मैं 35-36 की उम्र में मां बनना चाहूं तो क्या इस में कोई समस्या आ सकती है?

सवाल

मैं 25 साल की विवाहित महिला हूं. मेरे कुछ सपने हैं, इसलिए मैं अभी मां नहीं बनना चाहती. यदि मैं 35-36 की उम्र में मां बनना चाहूं तो क्या इस में कोई समस्या आ सकती है? कुछ लोग कहते हैं कि इस उम्र में मां बनना संभव नहीं है. क्या यह सच है?

जवाब-

बढ़ती उम्र के साथ अंडों की संख्या और गुणवत्ता दोनों ही कम होने लगती है, जिस कारण इस उम्र में कंसीव कर पाना मुश्किल होता है. यदि आप ने ठान लिया है कि आप 35 की उम्र में मां बनना चाहती हैं, तो इस में कोई समस्या नहीं है. आज साइंस और टैक्नोलौजी में प्रगति के कारण कई ऐसी तकनीकें उपलब्ध हैं, जिन के माध्यम से इस उम्र में भी गर्भधारण किया जा सकता है. इस के लिए आप आईवीएफ की मदद ले सकती हैं.

आप की उम्र अभी कम है, इसलिए आप के अंडों की गुणवत्ता अच्छी होगी. आप अपने स्वस्थ अंडे फ्रीज करवा सकती हैं जो भविष्य में मां बनने में आप के लिए सहायक साबित होंगे और आईवीएफ ट्रीटमैंट भी आसानी से पूरा हो जाएगा. फ्रीज किए अंडे को आप के पति के स्पर्म के साथ मिला कर पहले भू्रण तैयार किया जाएगा और फिर उस भ्रूण को आप के गर्भ में इंप्लाट कर दिया जाएगा. कुछ ही दिनों में आप को प्रैगनैंसी की खुशखबरी मिल जाएगी.

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शादी के बाद कपल्स सारी कोशिश करके भी मां-बाप नहीं बन पाते हैं तो इसकी वजह इन्फर्टिलिटी यानी बांझपन को माना जाता है. इसमें बच्चा पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है या फिर पूरी तरह खत्म हो जाती है.

आमतौर पर शादी के एक से डेढ़ साल बाद अगर बिना किसी प्रोटेक्शन के कपल्स रिलेशनशिप बनाने के बाद भी मां-बाप नहीं बन पाते हैं तो मेडिकली इन्हें इन्फर्टिलिटी का शिकार माना जाता है. इसमें समस्या महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- सही समय पर हो इलाज तो दूर होगी इन्फर्टिलिटी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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डे केयर में भेजने से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

कुछ दिन पहले नवी मुंबई के एक क्रेच में 10 महीने की एक बच्ची को पीटने और पटकने की दिल दहलाने वाली घटना सामने आई थी. जब पुलिस एवं बच्ची के अभिभावकों ने क्रेच के सीसी टीवी कैमरे में फुटेज देखीं तो वे हैरान रह गए. फुटेज में डे केयर सैंटर की आया बच्ची की पिटाई कर रही थी. उसे लातें और थप्पड़ मार रही थी. वैसे यह पहली घटना नहीं है जब क्रेच में बच्चों के साथ ऐसा किया गया हो. इस से पहले भी दिल्ली में पुलिस ने क्रेच चलाने वाले करीब 70 साल के एक शख्स को गिरफ्तार किया था, जिस पर आरोप था कि वह क्रेच में 5 साल की बच्ची के साथ छेड़छाड़ करता था.

आए दिन इस तरह की घटनाएं घटती हैं, जिन में क्रेच में बच्चों के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है.

दरअसल, आज महिलाएं सासससुर के साथ रहना पसंद नहीं करतीं और न ही अपने कैरियर के साथ किसी तरह का समझौता करती हैं. उन्हें लगता है क्रेच तो हैं ही, जहां उन के बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं. वहां उन के खानेपीने से ले कर खेलने, आराम करने और ऐक्टिविटीज सीखने तक का पूरा इंतजाम होता है. वे सुबह औफिस जाते समय बच्चे को क्रेच में छोड़ देती हैं और शाम को घर लौटते समय साथ ले आती हैं. अगर किसी दिन वे लेट हो जाती हैं, तो क्रेच संचालक को फोन कर के बता देती हैं.

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जब बच्चे को घर ले कर आती हैं तब उस के साथ समय बिताने के बजाय अन्य कामों में व्यस्त हो जाती हैं, सिर्फ संडे को ही बच्चे के साथ समय बिताती हैं.

मगर अपने बच्चे को पूरी तरह से डे केयर के हवाले छोड़ना सही नहीं है. ऐसा करने से आप के और बच्चे के बीच बौंडिंग नहीं बन पाती है. वह आप से अपनी बातें शेयर नहीं कर पाता, उदास रहने लगता है. कई बार तो बच्चा अपने साथ हो रहे शोषण को समझ ही नहीं पाता कि उस के साथ क्या हो रहा है.

क्रेच में बच्चे का अच्छी तरह ध्यान रखा जाता है, वह वहां नईनई चीजें भी सीखता है, लेकिन इस के बावजूद हर दिन बच्चे की मौनिटरिंग करें कि क्रेच में उसे किस तरह से रखा जाता है, उसे वहां कोई परेशानी तो नहीं होती, क्योंकि बच्चे कुछ कहते नहीं हैं, बस रोते रहते हैं और मातापिता को लगता है कि वे वहां जाना नहीं चाहते, इसलिए रो रहे हैं. यह आप की जिम्मेदारी है कि आप जानें कि आखिर बच्चा वहां क्यों नहीं जाना चाहता.

हर दिन करें ये काम

– औफिस से घर आने के बाद आप कितनी भी क्यों न थक गई हों, अपने बच्चे के साथ समय जरूर बिताएं. उस से बातें करें कि आज क्रेच में क्या किया, क्या खाया, क्या सीखा? वहां मजा आता है या नहीं? अगर बच्चा कुछ अजीब सा जवाब दे तो उसे हलके में न लें, बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि बच्चा ऐसा क्यों कह रहा है.

– बच्चा जब क्रेच से वापस आए तो जरूर चैक करें कि उस के शरीर पर कोई निशान तो नहीं है. अगर है तो बच्चे से पूछें कि निशान कैसे पड़ा, साथ ही यह भी देखें कि उस का नैपी बदला गया है या नहीं. आप ने लंच में उसे जो खाने के लिए दिया था क्या उस ने वह खाया है या नहीं.

जब करें क्रेच का चयन

– बिजली व पानी की कैसी व्यवस्था है, बिस्तर साफ है या नहीं, बच्चे के खेलने के लिए किस तरह के खिलौने हैं, यह जरूर देखें.

– क्रेच हमेशा हवादार, खुला और रोशनी वाला होना चाहिए.

– यह भी देखें कि क्रेच में जो बच्चे का ध्यान रखती है वह कैसी है, बच्चों के प्रति उस का व्यवहार कैसा है.

– वहां आने वाले बच्चों के मातापिता से बात करें कि क्रेच कैसा है, वे संतुष्ट हैं कि नहीं, वे अपने बच्चे को कब से वहां भेज रहे हैं आदि.

– सस्ते व घर के पास के चक्कर में अपने बच्चे को किसी भी क्रेच में न रखें, क्योंकि वहां आप के बच्चे को रहना है, इसलिए कोशिश करें क्रेच साफसुथरा हो.

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बच्चों के लिए घर पर बनाएं यम्मी एंड टेस्टी चौकलेट केक

अक्सर आपके घरों में बच्चे केक की डिमांड करते होंगे, लेकिन रोजाना बच्चों को केक देना सही नही है. वहीं दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि घर में केक बनाना मुश्किल भी है, पर आज हम आपको आसान टिप्स से घर पर केक बनाना सिखाएंगें. जिससे आप अपने बच्चों को घर पर ही हेल्दी और टेस्टी केक खिला पाएंगी.

हमें चाहिए…

3 कप मैदा

2 फेंटे हुए अंडे

2 चम्मच बेकिंग सोडा

2 चम्मच वनीला एसेंस

2 कप बारीक चीनी (चीनी का बुरादा)

2 कप बटर

2 कप दूध

बनाने का तरीका

-चीनी और मक्खन को मिलाते हुए तब तक फेंटें जब तक ये हल्का और फ्लफी न हो जाए. इसे इलेक्ट्रिक ब्लेंडर से फेंटे, कुछ न हो तो कांटे से भी फेंट सकती हैं. जब ये तैयार हो जाए तो इसमें फेंटा हुआ अंडा डालकर अच्छी तरह मिलाएं. अच्छी तरह फेंटें ताकि मिश्रण हल्का और सफेद दिखाई देने लगे.

-इसमें मैदा और बेकिंग सोडा एक साथ डालें. अगर जरूरत पड़े तो थोड़ा सा दूध डालें और तब तक मिलाएं जब तक बैटर फ्लफी और सौफ्ट न हो जाए. इसमें वनीला एसेंस मिलाकर अच्छे से मिलाएं. वनीला एसेंस अंडे की महक को छिपाने के लिए जरूरी होता है.

-बेकिंग टिन को थोड़ा ग्रीसी कर लें और इस पर मैदा डालें. इससे केक बेस पर नहीं चिपकेगा. इस पर बटर पेपर भी लगा सकते हैं. तैयार किया हुआ पेस्ट टिन में डालें और इसे प्रेशर कुकर में रखें. कुकर में पानी न डालें और ये ध्यान रखें कि टिन कुकर के बेस से टच न हो. आप बेकिंग डिश के नीचे एक स्टील की प्लेट को उल्टा करके रख सकते हैं.

-आंच बढ़ाएं और दो मिनट तक प्रेशर कुक करें. अब सीटी हटा दें और धीमी आंच पर 35-40 मिनट तक पकाएं. अगर आप इलेक्ट्रिक अवन इस्तेमाल कर रहे हैं तो 180 डिग्री पर 30-35 मिनट तक पकाएं.

– केक तैयार है या नहीं, ये चेक करने के लिए केक में चाकू डालें और अगर इस पर केक नहीं लगता है तो इसका मतलब केक तैयार है. इसे अवन/कुकर से निकाल लें और वायर रैक पर ठंडा होने के लिए रख दें औऱ ठंडा केक बच्चों को परोसें.

अलविदा काकुल: आखिर क्या निकला उसकी चाहत का नतीजा

पेरिस का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चार्ल्स डि गाल, चारों तरफ चहलपहल, शोरशराबा, विभिन्न परिधानों में सजीसंवरी युवतियां, तरहतरह के इत्रों से महकता वातावरण…

काकुल पेरिस छोड़ कर हमेशाहमेशा के लिए अपने शहर इसलामाबाद वापस जा रही थी. लेकिन अपने वतन, अपने शहर, अपने घर जाने की कोई खुशी उस के चेहरे पर नहीं थी. चुपचाप, गुमसुम, अपने में सिमटी, मेरे किसी सवाल से बचती हुई सी. पर मैं तो कुछ पूछना ही नहीं चाहता था, शायद माहौल ही इस की इजाजत नहीं दे रहा था. हां, काकुल से थोड़ा ऊंचा उठ कर उसे सांत्वना देना चाहता था. शायद उस का अपराधबोध कुछ कम हो. पर मैं ऐसा कर न पाया. बस, ऐसा लगा कि दोनों तरफ भावनाओं का समंदर अपने आरोह पर है. हम दोनों ही कमजोर बांधों से उसे रोकने की कोशिश कर रहे थे.

तभी काकुल की फ्लाइट की घोषणा हुई. वह डबडबाई आंखों से धीरे से हाथ दबा कर चली गई. काकुल चली गई.

2 वर्षों पहले हुई जानपहचान की ऐसी परिणति दोनों को ही स्वीकार नहीं थी. हंगरी के लेखक अर्नेस्ट हेंमिग्वे ने लिखा है कि ‘कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जैसे बरसात के दिनों में रुके हुए पानी में कागज की नावें तैराना.’ ये नावें तैरती तो हैं, पर बहुत दूर तक और बहुत देर तक नहीं. शायद हमारा रिश्ता ऐसी ही एक किश्ती जैसा था.

टैक्निकल ट्रेनिंग के लिए मैं दिल्ली से फ्रांस आया तो यहीं का हो कर रह गया. दिलोदिमाग में कुछ वक्त यह जद्दोजेहद जरूर रही कि अपनी सरकार ने मुझे उच्चशिक्षा के लिए भेजा था. सो, मेरा फर्ज है कि अपने देश लौटूं और देश को कुछ दूं. लेकिन स्वार्थ का पर्वत ज्यादा बड़ा निकला और देशप्रेम छोटा. लिहाजा, यहीं नौकरी कर ली.

शुरू में बहुत दिक्कतें आईं. अपने को सर्वश्रेष्ठ समझने वाले फ्रैंच समुदाय में किसी का भी टिकना बहुत कठिन है. बस, एक जिद थी, एक दीवानगी थी कि इसी समुदाय में अपना लोहा मनवाना है. जैसा लोकप्रिय मैं अपनी जनकपुरी में था, वैसा ही कुछ यहां भी होना चाहिए.

पहली बात यह समझ आई कि अंगरेजी से फ्रैंच समुदाय वैसे ही भड़कता है जैसे लाल रंग से सांड़. सो, मैं ने फ्रैंच भाषा पर मेहनत शुरू की. फ्रैंच समुदाय में अपनी भाषा, अपने देश, अपने भोजन व सुंदरता के लिए ऐसी शिद्दत से चाहत है कि आप अंगरेजी में किसी से पता भी पूछेंगे तो जवाब यही मिलेगा, ‘फ्रांस में हो तो फ्रैंच बोलो.’

पेरिस की तेज रफ्तार जिंदगी को किसी लेखक ने केवल 3 शब्दों में कहा है, ‘काम करना, सोना, यात्रा करना.’ यह बात पहले सुनी थी, यकीन यहीं देख कर आया. मैं कुछकुछ इसी जिंदगी के सांचे में ढल रहा था, तभी काकुल मिली.

काकुल से मिलना भी बस ऐसे था जैसे ‘यों ही कोई मिल गया था सरेराह चलतेचलते.’ हुआ ऐसा कि मैं एक रैस्तरां में बैठा कुछ खापी रहा था और धीमे स्वर में गुलाम अली की गजल ‘चुपकेचुपके रातदिन…’ गुनगुना रहा था. कौफी के 3 गिलास खाली हुए और मेरा गुनगुनाना गाने में तबदील हो गया. मेज पर उंगलियां भी तबले की थाप देने लगी थीं. पूरा आलाप ले कर जैसे ही मैं ‘दोपहर… की धूप में…’ तक पहुंचा, अचानक एक लड़की मेरे सामने आ कर झटके से बैठी और पूछा, ‘वू जेत पाकी?’

‘नो, आई एम इंडियन.’

‘आप बहुत अच्छा गाते हैं, पर इस रैस्तरां को अपना बाथरूम तो मत समझिए’.

‘ओह, माफ कीजिएगा,’ मैं बुरी तरह झेंप गया.

काकुल से दोस्ती हो गई, रोज मिलनेजुलने का सिलसिला  शुरू हुआ. वह इसलामाबाद, पाकिस्तान से थी. पिताजी का अपना व्यापार था. जब उन्होंने काकुल की अम्मी को तलाक दिया तो वह नाराज हो कर पेरिस में अपनी आंटी के पास आ गई और तब से यहीं थी. वह एक होटल में रिसैप्शनिस्ट का काम देखती थी.

ज्यादातर सप्ताहांत, मैं काकुल के साथ ही बिताने लगा. वह बहुत से सवाल पूछती, जैसे ‘आप जिंदगी के बारे में क्या सोचते हैं?’

‘हम बचपन में सांपसीढ़ी खेल खेलते थे, मेरे खयाल से जिंदगी भी बिलकुल वैसी है…कहां सीढ़ी है और कहां सांप, यही इस जीवन का रहस्य है और यही रोमांच है,’ मैं ने अपना फलसफा बताया.

‘आप के इस खेल में मैं क्या हूं, सांप या सीढ़ी?’ बड़ी सादगी से काकुल ने पूछा.

‘मैं ने कहा न, यही तो रहस्य है.’

मैं ने लोगों को व्यायाम सिखाना शुरू किया. मेरा काम चल निकला. मुझे यश मिलना शुरू हुआ. मैं ज्यादा व्यस्त होता गया. काकुल से मिलना बस सप्ताहांत पर ही हो पाता था.

कम मिलने की वजह से हम आपस में ज्यादा नजदीक हुए. एक इतवार को स्टीमर पर सैर करते हुए काकुल ने कहा, ‘मैं आप को आई एल कहा करूं?’

‘भई, यह ‘आई एल’ क्या बला है?’ मैं ने अचकचा कर पूछा.

‘आई एल, यानी इमरती लाल, इमरती हमें बहुत पसंद है. बस यों जानिए, हमारी जान है, और आप भी…’ सांझ के आकाश की सारी लालिमा काकुल के कपोलों में समा गई थी.

‘एक बात पूछूं, क्या पापामम्मी को काकुल मंजूर होगी?’ उस ने पूछा.

मैं ने पहली बार गौर किया कि मेरे पापामम्मी को अंकल, आंटी कहना वह कभी का छोड़ चुकी है. मुझे भी नाम से बुलाए उसे शायद अरसा हो गया था.

‘काकुल, अगर बेटे को मंजूर, तो मम्मीपापा को भी मंजूर,’ मैं ने जवाब दिया.

काकुल ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद कर लीं. शायद बंद आंखों से वह एक सजीसंवरी दुलहन और उस का दूल्हा देख रही थी. इस से पहले उस ने कभी मुझ से शादी की इच्छा जाहिर नहीं की थी. बस, ऐसा लगा, जैसे काकुल दबेपांव चुपके से बिना दरवाजा खटखटाए मेरे घर में दाखिल हो गई हो.

मैं ज्यादा व्यस्त होता गया, सुबह नौकरी और शाम को एक ट्रेनिंग क्लास. पर दिन में काकुल से फोन पर बात जरूर होती. अब मैं आने वाले दिनों के बारे में ज्यादा गंभीरता से सोचता कि इस रिश्ते के बारे में मेरे पापामम्मी और उस के पापा, कैसी प्रतिक्रया जाहिर करेंगे. हम एकदूसरे से निभा तो पाएंगे? कहीं यह प्रयोग असफल तो नहीं होगा? ऐसे ढेर सारे सवाल मुझे घेरे रहते.

एक दिन काकुल ने फोन कर के बताया कि उस के अब्बा के दोस्त का बेटा जावेद, कुछ दिनों के लिए पेरिस आया हुआ है. हम कुछ दिनों के लिए आपस में मिल नहीं पाएंगे. इस का उसे बहुत रंज रहेगा, ऐसा उस ने कहा.

धीरेधीरे काकुल ने फोन करना कम कर दिया. कभी मैं फोन करता तो काकुल से बात कम होती, वह जावेदपुराण ज्यादा बांच रही होती. जैसे, जावेद बहुत रईस है, कई देशों में उस का कारोबार फैला हुआ है. अगर जावेद को बैंक से पैसे निकालने हों तो उसे बैंक जाने की कोई जरूरत नहीं. मैनेजर उसे पैसे देने आता है. उस की सैक्रेटरी बहुत खूबसूरत है. उस का इसलामाबाद में खूब रसूख है. वह कई सियासी पार्टियों को चंदा देता है. जावेद का जिस से भी निकाह होगा, उस का समय ही अच्छा होगा.

मुझे बहुत हैरानी हुई काकुल को जावेद के रंग में रंगी देख कर. मैं ने फोन करना बंद कर दिया.

जैसे बर्फ का टुकड़ा धीरेधीरे पिघल कर पानी में तबदील हो जाता है, उसी तरह मेरा और काकुल का रिश्ता भी धीरेधीरे अपनी गरमी खो चुका था. रिश्ते की तपिश एकदूसरे के लिए प्यार, एक घर बसाने का सपना, एकदूसरे को खूब सारी खुशियां देने का अरमान, सब खत्म हो चुका था.

इस अग्निकुंड में अंतिम आहुति तब पड़ी जब काकुल ने फोन पर बताया कि उस के अब्बा उस का और जावेद का निकाह करना चाहते हैं. मैं ने मुबारकबाद दी और रिसीवर रख दिया.

कई महीने गुजर गए. शुरूशुरू में काकुल की बहुत याद आती थी, फिर धीरेधीरे उस के बिना रहने की आदत पड़ गई. एक दिन वह अचानक मेरे अपार्टमैंट में आई. गुमसुम, उदास, कहीं दूर कुछ तलाशती सी आंखें, उलझे हुए बाल, पीली होती हुई रंगत…मैं उसे कहीं और देखता तो शायद पहचान न पाता. उसे बैठाया, फ्रिज से एक कोल्ड ड्रिंक निकाल कर, फिर जावेद और उस के बारे में पूछा.

‘जावेद एक धोखेबाज इंसान था, वह दिवालिया था और उस ने आस्ट्रेलिया में निकाह भी कर रखा था. समय रहते अब्बा को पता चल गया और मैं इस जिल्लत से बच गई,’ काकुल ने जवाब दिया.

‘ओह,’ मैं ने धीमे से सहानुभूतिवश गरदन हिलाई. चंद क्षणों के बाद सहज भाव से पूछा, ‘‘कैसे आना हुआ?’’

‘मैं आज शाम की फ्लाइट से वापस इसलामाबाद जा रही हूं. मुझे विदा करने एअरपोर्ट पर आप आ पाएंगे तो बहुत अच्छा लगेगा.’

‘मैं जरूर आऊंगा.’

शायद वह चाहती थी कि मैं उसे रोक लूं. मेरे दिल के किसी कोने में कहीं वह अब भी मौजूद थी. मैं ने खुद अपनेआप को टटोला, अपनेआप से पूछा तो जवाब पाया कि हम 2 नदी के किनारों की तरह हैं, जिन पर कोई

पुल नहीं है. अब कुछ ऐसा बाकी नहीं है जिसे जिंदा रखने की कोशिश की जाए.

अलविदा…काकुल…अलविदा…

कामिनी आंटी: आखिर क्या थी विभा के पति की सच्चाई

विभा को खिड़की पर उदास खड़ा देख मां से रहा नहीं गया. बोलीं, ‘‘क्या बात है बेटा, जब से घूम कर लौटी है परेशान सी दिखाई दे रही है? मयंक से झगड़ा हुआ है या कोई और बात है? कुछ तो बता?’’ ‘‘कुछ नहीं मां… बस ऐसे ही,’’ संक्षिप्त उत्तर दे विभा वाशरूम की ओर बढ़ गई.

‘‘7 दिन हो गए हैं तुझे यहां आए. क्या ससुराल वापस नहीं जाना? मालाजी फोन पर फोन किए जा रही हैं… क्या जवाब दूं उन्हें.’’ ‘‘तो क्या अब मैं चैन से इस घर में कुछ दिन भी नहीं रह सकती? अगर इतना ही बोझ लगती हूं तो बता दो, चली जाऊंगी यहां से,’’ कहते हुए विभा ने भड़ाक से दरवाजा बंद कर लिया.

‘‘अरे मेरी बात तो सुन,’’ बाहर खड़ी मां की आंखें आंसुओं से भीग गईं. अभी कुछ दिन पहले ही बड़ी धूमधाम से अपनी इकलौती लाडली बेटी विभा की शादी की थी. सब कुछ बहुत अच्छा था. सौफ्टवेयर इंजीनियर लड़का पहली बार में ही विभा और उस की पूरी फैमिली को पसंद आ गया था. मयंक की अच्छी जौब और छोटी फैमिली और वह भी उसी शहर में. यही देख कर उन्होंने आसानी से इस रिश्ते के लिए हां कर दी थी कि शादी के बाद बेटी को देखने उन की निगाहें नहीं तरसेंगी. लेकिन हाल ही में हनीमून मना कर लौटी बेटी के अजीबोगरीब व्यवहार ने उन की जान सांसत में डाल दी थी.

पत्नी के चेहरे पर पड़ी चिंता की लकीरों ने महेश चंद को भी उलझन में डाल दिया. कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि ‘‘हैलो आंटी, हैलो अंकल,’’ कहते हुए विभा की खास दोस्त दिव्या ने बैठक में प्रवेश किया. ‘‘अरे तुम कब आई बेटा?’’ पैर छूने के लिए झुकी दिव्या के सिर पर आशीर्वादस्वरूप हाथ फेरते हुए दिव्या की मां ने पूछा.

‘‘रात 8 बजे ही घर पहुंची थी आंटी. 4 दिन की छुट्टी मिली है. इसीलिए आज ही मिलने आ गई.’’

‘‘तुम्हारी जौब कैसी चल रही है?’’ महेश चंद के पूछने पर दिव्या ने हंसते हुए उन्हें अंगूठा दिखाया और आंटी की ओर मुखातिब हो कर बोली, ‘‘विभा कैसी है? बहुत दिनों से उस से बात नहीं हुई. मैं ने फोन फौर्मैट करवाया है, इसलिए कौल न कर सकी और उस का भी कोई फोन नहीं आया.’’ ‘‘तू पहले इधर आ, कुछ बात करनी है,’’ विभा की मां उसे सीधे किचन में ले गईं.

पूरी बात समझने के बाद दिव्या ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह तुरंत विभा की परेशानी को समझ उन से साझा करेगी.

बैडरूम के दरवाजे पर दिव्या को देख विभा की खुशी का ठिकाना न रहा. दोनों 4 महीने बाद मिल रही थीं. अपनी किसी पारिवारिक उलझन के कारण दिव्या उस की शादी में भी सम्मिलित न हो सकी थी.

‘‘कैसी है मेरी जान, हमारे जीजू बहुत परेशान तो नहीं करते हैं?’’ बड़ी अदा से आंख मारते हुए दिव्या ने विभा को छेड़ा. ‘‘तू कैसी है? कब आई?’’ एक फीकी हंसी हंसते हुए विभा ने दिव्या से पूछा.

‘‘क्या हुआ है विभा, इज समथिंग रौंग देयर? देख मुझ से तू कुछ न छिपा. तेरी हंसी के पीछे एक गहरी अव्यक्त उदासी दिखाई दे रही है. मुझे बता, आखिर बात क्या है?’’ दिव्या उस की आंखों में देखते हुए बोली. अचानक विभा की पलकों के कोर गीले हो चले. फिर उस ने जो बताया वह वाकई चौंकाने वाला था.

विभा के अनुसार सुहागरात से ही फिजिकल रिलेशन के दौरान मयंक में वह एक झिझक सी महसूस कर रही थी, जो कतई स्वाभाविक नहीं लग रही थी. उन्होंने बहुत कोशिश की, रिलेशन से पहले फोरप्ले आदि भी किया, बावजूद इस के उन के बीच अभी तक सामान्य फिजिकल रिलेशन नहीं बन पाया और न ही वे चरमोत्कर्ष का आनंद ही उठा पाए. इस के चलते उन के रिश्ते में एक चिड़चिड़ापन व तनाव आ गया है. यों मयंक उस का बहुत ध्यान रखता और प्यार भी करता है. उस की समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे. मांपापा से यह सब कहने में शर्म आती है, वैसे भी वे यह सब जान कर परेशान ही होंगे.

विभा की पूरी बात सुन दिव्या ने सब से पहले उसे ससुराल लौट जाने के लिए कहा और धैर्य रखने की सलाह दी. अपना व्यवहार भी संतुलित रखने को कहा ताकि उस के मम्मीपापा को तसल्ली हो सके कि सब कुछ ठीक है. दिव्या की सलाह के अनुसार विभा ससुराल आ गई. इस बीच उस ने मयंक के साथ अपने रिश्ते को पूरी तरह से सामान्य बनाने की कोशिश भी की और भरोसा भी जताया कि मयंक की किसी भी परेशानी में वह उस के साथ खड़ी है. उस के इस सकारात्मक रवैए का तुरंत ही असर दिखने लगा. मयंक की झिझक धीरेधीरे खुलने लगी. लेकिन फिजिकल रिलेशन की समस्या अभी तक ज्यों की त्यों थी.

कुछ दिनों की समझाइश के बाद आखिरकार विभा ने मयंक को काउंसलर के पास चलने को राजी कर लिया. दिव्या के बताए पते पर दोनों क्लिनिक पहुंचे, जहां यौनरोग विशेषज्ञ डा. नमन खुराना ने उन से सैक्स के मद्देनजर कुछ सवाल किए. उन की परेशानी समझ डाक्टर ने विभा को कुछ देर बाहर बैठने के लिए कह कर मयंक से अकेले में कुछ बातें कीं. उन्हें 3 सिटिंग्स के लिए आने का सुझाव दे कर डा. नमन ने मयंक के लिए कुछ दवाएं भी लिखीं.

कुछ दिनों के अंतराल पर मयंक के साथ 3 सिटिंग्स पूरी होने के बाद डा. नमन ने विभा को फोन कर अपने क्लिनिक बुलाया और कहा, ‘‘विभाजी, आप के पति शारीरिक तौर पर बेहद फिट हैं. दरअसल वे इरैक्शन की समस्या से जूझ रहे हैं, जो एक मानसिक तनाव या कमजोरी के अलावा कुछ नहीं है. इसे पुरुषों के परफौर्मैंस प्रैशर से भी जोड़ कर देखा जाता है.

‘‘इस समय उन्हें आप के मानसिक संबल की बहुत आवश्यकता है. आप को थोड़ा मजबूत हो कर यह जानने की जरूरत है कि किशोरावस्था में आप के पति यौन शोषण का शिकार हुए हैं और कई बार हुए हैं. अपने से काफी बड़ी महिला के साथ रिलेशन बना कर उसे संतुष्ट करने में उन्हें शारीरिक तौर पर तो परेशानी झेलनी ही पड़ी, साथ ही उन्हें मानसिक स्तर पर भी बहुत जलील होना पड़ा है, जिस का कारण कहीं न कहीं वे स्वयं को भी मानते हैं. इसीलिए स्वेच्छा से आप के साथ संबंध बनाते वक्त भी वे उसी अपराधबोध का शिकार हो रहे हैं. चूंकि फिजिकल रिलेशन की सफलता आप की मानसिक स्थिति तय करती है, लिहाजा इस अपराधग्रंथि के चलते संबंध बनाते वक्त वे आप के प्रति पूरी ईमानदारी नहीं दिखा पाते, नतीजतन आप दोनों उस सुख से वंचित रह जाते हैं. अत: आप को अभी बेहद सजग हो कर उन्हें प्रेम से संभालने की जरूरत है.’’ विभा को काटो तो खून नहीं. अपने पति के बारे में हुए इस खुलासे से वह सन्न रह गई.

क्या ऐसा भी होता है. ऐसा कैसे हो सकता है? एक लड़के का यौन शोषण आदि तमाम बातें उस की समझ के परे थीं. उस का मन मानने को तैयार नहीं था कि एक हट्टाकट्टा नौजवान भी कभी यौन शोषण का शिकार हो सकता है. पर यह एक हकीकत थी जिसे झुठलाया नहीं जा सकता था. अत: अपने मन को कड़ा कर वह पिछली सभी बातों पर गौर करने लगी. पूरा समय मजाकमस्ती के मूड में रहने वाले मयंक का रात के समय बैड पर कुछ अनमना और असहज हो जाना, इधर स्त्रीसुलभ लाज के चलते विभा का उस की प्यार की पहल का इंतजार करना, मयंक की ओर से शुरुआत न होते देख कई बार खुद ही अपने प्यार का इजहार कर मयंक को रिझाने की कोशिश करना, लेकिन फिर भी मयंक में शारीरिक सुख के लिए कोई उत्कंठा या भूख नजर न आना इत्यादि कई ऐसी बातें थीं, जो उस वक्त विभा को विस्मय में डाल देती थीं. खैर, बात कुछ भी हो, आज एक वीभत्स सचाई विभा के सामने परोसी जा चुकी थी और उसे अपनी हलक से नीचे उतारना ही था.

हलकेफुलके माहौल में रात का डिनर निबटाने के बाद विभा ने बिस्तर पर जाते ही मयंक को मस्ती के मूड में छेड़ा, ‘‘तुम्हें मुझ पर जरा भी विश्वास नहीं है न?’’ ‘‘नहीं तो, ऐसा बिलकुल नहीं है. अब तुम्हीं तो मेरे जीने की वजह हो. तुम्हारे बगैर जीने की तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता,’’ मयंक ने घबराते हुए कहा.

‘‘अच्छा, अगर ऐसा है तो तुम ने अपनी जिंदगी की सब से बड़ी सचाई मुझ से क्यों छिपाई?’’ विभा ने प्यार से उस की आंखों में देखते हुए कहा. ‘‘मैं तुम्हें सब कुछ बताना चाहता था, लेकिन मुझे डर था कहीं तुम मुझे ही गलत न समझ बैठो. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं विभा और किसी भी कीमत पर तुम्हें खोना नहीं चाहता था, इसीलिए…’’ कह कर मयंक चुप हो गया.

फिर कुछ देर की गहरी खामोशी के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मयंक बताने लगा. ‘‘मैं टैंथ में पढ़ने वाला 18 वर्षीय किशोर था, जब कामिनी आंटी से मेरी पहली मुलाकात हुई. उस दिन हम सभी दोस्त क्रिकेट खेल रहे थे. अचानक हमारी बौल पार्क की बैंच पर अकेली बैठी कामिनी आंटी को जा लगी. अगले ही पल बौल कामिनी आंटी के हाथों में थर. चूंकि मैं ही बैटिंग कर रहा था. अत: दोस्तों ने मुझे ही जा कर बौल लाने को कहा. मैं ने माफी मांगते हुए उन से बौल मांगी तो उन्होंने इट्स ओके कहते हुए वापस कर दी.’’

‘‘लगभग 30-35 की उम्र, दिखने में बेहद खूबसूरत व पढ़ीलिखी, सलीकेदार कामिनी आंटी से बातें कर मुझे बहुत अच्छा लगता था. फाइनल परीक्षा होने को थी. अत: मैं बहुत कम ही खेलने जा पाता था. कुछ दिनों बाद हमारी मुलाकात होने पर बातचीत के दौरान कामिनी आंटी ने मुझे पढ़ाने की पेशकश की, जिसे मैं ने सहर्ष स्वीकार लिया. चूंकि मेरे घर से कुछ ही दूरी पर उन का अपार्टमैंट था, इसलिए मम्मीपापा से भी मुझे उन के घर जा कर पढ़ाई करने की इजाजत मिल गई.’’ ‘‘फिजिक्स पर कामिनी आंटी की पकड़ बहुत मजबूत थी. कुछ लैसन जो मुझे बिलकुल नहीं आते थे, उन्होंने मुझे अच्छी तरह समझा दिए. उन के घर में शांति का माहौल था. बच्चे थे नहीं और अंकल अधिकतर टूअर पर ही रहते थे. कुल मिला कर इतने बड़े घर में रहने वाली वे अकेली प्राणी थीं.

‘‘बस उन की कुछ बातें हमेशा मुझे खटकतीं जैसे पढ़ाते वक्त उन का मेरे कंधों को हौले से दबा देना, कभी उन के रेंगते हाथों की छुअन अपनी जांघों पर महसूस करना. ये सब करते वक्त वे बड़ी अजीब नजरों से मेरी आंखों में देखा करतीं. पर उस वक्त ये सब समझने के लिए मेरी उम्र बहुत छोटी थी. उन की ये बातें मुझे कुछ परेशान अवश्य करतीं लेकिन फिर पढ़ाई के बारे में सोच कर मैं वहां जाने का लोभ संवरण न कर पाता.’’ ‘‘मेरी परीक्षा से ठीक 1 दिन पहले पढ़ते वक्त उन्होंने मुझे एक गिलास जूस पीने को दिया और कहा कि इस से परीक्षा के वक्त मुझे ऐनर्जी मिलेगी. जूस पीने के कुछ देर बाद ही मुझे कुछ नशा सा होने लगा. मैं उठने को हुआ और लड़खड़ा गया. तुरंत उन्होंने मुझे संभाल लिया. उस के बाद क्या हुआ, मुझे कुछ याद न रहा.

2-3 घंटे बाद जब मेरी आंख खुली तो सिर में भारीपन था और मेरे कपड़े कुछ अव्यवस्थित. मैं बहुत घबरा गया. मुझे कुछ सही नहीं लग रहा था. कामिनी आंटी की संदिग्ध मुसकान मुझे विचलित कर रही थी. दूसरे दिन पेपर था. अत: दिमाग पर ज्यादा जोर न देते हुए मैं तुरंत घर लौट आया. ‘‘दूसरा पेपर मैथ का था. चूंकि फिजिक्स का पेपर हो चुका था, इसलिए कामिनी आंटी के घर जाने का कोई सवाल नहीं था. 2-3 दिन बाद कामिनी आंटी का फोन आया. आखिरी बार उन के घर में मुझे बहुत अजीब हालात का सामना करना पड़ा था. अत: मैं अब वहां जाने से कतरा रहा था. लेकिन मां के जोर देने पर कि चला जा बटा शायद वे कुछ इंपौर्टैंट बताना चाहती हों, न चाहते हुए भी मुझे वहां जाना पड़ा.

‘‘उन के घर पहुंचा तो दरवाजा अधखुला था. दरवाजे को ठेलते हुए मैं उन्हें पुकारता हुआ भीतर चला गया. हाल में मद्धिम रोशनी थी. सोफे पर लेटे हुए उन्होंने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया. कुछ हिचकिचाहट में उन के समीप गया तो मुंह से आ रही शराब की तेज दुर्गंध ने मुझे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. मैं पीछे हट पाता उस से पहले ही उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे पर अपने ऊपर खींच लिया. बिना कोई मौका दिए उन्होंने मुझ पर चुंबनों की बौछार शुरू कर दी. यह क्या कर रही हैं आप? छोडि़ए मुझे, कह कर मैं ने अपनी पूरी ताकत से उन्हें अपने से अलग किया और बाहर की ओर लपका.

‘‘रुको, उन की गरजती आवाज ने मानो मेरे पैर बांध दिए, ‘मेरे पास तुम्हें कुछ दिखाने को है,’ कुटिलता से उन्होंने मुसकराते हुए कहा. फिर उन के मोबाइल में मैं ने जो देखा वह मेरे होश उड़ाने के लिए काफी था. वह एक वीडियो था, जिस में मैं उन के ऊपर साफतौर पर चढ़ा दिखाई दे रहा था और उन की भंगिमाएं कुछ नानुकुर सी प्रतीत हो रही थीं. ‘‘उन्होंने मुझे साफसाफ धमकाते हुए कहा कि यदि मैं ने उन की बातें न मानीं तो वे इस वीडियो के आधार पर मेरे खिलाफ रेप का केस कर देंगी, मुझे व मेरे परिवार को कालोनी से बाहर निकलवा देंगी. मेरे पावों तले जमीन खिसक गई. फिर भी मैं ने अपना बचाव करते हुए कहा कि ये सब गलत है. मैं ने ऐसा कुछ नहीं किया है.

‘‘तब हंसते हुए वे बोलीं, तुम्हारी बात पर यकीन कौन करेगा? क्या तुमने देखा नहीं कि मैं ने किस तरह से इस वीडियो को शूट किया है. इस में साफसाफ मैं बचाव की मुद्रा में हूं और तुम मुझ से जबरदस्ती करते नजर आ रहे हो. मेरे हाथपांव फूल चुके थे. मैं उन की सभी बातें सिर झुका कर मानता चला गया. ‘‘जाते समय उन्होंने मुझे सख्त हिदायत दी कि जबजब मैं तुम्हें बुलाऊं चले आना. कोई नानुकुर नहीं चलेगी और भूल कर भी ये बातें कहीं शेयर न करूं वरना वे मेरी पूरी जिंदगी तबाह कर देंगी.

‘‘मैं उन के हाथों की कठपुतली बन चुका था. उन के हर बुलावे पर मुझे जाना होता था. अंतरंग संबंधों के दौरान भी वे मुझ से बहुत कू्ररतापूर्वक पेश आती थीं. उस समय किसी से यह बात कहने की मैं हिम्मत नहीं जुटा सका. एक तो अपनेआप पर शर्मिंदगी दूसरे मातापिता की बदनामी का डर, मैं बहुत ही मायूस हो चला था. मेरी पूरी पढ़ाई चौपट हो चली थी.

करीब साल भर तक मेरे साथ यही सब चलता रहा. एक बार कामिनी आंटी ने मुझे बुलाया और कहा कि आज आखिरी बार मैं उन्हें खुश कर दूं तो वे मुझे अपने शिकंजे से आजाद कर देंगी. बाद में पता चला कि अंकलजी का कहीं दूसरी जगह ट्रांसफर हो गया है.

‘‘महीनों एक लाचार जीवन जीतेजीते मैं थक चुका था. उस बेबसी और पीड़ा को मैं भूल जाना चाहता था. उसी साल मुझे भी पापा ने पढ़ने के लिए कोटा भेज दिया, जहां मैं ने मन लगा कर पढ़ाई की, पर अतीत की इन परछाइयों ने मेरा पीछा शादी के बाद भी नहीं छोड़ा जिस कारण आज तक मैं तुम्हारे साथ न्याय नहीं कर पाया. मैं शर्मिंदा हूं, मुझे माफ कर दो विभा,’’ मयंक की आंखों में दर्द उतर आया. ‘‘नहीं मयंक तुम क्यों माफी मांग रहे हो. माफी तो उसे मांगनी चाहिए जिस ने अपराध किया है. मैं उस औरत को उस के किए की सजा दिलवा कर रहूंगी और तुम्हें न्याय,’’ कह विभा ने मयंक के आंसू पोंछे.

‘‘नहीं विभा, वह औरत बहुत शातिर है. मुझे उस से बहुत डर लगता है.’’ ‘‘तुम्हारा यही डर तो मुझे खत्म करना है.’’ कहते हुए विभा ने मन में कुछ ठान लिया. अगले दिन से विभा ने कामिनी आंटी के बारे में पता करने की मुहिम छेड़ दी. जिस अपार्टर्मैंट में वे रहती थीं, वहां जा कर खोजबीन करने पर उसे सिर्फ इतना पता चल सका कि कामिनी आंटी के पति का ट्रांसफर भोपाल में हुआ है. लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी.

अपने सासससुर को भी उस ने मयंक की इस आपबीती के बारे में बताया, जिसे सुन कर वे भी सिहर उठे. अपने बेटे के साथ महीनों हुए इस शोषण के खिलाफ उन्होंने भी आवाज उठाने में एक पल की देर न लगाई. एक दिन फेसबुक पर कुछ देखते समय विभा के मन में अचानक एक विचार कौंधा. उस ने कामिनी गुप्ता के नाम से एफबी पर सर्च किया. भोपाल की जितनी भी कामिनी मिलीं उन में उस कामिनी को ढूंढ़ना असंभव नहीं पर मुश्किल जरूर था, पर अपने पति को न्याय दिलाने के लिए विभा कुछ भी करने को तैयार थी.

आखिरकार उस की सास ने जिस एक कामिनी की फोटो पर उंगली रखी, विभा उसे देखती ही रह गई. साफ दमकता रंग, आकर्षक व्यक्तित्व की धनी कामिनी आंटी आज 10 साल बाद भी अपनी वास्तविक उम्र से कम ही नजर आ रही थीं. यकीनन उन्हें देख कर इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल था कि वे एक संगीन जुर्म में लिप्त रह चुकी हैं.

तुरंत विभा ने उन्हें फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी. 2-3 दिन बाद कामिनी आंटी ने विभा की फ्रैंड रिक्वैस्ट स्वीकार ली. धीरेधीरे उस ने कामिनी आंटी की तारीफों के पुल बांधते हुए उन से मेलजोल बढ़ाया और उन का फोन नंबर ले लिया. अब उस का अगला कदम पुलिस को इस मामले की जानकारी देना था. लेकिन चूंकि सालों पुराने हुए इस अपराध को साबित करने के लिए उन के पास कोई ठोस सुबूत नहीं था. अत: पुलिस ने उन की सहायता करने में अक्षमता जताई.

विभा जानती थी कि अगर सुबूत चाहिए तो उसे कामिनी आंटी के पास जाना ही होगा. उस ने मयंक को समझाया और हौसला दिया कि वह एक बार फिर से कामिनी आंटी का सामना करे. योजना के तहत विभा ने कामिनी आंटी से फोन पर बात करते हुए उन्हें बताया कि वह पर्सनल काम से अपने पति के साथ भोपाल आ रही है. कामिनी आंटी ने उसे अपने घर आने का निमंत्रण दिया.

नियत समय पर विभा ने कामिनी आंटी के घर की बैल बजाई. कुछ पलों के पश्चात उन्हें दरवाजे पर देख वितृष्णा से उस का मुंह कसैला हो गया, पर अपनी भावनाओं पर काबू रख उस ने मुसकुराते हुए हाल के अंदर प्रवेश किया. सहज भाव से कामिनी आंटी ने उस का स्वागत किया. कुछ औपचारिक बातों के मध्य ही मयंक ने दरवाजे पर दस्तक दी. दरवाजे पर एक आकर्षक पुरुष को देख कामिनी आंटी कुछ अचरज से भर उठीं. उन्होंने मयंक पर प्रश्नवाचक निगाह डालते हुए उस का परिचय जानना चाहा. इधर विभा मयंक से अनजान बन वहीं खड़ी रही. मयंक अपना परिचय देता, उस से पहले ही कामिनी आंटी ने उसे लगभग पहचानते हुए पूछा, ‘‘तुम?’’ ‘‘दाद देनी पड़ेगी आप की नजर की, कुछ ही पलों में मुझे पहचान लिया.’’

कामिनी आंटी कुछ और कहतीं उस से पहले ही विभा ने उन से चलने की इजाजत मांग ली. ‘‘तुम यहां किस मकसद से आए हो?

क्या चाहते हो?’’ विभा के जाते ही वे मयंक पर बरस पड़ीं. ‘‘अरे वाह, पहले तो आप मुझे बुलाते न थकती थीं और आज इतना बेगाना व्यवहार.’’ मयंक ने अपने हर शब्द पर जोर देते हुए कहा.

‘‘अच्छा, तो तुम मुझे धमकाने आए हो. भूल गए सालों पहले मैं ने तुम्हारी क्या हालत की थी?’’ कामिनी आंटी अपनी असलियत पर आ चुकी थीं. ‘‘अच्छी तरह याद है. इसीलिए तो आप के उन गुनाहों की सजा दिलाने चला आया,’’ मयंक ने हंस कर कहा.

‘‘तुम्हें मेरा पता किस ने दिया और क्या सुबूत है तुम्हारे पास कि मैं ने तुम्हारे साथ कुछ गलत किया है?’’ कामिनी आंटी बौखलाहट में बोले जा रही थीं, ‘‘तुम मुझे अच्छी तरह से जानते नहीं हो, इसलिए यहां आने की भूल कर दी. तुम्हारे जैसे जाने कितने मयंकों को मैं ने अपनी वासना के जाल में फंसाया और बरबाद कर दिया.

तुम आज भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. अभी मेरे पास वह वीडियो मौजूद है जिसे मैं ने तुम्हें फंसाने के लिए बनाया था. तुम कल भी मेरा दिल बहलाने का खिलौना थे और आज भी वही हो. अपनी सलामती चाहते हो तो निकल जाओ यहां से,’’ कामिनी आंटी ने चिल्लाते हुए कहा.

‘‘जरूर निकल जाएंगे, लेकिन आप को सलाखों के पीछे पहुंचा कर, कामिनी आंटी,’’ कहती हुई विभा अंदर आ कर मयंक के पास उस का हाथ पकड़ कर खड़ी हो गई. उस के पीछे महिला पुलिस भी थी. किसी फिल्मी ड्रामे की तरह अचानक हुए इस घटनाक्रम से कामिनी आंटी बौखला गईं बोलीं, ‘‘ये क्या हो रहा है? कौन हो तुम सब? मैं किसी को नहीं जानती… निकल जाओ तुम सब यहां से.’’

‘‘इतनी आसानी से मैं आप को कुछ भी भूलने नहीं दूंगी. मैं हूं विभा मयंक की पत्नी. आप की एक नापाक हरकत ने मेरे बेकुसूर पति की जिंदगी तबाह कर दी. अब बारी आप की है. इंस्पैक्टर यही है वह कामिनी जिस ने मेरे पति का शारीरिक शोषण किया था, जिस के सारे सुबूत इस कैमरे में मौजूद हैं,’’ सैंटर टेबल के फूलदान से विभा ने एक हिडेन कैमरा निकालते हुए पुलिस को सौंप दिया, जिसे उस ने कुछ देर पहले ही कामिनी आंटी की नजर बचा कर रख दिया था. अपनी घिनौनी करतूत के सुबूत को सामने देख अचानक ही कामिनी आंटी ने अपना रुख बदला और मयंक के सामने गिड़गिड़ाने लगीं, ‘‘प्लीज, मुझे माफ कर दो, मैं आइंदा किसी के साथ ऐसा नहीं करूंगी. तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं, प्लीज मुझे बचा लो.’’

‘‘कुछ सालों पहले मैं ने भी यही शब्द आप के सामने कहे थे और हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाया था, लेकिन आप ने जरा भी दया नहीं दिखाई थी,’’ कामिनी आंटी की ओर घृणा से देखते हुए मयंक ने मुंह फेर लिया. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि कामिनी आंटी के पति उन्हें शारीरिक सुख देने के काबिल नहीं थे, जिस से न ही वे कभी मां बन सकीं और न ही उन्हें शारीरिक सुख मिला. लेकिन इस सुख को पाने के लिए उन्होंने जो रास्ता अपनाया वह नितांत गलत था.

इधर मयंक का खोया सम्मान उसे वापस मिल चुका था. ‘‘थैंक्यू सो मच विभा,

तुम ने मुझे एक शापित जिंदगी से मुक्ति दिला कर मेरा खोया आत्मविश्वास वापस दिलाया है,’’ कहतेकहते मयंक का गला भर्रा गया. ‘‘अच्छा तो इस के बदले मुझे क्या मिलेगा?’’ शरारत से हंसते हुए विभा ने उसे छेड़ा.

‘‘ठीक है तो आज रात को अपना गिफ्ट पाने के लिए तैयार हो जाओ,’’ मयंक भी मस्ती के मूड में आ चुका था. शादी के बाद पहली बार मयंक के चेहरे पर वास्तविक खुशी देख कर विभा ने चैन की सांस ली और शरमा कर अपने प्रिय के गले लग गई.

सुरक्षा कवच है मां का दूध

मां का दूध शुरुआत से ही इम्यूनिटी को बूस्ट करने वाली ऐंटीबौडीज से भरपूर होता है. कोलोस्ट्रम, जो ब्रैस्ट मिल्क की पहली स्टेज कहा जाता है, ऐंटीबौडीज से भरा होता है. यह गाढ़ा व पीले रंग का होने के साथसाथ प्रौटीन, फैट सोलुबल विटामिंस, मिनरल्स व इम्मुनोग्लोबुलिंस में रिच होता है. यह बच्चे की नाक, गले व डाइजेशन सिस्टम पर प्रोटैक्टिव लेयर बनाने का काम करता है, जिसे अपने बच्चे की इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए जरूर देना चाहिए.

फौर्मूला मिल्क में ब्रैस्ट मिल्क की तरह पर्यावरण विशिष्ट ऐंटीबौडीज नहीं होती हैं और न ही इस में शिशु की नाक, गले व आंतों के मार्ग को ढकने के लिए ऐंटीबौडीज यानी फौर्मूला मिल्क बेबी को कोई खास प्रोटैक्शन देने का काम नहीं करता है. इसलिए शिशु के लिए मां का दूध ही है सब से उत्तम व हैल्दी.

वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक

वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक दुनियाभर में 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है, जिस का उद्देश्य ब्रैस्ट फीडिंग के प्रति मां व परिवार में जागरूकता पैदा करना होता है. साथ ही मां के पहले गाढ़े दूध के प्रति भ्रांतियों को भी दूर किया जाता है. इस में बताया जाता है कि जन्म के पहले घंटे से ही शिशु को मां का दूध दिया जाना चाहिए क्योंकि यह बच्चे के लिए संपूर्ण आहार होता है.

मां को दूध पिलाने में उस के परिवार, डाक्टर, नर्स को भी अहम योगदान देना चाहिए क्योंकि ब्रैस्ट फीड न सिर्फ बच्चे को बल्कि मां को भी बीमारियों से बचाने में मदद करता है. रिसर्च के अनुसार अब ब्रैस्ट फीडिंग के प्रति महिलाएं भी इस के महत्त्व को समझते हुए जागरूक हो रही हैं.

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ब्रैस्ट मिल्क के और भी हैं फायदे

वजन को बढ़ाने में मददगार ब्रैस्ट मिल्क हैल्दी वेट को प्रोमोट करने के साथसाथ मोटापे के खतरे को भी कम कर देता है. अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि फौर्मूला मिल्क पीने वाले शिशुओं की तुलना में ब्रैस्ट फीड करने वाले शिशुओं में मोटापे का खतरा 15 से 30% कम हो जाता है. यह विभिन्न गट बैक्टीरिया के विकास के कारण होता है.

स्तनपान करने वाले शिशुओं में बड़ी मात्रा में गट बैक्टीरिया देखे जाते हैं, जो फैट स्टोरेज को प्रभावित करने का काम करते हैं. साथ ही ब्रेस्ट फीड करने वाले शिशुओं में लैप्टिन की मात्रा बहुत अधिक होती है. यह ऐसा प्रमुख हारमोन होता है, जो भूख व वसा के भंडारण को नियंत्रित करने का काम करता है.

ज्यादा स्मार्ट

हम जितनी हैल्दी व न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट लेते हैं, तो उस से हमारे संपूर्ण विकास में मदद मिलने के साथसाथ हमारा माइंड भी ज्यादा तेज व ऐक्टिव बनता है. ठीक यही बात ब्रैस्ट मिल्क के संदर्भ में भी लागू होती है.

जिन भी शिशुओं को शुरुआती 6 महीने भरपूर स्तनपान करवाया जाता है उन बच्चों का मस्तिष्क विकास बहुत तेजी से होता है. उन की उम्र के साथसाथ सोचनेसमझने की क्षमता का भी तेजी से विकास होता है क्योंकि ब्रैस्ट मिल्क में पाए जाने वाले न्यूट्रिएंट्स जैसे डोकोसा इनोस ऐसिड, आराछिडोनिक ऐसिड, ओमेगा 3 व 6 फैटी एसिड्स शिशु के मस्तिष्क विकास में मदद करते हैं. इस से बच्चे की लर्निंग ऐबिलिटी में भी सुधार होता है. ऐसे बच्चों का आईक्यू लैवल भी अच्छाखासा देखा गया है.

बीमारियों से प्रोटैक्शन

जब बच्चा इस दुनिया में आता है तो पेरैंट्स उसे हर तरह से सुरक्षा देने का काम करते हैं ताकि उन का बच्चा बीमारियों से बचा रहे. लेकिन इस दिशा में शिशु के लिए मां के दूध से बढ़ कर कुछ नहीं हो सकता. अगर शुरुआती 6 महीने आप के शिशु ने ब्रैस्ट फीड कर लिया, फिर आप को बारबार उस के लिए डाक्टर के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे क्योंकि मां का परिपक्व इम्यून सिस्टम कीटनियों के प्रति ऐंटीबौडीज बनाता है, जो ब्रैस्ट मिल्क के जरीए शिशु के शरीर में प्रवेश कर के बीमारियों से बचाता है.

इम्युनोग्लोब्यूलिन ए, जो ऐंटीबौडी रक्त प्रोटीन होता है. बच्चे की अपरिपक्व आंतों की परत को कवर करता है, जिस से कीटाणुओं व जर्म्स को बाहर निकलने में मदद मिलती है. इस कारण वह रैस्पिरेटरी इन्फैक्शन, कान में इन्फैक्शन, एलर्जी, आंतों में इंफैक्शन, पेट में इंफैक्शन आदि से बचा रहता है.

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लोअर रेट आफ इन्फैंट मोर्टैलिटी

अगर बात करे इन्फैंट मोर्टैलिटी की तो ये दुनिया में बहुत बड़ी चिंता का विषय है. अकसर इस का कारण होता है लो बर्थ वेट, श्वसन संबंधित दिक्कत, फ्लू, डायरिया, निमोनिया, मलेरिया, ब्लड में इन्फैक्शन, इन्फैक्शन आदि. लेकिन देखने में आया है कि जो मांएं अपने बच्चे को भरपूर स्तनपान करवाती हैं, उन के बच्चे का वजन बढ़ने के साथसाथ इम्यूनिटी भी धीरेधीरे मजबूत होने से वे आसानी से किसी भी तरह के संक्रमण के संपर्क में नहीं आते हैं व उस का मुकाबला करने में सक्षम हो जाते हैं. इस से ऐसे बच्चों में मृत्यु दर कम देखने को मिलती है यानी ब्रैस्ट मिल्क से बेबी को स्पैशल केयर दे कर उस की जान बचाई जा सकती है.

मौम के लिए भी मददगार

बेबी को ही नहीं बल्कि ब्रैस्ट फीडिंग से मौम को भी ढेरों फायदे मिलते हैं. इस से ऐक्स्ट्रा कैलोरीज बर्न होने से मौम को अपने बढ़े हुए वेट को मैनेज करने में आसानी होती है. यह औक्सीटौक्सिन हारमोन को रिलीज करता है, जो यूटरस को अपने साइज में लाने व ब्लीडिंग को कम करने में मददगार होता है. साथ ही यह ब्रैस्ट, ओवेरियन कैंसर, डायबिटीज, दिल से संबंधित बीमारी के खतरे को कम करने का काम करता है. इसलिए ब्रैस्ट फीडिंग से बेबी के साथसाथ खुद की हैल्थ का भी रखें खयाल.

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नया नंबर : ऋची की दर्द भरी कहानी

‘‘खिड़कियों में से रातरानी की महक अंदर झंक रही थी और चंद्रमा की रजत रोशनी ऋ ची के मुख पर तैर रही उन तमाम खुशियों को उजागर करने के लिए जैसे बेताब हुई जा रही थी. वह अपने भीतर बह रहे प्रेममय सागर को समेटने का भरसक प्रयास करने में लगी थी, पर खुशियों की लहरें दिल की दीवारों को बारबार लांघ कर उस के तनमन को छू कर रोमरोम पुलकित कर देतीं. मन में हिलोरें ले रही इन लहरों ने उस की रातों की नींद चुरा रखी थी.

ध्यान बारबार मोबाइल की ओर जा रहा था. घर में  मम्मीपापा इस समय तक गहरी नींद में सो जाते हैं. समीर रोज रात 12 बजे फोन कर ही देता. 12 बजे के बाद 1 मिनट भी देर हो जाती तो ऋची का जी ऊपरनीचे होने लगता. मन कई तरह की आशंकाओं से घिर जाता.

ऋची के समंदर में डुबकी लगा ही रही थी कि तभी मोबाइल के रिंगटोन ने चिंताओं की सारी लकीरें मिटा दीं.

वह कुछ कहती उस से पहले ही समीर ने कहा, ‘‘स्वीटहार्ट आज इस नाचीज को तुम्हारी सेवा में आने में थोड़ी देर हो गई.’’

ऋची खिलखिलाते हुए कहने लगी, ‘‘और 5 मिनट भी देर करते समी तो मेरी जानही निकल जाती,’’ वह प्यार से समीर को समी ही कहती.

‘‘डार्लिंग मैं तुम्हारा पीछा आसानी से नहीं छोड़ूंगा… जीएंगे तो साथ मरेंगे तो साथ.’’

‘‘सचमुच? लव यू समी… तुम न होते तो पता नहीं जिंदगी कितनी बेरंग सी लगती.’’

‘‘कितनी, बताओ तो जरा?’’ वह हंसते हुए पूछने लगा.

‘‘जैसे नमक के बिना सब्जी, बरखा के बगैर सावन, बिना चांद की रात, सूरज के बिना दिन और…’’

‘‘बस… बस… अब बस भी करो स्वीटहार्ट. ऋची कैसी दिख रही हो जरा बताओ न प्लीज… तुम्हें देख लूं तो दिन सफल हुआ समझ.’’

‘‘तुम तो हीरो बनने लगे समी, लेकिन इस वक्त मैं फोटो नहीं भेज पाऊंगी…’’

‘‘क्यों तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं?’’

‘‘अपनेआप से भी ज्यादा भरोसा तुम पर है समी, पर अभी नहीं प्लीज. परसों तुम्हारा बर्थडे है, मेरे लिए बहुत स्पैशल डे, बोलो कब और कहां मिलोगे?’’

‘‘ओह ऋची परसों आने में अभी पूरे 32 घंटे पड़े हैं, कल ही मिलते न.’’

‘‘कल मुझे प्रोजैक्ट सबमिट करना है तो कालेज में देर हो जाएगी. कल तो फोन पर बात भी हो पाना मुश्किल लग रहा है…’’

‘‘ऋची चाहो तो जान ले लो पर इतनी बड़ी सजा मत दो, तुम से बात किए बिना दिन काटना बहुत मुश्किल है.’’

‘‘समी इस प्रोजैक्ट से बहुत से स्टूडैंट्स जुड़े हैं और यह प्रोजैक्ट सफल रहा तो मेरी प्रमोशन तय समझ.’’

‘‘तो क्या मुझ से ज्यादा इंपौरटैंट यह प्रोजैक्ट है?’’

‘‘समी तुम जानते हो घरगृहस्थी की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है. आए दिन मम्मीपापा का हौस्पिटल चलता रहता है.’’

‘‘अच्छा चलो जैसेतैसे दिल पर पत्थर रख लूंगा, पर परसों पक्का हमें मिलना है. तुम रोज वे कैफे में ठीक शाम 6 बजे आ जाना.’’

‘‘ओके गुड नाइट समी…’’

‘‘क्या ऋची कम से कम कोई इमोजी ही भेज दो जैसे मैं तुम्हें भेजता हूं.’’

‘‘तुम भी न समी…’’ कहते हुए उस ने एक प्यारी सी इमोजी भेजी और सिरहाने फोन रख कर सोने की कोशिश करने लगी.

ऋची दूसरे दिन कालेज में व्यस्त रही. कालेज से लौटते वक्त ही समी के लिए कितने ही गिफ्ट ले आई, हाथ से कार्ड बनाया.

समी को बधाई देने के लिए ऋची बेताब हुए जा रही थी. जैसे ही रात में 12 बजे उस ने समी को वीडियोकौल की, काले रंग के कौड सैट में उस की खूबसूरती और निखर कर आ रही थी. हैप्पी वाला बर्थडे माइ लव… बर्थडे बौय के लिए ऋची हाजिर है,’’ कहते हुए वह खिलखिलाने लगी.

‘‘थैंक्स डार्लिंग. इतना शानदार सरप्राइज आज तो तुम गजब कहर ढा रही हो… जी कर रहा है अभी तुम्हारे पास आ जाऊं,’’ कहते हुए गाने लगा, ‘‘चांद सी महबूबा बांहों में हो ऐसा मैं ने सोचा था हां तुम…’’

‘‘अरे वाह समी तुम तो गाते भी अच्छा हो.’’

बातों का यह सिलसिला आधी रात तक जारी था. फिर ऋची बोली, ‘‘चलो अब सोते है.’’

‘‘अच्छा चलो आज की रात तुम्हारे फोटो के सहारे ही बितानी होगी… अपना फोटो भेजो. और हां तुम जानती ही हो कैसे फोटो भेजना है.’’

‘‘ठीक है बाबा आज तो तुम्हें मना नहीं कर सकतीं, कहते हुए उस ने कितने ही फोटो समी को भेज दिए.

दूसरे दिन समी से मिलने का ख्वाब आंखों में संजो कर वह सो गई .सुबह मम्मी आवाज दे उस से पहले ही ऋची उठ गई. यह देख मम्मी को आश्चर्य हुआ. कहने लगी, ‘‘क्या बात है बेटा आज बड़ी खुश लग रही हो?’’

‘‘हां मम्मी आज मेरी फ्रैंड है न नैनी उस का बर्थडे है. आज उस ने पार्टी रखी है, कालेज से उधर ही जाऊंगी, आने में देर होगी आप चिंता मत करना.’’

‘‘बेटा, तुम्हारे पापा को देर रात तक घूमनाफिरना. यह सब बिलकुल पसंद नहीं. अभी समय कैसा है यह तुम भी अच्छे से जानती हो, तुम समय से आ जाना.’’

‘‘मम्मी अब मैं बड़ी हो गई हूं, प्लीज आप हर बात में रोकटोक न करो तो अच्छा,’’ कहते हुए वह निकल गई. बैग में ही अलग से ड्रैस रख ली थी.

शाम ठीक 6 बजे वह रोज वे कैफे पहुंच गई. समी वहां पहले से ही मौजूद था. उसे देखते ही कहने लगा, ‘‘ओह वैलकम स्वीटहार्ट कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा था.’’

‘‘समी मैं ठीक 5 बजे पहुंच गई देखो.’’

‘‘मैं तो सुबह से 5 बजने के इंतजार में 4 बजे ही यहां आ कर बैठ गया, सच में ऋची कुदरत ने तुम्हें बहुत फुरसत से घड़ा है… मेरा बस चले तो दुनियाजहां की खुशियां तुम्हारे कदमों में रख दूं, तुम्हारे साथ रहने में जो मजा है वह दुनिया की किसी चीज में नहीं है सच में.’’

यह सब सुन ऋची के सपनों को जैसे पर लग गए हों.

‘‘अच्छा बोलो क्या और्डर करूं?’’

बर्थडे तुम्हारा है समी… आज की ट्रीट मेरी ओर से.

‘‘स्वीटहार्ट तुम्हें देख कर मेरी तो भूखप्यास सब उड़नछू हो जाती है. सैंडविच और कौफी ले कर लौंग ड्राइव पर चलते हैं. ऋची मना मत करना प्लीज मुझे उम्मीद है आज के दिन तुम मेरा दिल नहीं तोड़ोगी.’’

दोनों काफी और सैंडविच ले निकल पड़े लौंग ड्राइव पर.

‘‘समी कहां जा रहे हैं हम? कितना सुनसान रास्ता है.’’

‘‘ऋची मैं हूं न साथ,’’ कहते हुए उस ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी.

उस का स्पर्श ऋची के मन को लुभा रहा था. बहुत आगे निकलने पर उस ने नदी

किनारे गाड़ी रोकी. और ऋची के हाथों में हाथ डाल कर आगे बढ़ने लगा. दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था.

‘‘समी, काश, वक्त यहीं ठहर जाए और हम यों ही साथ में रहें.’’

‘‘अरे, हम कौन से अलग रहने वाले हैं ऋची तुम्हें तो मैं जीवनभर अपनी पलकों पर बैठा कर रखना चाहता हूं.’’

‘‘कितने अच्छे हो समी तुम,’’ कहते हुए वह समी से लिपट गई.

चारों तरफ अंधेरा घिर आया था ऋची के मोबाइल पर बारबार उस की मम्मी का फोन आ रहा था. ऋची ने मोबाइल साइलैंट मोड पर डाल दिया और कहने लगी, ‘‘समी, अब तुम मुझे घर ड्रौप कर दो काफी देर हो गई है.’’

‘‘ऋची, तुम से अलग रहने का मन ही नहीं करता. ऐसा लगता है हम दूर कहीं भाग चलें जहां बस तुम हो और मैं पर तुम्हें तो हर वक्त जाने की जल्दबाजी रहती है,’’ ऐसा कहते हुए उस ने बाइक स्टार्ट की और स्पीड से ऋची के घर की तरफ बढ़ने लगा.

ऋची के पापा बालकनी में खड़े उसी का इंतजार कर रहे थे और मम्मी घबराहट के मारे बेचैन हुए जा रही थीं.

पापा ने देख लिया ऋची किसी लड़के के साथ गाड़ी पर सट कर बैठी है. जैसे ही उस ने घर में कदम रखा आगबबूला हो गए. ऋची ने अपने पापा का यह रूप पहले कभी नहीं देखा था.

वह भी तमतमाते हुए अपने कमरे में गई और फिर दरवाजा लौक कर गुमसुम सी बैठी रही. मम्मी ने कई बार दरवाजा खटखटाया पर उस ने एक नहीं सुनी. आधी रात जब समी ने फोन किया तो ऐसा लगा किसी दर्द की दवा मिल गई हो.

ऋची कहने लगी, ‘‘समी तुम्हारी बांहों में सचमुच जन्नत है. इस कमरे की दीवारें जैसे मुझे काटती हैं… तुम्हारे बिना कितना अकेलापन महसूस होता है… पता नहीं कब तक ऐसा ही चलेगा.’’

‘‘मैं चाहूं तो कल ही तुम से शादी कर सकता हूं. दिक्कत तो तुम्हें ही है ऋची.’’

‘‘क्या करूं अपने मम्मीपापा की एकलौती बेटी जो हूं. उन की खुशियां मेरे इर्दगिर्द ही हैं. अच्छा समी अब रखती हूं, मम्मी लगातार दरवाजा नौक कर रही हैं.’’

ऋची ने दरवाजा खोला और मुंह फुला कर लेट गई. मम्मी उसे समझने लगीं, ‘‘बेटी, अभी तुम ने दुनिया देखी नहीं, आए दिन अखबारों में दिल दहलाने वाली खबरें पढ़पढ़ कर डर लगने लगा है. वैसे कौन है वह लड़का जिस ने तुम्हें घर छोड़ा और वह करता क्या है, तुम उसे कहां मिली?’’

मम्मी, नैनी की बहन की शादी में मिला था… समीर नाम है उस का… प्राइवेट कंपनी में जौब करता है और हम दोनों एकदूजे को पसंद करते हैं.’’

‘‘पागल हो गई हो ऋची एक मुलाकात में तुम उसे दिल दे बैठी… उस की जातपात, खानदान कैसा है जानती हो तुम. तुम्हारी अक्ल तो ठिकाने है? बेटा थोड़ा समझने की कोशिश करो. तुम हमारी एकलौती बेटी हो हम तुम्हारे लिए जो सोचेंगे वह अच्छा ही सोचेंगे.’’

‘‘मम्मी, आप मेरे हो कर भी मुझे खुश नहीं रख सकते और वह पराया हो कर भी मेरी भावनाओं को सम?ाता है. आप कुछ न कहो वही बेहतर होगा,’’ कहते हुए वह तुनक कर घर से निकल पड़ी.

ऋची के घर से निकलते ही उस की मम्मी स्वयं को बेसहारा महसूस करने लगीं. वे हताश हो कर सोफे पर बैठ गईं.

तभी उस के पापा आए और पूछने लगे, ‘‘क्या हुआ गीता तुम इतनी चिंतित क्यों लग रही हो?’’

‘‘हमें जिस बात का डर था आखिर वही हुआ. हमारी ऋची उस समीर को चाहने लगी है. उम्र की इस दहलीज पर मन में प्यार की भावनाओं का उफान स्वाभाविक है लेकिन यह ब्याह कर चली गई तो हमारा क्या होगा यह सोचा है कभी?’’

‘‘हां तुम सही कह रही हो शादी के बाद वह हमारा ध्यान रख पाएगी इस की कोई गारंटी नहीं है गीता. हमें किसी भी तरह उसे समीर से दूर करना होगा… कोई तरकीब सोचनी होगी.’’

समी कैफे में बैठ ऋची का इंतजार कर रहा था. उसे देखते ही कहने लगा, ‘‘क्या हुआ मेरी जान तुम इतनी मुर?ाई सी क्यों हो? मैं तुम्हें इस तरह नहीं देख सकता माई लव.’’

यह सुन वह भावुक हो रोने लगी, ‘‘समी अब जल्द ही हम शादी कर लेते हैं. मेरे मम्मीपापा तो जैसे मेरे दुश्मन बन बैठे हैं. उन्हें एहसास ही नहीं कि मैं बड़ी हो रही हूं और मेरे भी कुछ अरमान हैं.’’

‘‘ठीक है मैं आज ही बात करता हूं अपने मम्मीपापा से… वैसे उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा ऋची. चलो अब कल मिलते हैं,’’ कहते हुए वह विदा हुआ.

ऋची घर आते ही सीधे अपने कमरे में चली गई तो उस के पीछेपीछे मम्मीपापा भी चल दिए. पापा कहने लगे, ‘‘सौरी बेटा तुम्हें कल बहुत भलाबुरा कह गया. हम चाहते हैं तुम्हारी शादी किसी अच्छे खानदान में हो… देखो बहुत से बायोडाटा तुम्हारे लिए आए हुए हैं. हमें समीर के बारे में पता चला है वह लड़का तुम्हारे काबिल नहीं है… परिवार की आर्थिक स्थिति भी खास ठीक नहीं है.’’

‘‘मम्मीपापा मुझे शादी रुपयों से नहीं इंसान से करनी है. मैं शादी करूंगी तो समी से ही.’’

‘‘देखो बेटी यह जीवनभर का फैसला पलभर में लेना सही नहीं है. 2-4 दिन में ये सारे बायोडाटा देख लो फिर सोचते हैं,’’ कह कर वे अपने बैडरूम में चले गए.

नींद ऋची के आंखों से कोसों दूर थी. इस एकांत में वह बस समी के ही सपने देख रही थी. पानी पीने उठी तो बोतल खाली पड़ी थी. वह रसोई में पानी की बोतल लेने जा ही रही थी कि तभी मम्मीपापा की बातें सुन कर वह वहीं स्तब्ध रह गई.

मम्मी पापा से कह रही थी, ‘‘तुम्हारी पैंशन से केवल हमारी दवाइयां आ पाती हैं यह ब्याह कर चली गई तो हम खाएंगे क्या? ऋची भले ही बेटी है पर इस ने बेटे से बढ़ कर सारी जिम्मेदारियां उठाई हैं. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा इसे कैसे समीर से दूर करें.’’

‘‘चिंता मत करो गीता कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आएगा. मैं ने जो बायोडाटा उस के रूम में रखे हैं वे सब अमीर घरानों के ही हैं. हां, कुछ लड़के उन्नीस हैं. किसी की उम्र बड़ी तो किसी को कोई छोटीमोटी तकलीफें… उस से ऋची के जीवन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा और हमारा बुढ़ापा भी आराम से कट जाएगा. हमें या तो घरजंवाई मिल जाए या कोई धनाढ्य परिवार, आजकल तो बेटी वाले भी रुपए ले रहे हैं और हम तो मजबूर हैं… क्या करें हमारे पास सहारे के लिए ऋची के अतिरिक्त कोई और विकल्प ही नहीं है. समीर खुद ही साधारण परिवार से है. उस से ब्याह करेगी तो हमें कुछ आर्थिक सहयोग मिलने से रहा यह तो पक्का. इसलिए किसी भी तरह इस के दिलोदिमाग से समीर का भूत निकालना जरूरी है. अब यह मान गई तो ठीक वरना कुछ उलटीसीधी तरकीब सोचनी होगी. चलो अब काफी रात हो चुकी है सो जाओ गीता. सोचते हैं… इस समस्या का समाधान भी मिल ही जाएगा,’’ और फिर चचा पर विराम लग गया.

ऋची का मन क्रोध में धधक रहा था. आंखों से अंश्रुधारा बहने लगी. इतनी ओछी बात समीर से साझ करने में भी शर्म आ रही थी. मन मसोस कर उस ने जैसे जहर का घूंट पी लिया.वह बारबार अपने को कोस रही थी. सारी रात ऊहापोह में करवटें बदलते हुए निकली.

सुबहसुबह समी का मैसेज देख उसे कुछ राहत मिली. उस ने लिखा था कि ऋची मम्मीपापा हमारी शादी को ले कर राजी हो गए हैं. अब तुम जब चाहो हम साथ रह सकते हैं.

ऋची घर में सामान्य बने रहने का स्वांग रचने लगी. वह धीरेधीरे कर अपने सारे जरूरी सामान की पैकिंग करने लगी. उस ने समी को कोर्ट मैरिज के लिए राजी कर लिया था.

ऋची अपने मम्मीपापा से कहने लगी, ‘‘मुझे ट्रेनिंग लेने कालेज से 8 दिन दूसरे शहर जाना होगा… यह ट्रेनिंग ले लूं तो मेरी प्रमोशन आसानी से हो जाएगीं.’’

‘थोड़े दिन ही सही शादी की बला टली’ यह सोच कर मम्मीपापा खुश हो रहे थे.

ऋची ने बैग पैक किया टैक्सी की और सीधे कोर्ट में पहुंची जहां समी पहले से ही मौजूद था.

ऋची का मन आजाद पंछी सा उड़ने लगा. उस के दिल के सूने आंगन में समी ने प्रेम के कई रंग भर दिए थे. इस नए घर में उसे वह सबकुछ मिला जो तमन्ना एक नवविवाहिता की रहती है.

समी औनलाइन मीटिंग में व्यस्त था तभी गृहस्थी ने अपने मोबाइल से अपने मम्मीपापा को मैसेज किया, ‘मम्मीपापा, आप को यह जान कर अफसोस होगा कि आप का लौटरी टिकट यानी मैं हमेशाहमेशा के लिए वह घर छोड़ चुकी हूं. मैं उम्र के 30 साल पार कर चुकी हूं और अपना भलाबुरा सम?ाती हूं. अपने स्वार्थ के लिए जब मातापिता अपनी बेटी की खुशियां कुरबान कर सकते हैं तो जरूरी नहीं मैं भी आप की जिम्मेदारी उठाऊं.’

मैसेज पढ़ते ही ऋची के मम्मीपापा की हालत खराब हो गई. वे बारबार नंबर डायल करने लगे लेकिन गृहस्थी ने मोबाइल स्विच औफ कर दिया. दूसरे दिन नया सिम कार्ड ले कर उस ने अपना मोबाइल नंबर बदल लिया.

एक नए नंबर के सहारे गृहस्थी अपने नए जीवन की शुरुआत कर चुकी थी. एक नया नंबर उसे स्वार्थ की उन तमाम परछाइयों से दूर करने के लिए पर्याप्त था.

के.एल. राहुल और अथिया शेट्टी के घर गूंजने वाली है किलकारी? जानिए क्या बोले सुनील शेट्टी

बॉलिवुड एक्टर सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी और क्रिकेटर के.एल. राहुल की शादी 23 जनवरी 2023 को सुनील के खंडाला स्थित फार्महाउस में संपन्न हुई थी और बीती जनवरी को इन्होंने अपनी शादी की पहली सालगिरह मनाई. सुनील हाल ही में कलर्स चैनल पर प्रसारित होने वाले रियलटी शो डांस दिवाने पर बतौर गेस्ट पहुंचे. इस दौरान होस्ट भारती सिंह ने अभिनेता सुनील शेट्टी से मज़ाक करते हुए कहा कि वह किस तरह के नाना बनेंगे. जिसके बाद अथिया की मां बनने की अफवाहें और अटकलें तेज़ हो गईं हैं.

इस प्रश्न के जवाब में अभिनेता सुनील शेट्टी ने कहा कि अगली बार वह स्टेज पर नाना की तरह आएंगे. हालांकि अथिया और राहुल ने इस सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

 

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दरअसल, इससे पहल भी दोनों ने सोशल मीडिया पर शादी की कुछ यादगार तस्वीरें शेयर की थीं. दोनों ने ज्वाइंट पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि “ तुम्हें पाना घर आने जैसा है.“

इससे पहले भी सुनील ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने दामाद के.एल. राहुल को अपना बेटा कहा था. उन्होंने कहा था कि वह राहुल से उसी तरह प्यार करते हैं जिस तरह आज की उभरती हुई युवा प्रतिभाओं की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा कि पहले वो राहुल के प्रशंसक थे और अब उनके पिता बन गए हैं.

सुनील कहते हैं कि जब छोटे-छोटे शहरों से आने वाले बच्चे कामयाबी हासिल करते हैं कि उन्हें बहुत खुशी होती है.

होठों पर लिपस्टिक लगाने को लेकर क्या बोले अभिनेता शक्ति अरोड़ा, जानिए यहां

स्टार प्लस का धारावाहिक ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों  दर्शकों के दिलों पर छाया हुआ है। इस शो के लीड एक्टर शक्ति अरोड़ा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है. जिस पोस्ट पर उनके को-स्टार्स  अदीति शर्मा और प्रियमवदा सिंह ने उनकी प्रशंसा की है.

इसी तस्वीर पर कमेंट करते हुए शक्ति के एक प्रशंसक ने उनके होठों पर लिपस्टिक लगाने को लेकर कमेंट किया है. इसका जवाब देते हुए शक्ति ने लिखा है, वह इसके साथ ही पैदा हुए हैं.

 

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इस धारावाहिक के आने वाले एपिसोड और भी रोमांचक होने वाले हैं जिसमें सवी को यह एहसास होगा कि वह ईशान से बहुत प्यार करती है. अभी तक ईशान नहीं जानता है कि सवी को ईशान से प्यार है.

आगे आने वाले एपिसोड्स में पता लगेगा कि सवी अपनी भावनाओं को ईशान के प्रति ज़ाहिर करेगी या फिर “ईश्वी”  की प्रेम कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी.

 

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