ब्यूटी से जुड़ी परेशानियों का आसान घरेलू इलाज बताएं?

सवाल-

कानों पर बाल होने के कारण मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है. कृपया कोई उपचार बताएं, जिस से मैं इन से मुक्ति पा सकूं?

जवाब- 

बालों से हमेशा के लिए छुटकारा पाने हेतु लेजर हेयर रिमूवल औप्शन अच्छा रहेगा. लेजर लाइट की बीम बालों की जड़ों को हमेशा के लिए नष्ट कर देती है, जिस से बाल दोबारा नहीं उगते. यह उपचार करवाने के लिए किसी अच्छे सैलून में जाएं.

सवाल-

मेरी पीठ पर मुंहासे निकलने की समस्या है. इस से छुटकारा पाने लिए कोई उपाय बताइए?

जवाब-

हमारी त्वचा सीवम का प्रोडक्शन करती है, जिस से त्वचा के रोमछिद्र में गंदगी जमा हो जाती है और फिर मुंहासे हो जाते हैं. इस के अलावा मुंहासे जेनेटक, पसीना, डैंड्रफ, टाइट कपड़े पहनने से भी हो सकते हैं. इन मुंहासों को कम करने के लिए 2 चम्मच नीम पाउडर, 1/2 चम्मच नटमेग पाउडर, 1/2 चम्मच ऐलोवेरा जैल और 1/2 चम्मच गुलाबजल को एकसाथ मिलाएं. इस पेस्ट को हर दूसरे दिन अपनी बौडी पर लगाएं. टीट्री औयल में ऐंटी इनफ्लैमेटरी और माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो पीठ के ऐक्ने को दूर करने में मदद करते हैं. इस के लिए 1 चम्मच नारियल तेल में 6-7 बूंदें टीट्री औयल डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लें. इस के बाद अपनी पीठ पर अच्छी तरह से लगाएं. रातभर लगा रहने दें और दूसरे दिन साफ पानी से धो लें.

सवाल-

मुझे नेल पौलिश लगाना बहुत पसंद है. मेरी स्किन टोन बहुत डार्क है. मुझे किस रंग की नेल पौलिश लगानी चाहिए?

जवाब-

आप की स्किन टोन अगर डार्क है तो आप डीप रैड, पिंक और नियोन कलर अपने नेल्स पर लगा कर देखें. ये कलर अच्छे से ब्लैंड हो कर आप की स्किन को वाइब्रैट लुक देने का काम करते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Mother’s Day 2024: रिश्तों की बदलती परिभाषा

‘‘कविता क्या हुआ, परेशान क्यों है?’’

‘‘क्या बताऊं पूजा, मेरी सास आजकल न तो कुछ ठीक से खातीपीती हैं और न ही पहले की तरह खुश रहती हैं. उन का स्वास्थ्य दिनबदिन गिरता जा रहा है. वे कभीकभी छोटीछोटी बातों पर या तो गुस्सा करने या फिर रोने लगती हैं, जिस से घर का माहौल खराब हो जाता है. अब तुम्हीं बताओ, मैं क्या करूं?’’

‘‘तू ने इस बारे में अपने पति सुरेश और ननद रीतू से बात की?’’

‘‘हां, उन दोनों से बात की. उन का कहना है कि तुम बेकार में परेशान हो रही हो, बुढ़ापे में ये सब बातें आम होती हैं. लेकिन मैं जानती हूं पूजा, मेरी सास को कोई न कोई गम अंदर ही अंदर खाए जा रहा है, क्योंकि पहले उन का हंसमुख स्वभाव घर की रौनक होता था. उन के उस व्यवहार ने हमें सासबहू के रिश्ते में नहीं, बल्कि मांबेटी के रिश्ते में बांध रखा था, लेकिन अब उन का बातबात पर भड़क उठना मुझे परेशान कर जाता है.’’

अकेलेपन की टीस

कविता की यह समस्या भले छोटी नजर आती हो, लेकिन हकीकत में यह उस मकड़जाल की तरह है, जो समाज में व्याप्त होते हुए भी यदाकदा ही नजर आता है. दरअसल, हम आज भी पुरानी सोच की बेडि़यों में जकड़े हुए हैं, जहां अपने और पराए में हमेशा से ही भेदभाव रहा है. आज भी हम असहाय बुजुर्गों को देख कर यही सोचते हैं कि जरूर इन की दुर्गति में बहू की ही गलती रही होगी. लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि एक पराई (बहू) है तो बाकी तो अपने हैं. लेकिन जब ये अपने ही स्वार्थ की वेदी पर संस्कारों, प्यार और रिश्तों की तिलांजलि देते हुए पराए हो जाते हैं, तब ही बुजुर्ग सही माने में असहाय नजर आते हैं. यह विडंबना ही तो है कि जिस औलाद को मां अपना दूध पिला कर बड़ा करती है, बड़ा होने पर वही औलाद उसे अकेलेपन और तिरस्कार की अंधेरी खोह में धकेल देती है.

बदलता दौर और हकीकत

बदलाव जीवन का एक विशेष पहलू है. जिस तरह मौसम बदलते हैं, इंसान बदलते हैं, उसी तरह आज रिश्तों की परिभाषाएं भी बदलने लगी हैं. सासबहू का जो रिश्ता हमेशा वैमनस्य का प्रतीक माना जाता रहा है, वह अब बदलते दौर में प्रेम का प्रतीक बनता नजर आने लगा है. आज की पढ़ीलिखी, समझदार और जागरूक बहुओं ने सास और मां के बीच के फर्क को मिटाया है, तो अपनों के व्यवहार से दुखी बुजुर्गों ने भी उन्हें सहर्ष अपनाया है.

समय की ऊष्मा से पनपते रिश्ते

तिनकातिनका जोड़ कर बनाई हुई गृहस्थी को जब सास एक पल में खुशीखुशी बहू के हवाले कर देती है, तो यह बहू का कर्तव्य बनता है कि वह सास को हर हाल में खुश रखे. माना कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब पतिपत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं, तो समय का अभाव होगा ही, लेकिन 24 घंटों में से अगर कुछ क्षण भी आप अपनी सास के साथ व्यतीत करती हैं, तो यह आप के और उन के रिश्ते को ऊष्मा प्रदान करने के साथसाथ आप के भविष्य को भी मजबूत करेगा, क्योंकि आज जो आप बोएंगी वह कल आप के बच्चों के रूप में सामने आएगा. इसलिए ध्यान रखें कि जिस तरह बीता समय और मुंह से निकले शब्द वापस नहीं आते, उसी प्रकार समयचक्र की गति में विलुप्त हुए रिश्ते भी अपना वजूद खो देते हैं. जरा सी समझदारी से समय के अभाव का समाधान ढूंढ़ा जा सकता है, जैसे दैनिक कार्य करते हुए अगर सास को भी साथी बना लें, तो उन की मदद से न सिर्फ किचन का कार्य जल्दी निबट जाएगा, उन के अनुभवी हाथों से बनाए गए व्यंजनों का स्वाद भी मिल जाएगा. लेकिन इस के बाद उन की तारीफ करना न भूलें और साथ ही उन से पाककला सीख कर उस में पारंगत होने का मौका भी न खोएं ताकि उन्हें भी घर में अपनी विशेष उपस्थिति का आभास होता रहे.

राय का उपयोग

सास को खुश रखने के लिए आप समयसमय पर उन की राय जरूर लें ताकि उन्हें एहसास हो कि उन की राय आप की जिंदगी में कितनी अहमियत रखती है. इस से आप के और उन के रिश्ते को मजबूत आधार मिलने के साथसाथ उन के जीवन के अनुभवों से आप का ज्ञान भी बढ़ेगा. शौपिंग करने जाते समय कभीकभी सास को भी अपने साथ ले जाएं और खरीदारी करते समय उन की राय को अहमियत दें. कोई नया काम शुरू करने जा रही हैं या घर की साजसज्जा में कोई परिवर्तन लाना चाहती हैं, तो उन की सलाह जरूर लें. यकीन मानिए, आप की यह छोटी सी पहल उन्हें खुशी से सराबोर कर देगी.

सरप्राइज वैकेशन प्लान

हर साल आप छुट्टियों में अपने पति और बच्चों की पसंद के अनुसार घूमने जाने का प्रोग्राम बनाती हैं. लेकिन इस बार आप अपनी सास की पसंद की जगह, चाहे वह उन का पुराना शहर हो या फिर कोई नई जगह, जहां वे जाना तो चाहती हैं, लेकि न पारिवारिक व्यस्तता के चलते नहीं जा पा रही हैं, जाने का प्रोग्राम बना कर उन्हें सरप्राइज दें और उन की नीरस जिंदगी में ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार करें.

जिम्मेदारी का अनुभव

अगर आप कामकाजी महिला हैं, तो सारी जिम्मेदारियां सास पर छोड़ कर खुद निश्चिंत न रहें, बल्कि औफिस के दिनों में न सही, लेकिन छुट्टी वाले दिन अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए उन्हें घर के कामों से मुक्त कर के खुद गृहस्थी को संभालें. इस से आप को अपने घर की हर चीज का ज्ञान होने के साथसाथ आप की सास को भी उन के प्रति आप की आत्मीयता का एहसास होगा.

खास मौकों पर खास पहल

सासससुर के जन्मदिन, शादी की सालगिरह और मदर्स डे पर उन्हें मुबारकबाद और गिफ्ट जरूर दें. हमउम्र सहेलियों को बुला कर छोटा सा गैटटुगैदर करें और उन की पार्टी का हिस्सा भी बनें. उस दिन आप को उन की जो बातें पसंद हैं उन्हें सब के सामने शेयर करें तथा पार्टी में अपने पति व बच्चों को भी जरूर शामिल करें. याद रखें, गिफ्ट के मूल्य से ज्यादा उन के लिए आप की भावनाएं माने रखती हैं.

स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें

बुजुर्ग खाने की चीजों को देख कर खुद को रोक नहीं पाते. परिणामस्वरूप उन का स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है. अगर आप की सास भी कुछ इसी तरह की हैं, तो उन की इच्छा को मान देते हुए उन्हें उन की पसंद का मीठा या नमकीन खाने तो दें, लेकिन एक सीमा तक. बाद में उन्हें प्यार से उन के स्वास्थ्य के प्रति सचेत करना न भूलें. भूल से भी कटु वचनों का प्रयोग न करें. समयसमय पर उन का डाक्टर से चैकअप जरूर करवाती रहें. स्वस्थ तन और मन ही खुशहाल परिवार की निशानी हैं.

संपर्कसूत्र स्थापित करें

सास को कभी भी अकेले घर में छोड़ कर न जाएं. नौकरों के साथ तो कभी भी नहीं. अगर कभी जरूरी कार्य से जाना भी पड़ जाए तो अपनी ननद, बच्चों या देवर से उन का खयाल रखने को जरूर कहें. फोन के जरिए निरंतर उन का हालचाल पूछती रहें.

संस्कारों की नींव

बच्चों को अच्छे संस्कार दें. ध्यान रहे कि वे दादादादी, नानानानी सभी को पूरा सम्मान दें. उन की बातों की अवहेलना न करें. इस के लिए जरूरी है कि आप भी सासससुर की डांटडपट को सहजता से लें. गृहिणी रेखा गुप्ता कहती हैं, ‘‘सास हमारी मार्गदर्शिका हैं. उन की डांटडपट में भी हमारा हित छिपा होता है. मेरी सास मुझे बहुत प्यार करती हैं, लेकिन समयसमय पर मेरी गलतियों पर मुझे डांटने से परहेज भी नहीं करतीं ताकि अपनी गलतियों से सीख कर मैं परिवार में वह स्थान प्राप्त कर सकूं जोकि मेरी सास को बड़ी मुश्किलों से प्राप्त हुआ है. लेकिन इस मर्म को समझने के लिए हमें सास और मां के बीच के फर्क को मिटाना होगा.’’

समाधान

सास के एकाकीपन को दूर करने के कई आसान तरीके हैं, जैसे दोनों साथ सिनेमा देखने जाएं या फिर घर पर ही साथ बैठ कर टीवी देखते हुए सीरियलों पर हलकाफुलका हंसीमजाक या फिर चर्चा करें. विश्वास मानिए, यह चर्चा, हंसीमजाक उन के साथसाथ आप को भी खुश कर देगा और आप दोनों के रिश्ते को और पास लाएगा.          

आप अच्छी बहू हैं?

कुछ प्रश्नों के उत्तर देने से पता चल जाएगा कि आप कैसी बहू हैं… कहते हैं कि वर्तमान की नींव पर ही भविष्य की इमारत बुलंद होती है. कल आप का भविष्य कैसा होगा, यह बहुत कुछ आप के आज पर निर्भर करता है. तो आइए, देखें कि आप ने अपने वर्तमान में कैसे जी कर भविष्य के लिए क्या कुछ संजोया है:

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1. क्या अपनों की अवहेलना से आहत सास को आप ने:

क. स्नेह और सम्मान से जीवन जीने को प्रेरित किया है.

ख. कोशिश तो की पर कामयाबी नहीं मिली.

ग. यह उन के बेटेबेटियों का मामला है,मुझे क्या?

2. क्या आप अपनी सास को उपहार देती रहती हैं:

क. सास नहीं, वे मेरी मां हैं. उपहार पा कर जब वे खुश होती हैं, तो अच्छा लगता है.

ख. कोई खास मौका हो तो उपहार देती हूं.

ग. सास कोई बच्ची तो नहीं.

3. घर की साजसज्जा में बदलाव लाते समय आप:

क. सास की सलाह अवश्य लेती हैं.

ख. उन्हें बताना ही काफी है.

ग. यह मेरा घर है मैं जो चाहे करूं.

4. आप सास का जन्मदिन और शादी की सालगिरह याद रखती हैं:

क. उन्हें सब से पहले मुबारकबाद दे कर चरणस्पर्श करती हूं.

ख. कभीकभी याद रहता है, तो मुबारकबाद दे देती हूं.

ग. सच कहूं तो इग्नोर ही करती हूं.

5. क्या आप अपनी हर खुशी में सास को शामिल करती हैं:

क. जरूर, उन के बिना हर खुशी अधूरी है.

ख. सास ही नहीं, सब को खुशी में शामिल करती हूं. सब बराबर हैं.

ग. सास को शामिल करना जरूरी नहीं समझती.

6. क्या आप सास के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहती हैं:

क. समयसमय पर उन की दवा और खानपान का पूरा ध्यान रखती हूं.

ख. कभीकभी उन से दवा लेने और खानेपीने को कह देती हूं.

ग. मुझे और भी काम हैं. कम से कम अपनी तबीयत का खयाल तो वे खुद रख ही सकती हैं.

7. क्या आप अपनी सास को समय देती हैं:

क. हां, हम रोज एकदूसरे के साथ कुछ समय बिताना पसंद करते हैं.

ख. कभीकभी शाम को बात कर लेती हूं.

ग. समय ही नहीं मिल पाता. हां, तबीयत के बारे में पूछ लेती हूं.

8. आप के बच्चे दादी को सम्मान देते हैं:

क. बिलकुल. दादी उन की बैस्ट फ्रैंड हैं.

ख. थोड़ाबहुत.

ग. दादी उन्हें ओल्डटाइप लगती हैं. भई, जेनरेशनगैप है.

9. मायके वालों के आने पर:

क. सास और मायके वालों के साथ बैठ कर हंसीखुशी बातचीत करती हूं.

ख. मायके वालों को अपने कमरे में ले जा कर खुशीखुशी बातें करती हूं.

ग. मायके वालों को अलग ले जा कर सास की बुराई करती हूं.

10. औफिस से पति के आने पर:

क. उन्हें सास के साथ समय बिताने को कहती हूं.

ख. पति के साथ खुद समय बिताना पसंद करती हूं.

ग. पति से सास की चुगली करती हूं.

11. आप की सास आप के लिए क्या हैं:

क. मां से बढ़ कर, जिन की छत्रछाया में जिंदगी खुशहाल है.

ख. घर की जिम्मेदारियों से कुछ हद तक छुटकारा पाने का जरिया.

ग. सिर्फ पुरातन सोच ओर बोझ की बेडि़यां.

12. क्या आप खुशीखुशी घर के उत्सवों और त्योहारों में शामिल होती हैं:

क. हां, बिलकुल. त्योहार और उत्सव घर में खुशियां लाते हैं.

ख. हां. समाज में रहते हुए यह सब करना पड़ता है.

ग. अपने हिसाब से त्योहार मानती हूं.

यदि आप के अधिकतम उत्तर ‘क’ हैं तो:

आप एक आदर्श और कुशल बहू हैं. आप और आप की सास का रिश्ता वाकई में एक मिसाल है. आप मानती हैं कि रिश्तों की गरिमा बनाए रखने के लिए उन्हें आदर और स्नेह से सींचना जरूरी है और आप की इसी सेवा और त्याग का परिणाम भविष्य में आप के बच्चों के रूप में सामने आएगा. वे भी आप के गुणों को अपने जीवन में उतारने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे, क्योंकि आप ही उन की प्रथम गुरु हैं.

यदि आप के अधिकांश उत्तर ‘ख’ हैं तो:

आप अपनी सास को मान तो देती हैं, लेकिन दिल से नहीं और यह कहीं न कहीं आप के व्यवहार से जाहिर भी होता है. इसलिए कोशिश कर के कभी सास की निरीह आंखों में झांक कर देखें, जहां कितने ही आंसू मौन रूप से बाहर निकलने से पहले ही उन के मन पर गिर कर जज्ब हो रहे हैं. इन आंसुओं को आप नहीं देख पा रही हैं. इस का प्रभाव आगे चल कर आप के बच्चों में दिखेगा, जब वे भी आप को उचित सम्मान नहीं देंगे. इसलिए समय रहते संभल जाएं.

यदि आप के अधिकतर उत्तर ‘ग’ हैं तो:

बुरा न मानें. कहीं से भी आप एक अच्छी बहू साबित नहीं हो पा रही हैं. यह आप भी जानती हैं. इस से रिश्ते मजबूत होने के बजाय बिखरेंगे ही. माना कि आप रिश्तों में स्पेस पसंद करती हैं, लेकिन स्वतंत्रता और बहिष्कार में अंतर होता है यह जानना जरूरी है वरना इस उक्ति के आप पर चरितार्थ होते समय नहीं लगेगा कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय.

Mother’s Day Special: डिनर में परोसें गरमागरम गट्टे का पुलाव

पुलाव तो आपने कई तरह के बनाए होंगे, लेकिन क्या आपने कभी गट्टे के पुलाव के बारे में सुना है. गट्टे की सब्जी अक्सर लोगों के घर में बनती होगी पर आज हम आपको गट्टे के पुलाव की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली और दोस्तों को खिला सकते हैं. ये हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी भी होता है.

हमें चाहिए

–  2 कप बेसन

–  थोड़ा सा दही

–  1/2 छोटा चम्मच अजवाइन

–  1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च

–  1 बड़ा चम्मच प्याज चौकोर कटा

– 2 प्याज पिसे

–  4-5 कलियां लहसुन पिसा

–  1 इंच टुकड़ा अदरक का कसा हुआ

–  4-5 बड़ी इलायची

–  4-5 छोटी इलायची

–  2 छोटे टुकड़े दालचीनी

–  4-5 लौंग

–  5-6 साबूत कालीमिर्च

–  चुटकीभर हींग

–  2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर

–  1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

–  1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– थोड़ी सी हरीमिर्च कटी हुई

–  2-3 तेजपत्ते

–  घी या तेल आवश्यकतानुसार

–  1/4 कप घी

–  1 कप चावल

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

बेसन को छान कर उस में नमक, लालमिर्च, अजवाइन और इच्छानुसार चौकोर कटा प्याज डाल कर पानी की मदद से बेसन का रोल बना कर भाप में पकाएं.

पानी से निकाल कर अलग रखें व ठंडा होने पर गोलगोल कतले काटें. घी गरम करें व सुनहरा लाल होने तक तल कर अलग रखें. घी गरम करें व लालमिर्च व साबूत खड़ा गरममसाला डाल कर चटकाएं.

दही में सारा पाउडर मसाला व नमक डालें. पिसा प्याज, लहसुन व अदरक डाल कर अच्छी तरह भूनें. दही में मिला मसाला डाल कर अच्छी तरह भूनें.

गट्टों वाला उबला पानी लगभग 21/2 प्याले डाल कर उबालें व गट्टे गलाएं. 1 बड़ा चम्मच तेल या घी गरम करें. तेजपत्ते डाल कर करारे करें फिर चावल और गट्टे डाल कर ढक कर पुलाव तैयार करें. हरीमिर्चों व धनियापत्ती से सजा कर परोसें.

जानें क्या हैं फिटनैस से जुड़े 10 मिथ और उनके सच

लेखिका- शकुंतला

आजकल युवाओं में अपनी बौडी को हैल्दी बनाने का क्रेज है. इस के लिए वे तरहतरह के व्यायाम करते हैं, जिम जाते हैं और डाइटिंग करते हैं. फिटनैस को ले कर अकसर उन के मन में कुछ गलतफहमियां रहती हैं, जिन्हें मन से निकाल देना ही बेहतर होगा.

1. व्यायाम के पहले स्ट्रैच करना जरूरी है:

कुछ लोगों का कहना है कि व्यायाम करने से पहले स्ट्रैच करना चाहिए, जबकि इस से बेहतर व्यायाम के बाद डाइनामिक स्ट्रैच करना होता है जब जौइंट्स और मसल्स गरम रहती हैं. इस से स्ट्रैस कम होता है, मसल्स टैंशन कम होती है, पोस्चर और रक्तसंचार बेहतर होता है.

2. जिम में घंटों ऐक्सरसाइज करना ज्यादा लाभदायक:

यह भी सही नहीं है. ज्यादा समय तक व्यायाम या वर्कआउट करने से अच्छा है जो भी करें धैर्य से करें और सही तरीके से वर्कआउट से सर्वाधिक लाभ के लिए ऐरोबिक ऐक्सरसाइज से पहले स्ट्रैंथ ट्रेनिंग लेनी चाहिए. इस से शरीर में मौजूद कार्बोहाइड्रेट की खपत पहले होती है.

इस के बाद ऐरोबिक ऐक्सरसाइज  करने से बौडी का फैट और कोलैस्ट्रौल जलता है. सिर्फ जिम में वर्कआउट से ही सबकुछ ठीक नहीं होता है, साथ में कुछ मौडरेट ऐक्सरसाइज जैसे वाकिंग, स्विमिंग, साइक्लिंग आदि भी करते रहना चाहिए.

3. स्ट्रैंथ ट्रेनिंग बंद होने से मसल्स फैट में बदल जाती हैं:

मसल्स कभी फैट में नहीं बदलती हैं. स्ट्रैंथ ट्रेनिंग बंद होने से मसल्स मास घट सकता है, जिस के चलते मैटाबोलिज्म कम हो जाएगा. मैटाबोलिज्म धीमा होने से कम कैलोरी जलेगी और वजन बढ़ने की संभावना रहेगी. मोटापा बढ़ने से कोलन, पैंक्रियाज, किडनी, गालब्लैडर, ब्रैस्ट आदि अंगों में कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.

4. बौडी फैट जलाने का लक्ष्य साध सकते हैं:

वर्कआउट से आप अपने शरीर का फैट तो जला सकते हैं पर आप शरीर के किसी खास अंग के फैट का जलना सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं. वर्कआउट के दौरान आप की बौडी का फैट जलेगा पर बौडी किसी मनचाहे अंग का फैट जलाने का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकती है.

5. ज्यादा वजन उठाने से बौडी टोन और शेप बेहतर होगी:

वेट लिफ्टिंग से बौडी टोन और शेप अच्छी होती है पर इस से आप बौडीबिल्डर की तरह नहीं दिख सकते. महिलाओं में टेस्टोस्टेरौन की मात्रा बहुत कम होती है, जिस के चलते उन में मसल्स बिल्डिंग पुरुषों जैसी नहीं हो सकती है. वेटलिफ्टिंग से आप की कैलोरी अवश्य जलेगी और हैल्दी वेट मैंटेन रहेगा. हैल्दी वेट अनेक रोगों को दूर रखता है.

6. क्रंचेज एक बेहतर वर्कआउट है:

क्रंचेज बैली फैट जलाने में सक्षम नहीं होता है. इस के लिए कार्डियो वर्कआउट और रिजिस्टैंस ट्रेनिंग बेहतर ऐक्सरसाइज है.

7. ऐक्सरसाइज कर आप कुछ भी खा सकते हैं:

ऐक्सरसाइज का मतलब यह नहीं है कि आप का खानपान मनचाहा होगा. संतुलित और पौष्टिक आहार किसी भी ऐक्सरसाइज या वर्कआउट से ज्यादा जरूरी है. समुचित आहार  वेट मैनेजमैंट और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है. ऐक्सरसाइज या वर्कआउट आप को उचित खानपान से समझौता करने की इजाजत नहीं  देता है.

8. ट्रेडमिल पर ज्यादा चलने से वजन मैंटेन रहेगा:

ट्रेडमिल पर ज्यादा देर वर्कआउट करने से वजन ठीक रहेगा ऐसा कुछ नहीं है उलटे यह आप की कैलोरी जलाती है. ट्रेडमिल एक कार्डियो ऐक्सरसाइज है. वेट मैनेजमैंट के लिए अलग से वेट ट्रेनिंग वर्कआउट करना पड़ता है.

9. जब तक पसीना न निकले वर्कआउट पूरा नहीं होता है:

यह सब के लिए जरूरी नहीं है विशेषकर वेट लिफ्टर के लिए. वजन बढ़ाने के क्रम में बीचबीच में उसे कुछ मिनट रिलैक्स करना पड़ता है ताकि उस का नर्वस सिस्टम रिकवर कर सके और अत्यधिक वजन उठाने के लिए तैयार हो सके. इस दौरान उसे पसीना नहीं भी आ सकता है.

10. प्रत्येक वर्कआउट के बाद इलैक्ट्रोलाइट जरूरी है:

नौर्मल वर्कआउट के बाद स्पोर्ट ड्रिंक्स या इलैक्ट्रोलाइट जरूरी नहीं है. 1 घंटे से ज्यादा कार्डियो वर्कआउट या लंबी मैराथन रनिंग के मध्य में इसे लिया जा सकता है अन्यथा स्पोर्ट ड्रिंक्स पीने से अनावश्यक शुगर मिलेगा और फैट जलाने की प्रक्रिया में बाधा होगी.

पतिया सास: आखिर क्यों पति कपिल से परेशान थी उसकी पत्नी?

कविता ने टाइम देखा. घड़ी को 6 बजाते देख चौंक गई. कपिल औफिस से आते ही होंगे. किट्टी पार्टी तो खत्म हो गई थी, पर सब अभी भी गप्पें मार रही थीं. किसी को घर जाने की जल्दी नहीं थी.

कविता ने अपना पर्स संभालते हुए कहा, ‘‘मैं चलती हूं, 6 बज गए हैं.’’

नीरा ने आंखें तरेरीं, ‘‘तुझे क्या जल्दी है? मियाबीवी अकेले हो. मुझे देखो, अभी जाऊंगी तो सास का मुंह बना होगा, यह सोच कर अपना यह आनंद तो नहीं छोड़ सकती न?’’

अंजलि ने भी कहा, ‘‘और क्या… कविता, तुझे क्या जल्दी है?  हम कौन सा रोजरोज मिलते हैं?’’

‘‘हां, पर कपिल आने वाले होंगे.’’

‘‘तो क्या हुआ? पति है, सास नहीं. आराम से बैठ, चलते हैं अभी.’’

कविता बैठ तो गई पर ध्यान कपिल और घर की तरफ ही था. दोपहर वह टीवी पर पुरानी मूवी देखने बैठ गई थी. सारा काम पड़ा रह गया था. घर बिखरा सा था. उस के कपड़े भी बैडरूम में फैले थे. ड्राइंगरूम भी अव्यवस्थित था.

वह तो 4 बजे तैयार हो कर पार्टी के लिए निकल आई थी. उसे अपनी सहेलियों के साथ मजा तो आ रहा था, पर घर की अव्यवस्था उसे चैन नहीं लेने दे रही थी.

वह बैठ नहीं पाई. उठ गई. बोली, ‘‘चलती हूं यार, घर पर थोड़ा काम है.’’

‘‘हां, तो जा कर देख लेना, कौन सी तेरी सास है घर पर, आराम से कर लेना,’’

सीमा झुंझलाई, ‘‘ऐसे डर रही है जैसे सास हो घर पर.’’

कविता मुसकराती हुई सब को बाय कह कर निकल आई. घर कुछ ही दूरी पर था. सोचा कि आज शाम की सैर भी नहीं हो पाई, हैवी खाया है, थोड़ा पैदल चलती हूं, चलना भी हो जाएगा. फिर वह थोड़े तेज कदमों से घर की तरफ बढ़ गई. सहेलियों की बात याद कर मन ही मन मुसकरा दी कि कह रही थीं कि सास थोड़े ही है घर पर… उन्हें क्या बताऊं चचिया सास, ददिया सास तो सब ने सुनी होंगी, पता नहीं पतिया सास किसी ने सुनी भी है या नहीं.

‘पति या सास’ पर वह सड़क पर अकेली हंस दी. जब उस का विवाह हुआ, सब सहेलियों ने ईर्ष्या करते हुए कहा था, ‘‘वाह कविता क्या पति पाया है. न सास न ससुर, अकेला पति मिला है. कोई देवरननद का चक्कर नहीं. तू तो बहुत ठाट से जीएगी.’’

कविता को भी यही लगा था. खुद पर इतराती कपिल से विवाह के बाद वह दिल्ली से मुंबई आ गई थी. कपिल ने अकेले जीवन जीया है, वह उसे इतना प्यार देगी कि वे अपना सारा अकेलापन भूल जाएंगे. बस, वह होगी, कपिल होंगे, क्या लाइफ होगी.

कपिल जब 3 साल के थे तभी उन के मातापिता का देहांत हो गया था. कपिल को उन के मामामामी ने ही दिल्ली में पालापोसा था, नौकरी मिलते ही कपिल मुंबई आ गए थे.

खूब रंगीन सपने संजोए कविता ने घरगृहस्थी संभाली तो 1 महीने में ही उसे महसूस हो गया कि कपिल को हर बात, हर चीज अपने हिसाब से करने की आदत है. हमेशा अकेले ही सब मैनेज करने वाले कपिल को 1-1 चीज अपनी जगह साफसुथरी और व्यवस्थित चाहिए होती थी. घर में जरा भी अव्यवस्था देख कर कर चिढ़ जाते थे.

कविता को प्यार बहुत करते थे पर बातबात में उन की टोकाटाकी से कविता को समझ आ गया था कि सासससुर भले ही नहीं हैं पर उस के जीवन में कपिल ही एक सास की भूमिका अदा करेंगे और उस ने अपने मन में कपिल को नाम दे दिया था पतिया सास.

कपिल जब कभी टूअर पर जाते तो कविता को अकेलापन तो महसूस होता पर सच में ऐसा ही लगता है जैसे अब घर में उसे बातबात पर कोई टोकेगा नहीं. वह अंदाजा लगाती है, सहेलियों को सास के कहीं जाने पर ऐसा ही लगता होगा. वह फिर जहां चाहे सामान रखती है, जब चाहे काम करती है. ऐसा नहीं कि वह स्वयं अव्यवस्थित इनसान है पर घर घर है कोई होटल तो नहीं. इनसान को सुविधा हो, आराम हो, चैन हो, यह क्या जरा सी चीज भी घर में इधरउधर न हो. शाम को डोरबैल बजते ही उसे फौरन नजर डालनी पड़ती है कि कुछ बिखरा तो नहीं है. पर कपिल को पता नहीं कैसे कहीं धूल या अव्यवस्था दिख ही जाती. फिर कभी चुप भी तो नहीं रहते. कुछ न कुछ बोल ही देते हैं.

यहां तक कि जब किचन में भी आते हैं तो कविता को यही लगता है कि साक्षात सासूमां आ गई हैं, ‘‘अरे यह डब्बा यहां क्यों रखती हो? फ्रिज इतना क्यों भरा है? बोतलें खाली क्यों हैं? मेड ने गैस स्टोव ठीक से साफ नहीं किया क्या? उसे बोलो कभी टाइल्स पर भी हाथ लगा ले.’’

कई बार कविता कपिल को छेड़ते हुए कह भी देती, ‘‘तुम्हें पता है तुम टू इन वन हो.’’

वे पूछते हैं, ‘‘क्यों?’’

‘‘तुम में मेरी सास भी छिपी है. जो सिर्फ मुझे दिखती है.’’

इस बात पर कपिल झेंपते हुए खुले दिल से हंसते तो वह भी कुछ नहीं कह पाती. सालों पहले उस ने सोच लिया था कि इस पतिया सास को जवाब नहीं देगी. लड़ाईझगड़ा उस की फितरत में नहीं था. जानती थी टोकाटाकी होगी. ठीक है, होने दो, क्या जाता है, एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल देती हूं. अब तो विवाह को 20 साल हो गए हैं. एक बेटी है, सुरभि. सुरभि के साथ मिल कर वह अकसर इस पतिया सास को छेड़ती रहती है. 2 ही तो रास्ते हैं या तो वह भी बहू बन कर इस पतिया सास से लड़ती रहे या फिर रातदिन होने वाली टोकाटाकी की तरफ ध्यान ही न दे जैसाकि वह सचमुच सास होने पर करती.

सुरभि भी क्लास से आती होगी. यह सोचतेसोचते वह अपनी बिल्डिंग तक पहुंची ही थी कि देखा कपिल भी कार से उतर रहे थे. कविता को देख कर मुसकराए. कविता भी मुसकराई और घर जा कर होने वाले वार्त्तालाप का अंदाजा लगाया, ‘‘अरे ये कपड़े क्यों फैले हैं? क्या करती हो तुम? 10 मिनट का काम था… यह सुरभि का चार्जर अभी तक यहीं रखा है, वगैरहवगैरह.’’

कपिल के साथ ही वह लिफ्ट से ऊपर आई. घर का दरवाजा खोल ही रही थी कि कपिल ने कहा, ‘‘कविता, कल मेड से दरवाजा साफ करवा लेना, काफी धूल जमी है दरवाजे पर.’’

‘‘अच्छा,’’ कह कर कविता ने मन ही मन कहा कि आ गई पतिया सास, कविता, सावधान.

Summer Special: औयली स्किन से छुटकारा दिलाएंगे ये 5 होममेड फेस पैक

औयली (तैलीय) त्वचा वाली महिलाओं को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है. त्वचा पर मौजूद अधिक तेल चेहरे को चिपचिपा बना देता हे, जिस से चेहरे पर कीलमुंहासे होने का डर बना रहता है, लेकिन अब इस डर को घर में बनाए जाने वाले फेस पैक, जिन्हें घरेलू फेस पैक के नाम से भी जानते हैं, का इस्तेमाल कर दूर किया जा सकता है.

डा. दीपाली भारद्वाज, त्वचा रोग विशेषज्ञा बताती हैं कि तैलीय त्वचा से परेशान बहुत सी महिलाएं उन के पास आती हैं, जो विभिन्न क्रीमों व अन्य चिकित्सीय उपचार ले चुकी होती हैं, लेकिन डा. दीपाली के मुताबिक घरेलू उपचार से बेहतर कोई इलाज नहीं.

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इन 5 घरेलू उपचारों का प्रयोग कर आप औयली त्वचा की परेशानियों से छुटकारा पा सकती हैं:

1 केला, शहद और लैमन फेस पैक: केला सेहत के लिए तो फायदेमंद होता ही है, साथ ही यह त्वचा से अतिरिक्त तेल निकालने में भी मदद करता है. केले के साथ शहद और नीबू भी कमाल के गुणों से भरपूर होते हैं. आप को अपने लिए फेस पैक बनाने के लिए बस इतना करना है कि एक केले को मैश कर उस में 1 चम्मच शहद और नीबू का रस मिला कर इस मिश्रण को चेहरे पर तब तक लगाए रखना है जब तक कि यह सूख न जाए. फिर चेहरे को कुनकुने पानी से धो लें.

2 पपीता व लैमन फेस पैक: पपीता एक ऐसा फल है, जो कहीं भी आसानी से मिल जाता है. तैलीय त्वचा के लिए यह अद्भुत विकल्प है. पपीते का फेस पैक बनाने के लिए इसे अच्छी तरह मैश कर के इस में नीबू का रस मिलाएं और फिर करीब 20 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखने के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें.

3 मुल्तानी मिट्टी व गुलाबजल: तैलीय त्वचा के लिए मुलतानी मिट्टी किसी वरदान से कम नहीं है. यह एक प्रकार की औषधीय मिट्टी है. इस में गुलाबजल मिला कर चेहरे पर लगाने से त्वचा से औयल भी निकल जाता है और वह कोमल भी बन जाती है.

4 ऐलोवेरा: ऐलोवेरा जहां पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है वहीं यह तैलीय त्वचा के लिए भी काफी उपयोगी होता है. तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के लिए आप ऐलोवेरा में शहद मिला कर चेहरे पर लगाएं. यह फेस पैक यकीनन लाभकारी सिद्ध होगा.

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5 अंडा: अंडा प्रोटीन, विटामिन और विभिन्न मिनरल्स से भरपूर होता है, जो त्वचा को पूरी तरह स्वस्थ रखने का काम करता है. औयली त्वचा से छुटकारा पाने के लिए इस फेस पैक को जरूर ट्राई करें. यह पैक बनाना बहुत आसान है. 1 चम्मच शहद में अंडे की सफेदी मिला कर चेहरे पर लगाएं. 8-10 मिनट लगा रहने के बाद चेहरे को धो लें.

-पूजा

Mother’s Day 2024: एक्सपायर हुए कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को करें रिजेक्ट

जैसे ही किसी प्रोडक्‍ट की एक्‍सपॉयरी डेट आती है, उसे तुंरत फेंक देना चाहिए. लेकिन कई महिलाएं ऐसी होती हैं जो ढ़ेर सारे कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को खरीद लाती हैं और फिर उन्‍हें नियमित रूप से इस्‍तेमाल नहीं करती हैं जिसके कारण वो रखे-रखे ही खराब हो जाते हैं. फाउंडेशन, मस्‍कारा, आईलाइनर आदि को कोई भी डेली नहीं लगाता है, अगर वो वर्किंग नहीं है. मेकअप प्रोडक्‍ट को रखने के लिए उनकी गाइडलाइन को अवश्‍य फॉलो करें और उनकी एक्‍सपायरी डेट भी जरूर देख लें. साथ ही आपको यह जानकारी भी रखनी चाहिए कि कौन से प्रोडक्‍ट को कितने समय तक अधिकतम, अपने मेकअप किट में रखा जा सकता है. सालों तक प्रोडक्‍ट को किट में रखने से वो सही नहीं बने रहते हैं और न ही उनके इस्‍तेमाल से त्‍वचा स्‍वस्‍थ रहेगी. बल्कि ऐसे उत्‍पाद, त्‍वचा पर बुरा असर छोड़ देते हैं.

1. मस्‍कारा : तीन महीने तक ही एक मस्‍कारा को इस्‍तेमाल करें. उसके बाद इसके इस्‍तेमाल करने से पलकें झड़ सकती हैं और आंखों में लालामी आ सकती है. साथ ही संक्रमण होने का डर भी बना रहता है.

2. फाउंडेशन: फाउंडेशन को एक साल से ज्‍यादा इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे हाथों से भी नहीं लगाना चाहिए वरना इंफेक्‍शन होने का डर बना रहता है. साथ ही इसे कूल और ड्राई स्‍थान पर रखना चाहिए.

3. आईलाइनर: लिक्विड आईलाइनर हो या पेंसिल आईलाइनर; दोनों को ही अधिकतम 8 महीने तक इस्‍तेमाल करना चाहिए. जब यह हल्‍का सा ड्राई हो जाता है तो इसका यूज करना बंद कर दें, वरना आंखों में भारीपन लगता है.

4. कंसीलर: कंसीलर को कोई भी नियमित इस्‍तेमाल करना नहीं चाहता है. इसे खरीदने के बाद अधिकतम 12 से 18 महीने तक ही मेकअप में रखें. बाद में इसे हटा दें, वरना आपकी त्‍वचा पर पैचेस भी पड़ सकते हैं.

5. ब्‍लश और ब्रोंजर: ब्‍लश और ब्रोंजर को आप 2 साल तक मेकअप किट में रख सकती हैं. लेकिन इसे ड्राई एंड कूल प्‍लेस पर रखना चाहिए. अगर यह सूख जाता है तो इसे तुरंत हटा दें. इसके ब्रशों को गंदा न होने दें, गंदे पर उन्‍हें तुरंत बदल दें.

6. लिपस्टिक: लिपस्टिक को एक साल तक रख सकते हैं लेकिन अगर आप इसे सीधे होंठो पर न लगाकर कॉटन बॉल से लगाती हैं तो इसे काफी लम्‍बे समय तक स्‍टोर किया जा सकता है.

7. आईशैडो: अगर पाउडर आईशैडो है तो दो साल तक स्‍टोर कर सकते हैं और क्रीम शैडो को एक साल तक स्‍टोर कर सकते हैं. इनके ब्रशों को बिल्‍कुल क्‍लीन रखें, ताकि आपको बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन न होने पाएं.

8. लिप ग्‍लॉस: लिप ग्‍लॉस को 6 महीने में ही बदल दें. वरना होंठ काले पड़ सकते हैं या उनमें कोई और समस्‍या आ सकती है.

 

Mother’s Day 2024- अधूरी मां: क्या खुश थी संविधा

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Mother’s Day 2024: बिट्टू: नौकरीपेशा मां का दर्द

‘‘आज बिट्टू ने बहुत परेशान किया,’’ शिशुसदन की आया ने कहा. ‘‘क्यों बिट्टू, क्या बात है? क्यों इन्हें परेशान किया?’’ अनिता ने बच्चे को गोद में उठा कर चूम लिया और गोद में लिएलिए ही आगे बढ़ गई.

बिट्टू खामोश और उदास था. चुपचाप मां की गोद में चढ़ा इधरउधर देखता रहा. अनिता ने बच्चे की खामोशी महसूस की. उस का बदन छू कर देखा. फिर स्नेहपूर्वक बोली, ‘‘बेटे, आज आप ने मां को प्यार नहीं किया?’’ ‘‘नहीं करूंगा,’’ बिट्टू ने गुस्से में गरदन हिला कर कहा.

‘‘क्यों बेटे, आप हम से नाराज हैं?’’ ‘‘हां.’’

‘‘लेकिन क्यों?’’ अनिता ने पूछा और फिर बिट्टू को नीचे उतार कर सब्जी वाले से आलू का भाव पूछा और 1 किलो आलू थैले में डलवाए. कुछ और सब्जी खरीद कर वह बिट्टू की उंगली थामे धीरेधीरे घर की ओर चल दी. ‘‘मां, मैं टाफी लूंगा,’’ बिट्टू ने मचल कर कहा.

‘‘नहीं बेटे, टाफी से दांत खराब हो जाते हैं और खांसी आने लगती है.’’ ‘‘फिर बिस्कुट दिला दो.’’

‘‘हां, बिस्कुट ले लो,’’ अनिता ने काजू वाले नमकीन बिस्कुट का पैकेट ले कर 2 बिट्टू को पकड़ा दिए और शेष थैले में डाल लिए. अनिता बेहद थकी हुई थी. उस की इच्छा हो रही थी कि वह जल्दी से जल्दी घर पहुंच कर बिस्तर पर ढेर हो जाए. पंखे की ठंडी हवा में आंखें मूंदे लेटी रहे और अपने दिलोदिमाग की थकान उतारती रहे. फिर कोई उसे एक प्याला चाय पकड़ा दे और चाय पी कर वह फिर लेट जाए.

लेकिन ऐसा संभव नहीं था. घर जाते ही उसे काम में जुट जाना था. महरी भी 2-3 दिन की छुट्टी पर थी. यही सब सोचते हुए अनिता घर पहुंची. साड़ी उतार कर एक ओर रख दी और पंखा पूरी गति पर कर के ठंडे फर्श पर लेट गई. बिट्टू ने अपने मोजे और जूते उतारे और उस के ऊपर आ कर बैठ गया.

‘‘मां…’’ ‘‘हूं.’’

‘‘कल से मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘कहां?’’

‘‘वहीं, जहां रोज तुम मुझे छोड़ देती हो. मैं सारा दिन तुम्हारे पास रहूंगा,’’ कहते हुए बिट्टू अपना चेहरा अनिता के गाल से सटा कर लेट गया. ‘‘फिर मैं दफ्तर कैसे जाऊंगी?’’ अनिता ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘मत जाइए,’’ बिट्टू ने मुंह फुला लिया. ‘‘फिर मेरी नौकरी नहीं छूट जाएगी?’’

‘‘छूट जाने दीजिए…लेकिन कल मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘मत जाना,’’ अनिता ने झुंझलाते हुए कह दिया.

‘‘वादा,’’ बिट्टू ने बात की पुष्टि करनी चाही. ‘‘हां…देखूंगी,’’ कह कर अनिता अतीत में खो गई.

नौकरी करने की अनिता की बिलकुल इच्छा नहीं थी. वह तो घर में ही रहना चाहती थी. और घर में रह कर वह ऐसा काम जरूर करना चाहती थी, जिस से कुछ आर्थिक लाभ होता रहे. शुरू में उस ने अपनी यह इच्छा अजय पर जाहिर की थी. सुन कर वे बेहद खुश हुए थे और वादा कर लिया था कि वे कोशिश करेंगे कि उसे जल्दी ही कोई काम मिल जाए.

बिट्टू डेढ़ साल का ही था, जब एक दिन अजय खुशी से झूमते हुए आए और बोले, ‘आज मैं बहुत खुश हूं.’

‘क्या हुआ?’ अनिता ने आश्चर्य से पूछा. ‘तुम्हें नौकरी मिल गई है.’

‘क्या?’ उस का मुंह खुला रह गया, ‘लेकिन अभी इतनी जल्दी क्या थी.’ ‘क्या कहती हो. नौकरी कहीं पेड़ों पर लगती है कि जब चाहो, तोड़ लो. मिलती हुई नौकरी छोड़ना बेवकूफी है,’ अजय अपनी ही खुशी में डूबे, बोले जा रहे थे. उन्होंने अनिता के उतरे हुए चेहरे की तरफ नहीं देखा था.

‘लेकिन अजय, मैं अभी नौकरी नहीं करना चाहती. बिट्टू अभी बहुत छोटा है. जरा सोचो, भला मैं उसे घर में अकेले किस के पास छोड़ कर जाऊंगी.’ ‘तुम इस की चिंता मत करो,’ अजय ने अपनी ही रौ में कहा.

‘क्यों न करूं. जब तक बिट्टू बड़ा नहीं हो जाता, मैं घर से बाहर जा कर नौकरी करने के बारे में सोच भी नहीं सकती.’ ‘कैसी पागलों जैसी बातें करती हो.’

‘नहीं, अजय, तुम कुछ भी कहो, मैं बिट्टू को अकेले…’ ‘मेरी बात तो सुनो, आजकल कितने ही शिशुसदन खुल गए हैं. वहां नौकरीपेशा महिलाएं अपने बच्चों को सुबह छोड़ जाती हैं और शाम को वापस ले जाती हैं,’ अजय ने मुसकराते हुए कहा.

‘नहीं, मैं अपने बच्चे को अजनबी हाथों में नहीं सौपूंगी,’ अनिता ने परेशान से स्वर में कहा. ‘बिट्टू वहां अकेला थोड़े ही होगा. सुनो, वहां तो 3-4 महीने तक के बच्चे महिलाएं छोड़ जाती हैं. क्या उन्हें अपने बच्चों से प्यार नहीं होता?’ अनिता के सामने कुरसी पर बैठा अजय उसे समझाने की कोशिश कर रहा था.

‘लेकिन…’ ‘लेकिन क्या?’ अजय ने झुंझला कर कहा.

अनिता अभी भी असमंजस में पड़ी थी. भला डेढ़ साल का बिट्टू उस के बिना सारा दिन अकेला कैसे रहेगा. यही सोचसोच कर वह परेशान हुई जा रही थी. ‘तुम देखना, 4-5 दिन में ही बिट्टू वहां के बच्चों के साथ ऐसा हिलमिल जाएगा कि फिर घर आने को उस का मन ही नहीं करेगा,’ अजय ने कहा.

लेकिन अनिता का मन ऊहापोह में ही डूबा रहा. वह अपने मन को व्यवस्थित नहीं कर पा रही थी. बिट्टू को अपने से सारे दिन के लिए अलग कर देना उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था. जब पहले दिन अनिता बिट्टू को शिशुसदन छोड़ने गई थी तो वह इस तरह बिलखबिलख कर रोया था कि अनिता की आंखें भर आई थीं. अजय उस का हाथ पकड़ कर खींचते हुए वहां से ले गए थे.

दफ्तर में भी सारा दिन उस का मन नहीं लगा था. उस की इच्छा हो रही थी कि वह सब काम छोड़ कर अपने बच्चे के पास दौड़ी जाए और उसे गोद में उठा कर सीने से लगा ले. कितना वक्त लगा था अनिता को अपनेआप को समझाने में. शुरूशुरू में वह यह देख कर संतुष्ट थी कि बिट्टू जल्दी ही और बच्चों के साथ हिलमिल गया था. लेकिन इधर कई दिनों से वह देख रही थी कि बिट्टू जैसेजैसे बड़ा होता जा रहा था, कुछ गंभीर दिखने लगा था.

वह जब भी दफ्तर से लौटती तो देखती कि बिट्टू सड़क की ओर निगाहें बिछाए उस का इंतजार कर रहा होता. अपने बेटे की आंखों में उदासी और सूनापन देख कर कभीकभी वह सहम सी जाती.

दरवाजे की घंटी बजी तो अनिता की तंद्रा टूटी. बिट्टू उस के चेहरे पर ही अपना चेहरा टिकाए सो गया था. उसे धीरे से उस ने बिस्तर पर लिटाया और जल्दी से गाउन पहन कर दरवाजा खोला तो अजय ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है, आज बड़ी थकीथकी सी लग रही हो?’’ ‘‘नहीं, ऐसे ही कुछ…तुम बैठो मैं चाय लाती हूं,’’ अनिता ने कहा और रसोई में आ गई. लेकिन रसोई में घुसते ही वह सिर पकड़ कर बैठ गई. वह भूल ही गई थी कि महरी छुट्टी पर है. सारे बरतन जूठे पड़े थे. उस ने जल्दी से कुछ बरतन धोए और चाय का पानी चढ़ा दिया.

‘‘बिट्टू क्या कर रहा है?’’ चाय का घूंट भरते हुए अजय ने पूछा. ‘‘सो रहा है.’’

‘‘इस समय सो रहा है?’’ सुन कर अजय को आश्चर्य हुआ. ‘‘हां, शायद दोपहर में सोया नहीं होगा,’’ अनिता ने कहा और फिर दो क्षण रुक कर बोली, ‘‘सुनो, आज बिट्टू बहुत परेशान था. उस ने मुझ से ठीक से बात भी नहीं की. बहुत गुमसुम और गंभीर दिखाई दे रहा था.’’

‘‘क्यों?’’ अजय ने हैरानी से पूछा. ‘‘कह रहा था कि मुझे वहां अच्छा नहीं लगता. मैं घर पर ही रहूंगा. दरअसल, वह चाहता है कि मैं सारा दिन उस के पास रहूं,’’ अनिता ने झिझकते हुए कहा.

अजय थोड़ी देर सोचते रहे, फिर बोले, ‘‘तुम खुद ही उस से चिपकी रहना चाहती हो.’’ ‘‘क्या कहा तुम ने?’’ अनिता के अंदर जैसे भक्क से आग जल उठी, ‘‘मैं उस की मां हूं, दुश्मन नहीं. फिर तुम्हारी तरह निर्दयी भी नहीं हूं, समझे.’’

‘‘शांत…शांत…गुस्सा मत करो. जरा ठंडे दिमाग से सोचो. इस के अलावा और कोई हल है इस समस्या का?’’ ‘‘खैर, छोड़ो इस बात को. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. साहब के लड़के के जन्मदिन पर देने के लिए कोई तोहफा खरीदना है.’’

‘‘तुम चले जाओ, आज मैं नहीं जा पाऊंगी,’’ अनिता उठते हुए बोली. ‘‘तुम्हारी बस यही आदत मुझे अच्छी नहीं लगती. जराजरा सी बात पर मुंह फुला लेती हो. उठो, जल्दी से तैयार हो जाओ.’’

‘‘नहीं, अजय, मुंह फुलाने की बात नहीं है. काम बहुत है. महरी भी छुट्टी पर है. अभी कपड़े भी धोने हैं.’’ ‘‘अच्छा फिर रहने दो. मैं ही चला जाता हूं.’’

अनिता चाय के बरतन समेट कर जाने लगी तो अजय ने फिर पुकारा, ‘‘अरे, सुनो.’’ ‘‘अब क्या है?’’ उस ने मुड़ कर पूछा.

‘‘जरा देखना, कोई ढंग की कमीज है, पहनने के लिए.’’ ‘‘तुम उस की चिंता मत करो,’’ अनिता ने कहा और अंदर चली गई. अजय ने चप्पलें पैरों में डालीं और फिर बिना हाथमुंह धोए ही बाहर निकल गया. अनिता ने बिट्टू को उठा कर नाश्ता कराया और फिर उसे खिलौनों के बीच में बैठा दिया.

घर भर के काम से निबट कर अनिता खड़ी हुई तो देखा, घड़ी 12 बजा रही थी. कमरे में आई तो देखा कि अजय और बिट्टू दोनों फर्श पर गहरी नींद में डूबे हुए हैं. वह भी बत्ती बुझा कर बिट्टू के बगल में लेट गई. शीघ्र ही गहरी नींद ने उसे आ घेरा. सुबह शिशुसदन जाने के लिए तैयार होते वक्त बिट्टू फिर बिगड़ने लगा, ‘‘मैं वहां नहीं जाऊंगा. मैं घर में ही रहूंगा. बगल वाली चाची को देखो, सारा दिन घर में रहती हैं बबली को वह हमेशा अपने पास रखती हैं. और तुम मुझे हमेशा दूसरों के पास छोड़ देती हो. तुम गंदी मां हो, अच्छी नहीं हो. मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’

‘‘हम आप के लिए बहुत सारी चीजें लाएंगे. जिद नहीं करते बिट्टू. फिर तुम अकेले तो वहां नहीं होते. वहां कितने सारे तुम्हारे दोस्त होते हैं. सब के साथ खेलते हो. कितना अच्छा लगता होगा,’’ अनिता ने समझाने के लहजे में कहा. ‘‘नहीं, मुझे अच्छा नहीं लगता. मैं वहां नहीं जाऊंगा. आया डांटती रहती है. कल मेरी निकर खराब हो गई थी. मैं ने जानबूझ कर थोड़े ही खराब की थी.’’

‘‘हम आया को डांट देंगे. चलो, जल्दी उठो. देर हो रही है. जूतेमोजे पहनो.’’ ‘‘मैं यहीं लेटा रहूंगा?’’ बिट्टू जमीन पर फैल गया.

अनिता को अब खीझ सी होती जा रही थी, ‘‘बिट्टू, जल्दी से उठ जा, वरना पिताजी बहुत गुस्सा होंगे. दफ्तर को भी देर हो रही है.’’ ‘‘होने दो,’’ बिट्टू ने चीख कर कहा और दूसरी तरफ पलट गया. अनिता बारबार घड़ी देख रही थी. उसे गुस्सा आ रहा था, पर वह गुस्से को दबा कर बिट्टू को समझाने की कोशिश कर रही थी.

‘‘अरे भई, क्या बात है, कितनी देर लगाओगी?’’ बाहर से अजय ने पुकारा. ‘‘बस, 2 मिनट में आ रही हूं,’’ अनिता ने चीख कर अंदर से जवाब दिया और बिट्टू से बोली, ‘‘देख, अब जल्दी से उठ जा, नहीं तो मैं तुझे थप्पड़ मार दूंगी.’’

‘‘नहीं उठूंगा,’’ बिट्टू चिल्लाया. ‘‘नहीं उठेगा?’’

‘‘नहीं…नहीं…नहीं जाऊंगा…तुम जाओ…मैं यहीं रहूंगा.’’ ‘तड़ाक.’ अनिता ने गुस्से से एक जोरदार तमाचा उस के गाल पर दे मारा, ‘‘अब उठता है कि नहीं, या लगाऊं दोचार और…’’

अनिता का गुस्से से भरा चेहरा देख कर और थप्पड़ खा कर बिट्टू सहम गया. वह धीरे से उठ कर बैठ गया और डबडबाई आंखों से अनिता की ओर देखने लगा. फिर चुपचाप उठ कर जूतेमोजे पहनने लगा. अनिता उस का हाथ पकड़ कर करीबकरीब घसीटते हुए बाहर आई. दरवाजे पर ताला लगाया और स्कूटर पर पीछे बैठ गई. हमेशा की तरह बिट्टू आगे खड़ा हो गया.

शिशुसदन में छोड़ते वक्त अनिता ने बिट्टू को प्यार किया और अपना गाल उस की तरफ बढ़ा दिया पर बिट्टू ने अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया और आगे बढ़ गया. ‘‘अच्छा बिट्टू,’’ अनिता ने हाथ हिलाया पर बिट्टू ने मुड़ कर भी नहीं देखा.

अनिता को आघात लगा, ‘‘बिट्टू,’’ उस ने फिर पुकारा.

‘‘अब चलो भी. पहले ही इतनी देर हो गई है,’’ अजय ने अनिता का हाथ पकड़ कर लगभग घसीटते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा कोई भी काम समय से नहीं होता,’’ स्कूटर स्टार्ट करते हुए उस ने अनिता की ओर देखा. वह अभी भी बिट्टू को जाते हुए देख रही थी.

‘‘अब बैठो न, खड़ीखड़ी क्या देख रही हो. तुम औरतों में तो बस यही खराबी होती है. जराजरा सी बात पर परेशान हो जाती हो,’’ अजय ने झल्लाते हुए कहा. पर अनिता अब भी वैसे ही खड़ी थी, मानो उस ने अजय की आवाज को सुना ही न हो.

‘‘तुम चलती हो या मैं अकेला चला जाऊं?’’ अजय दांत पीसते हुए बोला. लेकिन अनिता जैसे वहां हो कर भी नहीं थी. उस की आंखों में बिट्टू का सहमा हुआ चेहरा और उस की निरीह खामोशी तैर रही थी. वह सोच रही थी, बिट्टू छोटा है, हमारे वश में है. क्या इसी लिए हमें यह अधिकार मिल जाता है कि हम उस के जायज हक को भी इस तरह ठुकरा दें.

‘‘सुना नहीं…मैं ने क्या कहा?’’ अजय ने चिल्लाते हुए कहा तो अनिता चौंक गई. ‘‘नहीं…मैं कहीं नहीं जाऊंगी,’’ अनिता ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए कहा.

‘‘क्या? तुम्हारा दिमाग तो सही है.’’ ‘‘हां, बिलकुल सही है,’’ अनिता ने कोमल स्वर में कहा, ‘‘सुनो, हम ने उसे पैदा कर के उस पर कोई एहसान नहीं किया है. अपने सुख और अपनी खुशियों के लिए उसे जन्म दिया है. क्या हमारा यह फर्ज नहीं बनता कि हम भी उस की खुशियों और उस के सुख का ध्यान रखें?

‘‘अजय, मैं घर पर ही रहूंगी. मैं नहीं चाहती कि अभी से उस के दिल में मांबाप के प्रति नफरत की चिंगारी पैदा हो जाए और फिर मांबाप का प्यार पाना उस का हक है. मैं नहीं चाहती कि उस के कोमल मनमस्तिष्क पर कोई गांठ पड़े. मैं उतने पैसे में ही काम चला लूंगी जितना तुम्हें मिलता है पर बिट्टू को उस के अधिकार मिलने ही चाहिए.’’ ‘‘तो तुम्हें नहीं जाना?’’

‘‘नहीं,’’ अनिता ने दृढ़ स्वर में कहा. अजय ने स्कूटर स्टार्ट किया और तेजी के साथ दूर निकल गया. अनिता धीमे कदमों से वापस लौट गई. उस का मन अब बेहद शांत था. उसे अपने निर्णय पर कोई दुख नहीं था.

Mother’s Day 2024: स्नैक्स में बनाएं स्वादिष्ट पनीर और आम के रोल्स

अगर आप भी बच्चों के लिए कोई नई हेल्दी और टेस्टी रेसिपी की तलाश कर रही हैं तो पनीर आम रोल्स की रेसिपी आप के लिए परफेक्ट है. पनीर आम रोल्स आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जो आपको प्रोटीन का अच्छा सोर्स साबित होगा.

हमें चाहिए

– 1 दशहरी आम पका

– 50 ग्राम पनीर

– 1 बड़ा चम्मच बादाम फ्लैक्स

– 2 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

– 1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– थोड़ी सी स्ट्राबेरी लंबे पतले कटे टुकड़े

– थोड़ा सा बारीक कटा पिस्ता.

बनाने का तरीका

आम को छील कर लंबाई में स्लाइस कर लें. 7 स्लाइस बनेंगे. पनीर को हाथ से मसल कर इस में चीनी पाउडर, इलायची चूर्ण व बादाम के फ्लैक्स मिला दें. प्रत्येक स्लाइस पर थोड़ा सा पनीर वाला मिश्रण रख कर रोल कर दें. पिस्ता व स्ट्राबेरी से सजा कर सर्व करें.

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