World Multiple Sclerosis Day 2024 : मल्टीपल स्केलेरोसिस की शिकार युवा महिलाएं

युवा महिलाओं में एक बीमारी बहुत कौमन है और वह है मल्टीपल स्क्लेरोसिस. यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हैं. ऑटोइम्यून का मतलब होता की बॉडी अपने ही कोई बॉडी का पार्ट या सेल के अगेंस्ट काम करना शुरू कर देती है. हमारी न्युरोंस को आपस के कम्युनिकेट करने के लिए उनके ऊपर एक शीट होती हैं जिसको हम मायलिन शीट कहते हैं. ये शीट एक दूसरे न्यूरॉन में सिग्नल भेजने और कम्युनिकेट करने में हेल्प करती हैं. इस इम्यून डिसऑर्डर में हमारी मायलिन शीट, जो हमारी नर्व के उपरवाला कवर है, डैमेज हो जाता है जिससे उनका कम्युनिकेशन लिंक टूट जाता हैं और इस बीमारी के लक्षण आने शुरू हो जाते हैं.

मल्टीपल स्केलेरोसिस डिजीज हमारे ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड को इफेक्ट करता है. साथ में ऑप्टिक नर्व को भी इंवॉल्व करता है.

हमें कैसे पता चलेगा कि हमें ये समस्या है

यह बीमारी कॉमन रूप से फीमेल में होती है खासकर बीस साल से लेकर तीस पैंतीस साल तक की महिलाओं में अक्सर देखी जाती है. इस में लक्षण हमेशा पर्सन टू पर्सन या मेल टू फीमेल वेरी करते हैं.

कुछ कॉमन लक्षण हैं; आँखों की रौशनी धुंधली पड़ जाना. वन हाफ बॉडी का सुन्न हो जाना, शरीर का एक हिस्सा वीक हो जाना या बॉडी में करंट वाली लहरे दौड़ना. गर्दन को जब हम हिलाते है और पूरी बॉडी में खासकर गर्दन के नीचे करंट वाली लहरे दोड़ रहीं हैं तो उसका मतलब है कि इस बीमारी की शुरुआत हो चुकी है. इसी तरह जब आप को दो दो चीजें दिखने लग जाए, एक साइड की बाजु, टांग, बेस सब सुन्न हो जाए, चल रहे हैं तो ऐसे लगे जैसे लड़खड़ा के चल रहे हैं तो समझिए इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. .

इलाज के ऑप्शन

इस सन्दर्भ में डॉक्टर बीरिंदर सिंह पॉल. प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ़ न्यूरोलॉजी, दयानन्द मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, लुधियाना, पंजाब कहते हैं कि बीमारी में पिछले दस-पंद्रह साल में इतनी रिसर्च हो गई है कि अब हमारे पास इस के इलाज के बहुत सारे ऑप्शन्स हैं ;

इस बीमारी के लिए मुख्य रूप से दो तरह के ट्रीटमेंट हैं. दरअसल जब हमारे नस के ऊपर से कवर उतरता है तो हमारी आँखों की रौशनी चली जाती है. इस अवस्था को अटैक आना कहते हैं. जब यह बीमारी अटैक के रूप में आती है तो इमिजेटली इसका इलाज स्टिरॉइड्स से होता है जिसे इंजेक्शन के फॉर्म में देते हैं ताकि इस अटैक को रोका जाये. जो कवर उतर रहा है उसके अराउंड जो स्वेलिंग या इनफ्लोनेशन हो रही है उसको कम किया जाए. इस को कहते हैं एक्यूट ट्रीटमेंट.

आजकल इतनी रिसर्च के बाद कुछ खाने वाली दवाई आ गई हैं. कुछ इंजेक्शन भी अवेलेबल है जो डायरेक्टली हमारे इम्यून सिस्टम पर काम करती हैं ताकि बॉडी में अगर इम्यून इन बैलेंस हो रहा है, इम्यून सिस्टम खराब या डैमेज हो रहा है , इम्यून सिस्टम में चेंजेस आने के वजह से नर्व डैमेज हो रही हैं तो उसको रोकने के लिए यह ट्रीटमेंट दे सकते है. इस ट्रीटमेंट का नाम है “डिजीज मोडिफाइ ट्रीटमेंट” . यह दो तीन फॉर्म में अवेलेबल है. एक तो खाने वाली गोली आती हैं. एक आता है लगाने का इंजेक्शन जो हम हफ्ते में जैसे इन्सुलिन का टीका लगता है वैसे लगाते हैं. अब इसमें एक और रिसर्च हो गई है . अभी कुछ ऐसे इंजेक्शन भी अवेलेबल हैं जो महीने में दो इंजेक्शन लगवाने हैं और इसका असर छह महीने से साल तक रहता है. ये एडवांस ट्रीटमेंट अभी पिछले दिसम्बर से इंडिया में अवेलेबल हो गया है . एडवांस ट्रीटमेंट को “सीडी ट्वेंटी मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज” कहते हैं.

दरअसल हमारी बॉडी में टी सेल और बी सेल होते हैं. जैसे किसी का गला खराब हो गया तो हमारी बॉडी में इमिजेटली टी और बी सेल काम करते हैं. इस बीमारी में ये टी और बी सेल आउट ऑफ़ कंट्रोल हो जाती है. बॉडी की बात नहीं सुनते. ये बी सेल जा कर हमारी नर्व को डैमेज करते है. वहां पे मायलिंग कवर को डैमेज करना शुरू कर देते है. सीडी ट्वेंटी मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज ऐसी दवा है जो इस बी सेल को कंट्रोल करती है.

भले ही इस बीमारी को जड़ से नहीं खत्म कर सकते मगर इतने इफेक्टिव ट्रीटमेंट आ रहें हैं जिससे बीमारी को डॉरमेंट स्टेज में ले जाते हैं. तब कई साल तक कोंई दुबारा ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती. यानी यह 70 -80 परसेंट तक इफेक्टिव ट्रीटमेंट है.

जब सालों पहले इस बीमारी का ट्रीटमेंट शुरू हुआ था तो हमारे पास एक ही ऑप्शन था , रोज इंजेक्शन लगाओ. हमारे पास कोई गोली खाने वाली नहीं थी. फिर पिछले 10 सालो में 5- 6 गोलिया अवेलेबल हो गयीं. अब ऐसे इंजेक्शन भी आ रहे हैं जिसको साल में केवल 2 बार लगाना होता है. यह सारे साल काम करता है. वह इंजेक्शन जो आप रोज लगाते थे उसका इफेक्ट 35% से 50 % था मतलब 50 % लोगों में ही वह इंजेक्शन काम करता था. मगर अब जो ट्रीटमेंट अवेलेबल है और जिसको हम हाई एफीकेसी ट्रीटमेंट कहते है. यह ट्रीटमेंट डिजीज को 70 से 80 परसेंट तक कंट्रोल करता है.

यानी एक तो चेंज यह हुआ है कि नंबर ऑफ़ इंजेक्शन या नंबर ऑफ़ गोली जो हमें इस बीमारी में खानी होती थी वह कम हो गयी है. दूसरा एफीकेसी बढ़ गई है. मतलब डिजीज कंट्रोल करने की क्षमता बहुत बढ़ गयी है, ऑलमोस्ट डबल हो गयी है. पहले इस के पेशेंट्स को हम कहते थे की आप घर जाके इसकी केयर और फिसियोथेरेपी करो हमारे पास ज्यादा इलाज नहीं है. अब उल्टा हो गया है. हम पेशेंट को कहते हैं कि आप हमारे पास हॉस्पिटल में आओ. हमें बताओ क्या डिजीज है. आप का इलाज 80 परसेंट पॉसिबल है. 20 साल में यह चेंज हो गया .

मल्टीपल स्केलेरोसिस के प्रकार

एमएस के तीन मुख्य प्रकार हैं:

रिलैप्सिंग-रिमिटिंग एमएस (आरआरएमएस)– यह एमएस (मल्टीपल स्केलेरोसिस) का सबसे आम प्रकार है. एमएस से पीड़ित लगभग 85% लोगों में यह होता है. इस के साथ आपको रिलैप्स यानी अटैक से जूझना पड़ता जाता है. यदि आपको आरआरएमएस है तो अटैक के दौरान आपके लक्षण बिगड़ने की संभावना बहुत अधिक है.

प्राइमरी प्रोग्रेसिव एमएस (पीपीएमएस)– यदि आपको पीपीएमएस है तो आपके एमएस लक्षण धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं. लेकिन आपको बीमारी के दोबारा उभरने या ठीक होने की कोई खास अवधि नहीं मिलती.

सेकेंडरी-प्रोग्रेसिव एमएस (एसपीएमएस)– एसपीएमएस के साथ आपके लक्षण समय के साथ लगातार बदतर होते जाते हैं.

मल्टीपल स्केलेरोसिस के कारण

कुछ खास जीन वाले लोगों में इसके होने की संभावना ज्यादा हो सकती है.
धूम्रपान करने से भी जोखिम बढ़ सकता है.

कुछ लोगों को वायरल संक्रमण के बाद एमएस हो सकता है क्योंकि इससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य रूप से काम करना बंद कर देती है.

संक्रमण बीमारी को ट्रिगर कर सकता है या बीमारी को फिर से होने का कारण बन सकता है.
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि विटामिन डी, जो आपको सूरज की रोशनी से मिल सकता है, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है और आपको एमएस से बचा सकता है.

मल्टीपल स्केलेरोसिस जोखिम कारक

इसके होने की संभावना अधिक हो सकती है यदि आप:

आप महिला हैं आपकी उम्र 20, 30 या 40 के बीच है धूप में ज्यादा समय न बिताना अंधेरे वातावरण में रहना धुआँ एमएस का पारिवारिक इतिहास होना, इस का बीमारी का डायग्नोसिस कैसे होता है

डायग्नोसिस के लिए सबसे पहले डॉक्टर आप की हिस्ट्री को एनालाइज करता है. आपकी हिस्ट्री को समझता है फिर आपको एग्जामिन करता है फिर उसके बाद कुछ टेस्ट करता है जिसमें ब्रेन का एमआरआई और एक टेस्ट होता है जिसको हम कहते है विजुअल इवोक पोटेंशियल और कई बार रीड की हड्डी के पानी जिसको हम सी एस एफ एग्जामिनेशन कहते हैं वो भी टेस्ट करते हैं.

इस के इलाज में कितना खर्च आता है

डॉक्टर वीरेंद्र सिंह पाल कहते हैं कि इलाज का खर्च इस बात पर डिपेंड करता है कि आप किस स्टेज से इलाज शुरू कर रहे हो, कौन-सी डिजीज में कर रहे हो? जैसे पीपीएमएस डिसीज़ है, प्रोग्रेसिव है इसमें इलाज कई बार लाखों में भी चला जाता है, महंगा हो जाता है. बाकी दूसरा इलाज अगर हम देखें तो अगर साल में आपने 1 या 2 बार ट्रीटमेंट लेना है तो वो इलाज इतना महंगा नहीं पड़ता. अगर हम 1 साल का पीरियड काउंट करे तो कुछ हजार से लाखों में इलाज होता है.

इस तरह परफ्यूम चलेगा लौंग लास्टिक

कैसा लगता है जब बौडी से हर वक्त मनमोहक खुशबू आती है. लेकिन तपती धूप और पसीने भरी गर्मी में परफ्यूम इस्तेमाल करने के बाद भी हर वक्त महकना आसान नहीं है. होता ये है कि परफ्यूम लगाने के 4-5 घंटे बाद ही उस की खुशबू हवा के साथ उड़ जाती है. ऐसा नहीं है कि यह सस्ते परफ्यूम्स के साथ ही होता है, आप महंगे से महंगे परफ्यूम ले लें उन की खुशबू भी चंद घंटों की ही होती है. इसलिए आज हम आप को परफ्यूम के कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप परफ्यूम को अपनी बौडी पर लंबे समय तक टिका सकते हैं. आइये इन तरीकों को जानते हैं.

शॉवर के बाद परफ्यूम

परफ्यूम को हमेशा नहाने के बाद लगाना चाहिए. इस से आप और फ्रेश महसूस करेंगे और आप कापरफ्यूम भी लंबे समय तक टिका रहेगा.

पल्स पॉइंट्स

लंबे समय तक परफ्यूम की महक को बरकरार रखना चाहते हैं, तो आप इसे पल्स पॉइंट्स पर लगा सकते हैं. आप को परफ्यूम अपनी कलाई, कानों के पीछे या गर्दन पर लगाना चाहिए. ऐसा करने से उस की खुशबू पूरी बौडी में फैल जाएगी और लंबे समय तक टिकी रहेगी.

त्वचा को सौफ्ट रखें

ड्राई स्किन पर खुशबू ज्यादा देर तक नहीं टिकती है. परफ्यूम लगाने से पहले अपनी त्वचा पर मॉइश्चराइजर जरूर लगाना चाहिए. मॉइश्चराइजर बौडी में परफ्यूम को लंबे समय तक बनाए रखने में हैल्प करता है.

परफ्यूम को स्प्रे करें, रगड़ें नहीं

अक्सर ऐसा होता है हम एक कलाई पर थोड़ा परफ्यूम स्प्रे करते हैं और फिर उसे दूसरी कलाई से रगड़ने लगते हैं. जबकि करना ऐसा नहीं चाहिए. बल्कि इसे अपनी पसंद के पल्स पॉइंट पर स्प्रे करें और अपने कपड़े पहनने से पहले इस के सूखने का इंतजार करें.

बालों में परफ्यूम

बाल त्वचा की तुलना में परफ्यूम को अधिक समय तक बनाए रख सकते हैं क्योंकि यह छिद्रपूर्ण होता है. इस के लिए आप अपने ब्रश पर थोड़ा सा परफ्यूम स्प्रे करें और इसे अपने बालों में धीरे से कंघी करें. ध्यान रहे कि आप परफ्यूम को डायरेक्ट बालों में न लगाए, इस से आप के बाल डैमेज भी हो सकते हैं.

परफ्यूम को दूर से छिड़के

परफ्यूम को देर तक बौडी में रखने के लिए उसे बौडी या कपड़ों से 6 इंच की दूरी पर रखकर छिड़कें ऐसा करने से परफ्यूम बौडी पर देर तक टिका रहेगा.

परफ्यूम को रखें सही जगह पर

अकसर हम परफ्यूम को खुला छोड़ देते हैं या उसे बहुत ज्यादा लाइट के सामने रख देते हैं. ऐसा करने से बचें. परफ्यूम को हमेशा पैकेट के अंदर ही रखे, ज्यादा लाइट के कारण परफ्यूम की सुगंध कम हो जाती है.

कंपनी का परफ्यूम

आप कौन सी कंपनी का परफ्यूम इस्तेमाल करते हैं, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है. घटिया और सस्ता परफ्यूम ज्यादा देर तक बौडी पर नहीं टिकते है, इसलिए ऐसे परफ्यूम लेने से बचे.

अगर आप इन सभी सुझावों को अपनाते हैं, तो आप का परफ्यूम लौंग लास्टिक चलेगा.

कितने प्रकार के होते हैं डिप्रेशन, जानें इससे कैसे निकलें बाहर

महिलाऐं अपने जीवन में कई तरीके के किरदार निभाती हैं – वो दोस्त होती हैं, मां भी होती हैं, बेटी भी होती हैं, पत्नी भी होती हैं और बहु भी होती हैं और ऐसे ही वे कई कई तरह के किरदार निभाती हैं. जीवन में बहुत सारे ऐसे मौके आते हैं जब कोई बात उनके मन को या हृदय को ठेस पहुंचती है जिसकी वजह से महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि महिलाओं को डिप्रेशन  किस तरह प्रभावित करते हैं और वो इससे कैसे उबर सकती हैं इनके प्रकार क्या है.

डिप्रेशन के प्रकार-

मोटिवेशनल स्पीकर शिवांगमाथुर का कहना है, डिप्रेशन कई तरह के होते हैं, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, पोस्ट परचम डिप्रेशन, प्रे मेंस्ट्रुअल डिप्रेशन जैसे ही कई तरह के मैसिव डिप्रेशन होते हैं जो काफी लम्बे अरसे तक महिलाओं के जीवन में बने रहते हैं. बहुत बार महिलाओं को अपनी निजी ज़िन्दगी के कामों को करते और अपनी अनगिनत ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए ये मालुम ही नहीं पड़ता है की वे डिप्रेशन से जूझ रही हैं. उनके लिए इससे बहार निकल आना काफी कठिन होता है. तो सबसे बड़ा सवाल यह है की महिलाएं किस तरीके से इस डिप्रेशन से बहार आ सकती हैं.

डिप्रेशन से बाहर कैसे निकले-

महिलाओं को ये समझने की बहुत आवश्यकता है की अगर उन्हें ऐसा लगता है की उनके जीवन में खुशियों की कमी है, निराशापन ज़्यादा है, उदासीनता ज़्यादा है, तो किसी भी तरीके से वे यह कोशिश करें की वे इस बारे में अपने करीबी लोगों से, जिन पर उन्हें विश्वास है, उनसे बात करें. वे अपना दुःख उनके साथ बाटें. ऐसा करने से उनका मन हल्का होगा और उनका जो दर्द है वो बहार निकल पाएगा.

मनोचिकित्सक से परामर्श-

इसके अलावा अगर महिलाओं को लगता है की उनका जो डिप्रेशन है वो ज़्यादा लम्बे समय तक चल रहा है तो उन्हें निश्चित तौर पर मेडिकल सहायता लेनी चाहिए. उन्हें एक मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए, उनसे अपनी बाटें बांटनी चाहिए, अपने मन की दशा बतानी चाहिए जिससे वे उन्हें सही सलाह दे सकें और उन्हें डिप्रेशन से बहार आने में सहायता कर सकें. ऐसे चिकित्सकों के पास मन को और दिमाग को शांत करने की थेरेपी होती हैं और वे महिलाओं को उनकी स्थिति के अनुसार दवाइयां दे सकते हैं.

इसके अलावा महिलाऐं अपने दोस्तों से ज़रूर बात करें. वे अपने दोस्त बढ़ाएं, उनके साथ बाहर जाएं. महिलाएं अपने आस पास देखें, अपनी सोसाइटी में देखें की किन लोगों से बात करके उनका मन बहलता है, उनसे बात करके उनको अच्छा महसूस होगा.

इसके अलावा वे अपने परिवार को लेकर या अपने दोस्तों को साथ छुट्टियों पर जा सकती हैं. कुछ दिन रोज़ाना कामों से ब्रेक लेना काफी फायदेमंद होता है. इससे हमारा मन ताज़ा हो जाता है.

स्वयं का रखें ख्याल-

अपने लिए समय निकलना भी बहुत ज़रूर है. महिलाएं खुद का ख्याल रखें, अपनी स्किन का ख्याल रखें, पौष्टिक खाना खाएं, योग करें, कसरत करें, मैडिटेशन करें. निश्चित तौर पर यह चीज़ें आपको सुखद अनुभव देंगी. खुद पर बहुत ध्यान देने से डिप्रेशन जल्दी से जल्दी ठीक हो सकता है.

आमतौर पर हम देखते हैं की पारिवारिक ज़िम्मेदारियों और प्रोफेशनल ज़िम्मेदारियों की वजह से महिलाएं अपने जीवन पर ध्यान देना बंद कर देती हैं, वे ऐसा करना भूल जाती हैं. इसलिए यह बहुत ज़रूरी है की आप अपना ख्याल रखें और अपने मन का भी ख्याल रखें.

हल है न: शुचि ने कैसे की दीप्ति की मदद?

दीप्ति ने भरे मन से फोन उठाया. उधर से चहकती आवाज आई, ‘‘हाय दीप्ति… मेरी जान… मेरी बीरबल… सौरी यार डेढ़ साल बाद तुझ से कौंटैक्ट करने के लिए.’’

‘‘शुचि कैसी है तू? अब तक कहां थी?’’ प्रश्न तो और भी कई थे पर दीप्ति की आवाज में उत्साह नहीं था.

शुचि यह ताड़ गई. बोली, ‘‘क्या हुआ दीप्ति? इतना लो साउंड क्यों कर रही है? सौरी तो बोल दिया यार… माना कि मेरी गलती है… इतने दिनों बाद जो तुझे फोन कर रही हूं पर क्या बताऊं… पता है मैं ने हर पल तुझे याद किया… तू ने मेरे प्यार से मुझे जो मिलाया. तेरी ही वजह से मेरी मलय से शादी हो सकी. तेरे हल की वजह से मांपापा राजी हुए जो तू ने मोहसिन को मलय बनवाया. इस बार भी तू ने हल ढूंढ़ ही निकाला. यार मलय से शादी के बाद तुरंत उस के साथ विदेश जाना पड़ा. डेढ़ साल का कौंट्रैक्ट था. आननफानन में भागादौड़ी कर वीजा, पासपोर्ट सारे पेपर्स की तैयारी की और चली गई वरना मलय को अकेले जाना पड़ता तो सोच दोनों का क्या हाल होता.

‘‘हड़बड़ी में मेरा मोबाइल भी कहीं स्लिप हो गया. तुझ से आ कर मिलने का टाइम भी नहीं था. कल ही आई हूं. सब से पहले तेरा ही नंबर ढूंढ़ कर निकाला है. सौरी यार. अब माफ भी कर दे… अब तो लौट ही आई हूं. किसी भी दिन आ धमकूंगी. चल बता, घर में सब कैसे हैं? आंटीअंकल, नवल भैया और उज्ज्वल?’’ एक सांस में सब बोलने के बाद दीप्ति ने कोई प्रतिक्रिया न दी तो वह फिर बोली, ‘‘अरे, मैं ही तब से बोले जा रही हूं, तू कुछ नहीं कह रही… क्या हुआ? सब ठीक तो है न?’’ शुचि की आवाज में थोड़ी हैरानीपरेशानी थी.

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‘‘बहुत कुछ बदल गया है. शुचि इन डेढ़ सालों में… पापा चल बसे, मां को पैरालिसिस, नवल भैया को दिनरात शराब पीने की लत लग गई. उन से परेशान हो भाभी नन्ही पारिजात को ले कर मायके चली गईं…’’

‘‘और उज्ज्वल?’’

‘‘हां, बस उज्ज्वल ही ठीक है. 8वीं कक्षा में पहुंच गया है. पर आगे न जाने उस का भी क्या हो,’’ आखिर दीप्ति के आंसुओं का बांध टूट ही गया.

‘‘अरे, तू रो मत दीप्ति… बी ब्रेव दीप्ति… कालेज में बीरबल पुकारी जाने वाली, सब की समस्याओं का हल निकालने वाली, दीप्ति के पास अपनी समस्या का कोई हल नहीं है, ऐसा नहीं हो सकता… कम औन यार. यह तेरी ही लाइन हुआ करती थी कभी अब मैं बोलती हूं कि हल है न. चल, मैं अगले हफ्ते आती हूं. तू बिलकुल चिंता न कर सब ठीक हो जाएगा,’’ और फोन कट गया.

डोर बैल बजी थी. दीप्ति ने दुपट्टे से आंसू पोंछे और दरवाजा खोला. रोज का वही चिरपरिचित शराब और परफ्यूम का मिलाजुला भभका उस की नाकनथुनों में घुसने के साथ ही पूरे कमरे में फैल गया. नशे में धुत्त नवल को लादफांद कर उस के 4 दोस्त उसे पहुंचाने आए थे. कुछ कम तो कुछ ज्यादा नशे में डगमगाते हुए अजीब निगाहों से दीप्ति को निहार रहे थे. नवल को सहारा देती दीप्ति उन्हें अनदेखा करते हुए अपनी निगाहें झुकाए उसे ऐसे थामने की कोशिश करती कि कहीं उन से छू न जाए. पर वे कभी जानबूझ कर उस के हाथ पर हाथ रख देते तो किसी की गरम सांसें उसे अपनी गरदन पर महसूस होतीं. कोई उस का कंधा या कमर पकड़ने की कोशिश करता. पर उस के नवल भैया को तो होश ही नहीं रहता, प्रतिरोध कहां से करते. घुट कर रह जाती वह.

पिता के मरने के बाद पिता का सारा बिजनैस, पैसा संभालना नवल के हाथों में आ गया. अपनी बैंक की नौकरी छोड़ वह बिजनैस में ही लग गया. बिजनैस बढ़ता गया. पैसों की बरसात में वह हवा में उड़ने लगा. महंगी गाडि़यां, महंगे शौक, विदेशी शराब के दौर यारदोस्तों के साथ रोज चलने लगे. मां जयंती पति के निधन से टूट चुकी थी. नवल की लगभग तय शादी भी इसी कारण रोक दी गई थी. लड़की लतिका के पिता वागीश्वर बाबू भी बेटी के लिए चिंतित थे. सब ने जयंती को खूब समझाया कि कब तक अपने पति नरेंद्रबिहारी का शोक मनाती रहेंगी. अब नवल की शादी कर दो. घर का माहौल बदलेगा तो नवल भी धीरेधीरे सुधर जाएगा. उसे संभालने वाली आ जाएगी.

सोचसमझ कर निर्णय ले लिया गया. पर शादी के दिन नवल ने खूब तमाशा किया. अचानक हुई बारिश से लड़की वालों को खुले से हटा कर सारी व्यवस्था दोबारा दूसरी जगह करनी पड़ी, जिस से थोड़ा अफरातफरी हो गई. नवल और उस के साथियों ने पी कर हंगामा शुरू कर दिया. नवल ने तो हद ही कर दी. शराब की बोतल तोड़ कर पौकेट में हथियार बना कर घुसेड़ ली और बदइंतजामी के लिए चिल्लाता गालियां निकालता जा रहा था, ‘‘बताता हूं सालों को अभी… वह तो बाबूजी ने वचन दे रखा था वरना तुम लोग तो हमारे स्टैंडर्ड के लायक ही नहीं थे.’’

मां जयंती शर्मिंदा हो कर कभी उसे चुप रहने को कहतीं तो कभी वागीश्वर बाबू से क्षमा मांगती जा रही थीं.

दुलहन बनी लतिका ने आ कर मां जयंती के जोड़े हाथ पकड़ लिए, ‘‘आंटी, आप यह क्या कर रही हैं? ऐसे आदमी के लिए आप क्यों माफी मांग रही हैं? इन का स्तर कुछ ज्यादा ही ऊंचा हो गया है. मैं ही शादी से इनकार करती हूं.’’

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बहुत समझाबुझा कर स्थिति संभाली गई और लतिका बहू बन कर घर आ गई. पर वह नवल की आदतें न सुधार सकी. बेटी हो गई. फिर भी कोई फर्क न पड़ा. 2 सालों में स्थिति और बिगड़ गई. शराब की वजह से रोजरोज हो रही किचकिच से तंग आ कर लतिका अपनी 1 साल की बेटी पारिजात उर्फ परी को ले कर मायके चली गई. इधर मां जयंती को पैरालिसिस का अटैक पड़ा और वे बिस्तर पर आंसू बहाने के सिवा कुछ न कर सकीं.

होश में रहता नवल तो अपनी गलती का उसे एहसास होता. वह मां, दीप्ति, उज्ज्वल सभी से माफी मांगता. पर शाम को न जाने उसे क्या हो जाता. वह दोस्तों के साथ पी कर ही घर लौटता.
‘‘उज्ज्वल के बारे में नहीं सोचता तू नवल. बड़ा भाई है, घर में जवान बहन दीप्ति है. उस की शादी नहीं करनी क्या? कैसेकैसे दोस्त हैं तेरे? किस हालत में घर आता है? छोड़ क्यों नहीं देता उन्हें?’’ जयंती कभी धीरेधीरे बोल पातीं.

‘‘हजार बार कहा उन्हें कुछ मत कहिए मां. उन्होंने बाबूजी का बिजनैस संभालने में बहुत मदद की है वरना मुझे आता ही क्या था. उन्हीं सब की वजह से बिजनैस में इतनी जल्दी इतनी तरक्की हुई है.’’

वह भड़क उठता, ‘‘वे सब ऐसेवैसे थोड़े ही हैं. अच्छे घरों के हैं. थोड़ा तो सभी पीते हैं. आजकल वे सब कंट्रोल में रहते हैं. मुझे ही जरा सी भी चढ़ जाती है. कल से नहीं पीऊंगा. वे सभी तो उज्ज्वल को अपना छोटा भाई और दीप्ति को छोटी बहन मानते हैं… और आप क्या बातें करती हैं मां कि…’’ वह आगबबूला होने लगता.

दीप्ति कुछ कहने को होती तो नवल उसे भी झिड़क देता. उज्ज्वल भी सहम जाता. घर का सारा दारोमदार नवल पर था. दीप्ति अपना बीएड का कोर्स पूरा कर रही थी और उज्ज्वल 8वीं की परीक्षा की तैयारी. दोनों नवल के कुछ देर बाद शांत हो जाने पर अपनेअपने काम में अपने को व्यस्त कर लेते.

मां की अनुभवी आंखें हर वक्त नवल के दोस्तों का सच ही बयां करती रहती हैं. पर भैया को दिखता ही नहीं. कितनी बार उस ने नवल के दोस्तों की गंदी नजरें, गंदी हरकतें झेली हैं. नवल को थमाने के बहाने वे कहांकहां उसे छूने की कोशिश नहीं करते… कैसे भैया को विश्वास दिलाए… वे अपने दोस्तों के खिलाफ कुछ भी मानने को तैयार नहीं होते. उलटा उसे झाड़ देते. दीप्ति की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. आंसू निकलने लगते तो बाथरूम में बंद हो जी भर कर रो लेती.

शुचि अगले हफ्ते सच में आ धमकी. उस के गले लग कर दीप्ति खूब रोई और फिर अपना सारा दुख उसे बताया.

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शुचि ने नम आंखों से उसे धैर्य बंधाया, ‘‘दीप्ति सब सही हो जाएगा… हल है न. मैं तेरी ही जबान कह रही हूं… हार थोड़े ही मानते हैं ऐसे… चल, अब बहुत हो गया. आंसू पोंछ और हंस दे.

‘‘याद है जब मैं ने तुझे ‘गुटका खाए सैंया हमार’ वाली प्रौब्लम बताई थी तो तू ने जो मजाकमजाक में हल निकाला था तो वह बड़े काम का निकला था. मैं ने उस के अनुसार एक शादी में मलय की जेब में रखी गुटके की लड़ी को कंडोम की लड़ी में बदल दिया. फिर जब शादी में मलय ने जेब से गुटका निकाला तो पूरी कंडोम की लड़ी जेब से लटक गई. फिर

क्या था. यह देख लोग तो हंसहंस कर लोटपोट हो गए, मगर मलय बुरी तरह झेंप गए. उस दिन से उस ने जेब में गुटका रखना छोड़ दिया था. फिर तेरी ही सलाह पर हम उसे नशा मुक्ति केंद्र ले गए थे. धीरेधीरे मलय का गुटका खाने की लत छूट गई थी,’’ दीप्ति के आंसू रुके देख शुचि मुसकराई.

फ्रैश हो कर शुचि ने अपना बैग खोला और दीप्ति को दिखाते हुए बोली, ‘‘यह देख विदेश से तेरे लिए क्या लाई हूं. हैंडी वीडियो कैमरा.’’

‘‘इतना महंगा… क्या जरूरत थी इतना खर्च करने की?’’ दीप्ति ने प्यार से डांटा.

‘‘हूं, क्या जरूरत है,’’ कह शुचि ने उसे मुंह चिढ़ाया, ‘‘बकवास बंद कर और इस का फंक्शन देख क्या बढि़या वीडियो लेता है.’’

‘‘मेरी दीदी कितना बढि़या वीडियो कैमरा लाई हैं,’’ उज्ज्वल स्कूल से आ गया था.

‘‘हाय उज्ज्वल… कितना लंबा हो गया,’’ शुचि ने प्यार से उसे अपनी ओर खींचा.

‘‘मैं कपड़े चेंज कर के आता हूं दीदी. तब मेरा ब्रेक डांस करते हुए वीडियो बनाना,’’ कह वह चला गया.

‘‘मैं तो सोच रही हूं इस से तेरी समस्या का हल भी हो जाएगा.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘रात में भैया जब दोस्तों के साथ आएगा तो हम छिप कर सब शूट कर के सुबह टीवी से अटैच कर उन्हें पूरा वीडियो दिखा देंगे. तब वे अपने दोस्तों की ओछी हरकतों से वाकिफ हो जाएंगे. दोस्तों की असलियत जान कर वे उन्हें छोड़ेंगे नहीं.’’

रात के 10 बज रहे थे. शुचि और उज्ज्वल सीक्रेट ऐजेंटों की तरह परदे की आड़ में सही जगह पर कैमरा लिए तैयार खड़े थे. तभी घंटी बजी तो दीप्ति ने दम साधे दरवाजा खोला. रोज का सीन शुरू हो गया. शुचि ने डोरबेल बजते ही रिकौर्डर औन कर लिया था.

‘‘अरे, लो भई संभालो अपने भाई को सहीसलामत घर तक ले आए.’’

‘‘अरे हमें भी तो थाम लो भई,’’ उन में से एक बोला.

‘‘हम इतने भी बुरे नहीं चुन्नी तो संभालो अपनी,’’ कह एक चुन्नी ठीक करने लगा तो एक बहाने से उस की कमर में हाथ डालने लगा.

एक के हाथ उस के बाल और गाल सहलाने की कोशिश में थे, ‘‘ये तुम्हारे गालों पर क्या लग गया जानू,’’ वैसी ही बेहूदा हरकतें… सोफे पर एक ओर लेटे नवल को कोई होश न था कि उस के ये दोस्त उस की बहन के साथ क्या कर रहे हैं.

‘‘थोड़ी नीबू पानी हमें भी पिला दो दीपू… तुम्हें देख कर तो हमारा नशा भी गहरा हो रहा है.’’

दीप्ति उज्ज्वल के हाथ से पानी का गिलास ले कर नवल को पिलाने की कोशिश कर रही थी. उन में से एक दीप्ति से सट कर बैठ गया. दीप्ति ने उसे धक्का दे कर हटाने की कोशिश की.

‘‘डरती क्यों हो दीपू. हम तुम्हें खा थोड़े ही जाएंगे. जा बच्चे पानी बना ला हम सब के लिए,’’ कह वह दीप्ति के माथे पर झूल आई घुंघराली लट को फूंक मारने लगा.

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‘‘पहले आप दीदी के पास से उठो.’’ उज्ज्वल उसे खींचने लगा तो उस आदमी ने उसे परे धकेल दिया.

शुचि का मन किया कि कैमरा वहीं पटक जा कर तमाचे रसीद कर दे… कैसे रोजरोज बरदाश्त कर रही है दीप्ति ये सब… हद होती है किसी भी चीज की. ‘पुलिस को कौल करती हूं तो नवल भैया भी अंदर होता. क्या करें,’ शुचि सोच रही थी, फिर उस ने यह सोच कैमरा एक ओर रखा और हिम्मत कर के बाहर आ गई कि धमका तो सकती ही है उन्हें. प्रूफ भी ले लिया. फिर कड़कती आवाज में चीखते हुए बोली, ‘‘क्या बदतमीजी हो रही है? शर्म नहीं आती?
नवल भैया के दोस्त हो कर तुम सब छोटी बहन से ऐसी हरकतें कर रहे हो? आंटी बिस्तर से उठ नहीं सकतीं, उज्ज्वल छोटा है और भैया होश में नहीं… इस सब का फायदा उठा रहे हो… गैट आउट वरना अभी पुलिस को कौल करती हूं. यह रहा 100 नंबर,’’ मोबाइल स्क्रीन पर रिंग भी होने लगी. उस ने स्पीकर औन कर दिया.

रिंग सुनाई पड़ते ही सब नौ दो ग्याह हो लिए. तब उज्ज्वल ने लपक कर दरवाजा बंद कर दिया. शुचि ने फोन काट दिया. अचानक फिर फोन बज उठा, ‘‘हैलो पुलिस स्टेशन.’’

‘‘सौरी… सौरी सर गलती से दब गया था. थैंक्यू.’’

‘‘ओके,’’ फोन फिर कट गया. उस के बाद तीनों नवल को उस के बिस्तर तक पहुंचाने की कोशिश में लग गए.

सुबह करीब सात बजे नवल जागा. सिर अभी भी भारी था. उस ने अपना माथा सहलाया, ‘‘कल रात कुछ ज्यादा ही हो गई थी. थैंक्स राजन, विक्की, सौरभ और राघव का जो उन्होंने मुझे फिर घर पहुंचा दिया सहीसलामत.’’

उन्हें थैंक्स कहने के लिए नवल मोबाइल उठाया ही था कि शुचि सामने आ गई.

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‘‘अरे शुचि, तू कब आई? अचानक कहां चली गई थी तू? मोहसिन क्या मिल गया हम सब को ही भूल गई,’’ वह दिमाग पर जोर दे कर मुसकराया.

‘‘नमस्ते भैया. मैं मोहसिन नहीं मलय के साथ विदेश चली गई थी. डेढ़ साल के लिए… पर आप तो यहां रह कर भी यहां नहीं रहते… अपने घरपरिवार को ही जैसे भूल गए हैं.’’

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘बहुत बुरा लगा सब बदलाबदला देख कर… अंकल नहीं रहे, आंटी बैड पर हो गईं, भाभी परी को ले कर मायके चली गईं और आप…’’

‘‘हां शुचि वक्त ऐसे ही बदलता है… एक मिनट मैं ब्रश कर के आता हूं तू बैठ.’’

दीप्ति वहीं चाय ले कर चली आई थी. बाथरूम से जब नवल आया तब तक शुचि कैमरा उस के टीवी से अटैच कर चुकी थी. उस ने रिमोट नवल के हाथों में थमाते हुए कहा, ‘‘आप औन कर के देखो भैया, इस कैमरे से बहुत अच्छी वीडियो बनाया है. यह कैमरा दीप्ति के लिए विदेश से लाई हूं… मैं अभी आई भैया आप तब तक देखो.’’ और दोनों अंदर चली गईं.

‘‘वैरी गुड,’’ कह कर नवल तकिए के सहारे बैठ गया. और टीवी औन कर के चाय का कप उठाने लगा.

वीडियो चल पड़ा था. उस की नजर स्क्रीन पर गई, ‘अरे यह तो मैं, मेरे दोस्त मेरा ही वीडियो… ड्राइंगरूम… वही कपड़े यानी कल… वह वीडियो देखता गया और गुस्से और शर्म से भरता चला गया. छि… मैं उन्हें अपना अच्छा दोस्त समझता था… वे मेरी बहन दीप्ति के साथ शिट… शिट…’ उसे दोस्तों से ज्यादा अपनेआप पर क्रोध आने लगा. वह दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक अपनी शर्म और गुस्सा छिपाने का प्रयास करने लगा.

तभी शुचि आ गई. वीडियो खत्म हो चुका था.

‘‘भैया… भैया,’’ कह कर उस ने नवल के चेहरे से उस के हाथ हटा दिए, ‘‘दीप्ति और आंटी के लाख कहने पर भी आप अपने दोस्तों की असलियत जाने बिना उन के खिलाफ कुछ नहीं सुनते थे, इसलिए मुझे यह करना पड़ा… सौरी भैया.’

‘‘अरे तू सौरी क्यों बोल रही है… गलती तो मेरी है ही और वह भी इतनी बड़ी… सही किया जो मेरी आंखें खोल दीं. कितना जलील किया है मैं ने दीप्ति को. उज्ज्वल पर भी क्या असर पड़ता होगा और मां को तो मैं इस हालत में भी मौत की ओर ही धकेले जा रहा होऊंगा. शराब ने मुझे इतना गिरा दिया कि अपनों को छोड़ मैं गैरों पर विश्वास करने लगा. उन्हीं के बहकावे में मैं ने लतिका को भी घर से जाने के लिए मजबूर कर दिया. वह मेरी नन्ही परी को ले कर चली गई. वह सिसक उठा. रोज सुबह सोचता हूं नहीं पीऊंगा अब से पर कमबख्त लत है कि छूटती नहीं… शाम होतेहोते मैं… उफ,’’ उस का चेहरा फिर उस की हथेलियों में था.

‘‘छूटेगी जरूर भैया, अगर आप मन में ठान लें… चलेंगे भैया?’’

पूछने के अंदाज में उस ने सिर उठाया, ‘‘कहां?’’

‘‘चलिए आज ही चलिए भैया जहां मैं अपने मियांजी को ले गई थी उन के गुटके की आदत को छुड़वाने के लिए. मेरे घर के पास ही तो है नशामुक्ति केंद्र. मेरे कुलीग के भाई अमन हवां के हैड बन गए हैं,’’ कह कर वह मुसकराई थी, ‘‘चलेंगे न भैया.’’

नवल ने हां में सिर हिलाया, तो पास खड़ी दीप्ति नवल से लिपट खुशी से रो पड़ी. नवल ने उस के सिर पर हाथ फेरा और सीने से लगा लिया. शुचि भी नम आंखों से मुसकरा उठी.

शुचि की शादी की वर्षगांठ पर दीप्ति उस के घर आई थी.

‘‘अब तो नवल भैया ठीक हो गए हैं… अब उदास क्यों है? तेरी भाभी को भी अब जल्दी लाना होगा. तभी तो मैं अपनी भाभी को ला पाऊंगी… पर तू हां तो कर पहले.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यह तू अमन को पसंद है. मैं ने बहुत पहले अमन से तेरा गुटका बदलने वाला उपाय शेयर किया था तो वे खूब हंसे थे. और तभी से वे तुम से यानी बीरबल से मिलना चाहते थे. वे भी आए हैं मिलेगी उन से?’’

 

‘‘तू पागल है क्या?’’ दीप्ति के लाज और संकोच से कान लाल हो उठे.

तभी अमन को वहां से गुजरते देख शुचि बोली, ‘‘अमन, अभीअभी मैं आप को ही याद कर रही थी… आप मिलना चाहते थे न मेरी बीरबल दोस्त से… यही है वह मेरी प्यारी दोस्त दीप्ति…’’

दीप्ति नमस्ते कर नजरें झुकाए खड़ी थी. अमन से नजरें मिलाने का साहस उस में न था. उस ने महसूस किया, अमन मंदमंद मुसकरा रहा है. सच जानने के लिए उस की पलकें अपनेआप उठीं फिर झुक गईं. अमन कभी दीप्ति को देखता तो कभी शुचि को और फिर मंदमंद मुसकराए जा रहा था. दीप्ति की धड़कनें तेज होने लगी थीं.

‘‘अरे अमन अब कुछ बोलो भी.’’

शुचि दीप्ति से अमन की ओर इशारा करते हुए बोली, ‘‘अब बता बनेगी मेरी भाभी?’’

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अमन ने खुशी को छिपाते हुए बनावटी गुस्से से शुचि को आंख तरेरीं तो उधर दीप्ति ने भी शरमा कर आंखें झुका लीं. शुचि के मुंह से अमन की तारीफें सुन कर और अपने भैया को ठीक करने वाले अमन को साक्षात देख कर वह पहले ही प्रभावित थी.

‘‘वाह, अब जल्दी से आंटी को खुशी की यह खबर देनी होगी,’’ कह कर शुचि ने दीप्ति को बांहों में भर लिया.

Summer Special: हेयर कलर ऐसा हो जो आप पर फबे

यदि आप भी चाहती हैं अपने बालों को रंगना, लेकिन ब्यूटीपार्लर जाने के बजाय आप स्वयं ही बाल रंगना चाहती हैं तो ध्यान रखिए कि कलर आप की उम्र, व्यवसाय और जीवनशैली से भी मेल खाए. और हां, आप के बालों में कलर तभी फबेगा जब आप उसे अपनी स्किन को ध्यान में रख कर लगाएंगी. यहां हम आप को बता रहे हैं कि आप कैसे कलर करें:

शेड्स को मिला कर लगाएं

यदि आप बालों में चमक चाहती हैं तो 2 शेड्स को मिला कर लगाएं यानी बेस कलर के साथ हाई लाइट या लो लाइट का मेल. फेस फ्रेमिंग हाई लाइटर वास्तव में चेहरे पर रंगत ला देते हैं और बालों को ट्रैंडी दिखाते हैं. बालों की सब से ऊपर वाली परत के नीचे गहरा लो लाइट कर के आप बालों को घना बना सकती हैं.

हाई लाइट

इन्हें स्ट्रीक्स कहा जाता है. मध्यम भूरे से गहरे भूरे बालों के लिए बेस कलर से ही एक या 2 टोन हलका शेड चुनें. जैसे लाइट ब्राउन लुक के लिए चेहरे के इर्दगिर्द बालों की पहली परत के आधे इंच को 5 से 8 भागों में बांटें, इन्हें फौइल में लपेट कर पिन लगा लें. बाकी बालों पर बेस कलर लगाएं. फिर एक कट के हर भाग पर हलका रंग कर दें.

लो लाइट

जिन के बालों का रंग हलका है उन पर यह फबेगा. अब बालों का लुक ही चेंज कर देता है. सारे बालों पर बेस कलर लगाएं. अब बालों की ऊपरी परत पर पिन लगा लें. निचली परत को 1 इंच के 5 से 8 भागों में बांट दें और इन पर गहरा रंग लगा लें. आप को मिलेगा एक प्रोफैशनल लुक.

इस तरह लगाएं कलर

बालों की जड़ें: सिरों की तुलना में बालों की जड़ें प्राकृतिक रूप में ज्यादा गहरे रंग की होती हैं. इसलिए उन की ओर ध्यान दें. जड़ों की ओर से रंग लगाना शुरू करें और बीच की लंबाई तक जाएं. रंग लगाने के कुछ देर बाद कंघी करें ताकि बाकी के बालों पर प्राकृतिक शेड आए. साफ पानी से सिर को धोएं. रंग लगाने के 24 घंटे बाद शैंपू करें. कलर से शाइन लाएं: कलर चमकदार लगे, इस के लिए प्री कलर हेयर थेरैपी करवाएं. बाल रंगने से 2 दिन पहले हेयर स्पा ट्रीटमैंट लें. इस से बाल नरम रहेंगे और क्षतिग्रस्त नहीं होंगे.

कलर्स वाले बालों की देखभाल

शैंपू: रंगीन बालों के लिए तैयार विशेष शैंपू ही चुनें. ये ज्यादा नमी देने वाले होते हैं.

कंडीशनर: कलर बालों के लिए बना कंडीशनर लें. इस में सिलिकोन कंपाउंड ज्यादा होते हैं, जो बालों को सुरक्षित रखते हैं.

मास्क लगाएं: सप्ताह में एक बार डीप कंडीशनिंग ट्रीटमैंट भी लें और विटामिन बी 5 वाला हेयर मास्क लगाएं.

Summer Special: घर में बनाएं ये हैल्दी फ्रूट आइसक्रीम

इन दिनों सूरज की तपिश अपने चर्मोत्कर्ष पर है, बच्चों के ग्रीष्मकालीन अवकाश भी प्रारम्भ हो चुके हैं. गर्मियों में आइसक्रीम बच्चे बड़े सभी को बहुत पसंद आती है. यूं तो बाजार में भी भांति भांति के फ्लेवर की आइसक्रीम उपलब्ध है परन्तु बाजार की आइसक्रीम जहां काफी महंगी होती है वहीं घर पर बनी आइसक्रीम काफी सस्ती तो पड़ती ही है साथ ही हाइजिनिक और पौष्टिक भी होती है क्योंकि इसे आप अपने बच्चों के टेस्ट के अनुसार बना सकती हैं. आज हम आपको फलों से बनने वाली कुछ आइसक्रीम बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप बड़ी आसानी से बनाकर अपने बच्चों को खिला सकतीं हैं. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है.

-लीची आइसक्रीम

कितने लोगों के लिए                 4

बनने में लगने वाला समय           20 मिनट

मील टाइप                              वेज

सामग्री

बारीक टुकड़ो में कटी लीची         10-12

ताजी क्रीम                                 1 कप

शकर                                      1/2 कप

बारीक कटी मेवा                    2 टेबलस्पून

विधि

शकर में क्रीम मिलाकर 10 से 15 मिनट तक फेंटें. फेंटी हुई क्रीम में लीची के टुकड़े और मेवा मिलाएं. अब मिश्रण को एक डिश में डालकर फ्रीजर में जमने के लिए रख दें. जब यह हल्की सी जम जाए तो फ्रीजर से निकालकर पुनः एक बार अच्छी तरह बीटर से फेंटकर जमा दें. 6-7 घण्टे बाद गार्निश करके सर्व करें.

-पान गुलकंद आइसक्रीम

कितने लोगों के लिए              6

बनने में लगने वाला समय       20 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

सौंफ                       3 टीस्पून

सूखा नारियल           2 टीस्पून

गुलकंद                    2 टीस्पून

छोटी इलायची          8

पान के पत्ते               3

काजू                         10

खजूर                         5

क्रीम                          2 कप

शहद                        2 टेबलस्पून

पिसी शकर               2 टीस्पून

हरा फ़ूड कलर            2 बून्द

विधि

मिक्सी में पान के पत्ते, सौंफ, नारियल, गुलकंद और सभी मेवा डालकर बिना पानी के पीस लें. अब इस पिसे मिश्रण में क्रींम, हरा फ़ूड कलर, डालकर फिर से ग्राइंड कर लें. तैयार मिश्रण को किसी भी कंटेनर में डालकर फ्रिज में जमा दें. ऊपर से ड्राय फ्रूट से गार्निश करके सर्व करें.

-योगर्ट फ्रूट ग्रेनोला आइसक्रीम

कितने लोगों के लिए             4

बनने में लगने वाला समय      20 मिनट

मील टाइप                         वेज

सामग्री

वनीला दही                 1 कप

ग्रेनोला बार                  1

कुछ ताजे कटे फल      1/2 कप

पप्सिकल मोल्ड्स           4

आइसक्रीम स्टिक         4

विधि

पाप्सिकल मोल्ड्स के अंदर थोड़ी सी योगर्ट डालकर कटे फल और थोड़ी सी ग्रेनोला डालें. अब आइसक्रीम स्टिक को मोल्ड के बीच में रखें और 6-7 घण्टे फ्रिज में जमाकर सर्व करें.

-पालक प्यूरी आइसक्रीम

कितने लोगों के लिए              6

बनने में लगने वाला समय       20 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

पालक की छनी हुई प्यूरी            1/2कप

व्हिपड क्रीम                             1/2 कप

कन्डेन्स्ड मिल्क                         1/2 कप

बारीक कटे पिस्ता                   1 टीस्पून

वनीला एसेंस                          2-3बून्द

हरा रंग                                  चुटकी भर

विधि

एक ठण्डे बाउल में व्हिपड क्रीम डालकर 5 मिनट तक धीमी स्पीड पर ब्लेंड करें. कन्डेन्स्ड मिल्क डालकर फिर से मध्यम स्पीड  पर बीट करें. पालक प्यूरी, वनीला एसेंस, और हरा रंग डालकर फिर से 5 मिनट तक बीट करें. कटे पिस्ता के टुकड़े डालकर फ्रीजर में 6-7 घण्टे जमकर सर्व करें.

शर्वरी: बेटी की ननद को क्यों अपने घर ले आई महिमा

‘‘ओशर्वरी, इधर तो आ. इस तरह कतरा कर क्यों भाग रही है,’’ महिमा ने कांजीवरम साड़ी में सजीसंवरी शर्वरी को दरवाजे की तरफ दबे कदमों से खिसकते देख कर कहा था. ‘‘जी,’’ कहती, शरमातीसकुचाती शर्वरी उन के पास आ कर खड़ी हो गई.

‘‘क्या बात है? इस तरह सजधज कर कहां जा रही है?’’ महिमा ने पूछा. ‘‘आज डा. निपुण का विदाई समारोह है न, मांजी, कालेज में सभी अच्छे कपड़े पहन कर आएंगे. मैं ऐसे ही, सादे कपड़ों में जाऊं तो कुछ अजीब सा लगेगा,’’ शर्वरी सहमे स्वर में बोली. ‘‘तो इस में बुरा क्या है, बेटी. तेरी गरदन तो ऐसी झुकी जा रही है मानो कोई अपराध कर दिया हो. इस साड़ी में कितनी सुंदर लग रही है, हमें भी देख कर अच्छा लगता है. रुक जरा, मैं अभी आई,’’ कह कर महिमा ने अपनी अलमारी में से सोने के कंगन और एक सुंदर सा हार निकाल कर उसे दिया. ‘‘मांजी…’’ उन से कंगन और हार लेते हुए शर्वरी की आंखें डबडबा आई थीं. ‘‘यह क्या पागलपन है. सारा मुंह गंदा हो जाएगा,’’ मांजी ने कहा. ‘‘जानती हूं, पर लाख चाहने पर भी ये आंसू नहीं रुकते कभीकभी,’’ शर्वरी ने खुद पर संयम रखने का प्रयास करते हुए कहा. शर्वरी ने भावुक हो कर हाथों में कंगन और गले में हार डाल लिया.

‘‘कैसी लग रही हूं?’’ अचानक उस के मुंह से निकल पड़ा. ‘‘बिलकुल चांद का टुकड़ा, कहीं मेरी नजर ही न लग जाए तुझे,’’ वह प्यार से बोलीं. ‘‘पता नहीं, मांजी, मेरी अपनी मां कैसी थी. बस, एक धुंधली सी याद शेष है, पर मैं यह कभी नहीं भूलूंगी कि आप के जैसी मां मुझे मिलीं,’’ शर्वरी भावुक हो कर बोली. ‘‘बहुत हो गई यह मक्खनबाजी. अब जा और निपुण से कहना, मुझ से मिले बिना न चला जाए,’’ उन्होंने आंखें तरेर कर कहा. ‘‘जी, डा. निपुण तो खुद ही आप से मिलने आने वाले हैं. उन की माताजी आई हैं. वह आप से मिलना चाहती हैं,’’ कहती हुई शर्वरी पर्स उठा कर बाहर निकल गई थी.

इधर महिमा समय के दर्पण पर जमी अतीत की धूल को झाड़ने लगी थीं. वह अपनी बेटी नूपुर के बेटा होने के मौके पर उस के घर गई थीं. वह जा कर खड़ी ही हुई थी कि शर्वरी ने आ कर थोड़ी देर उन्हें निहार कर अचानक ही पूछ लिया था, ‘आप लोग अभी नहाएंगे या पहले चाय पिएंगे?’ वह कोई जवाब दे पातीं उस से पहले ही नूपुर, शर्वरी पर बरस पड़ी थीं, ‘यह भी कोई पूछने की बात है? इतने लंबे सफर से आए हैं तो क्या आते ही स्नानध्यान में लग जाएंगे? चाय तक नहीं पिएंगे?’ ‘ठीक है, अभी बना लाती हूं,’ कहती हुई शर्वरी रसोईघर की तरफ चल दी. ‘और सुन, सारा सामान ले जा कर गैस्टरूम में रख दे. अंकुश का रिकशे वाला आता होगा. उसे तैयार कर देना. नाश्ते की तैयारी भी कर लेना…’

‘बस कर नुपूर. इतने काम तो उसे याद भी नहीं रहेंगे,’ महिमा ने मुसकराते हुए कहा. ‘मां, आप नहीं जानती हैं इसे. यह एक नंबर की कामचोर है. एक बात कहूं मां, पिताजी ने कुछ भी नहीं देखा मेरे लिए. पतिपत्नी कैसे सुखचैन से रहते हैं, मैं ने तो जाना ही नहीं, जब से इस घर में पैर रखा है मैं तो देवरननद की सेवा में जुटी हूं,’ अब नूपुर पिताजी की शिकायत करने लगी. ‘ऐसे नहीं कहते, अंगूठी में हीरे जैसा पति है तेरा. इतना अच्छा पुश्तैनी मकान है. मातापिता कम उम्र में चल बसे तो भाईबहन की जिम्मेदारी तो बड़े भाईभाभी पर ही आती है,’ महिमा ने समझाते हुए कहा. ‘वही तो कह रही हूं. यह सब तो देखना चाहिए था न आप को. भाई की पढ़ाई का खर्च, फिर बहन की पढ़ाई. ऊपर से उस की शादी के लिए कहां से लाएंगे लाखों का दहेज,’ नूपुर चिड़चिड़े स्वर में बोली थी. ‘ठीक है, यदि मैं सबकुछ देख कर विवाह करता और बाद में सासससुर चल बसते तो क्या करतीं तुम?’ अभिजीत भी नाराज हो उठे थे.

महिमा ने उन्हें शांत करना चाहा. बेटी और पति के स्वभाव से वह अच्छी तरह परिचित थीं और उन के भड़कते गुस्से को काबू में रखने के लिए उन्हें हमेशा ठंडे पानी का कार्य करना पड़ता था. तभी चाय की ट्रे थामे शर्वरी आई थी. साथ ही नूपुर के पति अभिषेक ने वहां आ कर उस गरमागरम बहस में बाधा डाल दी थी. चाय पीते हुए भी महिमा की आंखें शर्वरी का पीछा करती रहीं. उस ने फटाफट अंकुश को तैयार किया,उस का टिफिन लगाया, अभिषेक को नाश्ता दिया और महिमा और उन के पति के लिए नहाने का पानी भी गरम कर के दिया. महिमा नहा कर निकलीं तो उन्होंने देखा कि शर्वरी सब्जी काट रही थी. वह बोलीं, ‘अरे, अभी से खाने की क्या जल्दी है, बेटी. आराम से हो जाएगा.’

‘मांजी, मैं सोच रही थी, आज कालेज चली जाती तो अच्छा रहता. छमाही परीक्षाएं सिर पर हैं. कालेज न जाने से बहुत नुकसान होता है,’ शर्वरी जल्दीजल्दी सब्जी काटते हुए बोली. ‘तुम जाओ न कालेज. मैं आ गई हूं, सब संभाल लूंगी. इस तरह परेशान होने की क्या जरूरत है. मुझे पता है, इंटर की पढ़ाई में कितनी मेहनत करनी पड़ती है,’ महिमा ने कहा. उन की बात सुन कर शर्वरी के चेहरे पर आई चमक, उन्हें आज तक याद है. कुछ पल तक तो वह उन्हें एकटक निहारती रह गई थी, फिर कुछ इस तरह मुसकराई थी मानो बहुत प्यासे व्यक्ति के मुंह में किसी ने पानी डाल दिया हो. दोनों के बीच इशारों में बात हुई व शर्वरी लपक कर उठी और तैयार हो कर किताबों का बैग हाथ में ले कर बाहर आ गई थी. ‘तो मैं जाऊं, मांजी?’ उस ने पूछा. ‘कहां जा रही हैं, महारानीजी?’ तभी नूपुर ने वहां आ कर पूछा. ‘कालेज जा रही है, बेटी,’ शर्वरी कुछ कहती उस से पहले ही महिमा ने जवाब दे दिया. ‘मैं ने कहा था न, एक सप्ताह और मत जाना,’ नूपुर ने डांटने के अंदाज में कहा. ‘जाने दे न नूपुर, कह रही थी, पढ़ाई का नुकसान होता है,’

महिमा ने शर्वरी की वकालत करते हुए कहा. ‘ओह, तो आप से शिकायत कर रही थी. कौन सी पीएचडी कर रही है? इंटर में पढ़ रही है और वह भी रोपीट कर पास होगी,’ नूपुर ने व्यंग्य के लहजे में कहा. महिमा का मन हुआ कि वे नूपुर को बताएं कि जब वह स्कूल में पढ़ती थी तो उसे कैसे सबकुछ पढ़ने की टेबल पर ही चाहिए होता था और तब भी वह उसी के शब्दों में ‘रोपीट कर’ ही पास होती थी, या नहीं भी होती थी, पर स्थिति की नजाकत देख कर वे चुप रह गई थीं. अभिजीत तो 2 दिन बाद ही वापस चले गए थे पर उन्हें नूपुर के पूरी तरह स्वस्थ होने तक वहीं उस की देखभाल को छोड़ गए थे. शर्वरी दिनभर घर के कार्यों में हाथ बंटा कर अपनी पढ़ाई भी करती और नूपुर की जलीकटी भी सुनती, पर उस ने कभी भी कुछ न कहा. अभिषेक अपने काम में व्यस्त रहता या व्यस्त रहने का दिखावा करता.

छोटे भाई रोहित ने, शायद नूपुर के स्वभाव से ही तंग आ कर छात्रावास में रह कर पढ़ने का फैसला किया था. वह मातापिता की चलअचल संपत्ति पर अपना हक जताता तो नूपुर सहम जाती थी, पर अब सारा गुस्सा शर्वरी पर ही उतरता था. कभीकभी महिमा को लगता कि सारा दोष उन का ही है. वे उसे दूसरों से शालीन व्यवहार की सीख तक नहीं दे पाई थीं. बचपन से भी वह अपने तीनों भाईबहनों में सब से ज्यादा गुस्सैल स्वभाव की थी और बातबात पर जिद करना और आपे से बाहर हो जाना उस के स्वभाव का खास हिस्सा बन गए थे. कुछ दिन और नूपुर के परिवार के साथ रह कर महिमा जब घर लौटीं तो उन के मन में एक कसक सी थी. वे चाह कर भी नूपुर से कुछ नहीं कह सकी थीं. 2 महीने तक साथ रह कर शर्वरी से उन का अनाम और अबूझ सा संबंध बन गया था. कहते हैं, ‘मन को मन से राह होती है,’

पहली बार उन्होंने इस कथन की सचाई को जीवन में अनुभव किया था, पर संसार में हर व्यक्ति को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है और वे चाह कर भी शर्वरी के लिए कुछ न कर पाई थीं. पर अचानक ही कुछ नाटकीय घटना घट गई थी. अभिषेक को 2 साल के लिए अपनी कंपनी की तरफ से जरमनी जाना था. शर्वरी को वह कहां छोड़े, यह समस्या उस के सामने मुंहबाए खड़ी थी. दोनों ने पहले उसे छात्रावास में रखने की बात भी सोची पर जब महिमा ने शर्वरी को अपने पास रखने का प्रस्ताव रखा तो दोनों की बांछें खिल गई थीं. ‘अंधा क्या चाहे दो आंखें,’ फिर भी अभिषेक ने पूछ ही लिया, ‘आप को कोई तकलीफ तो नहीं होगी, मांजी?’ ‘अरे, नहीं बेटे, कैसी बातें करते हो. शर्वरी तो मेरी बेटी जैसी है. फिर तीनों बच्चे अपने घरसंसार में व्यवस्थित हैं. हम दोनों तो बिलकुल अकेले हैं. बल्कि मुझे तो बड़ा सहारा हो जाएगा,’ महिमा ने कहा. ‘सहारे की बात मत कहो, मां. बहुत स्वार्थी किस्म की लड़की है यह सहारे की बात तो सोचो भी मत,’ नूपुर ने अपनी स्वाभाविक बुद्धि का परिचय देते हुए कहा था.

महिमा की नजर सामने दरवाजे पर खड़ी शर्वरी पर पड़ी थी तो उस की आंखों की हिंसक चमक देख कर वे भी एक क्षण को तो सहम गई थीं. ‘हां, तो पापा, आप क्या कहते हैं?’ उन्हें चुप देख कर नूपुर ने अभिजीत से पूछा था. ‘तुम्हारी मां तैयार हैं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. वैसे मुझे भी नहीं लगता कि कोई समस्या आएगी. शर्वरी अच्छी लड़की है और तुम्हारी मां को तो यों भी कभी किसी से तालमेल बैठाने में कोई परेशानी नहीं हुई है,’ अभिजीत ने नूपुर के सवाल का जवाब देते हुए कहा. इस तरह शर्वरी महिमा के जीवन का हिस्सा बन गई थी और जल्दी ही उस ने उन दोनों पतिपत्नी के जीवन में अपनी खास जगह बना ली थी. एक दिन शर्वरी कालेज से लौटी तो महिमा अपने बैडरूम में बेसुध पड़ी थीं. यह देख कर शर्वरी पड़ोसियों की मदद से उन्हें अस्पताल ले गई. बीमारी की हालत में शर्वरी ने उन की ऐसी सेवा की कि सब आश्चर्यचकित रह गए थे. ‘शर्वरी,’ महिमा ने हाथ में साबूदाने की कटोरी थामे खड़ी शर्वरी से कहा था. ‘जी.’ ‘तुम जरूर पिछले जन्म में मेरी मां रही होगी,’ महिमा ने मुसकरा कर कहा था. ‘आप पुनर्जन्म में विश्वास करती हैं क्या?’ शर्वरी ने पूछा. ‘हां, पर क्यों पूछ रही हो तुम?’

‘यों ही, पर मुझे यह जरूर लगता है कि कभी किसी जन्म में कुछ भले काम जरूर किए होंगे मैं ने जो आप लोगों से इतना प्यार मिला, नहीं तो मुझ अभागी के लिए यह सब कहां,’ कहते हुए शर्वरी की आंखें डबडबा गई थीं. ‘आज कहा सो कहा, आगे से कभी खुद को अभागी न कहना. कभी बैठ कर शांतमन से सोचो कि जीवन ने तुम्हें क्याक्या दिया है,’ महिमा ने शर्वरी को समझाते हुए कहा था. अभिजीत और महिमा के साथ रह कर शर्वरी कुछ इस कदर निखरी कि सभी आश्चर्यचकित रह गए थे. उस स्नेहिल वातावरण में शर्वरी ने पढ़ाई में अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. जब कठिनाई से पास होने वाली शर्वरी पूरे विश्वविद्यालय में प्रथम आई थी तो खुद महिमा को भी उस पर विश्वास नहीं हुआ था. उसे स्वर्ण पदक मिला था. स्वर्ण पदक ला कर उस ने महिमा को सौंपते हुए कहा था,

‘इस का श्रेय केवल आप को जाता है, मांजी. पता नहीं इस का ऋण मैं कैसे चुका पाऊंगी.’ ‘पगली है, शर्वरी तू तो, मां भी कहती है और ऋण की बात भी करती है. फिर भी मैं बताती हूं, मेरा ऋण कैसे उतरेगा,’ महिमा ने उसे समझाते हुए कहा, ‘तेन त्यक्तेन भुंजीषा.’ ‘क्या?’ शर्वरी ने चौंकते हुए कहा, ‘यह क्या है? सीधीसादी भाषा में कहिए न, मेरे पल्ले तो कुछ नहीं पड़ा,’ कह कर शर्वरी हंस पड़ी. यह मजाक की बात नहीं है, बेटी. जीवन का भोग, त्याग के साथ करो और इस त्याग के लिए सबकुछ छोड़ कर संन्यास लेने की जरूरत नहीं है. परिवार और समाज में छोटी सी लगने वाली बातों से दूसरों का जीवन बदल सकता है. तुम समझ रही हो, शर्वरी?’ महिमा ने शर्वरी को समझाते हुए कहा था.

‘जी, प्रयास कर रही हूं,’ शर्वरी ने जवाब दिया. ‘देखो, नूपुर मेरी बेटी है, पर उस के तुम्हारे प्रति व्यवहार ने मेरा सिर शर्म से झुका दिया है. तुम ऐसा करने से बचना, बचोगी न?’ महिमा ने पूछा. ‘जी, प्रयत्न करूंगी कि आप को कभी निराश न करूं,’ शर्वरी गंभीर स्वर में बोली थी. शीघ्र ही शर्वरी की अपने ही कालेज में व्याख्याता के पद पर नियुक्ति हो गई और अब तो उस का आत्मविश्वास देखते ही बनता था. उस की कायापलट की बात सोचते हुए उन के चेहरे पर हलकी सी मुसकान तैर गई थी. ‘‘कहां खोई हो?’’ तभी अभिजीत ने आ कर महिमा की तंद्रा भंग करते हुए पूछा. ‘‘कहीं नहीं, यों ही,’’ महिमा ने चौंक कर कहा. ‘‘तुम्हारी तो जागते हुए भी आंखें बंद रहती हैं. आज लाइब्रेरी से निकला तो देखा शर्वरी डा. निपुण के साथ हाथ में हाथ डाले जा रही थी,’’ अभिजीत ने कहा. ‘‘जानती हूं,’’ महिमा ने उन की बात का जवाब दिया. ‘‘क्या?’’ अभिजीत ने पूछा. ‘‘यही कि दोनों एकदूसरे को बहुत चाहते हैं,’

’ उन्होंने बताया. ‘‘क्या कह रही हो, पराई लड़की है, कुछ ऊंचनीच हो गई तो हम कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे,’’ अभिजीत ने सकपकाते हुए कहा. ‘‘घबराओ नहीं, मुझे शर्वरी पर पूरा भरोसा है. उस ने तो अभिषेक को सब लिख भी दिया है,’’ महिमा बोलीं. ‘‘ओह, तो दुनिया को पता है. बस, हम से ही परदा है,’’ अभिजीत ने मुसकरा कर कहा था. थोड़ी ही देर में शर्वरी दरवाजे पर दस्तक देती हुई घर में घुसी. ‘‘मां, आज शाम को निपुण अपनी मां के साथ आप से मिलने आएंगे,’’ उस ने शरमाते हुए महिमा के कान में कहा. ‘‘क्या बात है? हमें भी तो कुछ पता चले,’’ अभिजीत ने पूछा. ‘‘खुशखबरी है, निपुण अपनी मां के साथ शर्वरी का हाथ मांगने आ रहे हैं. चलो, बाजार चलें, बहुत सी खरीदारी करनी है,’’ महिमा ने कहा तो शर्वरी शरमा कर अंदर चली गई. ‘‘सच कहूं महिमा, आज मुझे जितनी खुशी हो रही है उतनी तो अपनी बेटियों के संबंध करते समय भी नहीं हुई थी,’’ अभिजीत गद्गद स्वर में बोले. ‘‘अपनों के लिए तो सभी करते हैं पर सच्चा सुख तो उन के लिए कुछ करने में है जिन्हें हमारी जरूरत है,’’ संतोष की मुसकान लिए महिमा बोलीं.

मैरिड लाइफ में इन 8 टिप्स से रहें खुश

पत्नी कामकाजी हो या होममेकर घर को सुचारु रूप से चलाने में उस का योगदान कमतर नहीं होता. लेकिन विश्वास, समझदारी व समानता के बीच संतुलन बिगड़ने पर आप के बीच गलतफहमी पैदा हो सकती है और फिर कभी न खत्म होने वाली तूतू, मैंमैं. यहां हम चर्चा करने जा रहे हैं उन बातों की, जिन से दूर रह कर आप अपना दांपत्य जीवन सुखी रख सकती हैं.

जब एक लड़की शादी के बाद एक नए घर, नए माहौल और नए लोगों से रूबरू होती है, तो उसे बहुत सारी बातों का खयाल रखना पड़ता है. मसलन, खुद को नए माहौल में ढालना, वहां के लोगों की आदतों, रीतिरिवाजों, कायदेकानूनों, खानपान आदि को समझना. उन की दिनचर्या के मुताबिक खुद की दिनचर्या निर्धारित करना. उन की जरूरतों का ध्यान रखना वगैरहवगैरह. मगर सब से अधिक सावधानी उसे पति के साथ अपने मधुर संबंध विकसित करते वक्त बरतनी पड़ती है. पतिपत्नी के बीच रिश्ता विश्वास व समझदारी से चलता है और आज के आधुनिक समाज में एक और शब्द समानता भी जुड़ चुका है.

1. आप हमेशा सही नहीं हैं:

कुछ युवतियों को यह गलतफहमी होती है कि वे जो करती हैं या कहती हैं वह हमेशा सही होता है. यदि पति किसी काम को कुछ अलग तरीके से करते हैं और आप उस काम को अपने तरीके से करने के लिए मजबूर कर रही हैं, तो आप को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. आप के पति या परिवार के अन्य सदस्यों की सोच और तरीका आप से भिन्न हो कर भी सही हो सकता है. आप को धैर्य रख कर उसे देखना व समझना चाहिए.

2. बाल की खाल न निकालें:

देखा गया है कि अविवाहित जोड़े एकदूसरे से ढेर सारे सवालजवाब करते हैं और घंटों बतियाते रहते हैं बिना बोर हुए, बिना थके. मगर शादीशुदा जिंदगी में आमतौर पर ऐसा नहीं होता. आप के ढेरों सवाल और किसी मैटर में बाल की खाल निकालना आप के साथी को बैड फीलिंग दे सकता है. अत: याद रखें कि अब न तो आप उन की गर्लफ्रैंड हैं और न ही वे आप के बौयफ्रैंड.

3. साथी के साथ को दें प्राथमिकता:

कभी पति के सामने रहते परिवार के अन्य सदस्यों को पति से आगे न रखें. अगर आप ऐसा करती हैं, तो आप अनजाने में ही सही अपनी खुशहाल जिंदगी में सूनापन भर रही होती हैं. मान लीजिए आप के पति ने आज आप के साथ मूवी देखने जाने का प्लान बनाया है और आज ही आप की मां आप को फोन कर के शौपिंग मौल में आने को कहती हैं. अगर आप अपने पति को सौरी डार्लिंग बोल कर अपनी मां के पास शौपिंग मौल चली जाती हैं, तो यह पति को बुरा लगेगा. उन के मन में तो यही आएगा कि आप की जिंदगी में उन की अहमियत दूसरे नंबर पर है. यदि आप अपनी मां को सौरी बोल कर फिर कभी आने को कह दें तो आप की मां से आप के रिश्ते में कोई कमी नहीं आएगी.

4. दूसरों के सामने पति की इंसल्ट न करें:

दूसरों के सामने अपने पार्टनर की गलतियां बताना असल में उन की इंसल्ट करना है. ऐसा कर के आप अपने पति को कमतर आंक रही हैं. यदि आप अपने पति की बात बीच में ही काट रही हैं, तो आप उन्हें यह मैसेज दे रही हैं कि आप को उन की कही बातों की कोई परवाह नहीं है.

5. धमकी न दें:

पतिपत्नी के बीच थोड़ीबहुत नोकझोंक तो होती रहती है और इस से प्यार कम भी नहीं होता, बल्कि रूठनेमनाने के बाद प्यार और गहरा होता है. मगर इस नोकझोंक को आप बहस का मुद्दा बना धमकी पर उतर आएं तो अच्छा न होगा. आप ने छोटी सी बात पर ही अपने पति को अलग हो जाने की धमकी दे दी तो आप का प्यार गहरा होने के बजाय खत्म होने लगेगा.

6. शर्मिंदा न करें:

कभीकभी कई बातें ऐसी हो जाती हैं जब कमी आप के पार्टनर की होती है. मगर ऐसे में एक समझदार बीवी चाहे तो अपने पति को शर्मिंदगी से बचा सकती है. मान लीजिए आप कार की ड्राइविंग सीट पर हैं और किसी ऐसे रैस्टोरैंट में खाने जा रही हैं, जहां आप के पति अपने दोस्तों के साथ कई बार जा चुके हैं. काफी देर हो गई, लेकिन आप के पति को रैस्टोरैंट की सही लोकेशन याद नहीं आ रही. ऐसी स्थिति में पति पर झल्लाने या चिल्लाने से आप के पति शर्मिंदा तो होंगे ही, साथ ही आप का डिनर भी खराब होगा. अच्छा यह होगा कि आप कहें अगर वह रैस्टोरैंट नहीं मिल रहा तो मुझे एक और रैस्टोरैंट का पता है जहां हम डिनर कर सकते हैं.

7. पति की इज्जत करें:

कुछ पत्नियों को यह कहते सुना जाता है कि मैं अपने पति की इज्जत तब करूंगी जब वह इस लायक हो जाएगा. ऐसा कर के आप अनजाने में अपने पति को आप की इज्जत न करने की सलाह दे रही हैं. याद रखें यदि आप पति सेप्यार और रिस्पैक्ट से बात करती हैं, तो आप के पति को भी आप से प्यार और इज्जत से बात करने के लिए सोचना ही पड़ेगा. एक बात को बारबार न दोहराएं: किसी काम को ले कर उन्हें उस की याद बारबार न दिलाएं जैसेकि उन की दवा, डाइट, जीवन बीमा की किस्त या घर के किसी और काम की. ऐसा करने से आप उन की पत्नी कम और मालकिन ज्यादा लगेंगी. पति को काम की सूची न बताएं: पत्नियां पति के लिए हमेशा काम की लंबी सूची तैयार रखती हैं. आज यह कर देना, कल यह कर देना, उस तारीख को यह ले कर आना आदि. ऐसा कर के वे पति को यह एहसास करा रही होती हैं कि वे दांपत्य जीवन को सुचारु रूप से चलाने में असफल हो रहे हैं और हमेशा काम का बोझ बना रहता है.

8. अपने घरेलू काम की गिनती न करें:

अकसर पत्नियां पति के आते ही अपनी दिनचर्या को डिटेल में पति को बताने लगती हैं कि आज मैं ने यह काम किया, यह चीज बनाई, यहां गई, ऐसा किया और काम करतेकरते थक गई. ऐसा कर के औफिस से थकहार कर आए पति को आप अपनी भी थकान दे रही होती हैं. विवाद का निबटारा करें खुद: अगर कभी आप के बीच कोई विवाद हो जाए तो उसे खुद ही सुलझाएं. किसी तीसरे को अपनी निजी जिंदगी में कतई शामिल न होने दें.

 

किसी ने किसी का रोल नहीं छीना: अमीषा पटेल के रोल छीनने के आरोप पर ईशा देओल

बौलीवुड एक्ट्रेस ईशा देओल ने एक इंटरव्यू के दौरान हैरान होते हुए अमीषा पटेल के रोल छीनने के आरोप पर सफाई देते हुए कहा है कि उनकी जानकारी में उन्होंने किसी का रोल नहीं छीना.

ईशा ने कहा कि ‘हम सब लोग अपने दिए गए काम में बिजी रहते हैं. मेरी कुछ बहुत अच्छी दोस्त हैं और मेरी जानकारी में मैने किसी का रोल नहीं छीना.’

 

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ईशा ने कहा, “हम सभी बहुत अपना काम कर रहे हैं और बहुत सारा काम करना अभी बाकी है. ऐसा नहीं है कि हम लोग बिना काम के बैठे हैं.

दरअसल पिछले साल अमीषा पटेल ने कहा था कि उन्हें इंडस्ट्री में ग्वार समझा गया था क्योंकि वो किसी फिल्मी फैमिली से नहीं थी. जब अमीषा ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था तो उनके साथ कई प्रोड्यूसर्स और स्टार किड्स ने अपने करियर की शुरुआत की थी जैसे करीना कपूर, अभिषेक बच्चन, ऋतिक रोशन, ईशा देओल, तुषार कपूर, फरदीन खान आदि. सब लोग एक दूसरे से जैलेस फील करते थे. अमीषा ने बताया कि उन्होंने एक फिल्म साइन की थी और डेट देदी और जैसे ही शूटिंग का समय आया तो उन्हें पता लगा कि अचानक किसी ने उनकी फिल्म ले ली है.

 

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आपको बता दें कि अमीषा ने इस साल फिल्म गदर 2 में सकीना के रोल में दिखाई दी थी

पायल कपाङिया कल तक ऐंटी सोशलिस्ट आज है देश का गर्व

कभी पायल को राष्ट्र विरोधी कहा गया था। कट्टरपंथी लोगों ने उन पर ‘पाकिस्तान जाओ’ के नारे लगाए थे. अब वे देश की शान बन गई हैं। खुद की काबिलियत पर किस तरह आलोचकों का मुंह बंद किया जा सकता है, इस की मिसाल हैं वे…

77वें कान फिल्म फैस्टिवल में वैसे तो कई भारतीय लाइमलाइट में आए, लेकिन एक नाम ऐसा था जिस ने पूरे देश को गर्व महसूस कराया और वह नाम है पायल कपाड़िया का. पायल आजकल अपनी फिल्म के लिए कान का दूसरा सब से बड़ा पुरस्कार ग्रां प्री अवार्ड जीत कर लाइमलाइट बटोर रही हैं. फिल्ममेकर पायल कपाड़िया इस अवार्ड को जीतने वाली पहली महिला फिल्ममेकर भी हैं.
गौरतलब है कि 23 मई, 2024 को इन की फिल्म ‘औल वी इमैजिन एज लाइट’ का प्रीमियर कान फिल्म फैस्टिवल में किया गया. तब इस फिल्म को औडियंस की तरफ से 8 मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन मिला था. पायल इस से पहले भी कान फिल्म फैस्टिवल में अवार्ड जीत चुकी हैं. उन्होंने 2021 में फिल्म ‘ए नाइट औफ नोइंग नथिंग’, जोकि एक डाक्यूमैंट्री थी, को डाइरैक्ट किया था. इस फिल्म को कान फिल्म फैस्टिवल 2021 में ‘दी गोल्डन आई अवार्ड’ मिला था. यह अवार्ड कान फिल्म फैस्टिवल की बैस्ट डाक्यूमैंट्री को दिया जाता है.
फिल्म की कहानी
यह फिल्म एक मलयालम हिंदी फीचर है. फिल्म में कनी श्रुति, दिव्या प्रभा, छाया कदम, ऋधु हरूण और अजीस नेदुमंगड़ ने काम किया है. यह 2 नर्सों की कहानी है जो साथ में रहती हैं. ये दोनों एक ट्रिप पर जाती हैं जहां वे खुद की पहचान तलाशती हैं. वहां उन्हें आजादी के माने समझ आती है.
यह फिल्म इस समाज में महिला होने, एक महिला का जीवन और उन की आजादी जैसे मसलों की बात करती है. खास बात यह भी है कि इस फिल्म की कहानी खुद पायल ने लिखी है.
कौन हैं पायल कपाड़िया
पायल कपाड़िया का जन्म मुंबई में हुआ था. उन्होंने आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल से अपनी स्कूलिंग की. इस के बाद उन्होंने मुंबई के सैंट जेवियर कालेज से इकोनौमिक्स में ग्रैजुएशन और सोफिया कालेज से मास्टर्स की पढ़ाई की. इस के बाद पायल ने फिल्म डाइरैक्शन की पढ़ाई फिल्म ऐंड टैलिविजन इंस्टीट्यूट औफ इंडिया से की.
करियर की शुरुआत
पायल ने अपने कैरियर की शुरुआत शौर्ट फिल्म से की थी. उन्होंने 2014 में अपनी पहली फिल्म ‘वाटरमेलन फिश औफ हाफ गोस्ट’ बनाई. इस के बाद 2015 में फिल्म ‘आफ्टरनून क्लाउड्स’, 2017 में ‘द लास्ट मैंगो बिफोर द मौनसून’ और 2018 में ‘ऐंड वट इस द समर सेइंग’ डौक्यूमैंट्री बनाई थी.
सितारों ने दी बधाई
अवार्ड जीतने पर प्रियंका ने पायल कपाड़िया और उन की टीम की फोटो को शेयर करते हुए लिखा, “यह भारतीय सिनेमा के लिए गौरव का क्षण है। सभी को बहुतबहुत बधाई और शुभकामनाएं…’
फिल्म ‘स्लमडौग मिलेनियर’ (2009) के लिए बैस्ट साउंड मिक्सिंग का औस्कर जीतने वाले रसूल पोकुट्टी भी एफआईआर से पढ़े हैं. उन्होंने भी पायल को बधाई दी.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पायल को उन की जीत पर बधाई दी है लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यह वही प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने मणिपुर हादसे पर अपनी चुप्पी साध रखी थी.
एक महिला जब देश को गौरवान्वित करती है तब देश का पीएम चंद घंटों के अंदर अपनी प्रतिक्रिया दे देता है, लेकिन जब उसी देश की महिलाओं की आबरू तारतार होती है तब यही पीएम चुप्पी साध लेता है.
एफटीआईआई की प्रतिक्रिया
पायल की जीत पर एफटीआईआई ने कहा, ”यह एफटीआईआई के लिए गर्व का क्षण है क्योंकि इस के पूर्व छात्रों ने कान में इतिहास रचा है. 77वां कान फिल्म फैस्टिवल हमारे देश के लिए अभूतपूर्व साल रहा है. एफटीआईआई सिनेमा के इस मेगा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने पूर्व छात्रों की शानदार उपलब्धियों पर गर्व महसूस करता है.”
कभी मुकदमा हुआ था
पायल की तारीफ करने वाली संस्था एफटीआईआई ने साल 2015 में पुणे के फिल्म ऐंड टैलीविजन इंस्टीट्यूट औफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान को नियुक्त किया था, जिस का विरोध उस वक्त पायल ने किया था. 2015 में गजेंद्र चौहान को एफटीआईआई का अध्यक्ष बनाने पर पायल ने 139 दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था. इस के लिए उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
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