Mother’s Day 2024: घर पर ही आटे और सूजी से बनाए रिबन पास्ता

पास्ता इटैलियन व्यंजन है जो आजकल भारत में भी काफी लोकप्रिय है. खासकर बच्चे और युवाओं को यह बहुत पसंद आता है. स्पेगेटी, मेकरोनी, लजानिया, रेवयोली, रिबन और वेरमिसेली आदि पास्ता के भारत में लोकप्रिय वेराइटीज हैं. आज हम आपको घर पर ही आटे और सूजी से रिबन पास्ता बना रहे हैं जो बाजार की अपेक्षा बहुत हैल्दी और हाइजीनिक है. आकार में रिबन जैसे लंबे होने के कारण इन्हें रिबन पास्ता कहा जाता है, तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं.

कितने लोंगों के लिए            4

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री(बेसिक पास्ता के लिए)

गेहूं का आटा                     1 कप

सूजी                                1 कप

पिघला मक्खन                 2 टीस्पून

नमक                              1/2 टीस्पून

गुनगुना पानी                     1/2 कप

सामग्री (व्हाइट सॉस पास्ता के लिए)

मक्खन                             1 टेबलस्पून

कुटा लहसुन                       1 टीस्पून

मैदा                                   2 टीस्पून

दूध                                     2 कप

नमक                               स्वादानुसार

काली मिर्च पाउडर              1/4 टीस्पून

ग्रेटेड चीज                          1 कप

तेल                                    1 टीस्पून

मिक्स हर्ब्स                          1/2 टीस्पून

विधि

मैदा और सूजी को एक बाउल में डालकर पिघला मक्खन और नमक मिलाएं, अब गुनगुने पानी की सहायता से इसे कड़ा गूंथ लें. 5 मिनट तक चॉपिंग बोर्ड पर मसलकर सिल्वर फॉयल में लपेटकर आधे घण्टे के लिए रख दें. आधे घण्टे बाद पुनः अच्छी तरह मसलकर दो भागों में बांट लें और चकले पर लम्बाई में पतला रोटी जैसा बेल लें. अब इससे तेज धार वाले चाकू से पतली पतली लम्बी स्ट्रिप जैसी काट लें.

अब एक पैन में डेढ़ लीटर पानी गर्म करें, इसमें 1 टीस्पून तेल डाल दें. जब पानी उबलने लगे तो तैयार कटे पास्ता डाल दें. जब पास्ता थोड़े नरम हो जाएं तो छलनी में छान लें. अब एक पैन में मक्खन पिघलाकर लहसुन को भूरा होने तक भूनें. मैदा को भी हल्का सा भूनें ताकि रंग न बदले. दूध,नमक और काली मिर्च  डालकर अच्छी तरह मिलाएं. किसा चीज डालकर पास्ता अच्छी तरह मिलाएं. धीमी आंच पर गाढ़ा होने तक पकाएं. ऊपर से मिक्स हर्ब या चिली फ्लैक्स डालकर सर्व करें.

क्या हिप रिप्लेसमैंट सर्जरी सेफ होगी?

सवाल-

मैं 56 वर्षीय घरेलू महिला हूं. पिछले साल से मेरे दोनों कूल्हों में लगातार दर्द होता है. चलनेफिरने और रोजमर्रा के काम करने में भी परेशानी आ रही है. क्या मु झे हिप रिप्लेसमैंट सर्जरी करानी होगी?

जवाब-

ऐसा लगता है कि आप को कूल्हे के जोड़ का आर्थ्राइटिस हो गया है. आप किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाएं. ऐक्सरे के द्वारा आप के कूल्हे के जोड़ की स्थिति का पता चलेगा. बेहतर डायग्नोसिस के लिए डाक्टर एमआरआई और सीटी स्कैन कराने के लिए भी कह सकता है. अगर आर्थ्राइटिस अर्ली स्टेज में होगा तो उसे दवाईयों और फिजियोथेरैपी से ठीक किया जा सकता है. केवल गंभीर स्थितियों में ही हिप रिप्लेसमैंट की सलाह दी जाती है.

हिप रिप्लेसमैंट सर्जरी में क्षतिग्रस्त जोड़ को निकाल दिया जाता है और इसे कृत्रिम जोड़ से बदल दिया जाता है. मिनिमली इनवेसिव हिप रिप्लेसमैंट सर्जरी बहुत कारगर मानी जाती है. इस के परिणाम भी बहुत अच्छे मिलते हैं और मरीज को ठीक होने में भी अधिक समय नहीं लगता है.

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सिरदर्द के बाद कमर दर्द आज सब से आम स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या बनती जा रही है. बढ़ती उम्र के लोगों को ही नहीं युवाओं को भी यह दर्द बहुत सता रहा है. महिलाएं कमर दर्द की आसान शिकार होती हैं 90 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी स्‍तर पर कमर दर्द से पीड़ित रहती हैं. खासकर कामकाजी महिलाएं जो ऑफिसों में बैठ कर लगातार काम करती हैं. उन में रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ने से कमर दर्द की समस्या हो जाती है.

कमर दर्द

हमारी रीढ़ की हड्डी में 32 कशेरूकाएं होती हैं जिस में से 22 गति करती हैं जब इन की गति अपर्याप्‍त होती है या ठीक नहीं होती तो कई सारी समस्‍याएं पैदा हो जाती हैं रीढ़ की हड्डी के अलावा हमारी कमर की बनावट में कार्टिलेज (डिस्‍क), जोड़, मांसपेशियां, लिगामेंट आदि शामिल होते हैं इस में से किसीकिसी में भी समस्या आने पर कमर दर्द हो सकता है इस से खड़े होने, झुकने, मुड़ने में बहुत तकलीफ होती है अगर शुरूआती दर्द में ही उचित कदम उठा लिए जाएं तो यह समस्‍या गंभीर रूप नहीं लेगी

क्या हैं कारण

कमर दर्द की समस्या में महिलाओं की जीवनशैली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कामकाजी महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है क्योंकि उन्हें अपने जॉब के कारण घंटों एक ही स्थिति में बैठकर काम करना होता है कई महिलाएं आरामतलबी की जिंदगी जीने के कारण भी कमर दर्द की शिकार हो जाती हैं इस के अलावा कई और कारण भी हैं:

 

मैं फिर से प्यार की तलाश में हूं: दूसरी शादी को लेकर एक्ट्रेस मनीषा कोईराला

संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ रिलीज हो गई है और दर्शक इसे खूब पसंद कर रहे हैं.
सीरीज में लीड एक्ट्रेस मनीषा कोइराला ने जूम टीवी के साथ दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि वह 52 साल की उम्र में फिर से प्यार की तलाश कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि ‘’ अगर मेरे जीवन में कोई पुरुष है तो वो मुझे जरूर मिलेगा. लेकिन मैं उस पर अपना टाइम वेस्ट नहीं करूंगी. अगर मेरी किस्मत में लिखा है तो मुझे मिलेगा और अगर नहीं तो भी ठीक है. मैं अपनी ज़िदगी जी रही हूं.”

 

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मनीषा ने आगे कहा, “ मेरा परिवार मेरे साथ है. मेरे पास बहुत अच्छे भाई-भाभी और माता पिता हैं. मेरा काम भी अच्छा चल रहा है. मुझे घूमने का बहुत शौक है और भगवान की दया से पैसे की कमी भी नहीं है. मैं भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हूं. मैं अधूरी नहीं हूं. लेकिन इसके बाद भी अगर मेरी जिंदगी में कोई आता है तो मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं है.”

आपको बता दें कि मनीषा की शादी नेपाली बिजनेसमैन सम्राट दहल से साल 2010 में हुई थी. शादी के 2 सालों के बाद 2012 में दोनों का तलाक हो गया. इसी साल मनीषा को ओवरी कैंसर डायगनोस किया गया था. तलाक और कैंसर के बाद मनीषा ने खुद को बहुत स्ट्रौंग बनाया. मनीषा ने फिल्म से जुड़ी बहुत सारी तस्वीरें सोशल मीडिया प्लैटफौर्म इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं.

 

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मनीषा ने इस सीरीज में मल्लिका जान का किरदाकर निभाया है. इस रोल में दर्शक उन्हें पसंद कर रहे हैं. मनीषा के अलावा फिल्म में फरदीन खान, शेखर सुमन उनके बेटे अध्यन सुमन, संजीदा शेख, सोनाक्षी सिन्हा, अदिती राव हैदरी, रिचा चड्ढा और शर्मिन सेहगल मुख्य रोल कर रहे हैं.

Mother’s Day 2024: जमाना है सुपर मौम्स का

महिरमा एक ऐसी वर्किंग वूमन है जो हमेशा औनटाइम रहती है. अपने काम के अलावा वह न सिर्फ परिवार का बेहद संतुलित ढंग से खयाल रखती है, बल्कि बच्चों की बहुत अच्छे ढंग से परवरिश भी करती है. यह बात अब हैरानी पैदा नहीं करती. दरअसल, आज की सुपरफास्ट, मल्टी टैलेंटेड, सुपर ऐक्टिव मम्मियां ऐसी ही हैं. घर और औफिस दोनों ही मोरचों पर मुस्तैदी से जुटी ये महिलाएं अपने अच्छे परफौर्मैंस, परफैक्ट टाइम मैनेजमैंट और मल्टीटैलेंटेड कौशल से न केवल औफिस के मोरचे पर बल्कि घरपरिवार के अच्छे प्रबंधन से भी पीढि़यों पुरानी एक घरेलू और आम मां की छवि को तोड़ रही हैं.

काम में हिट और सेहत में फिट इन मम्मियों के औफिस से ले कर घरपरिवार तथा लेडीज कम्यूनिटीज और सोशल गैदरिंग तक में जलवे हैं. आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में दोहरी भूमिका निभाना कठिन काम है. आज के आधुनिक जमाने में जन्मे सुपर किड्स को संभालना, उन्हें क्वालिटी ऐजुकेशन देना और बेहतर परवरिश एक बड़ी चुनौती से कम नहीं. बावजूद इस के हजारों युवतियां अपने बुलंद इरादों और कभी न हार मानने वाले जज्बे से न केवल परिवार बल्कि समाज और सोशल कम्यूनिटी में बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही हैं. वह वक्त गया जब बच्चों का टिफिन पैक कर या एकाध संगीत या नृत्य कक्षा में भेज कर मांएं छुट्टी कर लेती थीं. आज वक्त बदल चुका है. बदलते जमाने के साथ मांओं ने भी अपनी सुघड़, सुशील व विनम्र मां वाली छवि को छोड़ मौडर्न मौम का रूप धारण कर लिया है. वे न केवल बच्चों की क्वालिटी ऐजुकेशन पर ध्यान दे रही हैं, बल्कि उन की ऐक्स्ट्रा कैरिकुलम ऐक्टिविटीज से ले कर हौबी क्लासेज और स्किल डैवलपमैंट कोर्सेज तक में एक सक्रिय मार्गदर्शक और ट्यूटर की भूमिका निभा रही हैं. तभी तो काम के सभी मोरचों पर हिट ऐसी युवतियों को ‘अल्ट्राऐक्टिव’, ‘होममेकर’, ‘मल्टी टैलेंटेड’, ‘वर्किंग वूमन’ और ‘परफैक्ट हाउसवाइफ’ जैसे टाइटिल दिए जाने लगे हैं.

ये बदलाव तो पिछले 1 दशक में हुए हैं. इस दौरान संचार के साधनों ने अपनी सशक्त दस्तक दी है और लोगों के सामने एक आइडियल वूमन की तसवीर पेश की है. आज की सुपर मम्मियों को स्रोत व संसाधनों की जो सुगमता उपलब्ध है, उस ने उन के लिए संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं. सेहत, कैरियर और किड्स अपब्रिंगिंग तक में सुपरहिट इन आधुनिक मांओं ने सीमाओं से परे मां की एक अलग परिभाषा गढ़ी है.

मौडर्न लेडीज ऐरौबिक्स क्लासेज चलाने वाली ज्योति ने यह बताया कि आज गलाकाट प्रतियोगिता के युग में पहले पायदान पर खड़े होने की चाहत और किसी अन्य से पिछड़ जाने का डर ही महिलाओं को हार्डकोर वर्क यानी कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित और उत्साहित करता है. इस के अलावा उन के पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं. अनु ने घर के पास के स्टेडियम में अपने बेटे तुषार के साथ खड़ी सागरिका से जब यह पूछा कि सुबह से शाम तक घरऔफिस के व्यस्त शैड्यूल के बीच वह अपने बच्चे के ऐक्स्ट्रा क्लासेज के लिए समय कैसे निकाल पाती है? तब उस का जवाब था कि परफैक्ट टाइम मैनेजमैंट और ऐक्स्ट्रा ऐफर्ट के बूते ही वह सबकुछ आसानी और सुगमता से मैनेज कर पाती है. हां थोड़ीबहुत मुश्किल तो आती है पर सजगता और प्रबंधन कौशल सारी राह आसान बना देता है. सागरिका के जवाब से स्पष्ट है कि आज की मांएं अपने पेरैंटल रोल को कहीं अधिक बेहतर तरीके से समझ व निभा पा रही हैं. वे अपनी सूझबूझ, कौशल, तार्किक क्षमता और काम में दिलचस्पी व मेहनत से न केवल खुद का बल्कि होनहारों के भविष्य को भी सही दिशा दे रही हैं. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्य करने वाली 27 वर्षीय अमिता ने कहा कि आज मांओं की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं. वे हर कीमत पर अपने बच्चों को कामयाब व सफल देखना चाहती हैं. इस के लिए चाहे उन्हें ऐक्स्ट्रा ऐफर्ट व ऐक्स्ट्रा संसाधन ही क्यों न लगाना पड़े. हकीकत तो यही है कि ऐसी महिलाएं अब ऐक्टिव से ज्यादा सुपर ऐक्टिव हो गई हैं क्योंकि उन्हें अब एक नहीं 2-2 मोरचों पर झंडे गाड़ने हैं. समय का यही तकाजा है और फिर घर और बाहर इन दोनों मोरचों पर मुस्तैदी से डटे रहने के लिए जरूरी है खुद को अपडेट व प्रोऐक्टिव रखना, तभी आप बदलते वक्त के साथ कदमताल कर पाएंगी.        

ज्यादा पसीना आने से पैरों से बदबू आने लगती है, मैं क्या करु?

सवाल-

मेरे पैरों में बहुत अधिक पसीना आता है, जिस से उन से बदबू आने लगती है. गरमी और बरसात के मौसम में ज्यादा पसीना आने के कारण पैरों से बदबू भी अधिक आने लगती है. इस की वजह से अकसर मुझे शर्मिंदगी होती है. बताएं, मैं क्या करूं?

जवाब-

जब स्किन पर मौजूद बैक्टीरिया पसीने के संपर्क में आते हैं तो पैरों से बदबू आने लगती है. पैरों की बदबू को दूर करने  के लिए आप चाहें तो पानी में सामान्य सिरका मिला कर उस से पैर धो सकती हैं या फिर अदरक के रस को पैरों पर मल लें और बाद में कुनकुने पानी से पैरों को धो लें. ऐसा करने से पैरों की बदबू चली जाती है.

लैवेंडर औयल न केवल अच्छी खुशबू देता है, बल्कि यह बैक्टीरिया को मारने में भी असरदार है. इस तेल में ऐंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो पैरों की बदबू को दूर करने में बहुत फायदेमंद रहते हैं. हलके गरम पानी में कुछ बूंदें लैवेंडर औयल डाल कर पैरों को उस में कुछ देर डुबोए रखें.

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गर्मी का मौसम आ चुका है, ऐसे में पसीना आना तो जाहिर सी बात है. पसीने का आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. गर्मी के मौसम में शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए रोमछिद्रों से पसीना निकलता है. यह शरीर को ठंडा रखने और शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर करने का काम करता है. इसलिए पसीने का निकलना सेहत की दृष्टि से जरूरी है. लेकिन ज्यादा पसीना आना भी ठीक नहीं है.

बहुत से लोगों के शरीर से बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना निकलता है. पसीने की वजह से शरीर से दुर्गन्ध आती है. ऐसे में जिन्हें बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना आता है उनके लिए दिक्कत आती है. आज हम आपको ज्यादा पसीना आने की समस्या से निजात दिलाने वाले कुछ टिप्स के बारे में बताने वाले हैं. आइए, जानते हैं कि वे टिप्स क्या हैं?

कैफीन से परहेज

बहुत ज्यादा मात्रा में कैफीन से बने पदार्थों के सेवन से शरीर से ज्यादा मात्रा में पसीना बाहर आता है. ऐसे में संतुलित मात्रा में ही कौफी आदि का सेवन करना चाहिए.

योगा

अगर आपको काफी ज्यादा पसीना आता है तो योगा करें, क्योंकि योगा की मदद से ज्यादा पसीना आने की समस्या को प्राकृतिक तरीके से ठीक किया जा सकता है. योगा शरीर की नाड़ियों को शांत रखता है और ज्यादा मात्रा में पसीने के निर्माण को कम करता है.

 

ब्लडग्रुप के अनुसार ले डाइट और वजन घटने से रोकें

वजन आज हर उम्र की एक बड़ी समस्या बन गया है. इसी का फायदा उठा कर वजन घटाने का दावा करने वाली हर तरह की आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक दवाओं का बाजार गरम हो गया है. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि ब्लड ग्रुप आधारित डाइट भी आप का वजन घटाने में मदद कर सकती है?

चौंक गए न? दरअसल, यह मामला ब्लड ग्रुप के हिसाब से डाइटिंग के जरीए अपनी काया को छरहरा बनाने का है. यह खास तरह की डाइट ‘ब्लड ग्रुप डाइट’ कहलाती है. क्या है यह ब्लड ग्रुप डाइट? आइए, जानते हैं कोलकाता, यादवपुर स्थित केपीसी मैडिकल कालेज व हौस्पिटल की  न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटिशियन, रंजिनी दत्त से.

रंजिनी दत्त का इस संबंध में कहना है कि मैडिकल साइंस में ब्लड ग्रुप डाइट एक अवधारणा है. हालांकि अभी इस अवधारणा को पुख्ता वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है, लेकिन ब्लड ग्रुप आधारित डाइट से बहुतों को फायदा भी हुआ है, यह भी सच है. पश्चिमी देशों में इस अवधारणा को मान कर डाइट चार्ट बहुत चलन में है.

रंजिनी दत्त का यह भी कहना है कि वजन कम करने के इस नुसखे को ‘टेलर मेड ट्रीटमैंट’ कहा जाता है. अब सवाल यह उठता है कि यह काम तो पर्सनलाइज्ड डाईट चार्ट या रूटीन कर ही सकता है. फिर ब्लड ग्रुप डाइट क्यों?

 हर व्यक्ति की पाचन और रोगप्रतिरोधक क्षमता उस के ब्लड ग्रुप पर निर्भर करती है. बाकायदा जांच में यह पाया गया है कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप के व्यक्ति आमतौर पर एग्जिमा, ऐलर्जी, बुखार आदि से ज्यादा पीडि़त होते हैं.

 ‘बी’ ब्लड गु्रप वालों में रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इस ब्लड ग्रुप वाले ज्यादातर थकेथके से रहते हैं. कोई गलत फूड खाने से इन्हें ऐलर्जी हो जाती है, तो ‘एबी’ ब्लड ग्रुप वालों की समस्या अलग किस्म की होती है. इन्हें छोटीछोटी बीमारियां लगभग नहीं के बराबर होती हैं. लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को कैंसर, ऐनीमिया या फिर दिल की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है.

रंजिनी दत्त के अनुसार, डाइट थियोरी कहती है कि हम जब खाना खाते हैं तब हमारे खून में एक खास तरह की मैटाबोलिक प्रतिक्रिया या रिएक्शन होता है. दरअसल, हमारे खाए भोजन में मौजूद प्रोटीन और विभिन्न तरह के ब्लड ग्रुप में मौजूद ऐंटीजन में परस्पर प्रतिक्रिया होती है. गौरतलब है कि हर ब्लड ग्रुप का अपना ऐंटीजन तैयार होता है. गलत खाना खाने पर ऐंटीजन में जबरदस्त प्रतिक्रिया होती है. इसलिए अगर हम ब्लड ग्रुप के हिसाब से अपना डाइट चार्ट तैयार करें तो बेहतर होगा. यह डाइट हमें स्लिमट्रिम भी बना सकती है.

ब्लड ग्रुप ‘ओ’

रंजिनी दत्त कहती हैं कि ब्लड ग्रुप की थियोरी के हिसाब से यह ब्लड ग्रुप सब से पुराना माना जाता है. पुराना ब्लड ग्रुप कहने का तात्पर्य यह है कि यह ब्लड ग्रुप प्रागैतिहासिक मानव का ब्लड ग्रुप है. इस ब्लड ग्रुप वालों की पाचन क्षमता बहुत अच्छी होती है. इस ब्लड ग्रुप में हाई स्टमक ऐसिड (आमाशय में मौजूद अम्ल) होने के कारण हाई प्रोटीन को हजम कर पाना आसान होता है.

आमतौर पर जिन का ब्लड ग्रुप ‘ओ’ है उन्हें प्रोटीन से भरपूर आहार लेना चाहिए. वे मांसमछली और किसी भी तरह का सी फूड खा सकते हैं. लेकिन मांसमछली का कैमिकलफ्री होना जरूरी है. हाई प्रोटीन फूड में भी कुछ चीजें वर्जित हैं. अगर इस ब्लड ग्रुप वाले छरहरी काया की चाह रखते हैं, तो उन्हें आटे और मैदा से बनी चीजें कम से कम खानी चाहिए. सब्जी और फल ज्यादा से ज्यादा खाने चाहिए. लेकिन पत्तागोभी, फूलगोभी, सरसों जितना कम खाएं उतना ही अच्छा है. इस के अलावा ड्राईफू्रट, दूध, मक्खन, चीज जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स से भी दूर रहना इन के लिए बेहतर होगा. ब्रोकली, पालक, रैड मीट, सी फूड वजन कम करने में सहायक होते हैं. इस ब्लड ग्रुप के लिए ऐक्सरसाइज बहुत ही जरूरी है.

ब्लड ग्रुप ‘ए’

ब्लड ग्रुप ‘ओ’ की ही तरह ब्लड ग्रुप ‘ए’ का वजूद भी हजारों साल पुराना है, लेकिन प्रागैतिहासकाल जितना नहीं. गुफाओं से निकल कर जब इंसानों ने खेती और पशुपालन का काम शुरू किया, तब से यह ब्लड ग्रुप वजूद में है.

इस ब्लड ग्रुप वालों के लिए ऐनिमल प्रोटीन आमतौर पर अनुकूल नहीं होता है. इसलिए मांसमछली, चिकन और मिल्क प्रोडक्ट्स इन के लिए सही डाइट नहीं है. वह इसलिए कि इन का हाजमा आमतौर पर बहुत अच्छा नहीं होता है. इन्हें खानपान बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए. इन्हें अपने डाइट चार्ट में बादाम, टोफू, बींस की सब्जी, फल जरूर रखने चाहिए. अपने ब्लड ग्रुप के अनुरूप भोजन के साथसाथ कुछ हलकाफुलका व्यायाम भी जरूर करना चाहिए.

ब्लड ग्रुप ‘बी’

ब्लड ग्रुप ‘ओ’ की तरह ही ब्लड गु्रप ‘बी’ के लोगों को भी संतुलित खानपान व व्यायाम की आवश्यकता होती है. गाय व बकरी का दूध लेना इस गु्रप के लोगों के लिए बेहतर माना गया है. मांसाहारी लोगों के लिए मटन, मछली आदि सर्वोत्तम रहता है. पर चिकन का अध्यधिक सेवन नुसानदायक हो सकता है. हरी सब्जियों को आहार में शामिल करते हुए नियमित व्यायाम अच्छा रहता है.

ब्लड ग्रुप ‘एबी’

उपरोक्त ब्लड ग्रुपों की तुलना में यह ‘एबी’ ब्लड ग्रुप काफी आधुनिक किस्म का ब्लड ग्रुप है. इस ग्रुप की अच्छी बात यह है कि इस गु्रप वाले लोग हर तरह का खाना खा सकते हैं. दरअसल, ब्लड ग्रुप ‘ए’ और ‘बी’ दोनों ही ग्रुप का खाना ‘एबी’ ब्लड गु्रप के लिए अनुकूल होता है. मांस, सी फूड, डेयरी प्रोडक्ट्स, फल, सागसब्जी, टोफू वे खा सकते हैं. जिन खाद्यपदार्थों को खाने से बचना चाहिए, वे हैं- रैड मीट, बींस की और कौर्न. इन चीजों में अनन्नास, सागसब्जी, सी फूड, टोफू वजन कम करने में सहायक होते हैं. डाइट के साथ इन्हें थोड़ा पैदल चलने, टहलने के साथ नियमित रूप से तैरना भी चाहिए.

 

Mother’s Day 2024: स्नैक्स में बनाए क्रिस्पी वेज लॉलीपॉप

वेज लॉलीपॉप एक इंडो चायनीज डिश है जिसे सब्जियों और सॉसेज के साथ बनाया जाता है. आमतौर पर बच्चे सब्जियां खाने में बहुत नानुकुर करते हैं. आजकल तो यूं भी बच्चे पौष्टिक चीजों के स्थान पर पिज़्ज़ा, बर्गर, नूडल्स और पास्ता खाने में ज्यादा रुचि रखते हैं. तो क्यों न कुछ ऐसा उपाय किया जाए कि बच्चों को पौष्टिकता भी भरपूर मिल जाये और वे खाएं भी बड़े स्वाद से. वेज लॉलीपॉप एक ऐसी ही डिश है जिसमें पोषण प्रदान करने वाली ढेरों सब्जियों का प्रयोग किया जाता है. इस रेसिपी की खासियत यह है कि इसमें आप अपनी मनपसंद किसी भी सब्जी का प्रयोग कर सकतीं हैं  तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते है-

कितने लोंगों के लिए               4

बनाने में लगने वाला समय        30 मिनट

मील टाइप                               वेज

सामग्री

मैश किये उबले आलू             2

बारीक कटा प्याज                 2

मटर के दाने                         2 टेबलस्पून

बारीक कटी शिमला मिर्च      1

किसी गाजर                         1

फ्रोज़न या ताजे कॉर्न           2 टेबल स्पून

कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर    1 टीस्पून

गर्म मसाला पाउडर              1/4टीस्पून

नमक                                   स्वादानुसार

अमचूर पाउडर                     1/2 टीस्पून

चाट मसाला                         1/2 टीस्पून

बारीक कटी धनिया.              1 टेबलस्पून

अदरक लहसुन पेस्ट               1/2 टीस्पून

ब्रेड क्रम्ब्स                           1/4 कप

मैदा                                  2 टेबलस्पून

कॉर्न फ्लोर                         1 टेबलस्पून

काली मिर्च पाउडर।             1/4 टीस्पून

पानी                                  1/2 कप

तलने के लिए तेल।             पर्याप्त मात्रा में

विधि

ब्रेड क्रम्ब्स, मैदा, तेल, पानी और कॉर्नफ्लोर को छोड़कर सभी सब्जियां और मसालों को एक बड़े बाउल में अच्छी तरह मिलाएं. अब इसमें कॉर्नफ्लोर, ब्रेड क्रम्ब्स, और पानी मिलाकर लॉलीपॉप का मिश्रण तैयार करें.  मैदा को 2 टेबलस्पून पानी में घोल लें. तैयार मिश्रण से थोड़ा सा मिश्रण हथेली पर रखकर चपटा करें. इसमें आइसक्रीम स्टिक लगाएं और मैदे के घोल में डिप करके गर्म तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलें अथवा 180 डिग्री पर 12 से 15 मिनट तक माइक्रोवेव में बेक करें. तैयार लॉलीपॉप को टोमेटो सॉस या मेयोनीज के साथ सर्व करें.

 

 

चेहरे पर आने लगी हैं झुर्रियां तो ट्राई करें ये घरेलू फेस पैक्स

आपके चेहरे की चमक झुर्रियों के कारण खो जाती हैं. और आप झुर्रियां हटाने के लिए तरह-तरह के क्रीम मार्केट से लाती हैं, फिर भी चेहरे पर लगाने के बाद नहीं हटती हैं. तो ऐसे में  आपको परेशान होने की कोई बात नहीं है. आज हम आपको कुछ घरेलू नुस्खों बताएंगे जिससे आप झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए आजमा सकती हैं.

1. मुल्तानी मिट्टी

झुर्रियों पर मुल्तानी मिट्टी सबसे ज्यादा असर करती है. यह त्वचा में कसाव लाती है और महीन रेखाओं को भी खत्म करती है. आप मुल्तानी मिट्टी लगाने से पहले उसे आधे घंटे के लिए भिगा दें. मिट्टी गल जाए तो उसमें खीरे का रस, टमाटर का रस और शहद मिलाएं. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं. पर ध्यान रहे कि लेप लगाने के बाद बैठे या खड़े न रहें, बल्क‍ि लेट जाएं. और फिर सुखने के बाद इसे ठंडे पानी से धो लें.

2. केला

केले का क्रीम जैसा पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाएं. आधे घंटे तक लगाएं रखें फिर सादे पानी से धो लें. त्वचा को अपने आप सूखने दें, उसे पोछे नहीं. केले के इस्तेमाल से त्वचा में कसाव आता है और झुर्रियों पर फर्क नजर आने लगता है.

3. दूध का पाउडर

दूध के पाउडर में शहद और थोड़ा सा पानी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा सॉफ्ट और ग्लोविंग हो जाती है. इससे चेहरे की झुर्रियां भी कम हो जाती हैं.

4. पानी

सुबह उठते ही दो ग्लास पानी पीयें और हर घंटे एक ग्लास पानी जरूर पीयें. इससे त्वचा में चमक आएगी और आप अपनी उम्र से हमेशा छोटी ही लगेंगी. लेकिन अगर आप पानी कम पीती हैं तो समय से पहले आपकी त्वचा बूढ़ी हो जाएगी.

5. नारियल का तेल, औलिव औयल, बादाम का तेल

ये तीनों तेल त्वचा को झुर्रियों से बचाने में कारगर हैं. इनकी मालिश से न केवल चेहरे की रंगत खिलती है, बल्कि रिंकल्स भी दूर होते हैं.

Mothers’s Day 2024: पुनरागमन- क्या मां को समझ पाई वह

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Happy Birthday Anushka Sharma जानें उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें

बौलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा आज 36 साल की हो गई हैं. वो अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच परफेक्ट बैलेंस करती हैं. अनुष्का ने 2008 में यशराज बैनर की फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. पहली फिल्म में ही अनुष्का ने बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ काम किया.

सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि अनुष्का ने साल 2015 में आई फिल्म ‘एनएच-10’ और साल 2017 में आई ‘फिल्लौरी’ फिल्मों को प्रोड्यूस भी किया. हालांकि दोनों फिल्में फ्लौप हो गईं.

 

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अनुष्का ने अपने फिल्मी करियर में बौलीवुड के तीन खान आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान के साथ काम कर चुकी हैं. उन्होंने आमिर के साथ प्रोड्यूसर विदु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘पीके’, सलमान खान के साथ यशराज बैनर की फिल्म ‘सुलतान’ और शाहरुख के साथ यशराज बैनर की फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ में काम किया. अनुष्का और उनके भाई कर्नेश शर्मा दोनों मिलकर एक प्रोडक्शन हाउस भी चलाते हैं जिसका नाम क्लीन स्टेट फिल्म्स है.

पर्सनल लाइफ की बात करें तो अनुष्का ने लंबे समय तक डेट करने के बाद साल 2017 में क्रिकेटर विराट कोहली से शादी कर ली थी. दोनों की शादी के 5 साल बाद 2021 में अनुष्का की बेटी वामिका का जन्म हुआ. इसके बाद हाल ही में फरवरी में उनके घर बेटे अकाय का जन्म हुआ है.

 

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वर्क फ्रंट की बात करें तो अभी अनुष्का फोन ब्रांड वन प्लस को प्रमोट कर रही हैं और क्रिकेटर झूलन गोस्वामी के जीवन पर बनी बायोपिक ‘चकदा एक्सप्रेस’ में काम कर रही है. ये फिल्म ओटीटी प्लैटफॉर्म पर जल्द ही आएगी. हालांकि रिलीज डेट अभी फाइनल नहीं हुई है.

इस फिल्म में अनुष्का के अलावा एक्ट्रेस रेणुका साहाने,एक्टर दिब्येंदू भट्टाचार्या, एक्टर महेश ठाकुर भी हैं. फिल्म प्रोसित रॉय ने डायरेक्ट की है और अभिषेक बनर्जी ने लिखी है.

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