अपना सारा गुस्सा अंदर ही अंदर पी लेते हैं. क्रोध को अंदर ही अंदर पीने से वे मानसिक तनाव से ग्रस्त रहते हैं. देखा आप ने, सुंदर पत्नी के कारण क्याक्या कष्ट उठाने पड़ते हैं. क्रोध दबाने से हृदयरोग, मधुमेह, रक्तचाप आदि गंभीर बीमारियां तक हो जाती हैं.

सुंदर पत्नी के कारण अकसर घर में बिना किसी बात के झगड़ा हो जाता है. मान लीजिए कि आप अपनी पत्नी से कम सुंदर हैं. आप के घर आप का कोई ऐसा मित्र आता है जो आप से सुंदर है. ऐसे में यदि कभी आप की पत्नी ने आप के मित्र के सौंदर्य, स्वभाव या आदतों की प्रशंसा कर दी तो उस समय आप के मन में संदेह का अंकुर पनप जाएगा. अकारण ही उस मित्र के साथ आप के संबंध खराब हो जाएंगे. आप अपनी पत्नी पर शक करने लगेंगे. बातबात पर आप के उस से झगड़े होंगे. शक की बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसलिए आप तनावग्रस्त रहने लगेंगे. चिंता की दशा में कोई बीमारी आप को घेर लेगी.

सौंदर्य की मारी सुंदर पत्नियां

सुंदर पत्नियां अपने सौंदर्य को बनाए रखने के लिए अपना अधिक से अधिक समय बनावशृंगार में लगाती हैं. वे अपनी घरगृहस्थी, बच्चों और पति की ओर उतना ध्यान नहीं देती हैं, जितना देना चाहिए. अपने बनावशृंगार के सामान पर वे खुल कर खर्च करती हैं. महंगी से महंगी क्रीम, पाउडर तथा महंगी से महंगी साड़ी खरीदने से वे कतराती नहीं हैं. यहां तक कि सुंदर पत्नियां अपने सौंदर्य के चक्कर में पड़ कर अपने बच्चों का लालनपालन भी उचित ढंग से नहीं कर पाती हैं. वे उन्हें स्तनपान कराने से कतराती हैं ताकि उन का शारीरिक सौंदर्य कम न हो जाए, हालांकि स्तनपान कराने से ऐसा होता नहीं. अकसर सुंदर पत्नी चाहने वाले युवक मात्र खूबसूरत चेहरा देख कर ‘हां’ कह देते हैं. उस समय वे यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि उस की होने वाली पत्नी को घरगृहस्थी संभालना आता है या नहीं, जो एक सुघड़ और कुशल गृहिणी के लिए आवश्यक है. ज्यादातर देखा जाता है कि सुंदर लड़कियों में यह भावना होती है कि उन्हें तो पसंद कर ही लिया जाएगा, इसलिए वे घरगृहस्थी के कामों में शून्य होती हैं.

किंतु शादी के बाद उन्हें घरगृहस्थी के चक्करों में फंसना पड़ता है. उन्हें खाना बनाना तो आता नहीं है, पर मात्र यह दिखाने के लिए कि वे खाना बनाने में निपुण हैं, वे खूब मिर्चमसाले तथा चिकनाई का प्रयोग करती हैं. कभी खूब भुना यानी जला, तो कभी कच्चा भोजन बना कर खिलाती हैं. चूंकि पत्नी सुंदर है तो पति को भोजन करना ही पड़ेगा और वह भी भरपेट. अगर कभी आप अरुचि प्रकट करेंगे तो वह तुरंत आप से पूछेगी, ‘‘क्यों जी, क्या खाना अच्छा नहीं बना?’’ सुंदर पत्नी के भय से आप कहेंगे, ‘‘नहीं, बड़ा स्वादिष्ठ बना है.’’ उस के आग्रह पर आप कुछ ज्यादा ही खा लेंगे. भले ही बाद में आप को वह अपच हो जाए या खट्टी डकारें आने लगें. इस प्रकार सुंदर पत्नी के हाथों का बना भोजन खाने से चंद दिनों में ही आप के शरीर में अनावश्यक चरबी बढ़ने लगेगी और फिर उठनेबैठने में कष्ट होगा.

सीरत पर ध्यान दें

आप सुंदर पत्नी की तलाश न करें. सुंदरता हरेक को अपनी ओर आकर्षित करती है, यह एक शाश्वत सत्य है. पर सुंदरता के साथसाथ आप उस के गुणों और स्वभाव को भी प्रमुखता दें तो ज्यादा अच्छा है. अगर लड़की अधिक सुंदर नहीं है, पर उस में कुशल गृहिणी के गुण हैं तो आप को उसे अपनी पत्नी बनाने में संकोच नहीं करना चाहिए. बाद में आप को लगेगा कि आप ने सही निर्णय लिया.

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फैस्टिवल की तैयारी में लें पति की मदद, इस तरह समझाएं काम का महत्व

अकसर यह देखा जाता है कि घर के काम विशेष रूप से किचन का काम, महिलाओं की जिम्मेदारी मान ली जाती है. त्योहार का सीजन आने पर महिलाओं पर घर के दूसरे कामों के साथसाथ किचन में पकवानों के बनाने की दोहरी जिम्मेदारी भी आ जाती है. ऐसे में त्योहार का मजा बाकी घर के लोग तो उठा लेते हैं लेकिन महिलाएं घर और किचन से ही फ्री नहीं हो पातीं.

पति और पत्नी दोनों कामकाजी हों या नहीं, घरेलू जिम्मेदारियों को मिल कर साझा करना एक खुशहाल और संतुलित रिश्ते की कुंजी हो सकता है. आज के समय में जब महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपनी प्रोफैशनल जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं तो घर के कामों में भी साझेदारी की उम्मीद होना स्वाभाविक है.

एक संतुलित और स्वस्थ रिश्ते के लिए यह जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों मिल कर घर की जिम्मेदारियों को बांटें खासकर वर्किंग महिलाओं के लिए किचन का काम अकेले संभालना थकान भरा हो सकता है. ऐसे में पति को किचन में मदद के लिए तैयार करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है.

संवाद से करें शुरुआत

सब से पहले पति से इस मुद्दे पर खुलकर बात करें. अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें कि किचन का काम सिर्फ एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए.

चाहिए बल्कि यह साझेदारी का काम है. उन्हें बताएं कि एक वर्किंग महिला के रूप में आप के पास समय और ऊर्जा की सीमाएं होती हैं और उन की मदद से काम जल्दी और आसानी से निबट सकता है. यह बातचीत शिकायत या नाराजगी के बजाय समझदारी और सहयोग पर आधारित होनी चाहिए.

समझदारी से जिम्मेदारी का महत्त्व बताएं

घर के काम केवल महिला की जिम्मेदारी नहीं होते. यह जरूरी है कि आप का पति यह सम?ो कि घर और किचन का काम दोनों की जिम्मेदारी है. यह साझेदारी न केवल आप के काम को हलका करेगी बल्कि आप दोनों को एक टीम की तरह काम करने में भी मदद मिलेगी. इस से आप दोनों को एकदूसरे के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलेगा जो रिश्ते को भी मजबूत बनाएगा.

काम बांटने की योजना

अपने पति के साथ मिल कर किचन के कामों को बांटने का एक व्यवस्थित तरीका बनाएं. उदाहरण के लिए आप दोनों इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि एक दिन आप खाना बनाएंगी और दूसरे दिन आप के पति सब्जियां काटेंगे या सफाई करेंगे, त्योहार के पकवानों को बनाने से पहले की तैयारी में पति सहायता करेंगे. इस से किचन का बो?ा सिर्फ आप पर नहीं पड़ेगा और दोनों अपनीअपनी जिम्मेदारियों को संतुलित कर सकेंगे.

शेयर है केयर

कभीकभी पति किचन में काम करने से घबराते हैं क्योंकि वे इसे मुश्किल या समय लेने वाला मानते हैं. इसलिए शुरुआत में छोटे और सरल कामों से शुरू करें जैसे बरतन निकालना, सब्जियां धोना या टेबल लगाना. जब वे इन कामों में सहज हो जाएंगे तो धीरेधीरे बड़े कामों में भी मदद करने के लिए तैयार हो सकते हैं.

प्रशंसा जरूर करें

जब भी पति किचन में मदद करें उन की सराहना जरूर करें. चाहे वे कितना ही छोटा काम क्यों न करें उन की मदद की प्रशंसा करने से उन्हें और मदद करने की प्रेरणा मिलेगी. उदाहरण के लिए अगर पति ने कुछ अच्छा किया हो तो उन्हें बताएं कि उन की मदद ने आप का काम कितना आसान कर दिया. सकारात्मक फीडबैक हमेशा प्रेरणा का काम करती है.

काम को मजेदार बनाएं

किचन के काम को उबाऊ न होने दें. आप इसे एक मजेदार गतिविधि बना सकती हैं जिस में आप दोनों साथ में म्यूजिक सुनते हुए या हंसीमजाक करते हुए काम करें. इस से किचन का काम बो?िल नहीं लगेगा और आप के पति भी इसे बोझ की तरह नहीं लेंगे बल्कि एक अच्छा अनुभव मानेंगे.

संतुलित जीवन का महत्त्व समझाएं

एक वर्किंग महिला के रूप में संतुलित जीवन जीना बहुत जरूरी है. यह बात अपने पति को भी सम?ाएं कि अगर दोनों मिल कर घर और किचन का काम करेंगे तो आप के पास एकदूसरे के साथ समय बिताने और अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को भी संतुलित रखने का मौका होगा.

इस से न केवल घर का काम सुचारू रूप से चलेगा, बल्कि दोनों के बीच समझ और आपसी सहयोग भी बढ़ेगा. जब पति को यह एहसास होता है कि किचन में मदद करना उन के परिवार की भलाई और सुखशांति के लिए है तो वे इसे बिना किसी दबाव के करने को तैयार होते हैं.

रूटीन बनाएं

अगर आप अपने पति को यह दिखा सकें कि रूटीन और टाइम मैनेजमैंट से किचन का काम जल्दी और प्रभावी ढंग से किया जा सकता है तो वे इसे करने के लिए अधिक इच्छुक हो सकते हैं. उदाहरण के लिए आप किचन में समय बचाने के लिए आसान और जल्दी बनने वाली रैसिपी आजमा सकते हैं या फिर एक दिन आप के पति सब्जी काट सकते हैं और आप खाना बना सकती हैं. इस से न केवल काम जल्दी निबट जाएगा बल्कि दोनों को यह भी महसूस होगा कि यह उन की साझ जिम्मेदारी है.

रोल मौडल्स का उदाहरण दें

कभीकभी अपने आसपास के उदाहरण दिखा कर भी आप अपने पति को प्रेरित कर सकती हैं. अगर आप के आसपास ऐसे कपल्स हैं जहां पति भी किचन के काम में मदद करते हैं तो आप उन उदाहरणों को सा?ा कर सकती हैं. यह दिखाने से कि समाज में ऐसे भी परिवार हैं जो घर के कामों को सा?ा कर के एक खुशहाल जीवन जीते हैं, उन्हें प्रेरणा मिल सकती है.

धैर्य और समर्थन

अपने पति को किचन के काम में पूरी तरह शामिल करने में समय लग सकता है. हो सकता है कि शुरुआत में वे ?ि?ाकें या काम में कम रुचि दिखाएं लेकिन धैर्य और लगातार समर्थन से वह धीरेधीरे इस जिम्मेदारी को अपनाने लगेंगे. उन्हें दोषी महसूस कराने के बजाय सहयोग और समर्थन दें ताकि वे इसे स्वाभाविक रूप से अपनाएं. अपने पति को किचन में मदद करने के लिए तैयार करना एक सकारात्मक और संतुलित घरेलू जीवन की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है.

कई बार समाज और पारंपरिक सोच के कारण पुरुष किचन के काम में हाथ नहीं बंटाते लेकिन बदलते समय के साथ यह धारणा भी बदल रही है. जब पतिपत्नी दोनों घर के कामों में मिल कर हाथ बंटाते हैं तो न केवल घर का माहौल सुखद होता है बल्कि रिश्ते में भी एक गहरी समझ और सहयोग का भाव विकसित होता है. इस उत्सवी सीजन से ही इस बेहतरीन काम को शुरू करें और आपसी रिश्ते को और भी मजबूत बनाएं.

फिल्म ‘बकिंगघम में हावी है कट्टरता, बिना ग्लैमर के करीना ने पुलिस डिक्टेटिव का निभाया किरदार

बढ़ते एनआरआई दर्शकों को निगाह में रखते हुए अब भारतीय मूल के फिल्म प्रोड्यूसर व ऐक्टर्स अंगरेजी में विदेशी माहौल पर भारतीय कैरेक्टरों को ले कर फिल्में बनाने लगे हैं.

करीना कपूर खान की फिल्म ‘बकिंगघम मर्डर्स’ ऐसी ही फिल्म है जो अंगरेजी में बनी है पर भारतीय मूल के लोगों के लिए है और वहां बसे भारतीय मूल के लोगों के इर्दगिर्द है. हंसल मेहता द्वारा डाइरैक्ट इस फिल्म में करीना एक पुलिस डिक्टेटिव है जो अपने बेटे की अनटाइमली मौत से परेशान है और वहीं बसे एक सिख परिवार के किशोर युवा की हत्या के पेंच खोलने में लगी है.

धर्म के नाम पर झगड़े

बैकग्राउंड में भारतीय मूल के लोगों की समस्याएं चलती हैं, जिन में पत्नियों को नौकरानी की तरह रखना, उन्हें मारना, सासों का विदेशी धरती पर बहुओं से ऐसा ही व्यवहार करना है जैसे वे पंजाब के गांव में करते हैं. सिखमुसलिम विवाद उसी तरह का सा दिखाया जैसा हम यहां 2 सदियों से देख रहे हैं और पिछले 40 सालों में और ज्यादा देखा है.

इंगलैंड में होने पर भी धर्म के नाम पर झगड़े, दंगे, आगजनी ही नहीं होती, आपसी पार्टनरशिप्स भी टूटती है और बरसों की दोस्तियां भी टूटती हैं. यह एक सिख परिवार के एक किशोर की हत्या के केस को सुलझाने के लिए दिखाया गया है.

अंगरेजी की इस फिल्म की कोई खासीयत अगर है तो यह कि करीना कपूर को बिना ग्लैमर के एक बुढि़याती सी पुलिस डिक्टेटिव के रूप में पेश किया गया है किसी सुपरमैंन की तरह.

लड़के के लापता होने और फिर लाश मिलने की ही नहीं, पारिवारिक मित्र से दुश्मन बने मुसलिम परिवार के उस के हमउम्र किशोर की हत्या का आरोप सिर पर ले लेना क्योंकि वह घर वालों को यह नहीं बताना चाहता था कि उस का एक मसजिद के इमाम के बेटे के साथ होमोसैक्सुअल रिलेशनशिप है.

करीना कपूर खान डिक्टेटिव मुद्रा के रोल में असली कातिल को पकड़ती ही नहीं, घरेलू हिंसा, बिजनैस लौस के तनाव, धार्मिक विवाद को भी दिखाती चलती है और बिना खास नारेबाजी और साइड लिए. दोनों सिख और मुसलिम परिवार ही नहीं, उन की कौमें भी भारत में अपना विवाद सूटकेस भर के ले गए हैं और जो पोटली उन्होंने भारत में छोड़ी थी वह एक माहौल में और ज्यादा कटुता ला रही है इस का खासा पिक्चराइजेशन है.

हावी है कट्टरता

भारतीय मूल के लोग जहां भी हैं वहां अगर अपनी मेहनत का लाभ दूसरे मूल लोगों को दे रहे हैं जो जाति व धर्म के विवाद ही नहीं खड़े कर रहे, वे अपने साथ घर की कट्टरता भी ले जा रहे हैं. औरतें उन आजाद देशों में भी आजाद नहीं हैं.

फिल्म में न तो इंगलैंड की सीनरी दिखाने की कोशिश है और न ही वहां की प्रगति की ?ालक दिखाई गई है. असल जिंदगी बकिंगघम आयर जैसे कसबों में बेहद सीधीसादी है.

जरूरत यह है कि जो भारतीय यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया के सवर्गों में जानेकी कोशिश कर रहे है, वे भूल रहे हैं कि जिंदगी वहां भी आसान नहीं है. वहां शान है, इज्जत है, थोड़ीबहुत बराबरी है पर अगर यहीं से भेदभाव, सड़ागला कल्चर और पौराणिक घरेलू सोच साथ ले जानी है तो जो सुख वहां मिलेगा, वह कोई खास नहीं. करीना कपूर खान और हंसल मेहता ने यह बिना किसी ढोल पीटे आराम से चुप्पी से दिखा दिया कि हम चाहे जहां रहें, हम वही रहेंगे जो यहां के बिहार या गांव में है.

अच्छी फिल्में बनें

भारत में गांव की प्रैक्टिसें शहर में तो आम हैं और जो टेढे़मेढ़े रास्तों से डैवलैप्ड देशों में चले गए वे भी वही सबकुछ कर रहे हैं जो यहां गांवोंकसबों में करते हैं. गनीमत है कि फिल्म में नरेंद्र मोदी, हिंदू देवीदेवताओं को पूजते, नमाज पढ़ते लोग नहीं दिखाए गए. फिल्म ऐक्टर्स जैसी जिंदगी है, वैसी परदे पर दिखाने की कोशिश में सफल है.

कम हिंदी में बनने वाली फिल्में भारतीय दर्शकों को समझने वाली फिल्में बनें, जिन में हर बात को धार्मिक कट्टरता के चश्मे से न देखा जाए. इस देश का इतिहास, पुराणों से ले कर अब तक आपसी लोगों की लड़ाइयों से ज्यादा भरा है, विदेशियों से सुरक्षा पर कम. उन्होंने सम?ाने के लिए अपने से लगने वाले कैरेक्टर चाहिए.

फैस्टिवल में जब लड़के को बनना हो लड़की, तो इन मेकअप टिप्स को करें फौलो

अगर एक लड़के को लड़की जैसा दिखने के लिए मेकअप करना है तो इसे बहुत ही ध्यान से किया जाना चाहिए ताकि उस की पूरी पहचान और रूप बदल जाए. यह चेंज सिर्फ चेहरे पर मेकअप लगाने तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे लुक, हेयरस्टाइल, बौडी लैंग्वेज और फिगर को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए.

फेस मेकअप

लड़के की त्वचा आमतौर पर लड़कियों की तुलना में थोड़ी मोटी और औयली होती है इसलिए मेकअप से पहले इसे सही तरह से तैयार करना जरूरी है:

सब से पहले चेहरे को अच्छी तरह से साफ करें. किसी भी औयल, धूल या गंदगी को हटाने के लिए फेस क्लींजर या फेस वाश का उपयोग करें. अगर लड़के के चेहरे पर दाढ़ी या मूंछें हैं तो उन्हें पूरी तरह से शेव करें. यह सुनिश्चित करें कि त्वचा स्मूथ और साफ हो जाए ताकि मेकअप बेहतरीन तरीके से लगाया जा सके.

हलके ऐक्सफौलिएशन से चेहरे की डैड स्किन को हटा लें. इस से त्वचा में ग्लो आता है और मेकअप अधिक समय तक टिका रहता है.

त्वचा को हाइड्रेट करने के लिए अच्छा मौइस्चराइजर लगाएं. इस से त्वचा मुलायम होगी और मेकअप अच्छे से ब्लैंड हो पाएगा.

मेकअप को देर तक टिकाने और स्मूथिंग के लिए प्राइमर का इस्तेमाल जरूरी है. यह स्किन की सतह को एकसमान बनाता है और फाउंडेशन को लंबे समय तक टिकने में मदद करता है.

फाउंडेशन से चेहरे की त्वचा का रंग एकसार होता है. इसे स्किन टोन के अनुसार चुना जाए ताकि चेहरा नैचुरल लगे. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि लड़के की स्किन टोन की तुलना में लड़कियों की स्किन टोन सामान्यत: सौफ्ट और ग्लोइंग होती है. इसलिए फाउंडेशन का चयन सावधानी से करना चाहिए. इसे ब्रश या स्पंज की मदद से चेहरे, गरदन और कानों पर अच्छी तरह से ब्लैंड करें ताकि एकसमान टोन मिले.

डार्क सर्कल्स, दाढ़ी के हलके निशान या किसी भी अन्य अनियमितताओं को कंसीलर से कवर करें. इसे चेहरे के उन हिस्सों पर लगाएं जहां ध्यान खींचना हो जैसे आंखों के नीचे, नाक के किनारे और होंठों के आसपास.

लड़कों की चेहरे की बनावट लड़कियों की तुलना में थोड़ी कड़ी और शार्प होती है. इसे नर्म बनाने के लिए कांटूरिंग और हाइलाइटिंग का सही उपयोग जरूरी है. कांटूरिंग से चेहरे की विशेषताओं को बदला जा सकता है. इसे गालों की हड्डियों के नीचे, जबड़े की लाइन पर और नाक के किनारों पर लगाएं. इस से चेहरा पतला और नाजुक दिखेगा. नाक को थोड़ी पतली और तेज दिखाने के लिए नाक के दोनों ओर कांटूर लगाएं.

हाइलाइटर से चेहरे के उभरे हिस्सों को उभारा जाता है. इसे गालों की हड्डियों, नाक की टिप, भौंहों के नीचे और माथे के बीच में लगाएं. इस से चेहरे में चमक आती है और यह लड़की जैसी मुलायम दिखाई देता है.

आई मेकअप

आई मेकअप के जरीए चेहरे को अधिक फैमिनिन और आकर्षक बनाया जा सकता है:

द्य यहां आंखों के मेकअप के लिए आईशैडो का इस्तेमाल आंखों को हाईलाइट करने के लिए करें. हलके और सौफ्ट शेड्स से शुरुआत करें और फिर धीरेधीरे गहरे रंगों का इस्तेमाल करें. थीम और आउटफिट के हिसाब से शिमरी या मैट आईशैडो का चयन कर सकते हैं.

मेरे पति के यूरिन में 2-3 बार खून आ गया है, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

-डा. विकास जैन

डाइरैक्टर ऐंड यूनिट हैड, डिपार्टमैंट औफ यूरोलौजी, फोर्टिस हौस्पिटल, दिल्ली.

सवाल

गुरदे की बीमारियां कब खतरनाक हो जाती हैं?

जवाब

जब गुरदे रक्तप्रवाह से तरल पदार्थ, इलैक्ट्रोलाइट्स और अपशिष्ट को फिल्टर करने की अपनी क्षमता खो देते हैं जो शरीर में जमा हो सकते हैं और पैरों, टखनों, और हाथों में सूजन का कारण बन सकते हैं. यदि समय पर उपचार न कराया जाए तो यह स्थिति जीवन के लिए घातक हो सकती है. गुरदों की खराबी शरीर की कैल्सियम और फास्फोरस के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है  जिस से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है. अधिक गंभीर मामलों में, लंबे समय तक चलने वाली गुरदों की बीमारी से किडनियां फेल हो सकती हैं जिस के लिए डायलिसिस या गुरदा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है.

सवाल

मेरे पति को 2-3 बार यूरिन में खून आ गया. मैं अपने पति की सेहत को ले कर बहुत चिंतित हूं क्या करूं?

जवाब

यूरिन में रक्त आने का कारण सामान्य भी हो सकता है और कई बार यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है. यूरिन में रक्त आने को चिकित्सकीय भाषा में हेमैटुरिया कहते हैं. जो रक्त हम अपनी आंखों से देख सकते हैं ग्रौस हेमैटुरिया कहलाता है और जो यूरिनरी ब्लड केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा दिखाई देता है उसे माइक्रोस्कोपिक हेमैटुरिया कहते हैं. इस के बारे में तब पता चलता है जब डाक्टर यूरिन की जांच करता है. यूरिन में रक्त आने का कारण मूत्रमार्ग का संक्रमण (यूटीआई), किडनी का संक्रमण, ब्लैडर या किडनी में पथरी, किडनी या ब्लैडर कैंसर, कुछ आनुवंशिक डिसऔर्डर जैसे सिकल सैल ऐनीमिया, किडनी का चोटिल हो जाना, अत्यधिक वर्कआउट करना या नियमित रूप से कई किलोमीटर दौड़ना आदि हो सकता है. यूरिन में रक्त आने की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. तुरंत डाक्टर से जांच कराएं. हेमैटुरिया का उपचार उस के कारणों के आधार पर किया जाता है.

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Festive Special: त्योहार में बनाएं ये टेस्टी और Crunchy डिश, सब पूछेंगे इसकी रेसिपी

फेस्टिव सीजन में अगर आप टेस्टी और हेल्दी रेसिपी ट्राई करना चाहती हैं तो ये रेसिपी ट्राई करना ना भूलें.

  सेब टिक्की

सामग्री

– 1 बड़ा सेब

– 3 बड़े चम्मच कौर्नफ्लैक्स चूरा

– 1 बड़ा चम्मच मक्खन

– 1 बड़ा चम्मच अखरोट

– 1 बड़ा चम्मच किशमिश

– 3 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

– 5 बड़े चम्मच ब्रैडक्रंब्स

– 2 बड़े चम्मच मक्खन सेंकने के लिए.

विधि

मक्खन को कड़ाही में गरम कर कौर्नफ्लैक्स चूरा भूनें. इस में सेब (कस कर), चीनी व मेवा डाल कर पका लें. ठंडा करें. फिर ब्रैडक्रंब्स डाल कर एक डो तैयार करें. छोटे पेड़े बना कर मनपसंद आकार दे कर गरम तवे पर मक्खन डाल कर दोनों तरफ से सेंक लें.

स्पाइसी पोटैटो

सामग्री

– 2 बड़े आलू – 1-2 हरीमिर्चें बारीक कटी

– 1 बड़ा चम्मच क्रीम

– 1/2 बड़ा चम्मच मक्खन

– 2 बड़े चम्मच चीज

– 1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

– 3 बड़े चम्मच दही

– 1 बड़ा चम्मच बेसन

– नमक स्वादानुसार.

विधि

एक बाउल में दही, क्रीम, चीज, अदरक व लहसुन पेस्ट, बेसन, नमक, हरीमिर्चें व नमक डाल कर अच्छी तरह फेंट लें. आलुओं को धो व छील कर गोलाकार स्लाइस में काट लें. फिर उबलते नमक के पानी में 1-2 मिनट तक रखें. बेकिंग ट्रे को मक्खन से ग्रीस कर आलू के स्लाइस 1-1 कर ट्रे में रखें. इस के ऊपर चीज का मिश्रण रखें और फिर 180 डिग्री पर गरम ओवन में 8 से 10 मिनट तक बेक करें.

कौर्न टिक्की

सामग्री

– 2 कच्चे भुट्टे के दाने

– 1-2 हरीमिर्चें बारीक कटी

– 1 बड़ा उबला आलू

– 3 बड़े चम्मच कौर्नफ्लैक्स

– 2 बड़े चम्मच चीज स्प्रैड

– 3 बड़े चम्मच प्याज व टमाटर

– 1 हरीमिर्च

– तलने के लिए पर्याप्त तेल

– नमक स्वादानुसार.

विधि

भुट्टे के दानों को मिक्सी में बिना पानी के पीस लें. इस में नमक, हरीमिर्चें व उबला आलू मैश कर के मिला लें. मिक्सी में कौर्नफ्लैक्स का चूरा करें. इस में चीज स्प्रैड, प्याजटमाटर, हरीमिर्च व नमक मिला लें. पिसे भुट्टे का एक छोटा भाग ले कर हाथ से गोलाकार व हलका पतला कर बीच में कौर्नफ्लैक्स का मिश्रण भर बंद कर के टिक्की का आकार दें. सभी ऐसे ही तैयार कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें. गरम चटनी या सौस के साथ गरमगरम परोसें.

  पौप्स

सामग्री

– 1 कप मैदा

– 2 बड़े चम्मच मक्खन

– 3 बड़े चम्मच जैम

– 10-12 बादाम

– 10-12 अखरोट

– 15-20 किशमिश

– 1 बड़ा चम्मच पनीर

– टूथपिक्स आवश्यकतानुसार.

विधि

मैदे व मक्खन को अच्छी तरह मिला कर पानी के साथ गूंध लें. एक कटोरी में जैम, पनीर व मेवा अच्छी तरह मिला लें. गुंधे मैदे की एक गोल मोटी परत बेलें. कटर से हार्ट शेप दें. एक परत पर जैम लगाएं. टूथपिक लगाएं. दूसरे आकार को बीच से काट लें व पहले के ऊपर लगा कर पानी से चिपका दें. सभी ऐसे ही तैयार करें. 180 डिग्री पर गरम ओवन में 8-10 मिनट तक बेक करें.

जैम रोल्स

सामग्री

– 1 कप फ्रैश ब्रैडक्रंब्स

– 2 बड़े चम्मच कोकोनट पाउडर

– 1/4 कप पनीर

– 11/2 बड़े चम्मच बादाम का दरदरा चूरा

– 3 बड़े चम्मच पाइनऐप्पल जैम

– तलने के लिए पर्याप्त तेल.

विधि

एक बाउल में ब्रैडक्रंब्स, कोकोनट पाउडर, पनीर, बादाम का चूरा व पाइनऐप्पल जैम डाल कर अच्छी तरह मैश करें. फिर इस के छोटेछोटे रोल बना कर हलका सा दबा कर फ्लैट कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें व सर्व करें.

चीजी पैकेट

सामग्री

– 1 कप मैदा

– 2 बड़े चम्मच मक्खन

– 1/4 कप व्हाइट सौस

– 1 प्याज कटा

– 1 टमाटर कटा

– 1 शिमलामिर्च कटी

– 1 हरीमिर्च कटी

– 1 कली लहसुन कटा

– 2 बड़े चम्मच चीज

– 11/2 बड़े चम्मच मक्खन तलने के लिए

– नमक स्वादानुसार.

विधि

मैदा, नमक व मक्खन को अच्छी तरह से मिला कर पानी से गूंध लें. कड़ाही में मक्खन गरम कर लहसुन, प्याज व शिमलामिर्च को भूनें. भुनने पर टमाटर, हरीमिर्च, नमक, व्हाइट सौस व चीज मिलाएं और ठंडा होने दें. गुंधे मैदे के छोटेछोटे पेड़े बना कर चौकोर बेलें व व्हाइट सौस का मिश्रण भर मोड़ कर पानी से सील करें और फिर 180 डिग्री पर गरम ओवन में बेक करें.

मैंगो डिलाइट

सामग्री

– 1 कप पनीर – 1/2 कप दही

– 1/4 कप मलाई

– 2 आमों का गूदा

– 3 बड़े चम्मच चीनी

– 1 बड़ा चम्मच अखरोट कटे

– 8-10 बादाम कटे.

विधि

ब्लैंडर में पनीर, दही, मलाई, चीनी व आम का गूदा डाल कर अच्छी तरह ब्लैंड करें. 15-20 मिनट तक फ्रीजर में रखें. फ्रीजर से निकाल कर एक बार फिर ब्लैंड करें. अखरोट व बादाम से गार्निश कर डैजर्ट बाउल में सर्व करें.

दाल टिक्की

सामग्री

– 1 कप भीगी मूंग दाल

– 1-2 हरीमिर्चें कटी

– 1 प्याज कटा

– 1 बड़ी कली लहसुन कटा

– 1/2 शिमलामिर्च कटी

– 1 टमाटर कटा

– 1/2 कप लौकी कसी

– 4 बड़े चम्मच तेल

– नमक स्वादानुसार.

विधि

दाल को पीस लें. हरीमिर्चें व लहसुन पीस लें. कड़ाही में तेल गरम कर बारीक काट कर प्याज व शिमलामिर्च भूनें. अब इस में टमाटर, हरीमिर्च व लहसुन का पेस्ट व नमक मिलाएं. फिर दाल का पेस्ट मिलाएं व भूनें. 2-3 मिनट तक पका कर आंच में उतार लें. इस की छोटीछोटी टिकियां बनाएं और गरम तवे पर दोनों तरफ से तेल लगा कर सेंक लें. चटनी के साथ सर्व करें.       –

तुम्हें क्या करना है: जया ने उड़ाए सबके होश

जयाको बहुत दिनों से लग रहा था कि उस ने अपने जीवन के कई साल घरगृहस्थी में ही बिता दिए. अब जब दोनों बच्चे यश और स्नेहा बड़े हो गए हैं और समीर पदोन्नति के बाद बढ़ती जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते हैं तो ऐसे में उसे जो समय मिलता है, उस में वह निश्चिंत हो कर अपने लिए कुछ सोच सकती है. लेकिन उस का मूड तब खराब हो गया जब उस ने कुछ नया सीखने की इच्छा समीर से जाहिर की तो उन्होंने कहा, ‘‘तुम्हें कुछ सीख कर क्या करना है?’’

‘‘यह कोई जरूरी तो नहीं कि कुछ करना हो तभी कुछ सीखना चाहिए… बहुत सी चीजें हैं जिन्हें मैं नहीं जानती… और अब मु झे लगता है कि मु झे वे आनी चाहिए. आखिर इस में परेशानी क्या है?’’

‘‘क्या सीखोगी जया तुम… घरगृहस्थी संभाल तो रही हो न?’’

जया को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन स्वभाववश चुप रही. लेकिन हमेशा की तरह समीर उस की चुप्पी से सम झ गए कि उसे बुरा लगा है. अत: हंसते हुए बोले, ‘‘चलो, इस बारे में बच्चों से बात करते हैं. स्नेहा, यश, इधर आना.’’

बच्चे उन के पास आ गए तो समीर ने कहा, ‘‘बच्चो, तुम ही बताओ कि मम्मी को

क्या सीखना चाहिए. तुम्हारी मम्मी जोश में हैं.’’

स्नेहा ने कहा, ‘‘पापा, मम्मी जो चाहे सीख सकती हैं.’’

‘‘हां मम्मी, आप को कंप्यूटर, ड्राइविंग के अलावा और भी बहुत कुछ आना चाहिए… मेरे काफी दोस्तों की मदर्स को बहुत कुछ आता है,’’ यश बोला.

समीर को बच्चों से ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी. अत: उन के चेहरे पर निराशा सी छा गई. फिर वे बोले, ‘‘अरे जरा सोचो, उन्हें करना क्या है?’’

‘‘मु झे इस बारे में अब किसी से बात नहीं करनी है, जो मेरा मन कहेगा मैं करूंगी,’’ जया

ने कहा.

फिर सब अपनेअपने में व्यस्त हो गए.

जया सोचती रही कि यह क्या बात हुई. अगर किसी दूसरी स्त्री को समीर गाड़ी चलाते, बैंक

के काम करते, आत्मनिर्भर होते देखते हैं तो कहते हैं कि वाह, आज की महिलाओं में क्या स्मार्टनैस हैं और अगर वह कुछ सीखने में रुचि दिखाती है तो उत्साह कम करते हैं. यह कैसी दोहरी मानसिकता है समीर की. नहीं, अब वह काफी जिम्मेदारियां पूरी कर चुकी है, वह अब कुछ

नया जरूर सीखेगी. आर्थिक स्थिति भी अच्छी

है. कुछ सीखने के लिए अपने ऊपर आराम से खर्च करेगी.

फिर उस ने सिर्फ स्नेहा को अपने

विश्वास में लिया, क्योंकि यश समीर की स्नेहपूर्ण बातों में आ कर सब उगल सकता है. वह समीर को सरप्राइज देना चाहती थी, इसलिए उस ने यश को कुछ नहीं बताया. सोसायटी की ही एक महिला अपने घर में कंप्यूटर क्लासेज चलाती थी. अत: जया वहां जाने लगी. सब के जाने के बाद वह 1 घंटा आसानी से निकाल लेती थी. वह पहले कंप्यूटर देख कर खुद को अनाड़ी सा महसूस करती थी पर 1 हफ्ते में ही उंगलियां चलाते हुए एक नई ऊर्जा महसूस करने लगी. उसे लगने लगा कि इंसान किसी भी उम्र में क्या नहीं सीख सकता.

जया ने 1 हफ्ते में काफी कुछ बेसिक

सीख लिया तो एक दिन बेटी स्नेहा ने कहा, ‘‘अब आप घर में भी कुछ करती रहेंगी तो बाकी चीजें भी आ जाएंगी.’’

फिर जया घर में ही कंप्यूटर पर कुछ न कुछ करती रहती. पहले उसे घर में सब के कंप्यूटर पर बिजी होने पर बहुत गुस्सा आता

था, पर अब जब खुद सीखने लगी तो पता चला कि हर विषय पर जानकारी का भंडार आंखों

के सामने. फेसबुक पर अपनी बहुत सी भूलीबिसरी सहेलियों को ढूंढ़ लिया तो मन

खुशी से  झूम उठा. अब उसे इंतजार था समीर के टुअर पर जाने का.

जया समीर को सरप्राइज देना चाहती थी.

1 हफ्ते बाद समीर 5 दिनों के लिए हैदराबाद गए. जया को पता था कि समीर रात में 10 मिनट फेसबुक जरूर खोलते हैं. अत: जया ने उन्हें फ्रैंड्स रिक्वैस्ट भेजी. अब समीर के हैरान होने की बारी थी. रात में समीर का फोन आया, ‘‘जया, तुम फेसबुक पर? यह सब कब सीख लिया?’’

‘‘बस, कुछ ही दिन पहले.’’

‘‘मु झे बताया क्यों नहीं?’’

‘‘बस, ऐसे ही,’’ जया को मजा आ रहा था, उस ने अपनेआप को मन ही मन शाबाशी दी. फिर दोनों थोड़ी देर इसी विषय पर बातें करते रहे. समीर की हैरानी का जया ने पूरा आनंद उठाया. लेकिन जब समीर ने पूछा कि वैसे तुम्हें करना क्या है यह सब सीख कर तो जया को गुस्सा तो बहुत आया, मगर रही शांत.

समीर टुअर से वापस आ कर  झेंपते हुए बोले, ‘‘चलो, अब खुश हो? कुछ

सीख लिया न?’’

जया ने कहा, ‘‘नहीं, अभी बहुत कुछ सीखना है.’’

‘‘अब क्या?’’

‘‘मु झे अपने बैंक के अकाउंट्स के बारे

में कुछ नहीं पता. एक दिन बैठ कर बताओ

मु झे सब.’’

‘‘तुम्हें करना क्या है? शौपिंग के लिए कार्ड है ही तुम्हारे पास?’’

‘‘फिर भी सब पता होना चाहिए.’’

‘‘अरे छोड़ो, मैं हूं न.’’

वह अड़ गई, ‘‘आज तक मु झे खुद ही रुचि नहीं थी, अब लगता है यह सब जानकारी होनी चाहिए तो इस में परेशानी क्या है?’’

‘‘जया, तुम्हें क्या हो गया है, तुम आराम से, शांति से नहीं जी सकतीं क्या?’’

फिर भी जया नहीं मानी तो समीर सेविंग्स

अकाउंट्स के बारे में सम झाने लगे. थोड़ी देर बाद उस छेड़ते हुए बोले, ‘‘पता नहीं बैठेबैठे क्या फुतूर आया है दिमाग में… मु झे छोड़ कर भागने का इरादा है क्या?’’

जया ने घूरा तो समीर हंसते हुए बोले, ‘‘अब तो खुश हो? अब कोई दूसरी चीज मत

ढूंढ़ लेना.’’

जया चुप रही तो बोले, ‘‘तुम्हारी चुप्पी

कुछ खतरनाक लग रही है जया, प्लीज अब शांति से बैठना.’’

जया ने कुछ देर बाद कहा, ‘‘ड्राइविंग भी सीखनी है मु झे.’’

इस बार समीर चिढ़ गए. ‘‘दिमाग तो ठीक है न… मुंबई का ट्रैफिक देखा है… कहां जाना है तुम्हें अकेले गाड़ी चला कर? जहां भी जाने को कहती हो तो ले तो जाता हूं.’’

उस समय तो जया चुप रही, लेकिन मन ही मन सोच चुकी थी कि क्या करना है.

इस बार जया ने बच्चों को भी कुछ नहीं बताया. अगले दिन समीर औफिस और बच्चे कालेज चले गए तो वह ड्राइविंग स्कूल पहुंच

गई. फौर्म भर कर फीस जमा कर दी. 11 से

12 बजे का समय लिया. उस समय घर में कोई नहीं रहता था. अगले दिन से ड्राइविंग क्लास शुरू हो गई.

वह ड्राइविंग से हमेशा डरती आई थी. जब स्टेयरिंग पर हाथ रखे तो अंदर ही अंदर

कांप गई. लगा कहीं ऐक्सीडैंट हो गया और चोट लग गई तो समीर तो जान ही खा जाएंगे. लेकिन उसे अपनी सहेलियों की बातों से अंदाजा था कि कोई ऐक्सीडैंट नहीं होता है. असली कंट्रोल तो बराबर में बैठे सिखाने वाले के हाथ में होता है. अत: उस ने अपनेआप को संभाला और सीखना शुरू किया.

घर में किसी को भनक नहीं लगी. 5-6 दिन तो बिलकुल कुछ सम झ नहीं आया कि क्या करना है. सामने आती गाड़ी देख कर पसीने छूट जाते थे. लगता था कहां फंस गई. समीर ठीक ही तो कह रहे थे कि करना क्या है. 1 हफ्ता तो वह मन ही मन निराश रही, फिर जैसेजैसे दिन बीतते गए, खुद पर विश्वास होता गया. अब सामने आती गाड़ी देख कर नर्वस होना बंद हो गया था. 1 महीना खत्म होतेहोते स्टेयरिंग पर फुल कंट्रोल हो गया. शनिवार और रविवार को वह छुट्टी लेती थी, क्योंकि घर में तीनों रहते थे. ड्राइविंग टैस्ट हो गया. उसे लाइसैंस भी मिल गया. अपना लाइसैंस हाथ में देख कर उसे इतनी खुशी हो रही थी जिस का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था.

जया की ड्राइविंग क्लासेज के बारे में उस की 2 खास सहेलियों अंजू और ममता को ही पता था. जया ने उन्हें भी यह बात अपने तक ही रखने के लिए कहा था.

अब प्रैक्टिस जरूरी थी पर क्या करे, गाड़ी तो समीर औफिस ले जाते थे. अत: उस ने ममता से कहा, ‘‘प्रैक्टिस कैसे करूं?’’

ममता ने कहा, ‘‘यह कौन सी बड़ी बात है, मेरी गाड़ी ले जा.’’

‘‘नहीं, अकेले तो अभी नहीं.’’

ममता ने तसल्ली दी, ‘‘मैं तेरे बराबर में बैठी रहा करूंगी.’’

‘‘मैं तेरी गाड़ी को कहीं नुकसान न पहुंचा दूं. नहीं, रहने दे.’’

‘‘जया, तू चला, कुछ नहीं होगा.’’

अगले दिन 11 बजे जया ने ममता की गाड़ी निकाली. ममता उस का

आत्मविश्वास बढ़ाती रही. जया ने आराम से गाड़ी ले जा कर एक रेस्तरां के बाहर रोक दी. वह बहुत खुश थी. बोली, ‘‘चल, तु झे लंच कराती हूं.’’

‘‘वाह, क्या बात है,’’ कह कर ममता भी हंसी और दोनों खापी कर इधरउधर गाड़ी चला कर बच्चों के आने से पहले घर लौट आईं.

ममता ने जाते हुए कहा, ‘‘अब तू कार अच्छी तरह चला लेती है. मेरी कार से ही प्रैक्टिस करती रहना.’’

अपनी इस महान उपलब्धि के बारे में जया ने किसी को कुछ नहीं बताया. ‘तुम्हें क्या करना है,’ सुनसुन कर वह थक चुकी थी. सब को बताने के लिए जया किसी खास मौके का इंतजार कर रही थी. कुछ दिनों बाद उसे यह मौका मिल गया. समीर को पूना जाना था. मुंबई में जुलाई की लगातार होने वाली तेज बारिश के कारण स्टेशन जाने के लिए कोई औटोरिकशा नहीं मिल रहा था. फोन करने पर टैक्सी कब तक आती यह भी पता नहीं था.

समीर की आदत है घर से थोड़ा पहले निकलने की. ट्रैफिक में फंसने का डर जो रहता है. वे छाता और अपना बैग लिए तेज बारिश में रोड पर खड़े थे, जया फ्लैट की बालकनी से उन्हें परेशान देख रही थी. जया ने अपने कपड़ों पर नजर डाली. वह नाइटगाउन में थी. उस ने फटाफट कपड़े बदले. बच्चे सो रहे थे. 5 बजे थे. वह उन्हें 6 बजे तक उठाती थी. अत: जया गाड़ी की चाबी और छाता ले कर समीर के पास पहुंच गई और बोली, ‘‘आओ, मैं छोड़ देती हूं.’’

‘‘कैसे?’’

‘‘गाड़ी से.’’

‘‘दिमाग खराब हो गया है क्या सुबहसुबह, ऊपर जाओ,’’ समीर  झुं झलाए.

वह हंसी, ‘‘अरे आओ, डरो मत,’’ और गाड़ी की तरफ बढ़ गई. फिर दरवाजा खोल कर ड्राइविंग सीट पर बैठ कर सीट बैल्ट बांधने लगी. समीर को भी बैठने का इशारा किया.

उन्हें कुछ सम झ नहीं आया. चिढ़ते हुए बोले, ‘‘मजाक का टाइम तो देख लिया करो जया, देख रही हो न मैं कितना परेशान हूं और तुम्हें मजाक सू झ रहा है.’’

‘‘मु झे पागल सम झा है क्या? अरे, मैं ड्राइविंग सीख चुकी हूं.’’

समीर गुर्राए, ‘‘क्या बकवास है… लाइसैंस दिखाना.’’

समीर को अच्छी तरह जानती थी जया. वह लाइसैंस ले कर ही उतरी थी. अत: पर्स से लाइसैंस निकाला और समीर के हाथ पर रखती हुई बोली, ‘‘अच्छी तरह देख लो.’’

समीर का अजीब हाल था. गुस्सा, हैरानी, यानी चेहरे पर मिलेजुले भाव थे.

जया ने प्यार से कहा, ‘‘अब हंस भी दो, यह सरप्राइज ऐसे ही किसी टाइम के लिए संभाल कर रखा था.’’

समीर अपने को सामान्य कर चुके थे. बोले, ‘‘इतनी बारिश में स्टेशन तक चला पाओगी और फिर अकेली आओगी… मु झे चिंता रहेगी.’’

‘‘सामने रोड तक साथ बैठ कर थोड़ी दूर तक देख लो, विश्वास हो जाए तो मु झे ले जाना स्टेशन, ठीक है?’’

समीर ने सहमति में सिर हिलाया और फिर सीटबैल्ट बांध ली. जया ने गाड़ी स्टार्ट की और गाड़ी आगे बढ़ाती गई.

समीर काफी देर बाद बोले, ‘‘कब सीखी?’’

‘‘कुछ ही दिन पहले.’’

‘‘प्रैक्टिस तो हो नहीं पाई होगी?’’

‘‘ममता की गाड़ी चला रही थी,’’ कह कर जया तेज बारिश में ध्यान से धीरेधीरे गाड़ी चलाती हुई स्टेशन पहुंच गई.

गाड़ी से उतरने से पहले समीर ने मुसकराते हुए जया के कंधे पर हाथ रख कर

कहा, ‘‘कमाल हो तुम… घर पहुंच कर मु झे

फोन कर देना, बाय, टेक केयर,’’ और गाड़ी से उतर गए.

जया ने कार मोड़ ली. अब यह बात तय थी कि अगली बार कुछ सीखने की बात करने पर समीर यह कभी नहीं कहने वाले थे कि तुम्हें करना क्या है?

तभी जया को ये पंक्तियां याद आ गईं-

‘हर प्यासे को जो दे डुबो, वह एक

सावन चाहिए.

कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं

मन चाहिए.’

जया ने मन ही मन प्लान बनाया कि आज शाम को बच्चों को भी गाड़ी से आइसक्रीम खिलाने ले जाएगी. अब उन के हैरान चेहरे देखने की बारी थी.

मैं पवित्र हूं: राज कौर पर भरोसा किसने किया

‘‘साहब, लड़की बहुत ही खूबसूरत है. जिस्म की बनावट देखें. खिला हुआ ताजा गुलदाऊदी है जनाब. रंगरूप कितना चढ़ा हुआ है. जनाब, आप तो इस तरह की रसदार जिस्म वाली लड़कियां ही पसंद करते हो… जनाब उठा लें, फिर मौका नहीं मिलने वाला?’’

जीप से थोड़ी दूर ही हवलदार की नजर उस लड़की पर जा पड़ी थी. सूरज अंबर के घौंसले में जा छिपा था. रात खतरनाक रूप ले कर और गहरी होती जा रही थी.

एक नया शादीशुदा जोड़ा हाथ में एक छोटी सी अटैची उठाए, नाजुकनाजुक प्यारीप्यारी बातें करता पैदल ही अपने गांव जा रहा था. गांव की दूरी तकरीबन एक किलोमीटर ही होगी. वे दोनों बस से उतर कर थोड़ी ही दूर गए थे कि पुलिस की जीप आहिस्ता से उन के पास से गुजरी.

इंस्पैक्टर ने जोश में आ कर ड्राइवर को कहा, ‘‘जीप मोड़ ले…’’ और अपनी  बांहें ऊपर को खींच कर 2-3 अंगड़ाइयां तोड़ लीं.

ड्राइवर ने जीप उस जोड़े के आगे जा कर खड़ी कर दी. हवलदार और इंस्पैक्टर नीचे उतरे.

हवलदार ने उस लड़के से पूछा, ‘‘ओए, कहां जाना है तुझे?’’

‘‘अपनी ससुराल से आ रहा हूं जनाब और अपने गांव जा रहा हूं. जनाब, कुछ दिन पहले ही हमारी शादी हुई है?’’

‘‘ओए, तू तस्करी करता है… तू अफीम बेचता है… इतने अंधेरे में ससुराल से आ रहा है?’’

‘‘जनाब, इस अटैची में सिर्फ कपड़े हैं और कुछ भी नहीं है,’’ उस लड़के ने कहा.

‘‘ओए, तू थाने चल. वहां जा कर पता चलेगा कि इस में क्या है…’’

‘‘जनाब, मेरा कुसूर क्या है? मैं कोई अफीम नहीं बेचता, कोई तस्करी नहीं करता. जनाब, मेरी अटैची देख लें.’’

‘‘चुप कर. हमें अभीअभी वायरलैस से खबर आई है कि एक नया शादीशुदा जोड़ा आ रहा है. उस के पास अफीम है. उन्होंने सारा हुलिया तेरा बताया है कि तू अफीम बेचता है.’’

‘‘जनाब, ऐसी कोई बात नहीं है. आप को गलतफहमी हुई है. मेरे गांव से पूछ लें… मैं प्रीतम सिंह हूं जनाब. मैं रेहड़ा चलाता हूं जनाब. मेरे मातापिता, बहनभाई सब घर में हैं. आप गांव से पता कर लो.’’

‘‘यह तो थाने जा कर ही पता चलेगा. कैसे बकबक करता है. हम को गलत सूचना मिली है?’’ कहते हुए हवलदार ने 5-7 थप्पड़ प्रीतम सिंह के गाल पर जड़ दिए. उस की पगड़ी खुल कर नीचे गिर गई और वह खुद भी. उन्होंने लातोंबांहों से उस की खूब सेवा कर दी.

प्रीतम सिंह की पत्नी राज कौर ने बहुत गुजारिश की, पर इंस्पैक्टर पर तो हवस का भूत सवार हो चुका था. उस ने राज कौर पर 3-4 थप्पड़ जड़ दिए. वह भी नीचे गिर गई.

इंस्पैक्टर ने हवलदार और सिपाही को कहा, ‘‘उठा कर जीप में फेंक दो इन  दोनों को. थाने ले चलो, देखते हैं कैसे  नहीं मानता.’’

सिपाहियों ने उन दोनों को जीप में धकेल लिया.

राज कौर रोरो कर कह रही थी कि जनाब छोड़ दो हमें, हम बेकुसूर हैं, पर सिपाही उन को गंदीगंदी गालियां निकाले जा रहे थे.

थाने में ले जा कर इंस्पैक्टर ने दोनों को हवालात में बंद कर दिया. राज कौर का जूड़ा खुल चुका था, बाल बिखर चुके थे. उन दोनों का रोरो कर बुरा हाल हो गया था.

इंस्पैक्टर ने हवलदार को तेज आवाज लगा कर कहा, ‘‘बड़ा सा पैग बना कर ला.’’

तकरीबन 55 साल के उस इंस्पैक्टर ने अपने सारे कपड़े ढीले कर लिए और गरम लहू में उबलता हुआ टांगें पसार कर कुरसी पर बैठ गया.

हवलदार बड़ा पैग बना कर ले आया और बोला, ‘‘जनाब, माल बहुत बढि़या है. ताजा गुलकंद है जनाब. खींच दो जनाब. यह मौका बारबार नहीं मिलेगा जनाब. पहले माल से यह माल अलग ही है, ताजातरीन है जनाब.’’

इंस्पैक्टर ने अपनी मूंछें अकड़ा कर एक ही सांस में पैग हलक के नीचे उतार लिया. उस की आंखों के डोरे तंदूर की तरह तपने लगे.

हवलदार ने कहा, ‘‘जनाब, एक पैग और ले आएं?’’

‘‘अभी नहीं, पहले उन की तसल्ली तो करवा दूं.’’

इंस्पैक्टर ने जाते ही प्रीतम सिंह के बाल पकड़ लिए और चिल्लाया, ‘‘कहां है तेरी अटैची ओए?’’

‘‘जनाब, आप के पास ही है. उस में कोई अफीम नहीं है.’’

हवलदार ने अटैची में अफीम रख दी थी.

‘‘जनाब, मैं बेकुसूर हूं. जाने दो जनाब. हमारे घर वाले इंतजार करते होंगे,’’ राज कौर ने इंस्पैक्टर के पैर पकड़ लिए. उस ने राज कौर का सुंदर मुखड़ा ऊपर उठा कर कामुकता से निहारा, जिस्म की गोलाइयां उस का नशा और तेज कर गईं.

राज कौर समझ गई थी कि कोई बुरा समय आने वाला है.

इंस्पैक्टर ने प्रीतम सिंह को नंगधड़ंग कर के उलटा लिटा कर खूब पिटाई लगाई. वह बेहोश हो गया.

राज कौर रोरो कर मिन्नतें कर रही थी.

इंस्पैक्टर ने हवलदार को इशारा किया, तो वह एक बड़ा पैग और बना कर ले आया. उस ने एक सांस में ही गटागट पूरा अंदर उतार लिया.

होंठों पर लगे पैग को उलटे हाथ से साफ करते हुए हवलदार को इशारे से समझाया.

हवलदार प्रीतम सिंह को बेहोशी की हालत में खींच कर दूसरे कमरे में ले गया.

राज कौर इंस्पैक्टर के पैर पकड़ रही थी, पर उस पर हवस का भूत सवार था. उस को महकमे का कोई डर नहीं था. उस के हाथ बहुत लंबे थे मिनिस्ट्री तक. उस की लगामें खुली थीं और आंखों का फैलाव कानों को छू रहा था.

इंस्पैक्टर ने नशे में कहा, ‘‘तेरे जैसा मखमल सा माल तो कभीकभार ही मिलता है. तेरे ऊपर केस नहीं डालूंगा, चिंता मत कर. तू किसी से बात मत करना. अगर किसी से बात की तो तेरे पति को जान से मरवा दूंगा…’’

इंस्पैक्टर ने राज कौर के जबरदस्ती कपड़े उतार फेंके और अपनी हवस की आग बुझाने की कोशिश की, पर गुत्थमगुत्था से आगे न जा सका और शांत हो कर अपने कमरे में चला गया.

राज कौर अपनी इज्जत के टुकड़ेटुकड़े समेटते हुए प्रीतम सिंह के पास जा कर रोए जा रही थी.

प्रीतम सिंह को पता चल गया था, पर क्या किया जा सकता था.

अगले दिन प्रीतम सिंह हवालात में था. राज कौर को डराधमका कर छोड़ दिया गया.

इंस्पैक्टर ने राज कौर से कहा, ‘‘अगर कोई भी बात जबान से बाहर निकाली तो तेरे पति को जेल में ही मरवा दूंगा. उस पर केस बनवा कर मार दूंगा. गांव में, घरबाहर किसी से कोई बात मत करना, अगर इस की जिंदगी चाहती?है तो… गांव में जा कर कहना कि इस से अफीम पकड़ी गई थी और पुलिस ने केस डाल कर जेल भेज दिया है.’’

राज कौर पहले ही इंस्पैक्टर की गुंडागर्दी व दहशत को जानती थी. उस ने कई लड़कियों की इज्जत से खिलवाड़ किया था और कई जायजनाजायज कत्ल करवाए थे.

राज कौर ने गांव में जा कर प्रीतम सिंह के मातापिता और भाईबहनों को बताया कि प्रीतम सिंह से अफीम पकड़ी गई?है. वह जेल में बंद है.

प्रीतम सिंह के भाइयों ने उस की जमानत करवा ली. खैर, केस के दौरान उस को कुछ महीनों की सजा हो गई. वह सजा काट कर आ गया था.

प्रीतम सिंह और राज कौर दोनों घर के कमरे में बैठे चुपचाप उस दिन को सोच कर रो रहे थे.

राज कौर पढ़ाई में बहुत होशियार थी. खूबसूरत जवान भरे बदन वाली. गरीब घर की होने के चलते वह मुश्किल से 10वीं जमात तक ही पढ़ पाई थी. मैट्रिक उस ने फर्स्ट डिविजन में पास की थी.

प्रीतम सिंह ने भी बारहवीं फर्स्ट डिविजन से पास की थी. बहुत पढ़नेलिखने में होशियार था, पर घर की तंगहाली के चलते वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाया था.

प्रीतम सिंह अपने इलाके में घोड़े वाला रेहड़ा चलाता था. यह पुश्तैनी धंधा था उस का. वह सरल स्वभाव का लड़का था.

रात को सोते समय राज कौर ने मायूसी में प्रीतम सिंह को तसल्ली देते  हुए कहा, ‘‘मैं ने कहा जी, आप दिल छोटा मत करें. जो होना था हो गया, कौन हमारी सुनेगा?

‘‘मैं चाहती तो खुदकुशी कर सकती थी. केवल अंजू के लिए जिंदा हूं. देखो, मैं बिलकुल पवित्र हूं, पवित्र रहूंगी. पर मैं पवित्र तब ही हो सकती हूं. अगर आप मेरा एक काम करेंगे तो…’’

प्रीतम सिंह ने कहा, ‘‘राज कौर, तू बेकुसूर है. मेरे लिए तो तू पवित्र ही है. तेरा बड़ा जिगरा है, अगर और कोई लड़की होती तो कब की खुदकुशी कर गई होती, पर तेरा जिगरा देख कर मुझे और ताकत मिली है. तू मुझे बता, मैं तेरी हर एक बात मानूंगा.’’

‘‘सरदारजी, मुझे केवल मक्खन (इंस्पैक्टर) का सिर चाहिए. जैसे भी हो कैसे भी. कोई ऐसी जुगत बनाई जाए कि हींग लगे न फिटकरी… मक्खन हम से ज्यादा नहीं पढ़ालिखा, वह सिपाही से इंस्पैक्टर बना है, बेकुसूर लड़कों को मारमार कर.’’

मैं आप को एक तरकीब बताती हूं. आप जेल में रहें. सारे गांव को पता था कि आप बेकुसूर हैं, पर किया क्या जा सकता था? मक्खन सिंह से सारा इलाका डरता है. उस की ओर कोई मुंह नहीं कर सकता.’’

दिन बीतते गए. प्रीतम सिंह ने सारा भेद अपने दिल में ही रखा. किसी से जिक्र नहीं किया.

राज कौर और प्रीतम सिंह ने कई दिनों के बाद एक योजना बना ली. इस योजना को अंजाम देने के लिए रास्ते ढूंढ़ने शुरू कर दिए.

मक्खन सिंह उन के गांव से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर वाले गांव का रहने वाला था. वह हर शनिवार की शाम को गांव आता था और सुबह तड़के ही अकेला सैर करने जाता था. मक्खन सिंह के घरपरिवार के बारे में सारी जानकारी 1-2 महीने में जमा कर ली थी.

प्रीतम सिंह ने अब एक ईंटभट्ठे से ईंटें लाने का काम शुरू कर लिया था. वह भट्ठे के और्डर के मुताबिक ही ईंटें गांवगांव पहुंचाता था.

मक्खन सिंह के गांव की ओर भी ईंटें छोड़ने जाना शुरू कर दिया था. उस ने मक्खन सिंह के आनेजाने की पूरी जानकारी हासिल कर ली थी. उस ने देखा कि वह हर शनिवार की रात को घर आता है और रविवार को दोपहर को जाता है. सुबह 5 बजे के आसपास अकेला ही सैर करता?है.

इस तरह कुछ महीने बीत गए. एक दिन प्रीतम सिंह ने पूरी जानकारी रखी. उस ने पता किया कि आज शनिवार की शाम को मक्खन सिंह घर आ चुका है. वह सुबह सैर पर जाएगा.

प्रीतम सिंह रात को ही रेहड़े पर ईंटें लाद कर घर ले आया. रात में उन दोनों ने रेहड़े के ऊपर लादी हुई ईंटों के बीच में से ईंटें इधरउधर कर के खाली जगह बना ली. 1-2 खाली बोरे तह लगा कर रख दिए और एक लंबी तीखी तलवार नीचे छिपा कर रख ली.

यह तलवार प्रीतम सिंह ने स्पैशल बनवाई थी. तलवार इतनी तेज धार वाली थी कि पेड़ के तने में मारे, तो एक बार में पेड़ को काट दे.

वे दोनों सुबह 4 बजे रेहड़े पर बैठ कर घर से निकल पड़े. पौने 5 बजे के आसपास मक्खन सिंह की कोठी से थोड़ी दूर जा कर अंधेरे में रेहड़ा खड़ा कर दिया और प्रीतम सिंह घोड़े की लगाम कसने लगा.

पूरे 5 बजे मक्खन सिंह अकेला ही घर से बाहर निकला. चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था. हाथ में स्टिक व सफेद कुरतापाजामा पहने मक्खन सिंह अपनी मस्त चाल में आराम से चलता जा  रहा था.

प्रीतम सिंह और राज कौर ने हिम्मत समेट कर रेहड़ा चला लिया. मक्खन सिंह अपनी मस्त चाल में चलता जा रहा था. गांव के बाहर थोड़ी दूर जा कर प्रीतम सिंह ने तलवार अपने दाएं हाथ की मुट्ठी में मजबूती से पकड़ ली.

राज कौर हिम्मत के साथ रेहड़े में बैठी रही. आहिस्ता से रेहड़ा नजदीक करते हुए प्रीतम सिंह ने ललकारा, ‘‘ओए, पापी तेरी ऐसी की तैसी…’’

जब मक्खन सिंह ने उस की ओर देखा, तो प्रीतम सिंह ने पूरी जान लगा कर इतनी तेजी से तलवार उस की गरदन पर दे मारी कि उस का सिर कट कर दूर जा पड़ा. उस की चीख भी निकलने नहीं दी.

प्रीतम सिंह ने जल्दीजल्दी उस का सिर बोरी में लपेट कर उठा लिया और ईंटों के बीच खाली जगह पर रख लिया.

रेहड़ा आसमान से बातें करने लगा. किसी को कोई खबर तक नहीं लगी.  5-6 किलोमीटर दूर जा कर नहर के किनारे राज कौर ने मक्खन सिंह का सिर निकाला और तलवार से उस के सिर के छोटेछोटे टुकड़े कर के नहर में फेंक दिए. इस के बाद वे दोनों घर आ गए.

राज कौर घर के अंदर चली गई और प्रीतम सिंह ईंटों का रेहड़ा ले कर किसी के घर पहुंचाने चला गया.

इलाके में खबर फैल गई कि मक्खन सिंह का कोई सिर काट कर ले गया है. उस के सिर काटने की खबर सुन कर इलाके में दहशत हो गई.

खुद पुलिस ने कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की. केवल कानूनी दिखावे के लिए ही सारी कार्यवाही की गई.

पुलिस ने बहुत भागदौड़ की, पर कोई खोजखबर हाथ नहीं लगी. लोगों ने चैन की सांस ली.

कई लोग कहते सुने गए कि किसी मां के बहादुर बेटे ने यह काम किया है. इलाके का कलंक खत्म कर दिया. एक महाराक्षस का खात्मा कर दिया है.

शाम को प्रीतम सिंह रोजमर्रा की तरह रेहड़ा ले कर घर आता है. राज कौर नईनवेली दुलहन सी सजीसंवरी सी काम कर रही थी. उस के दिल में कोई डर नहीं था. अब बेशक उस को मौत भी आ जाए, कोई परवाह नहीं. बेशक फांसी ही क्यों न हो जाए, अब उस के चेहरे पर अलग किस्म का नूर था.

प्रीतम सिंह नहाधो कर अच्छे कपड़े पहन कर कमरे में दाखिल हुआ, तो राज कौर ने शरमा कर प्रीतम सिंह के गले में अपनी बांहें डालते हुए कहा, ‘‘सरदारजी, मैं पवित्र हूं.’’

प्रीतम सिंह ने राज कौर को जोर से छाती से लगा लिया.

दिल वर्सेस दौलत: क्या पूरा हुआ लाली और अबीर का प्यार

‘‘किस का फोन था, पापा?’’

‘‘लाली की मम्मी का. उन्होंने कहा कि किसी वजह से तेरा और लाली का रिश्ता नहीं हो पाएगा.’’

‘‘रिश्ता नहीं हो पाएगा? यह क्या मजाक है? मैं और लाली अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. नहीं, नहीं, आप को कोई गलतफहमी हुई होगी. लाली मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है? आप ने ठीक से तो सुना था, पापा?’’

‘‘अरे भाई, मैं गलत क्यों बोलने लगा. लाली की मां ने साफसाफ मु झ से कहा, ‘‘आप अपने बेटे के लिए कोई और लड़की ढूंढ़ लें. हम अबीर से लाली की शादी नहीं करा पाएंगे.’’

पापा की ये बातें सुन अबीर का कलेजा छलनी हो आया. उस का हृदय खून के आंसू रो रहा था. उफ, कितने सपने देखे थे उस ने लाली और अपने रिश्ते को ले कर. कुछ नहीं बचा, एक ही  झटके में सब खत्म हो गया, भरे हृदय के साथ लंबी सांस लेते हुए उस ने यह सोचा.

हृदय में चल रहा भीषण  झं झावात आंखों में आंसू बन उमड़नेघुमड़ने लगा. उस ने अपना लैपटौप खोल लिया कि शायद व्यस्तता उस के इस दर्द का इलाज बन जाए लेकिन लैपटौप की स्क्रीन पर चमक रहे शब्द भी उस की आंखों में घिर आए खारे समंदर में गड्डमड्ड हो आए.  झट से उस ने लैपटौप बंद कर दिया और खुद पलंग पर ढह गया.

लाली उस के कुंआरे मनआंगन में पहले प्यार की प्रथम मधुर अनुभूति बन कर उतरी थी. 30 साल के अपने जीवन में उसे याद नहीं कि किसी लड़की ने उस के हृदय के तारों को इतनी शिद्दत से छुआ हो. लाली उस के जीवन में मात्र 5-6 माह के लिए ही तो आई थी, लेकिन इन चंद महीनों की अवधि में ही उस के संपूर्ण वजूद पर वह अपना कब्जा कर बैठी थी, इस हद तक कि उस के भावुक, संवेदनशील मन ने अपने भावी जीवन के कोरे कैनवास को आद्योपांत उस से सा झा कर लिया. मन ही मन उस ने उसे अपने आगत जीवन के हर क्षण में शामिल कर लिया. लेकिन शायद होनी को यह मंजूर नहीं था. लाली के बारे में सोचतेसोचते कब वह उस के साथ बिताए सुखद दिनों की भूलभुलैया में अटकनेभटकने लगा, उसे तनिक भी एहसास नहीं हुआ.

शुरू से वह एक बेहद पढ़ाकू किस्म का लड़का था जिस की जिंदगी किताबों से शुरू होती और किताबों पर ही खत्म. उस की मां लेखिका थीं. उन की कहानियां विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में छपती रहतीं. पिता को भी पढ़नेलिखने का बेहद शौक था. वे एक सरकारी प्रतिष्ठान में वरिष्ठ वैज्ञानिक थे. घर में हर कदम पर किताबें दिखतीं. पुस्तक प्रेम उसे नैसर्गिक विरासत के रूप में मिला. यह शौक उम्र के बढ़तेबढ़ते परवान चढ़ता गया. किशोरावस्था की उम्र में कदम रखतेरखते जब आम किशोर हार्मोंस के प्रभाव में लड़कियों की ओर आकर्षित होते हैं,  उन्हें उन से बातें करना, चैट करना, दोस्ती करना पसंद आता है, तब वह किताबों की मदमाती दुनिया में डूबा रहता.

बचपन से वह बेहद कुशाग्र था. हर कक्षा में प्रथम आता और यह सिलसिला उस की शिक्षा खत्म होने तक कायम रहा. पीएचडी पूरी करने के बाद एक वर्ष उस ने एक प्राइवेट कालेज में नौकरी की. तभी यूनिवर्सिटी में लैक्चरर्स की भरती हुई और उस के विलक्षण अकादमिक रिकौर्ड के चलते उसे वहीं लैक्चरर के पद पर नियुक्ति मिल गई. नौकरी लगने के साथसाथ घर में उस के रिश्ते की बात चलने लगी.

वह अपने मातापिता की इकलौती संतान था. सो, मां ने उस से उस की ड्रीमगर्ल के बारे में पूछताछ की. जवाब में उस ने जो कहा वह बेहद चौंकाने वाला था.

मां, मु झे कोई प्रोफैशनल लड़की नहीं चाहिए. बस, सीधीसादी, अच्छी पढ़ीलिखी और सम झदार नौनवर्किंग लड़की चाहिए, जिस का मानसिक स्तर मु झ से मिले. जो जिंदगी का एकएक लमहा मेरे साथ शेयर कर सके. शाम को घर आऊं तो उस से बातें कर मेरी थकान दूर हो सके.

मां उस की चाहत के अनुरूप उस के सपनों की शहजादी की तलाश में कमर कस कर जुट गई. शीघ्र ही किसी जानपहचान वाले के माध्यम से ऐसी लड़की मिल भी गई.

उस का नाम था लाली. मनोविज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की हुई थी. संदली रंग और बेहद आकर्षक, कंटीले नैननक्श थे उस के. फूलों से लदीफंदी डौलनुमा थी वह. उस की मोहक शख्सियत हर किसी को पहली नजर में भा गई.

उस के मातापिता दोनों शहर के बेहद नामी डाक्टर थे. पूरी जिंदगी अपने काम के चलते बेहद व्यस्त रहे. इकलौती बेटी लाली पर भी पूरा ध्यान नहीं दे पाए. लाली नानी, दादी और आयाओं के भरोसे पलीबढ़ी. ताजिंदगी मातापिता के सान्निध्य के लिए तरसती रही. मां को ताउम्र व्यस्त देखा तो खुद एक गृहिणी के तौर पर पति के साथ अपनी जिंदगी का एकएक लमहा भरपूर एंजौय करना चाहती थी.

विवाह योग्य उम्र होने पर उस के मातापिता उस की इच्छानुसार ऐसे लड़के की तलाश कर रहे थे जो उन की बेटी को अपना पूरापूरा समय दे सके, कंपेनियनशिप दे सके. तभी उन के समक्ष अबीर का प्रस्ताव आया. उसे एक उच्चशिक्षित पर घरेलू लड़की की ख्वाहिश थी. आजकल अधिकतर लड़के वर्किंग गर्ल को प्राथमिकता देने लगे थे. अबीर जैसे नौनवर्किंग गर्ल की चाहत रखने वाले लड़कों की कमी थी. सो, अपने और अबीर के मातापिता के आर्थिक स्तर में बहुत अंतर होने के बावजूद उन्होंने अबीर के साथ लाली के रिश्ते की बात छेड़ दी.

संयोगवश उन्हीं दिनों अबीर के मातापिता और दादी एक घनिष्ठ पारिवारिक मित्र की बेटी के विवाह में शामिल होने लाली के शहर पहुंचे. सो, अबीर और उस के घर वाले एक बार लाली के घर भी हो आए. लाली अबीर और उस के परिवार को बेहद पसंद आई. लाली और उस के परिवार वालों को भी अबीर अच्छा लगा.

दोनों के रिश्ते की बात आगे बढ़ी. अबीर और लाली फोन पर बातचीत करने लगे. फिर कुछ दिन चैटिंग की. अबीर एक बेहद सम झदार, मैच्योर और संवेदनशील लड़का था. लाली को बेहद पसंद आया. दोनों में घनिष्ठता बढ़ी. दोनों को एकदूसरे से बातें करना बेहद अच्छा लगता. फोन पर रात को दोनों घंटों बतियाते. एकदूसरे को अपने अनुकूल पा कर दोनों कभीकभार वीकैंड पर मिलने भी लगे. एकदूसरे को विवाह से पहले अच्छी तरह जाननेसम झने के उद्देश्य से अबीर  शुक्रवार की शाम फ्लाइट से उस के शहर पहुंच जाता. दोनों शहर के टूरिस्ट स्पौट्स की सैर करतेकराते वीकैंड साथसाथ मनाने लगे. एकदूसरे को गिफ्ट्स का आदानप्रदान भी करने लगे.

दिन बीतने के साथ दोनों के मन में एकदूसरे के लिए चाहत का बिरवा फूट चुका था. सो, दोनों की तरफ से ग्रीन सिगनल पा कर लाली के मातापिता अबीर का घरबार देखने व उन के रोके की तारीख तय करने अबीर के घर पहुंचे. अबीर का घर, रहनसहन, जीवनशैली देख कर मानो आसमान से गिरे वे.

अबीर का घर, जीवनस्तर उस के पिता की सरकारी नौकरी के अनुरूप था. लाली के रईस और अतिसंपन्न मातापिता की अमीरी की बू मारते रहनसहन से कहीं बहुत कमतर था. उन के 2 बैडरूम के फ्लैट में ससुराल आने पर उन की बेटी शादी के बाद कहां रहेगी, वे दोनों इस सोच में पड़ गए. एक बैडरूम अबीर के मातापिता का था, दूसरा बैडरूम उस की दादी का था.

अबीर की दादी की घरभर में तूती बोलती. वे काफी दबंग व्यक्तित्व की थीं. बेटाबहू उन को बेहद मान देते. उन की तुलना में अबीर की मां का व्यक्तित्व उन्हें तनिक दबा हुआ प्रतीत हुआ.

अबीर के घर सुबह से शाम तक एक पूरा दिन बिता कर उन्होंने पाया कि उन के घर में दादी की मरजी के बिना पत्ता तक नहीं हिलता. उन की सीमित आय वाले घर में उन्हें बातबात पर अबीर के मातापिता के मितव्ययी रवैए का परिचय मिला.

अगले दिन लाली के मातापिता ने बेटी को सामने बैठा उस से अबीर के रिश्ते को ले कर अपने खयालात शेयर किए.

लाली के पिता ने लाली से कहा, ‘सब से पहले तो तुम मु झे यह बताओ, अबीर के बारे में तुम्हारी क्या राय है?’

‘पापा, वह एक सीधासादा, बेहद सैंटीमैंटल और सुल झा हुआ लड़का लगा मु झे. यह निश्चित मानिए, वह कभी दुख नहीं देगा मु झे. मेरी हर बात मानता है. बेहद केयरिंग है. दादागीरी, ईगो, गुस्से जैसी कोई नैगेटिव बात मु झे उस में नजर नहीं आई. मु झे यकीन है, उस के साथ हंसीखुशी जिंदगी बीत जाएगी. सो, मु झे इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं.’

तभी लाली की मां बोल पड़ीं, ‘लेकिन, मु झे औब्जेक्शन है.’

‘यह क्या कह रही हैं मम्मा? हम दोनों अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. अब मैं इस रिश्ते से अपने कदम वापस नहीं खींच सकती. आखिर बात क्या है? आप ने ही तो कहा था, मु झे अपना लाइफपार्टनर चुनने की पूरीपूरी आजादी होगी. फिर, अब आप यह क्या कह रही हैं?’

‘लाली, मैं तुम्हारी मां हूं. तुम्हारा भला ही सोचूंगी. मेरे खयाल से तुम्हें यह शादी कतई नहीं करनी चाहिए.’

‘मौम, सीधेसीधे मुद्दे पर आएं, पहेलियां न बु झाएं.’

‘तो सुनो, एक तो उन का स्टेटस, स्टैंडर्ड हम से बहुत कमतर है. पैसे की बहुत खींचातानी लगी मु झे उन के घर में. क्यों जी, आप ने देखा नहीं, शाम को दादी ने अबीर से कहा, एसी बंद कर दे. सुबह से चल रहा है. आज तो सुबह से मीटर भाग रहा होगा. तौबा उन के यहां तो एसी चलाने पर भी रोकटोक है.

‘फिर दूसरी बात, मु झे अबीर की दादी बहुत डौमिनेटिंग लगीं. बातबात पर अपनी बहू पर रोब जमा रही थीं. अबीर की मां बेचारी चुपचाप मुंह सीए हुए उन के हुक्म की तामील में जुटी हुई थी. दादी मेरे सामने ही बहू से फुसफुसाने लगी थीं, बहू मीठे में गाजर का हलवा ही बना लेती. नाहक इतनी महंगी दुकान से इतना महंगी मूंग की दाल का हलवा और काजू की बर्फी मंगवाई. शायद कल हमारे सामने हमें इंप्रैस करने के लिए ही इतनी वैराइटी का खानापीना परोसा था. मु झे नहीं लगता यह उन का असली चेहरा है.’

‘अरे मां, आप भी न, राई का पहाड़ बना देती हैं. ऐसा कुछ नहीं है. खातेपीते लोग हैं. अबीर के पापा ऐसे कोई गएगुजरे भी नहीं. क्लास वन सरकारी अफसर हैं. हां, हम जैसे पैसेवाले नहीं हैं. इस से क्या फर्क पड़ता है?’

‘लेकिन मैं सोच रही हूं अगर अबीर भी दादी की तरह हुआ तो क्या तू खर्चे को ले कर उस की तरफ से किसी भी तरह की टोकाटाकी सह पाएगी? खुद कमाएगी नहीं, खर्चे के लिए अबीर का मुंह देखेगी. याद रख लड़की, बच्चे अपने बड़ेबुजुर्गों से ही आदतें विरासत में पाते हैं. अबीर ने भी अगर तेरे खर्चे पर बंदिशें लगाईं तो क्या करेगी? सोच जरा.’

‘अरे मां, क्या फुजूल की हाइपोथेटिकल बातें कर रही हैं? क्यों लगाएगा वह मु झ पर इतनी बंदिशें? इतना बढि़या पैकेज है उस का. फिर अबीर मु झे अपनी दादी के बारे में बताता रहता है. कहता है, वे बहुत स्नेही हैं. पहली बार जब वे लोग हमारे घर आए थे, दादी ने मु झे कितनी गर्माहट से अपने सीने से चिपकाया था. मेरे हाथों को चूमा था.’

‘तो लाली बेटा, तुम ने पूरापूरा मन बना लिया है कि तुम अबीर से ही शादी करना चाहती हो. सोच लो बेटा, तुम्हारी मम्मा की बातों में भी वजन है. ये पूरी तरह से गलत नहीं. उन के और हमारे घर के रहनसहन में मु झे भी बहुत अंतर लगा. तुम कैसे ऐडजस्ट करोगी?’’ पापा ने कहा था.

‘अरे पापा, मैं सब ऐडजस्ट कर लूंगी. जिंदगी तो मु झे अबीर के साथ काटनी है न. और वह बेहद अच्छा व जैनुइन लड़का है. कोई नशा नहीं है उस में. मैं ने सोच लिया है, मैं अबीर से ही शादी करूंगी.’

‘लाली बेटा, यह क्या कह रही हो? मैं ने दुनिया देखी है. तुम तो अभी बच्ची हो. यह सीने से चिपकाना, आशीष देना, चुम्माचाटी थोड़े दिनों के शादी से पहले के चोंचले हैं. बाद में तो, बस, उन की रोकटोक, हेकड़ी और बंधन रह जाएंगे. फिर रोती झींकती मत आना मेरे पास कि आज सास ने यह कह दिया और दादी सास ने यह कह दिया.

‘और एक बात जो मु झे खाए जा रही है वह है उन का टू बैडरूम का दड़बेनुमा फ्लैट. हर बार त्योहार के मौके पर तु झे ससुराल तो जाना ही पड़ेगा. एक बैडरूम में अबीर के पेरैंट्स रहते हैं, दूसरे में उस की दादी. फिर तू कहां रहेगी? तेरे हिस्से में ड्राइंगरूम ही आएगा? न न न, शादी के बाद मेरी नईनवेली लाडो को अपना अलग एक कमरा भी नसीब न हो, यह मु झे बिलकुल बरदाश्त नहीं होगा.

‘सम झा कर बेटा, हमारे सामने यह खानदान एक चिंदी खानदान है. कदमकदम पर तु झे इस वजह से बहू के तौर पर बहुत स्ट्रगल करनी पड़ेगी. न न, कोई और लड़का देखते हैं तेरे लिए. गलती कर दी हम ने, तु झे अबीर से मिलाने से पहले हमें उन का घरबार देख कर आना चाहिए था. खैर, अभी भी देर नहीं हुई है. मेरी बिट्टो के लिए लड़कों की कोई कमी है क्या?’

‘अरे मम्मा, आप मेरी बात नहीं सम झ रहीं हैं. इन कुछ दिनों में मैं अबीर को पसंद करने लगी हूं. उसे अब मैं अपनी जिंदगी में वह जगह दे चुकी हूं जो किसी और को दे पाना मेरी लिए नामुमकिन होगा. अब मैं अबीर के बिना नहीं रह सकती. मैं उस से इमोशनली अटैच्ड हो गई हूं.’

‘यह क्या नासम झी की बातें कर रही है, लाली? तू तो मेरी इतनी सम झदार बेटी है. मु झे तु झ से यह उम्मीद न थी. जिंदगी में सक्सैसफुल होने के लिए प्रैक्टिकल बनना पड़ता है. कोरी भावनाओं से जिंदगी नहीं चला करती, बेटा. बात सम झ. इमोशंस में बह कर आज अगर तू ने यह शादी कर ली तो भविष्य में बहुत दुख पाएगी. तु झे खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी नहीं मारने दूंगी. मैं ने बहुत सोचा इस बारे में, लेकिन इस रिश्ते के लिए मेरा मन हरगिज नहीं मान रहा.’

‘मम्मा, यह आप क्या कह रही हैं? मैं अब इस रिश्ते में पीछे नहीं मुड़ सकती. मैं अबीर के साथ पूरी जिंदगी बिताने का वादा कर चुकी हूं. उस से प्यार करने लगी हूं. पापा, आप चुप क्यों बैठे हैं? सम झाएं न मां को. फिर मैं पक्का डिसाइड कर चुकी हूं कि मु झे अबीर से ही शादी करनी है.’

‘अरे भई, क्यों जिद कर रही हो जब यह कह रही है कि इसे अबीर से ही शादी करनी है तो क्यों बेबात अड़ंगा लगा रही हो? अबीर के साथ जिंदगी इसे बितानी है या तुम्हें?’ लाली के पिता ने कहा.

‘आप तो चुप ही रहिए इस मामले में. आप को तो दुनियादारी की सम झ है नहीं. चले हैं बेटी की हिमायत करने. मैं अच्छी तरह से सोच चुकी हूं. उस घर में शादी कर मेरी बेटी कोई सुख नहीं पाएगी. सास और ददिया सास के राज में 2 दिन में ही टेसू बहाते आ जाएगी. जाइए, आप के औफिस का टाइम हो गया. मु झे हैंडल कर लेने दीजिए यह मसला.’

इस के साथ लाली की मां ने पति को वहां से जबरन उठने के लिए विवश कर दिया और फिर बेटी से बोलीं, ‘यह क्या बेवकूफी है, लाली? यह तेरा प्यार पप्पी लव से ज्यादा और कुछ नहीं. अगर तू ने मेरी बात नहीं मानी तो सच कह रही हूं, मैं तु झ से सारे रिश्ते तोड़ लूंगी. न मैं तेरी मां, न तू मेरी बेटी. जिंदगीभर तेरी शक्ल नहीं देखूंगी. सम झ लेना, मैं तेरे लिए मर गई.’ यह कह कर लाली की मां अतीव क्रोध में पांव पटकते हुए कमरे से बाहर चली गईं.

मां का यह विकट क्रोध देख लाली सम झ गई थी कि अब अगर कुदरत भी साक्षात आ जाए तो उन्हें इस रिश्ते के लिए मनाना टेढ़ी खीर होगा. मां के इस हठ से वह बेहद परेशान हो उठी. उस का अंतर्मन कह रहा था कि उसे अबीर जैसा सुल झा हुआ, सम झदार लड़का इस जिंदगी में दोबारा मिलना असंभव होगा. आज के समय में उस जैसे सैंसिबल, डीसैंट लड़के बिरले ही मिलते हैं. अबीर जैसे लड़के को खोना उस की जिंदगी की सब से बड़ी भूल होगी.

लेकिन मां का क्या करे वह? वे एक बार जो ठान लेती हैं वह उसे कर के ही रहती हैं. वह बचपन से देखती आई है, उन की जिद के सामने आज तक कोई नहीं जीत पाया. तो ऐसी हालत में वह क्या करे? पिछली मुलाकात में ही तो अबीर के साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं उस ने. दोनों ने एकदूसरे के प्रति अपनी प्रेमिल भावनाएं व्यक्त की थीं.

पिछली बार अबीर के उस के कहे गए प्रेमसिक्त स्वर उस के कानों में गूंजने लगे, ‘लाली माय लव, तुम ने मेरी आधीअधूरी जिंदगी को कंप्लीट कर दिया. दुलहन बन जल्दी से मेरे घर आ जाओ. अब तुम्हारे बिना रहना शीयर टौर्चर लग रहा है.’

क्या करूं क्या न करूं, यह सोचतेसोचते अतीव तनाव से उस के स्नायु तन आए और आंखें सावनभादों के बादलों जैसे बरसने लगीं. अनायास वह अपने मोबाइल स्क्रीन पर अबीर की फोटो देखने लगी और उसे चूम कर अपने सीने से लगा उस ने अपनी आंखें मूंद लीं.

तभी मम्मा उस का दरवाजा पीटने लगीं… ‘‘लाली, दरवाजा खोल बेटा.’’

उस ने दरवाजा खोला. मम्मा कमरे में धड़धड़ाती हुई आईं और उस से बोलीं, ‘‘मैं ने अबीर के पापा को इस रिश्ते के लिए मना कर दिया है. सारा टंटा ही खत्म. हां, अब अबीर का फोनवोन आए, तो उस से तु झे कुछ कहने की कोई जरूरत नहीं. वह कुछ कहे, तो उसे रिश्ते के लिए साफ इनकार कर देना और कुछ ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं. ले देख, यह एक और लड़के का बायोडाटा आया है तेरे लिए. लड़का खूब हैंडसम है. नामी एमएनसी में सीनियर कंसल्टैंट है. 40 लाख रुपए से ऊपर का ऐनुअल पैकेज है लड़के का. मेरी बिट्टो राज करेगी राज. लड़के वालों की दिल्ली में कई प्रौपर्टीज हैं. रुतबे, दौलत, स्टेटस में हमारी टक्कर का परिवार है. बता, इस लड़के से फोन पर कब बात करेगी?’’

‘‘मम्मा, फिलहाल मेरे सामने किसी लड़के का नाम भी मत लेना. अगर आप ने मेरे साथ जबरदस्ती की तो मैं दीदी के यहां लंदन चली जाऊंगी. याद रखिएगा, मैं भी आप की बेटी हूं.’’ यह कहते हुए लाली ने मां के कमरे से निकलते ही दरवाजा धड़ाक से बंद कर लिया.

मन में विचारों की उठापटक चल रही थी. अबीर उसे आसमान का चांद लग रहा था जो अब उस की पहुंच से बेहद दूर जा चुका था. क्या करे क्या न करे, कुछ सम झ नहीं आ रहा था.

सारा दिन उस ने खुद से जू झते हुए बेपनाह मायूसी के गहरे कुएं में बिताया. सां झ का धुंधलका होने को आया. वह मन ही मन मना रही थी, काश, कुछ चमत्कार हो जाए और मां किसी तरह इस रिश्ते के लिए मान जाएं. तभी व्हाट्सऐप पर अबीर का मैसेज आया, ‘‘तुम से मिलना चाहता हूं. कब आऊं?’’

उस ने जवाब में लिखा, ‘जल्दी’ और एक आंसू बहाती इमोजी भी मैसेज के साथ उसे पोस्ट कर दी. अबीर का अगला मैसेज एक लाल धड़कते दिल के साथ आया, ‘‘कल सुबह पहुंच रहा हूं. एयरपोर्ट पर मिलना.’’

लाली की वह रात आंखों ही आंखों में कटी. अगली सुबह वह मां को एक बहाना बना एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गई.

क्यूपिड के तीर से बंधे दोनों प्रेमी एकदूसरे को देख खुद पर काबू न रख पाए और दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे. कुछ ही क्षणों में दोनों संयत हो गए और लाली ने उन दोनों के रिश्ते को ले कर मां के औब्जेक्शंस को विस्तार से अबीर को बताया.

अबीर और लाली दोनों ने इस मुद्दे को ले कर तसल्ली से, संजीदगी से विचार किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अब जो कुछ करना है उन दोनों को ही करना होगा.

‘‘लाली, इन परिस्थितियों में अब तुम बताओ कि क्या करना है? तुम्हारी मां हमारी शादी के खिलाफ मोरचाबंदी कर के बैठी हैं. उन्होंने साफसाफ लफ्जों में इस के लिए मेरे पापा से इनकार कर दिया है. तो इस स्थिति में अब मैं किस मुंह से उन से अपनी शादी के लिए कहूं?’’ अबीर ने कहा.

‘‘हां, यह तो तुम सही कह रहे हो. चलो, मैं अपने पापा से इस बारे में बात करती हूं. फिर मैं तुम्हें बताती हूं.’’

‘‘ठीक है, ओके, चलता हूं. बस, यह याद रखना मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं. शायद खुद से भी ज्यादा. अब तुम्हारे बिना मेरा कोई वजूद नहीं.’’

लाली ने अपनी पनीली हो आई आंखों से अबीर की तरफ एक फ्लाइंग किस उछाल दिया और फुसफुसाई, ‘हैप्पी एंड सेफ जर्नी माय लव, टेक केयर.’’

लाली एयरपोर्ट से सीधे अपने पापा के औफिस जा पहुंची और उस ने उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया. उस की बातें सुन पापा ने कहा, ‘‘अगर तुम और अबीर इस विषय में निर्णय ले ही चुके हो तो मैं तुम दोनों के साथ हूं. मैं कल ही अबीर के घर जा कर तुम्हारी मां के इनकार के लिए उन से माफी मांगता हूं और तुम दोनों की शादी की बात पक्की कर देता हूं. इस के बाद ही मैं तुम्हारी मां को अपने ढंग से सम झा लूंगा. निश्चिंत रहो लाली, इस बार तुम्हारी मां को तुम्हारी बात माननी ही पड़ेगी.’’

लाली के पिता ने लाली से किए वादे को पूरा किया. अबीर के घर जा कर उन्होंने अपनी पत्नी के इनकार के लिए उन से हाथ जोड़ कर बच्चों की खुशी का हवाला देते हुए काफी मिन्नतें कर माफी मांगी और उन दोनों की शादी पक्की करने के लिए मिन्नतें कीं.

इस पर अबीर के पिता ने उन से कहा, ‘‘भाईसाहब, अबीर के ही मुंह से सुना कि आप लोगों को हमारे इस 2 बैडरूम के फ्लैट को ले कर कुछ उल झन है कि शादी के बाद आप की बेटी इस में कहां रहेगी? आप की परेशानी जायज है, भाईसाहब. तो, मेरा खयाल है कि शादी के बाद दोनों एक अलग फ्लैट में रहें. आखिर बच्चों को भी प्राइवेसी चाहिए होगी. यही उन के लिए सब से अच्छा और व्यावहारिक रहेगा. क्या कहते हैं आप?’’

‘‘बिलकुल ठीक है, जैसा आप उचित सम झें.’’

‘‘तो फिर, दोनों की बात पक्की?’’

‘‘जी बिलकुल,’’ अबीर के पिता ने लाली के पिता को मिठाई खिलाते हुए कहा.

बेटी की शादी उस की इच्छा के अनुरूप तय कर, घर आ कर लाली के पिता ने पत्नी को लाली और अबीर की खुशी के लिए उन की शादी के लिए मान जाने के लिए कहा. लाली ने तो साफसाफ लफ्जों में उन से कह दिया, ‘‘इस बार अगर आप हम दोनों की शादी के लिए नहीं माने तो मैं और अबीर कोर्ट मैरिज कर लेंगे.’’ और लाली की यह धमकी इस बार काम कर गई. विवश लाली की मां को बेटी और पति के सामने घुटने टेकने पड़े.

आखिरकार, दिल वर्सेस दौलत की जंग में दिल जीत गया और दौलत को मुंह की खानी पड़ी.

भुने हुए मखाने खाकर हो गए हैं बोर, तो इससे बनाएं ये स्वादिष्ट सब्जी

मखाना को फौक्स नट के नाम से भी जाना जाता है. पौष्टिक गुणों से भरपूर मखाने को लोग कई तरीकों से खाते हैं. कुछ लोग इसे भूनकर खाते हैं, तो वहीं कुछ लोग इसका उपयोग खीर, लड्डू या अन्य कई खाने की चीजों में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या कभी आपने मखाने की सब्जी ट्राई किया है? आज हम आपको इस आर्टिकल में मखाने की सब्जी बनाने की आसान रेसिपी बताएंगे, जिसे आप रोटी, पराठे या चावल के साथ भी खा सकते हैं. आप इस सब्जी को त्योहार में भी बना सकते हैं.

Phool Makhana Matar Gravy Sabzi or Lotus Seeds peas curry is an Indian recipe

सामग्री
3 कप मखाने
1 बड़ा चम्मच घी
भिगोए हुए 10 काजू
कटे हुए 2 टमाटर
2 हरी मिर्च कटी हुई
कसा हुआ 1 चम्मच अदरक
1 चम्मच जीरा
1 चम्मच गरम मसाला
1 चम्मच धनिया पाउडर
1 चम्मच हल्दी पाउडर
1 चम्मच कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर
स्वादानुसार नमक
गार्निशिंग के लिए धनिया के पत्ते

बनाने की विधि

  • भीगे हुए काजू के साथ टमाटर और हरी मिर्च को ब्लेंडर या मिक्सी में प्यूरी बना लें.
  • एक पैन में घी डालें, इसे गर्म करें. अब इसमें मखाने को डालकर भून लें. जब यह हल्का भूरा हो जाए, तो गैस बंद कर दें.
  • अब दूसरे पैन में तेल गर्म करें, इसमें जीरा और हींग डालें. इसके बाद तेल में कसा हुआ अदरक, हल्दी, धनिया पाउडर और कुटी हुई कसूरी मेथी डालें और अच्छी तरह मिलाएं.
  • इसे थोड़ी देर तक पकाएं. फिर इसमें टमाटर की प्यूरी डालें और अच्छी तरह मिलाएं.
  • इसे बीचबीच में चलाते रहे. जब यह अच्छी तरह पक जाए, तो ग्रेवी के लिए एक कप पानी, गरम मसाला और नमक डाल कर मिलाएं और मध्यम आंच पर टमाटर के पकने तक ग्रेवी को पकाएं
  •  मसाले को बीच-बीच में चलाते रहें ताकि यह अच्छी तरह पक जाए.
  • भुना हुआ मखाना डालें, ढककर धीमी आंच पर 3-4 मिनट तक पकाएं ताकि सारे मसाले मखाने के अंदर आ जाएं.
  • अब कटे हुए हरे धनिये से गार्निश करें और इसे रोटी या पराठे के साथ गरमागरम परोसें.

मखाना खाने के फायदे

  • मखाना प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और कई पोषक तत्वों का भंडार है. ये आपके हड्डियों को स्वस्थ रखने में मददगार हैं.
  • मखाना में कैलोरी की मात्रा कम होती है और फाइबर अधिक होता है. अगर आप वेट लौस डाइट फौलो कर रहे हैं, तो मखाने को अपने ब्रेकफास्ट में शामिल कर सकते हैं.
  • मखाने में मौजूद एंटीऔक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण उम्र बढ़ने के लक्षणों जैसे झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करने में मदद करते हैं. मखाने खाने से स्किन को भी फायदे हो सकते हैं.
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