बाथरूम में छोटेछोटे जीवित कृमि निकलते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 साल है. पखाने में छोटेछोटे जीवित कृमि निकलते हैं. दवा लेने पर कुछ दिन आराम रहता है, पर कुछ समय बाद फिर से कृमि निकलने लगते हैं. कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं जिस से इस समस्या का स्थायी हल पा सकूं?

जवाब-

ये कृमि पिन वर्म कहलाते हैं और ये या तो दूषित पानी पीने से या फिर दूषित भोजन से शरीर में दाखिल होते हैं. पिन वर्म से बचाव के लिए आप भोजन करने से पहले अपने हाथ साबुन से जरूर धोएं. अपने नाखूनों को हर हफ्ते काटा करें. सभी वस्त्रों को अच्छी तरह धो कर उन्हें धूप लगाएं. बिस्तर को भी अच्छी तरह साफ करें. पीने के लिए स्वच्छ जल का ही प्रयोग करें.

अब सिर्फ आप ही दवा न लें, बल्कि घर के बाकी सदस्यों को भी दवा लेने के लिए प्रेरित करें. ये सावधानियां बरतने पर दोबारा संक्रमण नहीं होगा और आप इन कृमियों से आगे बची रहेंगी.

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साफ-सुथरा बाथरूम आपकी हेल्थ और ब्यूटी दोनों के लिए बहुत जरूरी है. घर के साथ-साथ बाथरूम की साफ-सफाई भी बहुत जरूरी है. आपके साफ बाथरूम को देखकर आपके मेहमान भी आपकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे और बार-बार आपके घर आएंगे. बाथरूम की सजावट के लिए आप कोई भी प्रयोग कर सकती हैं. मिक्स एंड मैच करने के लिए सबसे सुरक्षित जगह बाथरूम ही है. क्योंकि अगर कोई गड़बड़ हो भी गई तो ज्यादा टेंशन नहीं है.

पर कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम बाथरूम में रखते हैं. ऐसी चीजों को बाथरूम में रखना खतरनाक साबित हो सकता है. ये वो चीजें जिनका खराब होने का रिस्क तो रहता ही है पर इसके साथ ही आपके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ने की संभावनाएं भी रहती हैं.

इन चीजों को बाथरूम में रखने से बचें

1. टूथब्रश

बहुत से लोग बेसिन नहीं, बल्कि बाथरूम के अंदर ही टूथब्रश रखते हैं. पर बाथरूम में टूथब्रश नहीं रखना चाहिए. इसके दो कारण है- पहला, अगर आप अपने टूथब्रश में कवर नहीं लगाती हैं तो उन पर टॉयलेट के जीवाणुओं के आक्रमण का खतरा रहेगा. दूसरा बाथरूम की नमी के कारण बैक्टीरिया बड़ी आसानी से आपके टूथब्रश पर घर बना सकते हैं.

अपने टूथब्रश को किसी अंधेरी जगह पर रखना बेहतर है. 3-4 महीनों में टूथब्रश को बदलना न भूलें.

2. रेजर ब्लेड

आपके घर पर भी एक से ज्यादा रेजर ब्लेड एक साथ खरीदे जाते होंगे और आप इन्हें बाथरूम में ही रखती होंगी. पर बाथरूम की नमी रेजर ब्लेड के लिए अच्छी नहीं है. ज्यादा नमी के कारण रेजर ब्लेड पर जंग भी लग सकते हैं.

आंखें: श्वेता ने कैसे सिखाया सबक

‘‘इसअलबम में ऐसा क्या है कि तुम इसे अपने पास रखे रहते हो?’’ विनोद ने अपने साथी सुरेश के हाथ में पोर्नोग्राफी का अलबम देख कर कहा.

‘‘टाइम पास करने और आंखें सेंकने के लिए क्या यह बुरा है?’’

‘‘बारबार एक ही चेहरा और शरीर देख कर कब तक दिल भरता है?’’

‘‘तब क्या करें? किसी गांव में नदी किनारे जा कर नहा रही महिलाओं का लाइव शो देखें?’’ सुरेश ने कहा.

‘‘लाइव शो…’’ कह कर विनोद खामोश हो गया.

‘‘क्या हुआ? क्या कोई अम्मां याद आ गई?’’

‘‘नहीं, अम्मां तो नहीं याद आई. मैं सोच यह रहा हूं कि यहां दर्जनों लेडीज रोज आती हैं. क्या लाइव शो यहां नहीं हो सकता?’’

‘‘अरे यहां लेडीज कपड़े खरीदने आती हैं या लाइव शो करने?’’

दोपहर का वक्त था. इस बड़े शोरूम का स्टाफ खाना खाने गया हुआ था. विनोद और सुरेश इस बड़े शो रूम में सेल्समैन थे. इन की सोचसमझ बिगड़े युवाओं जैसी थी. खाली समय में आपस में भद्दे मजाक करना, अश्लील किताबें पढ़ना और ब्लू फिल्में व पोर्नोग्राफी का अलबम रखना इन के शौक थे.

लाइव शो शब्द सुरेश के दिमाग में घूम रहा था. रात को शोरूम बंद होने के बाद वह अपने दोस्त सिकंदर, जो तसवीरों और शीशों की फिटिंग की दुकान चलाता था, के पास पहुंचा.

ड्रिंक का दौर शुरू हुआ. फिर सुरेश में उस से कहा, ‘‘सिकंदर, कई कारों में काले शीशे होते हैं, जिन के एक तरफ से ही दिखता है. क्या कोई ऐसा मिरर भी होता है जिस में दोनों तरफ से दिखता हो?’’

‘‘हां, होता है. उसे टू वे मिरर कहते हैं. क्या बात है?’’

‘‘मैं फोटो का अलबम देखतेदेखते बोर हो गया हूं. अब लाइव शो देखने का इरादा है.’’

सुरेश की बात सुन कर सिकंदर हंस पड़ा. अगले 2 दिनों के बाद सिकंदर शोरूम के ट्रायल रूम में लगे मिरर का माप ले आया. फिर 2 दिन बाद जब मैनेजर और अन्य स्टाफ खाना खाने गया हुआ था, वह साधारण मिरर हटा कर टू वे मिरर फिट कर आया. एक प्लाईवुड से ढक कर टू वे मिरर की सचाई भी छिपा दी.

फिर यह सिलसिला चल पड़ा कि जब भी कोई खूबसूरत युवती ड्रैस ट्रायल या चेंज करने के लिए आती, विनोद या सुरेश चुपचाप ट्रायल रूम के साथ लगे स्टोर रूम में चले जाते और प्लाईवुड हटा न्यूड बौडी का नजारा करते. ‘‘क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इस लाइव शो को कैमरे में भी कैद कर लिया जाए?’’ विनोद के इस सवाल पर सुरेश मुसकराया.

अगले दिन उस के एक फोटोग्राफर मित्र ने एक कैमरा स्टोररूम में फिट कर दिया. अब विनोद और सुरेश कभी लाइव शो देखते तो कभी फोटो भी खींच लेते. काफी दिन यह सिलसिला चलता रहा. गंदे दिमाग में घटिया विचार पनपते ही हैं, इसलिए विनोद और सुरेश यह सोचने लगे कि जिन की फोटो खींचते हैं उन को ब्लैकमेल कर पैसा भी कमाया जा सकता है.

उन के द्वारा बहुत से लोगों के फोटो खींचे गए थे, जिन में से एक श्वेता भी थी. श्वेता एक मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे पद पर काम करती थी. उस के पति प्रशांत भी एक बड़ी कंपनी में मैनेजर थे, इसलिए घर में रुपएपैसे की आमद खूब थी. श्वेता द्वारा फैशन परिधान अकसर खरीदे जाते थे और कुछ दिन इस्तेमाल होने के बाद रिटायर कर दिए जाते थे. कौन सा परिधान कब खरीदा और उसे कितना पहना था श्वेता को कभी याद नहीं रहता था.

आज वह जल्दी घर आ गई थी. अभी बैठी ही थी कि कालबैल बजी. दरवाजा खोला तो देखा सामने कूरियर कंपनी का डिलिवर बौय था. श्वेता ने यंत्रचालित ढंग से साइन किया तो वह लड़का एक लिफाफा दे कर चला गया. श्वेता ने लिफाफा खोला तो अंदर पोस्टकार्ड साइज के 2 फोटो थे. उन्हें देखते ही वह जड़ हो गई.

एक फोटोग्राफ में वह कपड़े उतार कर खड़ी थी, तो दूसरे में झुकती हुई एक परिधान पहन रही थी. फोटो काफी नजदीक से खींचे गए थे. लेकिन कब खींचे थे, किस ने खींचे थे पता नहीं चल रहा था.

चेहरा तो उसी का था यह तो स्पष्ट था, लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं था कि किसी दूसरी युवती के शरीर पर उस का चेहरा चिपका दिया गया हो?

तभी कालबैल बजी. उस ने फुरती से लिफाफे में फोटो डाल कर इधरउधर देखा. कहां छिपाए यह लिफाफा वह सोच ही रही थी कि उसे अपना ब्रीफकेस याद आया. लिफाफा उस में डाल उस ने उसे सोफे के पीछे डाल दिया. फिर की होल से देखा तो बाहर उस के पति प्रशांत खड़े मंदमंद मुसकरा रहे थे. दरवाजा खुलते ही अंदर आए और दरवाजा बंद कर के पत्नी को बांहों में भर लिया.

‘‘श्वेता डार्लिंग, क्या बात है, सो रही थीं क्या?’’

श्वेता बेहद मिलनसार और खुले स्वभाव की थी. पति से बहुत प्यार करती थी और प्यार का भरपूर प्रतिकार देती थी. मगर आज खामोश थी.

‘‘क्या बात है, तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘जरा सिर भारी ह. आप आज इतनी जल्दी कैसे आ गए?’’

‘‘कंपनी के टूर पर गया था. काम जल्दी निबट गया इसलिए सीधा घर आ गया. चाय पियोगी? तुम आराम करो मैं किचन संभाल लूंगा.’’

प्रशांत किचन में चला गया. तभी श्वेता का मोबाइल बज उठा. एक अनजान नंबर स्क्रीन पर उभरा. क्या पता उसी फोटो भेजने वाले का नंबर हो सोचते हुए श्वेता ने मोबाइल का स्विच औफ कर दिया.

तभी प्रशांत ट्रे में चाय और टोस्ट ले आए.

‘‘श्वेता यह सिर दर्द की गोली ले लो और टोस्ट खा लो. चाय भी पी लो. आज किचन का जिम्मा मेरा.’’

ट्रे थमा प्रशांत किचन में चले गए. इतने प्यारे पति को बताऊं या न बताऊं यह सोचते हुए श्वेता ने सिरदर्द की गोली बैड के नीचे डाल दी और टोस्ट चाय में भिगो कर खा लिया. फिर चाय पी और लेट गई. समस्या का क्या समाधान हो सकता है? यह सोचतेसोचते कब आंख लग गई पता ही नहीं चला. आंखें खुली तो देखा पास ही लेटे प्रशांत पुस्तक में डूबे थे.

‘‘कैसी तबीयत है?’’ प्यार से माथे पर हाथ फिराते हुए प्रशांत ने पूछा.

‘‘आई एम फाइन,’’ मुसकराते हुए श्वेता ने कहा.

‘‘खाना तैयार है.’’

‘‘अच्छा, क्याक्या बनाया है?’’

‘‘जो हमारी होममिनिस्टर को पसंद है.’’

हंसती हुई वह किचन में गई. कैसरोल में उस के पसंदीदा पनीर के परांठे थे और चिकनकरी और मिक्स्ड सब्जी थी. सलाद भी कटा हुआ प्लेट में लगा था. प्रशांत नए जमाने के उन पतियों जैसे थे, जो पत्नी पर रोब न जमा हर काम में हाथ बंटाते हैं. श्वेता का तनाव काफी कम हो चला था. अगले दिन सुबह वह किचन में थी कि प्रशांत तैयार हो कर आ गए.

‘‘श्वेता डार्लिंग, मुझे कंपनी के काम से हैदराबाद जाना है. 1 घंटे बाद की फ्लाइट है. शाम को थोड़ा लेट आऊंगा,’’ कहते हुए प्रशांत बाहर निकल गए.

उन के जाने के बाद उसे मोबाइल फोन का ध्यान आया. वह लपक कर बैडरूम में गई और मोबाइल का स्विच औन किया. चंद क्षणों के बाद कल शाम वाला नंबर फिर स्क्रीन पर उभरा. सुनूं या न सुनूं सोचते हुए उस ने मोबाइल को बजने दिया. थोड़ी देर बाद तो उस ने फोटो निकाल कर देखे पर ड्रैस कौन सी थी स्पष्ट नहीं था. कैबिन भी जानापहचाना नहीं था. ऐसी कैबिन लगभग हर शोरूम में होती है. यह ड्रैस कौन सी है यह समझ में आता तो पता चल जाता कि यह कब और कहां से खरीदी थी. तभी मोबाइल की घंटी फिर से बजी. वही नंबर फिर उभरा. उस ने इस बार मोबाइल औन कर मोबाइल कान से लगा लिया मगर बोली कुछ नहीं.

‘‘हैलो, हैलो,’’ दूसरी तरफ से कोई बोला लेकिन वह खामोश रही.

‘‘जानबूझ कर नहीं बोल रही,’’ किसी ने किसी दूसरे से कहा.

‘‘हम से चालाकी महंगी पड़ेगी. हम ये फोटो इंटरनैट पर जारी कर देंगे,’’ उन में से कोई एक बोला.

श्वेता ने औफ का बटन दबा दिया. थोड़ी देर बाद फिर मोबाइल की घंटी बजी. इस बार स्क्रीन पर वही बात मैसेज के रूप में उभरी, जो फोन पर बोली गई थी. उस ने फिर औफ का बटन दबा दिया. उस के बाद मोबाइल की घंटी कई बार बजी लेकिन उस ने ध्यान नहीं दिया. अब क्या करें? आज काम पर जाएं? मगर काम कैसे हो सकेगा? सोचते हुए उस ने थोड़ी देर बाद कंपनी में फोन कर दिया.

फिर उस ने फोटो के लिफाफे को गौर से देखा, तो जाना कि फोटो मलाड के एक फोटो स्टूडियो में बने थे. स्टूडियो के पते के नीचे 2 फोन नंबर भी थे. अपने मोबाइल से उस ने दोनों नंबर पर फोन किया मगर दोनों के स्विच औफ थे. अब यह देखना था कि मलाड वाला पता भी असली है या नहीं. उस के लिए मलाड जाना पड़ेगा, उस ने सोचा.

उस ने फोटो फिर ध्यान से देखे. ड्रैस कौन सी है यही पता चल जाए तब याद आ जाएगा कि ड्रैस कहां से खरीदी थी. फोटो के इनलार्ज प्रिंट द्वारा शायद पता लग सके कि ड्रैस कौन सी है. उस के घर में नई तकनीक का डिजिटल कैमरा था. उस ने उस से हाथ में पकड़ी ड्रैस का नजदीक से एक फोटो खींचा. अब इस का बड़ा प्रिंट निकलवाना था.

वह कार से मलाड के लिए चल दी. अभी तक उस ने कई थ्रिलर और जासूसी नौवल पढ़े थे. जासूरी फिल्में और सीरियल भी देखे थे. मगर आज एक जासूस बन कर अश्लील फोटो खींचने वाले का पता लगाना था. पौन घंटे बाद वह मलाड में थी. जैसी उस को उम्मीद थी, लिफाफे पर लिखे पते वाला फोटो स्टूडियो कहीं नहीं था. कूरियर सर्विस से पता करना बेकार था. हजारों लिफाफे रोजाना बुक करने वाले को कहां याद होगा कि यह लिफाफा कौन बुक करवा गया था.

अब क्या करें? सोचती हुई वह वापस अपनी कालोनी में पहुंची और एक परिचित फोटोग्राफर की दुकान में जा कर फोटो का डिजिटल प्रिंट निकालने के लिए कहा.

जब प्रिंट तैयार हो रहा था वह दुकान के सोफे पर बैठ कर दुकान में रखी फ्रेमों में जड़ी तसवीरें देख रही थी. तभी मोबाइल फिर बजा. वही नंबर था. सुनूं या न सुनूं सोचते हुए उस ने रिसीविंग बटन पुश किया तो ‘‘हैलो… हैलो,’’ दूसरी तरफ से आवाज आई पर वह खामोश रही.

‘‘वह चालाकी कर रही है. हम इस के फोटो इंटरनैट पर जारी कर देते हैं और इस के औफिस में भेज देते हैं, तब इस को पता चलेगा.’’

श्वेता ने आवाजें सुन कर पहचान लिया कि कल वाले ही थे. उस ने फोन काट दिया और सोचने लगी कि इन के पास उस का मोबाइल नंबर तो है ही, यह भी जानते हैं कि कौन है और कहां काम करती है. इस का मतलब यही था कि वे या तो कोई परिचित हैं या किसी ने उस के पीछे लग उस का पता लगाया होगा और बाद में उस को फोटो भेज ब्लैकमेलिंग का इरादा बनाया होगा.

फोटोग्राफर फोटो का बड़ा प्रिंट निकाल कर लाया तो वह पेमैंट कर प्रिंट ले कर घर चली आई. घर आ कर आंखों पर जोर डाल कर उस ने फोटो देखा तो उसे समझ में आया कि वह फोटो मोंटे कार्लो के स्कर्ट टौप का था. उस की आंखों ने उन्हें पहचान लिया था. फिर वह याद करने लगी कि इन की शौपिंग कहां से की थी. दिमाग पर जोर देतेदेते उसे याद आ ही गया कि बड़ा नाम है उस शोरूम का. हां शायद पारसनाथ है, जो जुहू के पास है. फिर उसे सब याद आ गया.

अब उस शोरूम में जा कर उस के फोटो वगैरह भेजने का काम करने वालों का पता लगाना था. कैसे जाए? अकेली? मगर साथी हो भी तो कौन? कोई भी सहेली आजकल खाली नहीं थी. रिश्तेदार? न बाबा न.

उस ने यही निश्चय किया कि अकेली ही जाएगी. कैसे जाए, इसी तरह? इस से तो अपराधी सावधान हो जाएंगे, तो क्या भेस बदल कर जाए? लेकिन क्या भेस बदले? तभी उसे प्यास लगी. पानी पीते रिमोट दबा उस ने टीवी औन कर दिया. वही घिसापिटा सासबहू का रोनेधोने वाला सीरियल आ रहा था. उस के मन में विचार आया कि अगर वह प्रौढ उम्र की सास के समान बन जाए तो…

वह घाटकोपर पहुंची. वहां सिनेमा व टीवी कलाकारों को ड्रैस, कौस्टयूम्स आदि किराए पर देने वाली कई दुकानें थीं. उस ने एक दुकान से सफेद विग, पुराने जमाने की साड़ी और एक प्लेन शीशे वाला चश्मा लिया और पहना. इस से वह संभ्रांत परिवार की प्रौढ स्त्री लगने लगी. वह जब बाहर निकली और कार के शीशे में अपना रूप देखा तो मुसकरा पड़ी. वहां से जुहू पहुंच उस ने कार एक पार्किंग में खड़ी की और उसी शोरूम में पहुंची. शोरूम 4 मंजिला था और दर्जनों कर्मचारी थे. अब पता नहीं किस की हरकत थी. तभी उसे याद आया कि स्कर्ट टौप सैकंड फ्लोर से खरीदा था. वह सैकंड फ्लोर पर पहुंची. वहां सब कुछ जानापहचाना था. सेल्स काउंटर खाली था. 2 लड़के एक तरफ खड़े गपशप मार रहे थे.

‘‘यस मैडम,’’ उस के पास आते ही विनोद बोला. श्वेता ने उस की आवाज को पहचान लिया. यही मोबाइल फोन पर बोलने वाला था.

‘‘मुझे भारी कपड़े का लेडीज सूट चाहिए. सर्दी में हवा से सर्दी लगती है.’’

सुरेश और विनोद मोटे कपड़े से बने कई सूट उठा लाए. एक सूट उठा उस ने पूछा, ‘‘यहां ट्रायल रूम कहां है?’’

सुरेश ने एक तरफ इशारा किया तो पहले से देखे ट्रायल रूम की तरफ वह बढ़ गई. फिर कैबिन बंद कर नजर डाली कि यहां कैमरा कहां हो सकता था. शायद टू वे मिरर के उस पार हो. स्थान और अपराधियों का पता तो चल गया था. अब इन को रंगे हाथ पकड़ना था. फिर वह बिना कुछ ट्राई किए वह बाहर निकल आई.

‘‘सौरी, फिट नहीं आया.’’

‘‘और देखिए.’’

‘‘नहीं अभी टाइम नहीं है,’’ यह कह कर वह सूट काउंटर पर रख कर सधे कदमों से बाहर चली आई. घाटकोपर जा कर सब सामान वहां वापस किया फिर घर चली आई.

शाम को प्रशांत वापस आया.

‘‘तबीयत कैसी है?’’

‘‘ठीक है, आज मैं ने रैस्ट के लिए छुट्टी ले ली थी.’’

अगले दिन वह औफिस गई. वहां सारा दिन काम में लगी रहने पर भी सोचती रही कि अपराधियों को कैसे पकड़े. पतिदेव को साथ ले? अगर अपराधी पकड़े जाते हैं तब क्या होगा? उन से कैसे निबटेगी? पुलिस तब भी बुलानी पड़ेगी. तब क्या अभी से पुलिस से मिल कर कोई कारगर योजना बनाए?

वह शाम तक उधेड़बुन रही. फिर शाम को कार में बैठतेबैठते इरादा बना लिया. उस के 100 नंबर पर रिंग करने पर तुरंत उत्तर मिला.

एक लेडी बोली, ‘‘फरमाइए क्या प्रौब्लम है?’’

‘‘एक ऐसी प्रौब्लम है जिसे फोन पर नहीं बता सकती.’’

‘‘तब आप पुलिस हैडक्वार्टर आ जाइए. वहां पहुंच कर आप मिस शुभ्रा सिन्हा, स्पैशल स्क्वैड पूछ लीजिएगा.’’

श्वेता कभी पुलिस हैडक्वार्टर नहीं आई थी. मगर कभी न कभी पहल तो होनी ही थी. वह पुलिस हैडक्वार्टर पहुंची. फिर कार पार्क कर रिसैप्शन काउंटर पर पहुंची.

स्पैशल स्क्वैड चौथी मंजिल पर था. श्वेता वहां पहुंची तो देखा कि शुभ्रा सिन्हा 2 सितारे लगी चुस्त शर्ट और पैंट पहने बैठी थीं. वह लगभग श्वेता की ही उम्र की थी. दरवाजा बंद कर उस ने गंभीरता से सारा मामला समझा. फिर प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘कमाल है, आप ने मात्र 24 घंटे में पता लगा लिया कि बदमाश कौन हैं. अब आगे क्या स्ट्रैटेजी सोची है आप ने?’’

‘‘मैं वहां नया रूप धारण कर ड्रैस ट्रायल करूंगी. तब पुलिस धावा बोले और उन को रैड हैंडेड पकड़ ले.’’

‘‘ठीक है.’’

फिर कौफी पीतेपीते दोनों सहेलियों के समान योजना पर विचार करने लगीं. कौफी पी कर श्वेता वापस चली आई. अगले दिन सिविल ड्रैस में साधारण स्त्री की वेशभूषा में अन्य लेडी पुलिसकर्मियों के साथ ग्राहक बन शुभ्रा सिन्हा शोरूम देख आईं. 3 दिन बाद श्वेता एक ब्यूटीपार्लर पहुंची. वहां नए किस्म का हेयरस्टाइल बनवा, चमकती कीमती शरारा ड्रैस पहने वह शोरूम में पहुंच गई.

‘‘नया विंटर कलैक्शन देखना है.’’

‘‘जरूर देखिए मैडम,’’ कह कर सुरेश ने तरहतरह के परिधान काउंटर पर फैला दिए. तभी शुभ्रा सिन्हा भी काउंटर पर आ कर फैले नए आए परिधान देखने लगीं.

एक शरारा और चोली को उठाते श्वेता ने कहा, ‘‘इस का ट्रायल लेना है. ट्रायल रूम किधर है?’’

सुरेश ने कैबिन की तरफ इशारा किया और विनोद की तरफ देखा. उस का आशय समझ विनोद काउंटर से निकल पिछवाड़े चला गया. कैबिन का दरवाजा बंद कर श्वेता ने ट्रायल के लिए लाया परिधान एक हैंगर पर टांग मिरर की तरफ देखा. फिर नीचे झुक कर अपने सैंडल उतारने लगी. सैंडल उतार एक तरफ किए. फिर अपनी चोली के बटन खोलने का उपक्रम किया.

स्टोर रूम में छिपे नजारा कर रहे विनोद ने मुसकरा कर कैमरे का फोकस सामने कर क्लिक के बटन पर हाथ रखा. तभी श्वेता ने हाथ पीछे कर नीचे झुकाया और एक सैंडल उठा कर उस से तगड़ा वार शीशे पर किया.

तड़ाक की आवाज के साथ शीशे के परखच्चे उड़ गए. सकपकाया सा सामने दिखता विनोद पीछे को हुआ तभी शुभ्रा सिन्हा ने कैबिन का दरवाजा खोल हाथ में रिवौल्वर लिए कैबिन में कदम रखा और रिवौल्वर विनोद की तरफ करते रोबीली आवाज में कहा, ‘‘हैंड्सअप.’’

फिर चंद क्षणों में सारे शोरूम में खाकी वरदी में दर्जनों पुलिसकर्मी, जिन में लेडीजजैंट्स दोनों थे फैल गए. कैमरे के साथ विनोद फिर सुरेश और फिर सिलसिलेवार ढंग से सिकंदर व फोटोग्राफर सब पकड़े गए. दर्जनों न्यूड फिल्में भी मिलीं. सब को केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया. मामले को पुलिस ने इस तरह हैंडल किया कि श्वेता और किसी अन्य स्त्री का नाम सामने नहीं आया.

प्रशांत अपनी पत्नी द्वारा इस तरह की विशेष समस्या को अकेले सुलझा लेने से हैरान थे. प्यार से उन्होंने कहा, ‘‘माई डियर, आप तो होममिनिस्टर के साथ शारलाक होम्ज भी हैं.’’ श्वेता मंदमंद मुसकरा रही थी.

संदीपा धर ने फ्रैंड्स के साथ किया फुल एंजौय, सोशल मीडिया पर सामने आई फोटोज

अपनी ब्यूटी की वजह से इंटरनेट सेंसेशन बन चुकी एक्ट्रेस संदीपा धर इस समय तुर्की में हौलीडे का पूरा मजा ले रही हैं. संदीपा ने सोशल मीडिया पर अपनी तुर्की हौलिडे की कुछ फोटोज शेयर की है. जहां उन्होंने तुर्की के कप्पाडोसिया में हौट बैलून की सवारी की.

हाल ही में, संदीपा ने अपने इंस्टाग्राम पर अपने फ्रैंड्स के साथ तुर्की के कप्पाडोसिया में हौट एयर बैलून में सवारी करने के अपने एक रोमांचक अनुभव को शेयर किया. संदीपा ने अपनी बकेट लिस्ट से इसे पूरा करने के बारे में अपना एक्साइटमेन्ट व्यक्त किया और अविस्मरणीय रोमांच की कई शानदार फोटोज शेयर कीं. कैप्शन में, संदीपा ने इस अनुभव को “मेरे द्वारा अब तक की गई सबसे शानदार चीजों में से एक” बताया और इस जादुई पल को अपने पसंदीदा लोगों के साथ साझा करने की खुशी पर जोर दिया. उन्होंने लिखा, “ऊपर, ऊपर और दूर!

इस दिन के बारे में सोचना बंद नहीं कर सकती. निस्संदेह, हौट एयर बैलून में सवारी करना मेरे द्वारा अब तक की गई सबसे शानदार चीजों में से एक है. मेरे लिए बहुत बड़ी बकेट लिस्ट चेक! यह बहुत खास था क्योंकि मुझे यह अनुभव अपने पसंदीदा इंसानों @diakhanna @sanjana_lakshman के साथ साझा करने का मौका मिला,क्या अविश्वसनीय अनुभव था! बिल्कुल अविस्मरणीय. 7वीं तस्वीर पर स्वाइप करें और मुझे खोजने की कोशिश करें.”

इन फोटोज में एक्ट्रैस संदीपा की खुशी उनके फेस से साफ नजर आ रही है, साथ में उनकी फ्रैंड्स तुर्की के ब्रीथटेकिंग लैंडस्केप बैकग्राउंड के सामने फूल मस्ती करती हुई दिखाई दे रही हैं.

वर्कफ्रंट

आपको बता दे एक्ट्रैस संदीपा ने साल 2010 में राजश्री प्रोडक्शन की हिंदी फिल्म ‘इसी लाइफ में’ से बौलीवुड में डेब्यू किया था. जिसमें उनके अपोजिट अक्षय ओबेराय थे. फिल्म ‘हीरोपंती’ में एक्टर टाइगर श्राफ के साथ काम किया. सलमान खान की फिल्म ‘दबंग 2’ में कैमियो रोल किया था. इसके अलावा संदीपा ने ओटीटी पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘अभय’ में भी खास रोल किया, उन्होंने क्राइम ड्रामा सीरीज ‘मुंभाई’, वेब सीरीज ‘डर्टी गेम्स’, “गोलू और पप्पू”, “ग्लोबल बाबा”, “7 आवर्स टू गो”, “कार्टेल” जैसी फिल्मों में देखा गया, संदीपा ने सतीश कौशिक द्वारा निर्देशित पंकज त्रिपाठी-स्टारर “कागज़” में एक विशेष भूमिका निभाई. उन्हें आखिरी बार इम्तियाज अली की मेडिकल ड्रामा “डा. अरोड़ा” में देखा गया था. अब वह अगली फिल्म नील नितिन मुकेश, करण सिंह ग्रोवर, जैकी श्राफ, के के मेनन के साथ “फिरकी” में नजर आएंगी.

अक्षय कुमार की फिल्में लगातार हो रही है फ्लौप, प्रैस कौन्फ्रेंस में एक्टर ने कह दी ये बात

बौलीवुड एक्टर अक्षय कुमार जिनकी जल्द ही 15 अगस्त को फिल्म” खेल-खेल” में रिलीज हो रही है. इससे पहले अक्षय की कई सारी फिल्में फ्लौप हुई है शायद इसलिए क्योंकि पिछले कई सालों से वह जो मौजूदा सरकार को खुश करने के लिए मोदी भक्ति पर आधारित फिल्मो में काम कर रहे थे . अब वैसी फिल्में नहीं चल रही . लिहाजा खेल खेल में की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब फ्लौप फिल्मो को लेकर सवाल पूछा गया तो अक्षय कुमार ने अपनी फ्लौप फिल्मों को लेकर कुछ ऐसा कहा जो सुन कर वहां मौजूद मीडिया पत्रकारों सहित सबके दिल को छू गया.

एक पत्रकार के अक्षय से उनकी लगातार फ्लौप फिल्मों की लंबी कतार को लेकर सवाल पूछने पर अक्षय कुमार ने जवाब में बहुत ही उम्दा बात कही. अपनी बात कहने से पहले उन्होंने अपने पिता द्वारा कहीं एक कहानी का जिक्र किया जो एक ऐसे संतुष्ट आदमी की कहानी थी जो हर बात में प्रतिक्रिया नहीं देता और ना ही भावुक होता है, ऐसे में जब उसका बेटा गाय के ऊपर से गिर जाता है और उसको चोट लग जाती है तो सभी सांत्वना देने पहुंच जाते हैं तब भी वह आदमी यही कहता है कोई बात नहीं जो होता है अच्छे के लिए हो जाता है. उसी दौरान वहां का राजा सभी बच्चों को आर्मी में भर्ती करने के लिए लड़ाई की ट्रेनिंग देने के लिए अपने यहां बुलाता है लेकिन क्योंकि उस संतुष्ट आदमी का बेटा गिरने की वजह से घायल था इसलिए वह आर्मी में जाने से बच जाता है ऐसे में जब लोग उसको बोलते हैं कि आपका बेटा तो चोट लगने की वजह से बच गया तब भी वही आदमी यही बोलता है की जो होता है अच्छे के लिए होता है.

अक्षय कुमार ने इसी कहानी का जिक्र करते हुए अपनी बात कही कि अगर मेरी कई सारी फिल्में फ्लौप भी हो गई है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. क्योंकि फिल्में फ्लौप हुई है मैं मरा नहीं हूं मैं अभी जिंदा हूं . आगे मैं और अच्छी फिल्में कर सकता हूं . मैं अपनी आखिरी सांस तक फिल्मों में काम करता रहूंगा जब तक की मेकर्स मुझे लेना ना छोड़े. मेरी फ्लौप फिल्मों के बाद लोग मुझे ऐसे मेसेज भेज रहे हैं जैसे मेरी मौत हो गई हो फिल्मों के फ्लौप होने का दुख कई लोग ऐसे प्रकट कर रहे हैं जैसे फिल्में फ्लौप नहीं हुई बल्कि मैं ही ऊपर पहुंच गया हूं. मैंने उनको भी यही जवाब दिया है कि अगर फिल्में फ्लौप हुई तो कोई आफत नहीं आ गई है . मुझ में पूरा सब्र और मेहनत करने का जज्बा है . मैं कभी किसी पर निर्भर नहीं हुआ. जो कुछ हूं अपने दम पर हूं क्योंकि मेरे हौसले बुलंद है इसलिए आगे भी मैं काम करता रहूंगा.आज अगर फिल्में फ्लौप हुई है तो कल हिट भी होगी. बस वक्त का इंतजार कीजिए. अच्छा वक्त भी आ जाएगा.

पाकिस्तानी महिला है मिसाल, डिवोर्स के बाद की जमकर पार्टी

ब्रेकअप पार्टी की तरह अब तलाक की पार्टियां भी होने लगी हैं. पहले का समय नहीं रहा कि कोई औरत तलाक के बाद दुखी हो, किसी के साथ बदतर जिंदगी बिताने से बेहतर है अकेले खुलकर जिएं.

पाकिस्तानी महिला ने मनाया तलाक का जश्न

दरअसल, कुछ ही दिनों पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें दिखाया गया था कि पाकिस्तान में रहने वाली एक महिला का तलाक हुआ था और जिसके बाद उसने एक बड़ी पार्टी रखी. उस महिला ने लहंगा पहनकर जमकर डांस किया. उस पार्टी में दीवार पर लिखा था- Divorce Mubarak!

लोगों ने किया ट्रोल

इस वीडियो पर लोगों के कई तरह के कमेंट्स आए, किसी ने महिला को सपोर्ट किया तो कुछ लोगों ने खरीखोटी भी सुनाई. एक यूजर ने कमेंट किया, ” तलाक का जश्न बिल्कुल भी नहीं मनाया जाना चाहिए, भले यह आपको टौक्सिक रिश्ते से मुक्त करता है, आपके मानसिक सेहत के लिए भी अच्छा है, लेकिन अगर हम तालाक का जश्न मनाना शुरू कर दे, तो लोग शादी करने से डरेंगे, तो वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा है कि तलाक लेने की खुशी में महिला पार्टी कर रही है और नाच रही है. आखिर क्या हो रहा है इस ग्रह पर? कई लोगों ने उस महिला का समर्थन भी किया कि खुद की खुशी को प्राथमिकता देने के लिए उस महिला को स्ट्रौंग कहा.

Close-up couple signing divorce contract

क्या तलाक पार्टी करना गलत है?

अब सवाल ये उठता है कि तलाक पार्टी करना जायज है? किसी रिश्ते में घुटघुट कर जीने से बेहतर है कि आप उस रिश्ते से आजाद हो और अपनी आजादी को अपने हिसाब से एंजौय करें.

Close-up hands with broken heart

अपने हिसाब से जिएं अपनी जिंदगी

एक वक्त था जब समाज में एक पत्नी चाहें जितना प्रताड़ित हों, लेकिन उसे शादी को निभाना पड़ता था. अगर कोई औरत तलाकशुदा हो, तो समाज में उसका उठनाबैठना मुश्किल हो जाता था. लेकिन अब वो समय बदल चुका है. एक पुरुष के हाथों प्रताड़ित होने से बेहतर है कि अलग हो जाएं और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाएं.

नहीं किया जाना चाहिए तलाक पर सवाल

पतिपत्नी के रिश्ते को निभाने के लिए आपसी समझदारी की बहुत जरूरत होती है. जब दो लोगों की आपस में नहीं बनती है, पत्नी की बातों को हमेशा काटना, उसे खुद से कम समझना… ये समस्याएं अक्सर कपल्स के बीच देखने को मिलती है, लेकिन इसमें भी पत्नी को ही एडजस्ट करने के लिए कहा जाता है. क्यों पत्नी हर बार एडजस्ट करें, रिश्ते को चलाने के लिए पतिपत्नी दोनों की जिम्मेदारी बनती है, न कि सिर्फ पत्नी की…अगर कोई पत्नी तलाक की पहल करती है और तलाक के बाद जश्न मनाती है, तो इसमें गलत क्या है?

महिलाओं को लोग क्यों करते हैं जज

समाज में ये लोग कहां से आते हैं, जो औरतों को जज करते हैं, कभी खुद के बारे में आंकलन किया है, आपकी महिलाओं के प्रति क्या सोच है… रिश्ता जोड़ने का काम सिर्फ महिलाएं ही क्यों करें… पुरुष भी रिश्ता जोड़ने और उसे कायम रखने के लिए पहल कर सकते हैं.

सिर्फ महिलाएं ही क्यों बचाएं शादी

शादी को बचाने के लिए पुरुष और महिला दोनों को बराबरी का प्रयास करना चाहिए. अगर शादी के टिकने की संभावना न हो तो इस रिश्ते को खत्म करने में कोई कुरेज नहीं होना चाहिए. खासकर महिलाओं को जरूर अपनी आजादी की खुशी मनानी चाहिए. आप अपनी लाइफ में निगैटिव लोगों से दूर रहें. जो आपकी इच्छा को दबाते हैं, हर वक्त आपको नीचा दिखाते हैं, उनसे दूरी बना कर रहें.

तलाक के बाद नई जिंदगी का करें स्वागत

आप खुद से प्यार करें, इंडिपैंडेंट बनें, बुरे दौर में किन लोगों ने आपका साथ दिया, उनकी पहचान करें. आप अपने इंट्रैस्ट के हिसाब से अपना करियर चुनें और बेशक पाकिस्तानी महिला की तरह आप भी डिवोर्स की खुशियां मनाएं, पार्टी करें और अपनी नई लाइफ खुलकर स्वागत करें.

21 साल छोटी दूसरी पत्नी शूरा के साथ खुश हैं Arbaaz Khan, अधिक उम्र में शादी के फायदे

एक वीडियो वायरल हो रहा है जिस में सलमान खान के छोटे भाई अरबाज खान को अमिताभ बच्चन के गाने पग घुंंघरू बांध मीरा नाची थी….  पर नाचतेझूमते देखा जा रहा है. यह वीडियो शेयर किया है अरबाज खान की दूसरी बेगम शूरा खान ने जो उनसे उम्र में 21 साल छोटी हैं.

पिछले साल 2023 में जब दोनों की शादी हुई, तो कुछ लोगों ने इनके बीच के उम्र के अंतर को ले कर ट्रोलिंग की थी, तब अरबाज खान की उम्र 56 साल थी. लेकिन इस नए वीडियो को देख कर लग रहा है कि अरबाज ने शादी का सही फैसला किया. अरबाज खान की उम्र 57 साल हो चुकी है. पहली पत्नी मलाइका अरोड़ा से उन का तलाक हो चुका था. ऐसे में जब उन की डैटिंग शूरा खान से शुरू हुई, तो उन्हों ने तुरंत सैटल होने का फैसला कर लिया.

अधिक उम्र में शादी करना गलत नहीं
अरबाज खान ही नहीं कई ऐसे लोग हैं, जो अधिक उम्र में शादी करते हैं. हर इंसान को अपनी खुशी के लिए जीने का अधिकार है. सोसाइटी को कभी भी अपनी लाइफ का जज नहीं बनने देना चाहिए. पुरुष हो या महिला, लेट मैरिज से अगर जिंदगी में खुशियां आती है, तो जरूर करनी चानहिए. खुशी के साथ ही इस बढ़ती उम्र में एक मजबूत सहारे की जरूरत होती है क्योंकि इस उम्र में बच्चे बड़े हो कर अपनी दोस्तों, स्टडी, जौब, लव लाइफ में बिजी हो जाते हैं. हसबैंडवाइफ साथ हो, तो जिंदगी की मुश्किलें आसान हो जाती है,  इतना ही नहीं आप बेवजह अपने बड़े होते बच्चों की जिंदगी में दखल भी नहीं देते. इस उम्र में शादी करने को नैगेटिव तरीके से देखने के बजाय पौजिटिव रूप में देखें. अधिक उम्र में शादी करने के समय तक इंसान फाइंनैशियली सैटल हो चुका होता है, अपने पैरेंट्स या भाईबहनों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा चुका होता है. इसलिए इनकी शादीशुदा जिंदगी में इस तरह की जिम्मेदारियां रोड़ा नहीं बनती है.

जब पत्नी उम्र में काफी छोटी तो रखें इन बातों का ख्याल
कपल में अगर पत्नी की उम्र काफी कम है, तो  हो, तो पति को इस बात को समझना चाहिए. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उनको बारबार छोटे होने का अहसास कराएं. अपने परिवार के सामने भी पत्नी से सम्मान से बात करें. एकदूसरे के बीच तनमन के रिश्ते को एक नौमर्ल कपल की तरह ही निभाएं. कपल के बीच दसबीस साल का गैप हो, तो दोनों की सोच में अंतर आना नैचुरल है इसलिए पत्नी की बातों को नजरअंदाज नहीं करें या छोटी उम्र या कम अक्ल का समझ कर हंसी न उड़ाएं.

जब पति की उम्र पत्नी से काफी कम हो, तो
कपल में जब पति छोटी उम्र का हो, तो पत्नी को बड़े संयम से काम लेना चाहिए. बड़ी होने की वजह से हर बात में पति पर डौमिनेंट नहीं होना चाहिए, इससे ‘मेल इगो’ को चोट पहुंचेगी और आपस के रिश्ते पर बुरा असर पड़ेगा. उम्र में छोटे पति को यह अहसास कराएं कि घर की ज्यादातर जिम्मेदारियां उसी की है. अपने से काफी छोटी उम्र के हसबैंड को बेटे की तरह ट्रीट नहीं करें, उसे सामान्य उम्र के हसबैंड की तरह ही ट्रीट करें. सहेलियों के सामने अपने कम उम्र के पति को छोटा समझ कर पेश नहीं आएं और न ही उन के किसी बात का मजाक उड़ाएं. मेहमानों के सामने पति को पूरे सम्मान के साथ मिलवाएं. कम उम्र के पति पर अपनी पसंद को जबरदस्ती नहीं थोपें. अधिक उम्र की पत्नी को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि वह बेवजह पति की जिद की आगे नहीं झुके. पति अगर कोई गलती करता हो, तो उसे छोटा या नादान समझ कर भूल नहीं करें, इससे उस का मन बढ़ेगा.

गिल्ट को मन में न आने दें 

मन में कभी भी इस बात का गिल्ट न आने दें कि आप लैट मैरिज कर रहे हैं, अपनी लाइफ अपने तरीके से जिएं, कई बार व्यक्ति परिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने की वजह से देर से शादी करता है, तो कई बार उसे परफैक्ट पार्टनर का इंतजार रहता है   पत्नी के बंधन में  अगर बराबरी, सम्मान और प्यार हो, तो उम्र और दूरियों का फासला मायने नहीं रखता है. इसलिए विवाह की उम्र के बजाय जीवन के हर पड़ाव पर साथ देने वाले सही साथी का चुनाव करना जरूरी है .

 

 

स्त्री 2 के इस आइटम गीत ने मुंबई-लखनऊ में मचाया धमाल, आप भी देखें ये Video

हौरर फिल्म स्त्री जहां अपनी भूतिया कहानी के वजह से सुपरहिट हुई. वही इस फिल्म के गाने जैसे श्रद्धा कपूर राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी पर फिल्माया मिलेगी मिलेगी.. कभी तो मिलेगी और आओ कभी हवेली पे आज भी लोकप्रिय है. ऐसा ही कुछ हाल 15 अगस्त को रिलीज होने वाली स्त्री पार्ट 2 के गानों का भी है.

इसी फिल्म के तमन्ना भाटिया पर फिल्म गाने की लोकप्रियता के बाद अब फिल्म की हीरोइन श्रद्धा कपूर राजकुमार राव पर फिल्माया गाना आई नई… का ट्रेजर आउट होते ही यह गाना धमाल मचा रहा है. इस गाने में जहां श्रद्धा कपूर ने अपनी दिलकश अदाओं के साथ ठुमके लगाए हैं. वही राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी भी इस गाने में धमाल मचाते नजर आ रहे हैं. भोजपुरी स्टार सिंगर पवन सिंह की आवाज में गया यह गाना पूरी तरह मस्ती से भरपूर है. जिसका संगीत दिया है संगीत सचिन जिगर ने.

आई नहीं गाने के प्रमोशन के लिए हाल ही में श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव लखनऊ पहुंचे. तो लखनऊ में भारी भीड़ में श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव का दिल खोल कर स्वागत किया. जिसके साथ श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव ने वहां मौजूद दर्शकों के साथ मिलकर ठुमके लगाए.

सिंदूर विच्छेद: क्या हुआ था मनोज के साथ

धूपबत्ती का धुआं गोल आकार में उड़ता ऊपर की ओर जा रहा था. शायद छत तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था. पर इतनी ऊंचाई तक पहुंचने से पहले ही धूपबत्ती के सफेद गोलाकार धुएं के कण सर्पिलाकार होते हुए तितरबितर हो जाते थे.

चंदन धूपबत्ती की खुशबू मनोज के नथुनों में जा रही थी और उस की सांस जैसे रुकी जा रही थी.

सामने अधीरा की मृत शरीर के पास दीपक के साथ एक मोटी सी धूपबत्ती भी जला कर रखी गई थी, पर मनोज चाह कर भी चिरनिंद्रा में लीन अपनी बीवी के मुख को देख नहीं पा रहा था. नजरें झुकी हुई थीं. बस, कभीकभी नजर उठा कर धुंए के गोल छल्लों को देख लेता था.

बीवी अधीरा के संग 30 वर्षों का सफर आज यहां खत्म हुआ पर आज कहां? वह तो 20 वर्ष पहले उस दिन ही खत्म हो गया था जब मनोज ने पहली बार अधीरा के चरित्र पर लांक्षन लगाया था .

‘वह दूधवाला घर पर क्यों आया था अपनी बीवी के साथ?’ गुस्से में अंधा  ही तो हो गया था मनोज.

अधीरा घबराते हुए बोली थी,’क…क… कब? मैं तो कल ही आई हूं अपने मायके से. मुझे क्या पता?’

मनोज गुस्से से बोला,’तेरे पीछे  दूधवाला आया था अपनी बीबी के साथ यहां, उसे यह दिखाने के लिए कि तेरा और उस का कोई अनैतिक संबंध नहीं है.’

अधीरा मानों आसमान से जमीन पर आ गिरी.

‘यह आप क्या कह रहे हैं… मैं और दूधवाले के साथ…? छी…छी… आप ने ऐसा सोचा भी कैसे?’

पर मनोज कहां सुनने को तैयार था. 30 साला अधीरा का मुंह जैसे अपमान से लाल पड़ गया.

मनोज और अधीरा की अरैंज्ड मैरिज हुई थी. मनोज औसत रंगरूप का युवक था और अधीरा गोरी, लंबी पढ़ीलिखी, आत्मविश्वासी, घरेलू और खुशमिजाज युवती थी.

पर मनोज उसे बहुत प्रेम करने के साथसाथ उसे ले कर बहुत पजैसिव था. कोई भी एक नजर अधीरा को देख ले तो उसे कतई बरदाश्त नहीं था.

दूधवाला जब अपनी बीवी के साथ उस की नई कोठी पर आया तो उस दिन सोमवार का था. अधीरा को अचानक अपने दोनों बेटे सजल और सारांश के साथ मायके जाना पड़ गया था. साप्ताहिक अवकाश के चलते मनोज अपने इलेक्ट्रौनिक्स शोरूम की दुकान नहीं गया था और घर पर ही था. बस, शक का कीड़ा उस के मन में कुंडली जमा कर बैठ गया और आज अधीरा को डसने लगा.

अधीरा बोली,’दूधवाला गांव से रोज बाइक से शहर आता है तो अपनी बीवी को ले आया होगा, उस को  सामान दिलाने या डाक्टर को दिखाने. कितने ही काम होते हैं गांव वालों को शहर में.’

पर मनोज कुछ भी सुनने तो तैयार नहीं था.

अधीरा के खिलते चेहरे पे जैसे पतझड़ आ गया. आवेश में चेहरा गुस्से से तमतमा आया पर मां की वह सीख कि गुस्से में पति कुछ भी कहे तो उस समय चुप रह जाना. यह अविश्वास का दीमक गृहस्थी की जड़ों को खोखला कर देता है, याद कर के चुप रह गई.

8 और 10 वर्षीय सजल और सारांश इस सब से बेखबर थे. पर मां की सूनीसूनी, रोती आंखें, मुरझाया चेहरा  बहुत कुछ कहना चाहता था मगर मासूम बच्चे उन्हें पढ़ ही नहीं पाते थे.

एक आम युवती की तरह उस ने बस प्रेमपूर्ण जीवन की ही कामना की थी. जिन लम्हों की तमन्ना उस ने तमाम उम्र की, वह लम्हें मिले तो पर इतने कम मिले कि उन का मिलना, न मिलने के दुख से दोगुना हो उठा.

तेज रोने की आवाज से मनोज जैसे अतीत से निकल कर वर्तमान में लौट आया. अधीरा की दोनों छोटी बहनें अनुभा और सुगंधा भी आ गई थीं और लाल साड़ी में लिपटीलेटी अधीरा को देख कर उन के आसुओं का बांध टूट पड़ा था.

“हाय दीदी, इतनी जल्दी क्यों छोड़ कर चली गईं,” अनुभा रोतेरोते कह रही थी.

छोटी बहन सुगंधा को तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. अपने हाथों से अधीरा को छूछू कर देख रही थी,”दीदी, उठो… देखो हम आ गए. अब तो उठ जाओ. देखो, हम अचानक ही आ गए. वह भी बिना तुम्हारे बुलावे के. तुम हर बार हमें बुलाती थीं ना कि आ जाओ, आ जाओ… दीदी, अब उठ भी जाओ ना, इतनी भी क्या नाराजगी…”

पर अधीरा तो इन सब से दूर जा चुकी थी.

बड़ी सी कोठी के शानदार ड्राइंगरूम  के बीच में अधीरा आज शांत लेटी थी. हमेशा की तरह हंसतीखेलती, मुसकराती, अपने घर को सजातीसंवारती अधीरा अब कभी नहीं दिखेगी किसी को.

मनोज ड्राइंगरूम के दरवाजे पर काफी दूरी पर बैठा था. वहां से उसे अधीरा का चेहरा नहीं दिख रहा था.दोनों बहनों के रूदन से माहौल और भी गमगीन हो गया. पास बैठीं परिवार की अन्य औरतें और अधीरा की सहेलियां भी तेज स्वर में रोने लगीं.

अनुभा अपनी बड़ी बहन के पास बैठ कर सुबक रही थी और आग भरी नजरों से मनोज को ही घूर रही थी.

एक पल को दोनों की नजरें मिल गईं,’ओह, इतनी नफरत, घृणा…’मनोज की नजरें झुक गईं.

‘हां…हां…मैं हूं ही इस लायक. मैं ने कब उसे चैन से रहने दिया.’

उस दूधवाले प्रकरण के बाद कुछ साल सब ठीक रहा. दूधवाले को हटा दिया गया. अब दूध एक बूढ़ा नौकर डेरी से लाने लगा था. अधीरा भी धीरेधीरे सब भूल गई, ऐसा लगता था पर अविश्वास की फांस उस के दिल की गहराइयों तक समा चुकी थी.

6 साल बाद एक रोज सोमवार को-

‘अरे मेरी बात सुनो तो. मैं नहीं आ पाऊंगी. मेरा आ पाना संभव नहीं है,’अधीरा किसी से बात कर रही थी.

मनोज को अंदर आते देख उस ने झट से फोन रख दिया. इतनी बात तो मनोज ने सुन ही ली थी और शक का फन उफान पर था…

‘किस का फोन था?’

‘क…क…किसी का नहीं. मेरी एक सहेली अंजलि का था. घर पर बुला रही थी मुझे. आप के लिए नाश्ता लगा दूं क्या?’

पर बात आईगई नहीं हुई.
उसी दिन मनोज ने चुपचाप कौल डिटेल निकलवा ली. ललित नाम के किसी शख्स ने 2 बार अधीरा को फोन किया था.

‘मेरी जानकारी के बगैर कोई गैरमर्द मेरी बीवी को फोन कर रहा है और मेरी बीवी मुझ से छिपा रही है. जरूर उस का कोई पुराना आशिक होगा,’अब मनोज वही सोच रहा था जो वह सोचना चाहता था.

अगले दिन-

‘कौन है यह ललित और क्यों उस ने तुम्हें फोन किया? कहां बुला रहा था मिलने के लिए?’

सवालों की बौछार सुनते ही अधीरा हड़बड़ा गई. उस का चेहरा सफेद पड़ गया.

‘बोलतीं क्यों नहीं.’

‘वह मेरे साथ कालेज में पढ़ता था .शादी के 10 वर्षों बाद अब उस के घर में बेटी हुई है. उस के नामकरण में बुला रहा था मुझे. उस की पत्नी अंजलि भी मेरी अच्छी दोस्त है पर कई वर्षों से मेरा मिलना नहीं हुआ उन दोनों से,’अधीरा ने स्पष्टीकरण देने की कोशिश की.

पर अविश्वास में अंधा हो कर मनोज यह सब सुननेमानने को तैयार नहीं था.

“अब किस का इंतजार है? मृतदेह को इतने घंटों तक घर में रखना ठीक नहीं हैं,” कोई बोल रहा था.

आवाज सुन कर मनोज अपने वर्तमान में लौट आया…

‘काश, सबकुछ वहीं रुक गया होता. काश, उस ने अपने दिल के साथ कुछ दिमाग की भी सुन ली होती. मगर
ऐसा हो ना सका,’ वह मन ही मन सोच रहा था.

अजीब सा विरोधाभास था. अपने नाम के विपरीत अधीरा में धैर्य कूटकूट कर भरा था. मनोज के बेमतलब के इल्जामों को सुन कर कुछ दिन तो वह खूब रोती थी, कुछ माह उदास रहती थी पर अपने बेटों का मुख देख कर सबकुछ भुला देती थी.

रोने की आवाजें अब तेज हो चली हैं… 1-1 सरकते पल में जैसे सांसों में धुंआ भरता महसूस हो, जैसे नब्ज डूबती ही जा रही हो… हर गुजरता लम्हा उन्हें मिलाने के बजाय दूर करने के लिए तैयार खड़ा था.

दोनों बेटे और अनुभा, सुगंध के पति और उन के बेटे अधीरा का पार्थिव शरीर को उठा कर बांस की बनी सेज पर लिटा रहे थे. बांस पर सूखी पुआल भी पड़ी थी, उस पर सफेद चादर बिछा दी गई.

“उस पर मत लिटाओ मेरी अधीरा को. उस के कोमल बदन पर खरोंचें लग जाएंगी,” मनोज मानो तड़प उठा.

मनोज आगे बढ़ा पर दोनों बेटों की अंगार बनी आंखों को देख कर पांव जमीन पर चिपक कर रह गए. इस के आगे मनोज कुछ कह ही नहीं सका. उस के कदम भी लड़खड़ा कर रहे थे.

भाभी अपराजिता ने उसे थाम लिया,”इन बातों से अब कोई फायदा नहीं भैया. जब तुम जीतेजी उस के मानसम्मान की रक्षा ना कर सके तो अब मृतदेह से मोह दिखाने से क्या फायदा? चुपचाप किसी कोने में खड़े रहो, नहीं तो अपने दोनों बेटों का गुस्सा तो तुम्हें पता ही है…”

जीतेजी अधीरा अपने दोनों बेटों से कह कर गई थी कि मैं मरूं तो मेरा तथाकथित पति मेरा अंतिम संस्कार ना करे. करना तो दूर, मेरा चेहरा भी ना देखे, मुझे छू भी ना सके और बेटों ने इस का पूरा मान रखा था.

अतीत के वे पल चलचित्र की भांति मनोज की आंखों में तैर उठे…

कुछ वर्ष शांति से बीते. मनोज का बिजनैस खूब तरक्की कर रहा था. दोनों बेटे भी पढ़लिख कर जौब करने लगे. सजल के लिए तो रिश्ते भी आने लगे थे. लंबे, आकर्षक दोनों बेटे तो अधीरा की आंखों के तारे थे. एक बडा़ फ्लैट भी खरीद लिया था दिल्ली में. दोनों बेटे वहीं रहते थे साथसाथ.

अकसर मनोज और अधीरा भी 1-2 दिन बच्चों के साथ रह आते थे.

सबकुछ ठीक चल रहा था. बच्चों की पढ़ाई और नौकरी के कारण कुछ वर्षों से अधीरा अकेली पड़ गई थी.मनोज अपने बिजनैस में बिजी रहता था और उस के शक्की स्वभाव के कारण अधीरा कहीं आतीजाती नहीं थी तो घर बैठेबैठे ही साहित्य में उसे रुचि हो आई थी.

काफी समय मिला तो कविताकहानी और लेखन में व्यस्त हो गई. मनोज भी देख कर खुश था कि घर बैठे ही वह अपना मन बहलाने लगी है.

‘अरे सजल बेटा, प्रगति मैदान में बुक फेयर लगा है. एक बार मुझे ले चलो.’

‘हां…हां…क्यों नहीं,’ दोनों बेटे अपनी मां की कोई बात नहीं टालते थे. कहने के साथ ही उस की सारी फरमाइशें पूरी करते थे. चाहे औनलाइन किताबें मंगानी हों या अधीरा के 45वें जन्मदिन पर उस का पसंदीदा 54 इंची प्लाज्मा टीवी घर में ला कर उसे आश्चर्यचकित कर देने का प्लान हो.

मनोज तो इतने दिन वहां रह नहीं सकता था. वह अपने शहर जबलपुर लौट गया.

6 फरवरी का दिन था जब अधीरा  सजल के साथ प्रगति मैदान गई थी.घर के बाहर की दुनिया और वह भी किताबों से लबालब देख कर उस की खुशी का पारावार ना था. वहां पहुंच कर सजल को भी कुछ दोस्त मिल गए. वह अधीरा को उस की पसंदीदा बुकस्टौल पर छोड़ कर कुछ देर के लिए चला गया.

‘अरे, अधीरा तुम…’ सामने से अधीरा की कुछ फेसबुक फ्रैंड्स चली आ रही थीं. उन से पहली बार मिलने का रोमांच ही अलग था.

‘हाय, तुम तो बहुत ही प्यारी हो अधीरा,’ प्रतिमा बोल पङी.

वह खुद भी कविताएं लिखती थी. कुछ काव्यसंग्रह भी आ गए थे उस के. पूनम, रेखा, तेजस सब मिल बैठीं तो सैल्फी का दौर चल पड़ा.

हंसतेखिलखिलाते चेहरों के साथ कितने ही फोटो खींच गए खूबसूरत यादें बनाने के लिए.

पास ही 22-23 साल के 2 नवयुवक सौरभ और प्रफुल्ल भी खड़े थे,’मैम,   आप बहुत अच्छी कविताएं लिखती हैं. बिलकुल दिल को छू जाती हैं.’

‘थैंक्स, तुम दोनों तो बिलकुल मेरे बेटे जैसे हो,” अधीरा कह उठी.

सब ने संगसाथ में खूब सैल्फी लीं. फोटो लेने के क्रम में दोनों लड़के और पूनम, प्रतिभा अधीरा के कुछ और करीब हो गए. प्रफुल्ल ने अधीरा के कांधे पर हाथ रख दिया. हंसीखुशी के पल कैमरे में कैद हो गए. अपने मनपसंद लेखकों की हस्ताक्षरित प्रति ले कर अधीरा बहुत खुश थी और दोनों बेटे उसे खुश देख कर खुश थे.

रात में खूब चाव से अधीरा ने बच्चों के पसंद का खाना बनाया. अगले दिन सुबह जबलपुर जाने के लिए अधीरा का ट्रेन में रिजर्वेशन करा दिया था बेटों ने. अकेले सफर करने के अवसर कम ही आए थे अधीरा के जीवन में.

पर वह रोमांचित थी. बेटों ने भी उस का हौंसला बढ़ाया,’मम्मी, आप अब अकेले आनाजाना शुरू करो. देखो सब महिलाएं अकेली कहांकहां हो आती हैं और दिल्ली के लिए तो बहुत सी सीधी ट्रेनें हैं.’

अगले दिन जबलपुर अपने घर पहुंच कर रात में अधीरा शौक से मनोज को अपने फोटो दिखाने लगी,’यह देखो मेरा फोटो, कवि सुरेंद्र के साथ… यह तसलीमा नसरीन के साथ… और यह मेरी फेसबुक फ्रैंड है और…’

‘यह तुम्हारे कांधे पर किस ने हाथ रखा है?’ मनोज ने पूछा.

अधीरा ने झट से फोटो आगे बढ़ा दी और उसे दूसरी फोटो दिखाने लगी.मनोज ने उस के हाथों से मोबाइल छीन लिया और फोटो स्लाइड कर के पूछने लगा,’यह लड़का कौन है और इस का हाथ कैसे आ गया तुम्हारे बदन पर?’

अविश्वास का फन ना केवल सिर उठा चुका था बल्कि जहरीली फुफकार भी मार रहा था. जिस बात से अधीरा बचना चाह रही थी वही हुआ…

‘तुम्हें वहां बुकफेयर देखने भेजा था मैं ने और तुम जा कर अपने यार के साथ ऐयाशी करने लगीं.’

‘प…प… पर वह तो मेरे बेटे की उम्र का है और हम तो पहली बार ही मिले थे.’

पर मनोज कुछ सुनने को तैयार नहीं था,’40 से ऊपर की उम्र हो गई तुम्हारी और अक्ल नाम की चीज नहीं है. बूढ़ी हो गई हो पर शौक जवानों के हैं.’

‘ओह…’

उस के कानों में जैसे पिघलता शीशा उङेल दिया गया हो. अधीरा रोरो कर रह गई. रातरात भर जागती रही थी. दिन में मुंह छिपाए पड़ी रहती थी. किस बात की सजा भुगत रही थी वह? एक औरत होने की? स्त्रीदेह ले कर पैदा होने की? स्त्रीदेह उस की पर मालिक है उस का पति मनोज? वह जब चाहे कठपुतली की तरह उसे नचाए…

अधीरा ने अपना फोन ही औफ कर के रख दिया. कुछ दिन बेटों से बात नहीं हुई तो तीसरे ही दिन बेटे घर आ पहुंचे. अधीरा की सूजी आंखें और उतरे चेहरे ने ही सब कहानी बयां कर दी.

मनोज अब भी अपने दंभ में बोले जा रहा था,’चरित्रहीन है, कुलटा है तुम्हारी मां.’

‘चुप रहिए,’ सजल चीख उठा.

‘आप के शक ने आप को अंधा कर दिया है पर मेरी मां को आप एक भी अपशब्द नहीं कहेंगे. मुझे मम्मी की सहेली मधु आंटी ने सब बता दिया है.

‘आप के शक का कोई इलाज नहीं है. इतनी समर्पित और प्रेम करने वाली पत्नी को आप ने जिंदा लाश बना कर रख दिया है,’ जवान बेटे का क्रोध देख कर मनोज ठंडा पड़ गया.

उधर अधीरा अपने दोनों जवान बेटों के सामने पति के मुंह से ऐसे लांक्षण सुन कर मानों शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी,’मैं क्यों न समा जाऊं धरती की गोद में? कब तक मैं देती रहूंगी अग्निपरीक्षा? अब कोई अग्निपरीक्षा नहीं…’

वह तङप कर बोल पङी एक दिन,’सजल, सारांश… मेरे बच्चो, अब मैं सफाई देतेदेते थक गई हूं. मैं मर जाऊं तो पति नाम के इस इंसान को मेरी मृतदेह को छूने मत देना और चेहरा भी मत देखने देना.

‘हो सके तो इतना कर के मेरे दूध का कर्ज चुका देना…’

उस दिन से अधीरा ने मनोज को पति के सिंहासन से उतार कर जमीन पर ला पटका.

समय बीतता गया. करवाचौथ आदि सब त्याग दिया अधीरा ने.

2 वर्षों के अंतराल पर दोनों बेटों का धूमधाम से विवाह कर दिया. सभी पारिवारिक और सामाजिक दायित्व बखूबी निभाए अधीरा ने पर मन में चरित्रहीनता की जो फांस चुभी थी  वह अब शहतीर बन गई थी.

एक रात वह सोई फिर कभी ना जागने के लिए.

कितनी बातें थीं जिन्हें साझा करने की जरूरत थी, कितने खुले घावों को सिला जाना था, कितनी खरोचों पर मोहब्बत के फाहे रखे जाने थे…पर घड़ी की टिकटिक ने नए घाव दिए..कितनाकितना हंसना था…कितनाकितना रोना… पर बेरहम वक्त ने उन्हें मुहलत न दी…पलक झपकी और पल गायब…

वहां उपस्थित लोगों के रूदन से मनोज अपने वर्तमान में लौट आया.

“हाय, क्या मैं अंतिम समय में अपनी जीवनसाथी का चेहरा भी नहीं देख सकूंगा…”

अधीरा का चिरनिद्रा में लीन चेहरा शांत था जैसे तमाम जिल्लत और रुसवाई से मुक्ति पा गई हो.

अधीरा की बहनें, सखियां और दोनों जिठानी तेज स्वर में रो रही थीं.  सजल अपने हाथों में मिट्टी का घड़ा ले कर जा रहा था. सारांश और परिवार के कुछ अन्य पुरुष अर्थी को कांधा दे कर ले जा रहे थे.

जिस अर्धांगिनी को वह हमेशा परपुरुष के नाम के साथ जोड़ कर उस का चरित्रहरण करता रहा उसे ही आज गैरपुरूष कांधा दे रहे थे पर मनोज के लिए ही वर्जित था अधीरा को छूना तक भी.

अविश्वास, शक का फुफकारता नाग मनोज के मन में आज निर्जीव सा पड़ा है और जीतेजी इसी लाश को ढोते रहना है उसे अब ताउम्र.

हाइकिंग पर जाने का बना रहे हैं प्लान, तो जानें कुछ जरूरी बातें

हाईकिंग या पैदल यात्रा एक आउटडोर गतिविधि है, जिसमें प्राकृतिक वातावरण में लंबी दूरी तक पैदल यात्रा करना होता है, यह इतनी लोकप्रिय गतिविधि है कि दुनियाभर में कई हाईकिंग संगठन इस बारें में सक्रिय हैं, जो समय समय पर लोगों को कम दाम पर लंबी और रोमांचक दूरी तय करने के लिए प्रेरित करती है. हाइकिंग आजकल सभी के लिए एक ट्रैंड बन चुका है, जिसमें युवा से लेकर व्यस्क, जिन्हें प्राकृतिक परिवेश में चुनौतीपूर्ण लंबी पैदल यात्रा पसंद होता है. वे जाना पसंद करते हैं. इतना ही नहीं हाइकिंग करते वक्त वे कभीकभी दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियों को देखने का आनंद लेते हैं, जिसे आम स्थान पर देखना संभव नहीं होता.

क्या कहती है आंकड़े

हाइकिंग पर जाने वालों की आंकड़े को देखे तो पता चलता है कि आउट्डोर हाइकिंग की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में विश्व में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इसमें इंडिया की संख्या सबसे अधिक रही. इसकी वजह बहुत हद तक कोविड के बाद से वर्क फ्रौम होम करने वालों की संख्या अधिक देखी गई, इनमें भी आईटी सेक्टर में काम करने वालों की संख्या अधिक रही.

ये अधिकतर ग्रुप में या अकेले भी जाते है, जिसमें जीपीएस यानि ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम काम करता है, जिसके द्वारा व्यक्ति आसानी से किसी ट्रैल या पगडंडी को पकड़ते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचता है. भारत में ऐसे कई ट्रैलिंग क्षेत्र है, जहां लोग जाना पसंद करते है. आजकल देश के युवा केवल देश में ही नहीं विदेशों में भी हाइकिंग का शौक रखते है, जिसमें उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पूर्वी अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, नेपाल आदि कई स्थान चर्चित है.

विदेश में हाइकिंग का शौक

अगर आप विदेश में हाइकिंग पर जाने का शौक रखते हैं, तो उत्तरी अमेरिका के कासकेड माउंटेन रेंज की कई ट्रैल्स में हाइकिंग का आनंद उठा सकते हैं, क्योंकि यहां की प्राकृतिक वनस्पति और सुन्दर जलवायु सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है. हाईकर अक्सर सुंदर प्राकृतिक वातावरण की तलाश करते हैं, जहां वे हाईकिंग कर सके. पहाड़ों पर कई ऐसे खूबसूरत जगह है, जहां पर जमीनी मार्ग से होते हुए सिर्फ हाईकिंग द्वारा ही पहुंचा जा सकता है और उत्साही लोग प्रकृति को देखने के लिए हाईकिंग को सबसे अच्छा तरीका मानते हैं.  हाईकर इसे, किसी भी तरह के वाहन में बैठकर घूमना पसंद नहीं करते.

30 वर्षीय सुनीता को भी हाइकिंग का बहुत शौक है, काम से जब भी उसे समय मिलता है, हाइकिंग पर निकल जाती है. उन्होंने देश में ही नहीं विदेशों में भी हाइकिंग किया है. उनके हिसाब से हाइकिंग मानसिक तनाव को कम करने और शारीरिक फिटनेस को बनाए रखने का सबसे बेहतर तरीका है, जिसमें उस पूरे दिन सुंदर प्रकृति को नजदीक से देखने का अवसर मिलता है. उन्होंने भारत के पश्चिमी घाट के अलावा विदेशों में पूर्वी अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में भी हाइकिंग कर चुकी है.

हाइकिंग का इतिहास  

वर्ष 1336 में फ्रांसेस्को पेट्रार्का पहले व्यक्ति थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सिर्फ अनुभव के लिए पहाड़ पर चढ़ाई की थी. इसके अलावा हाइकिंग का इतिहास पुराना है, क्योंकि मनुष्य ने पूरे इतिहास में विभिन्न कारणों से लंबी दूरी पैदल चलकर तय की है. मूल अमेरिकी जनजातियों से लेकर प्राचीन पगडंडियों पर मार्च करने वाली सेनाओं तक, सभी ने पैदल चलकर रास्ता तय किया है. पैदल चलना सदियों से मानव जीवन का एक हिस्सा रहा है. मध्य युग के दौरान दक्षिणी फ्रांस के मोंट वेंटौक्स पर्वत की चोटी की कई लंबी दूरी की पैदल यात्रा का वर्णन मिलता है. सबसे पहला उदाहरण फ्रांसीसी दार्शनिक जीन बुरिदान का है, जिन्होंने मौसम संबंधी टिप्पणियों के लिए वर्ष 1334 से पहले कभी इस चोटी पर चढ़ाई की थी.

भारत में भी पहले सेना, व्यापारी नई जगह की तलाश में लंबी दूरी पैदल चलकर जाते थे, इसमें वे अपने मवेशियों और खाने की समान के साथ चल देते थे, जिसमें कई बार बीमारी, किसी प्राकृतिक दुर्घटना या बिना भोजन पानी के रास्ते में दम तोड़ देते थे. इतना ही नहीं, राजामहाराजा भी अपने ग्रुप के साथ शिकार पर लंबी दूरी का रास्ता तय करते थे. ब्रिटिश राज में भी श्रीनगर से लेह की दूरी पैदल चलकर तय करने के उदाहरण है, लेकिन समय के साथ -साथ हाइकिंग अब मनोरंजन या आनंद में बदल चुका है. आजकल हाइकिंग सबसे अधिक युवाओं के लिए आकर्षक ट्रेंड बन चुका है.

हाइकिंग के प्रकार  

हाइकिंग भी कई प्रकार के होते हैं, डे हाइक उस हाइक को कहते है, जिसे एक दिन में पूरा किया जा सकता है, इसका प्रयोग अक्सर पहाड़ी हाइक या झील अथवा शिखर के लिए किया जा सकता है. इसमें रात्रिकालीन शिविर की आवश्यकता नहीं होती है. सुबह से हाइकिंग पर निकाल कर सूरज ढलने से पहले ही व्यक्ति नीचे उतर जाता है. आस्ट्रेलियाई लोग पगडण्डी वाले और बिना पगडण्डी वाले रस्ते पर चलने के लिए बुशवाकिंग शब्द का प्रयोग करते हैं. न्यूजीलैंड के लोग ट्रैम्पिंग (विशेष रूप से रात भर चलने वाले और उससे लम्बी हाईकिंग के लिए), वाकिंग या बुशवाकिंग शब्द का प्रयोग करते हैं.  भारत, नेपाल, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका के पहाड़ी क्षेत्रों में हाईकिंग को ट्रैकिंग कहा जाता है; डच भी ट्रेकिंग का उल्लेख करते हैं. लम्बी पगडंडियों पर एक छोर से दूसरे छोर तक लम्बी दूरी की हाईकिंग को भी ट्रेकिंग और कुछ स्थानों में थ्रूहाईकिंग के रूप में भी जाना जाता है. उदाहरण के लिए अमेरिका का अप्लेशियन ट्रैल  (AT)  2,190+ मील लंबा है. हर साल यहां हजारों हाइकर्स थ्रूहाइक का प्रयास करते हैं, जिसमें चार में से केवल एक ही इसे पूरा कर पाता है. एक सामान्य थ्रूहाइकर को पूरे अप्लेशियन ट्रैल को हाइक करने में 5 से 7 महीने लगते हैं. यह 14 राज्यों से होकर गुजरती है और अमेरिका में तीन “ट्रिपल क्राउन” ट्रेल्स में से सबसे लोकप्रिय और पुरानी पगडंडी है.

हाइकिंग या ट्रेकिंग से पहले जाने कुछ जरूरी बातें,

  • पहली बार हाइकिंग पर जाएं तो ग्रुप में जाएं और किसी गाइड को साथ में रखें तो ज्यादा अच्छा होगा. इसके अलावा अपने घर पर भी इसकी जानकारी दें.
  • हाइकिंग पर जाने के लिए सबसे जरूरी होता है सही जूते का चयन करना, ताकि जूते आरामदायक और मजबूत हो, जिसका चलने का हिस्सा अच्छा हो या कम से कम नीचे से चिकना न हो, ऐसे जूते जो ज़मीन को पकड़ सकें, पैरों को सही तरह से नीचे रखने में मदद करें. उदाहरण के लिए यदि आप गंदगी या धूल भरे पहाड़ी रास्ते पर चढ़ रहे हैं, तो किसी प्रकार की समस्या न हो, हाइकिंग बूट हल्के वजन वाले होने चाहिए, जिससे चलने में आसानी हो.
  • ट्रेल पर आरामदायक बैग पैक का होना आवश्यक होता है, जिससे आपकी पीठ पर कोई चीज़ न चुभे और न ही आपका संतुलन बिगड़े, साथ ही  अनुभव को भी मज़ेदार बनाना पड़ता है, ऐसे में जरूरी चीज़ों (स्नैक्स और पानी) को सही तरह से पैक कर लेना जरूरी होता है. चौकलेट या टौफी साथ में रखें.
  • हाइकिंग से पहले उस स्थान की पूरी जानकारी लें, जो आप औनलाइन ले सकते है. जब आप कोई रास्ता चुन रहे हों, तो आपको यह सोचना होगा कि आप कितनी दूर तक पैदल चलना चाहते हैं और ऊपर और नीचे की ओर पैदल चलने में आपकी सहजता का स्तर क्या है. अधिकांश ट्रेल मैप यह जानकारी और निर्देश प्रदान करते है, हालांकि खुद को आगे बढ़ाना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन जब तक आपको अपनी शारीरिक फिटनेस और क्षमता के बारे में अच्छी समझ न हो जाए, तब तक छोटी दूरी की पैदल यात्राएं चुनें और फिर वहाँ से आगे बढ़ें, अचानक ही किसी बड़ी और दुर्गम ट्रैल को पहली बार न चुने. रूट की गलत जानकारी आपको रास्ते से भटका सकती है.
  • रूट की जानकारी के अलावा रूट के मौसम की जानकारी भी लें, इससे आपको पैकिंग करने में आसानी होगी.
  • हाइकिंग कभी भी टाइट कपड़े पहन कर न करें. ढीले और आरामदायक कपड़ों में भी ट्रैकिंग करें और कपड़े मौसम के मुताबिक ही पहनें.
  • किसी झील या किसी झरने के पास कैंप लगाना हो तो कम से कम 200 फीट दूरी पर ही कैंप लगाएं और कैंप को हमेशा समतल जमीन पर ही लगाएं.
  • अगर किसी जंगली इलाके में जा रहे हैं, तो जानवरों को दूर से ही देखें उनके पास जाने की कोशिश न करें. साथ ही अगर आपकी ट्रैल किसी जंगली इलाके में हो तो, साथ में ऐन्टिसेप्टिक क्रीम अवश्य ले लें, ताकि कीड़ेमकौड़े के काटने पर लगाया जा सकें.
  • अपने छोड़े हुए कूडे़ को रास्ते में न फेंके अपने साथ पैक करके ले जाएं, ऐसा करने से आप वहां के पर्यावरण को बनाए रखने में सहयोग दें सकेंगे.

टीनऐजर्स के साथ रखें दोस्ताना व्यवहार, तभी कहलाएंगे कूल पैरेंट्स

14 -15 साल यानी टीनऐज उम्र को छूते हुए बच्चे के स्वभाव में बदलाव आने लगता है, हर समय मम्मीपापा के इर्दगिर्द घूमने वाले बच्चे को अब अकेले और दोस्तों के साथ समय बिताना अच्छा लगने लगता है. मम्मीपापा की हर बात मानने वाले बच्चे को अब उन की बातें अच्छी नहीं लगतीं जैसे हर बात या कुछ भी मनपसंद का न होने पर या जबरदस्ती करने अथवा किसी भी काम में ज्यादा टोकाटाकी उसे रास नहीं आती. उस का गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है.

तब पेरैंट्स बच्चे के बदलते स्वभाव की वजह से उसे डांटते हैं, कभीकभी तो पीट भी देते हैं. पेरैंट्स का ऐसा करना बच्चे को और अधिक विद्रोही बना सकता है. ऐसे में पेरैंट्स यदि थोड़ा धैर्य रखें तो बात बिगड़ने से बच सकती है.

टीनऐज में बच्चे बहुत सारे बदलावों से गुजरते हैं. इस का सब से बड़ा कारण है हारमोंस. एक तरफ शरीर में तेजी से बदलाव आते हैं तो दूसरी ओर हारमोन भी उन की फीलिंग्स में कई तरह के बदलाव लाते हैं. प्यार, अट्रैक्शन, गुस्सा, हर्ट होने जैसी फीलिंग्स अब बच्चों में बढ़ने लगती हैं. जहां एक तरफ वे इन फीलिंग्स और बदलावों को सम?ाने की कोशिश कर रहे होते हैं वहीं दूसरी तरफ स्कूल में पढ़ाई का प्रैशर भी बढ़ने लगता है. यह प्रैशर और हारमोंस बच्चों के बदलते स्वभाव के लिए जिम्मेदार होते हैं.

नजर रखें

भले ही आप अपने टीनऐजर बच्चों पर भरोसा रखते हों और उन्हें कुछ आजादी भी दे रहे हों लेकिन इस बात की जानकारी जरूर रखें कि वे कहां जा रहे हैं, किस से मिल रहे हैं, क्या कर रहे हैं या उन के दोस्त कौन हैं.

लक्ष्य तक पहुंचने में करें मदद

हर टीनऐजर अपना एक लक्ष्य बनाता है और उसे पूरा करना चाहता है. ऐसे में आप उस की मदद करें और उसे बताएं कि आप उस के इस लक्ष्य को प्राप्त करने में उस के साथ हैं, साथ ही असफल होने पर उस के आत्मविश्वास को बनाए रखने में उस की हर संभव मदद करें.

दोस्त बनें

टीनऐजर बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए आप को पेरैंट्स होने के साथसाथ एक दोस्ताना रिश्ता भी बनाना होगा जिस से वे अपनी परेशानियां या हर तरह की बातें आप के साथ खुल कर सा?ा कर सकें ताकि किसी तरह की गलत चीजों में फंसने से वे बचे रहें. आप का दोस्ताना व्यव्हार उन्हें आप के करीब रखेगा और तभी आप उन्हें सहीगलत की जानकारी बेहतर तरीके से बता सकेंगे.

कुछ समय साथ गुजारें

यह जरूरी है कि आप दिनभर कम से कम आधा घंटा जरूर साथ गुजारें. यह समय साथ खाना खाने का, कुकिंग का या सफाई का हो सकता है या फिर कुछ और. रात में सोने से पहले आप साथ में 20-25 मिनट की वाक कर सकते हैं और दिनभर की बातों को शेयर कर सकते हैं.

धैर्य रखें

अपने बड़े होते बच्चे को बेहतर परवरिश देने का तरीका है कि आप धैर्य रखें. टीनऐज में वह खुद इतने बदलावों से गुजर रहा है कि उसे आप से सहयोग की जरूरत होती है. यहां आप सम?ों कि आप का बच्चा या बच्ची इस तरीके से व्यवहार क्यों कर रही है. पेरैंट्स के मूड स्विंग्स को ले कर उस पर चिल्लाएं नहीं. ऐसे में पेरैंट्स होने के नाते आप उस की परेशानियों को अच्छी तरह से सम?ों. इस के लिए थोड़ा धैर्य रखें. डांटडपट और गुस्सा न करें.

सिखाएं बड़ों का आदरसम्मान करना 

कई बार अपने गुस्से और ?ां?ालाहट में बच्चे अपनी हदें पार कर जाते हैं और मातापिता को भलाबुरा बोल देते हैं. ऐसे में संयम बनाए रखें. उन से कहें कि आप उन का गुस्सा या परेशानी सम?ा सकते हैं लेकिन फिर भी उन्हें आप से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए.

उन्हें प्यार से सम?ाएं कि उन के शरीर और मन में जो बदलाव आ रहे हैं आप उन्हें अच्छी तरह से सम?ा रहे हैं. फिर भी कुछ चीजें हैं जिन्हें बिलकुल बरदाश्त नहीं किया जाएगा जैसे ?ाठ बोलना, गालीगलौज, बड़ों की बेइज्जती, बड़ों से तेज आवाज में बात करना. यदि आप के बच्चे ऐसा करते हैं तो आप उन्हें बिना डांटे उन की गलती का एहसास दिलाएं और आगे से ध्यान रखने के लिए कहें.

उन पर भरोसा करें

इस उम्र में बच्चे अपने दोस्तों के बहुत करीब होते हैं. परिवार वालों से ज्यादा वे अपने दोस्तों को अपनी पर्सनल बातें बताते हैं. ऐसे में बच्चों से उन के दोस्तों के बारे में बातें करें. यह जानने की कोशिश करें कि कहीं उन की कोई सहेली या दोस्त ऐसा तो नहीं जो आप के बच्चों को कुछ गलत करने के लिए उकसा रहा हो.

यदि आप को ऐसा लगता है तो बच्चों को आगाह करें और थोड़ा सम?ा दें. अगर बच्चे कहते हैं कि वे कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं तो उन की जासूसी न कर उन पर भरोसा करें. कई बार बच्चे खुद गलतियां करने के बाद ही सीखते हैं इसलिए उन्हें अपनी गलतियों से सीखने का एक मौका जरूर दें.

तुलना न करें

अपने बच्चे को कोई भी गलत काम करते हुए देख कर हम तुरंत उसे उस की क्लास के टौपर, अपने दोस्त के बच्चे या किसी पड़ोस के बच्चे से कंपेयर करने लगते हैं. ‘देखो, शर्माजी का लड़का तुम्हारी क्लास में ही है और स्कूल और कोचिंग दोनों जगह टौप करता है,’ ‘तुम से अच्छा तो तुम्हारा छोटा भाई है, खेलने पर कम और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान लगाता है’ जैसी बातें लगभग सभी मातापिता जानेअनजाने में करते ही हैं.

इसलिए ऐसा भूल कर भी न कहें वरना उस में हीनभावना आ सकती है जो उस के लक्ष्य में आगे बढ़ने में बाधा बन सकती है. इस से आप अपने बच्चे को खुद से दूर कर लेंगे.

आप को भी सम?ाना होगा कि हर बच्चा और बच्ची अपनी अलग खासीयत और क्षमता के साथ बिलकुल अलग होता है. जरूरी नहीं है कि हरकोई टौप ही करे क्योंकि कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा होता है तो कोई ड्राइंग, पेंटिंग में कोई खेलकूद में तो कोई और किसी फील्ड या गतिविधि में इसलिए अपने बच्चे की खासीयत यानी उस का टेलैंट पहचाने और उसे उसी की गति और सुविधा से आगे बढ़ने दें.

खुश रहें

यदि आप का बच्चा अपनी समस्याएं ले कर आप के पास आता है तो आप को खुश होना चाहिए साथ ही उस की बात ध्यान से सुनें. इस के लिए पर्याप्त समय दें. यह कह कर पीछा न छुड़ाएं कि अभी नहीं बाद में बताना. यह क्या बारबार तुम कोई न कोई समस्या ले कर आ जाते हो, अपनी समस्या खुद हल करना सीखो वैगरहवैगरह.

बनाएं कुछ रूल्स

हो सकता है कि आप का बच्चा ओवर स्मार्ट बनने के चक्कर में आप को या आप की बताई चीजों को नजरअंदाज करने लगे. बच्चे पर बहुत ज्यादा सख्ती अच्छी नहीं होती है लेकिन उसे पूरी तरह ढील देना भी ठीक नहीं है. घर में माहौल को बैलेंस बनाए रखने के लिए कुछ रूल्स बनाएं. बच्चे को रूल्स बताने के साथसाथ इन्हें बनाए जाने की वजह भी बताएं और उसे इन से क्या फायदा होगा यह भी बताएं. उसे निर्देश दें कि इन का पालन करना कितना जरूरी है. तभी बच्चा यह सम?ा पाएगा कि उसे कब और कहां कैसे व्यवहार करना है.

हर सिचुएशन में रहें शांत

टीनऐज में बच्चे खुद को स्मार्ट सम?ाने लगते हैं और उन्हें लगता है कि पेरैंट्स का दिया हुआ ज्ञान पुराने जमाने का है. वे अपनी हर परेशानी या समस्या या कोई जानकारी मातपिता से पूछने के बजाय अपने दोस्तों या गूगल से पूछते हैं. तब कई बार पेरैंट्स और बच्चे का ईगो बीच में आने लगता है और यह ?ागड़े या नैगेटिविटी का कारण बनने लगता है. इस सिचुएशन में आप को एक मैच्योर पर्सन की तरह व्यवहार करना चाहिए. सिचुएशन शांत रह कर संभालने की कोशिश करें.

टीनऐज पेरैंट्स और बच्चे दोनों के लिए कठिन दौर होता है लेकिन एक अच्छे मातापिता बन कर आप निश्चित रूप से उस की उम्र के इस पड़ाव को उस के लिए आसान बनाने में मदद कर सकते हैं. अपने व्यवहार और आदतों में बदलाव से यदि आप कूल पेरैंट्स रहेंगे तो इस बात की बहुत संभावना है कि बच्चा आप की बात मानते या सुनते हुए आप के साथ कुछ भी शेयर करने में किसी तरह की हिचक या संकोच न करे.

बच्चे की टीनऐज सिर्फ उस के लिए नहीं, एक पेरैंट्स होने के नाते आप के लिए भी बहुत खास है. बच्चे के साथ ही आप को भी अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत होगी.

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