New Trend : नीता अंंबानी के स्टाइलिश ब्लाउज में नातीनातिन, पोतेपोतियों के नाम

अपने लुक्स और फैशन स्टाइल को लेकर सोशल मीडिया में चर्चाओं में बनी रहने वाली अंबानी घर की महिलाएं एक बार फिर अपने स्टाइलिश ब्लाउज की वजह से सोशल मीडिया में छाई हुई है. अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के मैरिज फंक्शन में अंबानी परिवार की लेडिज जब ड्रेसअप होकर आई तो किसी की निगाहे उन से हटी नहीं. उन के डिफरेंट और स्टाइलिश ब्लाउज ने एक्ट्रैस के फैशन सेंस को भी मात दे दी. आज हम अपने इस आर्टिकल में इन्हीं स्टाइलिश ब्लाउज के बारे में आप को बताएंगे.

1. एम्ब्रॉयडरी वर्क विद नेम

नीता अंबानी के इस एम्ब्रॉयडरी ब्लाउज ने पूरी महफिल लूट ली थी. इस ब्लाउज को हैवी एम्ब्रॉयडरी वर्क के साथ डिजाइन किया गया था. जिस में नीता अंबानी के बेटे और बेटी के साथसाथ उन के ग्रैंड चिर्ल्डन वेदा, पृथ्वी, कृष्णा और आदित्य के नाम भी लिखे हुए थे. इस के लिए बैक में नेट के फैब्रिक का इस्तेमाल किया गया था. इस के बीच में मां लक्ष्मी के चिन्ह और हाथी के डिजाइन को बनाया गया था. इस के अलावा इस की बाजुओं पर मंत्र को भी लिखवाया था. इस में ब्लाउज में छोटेछोटे लटकन का भी इस्तेमाल किया गया था.

2. ईशा अंबानी का ज्वैलरी वाला ब्लाउज

इस ग्रैंड शादी में चल रहे फंक्शन में ईशा ने एक शानदार ब्लाउज पहना था, जिस में अलगअलग तरह के झुमके और नेकपीस लगे हुए थे. तरहतरह की ज्वैलरी से सजे इस ब्लाउज में ईशा के गहनों और उन के टुकड़ों के साथसाथ गुजरात और राजस्थान के सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों से मिले आभूषणों को भी शामिल किया गया था. इस ब्लाउज में कीमती आभूषणों को नए रूप में प्रस्तुत कर के उन का रूप बदल दिया गया था. ईशा के इस ब्लाउज ने सभी को चौंका दिया था और उन का लुक इस में देखते ही बन रहा था. गहनों का इतना अच्छा इस्तेमाल किसी ने सोचा भी नहीं था.

3. सोने का बेहतरीन ब्लाउज

अनंत राधिका की शादी से पहले नीता अंबानी ने अपने घर में एक पूजा रखी. इस पूजा में उन्होंने अबू जानी संदीप खोसला के हैवी कढ़ाई वाले लहंगा चोली को चुना. इस पर सोने के वर्क के साथ मिनट मिरर वर्क किया गया था. लेकिन इस लहंगे की शान था सोने से बना उन का यह ब्लाउज, जो चंदन हार और चांद के धागों से तैयार किया गया था. इस की गोल नेकलाइन पर सितारों के साथ लहंगे की तरह सोनी वर्क से डीटेलिंग की गई, वही स्लीव्स पर भी सेम डिजाइन किया गया था, इस के साथ उन्होंने साटन सिल्क का रॉयल ब्लू दुपट्टा कैरी किया गया था, जो उन्हें महारानी का लुक दे रहा था.

4. श्लोका मेहता का हॉल्टर नेक बो बैक ब्लाउज

श्लोका ने य फैंसी ब्लाउज अनंत और राधिका के संगीत सेरेमनी में पहना था. इस हॉल्टर नेक वाले स्लीवलेस ब्लाउस को छोटेबड़े वाइट पर्ल से सजाया गया है. ये इस के बैक साइड में टीजिंग एलिमेंट एड करते हुए क्रिस्टल से बने बो बैक बटन भी लगे हुए थे. ये ब्लाउज इतना एलिगेंट था कि इस की वजह से उन्होंने गले में कोई जूलरी भी नहीं पहनी थी.

5. राधिका मर्चेंट का कोटी ब्लाउज​

राधिका मर्चेंट ने अपनी शादी के फंक्शन में एक लहंगे के साथ विंटेग कोटी वाला ब्लाउज कैरी किया था. गुलाबी और ऑरेंज कलर की इस कोटी की नेकलाइन ‘वी ‘ थी. जिस की सीध पर नीचे की ओर बटन लगाए गए थे. वहीं, वेस्ट वाले पोर्शन पर हरी रंग की बॉर्डर वाली मोटी पट्टी की फिनिशिंग के साथ दोनों साइड से कट दिया गया था. स्लीव्स को हाफ रखते हुए उस की हेमलाइन पर छोटीछोटी गोल्डन कलर की लटकन लगाई गई थी. जिस की वजह से इस ब्लाउज की खूबसूरती देखते ही बन रही थी.

6. सिंगल शोल्डर ब्लाउज

इस सिंगल शोल्डर ब्लाउज को ईशा अंबानी ने स्टाइल किया था. ईशा ने इस ब्लाउज को ट्यूब स्टाइल में कैरी किया था. इसे मशहूर फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा द्वारा किया गया था. जो देखने में बेहद खूबसूरत लग रहा था. अगर आप भी ईशा अंबानी की तरह ब्लाउज पहनना चाहती है तो आप इसे बनवा सकती हैं और स्टाइल कर सकती हैं. इस में आप एक साइड पर फुल स्लीव्स और दूसरी तरह केवल सिंगल स्ट्रैप डिजाइन को बनवा सकती हैं. इस के अलावा आप इस ब्लाउज डिजाइन को ड्राप शोल्डर या हैंगिंग स्टाइल स्लीव्स की तरह भी बनवाकर लहंगे, साड़ी, स्ट्रैट शरारा के साथ पहन सकती हैं.

7. नीता अंबानी का पिंक एम्ब्रायड्री ब्लाउज​

नीता अंबानी ने इस पिंक कलर के हेवी बंधनी लहंगा के साथ पिंक कलर का ही ब्लाउज कैरी किया था, जिस का फ्रंट और बैक डिजाइन प्लेन था. लेकिन स्लीव्स को हेवी बॉर्डर और बाजुओं पर गोल्डन कढ़ाई के साथ डिजाइन किया गया था. अगर आप भी उन महिलाओं में से है जो सिंपल ब्लाउज कैरी करना पसंद करती हैं, तो नीता अंबानी के इस ब्लाउज डिजाइन को कौपी कर सकती हैं.

8. राधिका मर्चेंट का औफ शोल्डर ब्लाउज

राधिका मर्चेंट ने अपने संगीत सेरेमनी में लहंगे के साथ एक औफ शोल्डर ब्लाउज पर पहना था. इस ब्लाउज की खास बात यह थी कि इस की नेकलाइन और हाथों खूबसूरत डिजाइन और डिटेलिंग थी. इस ब्लाउज ने उन की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए.

9. श्लोका मेहता का पफ स्लीव ब्लाउज​

अनंत राधिका के मामेरू फंंक्शन में श्लोका ने अपने पिंत कलर के घाघरे के साथ ऑरेंज रंग की चोली पहनी थी. जिस पर पिंक और गोल्डन सितारों का काम किया गया था. नेक डिजाइन को डायमंड शेप में रखा गया था, जिस में पिंक कलर की पाइपिंग से फिनिशिंग दी गई थी. इस की स्लीव्स बैलून स्टाइल में थी जिस ने लुक को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने का काम किया.

10. ईशा अंबानी का शॉर्ट रफल ब्लाउज​

जब से इंटरनेट पर ईशा अंबानी का शॉर्ट रफल ब्लाउज​ की फोटोज आई हैं, हर कोई उन के लुक की ही तारीफ कर रहा है. ईशा ने इस ब्लाउज की नेकलाइन को स्वीट हार्ट स्टाइल में रखा था. वहीं इस में स्ट्रैप डिजाइन के साथ शॉर्ट फ्लटर स्लीव को अटैच किया गया था, जो ब्लाउज के लुक को परफेक्ट फिनिशिंग दे रही थी. इस की वजह से ब्लाउज की रौनक देखते ही बन रही थी. इस ब्लाउज के फ्रंट और बैक का डिजाइन भी बहुत स्टाइलिश था, जिसे हुक वाला रखा गया था. इस ब्लाउज में टैसल वाली लटकन लगाई गई थी.

अंबानी महिलाओं के ये स्टाइलिश ब्लाउज अब ट्रेड में आ चुके हैं. हर महिला इन्हें पहनना चाहती है. ऐसे में आप भी इन स्टाइलिश ब्लाउज को पहनकर पार्टी में छा सकती है. तो देर किस बात की. जल्द ही इन्हें बुटीक से सिलवाए और अपना जलवा बिखेरे.

अवॉर्ड फंक्शन के दौरान एक्ट्रेस सोनिया बंसल को ले जाया गया कोकिलाबेन हॉस्पिटल. जानें वजह

27 वर्षीय मॉडल एक्ट्रेस सोनिया बंसल जो की कलर्स चैनल के अति चर्चित बिग बॉस 17 में बतौर प्रतियोगी नज़र आ चुकी है . वही सोनिया बंसल नेक्सा स्ट्रीमिंग अकादमी अवार्ड फंक्शन मे रेड कारपेट अटेंड करने पहुंची थी. जहां पर उनकी अचानक तबीयत खराब होने के चलते तुरंत उनको मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती किया गया. तबीयत खराब होने की वजह पैनिक अटैक बताया गया है जिस वजह से वह ठीक से बोल भी नहीं पा रही. अस्पताल में एडमिट होने के बाद वह क्या बोल रही हैं वह डॉक्टर को भी समझ नहीं आ रहा. सोनिया बंसल फिलहाल डॉक्टर की निगरानी में है और उनका इलाज चल रहा है.

सूत्रों के मुताबिक सोनिया पिछले 4 महीने से मानसिक तौर पर अस्वस्थ है इसकी वजह से उनको पैनिक अटैक आ रहे हैं. जिससे बाहर निकलने के लिए सोनिया काफी मेहनत भी कर रही हैं. उनको यह पैनिक अटैक अचानक से ही आ जाता है. इसी के चलते नेक्सा अवार्ड फंक्शन में रेड कारपेट के दौरान उनको पैनिक अटैक आया. और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया

वर्क फ्रंट की बात करें तो सोनिया मॉडलिंग के अलावा तेलुगु और हिंदी फिल्मों की हीरोइन है. और कुछ म्यूजिक वीडियो में जैसे वीनस ग्रुप, टी-सीरीज, ज़ी के म्यूजिक वीडियो में सोनिया हुस्न के जलवे बिखेर चुकी हैं.

इसके अलावा सोनिया माइकल सिनको डिजाइनर के ड्रेस में सज कर 2023 में आईफा अवार्ड का रेट कारपेट भी अटेंड कर चुकी है.

जब एक साथ दो लड़कों से हो जाए प्यार, तो फौलो करें ये Tips and Tricks

आजकल के रिश्ते चाय की चुस्की की तरह सहज हो गए है कल तक जहां लड़के एक नहीं बल्कि कई लड़कियों का औप्शन लेकर चलते थे, वहीं आजकल लड़कियों का दिल भी एक पर जाकर नहीं टिकता वो भी एक से ज्यादा बौयफ्रेंड बनाने से पीछे नहीं हटती बल्कि उनको जो परफेक्ट लगता है, उसको वो बौयफ्रेंड के जोन में रखती हैं. इसके पीछे भी उनके कई कारण होते हैं.

इस बारे में रिलेशनशिप एक्सपर्ट अर्पणा चतुर्वेदी कहती हैं कि आज समय बहुत बदल गया है.अब लड़कियां पहले जैसी नहीं रही कि जहां घर वालों ने बोल दिया वही शादी कर ली.आज की लड़कियां इंडिपेंडेट हो गई हैं. वो अपना लाइफ पार्टनर ऐसा चुनना चाहती हैं जो परफेक्ट हो. इसके लिए उनके पास भी औप्शन की कमी नहीं होती अब वो भी कई लड़को से पहले दोस्ती फिर डेटिंग करने से पीछे नहीं हटती और देख परख कर अपनी लाइफ का फैसला करती है. लड़की को जिस तरह का लड़का पसंद है अगर वो उसको रियल में मिल जाए, तो वो उसको छोड़ना नहीं चाहेंगी और उसे पाने के लिए वो सारे जतन करेंगी जो उसको सही लगते हैं.

पर्सनल डिसीजन

किसी भी लड़की का एक या 2 लड़कों के साथ डेट करना उसका अपना खुद का डिसीजन होता है. उसको अपने डिसीजन पर विश्वास रहता है कि वह जो कर रही है वो कितना सही और गलत है. वह कोई भी कदम ऐसा नहीं उठाती, जिससे उसको बाद में पछताना पड़े.

डेयरिंग लाइफ

एक्सपर्ट का मानना है 2 या 2 ज्यादा लड़को के साथ डेटिंग करने से लाइफ में रोमांच बना रहता है और वह बिना किसी रोक-टोक के अपनी लाइफ एंजाय कर सकती है लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर एक लड़की इस डेयरिंग लाइफ को जी सके.

बोरियत को भगाए दूर

बौयफ्रेंड होने का ये फायदा होता है कि एक के साथ आप दुख दर्द बांट सकते हैं और दूसरे के साथ बोरियत दूर कर सकते हैं इस बारे में एक्सपर्ट का मानना है कि अगर आप अकेलेपन और दुख दर्द से बचना चाहते हैं तो एक से ज्‍यादा लोगों के साथ डेटिंग करना बोरियत और अकेलेपन से बचने का बेहतर तरीका है.

वैल्युएबल नोलेज

कई लोगों के साथ डेटिंग का प्रोसेस वैल्युएबल नोलेज प्रदान करता है जो फ्यूचर में अधिक
सैटिस्फैक्शन रिश्तों की ओर ले जा सकता है. एक्सपर्ट का मानना है जब तक रिश्तों में सैटिस्फैक्शन नहीं होता तब तक रिश्ते लंबे समय तक नहीं चल पाएंगे.

सेल्फकौन्फिडेन्स

कई लोगों के साथ डेटिंग करने से फ्रीडम और सेल्फकॉन्फिडेन्स को बढ़ावा मिल सकता है, क्योंकि इमोशनल सपोर्ट के लिए व्यक्ति केवल एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं होता है.

पर्सोनल डेवेलपमेंट

एक से ज्यादा लोगों के साथ डेटिंग करना पर्सोनल डेवेलपमेंट और हैप्पीनेस के लिए एक पौजिटिव और ज्ञानवर्धक अनुभव हो सकता है.आप स्वयं किसी भी बात के लिए डिसीजन लेकर खुश रह सकती हैं.

ब्रेकअप का डर नहीं

इस तरह के रिश्ते में आप इमोशनल रूप से किसी एक के साथ ज्यादा अटैच्ड नही होती, जिससे दिल टूटने का डर भी नहीं रहता है और आप लाइफ को अपने तरीके से एंजॉय करती है.

मिलते है कई औप्शन

एक से ज्यादा लड़को से डेटिंग करने से आपको अपने औप्शन को तलाशने और अलगअलग इंटेरेस्ट आउट पर्सनाल्टी वाले अलगअलग लोगों को जानने का मौका मिलता है.यह अपने बारे में और अपने पार्टनर के बारे में जानने का एक बेहतर तरीका हो सकता है की आप लाइफ में क्या चाहते हैं.

मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद

एक्सपर्ट का मानना है कि कई लोगों के साथ डेटिंग करना मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे अलगअलग सोच को जानने का मौका मिलता है और इससे ये भी पता चलता है कि आप जिस पार्टनर की तलाश में है क्या ये वही है.

एक लड़की का 2 लड़को के साथ डेटिंग करना कितना सही है?

बात जब डेटिंग की होती है, तो 2 पार्टनर के साथ डेट करना प्रौब्लम में डाल सकता है फिर चाहे लड़की हो या लड़का.क्योंकि जब दूसरे पार्टनर को पता चलेगा की आप किसी और के साथ भी इनवाल्व हो तो वह इसे धोखे के रूप में लेगा इसलिए सोचना आपको है की स्वयं के मूल्यों और रिश्ते से आप क्या चाहती हैं.

दूसरों से ज्यादा खुद से प्यार करना है जरूरी, जानें कैसे बने खुद की पहली पसंद

खास कर महिलाओ के लिए तो यह सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि अधिकतर महिलाएं सारा दिन घर परिवार की चिंता व जरूरतों को पूरा करने में लगी रहती हैं जिस के चलते खुद पर ध्यान तक नहीं देती. यहां तक की कुछ पल के लिए भी वो खुद को खुद से मिलने भी नहीं देती.जिससे उसका शरारिक के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य भी कमजोर पड़ने लगता है. लेकिन इससे बचना बहुत ही आसान है जिसके लिए आपको करने होंगे यह काम.

अच्छी नींद लें

सबसे अहम कार्य है अच्छी नींद लेना. जरूरी है कि पूरे दिन में कम से कम 7 घंटे की नींद आवश्यक लें.नींद को लोग हल्के में ले लेते है लेकिन यह हमारे स्वस्थ्य जीवन के लिए इतनी ही जरूरी है जितना की स्वस्थ्य भोजन. अच्छी नींद लेने से दिल स्वस्थ रहता है तनाव कम होता है रक्त शर्करा को स्थिर रखने में मदद मिलती है, वजन कम होता है और यादास्त अच्छी होती है.

अपनी रूचि पर काम करें

एक पल. ऐसा भी आता है जब हम हर चीज से ऊब जाते हैं.रोजाना के रूटीन से बच निकलना चाहते हैं लेकिन ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता.इसके लिए खुद को क्रिएटिव बनाएँ. जिस भी कार्य में आपकी रूचि है या हॉबी रही है उसको निखारे क्योंकि जो काम करने की इच्छा हमारे अंदर समय की व्यस्तता के साथ मन के किसी कोने में दबी रह जाती है वो दबीश कुछ समय बाद हमें दुख देने लगती है इसके लिए अपनी दबी इच्छाओं को पूरा करने की भरपूर कोशिश करें.

ना करना सीखें

हमेशा हां जी वाली जी हजूरी में ना लगी रहें खुद को मल्टी टास्कर दिखाने के चक़्कर में खुद को भूल जाना कहा का इन्साफ है इसलिए उतना ही कार्य करें जितना आपके लिए ठीक हो,ओवरलोड आपको बीमार कर सकता है. जिससे आप चिड़चिड़ेपन, तनाव से घिर सकती हैं इस कारण आपके आसपास का माहौल भी बिगड़ता है.

खानपान

स्वस्थ खानपान स्वस्थ जीवन का मूल आधार होता है और यह बात हर महिला जानती भी है लेकिन खुद पर इस बात को लागु करना भूल जाती है. लेकिन यदि आप स्वस्थ रहेंगी तभी तो अपने प्रियजनों को स्वस्थ रख सकेंगी, इसलिए खुद पर ध्यान देना पहली प्राथमिकता बनाएँ और स्वस्थ आहार अवश्य लें.

खुद को चिल करें

लम्बे रूटीन से छुटी अवश्य लें, जिसके लिए आप महीने में एक बार कहीं घूमने जा सकती हैं, अपने प्रिय जन से अपने मन की बात साझा करें, गुस्से में भी अपने दिमाग़ को तकलीफ ना दें,यदि किसी बात को लेकर मन भारी है तो रो कर मन को हल्का कर लें, रोजाना एक लम्बी वाक आवश्य लें व माइंडफुलनेस एक्सरसाइज करें, इससे मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है व यादास्त अच्छी रहती है.

घर में लगाएं प्राकृतिक मौस्किटो रेपेलेंट पौधे, डेंगू-मलेरिया नहीं आएगा पास

Mosquito Repellent Plants : बारिश का मौसम हो और बीमारियां पास न आए ऐसा होना तो नामुमकिन ही लगता है. क्योंकि जगह जगह जलभराव के कारण मच्छर, किड़ों का पनपना इस मौसम की पहचान व बिमारियों की जड़ बन जाता है.जिनसे बचने के लिए बाजार में मिलने वाले हानिकारक मास्किटो रिप्लीयन्ट प्रयोग करते है कई बार इनसे त्वचा और सेहत को नुकसान पहुंचता हैं. लेकिन बारिश के मौसम में पेड़ पौधों पर बहार आ जाती है और चारो तरफ हरियाली छाने लगती है.ऐसे में आप अपने घर में कुछ ऐसे पौधे लगा सकते हैं जो आपको मछरों से तो बचाते ही हैं साथ ही आपके घर की सुंदरता भी बढ़ाते हैं और शुद्ध वातावरण भी देते हैं.

तुलसी

तुलसी के पौधे की महक मच्छरों को नहीं भाती जिस कारण मच्छर पास नहीं आते. तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और अपने हाथ पैरों पर लगा लें तो यह मछरो को भी दूर रखेंगा और एलर्जी से भी बचाएगा.

लेमनग्रास

लेमनग्रास के पौधे को घर कि बालकनी या खिड़की पर लगाएं जिससे इसे दो से तीन घंटे की धूप मिल जाए. इस पौधे की गंध इतनी ज्यादा होती है कि मच्छरों को घर के अंदर नहीं आने देती.इस ग्रास से निकलने वाला सिट्रोनेला ऑयल मोमबत्ती, परफ्यूम, लैम्प्स आदि हर्बल प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जाता है.मार्किट में लेमनग्रास का तेल भी मिलता है जिसे आप बॉडी पर लगा सकते हैं.

गेंदा

गेंदा ना सिर्फ आपके आंगन की शोभा बढ़ाता है बल्कि यह मच्छरों से भी बचाता है इसमें स्कोपालेटीन,कैडिनोल जैसे कई तत्व होते हैं जिससे मच्छर व कीड़े मकोड़े दूर रहते हैं.

लैवेंडर

लैवेंडर की सुगंध इंसानों को तो खूब भाती है लेकिन मच्छरों कि दुश्मन कही जाती है मच्छरों को खुद से दूर रखने के लिए इस पौधे को घर में लगाना बहुत लकभकारी सिद्ध होता है लैवेंडर ऑयल को आप स्किन पर भी लगा सकते हैं.

क्या आपके भी हैं दोमुंहे बाल, तो जान लें इसके कारण

घने खूबसूरत बालों की चाहत सभी महिलाओं की होती हैं. बाल सुंदर और चमकदार हो तो चेहरे की खूबसूरती अपने आप बढ़ जाती हैं. लेकिन वहीं बाल कमजोर, रूखे और बेजान हो तो चेहरे का ग्लो भी कम हो जाता है और ऐसे में हेयर स्टाइल बनाने में भी दिक्कत होती हैं. बिजी लाइफस्टाइल के चलते हम अपने बालों की देखभाल नहीं कर पाते जिससे बालो से जुड़ी प्रौब्लम शुरू हो जाती हैं. बालों की समय-समय पर देखभाल करना बहुत जरूरी हैं. ऐसा न करने पर बाल बहुत कमजोर, रूखे और दोमुंहें हो जाते हैं.

क्या होते हैं दोमुंहें बाल के कारण

1. बालों की सही तरह से देखभाल न होना

आमतौर पर दोमुंहें बालों का कारण है बालों का सही तरह से देखभाल न करना हैं. दो मुंहें बाल बाल ज़्यादातर रुखें बालों में ज्यादा होते है. जब बालों से नमी गायब हो जाती है और रूखेपन की प्रौब्लम होने लगती है तो बाल दो मुंहें होने लगते हैं.

2. कटिंग या ट्रिमिंग न करवाना

बालों को समय-समय पर कटिंग और ट्रिमिंग करवाना चाहिए ऐसा न करने पर भी दोमुंहें बालो जैसी दिक्कत हो जाती हैं.

3. बालों को सही पोषण न मिलना

बालों को सही तरह से पोषण न मिलने के कारण भी दोमुंहें बाल होने लगते हैं.

4. डैंड्रफ भी है एक कारण

बालों में अधिक डेंड्रफ होने के कारण भी दोमुंहें बालो की समस्या हो जाती हैं.

5. बालों में कैमिकल का इस्तेमाल

बालों पर तरह-तरह का केमिकल, हेयरड्रायर का इस्तेमाल करना भी दोमुंहें बालों का कारण हैं.

6. मौसम में बदलाव का भी होता है असर

मौसम के बदलाव के कारण भी बाल खराब हो जाते हैं. ऐसे में बालो को तेज धूप- और प्रदूषण से प्रोटेक्ट न करने पर भी दोमुंहें बाल हो जाते हैं.

दोमुंहें बालो का ऐसे करें इलाज

दोमुंहें बालों की समस्या हमेशा के लिए नहीं होती, आप आसानी से इससे छुटकारा पा सकते हैं.

1. करवाएं हेयरकट या हेयरट्रिमिंग

2 महीने में हेयरकट या हेयरट्रिमिंग करवाने से दोमुंहें यानि स्पिलट एंड्स काफी हद तक दूर हो सकती हैं.

2. कैमिकल वाले शैम्पू का कम करें इस्तेमाल

बालों में केमिकलयुक्त शैंपू कम इस्तेमाल करने से भी इसमें फर्क पड़ता है. साथ ही हेयरड्राइर का भी इस्तेमाल कम से कम करें.

3. बालों की करें एक्स्ट्रा केयर

अगर बालों में कलर या रिबोंडिंग करवाया गया है तो ऐसे में बालों को एक्सट्रा केयर की जरूरत होती हैं. इन बालों को समय-समय पर हेयर स्पा देना जरूरी होता हैं, धूप से इन बालों को जरूर प्रोटेक्ट करें नहीं तो दोमुंहें बालों जैसी दिक्कत हो सकती हैं.

बंटी : क्या अंगरेजी मीडियम स्कूल दे पाया अच्छे संस्कार?

लेखक- सुरेंद्र कुमार

सुधा मायके गई है और शाम को जब वह वापस आएगी तो बंटी के स्कूल को ले कर फिर से उस के साथ चिकचिक होगी, सुधीर को इस बात की पूरी आशंका थी.

सुधा के मायके वाले अमीर थे. करोड़ों में फैला उन का कारोबार था. सुधा के सारे भतीजेभतीजियां महंगे अंगरेजी स्कूलों में पढ़ते थे और फर्राटे से अंगरेजी बोलते थे. सुधा की परेशानी की असली वजह यही थी. बंटी के स्कूल को ले कर वह अपनी दोनों भाभियों के सामने जैसे छोटी और हीन पड़ जाती थी. दूसरे शब्दों में कहें तो, कौंपलैक्स की शिकार हो जाती थी. बंटी का किसी छोटे स्कूल में पढ़ना जैसे सुधा के लिए अपमान की बात थी.

अपना ज्यादा वक्त किटी पार्टियों और ब्यूटीपार्लर में बिताने वाली सुधा की अमीर और फैशनपरस्त भाभियां सबकुछ जानते हुए बंटी के स्कूल को ले कर जानबूझ कर सवाल करतीं और अपनेपन व हमदर्दी की आड़ में बंटी के स्कूल को तुरंत बदल देने की सलाह भी देती थीं. सुधा की दुखती रग को दबाने में शायद उन्हें मजा आता था. इस मामले में सुधा को नादान ही कहा जा सकता था. भाभियों की असली मंशा को वह समझ नहीं पाती थी.

मायके से आ कर बंटी के स्कूल को ले कर हमेशा बिफर जाती थी सुधा और इस बार भी ऐसा ही होने वाला था. जैसी सुधीर को आशंका थी, वैसा हुआ भी.

इस बार सुधा के बिफरने का अंदाज पहले से कहीं अधिक उग्र था. अब की बार बंटी के मामले में जैसे वह कुछ ठान कर ही आई थी.

आते ही उस ने ऐलान कर दिया, ‘‘बस, बहुत हो चुका, मैं कल ही बंटी को किसी अच्छे से अंगरेजी स्कूल में दाखिला दिलवा दूंगी. इस निकम्मे से देसी स्कूल में वह कुछ नहीं सीख सकेगा, सिवा गंदी गालियों के.’’

‘‘लेकिन मैं ने तो कभी उस के मुंह से गंदी गाली निकलती हुई नहीं सुनी. हां, सुबह स्कूल जाते हुए वह हम दोनों के पांवों को जरूर छूता है. यह एक अच्छी चीज है और ऐसा करना बंटी ने जरूर उस स्कूल में ही सीखा होगा जिस को अकसर तुम निकम्मा और देसी कहती हो,’’ मुसकराते हुए सुधीर ने कहा.

‘‘मैं तुम्हारे साथ किसी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहती. कल से बंटी किसी दूसरे अंगरेजी स्कूल में ही जाएगा. तुम नहीं जानते बंटी के कारण ही मुझ को कितने कड़वे घूंट पीने पड़ते हैं. भैया के बच्चों की तरह बंटी में आत्मविश्वास ही नहीं है. हर समय मेरी गोद में ही दुबके रहना चाहता है. कहीं भी नहीं ठहर पाता बंटी उन के सामने.’’

‘‘मगर इन सारी बातों का इलाज स्कूल बदलने से ही हो जाएगा क्या?’’ सुधीर ने पूछा.

‘‘जरूर होगा. भैया के बच्चों में आत्मविश्वास और हाजिरजवाबी केवल उन के स्कूल की वजह से ही है. वे किसी भी सवाल पर न तो बंटी की तरह झेंपते हैं और न ही घबराते हैं. उन की मौजूदगी में तो बंटी के मुंह से बात तक नहीं निकलती. नीरू भाभी तो कुछ नहीं कहतीं, लेकिन आरती भाभी की आदत को तो तुम जानते ही हो, वे कोई न कोई ऐसी बात कहने से बाज नहीं आतीं, जो तनबदन में आग लगा दे. एक ही तो बेटा है हमारा. फिर हमारे पास कमी किस चीज की है? हम भी तो बंटी को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ा सकते हैं?’’

‘‘बंटी अपनी पढ़ाई में तो ठीक ही है सिवा इस के कि वह फर्राटे से अंगरेजी नहीं बोल सकता. फिर वह अभी काफी छोटा है. इस समय उस का स्कूल बदलना ठीक नहीं होगा,’’ सुधीर ने उस को समझाना चाहा.

‘‘नहीं, इस बार मैं तुम्हारी एक भी नहीं सुनूंगी. कल से बंटी किसी दूसरे स्कूल में ही जाएगा,’’ सुधा का स्वर निर्णायक था.

सुधा ने जैसा कहा वैसा किया भी. स्कूल का रिकशा आया तो उस ने बंटी को स्कूल नहीं भेजा.

इस के बाद सुधा ने मायके फोन किया और अपनी भाभियों से उन स्कूलों की लिस्ट मांगी जिन में से किसी एक में बंटी का दाखिला करवाने के बाद वह अपनी हीनभावना से मुक्त हो सकती थी.

दोनों भाभियों ने कई महंगे अंगरेजी स्कूलों के नाम सुधा को सुझाए.

भाभियों द्वारा सुझाए गए स्कूलों में से किसी एक को चुनने के लिए जब सुधा ने सुधीर से सलाह मांगी तो उस ने कहा, ‘‘अब इस के बारे में भी तुम अपनी किसी भाभी से ही पूछ लो तो बेहतर रहेगा, क्योंकि मुझ को इन सारे स्कूलों के बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं.’’

इस पर सुधा का मुंह बन गया. वह बोली, ‘‘तुम से तो बात करना ही बेकार है. मेरे मायके वालों की किसी भी बात से तो तुम्हें वैसे ही चिढ़ है.’’

पत्नी की इस पुरानी शिकायत पर सुधीर के पास मुसकराने के अलावा कोई रास्ता नहीं था.

हर बात में मायके का राग अलापना कुछ औरतों के स्वभाव में शामिल होता है और सुधा उन्हीं में से एक थी.

सुधीर के दफ्तर जाने से पहले ही सुधा बंटी को ले कर उसे अंगरेजी स्कूल में दाखिला करवाने के अभियान पर निकल पड़ी.

सुधीर ने उस से पैसों के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘मेरे पास हैं. कल रमेश भैया ने भी काफी रुपए दे दिए थे. मैं ने लेने से इनकार भी किया था मगर वे

नहीं माने.’’

‘‘हां, बंटी के अंगरेजी स्कूल में दाखिले का सवाल था, तुम भी इनकार कैसे करतीं,’’ सुधीर ने व्यंग्यपूर्वक कहा.

‘‘मैं जानती थी, तुम कोई ताना मारने से बाज नहीं आओगे,’’ मुंह बनाती हुई सुधा ने कहा और बंटी को ले कर बाहर निकल गई.

शाम को सुधीर जब दफ्तर से वापस आया तो सुधा के चेहरे पर रौनक थी.

उस के चेहरे की रौनक से स्पष्ट था कि बंटी का ऐडमिशन किसी अंगरेजी स्कूल में हो गया था. जैसे कोई बड़ा किला फतह कर लिया हो, कुछ ऐसी ही हालत थी सुधा की.

सुधीर के कुछ पूछने से पहले ही वह खुद बंटी के ऐडमिशन में पेश आई मुश्किलों की सारी कहानी उसे बताने लगी. कहानी के अंत में बंटी को ऐडमिशन का सारा श्रेय अपने भाई को देना नहीं भूली, सुधा.

‘‘रमेश भैया की सिफारिश नहीं होती तो बंटी को बिना डोनेशन के कभी भी ऐडमिशन नहीं मिलता.’’

‘‘चलो, जैसे भी है बंटी को अंगरेजी स्कूल में ऐडमिशन मिल गया. अब कम से कम उस के कारण अपनी भाभियों के सामने तुम्हारी नाक नीची नहीं होगी,’’ चुटकी लेते हुए सुधीर ने कहा. सुधा का मुंह बन गया.

अपनी मम्मी और पापा की बातों से एकदम उदासीन बंटी अपने नए वाले स्कूल की किताबों को उलटपलट कर देख रहा था. वह परेशान सा नजर आ रहा था.

अगर स्कूल महंगा और बड़ा था तो उस की किताबें भी वैसी ही महंगी और कठिन थीं. बंटी इसलिए परेशान था क्योंकि नए स्कूल की किताबों में से उस के पल्ले कुछ भी नहीं पड़ रहा था. नए स्कूल की किताबों में जो कुछ था वह पहले वाले स्कूल की किताबों में नहीं था.

शिक्षा के क्षेत्र में जो अजीब चलन चल पड़ा उस का शिकार बंटी जैसे मासूम बच्चे ही बनते हैं.

किसी स्कूल के स्टैंडर्ड का मानदंड इन दिनों भारीभरकम डोनेशन, ऊंची फीस और कठिन सिलेबस बन चुका. जितनी बड़ीबड़ी और कठिन शब्दावली की किताबें उतना ही नामी स्कूल.

नए स्कूल में से जो किताबें बंटी को मिलीं वे खूबसूरत और आकर्षक थीं. चिकने पृष्ठों वाली किताबों के अंदर जानवरों, पक्षियों, वाहनों, नदी और पहाड़ों के सुंदर व रंगबिरंगे चित्र थे. ये चित्र बंटी को खूब भाए थे. लेकिन किताबों में मौजूद अंगरेजी की पोएम्स समझना बंटी के लिए मुश्किल था. कमोवेश शब्दों के अर्थ भी बदल गए थे. जैसे पहले वाले स्कूल की किताबों में बंटी ‘ए फौर एप्पल’ पढ़ता आ रहा था, मगर नए स्कूल की किताबों में ‘ए फौर एलिगेटर’ बन गया था. ‘सी फौर कैट’, नए स्कूल में ‘सी फौर क्राउन’ हो गया था.

स्कूल बदलते समय बंटी के मन की किसी ने नहीं जानी थी. उस की मरजी किसी ने नहीं पूछी थी. यों?भी सोसाइटी में बड़ों की नाक के मामले में मासूमों की भावनाएं कोई माने नहीं रखतीं.

यह साफ था कि नए स्कूल में अपर केजी में पढ़ने वाले बंटी की सारी पढ़ाई भी नए सिरे से ही शुरू होने वाली थी.

उधर बंटी का स्कूल बदल कर सुधा ने बैठेबिठाए अपने लिए परेशानी मोल ले ली थी.

बंटी का पहला स्कूल घर के काफी पास था, उस पर उस को स्कूल ले जाने के लिए रिकशा घर के दरवाजे तक आता था. बंटी को स्कूल भेजने के लिए सुधा काफी आराम से उठती थी. अगर बंटी ने नाश्ता न किया हो और स्कूल की रिकशा आ जाए तो सुधा के कहने पर रिकशा वाला दोचार मिनट रुक भी जाता था.

लेकिन स्कूल को बदलने से सारी बात ही दूसरी हो गई थी. बंटी के नए स्कूल की बस चौराहे तक आती थी जोकि घर से बहुत दूर नहीं तो ज्यादा पास भी नहीं था बंटी को साथ ले और उस का भारीभरकम स्कूल बैग उठा कर पैदल चौराहे तक पहुंचने में सुधा को कम से कम 15-20 मिनट तो लग ही जाते थे. नए स्कूल की बस किसी के लिए 1 मिनट भी नहीं रुकती थी इसलिए उस के आने के समय से काफी पहले ही चौराहे पर जा कर खड़े होना पड़ता था.

यही हालत बंटी के स्कूल से आने के समय होती थी. कड़कती धूप में बस के आने के समय से 10-15 मिनट पहले ही सुधा को चौराहे पर खड़े हो उस की राह देखनी पड़ती थी.

बंटी को स्कूल की बस में चढ़ाने और उतारने के चक्कर में सुधा हांफ जाती थी. कभीकभी खीज भी उठती थी. लेकिन अपनी खीज को वह जाहिर नहीं कर पाती थी.

करती भी कैसे, सारी मुसीबत उस की अपनी ही तो मोल ली हुई थी. केवल एक ही खयाल उस को काफी राहत और संतोष देने वाला था और वह था कि बंटी के कारण अब कम से कम अपनी नखरैल भाभियों के सामने उस की स्थिति कमजोर नहीं पड़ेगी.

एक और समस्या भी बंटी के स्कूल बदलने से सुधा के सामने आ खड़ी हुई थी. बंटी के नए स्कूल की किताबें सुधा के पल्ले नहीं पड़ रही थीं. ऐसे में उस को होमवर्क करवाना सुधा के बस की बात नहीं थी. बंटी के लिए ट्यूशन का इंतजाम करना भी अब जरूरी हो गया था.

इधर बंटी के दिल और दिमाग की हालत क्या थी, किसी को भी इसे जानने की फुरसत न थी.

सुबह सुधा गहरी नींद से उसे जगा देती और फिर जल्दीजल्दी उस को स्कूल के लिए तैयार करती.

बंटी को तैयार करते वक्त सुधा का ध्यान उस की तरफ कम और दीवार पर लटक रही घड़ी की तरफ ज्यादा रहता. उसे डर रहता कि कहीं स्कूल की बस निकल न जाए इसलिए वह बंटी को लगभग घसीटते हुए चौराहे तक ले जाती.

बस में स्कूल जाना बंटी के लिए नया और मजेदार अनुभव था. नए स्कूल की साफसुथरी और शानदार इमारत में प्रवेश भी बंटी के लिए रोमांचपूर्ण अनुभव था. बाकी चीजों के मामले में पहले वाले स्कूल से नया स्कूल बंटी के लिए कुछ अच्छा और कुछ बुरा था.

नए स्कूल में आ कर शुरूशुरू में तो बंटी को ऐसा लगा था जैसे वह किसी एकदम बेगानी दुनिया में आ गया हो. वह बहुत घबराया हुआ था. अपनेआप में ही सिमटा चला जा रहा था. क्लास में बाकी बच्चे उस की इस हालत पर हंसते थे.

नए स्कूल की मैम बंटी को बहुत पसंद आईं. उन का बोलचाल का ढंग भी अच्छा था. पहले वाले स्कूल की मैडम की तरह पढ़ाते समय वे तेज आवाज में बच्चों पर चिल्लाती नहीं थीं. एक बच्चे ने जब अपना सबक ठीक से नहीं सुनाया तो मैम ने बस उस के कान को हलके से खींच दिया था. पहले वाले स्कूल की मैडम तो ऐसे बच्चों को फौरन अपनी टेबल के पास मुर्गा बना देतीं या उन की पीठ अथवा हाथों पर स्केल से जोरजोर से मारती थीं.

बड़ी अच्छी चीजें देखी बंटी ने नए स्कूल में, पर कुछ चीजें बहुत बुरी भी लगीं उस को.

नए स्कूल में बच्चे बड़ी गंदीगंदी हरकतें करते थे. वे गालियां भी निकालते थे, जो अभी बंटी की समझ में नहीं आती थीं, क्योंकि उन के द्वारा दी जाने वाली अधिकांश गालियां अंगरेजी में होती थीं. अपनी उम्र से कहीं बड़ीबड़ी बातें करते थे नए स्कूल के बच्चे.

इधर बंटी को महंगे और बढि़या स्कूल में दाखिल करवाने के बाद गर्व से इतरा रही सुधा को उस दिन फिर अपमान का सामना करना पड़ा जब उस के घर बच्चों समेत आई भाभियों की मौजूदगी में बंटी और उन के बच्चों में झगड़ा हो गया और इस झगड़े में बंटी के मुख से ठेठ पंजाबी जबान में मांबहन वाली गाली निकल गई. गुस्से से सुधा ने बंटी के गाल पर एक जोर का चांटा रसीद कर दिया.

सुधा के लिए शर्म की बात थी कि बढि़या अंगरेजी स्कूल में जाने के बाद भी बंटी की जबान से घटिया गाली निकली थी.

ऐसे मौके पर भी बड़ी भाभी आरती कटाक्ष करने से नहीं चूकी थीं, ‘‘जाने दो दीदी, इतना गुस्सा क्यों करती हो? शुरू से ही इस को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाया होता तो यह ऐसी गालियां नहीं सीखता. नए स्कूल के माहौल का असर होने में थोड़ा समय तो लगता ही है. इसलिए बुरी आदतें भी जाने में कुछ वक्त तो लगेगा ही. आखिर कौआ एकदम से हंस की चाल तो नहीं चल पड़ेगा.’’

सुधा कुछ बोली नहीं, मगर उस का चेहरा अपमान से लाल हो गया.

यह देख दोनों भाभियां कुटिलता से मुसकरा दीं. सुधा को नीचा दिखलाने का कोई मौका वे कभी नहीं छोड़ती थीं.

शाम को दोनों भाभियां बच्चों को ले कर चली गईं, मगर सुधा के मन में अपमान की कड़वाहट छोड़ गईं.

तिलमिलाई सुधा अपने दिल की सारी भड़ास एक बार फिर से बंटी पर निकालना चाहती थी मगर सुधीर ने उस को ऐसा करने से रोक दिया.

बंटी की वजह से सुधा को एक बार फिर नीचा देखना पड़ा था. भाभी की बातें नश्तर बन कर उसे काटे जा रही थीं.

सुधीर उस को शांत करने की लगातार कोशिश करता रहा. सहमा हुआ बंटी रात को भूखा ही सो गया.

बंटी के भूखे सो जाने से सुधा के अंदर की ममता जागी. शायद अपने व्यवहार के लिए उस को पश्चात्ताप भी हुआ था. सुधा बंटी को जगा कर कुछ खिलाना चाहती थी मगर सुधीर ने उसे मना कर दिया.

नए अंगरेजी स्कूल का असर 4-5 महीने में बंटी में साफ नजर आने लगा था. रोजमर्रा की छोटीमोटी बातों के लिए बंटी अंगरेजी के शब्दों का इस्तेमाल करने लगा था. सुबह उठते ही ‘गुडमौर्निंग पापा, गुडमौर्निंग ममा’ और रात को सोते वक्त ‘गुडनाइट पापा, गुडनाइट ममा’ कहना बंटी की दिनचर्या का हिस्सा बन गया था. अंडे को अब वह ‘एग’ कहता था और सेब को ‘एप्पल’.

यह देख सुधा फूली नहीं समाती. उस के दिमाग में न जाने कैसे यह बात बैठ गई कि अंगरेजी में बात करने वाले बच्चों के कारण ही सोसाइटी में मांबाप की शान बनती है.

बदलाव तो बंटी में आ रहा था मगर यह केवल अंगरेजी के चंद शब्द बोलने तक ही सीमित नहीं था. बंटी के व्यवहार में आक्रामकता और उद्दंडता भी आ रही थी. किसी बात के लिए टोके जाना बंटी को अच्छा नहीं लगता था.

सुधा उस की हर चीज केवल इसलिए बरदाश्त कर रही थी क्योंकि वह अंगरेजी स्कूल के रंग में रंग रहा था. उस की जबान से अब कोई हलके किस्म की पंजाबी गाली नहीं निकलती थी. लेकिन इस का मतलब यह नहीं था कि बंटी गाली देना ही भूल गया था. यह बात अलग थी कि अब उस की दी हुई गाली सुधा की समझ में नहीं आती थी, क्योंकि अब वह अंगरेजी में ऐसी गालियां निकालना सीख गया जिस का मतलब समझना उस के लिए मुश्किल था.

गालियों का मतलब बंटी भी शायद नहीं समझता था, लेकिन उस को इतना जरूर मालूम होता था कि जो उस के मुख से निकल रहा है वह गाली है.

एक दिन जब रिमोट हाथ में ले कर बंटी टैलीविजन के चैनल से छेड़छाड़ कर रहा था तो सुधा ने उसे टोका और कहा, ‘‘बहुत हो गया बंटी, अब टैलीविजन बंद करो और अपना होमवर्क करो,’’ लेकिन बंटी ने उस की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और कार्टून चैनल देखता रहा.

सुधा ने अपनी बात दोहराई, लेकिन बंटी पर कोई असर नहीं हुआ.

दूसरी बार भी जब बंटी ने बात को अनसुना किया तो सुधा को गुस्सा आ गया. उस ने बंटी के हाथ से रिमोट छीना और चिल्ला कर बोली, ‘‘मैं क्या कह रही हूं, सुनाई नहीं दे रहा क्या?’’

सुधा का रिमोट छीनना और चिल्लाना बंटी को रास नहीं आया. उस के नथुने फूलने लगे और वह गुस्से से सुधा को घूरते हुए जोर से चीखा, ‘‘शटअप, यू ब्लडी बास्टर्ड.’’

अंगरेजी में दी गई बंटी की गाली के मतलब सुधा नहीं समझी थी इसलिए उस का तमाचा बंटी के गाल पर नहीं पड़ा. वह असहाय और बेबस नजरों से सुधीर को देखने लगी.

पत्नी की हालत पर गुस्से की बजाय सुधीर को तरस आता. वह पत्नी को यह नहीं बताना चाहता था कि बंटी की अंगरेजी में दी गई गाली पंजाबी में दी गई उस गाली से बेहतर नहीं थी जिस की वजह से उस ने एक दिन बंटी के गाल पर तमाचा मारा था.

सच्ची श्रद्धांजलि : दूसरी शादी के पीछे क्या थी विधवा निर्मला की वजह?

सुबह-सुबह फोन की घंटी बजी. मुझे चिढ़ हुई कि रविवार के दिन भी चैन से सोने को नहीं मिला. फोन उठाया तो नीता बूआ की आवाज आई, ‘‘रिया बेटा, शाम तक आ जाओ. तुम्हारे पापा और निर्मला की शादी है.’’

मुझे बहुत तेज गुस्सा आ गया. लगभग चीखते हुए बोली, ‘‘नीता बूआ, आप को मेरे साथ इतना भद्दा मजाक नहीं करना चाहिए.’’

वे तुरंत बोलीं, ‘‘बेटा, मैं मजाक नहीं कर रही हूं, बल्कि तुम्हें खबर दे रही हूं.’’

मैं ने फोन काट दिया. मुझ में पापा की शादी के संबंध में बातचीत करने का सामर्थ्य नहीं था. बूआ का 2 बार और फोन आया किंतु मैं ने काट दिया. मेरी चीख सुन राजेश भी जाग गए तथा मुझ से बारबार पूछने लगे कि किस का फोन था, क्या बात हुई, मैं इतना परेशान क्यों हूं वगैरहवगैरह. मैं तो अपनी ही रौ में बोले जा रही थी, ‘आदमी इतना भी मक्कार हो सकता है. अपनी जान से प्यारी पत्नी के देहांत के ढाई माह के अंदर ही उस की प्यारी सखी से शादी रचा ले, इस का मतलब तो यही है कि मम्मी के साथ उन के पति और उन की सखी ने षड्यंत्र रचा है.’

पापा दूसरी शादी कर रहे हैं, यह सुन कर मैं हतप्रभ थी. रोऊं या हंसूं, चीखूं या चिल्लाऊं, करूं तो क्या करूं, पापा की शादी की खबर गले में फांस की तरह अटकी हुई थी. मम्मी को गुजरे अभी सिर्फ ढाई माह हुए हैं, उन की मृत्यु के शोक से तो मन उबर नहीं पा रहा है. रातदिन मम्मी की तसवीर आंखों के सामने छाई रहती है. घर, औफिस सभी जगह काम मशीनी ढंग से करती रहती हूं, पर दिलोदिमाग पर मम्मी ही छाई रहती हैं. अपने मन को स्वयं ही समझाती रहती हूं. मम्मी तो इस दुनिया से चली गईं, अब लौट कर आएंगी भी नहीं. जिंदगी तो किसी के जाने से रुकती नहीं. मैं खुद भी कितनी खुश हूं कि मेरी मम्मी मुझे सैटल कर, गृहस्थी बसा कर गई हैं. कितने ऐसे अभागे हैं इस संसार में जिन की मम्मी  उन के बचपन में ही गुजर जाती हैं, फिर भी वे अपना जीवन चलाते हैं.

मम्मी के साथसाथ इन दिनों पापा भी बहुत याद आते, मन बहुत भावुक हो आता पापा को याद कर. मन में विचार आता कि मैं तो अपनी गृहस्थी, औफिस और अपनी प्यारी गुडि़या रिंकू में व्यस्त होने के बावजूद मम्मी को भुला नहीं पाती हूं, बेचारे पापा का क्या हाल होता होगा? वे अपना समय मम्मी के बिना किस तरह बिताते होंगे? 30 वर्षों का सुखी विवाहित जीवन दोनों ने एकसाथ बिताया था. मम्मी के साथ साए की तरह रहते थे. उन की दिनचर्या मम्मी के इर्दगिर्द ही घूमती रहती थी.

मम्मी की मृत्यु के बाद 4 दिन और पापा के साथ रह कर मैं वापस लखनऊ आ गई थी. मैं ने पापा को लखनऊ अपने साथ लाने की बहुत जिद की, पापा को अकेला छोड़ना मुझे नागवार लग रहा था. पापा 2 साल पहले रिटायर्ड हो चुके थे. मेरा सोचना था कि मम्मी के बिना वे अकेले यहां क्या करेंगे.

पापा मेरे साथ आने के लिए एकदम तैयार नहीं हुए. उन का तर्क था, ‘यह घर मैं ने और हेमा ने बड़े प्यार से बनवाया है, सजायासंवारा है. इस घर के हर कोने में मुझे हेमा नजर आती है. उस की यादों के सहारे मैं बाकी जिंदगी गुजार लूंगा. फिर तुम लोग हो ही, जब फुरसत मिले, मिलने चले आना या मुझे जरूरत लगेगी तो मैं बुला लूंगा. 4-5 घंटे का ही तो रास्ता है.’

मैं ने कहा, ‘ठीक है पापा, किंतु मेरी तसल्ली के लिए कुछ दिनों के लिए चलिए.’

पापा तैयार नहीं ही हुए. मैं सपरिवार लखनऊ लौट आई. अपनी गृहस्थी में रमने की लाख कोशिशों के बावजूद पूरे समय मम्मीपापा पर ध्यान लगा रहता. पापा से रोज फोन से बात कर लेती, पापा ठीक से हैं, यह जान कर मन को कुछ तसल्ली होती.

आज अचानक नीता बूआ से पापा की शादी की खबर मिलना, मेरे जीवन में झंझावात से कम न था. मेरी दशा पागलों जैसी हो रही थी. मन में बारबार यही खयाल आता कि बूआ ने कहीं मजाक ही किया हो, यह खबर सही न हो.

निर्मला आंटी और मम्मी कालेज के दिनों से ही अच्छी सहेलियां थीं और शादी के बाद भी दोनों अच्छी सहेलियां बनी रहीं. निर्मला आंटी आगरा में रहती थीं. उन के पति बेहद स्मार्ट और हैंडसम थे व अच्छे ओहदे पर कार्यरत थे, लेकिन शादी के 2 साल बाद ही एक ऐक्सीडैंट में उन का देहांत हो गया. निर्मला आंटी को उन के पति के औफिस में काम पर रख लिया गया. लेकिन उन के ससुराल वालों ने उन्हें ‘अभागी’ मान उन से संबंध तोड़ लिया. उन की सास बहुत कड़े स्वभाव की थीं. उन्होंने साफ कह दिया कि बेटे से ही बहू है, जब बेटा ही नहीं रहा तो बहू कैसी?

निर्मला आंटी एकदम अकेली हो गई थीं, लेकिन मम्मी ने उन्हें टूटने नहीं दिया. मम्मी और निर्मला आंटी में बहुत प्रेम था. मम्मी उन्हें प्रेम से निम्मो कहती थीं तथा आंटी मम्मी को हेमू कह कर पुकारती थीं. मम्मी अब हर मौके पर निर्मला आंटी को अपने घर बुला लेती थीं. मम्मी अकसर आंटी से कहतीं, ‘निम्मो, फिर से शादी कर ले, अकेले जिंदगी पहाड़ जैसी लगेगी, मन की कहनेसुनने को तो कोई होना चाहिए.’ निर्मला आंटी हमेशा ‘न’ कर देतीं, कहतीं, ‘हेमू, यदि मेरे जीवन में उन का साथ होना होता तो उन का देहांत क्यों होता? यदि मेरे जीवन में अकेला, सूनापन है तो वही सही.’ मम्मी फिर भी कहतीं, ‘निम्मो, भविष्य की तो सोच, हर दिन एक से नहीं होते, कोई सहारा चाहिए होता है.’ निर्मला आंटी कहतीं, ‘हेमू, तू और तेरा परिवार है न, इतना अपनापन तुम लोगों से मिलता है, उस सहारे जिंदगी काट लूंगी.’  मम्मी के बहुत समझाने पर भी निर्मला आंटी दूसरी शादी के लिए तैयार न होतीं.

एक बार उन्होंने मम्मी से सख्ती से कह भी दिया था, ‘देख हेमू, यदि तू मुझे आइंदा पुनर्विवाह के लिए बोलेगी तो मैं तेरे पास आना छोड़ दूंगी,’ उन्होंने बहुत भावुक हो कर कहा था, ‘रमेश के साथ गुजरे 2 सालों पर मेरी पूरी जिंदगी कुरबान है हेमू.’ मम्मी ने आंटी को गले से लगाते हुए कहा था, ‘निम्मो, मैं आइंदा तुझ से विवाह के लिए नहीं बोलूंगी, मुझे हेमेश की कसम.’

पापा निर्मला आंटी को ‘साली साहिबा’ कह कर पुकारते थे. मम्मी को यदि पापा की मरजी के खिलाफ पापा से काम करवाना होता तो वे निर्मला आंटी के माध्यम से ही पापा को कहलवाती थीं तथा पापा यह कहते हुए कि साली साहिबा, आप की बात टालने की हिम्मत तो मुझ में नहीं है, काम कर देते थे.

बड़ा प्यारा रिश्ता था पापा और निर्मला आंटी का. दोनों के रिश्तों में शुद्ध लगाव के अलावा ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता था जिसे आपत्तिजनक कहा जा सके. वे दोनों कभी भी अकेले में मिलते हुए या बातें करते हुए भी नजर नहीं आते थे. दोनों के रिश्तों की धुरी तो मम्मी ही नजर आती थी. फिर दोनों ने शादी कैसे कर ली और क्यों कर ली. दोनों इतने समय से मम्मी को छल रहे थे. इस गुत्थी को मैं किसी भी तरह सुलझा नहीं पा रही थी.

मम्मी और निर्मला आंटी रंगरूप, स्वभाव में बहुत मेल खाती थीं. पहली नजर में तो वे जुड़वां बहनें ही नजर आती थीं. मम्मी के कैंसर का पता अंतिम स्थिति में चल पाया. पापा ने मम्मी के इलाज और सेवा में रातदिन एक कर दिए.

मैं ने उन्हें छिपछिप कर रोते हुए देखा था. मम्मी की हालत की खबर निर्मला आंटी को भी दे दी गई. वे खबर मिलते ही मम्मी के पास पहुंच गईं. आते ही मम्मी की सेवा में लग गईं. कितना प्यार करती थीं मम्मी को वे, कभीकभी उन की बुदबुदाहट मुझे सुनाई भी पड़ी थी, ‘यह क्या हो गया? मेरी हेमू को कुछ नहीं होना चाहिए, उसे बचा लो, मुझे उठा लो, उस के सारे कष्ट मुझे दे दो.’

फिर वही सवाल दिमाग को मथने लगता कि कैसे दोनों ने शादी कर ली? इस का मतलब तो यही है कि दोनों मम्मा के सामने नाटक कर रहे थे.

मैं रातदिन पापा और आंटी की शादी की गुत्थी में उलझी रहती, एक सेकंड भी मेरा मन इस उलझन से निकल नहीं पाता था. नतीजतन, इस का असर मेरे स्वास्थ्य पर पड़ना ही था, सो पड़ गया. राजेश ने मुझे डाक्टर को दिखाया. सारी जांचपड़ताल के बाद डाक्टर का दोटूक निर्णय यही था कि सब रिपोर्ट नौर्मल हैं, ये बहुत टैंशन में हैं, इतना टैंशन इन को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. इन्हें खुश रहने की ही आवश्यकता है. राजेश ने मुझे बड़े प्यार से समझाया, ‘‘रिया, जो होना था सो हो गया, मम्मी चली गई हैं, तुम्हारे लाख चिंता करने से भी वापस नहीं आएंगी. सो, मन को दुखी मत करो.’’

मैं ने कहा, ‘‘राजेश, मम्मी को गुजरे ढाई माह हो रहे हैं, मैं ने उस दुख को सहज ले लिया है. मैं क्या करूं, पापा और आंटी ने शादी कर मम्मी के साथ विश्वासघात किया है, यह मुझ से बरदाश्त नहीं हो रहा है.’’

राजेश बहुत संयत हो कर बोले, ‘‘यों अपने को जलाने से तो कोई फायदा नहीं है. मुझे ऐसा लगता है, जरूर कोई कारण होगा जो उन लोगों ने ऐसा कदम उठाया है, दोनों ही बहुत सुलझे हुए और समझदार इंसान हैं.’’

मैं ने कहा, ‘‘राजेश, क्या कारण हो सकता है, दोनों सब की आंखों में धूल झोंक कर प्रेम किया करते होंगे. अभी तक दोनों नाटक ही कर रहे थे, बल्कि मुझे तो पूरा विश्वास है कि दोनों मम्मी की मृत्यु का इंतजार ही करते होंगे. उन्हें अपने रास्ते का कांटा ही समझते रहे होंगे.’’

राजेश ने थोड़ा सख्ती से मुझ से कहा, ‘‘रिया, हम भी बच्चे नहीं हैं. हमारी आंखों पर पट्टी नहीं बंधी हुई है जो हमारी आंखों के सामने प्रेमलीला खेली जाए और वह हमें दिखाई भी न दे.’’

मैं ने मायूस हो कर कहा, ‘‘राजेश, मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं? किस के आगे रोऊं, चीखूं, चिल्लाऊं. जी में आता है उन दोनों से खूब झगड़ूं कि आप लोगों की नीयत में ही खोट था जो मम्मी चल बसीं और अब दोनों शादी रचा रहे हैं.’’

राजेश ने मेरे हाथ को अपने हाथों में ले कर बहुत ही संयत ढंग से कहा, ‘‘रिया, मेरी बात ध्यान से सुनो. 4 दिनों बाद रिंकू की गरमी की छुट्टियां शुरू हो रही हैं. हम भी छुट्टी ले कर पापा के पास चलते हैं.’’

मैं ने झट से कहा, ‘‘राजेश, उन्हें तो हम कबाब में हड्डी की तरह लगेंगे. वे दोनों तो हनीमून के मूड में होंगे. अब निर्मला आंटी मेरी आंटी नहीं, बल्कि मेरी सौतेली मां बन बैठी हैं, न जाने कैसा व्यवहार करें,’’ मैं ने बात और विस्तार से समझाने के लिए राजेश से कहा, ‘‘अब तो पापा पर भी भरोसा नहीं रहा. कहीं वे हम लोगों का अपमान न कर बैठें? मेरी तो छोड़ो, तुम्हारे अपमान को मैं बरदाश्त न कर पाऊंगी.’’

राजेश ने मेरे कंधों पर हाथ रखते हुए बड़े धैर्य से जवाब दिया, ‘‘यदि नहीं मिलना चाहेंगे या हमारा अपमान करेंगे, हम तुरंत लौट आएंगे और फिर दोबारा उन के पास नहीं जाएंगे. हम यही समझ लेंगे कि मम्मी तो अब इस दुनिया में नहीं हैं और पापा से अब हमारा कोई संबंध नहीं है.’’

मैं चुपचाप राजेश की बातें सुन रही थी.

‘‘तुम्हें मुझ से वादा करना होगा कि तुम उस के बाद पापा की चिंता करना छोड़ दोगी,’’ उन्होंने बड़े प्यार से कहा, ‘‘मुझ से मेरी बीवी उदास और बुझीबुझी देखी नहीं जाती इसलिए एक बार तो यह रिस्क लेना ही होगा. एक बार चल कर देखना ही होगा.’’

हम जब पापा के पास पहुंचे उस समय सुबह के लगभग 8 बज रहे थे. पापा बागबानी में लगे हुए थे. हमें देखते ही गेट तक आए और बोले, ‘‘अरे, तुम लोग बिना खबर दिए आए, खबर करते तो मैं स्टेशन आ जाता.’’

राजेश ने धीरे से मुझ से कहा, ‘‘रिया, गुस्से को जब्त रखना और अपनी तरफ से कुछ भी अपमानजनक नहीं करना,’’ राजेश ने टैक्सी से निकलते हुए कहा, ‘‘अचानक ही प्रोग्राम बन गया इसलिए चले आए,’’ मैं अपने क्रोध को किसी तरह रोकने की कोशिश कर रही थी, फिर भी मुंह से निकल ही गया, ‘‘हमें लगा, आप को फुरसत कहां होगी, फिर हमें लाने की आप को अनुमति मिले न मिले.’’

पापा कुछ भी न बोले. हमें अंदर लिवा लाए और बोले, ‘‘निम्मो, देखो कौन आया है?’’

पापा के मुंह से निम्मो सुन मैं अंदर ही अंदर तिलमिला गई. निर्मला आंटी तुरंत हाथ पोंछती हुई हमारे पास आ गईं, शायद किचन में थीं. आते ही बोलीं, ‘‘अरे बेटी रिया, कैसी हो? राजेश, रिंकू तुम सभी को देख कर बहुत खुशी हो रही है,’’ फिर रिंकू को दुलारते हुए बोलीं, ‘‘तुम लोग फ्रैश हो लो, मैं नाश्ते की तैयारी करती हूं. हम सभी साथ ही नाश्ता करेंगे.’’

मैं ने कुछ भी नहीं कहा. अपना मायका आज मुझे अपना सा लग ही नहीं रहा था. चुपचाप हम ने थोड़ाथोड़ा नाश्ता कर लिया. निर्मला आंटी ने राजेश के पसंद के आलू के परांठे बनाए थे तथा रिंकू की पसंद की गाढ़ी सेंवइयां भी बनाई थीं.

पापा का बैडरूम वैसा ही था जैसा मम्मी के समय रहता था. घर की साजसज्जा भी वैसी ही थी, जैसी मम्मी के समय रहती थी. परदे, चादरें सब मम्मी की पसंद के ही लगे हुए थे. बैडरूम में मम्मी की बड़ी सी तसवीर लगी हुई, उस पर सुंदर सी माला पड़ी हुई थी. मुझे मायके आए हुए 2 दिन हो चुके थे. निर्मला आंटी से मैं ने कोई बात नहीं की थी. पापा से भी कुछ खास बात नहीं हुई थी. शाम को पापा रिंकू को ले कर घूमने निकले थे, मैं और राजेश टैरेस पर गुमसुम बैठे हुए थे, तभी निर्मला आंटी आईं और मेरे हाथ में एक कागज थमाते हुए बोलीं, ‘‘बेटी रिया, इसे पढ़ लो. मैं खाना बनाने जा रही हूं. क्या खाना पसंद करोगी, बता देतीं तो अच्छा रहता.’’

मैं ने बेरुखी से कहा, ‘‘जो आप की इच्छा, हम लोगों को खास भूख नहीं है.’’

वे चली गईं. तब मैं ने कटाक्ष करते हुए राजेश से कहा, ‘‘खाना हमारी पसंद से बनेगा और शादी के समय हमारी पसंद कहां गई थी? हुंह, बात बनाना भी कोई इन से सीखे. कितनी बेशर्मी से नाटक जारी है,’’ कहते हुए मैं ने बेमन से कागज खोला, यह तो मम्मी का पत्र था :

प्यारी प्यारी निम्मो,

आज मैं तुझ से अपनी हेमेश की कसम तोड़ने की इजाजत लेते हुए पुनर्विवाह की बात कर रही हूं. आशा करती हूं, मेरी अंतिम इच्छा पूरी करने से ‘न’ नहीं करेगी. मेरी तो विदाई की वेला आ गई है. तुझ से, हेमेश से, बेटी रिया, राजेश, रिंकू सभी से इच्छा न होते हुए भी विदा तो मुझे होना ही पड़ेगा.

एक दिन मैं ने हेमेश और डाक्टर की बातें सुन ली थीं. मुझे अपनी बीमारी का हाल मिल गया था. मैं अच्छी तरह समझ चुकी थी कि मैं चंद दिनों की मेहमान हूं. मैं ने सब से नजर बचा कर यह पत्र लिखा क्योंकि अपनी अंतिम इच्छा बताना जरूरी था. मन की बात तुम लोगों को बताए बिना भी तो मेरी आत्मा को शांति न मिल सकेगी.

मेरे बाद हेमेश एकदम अकेले हो जाएंगे. तू भी अब रिटायर होने वाली है. मेरे हेमेश को अपना लेना. दोनों एकदूसरे का सहारा बन जाना. हेमेश को तो जानती ही है, अपनी सेहत के प्रति कितने लापरवाह रहते हैं, तू रहेगी तो उन्हें वक्त पर हर चीज मिलेगी. प्यारी निम्मो, हेमेश की साली साहिबा से बीवी साहिबा बन जाना.

रिया बेटी मेरे जाने से बहुत दुखी होगी. फिर धीरेधीरे रियाराजेश अपनी जिंदगी, अपनी गृहस्थी में मन लगा लेंगे. उन की आंटी से उन की मम्मी बन जाना. मेरी बेटी का मायका पूर्ववत बना रहेगा.

थक गई हूं, अब लिखा नहीं जा रहा है. बोल देती हूं, तुम दोनों की शादी ही तुम दोनों की तरफ से मेरे लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

तेरी,

हेमू

पत्र पढ़ कर मेरी आंखों से आंसू गिरने लगे. राजेश ने भी मेरे साथ ही पत्र पढ़ लिया था. उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और बोले, ‘‘चलो, सारी गलतफहमियां दूर हो गईं. चल कर देखें मम्मी क्या कर रही हैं?’’

हम लोग किचन में गए. देखा, निर्मला आंटी खाना बनाने में व्यस्त थीं. पापा भी किचन में ही थे. वे सलाद काट रहे थे. मैं निर्मला आंटी के पास गई तथा बोली, ‘‘क्या बना रही हैं, मम्मी?’’

निर्मला आंटी की आंखें डबडबा आईं. उन्होंने प्यार से मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया फिर धीरे से कहा, ‘‘हेमेश और मेरा शादी करने का एकदम मन नहीं था. हम ने कभी एकदूसरे को इस नजर से देखा ही नहीं था लेकिन हेमू की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए शादी करनी पड़ी. मंदिर में तुम्हारे बूआ, फूफा की उपस्थिति में हम ने एकदूसरे को माला पहनाई, हेमेश ने मेरी सूनी मांग में सिंदूर भर दिया, हो गई शादी. तुम्हारी नीता बूआ ने मिठाई खिला हमारा मुंह मीठा कराया.’’

मैं चुपचाप उन्हें देखे जा रही थी.

उन्होंने आगे कहा, ‘‘तुम्हें बताने की हिम्मत मुझ में और हेमेश में न थी.

तुम्हें बताने की जिम्मेदारी नीता ने ली, उस ने तुम्हें सारी बातें बताने की कोशिश की, लेकिन तुम ने उस के फोन काट दिए, बात नहीं सुनी उस की. वैसे बेटा, तुम ने भी वही किया जो एक बेटी अपनी मम्मी को खोने के बाद इस तरह की खबर सुन कर करेगी, हमें तुम से…’’

मैं ने बीच में ही निर्मला आंटी की बात काटते हुए कहा, ‘‘आप लोगों से माफी मांगने लायक तो नहीं हूं, लेकिन फिर भी हो सके तो मुझे माफ कर दीजिए. सौरी मम्मी, सौरी पापा.’’

मम्मीपापा दोनों ने आगे बढ़ कर मुझे गले से लगा लिया. मैं ने देखा राजेश, रिंकू को गोद में लिए पूरी तरह संतुष्ट नजर आ रहे थे. वे भी मुझ से नजर मिलते ही मुसकरा दिए. इस दौरान एक विचार दिल और दिमाग को लगातार मथ रहा था कि दो उदास और तन्हा प्राणियों को एक कर जीने का मौका देना क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता है? इस विचार के आते ही मम्मी के प्रति श्रद्धा से सिर झुक गया.

स्वाद बढ़ाने के साथ सेहत भी बनाते हैं मसाले, जानें इसके ढेरों फायदे

योंतो मसालों को खाने में तरहतरह के स्वाद जगाने के लिए जाना जाता है, मगर भारत में इन का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है. कालीमिर्च, जायफर, हलदी, अजवाइन और जीरा का दवा के रूप में इस्तेमाल तो घरों में आम बात है. जहां मसालों के पाउडर से नए स्वादिष्ठ व्यंजन बनते हैं वहीं खड़े मसालों से बने खाने का स्वाद ही जुदा होता है.
आइए, जानें मसालों की सेहत वाली खूबियों के बारे में:

1. दालचीनी

सदियों से दालचीनी न सिर्फ इस की खुशबू के कारण खाने में इस्तेमाल की जाती है, बल्कि इस के ऐंटीऔक्सीडैंट गुण भी इसे बेहद गुणकारी बनाते हैं. ये फ्रीरैडिकल्स से लड़ने में सक्षम होने के कारण कैंसर, आर्थ्राइटिस से बचाने के साथसाथ जवां रखने का भी काम करती है, साथ ही फिट भी बनाए रखती है.

रखे फिट: आप को यह जान कर हैरानी होगी कि दालचीनी हाई फैट डाइट के असर को कम करने का काम करती है, जिस से आप वजन को नियंत्रित कर पाते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, दालचीनी के रोजाना सेवन से शरीर में फैट मोलीक्यूल्स की संख्या कम होती है.

स्किन को बनाए दाग फ्री: चेहरे पर मुंहासे किसे पसंद होते हैं. ये न सिर्फ सुंदरता में कमी लाते हैं, बल्कि कौंफिडैंस को भी कम करते हैं. ऐसे में दालचीनी में ऐंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण ये मुंहासों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को कम करने का काम करते हैं.

हेयर ग्रोथ में सहायक: पौष्टिक डाइट न लेने की वजह से हेयरफौल की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में दालचीनी स्कैल्प के सर्कुलेशन को इंप्रूव कर हेयर ग्रोथ को बढ़ाने का काम करती है.

2. लौंग

यूएसडीए नैशनल न्यूट्रीऐंट डाटाबेस के अनुसार, लौंग में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, ऐनर्जी, विटामिंस व डाइटरी फाइबर होते हैं जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद रहते हैं. लौंग में ऐंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टी होती है जो पाचनतंत्र को सुधारने व चेहरे की चमक बनाए रखने का काम करती है.

दांत दर्द में राहत: लौंग न सिर्फ दांत दर्द में राहत पहुंचाने का काम करती है, बल्कि मुंह की बदबू को भी दूर करती है, जिस से आप फ्रैश फील करती हैं.

दे दागधब्बों रहित त्वचा: रोजाना लौंग खाने से यह ब्लड साफ करने के साथसाथ शरीर की गंदगी को बाहर निकाल कर आप को स्मूद व दागधब्बों रहित त्वचा भी देती है.

रोके ऐजिंग: ऐजिंग होने पर आप के स्किन सैल्स अपना कार्य करने में सक्षम नहीं हो पाते, जिस से चेहरे पर झुर्रियां नजर आने लगती हैं. लौंग में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होने के कारण यह झुर्रियों को होने से रोक आप को लंबे समय तक यंग दिखाने का काम करती है.

बचाए स्किन इन्फैक्शन से: लौंग में ऐंटीऐलर्जिक, ऐंटीसैप्टिक गुण होते हैं जो इन्फैक्शन से बचाते हैं. लौंग घावों को भरने और फंगल इन्फैक्शन से स्किन को बचाने का भी काम करती है, साथ ही बालों के वौल्यूम को भी इंप्रूव करती है.

3. इलायची

छोटी इलायची सब्जियों व स्वीट्स बगैरा में डाली जाती हैं. यह सिर्फ टेस्ट ही नहीं बढ़ाती, बल्कि शरीर को डिटौक्सीफाई करने के साथसाथ वजन कम करने, डिप्रैशन से लड़ने और इम्युनिटी बढ़ाने में भी कारगर है. इस में आयरन, फाइबर, कैल्सियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी व जिंक भी भरपूर मात्रा में होते हैं. साथ ही इस में पाए जाने वाले पाइनीन, सबनीन, लिनलूल जैसे औयल हैल्थ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं, क्योंकि इन में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होने के कारण ये पाचनतंत्र को सुधारने के साथसाथ मैटाबोलिज्म को प्रेरित करने का भी काम करते हैं.

डिटौक्सिफिकैशन का काम करे: अगर शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकलते तो ऐजिंग, किडनी स्टोन, यूरिक ऐसिड के इकट्ठा होने की समस्या हो जाती है. ऐसे में इलायची के लगातार सेवन से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और हम फिट रहते हैं.

बैड ब्रीद से दिलाए छुटकारा: अगर आप 10-15 दिन लगातार छोटी इलायची का सेवन करें तो आप को बैड ब्रीथ की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा और आप का पाचनतंत्र भी
सही रहेगा.

4. कालीमिर्च

कालीमिर्च में पीपेरीन होता है, जो शरीर में वसा के संचय को रोकता है. 2013 में ‘फूड कैमिस्ट्री’ में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, पीपेरीन एचईआर 2 जीन की गतिविधि को कम करने का काम करता है, जो ब्रैस्ट कैंसर सैल्स को बढ़ाता है. साथ ही इस में फाइबर की मौजूदगी पेट को लंबे समय तक फुल रखने का काम करती है. रोजाना कालीमिर्च खाने से शरीर में विटामिन की पूर्ति हो जाती है, साथ ही इस में मैग्नीशियम और कौपर जैसे मिनरल्स की मौजूदगी हैल्दी मैटाबोलिज्म में सहायक होती है.

वजन कम करने में सहायक: एक स्टडी के अनुसार, कालीमिर्च में पीपेरीन नामक तत्त्व फैट सैल्स से लड़ने का काम करता है, जिस से आप बहुत आसानी से वजन कंट्रोल कर पाते हैं.

ऐंटीऔक्सीडैंट प्रौपर्टी: इस में ऐंटीऔक्सीडैंट प्रौपर्टी होती है, जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ा कर हमें बीमारियों से बचाती है, जिस से हम जल्दीजल्दी बीमार नहीं होते.
नैशनल इंस्टिट्यूट औफ न्यूट्रीशन के अनुसार कालीमिर्च में बाकी चीजों की तुलना में ज्यादा ऐंटीऔक्सीडैंट होते हैं. साथ ही इस में सब से ज्यादा फिनोलिक कंटैंट होता है, जो कैंसर से बचाने का काम करता है.

फर्टिलिटी को सुधारे: यह पुरुष फर्टिलिटी को सुधारने का काम करती है. साथ ही महिलाओं में भी सैक्स क्षमता को बढ़ाती है. यह स्पर्म काउंट को बढ़ाने में सहायक है.

ऐक्सफौलिएट योर स्किन: अगर स्किन पर डैड सैल्स जमा हो जाते हैं तो वह डल दिखने लगती है. ऐसे में आप घर में मौजूद कालीमिर्च को क्रश कर के उस में दही मिला कर स्क्रब की तरह यूज करें तो मिनटों में साफ त्वचा पा सकती हैं. साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के साथसाथ स्किन को जरूरी न्यूट्रीऐंट्स पहुंचाने का भी काम करती है.

5. जीरा
हाल ही में हुए अध्ययनों में साबित हुआ है कि जीरा पाचनतंत्र को सुधारने, पेट इन्फैक्शन को ठीक करने और वजन कम करने में कारगर है. तभी तो खाने में जीरा डालना कोई नहीं भूलता, क्योंकि इस में सेहत का राज जो छिपा है.

आयरन का अच्छा स्रोत: जीरा आयरन का अच्छा स्रोत है. 1 छोटे चम्मच जीरे में 1.4 एमजी आयरन होता है, जो शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने का काम करता है. इसलिए हर सब्जी व दाल में जीरे का इस्तेमाल करना न भूलें.

वजन घटाए: क्लीनिकली प्रैक्टिस की कौंप्लिमैंटरी थेरैपीज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अधिक वजन से ग्रस्त महिलाओं के शरीर की संरचना पर जीरा बहुत ही सकारात्मक प्रभाव डालता है. यह शरीर में चरबी व कोलैस्ट्रौल कम कर के बारबार मन में खाने की इच्छा को जाग्रत करने से रोकता है, जिस से वजन घटाने में मदद मिलती है.

स्मरणशक्ति बढ़ाए: इस में ऐंटीऔक्सीडैंट और ऐंटी इनफ्लैमैटरी गुण स्मरणशक्ति बढ़ाने का काम करते हैं.

6. जायफल

चुटकीभर जायफल न केवल डिशेज के स्वाद को बढ़ा देता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी लाभकारी होता है.

अच्छी नींद में मददगार: आज की भागदौड़ भरी व स्ट्रैसफुल लाइफ के कारण हम चैन की नींद नहीं सो पाते हैं, जिस से तनाव में रहने के कारण धीरेधीरे डिप्रैशन की गिरफ्त में आ जाते हैं. ऐसे में जायफल अच्छी नींद लाने में मददगार है. रात को सोने से आधा घंटा पहले हलके गरम दूध में चुटकीभर जायफल डाल कर पीएं. इस से आप को काफी रिलैक्स फील होगा.

स्किन प्रौब्लम्स से दिलाए छुटकारा: आज बढ़ते प्रदूषण, गलत कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल व हारमोनल बदलाव की वजह से ऐक्ने, झुर्रियां जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. ऐसी स्थिति में जायफल में ऐंटीसैप्टिक और ऐंटी इनफ्लैमेटरी गुण स्किन क्लींजिंग का काम करते हैं.

रखे बीमारियों से दूर: जायफल इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रौंग बनाने का काम करता है. इस में विटामिंस, मिनरल्स की मौजूदगी आप की ओवरऔल हैल्थ को सुधारने का काम करती है.

कोलैस्ट्रौल कम करे: जब शरीर में कोलैस्ट्रोल का लैवल बढ़ने लगता है तो उस से हार्ट अटैक, किडनी प्रौब्लम्स खड़ी हो जाती हैं, जो जानलेवा भी साबत हो सकती हैं. ऐसे में जायफल में मौजूद ऐथेनोलिक ऐक्सट्रैक्ट कोलैस्ट्रोल को कम करने में मददगार होता है.

ब्रेन फंक्शन को सुधारे: जायफल में मौजूद माइरिस्टिसिन नामक तत्त्व होता है. यह उस ऐंजाइम की क्रिया को रोकता है, जो अल्जाइमर रोग के लिए जिम्मेदार होता है. यह आप के मस्तिष्क को भी उत्तेजित करने का काम करता है, जिस से आप की याद्दाश्त में सुधार होने के साथसाथ तनाव भी कम होता है.

7. कच्ची हलदी

हलदी हर किचन में मिल जाएगी. यह न सिर्फ डिशेज में पीला कलर लाने का काम करती है, बल्कि इस के ऐंटीऔक्सीडैंट, ऐंटीवायरल, ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीफंगल गुण हलदी के महत्त्व को कई गुणा बढ़ा देते हैं.

स्किन हैल्थ के लिए अच्छी: सदियों से कच्ची हलदी शादियों में उबटन में प्रयोग हो रही है, क्योंकि यह मिनटों में चेहरे की गंदगी को हटा कर उसे ग्लोइंग बनाने का काम करती है, साथ ही अगर स्किन पर किसी भी तरह का विकार होता है तो उस से भी राहत मिलती है.

ऐंटीसैप्टिक का काम करे: बुखार होने पर, शरीर पर कट लगने की स्थिति में थोड़ी सी कच्ची हलदी को दूध में मिला कर पीने से झट से राहत मिलती है. इस में करक्यूमिन की मौजूदगी बेहतरीन ऐंटीसैप्टिक का काम करती है.

ब्लड प्यूरीफायर: कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि कच्ची हलदी ब्लड को प्यूरीफाई कर विषैले तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालने का काम करती है.
मेथी
मेथी को मिरैकल स्पाइस औफ हैल्थ के नाम से भी जाना जाता है. कढ़ी और कद्दू जैसी रैसिपीज का स्वाद बढ़ाने वाली मेथी सेहत और सुंदरता के लिए भी काफी गुणकारी है.

पाचन सुधारे: मेथी के नियमित सेवन से बौवेल सिस्टम सुचारू रूप से काम करता है. इस में ऐंटीऔक्सिडैंट और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है जिस से शरीर से टौक्सिन बाहर निकालने में मदद मिलती है.

पीरिएड्स में ऐंठन से आराम: माहवारी के दौरान पानी में भिगो कर रखे हुए मेथी दाने चबाने से ऐंठन में राहत मिलती है. मूड स्विंग की समस्या में भी मेथी राहत पहुंचाती है.

सुधारे किडनी फंक्शन: मेथी दानों में पौलीफिनोलिक फ्लैवोनौइड्स पाए जाते हैं जो किडनी फंक्शन को सही रखने में मददगार हैं.

8. तेजपत्ता

रोमन युग में कुकिंग और ट्रीटमैंट में तेजपत्ते का इस्तेमाल काफी प्रचलन में था.
भारत में तेजपत्ता कुकिंग का एक अहम हिस्सा है. सही मायने में तेजपत्ता सेहत वाले गुणों की
खान है.

सांस संबंधी समस्याओं में राहत: एक मैडिकल रिसर्च रिपोर्ट के अुनसार तेजपत्ता ऐंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर है. इस का प्रयोग सांस संबंधी समस्याओं में राहत पहुंचाता है.

तनाव करे कम: लिनालूल वैसे तो बैसिल और थाइम में पाया जाता है, मगर यह तेजपत्ते में भी पाया जाता है. यह स्ट्रैस हारमोन को संतुलित कर तनाव बढ़ने से रोकता है.
सेहत के लिए गुणकारी इन मसालों को अपने खाने में शामिल करें और टैस्ट के साथसाथ फिटनैस का भी आनंद उठाएं.

प्यार की खातिर : क्या हुआ समुद्र किनारे बैठी रश्मि के साथ?

हमेशा की तरह इस बार भी जब रोहिणी और कार्तिक के बीच जम कर बहस हुई, तो कार्तिक झगड़ा समाप्त करने की गरज से अपने कमरे में जा कर लैपटौप में व्यस्त हो गया.

रोहिणी उत्तेजित सी कुछ देर कमरे में टहलती रही. फिर एकाएक बाहर चल दी.

गेट से निकल ही रही थी कि वाचमैन दौड़ता हुआ आया और बोला, ‘‘कहीं जाना है मेमसाब? टैक्सी बुला दूं?’’

‘‘नहीं, मैं पास ही जा रही हूं. 10 मिनट में लौट आऊंगी.’’

रात के 10 बज रहे थे, पर कोलाबा की सड़कों पर अभी भी काफी गहमागहमी थी. दुकानें अभी भी खुली हुई थीं और लोग खरीदारी कर रहे थे. रेस्तरां और हलवाईर् की दुकानों के आसपास भी भीड़ थी.

रोहिणी के मन में खलबली मची हुई थी. आजकल जब भी उस की पति के साथ बहस होती, तो बात कार्तिक के परिवार पर ही आ कर थमती. कार्तिक अपने मातापिता का एकलौता बेटा था. अपनी मां की आंखों का तारा, उन का बेहद दुलारा. उस की 3 बड़ी बहनें थीं, जो उसे बेहद प्यार करती थीं और उसे हाथोंहाथ लेती थीं.

रोहिणी को इस बात से कोई परेशानी नहीं थी, पर कभीकभी उसे लगता था कि उस का पति अभी भी बच्चा बना हुआ है. वह एक कदम भी अपनी मरजी से नहीं उठा सकता है. रोज जब तक दिन में एकाध बार वह अपनी मां व बहनों से बात नहीं कर लेता उसे चैन नहीं पड़ता था.

जब भी इस बात को ले कर रोहिणी भुनभुनाती तो कार्तिक कहता, ‘‘पिताजी के देहांत के बाद उन की खोजखबर लेने वाला मैं अकेला ही तो हूं. मेरे पैदा होने के बाद से मां बीमार रहतीं… मेरी तीनों बहनों ने ही मेरी परवरिश की है. मेरे पिता के देहांत के बाद मेरी मां ने मुझे बड़ी मुश्किल से पाला है. मैं उन का ऋण कभी नहीं चुका सकता.’’

ऐसी दलीलों से रोहिणी चुप हो जाती थी. पर उसे यह बात समझ में न आती थी कि बच्चों को पालपोस कर बड़ा करना हर मातापिता का फर्ज होता है, तो इस में एहसान की बात कहां से आ गई? पर वह जानती थी कि कार्तिक से बहस करना बेकार था. वैसे उसे अपने पति से और कोई शिकायत नहीं थी. वह उस से बेहद प्यार करता था. वह एक भला इनसान था और उस के प्रति संवेदशील था. उसे कोफ्त केवल इस बात से होती कि उसे अपने पति का प्यार उस के घर वालों से साझा करना पड़ता है.

जब उस की शादी हुई तो कार्तिक ने उस से कहा था, ‘‘जानेमन, तुम्हें पूरा अधिकार है कि तुम अपना घर जैसे चाहे सजाओ, जिस तरह चाहे चलाओ. मैं ने अपने को भी तुम्हारे हवाले किया. मेरी तुम से केवल एक ही गुजारिश है कि चूंकि मैं अपने परिवार से बेहद जुड़ा हुआ हूं इसलिए चाहता हूं तुम भी उन से मेलजोल रखो, उन का आदरसम्मान करो. मैं अपनी मां की आंखों में आंसू नहीं देख सकता और अपनी बहनों को भी किसी भी कीमत पर दुख नहीं पहुंचाना चाहता.’’

उसे याद आया कि अपने हनीमून पर जब वे सिंगापुर गए थे, तो उन्होंने खूब मौजमस्ती की थी.

एक दिन जब वे बाजार से हो कर गुजर रहे थे, तो कार्तिक एक जौहरी की दुकान के सामने ठिठक गया. बोला, ‘‘चलो जरा इस दुकान में चलते हैं.’’

वह मन ही मन पुलकित हुई कि क्या कार्तिक उसे कोई गहना खरीद कर देने वाला है.

उन्होंने दुकान में रखे काफी गहने देख डाले. फिर कार्तिक ने एक हार उठा कर कहा, ‘‘यह हार तुम्हें कैसा लगता है?’’

‘‘अरे, यह तो बहुत ही खूबसूरत है,’’ खुशी से बोली.

‘‘तुम्हें पसंद है तो ले लो. हमारे हनीमून की एक यादगार भेंट’’

‘‘ओह कार्तिक, तुम कितने अच्छे हो. लेकिन इतनी महंगी…?’’

‘‘कीमत की तुम फिक्र न करो और हां सुनो 1-1 गहना अपनी तीनों बहनों के लिए भी ले लेते हैं. यहां से लौटेंगे तो वे सब मुझ से किसी भेंट की अपेक्षा करेंगी.’’

सुन कर रोहिणी मन ही मन कुढ़ गई पर कुछ बोली नहीं.

‘‘और मांजी के लिए?’’ उस ने पूछा.

‘‘उन के लिए एक शाल ले लेते हैं.’’

वे घर सामान से लदेफदे लौटे. उस के बाद भी हर तीजत्योहार पर अपने परिवार के लिए तोहफे भेजता. जब भी विदेश जाता, तो उस के पास भानजेभानजियों की मनचाही वस्तुओं की लिस्ट पहले पहुंच जाती. अपने परिवार वालों के लिए उन के कहने की देर होती कि वह उन की फरमाइश तुरंत पूरी कर देता.

रोहिणी को इस पर कोई आपत्ति न थी. कार्तिक एक आईटी कंपनी में कार्यरत था और अच्छा कमा रहा था. उसे पूरा हक था कि वह अपनी कमाई जैसे चाहे, जिस पर चाहे, खर्च करे. पर उसे यह बात बुरी तरह अखरती थी कि कार्तिक के जिस कीमती समय को वह अपने लिए सुरक्षित रखना चाहती उसे भी वह बिना हिचक अपने परिवार को समर्पित कर देता. रोहिणी को अपने पति का प्यार उस के घर वालों के साथ बांटना बहुत नागवार गुजरता.

अब आज ही की बात ले लो. उन की शादी की सालगिरह थी. वह कब से सोच रही थी कि इस बार एक शानदार जगह जा कर ठाट से छुट्टियां मनाएंगे पर सब गुड़ गोबर हो गया. जब से उस की 2-4 किट्टी पार्टी वाली सहेलियां इटली हो कर आई थीं वे लगातार उस जगह की तारीफ के पुल बांध रही थीं कि उन्होंने वहां कितना लुत्फ उठाया. सुनसुन कर उस के कान पक गए थे. उस की 1-2 सहेलियों के पति जो अरबपति थे, वे उन की दौलत दोनों हाथों से लुटातीं थीं और नित नईर् साडि़यों और गहनों की नुमाइश करती थीं. इस से रोहिणी जलभुन जाती थी.

बड़ी मुश्किल से उस ने अपने पति को राजी कर लिया था कि इस बार वे भी विदेश जा कर दिल खोल कर पैसा खर्च करेंगे, खूब मौजमस्ती करेंगे.

उस ने मन ही मन कल्पना की थी कि जब वह फ्रैंच शिफौन की साड़ी में लिपटी, महंगे फौरेन सैंट की खुशबू बिखेरती, हाथ में चौकलेट का डब्बा लिए किट्टी पार्टी में पहुंचेगी तो सब उसे देख कर ईर्ष्या से जल मरेंगी पर ऊपरी मन से उस की खूब तारीफ करेंगी.

मगर आज रात खाने के बाद जब उस ने यह बात उठाई तो कार्तिक बोला, ‘‘इस बार तो विदेश जाना जरा मुश्किल होगा.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘इसलिए कि बड़ी दीदी शकुंतला की बेटी रीना की शादी पक्की हो गई है. मैं ने तुम्हें बताया तो था… आज ही सुबह उन का फोन आया कि इसी महीने सगाई की रस्म है और हमारा वहां पहुंचना बहुत जरूरी है. आखिर मैं एकलौता मामा हूं न… भानजी की शादी में मेरी प्रमुख भूमिका रहेगी.’’

‘‘आप के घर में तो हमेशा कुछ न कुछ लगा रहता है,’’ वह मुंह बना कर बोली, ‘‘कभी किसी का जन्मदिन है, तो कभी किसी का मुंडन तो कभी कुछ और.’’

‘‘अरे जन्मदिन तो हर साल आता है. उस की इतनी अहमियत नहीं… पर शादीब्याह तो रोजरोज नहीं होते न? दीदी ने बहुत आग्रह किया है कि हम जरूर आएं. वे कोई भी बहाना सुनने को तैयार नहीं हैं.’’

‘‘मैं पूछती हूं कि क्या हम कभी अपनी मरजी से नहीं जी सकते?’’

‘‘डार्लिंग, इतना क्यों बिगड़ती हो… हम शादी की सालगिरह मनाने अगले साल भी तो जा सकते हैं… अभी से तय कर लो कि कहां जाना है और कितने दिनों के लिए जाना है… मैं सारी प्लानिंग तुम्हीं पर छोड़ता हूं.’’

‘‘जी हां, बड़ी मेहरबानी आप की… हम सारा प्लान बना लेंगे और फिर आप के घर वालों का एक फोन आएगा और सब कुछ कैंसल.’’

‘‘यह हमेशा थोड़े न होता है?’’

‘‘यह हमेशा होता है… हर बार होता है. हमारी अपनी कोई जिंदगी ही नहीं है.’’

‘‘तुम बेकार में नाराज हो रही हो… क्या मैं ने कभी तुम्हें किसी चीज से वंचित रखा है? हमेशा तुम्हारी इच्छा पूरी की है. तुम्हारे सारे नाजनखरे सहर्ष उठाता हूं.’’

‘‘इस में कौन सी बड़ी बात है…. यह तो हर पति करता है, बशर्ते वह अपनी पत्नी से प्यार करता हो.’’

‘‘तो तुम्हारा खयाल है कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता?’’ कार्तिक रोहिणी की आंखों में झांक कर मुसकराया.

‘‘लगता तो ऐसा ही है.’’

‘‘रोहिणी, यह तुम ज्यादती कर रही हो. जानती हो मेरा तुम्हारे प्रति प्रेम देख कर मेरे यारदोस्त मुझे बीवी का गुलाम कह कर चिढ़ाते हैं.’’

‘‘अच्छा? वे ऐसा क्यों कहते हैं भला, जब मेरी हर बात काटी जाती है… मेरा हर प्रस्ताव ठुकराया जाता है. हां, अगर कोई तुम्हें मां के पल्लू से बंधा लल्लू या बहनों का पिछलग्गू कहे तो मैं मान सकती हूं.’’

कार्तिक खिलखिला कर हंस पड़ा, ‘‘तुम्हारा भी जवाब नहीं.’’

कार्तिक ने टीवी औन कर लिया. रोहिणी थोड़ी देर बड़बड़ाती रही. वह इस मसले को कल पर नहीं छोड़ना चाहती थी. अभी कोई फैसला कर लेना चाहती थी. अत: बोली, ‘‘तो क्या तय किया तुम ने?’’

‘‘किस बारे में?’’

‘‘यह लो घंटे भर से मैं क्या बकबक किए जा रही हूं… हम इस टूअर पर जा रहे हैं या नहीं?’’

‘‘कह तो दिया भई कि इस बार जरा मुश्किल हैं. तुम तो जानती हो कि मुझे साल में सिर्फ 2 हफ्ते की छुट्टी मिलती है. शादी में जाना जरूरी है… पर अगले साल इटली अवश्य…’’

‘‘जी नहीं, मुझे तुम इन खोखले वादों से नहीं टाल सकते.’’

‘‘पर अगले साल भी इटली उसी जगह बना रहेगा और हम दोनों भी.’’

‘‘और तुम्हारा परिवार भी तो वैसे ही सहीसलामत ही रहेगा.’’

‘‘तुम कभीकभी बड़ी बचकानी बातें करती हो.’’

‘‘हां, मैं तो हूं ही बेवकूफ, सिरफिरी, अदूरदर्शी…  सारी बुराइयां मुझ में कूटकूट कर भरी हैं.’’

‘‘तुम से इस विषय में बात करना बेकार है… अभी तुम्हारा दिमाग जरा गरम है. कल

सुबह ठंडे दिमाग से इस बारे में बात करेंगे.

मैं जरा दफ्तर का जरूरी काम निबटा कर आता हूं,’’ कह कार्तिक अपने औफिसरूम में चला गया.

रोहिणी अपनी बात न मनवा पाई तो गुस्से से बिफर गई. कुछ देर वह क्रोध में भरी बैठी रही. फिर सहसा उठ कर बाहर की ओर चल दी.

कोलाबा के बाजार में अभी भी काफी चहलपहल थी. रीगल सिनेमा के पास पहुंची तो देखा कि वहां भी भीड़ है. उस ने सोचा कि टिकट खरीद कर रात का शो देख ले. 2 घंटे आराम से बीत जाएंगे. पर फिर यह सोच कर कि इस बीच अगर कार्तिक ने उसे घर में न पाया तो वह परेशान हो जाएगा. उसे पागलों की तरह ढूंढ़ेगा. इधरउधर फोन घुमाएगा, अपना इरादा बदल दिया. फिर वह गेट वे औफ इंडिया की तरफ मुड़ गई.

यहां लोग समुद्र के किनारे बैठे ठंडी हवा का लुत्फ उठा रहे थे. रोहिणी भी वहां मुंडेर पर बैठ गईर् और अपनी नजरें समुद्र के पार क्षितिज पर गड़ा दीं.

समुद्र के बीच 2-3 समुद्री जहाज लंगर डाले थे. उन की बत्तियां पानी में झिलमिला रही थीं. रोहिणी ने हसरत भरी नजरों से समुद्र की गहराइयों में झांका. बस इस अथाह जल में समाने की देर है, उस ने सोचा. एक ही पल में उस के प्राणों का अंत हो जाएगा.

उस ने मन की आंखों से देखा कार्तिक उस के निष्प्राण शरीर से लिपट कर बिलख रहा है कि हाय प्रिये, मैं ने क्यों तुम्हारी बात न मानी. मैं जानता न था कि तुम इतनी सी बात पर मुझ से रूठ जाओगी और मुझे हमेशा के लिए छोड़ कर चली जाओगी.

पर नहीं, वह क्यों अपनी जान दे. उस ने अभी दुनिया में देखा ही क्या है और उस के ऊपर कौन सा गमों का पहाड़ टूट पड़ा है, जो वह अपनी जान देने की सोचे. ठीक है पति से थोड़ी खटपट हुई है. यह तो हर शादीशुदा स्त्री के जीवन का हिस्सा है. कभी खुशी तो कभी गम. और सच पूछा जाए तो उस के जीवन में खुशियां ज्यादा हैं गम न के बराबर.

वह आज जरा उत्तेजित है, विचलित है, क्योंकि उस की मनमानी नहीं हुई है. कभीकभी उस का पति किसी बात पर अड़ जाता है तो टस से मस नहीं होता और उसे मजबूरन उस के आगे हार माननी पड़ती है. उस की शादी को 4 साल हो गए और अभी तक वह समझ न पाई कि वह अपने पति से कैसे पेश आए.

खयालों में डूबी रोहिणी को समय का भान ही न हुआ. अचानक उस ने चौंक कर देखा कि उस के आसपास की भीड़ अब छंट चुकी थी. खोमचे वाले, आइसक्रीम वाले अपना सामान समेट कर चल दिए थे. हां, ताज होटल के सामने अभी भी काफी रौनक थी. लोग आ जा रहे थे. मुख्यद्वार पर संतरी मुस्तैद था.

एक और बात रोहिणी ने नोट की. समुद्र के किनारे की सड़क पर अब कुछ स्त्रियां भड़कीले व तंग कपड़े पहने चहलकदमी कर रही हैं. उन्हें देख कर साफ लगता है कि वे स्ट्रीट वाकर्स हैं यानी रात की रानियां.

हर थोड़ी देर में लोग गाडि़यों में आते. किसी एक स्त्री के पास गाड़ी रोकते, मोलतोल करते और वह स्त्री गाड़ी में बैठ कर फुर्र हो जाती. यह सब देख कर रोहिणी को बड़ी हंसी आई.

सहसा एक गाड़ी उस के पास आ कर रुकी. उस में 3-4 युवक सवार थे, जो कालेज के छात्र लग रहे थे.

‘‘हाय ब्यूटीफुल,’’ एक युवक ने कार की खिड़की में से सिर निकाल कर उसे आवाज दी, ‘‘अकेली बैठी क्या कर रही हो? हमारे साथ आओ… कुछ मौजमस्ती करेंगे, घूमेंगेफिरेंगे.’’

रोहिणी दंग रह गई कि क्या ये पाजी लड़के उसे एक वेश्या समझ बैठे हैं? हद हो गई. क्या इन्हें एक भले घर की स्त्री और एक वेश्या में फर्क नहीं दिखाई देता? अब यहां इतनी रात गए यों अकेले बैठे रहना ठीक नहीं. उसे अब घर चल देना चाहिए.

रोहिणी तेजी से घर का रूख किया. कार उस के पास से सर्र से निकल गई. पर कुछ ही देर बाद वही कार लौट कर फिर उस के पास आ कर रुकी.

‘‘आओ न डियर. होटल में बियर पीएंगे. तुम्हें चाइनीज खाना पसंद है? हम तुम्हें नौनकिंग रेस्तरां में खाना खिलाएंगे. उस के बाद डांस करेंगे. हम तुम्हारा भरपूर मनोरंजन करेंगे,’’ एक लड़के ने खिड़की से सिर निकाल कर कहा.

‘‘आप को गलतफहमी हुई है,’’ वह संयत स्वर में बोली, ‘‘मैं एक हाउसवाइफ हूं. अपने घर जा रही हूं.’’

‘‘तो चलो न हम आप को आप के घर छोड़ देते हैं. कहां रहती हैं आप?’’ वे लड़के कार धीरेधीरे चलाते हुए उस का पीछा करते रहे और लगातार उस से बातें करते रहे. जाहिर था कि वे कंगाल थे. वे बिना पैसा खर्च किए उस की सोहबत का आनंद उठाना चाहते थे.

रोहिणी अपनी राह चलती रही. सहसा गाड़ी उस के पास आ कर झटके से रुकी. एक लड़का गाड़ी से उतरा और उस के पास आ कर बोला, ‘‘आखिर इतनी जिद क्यों कर रही हो स्वीटी?’’ हम तुम्हें सुपर टाइम देंगे… आई प्रौमिस. चलो गाड़ी में बैठो और वह रोहिणी से हाथापाई करने लगा.

‘‘मुझे हाथ मत लगाना नहीं तो मैं शोर मचा पुलिस बुला लूंगी,’’ उस ने कड़क आवाज में कहा.

अचानक एक और कार उस के पास आ कर रुकी. उस का हौर्न जोर से बज उठा. रोहिणी ने चौंक कर देखा तो कार्तिक अपनी कार में बैठा उसे आवाजें लगा रहा था, ‘‘रोहिणी जल्दी आओ गाड़ी में बैठो.’’

रोहिणी अपना हाथ छुड़ा दौड़ कर गाड़ी में बैठ गई.

‘‘इतनी रात को यह तुम्हें क्या सूझी?’’ कार्तिक ने उसे लताड़ा, ‘‘यह क्या घर से अकेले बाहर निकलने का समय है?’’ रोहिणी तुम्हें कब अक्ल आएगी? देखा नहीं कैसेकैसे गुंडेमवाली रात को सड़कों पर घूमते शिकार की ताक में रहते हैं… मेरी नजर तुम पर पड़ गई वरना जानती हो क्या हो जाता?’’

‘‘क्या हो जाता?’’

‘‘अरे वे लोफर तुम्हें गाड़ी में बैठा कर अगवा कर ले जाते.’’

‘‘अगवा करना क्या इतना आसान है?’’ हर समय पुलिस की गाड़ी गश्त लगाती रहती है.

‘‘हां, लेकिन पुलिस के आने से पहले ही अगर वे गुंडे तुम्हें ले उड़ते तो तुम समझ सकती हो फिर वे तुम्हारा क्या हश्र करते? तुम्हें रेप कर के अधमरी हालत में कहीं झाडि़यों में फेंक कर चलते बनते. रोहिणी तुम रोज अखबार में इस तरह की घटनाओं के बारे में पढ़ती हो, टीवी पर देखती हो. फिर भी तुम ने ऐसा खतरा मोल लिया. तुम्हारी अक्ल क्या घास चरने चली गई?’’

‘‘ये सब वे कैसे कर पाते?’’ रोहिणी ने प्रतिवाद किया, ‘‘मैं जोर से चिल्लाती तो भीड़ इकट्ठी हो जाती, पुलिस पहुंच जाती.’’

‘‘ये सब कहने की बातें हैं. इस सुनसान सड़क पर तुम्हारे शोर मचाने से पहले ही बहुत कुछ घट जाता. वे तुम्हें मिनटों में गायब कर देते और फिर तुम्हारा अतापता भी न मिलता. मत भूलो कि वे 4 थे तुम अकेली. तुम उन से मुकाबला कैसे कर पातीं. इस तरह की हठधर्मिता की वजह से ही आए दिन औरतों के साथ हादसे होते रहते हैं. इतनी रात को अकेले घर से निकलना, अनजान लोगों से लिफ्ट लेना, गैरों के साथ टैक्सी शेयर करना ये सब सरासर नादानी है.’’

रोहिणी ने चुप्पी साध ली. घर पहुंच कर कार्तिक ने उसे अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘डार्लिंग एक वादा करो कि अब से जब भी तुम मुझ से खफा होगी तो बेशक मुझे जो चाह कर लेना पर इस तरह का पागलपन नहीं करोगी,’’ कह उस ने इटली जाने के लिए होटल की बुकिंग और प्लेन के टिकट रोहिणी को थमा दिए.

‘‘यह क्या? तुम तो कह रहे थे कि इस साल जाना नहीं हो सकता.’’

‘‘हां, कहा तो था, पर मैं अपनी प्रिये का कहना कैसे टाल सकता हूं?’’

‘‘प्रोग्राम कैंसल कर दो.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘अरे भाई, शकुंतला दीदी की बेटी की शादी जो हो रही है… हमें वहां जाना पड़ेगा न.’’

‘‘दीदी से शादी में न आने का कोई बहाना बना दूंगा.’’

‘‘जी हां, और फिर सब से डांट सुनोगे. तुम तो आसानी से छूट जाओगे पर सब मुझे ही परेशान करेंगे कि रोहिणी अपने ससुराल वालों से अलगथलग रहती है और अपने पति को भी अपने चंगुल में कर रखा है. उसे अपने परिवार से दूर कर देना चाहती है.’’

‘‘हद हो गई रोहिणी. चित भी तुम्हारी और पट भी तुम्हारी. तुम से मैं कभी पार नहीं पा सकता.’’

‘‘सो तो है,’’ रोहिणी ने विजयी भाव से कहा.

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