बौलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन लता दीनानाथ मंगेशकर सम्मान से सम्मानित

बौलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को मुंबई के दीनानाथ मंगेशकर नाट्यगृह में लता दीनानाथ मंगेशकर सम्मान से सम्मानित किया गया. भारतीय सिनेमा में अमिताभ बच्चन के योगदान के लिए उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया. यह अवॉर्ड उषा मंगेशकर ने अमिताभ जी को दिया.

कार्यक्रम का संचालन ह्दयनाथ मंगेशकर ने किया। इस अवसर पर अमिताभ जी के साथ उनके बेटे अभिषेक बच्चन भी मौजूद रहे. दोनों लोगों ने लता जी की फोटो पर फूल चढ़ाकर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की.
अमिताभ ने लता जी को याद करते हुए कहा कि, वो जब भी उनसे मिलते थे तो लता जी उनके परिवार से भी मिलती थीं. हमारे प्रति उनका प्यार अलग ही तरह का था.

 

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इस अवॉर्ड सेरेमनी में संगातकार ए आर रहमान को मास्टर दीनानाथ अवॉर्ड और एक्टर रणदीप हुड्डा को स्पेशल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. एक्ट्रेस पद्मिनी कोल्हापुरे को भी सम्मानित किया गया।

इससे पहले ये सम्मान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लता जी की छोटी बहन आशा भोंसले को दिया गया था.
यह सम्मान लता जी के पिता जी दीनानाथ मंगेशकर के नाम पर रखा गया है। यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने समाज और देश के लिए बहुत कुछ किया है.

 

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अमिताभ बच्चन को फिल्मों में काम करते हुए 5 दशक हो गए हैं. जंजीर, दीवार, अभिमान, मोहब्बतें, सिलसिला, शोले आदि कई फिल्मों में काम किया है.

वर्कफ्रंट की बात करें तो अमिताभ ‘कल्कि 2898 AD’ में नजर आएंगे। इसी साल रिलीज होने वाली फिल्म में उनके अलावा दीपिका पादुकोण, प्रभास और कमल हासन और दिशा पाटनी भी काम कर रही हैं. फिल्म का निर्देशन नाग अश्विन ने किया है. यह फिल्म दो भाषाओं हिंदी और तेलुगू में आएगी.फिल्म की घोषणा फरवरी 2020 में वैजयंती मूवीज की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर की गई थी.

तारक मेहता का उल्टा चश्मा के सोढ़ी सिंह हुए लापता

सब टीवी पर प्रसारित होने वाले शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में सरदार रोशन सिंह सोढ़ी का रोल करने वाले एक्टर गुरचरण सिंह रीयल लाइफ में लापता हो गए हैं.

एक्टर के पिता ने दिल्ली पुलिस में इस सिलसिले में एक कंपलेंट दर्ज कराई है, कंपलेट के अनुसार, गुरचरण 22 अप्रैल 8.30 बजे घर से मुंबई जाने के लिए एयरपोर्ट गए थे लेकिन वो मुंबई नहीं पहुंचे और उनका फोन भी अनरीचेबल जा रहा है.

गुरचरण के पिता जी ने जो कंपलेंट दर्ज कराई है उसमें लिखा है, मानसिक तौर पर उनके बेटे बिल्कुल ठीक हैं. हम उन्हें ढ़ूढ रहे हैं पर वो लापता हैं.

लापता होने से 4 दिन पहले गुरचरण ने अपने पिता जी को फोन पर विश किया था और लिखा था, ‘’डिवाइन बर्थडे टू फादर”. साथ ही गुरचरण ने अपने पिता की कई सारी तस्वीरों को जोड़कर एक वीडियो बनाया था. इन तस्वीरों को लेकर की गई पोस्ट में गुरचरण बहुत खुश नजर आ रहे हैं.

गुरचरण का ये आखिरी पोस्ट खबरों में बहुत चर्चित हो रहा है. साथ ही ये काफी वायरल भी हो रहा है. गुरचरण के इस पोस्ट पर इनके फैंस काफी सारे रिएक्शन दे रहे हैं और उनकी वापसी और सही सलामत होने की दुआ कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, गुरचरण के दोस्त और प्रोड्यूसर जेडी मजीठिया ने बताया है कि दोनों की एक कॉमन फ्रेंड है भक्ति सोनी जो गुरचरण को मुंबई एयरपोर्ट पर लेने गई थीं पर वो नहीं आए.  जेडी एक मीटिंग में थे, जब भक्ती ने उन्हें फोन किया और बताया कि गंभीर स्थिति है, जिसके बारे में वह बात करना चाहती हैं। उन्होंने मुझे बताया कि गुरचरण सिंह 22 अप्रैल से लापता हैं। दिल्ली एयरपोर्ट से वो मुंबई के लिए निकले थे.

गुरचरण ने बहुत सालों तक तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो में काम किया पर प्रोड्यूसर संग कुछ इशु होने पर उन्होंने शो छोड़ दिया था.

 

 

Summer Special: लंच में परोसें कुकर वाली वैज बिरयानी

बिरयानी अक्सर आपने खुले बर्तन में बनते हुए देखी होगी. लेकिन क्या आपने कभी कूकर में वैज बिरयानी की रेसिपी ट्राय करके देखी है. इसीलिए आज हम आपको कूकर वाली वैज बिरयानी बनाते हुए देखेंंगे.

सामग्री बरिस्ता की

–  5 प्याज मीडियम आकार के लंबे कटे

–  तलने के लिए औयल.

सामग्री बिरयानी मैरिनेशन की

–  2 गाजर मीडियम आकार कटी

–  10-12 फ्रैंट बींस कटी

–  11/2 कप गोभी

–  200 ग्राम पनीर टुकड़ों में कटा

–  1/3 कप प्याज तला

–  2 बड़े चम्मच प्याज तला

–  1/3 कप दही फेंटा

–  थोड़ी सी फ्रैश पुदीनापत्ती

–  1/4 कप हरे मटर ताजा

– 2 हरीमिर्चें

– 1 छोटा चम्मच देगी लालमिर्च पाउडर

–  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

–  थोड़ी सी ताजा धनियापत्ती कटी

– 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री टैंपरिंग की

– 2-3 बड़े चम्मच घी

– 2 तेजपत्ते

–  1/2 इंच दालचीनी का टुकड़ा

– 2-3 लौंग

– 1 बड़ी इलायची

– 2 हरी इलायची

– थोड़ी सी मैरिनेटेड सब्जियां

– थोड़ी सी पुदीनपत्ती

– 3 कप चावल 20 मिनट भीगे

–  41/2 कप गरम पानी

– थोड़ा सा प्याज तला

– 2 लंबी हरीमिर्चें लंबी कटी

– चुटकीभर गरममसाला

– 1 छोटा चम्मच केवड़ा पानी

– थोड़े से केसर के धागे

– 2 छोटे चम्मच घी

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री रायते की

–  2 मीडियम आकार के आलू उबले व छोटे क्यूब्स में कटे

–  1 प्याज मीडियम आकार का प्याज कटा

–  1 टमाटर मीडियम आकार का कटा

–  2 कटी हरीमिर्चें

–  1 कप दही फेंटा

–  थोड़ा सी धनियापत्ती कटी

–  थोड़ी सी पुदीनापत्ती कटी

–  1/4 छोटा चम्मच चीनी

–  1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर भुना

–  चुटकी भर देगी लालमिर्च पाउडर

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री गार्निशिंग की

–  तला प्याज

–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी.

विधि बरिस्ता की

प्याज को पतले स्लाइस में काटें. अब कड़ाही में औयल गरम कर के उस में कुछ प्याज डाल कर तब तक फ्राई करें, जब तक प्याज सुनहरा न हो जाए. अब इसे अब्सार्बेंट पेपर पर निकाल कर ठंडा करें. इसे आप यूज करने के लिए एयरटाइट डब्बे में स्टोर कर के भी रख सकती हैं.

विधि मैरिनेशन की

एक बड़े बाउल में गाजर, फ्रैंच बींस, गोभी, पनीर व फ्राइड प्याज को निकालें. अब इस में फ्राइड ओनियन औयल, दही, पुदीनापत्ती, हरे मटर व नमक डालें. फिर इस में हरीमिर्च, देगी लालमिर्च पाउडर, हलदी पाउडर, धनिया पाउडर व धनियापत्ती डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. अब इस में अदरकलहसुन का पेस्ट, फ्राइड ओनियन औयल डाल कर अच्छी तरह मिलाते हुए एक तरफ रख दें.

विधि टैंपरिंग की

एक बड़े कुकर में घी डाल कर उसे गरम करें. जब घी गरम हो जाए तब उस में तेजपत्ते, दालचीनी, लौंग, हरी इलायची, काली इलायची डाल कर चटकाएं. अब इस में मैरिनेटेड सब्जियों को डाल कर अच्छी तरह चलाएं. फिर इसे ढक कर 3-4 मिनट तक मीडियम आंच पर पकाएं. अब इस में पुदीनापत्ती, भीगे चावल, गरम पानी, फ्राइड ओनियन व हरीमिर्च डालें. अब इस पर ऊपर से गरममसाला, केवड़े का पानी, नमक, केसर के घागे व घी डाल कर ढक्कन से कवर कर मीडियम आंच पर 1 सीटी आने तक पकाएं. कूकर का प्रैशर निकलने के बाद गरमगरम बिरयानी को रायते के साथ सर्व करें.

रायते की विधि

एक बाउल में आलू, प्याज, टमाटर, हरीमिर्च व दही को डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. अब इस में धनियापत्ती, पुदीनापत्ती, नमक, चीनी, जीरा पाउडर, देगी लालमिर्च डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. रायता तैयार है.

खर्राटों का कारण और उससे छुटकारा पाने का तरीका बताएं?

सवाल

मेरे परिवार के सभी सदस्य मु झे तेजतेज खर्राटे लेने के लिए टोक रहे हैं. मैं इन से छुटकारा कैसे पाऊं? क्या यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत है?

जवाब

अगर आप बहुत तेजतेज और बहुत ज्यादा खर्राटे ले रही हैं तो यह आप के स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है. खर्राटे स्लीप एपनिया का संकेत भी हो सकते हैं जिस में नींद में कुछ सैकंड के लिए सांसें रुक जाती हैं. खर्राटे लेने के कारण कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे उच्च रक्तदाब, हृदय की धड़कनें असामान्य हो जाना, रक्त में शुगर का स्तर नियंत्रित रखने में समस्या आना और फेफड़ों के क्षतिग्रस्त हो जाने का खतरा भी बढ़ जाता है. आप किसी रैस्पिरेटरी मैडिसिन को दिखाएं. जरूरी जांचें और स्लीप स्टडी कराने के बाद ही इस के होने के कारण और इसे ठीक करने के विकल्प निर्धारित किए जाएंगे.

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लोगों में एक भ्रामक धारणा है कि खर्राटे आने का मतलब गहरी नींद. परंतु सच तो यह है कि खर्राटों के कारण व्यक्ति ठीक से अपनी नींद पूरी नहीं कर पाता.

क्‍या आपको या फिर आपके घर में किसी को खर्राटे की समस्‍या है? तो क्‍या आपने डॉक्‍टर से परामर्श लिया? कई लोग खर्राटे को एक आम सी समस्‍या समझ कर टाल देते हैं, लेकिन यह स्‍लिपिंग डिसऑर्डर का एक हिस्‍सा है.

कारण

  1. जिस तरह आप बने हैं-पुरुषों की सांस लेने की नली महिलाओं की नली से पतली होती है इसलिये उन्‍हें खर्राटे ज्‍यादा आते हैं. इसके अलावा अक्‍सर आनुवंशिक भी होते हैं.
  2. नाक की खराबी-साइनस की समस्याएं, एलर्जी, नाक की सूजन आदि होना. अवरुद्ध वायुमार्ग सांस लेने में मुश्किल पैदा करती है जिससे गले में वैक्‍यूम बनता है और खर्राटा आता है.
  3. मोटापा-अधिक वजन या आकार से बाहर होना. फैटी टिशू और खराब मांसपेशियां भी खर्राटे पैदा करने की समस्‍या हैं.
  4. खूब शराब पीना-शराब, धूम्रपान, और दवाओं के अधिक सेवन से भी खर्राटे आते हैं.

 

इस समर सीजन फ्रिज में रखना न भूलें ये 7 Cosmetics

गरमी हो या सर्दी, मेकअप की जरुरत हर समय पड़ती है. लेकिन अगर मेकअप प्रौडक्ट्स का ख्याल ना रखा जाए तो ये स्किन को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. दरअसल, मेकअप ज्यादा दिन रखने पर खराब हो जाते हैं, जिन्हें हम बिना सोचे समझ इस्तेमाल कर लेते है और इसका कई बार भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. हालांकि अगर इन्हें सही ढंग से स्टोर किया जाए तो मेकअप प्रौडक्ट की लाइफ को बढ़ाया जा सकता है. आइए आपको बताते हैं कौनसे मेकअप प्रौडक्ट हैं, जिन्हें आप फ्रिज में रखकर खराब होने से बचा सकते हैं.

1. परफ्यूम

परफ्यूम का इस्तेमाल गर्मियों में ज्यादा होता है. पसीने को भगाने के लिए ज्यादात्तर लोग परफ्योम का इस्तेमाल करते हैं, जिसके कारण कई बार परफ्यूम कपड़ों पर दाग छोड़ देता है. हालांकि इसका कारण ज्यादा तापमान में परफ्यूम को बाहर रखना होता है. लेकिन अगर आप इसे फ्रिज में रखेंगी तो ये ज्यादा लंबे समय तक खुशबूदार और अच्छा रहेगा.

2. लिपस्टिक

लिपस्टिक ऐसा मेकअप प्रौडक्ट है, जो डेली इस्तेमाल में आता है. लेकिन इसे अगर गरमी में बाहर रखा जाए तो ये कई बार पिघलने लगते है, जिससे ये खराब होने लगती है. लेकिन अगर लिपस्टिक को फ्रिज में रखा जाए तो ये ना ही पिघलती है और ना ही खराब होने का डर रहता है.

3. नेलपॅालिश

नेलपॅालिश को फ्रिज में रखने से ये चिपचिपी तो रहती है. लेकिन ये फ्रिज से निकालने के कुछ देर बाद अप्लाई करें तो इसका चिपचिपापन दूर हो जाता है. इसीलिए इसे भी फ्रिज में रखना ना भूलें.

4. सनस्क्रीन लोशन

स्किन को गर्मी में यूवी रेज से बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इसे ज्यादा समय तक बाहर रखने पर इससे मिलने वाला प्रौटेक्शन लेवल कम होने लगता है, जो स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. इसीलिए इसे भी फ्रिज के अंदर रखना ना भूलें.

5. टोनर

स्किन को खूबसूरत बनाने के लिए अक्सर लोग टोनर का इस्तेमाल करते हैं, जिसे फ्रिज में रखना जरुरी होता है ताकि ये स्किन को ढंग से प्रौटेक्ट कर सके.

6. एलोवेरा जेल

एलोवेरा जेल स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होता है. लेकिन अगर इसे बाहर गर्म तापमान में रखा जाए तो इसका असर कम हो सकता है. इसीलिए एलोवेरा जेल को फ्रिंज में रखना ना भूलें.

7. मस्कारा

आंखों को खूबसूरत बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मस्कारा लंबे समय तक नहीं चल सकता क्योंकि गर्म तापमान में रखने पर इसमें बैक्टिरिया पनपने की संभावना होती है, जिसके चलते इसे फ्रिज में रखें या न रखें. लेकिन इसे तीन महीने में बदलना ना भूलें.

फिल्मों से क्या कियारा का गेम चेंज होगा

फिल्मों से क्या कियारा का गेम चेंज होगा

सिद्धार्थ से शादी के बाद कियारा रील और रियल दोनों लाइफ से लगभग गायब हो चुकी हैं. लंबे समय के बाद वे ‘आरआरआर’ स्टार राम चरण के साथ फिल्म ‘गेम चेंजर’ में नजर आएंगी. अगर इस के बाद भी उन के कैरियर का गेम चेंज नहीं हो सका तो उन्हें मुश्किल हो सकती है. फिलहाल, उन के पास ओटीटी का भी कोई प्रोजैक्ट नहीं है. पति सिद्धार्थ की फिल्म ‘योद्धा’ औसत रही और उन के पास भी कोई बड़ा प्रोजैक्ट नहीं है. अब दोनों को ही अपने कैरियर का गेम चेंज करने के लिए काफी पसीना बहाना होगा.

ओटीटी पर रवीना की पकड़

‘अरण्यक’, ‘कर्मा कौलिंग’ जैसी धांसू सीरीज करने के बाद अब रवीना टंडन की एक और सीरीज ‘पटना शुक्ला’ भी तैयार है. बैक टु बैक सीरीज से रवीना ने यह बता दिया है कि उन की दूसरी पारी का स्क्रीन भले ही छोटा है लेकिन उन की पारी लंबी होने वाली है. 40 पार कर चुकी वे महिलाएं जो यह समझती हैं कि अब क्या ही कर सकते हैं, उन्हें रवीना से सीखना चाहिए कि शरीर और मन को फिट रखा जाए तो बाद की जिंदगी को अपने हिसाब से प्लान करना मुश्किल नहीं. वैरी गुड, रवीना.

 लौर्ड बौबी की ओटीटी पर वापसी

फिल्म ‘ऐनिमल’ से जोरदार वापसी करने वाले बौबी देओल एक बार फिर ओटीटी पर जपनाम करते नजर आने वाले हैं. उन की पौपुलर सीरीज ‘आश्रम’ का चौथा सीजन जल्द ही स्ट्रीम होने वाला है. एक समय तनाव के चलते डिप्रैशन और नशे के शिकार हो चुके बौबी से एक बात तो सीखने वाली है कि यदि खुद को दोबारा खड़ा करने का जज्बा हो और काम करने की लगन हो तो कोई आप को सफलता पाने से रोक नहीं सकता. आने वाला समय अब बौबी का है.

 तो ये हैं आप के रोल मौडल

सांपों के नशे का कारोबार करने वाले एल्विश यादव हों या फिर हुक्का बार में पकड़े गए मुनव्वर फारुखी, जल्दी फेम मिलना इन के सिर चढ़ कर बोल रहा है. सोशल मीडिया पर इन की अच्छीखासी फैन फौलोंइग है. सोचने वाली बात यह है कि आखिर इन से युवाओं को कौन सी बात सीखने को मिल रही है, जो वे इन के दीवाने बन गए हैं. जब घर में बढ़ते बच्चे को सही राह दिखाने वाला गाइड या साहित्य नहीं मिलता तो वह सोशल मीडिया की दुनिया में खोने लगता है. अभी भी समय है कि अपने बच्चों को ऐसी पत्रिकाओं से दोस्ती करने को प्रेरित करें जो उन्हें तार्किक ज्ञान दे सकें.

यूटरस रिमूव करने की जरूरत क्यों

एक महिला के शरीर में यूटरस कितना जरूरी है यह बताने की जरूरत भले न हो, लेकिन जब यह दर्द और तड़पने का कारण बन जाए तो फिर क्या करना चाहिए…

का या 26 साल की है. वह फुटबाल खेलते समय असहनीय दर्द के कारण मैदान में ही गिर गई. उसे आननफानन में हौस्पिटल ले जाया गया. डाक्टर ने उस की जांच की. जांच में पता चला कि काया की पीरियड्स की ओवर ब्लीडिंग और दर्द से यह हालत हुई है. उस की हालत देख कर हौस्पिटल की गायनोकोलौजिस्ट डाक्टर ने उस के यूटरस को रिमूव करने की सलाह दी. काया अनमैरिड थी, इसलिए यूटरस रिमूव कराना इस उम्र और स्थिति में एक बोल्ड स्टैप था. लेकिन हैल्थ को देखते हुए काया और उस के पेरैंट्स ने यूटरस रिमूव कराना ही सही समझा.

वहीं दूसरी स्थिति नई दिल्ली के विकासपुरी इलाके में रहने वाली 34 साल की अंकिता श्रीवास्तव की है. वह बताती है, ‘‘कई दिनों से मु?ो बारबार टौयलेट जाने का प्रैशर महसूस होता था लेकिन यूरिन नहीं आता था. प्राइवेट पार्ट में जलन भी होती थी. जब हौस्पिटल जा कर डाक्टर को दिखाया तो ओवेरियन कैंसर निकला. यह सुनने के बाद मैं अंदर से टूट चुकी थी. मेरा 1 बेटा है. मैं फिर से मां बनाना चाहती थी लेकिन इस बीमारी ने मेरे सपनों पर पानी फेर दिया.

मैं अपना यूटरस नहीं निकलवाना चाहती थी. लेकिन मेरे हसबैंड ने मु?ो सम?ाया कि तुम्हारी हैल्थ हमारे बच्चे से ज्यादा जरूरी है और बच्चा तो हम सरोगेसी के जरीए या फिर गोद भी ले सकते हैं. हसबैंड की बातें सुन कर मैं ने यूटरस रिमूव करवाने का फैसला किया. यूटरस रिमूव कराने के बाद मेरी समस्या का समाधान हो गया.’’

डौक्टरों की सलाह

फेमस वोग मैगजीन में 2018 में अमेरिकन ऐक्टर, कौमेडियन और पौप कल्चर आइकोन लीना डनहम ने एक आर्टिकल लिखा. यह आर्टिकल उन के यूटरस निकलवाने के बारे में था. 31 साल की उम्र में वे ऐंडोमिट्रिओसिस से पीडि़त थी और तेज दर्द ने उन्हें बेसुध सा कर दिया था. उन के डाक्टरों ने यूटरस को निकालने की सलाह दी. कुछ और डाक्टरों की सलाह लेने के बाद उन्होंने अंत में यूटरस निकलवा ही दिया.

सोसाइटी में यूटरस रिमूव कराने को ले कर कई तरह ही धारणाएं बनी हुई हैं, जिन में सब से आम धारणा यह है कि एक औरत तभी पूरी है जब वह बच्चे को जन्म दे सके. ऐसे में महिला के शरीर में यूटरस कितना जरूरी है, यह बताने की जरूरत बिलकुल नहीं है. लेकिन जब यह दर्द और तड़पने का कारण बन जाए तो इसे निकलवा देना ही बेहतर होता है.

हौलीवुड ऐक्ट्रैस ऐंजेलीना जोली ने गर्भाशय के कैंसर से बचने के लिए अपने यूटरस और फैलोपियन ट्यूब को निकलवा दिया. इसी तरह मशहूर सितारवादक अनुष्का शंकर के यूटरस में कई गांठें थीं. इस वजह से उन का यूटरस 6 महीने की गर्भवती के जितना बड़ा हो गया. लेकिन अनुष्का ने सम?ादारी दिखाई और अपना यूटरस रिमूव करवा लिया.

क्या कहते हैं आंकड़े

केंद्रीय परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने 2017-18 में 72 हजार महिलाओं के बीच सर्वे किया. उस के बाद यह रिपोर्ट सामने आई कि भारत में 45 साल से ज्यादा उम्र की 11% महिलाएं अपना यूटरस रिमूव करा लेती हैं. वहीं ‘सैंटर फौर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवैंशन’ के अनुसार अमेरिका में 40 से 44 साल की उम्र में 11.7% महिलाओं ने अपना यूटरस निकलवाया. जबकि ब्रिटेन में 20% महिलाएं इस सर्जरी का सहारा लेती हैं.

दरअसल, यूटरस वह संरचना है जिस में प्रैगनैंसी के दौरान बच्चा पलता है. यह ब्लैडर और पैल्विक एरिया की हड्डियों को भी सपोर्ट करता है. लेकिन कुछ वजहों से इसे रिमूव कराना जरूरी हो जाता है.

दिल्ली के सर गंगाराम हौस्पिटल में गायनोकोलौजिस्ट डाक्टर माला श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘जब बच्चेदानी का आकार बढ़ने लगे या पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगे, रसौली हो, ओवरी सिस्ट या कैंसर हो तब यूटरस रिमूव किया जाता है. अगर बौडी में यह अंग ही बीमारी की जड़ हो तो इसे निकाल देना ही बेहतर होता है. हालांकि मरीज को पहले दवा दी जाती है. उस से प्रौब्लम सौल्व नहीं होती तभी सर्जरी की सलाह दी जाती है. सर्जरी होने के बाद 3 महीने का परहेज होता है. इस दौरान महिला को भारी वजन बिलकुल नहीं उठाना होता है.’’

कई तरह के औपरेशन

इस में 3 तरह के औपरेशन किए जाते हैं. पहला औपरेशन होता है हिस्टरेक्टोमी. इस में पूरे यूटरस को निकाला जाता है. यूटरस के साथसाथ ओवरी और फैलोपियन ट्यूब भी रिमूव कर दी जाती है. दूसरा होता है सुपरासर्विकल. इस में यूटरस के ऊपरी भाग को रिमूव किया जाता है, जबकि गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स को शरीर में छोड़ दिया जाता है. तीसरी सर्जरी रैडिकल हिस्टेरेक्टोमी कहलाती है. इस में यूटरस के साथ सर्विक्स और वैजाइना का ऊपरी भाग निकाला जाता है.

आखिर क्यों रिमूव किया जाता है यूटरस

यूटरस रिमूव करने की कई वजहें हैं जैसे फाइब्रौयड्स. इस में यूटरस के आसपास गांठें हो जाती हैं. इस की वजह से पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग और दर्द होता है. इस से ब्लैडर पर भी दबाव पड़ता है और बारबार टौयलेट जाना होता है. फाइब्रौयड्स साइज में छोटे हों तो ज्यादा दिक्कत नहीं हैं पर यदि इन का साइज बड़ा हो तो सर्जरी जरूरी हो जाती है. दूसरी वजह है कैंसर. यूटरस, सर्विक्स, ओवरीज का कैंसर होने या ऐसी गांठें होने पर जो आगे चल कर कैंसर में बदल सकती हैं उन के लिए हिस्टरेक्टोमी जरूरी हो जाती है.

तीसरी वजह है ऐंडोमिट्रिओसिस. जब यूटरस के आसपास की लाइनिंग ज्यादा फैल जाती है और यह ओवरीज, फैलोपियन ट्यूब और दूसरे अंगों पर असर डालने लगती है तो इसे  ऐंडोमिट्रिओसिस कहते हैं. इस तरह के पेशैंट की रोबोटिक हिस्टरेक्टोमी की जाती है और यूटरस निकाल दिया जाता है.

चौथी वजह है यूटराइन ब्लीडिंग. पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है जो दवाओं से भी कंट्रोल नहीं होती. ऐसे में उन्हें ऐनीमिया का खतरा बढ़ जाता है. इस स्थिति में भी हिस्टरेक्टोमी एक विकल्प रह जाता है. हालांकि यह सब से आखिरी विकल्प होता है.

कैसे होती है हिस्टरेक्टोमी सर्जरी

यूटरस रिमूव करने की सर्जरी मेजर सर्जरी में आती है जो कई तरीकों से परफौर्म की जाती है. इस में जनरल या लोकल ऐनेस्थीसिया की जरूरत होती है. जनरल ऐनेस्थीसिया यानी बेहोश करने का वह मैडिकल तरीका, जिस में पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज बेहोश रहता है. वहीं लोकल ऐनेस्थीसिया में केवल उसी हिस्से और उस के नीचे का कुछ एरिया सुन्न किया जाता है, जहां सर्जरी होनी होती है. हिस्टरेक्टोमी ऐब्डोमिनल, वैजाइनल और लैप्रोस्कोपिक 3 तरह की होती है. पहली 2 सर्जरी में क्रमश: पेट और वैजाइन में चीरा लगता है, वहीं लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में लैप्रोस्कोप यानी कैमरे की हैल्प से सर्जरी होती है.

समय और खर्चा

आमतौर पर पेट और योनि की हिस्टैरेक्टोमी के लिए 60 से 90 मिनट का समय लगता है, जबकि लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी में लगभग 120 मिनट लगते हैं. बात अगर लागत की करें तो गर्भाशय हटाने की प्रक्रिया की औसत कीमत 25 हजार रुपए से ले कर 1 लाख 80 हजार रुपए तक है. हालांकि किसी भी सर्जरी की तरह, यूटरस रिमूव की लागत हिस्टरेक्टोमी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टैक्निक और हटाए गए घटकों के आधार पर थोड़ीबहुत अलग हो सकती है.

यूटरस रिमूव कराने के बाद कैसी हो डाइट

डाइटीशियन सतनाम कौर ने बताया कि हिस्टरेक्टोमी के बाद महिलाओं को अपनी डाइट में प्रोटीन, ऐंटीऔक्सीडैट और फाइबर शामिल करना चाहिए. फल, सब्जियां, साबूत अनाज जैसे ओट्स, बाजरा, दालें आदि खूब खाएं. सर्जरी के बाद गैस और कब्ज की दिक्कत रहती है, इसलिए अपनी डाइट में फाइबर जरूर शामिल करें. साथ ही खूब सारा पानी भी पीएं ताकि पेट न फूले.

इस के अलावा सूप, छाछ, नारियल पानी भी जरूर पीएं. इन सब के अलावा आप को कुछ खाद्यपदार्थों से अपनेआप को बचाना होगा. जैसे मुनक्का या किशमिश, अंजीर, खूबानी, मटर, बींस, मैदा, फास्ट फूड, हाई फैट आदि.

सर्जरी के बाद हो सकते हैं कुछ बदलाव

ऐसा नहीं है कि यूटरस निकालने के बाद बौडी में कुछ महसूस ही नहीं होता. यूटरस निकालने के बाद भी प्राइवेट पार्ट में सैंसेशन रहती है. सर्जरी के बाद बौडी में कई तरह के बदलाव आते हैं जैसे हिस्टरेक्टोमी सर्जरी के बाद सब से पहले बौडी में जो बदलाव आता है वह पीरियड्स का बंद होना. इस के अलावा मूड स्विंग्स होना, सैक्स की इच्छा का कम होना, कब्ज की समस्या होना, कभी भी टौयलेट आना, बौडी के साइज और वेट में चेंज आना.

सर्जरी के बाद बौडी में ऐस्ट्रोजन हारमोन का प्रतिशत बड़ी मात्रा में गिर जाता है. इस का असर मूड पर पड़ता है, जिस से बारबार मूड स्विंग होता है. कई बार यह समस्या इतनी बढ़ जाती है कि हारमोन रिप्लेसमैंट थेरैपी करनी पड़ती है. हारमोंस का स्तर कम होने के कारण दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. पीरियड्स और प्रैगनैंसी की वजह से ज्यादातर महिलाओं की बौडी में कैल्सियम औसत से भी कम होता है. ऐसे में यूटरस हटाने से ऐस्ट्रोजन की कमी से हड्डियां और भी ज्यादा कमजोर हो जाती हैं.

यूटरस रिमूवल के साइड इफैक्ट्स

ऐसा नहीं है कि यूटरस रिमूव कराने से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है. यूटरस रिमूव कराना आप को दर्द से राहत जरूर दिला सकता है लेकिन यह भी सच है कि इस के रिमूव कराने के कुछ साइड इफैक्ट्स भी होते हैं जैसे सर्जरी वाले हिस्से में दर्द, सूजन, जलन के अलावा पैर सुन्न होना, ऐनेस्थीसिया की वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है. हिस्टरेक्टोमी करा चुकी महिला को मेनोपौज कम उम्र में ही आ जाता है यानी पीरियड्स बंद हो जाते हैं. इस का मतलब है प्रीमेनोपौजल लक्षण भी पहले ही ?ोलने होते हैं. हौट फ्लैशेज यानी फेस और तलवे लाल हो जाना या तपना, पसीना ज्यादा आना, नींद न आना और वैजाइना में सूखापन.

हो सकती है दर्द की शिकायत

किसी भी अन्य सर्जरी की तरह यूटरस को निकालने के बाद दर्द का एहसास होता है. हालांकि यह कितना दर्दनाक और कितने समय तक रहेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया को अपना रहे हैं. वैजाइनल हिस्टरेक्टोमी के मामले में ज्यादातर महिलाओं को 2-3 हफ्ते तक दर्द की शिकायत रहती है. यूटरस निकलने के बाद इस के आसपास के बौडी पार्ट में चोट लगने के चांस बढ़ जाते हैं. दरअसल, महिला का गर्भाशय फैलोपियन ट्यूब, आंतों, पैल्विक मसल और अंडाशय जैसे अंगों से घिरा होता है. ऐसे में बौडी से यूटरस को हटाने की प्रक्रिया में आसपास के पार्ट को कुछ नुकसान हो जाता है.

दर्द दे सकता है सैक्स

यूटरस रिमूव कराने के बाद फिजिकल रिलेशन बनाते समय सूखेपन के कारण दर्द हो सकता है. यह दर्द पेट के निचले हिस्से में होता है जो कभीकभी दर्दनाक ऐंठन के रूप में भी हो सकता है. अगर महिला को कैंसर हुआ हो तो रेडिकल हिस्टरेक्टोमी सर्जरी होती है. इस में यूटरस के साथ सर्विक्स को भी निकाल दिया जाता है. सर्विक्स में एक नस होती है जो महिलाओं में सैक्स की इच्छा बढ़ाती है. इसके निकलने से महिला क्लाइमैक्स तक नहीं पहुंच पाती.

बढ़ता है कैंसर का रिस्क

यूटरस रिमूवल से कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है. ऐसा लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी के मामले में देखने को मिलता है. यूटरस के टिशू को तोड़ने के लिए पावर मोर्सलेटार का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा करने से पूरी बौडी में कैंसर टिशू फैलने के चांस बढ़ जाते हैं. ये टिशू आगे चल कर आप के लिए घातक साबित हो सकते हैं.

संक्रमण का खतरा

सर्जरी कोई भी हो, कई सारे टूल्स बौडी के संपर्क में आते ही हैं. इन से संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. भले ही डाक्टर हाइजीन का ध्यान रखें लेकिन बैक्टीरिया किसी न किसी रास्ते पेशैंट की बौडी में एंटर हो ही जाते हैं.

शादी बाद दूरी क्यों होती है जरूरी

आजकल एकल परिवारों का चलन तेजी से बढ़ रहा है. संयुक्त परिवार कहीं गुम होते जा रहे हैं. पहले की तरह वैसे भी परिवार बड़े नहीं होते. बच्चे 1 या 2 होते हैं जो जौब या शादी के बाद दूसरे शहर में सैटल हो जाते हैं. अगर नौकरी उसी शहर में मिल जाए या लड़का बिजनैस कर रहा है तो पेरैंट्स उम्मीद करते हैं कि बेटेबहू उन के साथ रहें. मगर इस में किसी का फायदा नहीं है क्योंकि अकसर बहू के आने के बाद घर में सासबहू की खटपट और कलह शुरू हो जाती है. ऐसे में अगर कुछ अप्रत्याशित घट जाए तो नतीजा पूरे परिवार को भोगना पड़ता है.

ज्यादातर घरों में देखा गया है कि जब बहूबेटे पेरैंट्स के साथ रहते हैं तो कहीं न कहीं पेरैंट्स बच्चों को ज्ञान देने से नहीं चूकते. बहू को कैसे काम करना चाहिए, कैसे पति का खयाल रखना चाहिए, कैसे घर मैनेज करना चाहिए या फिर कैसे बच्चे को संभालना चाहिए इन सब की सीख सासससुर लगातार देते नजर आते हैं.

कई बार जब पतिपत्नी के बीच छोटेमोटे झगड़े हो जाते हैं तो पेरैंट्स उन्हें सुलझाने के बजाय उलझाने में सहयोग देते हैं. बहू की मां दामाद की गलतियां दिखाती है तो लड़के की मां बहू की खामियां बेटे को बताती है कि बहू देर से घर लौटती है, पूरा दिन फोन में लगी रहती है, घर गंदा रखती है, दूसरे मर्दों से हंसहंस कर बातें करती है वगैरहवगैरह.

नतीजा, बहूबेटे के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं और सासससुर इस में भी दोष बहू को देते हैं. इस से बहू के मन में भी इनलौज के लिए नफरत पैदा होने लगती है और जब पानी सिर से ऊपर चला जाता है या कुछ गलत घट जाता है तो बहू या उस के घर वाले लड़के के मातापिता, भाईबहन आदि पूरे परिवार को शिकंजे में कस देते हैं. पूरे परिवार पर बहू को सताने या घरेलू हिंसा आदि के आरोप लगा दिए जाते हैं. कई दफा बहू खुद ही ससुराल वालों के खिलाफ ?ाठी एफआईआर दर्ज कराती है. इस तरह सारा परिवार बलि चढ़ जाता है.

सुकून भी रहेगा और प्यार भी

ऐसे हालात पैदा हों उस से अच्छा है कि नव दंपती शादी और बच्चों के बाद अपना एक छोटा सा आशियाना ढूंढ़ लें. भले ही आप के मांबाप का घर काफी बड़ा हो और उस में कई कमरे हों मगर जब आप अपना अलग एक कमरे का मकान भी ले लेंगे तो उस में जो सुकून और प्यार रहेगा वह बड़े घर में संभव नहीं क्योंकि दंपती जब अलग रहेंगे तो उन दोनों के ही मांबाप अपने बच्चों को आपस में एडजस्ट करने और मिल कर सुखदुख बांटते हुए जीने की शिक्षा देंगे. वे उन में ? झगड़े कराने के बजाय झगड़े सुलझने में मदद करेंगे ताकि दोनों एकदूसरे का खयाल रख सकें.

खुद नव दंपती भी अपनी समस्याएं और झगड़े बढ़ाने के बजाय जल्द ही उन्हें सुलझाने में सक्षम होंगे क्योंकि इस समय कोई उन्हें एकदूसरे के खिलाफ भड़काने वाला मौजूद नहीं होगा. इस के विपरीत यदि वे संयुक्त परिवार में रहते हैं तो कुछ भी हो सकता है.

जरा कल्पना कीजिए एक ऐसी स्थिति की जब पति को पता चले कि जिस पत्नी की हत्या के आरोप में वह 13 महीनों से जेल में था वह जिंदा है और अपने प्रेमी के साथ इटावा में रंगरलियां मना रही है.

पतिपत्नी के बीच का एक ऐसा ही मामला आजमगढ़ से सामने आया (मार्च, 2023 में) जिसे सुन कर आप सम?ा सकेंगे कि संयुक्त परिवारों में कभीकभी बेचारे पुरुष और उस के पूरे परिवार को किस तरह बेबुनियाद आरोपों के तहत जेल की हवा खानी पड़ जाती है.

सनसनीखेज मामला

रुचि और दीपू की शादी 2019 में हुई थी. दोनों के बीच अकसर ?ागड़ा होता रहता था. एक दिन रुचि ससुराल से अचानक लापता हो गई. इस की रिपोर्ट दीपू ने थाने में दर्ज कराई. दूसरी तरफ रुचि की मां माया देवी ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उस की पुत्री रुचि को उस के पति दीपू, ससुर राजेंद्र, जेठानी विनीता ने दहेज के लिए प्रताडि़त करने के साथसाथ अपहरण कर हत्या के बाद लाश को गायब कर दिया है. उस के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

दीपू जब 13 माह बाद जमानत पर छूटा तो पत्नी की तलाश शुरू कर दी. उसे इस काम में कामयाबी हाथ लगी और जो राज सामने आया उस ने सब के होश उड़ा दिए. दीपू को पता चला कि रुचि इटावा जिले के इटैली गांव में प्रेमी के साथ रह रही है. दीपू ने जब पुलिस को सुबूत दिया तो पुलिस ने रुचि को पकड़ कर उस का बयान दर्ज किया.

ऐसा ही एक मामला जुलाई, 2022 में भी सामने आया जब एक नईनवेली दुलहन ने ससुराल पक्ष को ?ाठे मामलों में फंसाया. सचाई पता चलने पर अदालत ने सास, देवर और परिवार के अन्य सदस्यों पर घरेलू हिंसा व छेड़खानी का ?ाठा आरोप लगाने के जुर्म में बहू पर 2 लाख रुपए का जुरमाना लगाया.

मामला कुछ ऐसा था कि घर के बड़े बेटे का विवाह 1997 में हुआ था. विवाह के बाद 2001 में बहू अपने पति और बच्चों के साथ मायके में रहने लगी. ऐसे में महिला की सास ने बेटेबहू को संपत्ति से बेदखल कर दिया. इस के बाद महिला ने सास की संपत्ति पर हक जताते हुए मई, 2009 में द्वारका अदालत में मुकदमा दायर कर दिया, साथ ही उस ने जुलाई, 2009 में सास, देवर, देवरानी और उन के बेटे पर घरेलू हिंसा का केस दायर किया. इन दोनों मामलों में अदालत ने आरोपों को बेबुनियाद माना.

खानी पड़ी जेल की हवा

संपत्ति विवाद का मामला जुलाई, 2010 में खारिज कर दिया गया. इस के अलावा अदालत ने 13 साल से अलग रहने के आधार पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दिसंबर, 2012 को खारिज कर दिया. 2015 में महिला के पति की मौत हो गई थी.

इसी दौरान महिला की सास कैंसर की बीमारी से पीडि़त हो गई जबकि देवरानी बेमतलब के मुकदमेबाजी की वजह से मानसिक रूप से बीमार रहने लगी. अदालत ने माना कि बगैर कुसूर रोजरोज पुलिस और कचहरी के चक्कर किसी को भी मानसिक रोगी बना सकते हैं.

इसी तरह अगस्त, 2022 को यूपी के बहराइच में एक सनसनीखेज मामला सामने आया जहां दहेज हत्या के आरोप में एक पति और उस के परिवार के 4 लोगों को जेल की हवा खानी पड़ी. लेकिन 13 साल बाद उस की पत्नी जिंदा निकल आई. आसपास के लोगों ने जब उसे जिंदा देखा तो सनसनी फैल गई. यह खबर जैसे ही पति को पता लगी तो उस ने फौरन पुलिस को इस की सूचना दी जिस के बाद पुलिस ने महिला को जिंदा बरामद कर लिया.

पीडि़त पति कंधई की शादी 2006 में रामावती से हुई थी. शादी के 3 साल बाद रामावती ससुराल से अचानक लापता हो गई जिस के बाद महिला के परिजनों ने कंधई और उस के परिवार के 4 सदस्यों पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज करवा दिया. इस मामले में पुलिस ने काररवाई करते हुए कंधई, उस के 2 भाई और मां को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. कंधई को पत्नी की दहेज हत्या करने के जुर्म में अदालत ने 10 साल की सजा और 17 हजार जुरमाने का फैसला सुनाया था.

फर्जी मुकदमे

इसी तरह अप्रैल, 2023 में उत्तर प्रदेश में एक शख्स गले में तख्ती लटका कर पुलिस कमिश्नर के दफ्तर पहुंचा. वह पत्नी पीडि़त था और अपने परिवार के साथ पहुंचा था. सभी के गले में तख्तियां लटकी थीं जिन पर लिखा था, ‘फर्जी मुकदमों से बचाओ.’

दरअसल, कानपुर के बर्रा निवासी आशीष मिश्रा अपने परिवार के साथ अधिकारी के यहां पहुंचे थे. उन्होंने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया कि वह घर वालों पर आधा घर उस के नाम करने का दबाव बना रही है. इस के लिए वह पति और परिवार वालों के खिलाफ ?ाठे मुकदमे में फंसाने के लिए गलत आरोप लगा कर बारबार पुलिस को बुला कर प्रताडि़त करती है. बारबार पुलिस के आने पर बच्चे भयभीत हो जाते हैं. इसी वजह से वे लोग न्याय की आस में इस तरह पहुंचे हैं.

मई, 2023 में एक महिला ने अपने पति, ससुर और अन्य सदस्यों पर उस के साथ गैंगरेप करने का ?ाठा केस दर्ज कराया था. मगर जांच के बाद सामने आया कि महिला के आरोप ?ाठे हैं जिस के बाद कोर्ट ने महिला और उस के पिता के खिलाफ पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए.

महिला ने यह आरोप उस समय लगाया जब उस के वैवाहिक जीवन में कलह पैदा हुई. उस ने ?ाठे आरोप का सहारा लिया. महिला एक कानून की छात्रा थी और उस के पिता पेशे से वकील थे. महिला ने आरोप लगाया गया था कि आरोपी पति ने ससुर और ननद के साथ दहेज की मांग की और उस का इस्तेमाल किया. वे इस के लिए उसे पीटते और प्रताडि़त करते थे. उस के ससुर ने उस के पति और ननद की उपस्थिति में उस के साथ दुष्कर्म किया था.

कानूनों और अधिकारों का गलत इस्तेमाल

देखा जाए तो संयुक्त परिवारों में ऐसे बहुत से मामले आते हैं जहां महिलाएं अपने पति और उस के घर वालों के खिलाफ ?ाठी शिकायत करने के लिए महिला कानूनों और अधिकारों का गलत इस्तेमाल करती हैं. इस तरह वे उन्हें परेशान करती हैं. सिर्फ पति ही नहीं कई बार पूरा परिवार बहू के ?ाठे आरोपों का शिकार बन जेल की चक्की पीसने को विवश हो जाता है.

महिलाएं अपने पति पर ?ाठी शिकायत दर्ज करने के लिए धारा 498ए और दहेज अधिनियम  का इस्तेमाल करती हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए एक ऐसा प्रावधान है जिस के तहत एक पति, उस के मातापिता और साथ रह रहे रिश्तेदारों को उन की गैरकानूनी मांगों (दहेज) को पूरा करने के लिए किसी महिला के साथ कू्ररता के लिए मामला दर्ज किया जा सकता है.

आमतौर पर पति, उस के मातापिता और रिश्तेदारों को पर्याप्त जांच के बिना ही तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है और गैरजमानती शर्तों पर सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है. शिकायत ?ाठी होने पर भी आरोपी को तब तक दोषी माना जाता है जब तक कि वह अदालत में निर्दोष साबित नहीं हो जाता.

कई बार महिलाएं जब अपनी सास या ननद वगैरह से निभा नहीं पातीं या साथ नहीं रहना चाहतीं तो वे इस तरह का हथकंडा अपना लेती हैं. इस चक्कर में पति का पूरा परिवार आरोपों के घेरे में आ जाता है और उस परिवार की सुखशांति और सुकून सब खत्म हो जाता है.

इस तरह के मामले एकल परिवारों में होने की संभावना बहुत कम होती है क्योंकि यहां सिर्फ पतिपत्नी और उन के बच्चे रहते हैं. ऐसे में अगर पतिपत्नी के बीच किसी बात को ले कर ?ागड़ा या विवाद होता भी है तो वह बहुत उग्र रूप नहीं ले पाता. ?ागड़े के 1-2 दिन बाद ही पति और पत्नी में से किसी को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वे मामला सुलझा लेते हैं. जब तक कोई बहुत बड़ी बात या अफेयर का मसला न हो कपल्स अपने ?ागड़े सुल?ा लेते हैं और मिल कर जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ाते हैं.

संयुक्त परिवार में स्थिति विकट हो जाती है

संयुक्त परिवारों में स्थिति कुछ अलग होती है. इन परिवारों में अकसर पतिपत्नी के ?ागड़े के बीच घर के बड़े घुस जाते हैं खासकर सास या ननद इस में अहम भूमिका निभाती हैं सास को अपने बेटे की गलती सामान्यतया नजर नहीं आती और वे जानेअनजाने अपने बेटे का पक्ष लेने लगती हैं. बेटा अगर अपनी गलती मान भी लेता है तो उस की मां या बहन बहू के खिलाफ उसे फिर से भड़काने लगती है या बहू की गलतियां सामने रखने लगती है.

आर्थिक जिम्मेदारी

इस से पति ?ाकने को तैयार नहीं होता और पत्नी भी अपने आत्मसम्मान की आड़ में कोई सम?ाता करने से इनकार कर देती है. इस तरह ?ागड़ा बढ़ता जाता हैं और स्थिति विकट होने लगती है. घर में कलह बढ़ती है और बहू को लगने लगता है जैसे उस के ससुराल वाले ही दोषी हैं. उसे सास या ननद डायन और ससुर या देवरजेठ भेडि़ए नजर आने लगते हैं.

इस तरह जब मामला बिगड़ता है तो महिलाएं अपने अधिकारों का गलत प्रयोग कर पति और ससुराल वालों के खिलाफ आरोप लगा कर अपनी खुन्नस निकालने की कोशिश करती हैं.

कई समस्याओं की जड़

संयुक्त परिवार में रहने में और भी कई तरह की समस्याएं आती हैं. मसलन, इन में प्राइवेसी की कमी होती है. बड़ा परिवार होने के कारण हर समय आसपास कोई न कोई मौजूद होता है. संयुक्त परिवार में रहने वाले लोगों को कभी अकेलापन नहीं मिलता. ऐसे में कपल्स के बीच जो मधुर रिश्ता कायम रह सकता है उस में बाधा आती है.

यही नहीं संयुक्त परिवार में अपने जीवन से जुड़ा कोई फैसला लेना हो तो परिवार के प्रत्येक सदस्य खासकर बड़ेबुजुर्गों की स्वीकृति जरूरी होती है. इंसान अपनी मरजी से कुछ नहीं कर पाता. चाहे वह रात को 7 बजे के बाद बाहर जाने की बात हो या किसी दोस्त के यहां पार्टी करने की या फिर कोई मनपसंद कोर्स करना हो. इस के लिए भी उसे बड़ों से आज्ञा लेनी होती है. कभीकभी नई बहू को यह रवैया परेशान कर देता है और उस के अंदर गुस्सा भरने लगता है.

इसी तरह आर्थिक जिम्मेदारी की बात हो तो कई बार जब नई बहू का पति ही सारे घर की बागडोर संभालते हुए सारा खर्च कर रहा होता है और भाईबहनों को पढ़ाने या शादी करने का खर्च उठाता है तो बहुएं इस बात को सहज स्वीकार नहीं कर पातीं और उन के अंदर की विद्रोह की चिनगारी फूटने लगती है. यही नहीं संयुक्त परिवार में बच्चों की परवरिश कई लोगों के हाथों में होती है. ऐसे में हो सकता है कि अगर मातापिता अपने बच्चे को किसी चीज के लिए मना कर रहे हों लेकिन वही चीज घर के दूसरे सदस्य की नजर में गलत न हो. इस से संयुक्त परिवार के सदस्यों में आपसी वैचारिक मतभेद हो सकते हैं. बहू अपनी जिंदगी अपने हिसाब से नहीं जी पाती.

एक शोध की मानें तो संयुक्त परिवारों में महिलाओं को अधिक घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है. कुल मिला कर संयुक्त परिवारों में 95त्न महिलाएं घरेलू हिंसा का सामना करती हैं. यही सब कारण हैं कि संयुक्त परिवारों में बहुएं अपनी खुन्नस निकालने और ससुराल वालों को सबक सिखाने के लिए पूरे परिवार पर आरोप लगा देती हैं.

निजी खुशियों की कुरबानी

हमारे देश में परिवार को सब से ज्यादा अहमियत दी जाती है. लोग अपने परिवार की खुशी के लिए अपनी निजी खुशियों की कुरबानी देते हैं तो कुछ लड़के परिवार को खुश रखना ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लेते हैं. लेकिन भावनाओं में बह कर फैसले लेना उचित नहीं होता. उम्र के फर्क के साथसाथ मां और बच्चों के मूल्यों में अंतर आ जाता है. यहीं से टकराव की शुरुआत होती है. इस टकराव से बेहतर है कि अलग रहा जाए.

एकल परिवार में रहना हमेशा ही खराब हो ऐसा नहीं है. बहुत से केस में इस के नतीजे बहुत सकारात्मक रहे हैं. एक तलख रिश्ते में रहने से बेहतर है अलग हो जाना. ससुराल वालों से दूर यूनिट्री फैमिली का कौंसैप्ट आज के समय की मांग है. अकसर दूर रहने से मांबाप और भाईबहन के प्रति प्यार बढ़ता है. पतिपत्नी की जिंदगी भी बेहतर हो जाती है.

जिंदगी में आगे बढ़ने के मौके मिलते हैं. मर्द हो या औरत वह स्वाभाविक तौर पर आजाद रहना चाहती है और एक बहू अलग होने के बाद इस आजादी का मजा ले पाती है. उसे अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने का मौका मिलता है. इस से घर में खुशियां कायम रहती हैं और कोर्टकचहरी के मामले घटते हैं.

 

अविश्वास: रश्मि ने अकेलेपन को ख़त्म करने के लिए क्या तय किया?

अपनेकाम निबटाने के बाद मां अपने कमरे में जा लेटी थीं. उन का मन किसी काम में नहीं लग रहा था. शिखा से फोन पर बात कर वे बेहद अशांत हो उठी थीं. उन के शांत जीवन में सहसा उथलपुथल मच गई थी. दोनों रश्मि और शिखा बेटियों के विवाह के बाद वे स्वयं को बड़ी हलकी और निश्ंिचत अनुभव कर रही थीं. बेटेबेटियां अपनेअपने घरों में सुखी जीवन बिता रहे हैं, यह सोच कर वे पतिपत्नी कितने सुखी व संतुष्ट थे.

शिखा की कही बातें रहरह कर उन के अंतर्मन में गूंज रही थीं. वे देर तक सूनीसूनी आंखों से छत की तरफ ताकती रहीं. घर में कौन था, जिस से कुछ कहसुन कर वे अपना मन हलका करतीं. लेदे कर घर में पति थे. वे तो शायद इस झटके को सहन न कर सकें.

दोनों बेटियों की विदाई पर उन्होंने अपने पति को मुश्किल से संभाला था. बारबार यही बोल उन के दिल को तसल्ली दी थी कि बेटी तो पराया धन है, कौन इसे रख पाया है. समय बहुत बड़ा मलहम है. बड़े से बड़ा घाव समय के साथ भर जाता है, वे भी संभल गए थे.

बड़ी बेटी रश्मि के लिए उन के दिल में बड़ा मोह था. रश्मि के जाने के बाद वे बेहद टूट गए थे. रश्मि को इस बात का एहसास था, सो हर 3-4 महीने बाद वह अपने पति के साथ पिता से मिलने आ जाती थी.

शादी के कई वर्षों बाद भी भी रश्मि मां नहीं बन सकी थी. बड़ेबड़े नामी डाक्टरों

से इलाज कराया गया, पर कोईर् परिणाम नहीं निकला. हर बार नए डाक्टर के पास जाने पर रश्मि के दिल में आशा की लौ जागती, पर निराशारूपी आंधी उस की लौ को निर्ममता से बुझा जाती. किसी ने आईवीएफ तकनीक से संतान प्राप्ति का सुझाव दिया लेकिन आईवीएफ तकनीक में रश्मि को विश्वास न था.

अकेलापन जब असह्य हो उठा तो रश्मि ने तय किया कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखेगी.

‘सुनो, मैं एमए जौइन कर लूं?’

‘बैठेबैठे यह तुम्हें क्या सूझा?’

‘खाली जो बैठी रहती हूं, इस से समय भी कट जाएगा और कुछ ज्ञान भी प्राप्त हो जाएगा.’

‘मुझे तो कोई एतराज नहीं, पर बाबूजी शायद ही राजी हों.’

‘ठीक है, बाबूजी से मैं स्वयं बात कर लूंगी.’

उस रात बाबूजी को खाना परोसते हुए रश्मि ने अपनी इच्छा जाहिर की तो एक पल को बाबूजी चुप हो गए. रश्मि समझी शायद बाबूजी को मेरी बात बुरी लगी है. अनुभवी बाबूजी समझ गए कि रश्मि ने अकेलेपन से ऊब कर ही यह इच्छा प्रकट की है. उन्होंने रश्मि को सहर्ष अनुमति दे दी.

कालेज जाने के बाद नए मित्रों और पढ़ाई के बीच 2 साल कैसे कट गए, यह स्वयं रश्मि भी न जान सकी. रश्मि ने अंगरेजी एमए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर ली. उस के ससुर ने उसे एक हीरे की सुंदर अंगूठी उपहार में दी.

शिखा की शादी तय हो गई थी. रश्मि

के लिए शिखा छोटी बहन ही नहीं, मित्र व हमराज भी थी. शिखा ने व्हाट्सऐप पर लिखा कि, ‘सच में बड़ी खुशी की बात यह है कि तुम्हारे जीजाजी का तुम्हारे शहर में अपने व्यापार के संबंध में खूब आनाजाना रहेगा. मुझे तो बड़ी खुशी है कि इसी बहाने तुम्हारे पास हमारा आनाजाना लगा रहेगा.’

व्हाट्सऐप में मैसेज देख कर और उस में लिखा पढ़ कर रश्मि खिल उठी थी. कल्पना में ही उस ने अनदेखे जीजाजी के व्यक्तित्व के कितने ही खाके खींच डाले थे, पर दिल में कहीं यह एहसास भी था कि शिखा के चले जाने के बाद मां और बाबूजी कितने अकेले हो जाएंगे.

शिखा की शादी में रमेश से मिल कर रश्मि बहुत खुश हुई, कितना हंसमुख, सरल, नेक लड़का है. शिखा जरूर इस के साथ खुश रहेगी. रमेश भी रश्मि से मिल कर प्रभावित हुआ था. उस का व्यक्तित्व ही ऐसा था. शिखा की शादी के बाद एक माह रश्मि मांबाप के पास ही रही थी, ताकि शिखा की जुदाई का दुख उस की उपस्थिति से कुछ कम हो जाए.

शिखा अपने पति के साथ रश्मि के घर आतीजाती रही. हर बार रश्मि ने उन की जी खोल कर आवभगत की. उन के साथ बीते दिन यों गुजर जाते कि पता ही न लगता कि कब वे लोग आए और कब चले गए. उन के जाने के बाद रश्मि के लिए वे सुखद स्मृतियां ही समय काटने को काफी रहतीं.

शिखा शादी के बाद जल्द ही एकएक कर

2 बेटियों की मां बन गई थी. रश्मि ने शिखा के हर बच्चे के स्वागत की तैयारी बड़ी धूमधाम और लगन से की. अपने दिल के अरमान वह शिखा की बेटियों पर पूरे कर रही थी. मनोज भी रश्मि को खुश देख कर खुश था. उस की जिंदगी में आई कमी को किसी हद तक पूरी होते देख उसे सांत्वना मिली थी.

शिखा के तीसरे बच्चे की खबर सुन कर रश्मि अपने को रोक न सकी. शिखा की चिंता उस के शब्दों से साफ प्रकट हो रही थी. उस ने तय कर लिया कि वह शिखा के इस बच्चे को गोद ले लेगी. इस से उस के अपने जीवन का अकेलापन, खालीपन तथा घर का सन्नाटा दूर हो जाएगा. बच्चे की जरूरत उस घर से ज्यादा इस घर में है. रश्मि ने जब मनोज के सामने अपनी इच्छा जाहिर की तो मनोज ने सहर्ष अपनी अनुमति दे दी.

‘शिखा, घबरा मत, तेरे ऊपर यह बच्चा भार बन कर नहीं आ रहा है. इस बच्चे को तुम मुझे दे देना. मुझे अपने जीवन का अकेलापन असह्य हो उठा है. तुम अगर यह उपकार कर सको तो आजन्म तुम्हारी आभारी रहूंगी.’ रश्मि ने शिखा से फोन पर बात की.

शाम को जब रमेश घर आया तब शिखा ने मोबाइल पर हुई सारी बात उसे बताई.

‘रश्मि मुझे ही गोद क्यों नहीं ले लेती, उसे कमाऊ बेटा मिल जाएगा और मुझे हसीन मम्मी.’ रमेश ने मजाक किया.

‘क्या हर वक्त बच्चों जैसी बातें करते हो. कभी तो बात को गंभीरता से लिया करो.’

रमेश ने गंभीर मुद्रा बनाते हुए कहा, ‘लो, हो गया गंभीर, अब शुरू करो अपनी बात.’

नाराज होते हुए शिखा कमरे से जाने लगी तो रमेश ने उस का आंचल खींच लिया, ‘बात पूरी किए बिना कैसे जा रही हो?’

‘रश्मि के दर्द व अकेलेपन को नारी हृदय ही समझ सकता है. हमारा बच्चा उस के पास रह कर भी हम से दूर नहीं रहेगा. हम तो वहां आतेजाते रहेंगे ही. ‘हां’ कह देती हूं.’

‘बच्चे पर मां का अधिकार पिता से अधिक होता है. तुम जैसा चाहो करो, मेरी तरफ से

स्वतंत्र हो.’

शिखा ने रश्मि को अपनी रजामंदी दे दी. सुन कर रश्मि ने तैयारियां शुरू कर दीं. इस बार वह मौसी की नहीं, मां की भूमिका अदा कर रही थी. उस की खुशियों में मनोज पूरे दिल से साथ दे रहा था.

ऐसे में एक दिन उसे पता चला कि वह स्वयं मां बनने वाली है. रश्मि डाक्टर की बात का विश्वास ही न कर सकी.

उस ने अपने हाथों पर चिकोटी काटी.

मनोज ने खबर सुनते ही रश्मि को चूम लिया.

उसी रात रश्मि ने शिखा को फोन किया, ‘शिखा, तेरा यह बच्चा मेरे लिए दुनियाजहान की खुशियां ला रहा है. सुनेगी तो विश्वास नहीं आएगा. मैं मां बनने वाली हूं. कहीं तेरे बच्चे को गोद लेने के बाद मां बनती तो शायद तेरे बच्चे के साथ पूरा न्याय न कर पाती.’ रश्मि की आवाज में खुशी झलक रही थी.

‘आज मैं इतनी खुश हूं कि स्वयं मां बनने पर भी इतनी खुश न हुई थी. 14 साल बाद पहली बार तुम्हारे घर में खुशी नाचेगी,’ शिखा बहन की इस खुशी से दोगुनी खुश हो कर बोली.

मां और बाबूजी भी यह खुशखबरी सुन कर आ गए थे. रश्मि के ससुर की खुशी का

ठिकाना ही न था.

रश्मि ने अपनी बेटी का नाम प्रीति रखा था. प्रीति घरभर की लाड़ली थी. शिखा व रमेश का आनाजाना लगा ही रहता. शिखा के तीसरा बच्चा बेटा था. रश्मि ने यही सोच कर कि घर में बेटा होना भी जरूरी है, शिखा से उस का बेटा नहीं मांगा.

रश्मि की खुशियां शायद जमाने को भायी नहीं. शिखा व रमेश रश्मि के पास आए हुए थे. उन की दूर की मौसी प्रीति को देखने आई थीं. रश्मि को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, ‘रश्मि, तेरा रूप बिटिया न ले सकी. यह तो अपने मौसामौसी की बेटी लगती है.’

‘यह तो अपनेअपने समझने की बात है, मौसी, मैं प्रीति को अपनी बेटी से बढ़ कर प्यार करता हूं.’

मौसी का कथन और रमेश का समर्थन शिखा के दिल में तीर बन कर चुभ गए. जिन आंखों से प्रीति के लिए प्यार उमड़ता था, वही आंखें अब उस का कठोर परीक्षण कर रही थीं. प्रीति का हर अंग उसे रमेश के अंग से मेल खाता दिखाई देने लगा. प्रीति की नाक, उस की उंगलियां रमेश से कितनी मिलती हैं, तो क्या प्रीति रमेश की बेटी है? शिखा के दिल में संदेह का बीज पनपने लगा. मौसी का विषबाण अपना काम कर चुका था.

‘रश्मि बच्चे की चाह में इतना गिर सकती है और रमेश ने मेरे विश्वास का यही परिणाम दिया,’ शिखा सोचती रही, कुढ़ती रही.

घर लौटते ही शिखा उबल पड़ी. सुनते ही रमेश सन्नाटे में आ गया. यह रश्मि की

सगी बहन बोल रही है या कोई शत्रु?

‘तुम पढ़ीलिखी हो कर भी अनपढ़ों जैसा व्यवहार कर रही हो. तुम में विश्वास नाम की कोई चीज ही नहीं. इतना ही भरोसा है मुझ पर.’

‘अविश्वास की बात ही क्या रह जाती है? प्रीति का हर अंग गवाह है कि तुम्हीं उस के बाप हो. औरत सौत को कभी बरदाश्त नहीं कर पाती, चाहे वह उस की सगी बहन ही क्यों न हो.’

‘किसी के रूपरंग का किसी से मिलना

क्या किसी को दोषी मानने के लिए काफी है? गर्भावस्था में मां की आंखों के सामने जिस की तसवीर होती है, बच्चा उसी के अनुरूप ढल

जाता है.’

‘अपनी डाक्टरी अपने पास रखो, तुम्हारी कोई सफाई मेरे लिए पर्याप्त नहीं.’

‘डाक्टर राजेश को तो जानती हो न? उस की बेटी के बाल सुनहरे हैं, पर पतिपत्नी में से किस के बाल सुनहरे हैं? राजेश ने तो आज तक कोई तोहमत अपनी पत्नी पर नहीं लगाई.’

‘मैं औरत हूं, मेरे अंदर औरत का दिल है, पत्थर नहीं.’

बेचैनी में शिखा अपनी परेशानी मां को बता चुकी थी. उस की रातें जागते कटतीं, भूख खत्म हो गई थी. फोन करने के बाद मां कितनी बेचैन हो उठेंगी, यह उस ने सोचा ही न था.

मां अंदर ही अंदर परेशान हो उठीं. दोपहर को जब पति सोने चले गए तो उन्होंने शिखा को फोन किया, ‘‘तुम्हारी बात ने मुझे बहुत अशांत कर दिया है. रश्मि तुम्हारी बहन है, रमेश तुम्हारा पति, तुम उन के संबंध में ऐसा सोच भी कैसे सकती हो. रश्मि अगर 14 साल बाद मां बनी है तो इस का अर्थ यह तो नहीं कि तुम उस पर लांछन थोप दो. तुम्हारा अविश्वास तुम्हारे घर के साथसाथ रश्मि का घर भी ले डूबेगा. जिंदगी में सुख व खुशी हासिल करने के लिए विश्वास अत्यंत आवश्यक है. बसेबसाए घरों में आग मत लगाओ. रश्मि को इतने वर्षों बाद खुश देख कर कहीं तुम्हारी ईर्ष्या तो नहीं जाग उठी?’’

मां से बात करने के बाद शिखा के अशांत मन में हलचल सी उठी. सचाई सामने होते आंखें कैसे मूंदी जा सकती हैं. बातबात पर झल्ला जाना, पति पर व्यंग्य कसना शिखा का स्वभाव बन

चुका था.

‘‘बचपना छोड़ दो, रश्मि सुनेगी तो कितनी दुखी होगी.’’

‘‘क्यों? तुम तो हो, उस के आंसू पोंछने

के लिए.’’

‘‘चुप रहो, तमीज से बात करो, तुम तो हद से ज्यादा ही बढ़ती जा रही हो. जो सच नहीं है, उसे तुम सौ बार दोहरा कर भी सच नहीं बना सकतीं.’’

शिखा को हर घटना इसी एक बात से संबद्घ दिखाई पड़ रही थी. चाह कर भी वह अपने मन से किसी भी तरह इस बात को निकाल न सकी.

इधर रमेश को रहरह कर मौसीजी पर गुस्सा आ रहा था, जो उन के शांत जीवन में पत्थर फेंक कर हलचल मचा गई थीं. पढ़लिख कर इंसान का मस्तिष्क विकसित होता है, सोचनेसमझने और परखने की शक्ति आती है, पर शिखा तो पढ़लिख कर भी अनपढ़ रह गई थी.

एकदूसरे के लिए अजनबी बन पतिपत्नी अपनीअपनी जिंदगी जीने लगे. आखिर हुआ वही जो होना था. बात रश्मि तक भी पहुंच गई. सुन कर उसे गुस्सा कम और दुख अधिक हुआ. मनोज को भी इस बात का पता लगा, पर व्यक्ति व्यक्ति में भी कितना अंतर होता है. रश्मि के प्रति विश्वास की जो जड़ें सालों से जमी थीं, वे इस कुठाराघात से उखड़ न सकीं.

रश्मि ने मन मार कर शिखा को फोन कर कहा, ‘‘इसे तुम चाहो तो मेरी तरफ से

अपनी सफाई में एक प्रयत्न भी समझ सकती हो. हमारा सालों का रिश्ता, खून का रिश्ता यों इतनी जल्दी तोड़ दोगी? शांत मन से सोचो, मैं तो तुम्हारा बच्चा गोद लेने वाली थी, फिर मुझे ऐसा करने की आवश्यकता क्यों होती? रमेश को मैं ने हमेशा छोटे भाई की तरह प्यार किया है, इस निश्चल प्यार को कलुषित मत बनाओ.

‘‘वैवाहिक जीवन की नींव विश्वासरूपी भूमि पर खड़ी है. अपनी बसीबसाई गृहस्थी में शंकारूपी कुल्हाड़ी से आघात क्यों करना चाहती हो? तनाव और कलह को क्यों निमंत्रण दे बैठी हो? रमेश को तुम इतने सालों में भी समझ नहीं सकी हो.’’

शिखा इन बातों से और जलभुन गई. रमेश उस की नजर में अभी भी अपराधी है. घर वह सोने और खाने को ही आता है. उस का घर से बस इतना ही नाता रह गया है. मां द्वारा पिता की उपेक्षा होते देख बच्चे भी उस से वैसा ही व्यवहार करते हैं.

शिखा ने स्वयं ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि आज न वह स्वयं खुश है, न उस का पति रमेश.

फौरगिव मी: क्या मोनिका के प्यार को समझ पाई उसकी सौतेली मां

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