Mother’s Day 2024: बेटों को भी कराएं ससुराल की तैयारी

अर्पिता एक अच्छी मां हैं. अपनी अच्छाई के चलते वे रिश्तेदारों व पूरे महल्ले की प्रिय हैं. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि उन का रवैया एकसमान है. जितना वे बेटी के लिए करती हैं उतना ही अपने बेटे के लिए भी करती हैं. न किसी के लिए कम न किसी के लिए ज्यादा. सब से बड़ी बात यह है कि जहां महल्ले और रिश्तेदारों की महिलाएं अपनी बहुओं से परेशान रहती हैं वहीं अर्पिता को सब से ज्यादा सुख अपनी बहू से ही है.

दरअसल, अर्पिता ने शुरू से ही घर के काम सिर्फ बेटी को ही नहीं सिखाए, बल्कि अपने बेटे को भी सिखाए हैं. अर्पिता का बेटा मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करता है. अच्छा कमाता है. इस के बावजूद वह घर के कामकाज में पत्नी को पूरा सहयोग देता है. बेटा अगर किचन में पत्नी की मदद करता है तो अर्पिता को बुरा नहीं लगता. अगर बहू किचन में काम कर रही है और अर्पिता किसी काम में बिजी हैं तो भी वह बेटे को किचन में बहू की मदद करने के लिए जाने को कहती हैं.

अर्पिता की बहू को सास का यह रवैया काफी पसंद आया और यही वजह है कि उन की कभी खटपट नहीं हुई जबकि शादी को करीब 5 साल हो रहे हैं. लेकिन ऐसा काफी कम घरों में ही देखने को मिलता है. बेटे को घर की शुरू से ही कोई भी जिम्मेदारी नहीं दी जाती. उसे नाजों से पाला जाता है जो आगे चल कर परेशान करता है.

बेटों को भी करें तैयार

घर के काम सिर्फ बेटियों को ही न सिखाएं बल्कि बेटों में भी काम करने की आदत डालें. अकसर हर घर में देखने को मिलता है कि बेटे को खेलने भेज दिया जाता है और बेटियों को मांएं घर के काम में व्यस्त कर देती हैं. अगर बेटों को खेलने का हक है तो बेटियों को भी है. बेटों से घर के काम करवाएं, शुरुआत छोटेछोटे काम सेकरें लेकिन इस आदत को छूटने न दें.

बड़ेबुजुर्ग चढ़ाते हैं बेटों को सिर पर

अकसर देखने को मिलता है कि बुजुर्ग घर में बेटों को सिर चढ़ा कर रखते हैं. अगर बेटे से किसी काम के लिए बोल भी दिया जाए तो बुजुर्ग मना कर देते हैं. कहा जाता है कि बच्चा थक गया है. अरे छोड़ो भी, क्या काम करवा रहे हो. लड़कियों वाले काम क्यों करेगा बेटा. ऐसे कथनों की आड़ में बेटों को बचाने की कोशिश की जाती है, लेकिन यह सही नहीं है.

काम के प्रति जितनी जिम्मेदारी एक लड़की की होती है उतनी ही जिम्मेदारी एक बेटे की भी होती है. घर में भले ही 10 नौकर हों लेकिन काम करने की आदत हर बच्चे में होनी चाहिए.

जरूरी काम तो जरूर सिखाएं

ऐसा तो नहीं है कि बेटा हमेशा आप से ही चिपका रहेगा. कल को उसे पढ़ाई के लिए बाहर किराए पर रहना पड़े तो सोचिए वह उस वक्त क्या करेगा. आप कब तक उस के दोस्तों के साथ रहेंगे. कम से कम बच्चों को इस लायक बनाएं कि वह नूडल्स के भरोसे न रहे. अपने लिए खाने के लिए कुछ बना सके. बाहर का खाना हर वक्त सही नहीं रहता है. खुद के कपड़े धोना, बाहर से सामान लेना. खाना बनाना ये वे काम हैं जिन से वास्ता हर शख्स का पड़ता है. कल को परेशानी न हो, इसलिए आज से ही इस के लिए कोशिश कर लीजिए.

बेटों को घर का काम सिखा कर न सिर्फ आप उन्हें सुखी रखेंगी, बल्कि अपनी आने वाली बहू की नजर में भी आप की इज्जत बढ़ जाएगी. और शायद आप के इस रवैए से हो सकता है समाज का नजरिया धीरेधीरे बदल जाए.

कैसे करें शुरुआत

•       बच्चा अगर छोटा है तो उसे धीरेधीरे काम देना शुरू करें. मसलन, अगर वह 10 साल का है तो छोटेमोटे काम में हाथ बंटाने को बोलें.

•       बाहर से कुछ सामान लाना हो तो उसे भेजना शुरू करें. ज्यादा दूर तक नहीं. थोड़ा बड़ा होने पर आप घर के  बाकी कामों में भी उस की मदद ले सकती हैं.

•       अगर बच्चे की छुट्टियां हैं तो रसोई में मदद करने के लिए कहें.

•       उसे गमलों को ठीक करने का काम दें.

•       बच्चा अगर 15 साल के आसपास है तो कभीकभी उस से अपने कपड़े धोने के लिए बोलें.

•       खाना खा कर बच्चे अकसर टीवी देखने बैठ जाते हैं. ऐसा न करने दें.

•       खाना खा कर टेबल पर पड़े बरतन उठा कर किचन में रखने का काम दें.

•       बीमार हैं तो रैस्ट करें, बच्चे और पति को घर की जिम्मेदारी दें.

•       सिर्फ नूडल्स बनाना ही न सिखाएं, आगे का प्रोसैस भी धीरेधीरे शुरू करें.

अच्छी नौकरी और भविष्य के साथ यह भी जरूरी है कि वह निजी तौर पर भी अच्छा बने. अगर आज वह आप की मदद कर रहा है तो कल को वह अपनी पत्नी की भी मदद करेगा. इस से आप की आने वाली बहू को भी काफी आराम मिलेगा और आप की छवि एक अच्छी मां की बनेगी.

Mother’s Day 2024: मां को फील कराना चाहते हैं स्पेशल तो इन तरीकों से करें मदर्स डे सेलिब्रेट

मां एक ऐसा शब्द जिसे ममता की मूरत कहा जाता है. मां वो है जो खुद हजार दुख सहती है लेकिन अपने बच्चों पर आंच ना आने पाए उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है. उसके मन में चल रही हजारों कुंठओं के बाद भी वह चेहरे पर एक भी शिकन नहीं आने देती और हमेशा एक प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर बनी रहती है. वैसे तो हर दिन मां के होता है लेकिन इस मदर्स डे पर हम आपको अपनी मां को स्पेशल फील कराने के तरीके बता रहे हैं.

बनाएं पसंद का खाना : मम्मी को खुश करने के लिए इस दिन उनकी पसंद का खाना बनाएं. उन्हें रसोई में ना जाने दें, उन्हें मिठाई में कुछ खास बनाकर दें जैसे खोये की बर्फी, बेसन के लड्डू, गुण के शक्कर पारे या कोई भी ऐसी चीज जिसे वे शौक से और आनंद के साथ खाएं.

गिफ्ट करें उनकी पसंदीदा ज्वेलरी : मदर्स डे पर मां को उनकी पसंद की ज्वेलरी शॉप पर ले जाकर सोने, चांदी, हीरा आदि रत्नों से जुड़ी ज्वेलरी भी दिला सकते हैं.

मां को दें स्पेशल लुक : प्यारी सी मां को इस दिन कुछ स्पेशल लुक दे. उन्हें रोजमर्रा से अलग कुछ पहनाएं या उनकी पसंदीदा साड़ी पर खुद से प्रेस करें और पहनाएं। इस दिन उनका सारा साजोश्रृंगार करें और उन्हे यह अहसास कराएं कि आप हैं तो हम हैं.

मां को उनके बीते बचपन की याद दिलाएं :  उन्हें बिना बताए उनके मायके लेकर जाएं या मामा जी, मौसी जी और उनकी सहेलियों को उन्हें बिना बताए घर पर बुलाएं और एक सरप्राइज दें.

भेजे डेट पर: आप अपनी मम्मी को पापा के साथ एक डिनर या लंच डेट पर भी भेज सकती हैं. जिससे उन्हें अपने युवास्था के दिन याद आएं

घर पर बनाएं केक : मदर्स डे पर मम्मी के लिए घर पर केक बनाएं एक पूरे कमरे को सजाकर उन्हें आंखों पर पट्टी बांधकर लेकर आएं और स्पेशल फील कराएं.

मां के जैसे तैयार हों :  घर पर जितनी भी लड़कियां और औरतें हैं वो अपनी मम्मी की तरह तैयार हो और उनकी मिमिक्री करके उनके स्पेशल होने का आभास कराएं.

तोहफे में दे सकते हैं पौधा:  इस दिन एक पौधा खरीदकर लाए और मां के साथ बागवानी करने में उनकी मदद करें. इस पौधे को रोज पानी दें और उसका ध्यान रखें.

हाथों से बुने स्वेटर : मां के लिए आप हाथों से बुना हुआ स्वेटर और पैरों में पहनने वाले मोजे भी बनाकर दे सकती हैं. जिससे उन्हें लगे कि आप उनका कितना ध्यान रखते हैं या जमीन पर बैठने वाला आसन बुनकर बना सकती हैं.

इलेक्ट्रौनिक गैजेट्स: अगर आपकी मां को गाने सुनने का शॉक है तो पॉकेट एफएम, आईपॉड या सारेगामा करवां भी गिफ्ट कर सकते हैं.

प्लैन करें वेकेशन: घर और बाहर के सारे कामों से इस दिन मां को छुट्टी देकर उनके लिए वेकेशंस भी प्लान कर सकती हैं. उन्हें किसी भी हिल स्टेशन पर लेकर जा सकती है. उनके साथ लौंग ड्राइव पर भी ले जा सकते हैं. उन्हें हवाई यात्रा भी करा सकती हैं.

जानिए कितने प्रकार की होती हैं बेल्ट ट्राई करें डिफरेंट स्टाइल

अक्सर हम लोग जब बाहर जाने के लिए तैयार होने लगते हैं तो कपड़े, जूते और ज्वेलरी तो डिसाइड कर लेते हैं लेकिन इन सबमें सबसे जरूरी होती है बेल्ट जिसे हम इग्नोर बिल्कुल भी नहीं कर सकते. आज हम आपको बेल्ट के ही कुछ प्रकार बताने जा रहे हैं.

1. ब्रेडिड बेल्ट- इस बेल्ट में लेदर को गुथकर बनाया जाता है. इन्हें आप फॉर्मल वीयर में पहन सकती हैं और कैजुअल वीयर में भी पहन सकती हैं. यह ज्यादातर वन पीस ड्रेस और फॉर्मल पैंट्स में सूट करती है.

2.कौटन बेल्ट- यह बेल्ट कॉटन से बनी होती है. इसे आप नाइट वियर और फ्रॉक्स के साथ कैरी कर सकती हैं. यह सादे कॉटन के कपड़ों से गूथकर और सिलकर बनाई जाती है.

3. रिवर्सिबल बेल्ट– इस बेल्ट को आप दोनों तरफ से अदल-बदलकर पहन सकते हैं. यह प्लेन लेदर की होती है इसे आप ब्लेजर, फॉर्मल पैंट्स और वेस्टर्न ड्रेसिज के साथ कैरी कर सकती हैं.

4. पतली बेल्ट- इसे आप साड़ी के साथ भी पहन सकती हैं। यह बेल्ट पतले लोगों की फिजीक को हाइलाइट करने के लिए ज्यादातर प्रयोग की जाती है. यह आपको कई रंगों में मिल जाएगी.

5. गेलिस: ये बेल्ट हमारे ढीले कपड़ों को टाइट करने के लिए प्रयोग की जाती है. बेसिकली जो कपड़े ढीले होते हैं उन्हें ऊपर की ओर खींचने के लिए इस बेल्ट का प्रयोग किया जाती है. यह छोटे-बच्चों और वृद्ध पुरुषों के लिए ज्यादा प्रयोग की जाती है. ये बेल्ट इलासटिक से बनाई जाती है.

6.डी रिंग बेल्ट– इस बेल्ट को दो रिंगों में बांधा जाता है. इन बेल्टों में बकल नहीं होता है. यह बेल्ट कॉटन या रेक्सीन से बनी होती है.

7.स्टडिड बेल्ट्स: ये बेल्टस वो होती हैं जिन्हें मोतियों, मेटल और नगो के साथ गुथा जाता है।यह ज्यादातर वन पीस के साथ पहनी जाती हैं. इन्हें आप अपनी सादी सी ड्रेस के साथ पहनेंगी तो बहुत अच्छी लगेगी और खिलेगी.

Mother’s Day 2024: बच्चों के लिए लंच में बनाएं कॉर्नफ्लैक्स स्टफ्ड कुकम्बर

गर्मियों में सब्जियों की उपलब्धता बहुत कम हो जाती है हर रोज एक ही समस्या होती है कि क्या सब्जी बनाई जाए. खीरा आजकल हर मौसम में भरपूर मात्रा में मिलता है. गहरे हरे और हल्के हरे रंग में पाया जाने वाले खीरे में विटामिन सी और बीटा केरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो इम्युनिटी को बेहतर बनाते हैं. खीरे के छिल्के में काफी मात्रा में सिलिका पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है इसलिए इसे छिल्का सहित ही खाना चाहिए.

खीरे में भरपूर मात्रा में पानी होता है जिससे यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और नाममात्र की कैलोरी होने से वजन को भी नियंत्रित रखता है. आमतौर पर खीरे का उपयोग सलाद के रूप में किया जाता है परन्तु आज हम आपको एक नए स्टाइल में खीरे की सब्जी बनाना बता रहे हैं जो बनाने में तो बहुत आसान है ही साथ ही खाने में भी बहुत स्वादिष्ट है. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं.

कितने लोंगों के लिए 4
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

मोटा बड़ा खीरा 1
कॉर्नफ्लेक्स 1 टेबलस्पून
उबला और मैश किया आलू 1
बारीक कटा प्याज 1
अदरक, लहसुन, हरी मिर्च पेस्ट 1 टीस्पून
दरदरी सौंफ 1 टीस्पून

धनिया पाउडर 1 टीस्पून
हल्दी पाउडर 1/4टीस्पून
लाल मिर्च पाउडर 1/2टीस्पून
अमचूर पाउडर 1 टीस्पून
नमक स्वादानुसार
तेल 3 टेबलस्पून
नारियल बुरादा 1 टीस्पून
बारीक कटी हरी धनिया 1 टीस्पून

विधि

खीरा को छीलकर बीच से काटकर स्कूपर से बीज वाला भाग अलग कर दें. कॉर्नफ्लैक्स को आधा कप पानी में भिगो दें. 1 टेबलस्पून गर्म तेल में प्याज सॉते करें और अदरक, हरी मिर्च, लहसुन का पेस्ट डालकर भूनें. 1टेबलस्पून पानी में सभी मसाले मिलाकर पैन में डालें और तेल के ऊपर आने तक भूनें. अब नमक, कॉर्नफ्लैक्स तथा आलू डालकर भली भांति मिलाएं. गैस बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा होने दें. तैयार भरावन को खीरे में अच्छी तरह भरें और चारों ओर धागा लपेटें ताकि मसाला बाहर न निकले. एक नॉनस्टिक पैन में बचा 1 टेबलस्पून तेल डालें और भरे खीरे को डालकर पैन को ढक दें और मध्दिम आंच पर खीरा के गलने तक पकाएं. पकने पर धागा निकालकर हरा धनिया और नारियल बुरादा डालकर कलछी से टुकड़ों में काटकर परांठा या रोटी के साथ सर्व करें.

 

क्या होती है वर्कआउट इंजरी और कैसे करें इससे बचाव

हाल के वर्षों में बदन तराशने का एक फैशन सा चल पड़ा है. इसे देखते हुए भारत के बड़े शहरों से ले कर छोटे कसबों तक में जिम एवं फिटनैस सैंटरों की बाढ़ सी आ गई है. आप को जिम और फिटनैस सैंटर तो हर जगह मिल जाएंगे, लेकिन कुशल ट्रेनर शायद ही कहीं मिलें. इसी वजह से फिटनैस के दीवानों को लेने के देने पड़ जाते हैं. कई बार ट्रेनर की हिदायत के बावजूद जनूनी युवा जल्दी आकर्षक शरीर पाने के लिए जरूरत से ज्यादा व्यायाम कर शरीर को बिगाड़ लेते हैं.

बी.टैक के छात्र नरेश पंड्या को हाल ही में कंधे में दर्द की शिकायत हुई. जांच से पता चला कि कंधे की रोटेटर कफ मसल में खिंचाव आ गया है. नरेश ने बताया कि हाल ही में उस ने अपनी मांसपेशियां बढ़ाने की चाह में जिम में कुछ ज्यादा ही जोरआजमाइश कर ली थी, जबकि पिछले कई वर्षों से व्यायाम नहीं करता था. इसीलिए उस की मांसपेशियां अचानक ज्यादा वजन सहने को तैयार नहीं हो पाई थीं. उस के ट्रेनर ने उसे कई बार आराम से अभ्यास करने की हिदायत दी, लेकिन इस के बावजूद वह अधिक से अधिक वजन उठाता रहा. अपनी इसी आक्रामक प्रवृत्ति के कारण नरेश को मांसपेशियों में खिंचाव का शिकार होना पड़ा.

जिम में अभ्यास करते वक्त आप को जिनजिन इंजरीज का खतरा अधिक रहता है, उन में शामिल हैं- मांसपेशियों में खिंचाव, टैंडिनिटिस, शिन स्पलिंट, नी इंजरी, कंधे की इंजरी, कलाई में मोच आना आदि. अकसर गलत प्रशिक्षण और अस्वास्थ्यकर दैनिक लाइफस्टाइल के कारण ही ऐसी इंजरीज होती हैं.

वर्कआउट संबंधी आम इंजरीज

कंधा: निष्क्रिय और कम श्रम वाले लाइफस्टाइल के कारण मांसपेशियां प्रभावित होती हैं. कंधे की मांसपेशियां भी कमजोर पड़ जाती हैं. इस के अलावा कंप्यूटर के सामने बैठ कर प्रतिदिन एक ही मुद्रा में काम करने वालों के कंधों में खिंचाव आ जाता है. यदि बिना प्रशिक्षण के अपनी मांसपेशियों पर ज्यादा जोर डालते हैं, तो कमजोर मांसपेशियां जकड़ सकती हैं. मांसपेशियों के समूह रोटेटर कफ कहलाते हैं, जिन से मूवमैंट नियंत्रित होता है और जोड़ों को स्थिरता मिलती है. कंधे के दर्द का एक बड़ा कारण रोटेटर कफ मसल्स हड्डियों की संरचना के बीच अन्य सौफ्ट टिशूज में घर्षण होना है. इसे शोल्डर इंपिंजमैंट कहा जाता है. इसे सुप्रास्पिनेट टैंडिनिटिस के नाम से अधिक जाना जाता है.

टखने में मोच: यह समस्या ऐथलीटों में अधिक होती है. लिगामैंट्स टिशू की ही पट्टियां होती हैं, जो हड्डियों को जोड़ कर रखती हैं. टखने पर अधिक दबाव आप के लिगामैंट को इंजर्ड कर सकता है. जो लोग ऊबड़खाबड़ सतहों पर टहलते या दौड़ते हैं, उन में इस समस्या का खतरा अधिक रहता है. यदि आप वर्कआउट के तहत दौड़ते या हलकी दौड़ लगाते हैं, तो पैरों में अच्छी तरह फिट आने वाले जूते ही पहनें और समतल सतह पर दौड़ लगाएं.

घुटना: घुटने में मोच भी वर्कआउट इंजरी की एक समस्या है. यह अकसर जोड़ों के अति इस्तेमाल के कारण होती है. ट्रेडमिल का अधिक इस्तेमाल करने वालों में नी इंजरी होने का खतरा अधिक रहता है. ट्रेडमिल के कारण घुटनों पर ज्यादा जोर पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ जमीन पर दौड़ लगाने पर घुटनों को ज्यादा आसानी होती है, क्योंकि यहां आप को मशीन की क्षमता के मुताबिक नहीं चलना पड़ता है. घुटनों के जोड़ों के ऊपर आवरण के तौर पर लगे कार्टिलेज और लिगामैंट्स अत्यधिक दबाव के कारण बारबार स्ट्रैस इंजरी का शिकार हो जाते हैं. कार्टिलेज का नुकसान ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि इस की मरम्मत नहीं हो पाती. लोअर बैक: वेट लिफ्टिंग का लोअर बैक यानी कमर पर सब से ज्यादा असर पड़ता है. हमारी कमर ही पूरा दिन हमारे सारे शरीर का ज्यादातर दबाव झेलती है, जिस का मतलब है कि इस में हमेशा खिंचाव बना रहता है. यदि आप बहुत ज्यादा वजन उठाते रहते हैं, तो लोअर बैक की मांसपेशियों में इंजरी हो सकती है. कई मामलों में भारी वजन उठाने पर स्लिप डिस्क का भी खतरा हो सकता है.

बचाव

इंजर्ड मसल्स, लिगामैंट या कार्टिलेज को स्वस्थ करने में लंबा समय लग सकता है. लिहाजा, बचाव ही सर्वोत्तम उपाय है. व्यायाम और वर्कआउट को स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. लेकिन इस में हमेशा सुधार और कुशल निरीक्षण की जरूरत रहती है. जैसे:

1. भारी व्यायाम करने से पहले वार्मअप जरूरी है. नाकआउट करने से पहले पार्क में जौगिंग, नियमित स्टै्रचिंग और साइक्लिंग आप की मांसपेशियों को ताकतवर बनाएगी. व्यायाम से पहले स्ट्रैचिंग करना शरीर को लचीलापन प्रदान करने के लिए महत्त्वपूर्ण है. इस से शरीर कठिन व्यायाम करने में भी सक्षम हो जाता है.

2. व्यायाम करते वक्त निर्धारित पद्धति का पालन करना भी महत्त्वपूर्ण है. एक ही प्रकार की मसल्स पर अधिक जोर आजमाइश नहीं करनी चाहिए. हाथों, कूल्हों, पैरों, नितंबों और बाइसैप्स पर समान रूप से उचित ध्यान देना जरूरी है. अत्यधिक थकान वाले व्यायाम और एक ही तरह की मांसपेशियों के लिए बारबार व्यायाम करने से मांसपेशियों में खिंचाव और अकड़न आ सकती है.

3. यदि आप वजन उठाने वाला व्यायाम शुरू कर रहे हैं, तो वजन में धीरेधीरे वृद्धि करें ताकि आप की मांसपेशियां उस तनाव में ढल सकें और अधिक इस्तेमाल से खिंचाव की स्थिति में न आएं. कम वजन उठाने से शुरुआत करें. यह ट्रेनिंग 1 सप्ताह तक जारी रखें और फिर धीरेधीरे वजन बढ़ाएं.

4. फिटनैस अभ्यास के दौरान शरीर को पर्याप्त आराम दें. यदि आप को कोई शारीरिक परेशानी महसूस हो रही हो तो थोड़ी देर आराम करें.

5. वेट लिफ्ंिटग रूटीन शुरू करने से पहले ट्रेनर की सलाह लें. ट्रेनर आप की ताकत और कमजोरी को समझ आप को व्यायाम के तौरतरीके बताएगा. इस के अलावा वर्कआउट शुरू करने से पहले उपयुक्त पोशाक पहनें.

6. किसी ऐसे ट्रेनर की निगरानी में ट्रेनिंग लें जो आप के शरीर की संरचना जानता हो.

7. अपने शरीर के हाइड्रेशन लैवल का खयाल रखें. वर्कआउट शुरू करने से पहले वर्कआउट के दौरान और बाद में थोड़ा पानी पी लें.

 

वर्कआउट इंजरी से कैसे करें बचाव

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खामोश जवाब: भाग 1 – क्या है नीमा की कहानी

‘‘तुम्हारे टेलैंट को मैं मान गई, लोग एक नौकरी को तरसते हैं और तुम्हारे पास तो औफर्स की लाइन लगी हुई है,’’ नीमा ने युवान की प्रशंसा करते हुए कहा.

नीमा की इस बात को सुन कर युवान के चेहरे पर एक मुसकराहट तैर आई. उस ने उस का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा, ‘‘दरअसल, मैं ऐसी नौकरी करना चाहता हूं जिस में मैं निराश लोगों के मन में छिपा दर्द बाहर निकाल कर प्रेरणा भर सकूं और उन की जिंदगी बेहतर कर सकूं.’’

‘‘अच्छा, तो लगता है कि साहब मनोचिकित्सक बनना चाहते हैं. चलो ठीक है हमारे दिलोदिमाग का भी ध्यान रखिएगा,’’ कह कर नीमा ने युवान को इस तरह निहारा जैसे उसे अपने प्रेमी युवान के इस फैसले पर बड़ा नाज हो.

युवान और नीमा एकदूसरे से विश्वविद्यालय की कैंटीन में मिले थे जहां पर युवान अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ मोटिवेशनल बातें कर रहा था. युवान की बातें नीमा को सुहा रही थीं. नीमा उस के हाथों की मुद्राएं और चेहरे की भावभंगिमाएं देख रही थी, कितना आत्मविश्वास था युवान की बातों में और युवान के हर तर्क के साथ उस का ओजपूर्ण चेहरा और भी चमकीला हो उठता था. कहना गलत नहीं होगा कि युवान को देखते ही पहली नजर का प्यार हो गया था और यह बात नीमा ने युवान को बताने में देर भी नहीं करी और उस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया.

नीमा एक लंबी छरहरी काया की सुंदर और बेबाक लड़की थी शायद इसीलिए युवान ने भी उस का दोस्ती का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था. उस समय युवान मनोविज्ञान में परास्नातक की पढ़ाई कर रहा था जबकि नीमा मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रही थी. दोनों ने धीरेधीरे जान लिया कि बहुत कुछ कौमन है. युवान और नीमा की दोस्ती बढ़ी तो पसंद और खयाल भी मिलने लगे. दोनों के तो प्रेम का अंकुर भी फूट गया और दोनों को लगने लगा कि इस प्रेम को रिश्ते में बदलना ठीक रहेगा. अत: दोनों ने अपनी पसंद अपनेअपने घर वालों को बताई. लड़कालड़की दोनों सम   झदार और काबिल थे इसलिए घर वालों ने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी.

30 सितंबर की डेट शादी के लिए फिक्स कर दी गई. नीमा और युवान दोनों शादी की तैयारियों में व्यस्त थे. अपनी पसंद की चीजें नीमा औनलाइन और्डर कर रही थी.

युवान ने सोशल मीडिया पर एक विज्ञापन देखा कि उस के शहर के बाहरी छोर पर तिब्बती कपड़ों का बाजार लगा हुआ है. इस मार्केट के ऊनी कपड़ों के बारे में जम कर शहर में प्रचारप्रसार किया गया था. युवान कपड़ों का शौकीन तो था ही इसलिए उस ने आज इस तिब्बती बाजार में जा कर खरीदारी करने की बात सोची और अपनी मोटरसाइकिल पर बढ़ चला शहर के बाहरी छोर पर सजी ऊनी कपड़ों की तिब्बती मार्केट की ओर.

मौसम में गुलाबी ठंडक थी, ठंडी हवा युवान को बहुत सुहा रही थी. उस का मूड रोमानी हो चला था. उस ने बाइक रोक कर अपने कानों में इयरबड लगा लिए और सिर पर हैलमेट लगा कर नीमा से बात करने लगा. युवान बाइक को भले ही धीमेधीमे चला रहा था पर पीछे से आते अन्य वाहनों की रफ्तार काफी तेज थी. युवान और नीमा बातें करते हुए हंस रहे थे कि इतने में पीछे से आती एक तेज रफ्तार और बेकाबू जीप ने युवान की बाइक को ऐसी तेज टक्कर मारी कि युवान का संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया और वह बाइक को संभाल नहीं सका. वह रोड पर सिर के बल गिर गया और घिसटता हुआ चला गया. हैलमेट पहने होने के कारण सिर तो बच गया था पर उस के दोनों पैरों से खूब खून बह बुरहा था. युवान कुछ सम   झ नहीं सका पर उस की उड़ती हुई नजर उस टक्कर मारने वाली गाड़ी पर जरूर पड़ी और उस गाड़ी के पीछे लिखा था विधायक. सत्ता का नशा तो व्यक्ति को अंधा बनाता ही है और यदि उस पर शराब का नशा चढ़ जाए तो व्यक्ति अपनाआपा ही खो बैठता है.

कार की टक्कर से युवान अपना जीवन ही खो बैठता पर उस के शरीर से उस की सांसों की दोस्ती अच्छी थी. वह जीवित था पर बुरी तरह घायल था. लोगों की मदद से युवान को अस्पताल पहुंचाया गया और फिर उस के मोबाइल के द्वारा युवान के घर वालों को खबर करी गई. नीमा भी वहां आई थी और रोरो कर काफी परेशान थी. उस ने कई बार युवान से मिलने की इच्छा प्रकट करी पर डाक्टरों ने उसे मिलने की अनुमति नहीं दी.

युवान को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था. धीरेधीरे उस की हालत में सुधार

तो हुआ पर डाक्टरों ने युवान के घर वालों को स्पष्ट बता दिया कि दोनों पैरों के घुटने बुरी तरह चोटिल हो जाने के कारण युवान पैरों पर खड़ा नहीं हो सकेगा और हो सकता है कि उसे जीवनभर व्हीलचेयर पर रहना पड़े.

उस के घर वालों पर तो दुख का पहाड़ ही टूट पड़ा था. बेचारे किसी तरह एकदूसरे को सांत्वना दे रहे थे. 3 महीनों बाद युवान को अस्पताल से छुट्टी तो मिल गई पर वह व्हीलचेयर से नहीं उठ पाया. नीमा उस से मिलने आती तो युवान को बहुत  ि  झ   झक होती. वह अपनी अपंगता से तो परेशान था ही, साथ ही साथ नीमा का उतरा चेहरा उसे और भी पीड़ा पहुंचाता.

नीमा इस समय बहुत बुरे दौर और मानसिक पीड़ा से गुजर रही थी. जिस व्यक्ति से शादी करना चाहती थी वह अपंग हो चुका था और उसे अब व्हीलचेयर पर रहना पड़ेगा. जिस तरह से दूध में पड़ी हुई मक्खी देख कर नहीं निगली जाती उसी तरह एक अपंग व्यक्ति से कोई भी लड़की शादी नहीं करना चाहती और नीमा भी कोई अपवाद नहीं थी. पहले कुछेक दिन तो उस ने अस्पताल में आनाजाना और युवान से मिलना जारी रखा पर धीरेधीरे उसे एहसास हो चला कि अब युवान एक जीवनसाथी के रूप में किसी भी नजरिए से आदर्श नहीं रह गया है.

विष अमृत: भाग-1 एक घटना ने अमिता की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी

एक घटना ने अमिता की पूरी जिदगी ही बदल कर रख दी थी और जब आकाश ने उस से शादी करने की इच्छा जताई तो वह रो पड़ी. आखिर क्या हुआ था उस के साथ. ‘‘आज जाने की जिद न करो, यों ही पहलू में बैठे रहो,’’ कनु के स्वर की मधुर स्वरलहरियां कमरे में तैर रही थीं. सब लोग मगन हो कर सुन रहे थे.

निशा रजत के कंधे पर सिर रखे आंखें बंद कर के गाने का पूरा आनंद ले रही थी बल्कि गाने की पंक्तियों को साकार कर रही थी.

आकाश दीवार से सिर टिकाए सपनों में खोया था. उस का संपूर्ण वजूद एक अक्स से आग्रह कर रहा था, ‘‘आज जाने की जिद न करो…’’नमिता खोईखोई सी नजरों से न जाने कहां देख रही थी. आकाश ने पहलू बदलने के बहाने से एक भरपूर नजर से नमिता को देखा, काश कि यह बात वह खुद नमिता से कह पाता, ‘‘मेरी निमी सिर्फ आज नहीं बल्कि तुम कभी भी इस घर से, मेरे जीवन से जाने की बात मत करो. रह जाओ न सदा के लिए यहीं मेरे पास. देखो तुम्हारे बिना यह घर और मैं दोनों कितने अकेले हैं.’’

 

मगर आकाश कभी कह नहीं पाया. कितनी मुलाकातें, एक लंबा साथ, अच्छी दोस्ती, आपसी सामंजस्य सबकुछ है दोनों के बीच लेकिन तब भी नमिता की तरफ से किसी तिनके की ऐसी ओट है जिसे पार कर वह दोस्ती की हद से आगे अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पा रहा है उस के प्रति. बस रातदिन उस के अपने ही भीतर नमिता के प्रति प्यार का रंग गाढ़ा होता जा रहा है.

तालियां बजने की आवाज से आकाश चौंक गया. कनु गाना खत्म कर चुकी थी और बाकी सब लोग तालियां बजा रहे थे. ‘‘वाह, आज तो हमें भी ऐसा लग रहा है कि हम भी तुम से यही कहें कि आज जाने की जिद न करो बस यों ही गाते रहो,’’ रजत ने कहा तो सब खिलखिला कर हंस दिए.

‘‘हां तुम तो चाहोगे ही कि कनु गाती रहे और निशा तुम्हारे कंधे पर सिर रख कर यहीं बैठी रहे. तुम दोनों अब शादी क्यों नहीं कर लेते? अब तो तुम दोनों की ही अच्छी जौब है,’’ पंकज ने रजत को छेड़ा.

‘‘अरे यार तुम्हें लगता है कि शादी के बाद हमें फुरसत मिलेगी इस तरह रोमानी शामें गुजारने की. तब तो निशा को रात का डिनर तैयार करने के लिए घर भागने की जल्दी हुआ करेगी वरना मेरी मम्मी का मुंह फूल जाया करेगा. कुछ दिन इस रोमानियत को और ऐंजौय करने दो,’’ रजत ने इस ढंग से कहा कि सब हंसने लगे.

‘‘चलो मीनाक्षी अब एक गाना तुम सुना दो,’’ निशा ने बात बदलते हुए कहा. ‘‘एक गाना सुन लिया अब एक कविता सुनी जाए आकाश से. मैं बाद में गाऊंगी,’’ मीनाक्षी ने कहा. ‘‘हां यह बात सही है, आकाश सुनाओ न हाल ही में नया क्या लिखा तुम ने?’’ पंकज ने आग्रह किया.

आकाश ने पूरे तरन्नुम में एक गजल छेड़ दी. एक दर्द भरी इश्क में डूबी गजल. उस की आवाज भी उतनी ही दर्द भरी थी. जब वह गजल गाता था तो महफिल उस में खो जाती थी. पेशे से वह एक सौफ्टवेयर इंजीनियर था लेकिन उसे लिखने और गाने का बहुत शौक था. इसी शौक ने उन सब की आपस में पहचान और दोस्ती करवाई थी और अब हर शनिवार को वे सब आकाश के घर पर इकट्ठा होते थे औफिस के बाद. चायनाश्ते के दौर के साथ ही गानों का दौर चलता रहता जिस में आकाश अपनी गजलें गाता और नमिता अपनी कविताएं सुनाती. एक छोटा सा म्यूजिक ऐंड लिटरेचर गु्रप बन गया था उन का. आकाश अपने फ्लैट में अकेला रहता था इसलिए सब यही कंफर्टेबल फील करते थे. बाकी सब अपनेअपने परिवार के साथ रहते थे.

 

आकाश की गजल के बाद मीनाक्षी ने, ‘‘आओ हुजूर तुम को बहारों में ले चलूं…’’ गाना शुरू किया तो पंकज, कनु और रजतनिशा उठ कर डांस करने लगे. मीनाक्षी ने 1-2 बार आकाश को चोरी से इशारा किया कि नमिता के साथ डांस करे लेकिन नमिता पहले ही इस आशंका से असहज लग रही थी तो आकाश ने कुछ नहीं कहा. आकाश के दिल का हाल और उस की नमिता के प्रति भावनाओं को सब जानते थे और भरसक उन दोनों को पास लाने की कोशिश करते थे लेकिन नमिता ऐसे समय एकदम से खुद में सिमट जाती थी और एक दूरी बना लेती. 9 बजे सब लोग आकाश से विदा ले कर चले गए. पंकज, कनु और नमिता को घर पहुंचाता था और रजत मीनाक्षी और निशा को. सन्नाटे भरे घर में आकाश अकेला रह गया. थोड़ी देर टीवी देखने के बाद वह कुछ लिखने बैठा और देर तक लिखता रहा. नमिता को ले कर उस की जो भावनाएं थीं, जो ख्वाब थे उन्हीं को शब्द देता रहा. उस के मन में आज यही ख्वाहिश रही थी कि काश वह नमिता के लिए कभी खुद गा पाता कि आज जाने की जिद न करो, लेकिन हर बार उस की ख्वाहिश मन में ही रह जाती है कभी होंठों तक नहीं आ पाती. ख्वाहिश को दिल से होंठों तक लाने में जाने कितने वर्षों का इंतजार करना पड़ेगा उसे. क्या जाने यह इंतजार कभी खत्म भी होगा या नहीं.

ऐसा नहीं है कि नमिता आकाश की भावनाओं से अनजान है, सम   झती तो होगी ही वह उस की चाहत को लेकिन क्यों इस तरह से एक दूरी बना कर रखती है, कभी दिल की बात वह कह पाए इतना पास ही नहीं आने देती उसे. आकाश दिल की गहराइयों से उसे चाहता था, रातरातभर उस के खयालों में जागता रहता. 4 साल हो गए हैं उसे नमिता को चाहते लेकिन यह चाहत बस आकाश के दिल तक ही सीमित थी.

 

राजयोग: भाग-1 अरुणा रोली के मन को समझ नहीं पा रही थी

होली और धुलैंडी बीत गई थी, किंतु उस के जीवन में रंग नहीं भर पाई थी. कोरोनाकाल के बाद यह पहली होली थी जब लोग उत्लासखुशी के रंग से भरपूर थे. रोली को होली, धुलैंडी के रंग बेहद पसंद थे. बचपन से वह कालोनी में सहेलियों को ले कर धुलैंडी पर जम कर होली खेलती थी. घर आतेआते उसे शाम के 4 तो बज ही जाते थे. भूख लगती तो दौड़ कर घर आ जाती. अपनी मां अरुणा से 1-2 गु ि  झया खा कर फिर भाग जाती. हाथों में रंग इतना गहरा होता कि अरुणा ही उसे अपने हाथों से खिलाती, पानी पिलाती, मुंह पोंछती और प्यारभरी डांट से जल्दी आने को कहती.

आज वही रोली अपने कमरे में चुपचाप पलंग पर करवटें लिए लेटी थी. अरुणा बारबार उसे देख कर वापस आ जाती. फिर बाहर बरामदे में पड़ी कुरसी पर बैठ जाती है. बचपन में रोली जितनी शरारती, चंचल थी बड़ी होने पर उतनी जिद्दी हो गई थी. अरुणा भी असहाय थी. रोली के बचपन को उस ने कभी मरने नहीं दिया था. उसी युवा रोली के सामने अरुणा कुछ नहीं कह पा रही है.

अरुणा जानती है रोली जिद्दी है लेकिन इतनी ज्यादा जिद्दी होगी यह नहीं जान पाई. अरुणा उसे पिछले 3 दिन से सम   झाने की कोशिश कर रही है पर रोली नएनए तर्क दे कर उसे चुप करा देती है. अरुणा सम   झ नहीं पा रही थी रोली के मन को कि वह आखिर चाहती क्या है? किसी लड़के से प्रेम होता तो अरुणा को जो उस की मां है उसे जरूर बताती. लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं है. तो फिर क्यों वह शादी के लिए तैयार नहीं हो रही है?

मानस एक अच्छा लड़का है, कालेज में प्रोफेसर हैं. समाज में अच्छी प्रतिष्ठा है. कालेज में छात्रों के बीच लोकप्रिय है. घरपरिवार भी अच्छा है. रोली को पसंद करता है, रोली भी उसे पसंद करती है. अरुणा का देखाभाला है. देखाभाला क्या उसी कालेज में प्रोफैसर है जिस में अरुणा प्रोफैसर है. अरुणा के सामने ही 2 साल पहले प्रोफैसर बन कर आया थी. राज करेगी रोली मानस के साथ. राजयोग है रानी के हिस्से में.

राजयोग शब्द ध्यान में आते ही अरुणा को वह शाम याद हो आई जब वह कालेज में थी. भैयाभाभी के साथ चोखी ढाणी घूमने आई थी. राजस्थानी संस्कृतियां भी अरुणा को पंसद थीं. खाना भी उसे राजस्थानी पसंद था. वहां शाम को लालटेन से सजी    झोंपडि़यां रात के समय सुंदर लग रही थीं. कालबेलिया नृत्य करती युवती की फुरती देखने लायक थी. वहीं एक आदमी बंदर का नाच दिखा रहा था. भविष्य के बारे में बता कर मनोरंजन कर रहा था. भैयाभाभी ने अरुणा के लिए पूछा तो बोला, ‘‘राजयोग है राज करेगी, राज. पति के दिल की रानी बनी रहेगी.’’अरुणा जोरजोर से हंसने लगी कि ये लोग खुद का भविष्य तो बता नहीं सकते दूसरों का भविष्य क्या बताएंगे? अरुणा ऐसी बातों पर विश्वास नहीं करती थी.

रानी तो क्या नौकरानी से बदतर रही वैवाहिक जिंदगी. ससुराल में सब लोग अच्छे थे. पति का भी प्यार भरपूर मिला. 2 साल तक सब अच्छा चला. पति राकेश सरकारी विभाग में इंजीनियर थे. रोली के पेट में आते ही पति राकेश का व्यवहार कुछकुछ बदलने लगा था. वह रोज पति को शारीरिक सुख नहीं दे पाती थी. उसे उलटियां, चक्कर आने की शिकायत ज्यादा हो रही थी. सास ध्यान रखती थी अरुणा का. लेकिन रात होते ही अरुणा पति की इच्छा पूरी नहीं कर पाती थी. नतीजा यह हुआ दोनों के बीच    झगड़े होने लगे. राकेश अरुणा की तबीयत को सम   झना ही नहीं चाहता था.

छठा महीना लगतेलगते तो ये हालात बन गई कि राकेश सैक्स वर्कर के पास जाने लगा. उस का जिक्र बड़ी शान से अरुणा के सामने करने लगा. जब स्थिति सब के सम   झाने के बाद भी नहीं संभली तो अरुणा अपने मायके आ गई. वहीं रोली का जन्म हुआ. ससुराल वाले सभी रोली को देखने आया. सिर्फ पति राकेश नहीं आए थे. रोली के जन्म के बाद अम्मांबाऊजी ने भी अरुणा को बहुत सम   झाया कि रोली को ले कर ससुराल में रहो और राकेश को माफ कर दो. पति है तुम्हारा… जीवन तो उसी के साथ बिताना है. पर अरुणा का दिल अब टूट चुका था. वह सम   झौता नहीं करना चाहती थी. ससुराल वालों ने भी कोशिश की, लेकिन अरुणा अपने फैसले पर अडिग थी.

अरुणा मायके पर भी बो   झ नहीं बनना चाहती थी. शिक्षित तो थी ही डाक्टरेट थी. प्राइवेट कालेज में प्रोफैसर बन गई. रोली की परवरिश उस ने अच्छे ढंग से की. उस की शिक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ी. भैयाभाभी को अरुणा के निर्णय के सामने    झुकना पड़ा. लेकिन तलाक लेना भी जरूरी था राकेश से. अरुणा इस के लिए तैयार थी. वह दिल पर कोई बो   झ नहीं रखना चाहती थी. राकेश जरूर एक बार आया था. उस ने सोचा बेटी रोली से मिलने आया होगा. लेकिन नहीं, वह अपनी भड़ास निकालने आया था. भैयाभाभी, अम्मांबाऊजी दामाद को देख कर खुश थे. शायद पछतावा है अपने किए का. लेकिन वह अरुणा के कमरे में गया तो थोड़ी देर बाद ही    झगड़ने की आवाजें शुरू हो गईं.

भैया ने कमरे में जा कर देखा तो राकेश अरुणा को बुरी तरह से डांट रहा है. फिर भैया पर नजर पड़ी तो बोला, ‘‘तुम्हारी बहन को अपनी पढ़ाई का घमंड है. पति को पति सम   झती ही नहीं है. पति अगर बाहर जा कर बिस्तर गरम कर आया तो क्या गलत है… यह कोई सुख नहीं देती मु   झे इसलिए बाहर जाना पड़ता मु   झे,’’ राकेश गुस्से में था. ‘‘आप ने उस की तबीयत देखी उस समय? कैसी अजीब बातें करते हैं आप?’’ भैया भी गुस्से से बोले. तभी अम्मां आ गई बीचबचाव करने. फिर सभी ने तलाक का रास्ता ही उचित समझा.

बस फिर क्या था. उस के बाद अरुणा के जीवन का नया अध्याय शुरू हो गया. अरुणा सोचती थी यदि रोली नहीं होती तो क्या वह इतनी मजबूत रह पाती? शायद नहीं. रोली के बचपन को भरपूर जीया है उस ने. उस के हर पल की वह एकमात्र गवाह है. उसे बड़ा करना, उस की देखभाल, उस की प्यारी तोतली बातें, उसे जीवन में एक नई उर्जा देती रहीं. जीवन के सफर के आगे बढ़ती रही. अकेली स्त्री का जीना वाकई कितना तकलीफ भरा होता है. अगर कोई लक्ष्य नहीं हो तो कैसे जीवन संभव हो सकता है? उस के जीवन का लक्ष्य था रोली को योग्य बनाना.

अरुणा आएदिन देखती रहती कि सिंगल पेरैंट्स की संतान कभीकभी बिगड़ भी जाती है. कम ही संतानें होंगी जो जीवन में अपने मातापिता को कष्ट नहीं देती होंगी. मुंबई का रिंपल जैन वाला केस उसे रहरह कर डरा जाता. कैसे 23 वर्षीष रिंपल जैन ने अपनी 55 वर्षीय माता की हत्या की. कांप गई थी अरुणा न्यूज पेपर में पढ़ कर और टीवी में देख कर. कितनी निष्ठुर रही होगी वह बेटी जिस ने अपनी जन्म देने वाली मां की हत्या कर दी. ऐय्याशी और सुखसुविधा के लालच में अंधी हो गई थी वह.

द ग्रेट इंडियन कपिल शो में आखिर क्यों रो पड़े बॉबी देओल पढ़िए यहां

बौलीवुड एक्टर सनी देओल और बॉबी देओल ‘द ग्रेट इंडियन कपिल’ शो में बतौर गेस्ट पहुंचे. शो पर बातचीत के दौरान सनी ने बताया कि साल 2023 देओल परिवार के लिए बहुत अच्छा रहा. इस साल सनी के बेटे की शादी हुई, फिर उनकी फिल्म गदर 2 आई फिर धर्मेंद्र पाजी की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ भी बॉक्स औफिस पर सफल हुई और इसके बाद बॉबी की एनिमल भी कामयाब रही.

सनी ने शो पर बताया कि “1960 से हम लोग लाइमलाइट में हैं, कई सालों से हम लोग कोशिश कर रहे थे, समहाउ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, चीजें हो नहीं रही थी लेकिन फिर मेरे बेटे की शादी हुई, उसके बाद गदर आई उसके पहले पापा की फिल्म आई कुछ यकीन नहीं हो रहा था कि रब कित्थों आ गया, उसके बाद एनिमल आई फट्टे ही चक दिए.” सनी के इतना कहने भर से बॉबी की आंखों से आंसू छलक गए. इसके बाद सभी लोग खड़े हो गए और हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से सराबोर हो गया.

इसके बाद बॉबी ने कहा कि, “अगर रीयल लाइफ में कोई है स्ट्रौंग और सूपरमैन तो वो भैया हैं.” इसके अलावा शो पर बहुत फन हुआ. सनी ने सुनील ग्रोवर के साथ पंजा लड़ाया. सनी ने यह भी बताया कि धर्मेंद्र उनसे कहते हैं कि आओ मेरे साथ बैठो दोस्त बनों. मैं बोलता हूं- पापा मैं आपको दोस्त बनकर बात बताऊंगा तो आप फिर पापा बन जाते हो.”

बॉबी ने शो पर कहा कि देओल्स बहुत रोमांटिक हैं, हमारा दिल भरता नहीं है. इसके साथ ही कपिल ने बॉबी की फिल्म आश्रम को लेकर कहा कि ‘हम समझ गए जीवन का असली सुख आश्रम में ही है’. इस पर बौबी ने कहा, ‘लड्डू खाने हैं तो आ जाओ मेरे पास’. फिर कपिल ने कहा,“पाजी लड्डू खाने में किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं है लेकिन लड्डू खाने के बाद आप जो हरकतें करते हो ना.” इस बात पर पूरे हॉल में तालियां बजने लगीं. आपको बता दें कि इससे पहले शो पर आमिर खान आए थे.

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