Holi Special: अरोमा थेरेपी और नेचुरल तरीकों से स्किन को रखें होली-प्रूफ

रंगो के त्यौहार होली फेस्टिवल खेलने के ख्याल के साथ ही सभी को हार्ड केमिकल युक्त रंगों को हटाने के तरीकों के बारे में चिंता अधिक सताने लगती है, और होली के एक्ससिटेमेंट कई लोगो के लिए फीकी पड़ जाती है. हालांकि इस साल सभी होली खेलने को लेकर अधिक सतर्क हैं लेकिन फिर भी लोग अपने परिवार के लोगो के साथ या फिर अपने बेहद ख़ास मित्रों के साथ होली मिलान का कार्यक्रम बना रहे हैं और  अपने निकट और प्रियजनों के साथ होली खेलने के लिए तैयार हैं.

आजकल होली खेलने और होली के रंग उतारने के लिए लोगो के पास बहुत से विकल्प मौजूद हैं, जैसे की  नेचुरल, इको-फ्रेंडली, होममेड और अरोमाथैरेपी आधारित रंगों और स्किन और  बालों से रंग छुटाने के लिए भी कई नेचुरल विकल्प मौजूद है. ऐसे में सिल्वर लाइन सलोन एंड मेकओवर्स की सौंदर्य एक्सपर्ट पूर्णिमा गोयल, ऐसे ही कुछ विकल्प इस्तेमाल करने के तरीके बता रही हैं, आईये जाने की कैसे आप थोड़े ही बदलाव और सावधानियों के साथ होली मिलन की अपनी स्पिरिट को दुगना कर सकते हैं और अपनी स्किन और बालों की सुरक्षा सकते हैं.

स्किन पर होली के रंग का प्रभाव

जैसा की सभी जानते हैं की रसायन युक्त रंग स्किन और बालों पर बुरी तरह से प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे स्किन और बालों पर एक रासायनिक परत चढ़ जाती है.  और इस समस्या के चलते स्किन और स्कैल्प  संवेदनशील हो  सकती है और साथ ही  खुजली, चकत्ते आदि की समस्या भी हो सकती है. बेहद संवेदनशील और डिहाइड्रेट स्किन वाले लोग या थायराइड या पायरोसिस जैसी समस्या से जूझ रहे है अथवा किसी भी तरह के हार्मोनल असंतुलन से परेशान लोगो को  होली खेलने से बचना चाहिए . यदि फिर भी, उन्हें खेलने का मन है तो वो  रंगो के विपरीत असर को दूर करने के लिए अपने स्नान के पानी में टी ट्री  या लैवेंडर के तेल की बूंदों को मिला सकते हैं.

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स्किन में बढ़ाएं पोषण

प्री होली और पोस्ट होली स्किन केयर के लिए आप अपने शरीर पर बादाम के तेल अप्लाई कर सकते हैं, यह विटामिन ई से भरपूर होता है और कठोर रंगों के खिलाफ एक सुरक्षा प्रदान करते हुए आपकी स्किन के स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ाता है. अगर आपके पास बादाम का तेल नहीं है, तो आप इसे जैतून के तेल या नारियल के तेल से बदल सकते हैं, जो आपकी स्किन की बनावट और टोन को बढ़ाने के लिए अच्छा है. अपने बालों को कोट करना मत भूलिए, साथ ही स्कैल्प भी.

स्किन की सुरक्षा हो खास

होली चूँकि ओपन में खेली जाती है तो स्किन टैनिंग, सन बर्न जैसी समस्याएं बेहद कॉमन होती हैं, इसलिए ज़रूरी है की आप स्किन को मोएस्ट्राईस रखने के साथ ही सन प्रोटेक्शन क्रीम का इस्तेमाल करें, आप वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा सकते हैं.  अपने होंठों और स्किन के लिए आप होली खेलने से पहले अपनी स्किन पर पेट्रोलियम जेली लगा सकते हैं. इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि आप अपनी पलकों और आंखों के नीचे के क्षेत्र में भी पेट्रोलियम जेली लगाएं. जैसा कि आप सूती कपड़ों में पूरी तरह से ढके रहते हैं, ऐसे में आपको अपने नाखूनों की सुरक्षा भी करनी चाहिए, नाखूनों पर दो रंगों के नेल पेंट और तेल लगाने के साथ ही उन्हें भी रंगों से बचा सकते हैं.

स्कैल्प का ध्यान रखें कुछ ऐसे

आमतौर पर होली खेलने के बाद लोग बालों और स्कैल्प से रंग हटाने के लिए कई बार अपने बालों को शैम्पू करना पसंद करते हैं और ऐसा करते हुए  अपनी स्कैल्प को भी  रगड़ते हैं, इसके साथ ही बालों से रंग उतारने के लिए ब्लीच लगा लेते हैं , लेकिन इन तरीकों से रंग खोपड़ी या बालों से नहीं निकलते,  ब्लीच की परत के नीचे सील हो जाते हैं. रंग के साथ रसायनों के अति प्रयोग में और फिर ब्लीच का इस्तेमाल स्कैल्प को संक्रमित कर सकता है. ऐसे में  बालों का असमय सफेद होना , रूखी स्किन आदि की समस्या भी उत्पन हो जाती है.  आप ध्यान रखे की शैम्पू का इस्तेमाल हमेशा उसे डाईलयूट करके ही करें और कंडीशनर को आप बालों पर लगाएं ना के जड़ो पर या स्कैल्प पर लगाएं.

स्किन पर नमी बनाएं रखने के खास उपाय

इसके अतिरिक्त स्किन को क्लीन करते हुए स्किन को हाइड्रेट रखना और नमी बना कर चलना बहुत ज़रूरी है , आप स्क्रब्स या सोपी फेस वाश का इस्तेमाल ना करते हुए घर पर बने फेस पैक लगाएं और उसे ही ड्राई हनी पर हल्के हाथो से दूध लगाते हुए उतारें , आप इसमें स्क्रबिंग का इफ़ेक्ट डालते हुए पपीते के बीज, शीआ सीड्स मिक्स करते हुए स्क्रब बना सकते हैं और स्किन पर अप्लाई कर सकते हैं , साथ ही कच्चे दूध में नींबू का रस डाले , इसे अपनी स्किन पर हल्के से लगाएं. नींबू, दूध और नारियल का दूध प्राकृतिक ब्लीच के रूप में काम करते हैं और स्किन से रंग हटाने के लिए सबसे सुरक्षित और आसान विकल्प हैं. आप अरोमाथेरपी की भी मदद ले सकते हैं और जोजोबा तेल का 1 बड़ा स्पून या लैवेंडर और फिर  चमेली के तेल की 2 बूंदों के साथ मिला कर इसका इस्तेमाल कर सकते है , यह करने से होली के दौरान भी आपकी स्किन की नमी बरकरार रहेगी और सन -बर्न- आदि स्किन की परेशानियों से आप बचे रहेंगे साथ ही यह नेचुरल पैक्स आपकी स्किन की  नमी आदि  के स्तर को बनाये रखेंगे.

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स्किन की पूरी सुरक्षा इस तरह

अब स्किन को फूलप्रूफ प्रोटेक्ट करने के साथ ही आप थोड़ा आराम कर सकते हैं और फिर एक अच्छे सैलून और स्पा में जाकर अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए  नेचुरल मैनीक्योर, पेडीक्योर, हेयर स्पा और लिम्फेटिक ड्रेनेज मसाज के लिए जा सकते हैं ,  जो न केवल आपको आराम देगी , बल्कि detoxify भी करेगी . आप एक फुल-बॉडी स्पा का विकल्प भी चुन सकते हैं, खासकर चॉकलेट स्पा आपके लिए सबसे अच्छा हो सकता है, और आहार के लिए  आप फलों और रसों को अपनी डाइट में अच्छी मात्रा में शामिल करें.

चेहरे से डार्क स्पोट्स निकालने के लिए अपनाएं 6 उपाय

आप कितनी भी खूबसूरत हो अगर चेहरे पर दाग-धब्बे है तो वह आपकी पूरी खूबसूरती बिगाड़ देते हैं. ऐसे में आपके चेहरे की खूबसूरती को निखारने के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियनआईएलएएमईडी के संस्थापक और निदेशक, डॉ. अजय राणा बता रहें हैं कुछ ऐसे उपाय जिसे अपना कर आप कुछ ही मिनटों में पाएंगी साफ और बेदाग रहित चेहरा.

1. एलो वेरा जेल –

एलो वेरा में अनेक तरह के आयुर्वेदिक और मेडिसिनल गुण होते है, जो स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होते है. एलोवेरा का जूस या एलोवेरा जेल को स्किन पर हुए डार्क स्पॉट्स या काले धब्बों पर लगा कर 30 मिनट तक रखने से आपके स्किन पर हुए काले धब्बें मिट सकते है. उसके बाद चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें और उसके बाद चेहरे पर अपने स्किन के हिसाब से सीरम और मोइस्चराइज़र लगा लें.

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2. एप्प्ल साइडर विनेगर –

स्किन पर हुए दाग धब्बों को कम करने के लिए एप्पल साइडर विनेगर को समान क्वांटिटी में पानी मिला कर मिक्स कर लें. इस घोल को अच्छे से चलाये और डार्क स्पॉट्स पर लगाए. इसमें आप चाहे तो नीबू का रस भी मिला सकते है. आप चाहे तो एप्पल साइडर विनेगर में ऑरेंज जूस भी मिला कर उसको अपने स्किन पर उपयोग कर सकते है. इसे कुछ देर तक स्किन में रहने दें, फिर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें.

3. OTC प्रोडक्ट्स

डार्क स्पॉट्स को कम करने के लिए आप अनेक प्रकार के OTC प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल कर सकते है. यह प्रोडक्ट्स डार्क स्पॉट्स में मिलेनिन के उत्पादन को रोक देते है, जिससे पुराने स्किन को निकलने से रोक देता है यह और नए स्किन को बढ़ावा देता है. OTC प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डर्मोटोलॉजिस्ट से संपर्क करें.

4. बटर मिल्क –

डार्क स्पॉट्स को कम करने के लिए आप बटर मिल्क का भी उपयोग कर सकते है. बटर मिल्क को डार्क स्पॉट्स पर लगा कर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें और अपने स्किन के हिसाब से सीरम और मोइस्चराइज़र लगा लें. अगर आपकी स्किन ओइली है या आप एक्ने से जूझ रहे है तो आप इसमें नीबू का रस भी मिला सकते है.

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5. सूरज की किरणों से बचना

स्किन को डार्क स्पॉट्स से बचाने का सबसे आसान उपाय है स्किन को सूरज की किरणों से बचाना. सूरज में देर तक रहने से यह स्किन में मेलानिन के उत्पादन को बढ़ाता है. क्योंकि डार्क स्पॉट्स होने के कारणों में सबसे महत्वपूर्ण कारण सूरज की हानिकारक युवी किरणें है. इसके लिए आप SPF 30 अधिक वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

6. दवाइयों का कम इस्तेमाल

बहुत सारी दवाइयों में भी अनेक तरह के केमिकल्स होते है जो स्किन में दाग धब्बों को बढ़ाने के कारक होते है. अगर आपकी स्किन में डार्क स्पॉट्स अकसर होते रहते है या होने की संभावना ज्यादा होती है तो आप इस तरह की सभी दवाइयों को कम कर दें जिसमे इस प्रकार की केमिकल्स मौजूद होते है.

महामारी के दौरान अच्छी नींद के साथ न करें समझौता

अच्छी नींद स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण घटक है. नींद पूरी न होने से शरीर में शारीरिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं जिससे शारीरिक और मानसिक रोगों को बढ़ावा मिल सकता है. नींद की समस्या या अनिद्रा अक्सर कम शारीरिक और/या मनोवैज्ञानिक कारणों की वजह से पैदा होती है. अक्सर तनाव/चिंता/अवसाद या मूड डिसॉर्डर की समस्या कमजोर गुणवत्ता की नींद की वजह से देखने को मिलती है.

इस बारे में बता रहीं हैं गुरुग्राम के पारस अस्पताल की मनोचिकित्सक और सलाहकार डॉक्टर ज्योति कपूर.

कोविड महामारी से विभिन्न स्तरों पर लोग प्रभावित हुए हैं और हम अपने इर्द-गिर्द ज्यादातर लोगों में तनाव में इजाफा देख रहे हैं. लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम होम परिवेश से एक मुख्य समस्या अनुशासित रुटीन का अभाव कार्य घंटे लंबी रातों में खिंचना है. वित्तीय दबाव और रोजगार खोने के डर की वजह से कर्मचारी कार्य घंटे सीमित बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं और दुर्भाग्यवश, कई कॉरपोरेट कर्मचारी नियोक्ता की तरफ से प्रबंधन को लेकर असंवेदनशीलता की शिकायत कर रहे हैं. इन सभी समस्याओं ने कामकाजी लोगों के सोने के रुटीन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है, क्योंकि उनमें तनाव का स्तर बढ़ रहा है.
स्कूल जाने वाले बच्चों में भी, जल्दी उठने की आदत प्रभावित हुई है जिससे सुबह के समय ज्यादा देर तक सोने और देर रात तक इंटरनेट और गेम खेलने की प्रवृत्ति बढ़ी है.

ऑनलाइन पढ़ा रहे शिक्षक भी छात्र की जरूरतें पूरी नहीं होने तक और स्कूल प्रशासन की जरूरतों को देखते हुए अपनी मोबाइल पहुंच समाप्त करने में सक्षम नहीं हैं.

मनोचिकित्सा ओपीडी में कोविड-19, लॉकडाउन से संबंधित सामाजिक अकेलेपन और अनुशासन के अभाव से जुड़ी समस्याओं के कारण नींद से प्रभावित होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है.

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नींद से जुड़ी अनियमितताओं के प्रबंधन के लिए लोगों से जुड़े जैविक, मनो-सामाजिक और पर्यावरण संबंधी कारकों का आकलन करने की जरूरत है. अच्छी नींद सुनिश्चित करने के लिए परिवेश और व्यवहार में बदलाव पहला उपचार है. यह निम्नलिखित नींद स्वच्छता प्रणालियों से जुड़ा हुआ हैः

1. बिस्तर पर सोने का नियमित समय बनाएं और उस पर अमल करें
2. सोने से 3 घंटे पहले तक व्यायाम से परहेज करें
3. रात का भोजन सोने से 2 घंटे पहले कर लें
4. सोने से 3 घंटे पहले चाय, कॉफी, तंबाकू के सेवन से परहेज करें
5. सोने के समय के रुटीन पर पालन करें
6. बेडरूम में आरामदायक वातावरण सुनिश्चित करें
7. दिन के समय में सोने से बचें
8. दिन के दौरान नियमित तौर पर व्यायाम करें
9. सोते समय भावनात्मक रूप से प्रभावित करने वाली गतिविधियों से बचने की कोशिश करें
10. नींद से संबंधित समस्याएं दूर करने के लिए कई अन्य गैर-चिकित्सकीय उपाय भी हैं जो मरीज की परिस्थितियों और जरूरतों के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं.

सभी उम्र और पेशों के लोगों को लॉकडाउन संबंधित तनाव दूर करने और लंबे समय स्वास्थ्य संबंधित जटिलताओं से बचने के लिए नींद का रुटीन बनाने की जरूरत है.

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फेस्टिव सीजन में फ़ास्ट के बाद ग्लोइंग स्किन पाने के आसान से टिप्स

फेस्टिवल सीजन में व्रत के बाद स्किन बिल्कुल डल और सुस्त हो जाती है, इसलिए स्किन की खोई हुई ग्लो को वापस पाने के लिए आप कई तरह की स्किनकेयर रूटीन को फॉलो कर सकती है. यह न सिर्फ आपकी खोई हुई ग्लो को वापस लाता है बल्कि स्किन को हेल्दी भी बनाता है:

व्रत के बाद स्किन को हेल्दी रखने के उपाय बता रहें है, डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, डॉ. अजय राणा (आईएलएएमईडी).

1. व्रत के कारण स्किन बिल्कुल डिहाइड्रेट हो जाती है, इसलिए व्रत के बाद अपनी स्किन को हाइड्रेटेड और कोमल रखना महत्वपूर्ण है. इसके लिए अधिक से अधिक पानी, जूस और नारियल पानी पियें. यह आपके शरीर को हाइड्रेट करेगा और आपकी स्किन को भीतर से ग्लो पहुँचाने में मदद करता है.

2. उपवास खत्म हो जाने के बाद हर दिन अपने दिन की शुरुआत अपने चेहरे को साफ करके करें. इसके लिए अपने चेहरे को हल्के क्लींजर का उपयोग करके धो लें, यह स्किन को फ्रेश और ग्लोइंग रखने में मदद करता है.

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3. स्किन टोनिंग स्किनकेयर रूटीन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो नौ दिनों के उपवास के दौरान हुई स्किन की सारी थकान को को खत्म करने में मदद करता है. यह स्किन की नेचुरल चमक और ग्लो को बनाए रखने में आपकी मदद करता है, साथ ही साथ टोनर स्किन के pH लेवल को बनाए रखता है.

4. व्रत के दौरान यह जरूरी है कि आप जो भी स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें वह आपकी स्किन को सूट करता हो. ग्लोइंग स्किन के लिए आप विटामिन सी सीरम का भी इस्तेमाल कर सकते है. यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो उपवास के बाद स्किन पर होने वाले पिगमेंटेशन और डार्क स्पॉट्स से आपकी स्किन को बचाता है. यह स्किन से डेड सेल्स को भी रिमूव करके स्किन को ग्लोइंग बनाने में मदद करता है.

5. उपवास के बाद दिन में कम से कम दो बार स्किन को मॉइस्चराइज़ करें. उपवास के दौरान स्किन पर मॉइस्चराइजेशन की कमी से स्किन बहुत ऑयली और ड्राई हो जाती है. इससे स्किन पर एक्ने होने की चान्सेस बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसीलिए स्किन को ग्लोइंग बनाने और एक्ने और अन्य तरह के स्किन प्रोब्लेम्स को रोकने के लिए मॉइस्चराइज़ सबसे अच्छा उपाय है.

6. एक्सफोलिएशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो डेड स्किन सेल्स से छुटकारा पाने में मदद करती है. अपनी स्किन को एक बार धो लें. हमारी स्किन डर्मल लेयर में डेड स्किन सेल्स को बनाती है. नौ दिनों के उपवास के बाद स्किन में डेड स्किन सेल्स बढ़ने की संभावनाएं काफी ज्यादा हो जाती है. इसके लिए सप्ताह में कम से कम दो बार स्किन को एक्सफोलिएट करें. डेड स्किन सेल्स को धोने के लिए हफ्ते में एक बार फेशियल स्क्रब का इस्तेमाल करें.

7. व्रत के दौरान शरीर में विटामिन और अन्य तरह के नुट्रिएंट्स की कमी हो जाती है, जिसके कारण भी स्किन डल और सुस्त हो जाती है. इसलिए व्रत के बाद ताजे फल, साग, पर्याप्त प्रोटीन और विटामिन खाएं. विटामिन सी से भरपूर और फैट और चीनी में कम आहार, स्किन को ग्लोइंग बनाने में मदद करती है. यह बॉडी में इंसुलिन के लेवल को बनाए रखते है, जिससे बॉडी में सेल्स को बनाये रखने में मदद मिलती है. इस प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट स्किन सेल्स को हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी डैमेज से बचाने में मदद करती है.

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8. व्रत के बाद यह जरुरी है कि सभी अपने स्किन पर ध्यान दें इसके लिए ऐसे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का उपयोग करें जो आपकी स्किन के अनुकूल हों. ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बिलकुल ना करें जो हार्श हो, केमिकल, सल्फेट इंग्रेडिएंट्स हो, जिससे यह इतने दिनों तक सुस्त पड़ी स्किन को और खराब कर सकता है.

9. व्रत के दौरान नींद न पूरी होने की समस्या सबसे कॉमन है, इसमें आई बैग्स और सूजी हुई आँखें सबसे कॉमन है, जिससे स्किन पर भी इफ़ेक्ट पड़ता है. आई बैग प्राप्त करने से बचने के लिए पर्याप्त नींद लें. जिससे आपकी स्किन भी फ्रेश और ग्लोइंग होगी.

क्या आपका हैंड सैनिटाइज़र है असली?

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से सम्पूर्ण विश्वभर के लोग अब पर्सनल हाइजीन पर पहले से कई अधिक ध्यान देने लगे हैं. वायरस दूरी बनाए रखने के लिए लोग बार-बार साबुन से हाथ धोना या अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहें हैं.इस समय मार्केट में हैंड सैनिटाइजर की भारी डिमांड है. ऐसे समय में आपको ये जानना बेहद जरूरी है कि आपके पास जो हैंड सैनिटाइजर है वह असली है या नकली.

कैसे जानें सैनिटाइज़र असरदार है या नहीं?

इस बारे में मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल साकेत एवं मैक्स मल्टी स्पेशिएलिटी सेंटर, पंचशील पार्क नई दिल्ली के एसोसिएट डायरेक्टर एंड इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर रोमेल टिक्कू का कहना है कि अल्कोहल हैंड सैनिटाइज़र का एक बहुत महत्वपूर्ण इन्ग्रीडिएंट है इसलिए जो सैनिटाइज़र आप ख़रीदें, चेक करें कि उसके लेबल पर इथाइल अल्कोहल, इथेनॉल या आइसोप्रोपाइल अल्कोहल ज़रूर लिखा हो. सैनिटाइज़र में अल्कोहल का प्रतिशत 60 से 95 के बीच होना चाहिए. तभी यह जर्म्स और वायरस को मारने में प्रभावी होगा. वहीं 60% से कम अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र्स संक्रमण रोकने में किसी काम के साबित नहीं होंगे.एक बात और जहां सैनिटाइज़र में मौजूद अल्कोहल बैक्टीरियाज़ और जर्म्स का सफ़ाया करने का काम करता है, वहीं अल्कोहल की इतनी ज़्यादा मात्रा आपके हाथों को रूखा बना सकती है. अत: ऐसा सैनिटाइज़र चुनें, जिसमें विटामिन E भी हो, जो आपके हाथों को रूखेपन से से बचा सके.

कैसे करें हैंड सैनिटाइज़र इस्तेमाल

जब आप हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें तो सुनिश्चित करें कि हाथ साफ करने से पहले आपके हाथ सूखे हों क्योंकि हैंड सैनिटाइजर में मौजूद अल्को हल तभी काम करता है जब आपके हाथ सूखे हों.
सैनिटाइजर की दो-तीन बूंद लें और उसे अपनी हथेलियों, उंगलियों के बीच , हथेलियों के ऊपर की त्वचा और नाखूनों के आसपास की स्किन पर अच्छी तरह से रब करें. सूखने से पहले सैनिटाजर को ना पोछें, ना ही धोएं. सैनिटाइटर का उपयोग करने के बाद सुनिश्चित करें कि यह आपकी त्वचा में ठीक से अवशोषित हो. सीडीसी के अनुसार बैक्टेरिया का सफाया करने के लिए सैनिटाइज़र को कम से कम 30 सेकेंड के लिए हाथों पर मलना चाहिए.

कैसे काम करता है हैंड सैनिटाइजर?

हैंड सैनिटाइजर हाथ पर मौजूद सभी कीटाणुओं को तुरंत समय मार देता है. लेकिन जैसे ही आप किसी दूसरी दूषित सतह के संपर्क में आते हैं तो आपके हाथ फिर से गंदे हो जाते हैं. इसलिए आपके हाथ कितनी देर तक सेफ रहेंगे यह आपके द्वारा किसी संक्रमित चीज को छूने पर निर्भर करता हैं.

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किस बात का ध्यान रखें

हैंड सैनिटाइजर में बहुत सारे कैमिकल का प्रयोग किया जाता है और यह हाथ के कीटाणुओं को मार सके इसके लिये एल्कोहल भी मिलाया जाता है. इसलिये हैंड सैनिटाइजर से हाथ धाेने के बाद आप खाने का सेवन कभी ना करें .

हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने के बाद खाना ना खाएं क्योंकि अगर जब आप खाना खाएंगे तो हैंड सैनिटाइजर में प्रयोग किये गये कैमिकल व एल्कोहल आपके पेट में जाएंगे और वह पेट की कई बीमारियों का कारण बनेंगे.

हैंड सैनिटाइजर से हाथ साफ करने के बाद उन हाथों को अपने चेहरे पर मत लगाएं नहीं तो आपके चेहरे पर एलर्जी, दाने और खुजली हो सकती है.

शिशुओं या बहुत छोटे बच्चों के हाथों पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. अगर टॉडलर्स या स्कूल जाने वाले बच्चे सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी निगरानी में ही ऐसा करने दें.

डॉक्टर रोमेल टिक्कू कहते हैं कि सैनिटाइजर में अगर मेथेनॉल डला हो तो हानिकारक हो सकता है. मेथनॉल के कारण आंखों की रौशनी जा सकती है और जानलेवा भी हो सकता है. हमेशा सैनिटाइजर की बोतल अपने बच्चे और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर और किसी उंचे स्थान पर रखें.

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सैनिटाइजर को सुरक्षित जगह रखें

डॉक्टर कहते हैं कि हैंड सैनिटाइजर्स में कम से कम 60 पर्सेंट अल्कोंहल होता है, ऐसे में वे बेहद ज्वहलनशील होते हैं यानी उनमें बड़ी तेजी से आग लगती है. इसलिए सैनिटाइजर्स को ऐसी जगह के पास इस्तेीमाल ना करें जहां आग लगने की संभावना हो जैसे- रसोई गैस, लाइटर, माचिस आदि.

कोविड-19 के दौरान मासिक चक्र का रखें ध्यान

कोरोना वायरस से आज पूरी दुनिया परेशान हो रही है. इससे बचने के लिए लोग स्वच्छता और सोशल डिस्टेंगसिंग का पूरी तरह से पालन कर रहे है. जिससे इस वायरस से बचा जा सके, लेकिन क्या हम महिलाओं ने सोचा की कोविड-19 के समय में क्या करें, जब मासिक धर्म की तारीख के बाद ज्यादा रक्तस्राव हो या बिल्कुल नहीं हो, भले ही यह गर्भावस्था की स्थिति न हो, क्योंकि कोविड-19 महामारी के दौरान लड़कियां जांच कराने के लिए अस्पताल जाने में असमर्थ है. ऐसे समय में सी के बिरला होस्पिटल, गुरुग्राम की स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डाॅ. अरुणा कालरा असंतुलित हार्मोनल स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दे रही हैं.

मासिक चक्र

हर महीने मासिक रक्तस्राव हमारी हार्मोनल अवस्था का एक स्वस्थ संकेत है. सामान्य मासिक चक्र हमें हमारी शारीरिक फिटनेस, मानसिक स्वास्थ्य और संतुलित जीवनशैली से अवगत कराता है.

यह हमारे प्रजनन स्वास्थ्य, हड्डियों की मजबूती, त्वचा की सूजन, बाल और दिल एवं दिमाग की सुचारू गतिविधि बनाए रखने वाले हार्मोनल ग्लैंड्स का एक बेहद महत्वपूर्ण नेटवर्क है।

हमारा मासिक चक्र ओवरियन और पिट्यूटरी हार्मोन से नियंत्रित होता है। मासिक चक्र की पहली आधी अवधि मुख्य तौर पर एस्ट्रोजेनिक चरण से जुड़ी होती है और बाद की अवधि में प्रोजेस्टेराॅन हार्मोन का असर देखा जाता है और हार्मोन कर स्राव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से प्रभावित होता है। हार्मोनल स्थिति बेहद नाजुक होती है.

मौजूदा समय में, कोविड-19 की वजह से पैदा हुई गंभीर स्थिति में कुछ भी सामान्य नहीं है और जिंदगी काफी बदल गई है और हमारे ऊपर दबाव बढ़ सकता है. यह दबाव न सिर्फ हमारे मानसिक स्वास्थ्य को, बल्कि हमारे हार्मोनल स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता हैं। अवसाद और चिंता हमारे मासिक चक्र को प्रभावित करते हैं और इस मौजूदा महामारी के दौरान हमारे लिए यह सामान्य बात है कि अगली तारीख में विलंब हो जाए या फिर मासिक चक्र की तारीख के बाद ज्यादा रक्तस्राव हो जाए.

डाॅ.अरुणा कालराके अनुसार ऐसे कई कारण हैं जो मासिक चक्र को प्रभावित कर सकते हैं। ये निम्नलिखित हैः

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1. तनाव
2. नींद नही आना
3. लंबा स्क्रीन टाइम
4. काम का अधिक दबाव
5. बैठक की समय सीमा
6. व्यायाम और कसरत ना करना
7. आहार संबंधी आदतेः ज्यादा जंक फूड और अस्वस्थ खानपान आदतों से मोटापे को बढ़ावा मिलता हैं, हार्मोन गतिविधि में समस्या आती है. कम खाने, भूखे रहने या वजन बढ़ने को लेकर ज्यादा चिंतित रहना भी हार्मोनल रिसेप्टर के नुकसान और असामान्य हार्मोनल चक्र के लिए जिम्मेदार हैं.
8. खाने की आदतों में बदलाव
9. मनोवैज्ञानिक आघात
10. किसी और बीमारी के लिए ज्यादा दवाएं लेना
11. अनियमित तौर से हार्मोनल टेबलेट्स लेना या गर्भनिरोधक गोलियां लेना
12. अनियमित थायराॅयड प्रोफाइल
13. अनियमित प्रोलैक्टिन वैल्यू
14. कार्य /स्वास्थ और भविष्य को लेकर अनिश्चितता
15. कोविड-19 महामारी से सम्बंधित होने का डर
16. मौजूदा समय में और भविष्य की वित्तीय अस्थिरता की आशंका.
17. समय का सही उपयोग करने में सक्षम नही रहना और दिमाग में खालीपन महसूस करना.
18. तनाव, अनिद्रा, चिंता और कोरोना आइसोलेशन का दबाव और आने वाले समय को लेकर अनिश्चितता को बढ़ावा देने में अहम योगदान दे रहे हैं.

उपर्युक्त कई कारण अस्वस्थ जीवनशैली की वजह से देखने को मिलते हैं.

कार्बोहाइड्रेट वाला आहार, वसायुक्त भोजन, कम प्रोटीन का आहार, देर से सेना, पर्याप्त नींद नहीं लेना, मोबाइल और कम्प्यूटर का ज्यादा इस्तेमाला करना, व्यायाम नहीं करना और ज्यादा मानसिक दबाव ऐसी अस्वस्थ आदते हैं जो अंडाशय के लिए नुकसानदायक हैं और पाॅलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज सिंड्रोम यानी पीसीओएस/पीसीओडी के लिए जिम्मेदार हैं.

जब हम अपनी मासिक धर्म संबंधित अनियमितता के कारण का पता लगा लेंगे तो उपचार आसान हो जाएगा.

यह ध्यान रखना जरूरी है कि इसकी आशंका नहीं है कि यह महामारी हमारे मासिक चक्र को प्रभावित करेगी. लेकिन यदि हम कोरोना वायरस से जुड़ी खबरों को लेकर मानसिक रूप से ज्यादा प्रभावित महसूस करते हैं तो यह उपयुक्त होगा कि हम स्वयं पर ध्यान केंद्रित करें और स्वयं देखभाल पर जोर दें. कोविड-19 अपडेट्स पर नजर बनाए रखने के बजाय, हमें दिन में कुछ खास समय इससे संबंधित खबरें जानने की कोशिश करनी चाहिए. हमें हर दिन कुछ स्ट्रेचिंग और गहरी सांस लेने की भी कोशिश करनी चाहिए. यदि हम अपने पार्टनर्स, रूममेट, या फैमिली के साथ रहते हैं तो हमें इस खाली समय का इस्तेमाल अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए करना चाहिए. हमें फोन या वीडियो काॅल के माध्यम से अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ भी संपर्क बनाए रखना चाहिए, क्योंकि हमारा अच्छा संबंध किसी की मदद करने और एक-दूसरे से जुड़े रहने में मददगार साबित हो सकता है. नियमित व्यायाम, फाइबरयुक्त आहार, स्वस्थ हाॅबीज, कार्यालय घंटों को सीमित करने और तनाव को दूर बनाए रखने से असंतुलित हार्मोनल स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है और इससे नियमित मासिक चक्र में मदद मिल सकती है.

कई अन्य बातें भी ध्यान में रखी जा सकती हैं, जो निम्नलिखित हैंः
1. आयरन और मल्टीविटामिन सप्लीमेंट भी मददगार हैं.
2. उचित गर्भनिरोधक तरीके का ही इस्तेमाल करें.
3. ज्यादा रक्तस्राव होने पर दिन में 2-3 बार एंटी-इन्फ्लेमेटरी मेडिसिंस का इस्तेमाल करें.
4. मसिक चक्र के दौरान भी व्यायाम करते रहने से निश्चित तौर पर मासिक धर्म संबंधी समस्याएं दूर करने में मदद मिलेगी.

डिम्बग्रंथि रोग से संबंधित अत्यधिक रक्तस्राव एक ऐसी समस्या है. जिसमें अक्सर गंभीर अनियमित रक्तस्राव होता है. इसकी जांच में प्रेगनेंसी टेस्ट, बीटा सबयूनिट ऑफ ह्यूमेन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन टेस्ट, थायराॅयड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन और प्रोलैक्टिन लेवल की जांच, हिस्टेरोस्काॅपी, या ट्रांसवैजाइनल अल्ट्रासोनोग्राफी जैसे टेस्ट शामिल हैं. डिम्बक्षरण के कारणों में किशोरावस्था, पेरीमेनोपाॅज, गर्भावस्था, हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया, थायराॅयड रोग, प्राइमरी पिट्यूटरी रोग, प्रीमेच्योर ओवरियन फेलर, आइएट्रोजेनिक और मेडिकेशंस शामिल हैं. जांच की पुष्टि हो जाने पर निष्चित तौर पर उपचार किया जा सकता है.

इन समस्याओं से गर्भाशय में डिम्बग्रंथि अनियमितता से संबंधित असामान्य रक्तस्राव की स्थिति पैदा हो सकती है और शल्य चिकित्सा के बजाय सामान्य चिकित्सा के साथ इनका इलाज किया जाना चाहिए। उपचार के विकल्पों में शामिल हैं –

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1. प्रोजेस्टिन-ओनली कंट्रासेप्सन, ओर्जेट्रेल-रिलीजिंग इंट्राअटेरिन डिवाइस – आईयूडी, मिरेना)
2. मेडराक्सीप्रोजेस्टेरॉन एसीटेट (प्रोवेरा), नॉरीथिंड्रोन, और डिपोट मेडरॉक्सीप्रोजेस्टेरॉन एसीटेट (डिपो-प्रोवेरा) और
3. संयुक्त हार्मोनल गर्भनिरोधक (जैसे, ट्रांसडर्मल पैचेस, वैजाइनल रिंग्स, ओरल कंट्रासेप्टिव्स)

ये विकल्प एंडोमेट्रियम को पतला करते हैं और इस वजह से रक्तस्राव में कमी आती है.

यदि चिकित्सकीय उपचार विफल साबित होता है, या इसे सहन नहीं किया जाता है, तो एंडोमेट्रियल एब्लेशन और हिस्टेरेक्टोमी अन्य विकल्प हैं, हालांकि एंडोमेट्रियल एब्लेशन प्राथमिक विकल्प नहीं समझा गया है. उन महिलाओं में सर्वाइकल प्रिजर्वेशन के बगैर हिस्टेरेक्टोमी एब्लेशन पर विचार किया जा सकता है जो बच्चे पैदा करने की जिम्मेदारी पूरी कर चुकी हों, जिनमें मेडिकल थेरेपी विफल रही हों, या उपचार के लिए सहज स्थिति में नहीं हों.

खाली पेट एक कप गर्म चाय की चुस्की हो सकती है घातक, जानें यहां

चाय, एक ऐसी ड्रिंक जिसको हर कोई पसंद करता है. बात के दौरान अगर चाय की चुस्किजयां न ली जाएं तो कुछ अधूरा लगता है. कुछ लोग चाय के इतने शौकीन होते हैं कि वे दिन में कई कई बार चाय पीते हैं. तो कुछ बिना बेड टी के उठ भी नहीं सकते. पर आपको क्या लगता है, क्या आपकी ये एक अच्छी आदत है? अध्ययनों की मानें तो खाली पेट चाय पीना एक बहुत बुरी आदत है.चाय में कुछ मात्रा में कैफीन होती है और साथ ही इसमें एल-थायनिन, थियोफाइलिन भी होता है जो उत्तेजित करने का काम करते हैं.

इस बारे में मैक्स सुपर स्पेशलिटी शालीमार बाग, न्यू दिल्ली के डायरेक्ट एंड गैस्ट्रोएन्टेरोलोजी डॉक्टर वी के गुप्ता का कहना है कि चाय में कई तरह के एसिड होते हैं इसलिए खाली पेट चाय पी कर आप अपने पेट को सीधा नुकसान पहुंचाते हैं. इससे अल्सइर या गैस जैसी परेशानियां बढ़ने की संभावना रहती है.

खाली पेट चाय पीने के नुकसान
1- चाय में काफी मात्रा में टैनिन पाया जाता है. इसलिए सुबह उठकर खाली पेट चाय पीने से आपको मिचली आ सकती है और घबराहट महसूस हो सकती है.

2-खाली पेट चाय पीने से इसमें घुली चीनी शरीर के अंदर जाती है, जो वजन बढ़ाने का मुख्य कारण होती है.

3- खाली पेट गर्म चाय का सेवन एसिडिटी पैदा करता है और पाचक रसों पर प्रभाव डालता है.

4- सुबह खाली पेट चाय पीने से प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है, जो पुरूषों में पाई जाती है.

5- माना जाता है कि ब्लैक टी वजन कम करती है पर खाली पेट ब्लैक टी पीने से पेट फूल जाता है और भूख नहीं लगती है.

6- खाली पेट चाय पीने से स्केलेटल फ्लोरोसिस नाम की बीमारी भी हो सकती है. ये बीमारी हड्डियों को अंदर ही अंदर खोखला बना देती है.

7- दूध वाली चाय खाली पेट पीने से जल्दी थकान महसूस होती है क्योंकि चाय में दूध मिलाने से एंटीऑक्सीीडेंट का असर ख़त्म हो जाता है.

8- सुबह खाली पेट स्ट्रांग चाय पीने वालों को अल्सर होने का खतरा रहता है. इससे पेट की अंदरुनी सतह में जख्म हो जाने की आशंका बढ़ जाती है.

9- खाली पेट चाय भूख को दबाती है.आपको नाश्ता करने का मन नहीं करता जिससेआपका स्वास्थ्य प्रभावित होता है.

10- डॉक्टरों की मानें तो चाय हमारे शरीर की इन्द्रियों पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है. इसमें मौजूद कैफीन के कारण व्यक्ति को चाय पीने की लत लग जाती है.

जानें चाय पीने का सही तरीका
1- अगर आप चाय के शौकीन हैं तो इसे पीने का सही तरीका इस्तेमाल कर कई बीमारियों से बच सकते हैं जैसे –

2- अगर आप सुबह उठकर खाली पेट चाय पी रहे हैं तो उसके साथ बिस्किट या स्नैक्स जरूर लेना चाहिए.

3- एक रिसर्च के मुताबिक यदि आप दो ब्रांड की मिलाकर चाय बनाते हैं तो उससे शरीर पर नशे जैसा प्रभाव होता है.

4- खाने के तुरंत बाद चाय का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से चाय खाने में मौजूद आयरन के साथ रिएक्ट कर सकती है, जिसके शरीर पर बुरा असर पड़ता है.

5- इस बात का ध्यान रखें कि न ज्यादा गर्म और न ही ठंडी चाय पीएं.

6- हमें पूरे दिन में अधिकतम 3 कप चाय ही लेनी चाहिए. चाय बनने के बाद उसी चाय को बार बार गरम करके न पीएं. सेहत के लिए हानिकारक होती है.

7- विशेषज्ञों का भी कहना है कि चाय पकने और कप में डालने के बीच लगभग 5 से 10 मिनट का अंतर होना चाहिए. दरअसल, गैस से उतरने के 2 मिनट के अंदर-अंदर चाय पीने वाले व्यक्तियो में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. वहीं दूसरी तरफ जो लोग 4 से 5 मिनट बाद चाय ठंडी करके उसका सेवन करते है उनमें कैंसर होने का खतरा कम होता है.

जानें क्यों जरूरी है नए कपड़ों को धोना

अकसर देखा गया है कि लोग नए कपड़े बाजार से खरीदने के बाद उन्हें बिना धोएं ही पहन लेते हैं.पर क्या आपको पता है आपकी यह आदत आपकी सेहत के ल‍िए बड़ी समस्‍या लेकर आ सकती है. एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस हॉस्पिटल, फरीदाबाद के सीनियर स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमित बनगया (bangia) का कहना है कि जब हम किसी कपड़े को खरीदते हैं तो हम तक पहुंचने से पहले नये कपड़ों में कई प्रकार के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके अंश कपड़ों में रह जाते हैं.जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं.

केमिकल्स का प्रयोग

अगर आप कोई डार्क कलर का कपड़ा खरीदते हैं तो उससे पहनने से पहले जरूर धोएं. वो इसलिए क्योंकि नेचुरल थ्रेड का अपना कोई कलर नहीं होता, इसलिए उस पर विभिन्न प्रकार के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे कपड़ों में ऐज़ो डाईस( azo) का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से त्वचा पर दाद, खाज और खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

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बहुत अधिक स्टार्च

नए कपड़ों को बार-बार खोलने-मोड़ने और पहनने के कारण वह मुड़ जाते हैं और उनमें चुन्नट पड़ सकती है. इससे बचने के लिए कपड़ों को कड़क स्टार्च करते हैं, इसीलिए इन कपड़ों को पहनने से पहले धोना ज़रूरी हो जाता है ताकि स्टार्च त्वचा के संपर्क में न आए.

अनेकों हाथों से गुजरते हैं

सिर्फ इतना ही नहीं यह अलग-अलग स्थानों और लोगों के हाथों से होकर गुजरते हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इसलिए बहुत ज़रूरी हो जाता है कि नए कपड़ों को पहनने से पहले उन्हें उन्हें धोकर जरूर पहनें.

ट्राई किये गए कपड़े

शॉपिंग के दौरान आपको जो कपड़े पसंद आते हैं वो आप खरीद लेते हैं पर आपको ये नहीं पता होता क‍ि उस कपड़े को कितने लोगो ने ट्राई किया होगा और उस समय उनकी सेहत कैसी होगी. तो इसलिए जब भी आप नया कपड़ा खरीद कर लाएं तो उसे जरूर धो लें.

बच्चो के कपड़े

बच्‍चों को नए कपड़े बिना धोए पहनने से उन्हें रैशेस भी हो जाते हैं जो बहुत परेशान करते हैं. क्योंकि उनकी स्किन बड़ो से भी ज़्यादा सॉफ्ट होती है. इसलिए जब भी बच्चों के लिए कपड़े खरीदें तो उसे धोएं ज़रूर.

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पीरियड्स की डेट नैचुरल तरीके से आगे बढ़ाने के लिए ट्राय करें ये 7 टिप्स

महिलाओं को हर महीने पीरियड्स का होना जरूरी हैं क्योंकि इसी प्रक्रिया से उनका हार्मोनल बैंलेस बना रहता है और ब्लड फिल्टर होता है. लेकिन महिलाओं को होने वाले ये मासिक धर्म अपने  कई सारी प्रॉब्लम साथ लाता है,  जिसके चलते पेट, कमर और पैरों में दर्द  बुखार और मूड स्विंग्स का भी सामना करना पड़ता है.

इस बारे में सी के ब्रिला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की डायरेक्टर, गायनेकोलॉजिस्ट एंड ऑब्सटेरिशन (Obstetrician) डिपार्टमेंट की डॉक्टर अरुणा कालरा कहतीं हैं कि महिलाओं के लिए पीरियड्स तब और समस्या बन जाता है जब घर, रिश्तेदारों या फ्रेंड के यहां कोई फंक्शन हो. पीरियड्स को आगे बढ़ाने के लिए  कई महिलाएं दवाइयों का सहारा लेती हैं, जोकि  सेहत के लिए अच्छा नहीं होता. कई बार इनसे साइड इफेक्ट भी होते है. यहां हम आपको बता रहें हैं कि बिना किसी साइड इफेक्ट के आप पीरियड्स को नैचुरली तरीके से कुछ दिन के लिए टाल सकती हैं.

1. स्पाइसी खाने से बचें

पीरियड्स को आगे बढ़ाने के लिए मसालादार खाना बिल्कुल भी ना खाएं क्योंकि मसालादार खाना ब्लड के फ्लो को बढ़ाता है.  जिससे पीरियड्स शुरु होने की संभावना जल्द हो जाती है.जब तक आपको डेट आगे बढ़ानी हो तब तक आप लाइट खाना खाएं. लाल,  हरी मिर्च, काली मिर्च और लहसुन तो भूल कर भी ना खाएं.

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2- पुदीना

पुदीना खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. आप इसे खीरे के रस के साथ मिलाकर पिएं. इससे पीरियड्स देर से स्टार्ट होते हैं. डॉक्टर अरुणा कालरा कहतीं हैं कि पीरियड्स में देरी के लिए कई फलों और मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. यह 100% प्रभाव के लिए साबित नहीं हुआ है.लेकिन उनके विटामिन सी विटामिन बी खनिज और प्रोटीन ऊतकों पर हीलिंग प्रभाव डालते हैं, यही कारण है कि ये फल और मसाले आपके मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करते हैं.

3- सिरका

पीरियड्स को 3-4 दिन टालने के आप सिरका सबसे बेहतर तरीका है.  इसके लिए एक ग्लास पानी में 3 से 4 चम्मच सिरका मिलाकर दिन में दो से तीन बार पिएं.

4- नींबू

पीरियड्स को टालने, ज्‍यादा ब्‍लड फ्लो को कंट्रोल करने और  रोकने के काम भी आता है. इसलिए  नींबू को चबाएं या खाएं. यदि नींबू को चबा और खा नहीं सकती तो पानी में नींबू नीचोड़कर भी पी सकती हैं.

5- जिलेटिन

अगर आपको पीरियड्स को कुछ घंटों के लिए आगे बढ़ाना हो तो एक कटोरे पानी में जिलेटिन  मिलाएं और तुरंत पी लें. लंबे समय तक रोकने के लिए  इस घोल को दो से तीन बार पिएं.

6- रसबेरी

अगर आप नींबू नहीं खा पा रहीं हैं तो आप रसबेरी का भी सेवन करें. रसबेरी में भी भारी मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है, जिसकी वजह से  मासिक धर्म को नियंत्रित कर सकते हैं. डॉक्टर अरुणा कालरा कहतीं हैं कि आयुर्वैदिक औषधीय प्रणाली में डॉक्टर मासिक धर्म चक्र के लिए प्राकृतिक उपचार लिखते हैं.

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7- एक्सरसाइज़

पीरियड्स की डेट को आगे बढ़ाने के कुछ एक्सरसाइज़ भी हैं जैसे -एरोबिक्स, जॉगिंग और  साइकलिंग. आप इन्हें रेगुलर करें. डॉक्टर अरुणा कालरा कहतीं हैं कि अत्यधिक व्यायाम टेस्टोस्टेरोन जारी करता है. अच्छी मात्रा में शारीरिक गतिविधि का पीरियड्स पर प्रभाव पड़ता है.

चेहरे को बेदाग बनाने के एक्सपर्ट टिप्स

खूबसूरत, बेदाग चेहरा हर किसी की ख्वाहिश होती है लेकिन धूल-मिट्टी, प्रदूषण की वजह से बहुत से लोगों को पिंपल की समस्या हो जाती है. इस समस्या से बचने के लिए लोग तरह-तरह के ट्रीटमेट और ब्यूटी प्रॉडक्ट का सहारा लेते है लेकिन पिंपल्स की समस्या वैसे की वैसे ही रहती है. ऐसे में पिंपल्स को ठीक करने के लिए कुछ आसान से टिप्स बात रहें हैं, डॉ. अजय राणा  विश्व प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी.

1. एप्पल साइडर विनेगर पीपल्स को हटाने के लिए आजमाए जाने वाला सबसे प्रसिद्ध नुस्खा है. एप्पल साइडर विनेगर मे एंटी इंफ्लैमैटरी और एंटी बकटेरियल प्रोपर्टीज होती है. पर इसे सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. क्योंकि इससे कई तरह के इंफेक्शन होने के भी चांसेस होते है.

इसके लिए एप्पल साइडर विनेगर को दिन में कम से कम दो बार पिंपल पर लगाए और फिर आधे मिनट के लिए छोड़ दें. फिर आधे मिनट बाद इसको धो लें.

2. टी ट्री ऑयल पिंपल्स के लिए अच्छा माना जाता है. यह स्किन को मुलायम बनाता है और एंटी बक्टेरियल प्रोपर्टीज होने के कारण स्किन से रेडनेस निकालने में मदद भी करता है.

इसके लिए कॉटन की सहायता से टी ट्री ऑयल को पिंपल्स पर लगाए. फिर 15-20 मिनट बाद इसको अच्छे से साफ कर लें. इसके अलावा एक टेबल स्पून एलोवेरा जेल में टी ट्री ऑयल की कुछ बूँदे मिला लें. फिर इसको पिंपल्स में लगाए. फिर इसे गर्म पानी की सहायता से धो लें.

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3. पिंपल्स के लिए पपीता का उपयोग एक नैचुरल रेमडी की तरह काम करता है. पपीता स्किन से डेड स्किन सेल्स को निकालने में मदद करता है साथ ही साथ स्किन को क्लीयर बनाता है.

इसके लिए अपने चेहरे को पहले अच्छे से धो कर सुखा लें. फिर पपीता को पीस कर एक पेस्ट की तरह बना लें. फिर से चेहरे पर लगा कर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर इसे गर्म पानी की सहायता से धो लें. फिर अपने स्किन टोन के हिसाब से एक अच्छा सा मोइस्चराईजर इस्तेमाल करें.

4. एलोवेरा पिंपल्स को ठीक करने के लिए अपनाया जाने वाला सबसे अच्छा और घरेलू उपाय है. यह न सिर्फ पिंपल्स को हटाता है बल्कि साथ ही साथ स्किन पर होने वाले सभी प्रकार के स्कार्स को भी ठीक करता है.

इसके लिए एलोवेरा जेल में चुटकी भर हल्दी मिला कर स्किन पर रगड़े. इसमें मौजूद इंफ्लैम्माटरी और एंटी मिकरोबियल प्रोपर्टीज न केवल पिंपल्स को कम कर देगी साथ ही साथ स्किन को हाईड्रैट भी कर देगी.

5. हनी का भी इस्तेमाल पिंपल्स को ठीक करने में किया जा सकता है. यह स्किन से सभी प्रकार के रेडनेस जो पिंपल्स के कारण होते है उसको ठीक कर देता है.

इसके लिए हनी को दालचीनी के पाऊडर में मिला लें फिर इस पेस्ट को स्किन में पिंपल्स वाले एरिया में लगाए. फिर कुछ देर बाद इसको धो लें.

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6. नारियल का तेल भी पिंपल्स को ठीक करने के लिए इस्तेमाल करा जा सकता है. नारियल के तेल में एंटी बक्टेरियल प्रोपर्टीज होती है जो स्किन इंफ्लैमैशन को ठीक करता है.

इसके लिए नारियल तेल को हल्का गर्म करके पिंपल्स पर लगाए. इससे पिंपल्स सही हो जायेंगे और स्किन के सारे स्कार्स भी ठीक हो जायेंगे.

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