लड़कियों को खुद चुननी है अपनी राह  

उत्तर प्रदेश के देवरिया से मुंबई आकर रहने वाली सिमरन और उसके परिवार को ये शहर बहुत पसंद आया, क्योंकि यहाँ उन्हें एक अच्छी शहर, साफ सुथरा इलाका, पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था सब मिला. 3 बहनों मे सबसे छोटी सिमरन ने कॉलेज मे पढ़ाई भी पूरी की और जॉब के लिए अप्लाइ किया और उन्हें काम भी मिला, लेकिन सिमरन के पिता को ये आपत्ति थी कि सिमरन कहीं काम न करें, बल्कि घर से कुछ कमाई कर सकती है, तो करें, बाहर जाकर उनके काम करने पर बिरादरी मे उनकी नाक कटेगी. सिमरन कई बार अपने पिता को समझाने की कोशिश करती रही कि उनकी बिरादरी यहाँ नहीं है और जॉब करना गलत नहीं, आज हर किसी को काम करना जरूरी है, उनके सभी दोस्त काम करते है, लेकिन उनके पिता नहीं मान रहे थे.

5 लोगों के परिवार में सिर्फ उनके पिता के साधारण काम के साथ अच्छी लाइफस्टाइल बिताना सिमरन के लिए संभव नहीं था, जिसका तनाव उनके पिता के चेहरे पर साफ सिमरन देख पा रही थी. साथ ही सिमरन काम करना चाह रही थी, क्योंकि वह आज के जमाने की पढ़ी – लिखी लड़की है और आत्मनिर्भर बनना उसका सपना है. इसलिए देर ही सही पर उसने आज अपने पेरेंट्स को मना लिया है और आज एक कंपनी मे काम कर वह खुश है, लेकिन यहाँ तक पहुँचने में उन्हें दो साल का समय लगा है.

आत्मनिर्भर बनना है जरूरी     

असल में आज लड़के हो या लड़की सभी को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आत्मनिर्भर बनने का उनका सपना होता है, ताकि वे अपने मन की जीवन चर्या बीता सकें. ये सही भी है, क्योंकि हर व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी बात होती है उसकी आत्मसम्मान को बनाए रखना और उसके लिए जरूरी है, आत्मनिर्भर बनना. व्यक्ति चाहे कितना भी बुद्धिमान, सुंदर और बलशाली क्यों ना हो, अगर खुद की खर्चे उठाने के लिए उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, तो आपकी ज्ञान की कोई कीमत नहीं होती.

अंग्रेजी में एक कहावत है. “ There is no free lunch.” ( दुनिया में मुफ्त की रोटी कहीं नहीं मिलती). ये बात बहुत सही है. पश्चिमी देशों में बड़े बड़े अरबपतियों के बच्चे भी पढ़ाई के साथ साथ कहीं न कहीं काम करते हैं, क्योंकि वहां हर एक इन्सान को अपना काम खुद करना और अपने रोटी का इंतजाम खुद करना बचपन से सिखाया जाता है. इसीलिए उन लोगों को पैसों और परिश्रम का मोल बहुत अच्छे तरीके से पता रहता है. भारत में ऐसी उदाहरण बहुत कम देखने को मिलता है, क्योंकि भारत में पेरेंट्स को बच्चों के लिए अपना सबकुछ त्याग देने की एक आदत होती है. हालांकि आज इसमें बदलाव धीरे – धीरे आ रहा है, लेकिन कुछ लोग अभी भी इसे स्वीकार कर पाने में असमर्थ होते है.

इसका एक उदाहरण नासिक की एक मराठी अभिनेत्री की है. उनके पिता ने बेटी के साथ दो साल तक बात नहीं की, क्योंकि वह मुंबई जॉब करने की झूठी बात कहकर ऐक्टिंग के लिए आई थी, हालांकि उनकी माँ को इस बात की जानकारी थी. उनके पिता को ऐक्टिंग की बात, तब मालूम पड़ा, जब उन्होंने टीवी पर बेटी को अभिनय करते हुए देखा और रिश्तेदारों के तारीफ को सुनकर उन्होंने अपनी बेटी से दो साल बाद बात किया.

जिम्मेदारी बेटियों की   

इस बारें में काउन्सलर रशीदा कपाड़िया कहती है कि आज के जेनरेशन की लड़कियां पढ़ी – लिखी है और वे खुद कमाई कर अपना जीवन यापन करना पसंद करती है, उन्हें अपने पेरेंट्स पर बोझ बनना पसंद नहीं, क्योंकि बड़े शहरों में उनके उम्र के सभी यूथ जब जॉब कर रहे होते है, तो उन्हें भी काम करने की इच्छा होती है, क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं कर पाते है, तो खुद को अपने दोस्तों के बीच में कमतर और शर्मिंदगी महसूस करते है, साथ ही उन्हे हताशा, स्ट्रेस आदि भी होती है, ऐसे में अगर उनके परिवार वाले काम करने से मना करते है, तो इसका रास्ता उन्हे खुद ही ढूँढना पड़ता है कि वे अपने पेरेंट्स को कैसे मनाएँ. ये सही है कि छोटे शहर या गाँव से आने वाले लोगों के लिए बड़े शहर को बेटियों के लिए सुरक्षित मानना सहज नहीं होता, क्योंकि वे इतनी बड़ी शहर से अनजान होते है, जबकि गाँव घर में रहने वाले सभी एक दूसरे को जानते और पहचानते है, ऐसे में बच्चों की जिम्मेदारी होती है कि वे इन बड़े शहरों की अच्छाइयों से पेरेंट्स को परिचित करवाएँ. फिर भी वे अगर काम करने से मना करते है, तो उसकी वजह जानने की कोशिश कर उसका हल निकालने चाहिए.

अपने अनुभव के बारें में राशीदा बताती है कि मेरे पास भी बैंक में जॉब करने वाली इंटेलिजेंट लड़की आई थी, उसके पेरेंट्स गाँव के थे. मुंबई में उसके काम से खुश होकर बैंक वालों ने उसे लंदन दो साल के लिए भेजा था, जिसके लिए उसे अपने पेरेंट्स को मनाना मुश्किल हुआ था. यहाँ वापस आने पर उसे अपने प्रेमी और जिम ट्रैनर से शादी करना संभव नहीं हो पा रहा था, क्योंकि उसके ससुराल वाले इतनी स्मार्ट लड़की को घर की बहू बनाना नहीं चाहते थे, लेकिन सबको समझाने पर उसकी शादी हुई और आज वह खुश है.

सुझाव को करें फॉलो

इसलिए जब भी पेरेंट्स, बेटी को जॉब करने से मना करें, तो बेटियों को कुछ बातों से पेरेंट्स को अवश्य अवगत करवाएँ,

  • अपने कार्यस्थल पर उन्हे ले जाए,
  • संभव हो तो, सह कर्मचारियों से मिलवाएँ,
  • उन्हे मोबाईल के जरिए लोकेशन की जानकारी दें,
  • जाने – आने की सुविधा के बारें मे जानकारी दें, क्योंकि आजकल कई ऑफिस में जाने आने की ट्रांसपोर्ट की अच्छी व्यवस्था भी होती है, जो सुरक्षित परिवहन होता है.

इन सभी जानकारी से पेरेंट्स आश्वस्त होकर बेटी को काम करने से मना नहीं कर सकेंगे और अंत में जब पैसे घर आते है, तो पूरा परिवार बेटी की कमाई को अच्छा महसूस करते है, क्योंकि बेटियाँ बेटों से अधिक समझदार होती है. उनके कमाने पर अधिकतर घरों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है

ताप्ती- भाग 5: ताप्ती ने जब की शादीशुदा से शादी

फिर अनीता के पिता ने ही पहल कर के उन्हें दिल्ली के नामी कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला दिला दिया और आलोक ने भी उन को गलत साबित नहीं किया. पहली बार में ही उन का चयन हो गया. अनीता के पिता का जो सपना उन के बेटा या बेटी पूरा नहीं कर पाए वह उन के भावी दामाद ने पूरा कर दिया.

आलोक को यह रिश्ता मंजूर है या नहीं किसी ने उन से नहीं पूछा. अनीता के लिए आलोक एक जीवनसाथी नहीं, बल्कि एक ट्रौफी हसबैंड थे.

जब रात के 9 बज गए तो ताप्ती ने कहा, ‘‘आरवी आप का इंतजार कर रही होगी.’’

आलोक बोले, ‘‘दोनों मांबेटी नाना के घर गई हैं, परसों आएंगी. आज की रात में यहीं रुक जाऊं क्या?’’

ताप्ती की भी यही इच्छा थी, पर उसे डर भी लग रहा था.

आलोक शायद उस के चेहरे के भाव से समझ गए, इसलिए बोले, ‘‘फिक्र मत करो, मैं अपने सरकारी वाहन में नहीं आया हूं… सुबह ही निकल जाऊंगा.’’

उस रात पहली बार ताप्ती को पुरुष स्पर्श का एहसास हुआ जो नारी के सौंदर्य को दोगुना कर देता है.

सुबह जब उस ने आलोक को कौफी पकड़ाई तो आलोक बोले, ‘‘ताप्ती, अगले शनिवार भी आ सकता हूं क्या? और प्लीज वही साड़ी पहन कर रखना जो मैं ने तुम्हें भेजी थी.’’

वह 1 हफ्ता एक दिन की तरह बीत गया और फिर से शनिवार की शाम आ गई. ताप्ती ने आलोक के कहे अनुसार उन की ही साड़ी पहनी और आज उस ने गजब का शृंगार भी किया था. दरवाजे की घंटी बजते ही जैसे ही उस ने दरवाजा खोला, सामने अनीताजी को देख कर सकपका गई, साथ में आरवी भी थी.

ताप्ती को देखते ही आरवी बालसुलभता से बोली, ‘‘मैम, यह तो वही साड़ी है, जिसे उस दिन आप मौल में देख रही थीं. आज आप एकदम दुलहन जैसी लग रही हैं.’’

अनीताजी की आंखों से नफरत की चिनगारी निकल रही थी. उन्हें पता था कि इतनी महंगी साड़ी यह दो टके की लड़की नहीं खरीद सकती है. उन का शक अब यकीन में बदल गया था.

आरवी सब चीजों से अनजान अपनी मम्मी से बोल रही थी, ‘‘मम्मी, बात करो न मैम से कि वे मेरी हफ्ते में 1 दिन आ कर ही मदद कर दें.’’

अनीताजी कुछ न बोल आरवी का हाथ पकड़ कर तीर की तरह निकल गईं.

ताप्ती ऐसे ही बैठी रही. तभी आलोक आ गए, ताप्ती ने उन्हें पूरी बात बता दी. आलोक किसी और मूड से आए थे. वे ताप्ती के बालों से खेलने लगे, उन की उंगलियां उस के होंठों को छू रही थीं.

ताप्ती ने उन्हें धक्का दे कर कहा, ‘‘मैं क्या हूं… एक मिस्ट्रैस या मन बहलाने का साधन… आप क्या हर हफ्ते ऐसे ही झूठ बोल कर रात के अंधेरे में आएंगे?’’

आलोक शरारत से बोले, ‘‘सब रुतबे वाले आदमियों की मिस्ट्रैस होती हैं और पुलिस महकमा तो वैसे भी इन सब बातों के लिए बदनाम है.’’

ताप्ती इस से पहले और कुछ बोलती, आलोक ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया. रातभर दोनों प्रेम के संगीत में डूबे रहे.

सुबह जाते हुए आलोक बोले, ‘‘चिंता मत करो ताप्ती, जल्द ही मैं सामने के

दरवाजे से आऊंगा, तुम मेरे लिए भोग की वस्तु नहीं हो, तुम मेरे मन के सुकून के लिए जरूरी हो.

‘‘बस थोड़ा सा और ताप्ती फिर तुम और मैं एकसाथ रहेंगे, दिन के उजाले में भी.’’

ताप्ती अपने बैंक पहुंची ही थी कि उसे चपरासी बुलाने आया कि मैनेजर साहब ने उसे अपने कैबिन में बुलाया है. अंदर जा कर देखा मैनेजर के साथ एक अधेड़ उम्र के पुरुष बैठे थे. एकदम अनीता का ही नक्शा था.

ताप्ती को देखते ही गुस्से में बोले, ‘‘तो तुम हो ताप्ती… शर्म नहीं आती मेरी बहन के परिवार में आग लगाते हुए? नौकरी करती, खूबसूरत हो, यहांवहां मुंह मारने से अच्छा है तुम किसी ढंग के लड़के से शादी कर लो,’’ फिर व्यंग्य करते हुए बोले, ‘‘जानता हूं तुम्हारे आगेपीछे कोई नहीं है, कहीं की भी झूठी पत्तलें चाटो पर आलोक को बख्श दो,’’ जातेजाते वह शख्स नीचता पर उतर आया और ताप्ती को घूरते हुए बोला, ‘‘वैसे आलोक की जगह तुम मुझे भी दे सकती हो.’’

ताप्ती शर्म के कारण सिर नहीं उठा पा रही थी. पता नहीं मैनेजर क्या सोच रहे होंगे.

अनीता के भाई के जाने के बाद मैनेजर बोले, ‘‘ताप्ती आई कैन अंडरस्टैंड, पर तुम चिंता मत करो, हो जाता है कभीकभी, मुझे तुम्हारी समझदारी पर पूरा भरोसा है.’’

फिर से शनिवार की शाम आ गई थी. ताप्ती और आलोक किसी भी सोशल नैटवर्किंग साइट पर टच में नहीं थे, न ही वे कभी एकदूसरे के साथ फोन पर बात करते थे. बस शनिवार की शाम का यह अनुबंध था.’’

ताप्ती को विश्वास था अब आलोक कभी नहीं आएंगे, इसलिए वह एक पुराने से फ्रौक में बैठी थी.

घंटी बजी और आलोक आ गए. ताप्ती को बांहों में भरते हुए बोले, ‘‘एकदम बार्बी डौल लग रही हो… जल्द ही आगे के दरवाजे से आऊंगा… मैं ने अनीता से बात कर ली है.’’

ताप्ती बोली, ‘‘आरवी का क्या होगा?’’ और फिर ताप्ती ने उस दिन की घटना भी विस्तार से बता दी. दरअसल, अब वह आलोक के साथसाथ अपनी सुरक्षा के लिए भी चिंतित थी.

पूरी घटना सुन कर आलोक बोले, ‘‘चिंता न करो, मैं ने अनीता के परिवार से भी बात कर ली है. तुम्हें अब कोई परेशान नहीं करेगा. तुम बस अपना मन बना लो… थोड़ा सा होहल्ला होगा पर फिर सब भूल जाएंगे, तुम मजबूत रहना.’’

रविवार की शाम मिहिम का फोन आया. उस ने ताप्ती से कहा, ‘‘तैयार रहना, आज डिनर पर चलेंगे.’’

ताप्ती ने वही स्कर्ट और कुरती पहनी जिन्हें आलोक उस के लिए दीवाली पर पहनने के लिए जयपुर से लाए थे.

वहां पहुंच कर देखा तो अनीताजी भी बैठी थीं. उस ने मिहिम को शिकायतभरी नजरों से देखा. बोलीं, ‘‘ताप्ती, मैं तुम पर कोई दोषारोपण करने नहीं आई हूं. अकेली तुम्हारी ही गलती नहीं है, पर कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार आरवी के बारे में जरूर सोचना.’’

‘‘मुझे मालूम है तुम एक दर्दनाक बचपन से गुजरी हो. क्या तुम आरवी के लिए भी ऐसा ही चाहोगी?

‘‘एक बच्चे को मां और पिता दोनों की आवश्यकता होती है और यह तुम से बेहतर कौन जान सकता है. प्लीज, उस की जिंदगी से चली जाओ. आलोक के सिर पर इश्क का जनून सवार है पर आलोक आरवी के बिना नहीं रह पाएगा. हां, मैं उसे हिटलर जैसी लगती हूं पर किस के फायदे के लिए, कभी समझ नहीं पाएगा. तुम ही कदम पीछे हटा लो ताप्ती, प्रेमी और पति में बहुत फर्क होता है.’’

अचानक ताप्ती को महसूस हुआ जैसे अनीता नहीं, उन के मुंह से उस की मां बोल रही हैं. मेज पर सजा खाना ताप्ती को जहर लग रहा था.

रास्तेभर मिहिम और ताप्ती चुप बैठे रहे. मिहिम ताप्ती के साथ अंदर आया और बोला, ‘‘ताप्ती, क्यों आग से खेल रही हो? तुम एक बार हां तो कहो, मैं तुम्हारे लिए लड़कों की लाइन लगा दूंगा.’’

ताप्ती डूबते स्वर में बोली, ‘‘मेरे साथ कौन शादी करेगा मिहिम?’’

मिहिम प्यार से उस के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए बोला, ‘‘ताप्ती मैं भी तैयार हूं, तुम हां तो करो.’’

ताप्ती हंसते हुए बोली, ‘‘मिहिम, प्लीज मैं और तुम कभी नहीं.’’

मिहिम को पता था, ताप्ती उसे बस अच्छा मित्र ही मानती है. न जाने क्यों

उसे आलोक से ईर्ष्या हो रही थी. उस मंगलवार की शाम ताप्ती अभी औफिस से आ कर बैठी ही थी कि आरवी अपनी आया के साथ आ गई. ताप्ती के गले लग कर सुबकते हुए बोली, ‘‘मैम, मैं और मम्मी अब नानाजी के घर रहेंगे… पापा दूसरी शादी कर रहे हैं… मैं मम्मी को अकेले नहीं छोड़ सकती, इसलिए उन के साथ जा रही हूं.’’

ताप्ती ने देखा लड़की बिलकुल मुरझा गई है… उसे लगा आरवी नहीं जैसे यह ताप्ती बोल रही हो. उस ने मन ही मन अनीता को धन्यवाद भी दिया कि उस ने आरवी को उस दूसरी औरत का नाम नहीं बताया अन्यथा आरवी कभी भी उसे माफ न कर पाती.

मगर जब आरवी वापस जा रही थी तो ताप्ती ने निर्णय ले लिया कि वह अपने प्यार का ताजमहल आरवी के बचपन पर कभी खड़ा नहीं करेगी. ताप्ती सोच रही थी कि इस शनिवार की रात वह आलोक को अपना निर्णय सुना देगी.

तभी फोन की घंटी बजी. मिहिम का फोन था. वह बता रहा था कि आलोक भैया का ट्रांसफर असम हो गया है. ताप्ती जानती थी कि किस कारण से आलोक ने अपना ट्रांसफर इतनी दूर करवाया है पर अब आरवी और अनीता ही आलोक के साथ जाएंगी.

तभी दरवाजे की घंटी बजी. ताप्ती ने सोचा शायद आलोक होंगे. वह मन ही मन अपनी लाइंस को दोहरा रही थी पर दरवाजे के बाहर तो हारे हुए जुआरी की तरह एक अधेड़ उम्र का पुरुष खड़ा था. ताप्ती ने देखा और एकदम से पीछे हट गई. फिर से ताप्ती के जीवन में पिता का आगमन हो गया था.

अचानक ताप्ती को मिहिम का वह छंद याद आ गया, जिसे वह हमेशा उसे परेशान करने के लिए गाता था-

‘‘ताप्ती क्यों तेरा यह रूपरंग कलकल बहता जाए,क्यों कोई पुरुष इस में सुकून की छांव न पाए,

निर्जन ही रहेगी मिहिम बिना तेरी जीवनधारा, हां तो कर दे मृगनयनी कब से खड़ा हूं यों हारा.’’

20 स्टाइलिश लुक्स: डेट पर दिखें बोल्ड एंड ब्यूटीफुल

डेट के दिन अमूमन हर जवां दिल में प्यार की तरंगें उठने लगती हैं. कई दिनों पहले से कपल्स इस दिन के लिए प्लानिंग करते हैं. वे एकदूसरे के लिए गिफ्ट चुनते हैं, मिलने की जगह डिसाइड करते हैं, अपने ओवरआल लुक पर ध्यान देते हैं ताकि पार्टनर की आंखों में बस प्यार ही प्यार नजर आए.

डेट के खास मौके के लिए ड्रैस भी खास होनी लाजिमी है. इतना खास दिन हो और आप वही रैगुलर ड्रैस पहन कर पार्टनर के सामने जाएं, ऐसा कैसे हो सकता है. आप को इस दिन के लिए चाहिए कुछ बेहद ही खास. डेट के लिए वही आउटफिट्स चुनें जिन में आप कंफर्टेबल हों. स्टाइल कंफर्ट के हिसाब से करें. साथ ही, अपने कौंप्लैक्शन और चल रहे फैशन का भी खयाल रखें. कुछ ऐसा आउटफिट चुनें जिस को पहन कर आप बोल्ड व ब्यूटीफुल दिखें और अपने ‘डेट’ का दिल जीत सकें.

1- बौडीकौन ड्रैस

बौडीकौन ड्रैस में आप बेहद स्लिम और सैक्सी लगेंगी. आप शिमरी कलर ब्लैक ड्रैस का औप्शन भी चुन सकती हैं. यह ड्रैस एक परफैक्ट पार्टी ड्रैस बन सकती है. आप अपने बालों को वेवी लुक दे सकती हैं या चाहें तो स्लीकस्ट्रेट हेयरस्टाइल ट्राई करें. इस के साथ हाई हील्स या स्टेलाटोज खूब जंचेंगी. आप इस ड्रैस के साथ मिनिमल मेकअप या सिर्फ बोल्ड लिपस्टिक भी कैरी कर सकती हैं.

2-औफशोल्डर ड्रैस

डेट के दिन रैड या व्हाइट कलर की एक प्यारी सी औफशोल्डर ड्रैस कैरी कर सकती हैं. इस की खासीयत यह है कि आप इसे लंच डेट या डिनर पर भी पहन सकेंगी. अगर आप व्हाइट कलर ट्राई करने के बारे में सोच रही हैं तो उस के साथ हील्स रैड कलर की चुन सकती हैं. व्हाइट और रैड का कौंबिनेशन हमेशा हौट और गौर्जियस लुक देता है.

3- रैड मिनी स्कर्ट

अगर आप का पार्टनर डेटके दिन आप को लंच डेट पर ले कर जा रहा है तो आप सुंदर प्रिंट वाली मिनी स्कर्ट पहन सकती हैं. एक कैजुअल और सिंपल लंच डेट के लिए यह ड्रैस परफैक्ट है. इस के साथ रेड वेज हील्स पहन सकती हैं. अगर आप चाहें तो इस ड्रैस के साथ ब्लैक या व्हाइट शूज भी पहन सकती हैं. ब्लैक हील्स भी खूब जंचेंगी. इस ड्रैस के साथ हाई पोनीटेल हेयरस्टाइल कैरी करें या फिर बालों को हलका वेवी टच भी दे सकती हैं.

4- साइड स्लिटेड मैक्सी ड्रैस

आप पार्टनर के साथ ईवनिंग डेट या फिर लंच डेट पर जा रही हैं तो बोल्डप्रिंट और रंगों के साथ साइड स्लिटेड मैक्सी ड्रैस का औप्शन चुन सकती हैं. इस के साथ फंकी ज्वैलरी भी बेहद खूबसूरत लगेगी. आंखों पर स्मोकी मेकअप करें और अपने लिप्स को न्यूड लिप शेड से फिल करें. हाई हील्स भी पहनी जा सकती हैं. आप चाहें तो इस पर एक डैनिम जैकेट भी कैरी कर सकती हैं.

5- साड़ी

डेट के दिन आप साड़ी का औप्शन भी चुन सकती हैं. अगर यह आप का फर्स्ट डेटहै तो आप के लिए साड़ी पहनना एक अच्छा औप्शन हो सकता है. आप इस दिन के लिए कलरफुल साड़ी सलैक्ट कर सकती हैं. साड़ी से न सिर्फ आप गौर्जियस लगेंगी बल्कि कुछ डिफरैंट भी लगेंगी. साड़ी के साथ आप ब्लाउज कुछ अलग स्टाइल का सेलैक्ट करें. इस पर कुछ हैवी एक्सैसरीज भी पहन सकती हैं.

6- वूलन टौप विद पैंट

आप डेटपर स्टाइलिश दिखने के लिए पैंट के साथ शौर्ट वूलन टौप भी पहन सकती हैं. इस के साथ आप बूट्स भी वियर कर सकती हैं.आप बूट्स के साथ जींस और लौंग कोट भी कैरी कर सकती हैं. बूट्स के साथ जींस, टौप और ऊपर से कोट पहनने से आप को न सिर्फ डिफरैंट लुक मिलेगा बल्कि आप स्टाइलिश भी दिखेंगी.

7- साटन

ड्रैस साटन फैब्रिक काफी फैंसी होती है. अगर आप सिंपल और क्लासी दिखना चाहती हैं तो प्लेन साटन ड्रैस आप के लिए परफैक्ट रहेगी. यह ड्रैस आप के सौफ्ट लुक को उभारेगी. कलर थोड़ा ब्राइट सेलैक्ट करें, मसलन रैड यलो या मैरून. ऐसी ड्रैस के साथ आप पर्ल इयररिंग्स पहनें. इस के साथ आप पंप्स हील्स चुन सकती हैं.

8- सीक्वैंस ड्रैस

डेट के दिन कुछ चमकीला पहनना चाहती हैं तो सीक्वैंस ड्रैस ट्राई करें. सीक्वैंस ड्रैस डेट-नाइट के लिए परफैक्ट रहेगी. इस तरह की ड्रैस के साथ आप मेकअप के लिए स्मोकी आई लुक को चुनें और लिप्स के लिए न्यूड कलर को चुन सकती हैं. साथ ही, बालों के लिए आप ओपन हेयर स्टाइल ही चुनें.

9- सनड्रैस

अगर आप प?हनना चाहती हैं एक ड्रैस जो सैक्सी भी हो और कंफर्टेबल भी, तो चुनिए सनड्रैस. डेटके दिन एक रोमांटिक आउटडोर ब्रंच इस दिन को स्पैशल बनाने का सब से अच्छा तरीका है. ऐसे में अगर आप फ्री फ्लोइंग सनड्रैस में अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक डेट पर जाएंगी तो यह दिन और भी खूबसूरत बन जाएगा. सनड्रैस आरामदायक होने के साथसाथ आकर्षक भी नजर आता है.

10- ए लाइन ड्रैस

अगर आप इस दिन दूसरों से अलग दिखने के साथ ही अपने बौयफ्रैंड के दिल पर राज करना चाहती हैं तो ए लाइन ड्रैस चुनें जिस से आप की वेस्ट उभर कर आए और आप सा खूबसूरत कोई और न दिखे. इस दिन के लिए रैड कलर की ए लाइन ड्रैस, जिस का फैब्रिक बिलकुल सौफ्ट हो, का चुनाव करें. लुक को बढ़ाने के लिए इसे न्यूट्रल एक्सैसरीज के साथ पेयर करें. टियर ड्रैस इस दिन के लिए टियर ड्रैस स्टाइल बेहद आकर्षक औप्शन हो सकता है क्योंकि इस में मौजूद लेयर आप के लुक को बेहद आकर्षक बनाती हैं.

11- डेनिम

कैजुअल आउटिंग के लिए डैनिम जैकेट और एक बैल्ट के साथ इसे पेयर कर सकती हैं. कटआउट ड्रैस कटआउट ड्रैस ट्रैंड में है और इस में आप का सैक्सी लुक उभर कर आता है. इस दिन ऐसी ड्रैस आप को हौट अवतार देने के लिए काफी होगी. इसे सलैक्ट करते समय बोल्ड प्रिंट और फ्लोइंग फैब्रिक वाली ड्रैस चुनें. इस के साथ ही ध्यान रखें कि इस की स्लीव्स लंबी हों. यह ड्रैस आरामदायक होने के साथ आकर्षक होगी और इसे पहन कर आप बौयफ्रैंड के साथ एक खूबसूरत डेट के लिए जा सकती हैं.

12- स्लिप ड्रैस

स्लिप ड्रैस काफी अपीलिंग होती है. इस ड्रैस में भी आप का सैक्सी और बोल्ड लुक उभर कर आता है. डेटके लिए यह अच्छी चौइस है. कलर सावधानी से चुनें. थोड़ा ब्राइट या रैड कलर अच्छा लगेगा. नाइट आउट के लिए भी यह आउटफिट अच्छा औप्शन है.

13- स्टाइलिश स्कर्ट टौप लुक

आप अपने लिए स्कर्ट टौप लुक भी सेलैक्ट कर सकती हैं. यह भी आप की डेट के लिए एकदम परफैक्ट और कंफर्टेबल है. पोनीटेल की जगह बालों को ओपन रखें और हाथों में घड़ी की जगह ब्रेसलेट्स पहनें.

14- स्पैशल इंडियन लुक फौर स्पैशल डेट

अगर आप को अपनी डेट पर कुछ इंडियन पहनना है तो आप पैंट और स्ट्रेट कुरता चुन सकती हैं, जो हर लड़की पर सुंदर लगता है. इस के साथ जूतियां या कोल्हापुरी पहनें और कानों में  झुमके डालें. आप अनारकली और पैंट का क्लासी लुक भी आजमा सकती हैं. पैरों में जूतियां, कानों में  झुमके और मेसी बन से लुक कंपलीट करें. नैचुरल मेकअप किया जाए तो यह लुक और भी खूबसूरत बन जाता है.

15- लौंग स्कर्ट विद टौप

इस बार डेट के मौके पर अगर आप अपने पार्टनर के साथ कहीं बाहर घूमने जाने की सोच रही हैं तो आप लौंग स्कर्ट पहन सकती हैं. आजकल लौंग स्कर्ट का ट्रैंड काफी बढ़ गया है. इसे पहनने के बाद आप का लुक एकदम बदल जाता है. आप स्कर्ट के साथ शौर्ट टौप या फिर कोई वूलन टौप पहन सकती हैं. आप सिंपल टौप के साथ स्टाइलिश जैकेट भी वियर कर सकती हैं.

16- हाल्टर नेक

ड्रैस हाल्टर नेक ड्रैस भी सैक्सी लुक देती है. इस तरह की ड्रैस को चुनते वक्त आप बालों को स्ट्रेट रखें. मेकअप थोड़ा बोल्ड रखें. कानों में लौंग चेन इयररिंग्स पहन सकती हैं.

17- डैशिंग डैनिम

अगर आप को ड्रैस पहनने का  झंझट नहीं चाहिए और सैक्सी दिखने के लिए ज्यादा एफर्ट्स नहीं लगाना पसंद, तब आप को इस लुक में स्टाइलिश दिखने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती. डैनिम, टी शर्ट, गौगल्स, बूट्स और ब्लेजर हर लड़की के पास होते हैं. बस, अपने बैस्ट तरीके से इसे कौर्डिनेट कर के पहनिए. अगर आप अपने पार्टनर के साथ कहीं पिकनिक पर जा रही हैं तो आप को डैनिम पहनना चाहिए. यह डैनिम की ड्रैस भी हो सकती है और डैनिम के शौर्ट्स या स्कर्ट भी. इस के साथ लेसी टौप अच्छा लगेगा. साथ में गोल्ड बैल्ट आप के लुक को इनहैन्स करेगी.

18- लेसी या लिटिल फ्रिली ड्रैस

यदि आप दिन की पार्टी में जा रही हैं तो आप एक अच्छी लेसी या लिटिल फ्रिली ड्रैस पहन सकती हैं. लाल रंगों की ड्रैसेस के अलावा मैजेंटा, मैरून या रोजी पिंक कलर के कपड़ों का कंट्रास्ट कलर्स के साथ चुनाव कर सकती हैं. आप कुछ ऐसा पहनें जैसे लेसी टौप हो तो स्कर्ट प्लेन हो या सौलिड कलर में ट्राउजर हो. इस के साथ आप प्लेटफौर्म या वेजेज और ब्रैंड बैंगल्स के साथ अपना लुक कंप्लीट कर सकती हैं.

19- गाउन

रात की पार्टी के लिए आप प्लेन और सौलिड कलर में गाउन पहन सकती हैं. इस गाउन में हलका सा काम हो सकता है. आप कुछ भारी ईयररिंग्स और नेक पीस पहन कर इसे बैलेंस कर सकती हैं. अगर आप का नेकपीस ज्यादा भारी है तो हलकी ईयररिंग्स पहनें.

20- औफशोल्डर टौप विद वाइड जींस

यह कौंबिनेशन भी काफी खूबसूरत है. इस में आप को एक स्टाइलिश औफशोल्डर टौप के साथ वाइड जींस कैरी करनी है. अगर बौसी लुक चाहिए तो इस आउफिट के साथ स्ंिलग बैग और गौगल्स कैरी करना न भूलें.

–   लाल रंग एक चुंबक की तरह आप के पार्टनर को आप की तरफ आकर्षित करता है फिर चाहे आप ने केवल लाल टीशर्ट ही क्यों न पहनी हो. आप अपनी ड्रैस के साथ लाल शेड की किसी लिपस्टिक का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

–    डेट के अवसर पर हार्ट वाला टौप या स्वेटर पहनने का चलन वैसे तो काफी पुराना है लेकिन यह आज भी उतना ही प्रचलित है जितना पहले था.

–  इन सब के अतिरिक्त भारत में आजकल कार्सेट का प्रचलन भी बढ़ रहा है. डेटपर आप अपने पार्टनर को प्रभावित करने के लिए उन के पसंदीदा रंग की कार्सेट भी ट्राई कर सकती हैं. कार्सेट के साथ कोट या पफर जैकेट का कौंबिनेशन भी काफी कूल लगता है. अगर आप पर काला रंग जंचता है तो आप कोई क्लासिक सी ब्लैक ड्रैस भी पहन सकती हैं.

-अगर आप स्कर्ट पहनने की शौकीन हैं तो लैदर स्कर्ट, फिटेड कार्डिगन और हाई बूट्स का कौंबिनेशन आप ही के लिए है. इस के बाद भी अगर आप क्या पहनें, यह फैसला नहीं कर पा रही हैं तो आप केवल टीशर्ट और जींस के साथ भी जा सकती हैं. यह बेहद अच्छा भी लगता है और हर जगह काम करता है. बस, आप को यह सुनिश्चित करना है कि डेटपर आप रोमांटिक सा मेकअप जरूर करें.

कॉलगर्ल: होटल में उस रात क्या हुआ

मैं दफ्तर के टूर पर मुंबई गया था. कंपनी का काम तो 2 दिन का ही था, पर मैं ने बौस से मुंबई में एक दिन की छुट्टी बिताने की इजाजत ले ली थी. तीसरे दिन शाम की फ्लाइट से मुझे कोलकाता लौटना था. कंपनी ने मेरे ठहरने के लिए एक चारसितारा होटल बुक कर दिया था. होटल काफी अच्छा था. मैं चैकइन कर 10वीं मंजिल पर अपने कमरे की ओर गया.

मेरा कमरा काफी बड़ा था. कमरे के दूसरे छोर पर शीशे के दरवाजे के उस पार लहरा रहा था अरब सागर.

थोड़ी देर बाद ही मैं होटल की लौबी में सोफे पर जा बैठा.

मैं ने वेटर से कौफी लाने को कहा और एक मैगजीन उठा कर उस के पन्ने यों ही तसवीरें देखने के लिए पलटने लगा. थोड़ी देर में कौफी आ गई, तो मैं ने चुसकी ली.

तभी एक खूबसूरत लड़की मेरे बगल में आ कर बैठी. वह अपनेआप से कुछ बके जा रही थी. उसे देख कर कोई भी कह सकता था कि वह गुस्से में थी.

मैं ने थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस से पूछा, ‘‘कोई दिक्कत?’’

‘‘आप को इस से क्या लेनादेना? आप अपना काम कीजिए,’’ उस ने रूखा सा जवाब दिया.

कुछ देर में उस का बड़बड़ाना बंद हो गया था. थोड़ी देर बाद मैं ने ही दोबारा कहा, ‘‘बगल में मैं कौफी पी रहा हूं और तुम ऐसे ही उदास बैठी हो, अच्छा नहीं लग रहा है. पर मैं ने ‘तुम’ कहा, तुम्हें बुरा लगा हो, तो माफ करना.’’

‘‘नहीं, मुझे कुछ भी बुरा नहीं लगा. माफी तो मुझे मांगनी चाहिए, मैं थोड़ा ज्यादा बोल गई आप से.’’

इस बार उस की बोली में थोड़ा अदब लगा, तो मैं ने कहा, ‘‘इस का मतलब कौफी पीने में तुम मेरा साथ दोगी.’’

और उस के कुछ बोलने के पहले ही मैं ने वेटर को इशारा कर के उस के लिए भी कौफी लाने को कहा. वह मेरी ओर देख कर मुसकराई.

मुझे लगा कि मुझे शुक्रिया करने का उस का यही अंदाज था. वेटर उस के सामने कौफी रख कर चला गया. उस ने कौफी पीना भी शुरू कर दिया था.

लड़की बोली, ‘‘कौफी अच्छी है.’’

उस ने जल्दी से कप खाली करते हुए कहा, ‘‘मुझे चाय या कौफी गरम ही अच्छी लगती है.’’

मैं भी अपनी कौफी खत्म कर चुका था. मैं ने पूछा, ‘‘किसी का इंतजार कर रही हो?’’

उस ने कहा, ‘‘हां भी, न भी. बस समझ लीजिए कि आप ही का इंतजार है,’’ और बोल कर वह हंस पड़ी.

मैं उस के जवाब पर थोड़ा चौंक गया. उसी समय वेटर कप लेने आया, तो मुसकरा कर कुछ इशारा किया, जो मैं नहीं समझ पाया था.

मैं ने लड़की से कहा, ‘‘तुम्हारा मतलब मैं कुछ समझा नहीं.’’

‘‘सबकुछ यहीं जान लेंगे. क्यों न आराम से चल कर बातें करें,’’ बोल कर वह खड़ी हो गई.

फिर जब हम लिफ्ट में थे, तब मैं ने फिर पूछा, ‘‘तुम गुस्से में क्यों थीं?’’

‘‘पहले रूम में चलें, फिर बातें होंगी.’’

हम दोनों कमरे में आ गए थे. वह अपना बैग और मोबाइल फोन टेबल पर रख कर सोफे पर आराम से बैठ गई.

मैं ने फिर उस से पूछा कि शुरू में वह गुस्से में क्यों थी, तो जवाब मिला, ‘‘इसी फ्लोर पर दूसरे छोर के रूम में एक बूढ़े ने मूड खराब कर दिया.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘बूढ़ा 50 के ऊपर का होगा. मुझ से अननैचुरल डिमांड कर रहा था. उस ने कहा कि इस के लिए मुझे ऐक्स्ट्रा पैसे देगा. यह मेरे लिए नामुमकिन बात थी और मैं ने उस के पैसे भी फेंक दिए.’’

मुझे तो उस की बातें सुन कर एक जोर का झटका लगा और मुझे लौबी में वेटर का इशारा समझ में आने लगा था.

फिर भी उस से नाम पूछा, तो वह उलटे मुझ से ही पूछ बैठी, ‘‘आप मुंबई के तो नहीं लगते. आप यहां किसलिए आए हैं और मुझ से क्या चाहते हैं?’’

‘‘मैं तो बस टाइम पास करना चाहता हूं. कंपनी के काम से आया था. वह पूरा हो गया. अब जो मरजी वह करूं. मुझे कल शाम की फ्लाइट से लौटना है. पर अपना नाम तो बताओ?’’

‘‘मुझे कालगर्ल कहते हैं.’’

‘‘वह तो मैं समझ सकता हूं, फिर भी तुम्हारा नाम तो होगा. हर बार कालगर्ल कह कर तो नहीं पुकार सकता. लड़की दिलचस्प लगती हो. जी चाहता है कि तुम से ढेर सारी बातें करूं… रातभर.’’

‘‘आप मुझे प्रिया नाम से पुकार सकते हैं, पर आप रातभर बातें करें या जो भी, रेट तो वही होगा. पर बूढ़े वाली बात नहीं, पहले ही बोल देती हूं,’’ लड़की बोली.

मैं भी अब उसे समझने लगा था. मुझे तो सिर्फ टाइम पास करना था और थोड़ा ऐसी लड़कियों के बारे में जानने की जिज्ञासा थी. मैं ने उस से पूछा, ‘‘कुछ कोल्डड्रिंक वगैरह मंगाऊं?’’

‘‘मंगा लो,’’ प्रिया बोली, ‘‘हां, कुछ सींक कबाब भी चलेगा. तब तक मैं नहा लेती हूं.’’

‘‘बाथरूम में गाउन भी है. यह तो और अच्छी बात है, क्योंकि हमाम से निकल कर लड़कियां अच्छी लगती हैं.’’

‘‘क्यों, अभी अच्छी नहीं लग रही क्या?’’ प्रिया ने पूछा.

‘‘नहीं, वह बात नहीं है. नहाने के बाद और अच्छी लगोगी.’’

मैं ने रूम बौय को बुला कर कबाब लाने को कहा. प्रिया बाथरूम में थी.

थोड़ी देर बाद ही रूम बौय कबाब ले कर आ गया था. मैं ने 2 लोगों के लिए डिनर भी और्डर कर दिया.

इस के बाद मैं न्यूज देखने लगा, तभी बाथरूम से प्रिया निकली. दूधिया सफेद गाउन में वह सच में और अच्छी दिख रही थी. गाउन तो थोड़ा छोटा था ही, साथ में प्रिया ने उसे कुछ इस तरह ढीला बांधा था कि उस के उभार दिख रहे थे.

प्रिया सोफे पर आ कर बैठ गई.

‘‘मैं ने कहा था न कि तुम नहाने के बाद और भी खूबसूरत लगोगी.’’

प्रिया और मैं ने कोल्डड्रिंक ली और बीचबीच में हम कबाब भी ले रहे थे.

मैं ने कहा, ‘‘कबाब है और शबाब है, तो समां भी लाजवाब है.’’

‘‘अगर आप की पत्नी को पता चले कि यहां क्या समां है, तो फिर क्या होगा?’’

‘‘सवाल तो डरावना है, पर इस के लिए मुझे काफी सफर तय करना होगा. हो सकता है ताउम्र.’’

‘‘कल शाम की फ्लाइट से आप जा ही रहे हैं. मैं जानना चाहती हूं कि आखिर मर्दों के ऐसे चलन पर पत्नी की सोच क्या होती है.’’

‘‘पर, मेरे साथ ऐसी नौबत नहीं आएगी.’’

‘‘क्यों?’’

मैं ने कहा, ‘‘क्योंकि मैं अपनी पत्नी को खो चुका हूं. 27 साल का था, जब मेरी शादी हुई थी और 5 साल बाद ही उस की मौत हो गई थी, पीलिया के कारण. उस को गए 2 साल हो गए हैं.’’

‘‘ओह, सो सौरी,’’ बोल कर अपनी प्लेट छोड़ कर वह मेरे ठीक सामने आ कर खड़ी हो गई थी और आगे कहा, ‘‘तब तो मुझे आप का मूड ठीक करना ही होगा.’’

प्रिया ने अपने गाउन की डोरी की गांठ जैसे ही ढीला भर किया था कि जो कुछ मेरी आंखों के सामने था, देख कर मेरा मन कुछ पल के लिए बहुत विचलित हो गया था.

मैं ने इस पल की कल्पना नहीं की थी, न ही मैं ऐसे हालात के लिए तैयार था. फिर भी अपनेआप पर काबू रखा.

तभी डोर बैल बजी, तो प्रिया ने अपने को कंबल से ढक लिया था. डिनर आ गया था. रूम बौय डिनर टेबल पर रख कर चला गया.

प्रिया ने कंबल हटाया, तो गाउन का अगला हिस्सा वैसे ही खुला था.

प्रिया ने कहा, ‘‘टेबल पर मेरे बैग में कुछ सामान पड़े हैं, आप को यहीं से दिखता होगा. आप जब चाहें इस का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप का मूड भी तरोताजा हो जाएगा और आप के मन को शायद इस से थोड़ी राहत मिले.’’

‘‘जल्दी क्या है. सारी रात पड़ी है. हां, अगर कल दोपहर तक फ्री हो तो और अच्छा रहेगा.’’

इतना कह कर मैं भी खड़ा हो कर उस के गाउन की डोर बांधने लगा, तो वह बोली, ‘‘मेरा क्या, मुझे पैसे मिल गए. आप पहले आदमी हैं, जो शबाब को ठुकरा रहे हैं. वैसे, आप ने दोबारा शादी की? और आप का कोई बच्चा?’’

वह बहुत पर्सनल हो चली थी, पर मुझे बुरा नहीं लगा था. मैं ने उस से पूछा, ‘‘डिनर लोगी?’’

‘‘क्या अभी थोड़ा रुक सकते हैं? तब तक कुछ बातें करते हैं.’’

‘‘ओके. अब पहले तुम बताओ. तुम्हारी उम्र क्या है? और तुम यह सब क्यों करती हो?’’

‘‘पहली बात, लड़कियों से कभी उम्र नहीं पूछते हैं…’’

मैं थोड़ा हंस पड़ा, तभी उस ने कहना शुरू किया, ‘‘ठीक है, आप को मैं अपनी सही उम्र बता ही देती हूं. अभी मैं 21 साल की हूं. मैं सच बता रही हूं.’’

‘‘और कुछ लोगी?’’

‘‘अभी और नहीं. आप के दूसरे सवाल का जवाब थोड़ा लंबा होगा. वह भी बता दूंगी, पर पहले आप बताएं कि आप ने फिर शादी की? आप की उम्र भी ज्यादा नहीं लगती है.’’

मैं ने उस का हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा, ‘‘मैं अभी 34 साल का हूं. मेरा कोई बच्चा नहीं है. डाक्टरों ने सारे टैस्ट ले कर के बता दिया है कि मुझ में पिता बनने की ताकत ही नहीं है. अब दूसरी शादी कर के मैं किसी औरत को मां बनने के सुख के लिए तरसता नहीं छोड़ सकता.’’

इस बार प्रिया मुझ से गले मिली और कहा, ‘‘यह तो बहुत बुरा हुआ.’’

मैं ने उस की पीठ थपथपाई और कहा, ‘‘दुनिया में सब को सबकुछ नहीं मिलता. पर कोई बात नहीं, दफ्तर के बाद मैं कुछ समय एक एनजीओ को देता हूं. मन को थोड़ी शांति मिलती है. चलो, डिनर लेते हैं.’’

डिनर के बाद मुझे आराम करने का मन किया, तो मैं बैड पर लेट गया. प्रिया भी मेरे साथ ही बैड पर आ कर कंबल लपेट कर बैठ गई थी. वह मेरे बालों को सहलाने लगी.

‘‘तुम यह सब क्यों करती हो?’’ मैं ने पूछा.

‘‘कोई अपनी मरजी से यह सब नहीं करता. कोई न कोई मजबूरी या वजह इस के पीछे होती है. मेरे पापा एक प्राइवेट मिल में काम करते थे. एक एक्सीडैंट में उन का दायां हाथ कट गया था. कंपनी ने कुछ मुआवजा दे कर उन की छुट्टी कर दी. मां भी कुछ पढ़ीलिखी नहीं थीं. मैं और मेरी छोटी बहन स्कूल जाते थे.

‘‘मां 3-4 घरों में खाना बना कर कुछ कमा लेती थीं. किसी तरह गुजर हो जाती थी, पर पापा को घर बैठे शराब पीने की आदत पड़ गई थी. जमा पैसे खत्म हो चले थे…’’ इसी बीच रूम बौय डिनर के बरतन लेने आया और दिनभर के बिल के साथसाथ रूम के बिलों पर भी साइन करा कर ले गया.

प्रिया ने आगे कहा, ‘‘शराब के कारण मेरे पापा का लिवर खराब हुआ और वे चल बसे. मेरी मां की मौत भी एक साल के अंदर हो गई. मैं उस समय 10वीं जमात पास कर चुकी थी. छोटी बहन तब छठी जमात में थी. पर मैं ने पढ़ाई के साथसाथ ब्यूटीशियन का भी कोर्स कर लिया था.

‘‘हम एक छोटी चाल में रहते थे. मेरे एक रिश्तेदार ने ही मुझे ब्यूटीपार्लर में नौकरी लगवा दी और शाम को एक घर में, जहां मां काम करती थी, खाना बनाती थी. पर उस पार्लर में मसाज के नाम पर जिस्मफरोशी भी होती थी. मैं भी उस की शिकार हुई और इस दुनिया में मैं ने पहला कदम रखा था,’’ बोलतेबोलते प्रिया की आंखों से आंसू बहने लगे थे.

मैं ने टिशू पेपर से उस के आंसू पोंछते हुए कहा, ‘‘सौरी, मैं ने तुम्हारी दुखती रगों को बेमतलब ही छेड़ दिया.’’

‘‘नहीं, आप ने मुझे कोई दुख नहीं पहुंचाया है. आंसू निकलने से कुछ दिल का दर्द कम हो गया,’’ बोल कर प्रिया ने आंसू पोंछते हुए कहा, ‘‘पर, यह सब मैं अपनी छोटी बहन को सैटल करने के लिए कर रही हूं. वह भी 10वीं जमात पास कर चुकी है और सिलाईकढ़ाई की ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है. अभी तो एक बिजली से चलने वाली सिलाई मशीन दे रखी है. घर बैठेबैठे कुछ पैसे वह भी कमा लेती है.

‘‘मैं ने एक लेडीज टेलर की दुकान देखी है, पर सेठ बहुत पगड़ी मांग रहा है. उसी की जुगाड़ में लगी हूं. यह काम हो जाए, तो दोनों बहनें उसी बिजनेस में रहेंगी…’’ फिर एक अंगड़ाई ले कर उस ने कहा, ‘‘मैं आप को बोर कर रही हूं न? आप ने तो मुझे छुआ भी नहीं. आप को मुझ से कुछ चाहिए तो कहें.’’

मैं ने कहा, ‘‘अभी सारी रात पड़ी है, मुझे अभी कोई जल्दी नहीं. जब कोई जरूरत होगी कहूंगा. पर पार्लर से होटल तक तुम कैसे पहुंचीं?’’

‘‘पार्लर वाले ने ही कहा था कि मैं औरों से थोड़ी अच्छी और स्मार्ट हूं, थोड़ी अंगरेजी भी बोल लेती हूं. उसी ने कहा था कि यहां ज्यादा पैसा कमा सकती हो. और पार्लरों में पुलिस की रेड का डर बना रहता है. फिर मैं होटलों में जाने लगी.’’

इस के बाद प्रिया ने ढेर सारी बातें बताईं. होटलों की रंगीन रातों के बारे में कुछ बातें तो मैं ने पहले भी सुनी थीं, पर एक जीतेजागते इनसान, जो खुद ऐसी जिंदगी जी रहा है, के मुंह से सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था.

इसी तरह की बातों में ही आधी रात बीत गई, तब प्रिया ने कहा, ‘‘मुझे अब जोरों की नींद आ रही है. आप को कुछ करना हो…’’

प्रिया अभी तक गाउन में ही थी. मैं ने बीच में ही बात काटते हुए कहा, ‘‘तुम दूसरे बैड पर जा कर आराम करो. और हां, बाथरूम में जा कर पहले अपने कपड़े पहन लो. बाकी बातें जब तुम्हारी नींद खुले तब. तुम कल दिन में क्या कर रही हो?’’

‘‘मुझ से कोई गुस्ताखी तो नहीं हुई. सर, आप ने मुझ पर इतना पैसा खर्च किया और…’’

‘‘नहींनहीं, मैं तो तुम से बहुत खुश हूं. अब जाओ अपने कपड़े बदल लो.’’

मैं ने देखा कि जिस लड़की में मेरे सामने बिना कुछ कहे गाउन खोलने में जरा भी संकोच नहीं था, वही अब कपड़े पहनने के लिए शर्मसार हो रही थी.

प्रिया ने गाउन के ऊपर चादर में अपने पूरे शरीर को इतनी सावधानी से लपेटा कि उस का शरीर पूरी तरह ढक गया था और वह बाथरूम में कपड़े पहनने चली गई.

थोड़ी देर बाद वह कपड़े बदल कर आई और मेरे माथे पर किस कर ‘गुडनाइट’ कह कर अपने बैड पर जा कर सो गई.

सुबह जब तक मेरी नींद खुली, प्रिया फ्रैश हो कर सोफे पर बैठी अखबार पढ़ रही थी.

मुझे देखा, तो ‘गुड मौर्निंग’ कह कर बोली, ‘‘सर, आप फ्रैश हो जाएं या पहले चाय लाऊं?’’

‘‘हां, पहले चाय ही बना दो, मुझे बैड टी की आदत है. और क्या तुम शाम 5 बजे तक फ्री हो? तुम्हें इस के लिए मैं ऐक्स्ट्रा पैसे दूंगा.’’

‘‘सर, मुझे आप और ज्यादा शर्मिंदा न करें. मैं फ्री नहीं भी हुई तो भी पहले आप का साथ दूंगी. बस, मैं अपनी बहन को फोन कर के बता देती हूं कि मैं दिन में नहीं आ सकती.’’

प्रिया ने अपनी बहन को फोन किया और मैं बाथरूम में चला गया. जातेजाते प्रिया को बोल दिया कि फोन कर के नाश्ता भी रूम में ही मंगा ले.

नाश्ता करने के बाद मैं ने प्रिया से कहा, ‘‘मैं ने ऐलीफैंटा की गुफाएं नहीं देखी हैं. क्या तुम मेरा साथ दोगी?’’

‘‘बेशक दूंगी.’’

थोड़ी देर में हम ऐलीफैंटा में थे. वहां तकरीबन 2 घंटे हम साथ रहे थे. मैं ने उसे अपना कार्ड दिया और कहा, ‘‘तुम मुझ से संपर्क में रहना. मैं जिस एनजीओ से जुड़ा हूं, उस से तुम्हारी मदद के लिए कोशिश करूंगा. यह संस्था तुम जैसी लड़कियों को अपने पैरों पर खड़ा होने में जरूर मदद करेगी.

‘‘मैं तो कोलकाता में हूं, पर हमारी ब्रांच का हैडक्वार्टर यहां पर है. थोड़ा समय लग सकता है, पर कुछ न कुछ अच्छा ही होगा.’’

प्रिया ने भरे गले से कहा, ‘‘मेरे पास आप को धन्यवाद देने के सिवा कुछ नहीं है. इसी दुनिया में रात वाले बूढ़े की तरह दोपाया जानवर भी हैं और आप जैसे दयावान भी.’’

प्रिया ने भी अपना कार्ड मुझे दिया. हम दोनों लौट कर होटल आए. मैं ने रूम में ही दोनों का लंच मंगा लिया. लंच के बाद मैं ने होटल से चैकआउट कर एयरपोर्ट के लिए टैक्सी बुलाई.

सामान डिक्की में रखा जा चुका था. जब मैं चलने लगा, तो उस की ओर देख कर बोला, ‘‘प्रिया, मुझे तुम्हें और पैसे देने हैं.’’

मैं पर्स से पैसे निकाल रहा था कि इसी बीच टैक्सी का दूसरा दरवाजा खोल कर वह मुझ से पहले जा बैठी और कहा, ‘‘थोड़ी दूर तक मुझे लिफ्ट नहीं देंगे?’’

‘‘क्यों नहीं. चलो, कहां जाओगी?’’

‘‘एयरपोर्ट.’’

मैं ने चौंक कर पूछा, ‘‘एयरपोर्ट?’’

‘‘क्यों, क्या मैं एयर ट्रैवल नहीं कर सकती? और आगे से आप मुझे मेरे असली नाम से पुकारेंगे. मैं पायल हूं.’’

और कुछ देर बाद हम एयरपोर्ट पर थे. अभी फ्लाइट में कुछ वक्त था. उस से पूछा, ‘‘तुम्हें कहां जाना है?’’

‘‘बस यहीं तक आप को छोड़ने आई हूं,’’ पायल ने मुसकरा कर कहा.

मैं ने उसे और पैसे दिए, तो वह रोतेरोते बोली, ‘‘मैं तो आप के कुछ काम न आ सकी. यह पैसे आप रख लें.’’

‘‘पायल, तुम ने मुझे बहुत खुशी दी है. सब का भला तो मेरे बस की बात नहीं है. अगर मैं एनजीओ की मदद से तुम्हारे कुछ काम आऊं, तो वह खुशी शानदार होगी. ये पैसे तुम मेरा आशीर्वाद समझ कर रख लो.’’

और मैं एयरपोर्ट के अंदर जाने लगा, तो उस ने झुक कर मेरे पैरों को छुआ. उस की आंखों से आंसू बह रहे थे, जिन की 2 बूंदें मेरे पैरों पर भी गिरीं.

मैं कोलकाता पहुंच कर मुंबई और कोलकाता दोनों जगह के एनजीओ से लगातार पायल के लिए कोशिश करता रहा. बीचबीच में पायल से भी बात होती थी. तकरीबन 6 महीने बाद मुझे पता चला कि एनजीओ से पायल को कुछ पैसे ग्रांट हुए हैं और कुछ उन्होंने बैंक से कम ब्याज पर कर्ज दिलवाया है.

एक दिन पायल का फोन आया. वह भर्राई आवाज में बोली, ‘सर, आप के पैर फिर छूने का जी कर रहा है. परसों मेरी दुकान का उद्घाटन है. यह सब आप की वजह से हुआ है. आप आते तो दोनों बहनों को आप के पैर छूने का एक और मौका मिलता.’

‘‘इस बार तो मैं नहीं आ सकता, पर अगली बार जरूर मुंबई आऊंगा, तो सब से पहले तुम दोनों बहनों से मिलूंगा.’’

आज मुझे पायल से बात कर के बेशुमार खुशी का एहसास हो रहा है और मन थोड़ा संतुष्ट लग रहा है.

परिंदे को उड़ जाने दो : भाग-4

अक्षत ने शीना का हाथ पकड़ा और उसे किस करने के लिए आगे बढ़ा. शीना ने उसे मना नहीं किया और पहली बार किसी लड़के के स्पर्श को महसूस कर खुशी से भर गई.

ट्रिप के अगले 2 दिन शीना के लिए किसी सपने से कम नहीं थे. वह अक्षत को कभी बेबी कह कर बुलाती, कभी उसे गले लगाती, कभी बिना बात उस के साथ कपल डांस करने लगती. अक्षत के साथ उस के लिए यह ट्रिप कई कारणों से यादगार हो चुकी थी. लेकिन, शीना की मम्मी दिन में 5 बार उसे फोन करतीं थीं जिस से वह खीझ उठती थी. फोन उठाती तो मम्मी उसे कोई न कोई हिदायत देती रहती थीं.

शीना वापस घर आई तो मम्मी ने उस के सामने पहले से तैयार बातों की लिस्ट रख थी, “तुम ने इतना समय बर्बाद किया है कि दो प्रौडक्ट के शूट हाथ से निकल गए, यह क्या बिना मेकअप लगाए घूम रही हो, कोई देखेगा तो क्या कहेगा, इसीलिए बस इसीलिए मैं नहीं चाहती थी कि ट्रिप पर जाओ, 5 दिनों में जैसे सब कुछ ही भूल गई.”

“मम्मी सांस तो लेने दो, अभी ठीक से बैठी भी नहीं हूं मैं कि आप शुरू हो गई हो,” कह कर शीना अपने कमरे की तरफ चली गई.

“मुझ से जबान लड़ाने की कोशिश मत करो और ट्रैक पर वापस आ जाओ. एक बाप है जिसे घर की सुध नहीं है और एक बेटी है जिसे अपना कैरियर बर्बाद करने की पड़ी है,” शोभा बड़बड़ाने लगी.

अगले दिन से शीना के लिए कालेज पहले जैसा नहीं रहा था, अब अक्षत उस का बौयफ्रेंड था और वह उस की गर्लफ्रेंड. जिंदगी में रोमांस की कमी थी और वह आखिर मिल ही गया था. शीना को अब न मेकअप करने का शौक रहा था न उस का डांस क्लास या शूट्स पर जाने का मन होता था. वह कालेज पर और अक्षत पर फोकस करना चाहती थी. अक्षत के कहने पर उस ने अब नोवल्स पढ़ना भी शुरू कर दिया था. लिखने का भी शौक होने लगा था अब उसे. सब उस के आर्टिकल्स पढ़ कर तारीफ किया करते थे. उसे लगा जैसे सुकून तो अब मिला है उसे इतने सालों में.

शाम को क्लास जाने की बजाए शीना अक्षत के साथ लाइब्रेरी चली गई, अगले दिन भी उस ने डांस क्लास न जा कर कैंटीन में बैठे रहना ज्यादा सही समझा. शूट्स के लिए मम्मी कहतीं तो वह टेस्ट का बहाना बना कर टाल देती.

शोभा को डांस टीचर का कौल आया तो पता चला कि पिछले एक महीने में शीना सिर्फ 4 दिन ही क्लास गई है.

शाम को शीना घर लौटी तो सोफे पर बैठी शोभा ने उसे अपने पास बुलाया.

“क्या चल रहा है यह सब?” शोभा ने पूछा.

“क्या चल रहा है मतलब?”

“क्लास नहीं जा रही तो कहीं तो गुलछर्रे उड़ा ही रही हो,” शोभा ने आग बबूला होते हुए कहा.

“वो… मैं….पढ़ रही थी,” शीना इस तरह पकड़ी जाएगी उस ने सोचा नहीं था.

“अगले महीने मिस इंडिया के ट्रायल्स शुरू हो रहे हैं और अब तुम्हें उसी पर फोकस करना है, कल से कालेज जाने की जरूरत नहीं है रोज.”

“पर मेरे एग्जाम हैं मम्मी.”

“तो?”

“मुझे नहीं बनना मिस इंडिया, मैं कालेज ही जाउंगी,” शीना ने अपना फैसला सुनाया.

“तुम्हें किस ने कहा कि तुम्हारी मरजी चलेगी यहां? मुझे पता ही था कि यही होगा, मुझे पता ही था. क्या रखा है कालेज में? जरूर किसी लड़के का चक्कर है,” लगभग चीखते हुए शोभा ने कहा.

“लड़का हो या न हो, पर मैं वही करूंगी जो मेरे लिए सही है. वैसे भी आप को मेरी खुशी या सही गलत से क्या लेना देना है,” शीना की आंखों में आंसू थे.

“मुझे क्या लेना देना है? मां हूं मैं तेरी, तेरे कैरियर के लिए ही कर रही हूं यह सब.”

“पैसो के लिए कर रही हो आप यह सब, मां बनी ही कब हो आप मेरी. मुझे खोखला बनने के अलावा क्या सिखाया है आप ने. बचपन से मेरे दोस्तों को भगाती आई हो, कैमरे के आगे मुस्कराने और स्टेज पर जजेस को खुश करना सिखाया है लेकिन खुश रहना नहीं सिखाया,” रोते हुए शीना अपने रूम में चली गई.

“कल से तू कालेज नहीं जाएगी बस, देखती हूं कैसे नहीं मानती मेरी बात,” शोभा ने चिल्लाते हुए कहा और सोफे पर धम से बैठ गई.

शीना ने रोते हुए अक्षत को फोन किया.

“मुझे नहीं रहना है इस घर में,” शीना ने कहा.

“क्या हुआ है, रो क्यों रही हो?” अक्षत का स्वर गंभीर था.

“मैं पैसा कमाने की मशीन नहीं हूं किसी की, न कठपुतली हूं किसी की जो जैसे चाहा नचा दिया.”

“हां, वो मैं जानता हूं पर हुआ क्या है,” अक्षत ने पूछा तो शीना ने उसे पूरा हाल कह सुनाया.

“तुम अपने पापा से क्यों नहीं कहती, वो समझाएंगे आंटी को.”

“पापा दिल्ली से बाहर गए हैं और मैं उन्हें अभी परेशान नहीं करना चाहती, लेकिन मैं यहां मम्मी के साथ भी नहीं रहना चाहती. मां हैं तो क्या, इतना मतलबी कौन होता है जो बेटी की खुशी न दिखाई दे.”

“मेरे पीजी में लड़कियां अलाउड नहीं हैं यार वरना यहां ही बुला लेता.”

“तुम्हारे सामने वाला पीजी गर्ल्स पीजी है न? वहां कोई रूम खाली है क्या?”

“पूछ कर बताता हूं,” अक्षत ने कहा और दोबारा फोन करने के लिए कह कर दोस्तों से पीजी के बारे में पूछने लगा.

कुछ देर बाद अक्षत का फोन आया और उस ने बताया कि उस के सामने वाला पीजी खाली है, पैसे भी कम हैं और पानी बिजली की सुविधाएं हैं.

शीना ने अपने कपड़े और जरूरी सामान एक बड़े ट्रौली बैग और हैंडबैग में डाल लिया. मम्मी ने उसे देखा तो गुस्से से लालपीली हो पूछने लगीं कि यह सब क्या है. शीना ने बताया कि वह अब पीजी में ही रहेगी और पढ़ेगी. उस का मन पैजेंट्स में जाने या ब्यूटी इंडस्ट्री में नहीं है बल्कि लिटेरेचर पढ़ने में है तो वह वही करेगी.

“किस ने भरी हैं ये उलूलजुलूल बातें तेरे दिमाग में?” शोभा चिल्लाते हुए कहने लगी.

“मम्मी मैं 19 साल की हूं और अपने फैसले ले सकती हूं. मुझे पढ़ना है तो इस में बुराई क्या है? एक साधारण लड़की की जिंदगी नहीं जी सकती क्या मैं? मैं जा रही हूं पीजी में रहने पापा को चाहे तो बता देना या मैं खुद ही बता दूंगी, वो खुश ही होंगे जान कर कि आप के चंगुल से बच गई मैं.”

“कैसी बातें कर रही है तू, मैं तेरी टांगे तोड़ दूंगी अगर घर से बाहर कदम रखा तो.”

“कैसी बातें करने लगी हो आप, हो क्या गया है आप को? पढ़ने जा रही हूं मैं घर से भाग नहीं रही जो टांगे तोड़ोगी. नहीं रहना मुझे आप के आसपास, पीजी में रह कर पढुंगी और मन हुआ तो आ जाउंगी, इस से ज्यादा उम्मीद मत रखो मुझ से. आप के पति का बहुत पैसा है उस से कर लो ऐश मैं ये शोज कर के या शूट कर के नहीं रह सकती खुश. जाने दो मुझे.”

“तू अपनी मां को छोड़ कर जा रही है? ऐसे कैसे जा रही है तू?” शोभा की आंखों में आंसू आने लगे थे.

“मम्मी जाने दो मुझे, मैं इस घर में रही तो घुटघुट कर मर जाऊंगी,” कह कर शीना घर से निकल गई. अक्षत उसे लेने के लिए आया हुआ था. वह अक्षत के साथ मेट्रो से नौर्थ कैंपस गई. पीजी दो कमरों का था जहां शीना की एक रूममेट भी थी. शीना को एडजस्ट होने में ज्यादा समय नहीं लगा. मम्मी की कौल तो उस ने उठाना बंद कर ही दी थी लेकिन पापा से बात कर लिया करती. पापा ने उसे पढ़ने पर ध्यान देने के लिए कहा.

शीना के लिए सबकुछ बहुत अलग और अकल्पनीय सा था. उसे लग रहा था जैसे वह आजाद परिंदा हो गई है. अक्षत के साथ वह खुश भी रहती थी और पढ़ती भी थी जिस का नतीजा यह हुआ कि थर्ड ईयर के बाद उस का मेरिट बेसिस पर ही पोस्ट ग्रेजुशन के लिए सेलेक्शन हो गया. इन दो सालों में उस की घर और फैशन इंडस्ट्री से दूरी शीना के लिए सुकूनभारी साबित  हुई थी. शोभा ने बहुत कोशिश की कि शीना वापस आ जाए पर फिर उसे भी समझ आ गया कि बेटी को उंगलियों पर नचाने की जद्दोजेहद में वह अपनी बेटी की खुशियों को देखना भूल गई जिस का परिणाम अब उसे भुगतना पड़ रहा है.

शीना और अक्षत की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे लिवइन में आ गए थे. अपनीअपनी नौकरियों में दोनों ही बेहद खुश हैं और संतुष्ट भी हैं. शीना मेकअप लगाए बिना यों ही औफिस जाती तो अक्षत कहता, “पहले दिन ऐसे आई होती न कालेज, तो पहले ही दिन प्यार हो जाता तुम से.”

अक्षत की बात सुन शीना जोर से हंस देती.

Summer Special: 5 समर ड्रिंक -टेस्ट और एनर्जी से भरपूर, बच्चों को करेंगे गर्मी से दूर

क्या आपके बच्चों की गर्मी की छुट्टी चल रही है और आप उनके हाइड्रेशन के लिए परेशान हैं?बिल्कुल भी चिंता न करें, हमारे पास आपके लिए बिल्कुल सही समाधान है. इन गर्मियों की छुट्टियों के दौरान क्यों न अपने बच्चों को ताज़ा पेय पदार्थों से खुश करें जो उन्हें हाइड्रेटेड तो रखेंगे ही साथ ही उन्हें स्वस्थ भी बनाएंगे.

मनप्रीत कालरा – आहार विशेषज्ञ और संस्थापक निदेशक, न्यूट्रीएप्ट हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड की बता रही हैं 5 स्वस्थ और ताज़ा गर्मियों के पेय जो इस गर्मी में बच्चों के लिए अवश्य आजमाए जाने चाहिए-

  1. पुदीने की छाछ

1 छोटी कटोरी दही, 5-6 पुदीने के पत्ते, 1 छोटा चम्मच जीरा पाउडर, चुटकी भर काली मिर्च और स्वादानुसार काला नमक मिलाएं. इसे ग्राइंडर में अच्छी तरह मिलाएं और 3-4 बर्फ के टुकड़े डालकर ठंडा-ठंडा सर्व करें. आप इस आसान समर ड्रिंक को अपने ऑफिस या कॉलेजों में ले जा सकते हैं और अपने पेट को ठंडा और तरोताजा रखने के लिए इसे अपने मिड स्नैक के दौरान ले सकते हैं.

2. तरबूज पंच

तरबूज गर्मियों के लिए सबसे आदर्श फल है क्योंकि यह गर्मियों में बाहर खेलते समय आपके बच्चों को लंबे समय तक हाइड्रेटेड रखता है. बीज निकाल कर शुरू करें और तरबूज का पंप बनाएं. अब आपका जूस बनकर तैयार है, इसमें स्वादानुसार नमक, नींबू का रस और पुदीने के पत्ते डालें. इसे कुछ समय के लिए ठंडा करें और अपने बच्चों को इस स्वादिष्ट गर्मियों के पेय का आनंद लेने दें.

3. गुलकंद मिल्कशेक

गुलकंद में उच्च हाइड्रेटिंग गुण होते हैं जो गुलाब की पंखुड़ियों को चीनी में मिला कर बनाया जाता है और हीटस्टोक्स को रोक सकता है. अगर आपके बच्चे सादा दूध पीकर बोर हो गए हैं तो इस रेसिपी को जरूर ट्राई करें. आपको बस 1 कप ठंडा दूध, 1 बड़ा चम्मच गुलकंद, 1 बड़ा चम्मच गुलाब का शरबत और कुछ बर्फ के टुकड़े चाहिए। सभी सामग्री को एक साथ ब्लेंडर में मिलाकर तुरंत परोसें.

4. तुलसी नींबू पानी

तुलसी नींबू पानी आपके बच्चों के लिए गर्मियों में कूलर के रूप में पूरी तरह से अनुकूल होगा क्योंकि यह शरीर की गर्मी को दूर रखेगा. आपको केवल स्वाद के लिए तुलसी के कुछ पत्ते, नींबू और शहद चाहिए. इन सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाएं और लगभग 30 मिनट से 1 घंटे के लिए रख दें. सबसे समृद्ध तुलसी स्वाद के साथ छानें और परोसें.

5. मैंगो पंच

इस समर ड्रिंक को बनाने के लिए 1/2 आम, 1 टीस्पून गोंद कतीरा, 1/2 टीस्पून तुलसी के बीज, 1 टीस्पून गुड़ पाउडर और 1/2 गिलास नारियल पानी मिलाएं. यह बच्चों के लिए गर्मियों के लिए उत्तम पेय है क्योंकि गोंद कतीरा, नारियल पानी और तुलसी के बीजों में ठंडक देने वाले गुण होते हैं जो आपके बच्चों के शरीर को ठंडा रखेंगे.

आप तैयारी के हिस्से में अपने बच्चों को भी शामिल कर सकते हैं क्योंकि यह एक मजेदार गतिविधि हो सकती है और वे सामग्री के बारे में अधिक सीख सकते हैं. अब, अपने बच्चों के मिड मील में ऊपर बताए गए समर ड्रिंक्स को शामिल करना शुरू करें और उन्हें अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें और गर्मी से होने वाली थकावट से बचाएं.

Summer Special: ज्यादा पसीना आने से हैं परेशान तो अपनाएं ये उपाय

गर्मी का मौसम आ चुका है, ऐसे में पसीना आना तो जाहिर सी बात है. पसीने का आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. गर्मी के मौसम में शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए रोमछिद्रों से पसीना निकलता है. यह शरीर को ठंडा रखने और शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर करने का काम करता है. इसलिए पसीने का निकलना सेहत की दृष्टि से जरूरी है. लेकिन ज्यादा पसीना आना भी ठीक नहीं है.

बहुत से लोगों के शरीर से बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना निकलता है. पसीने की वजह से शरीर से दुर्गन्ध आती है. ऐसे में जिन्हें बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना आता है उनके लिए दिक्कत आती है. आज हम आपको ज्यादा पसीना आने की समस्या से निजात दिलाने वाले कुछ टिप्स के बारे में बताने वाले हैं. आइए, जानते हैं कि वे टिप्स क्या हैं?

1 कैफीन से परहेज

बहुत ज्यादा मात्रा में कैफीन से बने पदार्थों के सेवन से शरीर से ज्यादा मात्रा में पसीना बाहर आता है. ऐसे में संतुलित मात्रा में ही कौफी आदि का सेवन करना चाहिए.

2 योगा

अगर आपको काफी ज्यादा पसीना आता है तो योगा करें, क्योंकि योगा की मदद से ज्यादा पसीना आने की समस्या को प्राकृतिक तरीके से ठीक किया जा सकता है. योगा शरीर की नाड़ियों को शांत रखता है और ज्यादा मात्रा में पसीने के निर्माण को कम करता है.

3 मसालेदार भोजन से परहेज

मसालेदार भोजन की वजह से शरीर में पसीने के निर्माण में तेजी आती है. यह बेहद कम समय में ज्यादा पसीने के निर्माण में मददगार होता है.

4 सूती कपड़े पहनें

सूती बनियान या टी-शर्ट्स पसीना सोखने में मददगार होते हैं. यह न सिर्फ शरीर के पसीने को सोखते हैं बल्कि उन्हें तेजी से वाष्पित भी करते हैं.

5 जूस पिएं

गर्मियों में गर्म कौफी या चाय पीने से बेहतर है कि आप ठंडा, ताजा जूस पीने की कोशिश करें. यह आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और इससे बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना शरीर से बाहर नहीं निकलता.

6 नहाने के पानी में नींबू का रस डाले

अगर आपको ज्यादा पसीना आता है या आपके पसीने में काफी दुर्गन्ध आती है तो आप नहाने के पानी में आधे नींबू का रस डालकर नहाएं. इससे आप दिनभर तरोताजा महसूस करेंगी व लगातार इसका इस्तेमाल कर आप पसीने से आने वाली दुर्गन्ध से भी छुटकारा पा सकेंगी. आप चाहें तो नहाने के पानी में नांबू की जगह डेटाल की कुछ बुंदे भी डाल सकती हैं.

अधूरा सपना: कौन थी अभीन का प्यार

पता नही क्यों जब भी शादी में , बैंड बाजे की धुन में कोइ फिल्मी गाने की सैड सैंाग बजती है, अभीन की धड़कने तेज हो जाती. उसकी आंखे बंद हो जाती कुछ पल के लिए ,दिल और मन रूआंसा सा हो जाता है  कुछ पल के लिए.  रभीना हां यही तो नाम था उस लड़की का जिसे देख देख वो फिल्मी प्यार मे डुब जाता था. रभीना अभीन को के प्रति सीरियस है इसका एहसास कभी भी नही होने देती थी. ये बात अभीन को भी पता था. पर अभीन हर शाम गुप्ता स्टोर के पास पांच बजे के करीब खडा़ हो जाता था ,ताकि वो टियूशन जाती रभीना का दीदार कर सके. रोज दीदार के नाम पर खडा़ तो नही हो सकता था गुप्ता जी के स्टोर पर ,इसलिए कुछ ना कुछ रोज अभीन को दुकान से खरीदना ही पड़ता था. गुप्ता अंकल सब कुछ जानते हुए भी अंजान बने रहते थे. अभीन अभी अभी बारहवीं में तो गया था.

मैथ ,फिजिक्स ,केमिस्ट्री के प्रशनो केा रट्टा मारने के बाद वो तुरंत रभीना के याद में डूब जाता था. और याद में भी ऐसे डूबता मानो सच में गोता लगा रहा हो. रभीना उसकी बाहों में ,रभीना उसके जोक पर लागातार हंसते हुए. अभीन, रभीना को बस सोचता जाता और अपना होश खोता जाता. अभीन के इस पढ़ाकू व्यवहार से मां चिंतित रहने लगी. ऐसी भी क्या पढाइ जो बंद कमरे में पढते -पढते बिना खाये पिये सो जाये. मां को कहां पता था कि अभीन बंद कमरे सिर्फ पढाई नही करता. वारहवीं का इग्जाम खत्म होते होते ही अभीन का प्यार और भी परवान चढ़ने लगा. अभीन से रभीना कभी बात नही करती थी. इन दो सालो में भी अभीन रभीना से बात नही कर पाया. पर इससे अभीन को कोइ फर्क नही पड़ता था. वो हर रोज गुप्ता स्टोर से खरीदारी कर आता.

गुप्ता जी के दुकान की ऐसी कोइ चीज नही रही हो जिसे अभीन ने नही खरीदी हो. अब तो गुप्ता अंकल ही अभीन को बता देते थे कि बेटे आज सर्ट में लगाने वाली बटन ही खरीद ले ,बेटे आज ना हेयर डाई खरीद ले. और फिर अभीन दे देा अंकल कह कर टियूशन जाती अभीना को निहारता निढाल हो जाता कुछ पलो के लिए. अभीन पढ़ने में तो तेज था ही साथ ही उसने अपने बेहतर जीवन के सपने भी बुने थे. उसका प्यार जितना फिल्मी था उतना ही फिल्मी उसके सपने थे. पर उसकी खूबसूरत सपने में भी खूबसूरत रभीना भी थी. एक अच्छी पैकेज वाली नौकरी ,एक मकान और छोटी सी कार में खुद से डाªइव करते हुए रभीना को बारिश के बूदों में घुमााना. अपनी इसी सपने को पूरा करने के लिए अभीन दिन रात पढा़ई करता था. अभी भी अभीना उसके लिए सपना ही थी , एक कल्पना जिसे देख वो खुश हुआ करता था. जिसे महसूस कर वो अपने सपनो को सच करने के लिए आइ लीड को पीटते नींद केा भगाने के लिए आंख के पुतलियों पे उर्जा देती पानी की छिंटो के सहारे पढाई करता था.

पहली कोशिश में पहली ही दफा में ही अभीन ने इजीनियरिंग परीक्षा इंट्रेस निकाल ली. अपार खुशी ,पर दुखः इस बात की थी  ,कि अब गुप्ता अंकल के दुकान पर रोज समान खरीदने का मौका नही मिलेगा. अब वो अब अपनी सपना को अपने खव्वाब को रोज अपनी आंखो से दीदार नही कर पायेगा. अभीन वापस अपने घर आते ही चिंतित हो उठा. उसके कइ दिनो से इस तरह के व्यवहार से उसके माता पिता भी चिंतित हो उठे. हमेशा खुश रहने वाला लड़का इतना परेशान क्यों है ?

अभीन के होश उड़े हुए थे. वो थोड़ा बेसुध सा रहने लगा. अभीन अब उतावले से रभीना से बात करने और उसे मिलने के रास्ते तलाशने लगा. अपने मोहल्ले में ही रहने वाली रभीना के लिए उसने कभी ऐसी कोशिश नही की थी. उसने कभी ये बात नही सोची थी कि ऐसा भी कभी अवस्था आयेगा. आखिरकर वो अपने मासी के घर रहने वाली रेंटर निकली. किसी बहाने से अभीन अपने मासी के यहां पहुंच भी गया. पर ये क्या रभीना दो बार सामने से गुजरी , उसने ध्यान ही नही दिया. गुप्ता अंकल के स्टोर पर तो रोज मुझे देख हंसती थी. वो मुझसे कही ज्यादा खुश लगती थी ,मुझे गुप्ता अंकल के स्टोर पर इंतजार करता देख. पर आज ना जाने ऐसा व्यवहार क्यू कर रही है. अभीन को रभीना पर गुस्सा भी आ रहा था. ऐसी भी क्या बेरूखी. आखिर अभीन गुस्सा होकर यो कहें निराश होकर अपने हल्के कदम और भारी मन के साथ कब अपने घर पहुच गया उसे भी  पता ना चला. अभीन अभी भी गुस्से में ही था. रात का भोजन नही ,अगले दिन, दिन भर कमरे से बाहर निकलना नही. अभीन के माता पिता परेशान हो गये. कही ऐसा तो नही कि अभीन घर से दूर इंजीनियरिंग की पढाई करने जाने से दुखी है. अभीन माता पिता से, घर से दूर रहने के फायदे और स्वालंबी बनने की जरूरत पर लम्बी लेक्चर सूनते सूनते बोर होने लगा. तो घर से निकला. माता पिता समझे अब अभीन समझदार हो गया. अभीन गुप्ता अंकल क स्टोर पर पहुंचा. दो साल में पहली बार अभीन गुप्ता अंकल के स्टोर पर साम पांच बजे के बाद मुरझाया चेहरा लेकर पहुंचता है. गुप्ता अंकल ने पुछा ’’ अरे तुमने बताया नही  तुमने आइआइटी एक बार में ही निकाल ली.’’ ’’ हां अंकल निकाल ली  ’’ कह कर अभीन चुपचाप हो गया. और एका एक अपने मासी के घर की ओर बढ चला. आज रभीना से पुछ ही लुंगा कि शादी करोगी या नही ? और कुछ ही देर में अभीन रभीना के घर के दरवाजे पर था. पर ये क्या उसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. तभी उसकी मासी आवाज देती हैं. ’’ अरे अभीन उधर रेंटर के कमरे की ओर क्या कर रहा है ़ इधर आ ’’  ’’ आता हूं मासी  ये आपके रेंटर कहां गये ,इनका दवाजा बंद है  लगता है मार्केट गये हैं !’’  ’’ नही नही !

मार्केट नही गये अपने गांव गये हैं. उनकी बेटी है ना रभीना उसकी शादी है अगल हप्ते ’’. अभीन अंदर से हिल जाता है. रोते हुए अपने घर की ओर दैाड़ता है. उसका दिमाग भारी लगने लगता है. अपने बहते आॅशु को पोछते हुए दौड़ते हुए चलने लगता है. अभीन को मालुम है कि लोग उसे रोते हुए देख रहे हैं. पर आंशु रोकना उसके बस की बात नही थी , सो उसने दौड़ कर घर जल्द पहुंचना ही अच्छा समझा. और बंद कमरे में जी भर रोया अभीन और रोते हुए थक कर सो गया. रात को सपने में भी आयी राभीना ,पर कहीं से ऐसा नही लगा जैसे रभीना उसकी जिंदगी से चली गयी हो. पहले की ही तरह अभीन के बाहों में लिपटी अभीन के बाल को खींचती. और अभीन के जोक पर पहले चुपचाप रहती ये भी कोइ जोक है. और फिर खिलखिला कर हसंती और जी खोल कर हंसती. अभीन के चेतन में अभी भी था कि रभीना उसकी जिंदगी से चली गयी है. पर उसकी हिम्म्त ही नही हुइ पुछने की ,क्यूकिं रभीना तो अभी उसकी बाहों मे थी. सुबह तैयार होकर अपने सपने को पूरा करने के लिए अभीन आईआईटी दिल्ली निकल रहा था. पर उसका सपना थोड़ा थेाड़ा अधूरा सा लग रहा था क्यूकि इस सपने में रभीना नही थी.

मिसेज अवस्थी इज प्रैग्नैंट: क्यों परेशान थी मम्मी

पूरे घर में तूफान से पहले की शांति छाई हुई थी. पूरे महल्ले में एक हमारा ही घर ऐसा था जहां 4 पीढि़यां एकसाथ रह रही थीं. मेरी दादीसास इस का सारा क्रैडिट मेरी सासूमां को देती थीं, जिन्होंने अपनी उम्र के 15वें वसंत में ही उन के घर को खुशियों से भर दिया था और मेरे ससुरजी के 5 छोटे भाईबहनों सहित खुद अपनी 7 संतानों को पालपोस कर बड़ा किया.

दरअसल, मेरे पति सुमित मम्मीजी की गोद में तभी आ गए थे, जब वे स्वीट सिक्सटीन की थीं. उन्होंने अपनी सास को पोता थमा दिया और उन से घर की चाबियां हथिया लीं. वह दिन और आज का दिन, मजाल है किसी की जो हमारी मम्मीजी के सामने 5 मिनट भी नजरें उठा कर बातें कर ले.

हमारी दादीसास अपने बच्चों को भुला कर अपने पोतेपोतियों में व्यस्त हो गईं. कहते हैं न कि सूद से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है. उन के सभी बच्चे अपने हर छोटेछोटे काम के लिए अपनी भाभी यानी हमारी मम्मीजी पर आश्रित हो गए.

समय बीता, सब का अपनाअपना घर बस गया. मैं बड़ी बहू बन कर इस घर में आ गई और मेरे पीछेपीछे मेरी 2 देवरानियां भी आ गईं. ननदें ब्याह कर अपनेअपने घर चली गईं. दादीजी की जबान से मम्मीजी की बहुत सी वीरगाथाएं सुनी थीं, परंतु लाख चाह कर भी मैं वह स्थान न ले पाई, जो मम्मीजी ने बरसों पहले ले लिया था.

वे थी हीं कुछ हिटलर टाइप की. अपनी सत्ता छोड़ने को तैयार ही नहीं, इसलिए मैं ने भी उन की सीट हथियाने का विचार छोड़ कर दादी के लाड़लों की लिस्ट में शामिल होने का मन बना लिया था.

परंतु कल शाम हमारी फैमिली डाक्टर कुलकर्णी के क्लीनिक से जो फोन आया, उस ने तो पूरे घर में तहलका मचा दिया.

हमारी मम्मीजी पेट से थीं. फोन मैं ने ही सुना था. सुन कर मुंह खुला का खुला रह गया. दूसरी तरफ से डाक्टर की सहायक का सुरीला स्वर उभरा था, ‘‘कांग्रैचुलेशंस, मिसेज अवस्थी इज प्रैग्नैंट.’’

मैं शायद संसार की ऐसी पहली बहू थी, जो अपनी सास के गर्भवती होने की खबर उन्हें दे रही थी.

पूरे घर में तहलका मच गया. मम्मीजी अपने कमरे में नजरबंद हो गईं. दादीजी की खुशी सातवें आसमान पर थी. घर में पुरुषों के आने से पहले ही उन्होंने मेरे 7 वर्षीय बेटे अजय से मोबाइल से नंबर लगवा कर सारे रिश्तेदारों को यह खुशखबरी सुना कर अपने सास होेने के कर्तव्य का निर्वाह भी कर लिया.

हम तीनों बहुओं में से मैं ने और मझली देवरानी ने यह तय किया कि अपनेअपने पति को यह खबर सारे कामों से निबट कर रात को शयनकक्ष में ही सुनाएंगे. मगर छोटी देवरानी मोनाली को पति अतुल को अभी यह खबर सुनाने से सख्त मना कर दिया, क्योंकि वह इस समय शहर से बाहर था और बेवजह उसे तनाव देना ठीक नहीं लगा.

जब रात के खाने के समय मम्मीजी के साथसाथ पापाजी को भी नदारद पाया, तो हम समझ गए कि उन्हें भी खबर मिल गई होगी.

सुमित तो यह सुनते ही मुंह तक चादर ओढ़ कर सो गए, परंतु उस रात किसी की भी आंखों में नींद नहीं थी, क्योंकि रात भर सभी के कमरों के दरवाजों के बारबार खुलने व बंद होने की आवाजें आती रही थीं.

सुबह 6 बजतेबजते मेरी व मझली देवरानी सोनू की सहेलियों के फोन भी आ गए. किस ने बताया होगा इन लोगों को, मैं आंखें मलती हुई सोच रही थी. तभी दूध वाली की याद आई, क्योंकि 4-5 दिन पहले दूध लेते समय मम्मीजी को उसी के सामने उलटी आई थी. उस ने हंस कर पूछा भी था, ‘‘क्यों, दीदीजी सब ठीक तो है न? इस उम्र में भी उलटी आ रही है?’’

और कल जब फोन आया था तब भी वह यहीं पर थी. किसी ने बौखलाहट की वजह से उस पर ध्यान ही नहीं दिया था.

आज सुबह से ही मम्मीजी के दर्शन नहीं हुए. इत्तफाक से आज रविवार भी था, इसलिए सभी घर पर ही थे.

सुबह से ही मम्मी के काम बंट गए. स्नान के बाद जहां दादीजी ने पूजा घर संभाला, वहीं मुझे रसोई की ड्यूटी मिली.

जहां सुबह से दादीजी ने यह खबर पेपर वाले, सब्जी वाले को खुशीखुशी सुनाई, वहीं मोनाली थोड़ी शर्मिंदा थी. आखिर उस के रहते मम्मीजी ने जो बाजी मार ली थी.

‘‘कुसुम दीदी, यह कैसे संभव है?’’ उस ने आंखें फाड़ते हुए पूछा.

‘‘अरे मोनाली, हमारी मम्मीजी अभी सिर्फ 48 साल की ही तो हैं. उन की माहवारी भी अभी तक पूरी तरह से नहीं रुकी है. कुछ रेयर केसेज में ऐसा कभीकभी हो जाता है,’’ मैं ने उस की अवस्था को भांपते हुए उसे

आश्वस्त किया.

‘‘मैं ने भी नोटिस किया था, जब से मम्मीजी बरेली वाली शादी से लौटी हैं, उन का चेहरा बुझाबुझा सा है. पहले वाली चुस्तीफुरती नहीं है,’’ सोनू ने भी सोचते हुए कहा.

दादीजी को धोबिन से इस खबर की चर्चा करते देख कर मझले देवर राहुल, दादी के पास आ कर बोले, ‘‘दादी, प्लीज चुप हो जाइए. यह कोई शान की बात नहीं है.’’

‘‘तू चुप कर और पंडितजी को बुला ला. पूजा करवानी है. पूरे महल्ले में मिठाई बांटनी है,’’ दादीजी ने उसे डांटते हुए कहा तो राहुल अपना सिर पकड़ कर लौट गए और धोबिन मुसकराने लगी.

अब दादीजी की जबान पर कौन ताला लगाए. वे तो सभी से अपने बहादुर पुत्र की मर्दानगी का बखान बढ़ाचढ़ा कर कर रही थीं.

‘‘भैया, रिपोर्ट गलत भी तो हो सकती है,’’ नाश्ते की मेज पर राहुल ने सुमित से कहा.

‘‘काश, ऐसा ही हो,’’ गहरी सांस लेते हुए सुमित बोले.

मुझे दोनों भाइयों की शक्ल देख कर हंसी भी आ रही थी और दया भी.

सुबह की सैर पर पापाजी की अनुपस्थिति, आज उन के दोस्तों को घर तक खींच लाई. चाय सर्व करते समय इस उम्र में भी उन लोगों के गुलाबी होते झुर्रियों वाले गाल और पास बैठी मुसकराती हुई दादीजी को देख कर मैं समझ गई थी कि उन लोगों को भी खुशखबरी मिल गई है.

आज पूरे घर में मेरा ही राज था. माली, महाराज, धोबिन, चमकी, सोनू, मोनाली आदि मेरे नेतृत्व में अपनेअपने काम को अंजाम दे रहे थे. हां, बीचबीच में दादीजी आ कर मेरा मार्गदर्शन कर रही थीं. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. किसी महिला के राष्ट्रपति बनने की उस खुशी को आज मैं ने पहली बार पर्सनली महसूस किया था.

मम्मीजी और पापाजी का नाश्ता ले कर मैं दादीजी के साथ उन के कमरे में पहुंची. वहां का नजारा तो और भी रोमांचक था. हमेशा शेरनी की तरह गरजने वाली हमारी मम्मीजी आज मेमने की तरह नजरें झुकाए बैठी थीं. मेरा दिल यह देख कर बल्लियों उछल रहा था. जी चाह रहा था कि उन्हें चूम लूं, पर कहते हैं न कि घायल भी हो तब भी शेरनी तो शेरनी ही होती है.

पापाजी कमरे के दूसरे कोने में बैठे थे. अचानक मेरी नजरों ने नीचे से ऊपर तक उन का मुआयना किया, परंतु मुझे कहीं से भी यह नहीं लगा कि उन का यह दीनहीन शरीर ऐसा गुल भी खिला सकता है.

दादीजी को मम्मीजी की नजरें उतारते देख पापाजी कमरे से बाहर आ गए, तो उन के पीछेपीछे मैं भी बाहर आ गई.

‘‘दादाजी, चमकी आंटी कह रही थीं कि घर में मेहमान आने वाला है, कौन है वह?’’ मेरे बेटे अजय ने मासूमियत से पूछा, तो आंगन में खड़े माली, चमकी, सोनू सभी मुसकरा दिए. पापाजी जल्द ही गेट से बाहर हो लिए.

‘‘दीदीजी, आज क्या पकवान बनाए?’’ चमकी ने चहकते हुए पूछा.

‘‘क्यों, कोई त्योहार है क्या?’’ मैं ने त्योरियां चढ़ाते हुए पूछा.

‘‘कुछ ऐसा ही तो है. थोड़ी देर में तीनों चाचा अपने परिवारों समेत आ रहे हैं,’’ चमकी मुसकराते हुए बोली.

‘‘उफ, लगता है दादीजी का बुलावा है,’’ मैं ने खीजते हुए कहा.

‘‘तू इतना मुसकरा क्यों रही है?’’ सोनू ने चिढ़ते हुए चमकी से पूछा.

‘‘हमें तो मांजी के बारे में सोचसोच कर गुदगुदी हो रही है. हम ने भी अपने लल्ला के पापा को आज जल्दी काम से लौट आने को फोन कर दिया है,’’ चमकी मुंह में साड़ी का पल्लू ठूंसती हुई शरमा कर बोली.

कुछ देर बाद बाहर शोरगुल सुन कर मैं ने महाराज व चमकी को कुछ निर्देश दिए व रसोई से बाहर आई.

बाहर हमारा आधा खानदान पधार चुका था. मम्मीजी की सभी देवरानियां मेरे पीछेपीछे मम्मीजी के कमरे की ओर लपकीं. सोनू, मोनाली और मैं भी वहीं थे.

‘‘अब मैं बच्चों को, महल्ले वालों को क्या मुंह दिखाऊंगी छोटी. अपने पोतेपोतियों से क्या कहूंगी कि तुम्हारे छोटे चाचा आने वाले हैं,’’ अपनी देवरानी के गले लगते हुए मम्मीजी फूटफूट कर रो पड़ीं.

मुझे तो सुबह से इस नए रिश्ते का आभास ही नहीं हुआ था.

‘‘मैं ने इन से कितना मना किया, पर ये मेरी सुनते ही कहां हैं,’’ मम्मीजी रोती हुई अपना दुखड़ा सुना रही थीं.

‘‘अरे दीदी, क्या नहीं सुनते? भैयाजी तो सारी उम्र आप की हां में हां मिलाते आए हैं. अब थोड़ी सी अपने मन की कर ली तो क्या बुरा किया? एक मेरे वे हैं, पत्थर हैं पत्थर,’’ मम्मीजी की सब से छोटी देवरानी अपने पति को कोसते हुए बोलीं.

उन को हम तीनों की उपस्थिति का शायद आभास ही नहीं था.

‘‘पापाजी इस उम्र में भी मम्मीजी के साथ…’’ आंखें फाड़ते हुए मोनाली ने कहा तो मैं ने कुहनी मार कर उसे चुप रहने का इशारा किया.

मम्मीजी को यों रोता देख कर हम बहुओं का भी दिल पसीज गया था, परंतु हमारे अंदर तो उन्हें सांत्वना देने की हिम्मत नहीं थी.

पूरे घर में मेला सा लगा हुआ था. अब तक सुमित और राहुल भी चाचा लोगों के पास आ गए थे. बच्चे ऐंजौय कर रहे थे. उन्हें अचानक इस गैटटुगैदर का अर्थ समझ नहीं आ रहा था. जिसे देखो वही होंठ दबा कर मुसकरा रहा था, परंतु पूरी भीड़ में पापा नहीं थे.

अचानक मेरे मोबाइल पर मेरी सहेली सीमा की आवाज आई, ‘‘एक मजेदार बात सुनाऊं कुसुम?’’

‘‘क्या है?’’ मैं ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘मेरे पापाजी आज सुबह तेरे घर से लौट कर आए हैं न, तभी से मम्मी के साथ बाहर घूमने गए हैं. दोनों बड़े खुश लग रहे थे,’’ उस ने चहकते हुए कहा.

मुझे समझते देर न लगी कि उस के पापाजी में यह खुशहाल परिवर्तन हमारे यहां की खुशखबरी सुनने से ही आया है.

‘‘डाक्टर से एक बार और कन्फर्म कर लेते हैं,’’ चाचाजी झेंपते हुए सुमित से बोले.

‘‘आज संडे है, क्लीनिक बंद है और वैसे भी डाक्टर 2 दिनों के लिए चेन्नई गई हैं. फोन किया था मैं ने तो पता चला,’’ मैं ने बड़ी बहू होने का फर्ज निभाते हुए कहा.

‘‘अरे क्या पक्का करना रह गया है अब. उस का चेहरा नहीं देखा, कैसा पीला पड़ गया है. कुछ दिनों पहले ही तो वह लल्ला के संग गई थी अपनी जांच करवाने उसी डाक्टरनी के पास,’’ दादीजी ने झिड़कते हुए कहा तो सब चुप हो गए.

आज मम्मीजी की सत्ता लगभग मेरे हाथों में थी, इसलिए भागदौड़ भी कुछ ज्यादा थी और खीज भी हो रही थी. इसलिए मम्मीजी के कमरे के आसपास मोनाली को तैनात कर जेठानीदेवरानियों की खबरें एकत्र करने का निर्देश दे कर मैं सोनू को साथ ले रसोई की ओर बढ़ गई.

रसोई में भी मन कहां लग रहा था. थोड़ी देर बाद मोनाली ने आ कर एक खबर सुनाई. उन लोगों के बीच यह तय हुआ है कि अपने पूरे प्रसवकाल में मम्मीजी दुबई वाली बूआजी के पास रहेंगी और फिर बच्चा भी उन्हें दे दिया जाएगा. उन की अपनी औलाद नहीं है. बूआजी से फोन पर इस की स्वीकृति भी ले ली गई है.

इस खबर ने मुझे खुशी से भर दिया कि चलो उतना समय ही सही, मम्मीजी की कुरसी पर बैठने का मौका तो मिलेगा.

खैर, दोपहर का भोजन समय पर तैयार हो गया. खाने पर सभी मम्मीजी को मिस कर रहे थे.

दोपहर के कामों से निबट कर मैं और चमकी रात के भोजन का सामान लाने मार्केट निकले.

‘‘कुसुम, अब मिसेज अवस्थी की तबीयत कैसी है?’’ पड़ोस की चावला आंटी ने चेहरे पर रहस्यमयी मुसकान बिखेरी.

‘‘जी…जी…ठीक है,’’ मैं ने झेंपते हुए कहा और आगे बढ़ गई.

‘‘कुसुम भाभी, मम्मी पूछ रही थीं कि हमारा टैलीफोन का बिल भी आप जमा कर देंगी?’’ 2 घर छोड़ 14 वर्षीय चंचल ने अपने घर के गेट पर से ही पूछा.

‘‘क्यों, मम्मी को कहीं जाना है क्या?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हां, मम्मीपापा ने आज सुबह अचानक ही माउंट आबू जाने का प्रोग्राम बना लिया. इस बार दोनों ही जा रहे हैं. हमें नहीं ले जा रहे हैं,’’ रूठते हुए चंचल बोली.

‘‘लो दीदी, बम तो आप के घर फूटा है, पर धमाके दूरदूर तक हो रहे हैं,’’ चमकी मुसकराते हुए बोली.

हर 2 घर छोड़ कर अलगअलग लोगों की अलगअलग प्रतिक्रियाएं देखीं हम ने. ये सब हमारे घर के उस महान समाचार की ही उपज था.

‘‘दीदी, आज 6 बजे ही फ्लाइट से अतुल आ रहे हैं,’’ घर पहुंची तो मोनाली ने चहकते हुए कहा.

‘‘पर उन्हें तो कल आना था न?’’ मैं ने पूछा.

‘‘काम जल्दी खत्म हो गया, इसलिए आज ही पहुंच जाएंगे. वैसे भी कल रात से मुझे उन की कुछ ज्यादा ही याद आ रही है,’’ मोनाली शरमा कर बोली, तो हम सब भी मुसकरा दिए.

वैसे मम्मीजी के इस समाचार ने महल्ले के प्रौढ़ जोड़ों में जहां नई ऊर्जा का संचार किया था, वहीं नवविवाहितों की गरमी को भी और बढ़ा दिया था.

‘‘भाभी, सब ठीक तो है न? रास्ते में शर्माजी मुझे रोक कर कहने लगे कि घर जल्दी पहुंचो, सब इंतजार कर रहे हैं,’’ मेरे चरणस्पर्श करते हुए घर का माहौल देख हैरानपरेशान से अतुल ने पूछा.

मोनाली ने उस के कान में कुछ कहा तो थोड़ी देर सोच कर वह जोरजोर से हंसने लगा.

उस की हंसी देख कर हम सब सकते में आ गए. परंतु अतुल ने कुछ न कहा और इशारे से मम्मीजी के कमरे में आने को कहा. सभी बुत की तरह उस के पीछे हो लिए.

‘‘बधाई हो मम्मीजी,’’ उस ने शरारत से हंसते हुए कहा.

मम्मीजी को काटो तो खून नहीं.

‘‘क्या कहा था डाक्टर की सहायक ने?’’ उस ने हंसते हुए हम लोगों से पूछा.

‘‘यही कि मिसेज अवस्थी इज प्रैग्नैंट,’’ मैं ने सफाई दी.

‘‘तो आप सब ने मम्मीजी को…’’ और वह पेट पकड़ कर हंसने लगा.

अब की बार मम्मीजी ने धीरे से गरदन उठाई.

‘‘हंसना बंद कर और साफसाफ बता,’’ दादीजी बोलीं.

‘‘उफ दादी, इस घर में मम्मी के अलावा 3 और मिसेज अवस्थी भी हैं,’’ मुश्किल से हंसी रोकते हुए अतुल बोला.

अब सब की निगाहें मुझ पर और सोनू पर थीं. हम दोनों शर्म से पानीपानी हो रहे थे. न जाते बन रहा था न रुकते. मोनाली पर कोई इसलिए शक नहीं कर रहा था, क्योंकि हमारे खानदान के रिवाज के अनुसार, उसे तो 3 सप्ताह पहले ही गौना करा कर यहां लाया गया था.

‘‘तो क्या कुसुम या सोनू में से कोई?’’ दादी के शब्दों में हैरानी थी.

यह सुनते ही मम्मीजी के तेवर भी बदलने लगे.

‘‘सौरी दादी, वह मोनाली है,’’ अतुल बोला.

इस के बाद मोनाली तो कमरे से ऐसे गायब हुई जैसे गधे के सिर से सींग. मेरी और सोनू की जान में जान आई.

दरअसल, हुआ यह कि रिवाज के मुताबिक शादी के 7 महीने तक मोनाली को मायके में ही रहना था, परंतु दोनों के घर एक ही शहर में होने की वजह से अतुल और मोनाली को एकदूसरे से मिलने की छूट थी. इन्हीं मुलाकातों ने मोनाली को गर्भवती कर दिया.

घर वालों के डर से अतुल ही गुप्त रूप से मोनाली को डाक्टर कुलकर्णी के पास यूरिन टैस्ट के लिए ले गया था. परंतु उस का परिणाम स्वयं डाक्टर ने अतुल को बता दिया था. वह यह खुशखबरी घर वापस आ कर देना चाहता था.

उधर शादी से लौटने के बाद बदहजमी व अन्य परेशानियों के कारण मम्मीजी की तबीयत भी ढीली हो गई थी और संयोग से उन का भी यूरिन टैस्ट उन्हीं डाक्टर के क्लीनिक पर हुआ. मम्मीजी के तो डाक्टर के पास जाने की बात हम सभी जानते थे, परंतु अतुल और मोनाली भी वहां गए थे, यह कोई नहीं जानता था. उस पर मम्मीजी की ढीली तबीयत ने आग में घी का काम कर दिया.

बस, इतनी छोटी सी गलतफहमी ने न सिर्फ हमारे घर की सत्ता पलट दी थी, बल्कि प्रेम के नाम पर महल्ले में नई क्रांति भी आ गई थी.

अब दनदनाते हुए मम्मीजी खड़ी हो गईं. मुझे यह समझते देर न लगी कि मेरे एक दिन के राजपाट का अंत हो चुका है.

अब सभी पापाजी को ढूंढ़ रहे थे.

‘‘रीगल थिएटर में बैठे होंगे, जाओ बुला लाओ,’’ मम्मीजी की रोबदार आवाज गरजी.

‘‘आप को कैसे पता दादीजी?’’ मेरे बेटे अजय ने हैरानी से पूछा.

‘‘अरे बेटा, जब तुम्हारे दादाजी हद से ज्यादा परेशान होते हैं न तो अंगरेजी फिल्म देखने चले जाते हैं और इस समय अंगरेजी फिल्म रीगल में ही लगी है,’’ मम्मीजी ने अनजाने पापाजी के व्यक्तित्व की एक पोल खोल दी.

‘‘कुछ भी हो दीदी, पापाजी हैं बड़े हीरो वरना मम्मीजी की जबान पर यह बात कभी न आती कि मैं ने इन से कितना मना किया, यह हैं कि सुनते ही नहीं हैं,’’ सोनू ने धीरे से मम्मी की नकल करते हुए कहा तो मेरी भी हंसी छूट गई.

मम्मीजी अपने रोब के साथ रसोई की ओर चल दीं, रात के खाने का इंतजाम करने.

अब सभी खुशी मनाने के मूड में थे, क्योंकि मिसेज अवस्थी इज रीयली प्रैग्नैंट.

मेरे बेटे की उम्र 2 साल है, उसे 2-3 बार कानों का संक्रमण हो गया है, क्या करूं?

सवाल

मेरे बेटे की उम्र 2 साल है. उसे 2-3 बार कानों का संक्रमण हो गया है. क्या करूं?

जवाब

नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में मध्यकान का संक्रमण अधिक होता है. इसे चिकित्सकीय भाषा में ओटिटिस मीडिया कहते हैं. आप को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक अनुमान के अनुसारलगभग 75% बच्चे अपने जीवन के पहले 3 सालों में कम से कम 1 बार और 50% बच्चे एक से अधिक बार इस संक्रमण के शिकार होते हैं. बच्चों में यह समस्या इसलिए अधिक होती है कि उन की यूस्टेशियन ट्यूब्स व्यस्कों की तुलना में छोटी और सीधी होती हैं. इसलिए बैक्टीरिया और वायरस के लिए उन में घुसना आसान होता है.

बच्चों को नहलाते समय कानों में पानी घुसने से भी संक्रमण हो जाता है. इसलिए उसे नहलाते समय ईयर प्लग का इस्तेमाल करें. धूलमिट्टी और दूसरे कणों से होने वाले संक्रमण से बचाने के लिए जब भी बच्चे को बाहर ले जाएं उस के कानों को कपड़े या टोपी से अच्छी तरह ढक लें. समस्या गंभीर होने पर डाक्टर को दिखाएं.

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मेरे बेटे की उम्र 6 साल है लेकिन वह ताली बजाने या बरतन से आवाज करने पर सिर नहीं घुमाता है. क्या उस की सुनने की क्षमता सामान्य नहीं है?

सामान्यतया 4 माह का बच्चा ताली बजाने या बरतन से आवाज करने पर उस तरफ सिर या आंख की पुतली नहीं घुमाता है. आप का बच्चा 6 माह का हो गया है लेकिन आवाजों के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. आप किसी अच्छे ईएनटी से उस की श्रवण क्षमता की जांच कराएं. अगर वह सामान्य रूप से सुन नहीं पा रहा है तो उसे सुनने की मशीन लगवा देनी चाहिए. अगर वह अत्यधिक बहरेपन का शिकार है, तो 1 साल की उम्र में कौक्लियर इंप्लांट करा दें. इस से ऐसे बच्चे भी सामान्य रूप से बोलना और सुनना शुरू कर देते हैं.

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