इकलौती संतान की पेरेंट्स ऐसे करें देखभाल

आजकल लोगों की औसत आयु बढ़ गई है. लोग ज्यादा जीने लगे हैं. देश में बुजुर्गों की संख्या 1961 से लगातार बढ़ रही है और 2021 में देश में बुजुर्गों की आबादी 13.8 करोड़ पार हो गई है. 2031 में उन की कुल आबादी 19.38 करोड़ होने का अनुमान है. ‘नैशनल स्टैटिक्स औफिस’ की एक स्टडी में यह बात सामने आई. वैसे तो यह सुकून की बात है. लेकिन इन की आबादी बढ़ने से एक नई समस्या भी खड़ी हो गई है.

दरअसल, आज के समय में अकसर घरों में एक ही संतान होती है. बच्चों की जिम्मेदारी उठाना और उन की पढ़ाई का खर्च इतना महंगा हो गया है कि लोग एक से ज्यादा बच्चे अफोर्ड नहीं कर पाते. यही नहीं कामकाजी महिलाएं और सिंगल परिवार होने की वजह से भी बहुत से लोग एक से ज्यादा बच्चों के बारे में सोच नहीं पाते. ऐसे में समस्या तब आती है जब बच्चे बड़े होते हैं और मांबाप बूढ़े हो जाते हैं.

उम्र के इस दौर में पेरैंट्स को बच्चों के सहारे की जरूरत पढ़ती है. मगर उन की देखभाल करने के लिए घर में कोई नहीं रह जाता क्योंकि अकसर पढ़ाई या नौकरी के लिए लड़के मैट्रो सिटीज में चले जाते हैं या फिर अगर बेटी है तो उसे ससुराल जाना पड़ता है. अगर बेटा उसी शहर में नौकरी करता है या अपना बिजनैस है तो मांबाप के साथ रहता है, वरना दूर चला जाता है. मुसीबत तब आती है जब पेरैंट्स में से एक यानी माता या पिता की मौत हो जाती है. तब दूसरा शख्स घर में बिलकुल अकेला रह जाता है.

बड़ी जिम्मेदारी

जब कोई लड़का या लड़की अपने मां-बाप की इकलौती संतान होती है तो उस पर अपना कैरियर बनाने के साथसाथ पेरैंट्स की देखभाल की भी जिम्मेदारी होती है. उसे कई बार इस वजह से समझौता भी करना पड़ता है क्योंकि उस के अलावा पेरैंट्स का कोई और सहारा नहीं होता. पेरैंट्स अपनी जिंदगी में कमाई हुई सारी दौलत और अपना पूरा प्यार अपने इकलौते बच्चे के नाम करते हैं.

ऐसे में बच्चे का भी दायित्व बनता है कि वह अपने पेरैंट्स के लिए कुछ करे. ज्यादातर बच्चे अपने पेरैंट्स की देखभाल करना भी चाहते हैं, मगर परिस्थितियां अनुकूल नहीं होतीं.

आइए, जानते हैं किस परिस्थिति में आप किस तरह अपने पेरैंट्स की देखभाल कर सकते हैं:

जब बेटी इकलौती संतान है

29 साल की दिव्या अपने मांबाप की इकलौती संतान है. उसे एक बेटा और एक बेटी है. वह एक स्कूल में टीचर है. वैसे उस का पति विशाल उस से बहुत प्यार करता है और उस का खयाल भी रखता है, घर में किसी चीज की कमी नहीं है, मगर दिव्या अपने मम्मीपापा को ले कर परेशान रहती है क्योंकि विशाल अपने ससुराल से ज्यादा संबंध नहीं रखता.

दिव्या के पापा को 2 बार हार्ट अटैक आ चुका है. मां से उन की देखभाल ठीक से नहीं होती. उन की आमदनी का पैंशन के अलावा कोई और साधन नहीं. जो रुपए जमा थे वे बेटी की पढ़ाई और शादी में खर्च हो गए. ऐसे में आर्थिक समस्याएं भी पैदा हो जाती थीं. कभीकभार दिव्या उन को पैसे दे देती तो विशाल को अच्छा नहीं लगता क्योंकि दिव्या के घर वालों से उसे बिलकुल लगाव नहीं था.

कभी दिव्या के मांबाप आते तो भी उन के साथ विशाल नौर्मल बातचीत नहीं करता. इस बात से वह बहुत दुखी रहती. दिव्या को इस बात की टैंशन रहती है कि अपने बूढ़े हो चुके मांबाप का खयाल कैसे रखे. उन का खयाल रखने के लिए और कोई नहीं है. इकलौती संतान होने के नाते वह उन के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझती है, मगर कुछ कर नहीं पाती क्योंकि वह अपने पति से भी झगड़ा लेना मोल नहीं चाहती है.

उसका पति सास-ससुर की कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. वह कभीकभी तलाक लेने की बात सोचती है, मगर बच्चों की तरफ देख कर चुप रह जाती है. उस के मांबाप भी उसे ऐसा करने से साफ मना करते हैं.

ऐसे हालात में आखिर एक दिन दिव्या ने अपने पति विशाल से सवाल किया, ‘‘यदि मेरे मातापिता के स्थान पर तुम्हारे मातापिता होते तो भी क्या तुम ऐसा ही करते? जिस तरह से तुम्हारे बूढ़े मातापिता की जिम्मेदारी हम दोनों मिल कर उठाते हैं वैसे ही मेरे मातापिता का खयाल भी तो दोनों को ही रखना चाहिए. उन की मेरे सिवा कोई औलाद नहीं. मेरी पढ़ाई और शादी में उन्होंने सारे रुपए लगा दिए. ऐसे में उन्हें कभी डाक्टर को दिखाना हो या आर्थिक मदद करनी हो तब तुम पीछे क्यों हट जाते हो?’’

इस सवाल पर विशाल कोई जवाब नहीं दे सका. उस रात दिव्या ने देखा कि उस के सासससुर विशाल को कुछ समझ रहे हैं. अगली बार जब दिव्या मां को डाक्टर को दिखाने जा रही थी तब विशाल खुद आगे आया और कहने लगा कि चलो साथ चलते हैं. यह सुन दिव्या को अपने पति पर बहुत प्यार आया.

कोई सहारा नहीं

दरअसल, शादी के बाद पतिपत्नी जीवनसाथी बन जाते हैं. जीवन की राह में आने वाले हर सुखदुख में उन्हें एकदूसरे का साथ देना चाहिए. इस काम में केवल स्त्री के पति को ही नहीं बल्कि उस के सासससुर को भी खयाल रखना चाहिए कि यदि बहू की मां या बाप को कोई परेशानी है तो वे अपनी बहू की सहायता करें और उस का साथ दें, उस के पति यानी अपने बेटे को समझएं.

मगर हमारी सोसाइटी में स्थिति बहुत अलग रहती है. हमारे देश में लड़की की शादी करने के बाद लड़की के घर जाना या उस के घर खाना और रहना भी परंपराओं के अनुसार वर्जित माना गया है. घर में बेटा बहू हो तो यह रिवाज चल सकता है. लेकिन अगर वह पुत्री इकलौती संतान है और मांबाप का उस के सिवा कोई और सहारा नहीं है तो ऐसे में क्या पुत्री के दिल में यह सवाल नहीं उठेगा कि वह अपने बूढ़े मांबाप का सहारा क्यों नहीं बन सकती? खासकर जब मां या पिताजी में से कोई अकेला रह जाता है तब बेटी उन्हें अपने घर रखना चाहती है. पर अकसर ऐसे में उसे ससुराल वालों और खुद अपने पति की भी नाराजगी सहनी पड़ती है.

पेरैंट्स का सम्मान अपेक्षित

मुश्किल घड़ी में मांबाप का पुत्री के घर जा कर रहने में कोई हरज नहीं होना चाहिए. महत्त्वपूर्ण बात यह है कि के दामाद और उन के रिश्तेदार पेरैंट्स के साथ सम्मान से पेश आएं. सामान्यतया यह देखा जाता है कि माता या पिता का बेटी के घर जा कर रहने पर कुछ दिन तो बेटी के घर वाले उन का सम्मान करते हैं, लेकिन बाद में धीरेधीरे उन के व्यवहार में परिवर्तन आता जाता है. ऐसे में लड़की के मातापिता में हीनभावना उत्पन्न होने लग जाती है.

जब बेटा दूसरे शहर या विदेश में रहता हो

अकसर बच्चों को अच्छी पढ़ाई या फिर नौकरी के लिए अपना शहर छोड़ना पड़ता है. बाद में कई बार बच्चे विदेश या मैट्रो सिटीज में नौकरी मिलने पर शादी कर के वहीं सैटल भी हो जाते हैं. ऐसे में पुराने घर में मांबाप अकेले रह जाते हैं. अपने कैरियर के लिए बच्चे वापस लौटने का जोखिम नहीं उठाना चाहते, मगर वे ओल्ड पेरैंट्स के प्रति अपने दायित्व से भी मुंह नहीं मोड़ सकते. कई बार मां या बाप अकेले रह जाते हैं तब स्थिति ज्यादा खराब होती है. ऐसी स्थिति में बेटा अपने मांबाप की देखभाल के लिए कुछ इस तरह के तरीके अपना सकता है:

–  अपने पेरैंट्स के घर के पास रहने वाले किसी दोस्त को यह जिम्मेदारी दे सकता है कि रोज शाम में एक बार औफिस से लौटते हुए वह आप के पेरैंट्स से मिलता जाए ताकि किसी तरह की सेहत से जुड़ी परेशानी की जानकारी आप को समय रहते मिल जाए और अर्जेन्सी होने पर आप का दोस्त उन्हें अस्पताल पहुंचा सके. इस के बदले में आप अपने दोस्त की किसी और तरह से हैल्प कर सकते हैं.

–  अपने पेरैंट्स के साथ एक विश्वसनीय नौकरानी को पूरे दिन के लिए रख दें. वह खाना बनाने और साफसफाई के अलावा बुजुर्ग पेरैंट्स की देखभाल भी कर ले जैसे दवा देना, मालिश करना, टहलाना, बाल धोना, फल काटना जैसे छोटेमोटे कामों में भी मदद कर दे.

–  समय रहते उन का मैडिक्लेम जरूर करा लें.

पीरियड्स होने में हो रही है देरी तो इन टिप्स से हो सकते हैं रेगुलर

आजकल की भाग-दौड़ भरी लाइफ में अनयिमित माहवारी होना बिल्‍कुल ही आम बात हो चुकी है. अचानक वजन बढ़ना या फिर कम होना, स्‍मोकिंग करना, कॉफी,दवाइयां और खराब खान-पान की वजह से यह समस्‍या पैदा होती है. भावनात्मक तनाव भी आपके शरीर में हार्मोन में परिवर्तन, आपकी माहवारी को अनियमित बनाने के लिए कारण हो सकता है.

किसी महीने में माहवारी हुई तो किसी महीने में टल गई, ऐसे में शरीर को भी नुकसान होता है. आइये जानते हैं कि अनियमित महावारी से बचने के लिये प्राकृतिक रूप से कौन-कौन से तरीके हैं.

टिप्‍स जो करे पीरियड को रेगुलर –

  1. इस समस्‍या को ठीक करने के लिये सहिजन,तरोई, सफेद कद्दू, तिल का बीज और करेला का नियमित सेवन करें. रोजाना दिन में दो बार करेले की जड़ का काढा पीजिये और देखिये कि यह प्राकृतिक तरीके से कैसे ठीक हो जाता है.
  2. कब्‍ज पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ से दूर रहें खास कर के महावारी के आखिरी चक्र में. खट्टे खाघ पदार्थ,फ्राइड फूड और प्रोटीन से भरी दालों का सेवन ना करें.
  3. अपनी डाइट में मछली का प्रयोग करें क्‍योंकि इसमें ओमेगा3 फैटी एसिड होता है जो कि मासिक चक्र के दौरान बहुत ही लाभकारी होता है.
  4. बैंगन,मीट, पीला कद्दू और आलू को पीरियड्स शुरु होने के एक हफ्ते पहले ना खाएं.
  5. सौंफ खान से पीरियड्स टाइम पर आते हैं. यहां तक की तिल का तेल भी बहुत ही लाभकारी होता है. मासिक चक्र शुरु होने के एक हफ्ते पहले सौंफ का बना काढा लें.
  6. तिल के बीज को जीरा पाउडर और गुड के साथ मिला कर खाएं. इससे पीरियड टाइम पर होगा.
  7. रोजाना अंगूर का जूस पीने से भी आपको अनियमित महावारी से मुक्‍ती मिलेगी.
  8. रोजाना व्‍यायाम करें जिससे शरीर का टंपरेचर सामान्‍य बना रहे और अनियमित महावारी कंट्रोल में रहे.
  9. कच्‍चा पपीता खाइये. यह एक प्राकृतिक तरीका है जो कि ज्‍यादातर महिलाएं पीरियड को टाइम पर लाने के लिये और प्रेगनेंसी से मुक्‍ती पाने के लिये करती हैं.

पति की आदतों से परेशान हो गई हूं, मै क्या करुं?

सवाल

मैं 23 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 2 साल हो चुके हैं पर मेरे पति आज भी उतने ही रोमांटिक मूड में रहते हैं. हर रोज सहवास करना चाहते हैं. मायके भी नहीं जाने देते. मैं 2 सालों में मुश्किल से 8-10 दिन मायके में रही होऊंगी, जबकि मेरी सहेलियां कई महीने मायके में रहती हैं. किसी भी सहेली का पति इतना सैक्सी नहीं है जितने मेरे पति हैं. कभी कभी तो मुझे डर लगने लगता है कि कहीं वे सैक्स ऐडिक्ट तो नहीं हैं? बताएं क्या करूं?

जवाब

आप को खुश होना चाहिए कि आप को इतना प्रेम करने वाला पति मिला है और आप बेवजह परेशान हैं. जहां तक कामुकता या सैक्स के प्रति अधिक रुझान की बात है, तो यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है. इसलिए अपनी सहेलियों के पतियों से न तो आप को पति की तुलना करनी चाहिए और न ही इतनी अंतरंग बातें दूसरों के सामने उजागर करनी चाहिए. पति के साथ का बेहिचक आनंद उठाएं.

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प्यार, रोमांस फिर शादी ये चलन सदियों से चला आ रहा है. दो युगलों के बीच प्यार एक पराकाष्ठा को पार तब करता है जब दोनों का मिलन आत्मा से होता है. प्यार का समागम आत्मा और शरीर दोनों से ही होता है. जब नवविवाहिता आती है तो धारणा यह बनती है कि अब दोनों का शारीरिक मिलन तय है, पर यह गलत है. हालांकि, शारीरिक मिलन यानि कि सेक्स जीवन का एक आधार है एक नई पीढ़ी को तैयार करने का. पर नवविवाहित जोड़ों को सेक्स से संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है. या यूं कहें कि कुछ मतभेद जो उनके दिलों में कई सवाल बनकर खड़े हो जाते हैं. सेक्स से जुड़े वो कौन-से मतभेद हैं जो उनको एक-दूसरे के करीब नहीं आने देते –

  • सेक्स से जुड़ा संदेह
  • गर्भ निरोधकों का प्रयोग
  • पराकाष्ठा का अभाव
  • कुछ मिथक
  • संचार का अभाव

सेक्स से जुड़ा संदेह –

सेक्स से जुड़ा सबसे बड़ा मतभेद तो संदेह होता है. जिनकी नई शादी हुई होती है उनके लिए सब कुछ नया-नया होता है. वह अपने आपको असहज महसूस करते हैं. उन्हें संदेह रहता है कि क्या वह अपने जीवनसाथी को संतुष्ट कर सकेंगे. शादी के बाद कुछ व्यक्ति अपने आपको नियंत्रण कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं. इसीलिए उन्हें डाउट रहता है. शादी के बाद वह दिन में कई बार सेक्स करना पसंद करते हैं. दोनों ही युगल यह सोचकर सुख का आनंद नहीं ले पाते कि कहीं उनका साथी उनके बारे में क्या सोच रहा होगा. वो असहज फील करते हैं. हालांकि एक समय बाद  वह यह सोचकर सहज हो जाते हैं कि दोनों के लिए सेक्स वास्तव में कितना सामान्य है. एक दूसरे के प्रति वह जरूरतमंद महसूस कर सकता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मदर्स डे पर खाने में बनाए कुछ स्पेशल, ट्राई करें ये रेसिपी

मदर्स डे आने वाला है और इस दिन आप अपनी मां को स्पेशल फील कराने के लिए उनके लिए कुछ खास बना सकती हैं. मां के इस दिन को और स्पेशल बनाने के लिए आपके साथ हम शेयर कर रहे हैं कुछ स्पेशल रेसिपी.

दाल के कबाब


सामग्री
काली मसूर की दाल- ½ किलो
देसी घी- 2 बड़े चम्मच
नमक- स्वादानुसार
हरी मिर्च- 2से4 बारीक कटी हुई
प्याज सादा गोल कटा हुआ

बनाने की विधि

सबसे पहले एक बर्तन में काली मसूर की दाल ले लीजिए. इसके बाद गैस पर कुकर गर्म होने के लिए रख दें. अब इसमें देसी घी डाले और उसमें ज़रा से जीरे के साथ भीगी हुई दाल में पानी और नमक मिलाकर उसमें 2-4 सीटी आने दें और फिर कुकर बंद कर दें.

थोड़ी देर के बाद कुकर खोले और मिश्रण को अच्छे से मैश कर लें. मैश करने के बाद इसकी छोटी-छोटी टिकिया बना लें फिर तवे पर या नॉन स्टिक पैन में इन टिक्कियों को हल्की आंच पर चपटा करके सेक लें. जब टिक्कियां तैयार हो जाएं तो उसे कटे प्याज के साथ नींबू डालकर परोसे. गार्निश के लिए आप उस पर धनिया रख भी रख सकते हैं.

चीज बौल्स

ग्रेटिड चीज 1/2 किलो
आलू-10 से 12
प्याज- 2 से 3 कटे हुए
हरी मिर्च – 2 से 3 बारीक कटी हुईं
लाल मिर्च- 2 छोटे चम्मच
ब्रेड का चूरा – 250 ग्राम
खट्टाई- 250 ग्राम
नमक- स्वादानुसार

बनाने की विधि

सबसे पहले आलू को उबाल लें. फिर इसके छिलके निकाल दें और इसे मैश कर लें फिर इसमें कटी हुई प्याज, हरी मिर्च, लाल मिर्च, खट्टाई और नमक मिला लें. अब आलू के बॉल्स बनाना शुरू करें. बॉल्स के बीच में थोड़ा सा चीज भरें और इसके बाद ब्रेड के चूरे में रोल करें डीप फ्राई कर लें। अब इन गरम गरम बॉल्स को टमैटो केचअप या फिर धनिये की चटनी के साथ परोसें.

चावल के लड्डू

सामग्री
चावल का पिसा हुआ आटा 1 किलो

पिसी हुई चीनी- 1 किलो

देसी घी-1/2 किलो

बनाने की विधि 
सबसे पहले एक साफ बर्तन ले लें. उसके बाद फिर उसमें पिसी हुई चीनी मिलाएं और लडडू बनाना शुरू कर दें. यह सबसे आसान रेसिपी है क्योंकि इसमें हमें सिर्फ तीन चीजों को अच्छे से मिलाकर लड्डू बनाने हैं.

अपने नाखूनों को बनाएं खूबसूरत, ट्राई करें नेल आर्ट के डिफरेंट पैटर्न

हमारे हाथों की खूबसूरती में सबसे बड़ा रोल नाखूनों का है. नाखूनों को सजाने की कला को नेल आर्ट कहते हैं. इसके कई प्रकार होते हैं आज हम आपको डिफरेंट टाइप्स की नेल आर्ट बताने जा रहे हैं.

1) डॉट्स- ये नेल आर्ट का सबसे आसान तरीका है. इसमें सबसे पहले अपने नेल्स को कलर कर लें. इसके बाद नेलपॉलिश के ब्रश की मदद से डॉटिंग करना शुरू करें. 90 डिग्री के एंगल पर डॉट्स करना शुरू करें.

2) स्ट्राइपस- इस डिजाइन को नाखूनों पर करने के लिए सबसे पहले नेल कलर कर लें. उसके बाद स्ट्राइपिंग ब्रश से नाखूनों के ऊपर की ओर से नीचे की तरफ स्ट्राइप बनाना शुरू करें. यहां आप सिंपल लाइन या डॉटिड लाइन भी बना सकते हैं.

 

3) हाफ मून – इस आर्ट को करने के लिए अपने नाखूनों पर पहले बेस कोट कर लें, इसके बाद नेल पर कलरफुल स्ट्राइप्स लगाएं और कुछ देर बाद इसे हटा दें. देखे यह बहुत सुंदर इफेक्ट आएगा.

4) रोज क्वार्ट्स- इस आर्ट को करने के लिए सबसे पहवे बेस कोट लगाकर फिर सफेद नेल पौलिश लगाएं. इसके बाद नाखूनों के किनारे वाइट लाइंस बनाएं. फिर आर देखेंगे कि स्टोन इफेक्ट आएगा.

5) क्लाउड्स- पहले नाखूनों पर बेस कोट लगाएं. इसके बाद ब्लू नेल पौलिश की मदद से बादलों की शेप बनाएं इसके बाद इसमें हल्का का वाइट कलर से आउटलाइन करें. आपको अच्छा इफेक्ट मिलेगा. लास्ट स्टेप में आखिर में वाइट कोट करें.

 

Mother’s Day 2024: स्किन टोन के अनुसार करें मेकअप

चेहरा हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है और इस आईने को बेदाग व खूबसूरत बनाने के लिए फेस मेकअप की सही जानकारी जरूरी है. किसी भी मेकअप की शुरुआत बेस से होती है. इसीलिए उसे स्किन का बैकड्रौप माना जाता है, जो मेकअप के लिए परफैक्ट स्किन देता है. आमतौर पर हम सभी अपने चेहरे के लिए बेस का चयन अपनी स्किनटोन के मुताबिक करते हैं. लेकिन परफैक्ट स्किन के लिए यह जरूरी है कि आप का बेस आप की स्किन के भी अनुसार हो.

आइए, जानें कि बेस का चयन कैसे करें:

बेस फौर ड्राई स्किन

यदि आप की स्किन ड्राई है तो आप टिंटिड मौइश्चराइजर, क्रीम बेस्ड फाउंडेशन या सूफले का इस्तेमाल कर सकती हैं.

टिंटिड मौइश्चराइजर

यदि आप की त्वचा साफ, बेदाग व निखरी हुई है, तो आप बेस बनाने के लिए केवल टिंटिड मौइश्चराइजर का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे लगाना बेहद आसान है. अपने हाथ में मौइश्चराइजर की कुछ बूंदें लें और अपनी उंगली से चेहरे पर जगहजगह डौट्स लगा कर एकसार फैला लें. यह एसपीएफ यानी सनप्रोटैक्शन फैक्टर के साथ भी आता है, जिस के कारण यह हमारी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है. इस के अलावा यह हमारी स्किन को तेज हवाओं व अन्य वजह से होने वाली ड्राईनैस से बचा कर मौइश्चराइज भी करता है.

क्रीम बेस्ड फाउंडेशन

यह स्किन के रूखेपन को कम कर के उसे मौइश्चराइज करता है, इसलिए यह ड्राई स्किन वालों के लिए काफी अच्छा होता है. इसे लगाने से स्किन को प्रौपर मौइश्चर मिलता है. इसे यूज करना भी आसान है. स्पैचुला से थोड़ा सा बेस हथेली पर लें और स्पंज या ब्रश की मदद से एकसार पूरे फेस पर लगा लें. इसे सैट करने के लिए पाउडर की एक परत लगाना जरूरी है. इस से बेस ज्यादा देर तक टिका रहता है.

सूफले

यह बेहद हलका होता है और फेस पर लाइट कवरेज देता है. सूफले को स्पैचुला की मदद से थोड़ा सा हथेली पर लें. फिर ब्रश या स्पंज की मदद से पूरे फेस पर एकसार फैला लें.

बेस फौर औयली स्किन

यदि आप की स्किन औयली है और पसीना बहुत आता है, तो टू वे केक का इस्तेमाल आप के लिए बेहतर है, क्योंकि यह एक वाटरपू्रफ बेस है. इस के अलावा आप अपनी स्किन के लिए पैन स्टिक और मूज का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

पैन स्टिक

यह क्रीमी फौर्म में होती है, जिस कारण स्किन को मौइश्चराइज करती है और साथ ही वाटरपू्रफ होने के कारण औयली स्किन के लिए अच्छी होती है.

टू वे केक

यह एक क्विक वाटरपू्रफ बेस है. इसे आप अपने पर्स में कैरी कर सकती हैं और कहीं भी टचअप दे सकती हैं. टू वे केक के साथ स्पंज मिलता है. इसे बेस की तरह इस्तेमाल करने के लिए स्पंज को गीला कर लें और पूरे चेहरे पर फैलाएं. टचअप देने के लिए आप सूखे स्पंज का इस्तेमाल कर सकती हैं. बस ध्यान रखें कि टू वे केक आप की स्किन से मैच करता ही हो.

मूज

मूज का इस्तेमाल औयली स्किन वालों के लिए काफी उपयुक्त रहता है. मूज चेहरे पर लगाते ही पाउडर फौर्म में तबदील हो जाता है, जिस कारण पसीना नहीं आता. यह अतिरिक्त औयल रिमूव कर के फेस को मैट फिनिश और लाइट लुक देता है. इसे हथेली में लें और स्पंज या ब्रश की मदद से चेहरे पर एकसार फैला लें.

बेस फौर नौर्मल स्किन

अगर आप की स्किन नौर्मल है, तो फाउंडेशन और कौंपैक्ट आप के लिए अच्छे औप्शन हैं.

फाउंडेशन

यह लिक्विड फौर्म में होता है. आजकल मार्केट में हर स्किन के हिसाब से ढेरों शेड्स में मिलते हैं. इसे लगाते ही स्किन एकसार दिखती है. फाउंडेशन अपनी स्किन से मैच करता या एक शेड फेयर लगाएं. इसे हथेली में लें और फिर इंडैक्स फिंगर से माथे, नाक, गालों और ठोढ़ी पर डौट्स लगाएं. स्पंज या ब्रश की सहायता से ब्लैंड कर लें. चाहें तो हाथ का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे सैट करने के लिए पाउडर की एक परत लगाना जरूरी है. इस से बेस ज्यादा समय तक टिका रहता है.

कौंपैक्ट

यह पाउडर और फाउंडेशन दोनों का मिक्स फौर्म होता है. अगर आप को कहीं जल्दी में जाना है और आप के पास समय नहीं है, तो आप सिर्फ कौंपैक्ट का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे केवल पफ की मदद से ही लगाएं. आजकल हर स्किन से मैच करते कौंपैक्ट पाउडर बाजार में उपलब्ध हैं. अपनी स्किनटोन से मैच करता कौंपैक्ट लगाएं. कौंपैक्ट का इस्तेमाल टचअप देने के लिए भी कर सकती हैं.

न्यू फाउंडेशन इन मार्केट

स्टूडियो फिक्स, डर्मा फाउंडेशन, मूज व सूफले इन दिनों मार्केट में काफी इन हैं.

स्टूडियो फिक्स

यह पाउडर और फाउंडेशन का कंबाइंड सल्यूशन है, जो लगाते वक्त क्रीमी होता है और लगाने के बाद पाउडर फार्म में तबदील हो जाता है. यह स्किन पर लाइट होते हुए भी फुल कवरेज देता है और चेहरे पर लंबे समय तक टिका रहता है.

डर्मा फाउंडेशन

यह स्टिक फार्म में होता है. यह कंसीलर व बेस दोनों का काम करता है. यह चेहरे के सभी स्कार्स व अंडरआईज डार्क सर्कल्स को छिपा के चेहरे को फुल कवरेज देता है.   

Mother’s Day 2024: किचन से जुड़ी है हमारी सेहत

क्या आप जानती हैं कि किचन के वर्किंग स्लैब, बरतन मांजने, सब्जी आदि धोने के लिए सिंक व बरतन और खाद्य सामग्री रखने के लिए मौजूद शैल्फ आदि के साथ हमारी सेहत का गहरा रिश्ता है? वर्किंग स्लैब, सिंक आदि सही ऊंचाई पर न बने हों और किचन का अन्य सामान सही तरीके से व्यवस्थित न रखा गया हो तो उस का असर शरीर पर पड़ता है, पोश्चर बिगड़ता है और इस के कारण सरवाइकल पेन, बैक पेन, पैरों में सूजन आदि समस्याओं से शरीर ग्रस्त हो जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि किचन में हमारा पोश्चर कैसे ठीक रहे ताकि सेहत ठीक रहे? यह सब बता रही हैं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की फिजियोथैरेपिस्ट पूजा ठाकुर:

किचन में सब से जरूरी बात है कि हमारी वर्किंग स्लैब, जिस पर हम कुकिंग करते हैं, सब्जियां काटते हैं, आटा गूंधते हैं यानी अधिकांश काम इसी पर होता है, उस की ऊंचाई हमारी कमर तक होनी चाहिए. यदि वर्किंग स्लैब ऊंचा होगा तो हमें उचकना पड़ेगा और नीचा होगा तो झुकना पड़ेगा. दोनों ही स्थितियां पोश्चर बिगाड़ सकती हैं.

अकसर महिलाएं एक हाथ से आटा गूंधती हैं और प्रैशर हाथ से लगाती हैं, जो सही नहीं है, क्योंकि इस से एक हाथ की मसल्स पर, शोल्डर पर और कमर पर प्रैशर पड़ने पर उस का असर

शरीर पर पड़ता है. सही तरीका है कि 1 फुट ऊंचा पटरा लें, उस पर खड़े हो कर दोनों हाथों से आटा गूंधें और प्रैशर बौडी से लगाएं ताकि पोश्चर सही रहे.

जरूरी सामान नजदीक रखें

अकसर किचन में महिलाएं नीचे के कपबोर्ड में ज्यादा सामान रखती हैं, जिस के कारण जरूरत पड़ने पर बारबार झुक कर सामान निकालती हैं, जिस का असर उन की रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है. जरूरत है अपने किचन को व्यवस्थित करने की. ज्यादा काम में आने वाले रोजमर्रा के सामान को अपनी आंख के लैवल या स्टैंडिंग लैवल पर रखें, जिस से बारबार झुकना न पड़े. बहुत ऊंचाई वाली शैल्फ पर भी रोजमर्रा का जरूरी सामान नहीं रखना चाहिए. अन्यथा उचकना पड़ेगा, वह भी सही नहीं है.

नीचे के कपबोर्ड से सामान निकालने का सही तरीका है कि दोनों पैरों को खोल कर, घुटनों को मोड़ कर बैठ कर सामान निकालें, झुक कर नहीं निकालें. इस के साथ यह भी ध्यान में रखें कि नीचे के कपबोर्ड से जो भी

सामान निकालना है, उसे बारबार बैठने के बजाय एक बार में ही निकालें.

बरतन धोने अथवा सब्जी, दालचावल आदि धोने के लिए सिंक की ऊंचाई भी कमर के लेवल पर होनी चाहिए अन्यथा झुकने पर कमर में दर्द हो सकता है.

जब आंच पर ज्यादा देर कुकिंग करनी होती है तो महिलाएं स्लैब से चिपक कर खड़ी होती हैं, जिस से पीछे की तरफ झुकना हो जाता है. ऐसे में पोश्चर खराब हो जाता है, साथ ही कमर में दर्द भी. इस का सही तरीका है कि एक छोटा पटरा या स्टूल चन में रखें. एक पैर फर्श पर रखें और दूसरा स्टूल पर. 5-7 मिनट बाद दूसरा पैर स्टूल पर रखें और पहला फर्श पर. ऐसा करने से कमर सीधी रहेगी और दर्द भी नहीं होगा. इस का कारण यह है कि पटरे पर पांव रखने से कमर के निचले हिस्से का जो कर्व है वह सीधा रहता है और शरीर का वजन भी दोनों भागों पर समानांतर विभाजित होता रहता है और थकान भी कम होती है. बहुत सी महिलाओं के पैरों में सूजन आ जाती है, वह भी इस उपाय से कम हो जाती है.

ज्यादा झुकने से बचें

यदि किचन में काफी देर काम करना है तो अच्छा है कि हर आधे घंटे बाद किचन में ही या आसपास चहलकदमी कर लें अथवा किचन में एक कुरसी रखें, उस पर बैठ जाएं. काफी देर खड़े होने से पांव की मांसपेशियां हर समय तनी रहती हैं तो दर्द होता है. पांव में सूजन आ जाती हो तो किचन में कुरसी के अलावा एक दूसरी कुरसी अथवा मूढ़ा या स्टूल रखें. उस पर आधे घंटे बाद पांव रखें और पंजों को क्लाक वाइज और एंटी क्लाकवाइज घुमाएं. 10-15 बार ऐसा करें.

किचन में काफी देर तक सब्जी आदि चलाते रहने पर सरवाइकल पेन हो जाता है और जिन्हें है उन का बढ़ जाता है. कारण है, हर समय गरदन की मांसपेशियों का तना रहना. इस के लिए थोड़ीथोड़ी देर में गरदन दाएंबाएं ऊपरनीचे घुमाते रहें.

रोटी बेलते समय, चौपिंग व कटिंग करते समय सब कुछ कमर को बिना झुकाए सही ऊंचाई पर स्थित स्लैब पर करें. पोश्चर सही रहेगा. रोटी बेलते समय गरदन को झुकाना न पड़े, यह सही स्थिति रहती है.

यदि वर्किंग स्लैब नीचा है तो उसे ऊंचा करने के लिए एक वुडन स्लैब लगाया जा सकता है पर यदि ऊंचा है तो अच्छा रहेगा कि अपनी ऊंचाई के हिसाब से पुन: बनवा लें ताकि पोश्चर ठीक रहे.

 

Mother’s Day 2024: मां को दें कौनसा स्पेशल गिफ्ट

हर साल आप मदर्स डे पर सोचते होंगे कि अपनी मां को ऐसा क्या गिफ्ट दें जो उनके काम भी आए और उनके लिए लाइफ में एक यादगार मोमेंट बन कर रह जाए. हम जानते हैं कि आप अपनी मां को एक सुंदर गिफ्ट देना चाहते हैं, लेकिन एक अच्छा गिफ्ट ढूंढना आपके लिए भारी काम हो सकता है. इसीलिए, आपकी मदद करने के लिए, हम लेकर आए हैं कुछ गिफ्ट् टिप्स, जिसे आप अपनी मां को देकर अपने इमोशन को जाहिर कर सकते हैं…

1 साड़ी है बेस्ट औप्शन

अगर आपकी मम्मी को भी साड़ियों से प्यार है और आप उन्हें अच्छी और क्लासी साड़ी गिफ्ट देना चाहते हैं तो इन दिनों कई साड़िया ट्रैंड में है जैसे रफ्फल साड़ी, सिल्क साड़ी, प्लाजो साड़ी, धोती साड़ी, स्कर्ट साड़ी आदि. इनमें से कोई भी आप अपनी मां को दे सकती हैं.

2 मां को दे सकते है मेकअप का तोहफा

हर कोई चाहता है कि जिस तरफ हर लड़की या औरत अपनी स्किन का ख्याल रखती है. उसी तरह आपकी मां जो दिन भर आपके लिए काम करती है वह भी किसी खास ओकेशन पर आपके साथ सज कर या मेकअप करके जाए. तो इस बार अपनी मम्मी को गिफ्ट करें मेकअप किट.

3 हर लेडीज को होता है ज्वैलरी का क्रेज

शादी हो या फंक्शन, आपकी मम्मी ज्वैलरी पहने बिना नहीं निकलती. इसीलिए आप चाहें तो अपनी मां को ट्रैंडी ज्वैलरी गिफ्ट कर सकती हैं, जिसे वह शादी या फंक्शन में फ्लौंट कर सकती हैं.

4 मां को परफ्यूम देकर बनाएं नया ट्रैंड

कौन कहता है कि मां परफ्यूम नही लगातीं या परफ्यूम लगाना पसंद नही करती. इस मदर्स दे आप अपनी मां को परफ्यूम देकर एक नया ट्रैंड शुरू कर सकतें हैं.

5 हेयर और बौडी स्पा का वाउचर

आपकी मां हर दिन आपके दिए भागदौड़ करती हैं, चाहे वह खाना हो या आपके कपड़ों को संभालना. हर चीज में आप मां को याद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी अपनी मां को आराम करते देखा. नहीं न, तो इस बार आप अपनी मां को हेयर और बौडी स्पा का तोहफा दे सकते हैं. मदर्स डे पर काफी सारे औफर चलते हैं, जिसमें आप चाहे तो हेयर और बौडी स्पा का तोहफा देकर अपनी मां को खुश कर सकते हैं.

 

Mother’s Day 2024: मां को दें ये 5 ट्रैंडी गिफ्ट्स

तेरे जाने के बाद: क्या माया की आंखों से उठा प्यार का परदा

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