प्रतिदान: भाग 1 – कौन बना जगदीश बाबू के बुढ़ापे का सहारा

बाबू साहब, यानी बाबू जगदीश नारायण श्रीवास्तव…रिटायर्ड जिला जज, अब गांव की सब से बड़ी हवेली के एक बड़े कमरे में चारपाई पर असहाय पड़े हुए थे. उन की आंखों के कोरों में आंसू के कतरे झलक रहे थे. वे वहीं अटके रहते हैं. हर रोज ऐसा होता है, जब रामचंद्र उन्हें नहलाधुला कर, साफ कपड़े पहना कर अपने हाथों से उन्हें खाना खिला कर अपने घर के काम निबटाने चला जाता है.

आज बाबू साहब के आंसू पोंछने वाला उन का अपना कोई आसपास नहीं है, लेकिन जब वे सेवा मेें थे, तो उन के पास सबकुछ था. संपन्नता, वैभव, सफल दांपत्यजीवन, सुखी और व्यवस्थित बच्चे. उन के 2 लड़के हैं. बड़ा लड़का उन की तरह ही प्रादेशिक न्यायिक सेवा में भरती हो कर मजिस्ट्रेट हो गया और आजकल मिर्जापुर में तैनात है. छोटे लड़के ने सिविल सेवा की तैयारी की और भारतीय राजस्व विभाग सेवा में नियुक्त हो कर आजकल मुंबई में सीमा शुल्क विभाग में बतौर डिप्टी कलेक्टर लगा हुआ है. दोनों के बीवीबच्चे उन के साथ ही रहते हैं.

बलिया से जब बाबू जगदीश नारायण रिटायर हुए तो दोनों बच्चों ने कहा जरूर था कि वे बारीबारी से उन के साथ रहें, पर उन का दिल न माना. दोनों लड़कों के बीच में बंट कर कैसे रहते? इसलिए इधरउधर दौड़ने के बजाय उन्होंने गांव में एकांत जीवन जीना पसंद किया और अपने पुश्तैनी गांव चले आए, जो अब कसबे का रूप धारण कर चुका था. चारों तरफ पक्की सड़कें बन चुकी थीं. घरों में बिजली लग चुकी थी. गांव का पुराना स्वरूप कहीं देखने को नहीं मिलता था.

बाबू जगदीश नारायण ने नौकरी में रहते हुए ही अपने पुराने कच्चे मकान को ध्वस्त कर हवेलीनुमा मकान बनवा लिया था. तब पत्नी जीवित थीं. वे खुद सशक्त और अपने पैरों पर चलनेफिरने लायक थे. सुबहशाम खेतों की तरफ जा कर काम देखते थे. पिता के जमाने से घर में काम कर रहे रामचंद्र को अपने पास रख लिया था. बाहर का ज्यादातर काम वही देखता था. मजदूर अलग से थे, जो खेतों में काम करते थे. घर में घीदूध की कमी न रहे इसलिए 2 भैंसें भी पाल ली थीं.

पतिपत्नी गांव में सुख से रहते थे. जीवन में गम क्या होता है, तब बाबू साहब को शायद पता भी नहीं था. छुट्टियों में दोनों लड़के आ जाते थे. घर में उल्लास छा जाता. दोनों बेटों के भी 2-2 बच्चे हो गए थे. वे सब आते, तो लगता उन से ज्यादा सुखी और संपन्न व्यक्ति दुनिया में और कोई नहीं है.

5 साल पहले पत्नी का देहांत हो गया. बेटे आए. तेरहवीं तक रहे. जब चलने लगे तो बेमन से कहा कि गांव में अकेले कैसे रहेंगे? बारीबारी से उन के पास रहें. गांव की जमीनजायदाद बेच दें. यहां उस का क्या मूल्य है? लेकिन उन्होंने देख लिया था कि बहुएं अपनेअपने पतियों से इशारा कर रही थीं कि पिताजी को अपने साथ रखने की कोई जरूरत नहीं है.

वैसे भी अपनी बहुओं की सारी हकीकत उन्हें ज्ञात थी. वे ठीक से उन से बात तक नहीं करती थीं. करतीं तो क्या वे स्वयं नहीं कह सकती थीं कि बाबूजी, चल कर आप हमारे साथ रहें. पर दिल से वे नहीं चाहती थीं कि बूढ़े को जिंदगी भर ढोएं और महानगर की अपनी चमकदार दुनिया को बेरंग कर दें.

बेटों को बाबू साहब ने साफ मना कर दिया कि वे उन में से किसी के साथ नहीं रहेंगे क्योंकि गांव से, खासकर अपनी कमाई से बनाई संपत्ति से उन्हें खासा लगाव हो गया था. बच्चे चले गए. एक बार मना करने के बाद दोबारा बच्चों ने चलने के लिए नहीं कहा. वे स्वाभिमानी व्यक्ति थे. जीवन में किसी के सामने झुकना नहीं सीखा था. कभी किसी के दबाव में नहीं आए थे. आज बेटों के सामने क्यों झुकते?

घर में वे और रामचंद्र रह गए. रामचंद्र की बीवी आ कर खाना बना जाती. जब तक वे बिस्तर पर न जाते, रामचंद्र अपने घर न जाता. पूर्ण निष्ठा के साथ वह देर रात तक उन की सेवा में जुटा रहता. दिन भर खेतों मेें मजदूरों के साथ काम करता, फिर आ कर घर के काम निबटाता. भैंसों को चारापानी देता. हालांकि उस की बीवी घर के कामों में उस की मदद करती थी, उस का ज्यादातर काम रसोई तक ही सीमित रहता था.

बाबू साहब को मधुमेह की बीमारी थी. जिस की दवाइयां वे लेते रहते थे. अचानक न जाने क्या हुआ कि उन के हाथपांवों में दर्द रहने लगा. घुटनों तक पैर जकड़ जाते और हाथों की उंगलियां

कड़ी हो जातीं. मुट्ठी तक न बांध पाते. सुबह नींद खुलने पर बिस्तर से तुरंत

नहीं उठ पाते थे. सारा शरीर जकड़ सा जाता.

पहले बाबू साहब ने आसपास ही इलाज करवाया. कोई फायदा नहीं हुआ तो जिला अस्पताल जा कर चेकअप करवाया. डाक्टरों ने बताया कि नसों के टिशूज मरते जा रहे हैं. नियमित टहलना, व्यायाम करना, कुछ चीजों से परहेज करना और नियमित दवाइयां खाने से फायदा हो सकता है. कोई गारंटी नहीं थी. फिर भी डाक्टरों का कहना तो मानना ही था.

जब वे अस्पताल में भरती थे तो दोनों बेटे एकएक कर के आए थे. डाक्टरों से परामर्श कर के और रामंचद्र को हिदायतें दे कर चले गए. किसी ने छुट्टी ले कर उन के पास रहना जरूरी नहीं समझा. उन की बीवियां तो आई भी नहीं. उन्हें यह सोच कर धक्का सा लगा था कि क्या बुढ़ापे में अपने सगे ऐसे हो जाते हैं. अंदर से उन्हें तकलीफ बहुत हुई थी लेकिन सबकुछ समय पर छोड़ दिया.

कुछ दिन अस्पताल में भरती रह कर बाबू साहब गांव आ गए. इलाज चल रहा था. पर कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा था. उन के पैर धीरेधीरे सुन्न और अशक्त होते जा रहे थे. रामचंद्र उन्हें पकड़ कर उठाता, तभी वे उठ कर बैठ पाते. चलनाफिरना दूभर होने लगा. उन्होंने बड़े बेटे को लिखा कि वह आ कर उन को लखनऊ के के.जी.एम.सी. या संजय गांधी इंस्टीट्यूट में दिखा दे.

बड़ा लड़का आया तो जरूर और उन्हें के.जी.एम.सी. में भरती करवा गया. पर इस के बाद कुछ नहीं. भरती कराने के बाद रामचंद्र से बोल गया कि जब तक इलाज चले, वह बाबूजी के साथ रहे. उस की बीवी को भी लखनऊ में छोड़ दिया.

रामचंद्र अपनी बीवी के साथ तनमन से बाबू साहब की सेवा में लगा रहा. धन तो बाबू साहब लगा ही रहे थे. उस की कमी उन के पास नहीं थी. पर न जाने उन के मन में कैसी निराशा घर कर गई थी कि किसी दवा का उन पर असर ही नहीं हो रहा था. अपनों के होते हुए भी उन का अपने पास न होने का एहसास उन्हें अंदर तक साल रहा था. डाक्टरों की लाख कोशिश के बावजूद वे ठीक न हो सके और लखनऊ से अपाहिज हो कर ही गांव लौटे.

अब स्थिति यह हो गई थी कि बाबू साहब चारपाई से उठने में भी अशक्त हो गए थे. रामचंद्र अधेड़ था पर उस के शरीर में जान थी. अपने बूते पर उन्हें उठा कर बिठा देता था तो वे तकियों के सहारे बिस्तर पर पैर लटका कर बैठे रहते थे.

एक दिन नौबत यह आ गई कि वे खुद मलमूत्र त्यागने में भी अशक्त हो गए. उन्हें बिस्तर से उतार कर चारपाई पर डालना पड़ा. चारपाई के बीच एक गोल हिस्सा काट दिया गया. नीचे एक बड़ा बरतन रख दिया गया, ताकि बाबू साहब उस पर मलमूत्र त्याग कर सकें.

अब आओ न मीता- क्या सागर का प्यार अपना पाई मीता

मेरी मां को बच्चेदानी का सर्विक्स कैंसर हुआ था, क्या मुझे भी होने का रिस्क है?

सवाल

मैं 32 साल की महिला हूं. मेरी मां को बच्चेदानी का सर्विक्स कैंसर हुआ था, जिस से वे दुनिया से चल बसीं. क्या मुझे भी यह कैंसर होने का रिस्क है? अपने बचाव के लिए मैं क्याक्या उपाय कर सकती हूं?

जवाब-

यह सच है कि कुछ खासखास कैंसरों जैसे ब्रैस्ट कैंसर में मां या बहन को कैंसर होने पर स्त्री में उस कैंसर के होने का रिस्क बढ़ जाता है, पर यह जोखिम सरविक्स कैंसर के साथ नहीं देखा गया. अब तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिस से सरविक्स कैंसर की उपज में जेनेटिक कारकों के होने की पुष्टि होती हो. अत: मां को हुए रोग को ले कर आप अनावश्यक ही यह चिंता न रखें कि कहीं आप को भी यह रोग तो नहीं हो जाएगा. बचाव के लिए अच्छा यह होगा कि आप अपने पर्सनल हाइजीन का पूरा ध्यान रखें. यदि कभी योनि से असामान्य खून आए तो उसे नजरअंदाज न करें और तुरंत गाइनोकोलौजिस्ट से सलाह लें.

बच्चों के लिए बनाएं खजूर की पैटीज

सर्दियों में अगर आप ड्राय फ्रूट्स से बना कुछ टेस्टी डिश अपने बच्चों के लिए ट्राय करना चाहती हैं तो ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट है. खजूर की बनी पैटीज हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी है, जिसे आप कम समय में बनाकर अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिला सकते हैं. तो आइए आपको बताते हैं खजूर की पैटीज की रेसिपी…

पैटीज के लिए हमें चाहिए

– 500 ग्राम आलू उबले व मैश किए

– 20 ग्राम आरारोट

– 4-5 हरीमिर्चें बारीक कटी

– नमक स्वादानुसार

– तलने के लिए तेल.

स्टफिंग के लिए हमें चाहिए

– 100 ग्राम खजूर बारीक कटे

– 20 ग्राम काजू बारीक कटे

– 10 ग्राम किशमिश बारीक कटी

– 10 ग्राम अनार के दाने

– 1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– 10 ग्राम घी

– 20 ग्राम मावा.

विधि

– पैटीज और स्टफिंग की सामग्री को अलगअलग बाउल में मिला कर तैयार कर लें.

– फिर पैटीज में स्टफिंग भर लें.

– कड़ाही में तेल गरम कर पैटीज को डीप फ्राई कर गरमगरम परोसें.

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं ये 6 तरह की चटनी

सर्दी हो या गर्मी हम हर मौसम में समोसे, पकौड़े या फिर भोजन के साथ चटनी खाना पसंद करते हैं. टेस्ट और शौक के हिसाब से हमारे घरों में कई तरह की चटनी बनाई जाती है. इन चटनी को हर कोई खाना पसंद करता है.

पर क्या आप जानती हैं कि घर में बनाई गई तरह तरह की यह चटनी आपको स्वस्थ बनाने में भी मददगार होती है. जी हां, चटनी केवल स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीज नहीं है बल्कि यह आपकी सेहत पर भी कई तरह के सकारात्मक प्रभाव डालती है.

आज हम आपको अलग-अलग तरह की चटनी का सेवन करने से होने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं.

पुदीने की चटनी

अगर आप पुदीने की चटनी खाना पसंद करती हैं और अक्सर ही अपने भोजन के साथ इसका सेवन करती हैं तो आप पाचन संबंधित बिमारियों से काफी हद तक दूर रहेंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि पुदीने की चटनी पाचन क्रिया को बेहतर रखने में बेहद लाभदायक है. यह भूख बढ़ाने के साथ-साथ अनेक बीमारियों जैसे- मिचली, कब्ज और उल्टी आदि को ठीक करने में मददगार होता है.

आंवले की चटनी

आंवला विटामिन ‘सी’ का बेहतरीन स्रोत है. यह शरीर में रोग-प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने का काम करता है. इसके इस्तेमाल से त्वचा संबंधी समस्याएं नहीं होतीं. इसके अलावा आंवले की चटनी खाने से कोलेस्ट्रौल लेवल में भी कमी आती है. साथ ही यह इंसुलिन का स्राव और डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायता करती है.

धनिए के पत्ते की चटनी

हमारे घरों में धनिए की चटनी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है. यह पाचन बढ़ाने की सर्वोत्तम दवा है. इसमें विटामिन ‘सी’ के साथ-साथ विटामिन ‘के’ भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है. इसका सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है.

प्याज और लहसुन की चटनी

लहसुन एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इन्फ्लेमेट्री गुणों से भरपूर होता है, इसलिए प्याज और लहसुन की चटनी से कब्ज और पाइल्स जैसी समस्याएं ठीक हो जाती हैं. इसके अलावा यह चटनी डायबिटीज कंट्रोल करने में भी लाभकारी है.

टमाटर की चटनी

टमाटर की चटनी में विटामिन्स और ग्लूटाथायोन काफी मात्रा में पाया जाता है. स्वस्थ जीवन के लिए टमाटर की चटनी का नियमित सेवन किया जाना चाहिए. इसमें कैंसर का इलाज करने वाले गुण पाए जाते हैं.

करी के पत्ते की चटनी

करी के पत्ते आयरन और फोलिक एसिड के बेहतरीन स्रोत होते हैं. फोलिक एसिड शरीर में आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाने का काम करता है. एनीमिया से ग्रस्त लोगों के लिए करी के पत्ते की चटनी वरदान की तरह है.

 

सिद्ध बाबा: क्यों घोंटना पड़ा सोहनलाल को अपनी ही बेटी का गला?

अपनी पत्नी को भोजन ले जाते देख सोहनलाल पूछ बैठे, ‘‘यह थाली किस के लिए है?’’

‘‘क्या आप को नहीं मालूम?’’

‘‘मुझे कुछ नहीं मालूम,’’ सोहनलाल झल्ला कर बोले.

‘‘सूरदास महाराज के लिए…’’ पत्नी ने सहजता से जवाब दिया.

‘‘बंद करो उस का भोजन,’’ सोहनलाल चीखे तो पत्नी के हाथ से थाली गिरतेगिरते बची. वह आगे बोले, ‘‘पिछले 5 साल से उस अंधे के बच्चे को खाना खिला रहा हूं. उस से कह दो कि यहां से जाए और भिक्षा मांग कर अपना पेट भरे. मेरे पास कुबेर का भंडार नहीं है.’’

‘‘गरीब ब्राह्मण है. अगर उस के घर वाले न निकालते तो भला क्यों आप के टुकड़ों पर टिका रहता. इसलिए जैसे 10 लोग खाते हैं, वैसे एक वह भी सही,’’ कहते हुए पत्नी ने थाली को और मजबूती से पकड़ा और आगे बढ़ गई.

थोड़ी देर बाद जब वह सूरदास के पास से लौटी तो सोहनलाल उसे देखते ही पुन: बोल उठे, ‘‘आखिर उस अंधे से तुम्हें क्या मिलता है?’’

‘‘तुम्हें तो राम का नाम लेने की फुरसत नहीं…कम से कम वह इस कुटिया में बैठाबैठा राम नाम तो जपता रहता है.’’

‘‘यह अंधा राम का नाम लेता है? अरे, जिस की जबान हमेशा लड़खड़ाती रहती हो वह…लेकिन हां, उस ने तुम पर जरूर जादू कर दिया है…’’

‘‘तुम आदमी लोग हमेशा फायदे की बात ही सोचते हो…सूरदास महाराज कोई साधारण इंसान नहीं हैं. वे सिद्ध बाबा हैं.’’

‘‘अच्छा…लगता है, उस ने तुम्हें कोई खजाना दिला दिया है?’’ सोहनलाल की आवाज में व्यंग्य का पुट था.

‘‘खजाना तो नहीं, लेकिन जब से उन के चरण इस घर में पड़े हैं, किसी चीज की कोई कमी नहीं रही. चमनलाल की पत्नी ने एक बार बाबा से हंसते हुए पूछा था कि क्या उस के पति की पदोन्नति होगी तो सूरदासजी ने कहा कि 3 महीने के अंदर हो जाएगी.’’

‘‘तो हुई?’’

‘‘हां, हुई, दोनों पतिपत्नी तब यहां आए थे. सूरदास महाराज ने उन्हें पुन: आशीर्वाद दिया. उन्होंने महाराजजी के चरणों में 501 रुपए और एक नारियल की भेंट भी चढ़ाई.’’

 

501 का आंकड़ा सुनते ही सोहनलाल अपने स्थान से उठ खड़े हुए. उन्हें यह सब आश्चर्य लगा. विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिस की जबान लड़खड़ाती है, पूरा दिन सोता रहता है, गंदगी का सैलाब अपने चारों तरफ इकट्ठा किए रहता है, उस के पास इतनी बड़ी सिद्धि हो सकती है. वे एकाएक मुसकरा उठे. पत्नी इस रहस्य को न समझ सकी.

सोहनलाल ने इशारे से पूछा, ‘‘501 रुपए हैं कहां?’’ उन की पत्नी भी मुसकरा दी. इशारे से ही जवाब दिया कि वह राशि उन के पास ही है. सोहनलाल चुपचाप उठे और सूरदास के कमरे की ओर बढ़ गए. उस वक्त सूरदास जमीन पर लेटा सींक से दांत साफ कर रहा था. सोहनलाल को लगा कि जैसे सूरदास के चेहरे पर कोई विशेष आभा चमक रही हो. उन्हें लगा कि वह जमीन पर नहीं बल्कि फूलों की शैया पर लेटा हो. उन्होंने सूरदास के चरणों में अपना सिर टिका दिया, ‘‘मेरी भूल क्षमा करो महाराज. मैं आप को पहचान नहीं पाया.’’

‘‘कौन…सोहनलाल?’’ सूरदास उठ कर बैठ गया.

‘‘जी, महाराज…मैं सोहनलाल.’’

‘‘लेकिन तुम तो मुझे अंधा ही कहो. मैं कोई सिद्ध बाबा नहीं हूं. यह तो तुम्हारी पत्नी का भ्रम है.’’

‘‘भ्रम ही सही, महाराज, मैं भी चाहता हूं कि यह भ्रम हमेशा बना रहे.’’

‘‘इस से क्या होगा?’’

‘‘यह जीवन का सब से सुनहरा सुअवसर होगा.’’

‘‘मैं समझा नहीं, तुम कहना क्या चाहते हो?’’

सोहनलाल ने आराम से बगल में बैठ कर सूरदास के कंधे पर हाथ रख दिया. फिर धीरे से बोले, ‘‘देखो सूरदास, मुझे मालूम है कि तुम कोई सिद्धविद्ध नहीं हो, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम सिद्ध बाबा बन जाओ. इस विज्ञान के युग में भी लोग चमत्कारों पर विश्वास करते हैं.’’ ‘‘लेकिन चमत्कार होगा कैसे? और इस से फायदा क्या होगा?’’

‘‘अब सही जगह पर लौटे हो, सूरदास. अगर 100 लोग आशीर्वाद लेने आएंगे तो 10 का काम होगा ही. 10 के नाम पर 100 का चढ़ावा मिलेगा. घर बैठे धंधा खूब चलेगा… हम दोनों का आधाआधा हिस्सा होगा.’’ सूरदास के चेहरे पर चमक आ गई. उस का अंगअंग फड़क उठा. वह चहक कर बोला, ‘‘लेकिन यह सब होगा कैसे?’’ ‘‘यह काम मेरा है.’’ सूरदास की चर्चा चमनलाल की पत्नी ने अपने पड़ोसियों से की. साथ ही सोहनलाल की पत्नी ने इस बारे में अपने परिचितों को बताया.

उधर सोहनलाल ने इसे एक अभियान का रूप दे दिया. चर्चा 2-4 लोगों के बीच शुरू हुई थी लेकिन हवा शहर के आधे हिस्से में फैल गई. शाम को सूरदास के साथ सोहनलाल किसी मुद्दे पर चर्चा कर ही रहे थे कि उन की पत्नी अपने साथ 2 औरतों को ले कर आ पहुंची.

सोहनलाल उन औरतों को देखते ही एक तरफ बैठने का इशारा कर के स्वयं सूरदास के पैर दबाने लगे. सूरदास समझ गया कि कोई अंदर आया है. उस ने गंभीर स्वर में पूछा, ‘‘सोहनलाल, कौन आया है?’’

‘‘स्वामीजी, आप के भक्त आए हैं.’’

सोहनलाल की बात पूरी हुई ही थी कि दोनों महिलाएं सूरदास के पांव  छूने लगीं.

‘‘सदा सुखी रहो,’’ सूरदास ने उन के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.

लेकिन किसी नारी का पहली बार स्पर्श पा कर उस का पूरा शरीर रोमांचित हो उठा. वह तुरंत बोला, ‘‘भगवान का दिया हुआ तो तुम्हारे पास बहुत कुछ है, लेकिन फिर भी इतनी चिंतित क्यों हो, बेटी?’’

सूरदास की बात सुन कर वृद्ध महिला, जो अपनी बहू को ले कर आई थी, आंखें फाड़फाड़ कर सूरदास की ओर देखने लगी.

‘‘स्वामीजी, ये विपिन की मां हैं, साथ में इन की बहू भी है. शादी को 7 साल हो गए हैं, लेकिन…’’

सोहनलाल की पत्नी इतना ही बोल पाई कि सूरदास ने आगे की बात पूरी कर दी, ‘‘तो क्या हुआ? विपिन अब तक बच्चा चाहता ही नहीं था. जो प्रकृति का नियम है वह तो होना ही है.’’

‘‘सच, महाराजजी,’’ विपिन की मां पूछ बैठीं.

‘‘बाबा जो कह दें उस पर तर्क की गुंजाइश नहीं रहती, मां,’’ सोहनलाल ने कहा.

उसी समय एक औरत थाली में फलफूल लिए ‘सिद्ध बाबा की जय, सिद्ध बाबा की जय’ कहती हुई अंदर आ पहुंची. सभी की निगाहों ने उसे घेर लिया. सोहनलाल के चेहरे पर मुसकराहट थिरकने लगी. उस औरत ने थाली सूरदास के सामने रखते हुए अपना माथा उस के चरणों में झुका दिया. फिर मधुर वाणी में बोली, ‘‘स्वामीजी, आप का आशीर्वाद फल गया, बहू को लड़का हुआ है. मैं आप की सेवा में कुछ फलफूल ले कर आई हूं. कृपया स्वीकार कर लीजिए.’’

विपिन की मां ने देखा कि थाली में फलफूल के अलावा भी 100-100 के कई नोट रखे हुए हैं, लेकिन सूरदास लेने से इनकार कर रहा है. साथ में यह भी कह रहा है कि मुझे इन सारी चीजों का क्या करना. मैं तो सोहनलाल की दो रोटियों से ही खुश हूं.

लेकिन वह महिला न मानी और थाली वहीं पर छोड़ कर माथा टेकते हुए बाहर निकल गई. विपिन की मां को कुछ झेंप सी हुई. चलते वक्त उन्होंने भी अपना पर्स खोला और 200 रुपए निकाल कर सूरदास के चरणों में रख दिए. फिर वह सोहनलाल की पत्नी के साथ बाहर निकल आई और बोली, ‘‘स्वामीजी ने समय तो नहीं बताया.’’

‘‘हो सकता है, अभी कुछ और समय लगे, लेकिन विपिन की मां, लड़का तो अवश्य होगा. सूरदास महाराज की वाणी असत्य नहीं कह सकती. परंतु डाक्टरी इलाज अवश्य जारी रखना.’’

वक्त ने पलटा खाया और सूरदास सिद्ध बाबा के रूप में प्रसिद्ध हो गया. उसे सिद्ध बाबा बनाने में सोहनलाल का काफी योगदान रहा. मौका देख कर सिद्ध बाबा की वाहवाही करने के लिए उस के पास दर्जनों स्त्रीपुरुष थे, जो वेश बदल कर जनता के सामने उस के पास जाते और चरणों में फलफूल के साथ हजारों रुपए और सोनेचांदी के उपहार चढ़ाने का वचन दे कर बाबा से आशीर्वाद ले आते.

सिद्ध बाबा की चर्चा अब केवल उस क्षेत्र तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उन के चरणों में मुंबई, कोलकाता और दिल्ली से भी लोग आने लगे थे. सोहनलाल अब बहुत मालदार हो गए थे. सूरदास के लिए एक बहुत ही खूबसूरत मंदिर का निर्माण कराया गया. सोहनलाल का बंगला भी कम न था और जीप, कार का तो कहना ही क्या.

सूरदास के घर वाले पास जा कर देखते भी तो उन्हें विश्वास न होता कि क्या यह वही सूरदास है जिसे सावन की झड़ी में उन्होंने घर से बाहर निकाल दिया था. घने काले बाल, मुलायम दाढ़ी जैसे सचमुच कोई ऋषिमुनि हो. उन्हें रहस्य मालूम हो गया था, लेकिन बोल नहीं सकते थे. चारों तरफ मौन का आतंक था.

सोहनलाल की कृपा से सूरदास अब पूरी तरह से व्यभिचारी हो गया था. लड़की और शराब उस के व्यसन बन चुके थे. एक दिन धर्मशाला में रात के समय किसी स्त्री के सिसकने की आवाज उभरी. चारों तरफ अंधेरा था.

एक नारी का स्वर उभरा, ‘‘मां, ऐसे दरिंदे के पास लाई थीं मुझे. यह सिद्ध बाबा नहीं, शैतान है, शैतान. इस ने मेरी इज्जत लूट ली. मां, मैं इसे नहीं छोड़ूंगी.’’ ‘‘नहीं, बेटी,’’ मां जैसे समझाने और चुप करने की चेष्टा कर रही थी. लेकिन अंधेरे का सन्नाटा टूट चुका था, ‘‘सिद्ध बाबा के हाथ बड़े लंबे हैं. तेरी जबान काट ली जाएगी. सुबह होते ही यहां से निकल चलें, इसी में हमारी भलाई है.’’

उस वक्त सूरदास का बड़ा भाई चौकसी कर रहा था. जब उस ने यह सब सुना तो वह बुरी तरह से विचलित हो उठा. उसी वक्त उस ने निर्णय किया कि सोहनलाल को सबक सिखा कर ही रहेगा. सुबह से भीड़ आ कर सोहनलाल को घेर लेती थी. सूरदास का बड़ा भाई अलग से जा कर उस से कुछ कहना चाह रहा था कि उसी समय एक आदमी दौड़ता हुआ आया और घबराए हुए स्वर में बोला, ‘‘आप की बेटी की तबीयत काफी खराब है, मांजी ने फौरन बुलाया है.’’

सोहनलाल चुपचाप उठे और शीघ्रता से अपने बंगले की ओर चल दिए. उन की बेटी को 3-4 उलटियां हुई थीं. शायद इसी वजह से बेहोश हो गई थी.

सोहनलाल बेटी की ऐसी हालत देख कर गुस्से में पत्नी से बोले, ‘‘ऐसे मौके पर डाक्टर को टेलीफोन करना चाहिए था,’’ फिर उन्होंने खुद ही रिसीवर उठा कर डायल घुमाना ही चाहा था कि उन की पत्नी ने हाथ पकड़ लिया, ‘‘डाक्टर की आवश्यकता नहीं है.’’

‘‘क्या बात है?’’ उन्होंने गंभीरता से पूछा.

‘‘हमारी बेटी गर्भवती है.’’

‘‘क्या…?’’

सोहनलाल का चेहरा फक पड़ गया.

‘‘गर्भ सूरदास का है. उस वहशी ने हमारा घर भी नहीं छोड़ा,’’ पत्नी ने आंसू बहाते हुए कहा.

‘‘उस कुत्ते की मैं हत्या कर दूंगा. कमीने को जिस थाली में खाना खिलाया उसी में छेद कर दिया,’’ सोहनलाल यह सब एक झटके में बोल गए, लेकिन उन्हें लगा कि जैसे वह कुछ गलत बोल गए हैं.

‘नहींनहीं, सूरदास की हत्या…कभी नहीं. भला कोई सोने के अंडे देने वाली मुरगी की भी हत्या करता है,’ सोचते हुए उन के चेहरे पर मुसकराहट दौड़ने लगी. होंठ फड़फड़ाए, ‘‘गर्भपात.’’

‘‘लेकिन कैसे?’’

‘‘दुनिया बहुत बड़ी है. हम लोग कुछ दिनों के लिए बाहर चले जाएंगे.’’

‘‘लेकिन लड़की उस के लिए तैयार नहीं है.’’

एकबारगी सोहनलाल का चेहरा तमतमा उठा, ‘‘वह क्या चाहती है?’’

‘‘सूरदास से शादी.’’

‘‘बेबी…’’ सोहनलाल ने बेटी को पुकारा. फिर चुपचाप उठे और बेटी के पास जा कर बैठ गए. उस के सिर पर धीरे से हाथ रख कर बोले, ‘‘बेबी, नादानी नहीं करते, कोई भी निर्णय इतनी जल्दी नहीं लेना चाहिए.’’

‘‘पिताजी, आप ने ही तो मुझे सूरदास के हवाले किया था. फिर अब इतने परेशान क्यों हैं?’’ बेबी बोली.

‘‘क्या बकती हो? तुम्हें इतना भी नहीं मालूम कि मैं तुम्हारा बाप हूं.’’

‘‘रिश्ते अपने मूल्य क्यों खो चुके हैं पिताजी, बताइए न? मेरी सहेली क्या आप की बेटी नहीं थी?’’

‘‘बेबी, होश में आओ. तुम्हें मेरा गुस्सा नहीं मालूम.’’

‘‘पिताजी, मैं ने तो सूरदास को अपना पति मान लिया है…’’

‘‘बेबी…तुम्हें मृत्यु से डरना चाहिए.’’

‘‘नहीं पिताजी, मृत्यु से तो कायर डरते हैं.’’

सोहनलाल ने सहसा पूरी ताकत के साथ बेबी की गरदन दबोच ली तो पत्नी चिल्लाई, ‘‘यह आप क्या कर रहे हैं?’’

‘‘समय के साथ समझौता…’’

परंतु तब तक बेबी की आंखें बाहर आ गई थीं और पूरा शरीर ठंडा पड़ गया था.

कमरे में सन्नाटा फैला हुआ था. सोहनलाल की पत्नी प्रस्तर प्रतिमा बनी शून्य में निहार रही थी.

क्या आप भी रोज करती हैं बालों को स्ट्रेट

लड़कियां हमेशा लेटेस्ट फैशन ट्रेंड को फॉलो करती हैं चाहें फिर आउटफिट हो या हेयरस्टाइल. हेयरस्टाइल की बात करें तो ज्यादातर लड़कियां अपने आउटफिट के हिसाब से हेयरस्टाइल का चुनाव करती हैं.

बार-बार हेयरस्टाइल चेंज करने से बालों को नुकसान पहुंचता है खासकर स्ट्रेट करने से. लगातार स्ट्रेटनिंग करने से बाल टूटने शुरू हो जाते है. आज हम आपको स्ट्रेटनिंग करने के कुछ ऐसे नुकसान बताएंगे जिसके बाद आप अपने बाल स्ट्रेट करने से पहले एक बार जरूर सोचेंगी.

बालों की चमक

नियमित रुप से स्ट्रेटनिंग करने से बालों की प्राकृतिक चमक गायब हो जाती है. बाल रुखे और बेजान दिखाई देते हैं.

खुजली

स्ट्रेटनिंग करने से सिर की त्वचा पर बुरा असर पड़ता हैं. इसकी वजह से बालों के पोर्स खत्म हो जाते हैं जिससे बालों को मॉइश्चराइज करने के लिए पर्याप्त ऑयल नहीं मिलता. इससे बालों में खुजली जैसी समस्या पैदा हो जाती है. ऐसे में रोजाना स्ट्रेटनिंग करने से बचें.

जलन की समस्या

स्ट्रेटनिंग करने से फॉर्मलडिहाइड गैस निकलती है जो बालों को नुकसान पहुंचाती है. इसके अलावा इससे नाक, त्वचा, आंखों और फेफड़ों में जलन हो सकती है.

कमजोर बाल

रोजाना स्ट्रेटनर का इस्तेमाल करने से बाल झड़ने लगते है और कमजोर हो जाते है. इससे दोमुंहें बालों की समस्या उत्पन्न हो सकती है.

रुखे बालों की समस्या

स्ट्रेटनिंग करने से बाल रुखे हो जाते हैं. इसकी हीट से नैचुरल ऑयल खत्म हो जाता हैं जिससे बाल अनसुलझे हो जाते हैं.

गर्मियों के मौसम में दिखना चाहती हैं कुछ खास तो ट्राई करें ये ड्रेसैस

गर्मियों का मौसम आ गया है और इस मौसम में हम लोग ऐसे कपड़े पहनना चाहते हैं जो आरामदायक हो. हम लड़कियां भी अपने लुक को स्टाइलिश और सिंपल रखना चाहती हैं. इस मौसम में वो कपड़े पहने जो हल्के रंग के हों और आंखों को अच्छे लगें. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आज आपके साथ शेयर कर रहे हैं 5 तरह के सूट के डिजाइन.

1) पटियाला सूट– सलवार सूट मूल रूप से पंजाब की ड्रेस है, पंजाब में हर लड़की आपकों इस ड्रेस में निल जाएगी। पटियाला सलवार में हमेशा छोटी गोल कट की कुर्ति सूट करती है. पटियाला सलवार 2 तरह की होती है सेमी पटियाला और फुल पटियाला.

2) अनारकली सूट– इस मौसम में अगर आप जॉर्जेट का बना अनारकली सूट पहनेंगी तो इसे सिंपल लैगिंग के साथ कैरी कर सरती हैं और लुक की बात है तो गर्मियां होने के कारण बाल बांधकर रख सकती हैं.

3) शरारा सूट- अगर आप हल्की फुल्की पार्टी में जा रही हैं तो शरारा कैरी कर सकती हैं. यह आपको सादगी भरा लुक मिलेगा. इसे कैरी करने में भी परेशानी नहीं होगी क्योंकि यह नीचे से खुला होता है. इसके साथ आप बालों को खोलकर हाफ क्लच कर सकती हैं.

4) अंगऱखा स्टाइल – बात अगर सूट सलवार की हो तो हमारे पास कई सारे औपशंस हैं, अंगरखा स्टाइल राजस्थान में ज्यादा चलता है. यह रजवाड़ों की परंपरा है. ये देखने में बहुत खूबसूरत लगता है और इसे आप औफिस में भी पहनकर जा सकते हैं.

5) प्लाजो कुर्ता- प्लाजो कुर्ता आजकल बहुत ज्यादा ट्रेंड में है. इसे आर आराम से डेली वियर और औफिस में पहन सकती हैं.सादी भाषा में कहें तो यह पजामें का मॉडिफाइड वर्जन है. वर्किंग वुमेंस के लिए ये ड्रेस बहुत अच्छा औब्शन है.

6) सलवार सूट- सलवार सूट एवरग्रीन ड्रेस है जिसका फैशन कभी नहीं जाता। इन्हें आप घर और बाहर दोनों जगह आराम से कैरी कर सकती हैं. अगर ट्रैवल करना है या फैमिली गेट टुगेदर में जाना है तो इससे बढ़िया और अच्छा औप्शन कुछ नहीं है.

इंटरनेशनल डांस डे पर छोटे पर्दे के कलाकारों ने डांस के लिए ज़ाहिर किया अपना प्यार और जुनून

हर साल 29 अप्रैल को मॉडर्न बैले डांस स्टाइल के क्रिएटर जॉर्जेस नोवरे काजन्मदिन मनाया जाता है, जिसे अब इंटरनेशनल डांस डे के रूप में मान्यता दी गई है. असल में डांस एक आर्ट फॉर्म है, जो लोगों को अलग-अलग डांस स्टाइल्स के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त करने और कहानियां कहने में सक्षम बनाता है. इतना ही नहीं ये मानसिक रूप से व्यक्ति को खुशी देता है.  डांस एक तरह की थिरेपी है, जो लोगों को आज़ाद होकर जीने की प्रेरणा देता है.  डांस करने का कोई सही या गलत तरीका नहीं है, क्योंकि इसका मजा बस म्यूज़िक की धुन पर थिरकते हुए लिया जा सकता है. आइए जानते है कि छोटे पर्दे की सेलेब्स का डांस के बारें में राय क्या है.

मुनीरा कुदरती

अभिनेत्री मुनिर कुदरती कहती है कि बचपन से ही डांस मेरी जिंदगीमें लगातार चलने वाली चीजों में से एक रहा है. मुझे याद है जब मैं छोटी थी, तो मुझे म्यूज़िक वीडियो देखना और एक्टर्स के स्टेप्स को कॉपी करना बहुत अच्छा लगता था. बाद में जब मुझे डांस के प्रति अपने प्यार का एहसास हुआ, तो मैंने अपने स्कूल के एक बहुत ही प्रतिभाशाली डांस टीचर से डांस सीखना शुरू कर दिया.  जब भी मैं डांस करती हूं, तो खुद को उसमें पूरी तरह डुबो देती हूं और तब यह मुझे ध्यान जैसा लगता है. आज भी, मुझे डांस वर्कशॉप्स में भाग लेना और इसके अलग-अलग फॉर्म्स को सीखना पसंद है. डांस एक ऐसी चीज है जो आपको हर परेशानी, हर उलझन से आज़ाद करता है और आपके दिमाग को तरोताजा कर देता है.

निक्की शर्मा

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अभिनेत्री निक्की का मानना है कि डांस वर्कआउट करने का एक शानदार तरीका है और चूंकि मैं एक फिटनेस फ्रीक हूं, इसलिए जब भी मौका मिलता है मैं डांस करना पसंद करती हूं. यह डांस के प्रति मेरा जुनून था जिसने एक्टिंग के क्षेत्र में मेरे लिए रास्ता बनाया. अब, प्यार का पहला अध्याय शिवशक्ति के सेट पर भी, शॉट्स के बीच में जब भी मुझे समय मिलता है, मैं अर्जुन या अपने बाकी को-एक्टर्स के साथ कुछ डांस वीडियोज़ बनाने की कोशिश करता हूं.  अपने बचपन के दिनों में, मैं सोचती थी कि अगर मुझे डांस करना आता, तो मैं निश्चित रूप से एक एक्ट्रेस बन सकती हूं, लेकिन मुझे नहीं पता था कि इसके लिए बहुत कुछ करना पड़ता है. इस इंटरनेशनल डांस डे पर मैं एक सलाह देना चाहूंगी,जब भी आप कुछ उदास महसूस करें, तब अच्छा म्यूज़िक और थोड़ा-सा मूवमेंट आपके दिन को खुशनुमा बना सकता है.

राची शर्मा

कुमकुम भाग्य फ़ेम राची शर्मा कहती है कि मुझे डांस करना बहुत पसंद है, मेरे लिए यह तनाव दूर करने की सबसे अच्छी दवा है. एक स्टुडेंट के रूप में, मैं अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में कई डांस प्रतियोगिताओं में भाग लेती थी.  मुझे अब भी याद है कि स्कूल में हमारे पास अपनी हॉबी क्लास चुनने के विकल्प थे और मैंने डांस क्लास चुनी.  मुझे लगता है कि डांस आपकी भावनाओं को ज़ाहिर करने का एक तरीका और सुकून की प्रक्रिया है.  क्लासिकल डांस स्टाइल के साथ-साथ मैं कॉन्टेम्पररी डांस स्टाइल सीखने के लिए भी उत्सुक रहती हूँ.  मुझे म्यूज़िक ड्रामा में भाग लेना बहुत पसंद था और इसमें बहुत मजा भी आता था, जहां हम आज इंटरनेशनल डांस डे मना रहे हैं, इसलिए सभीकी यूनिवर्सल भाषा डांस होनी चाहिए, जो सरहदों और संस्कृतियों को जोड़ सकें.

निहारिका रॉय

अभिनेत्री निहारिका रॉय का कहना है कि मेरे लिए डांस किसी भावना से कम नहीं है. एक प्रशिक्षित डांसर के रूप में, मुझे म्यूज़िक की धुन से ज्यादा खुशी और कोई नहीं देता. एक व्यस्त दिन के बाद, सारा तनाव और थकान दूर करने का मेरा तरीका है. अपने कमरे में अपने पसंदीदा गानों पर खुलकर डांस करना. मेरी सुबह की शुरुआत मेरी वार्म-अप एक्सरसाइज़ के रूप में जोशीली धुनों पर डांस करने से होती है. असल में, मुझे अपने काम से प्यार है, क्योंकि यह अक्सर मुझे नए डांस फॉर्म्स सीखने के साथ-साथ डांस का मजा लेने का मौका भी देता है. लोगों से मेरा बस यही अनुरोध है कि वे कुछ ऐसा करें जिससे उन्हें खुशी और शांति मिले और मेरे लिए डांस वही काम करता है.

सीरत कपूर

स्कूल में हर समारोह और प्रतियोगिता में भाग लेना, डांसिंग की मेरी सबसे पुरानी यादों में से एक है। डांस मेरा पहला प्यार है। बचपन में मैं सभी पार्टियों और कार्यक्रमों में परफॉर्म करती थी, और हर बार ‘कजरा रे‘ मेरा फेवरेट गाना होता था। आज भी डांस मुझे तरोताजा और चुस्त महसूस कराता है। सेट पर हम सिर्फ पोस्ट करने के लिए नहीं बल्कि मनोरंजन के लिए भी डांस वीडियो बनाना पसंद करते हैं। मैं, येशा और रेमन मैम को समय-समय पर डांस पार्टी करना पसंद है। जब भी मैं बाहर जाती हूं, तब मुझे बस शानदार बॉलीवुड और पंजाबी म्यूज़िक पर डांस  करने की फिक्र रहती है और यह वाकई मेरा दिन बना देता है।”

पारस कलनावत

कुंडली भाग्य फ़ेम पारस कलनावत कहते है कि डांस मुझमें खुशी, शांति और आज़ादी का एहसास जगाता है. कुंडली भाग्य में काम करने से मुझे एक्टिंग और डांस के प्रति अपने जुनून को जीने और डांस शेयर करने को मिलता है. मेरे टैलेंटेड को-एक्टर्स के साथ डांस करना हमेशा मजेदार होता है. कभी भी पेशेवर डांसर न होने के बावजूद, मैंने अपनी घबराहट को कभी डांस के प्रति अपने प्यार में रुकावट नहीं बनने दिया. चाहे त्यौहार हों या कोई दिल छू लेने वाला पल, डांस हमारी कहानी कहने में जादू जोड़ता है. इंटरनेशनल डांस डे पर, आइए डांस की खुशी और लोगों को जोड़ने की इसकी क्षमता का जश्न मनाएं.

सुखी विवाह जीवन में मित्रों की भूमिका

विवाहित जोड़ों के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि वे उन दोस्तों का सही चयन करें जो उन की शादी को बढ़ावा देते हों और उन का साथ देते हों…

अमर और रीना की नई-नई शादी हुई थी. उन की शादी को 6 महीने गुजर गए थे. सबकुछ सामान्य चल रहा था. दोनों अपने विवाह और एकदूसरे से बहुत खुश थे. फिर अचानक एक समस्या उठ खड़ी हुई. वह ऐसी थी जिसे न किसी को बता सकते थे और न उस के बारे में किसी से सलाह ले सकते थे. अचानक जिंदगी जैसे बदल सी गई और उन का वैवाहिक जीवन के लिए पहले सा उत्साह जैसे ठंडा होने लगा.

उन के एक मित्र समीर ने इस बात को समझ. उस ने अमर से इशारोंइशारों में बात पूछने की कोशिश की. लेकिन जब अमर ने कोई जवाब नहीं दिया तो एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ अमर के घर पहुंच गया और दोनों ने खुल कर अमर और रीना से उन की समस्या पूछ ली. तब अमर और रीना ने भी खुल कर अपनी समस्या बता दी.

समस्या सुन कर समीर और उस की पत्नी हंस पड़ी. फिर उन्होंने बताया कि कभी वे भी इस दौर से गुजर चुके हैं और उस समस्या का उन्होंने क्या हल निकाला था बता दिया.

अमर और रीना ने उन के मुताबिक अपनी समस्या का समाधान कर लिया और फिर से उन के जीवन में वे सारी खुशियां लौट आईं जो कुछ दिनों से खो गई थीं. यह केवल अपने युगल मित्र की दोस्ती और सहायता से ही मुमकिन हो सका.

एक पवित्र बंधन

शादी 2 लोगों के बीच एक खूबसूरत और पवित्र बंधन है जो एकदूसरे से प्यार करते हैं और अपना जीवन एकसाथ बिताना चाहते हैं. लेकिन शादी भी एक चुनौतीपूर्ण और जटिल रिश्ता है जिस के लिए दोनों भागीदारों से निरंतर काम और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. उन कारकों में से एक जो जोड़ों को एक खुशहाल और स्वस्थ विवाह बनाए रखने में मदद कर सकता है, दोस्तों की एक मजबूत सहायता प्रणाली है जो प्रोत्साहन, सलाह और सहयोग प्रदान कर सकती है.

ऐसे दोस्त बनाना जो विवाहरूपी जीवन के रथ को आगे बढ़ाएं और उसे आगे बढ़ाने में सहायता करें.

जब विवाह में साथ देने की बात आती है तो सभी दोस्त समान नहीं बनाए जाते हैं. कुछ मित्र वैवाहिक संबंधों के प्रति विषैले, नकारात्मक या अप्रभावी भी हो सकते हैं, जबकि कुछ वैवाहिक बंधन के प्रति वफादार, सकारात्मक और सहायक हो सकते हैं. उन दोस्तों से बचें या उन्हें सीमित करें जो उन की शादी को कमजोर करते हों या खतरे में डालते हों.

गोपनीयता का सम्मान

एक विवाहित जोड़े के लिए एक अच्छे दोस्त के कुछ गुण ये हो सकते हैं:

वे दोस्त विवाह की सीमाओं और गोपनीयता का सम्मान करते हैं. वे वैवाहिक मुद्दों या निर्णयों के बारे में हस्तक्षेप या गपशप नहीं करते हों बल्कि निस्स्वार्थ भावना से निष्पक्ष सलाह देते हों.

वे जो शादी की सफलता और खुशियों का जश्न मनाते हों. वे वैवाहिक उपलब्धियों या खुशी से ईर्ष्या नहीं करते हों, आलोचना नहीं करते.

वे दोस्त जो विवाह की चुनौतियों और कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति रखते हों. वे वैवाहिक जीवन के टकराव या ?झगड़ों को पूरी ईमानदारी से आंकते हों, दोष नहीं देते हों या हतोत्साहित नहीं करते हों.

पूछे जाने पर वे रचनात्मक और ईमानदार प्रतिक्रिया और सलाह देते हों. वे वैवाहिक विकल्पों या कार्यों को थोपते, हेरफेर या दबाव नहीं डालते हों.

वे जरूरत पड़ने पर भावनात्मक और व्यावहारिक सहायता प्रदान करते हों. वे वैवाहिक आवश्यकताओं या अनुरोधों की उपेक्षा, परित्याग या शोषण नहीं करते हों.

व्यक्तिगत मित्रता को संतुलित रखना

आज के युग में जबकि व्यक्तिगत मित्रता विवाह के बाहर किसी की पहचान और हितों को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है. वैवाहिक संबंध और संतुष्टि को बढ़ाने के लिए विवाहित युगल मित्रता का होना भी फायदेमंद है. विवाहित युगल मित्रता 2 जोड़ों के बीच की मित्रता है जो समान मूल्यों, लक्ष्यों और गतिविधियों को साझा करती है. विवाहित युगल मित्रता एक जोड़े के रूप में मेलजोल, सीखने और एकसाथ बढ़ने के अवसर प्रदान कर सकती है.

हालांकि विवाहित युगल मित्रता के साथ व्यक्तिगत मित्रता को संतुलित करना मुश्किल हो सकता है खासकर यदि एक साथी के पास दूसरे की तुलना में अधिक या कम दोस्त हैं या यदि एक साथी के दोस्तों को दूसरे साथी के दोस्तों का साथ नहीं मिलता है. स्वस्थ संतुलन प्राप्त करने के लिए कुछ युक्तियां:

अपनी व्यक्तिगत और विवाहित युगल मित्रता के संबंध में अपनी अपेक्षाओं और प्राथमिकताओं के बारे में अपने साथी से संवाद करें. अपने विचारविमर्श में ईमानदार, सम्मानजनक और लचीले रहें.

व्यक्तिगत और युगल मित्रता दोनों के लिए नियमित समय निर्धारित करें. सुनिश्चित करें कि आप अपने साथी और अपनी शादी के साथसाथ अपने दोस्तों और खुद के लिए पर्याप्त समय निकल रहे हैं.

अपने व्यक्तिगत मित्रों को अपने जीवनसाथी से मिलवाएं. अपने साथी के दोस्तों के साथ समान आधार और रुचियां खोजने का प्रयास करें और अपने साथी को भी अपने दोस्तों के साथ ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें.

ऐसे नए युगल मित्रों की तलाश करें जो आप के और आप के साथी के साथ समान मूल्यों, लक्ष्यों और गतिविधियों को सा?ा करते हों. उन समूहों, क्लबों या कक्षाओं में शामिल हों जहां जोड़ों को सेवा प्रदान की जाती हो या अपने मौजूदा दोस्तों से कहें कि वे आप को उन अन्य जोड़ों से मिलवाएं जिन्हें वे जानते हैं.

सलाह और मार्गदर्शन लेना

कभीकभी जोड़ों को अपनी शादी में ऐसी चुनौतियों या समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिन्हें वे स्वयं हल नहीं कर सकते. ऐसे मामलों में भरोसेमंद दोस्तों से सलाह और मार्गदर्शन लेना मददगार और आश्वस्त करने वाला हो सकता है. भरोसेमंद दोस्त वे दोस्त होते हैं जिन के दिल में विवाह के सर्वोत्तम हित होते हैं, जिन के पास वैवाहिक मुद्दों से निबटने का अनुभव और ज्ञान होता है और जो उद्देश्यपूर्ण और निष्पक्ष दृष्टिकोण और सुझाव दे सकते हैं.

हालांकि विश्वसनीय मित्रों से सलाह और मार्गदर्शन प्राप्त करना सावधानी और विवेक के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि सभी मित्र योग्य और उपयोगी सलाह देने के लिए योग्य या काबिल नहीं होते हैं. विश्वसनीय मित्रों से सलाह और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए कुछ दिशानिर्देश ये हो सकते हैं:

सावधानी से तय करें कि आप किस पर भरोसा करते हैं. ऐसे दोस्तों से बचें जिन के गुप्त उद्देश्य, छिपे हुए एजेंडे या व्यक्तिगत पूर्वाग्रह हो सकते हैं. उन की किसी मामले में दी गई सलाह आप के रिश्ते को प्रभावित कर सकते है. उन दोस्तों से भी बचें जो आप की शादी के बारे में अफवाहें, गपशप या रहस्य दूसरों तक फैला सकते हैं. इस बारे में पहले से तय कर लें कि आप अपने दोस्तों से क्या चाहते हैं. क्या आप चाहते हैं कि वे सुनें, सहानुभूति रखें सलाह दें या हस्तक्षेप करें? क्या आप चाहते हैं कि वे आप की बातचीत गोपनीय रखें या इसे दूसरों के साथ सा?ा करें? क्या आप चाहते हैं कि वे इस का अनुसरण करें या इसे जाने दें? अपनी अपेक्षाओं और सीमाओं के बारे में स्पष्ट रहें.

विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों के प्रति खुले रहें. अपने दोस्तों की सलाह को खारिज न करें, अस्वीकार न करें या उस पर बहस न करें, भले ही आप उस से सहमत न हों. उनके सुझाव  के लिए उन्हें धन्यवाद दें और इस पर सावधानीपूर्वक और आलोचनात्मक ढंग से विचार करें. आखिरकार अपनी शादी का अंतिम निर्णय आप को ही लेना है, आप के दोस्तों को नहीं.

युगल मित्रों की भूमिका

युगल मित्रों का होना भी विवाह को मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि वे वैवाहिक संबंधों के लिए सकारात्मक रोल मौडल, प्रेरणा और प्रोत्साहन प्रदान कर सकते हैं. युगल मित्र वैवाहिक संबंधों के लिए फीडबैक, सत्यापन और तुलना के स्रोत के रूप में भी काम कर सकते हैं क्योंकि वे अंतर्दृष्टि, प्रशंसा और रचनात्मक आलोचना प्रदान कर सकते हैं जो जोड़ों को अपनी शादी को बेहतर बनाने और बढ़ाने में मदद कर सकता है.

कुछ ऐसे तरीके जिनसे युगल मित्र विवाह को मजबूत बना सकते हैं:

वे संचार, संघर्ष समाधान, अंतरंगता और सहयोग जैसे स्वस्थ और सफल वैवाहिक व्यवहार और प्रथाओं का प्रदर्शन कर सकते हैं. जोड़े अपने युगल मित्रों के उदाहरणों से सीख सकते हैं और उन्हें अपनी शादी में लागू कर सकते हैं.

वे अपनी वैवाहिक कहानियां, अनुभव और सबक, अच्छे और बुरे दोनों, एकदूसरे के साथ साझा कर सकते हैं. जोड़े अपने युगल मित्रों की बुद्धिमत्ता और ज्ञान से लाभ उठा सकते हैं और अपनी शादी में वही गलतियां या नुकसान करने से बच सकते हैं.

वे अपने वैवाहिक लक्ष्यों और सपनों को आगे बढ़ाने में एकदूसरे को प्रोत्साहित और समर्थन कर सकते हैं जैसे यात्रा करना, पालनपोषण करना या व्यवसाय शुरू करना. जोड़े एकदूसरे को खुश कर सकते हैं और अपनी शादी में एकदूसरे की उपलब्धियों और मील के पत्थर का जश्न मना सकते हैं.

वे अपनी शादी के नए और रोमांचक पहलुओं जैसे शौक, रुचियों या कल्पनाओं की खोज में एकदूसरे को चुनौती दे सकते हैं और उत्तेजित कर सकते हैं. जोड़े अपने युगल मित्रों के साथ नई चीजें आजमा कर अपनी शादी को आनंद भरी  बना सकते हैं, इसे ताजा और आनंदित बनाए रख सकते हैं.

 

 

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