टोर्टिला चिप्स

सामग्री

150 ग्राम टोर्टिला चिप्स, 30 ग्राम राजमा उबला, 30 ग्राम टोमैटो सालसा, 40 ग्राम चेडार चीज, 30 ग्राम क्रीम, 50 ग्राम कटे चोरीजोस (एक प्रकार का सौसेज), 10 ग्राम चिमीचुरी सौस (ग्रीन), सजावट के लिए 1-2 लालमिर्च व धनियापत्ती.

विधि

एक प्लेट में एक लेयर रिफ्राइड बींस की और उस के ऊपर एक लेयर टोर्टिला चिप्स रखें. फिर उस के ऊपर 1-1 लेयर रिफ्राइड बींस और चेडार चीज की लगाएं. उस के ऊपर एक लेयर फिर से टोर्टिला चिप्स की लगाएं व उस के ऊपर एक अंतिम लेयर चेडार चीज की लगाएं. फिर इसे बेक करें. बेक करने के बाद लालमिर्च व धनियापत्ती से सजा कर क्रीम व सालसा के साथ सर्व करें.

सुरक्षित एटीएम प्रयोग के सरल उपाय

आज की व्यस्त दिनचर्या के चलते हर इंसान तकनीकी सुविधाओं का प्रयोग करना चाहता है. उन में एक तकनीकी सुविधा है एटीएम कम डैबिट कार्ड, जिस ने वित्तीय क्षेत्र का नक्शा ही बदल दिया है. अब हर इंसान जब चाहे जहां चाहे अपनी जरूरत के अनुसार एटीएम मशीन से पैसा निकाल सकता है.

एटीएम कम डैबिट कार्ड से जब चाहें औनलाइन शौपिंग कर सकते हैं, अपना यात्रा टिकट बुक करा सकते हैं, शौपिंग मौल में शौपिंग कर सकते हैं, रैस्टोरैंट में खाना खा सकते हैं.

कुल मिला कर आज एटीएम कम डैबिट कार्ड का प्रयोग आम आदमी की दिनचर्या का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. एटीएम कार्ड से आप को कभी नुकसान न हो, इस के लिए निम्न टिप्स को इस्तेमाल के समय हमेशा ध्यान में रखें:

शौपिंग के दौरान ध्यान रखें कि एटीएम से आप के कार्ड को 2 बार स्वाइप न किया जाए. अगर ऐसा होता है तो इस की जानकारी लें व शौपिंग की रसीद अपने पास जरूर रखें.

एटीएम कार्ड में पीछे की तरफ लिखे सीवीवी (कार्ड वैरिफिकेशन वैल्यू) नंबर को कहीं सुरक्षित जगह पर नोट कर लें वरना नंबर की मदद से आप की जानकारी और आप के कार्ड के बगैर भी कोई इंटरनैट पर शौपिंग कर सकता है.

शौपिंग मौल व रैस्टोरैंट में क्रैडिट व डैबिट कार्ड के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए ये बातें हमेशा ध्यान में रखें:

ट्रांजैक्शन हमेशा आप की मौजूदगी में हों.

शौपिंग मौल व रैस्टोरैंट में प्रस्तुत किए गए किसी सर्वे फौर्म में अपनी निजी जानकारी न भरें.

इंटरनैट पर शौपिंग के दौरान

ट्रांजैक्शन के लिए हमेशा सुरक्षित व मान्य वैबसाइट का ही प्रयोग करें.

अपने क्रैडिट व डैबिट कार्ड से शौपिंग करने के बाद लौगऔफ कर दें व ब्राउजर कुकीज को हमेशा डिलीट करें.

सभी ईमेल संदेशों को ध्यान से देखें. ऐसे किसी मेल का जवाब न दें जिस में आप के बैंकिंग अकाउंट या निजी जानकारी मांगी गई हो. बैंक आप से ऐसी जानकारी कभी नहीं मांगता.

पेमैंट की जानकारी कभी मेल के जरीए न भेजें, क्योंकि इसे कोई भी पढ़ सकता है.

कुछ औनलाइन स्टोर यूजरनेम तथा पासवर्ड के साथ रजिस्टर करने की मांग करते हैं लेकिन आप अपने पासवर्ड को हमेशा गोपनीय रखें.

नैटवर्किंग के लिए सदैव वर्चुअल कीबोर्ड का प्रयोग करें.

सावधानियां

एटीएम मशीन का प्रयोग करते समय जल्दबाजी न करें. पैसे निकालने के बाद रसीद प्राप्त करने,

पैसे गिनने के साथसाथ कैंसल का बटन दबाना न भूलें.

अगर मशीन हैंग हो जाए तो उसे छोड़ कर दूसरी मशीन पर न जाएं. एटीएम के लिए मौजूद हैल्पलाइन नंबर पर सूचना दें या बैंक अथवा सुरक्षाकर्मी को सूचित करें. कैंसल का बटन दबाएं. मुख्य मैन्यू आने से पहले मशीन से दूर न जाएं.

एटीएम मशीन से रुपए निकालने के बाद कार्ड को वापस जेब में रखना न भूलें. एटीएम की रसीद वहां न छोड़ें. अपने पास रखें और मासिक स्टेटमैंट के साथ मिलान करें. इस से कार्ड के अनाधिकृत प्रयोग से बचा जा सकेगा और लेनदेन का रिकौर्ड भी रखा जा सकेगा.

कई बार एटीएम मशीन में पिन, अमाउंट डालने के बाद स्लिप तो बाहर आती है पर आप को पैसा नहीं मिलता और आप के खाते से पैसा डिडक्ट भी हो जाता है. अत: ऐसी स्थिति में आप डैबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक में शिकायत करें.

मई, 2011 के आरबीआई के निर्देश के अनुसार शिकायत मिलने के 7 कार्यदिवसों के भीतर बैंक को उस ग्राहक के खाते में पैसे वापस करने होंगे. अगर 7 दिनों के भीतर उस ग्राहक के खाते में पैसे वापस नहीं आते तो बैंक को हर दिन क्व100 के हिसाब से ग्राहक को मुआवजा देना होगा.

एटीएम मशीन में कार्ड का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि आसपास कोई न हो, क्योंकि अगर कोई पास होगा तो वह आप का पिन नंबर याद कर सकता है. पिन नंबर को हमेशा गोपनीय रखें.

यदि एटीएम कार्ड डालने पर मशीन इनवैलिड कार्ड शो करे तो अपने बैंक के एटीएम पर कार्ड फिर से ट्राई करें. कई बार ऐसा तकनीकी दिक्कत की वजह से हो जाता है. फिर भी समस्या न सुलझे तो बैंक से कार्ड बदलवा लें.

एटीएम कार्ड खो जाने पर तुरंत बैंक के टोलफ्री नंबर पर फोन करें व कार्ड की पूरी जानकारी दें. शिकायत करने के बाद शिकायत का नंबर जरूर ले लें.

एटीएम कार्ड के पिन नंबर को याद रखें. अपने फोन नंबर, घर के पते, नाम या जन्मतिथि पर पिन नंबर न लिखें.

एटीएम से जब भी पैसे निकलवाने जाएं खासकर रात को, तो किसी को साथ जरूर ले जाएं. उस समय कोई संदेहास्पद व्यक्ति आप के आसपास न हो. जरा भी गड़बड़ लगे तो तुरंत बाहर निकल जाएं. एटीएम में सुरक्षा बरतनी बेहद जरूरी है वरना आप भी बैंगलुरु एटीएम में महिला पर हुए हमले जैसी घटना का शिकार हो सकती हैं.

रात में ऐसे एटीएम में जाने से बचें जो दूर या फिर सुनसान क्षेत्र में हो. जिस एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड हो पैसे निकालने उसी में जाएं.

पति चाहिए ऐसा…

‘बालिका वधू’ और धारावाहिक ‘प्यार तूने क्या किया’ की अदाकारा प्रत्यूषा बनर्जी ऐसा हब्बी चाहती हैं, जो केवल उन की ही तारीफ करे और किसी और की तरफ कभी न देखे. वे कहती हैं कि मैं जब भी अपने लाइफ पार्टनर के बारे में सोचती हूं, तो मेरे सामने एक ऐसी इमेज बनती है कि वह लड़का बहुत कौन्फिडैंटल हो, प्रोफेशनली सैटल्ड हो और मुझे बहुत प्यार करे. लेकिन हां, एक चीज मैं बिलकुल बरदाश्त नहीं कर सकती. अगर वह मेरे सामने किसी और लड़की की तारीफ कर देगा, तो यह मुझ से बिलकुल सहन नहीं होगा. मैं चाहती हूं कि वह सिर्फ मेरे बारे में बात करे और मुझे ही प्यार करे.

शहनाई बज गई

दीपिका और रणवीर की शादी हो गई और किसी को कानोंकान भी खबर नहीं हुई, ऐसा कैसे हो सकता है? दरअसल, यह शादी असल जिंदगी में नहीं बल्कि दीपिका की आने वाली फिल्म ‘फाइंडिंग फैनी’ में हुई है, जिस में रणवीर सिंह ने कैमियो रोल निभाया है. फिल्म के पोस्टर में क्रिश्चियन दंपती के गैटअप में दोनों की तसवीर है. माना यह भी जा रहा है कि फिल्म के निर्देशक होमी अदाजानिया ने इस हौट कपल का पोस्टर इसलिए लौंच किया है कि असल जिंदगी में भी इस कपल की खबरें हमेशा छाई रहती हैं.

किकर फिश स्केवर्स

सामग्री

180 ग्राम बासा फिश, 30 ग्राम पेरीपेरी सौस, 30 ग्राम चिली लाइम मार्मलेड, 1 छोटा खीरा, 2 ग्राम थाई रैड चिली (गार्निशिंग के लिए), थोड़ी सी धनियापत्ती (गार्निशिंग के लिए).

विधि

बासा मछली के टुकड़े करें व पेरीपेरी सौस के साथ मैरिनेट करें. मैरिनेशन के बाद टुकड़ों को सीखों में लगाएं व प्रीहीटेड ओवन में अच्छी तरह पक जाने तक ग्रिल करें. हर तरफ से 3-4 मिनट तक पकाएं. गरमगरम फिश को धनियापत्ती व थाई रैड चिली से सजाएं और मिर्च व कटे खीरे के साथ सर्व करें.

चिकन ऐंड बेकन शौकर्स

सामग्री

180 ग्राम बोनलैस चिकन, 50 ग्राम बेकन स्लाइस, 2 ग्राम बारीक कटा लहसुन, 2 ग्राम कालीमिर्च, 10 मि.लि. रिफाइंड औयल, 3 ग्राम अजवाइन, 20 ग्राम आरुगुला पेस्ट, 20 ग्राम चिपोटल सौस (स्मोकड्राइड जलोपेनो), नमक स्वादानुसार.

विधि

चिकन को लहसुन, नमक, कालीमिर्च व आरुगुला पेस्ट के साथ मैरिनेट करें. फिर चिकन को बेकन स्लाइस से रैप करें. इस रैप को प्रीहीटेड ओवन में ग्रिल करें. ग्रिल होने के बाद चिपोटल सौस व सलाद के साथ सर्व करें.

ग्रिल्ड जुकिनी रोल

सामग्री

150 ग्राम जुकिनी, 10 ग्राम रिफाइंड औयल, 180 ग्राम रिकोटा चीज, 20 ग्राम लाल शिमलामिर्च, 20 ग्राम पीली शिमलामिर्च, 20 ग्राम हरी शिमलामिर्च, 10 तुलसी की पत्तियां, 5 ग्राम ओरिगैनो, कालीमिर्च, नमक आवश्यकतानुसार, 30 ग्राम हरीसा सौस (हौट चिली पैपर पेस्ट).

विधि

मध्यम आंच पर ग्रिल प्लेट को प्रीहीट करें. जुकिनी को लंबाई में काटें व उस पर नमक व कालीमिर्च छिड़कें. फिर उसे नरम होने तक ग्रिल करें. एक बरतन में रिकोटा चीज, तीनों प्रकार की शिमलामिर्च, ओरिगैनो व तुलसी की पत्तियों को अच्छी तरह मिलाएं. इस मिश्रण को जुकिनी के स्लाइस पर रखें व रोल करें. रोल को पीछे की तरफ से प्लेट में रखें. इसी तरह सभी स्लाइस को रखें व हरीसा सौस के साथ सर्व करें.

गृहवाटिका से खाद्य सुरक्षा

कैमिकल्स के इस्तेमाल से उगाई जा रही सब्जियों व उन की आसमान छूती कीमतों ने घरघर की रसोई का स्वाद बिगाड़ दिया है. ऐसे में समझदारी यही है कि गृहवाटिका यानी किचन गार्डन में सब्जियां उगाई जाएं. लेकिन कैसे, बता रही हैं नीलिमा पंत.

सब्जियां हमारे भोजन को स्वादिष्ठ, पौष्टिक और संतुलित बनाने में सहायक हैं. इन के माध्यम से शरीर को कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज लवण, आवश्यक अमीनोएसिड व विटामिन मिलते हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अपने भोजन में लगभग 100 ग्राम पत्तेदार सब्जियां, 100 ग्राम जड़ वाली सब्जियां और 100 ग्राम दूसरी सब्जियां खानी चाहिए.

बाजार में उपलब्ध सब्जियां व फल आमतौर पर ताजे नहीं होते तथा महंगे भी होते हैं. साथ ही उन में मौजूद रोगाणुओं व हानिकारक रसायनों की मात्रा के कारण वे स्वास्थ्यकर भी नहीं होते. इसलिए बेहतर है कि खाने के लिए सब्जियों को अपने घर या घर के आसपास गृहवाटिका यानी किचन गार्डन में उगाएं जिस से खाद्य सुरक्षा के साथसाथ वाटिका में कार्य करने से घर के सदस्यों का व्यायाम भी हो जाए.

गृहवाटिका से कुछ हद तक सभी लोग जुड़ सकते हैं चाहे वे गांव में रहते हों या शहर में. बड़े शहरों में जहां पौधे उगाने के लिए जमीन की उपलब्धता नहीं है वहां भी कुछ चुनिंदा सब्जियों को गमलों व डब्बों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. गांव में जहां जगह की कमी नहीं है, वहां सब्जियों के अलावा फल वाले पौधे जैसे पपीता, केला, नीबू, अंगूर, अमरूद, स्ट्राबैरी, रसभरी आदि भी आसानी से उगाए जा सकते हैं.

गृहवाटिका बनाते समय ध्यान रखें :

  1. गृहवाटिका के लिए खुली धूप व हवादार छायारहित स्थान या घर के पीछे दक्षिण दिशा सर्वोत्तम होती है.
  2. सिंचाई का प्रबंध अच्छा व स्रोत पास में होना चाहिए.
  3. अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि इस के लिए उपयुक्त होती है. सड़ी हुई गोबर की खाद की सहायता से खराब भूमि को भी सुधार कर गृहवाटिका के योग्य बनाया जा सकता है.
  4. गृहवाटिका का आकार व माप, स्थान की उपलब्धता, फल व सब्जियों की आवश्यकता और समय की उपलब्धता आदि पर निर्भर करता है. चौकोर आकार की गृहवाटिका सर्वोत्तम मानी जाती है.
  5. अगर वाटिका खुली जगह में बना रहे हैं तो उस के चारों ओर लकड़ी, बांस आदि की बाड़ बनानी चाहिए.
  6. जमीन की 10-15 सैंटीमीटर गहराई तक खुदाई करें व कंकड़पत्थर निकाल कर मिट्टी को भुरभुरा बना कर आवश्यकतानुसार क्यारियां बना लेनी चाहिए.
  7. क्यारियों में सड़ी गोबर की खाद व जैविक खाद आदि का प्रयोग करना चाहिए.
  8. सीधे बुआई की जाने वाली व नर्सरी द्वारा लगाई जाने वाली सब्जियों को लगाने से पूर्व जैव फफूंदनाशी व जैव कल्चर से उपचारित करने के बाद उचित दूरी पर बनी कतारों में बोना चाहिए.
  9. क्यारियों में समयसमय पर सिंचाई व निराईगुड़ाई करते रहना चाहिए.
  10. गृहवाटिका में कीट नियंत्रण व बीमारियों से बचाव के लिए रासायनिक दवाओं का कम से कम प्रयोग करना चाहिए. नीमयुक्त व जैविक दवाओं का ही प्रयोग करना चाहिए.
  11. उपलब्ध जगह का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए बेल वाली सब्जियां जैसे लौकी, तोरई, करेला, खीरा आदि को दीवार के साथ उगा कर छत या बाड़ के ऊपर ले जा सकते हैं.
  12. जड़ वाली सब्जियां जैसे मूली, शलगम, गाजर व चुकंदर को गृहवाटिका की क्यारियों की मेड़ों के ऊपर बुआई कर के पैदा किया जा सकता है.

मौसमी फल व सब्जियां

ग्रीष्मकालीन सब्जियां : (बुआई का समय जनवरी से फरवरी) टमाटर, मिर्च, भिंडी, करेला, लौकी, खीरा, टिंडा, अरबी, तोरई, खरबूजा, तरबूज, लोबिया, ग्वार, चौलाई, बैगन, राजमा आदि.

वर्षाकालीन सब्जियां : (बुआई का समय–जून से जुलाई) टमाटर, बैगन, मिर्च, भिंडी, खीरा, लौकी, तोरई, करेला, कद्दू, लोबिया, बरसाती प्याज, अगेती फूलगोभी आदि.

शरदकालीन सब्जियां : (बुआई का समय–सितंबर से नवंबर) फूलगोभी, गाजर, मूली आलू, मटर, पालक, मेथी, धनिया, सौंफ, शलगम, पत्तागोभी, गांठगोभी, ब्रोकली, सलाद पत्ता, प्याज, लहसुन, बाकला, बथुआ, सरसोंसाग आदि.

उपरोक्त सब्जियों के अलावा गृहवाटिका में कुछ बहुवर्षीय पौधे या फलवृक्ष भी लगाने चाहिए, जैसे अमरूद, नीबू, अनार, केला, करौंदा, पपीता, अंगूर, करीपत्ता, सतावर आदि.

आवश्यक सामग्री

यंत्र : फावड़ा, खुरपी, फौआरा, दरांती, टोकरी, बालटी, सुतली, बांस या लकड़ी का डंडा, एक छोटा स्प्रेयर.

बीज : गृहवाटिका में कम जमीन के अंदर अधिक से अधिक उत्पादन देने वाले गुणवत्तायुक्त बीज या पौध को विश्वसनीय संस्था से खरीद कर प्रयोग करें.

पौधा : अधिकतर सब्जियों की पौध तैयार कर के बाद में रोपाई करते हैं. नर्सरी के अंदर स्वस्थ पौध तैयार कर के फिर उन की रोपाई कर या संस्था से पौध खरीद कर उन्हें गृहवाटिका में लगा कर सब्जियां उगाई जा सकती हैं.

जैविक व रासायनिक खाद : गोबर या कंपोस्ट खाद का प्रयोग ही गृहवाटिका के अंदर करना चाहिए. इन के उपयोग से पौष्टिक व सुरक्षित सब्जियां उगाई जा सकती हैं. परंतु कभीकभी अभाव की दशा व अधिक उत्पादन हेतु यूरिया, किसान खाद, सुपर फास्फेट, म्यूरेट औफ पोटाश की थोड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है.

कीटनाशी व रोगरोधी दवाएं : गृहवाटिका के अंदर कीड़ों व बीमारियों का प्रकोप होता है तो ग्रसित पौधों के उस भाग को काट कर मिट्टी में दबा दें. प्रकोप होने पर जैविक कीटनाशी दवाओं का ही प्रयोग करें.

गृहवाटिका में छोटीछोटी क्यारियां बना कर और उन में सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद मिला कर क्यारियां समतल कर के उन में बीज की बुआई व पौध की रोपाई कर हलकी सिंचाई कर दें. आवश्यकतानुसार समयसमय पर सिंचाई व निराईगुड़ाई करते रहना चाहिए. बीचबीच में पौधों को सहारा देना चाहिए. सब्जियां तैयार होने के बाद उन की उचित अवस्था में तुड़ाई कर के उन्हें उपयोग करें. उचित प्रबंधन व देखभाल के साथ गृहवाटिका के अंदर ताजी, पौष्टिक व स्वादिष्ठ सब्जियां पैदा की जा सकती हैं जो परिवार के भोजन को अधिक पौष्टिक व संतुलित बना सकती हैं. इस प्रकार, गृहवाटिका हमारी खाद्य सुरक्षा का एक विकल्प भी है.

मेरा सजिद खान से रिश्ता था : जैकलीन फर्नांडिस

हिंदी फिल्म ‘अलाद्दीन’ से 2009 में बौलीवुड में अपना कैरियर शुरू करने वाली श्रीलंका की अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस ने बौलीवुड में 5 साल पूरे कर लिए हैं. उन की पहली फिल्म कोई खास नहीं चली पर उन्हें फिल्मों में काम करने के औफर हमेशा मिलते रहे. जैकलीन ने ‘मर्डर टू’, ‘हाउसफुल 2’, ‘रेस 2’ आदि फिल्मों में काम किया. नम्र स्वभाव और सैक्सी छवि की धनी जैकलीन के पिता श्रीलंका से हैं जबकि मां मलयेशियन हैं. जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद जैकलीन ने कुछ दिनों तक राइटिंग का काम किया. मगर सैक्सी छवि की वजह से उन्हें मौडलिंग के कुछ औफर मिले, तो मौडलिंग और म्यूजिक अलबम में काम करने के बाद जैकलीन ने हिंदी फिल्मों की तरफ रुख किया.

काम करने के दौरान जैकलीन फर्नांडिस का नाम कई कोस्टार्स के साथ जुड़ा पर निर्मातानिर्देशक साजिद खान के साथ उन का रिश्ता करीब 3 साल तक चला. साजिद की पाबंदियों से तंग आ कर उन्होंने इस रिश्ते पर पूर्णविराम लगा दिया. इन दिनों जैकलीन कैरियर पर फोकस्ड और अपनी फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ अहम अंश:

‘किक’ फिल्म में काम करने का अनुभव कैसा रहा?

यह मेरे कैरियर की सब से बड़ी फिल्म है. बहुत चैलेंजिग रोल था. अभिनय, परफौर्मैंस, रिहर्सल मुझे सब कुछ अधिक करना पड़ा, क्योंकि मेरे कोस्टार सलमान खान थे. ऐसे में निर्देशक को लगना नहीं चाहिए कि उन्होंने मुझे सही कास्ट नहीं किया. मैं ने स्टाइलिंग पर भी काफी मेहनत की. 200 से ज्यादा ड्रैसेज ट्राई कीं. शूटिंग के वक्त शौट ठीक हो, इस के लिए सुबह से ले कर रात तक बारबार रिहर्सल किया. संवाद को ठीक से बोलने की प्रैक्टिस की.

आप की सलमान खान के साथ कैमिस्ट्री कैसी रही?

पहले मैं थोड़ी नर्वस थी. पर जब शूटिंग शुरू हुई तो सहज हो गई, क्योंकि सलमान सैट पर बहुत सहज होते हैं. मैं जब कभी सीरियस हो जाती थी तो वे सीन को डिस्कस कर अभिनय को आसान बना देते थे.

क्या आप अपने कैरियर के ग्राफ से खुश हैं?

मैं बहुत खुश हूं. हां, इतना जरूर है कि मेरे दोस्त कहते हैं कि मैं और अच्छा कर सकती थी, पर मैं हर फिल्म नहीं कर सकती. मुझे अच्छे किरदार की तलाश रहती है. मैं कहानी के साथसाथ कोस्टार और प्रोडक्शन हाउस को भी देखती हूं.

स्वाद के लिए अमानवीय कृत्य

दुनिया को अलविदा कहने से पहले कुछ जरूरी कामों को पूरा करने की मैं ने एक लिस्ट बनाई है, जिस में ‘शार्क फिनिंग’ यानी शार्क की पीठ पर मौजूद धारदार पंख जैसी संरचना वाले अंग को पाने के लिए उस की हत्या जैसे अमानवीय कृत्य पर रोक लगाना सब से ऊपर है.

क्या है यह धंधा

शार्क मछलियां समुद्र की प्रमुख प्रजातियों में से हैं. इन का वजूद सीधेसीधे समुद्र और उस के अंदर रहने वाली दूसरी मछलियों की सेहत से जुड़ा है. यदि सागर से शार्क की प्रजाति समाप्त हो जाए तो दूसरी समुद्री प्रजातियों के भी विलुप्त होते देर न लगेगी. चीन के निवासी, चाहे वे अपने देश में हों या कहीं और शार्क के फिन का सूप पीना पसंद करते हैं. ये लोग फिन को उबाल कर किसी सादे सूप में डाल देते हैं. इस फिन में ऐसा कुछ नहीं होता, जो इंसान के शरीर के लिए फायदेमंद हो. फिर भी चीनी यह सूप बनाते हैं. यह कुछ ऐसा है कि कुछ परिवारों को हाथीदांत की बनी चीजों का शौक था तो उन का यह शौक पूरा करने के लिए पिछले 3 सालों में लगभग 20 हजार हाथियों को बेरहमी से मार दिया गया. खाने में शार्क फिन के इस्तेमाल को सामाजिक प्रतिष्ठा के तौर पर भी देखा जाता है और त्योहारों के अवसर पर भी इस का भरपूर प्रयोग किया जाता है.

शार्क फिन का इस्तेमाल चीनी दवाओं में भी किया जाता है. सूप की क्वालिटी के हिसाब से इस का रेट 10 डौलर से शुरू हो कर 100 डौलर तक होता है. चूंकि चीन के लोग अब समृद्ध हो गए हैं तो वे महंगी डिश भी अफोर्ड कर सकते हैं, जिस के चलते फिन के लिए शार्कों की मांग और शिकार दोनों बढ़ गए हैं और हमेशा की तरह इस बार भी इन का शिकार भारत में ही हो रहा है.

कैसे होती है शार्क की हत्या

शिकारी पहले शार्क को पकड़ने के लिए समुद्र में जाल लगाते हैं. जब शार्क उस में फंस जाती है तो धारदार हथियार से उस का फिन उस के शरीर से अलग करने के बाद उसे वापस पानी में छोड़ देते हैं. थोड़ी ही देर में लगातार खून बहने के कारण शार्क की तड़पतड़प कर मौत हो जाती है. शार्क के मांस में यूरिक ऐसिड की मात्रा अधिक होने के कारण इस का मांस अच्छा नहीं माना जाता है.

बढ़ रहा है घिनौना धंधा

क्या विश्व स्तर पर इस धंधे के बारे में लोगों के सोच से भारत में इस के व्यापार में कोई कमी आई है? नहीं, बल्कि यह तो हर साल तेजी से बढ़ रहा है. पूरे विश्व में शार्क फिन की मांग का 90% तो भारत से ही पूरा हो रहा है. यदि आप को लग रहा है कि इस व्यापार से भारत सरकार या भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई फायदा हो रहा है तो आप गलत हैं, क्योंकि फिन का ज्यादातर निर्यात ब्लैक मार्केट के जरीए होता है. दरअसल, शार्क को पकड़ने से ले कर फिन बेचने तक, सारा धंधा ही अनियंत्रित तरीके से चल रहा है. कितनी शार्कों का शिकार किया जा सकता है या फिन कहां और किस तरह बेचे जा सकते हैं, इस को नियंत्रण करने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है.

फिन निकालने के बाद शार्कों के शरीर की बरबादी, 1 फिन बेचने के फेर में 6-7 फिनों की बरबादी मछुआरों, शिकारियों के लिए आम बात हो गई है. इस कारण हजारों शार्क रोज मारी जा रही हैं. नौबत यहां तक आ गई है कि शार्कों की कुछ ही प्रजातियां बची हैं और बची हुई शार्कों में भी वयस्कों की संख्या बेहद कम है.

इस व्यापार के अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रकों ने भारत सरकार पर उंगली उठाते हुए बताया है कि शार्क फिन निर्यात के आंकड़ों की सरकारी रिपोर्ट और असली रिपोर्ट में बहुत अंतर है. भारतीय शार्क फिन निर्यात के बारे में ‘यूनाइटेड नेशंस फूड ऐंड ऐग्रीकल्चर और्गेनाजेशन’ और ‘हौंगकौंग इंपोर्ट्स फ्रौम इंडिया’ के आंकड़े बताते हैं कि असली रिर्पोट और सरकारी रिपोर्ट में लगभग 70 हजार मीट्रिक टन का अंतर है.

शार्कों को पकड़ने और फिन निकालने की आज्ञा छोटे मछुआरों को ही है ताकि उन की आर्थिक मदद हो सके. पर छोटे मछुआरे शिकार के लिए बेड़ों, हाथ से मछली पकड़ने के तरीकों और डोंगियों का इस्तेमाल करते हैं. आधुनिक जलपोतों की तरफ सरकार का ध्यान नहीं जाता जबकि भारतीय समुद्र से 70% शार्क इन्हीं से पकड़ी जाती हैं. ऐसे आधुनिक पोत उन छोटे और गरीब मछुआरों के पास नहीं हैं, जो अब मात्र 12% ही बचे हैं और धीरेधीरे इन की संख्या घट रही है. इन महंगे पोतों के मालिक बड़ीबड़ी आयात कंपनियां या अमीर व्यापारी हैं. इन व्यापारियों में कुछ ऐसे भी हैं जिन के पास विदेशी पासपोर्ट हैं.

सब से ज्यादा दोषी

शार्कों को पकड़ने और फिन की कालाबाजारी के प्रमुख दोषी अंडमाननिकोबार द्वीपसमूह, केरल, तमिलनाडु और गुजरात राज्य हैं. इन में से गुजरात के जलपोत पकड़ी जाने वाली शार्कों का आधा हिस्सा अकेले ही पकड़ते हैं. बची हुई शार्कों को अंडमाननिकोबार के निकट सागर से पकड़ा जाता है. यहां शार्क का मांस बेचने के लिए कोई स्थानीय बाजार नहीं है.

भारतीय सागरों में शार्क की 70 प्रजातियां पाई गई हैं. एक भी मछली पकड़ने वाला जहाज इन का शिकार करना बंद नहीं करता, न ही सरकार इन को ऐसा करने से रोकती है. इस मामले में भारत दूसरे देशों से बिलकुल अलग है, क्योंकि यहां विदेशों की तरह जहाजों से शिकार के आंकड़े नहीं मांगे जाते.

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