टीनऐजर्स और पैरेंट्स के बीच होने लगे कम्यूनिकेशन गैप, तो बड़े काम के साबित होंगे ये टिप्स

मुझे याद है जब मैं करीब 15 साल की थी. 10वीं क्लास की पढ़ाई का प्रैशर और अपनी मनमानी न कर पाने का गुस्सा अलग ही अनुभवों की लिस्ट सी बनाता चला गया और युवा होतेहोते इस का अंदाजा भी नहीं लगा.

उन में से एक था बातबात पर गुस्सा हो कर मम्मीपापा से बात करना छोड़ देना. मम्मी कहीं जाने से मना कर देतीं तो कभी पापा अपनी पसंदीदा ड्रैस के लिए पैसे देने से मना कर देते. रोती और गुस्सा होती और कईकई दिन तक मम्मीपापा से बात नहीं करती.

Teenagers sitting together

अन्य टीनऐजर्स बच्चों की तरह मैं भी अपने पेरैंट्स से दिनभर की बातें करती थी जैसे दिनभर की थकान, स्कूल में मैडम की डांट तो क्लासमेट से हुई नोंकझोंक सबकुछ बताती थी, फिर धीरेधीरे सब छूटने लगा.

गुस्सा करना और बात न करना एक आदत सी बनता चला गया. शुरूशुरू में मम्मीपापा भी हंस कर टाल देते थे. मनाने की कोशिश करते, हंसाने की कोशिश भी करते. लेकिन मैं अपनी जिद्द पर अड़ी रहती, न बात करती और न ही उन की बातों का जवाब देती. फिर धीरेधीरे वह भी बंद हो गया. कम्यूनिकेशन गैप बढ़ता चला गया. आखिर वह भी कितना अपनेआप को एक ही चीज के लिए फोर्स करते.

खेलते हुए हम लोग गंभीर से हो गए, युवा होने तक ऐसा ही रहा और आज भी है. पेरैंट्स और टीनऐजर्स के बीच कम्यूनिकेशन गैप का बढ़ जाना ठीक नहीं है. बाद में यह आप को अलगथलग कर देता है. इसलिए पेरैंट्स के साथ अपना कम्यूनिकेशन बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है.

आइए, जाने अपने और अपने पेरैंट्स के बीच कम्यूनिकेशन को कैसे ठीक रखा जा सकता है:

बातचीत के लिए रहें हमेशा औपन

टीनऐजर्स और पेरैंट्स दोनों ही के लिए यह जरूरी हो जाता है कि आप बातचीत के लिए हमेशा औपन रहें. एक बच्चे के तौर पर अपने मातापिता से बातचीत करते रहे. उन से उन के स्कूली जीवन, अनुभवों और शौक के बारे में पूछें और उन्हें अपने शौक भी बताएं. अगर नाराज हैं फिर भी पेरैंट्स की तरफ से की गई बातचीत की छोटी सी कोशिश को भी नजरअंदाज न करें. अपनी नाराजगी दिखाएं जरूर लेकिन उस पर अडे़ न रहें. परिस्थिति चाहे जैसी भी हो कोशिश यह होनी चाहिए कि किसी भी रिश्ते में बातचीत का सिलसिला टूटने न पाए. बातचीत का कम होना एक अनहैल्दी रिश्ते की निशानी है, चाहे वह कोई भी रिश्ता हो.

गलत शब्दों के चयन से बचें

अकसर टीनऐजर्स बडे इमैच्योर तरीके से गुस्से ही गुस्से में ऐसी कई बातें बोल देते हैं, जिन से पेरैंट्स को काफी ठेस लगती है. हो सकता है उन का गुस्सा भी बढ़ जाए और आप का भी फिर बात और बिगड़ जाए. ऐसे में टीनऐजर्स के लिए बेहतर होता है अपनी बात को सामने रखें और सही शब्दों के साथ उन्हें बताने की कोशिश करें. ध्यान रहे एक टीनऐजर के और एक संतान के तौर पर आप अपनी लिमिट क्रौस न करें जो बाद में जा कर कम्यूनिकेशन को बढ़ा दे. मम्मीपापा से बात करते समय शब्दों के चयन का खास ध्यान रखें.

परिस्थितियां समझने की कोशिश करें

कभी भी पेरैंट्स के साथ जल्दबीजी से काम न लें, पेशंस रखें क्योंकि पेरैंट्स और आप टीनऐजर्स के बीच एक बड़ा ऐज गैप होता है, जिस से पेरैंट्स को आप की जरूरतों और पसंद को समझने में वक्त लगता है. ऐसे में पेरैंट्स के साथ जल्दबाजी या जिद न करें. ऐसा करने से पेरैंट्स आप की बातों को गैरजरूरी समझ कर नजरअंदाज कर सकते हैं. पेरैंट्स के साथ पेशंस रखें. उन्हें अपनी जरूरों और पसंद के बारे में डीटेल में बताएं ताकि वे उन्हें अच्छे से समझ सकें.

बहस करने से बचें

अकसर बच्चे अपने मम्मीपापा की बातों से भड़क जाते हैं और बहस करने लगते हैं. वह बहस फिर जल्दी ही झगड़े में बदल जाती है. टीनऐजर्स को चाहिए कि वे ऐसा न करें बल्कि यदि आप के मम्मीपापा आप को किसी बात पर सलाह देते हैं या बातोंबातों में कुछ ऐसा बोल देते हैं जो आप को दिल पर लग जाता है तो उसे कहने का सही तरीका और समय ढूंढ़े. कई बार ऐसा करने से पहले ही आप के मम्मीपापा को अपनी गलती का एहसास हो जाता है. तो हमेशा बहस करने के बजाय शांति से उस पर बात करने की कोशिश करें. जरूरी नहीं हर बार आप सही हों और वे गलत या फिर आप गलत हों और वे सही.

उन के अनुभव के बारे में पूछें

अगर आप किसी परेशानी में फंस गए हैं या आप के जीवन में किसी तरह की उलझन है चीजों को ले कर, रिश्तों को ले कर तो बेहतर होगा कि आप अपने मातापिता से पूछें. वे हमेशा आप को कोई न कोई समाधान तो दे ही देंगे. उन का अनुभव आप को अपने जीवन को बेहतर करने में मदद करेगा और इस तरह आप के बीच में पनप रहे कम्यूनिकेशन गैप को कम करने में मदद मिलेगी. इस से एक खास बात यह रहेगी कि आप को जानने का मौका मिलेगा कि आप के पेरैंट्स ने आप तक पहुंचने में कितनी परेशानियों का समना किया हो. वैसे हर केस में ऐसा होना जरूरी नहीं पर अनुभव बांटना एक अच्छा ऐक्सपीरियंस है.

खुद को पेरैंट्स की जगह पर रखें

जब भी एक टीनऐजर्स के तौर पर आप को लग रहा है आप के मम्मीपापा आप के साथ कुछ गलत कर रहे हैं तो एक बार अपनेआप को उन की जगह पर रखने की कोशिश करें. अगर आप एक टीनऐजर्स के तौर पर अपने लिए बहस कर सकते हैं तो उन्हें समझने की कोशिश भी कर सकते हैं. कई बार मम्मीपापा अपनी परिस्थितियों के अनुसार ही आप की बातों का नजरअंदाज या फिर मना करते हैं. ये परिस्थितियां कई तरह की हो सकती हैं जैसे आर्थिक यानी पैसों की कमी, सामाजिक यानी आप की सुरक्षा और भविष्य से जुड़ी बातें. ऐसी कई बातें उन्हें आप की हर बात न मानने के लिए मजबूर करती हैं.

इन बातों का ध्यान रखें और कोशिश करें कि आप और आप के पेरैंट्स के बीच कम्यूनिकेशन गैप न पनपने पाए. हर मांबाप अपने बच्चों के लिए अपने से बेहतर भविष्य और वर्तमान की कामना ही नहीं करते बल्कि इन की कोशिशों में लगातार लगे रहते हैं. आप ने कई बार देखा होगा अपनी मम्मी को अपने लिए साड़ी नहीं आप के लिए ड्रैस लेते हुए अपने पापा को सेम जूतों में सालभर औफिस जाते हुए पर आप को आप की पसंद के जूते दिलवाते हुए. ऐसे में उन के साथ बातचीत बंद कर देना एक अविकसित दिमाग की निशानी से ज्यादा कुछ नहीं है. एक टीनऐजर्स और युवा के तौर पर ऐसा न होने दें और हमेशा बातचीत का सिलसिला जारी रखें भले नाराजगी लंबे समय तक चलती रहे.

पंछी बन कर उड़ जाने दो: निशा को मौसी से क्या शिकायत थी

कालेज में वार्षिक उत्सव की तैयारियां जोरशोर से चल रही थीं. कार्यक्रम के आयोजन का जिम्मा मेरा था. मैं वहां व्याख्याता के तौर पर कार्यरत थी. कालेज में एक छात्र था राज, बड़ा ही मेधावी, हर क्षेत्र में अव्वल. पढ़ाईलिखाई के अलावा खेलकूद और संगीत में भी विशेष रुचि थी उस की. तबला, हारमोनियम, माउथ और्गन सभी तो कितना अच्छा बजाता था वह. सुर को बखूबी समझता था. सो, मैं ने अपना कार्यभार कम करने हेतु उस से मदद मांगते हुए कहा, ‘‘राज, यदि तुम जूनियर ग्रुप को थोड़ा गाना तैयार करवा दोगे तो मेरी बड़ी मदद होगी.’’

‘‘जी मैम, जरूर सिखाऊंगा और मुझे बहुत अच्छा लगेगा. बहुत अच्छे से सिखाऊंगा.’’

‘‘मुझे पूरी उम्मीद थी कि तुम से मुझे यही जवाब मिलेगा,’’ मैं ने कहा.

वह जीजान से जुट गया था अपने काम में. उस जूनियर गु्रप में मेरी अपनी भांजी निशा भी थी. मैं उस की मौसी होते हुए भी उस की सहेली से बढ़ कर थी. वह मुझ से अपनी सारी बातें साझा किया करती थी.

एक दिन निशा मेरे घर आईर् और बोली, ‘‘मौसी, यदि आप गलत न समझें तो एक बात कहूं?’’

मैं ने कहा ‘‘हां, कहो.’’

वह कहने लगी, ‘‘मौसी, मालूम है राज और पद्मजा के बीच प्रेमप्रसंग शुरू हो गया है.’’

मैं ने कहा, ‘‘कब से चल रहा है?’’

वह कहने लगी, ‘‘जब से राज ने जूनियर गु्रप को वह गाना सिखाया तब से.’’

मैं ने कहा, ‘‘तुम से किस ने कहा यह सब? क्या पद्मजा ने बताया?’’

निशा कहने लगी, ‘‘नहीं मौसी, उस ने तो नहीं बताया लेकिन अब तो उन दोनों की आंखों में ही नजर आता है, और सारे कालेज को पता है.’’

मैं ने कहा, ‘‘चल, अब बातें न बना.’’

उस के बाद से मैं देखती कि कई बार राज व पद्मजा साथसाथ होते और सच पूछो तो मुझे उन की जोड़ी बहुत अच्छी लगती. अच्छी बात यह थी कि राज और पद्मजा ने इस प्रेमप्रसंग के चलते कभी कोई अभद्रता नहीं दिखाई थी. मैं तो देख रही थी कि दोनों ही अपनीअपनी पढ़ाई में और ज्यादा जुट गए थे.

फिर एक दिन निशा आई और कहने लगी, ‘‘मौसी, वैलेंटाइन डे पर मालूम है क्या हुआ?’’

मैं ने कहा, ‘‘तू फिर से राज और पद्मजा के बारे में तो कुछ नहीं बताने वाली?’’

निशा बोली, ‘‘वही तो, मौसी, हम ने वैलेंटाइन डे पार्टी रखी थी. उस में राज और पद्मजा भी थे. सब लोग डांस कर रहे थे और सभी दोस्तों ने उन से बालरूम डांस करने के लिए कहा. राज शरमा गया था जबकि पद्मजा कहने लगी, ‘मैं क्यों करूं इस के साथ डांस. इस ने तो अभी तक मुझ से प्यार का इजहार भी नहीं किया.’

‘‘फिर क्या था मौसी, सब कहने लगे, राज, कह डाल, राज, कह डाल. और राज पद्मजा की आंखों में आंखें डाल कर कहने लगा, ‘आई लव यू, पद्मजा.’ उस के बाद उस ने एक ही नहीं, 7 अलगअलग भाषाओं में अपने प्यार का इजहार किया.’’

जब निशा मुझे उन की बातें बताती तो उस के चेहरे पर अलग ही चमक होती थी. खैर, वह चमक वाजिब भी थी, उस की उम्र ही ऐसी थी.

और एक बार निशा बताने लगी, ‘‘मौसी, मालूम है, पद्मजा राज को बहुत प्रेरित करती रहती है पढ़ाई के लिए और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए. आप को बताऊं, पद्मजा क्या कहती है उस से?’’

मैं ने कहा, ‘‘जब इतना बता दिया तो यह भी बता दे, वरना तेरा तो पेट दुख जाएगा न.’’ सच पूछो तो मैं स्वयं भी जानना चाहती थी कि दोनों के बीच चल क्या रहा है.

वह कहने लगी, ‘‘मौसी, पद्मजा ने कहा, ‘राज, तुम इस बार वादविवाद प्रतियोगिता में जरूर भाग लोगे. जीतोगे भी मेरे लिए.’ फिर मौसी, राज ने प्रतियोगिता में भाग लिया और जीत भी गया और उस के बाद दोनों साथ में घूमने गए और पता है मौसी, राज अवार्ड के पैसों से उसे शौपिंग भी करवा के लाया.

‘‘पता है क्या लिया पद्मजा ने? चूडि़यां. मौसी, वह दक्षिण भारत से है न, वहां लड़कियां चूडि़यां जरूर पहनती हैं. तो राज ने उसे चूडि़यां दिलवाई हैं.’’

और राज की यह बात मेरे दिल को बहुत छू गई थी. मैं सोच रही थी कितना निर्मल और सच्चा प्यार है दोनों का. दोनों शायद एकदूसरे को आगे बढ़ाने में बड़े प्रेरक थे. ऐसा चलते 2 साल बीत गए और फेयरवैल का दिन आ गया. सभी छात्रछात्राएं एकदूसरे से विदा ले रहे थे.

राज मेरे पास आया, कहने लगा, ‘‘मैम, आप से विदा चाहते हैं, आप ने इन वर्षों में इतना लिखाया, पढ़ाया, आप को बहुतबहुत धन्यवाद.’’ वैसे तो मैं राज की अध्यापिका थी किंतु उस से पहले एक इंसान भी तो थी, सो, मैं ने कहा, ‘‘राज, तुम जैसे छात्र बहुत कम होते हैं. तुम अब सौफ्टवेयर इंजीनियर बन गए हो. सदा आगे बढ़ो. एक दिल की बात कहूं?’’

राज बोला, ‘‘जी, कहिए, मैम.’’ मैं ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम्हारी और पद्मजा की जोड़ी बहुत ही अच्छी है. मुझे शादी में बुलाना न भूलना.’’ राज मुंह नीचे किए मुसकरा कर बोला, ‘‘जी मैम, जरूर.’’ और फिर वह चला गया.

यह सब हुए पूरे 8 वर्ष बीत गए और मैं अपने पति के साथ मसूरी घूमने आई हुई थी. वहां मैं ने होर्डिंग्स पर राज की तसवीरें देखीं, पता लगा कि उस का एक स्टेजशो है. मैं ने अपने पति से कह कर शो के टिकट मंगवा लिए और पहुंच गई हौल में शो देखने.

जैसे ही राज स्टेज पर आया, हौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. वह देखने में बहुत ही अच्छा लग रहा था. कुदरत ने उसे रंगरूप, कदकाठी तो दी ही थी, उस पर उस का आकर्षक व्यक्तित्व जैसे सोने पे सुहागा. उस के पहले गीत, ‘‘फिर वही शाम, वही गम, वही तनहाई है…’’ के साथ हौल में समां बंध गया था और जैसे ही शो खत्म हुआ, सभी लड़कियां उस का औटोग्राफ लेने पहुंच गईं. उन के साथ मैं भी स्टेज के पास जा पहुंची.

जैसे ही उस की नजर मुझ पर पड़ी, वह झट से पहचान गया और उसी अदब के साथ उस ने मुझे अभिवादन किया. अपने छात्र राज को इस मुकाम पर देख मेरी आंखों में खुशी के आंसू आ गए थे.

फिर राज और मैं कौफी पीने होटल के लाउंज में चले गए और सब से पहले मैं ने शिकायतभरे लहजे में कहा, ‘‘राज, बहुत नाराज हूं तुम से, तुम ने मुझे शादी में क्यों नहीं बुलाया? कहां है पद्मजा, कैसी है वह?’’

इतना सुनते ही राज की मुसकराती आंखों के किनारे नम हो गए थे. अपने आंसुओं को अपनी मुसकराहट के पीछे छिपाते हुए उस ने कहा, ‘‘मेरी शादी नहीं हुई, मैम, पद्मजा मेरी नहीं हो सकी. उस की शादी कहीं और हो गई है.’’

मुझ से रहा न गया तो पूछ बैठी, ‘‘क्यों नहीं हुई तुम्हारी दोनों की शादी.’’ वह कहने लगा, ‘‘मैम, मैं उत्तर भारत से हूं और वह दक्षिण भारतीय. हमारी जाति भी एक नहीं, इसीलिए.’’

‘‘लेकिन कौन आजकल जातपांत मानता है, राज?’’ मैं ने कहा, ‘‘और फिर तुम दोनों तो इतने पढ़ेलिखे हो.’’

राज ने कहा, ‘‘मैम, मेरे मातापिता इस रिश्ते को ले कर बहुत खुश थे. मेरी मां ने तो बहू लाने की पूरी तैयारी भी कर ली थी. लेकिन पद्मजा के मातापिता इस रिश्ते को ले कर खुश नहीं थे और उन्होंने इनकार कर दिया था. मैं पद्मजा के मातापिता से बात करने भी गया था. उन से बात करने पर वे कहने लगे, ‘देखो राज, तुम एक समझदार और नेक इंसान लगते हो. हमें तुम्हारे में कोई कमी नजर नहीं आती. लेकिन हम अगर अपनी बेटी पद्मजा की शादी तुम से कर दें तो हमारी बिरादरी में हमारी नाक कट जाएगी. और वैसे भी हम ने अपनी ही बिरादरी का दक्षिण भारतीय लड़का ढूंढ़ रखा है. इसीलिए अच्छा होगा कि अब तुम पद्मजा को भूल ही जाओ.’ मैं ने उन से इतना भी कहा कि ‘क्या पद्मजा मुझे भुला पाएगी?’ तो वे कहने लगे, ‘वह हमारी बेटी है, हम उसे समझा लेंगे.’

‘‘मैं ने पद्मजा की तरफ देखा, वह बहुत रो रही थी. उस ने मुझ से हाथ जोड़ कर माफी मांगते हुए कहा, ‘जाओ राज, मैं अपने मातापिता की मरजी के खिलाफ तुम से शादी नहीं कर सकती.’ मैं क्या करता, मैम. बस, तब से ही इस दुनिया से जैसे दिल भर गया. किंतु क्या करूं मेरे भी तो अपने मातापिता के प्रति कुछ फर्ज हैं, बस, इसीलिए जिंदा हूं. बहुत मुश्किल से संभाला है मैं ने अपनेआप को.’’

वह कहता जा रहा था और उस के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. उस का हाल सुन मेरी आंखों से भी आंसुओं की धारा बह चली थी.

राज का यह हाल देख मुझे बड़ा ही दुख हुआ. मैं मन ही मन सोच रही थी कि राज और पद्मजा का प्यार कोई कच्ची उम्र का प्यार नहीं था, न ही मात्र आकर्षण. दोनों ही परिपक्व थे. राज उस से शादी को ले कर सीरियस भी था. तभी तो वह पद्मजा के मातापिता से मिलने गया था. पद्मजा न जाने किस हाल में होगी.

खैर, मैं उस के लिए तो कुछ नहीं कह सकती. किंतु उस के मातापिता, क्यों उन्होंने अपनी बेटी से बढ़ कर जात, समाज, धर्म, प्रांत की चिंता की. यदि राज और पद्मजा 7 वर्ष एकसाथ एक ख्वाब को बुनते रहे तो क्या अपना परिवार नहीं बसा सकते थे. हम अपने बच्चों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं, उन्हीं बच्चों की खुशियों को क्यों जात, बिरादरी, समाज की भेंट चढ़ा देते हैं? क्यों हम यह नहीं समझते कि प्यार और आकर्षण में बहुत फर्क होता है? यह 16 वर्ष की उम्र वाला मात्र आकर्षण नहीं था, यह सच्चा प्यार था जो आज राज की आंखों से आंसू बन कर बह निकला था. हम क्यों नहीं समझते कि समाज के नियम इंसान ने ही बनाए हैं और वे उस के हित में होने चाहिए न कि जाति, धर्म, भाषा की आड़ में इंसानों के बीच दीवार खड़ी करने के लिए.

बहरहाल, अब हो भी क्या सकता था. लेकिन, मैं इतना तो जरूर कहना चाहूंगी कि जिस तरह राज और पद्मजा का प्यार अधूरा रह गया सिर्फ इंसानों के बनाए झूठे नियम, समाज के कारण, उस तरह किन्हीं 2 प्यार करने वालों को अब कभी जुदा न कीजिए.

मैं यह भी कहना चाहूंगी कि कभी देखा है पंछियोें को? वे किस तरह अपने बच्चों को उड़ना सिखा कर स्वतंत्र छोड़ देते हैं. ताकि वे खुले आसमान में अपने पंख पसार सकें. और कितना सुंदर होता है वह दृश्य जब खुले आसमान में बादलों के संग पंछी उन्मुक्त उड़ान भरते हैं. तो हम इंसान क्यों प्रकृति के नियमों को ठुकरा अपने नियम बना अपने ही बच्चों को मजबूर कर देते हैं राज व पद्मजा की तरह आंसुओं संग जीने को क्यों न हम तोड़ दें वे नियम जो आज के युग में सिर्फ ढकोसले मात्र हैं? क्यों न हम उड़ जाने दें अपने बच्चों को उन्मुक्त आकाश में पंछियों की तरह?

क्या है हाइड्रा फेशियल फेयरनैस ट्रीटमैंट, जानें इसके बारे में सबकुछ

लड़के हों या लड़कियां हरकोई मुलायम, फेयर, चमकदार और जवां स्किन चाहता है. चमकदार और ग्लोइंग स्किन के साथ आप का कौन्फिडैंट लैवल अलग ही दिखाई देता है. भारत में वैसे तो ग्लोइंग और फेयर स्किन का क्रेज सदियों से चला आ रहा है जिस के चलते भ्रामक विज्ञापनों के जरीए फेयरनैस क्रीम वाली कंपनियों ने खूब पैसा कमाया है. आप भी हर महीने या महीने में 1 या 2 बार फेयर स्किन के पार्लर से फेशियल जैसी चीजें करवाती होंगी. नईनई तकनीकें इस क्रेज को सहारा भी देने लगी हैं.

Face cupping therapy ventosa cupping treatment for strong face lifting

इसी का उदाहरण है बाजार में आया हाइड्रा फेशियल जो आप के चेहरे को कई लैवल तक फेयर यानी गोरा कर देता है. आइए, जानते हैं इस के बारे में:

हाइड्रा फेशियल क्या है

हाइड्रा फेशियल एक कौस्मैटिक तकनीक है जिस में त्वचा को साफ और हाइड्रेट करने के लिए खास डिवाइस का उपयोग किया जाता है. यह आमतौर पर छिद्रों को साफ करने और त्वचा की मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाता है और उसे ग्लोइंग बनाता है.

इस की शुरुआत होती है स्किन के पोर्स को ढीला करने और खोलने से लेकर और फिर बेहतर सफाई के लिए ग्लाइकोलिक ऐसिड, सैलिसिलिक ऐसिड और कई वनस्पति अवयवों के मिश्रण का उपयोग कर के त्वचा को तैयार करता है.

हाइड्रा फेशियल के क्या लाभ हैं

हाइड्रा फेशियल स्किन को एक वाइब्रैंट लुक देता है. त्वचा की गहराई से सफाई होती है, डैड स्किन को आधुनिक डिवाइसेस की मदद से रिमूव किया जाता है जिस से स्किन ग्लो करती है.

मुंहासों से मिले छुटकारा

हाइड्रा फेशियल स्किन के पोर्स (रोमछिद्रों) को बंद करने वाली कोशिकाओं को हटाता है. बंद रोमछिद्रों के कारण मुंहासे हो सकते हैं. हाइड्रा फेशियल करने से चेहरे के मुंहासों से छुटकारा मिल सकता है.

ब्लैकहैड्स हटाने में करे मदद

हाइड्रा फेशियल ब्लैकहैड्स हटाने में भी मदद करता है. अगर आप की स्किन पर ज्यादा ब्लैकहैड्स हैं, तो आप हाइड्रा फेशियल का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह डैड स्किन को निकालता है जोकि ब्लैकहैड्स का मेन कारण होती है. ऐसे में फेशियल के दौरान इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट की मदद से स्किन ऐक्सफौलिएट होती है जिस से ब्लैकहैड्स हटाए जा सकते हैं.

ऐंटीएजिंग का करता है काम

हाइड्रा फेशियल ऐंटी एजिंग का भी काम करता है. हाइड्रा फेशियल लेने से एजिंग के लक्षणों में कमी होती है. एक स्टडी के मुताबिक हाइड्रा फेशियल स्किन पर दिखाई देने वाले बढ़ती उम्र के लक्षणों जैसेकि ?ार्रिया आदि को कम करने में मदद करता है.

साइड इफैक्ट और सावधानियां

वैसे तो हाइड्रा फेशियल को साइड इफैक्ट साइड रहित बताया जाता है लेकिन इसे करवाने से पहले इन चीजों का पता कर लेना चाहिए:

अगर आप को कोई स्किन रिलेटिड परेशानी है या आप की स्किन ज्यादा सैंसिटिव है तो एक बार स्किन ऐक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

अत्यधिक मुंहासे होने पर भी एक बार फेशियल लेने से पहले ऐक्सपर्ट की सलाह लें.

प्रैगनैंसी के दौरान शरीर से जुडे़ किसी भी तरह के ट्रीटमैंट को लेने से पहले डाक्टर से सलाह जरूर लें क्योंकि इस में इलैक्ट्रिक उपकरणों का इस्तेमाल होता है.

फेशियल कराने से पहले और बाद में की जाने वाली सावधानियों का ध्यान रखें. ऐसा न करने के गंभीर परिणाम देखे जा सकते हैं.

शरीर पर किसी भी तरह का गैरजरूरी उपचार कराने से पहले किसी ऐक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. प्रत्येक व्यक्ति का शरीर एक दूसरे से अलग होता है तो उपचार के फायदे और नुकसान भी अलगअलग होना स्वाभाविक है.

कहीं आपका कोई अपना तो नहीं BPD का शिकार, जानें इस बीमारी के लक्षण

अनुष्का अभी महज 30 साल की थी लेकिन प्यार में मिले धोके को वो झेल नहीं पाई और कभी डिप्रैशन तो कभी एंग्जायटी का शिकार हो गई. साथ ही, उसकी इमोशंस भी काफी अस्थिर हो जाते जिस कारण वह बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर से पीड़ित हो गई. जो उसके और परिवार वालों के लिए परेशानी की वजह बन गया.

Translucent and blurred portrait of woman

क्या है बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर

बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर मानसिक बीमारियों का समुदाय है इस बीमारी में आमतौर पर व्यक्ति में 9 लक्षण होते हैं . जिस व्यक्ति में उनमें से 5 लक्षण भी दिखाई देते हैं तो वो इस बीमारी से पीड़ित होता है. हावभाव ,अत्यधिक चिंता,खुद को अकेला और खालीपन महसूस करना , रिश्तों में स्थिरता न रहना , कभी किसी के साथ रिश्ता जोड़ना तो कभी किसी और के साथ रिश्तों में ठहराव न होना एक ही पल में किसी को खुद से ज्यादा प्यार करना और दूसरे ही पल में उसे गालियां देना. इसे मेडिकल लाइन में यो यो रिलेशनशिप कहते हैं. जिसमे बहुत ज्यादा करीब आ जाना और पास आ कर दूर चले जाना. एकदम बहुत अधिक गुस्सा आ जाना ,जिसके चलते पता भी नहीं होता कि मरीज क्या कर रहा है. हमेशा किसी को खो देने का डर बना रहना , तुम्हे यह लगना कि जिसको तुम प्यार करती हो वो तुम्हे छोड़ जाएगा . इसलिए बारबार फ़ोन करना ,जरूरत से ज्यादा किसी की फिक्र करना, दूसरों पर शक करना , मन में बारबार आत्महत्या के विचार उतपन्न होना , अपने ही बारे में एक सोच नहीं रख पाना. ये सभी बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर के ही लक्षण हैं. यह बीमारी होकर भी बीमारी नहीं है बल्कि यह व्यक्तित्व का एक हिस्सा है जिसे व्यक्ति खुद से ही जीत सकता है.

इलाज

इसके लिए DBT करनी होती है जिसे डिएलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी कहते हैं इसमें इलाज को पांच हिस्सों में बांटा जाता है. जो हैं- व्यक्तिगत चिकित्सा, समूह कौशल प्रशिक्षण, माइंडफुलनेस , आवश्यकतानुसार फोन पर सलाह देना, हिम्मत बनाए रखने के लिए काउंसलिंग और रोगी की देखभाल का प्रशिक्षण दिया जाता है. जिससे व्यक्ति अपनी भावनाओ पर किस तरह काबू पाकर एक साधारण जीवन व्यतीत कर सकता है. जरूरत पड़ती है, तो आपको दवाइयां भी दी जाती हैं लेकिन थैरेपी थोड़े लम्बे टाइम तक चलती है. सेशन के दौरान सिखाई गई बातों को रोजमर्रा की जीवनशैली में अपनाना होता है.

कैसे बचें

  • नकरात्मक विचारों से दूरी बनाएं
  • खुद को कंट्रोल करना सीखें.
  • परिवर्तन के साथ तालमेल बना कर रहें.
  • किसी भरोसेमंद से अपने मन की बात साझा करें.
    कारण
    आनुवंशिक,हार्मोन असंतुलन,तनाव, बड़े हादसे होना जैसे मातापिता या बच्चों की मृत्य ,प्यार में धोखा,करीबी रिश्ता टूटना ,घरेलू हिंसा के ईद-गिर्द बचपन बीतना ये सभी इसके कारण हैं .

मैं पहली बार मां बनी हूं, कुछ दिनों से डिप्रैशन में चली गई हूं…

सवाल

मैं नईनई मां बनी हूं. परिवार में अन्य सदस्य होने के बावजूद भी मैं अवसाद सा महसूस कर रही हूं. ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?

All the sleepless nights make it worth the effort Shot of a young woman using a laptop while caring for her adorable baby at home

जवाब

एक नई मां के रूप में परिवार के सदस्यों के आसपास रहने के बावजूद अकेलापन या अवसाद महसूस करना असामान्य नहीं है. नवजात शिशु की देखभाल करना एक मुश्किल कार्य है और प्रसव के बाद का समय भावनात्मक रूप से उथलपुथल से भरा होता है. यह समय शारीरिक और मानसिक बदलाव का होता है. साथ ही नींद की कमी, हार्मोनल उतारचढ़ाव और मां के रूप में नई भूमिका चुनौतीपूर्ण हो सकती है.

इन समस्याओं से लड़ने के लिए आप कुछ कदम उठा सकती हैं. अपने परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों को बताएं कि आप कैसा महसूस कर रही हैं और मदद मांगें. अपने अकेलेपन और किसी अन्य नकारात्मक भावना के बारे में डाक्टर से सलाह लें. प्रसव के बाद अवसाद (पीपीपी) के बारे में जानें- भारत में पीपीपी का प्रचलन अधिक है और यह एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है. बच्चों की देखभाल के अलावा अपने लिए भी समय निकालें और अपने आसपास या औनलाइन दूसरी नई माताओं से जुड़ें, जो शायद आप की तरह ही महसूस कर रही हों. एक ऐसे समुदाय का हिस्सा बनें जहां आप खुद को सम झ सकें और अच्छा महसूस कर सकें.

सवाल 

मुझे कलर करने के बाद अकसर माथे, कान, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है. क्या यह ऐलर्जी हो सकती है?

जवाब

कुछ लोगों को बालों में डाई लगाने के बाद ऐलर्जिक रिएक्शन होता है. यह रिएक्शन मामूली असर वाला या फिर गंभीर भी हो सकता है. बालों में कलर करने के बाद यदि आप को सिर की स्किन में मामूली जलन या सनसनाहट महसूस हो तो यह ऐलर्जी की शुरुआत हो सकती है. अगर कलर करने के बाद आप के माथे, कान, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है तो यह ऐलर्जी का गंभीर मामला हो सकता है. आप कुछ सावधानियां बरत कर बालों में हेयर डाई से हो सकने वाले नुकसान से बच सकती हैं. इस के लिए जब भी आप किसी नए ब्रैंड को इस्तेमाल करें तो पहले उस के बारे में अच्छे से जानकारी कर लें. ऐसा देखा गया है कि कई बार कुछ लोग कलर बदलने से ऐलर्जी का शिकार हुए हैं. कोशिश करें कि आप लगातार एक ही अच्छा ब्रैंड उपयोग करें. ऐलर्जी से बचने के लिए पैच टैस्ट कर के देख लें. पैच टैस्ट किसी प्रोडक्ट के प्रति आप की स्किन की संवेदनशीलता के बारे में बताता है. इस के साथ ही आप को ऐलर्जिक रिएक्शन से भी बचाता है. इसलिए हेयर डाई का मिश्रण बनाते समय लेबल पर दिए गए निर्देशों को पढ़ लें. कान के पीछे का हिस्सा सब से ज्यादा संवेदनशील होता है. यह किसी भी प्रकार के ऐलर्जिक रिएक्शन के लक्षणों को तुरंत दिखाता है. आप रुई के फाहे को हेयर डाई के मिश्रण में डुबो कर कान के पीछे लगा लें. इसे 24 घंटे तक लगाकर रखने से आप ऐलर्जी के प्रकोप से बची रहेंगी. यदि आप हेयर डाई को निर्धारित समय से ज्यादा समय तक लगा कर रखती हैं तो यह आप के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है. आजकल बिना अमोनिया के कलर मिलते हैं. उन्हें ट्राई कर लें वरना हिना में कौफी, आंवला और शिकाकाई मिला कर इस्तेमाल करें.

एहसास: क्यों सास से नाराज थी निधि

मालती ने अलमारी खोली. कपड़े ड्राईक्लीनर को देने के लिए, सुबह ही अजय बोल कर गया था, ‘मां ठंड शुरू हो गई है. मेरे कुछ स्वेटर और जैकेट निकाल देना,’ कपड़े समेटते हुए उस की नजर कुचड़मुचड़ कर रखे शौल पर पड़ी. उस ने खींच कर उसे शैल्फ से निकाला. हलके क्रीम कलर के पश्मीना के चारों ओर सुंदर कढ़ाई का बौर्डर बना था. गहरे नारंगी और मैजेंटा रंग के धागों से चिनार के पत्तों का पैटर्न. शौल के ठीक बीचोंबीच गहरा दाग लगा था. शायद, चटनी या सब्जी के रस का था जो बहुत भद्दा लग रहा था.

यह वही शौल था जो उस ने कुछ साल पहले कश्मीर एंपोरियम से बड़े शौक से खरीदा था. प्योर पश्मीना था. अजय की बहू को मुंहदिखाई पर दूंगी, तब उस ने सोचा था. पर इतने महंगे शौल का ऐसा हाल देख कर उस ने माथा पीट लिया. हद होती है, किसी भी चीज की. निधि की इस लापरवाही पर बहुत गुस्सा आया. पिछले संडे एक रिश्तेदार की शादी थी, वहीं कुछ गिरगिरा दिया गया होगा खाना खाते वक्त, दाग लगा, सो लगा, पर महारानी से इतना भी न हुआ की ड्राईक्लीन को दे देती या घर आ कर साफ ही कर लेती.

तमीज नाम की चीज नहीं इस लड़की को. कुछ तो कद्र करे किसी सामान की. ऐसा अल्हड़पन कब तब चलेगा. मालती बड़बड़ाती हुई किचन में आई. किचन में काम कर रही राधा को उन्होंने शाम के खाने के लिए क्या बनाना है, यह बताया और कपड़ों को ड्राइंगरूम में रखे दीवान के ऊपर रख दिया. और फिर हमेशा की तरह शाम के अपने नित्य काम में लग गई.

देर शाम अजय और निधि हमेशा की तरह हंसतेबतियाते, चुहल करते घर में दाखिल हुए. ‘‘राधा, कौफी,’’ निधि ने आते ही आवाज दी और अपना महंगा पर्स सोफे पर उछाल कर सीधे बाथरूम की ओर बढ़ गई. अजय वहीं लगे दीवान पर पसर गया था. मालती टीवी पर कोई मनपसंद सीरियल देख रही थी, पर उस की नजरें निधि पर ही थीं. वह उस के बाथरूम से आने का इंतजार करने लगी. शौल का दाग दिमाग में घूम रहा था.

‘‘और मां, क्या किया आज?’’ जुराबें उतारते हुए अजय ने रोज की तरह मां के दिनभर का हाल पूछा. बेचारा कितना थक जाता है, बेटे की तरफ प्यार से देखते हुए उन्होंने सोचा और किचन में अपने हाथों से उस के लिए चाय बनाने चली गई. इस घर में, बस, वे दोनों ही चाय के शौकीन थे. निधि को कौफी पसंद थी.

निधि फ्रैश हो कर एक टीशर्ट और लोअर में अजय की बगल में बैठ कर कौफी के सिप लेने लगी. मालती उस की तरफ देख कर थोड़े नाराजगीभरे स्वर में बोली, ‘‘निधि, ड्राईक्लीन के लिए कपड़े निकाल दिए हैं. सुबह औफिस जाते हुए दे देना. तुम्हारे औफिस के रास्ते में ही पड़ता है तो मैं ने निकाल कर रख दिए,’’ मालती ने जानबू झ कर शौल सब से ऊपर दाग वाली तरफ से रखा था कि उस पर निधि की नजर पड़े.

‘‘ठीक है मां,’’ कह कर निधि अपने मोबाइल में मैसेज पढ़ने में बिजी हो गई. उस ने नजर उठा कर भी उन कपड़ों की तरफ नहीं देखा.

मालती कुनमुना कर रह गई. उस ने उम्मीद की थी की निधि कुछ नानुकुर करेगी कि नहीं, मैं नहीं दे पाऊंगी, टाइम नहीं है, औफिस के लिए लेट हो जाएगा वगैरहवगैरह. पर यहां तो उस के हाथ से एक और वाकयुद्ध का मौका निकल गया. हमेशा यही होता है, उस के लाख चाहने के बावजूद निधि का ठंडापन और चीजों को हलके में लेना मालती की शिकायतों की पोटली खुलने ही नहीं देता था.

मालती उन औरतों में खुद को शुमार नहीं करना चाहती थी जो बहू से बहाने लेले कर लड़ाई करे और बेटे की नजरों में खुद मासूम बनी रहे. वह खुद को आधुनिक सम झती थी और यही वजह थी कि अपनी तरफ से वह कोई राई का पहाड़ वाली बात नहीं उठाती थी. वैसे भी, घर में कुल जमा 3 प्राणी थे और चिकचिक उसे पसंद नहीं थी. पर कभीकभी वह निधि की आदतों से चिढ़ जाती थी. मालती को घर में बहू चाहिए थी जो सलीके से घरबाहर की जिम्मेदारी संभाले. पर यहां तो मामला उलटा था. ठीक है, उस ने सोचा, अगर किसी को कोई परवा नहीं तो मैं भी क्यों अपना खून जलाऊं, मैं भी दिखा दूंगी कि मु झे फालतू का शौक नहीं कि हर बात में इन के पीछे पड़ूं. इन की तरह मैं भी, वह क्या कहते हैं, कूल हूं.

अपनी इकलौती संतान को ले कर हर मां की तरह मालती के भी बड़े सपने थे. अजय को जौब मिली भी नहीं थी कि रिश्तेदारी में उस की शादी की बातें उठने लगीं. मालती खुद से कोई जल्दी में नहीं थी. पर कोई भाभी, चाची या पड़ोसिन अजय के लिए किसी न किसी लड़की का रिश्ता खुद से पेश कर देती. ‘अभी अजय की कौन सी उम्र निकली जा रही है. जरा सैटल हो जाने दो.’ यह कह कर वह लोगों को टरकाया करती.

पर दिल ही दिल में अपनी होने वाली बहू की एक तसवीर उस के मन में बन चुकी थी. चांद सी खूबसूरत, गोरी, पतली, नाजुक सी, सलीकेदार जो घर में खाना पकाने से ले कर हर काम में हुनरमंद हो. अब यह सब थोड़ा मुश्किल तो हो सकता है पर नामुमकिन नहीं. वह तो ऐसी लड़की ढूंढ़ कर रहेगी अपने लाड़ले के लिए. लेकिन उस की उम्मीदों के गुब्बारे को उस के लाड़ले ने ही फोड़ा था. एक दिन, निधि को घर ला कर.

उसे निधि का इस तरह घर पर आना बहुत अटपटा लगा था. क्योंकि अजय किसी लड़की को इस तरह से कभी घर ले कर नहीं आया था. वह बात अलग थी कि स्कूलकालेज के दोस्त  झुंड बना कर कभीकभार आ धमकते थे. जिस में बहुत सी लड़कियां भी होती थीं.

मालती को कभी अखरता नहीं था अजय के यारदोस्तों का आना. पर उस ने अपने लिए कोई लड़की पसंद कर ली थी, यह बात मालती को सपने में भी नहीं आई थी. उस का बेटा अपनी मां की पसंद से शादी करेगा, यही मालती को गुमान था. जिस दिन अजय ने बताया कि वह अपनी किसी खास दोस्त को उस से मिलाने ला रहा है, वह सम झ कर भी अनजान बनने का नाटक करती रही. एक बार भी नहीं पूछा अजय से कि आखिर इस बात का मतलब क्या है?

उस दिन शाम को अजय निधि को अपनी बाइक पर बिठा कर घर ले आया. मालती ने कनखियों से निधि को देखा. नहीं, नहीं, उस के सपनों में बसी बहूरानी के किसी भी सांचे में वह फिट नहीं बैठती थी. आते ही ‘नमस्ते आंटी’ बोल कर धम्म से सोफे पर पसर गई. निधि लगातार च्युइंगम चबा रही थी. बौयकट हेयर, टाइट जींस और टीशर्ट में उस की हलकी सी तोंद भी  झलक रही थी. अजय ने मालती को ऐसे देखा जैसे कोई बच्चा अपना इनाम का मैडल दिखा कर घरवालों के रिऐक्शन का इंतजार करता है.

मालती चायनाश्ता लेने किचन में चली गई. अजय उस के पीछेपीछे चला आया. मां के मन की टोह लेने कुछ मदद करने के बहाने. मालती बड़ी रुखाई से बिना कुछ कहे नमकीन बिस्कुट ट्रे में रखती गई और चाय ले कर बाहर आ गई. निधि बहुतकुछ बातें कर रही थी जिन्हें मालती अनमने मन से सुन रही थी. अजय को मालती के चेहरे से पता चल गया कि उस की मां को निधि जरा भी पसंद नहीं आई.

क्या लड़की है, बाप रे. आते ही ऐसे मस्त हो गई जैसे इस का अपना घर हो. न शरमाना, न कोई  िझ झक, बातबात पर अजय को एकआध धौल जमा रही निधि उन्हें कहीं से भी लड़कियों जैसी नहीं लगी. चलो, ठीक है, आजकल का जमाना है लड़कियां लड़कों से कम नहीं. पर इस तरह किसी लड़की का बिंदासपन उसे अजीब लगा. वह भी तब जब वह पहली बार होने वाली सास से मिल रही हो. मालती पुराने खयालों को ज्यादा नहीं मानती थी पर जब बात बहू चुनने की आई तो एक छवि उस के मन में थी, किसी खूबसूरत सी दिखने वाली लड़की को देखते ही मालती उस के साथ अजय की जोड़ी मिलाने लगती दिल ही दिल में, पर अजय और यह लड़की? मालती की नजरों में यह बेमेल था.

यह सही है कि हर मां को अपना बच्चा सब से सुंदर लगता है. लेकिन अजय तो सच में लायक था. देखने में जितना सजीला, मन का उतना ही उजला.

मालती ने सोचा, आखिर अजय को सारी दुनिया की लड़कियां छोड़ कर एक निधि ही पसंद आनी थी? उस ने लाख चाहा कि अजय अपना इरादा बदल दे निधि से शादी करने का, उस के लिए बहुत से रिश्ते आए और कुछेक सुंदर लड़कियों के. मालती ने फोटो भी छांट कर रख ली थी उसे दिखाने के लिए.

पर, आखिर वही हुआ जो अजय और निधि ने चाहा. बड़ी ही धूमधाम से निधि उस के बेटे की दुलहन बन कर आ गई. अपनी इकलौती बेटी निधि को बहुतकुछ दिया उस के मांबाप ने. लेकिन रिश्तेदारों और जानपहचान वालों की दबीदबी बातें भी मालती तक पहुंच ही गईं. खूब दहेज मिला होगा, एकलौती बेटी जो है अपने मांबाप की, लालच में हुई है यह शादी वगैरहवगैरह.

बेटे की खुशी में ही मालती ने अपनी खुशी ढूंढ़ ली थी. उस के बेटे का घर बस गया. यह एक मां के लिए खुशी की बात थी. वह निधि को घर के कामकाज सिखा देगी, यह मालती ने सोचा. पर मालती को क्या पता था, निधि बिलकुल कोरा घड़ा निकलेगी. घरगृहस्थी के मामलों में, अव्वल तो उसे कुछ आता नहीं था और अगर कुछ करना भी पड़े तो बेमन से करती थी. मालती खुद बहुत सलीकेदार थी. हर काम में कुशल, उसे हर चीज में सफाई और तरीका पसंद था.

शादी के शुरुआती दिनों में मालती ने उसे बहुत प्यार से घर के काम सिखाने की कोशिश की. जिस निधि ने कभी अपने घर में पानी का गिलास तक नहीं उठाया था, उस के साथ मालती को ऐसे लगना पड़ा जैसे कोई नर्सरी के बच्चे को  हाथ पकड़ कर लिखना सिखाता है. एक दिन मालती ने उसे चावल पकाने का काम सौंपा और खुद बालकनी में रखे गमलों में खाद डालने में लग गई. थोड़ी देर बाद रसोई से आते धुएं को देख कर वह  झटपट किचन की ओर भागी. चावल लगभग आधे जल चुके थे. मालती ने लपक कर गैस बंद की.

बासमती चावल पतीले में खिलेखिले बनते हैं, यह सोच कर उस के घर में चावल कुकर में नहीं, पतीले में पकाए जाते थे. वह निधि को तरीका सम झा कर गई थी. उस ने निधि को आवाज दी. कोई जवाब न पा कर वह बैडरूम में आई तो देखा, निधि अपने कानों पर हैडफोन लगा कर मोबाइल में कोई वीडियो देखने में मस्त थी. मालती को उस दिन बहुत गुस्सा आया. इतनी बेपरवाही. अगर वह न होती तो घर में आग भी लग सकती थी. उस ने निधि को उस दिन दोचार बातें सुना भी दीं.

‘सौरी मां’ बोल कर निधि खिसियाई सी चुपचाप रसोई में जा कर पतीले को साफ करने के लिए सिंक में रख आई. उस दिन के बाद मालती ने उसे फिर कुछ पकाने को नहीं कहा कभी. कुछ पता नहीं, कब क्या जला बैठे. और वैसे भी, अजय मां के हाथ का ही खाना पसंद करता था. उस ने भी निधि को टिपिकल वाइफ बनाने की कोई पहल नहीं की. निधि और अजय की कोम्पैटिबिलिटी मिलती थी और दोनों साथ में खुश थे. यही बहुत था मालती के लिए.

पर उस को एक कमी हमेशा खलती रही. वह चाहती थी कि औरों की तरह उस के घर में भी पायल की रुन झुन, चूडि़यों की खनक गूंजे, सरसराता साड़ी का आंचल लहराती घर की बहू रसोई संभाले या छत पर अचारपापड़ सुखाए. कुछ तो हो जो लगे कि नई बहू आई है घर में. शादी के एक हफ्ते बाद ही निधि ने पायल, बिछुए और कांच की चूडि़यां उतार कर रख दी थीं. हाथों में, बस, एक गोल्ड ब्रैसलेट और छोटे से इयर रिंग्स पहन कर टीशर्ट व पाजामे में घूमने लगी थी. मालती ने उसे टोका भी पर उस के यह बोलने पर कि, मां ये सब चुभते हैं, मालती चुप हो गई थी.

छुट्टी वाले दिन दोनों अपने लैपटौप पर या तो कोई मूवी देखते या वीडियो गेम खेलते रहते. मालती अपने सीरियल देखती रहती और कसमसाती रहती कि कोई होता जो उस के साथ बैठ कर यह सासबहू वाले प्रोग्राम देखता. कभी पासपड़ोस में कोई कार्यक्रम होता, तो मालती अकेली ही जाती. लोगबाग पूछते, ‘अरे बहू को क्यों नहीं लाए साथ?’ तो वह मुसकरा कर कोई बहाना बना देती. अब कैसे बोले कि बहू तो वीडियो गेम खेल रही है अपने कमरे में.

कुल मिला कर उस के सपने मिट्टी में मिल गए थे. घर में बहू कम दूसरा बेटा आया हो जैसे. किसी शादीब्याह में भी निधि को खींच कर ले जाना पड़ता था. उसे कोई शौक ही नहीं था सजनेसंवरने का. शादी की इतनी सारी एक से एक कीमती साडि़यां पड़ी थीं, पर मजाल है जो निधि ने कभी पहनने की जहमत उठाई हो.

अपने एक रिश्तेदार की शादी में जयपुर जाना पड़ा मालती को, तो निधि और अजय को खूब सारी हिदायतें दे कर गई. खाना बहुत थोड़ा जल्दी उठ कर बना के फ्रिज में रख जाना. अजय को बाहर का खाना पचता नहीं. पेट अपसैट हो जाता है. फिर राधा को भी 10 दिन के लिए अपने गांव जाना था. ऐसे में घर की जिम्मेदारी उन दोनों पर ही है, मालती उन को बारबार यह बता रही थी. उसे पता था, दोनों लापरवाह हैं, पर जाना जरूरी था.

एक हफ्ते बाद मालती जब वापस घर लौटी तो सुबह की ट्रेन लेट हो कर दिन में पहुंची. स्टेशन से औटो कर के घर पहुंची. एक चाबी उस के पास थी पर्स में. अंदर आ कर सामान वहीं नीचे रख कर वह सोफे पर थोड़ा सुस्ताने बैठी. उस ने सोचा, चाय बनाएगी पहले अपने लिए, फिर फ्रैश होगी. सिर दर्द कर रहा था सफर की थकावट से. एक सरसरी नजर घर पर डाली उस ने पर सफाई का नामोनिशान नजर नहीं आ रहा था. उस के पैरों के पास कालीन पर दालभुजिया बिखरी पड़ी थी.  झाड़ू तक नहीं लगी  थी घर में लगता है उस के जाने के बाद.

वह बुदबुदाती हुई रसोई की तरफ बढ़ी ही थी कि तभी उस के मोबाइल की घंटी बज उठी. अजय के दोस्त का फोन था, ‘‘हैलो बेटा,’’ मालती ने फोन रिसीव किया. दूसरी तरफ से जो उसे सुनाई दिया उसे सुन कर वह धम्म से सोफे पर गिर पड़ी. अजय के दोस्त ने उसे हौस्पिटल का नाम बता कर जल्द आने को कहा. अजय की बाइक को किसी गाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी थी.

आननफानन मालती ज्यों की त्यों हालत में हौस्पिटल के लिए निकल पड़ी. गेट पर ही उसे अजय का दोस्त यश मिल गया था. दोनों कालेज के गहरे दोस्त थे. अजय को आईसीयू में रखा गया था. उस के हाथपैरों में गहरी चोटें आई थीं. पर उस की हालत खतरे से बाहर थी. मालती ने अपनी रुलाई दबा कर बेटे की तरफ देखा. खून से अजय के कपड़े सने थे और न जाने कितनी पट्टियां उस के शरीर पर बंधी थीं.

‘‘आंटी आप बाहर बैठ जाइए,’’ मालती की हालत देख कर यश ने कहा और सहारा दे कर उस ने मालती को आईसीयू के बाहर बैंच पर बिठा दिया. यश ने उसे बताया कि कैसे ऐक्सिडैंट की जानकारी पुलिस से पहले उसे ही मिली थी. निधि अपनी एक सहेली के साथ मूवी देखने गई हुई थी. उस का फोन शायद इसीलिए नहीं मिल पाया. पास के वाटरकूलर से एक गिलास पानी ला कर उस ने मालती को दिया.

मालती ने होशोहवास दुरुस्त करने की कोशिश की. तभी उसे निधि बदहवास भागती आती दिखाई दी. मालती के पास पहुंच कर वह उस से लिपट कर रो पड़ी. मालती, जो बड़ी देर से अपने आंसू रोके बैठी थी, अब अपनी रुलाई नहीं रोक पाई. कुछ संयत हो कर निधि ने अजय को आईसीयू में देखा, बैड पर बेहोश ग्लूकोस और खून की पाइप्स से घिरा हुआ. निधि ने डाक्टर से अजय की हालत के बारे में पूछा और डाक्टर की पर्ची ले कर दवाइयां लेने चली गई. रात को मालती के लाख मना करने के बावजूद निधि ने उसे यश के साथ घर भेज दिया.

सुबह जल्दी उठ कर मालती कुछ जरूरी चीजें एक बैग में और एक थरमस में कौफी भर कर हौस्पिटल पहुंची. निधि की आंखें बता रही थीं कि सारी रात वह सोई नहीं. सो तो मालती भी नहीं पाई थी पूरी रात. निधि ने बैंच पर बैठे एक लंबी अंगड़ाई ली और थरमस से कौफी ले कर पीने लगी. मालती अजय के पास गई. वह होश में था. पर डाक्टर ने बातें करने से मना किया था. मालती को देख कर अजय ने धीरे से मुसकराने की कोशिश की. मालती ने उस का हाथ कोमलता से अपने हाथों में ले लिया और जवाब में मुसकरा दी.

करीब एक हफ्ते बाद अजय डिस्चार्ज हो कर घर आ गया. उस के पैर में अभी भी प्लास्टर लगा था. हड्डी की चोट थी, डाक्टर ने फुल रैस्ट के लिए बोला था. एक महीने के लिए उस ने औफिस से छुट्टी ले ली थी. निधि और मालती दिनरात उस की तीमारदारी में जुट गए. एक महीने के बाद जब अजय के पैर का प्लास्टर उतरा तो उस ने हलकी चहलकदमी शुरू कर दी. मगर समय शायद ठीक नहीं चल रहा था. बाथरूम में फिसलने की वजह से उसे फिर से एक और प्लास्टर लगवाना पड़ा. प्राइवेट जौब में कितने दिन छुट्टी मिलती, तंग आ कर अजय ने रिजाइन दे दिया. निधि और मालती उसे इस हालत में अब बिस्तर से उठने तक नहीं देती थीं.

कहने को तो घर में कोई कमी नहीं थी पर अजय की नौकरी न रहने से मालती को तमाम बातों की चिंता सताने लगी. अजय ने शादी के वक्त नया घर बुक कराया था, जिस की हर महीने किस्त जाती थी. उस के अलावा, घर के खर्चे, अजय की गाड़ी की किस्तें, खुद मालती की दवाइयों का खर्च. हालांकि उसे अपने पति की पैंशन मिलती थी, पर उस के भरोसे सबकुछ नहीं चल सकता था.

निधि ने अपने काम पर जाना शुरू कर दिया था. वह एक लैंग्वेज टीचर थी और पास के एक इंस्टिट्यूट में जौब करती थी. एक दिन उसे घर लौटने में बहुत देर हो गई, तो मालती की त्योरियां चढ़ गईं.

अजय की इस हालत में इतनी देर निधि का यों बाहर रहना मालती को अच्छा नहीं लगा. उस ने सोचा कि अजय भी इस बात पर नाराज होगा. लेकिन उन दोनों को आराम से बातें करते देख उसे लगा नहीं कि अजय को कुछ फर्क पड़ा. हुहूं, बीवी का गुलाम है, बहुत छूट दे रखी है निधि को इस ने, एक बार पूछा तक नहीं, यह सब सोच कर मालती कुढ़ गई थी.

किचन में अजय के लिए थाली लगाती मालती के कंधे पर हाथ रखते हुए निधि बोली, ‘‘मां, आप बैठो अजय के पास, आप दोनों की थाली मैं लगा देती हूं.’’

‘‘रहने दो, तुम दोनों खाओ साथ में, वैसे भी दिनभर अजय अकेला बोर हो जाता है तुम्हारे बिना,’’ मालती कुछ रुखाई से बोली.

‘‘सौरी मां, अब से मु झे आते देर हो जाया करेगी, मैं ने एक और जगह जौइन कर लिया है. तो कुछ घंटे वहां भी लग जाएंगे,’’ निधि ने उस के हाथ से प्लेट लेते हुए बताया.

‘‘तुम ने अजय को बताया क्या?’’

‘‘मां, मैं ने अजय से पहले ही पूछ लिया था और वैसे भी, कुछ ही घंटों की बात है, तो मैं मैनेज कर लूंगी.’’

‘‘ठीक है, अगर तुम दोनों को सही लगता है तो, लेकिन देख लो, थक तो नहीं जाओगी? तुम्हें आदत नहीं इतनी मेहनत करने की,’’ मालती ने अपनी तरफ से जिम्मेदारी निभाई.

‘‘आप चिंता मत करो मां. बस, कुछ दिनों की तो बात है.’’

मालती ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की घर के फालतू खर्चे कम करने की. वह अब थोड़ी कंजूसी से भी चलने लगी थी. सब्जी और फल लेते समय भरसक मोलभाव करती थी. उसे लगा निधि अपने खर्चों पर लगाम नहीं लगा पाएगी. पर जब से अजय का ऐक्सिडैंट हुआ था, निधि की आदतों में फर्क साफ नजर आता था. जो लड़की फर्स्ट डे फर्स्ट शो मूवी देखती थी, तकरीबन रोज ही शौपिंग, आएदिन अजय के साथ बाहर डिनर करना जिस के शौक थे, वह अब बड़े हिसाबकिताब से चलने लगी थी. और तो और, घर के कामों को भी वह मालती के तरीके से ही करने की कोशिश करती थी.

मालती उस में आए इस बदलाव से हैरान थी. एक तरह से निधि ने घर की सारी जिम्मेदारी उठा ली थी. अजय भी थोड़ा बेफिक्र हो गया था. उसे निधि पर पूरा भरोसा था. पर मालती को एक तरह से यह बात चुभती थी कि बहू हो कर  वह बेटे की तरह घर चला रही है. आखिर, बहू तो बहू होती है, मालती सोचती थी.

एक दिन सुबह पार्क जाने से पहले मालती अजय के कमरे में आई. उस की बीपी की दवाई खत्म हो गई थी.

‘‘अजय, मु झे कुछ पैसे दे दे, दवाई लेनी है. पार्क के रास्ते में कैमिस्ट से  ले लूंगी.’’

‘‘लेकिन मां, मेरे पास कैश नहीं है, तुम निधि से ले लो,’’ अजय टीवी पर नजरें गड़ाए हुए बोला.

रहने दे, बाद में ले लूंगी जब एटीएम से पैसे निकालूंगी, ‘‘मालती ने जवाब दिया. निधि के सामने वह हाथ नहीं  फैलाना चाहती थी. बाहर आ कर उस ने पार्क ले जाने वाला बैग उठाया, तो उस के नीचे नोट रखे थे. मालती सम झ गई कि निधि ने चुपचाप से पैसे रखे होंगे ताकि मालती को उस से मांगना न पड़े. जब वह अजय से बात कर रही थी तो निधि बाथरूम में थी. शायद, उस ने उन दोनों की बातचीत सुन ली थी.

मालती को फिजियोथेरैपिस्ट के पास जाना पड़ता था. अकसर उसे पीठ और कमरदर्द की तकलीफ रहती थी. उस ने सोचा, यह खर्च कम करना चाहिए, तो जाना बंद कर दिया. लेकिन तबीयत खराब रहने लगी. अजय को पता चला तो बहुत नाराज हो गया. निधि पास में बैठी लैपटौप पर कुछ काम कर रही थी.

‘‘बेकार में पैसे खर्च होते हैं,’’ मालती ने सफाई दी, ‘‘पार्क में सब कसरत करते हैं, मैं भी वही किया करूंगी.’’

‘‘मां, अब से आप को क्लिनिक जाने की जरूरत नहीं, फिजियोथेरैपिस्ट यहीं घर पर आ कर आप को ट्रीटमैंट देगा,’’ निधि ने मालती से कहा.

‘‘नहीं, नहीं, इस में तो ज्यादा फीस लगेगी, रहने दो ये सब,’’ मालती को बात जंची नहीं.

‘‘मां, आप की तबीयत ठीक होना ज्यादा जरूरी है और आप के साथसाथ डाक्टर अजय को भी देख लेगा,’’ निधि ने तर्क दिया.

‘‘ठीक तो है मां, तुम घर पर ही आराम से ट्रीटमैंट करवाओ, क्लिनिक के चक्कर लगाने की जरूरत क्या है,’’ अजय ने उसे आश्वस्त किया.

अजय की तबीयत धीरेधीरे सुधरने लगी थी. निधि ने अपनी मेहनत से घर में कोई कमी नहीं आने दी. सबकुछ उस ने संभाल लिया था. घर और गाड़ी की किस्तें, महीने का घरखर्च, डाक्टर की फीस सब उस के पैसों से चल रहा था.

निधि के मांबाप 2 दिन पहले ही अमेरिका में रह रहे अपने बेटे के पास से लौटे थे. आते ही वे अजय को देखने आ गए थे. निधि उस वक्त औफिस  में थी.

आइए, चाय पी लीजिए, मालती अजय के पास बैठी निधि की मां से बोली. अजय अपने ससुरजी से बातें कर रहा था. ट्रे में 2 कप चाय उस ने अजय और निधि के पापा के लिए वहीं एक टेबल पर रख दी.

‘‘अरे, आप ने ये सब तकलीफ क्यों की, हम तो बेटी के घर कुछ खातेपीते नहीं,’’ निधि की मां कुछ सकुचा कर बोली.

‘‘छोडि़ए न बहनजी, पुराने रिवाज, आज की बहुएं क्या बेटों से कम हैं,’’ अकस्मात मालती के मुंह से निकल पड़ा.

दोनों चाय पीने लगीं. ‘‘निधि और अजय की शादी के बाद से आप से ठीक से मिलना नहीं हो पाया. आप तो जानती हैं, शादी के तुरंत बाद हमें बेटे के पास जाना पड़ा, इसलिए कभी आप से एकांत में बातें करने का मौका ही नहीं मिला,’’ निधि की मां कुछ गमगीन हो कर बोली.

‘‘हांजी, मु झे पता है, आप का जाना जरूरी था. यह तो समय का खेल है. जान बच गई अजय की, यह गनीमत है.’’

‘‘निधि को अब तक आप जान गई होंगी. अपने पापा की लाड़ली रही है शुरू से. मैं ने भी ज्यादा कुछ सिखाया नहीं उस को, मां हूं उस की, कितनी लापरवाह है, यह मैं जानती हूं. आप को बहुतकुछ सम झाना पड़ता होगा उसे. एक बेटी से बहू बनने में उसे थोड़ा वक्त लगेगा. उस की नादानियों का बुरा मत मानिएगा. बस, यही कहना चाहती थी आप से.’’

जिस दिन से अजय की शादी निधि से हुई थी मालती को हमेशा निधि में कोई न कोई गलती नजर आती थी, उस ने सोचा था कि कभी मौका मिलेगा तो निधि की मां से खूब शिकायतें करेगी कि बेटी को कुछ नहीं सिखाया. लेकिन आज न जाने क्यों मालती के पास कुछ नहीं था निधि की शिकायत करने को, उल्टा उसे बुरा लगा, ऐसा लगा निधि उस की अपनी बेटी है और कोई दूसरा उस की बुराई कर रहा है.

‘‘आप से किस ने कहा कि मु झे निधि से कोई परेशानी है. हर लड़की बेटी ही जन्म लेती है. बहू तो उसे बनना पड़ता है. लेकिन यह मत सम िझए कि निधि एक कुशल बहू नहीं है. आप कभी यह मत सोचिए कि हम खुश नहीं हैं. निधि अब मेरी बेटी है,’’ मालती कुछ रुंधे गले से बोली, उसे खुद यकीन नहीं हो रहा था कि वह यह सब बोल रही थी. पर ये शब्द दिल की गहराई से निकले थे, बिना किसी बनावट के.

एक बेटी की मां के चेहरे पर जो खुशी होती है, वह खुशी दोनों मांओं के चेहरे पर थी.

रात में खाना खाने के बाद मालती बालकनी में रखी कुरसी पर बैठी दूर

से जगमग करती शहर की रोशनी देख रही थी.

हाथ में कौफी का मग लिए निधि उस के पास आ कर धीरे से एक स्टूल ले कर बैठ गई.

‘‘मां, यह आप का टिकट है इलाहबाद का,’’ निधि ने ट्रेन का टिकट उस की तरफ बढ़ा दिया.

‘‘अरे, लेकिन मैं ने तो बोला ही नहीं जाने के लिए, हर शादी में जाना जरूरी नहीं है मेरा,’’ मालती बोली.

‘‘अरे वाह, क्यों नहीं जाएंगी आप? मामाजी को बुरा लगेगा अगर हमारे घर से कोईर् भी इस शादी में नहीं गया. सौरी मां, मैं ने आप से बिना पूछे टिकट ले लिया है. अजय और मु झे लगता है आप को जाना चाहिए.’’

‘‘वह तो ठीक है. पर अभी अजय को मेरी जरूरत है. तुम तो औफिस चली जाओगी. वापस आ कर घर का काम, कितना थक जाओगी. मैं तुम दोनों को छोड़ कर नहीं जा पाऊंगी. मन ही नहीं लगेगा मेरा वहां,’’ मालती ने इसरार किया.

‘‘अजय की तबीयत अब काफी ठीक है. अब तो वे जौब के लिए एकदो इंटरव्यू देने की भी सोच रहे हैं, आप बेफिक्र हो कर जाइए मां.’’

मालती ने निधि के चेहरे की तरफ देखा. वह बहुत सादगी से बोल रही थी, न कोई बनावट न कोई  झूठ. मेरी सगी बेटी भी होती तो इस से बढ़ कर और क्या करती इस घर के लिए. निधि ने बहू का ही नहीं, बेटे का फर्ज भी निभा कर दिखा दिया था. बस, वह खुद ही अपनी सोच का दायरा बढ़ा नहीं पाई. हमेशा उसे अपने हिसाब से ढालना चाहती रही. निधि की सचाई, उस के अपनेपन और इस घर के लिए उस के समर्पण को अब जा कर देख पाई मालती. क्या हुआ अगर उस के तरीके थोड़े अलग थे. लेकिन वह गलत तो नहीं. आज मालती ने अपना नजरिया बदला तो आंखों में जमी गलतफहमी की धूल भी साफ हो गई थी.

मालती ने निधि का हाथ अपने हाथों में लिया और शहद घुले स्वर में बोली, ‘‘थैंक्यू बेटा, हमारे घर में आने के लिए,’’ कुछ आश्चर्य और खुशी से निधि ने उसे देखा और बड़े प्यार से उस के गले लग गई.   द्य

मालती कुनमुना कर रह गई. उस ने उम्मीद की थी कि निधि कुछ नानुकुर करेगी कि नहीं, मैं नहीं दे पाऊंगी, टाइम नहीं है, औफिस के लिए लेट हो जाएगा वगैरहवगैरह. पर यहां तो उस के हाथ से एक और वाकयुद्ध का मौका निकल गया.

मालती उस में आए इस बदलाव से हैरान थी. एक तरह से निधि ने घर की सारी जिम्मेदारी उठा ली थी. अजय भी थोड़ा बेफिक्र हो गया था. उसे निधि पर पूरा भरोसा था. पर मालती को एक तरह से यह बात चुभती थी कि बहू हो कर वह बेटे की तरह घर चला रही है.

TMKOC : ‘तारक मेहता’ को छोड़ चुके हैं कई कलाकार, शो के प्रोडयूसर पर लगे थे गंभीर आरोप

Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah : टीवी का कौमेडी सीरियल ‘तारक मेहता उल्टा चश्मा’ दर्शकों को खूब पसंद आता है. यह शो 16 साालों से लोगों को मनोरंजन करने में कामयाब रहा है. फैंस के बीच यह शो अपने किरदारों के नाम से भी फेमस है. कुछ दिनों पहले ही इस शो में गोली का किरदार निभाने वाले एक्टर कुश शाह ने शो को क्विट कर दिया. जिससे फैंस काफी निराश हुए. हालांकि इस कलाकार के अलावा भी कई कलाकारों ने इस शो को अलविदा कह दिया है. आइए जानते हैं उन एक्टर्स के बारे में, जिन्होंने इस शो को छोड़ दिया है.

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दिशा वकानी

दिशा वकानी यानी दया बेन कई सालों से इस शो में नजर नहीं आती है. उन्होंने 6 साल पहले ही मैटरनिटी लीव ली थी, लेकिन अब तक इस शो में उनकी वापसी नहीं हुई. हालांकि दयाबेन के इस शो में कमबैक को लेकर कई तरह की खबरें आईं. बाद में ये भी खबर आई कि दिशा वकानी ने इस शो को अलविदा कह दिया है.

दिशा वकानी इस किरदार से घरघर में पौपुलर हुईं. दया बेन का क्यूट अंदाज दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहा. आज भी लोग इस किरदार को याद करते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिशा वकानी अपनी फैमिली पर फोकस कर रही हैं.

राज अंदकत

‘तारक मेहता’ में इस कालाकार ने टप्पू का किरदार निभाया था. काफी समय से वह इस शो के हिस्सा नहीं है. अब ये कलाकार सोशल मीडिया के माध्यम से अपने फैंस से जुड़े रहते हैं. वह अक्सर फोटोज और वीडियोज शेयर करते रहते हैं. जब उन्होंने ये शो छोड़ा था तो काफी भावुक हो गए थे, इस सफर के बारे में राज ने बात करते हुए कहा था कि शो के साथ मेरी कई यादें जुड़ी हुई है. मैंने इस शो से बहुत कुछ कमाया है और मैंने कई उतारचढ़ाव भी देखे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक राज अनादकट ने इस शो के छोड़ने का कारण बताया कि वह अपने करियर में ग्रोथ चाहते थे इसलिए इस शो को छोड़ा. राज ने 5 सालों तक इस शो में काम किया है और 1000 से ज्यादा एपिसोड्स के हिस्सा रहे हैं.

शैलेश लोढ़ा

शैलेश लोढ़ा ने इस शो के छोड़ने की वजह खुल कर बताई. एक इंटरव्यू के अनुसार, एक्टर ने बताया कि उनके साथ कुछ पंगा हो गया था इस वजह से उन्हें इस शो को अलविदा कहना पड़ा. उनकी अनबन तारक मेहता के प्रोडयूसर असित मोदी के साथ हुई थी जिसके कारण शैलेश लोढ़ा ने इस शो को छोड़ दिया. शो में शैलेश की जगह किसी अन्य एक्टर ने ली है.

तारक मेहता के और कई कलाकारों ने इस शो को छोड़ दिया है. जिसमें सोनू का किरदार निभाने वाली झील मेहता, मिस्टर सोढ़ी (गुरु चरण सिंह), जेनिफर मिस्त्री और कई एक्टर्स ने इस शो को अलविदा कह दिया. इस शो को छोड़ने का हर किसी की अलगअलग वजह है. हालांकि यह शो अब भी दर्शकों का दील जीत रहा है. लोगों के हंसाने में यह शो कामयाब रहा है.

तारक मेहता के प्रोडयूसर पर लगे कई गंभीर आरोप

इस शो के निर्माता असित कुमार मोदी पर कई आरोप लग चुके हैं. बीते साल ही जेनिफर मिस्त्री ने असित पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था. रिपोर्ट के मुताबिक जेनिफर ने बताया था कि उन्हें जानबूझकर शो के प्रोड्यूसर असित मोदी, प्रोजेक्ट हैड सोहेल रमानी और एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर जतिन बजाज ने होली के दिन देर रात तक रोक कर रखा था. इसके बाद सभी ने मिलकर उनके साथ बदतमिजी की थी. जिसके कारण वह काफी परेशान रहीं. हालांकि असित मोदी ने जेनिफर के इस इल्जाम पर उन्होंने सफाई भी दी थी. खबरों के अनुसार, इस केस में जेनिफर की जीत हुई.

प्रधानमंत्री के बाद श्रद्धा कपूर ने फौलोअर्स के मामले में ‘देसी गर्ल’ को दी कड़ी टक्कर

‘वो स्त्री है कुछ भी कर सकती है’, ये डायलौग श्रद्धा कपूर पर फिट बैठता है.. आजकल एक्ट्रैस सोशल मीडिया पर अपने फैन फौलोइंग को लेकर खूब सुर्खियां बटोर रही हैं.. क्योंकि उनकी फिल्म ‘स्त्री 2’
बौक्स औफिस पर काफी धमाल कर रही है..

बौलीवुड की टैलेंटेड एक्ट्रैस श्रद्धा कपूर की सक्सेस दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है.. इन दिनों उनकी नई हौरर कौमेडी फिल्म ‘स्त्री 2’ ने दुनियाभर में 589 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर लिया है.

स्त्री ने पहले प्रधानमंत्री मोदी को पछाड़ा-

श्रद्धा की फिल्म ‘स्त्री2’ रिलीज होने के बाद उनकी फैन फौलोइंग की लिस्ट अचानक और बढ़ गई है.. स्त्री ने फौलोअर्स की रेस में पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मात दी.. पीएम के फौलोअर्स 91.3 हैं.. श्रद्धा अब मोदी को पीछे करती हुई प्रियंका चोपड़ा के बराबर पहुच गई है..

फौलोअर्स रेस में आगे-

श्रद्धा कपूर के इंस्टाग्राम फौलोअर्स की लिस्ट में दिन पर दिन होती बढ़ोतरी ने उन्हें आज 92.5 मिलियन तक पहुंचा दिया है ऐसे में वो फौलोअर्स की रेस में देशी गर्ल प्रियंका चोपड़ा के बराबर पहुंच गई है..

टौप 2 पर दावेदारी-

आपको बता दे अब तक प्रियंका चोपड़ा 91.8 मिलियन फौलोअर्स के साथ इंडिया की मोस्ट इंस्टाग्राम फौलोअर्स की लिस्ट में टौप 2 पर थी लेकिन अब इस रैंक की लिस्ट में दो स्त्री दावेदार हो गई हैं. 2 दिन पहले ही श्रद्धा कपूर ने 91.4 मिलियन फौलोअर्स के साथ पीएम नरेंद्र मोदी को पछाड़ा था..

फिल्म ‘स्त्री 2’ इन दिनों बौक्स औफिस पर छाई हुई ये फिल्म अमर कौशिक द्वारा निर्देशित, निरेन भट्ट द्वारा लिखित है.. ये फिल्म 2018 में आई ‘स्त्री’ का सीक्वल है.. इस फिल्म में श्रद्धा कपूर के साथ राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, अभिषेक बनर्जी और अपारशक्ति खुराना जैसे स्टार है ‘स्त्री 2’ की सफलता पर औडियंस अपना भरपूर प्यार लुटा रही है.. कमाई के मामले में स्त्री 2 हर दिन नए रिकौर्ड अपने नाम कर रही है..

अर्जुन रामपाल ने कुत्ते के काटने को बताया लव बाइट, देखें Photos

51 वर्षीय एक्टर अर्जुन रामपाल दो बीवियां के पति और चार बच्चों के पिता हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की जिसमें फोटो के जरिए शरीर के कई हिस्से में लव बाईट के निशान दिखाएं. जिसे देखकर उनके फैंस और व्यूवर्स आश्चर्यचकित हो गए . अर्जुन रामपाल ने अपने लव बाइट की फोटो के साथ एक पोस्ट भी शेयर की जिसमे उन्होंने अपने पालतू कुत्ते का जिक्र करते हुए बताया यह लव बाइट के निशान किसी इंसान के नहीं बल्कि उनके प्यारे कुत्ते के हैं.

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इंटरनेशनल डौग डे पर अपने डौग ब्रैंडो का निस्वार्थ प्यार का जिक्र करते हुए अर्जुन रामपाल ने अपने प्यारे कुत्ते पर सोशल मीडिया पर प्यार लुटाया और कहा ब्रांडों के लव बाइट्स मैं हमेशा ले सकता हूं. क्योंकि वह दुनिया में सबसे प्यारा है.

प्रिया एटली ने फैंस की बढ़ाई एक्साइटमेंट, आज की बड़ी घोषणा की दिखाई झलक

साउथ सिनेमा के ब्लौकबस्टर डायरेक्टर एटली की पत्नी, प्रिया एटली भारतीय सिनेमा में फेमस एक्ट्रेस और प्रोड्यूसर हैं. हाल ही में प्रिया एटली ने एक खास वीडियो के साथ पूरे सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, जिसमें उन्होंने 30 अगस्त 2024 को एक बड़े खुलासे के संकेत दिए हैं.

प्रिया ने वीडियो किया जारी-

जैसे ही प्रिया ने वीडियो जारी किया. फैंस और औडियंस की एक्ससाइटमेंट बढ़ती ही जा रही है. हालांकि, अभी तक कुछ खास खुलासा नहीं हुआ है, क्योंकि घोषणा वीडियो में कुछ पासे और एक रेड कलर का कपड़ा दिखाया गया है. जिससे फैंस ने अपनेअपने हिसाब से थ्योरी बनानी शुरू कर दी है, और टीम की ओर से एक नई फिल्म की घोषणा का अनुमान लगाया है.

बढ़ती एक्ससाइटमेंट

एक्ससाइटमेंट को बढ़ाते हुए, प्रिया एटली ने लिखा, “बड़ा खुलासा होने वाला है… हम आपको दिखाने के लिए इंतजार नहीं कर सकते कि हम क्या काम कर रहे हैं! कोई अनुमान??

30 अगस्त को अनावरण ❤️

#PriyaAtlee #BigRevealOnAug30 #comingsoon”

आपको बता दें प्रिया मोहन बेहद खूबसूरत हैं. वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. उनके 1.3 मिलियन फौलोअर्स हैं. प्रिया अक्सर हस्बैंड एटली के साथ या फिर अपनी सोलो फोटोज शेयर करती रहती हैं.

प्रिया का फिल्मी सफर

प्रियामोहन एटली ‘नान महान अल्ला’, ‘रेड चिलीस’, ‘युवा रत्ना’ और ‘साइको वर्मा’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. प्रिया ने साल 2014 में एटली के साथ शादी की थी. अब एक बेटे की मां भी है. अब आप नजर बना कर रखे, क्योंकि प्रिया एटली 30 अगस्त 2024 को एक बड़ा खुलासा करने जा रही हैं.

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