पीयूषा: क्या विधवा मिताली की गृहस्थी दोबारा बस पाई?

रविवार का दिन था. छुट्टी होने के कारण मैं इतमीनान से अपने कमरे में अखबार पढ़ रहा था, तो अचानक चाचाजी पर नजर पड़ी. वे सामने उदास व शांत खड़े हुए थे. मैं ने बैठने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘क्या बात है चाचाजी, परेशान से लग रहे हैं? तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘मैं ठीक हूं बेटा, तुम से कुछ कहना चाहता हूं,’’ बैठने के बाद चाचाजी ने धीरे से कहा. मैं ने अखबार एक ओर रखते हुए कहा, ‘‘तो कहिए न चाचाजी.’’ लेकिन चाचाजी शांत ही बैठे रहे. मैं ने आग्रह करते हुए कहा, ‘‘क्या बात है चाचाजी? जो दिल में है बेझिझक कह दीजिए. आप का कथन मेरे लिए आदेश है,’’ चाचाजी की चुप्पी दरअसल मेरी बैचेनी बढ़ा रही थी. ‘‘बेटा पवन, तू ने कभी भी मेरी बात नहीं टाली है. आज भी इसी उम्मीद से तेरे पास आया हूं. तेरी चाची का और मेरा विचार है कि तू मिताली से शादी कर ले. उसे सहारा दे दे. बेचारी कम उम्र में विधवा हो गई है और दुनिया में एकदम अकेली है. मायके में उस का कोई नहीं है. हम बूढ़ाबूढ़ी का क्या भरोसा, तब वह अकेली कहां जाएगी…,’’ चाचाजी ने धीरेधीरे अपनी बात रखी. उन की आंखें सजल हो उठी थीं, गला भर आया था. मैं किंकर्तव्यविमूढ़ सा चाचाजी की बातें सुन रहा था और क्या कहूं समझ नहीं पा रहा था. मेरे समक्ष एक ओर चाचाचाची का निर्णय था, तो दूसरी ओर मेरा प्यार जो पनप चुका था. मुझे लग रहा था कि यह बात सच है कि जीवनपथ का अगला मोड़ क्या और कैसा होगा कोई नहीं जानता. आज जीवनपथ का ऐसा मोड़ मेरे समक्ष आ खड़ा हुआ था, जिस में मुझे अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्य एवं अपने प्यार में से किसी एक का चुनाव करना था.

मेरे जीवनपथ का प्रथम पड़ाव बचपन शुरू में काफी खुशहाल था. मैं अपने मातापिता की इकलौती संतान हूं. पापा बैंक में मैनेजर थे और मां कुशल गृहिणी. चूंकि पापा घर के बड़े बेटे थे और मां अच्छे स्वभाव की महिला थीं, इसलिए मेरी वृद्धा दादी हमारे साथ ही रहती थीं. मुझे मांबाप के साथ दादी का भी भरपूर स्नेहप्यार मिलता रहा. पटना के सब से अच्छे स्कूल में मेरा दाखिला करवाया गया था. पढ़ाई में मेरी विशेष दिलचस्पी थी और शुरू से ही मैं मेधावी रहा, इसलिए अच्छे अंक लाता था. पढ़ाई के साथसाथ खेलकूद, गायन आदि में भी मेरी विशेष रुचि थी. मुझे मांपापा का पूरा प्रोत्साहन मिलता रहा, इसलिए सभी क्षेत्रों में अच्छा कर मैं परिवार एवं स्कूल की आंखों का तारा बना रहा. मेरे जीवनपथ में अचानक ही अत्यंत कठिन और पथरीला मोड़ आ खड़ा हुआ. मैं उस समय कक्षा 8 में पढ़ता था. मांपापा का अचानक रोड ऐक्सीडैंट में देहांत हो गया. मेरे पास इस दुख को सहने की न तो बुद्धि थी न ही हिम्मत. मैं हताश और हारा हुआ सा सिर्फ रोता रहता था. उस कठिन समय में दादी ने मुझे ढाढ़स बंधाया और अपने छोटे बेटे यानी मेरे चाचाजी के घर मुझे ले आईं. मैं चाचा चाची के साथ जमशेदपुर में रहने लगा. उन का इकलौता बेटा पीयूष था. वह मुझ से 2 साल छोटा था. चाचाजी ने उसी के स्कूल में मेरा नाम लिखवा दिया. मैं वहां भी अच्छे अंकों से पास होने लगा.

चाचाचाची मेरी रहने, खानेपीने, पढ़नेलिखने आदि सभी व्यवस्था देखते, लेकिन मेरे और पीयूष के प्रति उन के व्यवहार में थोड़ा फर्क रहता. जैसे चाची मुझ से नजरें बचा कर पीयूष को कुछ स्पैशल खाने को देतीं. लेकिन पीयूष मेरे लाख मना करने पर भी उसे मुझ से शेयर करता. मैं चाचाचाची के सारे भेदभाव नजरअंदाज कर तहे दिल से उन का आभार मानता कि उन्होंने मुझ बेसहारा को सहारा तो दिया ही अच्छे स्कूल में मेरा नाम भी लिखवाया. मेरी दादी जब तक रहीं मुझ पर विशेष ध्यान देती रहीं, किंतु वे मांपापा के आकस्मिक निधन से अंदर तक टूट चुकी थीं. उन के जाने के 2 वर्ष बाद वे भी चल बसीं. चाचाचाची पीयूष की उच्च शिक्षा हेतु अकसर चर्चा करते किंतु मेरे संबंध में ऐसी कोई जिज्ञासा नहीं व्यक्त करते. मैं ने 12वीं की परीक्षा उच्च अंकों से पास की. फिर बी.कौम. करने के बाद बैंक परीक्षा में उत्तीर्ण हो कर मैं सरकारी बैंक में पी.ओ. बन गया. इत्तफाक से मेरी नियुक्ति जमशेदपुर में ही हुई, तो मैं चाचाचाची के साथ ही रहा. वैसे भी मेरी दिली इच्छा यही थी कि मैं चाचाचाची के साथ रह कर उन्हें सहयोग दूं क्योंकि दोनों को ही बढ़ती उम्र के साथसाथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी होने लगी थीं.

पीयूष ने बैंगलुरु से एम.बी.ए. किया. वहीं उस का एक मल्टीनैशनल कंपनी में सिलैक्शन हो गया. हम सभी उस की खुशी से खुश थे. उसे जल्दी ही अपनी जूनियर मिताली से प्यार हो गया, तो चाचाचाची ने उस की पसंद को सहर्ष स्वीकार करते हुए धूमधाम से उस का विवाह कर दिया. शादी के बाद पीयूष और मिताली बैंगलुरु लौट गए. पीयूष की शादी के बाद मेरा मन कुछ ज्यादा ही खालीपन महसूस करने लगा.

उसी दौरान कविता ने कब इस में जगह बना ली मुझे पता ही नहीं चला. कविता मेरी ही बस से आतीजाती थी. सुंदर, सुशील, सभ्य कविता विशाल हृदय मालूम होती, क्योंकि हमेशा ही सब की सहायता हेतु तत्पर दिखाई देती. कभी किसी अंधे को सड़क पार करवाती, तो कभी किसी बच्चे की सहायता करती. बस में वृद्ध या गर्भवती महिला को तुरंत अपनी सीट औफर कर देती. मुझे उस की ये सब बातें बहुत अच्छी लगती थीं, क्योंकि वे मेरे स्वभाव से मेल खाती थीं.

हम दोनों में छोटीछोटी बातें होने लगीं. धीरेधीरे हम एकदूसरे के लिए जगह रख, साथ ही जानेआने लगे. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगता. मैं उस के प्रति आकर्षण महसूस करता किंतु चाह कर भी उस के सामने व्यक्त नहीं कर पाता. उस की दशा भी मेरे समान ही महसूस होती, क्योंकि उस की आंखों में चाहत, समर्पण दिखाई देता. किंतु शर्मोहया का बंधन उसे भी जकड़े हुए था.

मैं अपने विवाह हेतु चाची से चर्चा करना चाहता किंतु झिझक महसूस होती. कई बार पीयूष की मदद लेने का विचार आता किंतु वह अपनी नौकरी एवं गृहस्थी में ऐसा व्यस्त और मस्त था कि उस से चर्चा करने का अवसर ही नहीं मिल पाता. इस के अलावा उस का हमारे पास आना भी बहुत कम एवं सीमित समय के लिए हो पाता. उस दौरान मेरा संकोची स्वभाव कुछ व्यक्त नहीं कर पाता. मिताली के गर्भवती होने पर चाची उसे लंबी छुट्टी दिलवा कर अपने साथ ले आईं. 5 माह का गर्भ हो चुका था. चाची बड़ी लगन एवं जिम्मेदारी से उस की देखभाल करतीं, तो नए मेहमान के आगमन की खुशी से घर में हर समय त्योहार जैसा माहौल बना रहता.

मैं अपने संकोची स्वभाव के कारण मिताली से थोड़ा दूरदूर ही रहता. हम दोनों में कभीकभी ही कुछ बात होती. जीवन अपनी गति से चल रहा था कि अचानक पीयूष का रोड ऐक्सीडैंट में देहांत हो गया. घर में मानो कुहराम मच गया. चाचाचाची का रोरो कर बुरा हाल था. मिताली तो पत्थर की मूर्ति सी बन गई. एकदम शांत, गमगीन. मैं स्वयं के साथसाथ सभी को संभालने की असफल कोशिश में लगा रहता. मिताली को समझाते हुए कहता कि मिताली कम से कम बच्चे के बारे में तो सोचो उस पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, तो वह आंसू पोंछते हुए सुबकने लगती. पीयूष के जाने बाद हम सभी का जीवन रंगहीन, उमंगहीन हो गया था. हम सभी यंत्रवत अपनाअपना काम करते और एकदूसरे से नजरें चुराते हुए मालूम होते.

जीवनयात्रा की टेढ़ीमेढ़ी डगर मेरे मनमस्तिष्क में हलचल मचा रही थी. चाचाजी मिताली से विवाह करने की बात पर मेरा जवाब सुनना चाह रहे थे. वे मेरी सहमति की आस लगाए बैठे थे और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा गुजरा कल आज मिताली के साथ में मेरे समक्ष आ खड़ा हुआ है. कल जब मैं अपने मातापिता से बिछुड़ कर चाचाचाची के समक्ष सहारे की उम्मीद लिए आ खड़ा हुआ था, यदि उस समय उन्होंने सहारा नहीं दिया होता तो मेरा जाने क्या होता. सत्य है इतिहास स्वयं को दोहराता है. वैसे चाचाजी यदि मेरी जान भी मांग लेते तो बिना सोचेविचारे मैं सहर्ष दे देता, किंतु चाचाजी ने मिताली से विवाह का प्रस्ताव रख मुझे असमंजस में डाल दिया था. मैं ने धीरे से कहा, ‘‘चाचाजी, मिताली को मैं ने हमेशा अपनी छोटी बहन माना है. ऐसे में भला मैं उस से शादी कैसे कर सकता हूं?’’

‘‘बेटा, तुम निराश करोगे तो हम कहां जाएंगे,’’ कहते हुए चाचाजी रो पड़े. मैं ने उन्हें संभालते हुए कहा, ‘‘चाचाजी, स्वयं को संभालिए. यों निराश होने से समस्या का समाधान कैसे निकलेगा? मैं नहीं जानता था कि आप लोग मिताली के पुनर्विवाह हेतु विचार कर रहे हैं. दरअसल, मेरा मित्र पंकज अपने विधुर भैया प्रसुन्न के लिए मुझ से मिताली का हाथ मांग रहा था, किंतु मैं उस के प्रस्ताव पर उस पर बिफर पड़ा था कि अभी बेचारी पीयूष के गम से उबर भी नहीं पाई है, उस का बच्चा मिताली के गर्भ में है, ऐसे में उस से मैं कहीं और शादी करने के लिए कैसे बोल सकता हूं.

‘‘उस ने मुझे समझाते हुए कहा था कि दोस्त गंभीरता से विचार कर. जो हुआ बहुत बुरा हुआ किंतु वह हो चुका है, तो अब उस से निकलने का उपाय सोचना होगा. मेरी भाभी बेटे के जन्म के साथ चल बसीं. आज बेटा डेढ़ वर्ष का हो गया है. मेरी मां बेटे प्रखर का पालनपोषण करती हैं किंतु वे बूढ़ी और बीमार हैं. भैया दूसरी शादी के लिए इसलिए इनकार कर देते हैं कि अगर उन की दूसरी पत्नी उन के जान से प्यारे प्रखर के साथ बुरा व्यवहार करेगी तो वे बरदाश्त नहीं कर पाएंगे. वही सिचुएशन मिताली के समक्ष भी आ खड़ी हुई है. लेकिन वह बेचारी जिंदगी किस सहारे निकालेगी?

‘‘उस ने मुझे विस्तार से समझाते हुए कहा कि देख दोस्त मेरे भैया और मिताली दोनों संयोगवश अपने जीवनसाथियों से बिछुड़ आधेअधूरे रह गए हैं. हम दोनों को मिला कर उन के जीवन को सरस एवं सफल बनाएं, यही सर्वथा उचित होगा. मैं ने बहुत चिंतनमनन के बाद तेरे समक्ष यह प्रस्ताव रखा है. दोनों एकदूसरे के बच्चे को अपना कर जीवनसाथी बन जाएं, इसी में दोनों का सुख है. जो घटित हुआ उसे तो बदला नहीं जा सकता, किंतु उन का भविष्य तो अवश्य सुधारा जा सकता है. ‘‘गंभीरता से विचार करने पर मुझे भी पंकज का प्रस्ताव उचित लगा, किंतु आप लोगों से इस के बारे में चर्चा करने का साहस मुझ में न था. आज आप ने चर्चा की तो कहने का साहस जुटा पाया.’’ चाचाजी मेरी बातें शांति से सुन रहे थे और समझ भी रहे थे, क्योंकि अब वे संतुष्ट नजर आ रहे थे. चाचीजी जो अब तक परदे की ओट से हमारी बातें सुन रही थीं, लपक कर हमारे सामने आ खड़ी हुईं और अधीरता से बोलीं, ‘‘बेटा, कैसे हैं पंकज के भैया? क्या करते हैं? उम्र क्या है उन की और क्या तू उन से मिला है? वगैरहवगैरह.’’

मैं ने उन को पलंग पर बैठाते हुए कहा, ‘‘चाचीजी, पहले आप इतमीनान से बैठिए. मैं सब बताता हूं. बड़े नेक और संस्कारवान इनसान हैं. सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और मेरी ही उम्र के होंगे, क्योंकि पंकज से 2 साल ही बड़े हैं. पंकज मुझ से लगभग 2 साल ही छोटा है. वैसे आप लोग पहले उन से मिल लीजिए, उस के बाद निर्णय लीजिएगा. मैं तो मिताली को देख कर चिंतित हो जाता हूं. समझ नहीं पाता हूं कि वह इस बात के लिए तैयार होगी या नहीं. अभी बेहद गुमसुम व गमगीन रहती है.’’

‘‘बेटा, तू चिंता न कर. उसे विवाह के लिए हम सभी को प्रोत्साहित करना होगा. विवाह होने से वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करेगी जिस का प्रभाव गर्भ पर भी सकारात्मक पड़ेगा. बेटा, वह अभी स्वयं को अकेली एवं असुरक्षित महसूस करती होगी. एक औरत होने के नाते मैं उस की भावनाएं समझ सकती हूं. यदि उसे सहारा मिल जाएगा तब उसे दुनिया और जीवन प्रकाशवान लगने लगेगा. हम सब के सहयोग और प्रोत्साहन से वह सामान्य जीवन के प्रति अग्रसर हो जाएगी,’’ चाची ने समझाते हुए कहा. फिर चाची 2 मिनट बाद बोलीं, ‘‘बेटा पवन मिताली की शादी के बाद हम तेरी शादी भी कर देना चाहते हैं.’’

‘‘ठीक है चाची, लेकिन अभी हमें सिर्फ मिताली के संबंध में ही सोचना चाहिए. कच्ची उम्र में बड़ी विपदा उस पर आ पड़ी है.’’ ‘‘हां बेटा, बहुत दुख लगता है उसे यों मूर्त बना देख कर, लेकिन तेरी जिम्मेदारी भी पूरी कर देना चाहती हूं. कोई नजर में हो तो बता देना,’’ कहते हुए चाची ने स्नेह से मेरा सिर सहला दिया. मैं कविता को याद कर अहिस्ता से मुसकरा दिया. प्रसुन्न भैया के साथ मिताली की शादी कर दी गई. उन के प्यार, संरक्षण एवं हम सभी के स्नेह, सहयोग एवं प्रोत्साहन से मिताली ने स्वयं को संभाल लिया. समय से उस ने प्यारी सी बेटी को जन्म दिया, तो हम सभी को सारा संसार गुलजार महसूस होने लगा. सब से बड़ी बात तो यह हुई कि अब मिताली खुश रहने लगी. बच्ची के नामकरण हेतु घर में चर्चा होने लगी, तो मैं ने कहा, ‘‘प्रसुन्न भैया, आप ने बेटे का नाम प्रखर बहुत प्यारा एवं सारगर्भित रखा है. उसी तरह बेटी का नाम भी आप ही बताएं.’’

प्रसुन्न भैया 2 पल सोच कर मुसकराते हुए बोले, ‘‘मेरी बेटी का नाम होगा पीयूषा, जो है तो पीयूष की निशानी किंतु दुनिया उसे मेरी निशानी के रूप में पहचानेगी.’’ फिर प्यार से उन्होंने मिताली की ओर देखा. मिताली उन्हें आदर और प्यार से देखने लगी मानों कह रही हो कि आप को पा कर मैं धन्य हो गई.

कैलेंडर गर्ल: मौडलिंग में करियर बनाने से पीछे क्यों हट गई मोहना

‘‘श्री…मुझे माफ कर दो…’’ श्रीधर के गले लग कर आंखों से आंसुओं की बहती धारा के साथ सिसकियां लेते हुए मोहना बोल रही थी.

मोहना अभी मौरीशस से आई थी. एक महीना पहले वह पूना से ‘स्कायलार्क कलेंडर गर्ल प्रतियोगिता’ में शामिल होने के लिए गई थी. वहां जाने से पहले एक दिन वह श्री को मिली थी. वही यादें उस की आंखों के सामने चलचि की भांति घूम रही थीं.

‘‘श्री, आई एम सो ऐक्साइटेड. इमैजिन, जस्ट इमैजिन, अगर मैं स्कायलार्क कलेंडर के 12 महीने के एक पेज पर रहूंगी दैन आई विल बी सो पौपुलर. फिर क्या, मौडलिंग के औफर्स, लैक्मे और विल्स फैशन वीक में भी शिरकत करूंगी…’’ बस, मोहना सपनों में खोई हुई बातें करती जा रही थी.

पहले तो श्री ने उस की बातें शांति से सुन लीं. वह तो शांत व्यक्तित्व का ही इंसान था. कोई भी चीज वह भावना के बहाव में बह कर नहीं करता था. लेकिन मोहना का स्वभाव एकदम उस के विपरीत था. एक बार उस के दिमाग में कोई चीज बस गई तो बस गई. फिर दूसरी कोई भी चीज उसे सूझती नहीं थी. बस, रातदिन वही बात.

टीवी पर स्कायलार्क का ऐड देखने के बाद उसे भी लगने लगा कि एक सफल मौडल बनने का सपना साकार करने के लिए मुझे एक स्प्रिंग बोर्ड मिलेगा.

‘‘श्री, तुम्हें नहीं लगता कि इस कंपीटिशन में पार्टिसिपेट करने के लिए मैं योग्य लड़की हूं? मेरे पास एथलैटिक्स बौडी है, फोटोजैनिक फेस है, मैं अच्छी स्विमर हूं…’’

श्री ने आखिर अपनी चुप्पी तोड़ी और मोहना की आंखों को गहराई से देखते हुए पूछा, ‘‘दैट्स ओके, मोहना… इस प्रतियोगिता में शरीक होने के लिए जो

25 लड़कियां फाइनल होंगी उन में भी यही गुण होंगे. वे भी बिकनी में फोटोग्राफर्स को हौट पोज देने की तैयारी में आएंगीं. वैसी ही तुम्हारी भी मानसिक तैयारी होगी क्या? विल यू बी नौट ओन्ली रैडी फौर दैट लेकिन कंफर्टेबल भी रहोगी क्या?’’

श्री ने उसे वास्तविकता का एहसास करा दिया. लेकिन मोहना ने पलक झपकते ही जवाब दिया, ‘‘अगर मेरा शरीर सुंदर है, तो उसे दिखाने में मुझे कुछ हर्ज नहीं है. वैसे भी मराठी लड़कियां इस क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, यह मैं अपने कौन्फिडैंस से दिखाऊंगी.’’

मोहना ने झट से श्री को जवाब दे कर निरुतर कर दिया. श्री ने उस से अगला सवाल पूछ ही लिया, ’’और वे कौकटेल पार्टीज, सोशलाइजिंग…’’

‘‘मुझे इस का अनुभव नहीं है लेकिन मैं दूसरी लड़कियों से सीखूंगी. कलेंडर गर्ल बनने के लिए मैं कुछ भी करूंगी…’’ प्रतियोगिता में सहभागी होने की रोमांचकता से उस का चेहरा और खिल गया था.

फिर मनमसोस कर श्री ने उसे कहा, ‘‘ओके मोहना, अगर तुम ने तय कर ही लिया है तो मैं क्यों आड़े आऊं? खुद को संभालो और हारजीत कुछ भी हो, यह स्वीकारने की हिम्मत रखो, मैं इतना ही कह सकता हूं…’’

श्री का ग्रीन सिगनल मिलने के बाद मोहना खुश हुई थी. श्री के गाल पर किस करते हुए उस ने कहा, ‘‘अब मेरी मम्मी से इजाजत लेने की जिम्मेदारी भी तुम्हारी ही है?’’

श्री ने भी ज्यादा कुछ न बोलते हुए हामी भर दी. श्री के समझाने के बाद मोहना की मम्मी भी तैयार हो गईं. मोहना आखिर सभी को अलविदा कह कर मौरीशस पहुंची. यहां पहुंचने के बाद उसे एक अलग ही दुनिया में आने का आभास हुआ था… उस के सदाशिवपेठे की पुणेरी संस्कृति से बिलकुल ही अलग किस्म का यहां का माहौल था. फैशनेबल, स्टाइल में फ्लुऐंट अंगरेजी बोलने वाली, कमनीय शरीर की बिंदास लड़कियां यहां एकदूसरे की स्पर्धी थीं. इन 30 खूबसूरत लड़कियों में से सिर्फ 12 को महीने के एकएक पन्ने पर कलेंडर गर्ल के लिए चुना जाना था.

शुरुआत में मोहना उन लड़कियों से और वहां के माहौल से थोड़ी सहमी हुई थी. लेकिन थोड़े ही दिनों में वह सब की चहेती बन गई.

सब से पहले सुबह योगा फिर हैल्दी बे्रकफास्ट, फिर अलगअलग साइट्स पर फोटोशूट्स… दोपहर को फिर से लाइट लंच… लंच के साथ अलगअलग फू्रट्स, फिर थोड़ाबहुत आराम, ब्यूटीशियंस से सलाहमशवरा, दूसरे दिन जो थीम होगी उस थीम के अनुसार हेयरस्टाइल, ड्रैसिंग करने के लिए सूचना. शाम सिर्फ घूमने के लिए थी.

दिन के सभी सत्रों पर स्कायलार्क के मालिक सुब्बाराव रेड्डी के बेटे युधि की उपस्थिति रहती थी. युधि 25 साल का सुंदर, मौडर्न हेयरस्टाइल वाला, लंदन से डिग्री ले कर आया खुले विचारों का हमेशा ही सुंदरसुंदर लड़कियों से घिरा युवक था.

युधि के डैडी भी रिसौर्ट पर आते थे, बु्रअरी के कारोबार में उन का बड़ा नाम था. सिल्वर बालों पर गोल्डन हाईलाइट्स, बड़ेबड़े प्लोटेल डिजाइन के निऔन रंग की पोशाकें, उन के रंगीले व्यक्तित्व पर मैच होती शर्ट्स किसी युवा को भी पीछे छोड़ देती थीं. दोनों बापबेटे काफी सारी हसीनाओं के बीच बैठ कर सुंदरता का आनंद लेते थे.

प्रतियोगिता के अंतिम दौर में चुनी गईं 15 लड़कियों में मोहना का नाम भी शामिल हुआ है, यह सुन कर उस की खुशी का ठिकाना ही न रहा. आधी बाजी तो उस ने पहले ही जीत ली थी, लेकिन यह खुशी पलक झपकते ही खो गई. रात के डिनर के पहले युधि के डैडी ने उसे स्वीट पर मिलने के लिए मैसेज भेजा था. मोहना का दिल धकधक कर रहा था. किसलिए बुलाया होगा? क्या काम होगा? उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था. लेकिन जाना तो पड़ेगा ही. आखिर इस प्रतियोगिता के प्रमुख का संदेश था. श्री को छोड़ कर किसी पराए मर्द से मोहना पहली बार एकांत में मिल रही थी.

जब वह रेड्डी के स्वीट पर पहुंची थी तब दरवाजा खुला ही था. दरवाजे पर दस्तक दे कर वह अंदर गई. रेड्डी सिल्क का कुरता व लुंगी पहन कर सोफे पर बैठा था. सामने व्हिस्की की बौटल, गिलास, आइस फ्लास्क और मसालेदार नमकीन की प्लेट रखी थी.

‘‘कम इन, कम इन मोहना, माई डियर…’’ रेड्डी ने खड़े हो कर उस का हाथ पकड़ कर उसे सोफे पर बैठाया.

मोहना अंदर से सहम गई थी. रेड्डी राजकीय, औद्योगिक और सामाजिक सर्कल में मान्यताप्राप्त थे. इतना ही नहीं ‘कलेंडर गर्ल’ में सब से हौट सुपरमौडल का चुनाव तो यही करने वाले थे.

‘‘ड्रिंक,’’ उन्होंने मोहना से पूछा. मोहना ने ‘नो’ कहा, फिर भी उन्होंने दूसरे खाली गिलास में एक पैग बना दिया. थोड़ी बर्फ और सोडा डाल कर उन्होंने गिलास मोहना के सामने रखा.

‘‘कम औन मोहना, यू कैन नौट बी सो ओल्ड फैशंड, इफ यू वौंट टु बी इन दिस फील्ड,’’ उन की आवाज में विनती से ज्यादा रोब ही था.

मोहना ने चुपचाप गिलास हाथ में लिया. ‘‘चिअर्स, ऐंड बैस्ट औफ लक,’’ कह कर उन्होंने व्हिस्की का एक बड़ा सिप ले कर गिलास कांच की टेबल पर रख दिया.

मोहना ने गिलास होंठों से लगा कर एक छोटा सिप लिया, लेकिन आदत न होने के कारण उस का सिर दुखने लगा.

रेड्डी ने उस से उस के परिवार के बारे में कुछ सवाल पूछे. वह एक मध्यवर्गीय, महाराष्ट्रीयन युवती है, यह समझने के बाद तो उन्होंने कहा, ‘‘तुम्हारी हिम्मत की दाद देता हूं, मोहना… लेकिन अगर तुम्हें सचमुच कलेंडर गर्ल बनना है, तो इतना काफी नहीं है… और एक बार अगर तुम्हारी गाड़ी चल पड़ी, तब तुम्हें आगे बढ़ते रहने से कोई नहीं रोक सकता. सिर्फ थोड़ा और कोऔपरेटिव बनने की जरूरत है…’’

रेड्डी ने व्हिस्की का एक जोरदार सिप लेते हुए सिगार सुलगाई और उसी के धुएं में वे मोहना के चेहरे की तरफ देखने लगे.

रेड्डी को क्या कहना है यह बात समझने के बाद मोहना के मुंह से निकला, ‘‘लेकिन मैं ने तो सोचा था, लड़कियां तो मैरिट पर चुनी जाती हैं…’’

‘‘येस, मैरिट… बट मोर दैन रैंप, मोर इन बैड…’’ रेड्डी ने हंसते हुए कहा और अचानक उठ कर मोहना के पास आ कर उस के दोनों कंधों पर हाथ रखा और अपनी सैक्सी आवाज में कहा, ‘‘जरा सोचो तो मोहना, तुम्हारे भविष्य के बारे में… मौडलिंग असाइनमैंट… हो सकता है फिल्म औफर्स…’’

इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई और वेटर खाने की टे्र ले कर अंदर आया. मोहना उन के हाथ कंधे से दूर करते हुए उठी और उन की आंखों में देख कर उस ने कहा, ‘‘आई एम सौरी, बट आई एम नौट दैट टाइप, रेड्डी साहब,’’ और दूसरे ही पल वह दरवाजा खोल कर बाहर आ गई.

उस रात वह डिनर पर भी नहीं गई. रात को नींद भी नहीं आ रही थी. बाकी लड़कियों के हंसने की आवाज रात को देर तक उसे आ रही थी. उस की रूममेट रिया रातभर गायब थी और वह सुबह आई थी.

दूसरे ही दिन उस के हाथ में स्कायलार्क का लैटर था, पहले तो अंतिम दौर के लिए उस का चुनाव हुआ था, लेकिन अब उस का नाम निकाल दिया गया था. वापसी का टिकट भी उसी लैटर के साथ था.

उस के सारे सपने टूट चुके थे. मनमसोस कर मोहना पूना आई थी और श्री के गले में लग कर रो रही थी, ‘‘मेरी… मेरी ही गलती थी, श्री… स्कायलार्क कलेंडर गर्ल बनने का सपना और सुपर मौडल बनने की चाह में मैं ने बाकी चीजों की तरफ ध्यान ही नहीं दिया. लेकिन यकीन करो मुझ पर, श्री… मैं ने वह लक्ष्मण रेखा कभी भी पार नहीं की… उस के पहले ही मैं पीछे मुड़ गई और वापस लौट आई, अपने वास्तव में, अपने विश्व में तुम्हारा भरोसा है न श्री?’’

श्री ने उसे बांहों में भर लिया…’’ अब 12 महीनों के पन्नों पर सिर्फ तुम्हारे ही फोटोज का कलेंडर मैं छापूंगा, रानी,’’ उस ने हंसते हुए कहा और मोहना रोतेरोते हंसने लगी.

उस की वह हंसी, उस के फोटोशूट की बनावटी हंसी से बहुत ही नैचुरल और मासूमियत भरी थी.

फाइटर एक्टर ऋतिक रोशन पर एक्स वाइफ Sussanne Khan ने लुटाया प्यार, इवेंट में साथ नजर आए

Hrithik Roshan And Sussanne Khan Video: बॉलीवुड के हैंडसम हंक ऋतिक (Hrithik Roshan) रोशन इन दिनों काफी सुर्खियों में है. एक्टर की अपकमिंग फिल्म ‘फाइटर’ जल्द ही रिलीज होने वाली है. ‘फाइटर’ 26 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. फिल्म का टीजर और गाने फैंस को बेहद पसंद आ रहे है. ऋतिक रोशन की फिल्म ‘फाइटर’ का ट्रेलर आज जारी किया जाएगा. इसी दौरान ऋतिक रोशन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तहलका मचा रहा है. इस वायरल वीडियो की चर्चा जमकर हो रही है. दरअसल, अभिनेता ऋतिक रोशन एक इवेंट में पहुंचे थे और यहां पर उनकी एक्स वाइफ सुजैन खान (Sussanne Khan) की भी मौजूदगी रही. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि ऋतिक रोशन और सुजैन खान एक-दूसरे के गले लगाते नजर आ रहे है. इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर हंगामा कर दिया है.

 

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एक-साथ नजर आए ऋतिक रोशन- सुजैन खान

बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन एक इवेंट पर पहुंचे है वहां उनकी एक्स वाइफ सुजैन खान पहले से मौजूद थी. यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. ऋतिक रोशन एग्जीबिशन में पहुंचते ही सुजैन खान को गले लगाते हैं और दोनों एक-दूसरे से बड़े प्यार से मिलते हैं. इतना ही नहीं सुजैन खान ने अपने एक्स हसबैंड की फोटो भी क्लिक की. ऋतिक रोशन और सुजैन खान का ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.

 

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लोगों ने कहा- ‘क्यों अलग हुए दोनों’

ऋतिक रोशन और सुजैन खान की इस प्यारी वीडियो पर काफी लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. इस वीडियो पर उनेक फैंस ने ढ़ेर सारे कमेंट किए. एक यूजर ने लिखा है, ‘ये दोनों साथ में अच्छे लगते हैं.’ एक यूजर ने लिखा है, ‘मस्त लगती है इनकी जोड़ी.’ एक यूजर ने लिखा है, ‘क्यों अलग हो गए.’ एक यूजर ने लिखा है, ‘मिलने का तरीका थोड़ा कैजुअल है.

फाइटर फिल्म की स्टारकस्ट

डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद की फिल्म फाइटर में ऋतिक रोशन, दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर, करण सिंह ग्रोवर और अक्षय ओबेरॉय नजर आने वाले हैं. वहीं ‘फाइटर’ भारत की पहली एरियल ‘एक्शन’ फिल्म होगी. इससे पहले आसमान में फिल्माए जाने वाले सीन के लिए वीएफएक्स का सहारा लिया जाता रहा है. ‘फाइटर’ में ये सीन रियल होंगे.

मुनव्वर की एक्स गर्लफ्रेंड नाजिला ने Ayesha Khan को सुनाया खरी-खोटी, देखें Video

सलमान खान का कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो बिग बॉस 17 को फिनाले के लिए 2 हफ्ते रह गए है. शो काफी दर्शकों को पसंद आ रहा है. इस बीच नाजिला ने बिग बॉस सदस्य आयशा खान और मुनव्वर फारूकी को खरी-खोटी सुनाई. नाजिला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में नाजिला ने आयशा खान पर पर्सनल बातों को नेशनल टेलीविजन पर उछालने का आरोप लगाया है. नाजिला ने वीडियो की शुरुआत में कहा- पहली बात, जो कुछ भी चल रहा है उससे मैं सहमत नहीं हूं. लेकिन चीजें मेरी हाथ से निकाल चुकी है. हां, मैने खुद अपनी पर्सनल बातें किसी के साथ शेयर की थीं. लेकिन, जब मैंने वो सारी बातें शेयर की थीं तब मैं बहुत ज्यादा इमोशनल थी. मुझे नहीं पता था कि आने वाले कुछ महीनों में मेरे द्वारा बताई गई बातें नेशनल टेलीविजन पर बताई जाएगी.

नाजिला बोली- टीआरपी और मनोरंजन के लिए…

नाजिला ने वीडियो में आगे कहा, अगर यही मेरा इरादा होता, अगर मैं ऐसा ही करना चाहती तो मैं खुदसे करती. लेकिन, मुझे से सब नहीं करना था. इसलिए मैंने इंटरव्यूज देने से इनकार कर दिया. मैंने शो ऑफर भी ठुकरा दिया. सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं अपनी और किसी और की निजी चीजें मनोरंजन या टीआरपी या किसी अन्य चीज के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहती हूं. यह गलत है मेरा नाम उस जगह पर इस्तेमाल किया जा रहा है जहां मैं अपना बचाव करने के लिए नहीं हूं.

मुनव्वर पर किया वार

नाजिला ने मुनव्वर का नाम लिए बिना कहा- दूसरी बात, मेरे खिलाफ जो बातें कही गईं वो सच्ची नहीं हैं. मतलब वो किसी ऐसे व्यक्ति से डरते है जो उनसे 10 साल छोटी है. उन्होंने ये सब तब कहा जब वह मुझे खोने के डर से कुछ दिनों पहले रो रहे थे. उन्होंने ये भी कहा था कि वह मेरे साथ चीजें सुधारना चाहते हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो कभी इस शो पर नहीं आता, वह है नाजिला. फिर वह अपना बचाव करने के लिए कहानी पलट देते हैं. मुझे एक बुरे व्यक्ति की तरह दिखाते हैं. इसके बाद नाजिला ने अपने बचाव किया. देखें पूरा वीडियो…

पंछी एक डाल के: रजत का फोन देख कर सीमा क्यों चौंक पड़ी?

‘‘नहीं, नहाने जा रही हूं. इतनी जल्दी फोन? सब ठीक है न?’’

‘‘हां, गुडफ्राईडे की छुट्टी का फायदा उठा कर घर चलते हैं. बृहस्पतिवार की शाम को 6 बजे के बाद की किसी ट्रेन में आरक्षण करवा लूं?’’

‘‘लेकिन 6 बजे निकलने पर रात को फिरोजाबाद कैसे जाएंगे?’’

‘‘रात आगरा के बढि़या होटल में गुजार कर अगली सुबह घर चलेंगे.’’

‘‘घर पर क्या बताएंगे कि इतनी सुबह किस गाड़ी से पहुंचे?’’ सीमा हंसी.

‘‘मौजमस्ती की रात के बाद सुबह जल्दी कौन उठेगा सीमा, फिर बढि़या होटल के बाथरूम में टब भी तो होगा. जी भर कर नहाने का मजा लेंगे और फिर नाश्ता कर के फिरोजाबाद चल देंगे. तो आरक्षण करवा लूं?’’

‘‘हां,’’ सीमा ने पुलक कर कहा.

होटल के बाथरूम के टब में नहाने के बारे में सोचसोच कर सीमा अजीब सी सिहरन से रोमांचित होती रही.

औफिस के लिए सीढि़यां उतरते ही मकानमालिक हरदीप सिंह की आवाज सुनाई पड़ी. वे कुछ लोगों को हिदायतें दे रहे थे. वह भूल ही गई थी कि हरदीप सिंह कोठी में रंगरोगन करवा रहे हैं और उन्होंने उस से पूछ कर ही गुडफ्राईडे को उस के कमरे में सफेदी करवाने की व्यवस्था करवाई हुई थी. हरदीप सिंह सेवानिवृत्त फौजी अफसर थे. कायदेकानून और अनुशासन का पालन करने वाले. उन का बनाया कार्यक्रम बदलने को कह कर सीमा उन्हें नाराज नहीं कर सकती थी.

सीमा ने सिंह दंपती से कार्यक्रम बदलने को कहने के बजाय रजत को मना करना बेहतर सम  झा. बाथरूम के टब की प्रस्तावना थी तो बहुत लुभावनी, अब तक साथ लेट कर चंद्र स्नान और सूर्य स्नान ही किया था. अब जल स्नान भी हो जाता, लेकिन वह मजा फिलहाल टालना जरूरी था.

सीमा और रजत फिरोजाबाद के रहने वाले थे. रजत उस की भाभी का चचेरा भाई था और दिल्ली में नौकरी करता था. सीमा को दिल्ली में नौकरी मिलने पर मम्मीपापा की सहमति से भैयाभाभी ने उसे सीमा का अभिभावक बना दिया था. रजत ने उन से तो कहा था कि वह शाम को अपने बैंक की विभागीय परीक्षा की तैयारी करता है. अत: सीमा को अधिक समय नहीं दे पाएगा, लेकिन असल में फुरसत का अधिकांश समय वह उसी के साथ गुजारता था. छुट्टियों में सीमा को घर ले कर आना तो खैर उसी की जिम्मेदारी थी. दोनों कब एकदूसरे के इतने नजदीक आ गए कि कोई दूरी नहीं रही, दोनों को ही पता नहीं चला. न कोई रोकटोक थी और न ही अभी घर वालों की ओर से शादी का दबाव. अत: दोनों आजादी का भरपूर मजा उठा रहे थे.

सीमा के सु  झाव पर रजत ने शाम को एमबीए का कोर्स जौइन कर लिया था.

कुछ रोज पहले एक स्टोर में एक युवकयुवती को ढेर सारा सामान खरीदते देख कर सीमा ने कहा था, ‘‘लगता है नई गृहस्थी जमा रहे हैं.’’

‘‘लग तो यही रहा है. न जाने अपनी गृहस्थी कब बसेगी?’’ रजत ने आह भर कर कहा.

‘‘एमबीए कर लो, फिर बसा लेना.’’

‘‘यही ठीक रहेगा. कुछ ही महीने तो और हैं.’’

सीमा ने चिंहुक कर उस की ओर देखा. रजत गंभीर लग रहा था. सीमा ने सोचा कि इस बार घर जाने पर जब मां उस की शादी का विषय छेड़ेंगी तो वह बता देगी कि उसे रजत पसंद है.

औफिस पहुंचते ही उस ने रजत को फोन कर के अपनी परेशानी बताई.

‘‘ठीक है, मैं अकेला ही चला जाता हूं.’’

‘‘तुम्हारा जाना जरूरी है क्या?’’

‘‘यहां रह कर भी क्या करूंगा? तुम तो घर की साफसफाई करवाने में व्यस्त हो जाओगी.’’

‘‘ठीक है,’’ कह सीमा ने मम्मी को फोन कर बता दिया कि रंगरोगन करवाने की वजह से वह रजत के साथ नहीं आ रही.

रविवार की शाम को कमरा सजा कर सीमा रजत का इंतजार करने लगी. लेकिन यह सब करने में इतनी थक गई थी कि कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला. रजत सोमवार की शाम तक भी नहीं आया और न ही उस ने फोन किया. रात को मम्मी का फोन आया. उन्होंने बताया, ‘‘रजत यहां आया ही नहीं, मथुरा में सुमन के घर है. उस के घर वाले भी वहीं चले गए हैं.’’

सुमन रजत की बड़ी बहन थी. सीमा से भी मथुरा आने को कहती रहती थी. ‘अब इस बार रजत घर नहीं गया है. अत: कुछ दिन बाद महावीर जयंती पर जरूर घर चलना मान जाएगा,’ सोच सीमा ने कलैंडर देखा, तो पाया कि महावीर जयंती भी शुक्रवार को ही पड़ रही है.

लेकिन कुछ देर के बाद ही पापा का फोन आ गया. बोले, ‘‘तेरी मम्मी कह रही है कि तू ने कमरा बड़ा अच्छा सजाया है. अत: महावीर जयंती की छुट्टी पर तू यहां मत आ, हम तेरा कमरा देखने आ जाते हैं.’’

‘‘अरे वाह, जरूर आइए पापा,’’ उस ने चिंहुक कर कह तो दिया पर फिर जब दोबारा कलैंडर देखा तो कोई और लंबा सप्ताहांत न पा कर उदास हो गई.

अगले दिन सीमा के औफिस से लौटने के कुछ देर बाद ही रजत आ गया. बहुत खुश लग रहा था, बोला, ‘‘पहले मिठाई खाओ, फिर चाय बनाना.’’

‘‘किस खुशी में?’’ सीमा ने मिठाई का डब्बा खोलते हुए पूछा.

‘‘मेरी शादी तय होने की खुशी में,’’ रजत ने पलंग पर पसरते हुए कहा, ‘‘जब मैं ने मम्मी को बताया कि मैं बस से आ रहा हूं, तो उन्होंने कहा कि फिर मथुरा में ही रुक जा, हम लोग भी वहीं आ जाते हैं. बात तो जीजाजी ने अपने दोस्त की बहन से पहले ही चला रखी थी, मुलाकात करवानी थी. वह करवा कर रोका भी करवा दिया. मंजरी भी जीजाजी और अपने भाई के विभाग में ही मथुरा रिफायनरी में जूनियर इंजीनियर है. शादी के बाद उसे रिफायनरी के टाउनशिप में मकान भी मिल जाएगा और टाउनशिप में अपने बैंक की जो शाखा है उस में मेरी भी बड़ी आसानी से बदली हो जाएगी. आज सुबह यही पता करने…’’

‘‘बड़े खुश लग रहे हो,’’ किसी तरह स्वर को संयत करते हुए सीमा ने बात काटी.

‘‘खुश होने वाली बात तो है ही सीमा, एक तो सुंदरसुशील, पढ़ीलिखी लड़की, दूसरे मथुरा में घर के नजदीक रहने का संयोग. कुछ साल छोटे शहर में रह कर पैसा जोड़ कर फिर महानगर में आने की सोचेंगे. ठीक है न?’’

‘‘यह सब सोचते हुए तुम ने मेरे बारे में भी सोचा कि जो तुम मेरे साथ करोगे या अब तक करते रहे हो वह ठीक है या नहीं?’’ सीमा ने उत्तेजित स्वर में पूछा.

‘‘तुम्हारे साथ जो भी करता रहा हूं तुम्हारी सहमति से…’’

‘‘और शादी किस की सहमति से कर रहे हो?’’ सीमा ने फिर बात काटी.

‘‘जिस से शादी कर रहा हूं उस की

सहमति से,’’ रजत ने बड़ी सादगी से कहा, ‘‘तुम्हारे और मेरे बीच में शादी को ले कर कोई वादा या बात कभी नहीं हुई सीमा. न हम ने

कभी भविष्य के सपने देखे. देख भी नहीं

सकते थे, क्योंकि हम सिर्फ अच्छे पार्टनर हैं, प्रेमीप्रेमिका नहीं.’’

‘‘यह तुम अब कह रहे हो. इतने उन्मुक्त दिन और रातें मेरे साथ बिताने के बाद?’’

‘‘बगैर साथ जीनेमरने के वादों के… असल में यह सब उन में होता है सीमा, जिन में प्यार होता है और वह तो हम दोनों में है ही नहीं?’’ रजत ने उस की आंखों में देखा.

सीमा उन नजरों की ताब न सह सकी. बोली, ‘‘यह तुम कैसे कह सकते हो, खासकर मेरे लिए?’’

रजत ठहाका लगा कर हंसा. फिर बोला, ‘‘इसलिए कह सकता हूं सीमा कि

अगर तुम्हें मु  झ से प्यार होता न तो तुम पिछले 4 दिनों में न जाने कितनी बार मु  झे फोन कर चुकी होतीं और मेरे रविवार को न आने के बाद से तो मारे फिक्र के बेहाल हो गई होतीं… मैं भी तुम्हें रंगरोगन वाले मजदूरों से अकेले निबटने को छोड़ कर नहीं जाता.’’

रजत जो कह रहा था उसे   झुठलाया नहीं जा सकता था. फिर भी वह बोली, ‘‘मेरे

बारे में सोचा कि मेरा क्या होगा?’’

‘‘तुम्हारे घर वालों ने बुलाया तो है महावीर जयंती पर गुड़गांव के सौफ्टवेयर इंजीनियर को तुम से मिलने को… तुम्हारी भाभी ने फोन पर बताया कि लड़के वालों को जल्दी है… तुम्हारी शादी मेरी शादी से पहले ही हो जाएगी.’’

‘‘शादी वह भी लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़की के साथ? मैं लड़की हूं रजत… कौन करेगा मु  झ से शादी?’’

‘‘यह 50-60 के दशक की फिल्मों के डायलौग बोलने की जरूरत नहीं है सीमा,’’ रजत

उठ खड़ा हुआ, ‘‘आजकल प्राय: सभी का ऐसा अतीत होता है… कोई किसी से कुछ नहीं पूछता. फिर भी अपना कौमार्य सिद्ध करने के लिए उस समय अपने बढ़े हुए नाखूनों से खरोंच कर थोड़ा सा खून निकाल लेना, सब ठीक हो जाएगा,’’ और बगैर मुड़ कर देखे रजत चला गया.

रजत का यह कहना तो ठीक था कि उन

में प्रेमीप्रेमिका जैसा लगाव नहीं था, लेकिन उस ने तो मन ही मन रजत को पति मान लिया था. उस के साथ स्वच्छंदता से जीना उस की सम  झ

में अनैतिकता नहीं थी. लेकिन किसी और से शादी करना तो उस व्यक्ति के साथ धोखा होगा और फिर सचाई बताने की हिम्मत भी उस में नहीं थी, क्योंकि नकारे जाने पर जलालत   झेलनी पड़ेगी और स्वीकृत होने पर जीवन भर उस व्यक्ति की सहृदयता के भार तले दबे रहना पड़ेगा.

अच्छा कमा रही थी, इसलिए शादी के लिए मना कर सकती थी, लेकिन रजत के सहचर्य के बाद नितांत अकेले रहने की कल्पना भी असहनीय थी तो फिर क्या करे? वैसे तो सब सांसारिक सुख भोग लिए हैं तो क्यों न आत्महत्या कर ले या किसी आश्रमवाश्रम में रहने चली जाए? लेकिन जो भी करना होगा शांति से सोचसम  झ कर.

उस की चार्टर्ड बस एक मनन आश्रम के पास से गुजरा करती थी. एक दिन उस ने अपने से अगली सीट पर बैठी महिला को कहते सुना था कि वह जब भी परेशान होती है मैडिटेशन के लिए इस आश्रम में चली जाती है. वहां शांति से मनन करने के बाद समस्या का हल मिल जाता है. अत: सीमा ने सोचा कि आज वैसे भी काम में मन नहीं लगेगा तो क्यों न वह भी उस आश्रम चली जाए. आश्रम के मनोरम उद्यान में बहुत भीड़ थी. युवा, अधेड़ और वृद्ध सभी लोग मुख्यद्वार खुलने का इंतजार कर रहे थे. सीमा के आगे एक प्रौढ दंपती बैठे थे.

‘‘हमारे जैसे लोगों के लिए तो ठीक है, लेकिन यह युवा पीढ़ी यहां कैसे आने लगी है?’’ महिला ने टिप्पणी की.

‘‘युवा पीढ़ी को हमारे से ज्यादा समस्याएं हैं, पढ़ाई की, नौकरी की, रहनेखाने की. फिर शादी के बाद तलाक की,’’ पुरुष ने उत्तर दिया.

‘‘लिव इन रिलेशनशिप क्यों भूल रहे हो?’’

‘‘लिव इन रिलेशनशिप जल्दबाजी में की गई शादी, उस से भी ज्यादा जल्दबाजी में पैदा किया गया बच्चा और फिर तलाक से कहीं बेहतर है. कम से कम एक नन्ही जान की जिंदगी तो खराब नहीं होती? शायद इसीलिए इसे कानूनन मान्यता भी मिल गई है,’’ पुरुष ने जिरह की, ‘‘तुम्हारी नजरों में तो लिव इन रिलेशनशिप में यही बुराई है न कि यह 2 लोगों का निजी सम  झौता है, जिस का ऐलान किसी समारोह में नहीं किया जाता.’’

जब लोगों को विधवा, विधुर या परित्यक्तों से विवाह करने में ऐतराज नहीं होता तो फिर लिव इन रिलेशनशिप वालों से क्यों होता है?

तभी मुख्यद्वार खुल गया और सभी उठ कर अंदर जाने लगे. सीमा लाइन में लगने के बजाय बाहर आ गई. उसे अपनी समस्या का हल मिल गया था कि वह उस गुड़गांव वाले को अपना अतीत बता देगी. फिर क्या करना है, उस के जवाब के बाद सोचेगी. कार्यक्रम के अनुसार मम्मीपापा आ गए. उसी शाम को उन्होंने सौफ्टवेयर इंजीनियर सौरभ और उस के मातापिता को बुला लिया.

‘‘आप से फोन पर तो कई महीनों से बात हो रही थी, लेकिन मुलाकात का संयोग आज बना है,’’ सौरभ के पिता ने कहा.

‘‘आप को चंडीगढ़ से बुलाना और खुद फिरोजाबाद से आना आलस के मारे टल रहा था लेकिन अब मेरे बेटे का साला रजत जो दिल्ली में सीमा का अभिभावक है, यहां से जा रहा है, तो हम ने सोचा कि जल्दी से सीमा की शादी कर दें. लड़की को बगैर किसी के भरोसे तो नहीं छोड़ सकते,’’ सीमा के पापा ने कहा.

सौरभ के मातापिता एकदूसरे की ओर देख कर मुसकराए फिर सौरभ की मम्मी हंसते हुए बोलीं, ‘‘यह तो हमारी कहानी आप की जबानी हो गई. सौरभ भी दूर के रिश्ते की कजिन वंदना के साथ अपार्टमैंट शेयर करता था, इसलिए हमें भी इस के खानेपीने की चिंता नहीं थी. मगर अब वंदना अमेरिका जा रही है. इसे अकेले रहना होगा तो इस की दालरोटी का जुगाड़ करने हम भी दौड़ पड़े.’’

कुछ देर के बाद बड़ों के कहने पर दोनों बाहर छत पर आ गए.

‘‘बड़ों को तो खैर कोई शक नहीं है, लेकिन मु  झे लगता है कि हम दोनों एक ही मृगमरीचिका में भटक रहे थे…’’

‘‘इसीलिए हमें चाहिए कि बगैर एकदूसरे के अतीत को कुरेदे हम इस बात को यहीं खत्म कर दें,’’ सीमा ने सौरभ की बात काटी.

‘‘अतीत के बारे में तो बात यहीं खत्म कर देते हैं, लेकिन स्थायी नीड़ का निर्माण मिल कर करेंगे,’’ सौरभ मुसकराया.

‘‘भटके हुए ही सही, लेकिन हैं तो हम पंछी एक ही डाल के,’’ सीमा भी प्रस्ताव के इस अनूठे ढंग पर मुसकरा दी.

कपल्स के लिए बेहद खूबसूरत हैं यह जगहें साउथ इंडिया में

साल का अंत नजदीक है और अगर आप नए साल पर या अगले साल के लिए कुछ वेकेशन प्लान कर रहे हैं तो आप को साउथ इंडिया में स्थित कुछ परफेक्ट लोकेशंस के बारे में पता होना चाहिए. अगर आप इस शहरी वातावरण से दूर कहीं अकेलापन और शांति ढूंढ रहे हैं तो साउथ इंडिया में ट्रिप प्लान करना आपके लिए बेस्ट रहने वाला है. यहां जा कर आप दोनों को ही काफी रिलेक्स और शांत महसूस होगा. आइए जानते हैं दक्षिण भारत की कुछ ऐसी जगहों के बारे में जिन पर आज तक ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी गई है लेकिन यह जगहें वाकई में काफी सुंदर हैं.

मुन्नार, केरल : अगर आप नए साल पर नॉर्थ इंडिया के हिल स्टेशन को छोड़ कर किसी शांति भरे स्थान पर जाना चाहते हैं तो आप को केरल में मुन्नार में जाना चाहिए जो काफी लोकप्रिय हिल स्टेशन है. यहां पर आने के बाद आप को स्वादिष्ट खाना, अच्छे लोग, बहुत ही बजट में कोसी होम स्टे से लेकर लग्जरी होटल भी मिल जायेंगे. आप जंगल में लेक साइड की ओर लंबी वॉक कर सकते हैं और पहाड़ों के आस पास खूबसूरत पहाड़ों के रास्ते में ड्राइविंग भी कर सकते हैं.

अंडमान और निकोबार : अगर आप थोड़ी रोमांटिक ट्रिप प्लान करने की सोच रहे हैं तो आप अंडमान निकोबार आइलैंड पर जा सकते हैं. यहां पर करने के लिए आप को बहुत कुछ मिल जायेगा जैसा आप लग्जरी क्रूज की यात्रा कर सकते हैं. आइलैंड हॉपिंग से लेकर स्कूबा डाइविंग तक बहुत सारी चीजों के अनुभव आप यहां प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए इस बार गोआ छोड़ कर किसी नई बीच वाली जगह का आनंद उठाएं.

वायनाड, केरल : अगर हरी भरी किसी जंगल वाली जगह में आप अपने पार्टनर के साथ हॉलीडे प्लान करना चाहते हैं तो केरल में वायनाड में जा सकते हैं. यह एक ऑफ बीट जगह मानी जा सकती है क्योंकि यह बाकी हॉलीडे डेस्टिनेशन के जितनी भीड़ भरी नहीं होती है. अगर आप प्रकृति, पहाड़ों पर चढ़ना और हरी भरी जगहों से प्यार है तो आप को इस जगह को ही हॉलीडे डेस्टिनेशन के रूप में चुनना चाहिए.

पुडुचेरी : अगर आप एक रोमांटिक ब्रेक लेना चाह रहे हैं तो पुडुचेरी में आपको हर वह चीज मिलेगी जिस चीज की आपको आरजू है. अगर आप सैंडी बीच पर जाना पसंद करते हैं या फिर आपको हेरिटेज लेन में घूमना फिरना पसंद है तो यहां जरूर आएं. इसके अलावा यह जगह फ्रेंच और कोंकणी संस्कृति का एक मिश्रण आपके सामने पेश करती है। यहां दोनों ही जगह की खाने पीने की चीजें उपलब्ध होंगी.

हम्पी, कर्नाटक : हम्पी, कर्नाटक की एक प्रसिद्ध हॉलीडे डेस्टिनेशन है। साइक्लिंग और अकेले में रिलैक्स करने वाले लोगों के लिए यह जगह एकदम परफेक्ट है. यह शहर तुंगभद्रा नदी के किनारे पर बसा हुआ है इसलिए आप यहां पर इस नदी के किनारे पर बैठ कर खुद को शांत और चिंता मुक्त कर सकते हैं. अपने और अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने के लिए यह जगह आप के लिए बेस्ट रहने वाली है. इसलिए यहां पर दो तीन दिन की ट्रिप प्लान कर सकते हैं.

दक्षिण भारत में और भी बहुत सारी खूबसूरत जगहें हैं जहां जा कर आप उत्तरी भारत की प्रसिद्ध डेस्टिनेशन को एकदम भूल जाने वाले हैं. उत्तर भारत के लोगों के लिए दक्षिण भारत में जाना थोड़ा ज्यादा समय खाने वाला और ज्यादा खर्चीला हो सकता है लेकिन एक बार के लिए आप यहां की ट्रिप प्लान कर सकते हैं.

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में इस वैक्सीन की है अहम भूमिका

इशिता को अकसर योनि इंफेक्शन रहता था. एक दिन उसने अपने डॉक्टर से कहा,”मुझे हर समय योनि में खुजली और जलन रहती है. कभी-कभी तो वहां छोटे-छोटे बारीक से दाने भी महसूस होते हैं और मैं इस वजह से परेशान रहती हूं! ये किस वजह से है. ”

इशिता जैसी समस्या बहुत सी महिलाओं को महसूस होती है लेकिन झिझक या शर्म के कारण वो किसी से पूछना या सलाह लेना ठीक नहीं समझतीं. आंकड़े बताते हैं कि लाखों महिलाएं हर साल सर्वाइकल कैंसर की शिकार बनती हैं, और आज हालात यह हैं कि यह रोग दुनियाभर में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुका है जो सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभर रहा है.

सर्वाइकल कैंसर का कारण यौन संसर्ग से फैलने वाला इंफेक्शन -ह्यूमैन पैपिलोवायरस (एचपीवी) होता है. हाल के वर्षों में एचपीवी वैक्सीनेशन के उपलब्ध होने के बाद से सर्वाइकल कैंसर से बचाव में काफी मदद मिली है और इस घातक रोग से लड़ने में यह हथियार काफी कारगर साबित हुआ है.

एचपीवी का सर्वाइकल कैंसर से क्या है संबंध

डॉ निवेदिता कौल, लीड कंसल्टैंट, ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी विभाग, सी के बिड़ला हॉस्पीटल, के मुताबिक एचपीवी कुछ रोगाणुओं (वायरस) का समूह है जो महिलाओं तथा पुरुषों के जननांगों/यौनांगों तथा मुख में इंफेक्शन का कारण होता है. सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले हाइ-रिस्क एचपीवी स्ट्रेन्स की वजह से होते हैं, जिनमें टाइप 16 एवं 18 प्रमुख हैं. आमतौर पर एचपीवी इंफेक्शन का कोई लक्षण सामने दिखायी नहीं देता, यही वजह है कि इनके प्रति लापरवाही बरती जाती है. लेकिन लगातार इंफेक्शन के चलते कई बार सर्वाइक्स में कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़त शुरू हो जाती है जो सर्वाइकल कैंसर का कारण हो सकती है.

 एचपीवी वैक्सीन – रोकथाम का कारगर उपाय

एचपीवी वैक्सीन ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. Cervarix और Gardasil 9 जैसी वैक्सीनें सर्वाधिक जोखिमकारी एचपीवी स्ट्रेन्स को लक्षित कर इंफेक्शन से सुरक्षा दिलाने में कारगर पायी गई हैं. इन वैक्सीनों की कई खुराक लेनी होती हैं, ये 11 से 12 वर्ष की उम्र के बीच दी जाने पर सबसे अधिक कारगर पायी गई हैं, यानि आमतौर पर यौन सक्रियता शुरू होने से पहले. लेकिन इस उम्र में वैक्सीन से चूकने वालों के लिए भी एक कैच-अप वैक्सीन आ चुकी है.

 हर्ड इम्युनिटी और कम्युनिटी प्रोटेक्शन

जब कम्युनिटी में बड़े पैमाने पर एचपीवी वैक्सीनेशन हो जाता है जो हर्ड इम्युनिटी अपने आप आती है और यह काफी फायदेमंद होता है. आबादी के एक बड़े हिस्से को इम्युनिटी मिलने के बाद वायरस का ट्रांसमिशन रुक जाता है, और इससे उन लोगों को भी सुरक्षा मिल जाती है जो इम्युनाइज़ नहीं हुए होते. एचपीवी के प्रसार को रोकने तथा सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए इस तरह की सामूहिक सुरक्षा प्रणाली काफी जरूरी है.

लंबे समय तक रहता है असर

एचपीवी वैक्सीनेशन के प्रभाव और इससे मिलने वाली सुरक्षा को कई अध्ययनों तथा क्लीनिकल शोध के माध्यम से स्थापित किया जा चुका है. इस वैक्सीनेशन से सर्वाइकल प्रीकैंसरस घावों को रोकने, एचपीवी इंफेक्शन का जोखिम कम करने तथा सर्वाइकल कैंसर का प्रसार घटाने में मदद मिलती है. इसके अलावा, शोध से यह भी पता चला है कि जिन देशों में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन हो चुका है वहां एचपीवी जनित रोगों के प्रसार में काफी कमी आयी है, जो कि इसके दीर्घकालिक असर को दर्शाता है.

 चुनौतियों से निपटना और एक्सेसेबिलिटी को बढ़ावा

बेशक, एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में एक कारगर उपाय साबित हो चुकी है, लेकिन सभी के लिए इम्युनाइजेशन कवरेज का रास्ता सरल नहीं है. वैक्सीन लेने को लेकर संकोच या डर, इस बारे में जानकारी का अभाव और साथ ही, हैल्थकेयर सेवाओं तक सीमित एक्सेस की वजह से एचपीवी वैक्सीनेशन को व्यापक रूप से अपनाने की अपनी दिक्कतें हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए हैल्थकेयर प्रोफेशनल्स, नीति-निर्माताओं और कम्युनिटी को मिल-जुलकर प्रयास करने की जरूरत है ताकि आबादी के हर वर्ग तक वैक्सीन की पहुंच का लाभ पहुंच सके.

सर्वाइकल कैंसर से बचाव में एचपीवी वैक्सीन की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता. यह काफी सुरक्षा देती है और केवल व्यक्तिगित स्तर पर ही नहीं बल्कि पूरे समुदाय के स्तर पर इससे सुरक्षा मिलती है. लगातार प्रयास जारी रखकर ग्लोबल हैल्थकेयर कम्युनिटी एक ऐसे भविष्य का सपना देख सकती है जिसमें सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की सेहत के लिए खतरे के रूप में मौजूद नहीं हो.

Winter Special: सर्दियों में Dry Skin की समस्या से हैं परेशान, तो इन घरेलू चीजों की मदद से पाएं राहत

आप रोज नहाते हैं और रोज मुंह भी धोते हैं, जिससे आप हमेशा साफ और सुंदर नज़र आएं. आप में से कुछ लोगों की स्किन जन्म से ही ड्राय होती है, जिसका रखरखाव और देखभाल थोड़ी मुश्किल होती है. इसके अलावा आप अपना चेहरा साफ करने के लिए कभी फेसवॉश तो कभी साबुन का इस्तेमाल करते हैं, और क्या आप ये बात जानते हैं कि साबुन और फेसवॉश में कई तरह के रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं. यह उस समय के लिए तो आपकी स्किन को साफ तो कर देते हैं, लेकिन इनके लगातार इस्तेमाल से आपकी त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है.

अनुवांशिक कारणों से भी आपके शरीर और चेहरे की त्वचा शुष्क होती है या फेसवॉश और साबुन से धीरे-धीरे आपके स्किन से नेचुरल ऑयल खोने लगता है और त्वचा बेजान नजर आने लगती है.

अब ऐसे में चेहरे को साफ करने के लिए और हर मौसंम में रूखी रहने वाली अपनी त्वचा से निजात पाने के लिए आप कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं. इनके उपायों की मदद से चेहरे की सफाई तो होती ही है और साथ ही त्वचा से जुड़ी कई अनिय समस्याएं भी दूर हो जाती हैं.

चीनी आपके स्किन को बहुत अच्छे से साफ कर देता है. आपके घर में रखी हुई चीनी को एक दम बारीक पीस कर इससे चेहरे की सफाई करनी चाहिए. चीनी या शक्कर आपके चेहरे की डैड स्किन को साफ करने में सहायता करता है. इसके अलावा अगर आप चाहें तो चीनी में एलोवेरा को मिलाकर भी चेहरे पर लगाकर सफाई करें. शुष्क त्वचा को तैलीय बनाने में ये उपाय बहुत कारगर है.

पपीते में मौजूद कैरोटेनॉएड्स और विटामिन्स, स्किन के लिए नेचुरल क्लींजर की तरह काम करते हैं. इसको लगाने से स्किन में निखार भी आता है. पपीते के फल के कुछ टुकड़ों को शहद के साथ मिलाकर एक दम हल्के हाथों से चेहरे की मसाज करने से चेहरा साफ होता है और तेहरे में तेल की कमी भी नहीं हो पाती. इसके इस्तेमाल से झुर्रियां भी जल्दी नहीं पड़ती

कच्चा दूध आपके स्किन में मौजूद डेड स्किन को साफ तो करता ही है, साथ ही ये आपकी त्वचा की नमी को भी बरकरार रखने में मदद करता है. यह एक नेचुरल क्लींजर की तरह बखूबी काम करता है. क्या आप जानते हैं कि स्किन की सफाई के लिए कच्चे दूध का इस्तेमाल करना बहुत ही लाभकारी होता है.

Winter Special: भारत में पाई जाती हैं 10 तरह की जलेबियां, सर्दियों में जरूर उठाएं इनका लुत्फ

गुलाब जामुन की तरह जलेबी भी भारत के सबसे लोकप्रिय डेजर्ट में से एक  है. इसका नाम सुनकर मुंह में पानी आ जाता है. खासतौर से यह गर्मा-गर्म हो, तो बेहद स्वादिष्ट लगती हैं. बता दें जलेबी सिर्फ एक मिठाई नहीं है, बल्कि भारत में यह सुबह और शाम के नाश्ते का भी हिस्सा है. बता दें कि बिहार में इसे पूरी, सब्जी के साथ परोसा जाता है और शाम के समय इसे समोसे और कचोरी के साथ . यूपी और हरियाणा के कई हिस्सों में रात के गर्म खाने में गर्म दूध से भरे गिलास के साथ जलेबी का लुत्फ उठाया जाता है. भोपाल में जलेबी पोहा के साथ खाई जाती है. गुजरात में जलेबियों का स्वाद फाफड़े के साथ लिया जाता है. एतिहासिक ग्रंथों के अनुसार, जलेबी की उत्पत्ति पश्चिम एशिया से हुई है और इसे इसका अनूठा नाम अरबी शब्द जुलबिया से मिला है. अगर जलेबी आपकी सबसे पसंदीदा मिठाई है, तो शायद आपने अब तक एक या दो तरह की जलेबी का ही स्वाद चखा होगा. लेकिन आपको नहीं पता होगा कि भारत में एक या दो नहीं बल्कि 10 प्रकार की जलेबी बहुत ही पॉपुलर हैं. तो आइए जानते हैं भारत में मिलने वाली 10 तरह की जलेबियों के बारे में.

1. पनीर जलेबी-

यह सबसे ज्यादा पॉपुलर मानी जाने वाली जलेबी है, जो क्रीम, मैदा, नींबू और फुल क्रीम दूध से तैयार की जाती है. इस तरह की जलेबी पश्चिम बंगाल में काफी पॉपुलर है और वहां इसे चनर जिलिपी के नाम से जाना जाता है.

2. काली जलेबी- 

यह ऑरेंज रंग की जलेबी का काला वर्जन है. खास बात ये है कि इसे मैदा के बजाय खोया और अरारोट से तैयार किया जाता है. दरअसल, जलेबी के मिश्रण को पूरी तरह से तला जाता है, जिससे यह रंग में काली हो जाती है. पुरानी दिल्ली में काली जलेबी काफी मशहूर हैं.

3. जंगरी- 

मैदा के बजाए इस जलेबी का बैटर बनाने के लिए उड़द दाल का इस्तेमाल किया जाता है, जो मैदा के साथ फर्मेंट होता है. इस जलेबी का स्वाद थोड़ा खट्टा होता है. उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग सबसे ज्यादा जलेबी की यह वैरायटी पसंद करते हैं.

4. जलेबा-

आम जलेबी के मुकाबले इस जलेबी का वजन बहुत ज्यादा होता है. आकार में भी यह बहुत बड़ी होती है. इसके लिए मैदा को रातभर फर्मेंट किया जाता है और दूसरे दिन इससे जलेबी बनाई जाती  है. उत्तर भारत में यह जलेबी लोगों की पसंदीदा है. यहां पर इस जलेबी का वजन 350-500 ग्राम होता है, इसलिए इसे जलेबा कहते हैं.

5. खोया जलेबी-

मध्यप्रदेश की मशहूर खोया जलेबी को बनाने के लिए  मैदा, कंडेस्ट मिल्क और खोया का इस्तेमाल होता है. इसे मिलाई या ठंडा दूध डालकर सर्व करते हैं. मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में जलेबी की यह वैरायटी आपको हर दुकान में मिल जाएगी.

6. उड़द दाल की जलेबी- 

उड़द की दाल से बनी जलेबी भी बेहद स्वादिष्ट लगती है. इसे भी रातभर मैदा को फर्मेंट करके बनाया जाता है. इसके स्वाद में हल्का सा खट्टापन होता है. जलेबी की यह वैरायटी आपको उत्तर प्रदेश और बिहार में मिठाई की हर दुकान पर देखने को मिलेगी.

7. इमरती- 

इमरती होती जलेबी की ही तरह है, लेकिन इसके स्वाद में थोड़ा अंतर होता है. ये जलेबी से थोड़ी मोटी होती है. उड़द की दाल, अरारोट, केसर की मदद से इसे बनाया जाता है. फिर इसे चाश्री में डुबोकर गर्मा-गर्म सर्व करते हैं.

8. आलू की जलेबी- 

हो सकता है सुनकर हैरत हो, लेकिन एक ऐसी तरह की जलेबी भी है, जो आलू से बनाई जाती है. उबले आलू से बनाई गई यह जलेबी बाहर से काफी कुरकुरी होती है. इसमें मिलाई जाने वाली मैदा, घी, चीनी, दही और इलायची जैसी सामग्री के चलते यह बेहद स्वादिष्ट होती है. उत्तर प्रदेश के मथुरा में आलू की जलेबी बड़ी फेमस है.

9. एप्पल जलेबी- 

यह जलेबी सेब के स्लाइस से तैयार होती है और फ्राई करने के बाद इसे चाश्री में डुबोया जाता है. इस जलेबी को ऑरीजनल जलेबी का बेस्ट वर्जन माना गया है.

10. नमकीन जलेबी-

क्या जलेबी भी नमकीन हो सकती है. जी हां, बिल्कुल . पश्चिम बंगाल में नमकीन जलेबी बहुत मशहूर है, जिसे भाबरा भी कहते हैं. चावल के आटे, बेसन,  अदरक-लहसुन के पेस्ट और कुछ मसालों के साथ यह नमकीन जलेबी बनाई जाती है.  वहां पर ज्यादातर लोग इसे चाय के साथ लेना पसंद करते हैं.

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