एक्ट्रेस मोहिना कुमारी सिंह के घर फिर से गूंजी किलकारी, घर आई नन्ही परी

स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले फेमस शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की एक्ट्रेस मोहिना कुमारी सिंह के घर फिर से किलकारी गूंजी है. इस बार उनके घर नन्ही परी आई है. मोहिना की शादी वर्ष 2019 में हुई थी और शादी के 3 साल के बाद मोहिना के बेटे अयांश का जन्म हुआ था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mohena Kumari Singh (@mohenakumari)

मोहिना एक बहुत अच्छी डांसर हैं और अक्सर अपने डांस वीडियोज सोशल मीडिया पर डालती रहती हैं. टीवी पर आने वाले शो ‘डांस इंडिया डांस’ से वह फेमस हुई थीं. वह कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा की टीम में थीं.

मोहिना उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के बेटे सुयश रावत की पत्नी हैं. 14 अक्टूबर 2019 में शादी करने के बाद वह देहरादून शिफ्ट हो गईं थीं और उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी थी.

मोहिना के पति सुयश रावत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें वह अपनी बेटी को लेकर घर में एंट्री कर रहे हैं. उनके साथ रिश्तेदार भी नए मेहमान का वेलकम कर रहे हैं. बच्ची के आने की खुशी सब साथ मिलकर मना रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mohena Kumari Singh (@mohenakumari)


अब मोहिना के फैंस को इंतज़ार है कि वह कब अपनी बेटी की पहली झलक सबके साथ साझा करेंगी. मोहिना रजवाड़ों के परिवार से हैं और उनके पिताजी रीवा (मध्य प्रदेश) के राजा हैं.

आपको बता दें, मोहिना ने ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अलावा ‘प्यार तूने क्या किया’, ‘सिलसिला प्यार का’ नामक सीरियलों में भी काम किया लेकिन ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के दूसरे सीजन में कार्तिक की बहन का रोल किया था और उसके लिए उन्हें ज्यादा जाना जाता है.हाल ही में बीते वर्ष के आखिर में टीवी एक्ट्रेस रुबीना दिलैक और दिशा परमार भी मां बनी थीं.

नींद का असंतुलन बिगाड़ सकता है आपकी सेहत

काश! हम भी छोटे बच्चे होते बेफ़िक्र सोते बेफ़िक्र जगा करते. कितनी बार यही इच्छा हम सभी के मन मे कभी ना कभी आती ही है क्योंकि आराम से सोना किसे अच्छा नहीं लगता. हमारी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है नींद का समय. जब हम सोते है तो हम अपनी सारी थकावट और तनाव को भूलकर तरोताज़ा हो जाते हैं .

लेकिन क्या आपको पता है की हमारा ज्यादा सोना या कम सोना हमारी सेहत के लिये नुकसानदेह साबित हो सकता है .यदि आपकी नींद का संतुलन बिगड़ा हुआ है तो सावधान हो जाइये. क्योंकि अच्छी नींद हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य लिए महत्वपूर्ण है. वही कम या ज्यादा नींद लेना हमारी स्मरण शक्ति को प्रभावित करती है हर रात 8 घंटे की नींद लेने को परफेक्ट माना जाता है.

नींद आने का कारण
सोते समय हमारे मस्तिष्क से अल्फा वेव्स निकलनी शुरू होती है. इस अवधि में हमारा मस्तिष्क धीरे-धीरे बाहरी दुनिया से अलग होकर कुछ चरणों को पार करते हुए हम गहरी नींद की अवस्था में चले जाते हैं.अच्छी नींद हमारे अंदरूनी अंगों के साथ साथ, त्वचा के लिए भी लाभदायक है. सोते समय कई अंग शरीर के टॉक्सिक पदार्थों को साफ करने का काम करते हैं ताकि सुबह हम उठें तो हल्का महसूस करें.

कितनी नींद है जरूरी
नवजातों शिशु को (0-3 महीने) को हर दिन 14 से 17 घंटे, शिशुओं (4-11 महीने) के लिए 12 से 15 घंटे, छोटा बच्चा (1-4 साल) के लिए 10 से 14 घंटे, (5-13 साल) के लिए 9 से 11 घंटे, किशोर अवस्था में 8 से 10 घंटे, वयस्क को 7 -9 घंटे की नीद लेना बेहतर माना जाता है बुजुर्गों को 7 -8 घंटे की नींद की सलाह दी जाती है लेकिन 5 घंटे से कम नींद आती है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें . लेकिन यदि कोई 6 घंटे से कम और 10 घंटे से ज्यादा सोता है तो यह व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है .क्योंकि यदि ज्यादा नींद आती है तो उसे ह्य्पोसोमिया और नींद कम आती है तो इन्सोमिया नाम की बीमारी हो सकती है जिसका समय रहते इलाज ना किया जाए तो कई रोगों का कारण बन सकती है

ह्य्पोसोमिया से होती हैं ये बीमारियां
हार्ट संबंधित रोग, मोटापा, डयबिटिस, पीठ दर्द की परेशानी, ब्रेन के काम करने के तरीके को नुकसान पहुंचता है.और सोचने समझने की शक्ति कम होने लगती है साथ ही फर्टिलिटी की समस्या ही सामना करना पड़ सकता है.

इन्सोमिया से होने वाली बीमारियां
ऑस्ट‍ियोपोरोसिस, नींद पूरी नहीं होने पर दिमाग तरोताजा नहीं हो पाता, जिसके चलते कई मानसिक समस्याएं हो जाती हैं, स्ट्रेस हार्मोंन व कार्टिसोल हार्मोन बढ़ने से डिप्रेशन के साथ साथ मोटापे व ब्लड प्रेशर में गड़बड़ी की समस्या भी होने लगती है

कैसे लें पर्याप्त नींद
जो लोग नियमित रूप से नींद के साथ संघर्ष करते हैं, उन्हें नींद विशेषज्ञ से बात करे, थेरेपी कराएं , खान पान का ध्यान रखें, ज्यादा कैफीन से परहेज करें , शराब के सेवन से बचें, मोबाइल को खुद से दूर रख कर सोएं. इन सब चीजों पर आप काबू पा लेंगे तो आपको अच्छी नींद आएगी .

लड़कियां: महिलाओं के बीच अकेला औफिस में फंसा वह शख्स

नए औफिस में लड़कियां ज्यादा थीं. नहीं-नहीं यह कहना गलत होगा. दरअसल, यहां सिर्फ वह अकेला मर्द है. बाकी सब औरतें. उस ने हैड औफिस में अपने बौस से रिक्वैस्ट की है जैसे भी हो इस महिलाबहुल प्रतिष्ठान से उसे निकाल दिया जाए या एकाध पुरुष को और भेज दिया जाए. वह कुछ दिनों पहले ही यहां आया था.

ये लड़कियां पूरे समय या तो अपनी सास की बातें करती रहती हैं या फिर किसी रैसिपी पर डिसकस करतीं, कभीकभी कपड़ों की बातें करती हैं. हद तो तब हो जाती जब नैटफ्लिक्स की स्टोरी सुनाई जा रही होती है.

हैरत की बात है कि पीठ पीछे एकदूसरे की चुगली करने वाली लड़कियां लंच टाइम में एक हो जाती हैं. मिलबांट कर खाना खाया जाता है. पीछे की दुकान से समोसे मंगा कर खाए बिना उन का खाना पूरा न होता है.

‘जो जी चाहे करो. प्रजातंत्र है… सब अपनी मरजी के मालिक हो. बस इतनी कृपा करना देवियो कि जिस कंपनी की तनख्वाह ले रही हैं उस का भी कुछ काम कर देना,’ वह मन ही मन सोचता रहता.

उस की आदत है कम बोलने की और अपना काम दुरुस्त रखने की. मन ही मन गौरवान्वित होता है कि बौस ने उसे जानबू  झ कर भेजा है इस औफिस में. इन लड़कियों की मदद करने के लिए पुरुषोचित अभिमान से सीना चौड़ा हो जाता है उस का.

काम करने के गजब तरीके हैं इन लड़कियों के पहली बार जब कुछ नया काम या नया ऐप खोलना होता तो उन में से 1-2 घबरा जातीं, एक से दूसरे के डैस्कटौप पर काम ट्रांसफर करतीं, मक्खियों की तरह भिनभिन करतीं और फिर काम पूरा होने पर ऐसे चैन की सांस लेतीं जैसे ऐवरैस्ट की चढ़ाई फतह कर ली हो.

वह सोचता है कि जितनी देर आपस में गप्पें लगाती हैं. अगर उतनी देर सैटिंग्स पर जा कर कुछ देखो, इंस्ट्रक्शन पढ़ो, सम  झो, सारा काम करना सीख जाएंगी.

तभी उस की तंद्रा टूटी.

‘‘सर, आप को पता है फ्राइडे हमारे औफिस में कैजुअल्स पहन के आते हैं. आप जींस पहन कर आइए न सर,’’ इन लड़कियों में जो सब से ज्यादा बातूनी है, उस ने कहा.

वह उस की बात हवा में उड़ाते हुए रुखाई से बोला, ‘‘हैड औफिस से फोन आया था. डाइरैक्टर साहब को रिपोर्ट करनी है. अगर आप का काम पूरा हो गया हो तो हम निकलें?’’ कहतेकहते वह थोड़ा सख्त हो गया.

लड़की ने भांप लिया और फिर बोली, ‘‘जी सर, बस एक नजर डाल लूं.’’

उस के चेहरे पर पड़ती शिकनें देख कर वह हंस पड़ी, ‘‘सर काम पर नहीं, शीशे पर नजर डालनी है. जरा टचिंग कर के आती हूं… काम पूरा है सर.’’

‘अजीब बेशर्म लड़की है. कुछ भी कह लो इस पर जूं नहीं रेंगने वाली. एक आदत खास है इस में कभी पूछेगी नहीं. हमेशा कुछ बताएगी,’ वह मन ही मन भुनभुनाया.

कार में बैठते ही लड़की का रिकौर्ड चालू हो गया.

‘‘यहां पर आने से पहले 2 साल तक विदेश में थी सर, फिर लौट आई.’’

‘‘क्यों पीआर नहीं मिला क्या?’’ वह बोला.

‘‘जी नहीं यह बात नहीं है. पीआर था, नौकरी भी ठीकठाक थी, पर मेरे हस्बैंड ने कहा वापस चलते हैं तो मैं ने भी अपना मन बदल लिया. यहां पर सारे लोग हैं. मेरे मम्मीपापा, मेरे इनलौज. हम दोनों के फ्रैंड्स, फिर कामवाली बाइयां.

‘‘दरअसल, मु  झे भीड़ अच्छी लगती है, इतनी कि बस टकरातेटकराते बचो.’’

फिर वह गंभीर हो गई. बोली, ‘‘यह बात भी नहीं सर. बात कुछ और ही थी… मेरे बेटे में अपने रंग को ले कर हीनभावना आ गई थी. उस ने कहा कि टीचर गोरे (अंगरेज) बच्चों को ज्यादा प्यार करती है. बस सर, मैं ने अपना मन बदल लिया. वापस आ गए हम दोनों.

‘‘बुरा नहीं लगता आप को,’’ उस ने लड़की से पूछा.

‘‘बुरा क्यों लगेगा?’’

‘‘अपना देश है जैसा भी है… टेढ़ा है पर मेरा है.’’

तभी लालबत्ती पर कार रुक गई. लड़की ने फटाफट अपना बैग खोला और एक पोटलीनुमा पर्स निकाला. थोड़ा सा कार का शीशा नीचे किया और फिर बच्चेमहिलाएं भीख मांग रहे थे, उन्हें पैसे बांटने लगी.

तभी कार चल पड़ी.

उस ने देखा एक छोटा लड़का सड़क से फ्लाइंग किस उछाल रहा था, जिसे इस ने लपक कर कैच कर लिया.

वह बोला, ‘‘कभी भी इन लोगों को पैसे नहीं देने चाहिए. ये आप का बैग छीन कर भाग सकते हैं.’’

‘‘जी सर सही कह रहे हैं पर क्या है न अब परिस्थितियां बदल गई हैं. क्या पता कौन किस मजबूरी में भीख मांग रहा हो. इसलिए मैं ने अपने विचारों को थोड़ा बदल लिया है. मेरा छोटा सा कंट्रीब्यूशन हो सकता है किसी की भूख मिटा दे,’’ उस ने पैसों की पोटली फिर अपने बैग में रख ली.

अब वह ड्राइवर से बोली, ‘‘भैयाजी गाना बदलिए. कुछ फड़कता हुआ सा म्यूजिक लगाइए न.’’

तभी उस के बच्चे की कौल आ गई. उस ने म्यूजिक धीरे करवाया… पूरा रास्ता बच्चे का होमवर्क कराने में काट दिया.

‘‘सर, बहुत शरारती है. मेरा बेटा बिना मेरे साथ बैठे कुछ नहीं करता. इसलिए रोज आधा घंटा औफिस के साथ थोड़ी बेवफाई करती हूं. सर, आखिरकार नौकरी भी तो फैमिली के लिए ही कर रही हूं.’’

हां हूं करते उस ने अपने दिमाग और जबान में मानो संतुलन बनाया, मगर विचारों ने गति पकड़ ली थी…

वह तो पूरी तन्मयता से नौकरी कर रहा

है… पत्नी और बच्चे उस की राह देख कर थक चुके हैं. उस का बच्चा भी आठ वर्ष का है. पर स्कूल से आने के बाद उस की दिनचर्या का उसे पता नहीं है. रात के भोजन पर ही उन की मुलाकात होती है. बिटिया जरूर लाड़ दिखा

जाती है.

‘‘सर,’’ लड़की ने उस के विचारों को लगाम दी.

‘‘हां बोलो.’’

‘‘आप भी हमारे साथ ही लंच किया करें. अच्छा नहीं लगता आप अकेले बैठते हैं.’’

‘‘मैं ज्यादा कुछ नहीं खाता. हैवी ब्रेकफास्ट करता हूं. लंच तो बस नाममात्र का.’’

‘‘सर, कल आइए हमारे साथ. देखिए अगर अच्छा न लगे तो फिर नहीं कहूंगी.’’

अब एक बार सिलसिला चल पड़ा तो खत्म न हुआ… दूर से जैसी दिखती थी उस के

विपरीत अंदर से बहुत संवेदनशील दुनिया थी इन लड़कियों की.

कोई टूटी टांग वाली पड़ोसिन आंटी को पूरीछोले पकड़ा कर आ रही है, तो एक शाम को अपनी सहेली के तलाक के लिए वकीलों के चक्कर काट रही है.

यहां से घर जा कर किसी को ननद को मेहंदी लगवाने ले जाना है, किसी को बच्चे को साइकिल के 4 राउंड लगवाने हैं, तो किसी के घर मेहमान आए पड़े हैं, जाते ही नहीं.

फिर भी औफिस में बर्थडे, प्रमोशन, बच्चे का रिजल्ट, हस्बैंड का बर्थडे, शादी की सालगिरह हर दिन लंच टाइम पर एक उत्सव है, इन लड़कियों का. फ्राईडे को इस बात का जश्न कि शनिवार, इतवार छुट्टी है. क्या कमाल की दुनिया है.

सब के पास ढेरों काम हैं, औफिस से पहले भी और घर जा कर भी. औफिस के काम में भी पूरी भागीदारी है. उस के विचार बदलने लग पड़े हैं.

उस की हिचक भी निकलती जा रही है. अब उसे नहीं लगता कि वह औफिस में अकेला मर्द है. घर में पत्नी भी खुश… वह रोज घर जा कर बताता है कि खाना कितना अच्छा बना था. यह तारीफ करना भी इन्हीं देवियों ने सिखाया है.

आज फ्राइडे है. उस ने अपनी ब्लू जींस पहनी, पत्नी देख कर हैरान हुई. पूछा, ‘‘आप औफिस ही जा रहे हैं न?’’

‘‘हां तो क्या हुआ? कभीकभी चेंज अच्छा लगता है.’’

‘‘यह भी सही है,’’ पत्नी ने ऊपरी तौर पर सहमति जताई, जबकि वह जानती थी कि वह कितना जिद्दी है, अपने कपड़ों को ले कर. वह भी   झेंप गया था, पर   झटके से घर से निकल लिया.

रास्ते में बौस का फोन आ गया. वे बोले, ‘‘तुम्हारा ट्रांसफर कर दूं… वापस आना चाहोगे?’’

उस को मानो   झटका सा लगा, ‘‘जैसा आप कहें… मु  झे तो जो आदेश मिलेगा वही पालन करूंगा.’’

‘‘नहीं तुम कह रहे थे औफिस में खाली लड़कियां हैं.’’

‘‘सर, लड़कियां ही तो हैं. क्या फर्क पड़ता है? मु  झे तो अब अच्छा लगता है. रौनक वाली जगह है सर.’’

‘‘हाहाहा,’’ उस के बौस की हंसी गूंज उठी. ऐक्चुअली यह बैस्ट पोस्टिंग है तुम्हारी.’’

‘‘जी सर, आप ठीक कहते हैं… यहां सीखने को बहुत कुछ है,’’ और वह मुसकरा दिया.

काली कोहनियों को गोरा करने का कोई आसान उपाय बताएं?

सवाल 

मेरी कोहनियां शरीर के बाकी अंगों से ज्यादा काली नजर आती हैं और बहुत खराब लगती हैं. इन्हें गोरा करने का कोई तरीका बताएं?

जवाब

कोहनियों के रंग को हलका करने के लिए सब से पहले उन पर ब्लीच कर लें. रोज आधे नीबू को ले कर निचोड़ें और उस में नमक बुरकें. अब इस से कुहनियों को धीरेधीरे रगड़ें. फिर कुछ देर बाद धो लें और उन पर मौइस्चराइजिंग क्रीम लगा लें. ऐसा 15-20 दिन नियमित करने से कुहनियां का रंग हलका होने लगेगा. अगर इस से फायदा न हो तो कैमिकल पील की जा सकती है, जिस से त्वचा की एक लेयर निकल जाती है और अंदर से रंग गोरा दिखने लग जाता है. पर कैमिकल पील के लिए हमेशा ऐक्सपर्ट के पास ही जाएं.

ये भी पढ़ें-

सवाल 

मेरी उम्र 24 साल है. मुझे हाथों पर मेहंदी लगाना पसंद है. लेकिन जब यह हाथों से धीरेधीरे निकलने लगती है तो मेरी स्किन पर इस का असर दिखता है. मेरी स्किन ड्राई और कटीफटी सी दिखती है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

बाजार में लगाई जाने वाली मेहंदी में पीपीडी और डायमीन नामक कैमिकल मौजूद होते हैं, जो स्किन को ड्राई भी करते हैं साथ ही इन से जलन, खुजली और सूजन हो सकती है. मेहंदी में ये कैमिकल इस के कलर को डार्क करने के लिए मिलाए जाते हैं इसलिए प्राकृतिक रूप से बनी मेहंदी का ही इस्तेमाल करने की कोशिश करें और इस्तेमाल करने से पहले पैक पर उस में मिली सामग्री के बारे में भी जानकारी जरूर लें. ध्यान रखें कि मेहंदी लगाने के बाद अगर हाथों में ड्राईनैस हो तो उस पर वर्जिन कोकोनट औयल लगा कर अच्छी तरह मालिश करें.

ये भी पढ़ें-

सवाल 

मेरी उम्र 37 साल है. मेरी अंडरआर्म्स में बहुत पसीना आता है और बदबू भी आती है. कोई उपाय बताएं?

जवाब

अंडरआर्म्स में पसीने की बहुत सारी ग्रंथियां होती हैं. पसीना एक ऐसा तरलपदार्थ है जोकि शरीर को ठंडा रखता है इसलिए बहुत आवश्यक भी है. पर कभीकभी ज्यादा पसीना आने पर हम जो भी खाते हैं उस की गंध बाहर आने लगती है. ऐसे में सफाई की ज्यादा जरूरत होती है. आप 1 कप ऐप्पल साइडर विनेगर लें. उस में 1/2 कप पानी डाल कर स्प्रे बोतल में भर कर रख लें. रोज रात को अंडरआर्म्स में स्प्रे कर लें और सो जाएं. ऐसा नियमित करने से अंडरआर्म्स की बदबू हमेशा के लिए दूर हो जाती है.

परिंदा: अजनबी से एक मुलाकात ने कैसे बदली इशिता की जिंदगी

रिटायरमेंट: आत्म-सम्मान के लिए अरविंद बाबू ने क्या किया

‘‘तो पापा, कैसा लग रहा है आज? आप की गुलामी का आज अंतिम दिन है. कल से आप पिंजरे से आजाद पंछी की भांति आकाश में स्वच्छंद विचरण करने के लिए स्वतंत्र होंगे,’’ आरोह नाश्ते की मेज पर भी पिता को अखबार में डूबे देख कर बोला था.

‘‘कहां बेटे, जीवन भर पिंजरे में बंद रहे पंछी के पंखों में इतनी शक्ति कहां होती है कि वह स्वच्छंद विचरण करने की बात सोच सके,’’ अरविंद लाल मुसकरा दिए थे, ‘‘पिछले 35 साल से घर से सुबह खाने का डब्बा ले कर निकलने और शाम को लौटने की ऐसी आदत पड़ गई है कि ‘रिटायर’ शब्द से भी डर लगता है.’’

‘‘कोई बात नहीं पापा, एकदो दिन बाद आप अपने नए जीवन का आनंद लेने लगेंगे,’’ कहकर आरोह हंस दिया.

‘‘मैं तो नई नौकरी ढूंढ़ रहा हूं. कुछ जगहों पर साक्षात्कार भी दे चुका हूं. मुझे कोई पैंशन तो मिलेगी नहीं. नई नौकरी से हाथ में चार पैसे भी आएंगे और साथ ही समय भी कट जाएगा.’’

‘‘क्या कह रहे हैं, पापा, जीवन भर खटने के बाद क्या यह आप की नौकरी ढूंढ़ने की उम्र है. यह समय तो पोतेपोतियों के साथ खेलने और अपनी इच्छानुसार जीवन जीने का है,’’ आरोह ने बड़े लाड़ से कहा था.

‘‘मैं सब समझ गया बेटे, रिटायर होने के बाद तुम मुझे अपना सेवक बना कर रखना चाहते हो,’’ अरविंद लाल का स्वर अचानक तीखा हो गया था.

‘‘पापा, आप के लिए मैं ऐसा सोच भी कैसे सकता हूं.’’

‘‘बेटे, आज घरघर की यही कहानी है. बूढ़े मातापिता तो किसी गिनती में हैं ही नहीं. बच्चों को स्कूल से लाना ले जाना. सब्जीभाजी से ले कर सारी खरीदारी करना यही सब तो कर रहे हैं आजकल अधिकतर वृद्ध. सुबह की सैर के समय मेरे मित्र यही सब बताते हैं.’’

‘‘बताते होंगे, पर हर परिवार की परिस्थितियां अलगअलग होती हैं. आप को ऐसा कुछ करने की कतई जरूरत नहीं है. कल से आप अपनी इच्छा के मालिक होंगे. जब मन में आए सोइए, जब मन में आए उठिए, आप की दिनचर्या में कोई खलल नहीं डालेगा. मैं, यह आप को विश्वास दिलाता हूं. पर कृपया फिर से नई नौकरी ढूंढ़ने के चक्कर में मत पडि़ए,’’ आरोह ने विनती की.

अरविंदजी कोई उत्तर देते इस से पहले ही बहू मानिनी आ खड़ी हुई और अपने पति की ओर देख कर बोली, ‘‘चलें क्या? देर हो रही है.’’ ‘‘हां, चलो, मुझे भी आज जल्दी पहुंचना है. अच्छा पापा, फिर शाम को मिलते हैं,’’ आरोह उठ खड़ा हुआ.

‘‘मानिनी, नाश्ता तो कर लो,’’ आरोह की मां वसुधाजी बोलीं.

‘‘मांजी, चाय पी ली है. नाश्ता अस्पताल पहुंच कर लूंगी. आज चारू को हलका बुखार था. परीक्षा थी इसलिए स्कूल गई है. रामदीन जल्दी ले आएगा. आप जरा संभाल लीजिएगा,’’ मानिनी जाते हुए बोली थी.

‘‘बहू, तुम चिंता मत करो. मैं हूं न. सब संभाल लूंगी,’’ वसुधाजी ने मानिनी को आश्वस्त किया.

‘‘चिंता करने की जरूरत भी कहां है, यहां स्थायी नौकरानी जो बैठी है दिन भर हुकम बजा लाने को,’’ अरविंद लाल कटु स्वर में बोले.

‘‘अपने घर के काम करने से कोई छोटा नहीं हो जाता पर यह बात आप की समझ से बाहर है. चलो, नहाधो कर तैयार हो जाओ. आज तो आफिस जाना है. कल से घर बैठ कर अपनी गाथा सुनाना.’’

‘‘मेरी समझ का तो छोड़ो अपनी समझ की बात करो. दिन भर घर में लगी रहती हो. मानिनी तो नाम की मां है. चारू और चिरायु को तो तुम्हीं ने पाल कर बड़ा किया है. सुधांशु की पत्नी इसी काम के लिए आया को 7 हजार रुपए देती है.’’

‘‘आप के विचार से आया और दादी में कोई अंतर नहीं होता. मैं ने तो आरोह और उस की दोनों बहनों को भी बड़ा किया है. तब तो आप ने यह प्रश्न कभी नहीं उठाया.’’

‘‘भैंस के आगे बीन बजाने का कोई लाभ नहीं है. मैं आगे तुम से कुछ भी नहीं कहूंगा, पर इतना साफ कहे देता हूं कि मैं अपने ही बेटे के घर पर घरेलू नौकर बन कर नहीं रहूंगा. मेरे लिए मेरा आत्मसम्मान सर्वोपरि है.’’

‘‘क्या कह रहे हो, कुछ तो सोचसमझ कर बोला करो. घर में नौकरचाकर क्या सोचेंगे…अच्छा हुआ कि आरोह, मानिनी और बच्चे घर पर नहीं हैं. नहीं तो ऐसी बेसिरपैर की बातें सुन कर न जाने क्या सोचते.’’

‘‘मैं किसी से नहीं डरता. और जो कुछ तुम से कह रहा हूं उन से भी कह सकता हूं,’’ अरविंद लाल शान से बोले.

‘‘क्यों अपने पैरों आप कुल्हाड़ी मारने पर तुले हो. याद करो वह दिन जब हम पैसेपैसे को तरसते थे. तब एक दिन आप ने बड़ी शान से कहा था कि चाहे आप को कुछ भी करना पड़े आप आरोह को क्लर्की नहीं करने देंगे. उसे आप डाक्टर बनाएंगे.’’

‘‘हां, तो क्या बनाया नहीं उसे डाक्टर? उन दिनों हम ने कितनी तंगी में दिन गुजारे यह क्या तुम नहीं जानतीं?’’

‘‘जानती हूं. मैं सब जानती हूं. पर कई बार मातापिता लाख प्रयत्न करें तब भी संतान कुछ नहीं करती लेकिन अपना आरोह तो लाखों में एक है. अपने पैरों पर खड़े होते ही उस ने आप की जिम्मेदारियों का भार अपने कंधों पर ले लिया. नीना और निधि के विवाह में उस ने कर्ज ले कर आप की सहायता की वरना उन दोनों के लिए अच्छे घरवर जुटा पाना आप के वश की बात न थी,’’ वसुधाजी धाराप्रवाह बोले जा रही थीं.

‘‘तुम्हें तो पुत्रमोह ने अंधा बना दिया है. अपनी बहनों के प्रति उस का कुछ कर्तव्य था या नहीं? उन के विवाह में सहायता कर के उस ने अपने कर्तव्य का पालन किया है और कुछ नहीं. परिवार के सदस्य एकदूसरे के लिए इतना भी न करें तो एकसाथ रहने का अर्थ क्या है? आरोह ने जब इस कोठी को खरीदने की इच्छा जाहिर की थी तो हम चुपचाप अपना 2 कमरों का मकान बेच कर उस के साथ रहने आ गए थे.’’

‘‘वह भी तब जब उस ने आधी कोठी आप के नाम करवा दी थी.’’

‘‘वह सब मैं ने अपने लिए नहीं तुम्हारे लिए किया था. आजकल की संतान का क्या भरोसा. कब कह दे कि हमारे घर से बाहर निकल जाओ,’’ अरविंदजी अब अपनी अकड़ में थे.

‘‘समझ में नहीं आ रहा कि आप को कैसे समझाऊं. पता नहीं इतनी कड़वाहट कहां से आ गई है आप के मन में.’’

‘‘कड़वाहट? यह कड़वाहट नहीं है आत्मसम्मान की लड़ाई है. माना तुम्हारा आरोह बहुत प्रसिद्ध डाक्टर हो गया है. दोनों पतिपत्नी मिल कर खूब पैसा कमा रहे हैं, पर वे मुझे नीचा दिखाएं या अपने रुतबे का रौब दिखाएं तो मैं यह सह नहीं पाऊंगा.’’

 

‘‘कौन आप को नीचा दिखा रहा है? पता नहीं आप ने अपने दिमाग में यह कैसी कुंठा पाल ली है और दिन भर न जाने क्याक्या सोचते रहते हैं,’’ वसुधा का स्वर अनचाहे भर्रा गया था.

‘‘चलो, बहस छोड़ो और मेरा सूट ले आओ. आज मेरा विदाई समारोह है. सूट पहन कर जाऊंगा.’’

अरविंद लाल तैयार हो कर दफ्तर चले गए. पर वसुधा को सोच में डूबा छोड़ गए. कुछ दिनों से अपने पति अरविंद लाल का हाल देख कर वसुधा का दिल बैठा जा रहा था. जितनी देर वे घर में रहते एक ही राग अलापते कि अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देंगे.

फूलमालाओं और उपहारों से लदे अरविंदजी को दफ्तर की गाड़ी छोड़ गई थी. उन के अफसरों ने भी उन की प्रशंसा के पुल बांध दिए थे.

घर आते ही उन्होंने चारू और चिरायु के गले में फूलमालाएं डाल दी थीं और प्रसन्नता से झूमते हुए देर तक वसुधा को विदाई समारोह का हाल सुनाते रहे थे.

‘‘दादाजी, घूमने चलो न, आइसक्रीम खाएंगे,’’ उन्हें अच्छे मूड में देख कर बच्चे जिद करने लगे थे.

‘‘कहीं नहीं जाना है. चारू को बुखार है, वैसे भी आइसक्रीम खाने के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है. फ्रिज में ढेरों आइसक्रीम पड़ी है,’’ वसुधाजी ने दोनों बच्चों को समझाया था.

‘‘ठीक कहती हो,’’ अरविंदजी बोले, ‘‘बच्चो, कल घूमने चलेंगे. आज मैं बहुत थक गया हूं. वसुधा, एक प्याली चाय पिला दो फिर कुछ देर आराम करूंगा. कल नई पारी की शुरुआत जो करनी है.’’

वसुधा के मन में सैकड़ों प्रश्न बादल की तरह उमड़घुमड़ रहे थे कि वे किस दूसरी पारी की बात कर रहे हैं, कुछ पूछ कर फिर से वे घर की शांति को भंग नहीं करना चाहतीं. इसलिए चुपचाप चाय बना कर ले आईं.

अगले दिन अरविंदजी रोज की तरह तैयार हो कर घर से चले तो वसुधा स्वयं को रोक नहीं सकीं.

‘‘टोकना आवश्यक था? शुभ कार्य के लिए जा रहा था… अब तो काम शायद ही बने,’’ अरविंदजी झुंझला गए थे.

‘‘मुझे लगा कि आज आप घर पर ही विश्राम करेंगे. आप 2 मिनट रुकिए अभी आप के लिए टिफिन तैयार करती हूं.’’

‘‘जाने दो, मैं फल आदि खा कर काम चला लूंगा. मुझे देर हो रही है,’’ अरविंदजी अपनी ही धुन में थे.

‘‘पापा कहां गए?’’ नाश्ते की मेज पर आरोह पूछ बैठा था.

‘‘वे तो रोज की तरह ही घर से निकल गए. कह रहे थे कि किसी आवश्यक कार्य से जाना है,’’ वसुधा ने बताया.

‘‘मां, आप उन्हें समझाती क्यों नहीं कि उन्हें फिर से काम ढूंढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं है. 35 वर्ष तक उन्होंने कार्य किया है. अब जब कुछ आराम करने का समय आया तो फिर से काम ढूंढ़ने निकल पड़े.’’

‘‘क्या कहूं, बेटे. मैं तो उन्हें समझासमझा कर थक गई हूं. सुबह की सैर पर साथ जाने वाले मित्रों ने इन के मन में यह बात अच्छी तरह बिठा दी है कि अब घर में उन को कोई नहीं पूछेगा. बातबात में यही कहते हैं कि अपने आत्मसम्मान पर आंच नहीं आने देंगे.’’

‘‘उन के आत्मसम्मान पर चोट करने का प्रश्न ही कहां है, मां. घर में आराम से रहें, अपनी इच्छानुसार जीवन जिएं.’’

‘‘इस विषय पर बहुत कहासुनी हो चुकी है. मैं ने तो अब किसी प्रकार की बहस न करने का निर्णय लिया है, पर मन ही मन मैं बुरी तरह डर गई हूं.’’

‘‘इस में डरने की क्या बात है, मां.’’

‘‘इसी तरह तनाव में रहे तो अपनी सेहत चौपट कर लेंगे,’’ वसुधाजी रो पड़ी थीं.

‘‘चिंता मत करो, मां, सेवानिवृत्ति के समय कई लोग इस तरह के तनाव के शिकार हो जाते हैं,’’ आरोह ने मां को समझाया.

अरविंदजी दोपहर को घर आए तो देखा, आरोह खाने की मेज पर अपनी मां से कुछ बातें कर रहा था.

‘‘मांबेटे के बीच क्या कानाफूसी हो रही है? मेरे विरुद्ध कोई साजिश तो नहीं हो रही?’’ वे थके होने पर भी मुसकराए थे.

‘‘हो तो रही है, हम सब को आप से बड़ी शिकायत है,’’ आरोह मुसकराया था.

‘‘ऐसा क्या कर दिया मैं ने?’’

‘‘कल आप का विदाई समारोह था. आप सपरिवार आमंत्रित थे पर आप अकेले ही चले गए. मां तक को नहीं ले गए. हम से पूछा तक नहीं.’’

‘‘क्या कह रहे हो, आरोह? इन्हें सपरिवार बुलाया गया था?’’ वसुधा चौंकी थीं .‘‘पूछ लो न, पापा सामने ही तो बैठे हैं. मुझे तो इन के सहकर्मी मनोज ने आज सुबह अस्पताल आने पर बताया.’’

‘‘इन्हें हमारी भावनाओं की चिंता ही कहां है,’’ वसुधा नाराज हो उठी थीं.

‘‘बात यह नहीं है. मुझे लगा आरोह और मानिनी इतने नामीगिरामी चिकित्सक हैं. वे मुझ जैसे मामूली क्लर्क के विदाई समारोह में क्यों आएंगे. वसुधा सदा पूजापाठ और चारू व चिरायु के साथ व्यस्त रहती है, इसीलिए मैं किसी से कुछ कहेसुने बिना अकेले ही चला गया था. यद्यपि हमारे यहां विदाई समारोह में सपरिवार जाने की परंपरा है,’’ अरविंदजी क्षमायाचनापूर्ण स्वर में बोले थे.

‘‘आप की समस्या यह है पापा कि आप सबकुछ अपने ही दृष्टिकोण से देखते हैं. खुद को बारबार साधारण क्लर्क कह कर आप केवल स्वयं को नहीं, मेरे पिता को अपमानित करते हैं जिन्होंने इसी नौकरी के बलबूते पर मेहनत और ईमानदारी से अपने परिवार का पालनपोषण किया. साथ ही आप उन हजारों लोगों का अपमान भी करते हैं जो इस तरह की नौकरियों से अपनी जीविका कमाते हैं.’’

आरोह का आरोप सुन कर कुछ क्षणों के लिए अरविंदजी ठगे से रह गए थे. कोई उन के बारे में इस तरह भी सोच सकता है यह उन के लिए एक नई बात थी. उन की आंखों से आंसू टपकने लगे.

‘‘क्या हुआ, पापा? आप रो क्यों रहे हैं?’’ तभी नीना और निधि आ खड़ी हुई थीं.

‘‘मैं क्या बताऊं, पापा से ही पूछ लो न,’’ आरोह हंसा था. पर अरविंदजी ने चटपट आंसू पोंछ लिए थे.

‘‘तुम दोनों कब आईं?’’ उन्होंने नीना और निधि से अचरज से पूछा था.

‘‘ये दोनों अकेली नहीं सपरिवार आई हैं, वह भी मेरे निमंत्रण पर. कल कुछ और अतिथि भी आ रहे हैं.’’

‘‘क्या कह रहे हो…मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा है…कल कौन सा पर्व है?’’

‘‘कल हम अपने पापा के रिटायर होने का फंक्शन मना रहे हैं.’’

‘‘यह सब क्या है. हमारे परिवार में इस तरह के किसी आयोजन की कोई परंपरा नहीं है.’’

‘‘परंपराएं बदली भी जा सकती हैं. हम ने कल की पार्टी में आप के सभी सहकर्मियों को भी आमंत्रित किया है. नीनानिधि, इन के हाथों से यह फाइल ले लो. पूछो आज दोपहर तक कहां भटकते रहे,’’ आरोह ने अरविंदजी की फाइल की ओर इशारा किया.

नीना ने पिता के हाथ से फाइल ले ली.

‘‘इस में तो डिगरियां और पापा का बायोडाटा है. यह क्या पापा? आप फिर से नौकरी ढूंढ़ रहे हैं?’’ नीना और निधि आश्चर्यचकित पास आ खड़ी हुई थीं.

‘‘चलो, चायनाश्ता लग गया है,’’ तभी मानिनी ने आ कर सब का ध्यान बटाया.

‘‘लाओ, यह फाइल मुझे दो. मैं इसे ताले में रखूंगा,’’ आरोह उठते हुए बोला.

‘‘चलो उठो, मुंहहाथ धो लो. सब चाय पर प्रतीक्षा कर रहे हैं,’’ वसुधाजी ने भरे गले से कहा.

‘‘इतना सब हो गया और तुम ने मुझे हवा भी नहीं लगने दी,’’ अरविंदजी ने उलाहना देते हुए पत्नी से कहा.

‘‘मुझे भी कहां पता था. मुझे तो कोई भी कुछ बताता ही नहीं. न तुम न तुम्हारे बच्चे. पर मेरे आत्मसम्मान की चिंता किसे है भला,’’ वसुधा नाटकीय अंदाज में बोली थीं.

अरविंद बाबू सोचते रह गए थे. वसुधा शायद ठीक ही कहती है. परिवार की धुरी है वह पर कभी किसी बात का रोना नहीं रोया. ये तो केवल वही थे जो आत्मसम्मान के नाम पर इतने आत्मकेंद्रित हो गए थे कि कोई दूसरा नजर ही नहीं आता था. न जाने मन में कैसी कुंठाएं पाल ली थीं उन्होंने.

 

काश, मेरा भी बौस होता

आज फिर अनीता छुट्टी पर है. इसका अंदाज मैंने इसी से लगा लिया कि वह अभी तक तैयार नहीं हुई. लगता है कल फिर वह बौस को अदा से देखकर मुसकराई होगी. तभी तो आज दिनभर उसे मुसकराते रहने के लिए छुट्टी मिल गई है.

मेरे दिल पर सांप लोटने लगा. काश, मेरा भी बौस होता…बौसी नहीं…तो मैं भी अपनी अदाओं के जलवे बिखेरती, मुसकराती, इठलाती हुई छुट्टी पर छुट्टी करती चली जाती और आफिस में बैठा मेरा बौस मेरी अटेंडेंस भरता होता…पर मैं क्या करूं, मेरा तो बौस नहीं बौसी है.

बौस शब्द कितना अच्छा लगता है. एक ऐसा पुरुष जो है तो बांस की तरह सीधा तना हुआ. हम से ऊंचा और अकड़ा हुआ भी पर जब उस में फूंक भरो तो… आहा हा हा. क्या मधुर तान निकलती है. वही बांस, बांसुरी बन जाता है.

‘‘सर, एक बात कहें, आप नाराज तो नहीं होंगे. आप को यह सूट बहुत ही सूट करता है, आप बड़े स्मार्ट लगते हैं,’’ मैं ऐसा कहती तो बौस के चेहरे पर 200 वाट की रोशनी फैल जाती है.

‘‘ही ही ही…थैंक्स. अच्छा, ‘थामसन एंड कंपनी’ के बिल चेक कर लिए हैं.’’

‘‘सर, आधे घंटे में ले कर आती हूं.’’

‘‘ओ के, जल्दी लाना,’’ और बौस मुसकराते हुए केबिन में चला जाता. वह यह कभी नहीं सोचता कि फाइल लाने में आधा घंटा क्यों लगेगा.

पर मेरी तो बौसी है जो आफिस में घुसते ही नाक ऊंची कर लेती है. धड़मधड़म कर के दरवाजा खोलेगी और घर्रर्रर्रर्र से घंटी बजा देगी, ‘‘पाल संस की फाइल लाना.’’

‘‘मेम, आज आप की साड़ी बहुत सुंदर लग रही है.’’वह एक नजर मेरी आंखों में ऐसे घूरती है जैसे मैं ने उस की साड़ी का रेट कम बता दिया हो.

‘‘काम पूरा नहीं किया क्या?’’ ठां… उस ने गरम गोला दाग दिया. थोड़ी सी हवा में ठंडक थी, वह भी गायब हो  गई, ‘‘फाइल लाओ.’’

दिल करता है फाइल उस के सिर पर दे मारूं.

‘‘सर, आज मैं बहुत थक गई हूं, रात को मेहमान भी आए थे, काफी देर हो गई थी सोने में. मैं जल्दी चली जाऊं?’’ मैं अपनी आवाज में थकावट ला कर ऐसी मरी हुई आवाज में बोलती जैसी मरी हुई भैंस मिमियाती है तो बौस मुझे देखते ही तरस खा जाता.

‘‘हां हां, क्यों नहीं. पर कल समय से आने की कोशिश करना,’’ यह बौस का जवाब होता.

लेकिन मेरे मिमियाने पर बौसी का जवाब होता है, ‘‘तो…? तो क्या मैं तुम्हारे पांव दबाऊं? नखरे किसी और को दिखाना, आफिस टाइम पूरा कर के जाना.’’

मन करता है इस का टाइम जल्दी आ जाए तो मैं ही इस का गला दबा दूं.

‘‘सर, मेरे ससुराल वाले आ रहे हैं, मैं 2 घंटे के लिए बाहर चली जाऊं,’’ मैं आंखें घुमा कर कहती तो बौस भी घूम जाता, ‘‘अच्छा, क्या खरीदने जा रही हो?’’ बस, मिल जाती परमिशन. पर यह बौसी, ‘‘ससुराल वालों से कह दिया करो कि नौकरी करने देनी है कि नहीं,’’ ऐसा जवाब सुन कर मन से बददुआ निकलने लगती है. काश, तुम्हारी कुरसी मुझे मिल जाती तो…लो इसी बात में मेरी बौसी महारानी पानी भरती दिखाई देती.

उस दिन पति से लड़ाई हो गई तो रोतेरोते ही आफिस पहुंची थी. मेरे आंसू देखते ही बौसी बोली, ‘‘टसुए घर छोड़ कर आया करो.’’ लेकिन अगर मेरा बौस होता तो मेरे आंसू सीधे उस के (बौस के) दिल पर छनछन कर के गरम तवे पर ठंडी बूंदों की तरह गिरते और सूख जाते. वह मुझ से पूछता, ‘क्या हुआ है? किस से झगड़ा हुआ.’ तब मैं अपने पति को झगड़ालू और अकड़ू बता कर अपने बौस की तारीफ में पुल बांधती तो वह कितना खुश हो जाता और मेरी अगले दिन की एक और छुट्टी पक्की हो जाती.

कोई भी अच्छी ड्रेस पहनूं या मेकअप करूं तो डर लगने लगता है. बौसी कहने लगती है, ‘‘आफिस में सज कर किस को दिखाने आई हो?’’ अगर बौस होता तो ऐसे वाहियात सवाल थोड़े ही करता? वह तो समझदार है, उसे पता है कि मैं उस के दिल के कोमल तारों को छेड़ने और फुसलाने के लिए ही तो ऐसा कर रही हूं. वह यह सब जान कर भी फिसलता ही जाएगा. फिसलता ही जाएगा और उस की इसी फिसलन में उस की बंद आंखों में मैं अपने घर के हजारों काम निबटा देती.

पर मेरी किस्मत में बौस के बजाय बौसी है, बासी रोटी और बासी फूल सी मुरझाई हुई. उस के होेते हुए न तो मैं आफिस टाइम पर शौपिंग कर पाती हूं, न ही ससुराल वालों को अटेंड कर पाती हूं, न ही घर जा कर सो पाती हूं, न ही अपने पति की चुगली उस से कर के उसे खुश कर पाती हूं और न ही उस के रूप और कपड़ों की बेवजह तारीफ कर के, अपने न किए हुए कामों को अनदेखा करवा सकती हूं.

अगर मेरा बौस होता तो मैं आफिस आती और आफिस आफिस खेलती, पर काम नहीं करती. पर क्या करूं मैं, मेरी तो बौसी है. इस के होने से मुझे अपनी सुंदरता पर भी शक होने लगा है. मेरा इठलाना, मेरा रोना, मेरा आंसू बहाना, मेरा सजना, मेरे जलवे, मेरे नखरे किसी काम के नहीं रहे.

इसीलिए मुझे कभी-कभी अपने नारी होने पर भी संदेह होने लगा है. काश, कोई मेरी बौसी को हटाकर मुझे बौस दिला दे, ताकि मुझे मेरे होने का एहसास तो होता.

 

Summer Special: स्किन को दें फूलों सा निखार

फूलों की खूबसूरती व खुशबू हर किसी को तरोताजा फील करवाती है. जब हम उन्हें छूते हैं, उन की खुशबू को फील करते हैं तो हमें अच्छा व काफी अलग फील होता है. तो जरा सोचिए कि अगर इन फूलों की खुशबू व गुणों को हम अपने डेली स्किन केयर रूटीन में शामिल करते हैं तो हमारी स्किन भी इन फूलों की तरह खिल उठेगी और फिर हमेशा खिला चेहरा न सिर्फ आप की बाहरी सुंदरता को निखारता है, बल्कि आप के अंदर के आत्मविश्वस को भी जगाता है.

तो आइए जानते हैं उन प्रोडक्ट्स के बारे में, जिन में फ्लौवर्स के गुण शामिल हैं और वे हमारी स्किन के लिए किस तरह से फायदेमंद साबित होते हैं:

स्किन के लिए मैजिक

गुलाब की पत्तियों की बात हो या फिर उस के तेल की, दोनों ही स्किन के लिए मैजिक का काम करते हैं, क्योंकि इस में विटामिंस, मिनरल्स व ऐंटीऔक्सीडैंट्स जो होते हैं. गुलाब में होने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट्स फ्री रैडिकल्स से बचा स्किन को ऐजिंग से बचा कर हमेशा उसे ग्लोइंग बनाए रखने का काम करता है.

यह हर स्किन टाइप के लिए है, लेकिन ड्राई स्किन के लिए यह हीलिंग हाइड्रेटर का काम करता है, क्योंकि इस में मौइस्चराइजिंग प्रौपर्टीज जो होती हैं, जो स्किन के मौइस्चर को लौक कर के उसे हाइड्रेट रखने का काम करती हैं, जिस से स्किन पर जलन भी नहीं होती है. इस में ऐस्ट्रिंजैंट प्रौपर्टीज भी होती हैं, जो स्किन को एक्ने, रैडनैस व जलन से बचाने का काम करती हैं, साथ ही गुलाब स्किन के नैचुरल पीएच लेवल को बैलेंस में रख कर स्किन पर होने वाले अतिरिक्त औयल प्रोडक्शन को होने से रोकता है. तो हुआ न गुलाब स्किन के लिए मैजिक?

इस के लिए आप मार्केट में मिलने वाले रोज सीरम, रोज टोनर, रोज जैल, रोज पैक, रोज वाटर का इस्तेमाल कर सकती हैं. ध्यान रखें जो भी स्किन केयर प्रोडक्ट खरीदें, उस में रोज कंटैंट ज्यादा मात्रा में हो, तभी आप को उस का फायदा मिलेगा.

सनफ्लौवर दे नैचुरल ग्लो

इस में ढेरों न्यूट्रिएंट्स होते हैं, तभी तो सदियों से स्किन पर नैचुरल ग्लो व बेदाग स्किन पाने के लिए नैचुरल स्किन केयर प्रोडक्ट के तौर पर इस का इस्तेमाल हो रहा है. यह स्किन के खोए मौइस्चर को वापस लौटा कर उसे हाइड्रेट व स्मूद बनाए रखने का काम करता है, साथ ही इस में विटामिन ए, सी, डी, ई जैसे जरूरी न्यूट्रिएंट्स होने के कारण यह स्किन को फ्री रैडिकल्स से बचाता है, जो ऐजिंग का कारण बनता है.

यह आप की स्किन पर प्रोटैक्टिव लेयर बन कर काम करता है, जिस से स्किन धूलमिट्टी, गंदगी व विषैले पदार्थों से बची रहती है. यह स्किन के अंदर तक जा कर पोर्स को छोटा करने के साथसाथ स्किन के टैक्स्चर के साथसाथ उस के टोन को भी इंप्रूव करता है. यह अपनी स्मूद प्रौपर्टीज के कारण हर तरह की स्किन के लिए अच्छा माना जाता है.

ऐसे में अगर आप सनफ्लौवर को अपने स्किन केयर रूटीन में शामिल करना चाहती हैं तो उस के लिए आप सनफ्लौवर औयल, डे व नाइट क्रीम, सनफ्लौवर हाइडे्रटेड लोशन, हेयर क्रीम आदि का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस की कीमत ब्रैंड व क्वांटिटी के हिसाब से निर्धारित होती है. लेकिन इस की थोड़ी सी क्वांटिटी स्किन पर अमेजिंग इफैक्ट देने का काम करती है.

मैरीगोल्ड रखे एजिंग को दूर

इस में ऐंटीफंगल, ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीइनफ्लैमेटरी प्रौपर्टीज होने के कारण यह एक्ने, स्किन इरिटेशन व फंगल इन्फैक्शन से बचाने का काम करता है साथ ही स्किन को फ्री रैडिकल्स से बचा कर ऐजिंग को रोकने का काम भी करता है. सदियों से इस का स्किन केयार में इस्तेमाल किया जाता रहा है.

यहां तक कि अगर आप इस के कुछ फूलों को गरम पानी में थोड़ी देर भिगो कर फिर इस पानी का इस्तेमाल करेंगी तो यह आप की स्किन के लिए बैस्ट टोनर का काम करेगा.

अगर आप खुद की स्किन को झुर्रियों व मुंहासों से मुक्त रखना चाहती हैं तो फिर मैरीगोल्ड युक्त स्किन केयर प्रोडक्ट्स आप ही के लिए हैं.

इस के लिए आप को मैरीगोल्ड फेस क्रीम, मैरीगोल्ड बटर बौडी लोशन, यहां तक कि आप को इस की ऐंटीसैप्टिक क्रीम्स तक मिल जाएंगी. ये स्किन को सौफ्ट व हाइड्रेट रखेंगी. ये आप को मार्केट में भी आसानी से मिल जाएंगी और औनलाइन भी आसानी से खरीद सकती हैं.

लोटस नैचुरल मौइस्चराइजर

ब्लू लोटस फ्लौवर ऐक्स्ट्रैक्ट नैचुरल मौइस्चराइजर का काम करता है, जिस से ड्राई, रफ व फलकी स्किन को काफी आराम मिलता है. साथ ही यह स्किन के औयल को बैलेंस में रख कर एक्ने होने से भी रोकता है.

इस में ऐंटीऔक्सीडैंट्स, पौलीफिनोल और विटामिंस होने के कारण यह स्किन को फ्री रैडिकल्स से बचा कर स्किन को ऐजिंग व डैमेज होने से भी बचाता है. ‘कोरियन जर्नल औफ कैमिकल इंजीनियरिंग’ में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, लोटस के फूल व पत्तियों में स्किन की इलास्टिसिटी को इंप्रूव करने की क्षमता होती है, जिस से हैल्दी स्किन सैल्स बनने से स्किन पर झुर्रियों की समस्या नहीं होती है और स्किन एकदम खिलीखिली रहती है.

इस की खास बात यह है कि यह बिना स्किन के नैचुरल मौइस्चर को खत्म किए सीबम प्रोडक्शन को कंट्रोल करने का काम करता है, जिस से पोर्स छोटे होने के साथसाथ पिंपल्स की भी समस्या कम होती है.

इस के लिए आप लोटस का टोनर, सनस्क्रीन, फेस वाश, क्रीम, लोटस ब्राइटनिंग जैल क्रीम, एसपीएफ युक्त बौडी लोशन, मौइस्चराइजर अप्लाई कर सकती हैं. ये पौकेट फ्रैंडली होने के साथसाथ डर्मैटोलौजिस्ट टैस्टेड भी हैं.

गुड़हल दे यंग ब्यूटी

अगर आप गुड़हल को अपने स्किन केयर में शामिल कर लेती  हैं तो आप को कम समय में यंग ब्यूटी मिल सकती है. यह अल्फा हाइड्रौक्सी ऐसिड का अच्छा स्रोत होने के कारण स्किन को ऐक्सफौलिएट करने के साथसाथ ब्राइट लुक देने का काम भी करता है. यह हैल्दी स्किन सैल्स को प्रमोट करने के साथसाथ हाइपरपिगमैंटेशन को भी कम करता है, जिस से स्किन का टोन इंप्रूव होने के साथसाथ स्किन निखर भी जाती है. यह स्किन पर होने वाले घावों को भी तेजी से भरने का काम करता है.

अगर आप यंग ब्यूटी पाने के साथसाथ स्किन प्रौब्लम्स से नजात चाहती हैं तो आप इस का फेस पाउडर, क्रीम, टोनर का इस्तेमाल करें. इसे आप घर में भी बना सकती हैं या फिर बाहर से भी खरीद सकती हैं. यहां तक कि आप इसे टी फौर्म में भी ले कर इस के फायदे ले सकती हैं.

जैस्मिन करे ड्राईनैस दूर

इस में स्किन की इलास्टिसिटी को इंप्रूव करने के साथसाथ स्किन के मौइस्चर को बनाए रखने की पावर भी होती है, जिस से धीरेधीरे स्किन की ड्राईनैस दूर होती है. इस की ऐंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टीज स्किन के घावों को ठीक कर के स्किन की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी मददगार हैं. जैस्मिन डार्क स्पौट्स को कम कर के स्किन को इवन टोन देने का काम करता है और बिना स्किन को इरिटेट करे उस की ड्राइनैस को दूर काता है.

लैवेंडर करे स्किन को डीटोक्स

लैवेंडर अपनी रिलैक्सिंग व कूल प्रौपर्टीज के लिए जाना जाता है. तभी तो अकसर इस का इस्तेमाल स्पा ट्रीटमैंट व अरोमा थेरैपी में किया जाता है. सिर्फ इस का काम यही नहीं है, बल्कि यह सैल्स निर्माण को बढ़ावा देने का काम भी करता है, इसलिए इस का इस्तेमाल दागधब्बों, झुर्रियों को हटाने में भी किया जाता है. अगर आप की स्किन काफी ड्राई है तो आप लैवेंडर बौडी बटर को फेस पर अप्लाई करें.

यह स्किन के मौइस्चर को बैलेंस में रख कर न तो स्किन को बहुत ज्यादा औयली करता है और न ही ज्यादा ड्राई यानी दोनों के बीच बैलेंस बनाए रखता है. इस की ऐंटीइनफ्लैमेटरी प्रौपर्टीज यूवी किरणों से स्किन पर जो रैडनैस आती है या फिर बैक्टीरिया इन्फैक्शन को जल्द ही हील करने का काम करता है. मार्केट में लैवेंडर सी थेरैपी बाथ प्रोडक्ट आता है, अगर आप इसे नियमित यूज करती हैं तो यह स्किन को डीटौक्स करने का काम करता है.

आप इस के लिए लैवेंडर बौडी लोशन, क्रीम, लैवेंडर ऐसेंशियल औयल को अपनी ब्यूटी किट में शामिल कर सकती हैं. भले ही ये प्रोडक्ट्स थोड़े महंगे होते हैं, लेकिन रिजल्ट इतना अमेजिंग होता है कि आप दोबारा बिना सोचे इन पर पैसे खर्च करने के लिए तैयार हो जाएंगी.

कैमोमाइन करे स्किन टोन को इंप्रूव

कैमोमाइन ऐंटीऔक्सीडैंट्स से भरपूर होने के कारण स्किन को फ्री रैडिकल्स से बचाने का काम भी करता है. यह रंगत को भी इंप्रूव कर के स्किन को वही ग्लो देने का काम करता है, जो हमेशा से आप चाहती हैं. ऐंटीइनफ्लैमेटरी व ऐंटीसैप्टिक प्रौपर्टीज होने के यह एक्ने को कंट्रोल करने के साथसाथ उन के धब्बों को भी कम समय में हटाने का काम करता है.

यह सैल्स और टिशूज के पुनर्निर्माण में सहायक हो कर पोर्स को टाइट कर ऐजिंग प्रोसैस को धीमा कर के आप को हमेशा यंग बनाए रखता है.

इस के लिए आप कैमोमाइन फेस वाश, कैमोमाइन विटामिन ई मौइस्चराइजर, ऐसेंशियल औयल, फेस वाश, डे व नाइट क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं. मार्केट में अलगअलग ब्रैंड्स इन्हें बना रहे हैं.

अगर आप भी वर्किंग गर्ल हैं तो इन 5 आउटफिट को जरूर करें ट्राई

महिलाओं के लिए कपड़े कभी भी पर्याप्त नहीं होते हैं. चाहे आपके पास अलमारी में कपड़े रखने की जगह न हो लेकिन फिर भी आपके पास बाहर जाते समय कपड़े नहीं मिलेंगे. ऐसा हर महिला के साथ होता है. अगर आप वर्किंग महिला हैं तो रोजाना क्या पहन के जाना है यह प्रश्न आपके दिमाग में जरूर आता होगा. ऐसे कपड़े जो फॉर्मल भी हो और दिखने में इंटरेस्टिंग भी ऐसा ऑप्शन रोजाना ढूंढना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे आउटफिट आइडिया के बारे में जो आपको पूरी तरह से स्टाइलिश लुक देंगे और आप उन्हें ऑफिस की पार्टी आदि के हिसाब से भी पहन कर जा सकती हैं.

  1. द कलर पॉप ड्रेस :

अगर आप गर्मियों में भी केवल काले और सफेद कपड़े पहन रही है तो आपको अपनी वॉर्डरोब में इस समय कुछ रंगों को एड करने की भी जरूरत है. कुछ ब्राइट और चेक की ड्रेस पहन सकती हैं जो वर्क के लिए परफेक्ट रहने वाली हैं. इन ड्रेस की लेंथ भी घुटनों से नीचे होती है इसलिए केवल पार्टी में ही नहीं बल्कि नियमित रूप से भी इन ड्रेस को आप अपनी ऑफिस में पहन कर जा सकती हैं.

  1. फ्लोरल ड्रेस :

लॉन्ग फ्लोरल ड्रेस मौसम के हिसाब से आपके वर्क आउटफिट के लिए काफी अच्छी रहने वाली हैं. इस तरह के मौसम में जब आपको चारों ओर हरियाली दिखती है तो अपने कपड़ों पर भी थोड़े फूल पत्ती अच्छे लगेंगे. इसलिए पूरी ड्रेस में छोटे छोटे फूल काफी अच्छे लगेंगे. इसके नीचे आप ब्लॉक सैंडल्स पहन सकती हैं और काफी अच्छा और स्टाइलिश लुक आपका तैयार हो जाएगा.

  1. कंफर्ट के हिसाब से पहनें :

अगर आप काफी दूर ऑफिस जाती हैं और आपको कंफर्टेबल कपड़े पहनने हैं तो इसका मतलब यह नहीं है आप को स्टाइल से कॉम्प्रोमाइज करना होगा. आप ऊपर अलग टॉप और नीचे ब्रॉड जींस पहन सकती हैं. ऊपर शर्ट टाइप का टाइगर प्रिंट में या फ्लोरल प्रिंट का टॉप पहन सकती हैं और नीचे जींस में उसे टक इन कर सकती हैं. नीचे कंफर्टेबल सफेद स्नीकर्स पहन सकती हैं जो लगभग हर ड्रेस के साथ जाते हैं.

  1. प्लेन सॉलिड :

अगर आप कुछ ऐसा लाना चाहती हैं जिसे आप किसी भी मौसम में पहन सकती हैं तो आप सॉलिड प्लेन शर्ट या टी शर्ट लेने के साथ साथ सॉलिड प्लेन ट्राउजर्स भी पहन सकती हैं. आपको ऊपर किसी भी ब्राइट रंग की शर्ट पहननी है और नीचे सफेद रंग के ट्राउजर्स के साथ उन्हें पेयर कर सकती हैं. इस तरह के कपड़े किसी भी मौसम में चल सकते हैं और आपको एक बार खरीदने के बाद बार बार लेने की जरूरत नहीं पड़ने वाली है.

  1. शर्ट ड्रेस :

शर्ट ड्रेस आजकल काफी ट्रेंड में हैं और यह आपको काफी स्टाइलिश लुक भी देंगी. इस लुक को बनाने में आपको बहुत कम प्रयास करने होंगे क्योंकि ड्रेस पहनने के बाद आप नीचे स्नीकर्स पहन सकती हैं और आपका लुक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. इस तरह की शर्ट ड्रेस अलग अलग कलर और पैटर्न में दो चार जरूर अपनी वॉर्डरोब में रख लें.

इस तरह के कपड़े आपके पास वैसे भी होने चाहिए फिर चाहे आप ऑफिस जा रही हों या फिर किसी दोस्तों के साथ घूमने फिरने. यह ड्रेसेज आपके हमेशा काम आने वाली हैं और आपको स्टाइलिश बनाने में भी मदद करती हैं. इसलिए यह सारे लुक अपनी अलमारी में जरूर रखें.

सवी के लिए सरप्राइज प्लान करेगी रीवा, मुकुल मामा को फटकार लगाएंगे राव साहेब

सीरियल गुम है किसी के प्यार में दर्शकों को बहुत पसंद आ रहा है. सीरियल के आनेवाले एपिसोड में आप देखेंगे कि रीवा सवी के लिए सरप्राइज प्लान करेगी.

 

आनेवाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अवनी की सच्चाई सामने आने के बाद मुकुल मामा भोसले परिवार को धमकी देंगे कि अगर ज्यादा होशियारी की गई तो वह उनसे सारे पैसे वापस ले लेंगे. इस पर राव साहेब मुकुल मामा पर बहुत गुस्सा होते हैं और उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं.

 

इसके बाद मामा की पत्नी सामने आ जाती हैं और कहती हैं कि मामा ने गुनाह किया है और फिर से ऐसा करते हैं तो वह उन्हें खुद पुलिस स्टेशन लेकर जाएंगी और दोनों ही घर छोड़कर चले जाएंगे. इतना ही नहीं सवी भी घर छोड़कर जाती नज़र आएगी क्योंकि उसे लगता है कि वह सबकी परेशानी का कारण बनी हुई है लेकिन ईशान और अक्का साहेब उसे जाने से रोकेंगे क्योंकि वह मुकुल मामा का असली चेहरा सबके सामने लेकर आई है जिसके कारण परिवार के सभी सदस्य उसकी साइड लेंगे.

 

इसी बीच अवनी भी सवि को भाभी कहकर बुलाती है जिससे सवी और ईशान के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ जाती है. तो दूसरी तरफ  रीवा ईशान से कहती है कि तुम हमेशा कैसे सवी का साथ देते हो तब ईशान रीवा से कहता है कि वह सवि को कुछ देना चाहता है और उसकी मदद करने के लिए वो कुछ प्लान  करे. तो रीवा उसका साथ देने का वादा करती है. आने वाले एपिसोड में यह देखना रोमांचक होगा की क्या रीवा सच में कुछ अच्छा प्लान करेगी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें