बौडी लोशन से पाएं ग्लोइंग स्किन, जानें कैसे

आप जानते हैं कि जिस तरह डेली हाइजीन का ध्यान रखना जरूरी है, उसी तरह स्किन को नरिश करना भी. ताकि स्किन का मौइस्चर स्किन में लौक होकर आपको हैल्दी स्किन मिल सके. स्किन शरीर का ऐसा पार्ट है, जिसे यंग, हैल्दी, दागधब्बों रहित रखने के लिए उसका खास ध्यान रखना जरूरी है, जिसमें मॉइस्चराइजिंग लोशन का अहम रोल होता है. आइएय, जानते हैं इसके बारे में:

क्यों जरूरी है स्किन लोशन

बदलता मौसम, स्किन की प्रौपर केयर नहीं करने की वजह से हमारी स्किन ड्राई होने लगती है. जिसे ठीक करने के लिए बौडी लोशन से बेस्ट कुछ नहीं होता. क्योंकि ये स्किन को बिना इर्रिटेट करे स्किन के मौइस्चर को स्किन में लौक करने का काम जो करता है. इसके लिए जरूरी है कि जब भी आप शावर लें तो उसके बाद स्किन को लोशन से नरिश करना न भूलें.

रफ स्पौटस हटाएं:

चाहे आपकी स्किन नौर्मल हो, फिर भी आपने देखा होगा कि आपकी कोहनी या घुटने के आसपास ड्राई स्पौटस नजर आते ही हैं. लेकिन अगर आप इन जगहों पर कोको बटर युक्त लोशन अप्लाई करेंगी तो इससे आपकी स्किन से रफ स्पॉटस हटने के साथ-साथ स्किन सौफ्ट व स्मूद भी नजर आएगी.

दर्द से राहत दिलवाए:

कई बार स्किन पर ड्राईनेस इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि वो स्किन पर हार्ड पपड़ी की फौर्म में नजर आने लगती है. जिसके कारण उसे छूने व उस के निकलने पर बहुत दर्द महसूस होता है. ऐसे में बौडी लोशन स्किन को स्मूद बनाने का काम करता है, जिससे डेड स्किन आसानी से निकल जाती है. इससे धीरेधीरे स्किन हील भी होने लगती है.

फील रिलैक्स:

अब आप सोच रहे होंगे कि लोशन आपको रिलैक्स फील कैसे करवाने का काम करेगा. तो आपको बता दें कि जब भी आपका मन रिलैक्स करने को करे तो आप कुछ बूंदे लोशन की लेकर उससे हाथों-पैरों की मसाज करें. यकीन मानिए मसाज के दौरान इससे निकलने वाली गर्मी आपकी बॉडी को अंदर तक गुड फील करवाने का काम करेगी. साथ ही इसकी भीनीभीनी खुशबू आपके पूरे दिन को रिफ्रेश करने का काम करेगी.

बॉडी लोशन का खास होना जरूरी:

भले ही आपको मार्केट में ढेरों बौडी लोशंस मिल जाएंगे, लेकिन जब भी आप बॉडी लोशन खरीदें तो इन इंग्रीडिएंट्स को देख कर ही खरीदें. जिससे आपकी स्किन भी नरिश हो जाए और उन इंग्रीडिएंट्स से आपकी स्किन को भी कोई नुकसान न पहुंचे. जानते हैं लोशन में उन इंग्रीडिएंट्स के बारे में:

व्हीट जर्म ऑयल:

इसमें विटामिन ए, डी, इ व फैटी एसिड्स होने के कारण ये स्किन में आसानी से एब्सॉर्ब होने के साथ आपकी स्किन की हैल्थ का भी ध्यान रखता है. ये न्यूट्रिएंट्स आपकी स्किन को मॉइस्चर प्रदान कर ड्राई स्किन को हील करने का काम करते हैं. इससे युक्त बॉडी लोशन हर स्किन टाइप पर सूट करता है.

हनी:

एन्टिऔक्सीडैंट्स से भरपूर होने के कारण आपकी स्किन को स्मूद बनाए रखने के साथ उसे यंग भी बनाए रखता है. हनी के गुणों से भरपूर बॉडी लोशन स्किन के पोर्स को भी ओपन कर उन पर दागधब्बों को होने से रोकता है. हनी युक्त लोशन लगाने से थोड़ी देर बाद ही आपको अपनी स्किन चमकती हुई यानी ग्लोइंग नजर आने लगेगी.

एलोवीरा:

इसमें स्मूदिंग प्रोपर्टीज होने के कारण ये स्किन को मुलायम बनाने का काम करता है. रिसर्च में यह भी साबित हुआ है कि जिन लोशंस में एलोवीरा एक्सट्रेक्ट होता है, वे स्किन के हाइड्रेशन को इम्प्रूव करने के साथ सनबर्न से स्किन को होने वाली इर्रिटेशन को भी दूर करने में मददगार होते हैं. इसलिए मॉइस्चराइजर में एलोवीरा का होना भी  जरूरी है.

कोको बटर:

इसमें बड़ी मात्रा में फैटी एसिड्स होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेट रखने का काम करते हैं. साथ ही कोको बटर में मौजूद फैट स्किन पर प्रोटेक्टिव लेयर बनाकर मौइस्चर को होल्ड कर स्किन को ड्राई होने से बचाता है.

तो अपनी स्किन को रिफ्रेश और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए व्हीट जर्म औयल, हनी, एलोवीरा और कोको बटर से युक्त रोजा हर्बल बॉडी लोशन का इस्तेमाल कर सकती हैं.

प्रायश्चित: क्यों दूसरी शादी करना चाहता था सुधीर

आज सुधीर की तेरहवीं है. मेरा चित्त अशांत है. बारबार नजर सुधीर की तसवीर की तरफ चली जाती. पति कितना भी दुराचारी क्यों न हो पत्नी के लिए उस की अहमियत कम नहीं होती. तमाम उपेक्षा, तिरस्कार के बावजूद ताउम्र मुझे सुधीर का इंतजार रहा. हो न हो उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हो और मेरे पास चले आएं. पर यह मेरे लिए एक दिवास्वप्न ही रहा. आज जबकि वह सचमुच में नहीं रहे तो मन मानने को तैयार ही नहीं. बेटाबहू इंतजाम में लगे हैं और मैं अतीत के जख्मों को कुरेदने में लग गई.

सुधीर एक स्कूल में अध्यापक थे. साथ ही वह एक अच्छे कथाकार भी थे. कल्पनाशील, बौद्धिक. वह अकसर मुझे बड़ेबड़े साहित्यकारों के सारगर्भित तत्त्वों से अवगत कराते तो लगता अपना ज्ञान शून्य है.

मुझ में कोई साहित्यिक सरोकार न था फिर भी उन की बातें ध्यानपूर्वक सुनती. उसी का असर था कि मैं भी कभीकभी उन से तर्कवितर्क कर बैठती. वह बुरा न मानते बल्कि प्रोत्साहित ही करते. उस दिन सुधीर कोई कथा लिख रहे थे. कथा में दूसरी स्त्री का जिक्र था. मैं ने कहा, ‘यह सरासर अन्याय है उस पुरुष का जो पत्नी के होते हुए दूसरी औरत से संबंध बनाए,’ सुधीर हंस पड़े तो मैं बोली, ‘व्यवहार में ऐसा होता नहीं.’

सुधीर बोले, ‘खूबसूरत स्त्री हमेशा पुरुष की कमजोरी रही. मुझे नहीं लगता अगर सहज में किसी को ऐसी औरत मिले तो अछूता रहे. पुरुष को फिसलते देर नहीं लगती.’

‘मैं ऐसी स्त्री का मुंह नोंच लूंगी,’ कृत्रिम क्रोधित होते हुए मैं बोली.

‘पुरुष का नहीं?’ सुधीर ने टोका तो मैं ने कोई जवाब नहीं दिया.

कई साल गुजर गए उस वार्त्तालाप को. पर आज सोचती हूं कि मैं ने बड़ी गलती की. मुझे सुधीर के सवाल का जवाब देना चाहिए था. औरत का मौन खुद के लिए आत्मघाती होता है. पुरुष इसे स्त्री की कमजोरी मान लेता है और कमजोर को सताना हमारे समाज का दस्तूर है. इसी दस्तूर ने ही तो मुझे 30 साल सुधीर से दूर रखा.

सुधीर पर मैं ने आंख मूंद कर भरोसा किया. 2 बच्चों के पिता सुधीर ने जब इंटर की छात्रा नम्रता को घर पर ट्यूशन देना शुरू किया तो मुझे कल्पना में भी भान नहीं था कि दोनों के बीच प्रेमांकुर पनप रहे हैं. मैं भी कितनी मूर्ख थी कि बगल के कमरे में अपने छोटेछोटे बच्चों के साथ लेटी रहती पर एक बार भी नहीं देखती कि अंदर क्या हो रहा है. कभी गलत विचार मन में पनपे ही नहीं. पता तब चला जब नम्रता गर्भवती हो गई और एक दिन सुधीर अपनी नौकरी छोड़ कर रांची चले गए.

मेरे सिर पर तब दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 2 बच्चों को ले कर मेरा भविष्य अंधकारमय हो गया. कहां जाऊं, कैसे कटेगी जिंदगी? बच्चों की परवरिश कैसे होगी? लोग तरहतरह के सवाल करेंगे तो उन का जवाब क्या दूंगी? कहेंगे कि इस का पति लड़की ले कर भाग गया.

पुरुष पर जल्दी कोई दोष नहीं मढ़ता. उन्हें मुझ में ही खोट नजर आएंगे. कहेंगे, कैसी औरत है जो अपने पति को संभाल न सकी. अब मैं उन्हें कैसे समझाऊं कि मैं ने स्त्री धर्म का पालन किया. मैं ने उन वचनों को निभाया जो अग्नि को साक्षी मान कर लिए थे.

तीज का व्रत याद आने लगा. कितनी तड़प और बेचैनी होती है जब सारा दिन बिना अन्न, जल के अपने पति का साथ सात जन्मों तक पाने की लालसा में गुजार देती थी. गला सूख कर कांटा हो जाता. शाम होतेहोते लगता दम निकल जाएगा. सुधीर कहते, यह सब करने की क्या जरूरत है. मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ हूं. पर वह क्या जाने इस तड़प में भी कितना सुख होता है. उस का यह सिला दिया सुधीर ने.

बनारस रहना मेरे लिए असह्य हो गया. लोगों की सशंकित नजरों ने जीना मुहाल कर दिया. असुरक्षा की भावना के चलते रात में नींद नहीं आती. दोनों बच्चे पापा को पूछते. इस बीच भइया आ गए. उन्हें मैं ने ही सूचित किया था. आते ही हमदोनों को खरीखोटी सुनाने लगे. मुझे जहां लापरवाह कहा वहीं सुधीर को लंपट. मैं लाख कहूं कि मैं ने उन पर भरोसा किया, अब कोई विश्वासघात पर उतारू हो जाए तो क्या किया जा सकता है.

क्या मैं उठउठ कर उन के कमरे में झांकती कि वह क्या कर रहे हैं? क्या यह उचित होता? उन्होंने मेरे पीठ में छुरा भोंका. यह उन का चरित्र था पर मेरा नहीं जो उन पर निगरानी करूं.

‘तो भुगतो,’ भैया गुस्साए.

भैया ने भी मुझे नहीं समझा. उन्हें लगा मैं ने गैरजिम्मेदारी का परिचय दिया. पति को ऐसे छोड़ देना मूर्ख स्त्री का काम है. मैं रोने लगी. भइया का दिल पसीज गया. जब उन का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने रांची चलने के लिए कहा.

‘देखता हूं कहां जाता है,’ भैया बोले.

हम रांची आए. यहां शहर में मेरे एक चचेरे भाई रहते थे. मैं वहीं रहने लगी. उन्हें मुझ से सहानुभूति थी. भरसक उन्होंने मेरी मदद की. अंतत: एक दिन सुधीर का पता चल गया. उन्होंने नम्रता से विवाह कर लिया था. सहसा मुझे विश्वास नहीं हुआ. सुधीर इतने नीचे तक गिर सकते हैं. सारी बौद्धिकता, कल्पनाशीलता, बड़ीबड़ी इल्म की बातें सब खोखली साबित हुईं. स्त्री का सौंदर्य मतिभ्रष्टा होता है यह मैं ने सुधीर से जाना.

उस रोज भैया भी मेरे साथ जाना चाहते थे. पर मैं ने मना कर दिया. बिला वजह बहसाबहसी, हाथापाई का रूप ले सकता था. घर पर नम्रता मिली. देख कर मेरा खून खौल गया. मैं बिना इजाजत घर में घुस गई. उस में आंख मिलाने की भी हिम्मत न थी. वह नजरें चुराने लगी. मैं बरस पड़ी, ‘मेरा घर उजाड़ते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई?’

उस की निगाहें झुकी हुई थीं.

‘चुप क्यों हो? तुम ने तो सारी हदें तोड़ दीं. रिश्तों का भी खयाल नहीं रहा.’

‘यह आप मुझ से क्यों पूछ रही हैं? उन्होंने मुझे बरगलाया. आज मैं न इधर की रही न उधर की,’ उस की आंखें भर आईं. एकाएक मेरा हृदय परिवर्तित हो गया.

मैं विचार करने लगी. इस में नम्रता का क्या दोष? जब 2 बच्चों का पिता अपनी मर्यादा भूल गया तो वह बेचारी तो अभी नादान है. गुरु मार्ग दर्शक होता है. अच्छे बुरे का ज्ञान कराता है. पर यहां गुरु ही शिष्या का शोषण करने पर तुला है. सुधीर से मुझे घिन आने लगी. खुद पर शर्म भी. कितना फर्क था दोनों की उम्र में. सुधीर को इस का भी खयाल नहीं आया. इस कदर कामोन्मत्त हो गया था कि लाज, शर्म, मानसम्मान सब को लात मार कर भाग गया. कायर, बुजदिल…मैं ने मन ही मन उसे लताड़ा.

‘तुम्हारी उम्र ही क्या है,’ कुछ सोच कर मैं बोली, ‘बेहतर होगा तुम अपने घर चली जाओ और नए सिरे से जिंदगी शुरू करो.’

‘अब संभव नहीं.’

‘क्यों?’ मुझे आश्चर्य हुआ.

‘मैं उन के बच्चे की मां बनने वाली हूं.’

‘तो क्या हुआ. गर्भ गिराया भी तो जा सकता है. सोचो, तुम्हें सुधीर से मिलेगा क्या? उम्र का इतना बड़ा फासला. उस पर रखैल की संज्ञा.’

‘मुझे सब मंजूर है क्योंकि मैं उन से प्यार करती हूं.’

यह सुन कर मैं तिलमिला कर रह गई पर संयत रही.

‘अभी अभी तुम ने कहा कि सुधीर ने तुम्हें बरगलाया है. फिर यह प्यारमोहब्बत की बात कहां से आ गई. जिसे तुम प्यार कहती हो वह महज शारीरिक आकर्षण है.

एक दिन सुधीर का मन तुम से भी भर जाएगा तो किसी और को ले आएगा. अरे, जिसे 2 अबोध बच्चों का खयाल नहीं आया वह भला तुम्हारा क्या होगा,’ मैं ने नम्रता को भरसक समझाने का प्रयास किया. तभी सुधीर आ गया. मुझे देख कर सकपकाया. बोला, ‘तुम, यहां?’

‘हां मैं यहां. तुम जहन्नुम में भी होते तो खोज लेती. इतनी आसानी से नहीं छोड़ूंगी.’

‘मैं ने तुम्हें अपने से अलग ही कब किया था,’ सुधीर ने ढिठाई की.

‘बेशर्मी कोई तुम से सीखे,’ मैं बोली.

‘इन सब के लिए तुम जिम्मेदार हो.’

‘मैं…’ मैं चीखी, ‘मैं ने कहा था इसे लाने के लिए,’ नम्रता की तरफ इशारा करते हुए बोली.

‘मेरे प्रति तुम्हारी बेरुखी का नतीजा है.’

‘चौबीस घंटे क्या सारी औरतें अपने मर्दों की आरती उतारती रहती हैं? साफसाफ क्यों नहीं कहते कि तुम्हारा मन मुझ से भर गया.’

‘जो समझो पर मेरे लिए तुम अब भी वैसी ही हो.’

‘पत्नी.’

‘हां.’

‘तो यह कौन है?’

‘पत्नी.’

‘पत्नी नहीं, रखैल.’

‘जबान को लगाम दो,’ सुधीर तनिक ऊंचे स्वर में बोले. यह सब उन का नम्रता के लिए नाटक था.

‘मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतने बड़े पाखंडी हो. तुम्हारी सोच, बौद्धिकता सिर्फ दिखावा है. असल में तुम नाली के कीड़े हो,’ मैं उठने लगी, ‘याद रखना, तुम ने मेरे विश्वास को तोड़ा है. एक पतिव्रता स्त्री की आस्था खंडित की है. मेरी बददुआ हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी. तुम इस के साथ कभी सुखी नहीं रहोगे,’ भर्राए गले से कहते हुए मैं ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. भरे कदमों से घर आई.

इस बीच मैं ने परिस्थितियों से मुकाबला करने का मन बना लिया था. सुधीर मेरे चित्त से उतर चुका था. रोनेगिड़गिड़ाने या फिर किसी पर आश्रित रहने से अच्छा है मैं खुद अपने पैरों पर खड़ी हूं. बेशक भैया ने मेरी मदद की. मगर मैं ने भी अपने बच्चों के भविष्य के लिए भरपूर मेहनत की. इस का मुझे नतीजा भी मिला. बेटा प्रशांत सरकारी नौकरी में आ गया और मेरी बेटी सुमेधा का ब्याह हो गया.

बेटी के ब्याह में शुरुआती दिक्कतें आईं. लोग मेरे पति के बारे में ऊलजलूल सवाल करते. पर मैं ने हिम्मत नहीं हारी. एक जगह बात बन गई. उन्हें हमारे परिवार से रिश्ता करने में कोई खोट नहीं नजर आई. अब मैं पूरी तरह बेटेबहू में रम गई. जिंदगी से जो भी शिकवाशिकायत थी सब दूर हो गई. उलटे मुझे लगा कि अगर ऐसा बुरा दिन न आता तो शायद मुझ में इतना आत्मबल न आता.

जिंदगी से संघर्ष कर के ही जाना कि जिंदगी किसी के भरोसे नहीं चलती. सुधीर नहीं रहे तो क्या सारे रास्ते बंद हो गए. एक बंद होगा तो सौ खुलेंगे. इस तरह कब 60 की हो गई पता ही न चला. इस दौरान अकसर सुधीर का खयाल जेहन में आता रहा. कहां होंगे…कैसे होंगे?

एक रोज भैया ने खबर दी कि सुधीर आया है. वह मुझ से मिलना चाहता है. मुझे आश्चर्य हुआ. भला सुधीर को मुझ से क्या काम. मैं ने ज्यादा सोचविचार करना मुनासिब नहीं समझा. वर्षों बाद सुधीर का आगमन मुझे भावविभोर कर गया. अब मेरे दिल में सुधीर के लिए कोई रंज न था. मैं जल्दीजल्दी तैयार हुई. बाल संवार कर जैसे ही मांग भरने के लिए हाथ ऊपर किया कि प्रशांत ने रोक लिया.

‘मम्मी, पापा हमारे लिए मर चुके हैं.’

‘नहीं,’ मैं चिल्लाई, ‘वह आज भी मेरे लिए जिंदा हैं. वह जब तक जीवित रहेंगे मैं सिं?दूर लगाना नहीं छोड़ूंगी. तू कौन होता है मुझे यह सब समझाने वाला.’

‘मम्मी, उन्होंने क्या दिया है हमें, आप को. एक जिल्लत भरी जिंदगी. दरदर की ठोकरें खाई हैं हम ने तब कहीं जा कर यह मुकाम पाया है. उन्होंने तो कभी झांकना भी मुनासिब नहीं समझा. तुम्हारा न सही हमारा तो खयाल किया होता. कोई अपने बच्चों को ऐसे दुत्कारता है,’ प्रशांत भावुक हो उठा.

‘वह तेरे पिता हैं.’

‘सिर्फ नाम के.’

‘हमारे संस्कारों की जड़ें अभी इतनी कमजोर नहीं हैं बेटा कि मांबाप को मांबाप का दर्जा लेखाजोखा कर के दिया जाए. उन्होंने तुझे अपनी बांहों में खिलाया है. तुझे कहानी सुना कर वही सुलाते थे, इसे तू भूल गया होगा पर मैं नहीं. कितनी ही रात तेरी बीमारी के चलते वह सोए नहीं. आज तू कहता है कि वह सिर्फ नाम के पिता हैं,’ मैं कहती रही, ‘अगर तुझे उन्हें पिता नहीं मानना है तो मत मान पर मैं उन्हें अपना पति आज भी मानती हूं,’ प्रशांत निरुत्तर था. मैं भरे मन से सुधीर से मिलने चल पड़ी.

सुधीर का हुलिया काफी बदल चुका था. वह काफी कमजोर लग रहे थे. मानो लंबी बीमारी से उठे हों. मुझे देखते ही उन की आंखें नम हो गईं.

‘मुझे माफ कर दो. मैं ने तुम सब को बहुत दुख दिए.’

जी में आया कि उन के बगैर गुजारे एकएक पल का उन से हिसाब लूं पर खामोश रही. उम्र के इस पड़ाव पर हिसाबकिताब निरर्थक लगे.

सुधीर मेरे सामने हाथ जोड़े खड़े थे. इतनी सजा काफी थी. गुजरा वक्त लौट कर आता नहीं पर सुधीर अब भी मेरे पति थे. मैं अपने पति को और जलील नहीं देख सकती. बातोंबातों में भइया ने बताया कि सुधीर के दोनों गुर्दे खराब हो गए हैं. सुन कर मेरे कानों को विश्वास नहीं हुआ.

मैं विस्फारित नेत्रों से भैया को देखने लगी. वर्षों बाद सुधीर आए भी तो इस स्थिति में. कोई औरत विधवा होना नहीं चाहती. पर मेरा वैधव्य आसन्न था. मुझ से रहा न गया. उठ कर कमरे में चली आई. पीछे से भैया भी चले आए. शायद उन्हें आभास हो गया था. मेरे सिर पर हाथ रख कर बोले, ‘इन आंसुओं को रोको.’

‘मेरे वश में नहीं…’

‘नम्रता दवा के पैसे नहीं देती. वह और उस के बच्चे उसे मारतेपीटते हैं.’

‘बाप पर हाथ छोड़ते हैं?’

‘क्या करोगी. ऐसे रिश्तों की यही परिणति होती है.’

भइया के कथन पर मैं सुबकने लगी.

‘भइया, सुधीर से कहो, वह मेरे साथ ही रहें. मैं उन की पत्नी हूं…भले ही हमारा शरीर अलग हुआ हो पर आत्मा तो एक है. मैं उन की सेवा करूंगी. मेरे सामने दम निकलेगा तो मुझे तसल्ली होगी.’

भैया कुछ सोचविचार कर बोले, ‘प्रशांत तैयार होगा?’

‘वह कौन होता है हम पतिपत्नी के बीच में एतराज जताने वाला.’

‘ठीक है, मैं बात करता हूं…’

सुधीर ने साफ मना कर दिया, ‘मैं अपने गुनाहों का प्रायश्चित्त करना चाहता हूं. मुझे जितना तिरस्कार मिलेगा मुझे उतना ही सुकून मिलेगा. मैं इसी का हकदार हूं,’ इतना बोल कर सुधीर चले गए. मैं बेबस कुछ भी न कर सकी.

आज भी वह मेरे न हो सके. शांत जल में कंकड़ मार कर सुधीर ने टीस, दर्द ही दिया. पर आज और कल में एक फर्क था. वर्षों इस आस से मांग भरती रही कि अगर मेरे सतीत्व में बल होगा तो सुधीर जरूर आएंगे. वह लौटे. देर से ही सही. उन्होंने मुझे अपनी अर्धांगिनी होने का एहसास कराया तो. पति पत्नी का संबल होता है. आज वह एहसास भी चला गया.

मैं यहीं रहूंगी: क्या था सुरुचि का फैसला

शादी के बाद सुरुचि ससुराल पहुंची. सारे कार्यक्रम खत्म होने के बाद 3-4 दिनों में सभी मेहमान एकएक कर के वापस चले गए. लेकिन, उस की ननद और उस के 2 बच्चे 2 दिनों के लिए रुक गए. उस के साससुसर ने तो बहुत पहले ही इस दुनिया से विदा ले ली थी, इसलिए उस की ननद ने, जितने दिन भी रहीं, सुरुचि को भरपूर प्यार दिया ताकि उस को सास की कमी न खले.

भाई के विवाह की सारी जिम्मेदारी वे ही संभाल रही थीं. सुरुचि ने उन के सामने ही घर के कामों को सुचारु रूप से संभालना शुरू कर दिया था. उस ने अपने स्वभाव से उन का दिल जीत लिया था. ननद इस बात से संतुष्ट थीं कि उन के भाई को बहुत अच्छी जीवनसंगिनी मिली है. अब उन्हें भाई की चिंता करने की जरूरत नहीं है.

विदा लेते समय ननद ने सुरुचि को गले लगाते हुए कहा, ‘‘मेरा भाईर् दिल का बहुत अच्छा है, तुझे कभी कोई तकलीफ नहीं होने देगा, तू उस का ध्यान रखना और कभी भी मुझ से कोई सलाह लेनी हो तो संकोच नहीं करना. मैं आती रहूंगी, दिल्ली से सहारनपुर दूर ही कितना है.’’

‘‘दीदी, आप परेशान मत होइए, मैं इन का ध्यान रखूंगी,’’ सुरुचि ने झुक कर उन के पैर छुए. उस की ननद तो औटो में बैठ गई लेकिन बच्चे खड़े ही रहे. सुरुचि ने उन से कहा, ‘‘जाओ, ममा के साथ बैठो.’’

‘‘नहीं, अब तो तुम आ गई हो, इसलिए ये यहीं रहेंगे…’’ ननद आगे कुछ और कहतेकहते जैसे रुक सी गईं.

सुरुचि यह सुन कर अवाक रह गई. अभी विवाह को दिन ही कितने हुए हैं, इसलिए कोई भी सवाल करना उसे ठीक नहीं लगा. उन के जाने के बाद उस के दिमाग में सवालों ने उमड़ना शुरू कर दिया था, कहीं दीदी इसलिए तो मुझ पर इतना स्नेह नहीं उड़ेल रही थीं कि अपने बच्चों की जिम्मेदारी मुझ पर डाल कर आजाद होना चाह रही थीं. उन के छोटे से शहर में अच्छी पढ़ाई होती नहीं है, लेकिन एक बार मुझ से अपनी योजना के बारे में बता कर मेरी भी तो मरजी जाननी चाहिए थी. जल्दी से जल्दी अपने शक को दूर करने के लिए वह पति के औफिस से लौट कर आने का इंतजार करने लगी.

सुंदर के आते ही उस ने उसे चाय दी. उस के थोड़े रिलैक्स होते ही, यह सोच कर कि उसे यह न लगे कि उस की बहन के बच्चे रखने में उसे आपत्ति है, उस ने धीरे से पूछा, ‘‘दीदी के बच्चे यहीं रहेंगे क्या?’’

‘‘दीदी के नहीं, वे मेरे ही बच्चे हैं. पत्नी की मृत्यु के बाद दोनों बच्चों को अपने पास रख कर उन्होंने ही उन को पाला है. तुम्हें…’’

‘‘क्या तुम शादीशुदा हो? तुम ने हमें पहले क्यों नहीं बताया? हमें धोखा दिया…? अपने पति की बात पूरी होने से पहले ही वह लगभग चीखती हुई बोली. उसे लगा जैसे वह किसी साजिश की शिकार हुई है, इस स्थिति के लिए वह बिलकुल तैयार नहीं थी.

सुंदर भौचक सा थोड़ी देर तक उस की तरफ देखता रहा, फिर धीरे से बोला, ‘‘मैं ने तुम्हारे भाई से सबकुछ बता दिया था. उन्होंने तुम्हें नहीं बताया? मैं ने तुम्हें धोखा नहीं दिया. फिर भी तुम मेरी ओर से आजाद हो, कभी भी वापस जा सकती हो.’’

अब चौंकने की बारी उस की थी. ‘तो क्या, मेरे अपने भाई ने मुझे छला है.’ उस को लगा उस के माथे की नसें फट जाएंगी, उस ने दोनों हाथों से जोर से सिर पकड़ लिया और रोतेरोते, धम्म से जमीन पर बैठ गई. कहनेसुनने को अब बचा ही क्या था. उस के सारे सपने जैसे टूट कर बिखर गए थे. शरीर से जैसे किसी ने सारी शक्ति निचोड़ ली हो, वह किसी तरह वहां से उठ कर सोफे पर निढाल हो कर लेट गई.

सुरुचि के दिमाग में विचारों ने तांडव करना शुरू कर दिया था, अतीत की यादों की बदली घुमड़घुमड़ कर बरसने लगी. उस के पिता तो बहुत पहले ही चले गए थे, उस की मां ने ही उसे और उस के भाई को नौकरी कर के पढ़ायालिखाया. जब वह कालेज में पढ़ती थी, उस के भविष्य के सपने बुनने के दिन थे, तभी अचानक हार्टअटैक से मां की मृत्यु हो गई. भाई उस से 5 साल बड़ा था, इसलिए उस का विवाह मां के सामने ही हो गया था.

मां के जाने के बाद भाईभाभी का उस के प्रति व्यवहार बिलकुल बदल गया. वे उसे बोझ समझने लगे थे. गे्रजुएशन के बाद उस की पढ़ाई पर भी उन्होंने रोक लगा दी थी. भाभी भी औफिस जाती थी. सुरुचि सुबह से शाम घर के काम में जुटी रहती थी. उस के विवाह के लिए कई प्रस्ताव आए, लेकिन ‘अभी जल्दी क्या है’ कह कर भाईभाभी टाल दिया करते थे, मुफ्त की नौकरानी जो मिली हुईर् थी.

इसी बीच, उन के 2 बच्चे हो गए थे. जब पानी सिर से गुजरने लगा और रिश्तेदारों ने उन्हें टोकना शुरू कर दिया, तो उन्होंने उस की शादी के बारे में सोचना शुरू किया, जिस की परिणति इस रिश्ते से हुई. जिस उम्र की वह थी, उस में बिना खर्च के इस से अच्छा रिश्ता क्या हो सकता था. उस का मन भाईभाभी के लिए घृणा से भर उठा.

अचानक, सुंदर को सामने खड़े देख कर उस के विचारों को झटका लगा. सुंदर ने उस के पास बैठते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे साथ जो भी हुआ, बहुत बुरा हुआ. लेकिन दुखी होने से बीता वक्त वापस नहीं आएगा. अभी उठो और शांतमन से इस का हल सोचो. जो तुम चाहोगी, वही होगा. तब तक तुम मेरी मेहमान हो. तुम कहोगी तो मैं तुम्हारे भाई के पास छोड़ आऊंगा.’’

?‘‘भाई के पास जा कर क्या होगा. यदि, उन्हें मेरी खुशी की परवा होती तो ऐसा करते ही क्यों. मुझे नहीं जाना उन के पास,’’ वह बुदबुदाईर् और आंखों के आंसू पोंछ कर घर के काम में लग गई.

अगले दिन सुबहसुबह उस की ननद का फोन आया. सुरुचि समझ गई कि कल की घटना के बारे में वे जान चुकी हैं, इसीलिए उन का फोन आया है. उधर से आवाज आई, ‘‘सुरुचि बेटा, हम ने तुम्हारे भाई से कुछ भी नहीं छिपाया था. फिर भी यदि तुम्हें बच्चों से समस्या है, तो वे पहले की तरह मेरे पास ही रहेंगे, लेकिन मेरे भाई को मत छोड़ना, बहुत सालों बाद उस के जीवन में तुम्हारे रूप में खुशी आई है. बड़ी मुश्किल से वह विवाह के लिए राजी हुआ था.’’ वे भरे गले से बोलीं.

‘‘जी,’’ इस के अलावा वह कुछ बोल ही नहीं पाई. इस से पहले कि सुरुचि कुछ फैसला ले कर उन्हें बताए, उन्होंने ही उस की सोच को दिशा दे दी थी.

उस ने नए सिरे से सोचना शुरू किया कि भाई के घर वापस जा कर वह फिर से उस नारकीय दलदल में फंसना नहीं चाहती और बिना किसी सहारे के अकेली लड़की की इस दुनिया में क्या दशा होती है, यह सब जानते हैं. यदि उस का विवाह किसी कुंआरे लड़के से होता, तो क्या गारंटी थी वह सुंदर की तरह उसे समझने वाला होता. उस की कोई गलती नहीं है, फिर भी वह उसे आजाद करने के लिए तैयार है. इतना प्यार करने वाली मां समान ननद, कहां सब को मिलती है. भाईबहन का प्यार, जिस में दोनों एकदूसरे की खुशी के लिए कुछ भी त्याग करने के लिए तैयार हैं, जो उसे कभी अपने भाई से नहीं मिला.

बच्चे जो शुरू में उसे दूर से सहमेसहमे देखते थे, अब सारा दिन उस के आगेपीछे घूमते रहते हैं. इतने सुखी संसार को वह कैसे त्याग सकती है. जो खुशी प्यार और अच्छे रिश्तों से हासिल हो सकती है, बेशुमार धनदौलत या ऐशोआराम से नहीं मिल सकती. इतना प्यार, जिस की उस के जीवन में बहुत कमी थी, हाथ फैलाए उस के स्वागत के लिए तैयार है.

समाज में अधिकतर बहुओं को घर में निचला दर्जा दिया जाता है, वहां एक लड़की को विवाह के बाद इतना प्यार और मानसम्मान मिल जाए, तो उसे और क्या चाहिए. उसे अपने समय से समझौता कर लेने में ही भलाई लगी. शक व चिंता की स्थिति से वह उबर चुकी थी.

आत्मसंतुष्टि के लिए उस ने दोनों बच्चों को अपने पास बुलाया और पूछा, ‘‘बेटा, मैं जा रही हूं, तुम दोनों, पहले की तरह, अपनी बूआ के साथ रहोगे न?’’

‘‘नहींनहीं, वहां पापा नहीं रह सकते, हमें आप दोनों के साथ रहना है. आप हमें छोड़ कर मत जाइए, प्लीज. आप हमें बहुत अच्छी लगती हैं.’’ इतना कह कर दोनों सुबकने लगे.

सुरुचि ने दोनों को गले से लगा लिया. उस का भी दिल भर आया, इतना तो उसे कभी, उस के भतीजों ने महत्त्व नहीं दिया था, जिन को उस ने वर्षों तक प्यारदुलार दिया था.

सुरुचि ने अपनी ननद को अपने फैसले से अवगत कराने के लिए फोन मिलाया और बोली, ‘‘दीदी, मैं यहीं रहूंगी. कहीं नहीं जाऊंगी. दोनों बच्चे भी मेरे साथ रहेंगे.’’ अभी उस की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि उस की नजर पीछे खड़े, सुंदर पर पड़ी, जो उस की बात सुन कर मुसकरा रहा था. आंखें चार होने पर वह नवयौवना सी शरमा गई, भूल गई कि वह अपनी ननद से बात कर रही थी.

गणपति, गरबा, दशहरा, होली और दीवाली जैसे त्योहारों पर सरकार व प्रशासन की सख्ती क्यों ?

नवरात्रि के 9 दिन हों या गणपति के 11 दिन, इन दिनों जश्न वाला माहौल होता है. भारत के हर शहर में गणेश उत्सव, दशहरा आदि मनाने के लिए हरकोई उत्साहित रहता है. लेकिन जैसेजैसे समय गुजर रहा है, लोग ज्यादा शिक्षित तो हो रहे हैं, मगर त्योहारों पर नियमकानून और सुरक्षा की तलवार लटकना शुरू हो गई है.

3 अक्तूबर, 2024 को नवरात्रि का त्योहार शुरू हुआ. इन दिनों खासतौर पर मुंबई व गुजरात में गरबा प्रेमियों की भीड़ अति व्यस्तता के बावजूद नवरात्रि स्थलों पर सजधज कर गरबा डांडिया खेलने पहुंच जाती है. इन नवरात्रि उत्सव मनाने वाले जगहों का टिकट और पास ₹500 से ₹1000 के करीब का होता है। कई जगहों पर तो 1 दिन का ₹800 तक का भी पास होता है. बावजूद इस के गरबा प्रेमी यहां पर पास या टिकट ले कर गरबा खेलने पहुंचते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से पुलिस कमिश्नर और मौजूदा सरकार द्वारा पास किए गए कानून के हिसाब से रात के 10:00 बजे तक ही गरबा खेलने की परमिशन है. ऐसे में कई गरबा प्रेमियों को अपनी इच्छा को मार कर घर बैठना पड़ता है जो अपना काम खत्म कर के और 2-3 घंटे की लंबी यात्रा कर के 9 बजे घर पर पहुंचते हैं. ऐसे में गरबा स्थान पर पहुंचने में ही उन्हें 10 बज जाते हैं जिस के चलते कई सारे लोग समय की पाबंदी के चलते गरबा खेलने नहीं जा पाते.

सख्त हिदायत

इस बार भी मुंबई के पुलिस कमिश्नर विवेक फनसलकर की सख्त हिदायत है कि नवरात्रि का समय 10 बजे तक का ही होगा। ऐसे में अगर कहीं भी 10:00 के बाद लाउड म्यूजिक सुनाई दिया तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी.

मौजूदा सरकार और पुलिस के अनुसार सिर्फ शनिवार व रविवार को और नवरात्रि के आखिरी दिन रात 12 बजे तक गरबा खेला जा सकेगा. हालांकि बहुत सारे दिग्गज लोगों ने समय बढ़ाने के लिए सरकार के सामने गुहार भी लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

ऐसे ही कुछ हालात दीवाली व होली और गणेशोत्सव के दौरान भी देखने को मिलती है। पेश हैं, इसी सिलसिले पर एक नजर :

सख्त कानून के पीछे खास वजह क्या है

एक समय था जब हिंदू,मुसलिम, सिख, इसाई धर्म में न सिर्फ एकदूसरे के धर्म की इज्जत करते थे बल्कि दोस्ती और भाईचारा निभाते हुए सभी धर्म के त्योहार भी साथ मिल कर मनाते थे. कोई हिंदू अगर मुसलमान के घर ईद मिलने जाता था तो मुसलमान भी अपने हिंदू दोस्त के घर दीवाली और होली मिलने आते थे. लेकिन जैसेजैसे समय बदला वैसेवैसे शिक्षित भी धर्म के नाम पर अशिक्षित जैसा व्यवहार करने लगे. जिस के चलते अगर मसजिद के सामने पटाखे फोड़ दिए जाएं तो उस पर भी विवाद शुरू हो जाता है.

अगर किसी मुसलिम को होली पर भूल से रंग लग जाए तो झगड़ा शुरू हो जाता है जोकि बाद में बड़ी दिक्कत के रूप में सामने आता है. एक समय में मुसलिम व हिंदू भाईभाई कहने वाले भारतीय अब मुसलमान को ले कर धर्म के नाम पर लड़ने लगे हैं. इसी के चलते कोई दंगाफसाद न हो इसलिए पुलिस को भी सख्ती बरतनी पड़ती है जिस के चलते न सिर्फ समय की पाबंदी हो गई है , बल्कि सभी त्योहारों पर कोई न कोई रोकटोक हो गई है.

त्योहारों का मजाक तो नहीं

होली पर रंगों को ले कर, दीवाली पर पटाखों को ले कर, नवरात्रि में समय को ले कर कई ऐसे कानून बन गए हैं जो त्योहार का मजाक किरकिरा करने के लिए काफी हैं. जिस में कभी पौलिटिकल इश्यू आता है, तो कभी धर्म के नाम पर इमोशनल और सैंसिटिव इश्यू. कभी हैल्थ को ले कर वाइस कंट्रोल करने का इशू सामने आ जाता है और ऐसे में दीवाली, होली नवरात्रि या गणपति जैसे त्योहारों का हम इंतजार जो बेसब्री से करते हैं वह कब ठंडाठंडा ही आ कर चले जाते हैं, पता ही नहीं चलता.

Bigg Boss 18 : जब सलमान खान को करनी पड़ी गधे के साथ होस्टिंग, कंटेस्टेंट्स हो गए हैरान

बिग बौस (Bigg Boss 18) वाले शो को आकर्षक बनाने के लिए सेलिब्रिटीज के साथसाथ कभी कुत्ता तो कभी तोता भी प्रतियोगी के रूप में ले आते हैं. लेकिन इस बार तो हद ही हो गई. जब 6 अक्टूबर 2024 को बिग बौस के प्रीमियर पर 19वां प्रतियोगी एक गधा था.

सलमान खान (Salman Khan) ने भी गधे की रिस्पैक्ट करते हुए उसका नाम जोर शोर से पुकारा और उसके बाद फिल्मी स्टाइल में वो गधा टहलता हुआ स्टेज पर पहुंचा और सलमान खान ने बढ़ चढ़कर गधे का स्वागत किया. मजे की बात तो यह है कि सलमान की होस्टिंग के सामने गधा चुपचाप पास पड़ी घास चरने लगा . क्योंकि गधा कोई बात नहीं कर रहा था तो सलमान के गधे से किये सवालों पर कलर्स की टीम वाले गधे की आवाज निकाल कर जवाब दे रहे थे. सलमान भी ऐसे में रुके नहीं एंकरिंग करते हुए अपने मस्करी वाले अंदाज में गधे की खिल्ली उड़ाते नजर आए. सलमान गधे को समझा रहे थे. बिग बौस हाउस में हाथ उठाना अलाव नहीं है. तो तुम हाथ के बजाय पैर से दुलत्ती मत मार देना, सलमान यहां ही नहीं रुके वह अपने मजाक के अंदाज में बोलने लगे कि अगर यह गधा विनर बन गया तो मैं इसका हाथ कैसे ऊपर करूंगा. फिर खुद ही बोले कोई बात नही मैं कान उपर कर दूंगा.

ऐसे में सलमान की होस्टिंग को मानना पड़ेगा जिन्होंने मजाक उड़ाने में गधे को भी नहीं छोड़ा. गौरतलब है प्रीमियर के दौरान आने वाले प्रतियोगियों को देखकर कुछ ऐसा महसूस हुआ जैसे खोदा पहाड़ निकला चूहा . क्योंकि प्रीमियर से पहले प्रतियोगियों को लेकर बहुत ज्यादा बवाल था . लेकिन आने वाले प्रतियोगियों में कोई भी बहुत प्रसिद्ध फिल्म या टीवी का सेलिब्रिटी नजर नहीं आया. कलर्स का चर्चित चेहरा निया शर्मा जो की सेक्सी क्वीन कहलाती है. बिग बौस में आने वाली थी उन्होंने भीआखिरी पलो में शो में आने से इनकार कर दिया. वही अनिरुद्ध बाबा जो आजकल चैनलों पर ज्ञान देने के साथसाथ कौमेडी करते नजर आते हैं. कलर्स वाले उनको प्रीमियर के लिए ले आए. लेकिन उनकी उपस्थिति भी खास प्रभाव नहीं डाल पाई.

ऐसे में कहना गलत ना होगा बिग बौस 18 की शुरुआत तो ठंडी ही रही है. आगे देखते हैं प्रतियोगी शो को हिट करने के लिए क्या कमाल करते है.

38 की उम्र में मेरी शादी हुई, मेरी पति को लगता है कि पहले किसी के साथ मेरा अफेयर था…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 42 वर्षीय महिला हूं. मेरे विवाह को अभी 4 साल हुए हैं. मेरी परेशानी यह है कि हमारी सैक्सुअल लाइफ सही नहीं चल रही है. मेरे पति को लगता है कि मेरे देरी से विवाह का कारण मेरा विवाह से पूर्व कोई लव अफेयर है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. विवाह से पूर्व मेरा किसी के साथ कोई प्रेम संबंध नहीं था. क्या ऐसा कोई टैस्ट है जिस से मैं अपने पति को साबित कर सकूं कि विवाह से पूर्व मेरा किसी के साथ कोई शारीरिक संबंध नहीं था. मैं अपना वैवाहिक रिश्ता कैसे सुधारूं?

जवाब
आप के पति को ऐसा क्यों लगता है कि विवाह पूर्व आप के किसी के साथ शारीरिक संबंध थे. कहीं ऐसा तो नहीं उन्होंने आप से विवाह किसी पारिवारिक दबाव में मजबूरीवश किया हो और वे आप से दूरी बनाने के लिए आप पर आरोप लगा रहे हों? जहां तक आप के पति के सामने आप के वर्जिन साबित करने वाले टैस्ट की बात है तो यह टैस्ट होता है लेकिन इस टैस्ट का कोई औचित्य नहीं है. इसे टू फिंगर टैस्ट भी कहा जाता है. इस टैस्ट में जांच की जाती है कि महिला की हाइमन झिल्ली बरकरार है या नहीं. लेकिन वास्तव में यह झिल्ली इतनी लचीली होती है कि मात्र खेलतेकूदते समय ही यह टूट जाती है. इस के अलावा हाइमनोप्लास्टी द्वारा भी आर्टिफिशियल हाइमन की तरह के टिशूज भी बनाए जा सकते हैं. इसलिए इस टैस्ट के कोई माने नहीं हैं.

वैवाहिक रिश्ते विश्वास पर चलते हैं न कि टैस्ट पर. इस बात की क्या गारंटी है कि आप के वर्जिनिटी टैस्ट में पास होने के बाद भी वे आप पर शक नहीं करेंगे और आप के संबंध सुधर जाएंगे और यह भी हो सकता है कि टैस्ट में पता चले कि आप की झिल्ली खेलकूद या किसी शारीरिक गतिविधि के कारण टूट गई हो तो उन का शक और गहरा हो जाएगा. इसलिए कोई टैस्ट वर्जिनिटी को साबित नहीं कर सकता.

अगर आप अपने पति के साथ वैवाहिक रिश्ते को सुधारना चाहती हैं तो उन के मन से शक का बीज हटा कर विश्वास की जड़ें पैदा करें. अपनी सैक्सुअल लाइफ को बेहतर बनाने के लिए नएनए तरीके अपनाएं. उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए खुद को फिट रखें. लेटेस्ट फैशन व ब्यूटी अपडेट्स के लिए पत्रिकाएं पढें.

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सुरेश को अपनी एक साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाना भारी पड़ेगा, यह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.

दरअसल, उस साथी से सैक्स संबंध बनाते समय सुरेश ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया था.

कुछ दिनों बाद सुरेश को अपने अंग में जलन सी महसूस होने लगी. छोटेछोटे दाने भी निकल आए. डाक्टर ने बताया कि यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने की वजह से हुआ है. वह कंडोम का इस्तेमाल कर के सैक्स का मजा उठाता तो बाद में उसे यह परेशानी नहीं होती.

सबलोक क्लिनिक के यौन रोग विशेषज्ञ डाक्टर बिनोद सबलोक बताते हैं कि चाहे मर्द हो या औरत एचआईवी  समेत यौन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए कंडोम एक आसान और बेहतर तरीका है. कंडोम न सिर्फ असुरक्षित गर्भधारण से, बल्कि यौन रोगों से भी शरीर की हिफाजत करता है.

शर्म क्यों

बाजार में आसानी से मिलने वाला कंडोम खरीदना अब शर्म वाली बात भी नहीं रही है. कंडोम खरीदने के लिए डाक्टर की परची की जरूरत भी नहीं होती है. इस की कीमत भी बहुत कम होती है. कई सरकारी व गैरसरकारी योजनाओं के तहत कंडोम मुफ्त में भी बांटे जाते हैं.

अब तो अलगअलग फ्लेवर व कई बनावटों में मिलने वाले कंडोम सैक्स संबंध बनाने के दौरान भरपूर मजा भी देते हैं.

कंडोम का इस्तेमाल कर खुले दिमाग से सैक्स का मजा लिया जा सकता है. अब तो बाजार में ऐसे भी कंडोम हैं जिन से लंबे समय तक सैक्स किया जा सकता है.

बेहतर साथी है कंडोम

कंडोम आप के लिए इस तरह एक बेहतर साथी साबित हो सकता है:

* यह बच्चा ठहरने से रोकने का सब से आसान और महफूज तरीका है.

* कंडोम का इस्तेमाल बिना किसी झिझक के कर सकते हैं.

* कोई साइड इफैक्ट नहीं होता.

* कंडोम यौन रोगों से बचाव में कारगर हथियार है.

ऐसे बढ़ाएं रोमांच

बाजार में वनीला, स्ट्राबेरी, केला, चौकलेट, बबलगम, कौफी वगैरह फ्लेवर में भी कंडोम मिलते हैं. मुंह से सैक्स के शौकीनों के लिए ये कंडोम सैक्स के दौरान ज्यादा मजा देते हैं और कोई बीमारी भी नहीं होती है.

जो लोग सैक्स का मजा लंबे समय यानी देर तक नहीं उठा पाते हैं उन के लिए लौंग लास्टिंग कंडोम इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा.

सैक्स बनाएं मजेदार

अगर आप सैक्स का मजा उठाना चाहते हैं तो बाजार में डौटेड कंडोम भी आते हैं. डौटेड कंडोम में अपनी साथी का जोश बढ़ाने के लिए इस की बाहरी सतह पर बिंदीनुमा छोटेछोटे उभरे हुए दाने होते हैं. यह चिकनाई वाला होता है.

इन बातों पर ध्यान दें

* कंडोम खरीदते समय उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर देख लें.

* ज्यादा तेजी से सैक्स का मजा उठाते समय कंडोम फट भी सकता है. इस का ध्यान रखें और कंडोम को तुरंत बदल दें.

* इस्तेमाल करने से पहले कंडोम के सामने वाले भाग को चुटकी से दबा कर हवा को बाहर निकाल दें, फिर धीरेधीरे अंग पर चढ़ाएं.

* कंडोम खरीदते समय दुकानदार से खुल कर बात करें. बात करते समय जरा भी न शरमाएं.

* सैक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है. इस का जम कर मजा उठाएं, पर सावधानी और एहतियात भी बरतें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पहले दिन ही Bigg Boss हाउस में चटनी को लेकर बड़ा बवाल, शहजादा धामी से भिड़ी नौर्थ ईस्ट की ये ऐक्ट्रैस

बिग बौस 18 (Bigg Boss 18) का धमाकेदार आगाज हो चुका है. इस कंट्रोवर्शियल शो में टीवी से लेकर बौलीवुड सितारे, पौलिटिशियन और कई सैलिब्रिटीज ने भाग लिया हैं. शो के पहले दिन सलमान खाने ने शानदार एंट्री की, जिससे फैंस की ऐक्साइटमेंट बढ़ने लगी.

पहले दिन ही घर में हुई तूतूमैंमैं

बिग बौस हाउस में पहले दिन ही कंटेस्टेंट्स ने दर्शकों को एंटरटेनमेंट का डोज देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. रजत दलाल और तजिंदर सिंह के बीच जमकर तूतूमैंमैं हुई.

chum darang

चुम दरांग (Chum Darang) और शहजादा धामी के बीच हुई गालीगलौज

दूसरी तरफ ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम शहजादा धामी और नौर्थ ईस्ट ऐक्ट्रैस चुम दरांग के बीच गालीगलौज हुई. दरअसल बिग बौस हाउस में पहले दिन ही  चुम ने नौर्थ ईस्ट की स्पेशल चटनी बनाई. जो शहजादा को तिखा लगता है और वह कहते हैं कि मिर्ची लग रही है, ये सुनते ही चुम कहती हैं कि इस चटनी से? ऐसे में शहजादा के मुंह से निकलता है, तुम्हारे उधर की है न?

यह बात सुनते ही चुम भड़क जाती हैं. ‘तुम्हारे उधर का है, क्या मतलब है? मैं इंडियन हूं, मुझे तुम्हारी इस बात से बुरा लगा है और वह गाली भी देती है, ये सुनते ही शहजाता का पारा हाई होता है और वह चिल्लाने लगते हैं. अरे ये गाली क्यों दे रही हैं, मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था. इस फाइट को देखकर घरवाले हैरान हो जाते हैं. सोशल मीडिया पर यूजर्स शहजादा की गलती बता रहे हैं.

इससे पहले जब चुम ने बिग बौस हाउस में एंट्री की थी, तो शहजादा अविनाश मिश्रा के साथ उनके नाम का मजाक उड़ाते दिखे थे.

कौन हैं नौर्थईस्ट ऐक्ट्रैस चुम दरांग

चुम दरांग ने ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ और ‘बधाई दो’ जैसी फिल्मों में काम किया. ऐक्ट्रैस ने ‘बधाई दो’ में भूमि पेडनेकर की गर्लफ्रैंड का किरदार निभाया था. इस किरदार में उन्होंने खूब सुर्खियों बटोरी थीं.

झेलीं कई तरह की टिप्पणियां

चुम दरांग को फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. ऐक्ट्रैस को नस्लभेदी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा. लोग उन्हें ‘मिस चाइनीज’ तो कभी ‘चिंकी’ कहकर चिढ़ाते थे. लेकिन आज वह किसी पहचान की मोहताज नहीं है और कई बड़ी फिल्मों में काम कर चुकी हैं.

एक बिजनेसवुमन भी हैं चुम दरांग

चुम दरांग ऐक्टिंग की दुनिया में आने से पहले बिजनेसवुमन का भी काम किया है. साल 2018 में पासीघाट में कैफे चू नाम से अपना रेस्टोरेंट खोला. इसके अलावा वह एक एनजीओ भी चलाती हैं, जो वुमन एंपावरमेंट और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करती है.

Social Manners : बेवजह सलाह देने की आदत पर लगाए लगाम

आकाश की गिनती अपने औफिस के तेजतर्रार और स्मार्ट मार्केटिंग ऐग्जीक्यूटिव्स में होती है. बौस भी उस के काम से खुश हैं, लेकिन बिना पूछे बातबात में अपनी राय देने की उस की आदत से सब परेशान हैं. जहां औफिस के 4 लोग बैठ कर बात कर रहे हों वहीं पहुंच कर वह अपने विचार सब पर थोपने लगता. बौस के साथ मीटिंग होती है, तब भी सब से ज्यादा आवाज आकाश की ही हौल में गूंजती है. मानो मीटिंग में मौजूद दूसरे लोगों के कोई विचार या अनुभव ही न हों या फिर उन्हें कुछ आताजाता ही न हो.

अगर आप भी आकाश की तरह बिना मांगे सलाह देने लगते हैं या बातचीत में खामाखां बोलने लगते हैं, तो एक बात जरूर जान लें, आप की यह आदत भले ही खुद आप के या कुछ लोगों के लिए सुकून या गर्व की बात हो, पर ज्यादातर लोगों के लिए यह परेशानी का कारण बन सकती है. साथ ही कभी अपनी इस आदत की वजह से आप को भी किसी बड़ी मुसीबत में फंसना पड़ सकता है.

आकाश की तरह ही रवींद्र को भी बातबात में सलाह देने की बुरी आदत थी, लेकिन 8 दिन तक जेल की हवा खाने के बाद उस के सिर से यह भूत उतर गया है और उस ने कसम खा ली है कि जरूरत के हिसाब से ही बोलेगा और पूछने पर ही अपनी सलाह देगा. हुआ यों कि उस के औफिस में लाखों की चोरी हो गई. सभी कर्मचारियों को सुबह दफ्तर आने पर इस का पता चला. पुलिस भी मौके पर आ गई.

रवींद्र को औफिस जौइन किए हुए, मात्र 10-12 दिन ही हुए थे. रवींद्र औफिस पहुंचा, तो उस ने लोगों की भीड़ लगी देखी. जल्दी ही वह सारा माजरा समझ गया. अब वह लगा तरहतरह की बातें बनाने और लोगों को यह समझाने कि चोर ऐसे आया होगा… इतने बजे चोरी हुई होगी, ऐसे ताला तोड़ा होगा… आदि. तफ्तीश में जुटी पुलिस ने उसे इतना ऐक्टिव देखा, तो उस के बारे में पूछताछ करने लगी.

पुलिस को पता चला कि रवींद्र दफ्तर का नया कर्मचारी है. वह 10-12 दिन पहले ही आया है. बस, फिर क्या था, वह शक के घेरे में आ गया. रवींद्र ने लाख सफाई दी और कई मन्नतें मांगी, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार कर के ले ही गई. बड़ी मुश्किल से बौस ने उसे छुड़वाया, इस बीच 4 दिन का सार्वजनिक अवकाश होने के कारण रवींद्र को 8 दिन तक जेल की हवा खानी पड़ गई. उस दिन के बाद से रवींद्र ने अपने कान पकड़े और ठान ली कि अब से बिना मांगे सलाह नहीं देगा.

अगर वह जरूरत से ज्यादा सलाह नहीं देता तो शायद पुलिस की नजर में नहीं चढ़ता. रवींद्र व आकाश की तरह आप में भी बिना पूछे अपनी सलाह देने की आदत है, तो आकाश की तरह लोगों के मन से उतरने या रवींद्र की तरह मुसीबत में पड़ने से पहले उसे बदल डालिए.

जानें दूसरों का नजरिया

माना कि बौस का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उन्हें अपनी प्रतिभा और बुद्धिमानी से परिचित कराना जरूरी है, लेकिन इस के लिए पहले उन की बात सुनना और परिस्थितियों को उन के नजरिए से देखना व समझना भी जरूरी है. परिस्थितियों को दूसरे के नजरिए से न देख कर सिर्फ अपने ही विचार हर जगह थोपना असफलता का सबब भी बन सकता है.

इस से आप की सोच का दायरा नहीं बढ़ पाता और आप की सलाह की अहमियत नहीं रहती. ऐसे में लोग आप को अपने विचार बताना तक बंद कर देते हैं, इस से आप नई चीजों और विचारों से वंचित रह जाते हैं.

ग्रैमी पुरस्कार विजेता संगीतकार गैरी बर्टन कहते हैं, ‘‘मैं ऐसे निपुण संगीतकारों को जानता हूं, जो दूसरों के नजरिए से देखनेमें सक्षम नहीं थे, जिस कारण वे अधिक सफल नहीं हो पाए.’’

अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो जिन लोगों से आप रत्तीभर भी सहमत नहीं, कई बार अपनी सहनशीलता की सीमाएं लांघ उन के नजरिए से सहमति दिखानी पड़ती है, तो उन को अपने विचारों से अवगत न कराएं. आप मार्केटिंग में हों, सेवा प्रदाता हों या जनसंपर्क से संबंधित किसी दूसरे क्षेत्र में, आप को अपने ग्राहक के नजरिए से देखना पड़ता है, उस के विचारों से सामंजस्य बैठा कर काम करना पड़ता है, तो यहां आप की सलाह रत्तीभर भी महत्त्व नहीं रखती. ऐसे में अगर आप ग्राहक की बात सुनने के बजाय उसे अपनी सलाह देने लगेंगे, तो वह अगली बार आप से बात करना भी पसंद नहीं करेगा.

हैनरी फोर्ड ने कहा है, ‘‘यदि सफलता का कोई रहस्य है, तो वह है दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और उस के और अपने नजरिए से चीजों को देखने की क्षमता.’’

एक बड़े मौल के मालिक और सफल बिजनैसमेन का कहना है, ‘‘आप के विचार क्या हैं, यह ज्यादा महत्त्व नहीं रखता, बल्कि आप जिस के लिए काम कर रहे हैं उन के विचार ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि आप को अपनी सेवाएं उन को संतुष्ट करने के लिए देनी हैं.’’

सही इस्तेमाल करें

अगर आप में नए विचारों का सृजन करने की क्षमता है, तो इस का सही इस्तेमाल करें. आप को जो काम सौंपा जाता है, उसे बेहतर ढंग से संपन्न करने में अपनी सृजनशक्ति का प्रयोग करें वरना कई स्थितियों में तो सामने से आप को आता देख खुद अन्य लोग दाएंबाएं छुप जाएंगे ताकि आप अपनी बिन मांगी या कहें कि मुफ्त की राय न दे सकें. अपनी सलाह लोगों को तभी दें, जब आप से मांगी जाए वरना आप को लोग ‘दालभात में मूसलचंद,’ ‘कबाब में हड्डी’, ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ और ‘पकाऊ’ जैसे उपनामों से भी नवाजने लगेंगे.

जरा सोचिए, कोई आप को बिना पूछे सलाह देने लगे कि आप को अपनी पत्नी से कैसे पेश आना चाहिए, कपड़े कहां से खरीदने चाहिए, अपने बच्चों को किस स्कूल में पढ़ाना चाहिए उसे कौन सी स्ट्रीम दिलवानी चाहिए या किस डाक्टर से इलाज कराना चाहिए, कहां घूमने जाना चाहिए और कितना पैसा खर्च करना चाहिए, तो आप को कैसा लगेगा. ठीक वैसा ही लोगों को लगता है, जब आप बिना पूछे उन्हें अपनी सलाह देने पहुंच जाते हैं.

बेहतर यही होगा कि आप अपनी इस अनूठी क्षमता को अपना कैरियर या बिजनैस संवारने में ही लगाएं तभी बात बनती नजर आएगी अन्यथा आप को हंसी का पात्र बनते देर नहीं लगेगी.

DIWALI 2024: सिल्वर के बरतनों को चांद जैसा चमकाने के लिए करें फौलो ये टिप्स

चांदी के बर्तन खाने के टेबिल को शाही लुक देते हैं. पर जैसे जैसे वक्त बितता जाता है, चांदी के बर्तन और चांदी के गहने काले पड़ने लगते हैं. चांदी एक ऐसा धातु है जो अन्य धातुओं की तुलना से बहुत नाजुक होती है जिसके कारण इस पर दाग-धब्बे और खरोंच आसानी से पड़ जाते हैं. कुछ लोग चांदी के बर्तन और जेवर की सफाई करवाने के लिए दुकानदारों के पास जाते हैं. पर इससे पैसे ही खर्च होते हैं, पर आप घर पर ही आसानी से चांदी के बर्तनों और जेवर की सफाई करवा सकती हैं.

चांदी के बर्तन में लंबे समय तक सलाद, नमक, नींबू या अंडों को सजाकर रखा जाय तो बर्तन पर दाग हो जाते हैं. मगर आप घर पर ही आसानी से चांदी के बर्तनों को साफ कर सकती हैं.

इन आसान से टिप्स को अपनाकर घर पर ही साफ करें चांदी के बर्तन

1. हेयर कंडीशनर

हेयर कंडीशनर से आपकी बालों की खूबसूरती बढ़ जाती है. पर हेयर कंडीशनर से आप चांदी की खोई चमक भी वापस ला सकते हैं.

 

2. टोमैटो सॉस

टोमैटो सॉस से भी चांदी की चीजों को साफ किया जा सकता है. अगर आप चांदी की चीजों को ज्यादा चमकदार बनाना चाहती हैं तो चीजों पर टोमैटो सॉस लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें. इसके बाद एक सूखे कपड़े से पोछ लें.

3. एल्युमिनियम फॉयल

1 लीटर पानी में 1 चम्मच बेकिंग सोडे को अच्छी तरह घोल लें. चांदी के बर्तनों को इस घोल में डालें. फॉयल से बर्तनों को अच्छे से रगड़ लें. चांदी के बर्तन और गहने नए जैसे चमकेंगे.

4. डिटर्जेंट

गर्म पानी में डिटर्जेंट डालें. चांदी के बर्तनों को इस घोल में भिगो लें. कुछ देर बाद पानी से निकालकर ब्रश से साफ कर लें.

5. हैंड सेनेटाइजर

हैंड सेनेटाइजर सिर्फ हाथों के कीटाणुओं को मारने के लिए नहीं बल्कि चांदी के बर्तनों और जेवरों को चमकाने के लिए भी बहुत काम आता है.

 

थोड़ा सा फ्लर्ट करके जगाएं बोरिंग लाइफ में जादू

‘‘कैसी हो निधि? तुम्हारी तबीयत कैसी है? जल्दी से ठीक हो जाओ…मैं तुम्हारी पसंद की सब्जी बना कर लाई हूं. तुम्हें परवल पसंद हैं न?’’ निधि की पड़ोसिन चित्रा ने घर में घुसते हुए कहा.

‘‘यार, तुम कब तक मेरी पसंद की चीजें बना कर लाती रहोगी. अब मैं ठीक हूं, खाना बना लूंगी. तुम अब मेरे लिए और परेशान मत हो,’’ निधि ने बिस्तर से उठते हुए मुसकरा कर कहा.

‘‘नहीं चित्राजी, मैं तो तुम्हारी सहेली के हाथ का बेस्वाद खाना खाखा कर बोर हो गया  हूं. कृपया 2 दिन निधि को और आराम करने दो ताकि मैं आप के हाथों का बना स्वादिष्ठ खाना और खा सकूं,’’ निधि के पति निर्मल ने चित्रा को बैठने के लिए इशारा करते हुए कहा.

‘‘कैसी बात करते हैं निर्मलजी, सुबह से कोई मिला नहीं क्या? जैसे मैं ने निधि के हाथों का बना खाना कभी खाया नहीं.. इस के हाथों का खाना खा कर किट्टी पार्टी में सब अपनी उंगलियां चाटती रह जाती हैं.’’

इतना सुनते ही निर्मल खिलखिला कर हंस पड़ा. चित्रा ने निधि के चेहरे के कठोर भाव पढ़ लिए थे. जब भी निर्मल चित्रा के साथ इस तरह की चुहल करता तो निधि के चेहरे के भाव ऐसे ही हो जाते थे, यह वह पिछले 10 दिनों में भांप चुकी थी और यह देख कर उसे महसूस हुआ कि वह निर्मल के इस व्यवहार से अपनेआप को असुरक्षित महसूस करती है.

थोड़ी देर इधरउधर की बातें होती रहीं, उस के बाद चित्रा अपने घर लौट आई. आज उस का मन निधि के चेहरे के तने हुए भाव को देख कर कुछ कसैला सा हो गया था. उस ने सोचा कि अब तो निधि काफी ठीक हो गई है और थोड़ाबहुत खाना बना सकती है. फिर निधि भी तो यही चाहती थी, इसलिए उस ने उस के लिए खाना न देने में ही भलाई समझी.

उस के जाते ही निधि ने अपने पति को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘क्यों मेरी बीमारी का फायदा उठा कर चित्रा से बहुत फ्लर्ट करने की कोशिश हो रही है. दूसरे की बीवी सब को प्यारी लगती है, लेकिन काम मेरा बेस्वाद खाना ही आएगा, उस का स्वादिष्ठ खाना नहीं,’’ निधि ने एक ही सांस में सारा आक्रोश उगल दिया.

‘‘अरे यार, तुम तो बुरा मान गईं. मैं ने तो उस की इसलिए बटरिंग की ताकि वह खाना देती रहे और तुम्हें 2 दिन और आराम मिल जाए, कितनी संकीर्ण सोच है तुम्हारी. तुम औरतों की ईर्ष्या की भावना का कोई जवाब नहीं…’’ निर्मल ने निधि से प्रतिवाद करते हुए उसे ही अपराधी साबित किया. हमेशा की तरह निधि के इस रवैए से उस का मन कड़वा हो गया.

अगले दिन चित्रा खाना ले कर निधि के घर नहीं आई तो निधि को जैसे सुकून मिला. लेकिन निर्मल का माथा ठनका कि जरूर निधि के बरताव से बुरा मान कर ही चित्रा नहीं आई होगी. उस ने निधि से कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह जानता था कि उस के बारे में पूछते ही वह व्यंग्यात्मक रूप से बोल कर उसे आहत करेगी.

कितना जरूरी है सकारात्मक सोच

निधि और चित्रा दोनों के विवाह को अभी 2 साल ही हुए थे और दोनों परिवार विवाह होते ही बैंगलुरु में आ कर बस गए थे. पड़ोसी और समान परिस्थितियां होने के कारण दोनों में बहुत जल्दी दोस्ती हो गई थी. लेकिन उन के पतियों का मिलनाजुलना बहुत कम होता था, क्योंकि जहां निधि का पति बहुत बातूनी और सहज था, वहीं चित्रा का पति अंतर्मुखी और उदासीन स्वभाव का था.

उन का अपने पतियों के औफिस जाने के बाद ही मिलना होता था. अकसर बाजार के काम के लिए या कहीं भी जाना होता था तो वे साथसाथ जाती थीं, लेकिन इन दिनों निधि की बीमारी के कारण चित्रा का निधि के घर में समयअसमय आना होने लगा. उस ने निधि को डेंगू बुखार से ग्रस्त होने के बाद पूरा आराम देने के लिए सुबहशाम खाना देना आरंभ कर दिया. निर्मल के भी औफिस से छुट्टी ले कर घर पर रहने के कारण और उन दोनों के स्वभाव एकजैसे होने से वे बहुत जल्दी घुलमिल गए और अकसर उन में नोकझोंक होने लगी.

निर्मल को निधि के विपरीत उस का बिंदास स्वभाव बहुत अच्छा लगता था. छोटीछोटी बातों पर खुल कर हंसना और जीवन के प्रति उस की सकारात्मक सोच वातावरण को खुशनुमा बना देती थी, निधि के डेंगू से पीडि़त होने के बाद घर पर एक सन्नाटा सा छाया रहता था. चित्रा ने उस समय उन लोगों की बहुत मदद की और उस के प्रतिदिन आने से वे लोग थोड़ी देर के लिए उस से बातें करने में बीमारी को भूल जाते थे.

असुरक्षा की भावना क्यों

लेकिन निधि को यह सब नहीं सुहाता था. वैसे भी वह निर्मल की औरतों से फ्लर्ट करने की आदत से उस के प्रति हमेशा आशंकित ही रहती थी. वह था भी सुदर्शन और सुगठित व्यक्तित्व का मालिक. कोई उस की तारीफ करता तो निधि उसे ले कर असुरक्षा की भावना से घिर जाती थी, जबकि वह निधि को बहुत प्यार करता था और एक अच्छे पति की तरह उस का ध्यान भी रखता था.

निर्मल निधि की इस शक करने वाली आदत से कई बार आहत हो जाता था. उस ने उसे कई बार समझाने की कोशिश भी की कि वह अपनी संकीर्ण सोच से बाहर निकले. लेकिन निर्मल के समझाने का उस पर रत्ती भर भी प्रभाव नहीं होता था. निर्मल भी बिना कारण अपना स्वभाव बदलने में कोई औचित्य नहीं समझता था, इसलिए आए दिन उन दोनों में मनमुटाव हो जाता था.

उदासीन बरताव

15 दिन हो गए. चित्रा ने उस से कोई संपर्क नहीं किया. निर्मल भी अपनी औफिस की दिनचर्या के कारण व्यस्त हो गया था. निधि की तबीयत तो ठीक हो गई थी, लेकिन कमजोरी बहुत महसूस हो रही थी. घर में अकेले होेने के कारण सारा दिन बिस्तर पर पड़ेपड़े वह ऊब जाती थी, इसलिए उसे चित्रा की बहुत कमी महसूस होने लगी थी.

उस की अनुपस्थिति से उसे एहसास हुआ कि उस के साथ समय कब बीत जाता था, पता ही नहीं चलता था. इतना तो वह समझ गई थी कि उदासीन बरताव के कारण ही उस ने उस के घर आना छोड़ा था. वह सोचने पर मजबूर हो गई कि निर्मल सही कहता है कि उस की इस संकीर्ण सोच के चलते वह अकेली रह जाएगी.

आखिरकार उसे अपनी गलती पर पश्चात्ताप होने लगा कि उस ने अपने शक्की स्वभाव के कारण एक अच्छी सहेली को खो दिया. एक दिन निर्मल के औफिस जाते ही उस ने चित्रा के घर जाने का मन बना लिया. निधि को अचानक अपने घर के बाहर देख कर चित्रा हत्प्रभ रह गई.

अंदर दाखिल होते हुए निधि ने कहा, ‘‘यार, तुम नाराज हो जाओगी तो मेरा क्या होगा? इतने दिन तुम नहीं आईं तो मुझे तुम्हारी अहमियत पता चली. प्लीज, मुझे माफ कर दो,’’ कहते हुए वह चित्रा के गले से लग कर फफक पड़ी.

चित्रा ने उस की पीठ थपथपाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम जैसी सहेली से कभी नाराज कैसे हो सकती हूं भला? जितना तुम्हें मुझ से दूर रह कर बुरा लगा, उतना ही मुझे भी लगा. एक तुम ही तो हो, जिस के साथ के कारण इस अनजान शहर में मैं जी पा रही हूं. चिंतन तो हर समय अपने औफिस के काम में व्यस्त रहते हैं. आए दिन टूअर पर जाते हैं या घर पर रहते हैं तो लैपटौप से चिपके रहते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि मैं जानबूझ कर तुम्हारे घर नहीं आई, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम दोनों पतिपत्नी के रिश्ते में मेरे कारण कोई वादविवाद हो, दूसरा तुम्हें मेरी कमी का एहसास हो. मैं तुम्हारी जिंदगी में इतनी घुसपैठ करने की अधिकारिणी तो हूं नहीं कि तुम्हें समझा सकूं कि कोई भी रिश्ता विश्वास की नींव पर ही टिकता है, खासकर पतिपत्नी का.

‘‘तुम अपने पति पर शक कर के अपने वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम कर रही हो. पति यदि अपनी पत्नी की बहन से या भाभी से मजाक करे तो सामाजिक रूप से स्वीकार्य है, चाहे इन रिश्तों की आड़ में कितने भी अनैतिक संबंध कायम हो जाएं, लेकिन यदि किसी ऐसी महिला से मजाक करे, जिस से उस का कोई रिश्ता नहीं है तो क्यों उसे शक के घेरे में कैद कर लिया जाता है? तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारा पति इतने खुले विचारों का स्वामी है. एक चिंतन है, जो किसी से बात ही नहीं करता और घर में सन्नाटा सा पसरा रहता है.

‘‘एक बात और है, जिन पतियों की नीयत खराब होती है, वे अपनी पत्नी के सामने तो बहुत शरीफ रहते हैं और उन के पीछे औरतों से फ्लर्ट करते हैं. मुझे लगता है वैवाहिक जीवन में थोड़ाबहुत फ्लर्ट करना मिठास घोल देता है, नहीं तो पतिपत्नी आपस में एकदूसरे के साथ ही चिपके रह कर बोर होने लगते हैं और जीवन नीरस हो जाता है.’’

चित्रा के इतना कहते ही निधि ने प्रत्युत्तर में कहा, ‘‘तुम सच कहती हो चित्रा. कितना अच्छा घर का वातावरण हो जाता था, जब निर्मल तुम से नोकझोंक करता था. अब तो घर काटने को दौड़ता है. तुम ने मेरी आंखें खोल दीं.’’

‘‘सोच लो. ऐसा न हो कि मैं तुम्हारे पति को पटा लूं और तुम देखती रह जाओ,’’ चित्रा ने जैसे ही आंखें बड़ीबड़ी कर के यह कहा, दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं और वातावरण खुशनुमा हो गया.

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