कठपुतली: क्या था अनुष्का का फैसला

तनीषाने बड़ी मुश्किल से टाइट जींस और क्रौप टौप पहना और फिर जल्दीजल्दी मेकअप करने लगी. उधर अनुष्का ने फटाफट अपना असाइनमैंट खत्म करा और हरे रंग का सलवारकुरता पहन लिया. नीचे मम्मी और दादी नाश्ते की टेबल पर बैठी थीं.

मम्मी ने अनुष्का को देख कर भौंहें चढ़ाते हुए कहा, ‘‘यह क्या पहन रखा है? आखिर कब तुम इस बहनजी अवतार से बाहर निकलोगी. तनीषा तुम से बड़ी है, मगर तुम्हारी छोटी बहन लगती है.’’

अनुष्का बोली, ‘‘मम्मी, मैं इन टाइट और छोटे कपड़ों में बहुत असहज महसूस करती हूं्. मैं बहनजी ही सही, मगर खुश हूं.’’

तभी अनुष्का की दादी बोलीं, ‘‘अरे मेरी बच्ची तो बहुत प्यारी लग रही है बहू… खूबसूरती कपड़ों में नहीं विचारों से झलकती है.’’

मगर अनुष्का की मम्मी अलका बड़बड़ाती रहीं, ‘‘मम्मीजी आजकल स्मार्टनैस का जमाना है. कोई ऐश्वर्य की तरह खूबसूरत भी नही है कि जो भी पहन ले वह अच्छा ही लगे.’’

अनुष्का कोई जवाब दिए बिना दुपट्टे को ठीक करते हुए बाहर निकल गई. उधर तनीषा अपने क्रौप टौप को नीचे की तरफ खींचते हुए बाहर भागी. उसे पता था कि अगर 2 मिनट की भी देरी हुई तो अनुष्का अपनी स्कूटी उड़ा कर चली जाएगी.

तनीषा के बैठते ही स्कूटी हवा से बातें करने लगी. जब अनुष्का स्कूटी मैट्रो स्टेशन पर पार्क कर रही थी तो तनीषा लेडीज वाशरूम की तरफ भागी. अपनी लिपस्टिक ठीक करते हुए तनीषा बोली, ‘‘तुम्हारा पहनावा ठीक है… तुम्हें किसी बात की कोई चिंता नही.’’

‘‘तुम्हें किस ने कहा है ये सब पहनने के लिए?’’ अनुष्का बोली.

तनीषा हंसते हुए बोली, ‘‘अनु मुझे लड़कों का अटैंशन पसंद है. जब लड़के मुझे हसरत भरी नजरों से देखते हैं तो मुझे अच्छा लगता है.’’

अनुष्का बोली, ‘‘कब तक दी? जैसी हो वैसी ही रहो… कोई पसंद करे तो ऐसे ही.’’

तनीषा अनुष्का की बात को अनसुना करते हुए अपने बौयफ्रैंड साहिल की तरफ चली गई.

कालेज में पहुंचते ही अनुष्का सधे कदमों से लाइब्रेरी की तरफ चली गई. वहां पर पहले से कुछ लड़केलड़कियां बैठे थे. कुछ नजरों में उसे अपने लिए आदरभाव दिखा तो कुछ नजरें उस की खिल्ली उड़ा रही थीं.

अनुष्का को पता था कि कालेज में वह बहनजी के नाम से मशहूर है. लड़के उस के करीब तभी आना चाहते हैं जब उन्हें या तो तनीषा को प्रपोज करना होता या उन्हें अनुष्का से कोई काम होता. मगर अनुष्का को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था. वह जैसी थी और जो थी उस ने अपनेआप को स्वीकार कर लिया था. वह अपनी जिंदगी खूबसूरती की कठपुतली बन कर नहीं गुजारना चाहती थी.

आज इंटर कालेज डिबेट कंपीटिशन था. अनुष्का बेहद अच्छी वक्ता थी. जब

वह बोलती थी तो ऐसा लगता था जैसे बिजली कड़क रही हो. डिबेट इंग्लिश में थी और अनुष्का की सब से आखिर में बारी थी. अनुष्का को स्टेज पर देख कर जो लड़का ऐंकरिंग कर रहा था एक मिनट को रुक गया और फिर धीमे स्वर में बोला, ‘‘यह डिबेट हिंदी में नहीं इंग्लिश में है.’’

‘‘मुझे पता है,’’ अनुष्का बोली.

जब अनुष्का ने आत्मविश्वास के साथ अपनी डिबेट शुरू करी तो पूरा हौल एकदम शांत हो गया था. बहनजी जैसी दिखने वाली लड़की कैसे इतनी अच्छी अंगरेजी बोल सकती है सब यही सोच रहे थे.

जो लड़का ऐंकरिंग कर रहा था उस का नाम उदीक्ष था. न जाने अनुष्का की डिबेट में क्या जादू था कि उदीक्ष अपना दिल हार बैठा. जब अनुष्का स्टेज से उतरी तो उदीक्ष उस के पीछेपीछे आया और फिर उस से हाथ मिलाते हुए बोला, ‘‘अनुष्का आप ने तो कमाल कर दिया. आप के जैसी लड़की मैं ने आज तक नहीं देखी.’’

अनुष्का हंसते हुए बोली, ‘‘हां बहनजी को अच्छी इंग्लिश बोलते देख कर चौंक गए होंगे.’’

उदीक्ष शरमाते हुए बोला, ‘‘नहीं तुम्हारी प्रतिभा देख कर मैं चौंक गया हूं.’’

डिबेट रिजल्ट आ गया था और अनुष्का को प्रथम पुरस्कार मिला था.

उदीक्ष जाते हुए अनुष्का को अपना मोबाइल नंबर दे गया, ‘‘अगर मन करे तो बात कर लेना. मुझे लगता है मेरीतुम्हारी अच्छी जमेगी.’’

तभी तनीषा वहां आ गई. उसे देख कर उदीक्ष बोला, ‘‘अरे क्या अनुष्का तुम्हारी बहन है?’’

तनीषा बोली, ‘‘हां हो गए न तुम भी सरप्राइज?’’

उदीक्ष बोला, ‘‘एक हीरा और दूसरा रंगीन पत्थर.’’

अनुष्का मन ही मन सोचने लगी कि शायद अब उदीक्ष को फोन करने का कोई फायदा नहीं है. सभी लड़के तनीषा को देखते ही अनुष्का को अनदेखा कर देते हैं. मगर अनुष्का को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था.

जब अनुष्का और तनीषा वापस मैट्रो में जा रही थीं तो तनीषा बारबार अपना टौप नीचे कर रही थी.

अनुष्का बोली, ‘‘ऐसा क्यों कर रही हो बारबार? या तो ठीक कपड़े पहना करो या फिर यह खींचतान मत किया करो.’’

तनीषा चिढ़ते हुए बोली, ‘‘ऐसे कपड़े पहनने के लिए एफर्ट लगता है वरना बहनजी की तरह कुरता तो हरकोई पहन सकता है.’’

अनुष्का अपनी बहन की बात सुन कर मुसकरा उठी. जो तनीषा एक स्कूटी तक ड्राइव नहीं कर सकती है वह मौडर्न है और अनुष्का जो कालेज से ले कर घर तक आनेजाने की जिम्मेदारी खुद संभालती है वह बहनजी है क्योंकि वह छोटे कपड़े नहीं पहनती है. मेकअप नहीं करती है, गौसिप उसे पसंद नहीं. उस का कोई बौयफ्रैंड नहीं है. मगर अनुष्का खुश थी क्योंकि वह मानसिक रूप से आजाद है. उस की खुशी किसी लड़के की प्रशंसा की मुहताज नहीं थी.

रात में तनीषा बेचैनी से इधरउधर घूम रही थी. अनुष्का ने पूछा, ‘‘क्या हुआ तनीषा इतनी बेचैन क्यों हो?’’

तनीषा आंखों में पानी भरते हुए बोली, ‘‘यार साहिल मेरा फोन नहीं उठा रहा है.’’

‘‘इस में रोने की क्या बात है?’’ अनुष्का बोली.

‘‘मुझे लगता है अब वह पंखुड़ी के पीछे है… मेरे में क्या कमी है?’’

अनुष्का बोली, ‘‘तुम्हारे अंदर कोई कमी नहीं है… तुम्हारी यह सोच तुम्हारे दुख का कारण है कि तुम्हारी खुशी की बागडोर तुम्हारे बौयफ्रैंड पर निर्भर है.’’

तनीषा बोली, ‘‘मगर अनुष्का मुझे साहिल के बिना बेहद खालीपन लगता है. तुम्हारे जितनी बहादुर नहीं हूं मैं कि भीड़ से अलग दिखूं… बहुत बार मन करता है कि इस तामझम से हट कर तुम्हारी तरह सिंपल जिंदगी व्यतीत करूं.’’

अनुष्का हंसते हुए बोली, ‘‘अरे तो क्या मुश्किल है… दूसरों में नहीं, अपनी खुशी खुद में ढूंढ़ो… अपने हर पल को इस तरह काम से लाद दो कि तुम्हें एक मिनट का भी समय न मिले.’’

रात में जहां तनीषा अपने चेहरे पर निकल आए एक पिंपल को ठीक करने की कोशिश में लगी हुई थी वहीं अनुष्का अपने कालेज के आने वाले इवेंट की तैयारी कर रही थी. तनीषा चाह कर भी अपने को इस जाल से आजाद नहीं कर पा रही थी.

कालेज में पहुंच कर तनीषा बेहद असहज महसूस कर रही थी. बारबार

आईने में खुद को देखती और परेशान हो उठती. तभी तनीषा को सामने से अपना बौयफ्रैंड साहिल आता दिखाई दिया, मगर साहिल ने तनीषा को देख कर भी अनदेखा कर दिया.

तनीषा को लग रहा था कि वह भीड़ में भी अकेली है. वह दुखी ही एक कोने में खड़ी थी कि तभी अनुष्का आई और बोली, ‘‘अरे चलो, मेरे साथ हम लोग नुक्कड़ नाटक की प्रैक्टिस कर रहे हैं.’’

तनीषा ने वहां जा कर देखा कि सब लड़केलड़कियां अपनी ही धुन में व्यस्त हैं. अनुष्का उस ग्रुप की लीडर थी. तनीषा टकटकी लगाए ये सब देख रही थी. पहली बार वह खुद को तुच्छ समझ रही थी.

अनुष्का बिना किसी सौंदर्य प्रसाधन के भी बेहद सलोनी लग रही थी. उस के चेहरे पर आत्मविश्वास का तेज था.

अनुष्का का सौंदर्य ऐसा था जो जितना करीब आता था उतना ही दिल को लुभाता था. अपने गुणों के कारण अनुष्का का सौंदर्य देखने वाले की आंखों को शीतलता प्रदान करता था.

नुक्कड़ नाटक में फिर से अनुष्का का गु्रप प्रथम आया. उदीक्ष फिर से अनुष्का के पास आया और बोला, ‘‘कुछ स्किल्स हम लोगों के लिए भी छोड़ दो. तुम तो फोन करोगी नहीं, मुझे अपना नंबर दे दो.’’

अनुष्का ने उदीक्ष को अपना नंबर दे दिया. धीरेधीरे अनुष्का और उदीक्ष में अच्छी बनने लगी.

तनीषा जब मौका मिलता अनुष्का को छेड़ती, ‘‘अरे अब तो थोड़ी बनठन कर रहा कर… तेरा बौयफ्रैंड इतना हौट है.’’

अनुष्का हंसते हुए बोलती, ‘‘दी अच्छा दिखने में कोई बुराई नहीं है, मगर मेरी पहचान मेरी खूबसूरती से नहीं वरन गुणों से होनी चाहिए.’’

उदीक्ष को अनुष्का का साथ बेहद पसंद था. दोनों बिना किसी वादे के एकदूसरे की जिंदगी का अहम हिस्सा थे.

अनुष्का जहां टीच इंडिया प्रोजैक्ट का हिस्सा बन गई थी वहीं उदीक्ष को एक मीडिया हाउस में अच्छी नौकरी मिल गई थी. अब उदीक्ष अनुष्का को अपने घर ले कर जाना चाहता था, मगर उसे पता था कि उस के परिवार के हिसाब से अनुष्का थोड़ी अलग लगेगी. उदीक्ष की बहन और मम्मी टिपटौप रहना पसंद करती थीं.

उदीक्ष आज अनुष्का के लिए एक छोटा सा वनपीस लाया था. अनुष्का सवालिया निगाहों से उस की तरफ देख कर बोली, ‘‘तुम्हें तो पता है कि मुझे ऐसे कपड़े पसंद नहीं हैं?’’

उदीक्ष चिरौरी करते हुए बोला, ‘‘अरे एक बार मेरी खातिर पहनो तो सही… तुम पर यह ड्रैस बहुत अच्छी लगेगी. और मेरी बात मानो जब हम लोग मेरे घर चलेंगे तो यही पहन लेना. तुम बहुत अच्छी लगोगी.’’

अनुष्का को लेने जब उदीक्ष पहुंचा तो वह बेहद असहज सी नजर आ रही थी. आज अपनी मम्मी के कहने पर अनुष्का ने लाइट मेकअप भी कर लिया था. कुल मिला कर अनुष्का खुद को ही पहचान नहीं पा रही थी.

कार में बैठ कर जब अनुष्का अपनी ड्रैस को खींचने लगी तो उदीक्ष बोला, ‘‘अरे ऐसा

मत करो, खूब हौट लग रही हो.’’

अनुष्का को पूरे रास्ते उदीक्ष अपनी मम्मी और बहन के बारे में बताता रहा. जब अनुष्का उदीक्ष के घर पहुंची तो टिकटिक करती हुई एक लिपीपुती महिला आई और अनुष्का को तोलती हुई निगाहों से देखते बोली, ‘‘तुम हो अनुष्का. उदीक्ष तो तुम्हारी बहुत तारीफ करता है.’’

उदीक्ष की मम्मी की बातों से अनुष्का को ऐसा महसूस हुआ जैसे उदीक्ष की तारीफों से वे सहमत नहीं हैं.

तभी उदीक्ष की छोटी बहन शिप्रा आई और अनुष्का को अपना घर दिखाने लगी. अनुष्का को उदीक्ष का घर बेहद सुंदर मगर एक डैकोरेटिव पीस जैसा लग रहा था. सारी सुखसुविधाएं थीं, मगर कहीं भी प्यार की उष्मा नहीं थी. घर घूमते हुए अनुष्का को ऐसा महसूस हुआ जैसे वह बार्बी डौल का घर घूम रही हो.

शिप्रा पूरे टाइम कपड़ों, मेकअप, पार्टीज और अपने बौयफ्रैंड्स की बातें करती रही.

जब अनुष्का वापस घर आई तो उसे समझ आ चुका था कि उदीक्ष के घर के हिसाब से वह थोड़ी अलग है. मगर उसे यह भी विश्वास था कि उदीक्ष ने उसे जैसी वह है, उसे वैसा ही पसंद किया है. उदीक्ष ने कभी अनुष्का को बदलने का प्रयास नहीं किया.

उदीक्ष और अनुष्का की मंगनी तय हो गई थी. मंगनी में पहनने के लिए अनुष्का को गाउन दिलाया गया था. गाउन का भार अनुष्का के भार से भी अधिक था. अनुष्का ने जब यह बात अपने घर में कही तो अनुष्का की मम्मी बोलीं, ‘‘अरे एक तो तरी सास तेरे लिए इतने प्यार से गाउन लाई है और तुझे ये नखरे सूझ रहे हैं.’’

गाउन का खुला हुआ गला, कपड़ा सबकुछ अनुष्का को असहज कर रहा था, मगर उसे बोलने की अनुमति नहीं थी. अनुष्का को ऐसी मौडर्निटी समझ नहीं आ रही थी जो बस कपड़ों में झलकती थी विचारों में नहीं.

घर की होने वाली बहू को उस की मरजी के कपड़े पहनने की अनुमति नहीं है क्योंकि उस में उस की फूहड़ता और गांवरूपन नजर आता है.

जैसेजैसे मंगनी की तारीख नजदीक आ रही थी उदीक्ष के व्यवहार में भी बदलाव आ रहा था.

उदीक्ष के परिवार को अनुष्का का टीच इंडिया के लिए कार्य करना पसंद नहीं था. अनुष्का की सास के अनुसार, ‘‘आजकल बहनजी ही टीचिंग करती हैं, जो लड़कियां किसी काबिल नहीं होती हैं वे ही मास्टरनी बनती हैं.’’

उदीक्ष ने अनुष्का को यह नौकरी छोड़ने के लिए बोल दिया, ‘‘अरे मेरे मम्मीपापा ने मेरी पसंद स्वीकार कर ली है और वे तुम्हें कोई घर बैठने को थोड़े ही कह रहे हैं. वे तो बस तुम्हें उड़ने के लिए आकाश दे रहे हैं.’’

अनुष्का ने फीकी मुसकान से कहा, ‘‘हां मेरे पंखों को काट कर मुझे उड़ने को बोला जा रहा है.’’

उदीक्ष अनुष्का की यह बात सुन कर

झंझला उठा.

अनुष्का का अपना परिवार भी उस की बातें समझ पाने में असमर्थ था.

मंगनी के रोज उदीक्ष का परिवार समय से पहुंच गया. चारों तरफ हंसीखुशी का माहौल था. उदीक्ष के आधुनिक परिवार को देख कर, उस फंक्शन में उपस्थित सभी लोग अनुष्का की पसंद की सराहना कर रहे थे.

उदीक्ष की नजरें भी अनुष्का को ढूंढ़ रही थीं. तभी अनुष्का बाहर आई. पीच रंग की साड़ी और लाइट मेकअप में वह बेहद सौम्य नजर आ रही थी.

मगर उदीक्ष की छोटी बहन शिप्रा बोली, ‘‘भाभी यह क्या औरतों की तरह तैयार हो कर आई हो? आप ने गाउन क्यों नही पहना?’’

उदीक्ष भी धीमे स्वर में बोला, ‘‘अनुष्का तुम क्यों जिद पकड़ लेती हो. लड़कियां तो आधुनिक कपड़े पहनना चाहती हैं, मगर उन्हें ससुराल में अनुमति नहीं मिलती है और यहां एकदम विपरीत है.’’

अनुष्का की मम्मी बात संभालते हुए बोलीं, ‘‘अरे बेटा तुम परेशान मत हो, मैं अनुष्का को दोबारा तैयार करती हूं…’’

अनुष्का अपनी मम्मी की बात काटते हुए बोली, ‘‘उदीक्ष मैं जैसी हूं वैसी ही रहूंगी… मैं वही कपड़े पहनना पसंद करती हूं जो मुझे कंफर्टेबल लगते हैं.’’

अनुष्का की मम्मी गुस्से में बोलीं, ‘‘कब तक बहनजी बनी रहोगी?’’

अनुष्का की होने वाली सास, ननद सब उसे गुस्से से देख रही थीं.

अनुष्का सयंत स्वर में बोली, ‘‘बात कपड़ों की नहीं मेरी मरजी की है. मैं अगर अपनेआप को ही बदल दूंगी तो फिर मैं ही क्या रह जाऊंगी?’’

उदीक्ष बोला, ‘‘तुम्हें हमारे रिश्ते से अधिक अपनी जिद प्यारी है.’’

अनुष्का बोली, ‘‘अगर मैं तुम्हें कहूं कि शादी के बाद तुम टैनिस खेलना छोड़ दो, शौर्ट्स पहनना छोड़ दो या फिर अपने परिवार को छोड़ दो तो?’’

उदीक्ष की मम्मी बोलीं, ‘‘उदीक्ष हम तुम्हारी खुशी के लिए तैयार हो गए थे, मगर हमें नहीं लगता यह लड़की तुम से प्यार करती है.’’

अनुष्का बोली, ‘‘आंटी प्यार करती हूं… तभी तो उदीक्ष जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार कर रही हूं.’’

उदीक्ष उठते हुए बोला, ‘‘अनुष्का तुम वह नहीं हो जिसे मैं जानता था.’’

पूरे पंडाल में सन्नाटा पसरा हुआ था, मगर अनुष्का को यह मौन बेहद भला लग रहा था. उसे खुद पर फख्र महसूस हो रहा था कि आज उस ने खुद को कठपुतली बनने से बचा लिया.

कठपुतली जिसे सुंदर दिखना होता है, कठपुतली जिसे अपनी देह के उतारचढ़ाव से पति को खींच कर रखना होता है, कठपुतली जिस की खुशी की डोर दूसरों के हाथों में होती है, मगर आज अनुष्का ने उस कठपुतली की डोर को

थोड़ी सी हिम्मत कर के सदा के लिए अपने हाथों में ले लिया.

 

एक्ट्रेस विद्या बालन ने अपनी शादी से जुड़ा खोला एक बड़ा राज

बौलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. आज हिंदी फिल्म इंड्रस्ट्री में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वो अपने दम पर किया है. वे छोटे-छोटे शहरों से आने वाली कई लड़कियों के लिए आदर्श हैं.

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान विद्या बालन ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे प्रोड्यूसर सिद्धार्थ रॉय कपूर से शादी करेंगी. अपनी रिलेशनशिप को लेकर विद्या ने कहा कि सक्सेसफुल रिलेशनशिप का कोई मंत्र नहीं है. हर रिश्ता अपने आप में अलग होता है. यह बात कोई आपके कान में नहीं बताएगा.

विद्या बालन कहती हैं कि शादी के 12 वर्षों में मेरी रिलेशनशिप की समझ बदली है. इस रिलेशन से मुझे पता लगा कि बढ़ते समय के साथ मैं इस रिलेशन में और आगे बढूंगी.

 

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उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छे रिश्ते में किसी तीसरे को जगह नहीं देनी चाहिए. रिलेशन दो लोगों के बीच में होता है जिसमें किसी तीसरे की कोई जगह नहीं होती है.

बहुत जल्द ही विद्या की मल्टीस्टारर फिल्म ‘दो और दो प्यार’ 19 अप्रैल को रिलीज होने वाली है. इसमें प्रतीक गांधी, इलियाना डी क्रूज और सेंथिल रमामूर्ति प्रमुख रोल अदा कर रहे हैं.

 

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आपको बता दें कि विद्या बालन ने जी टीवी पर आने वाले शो ‘हम पांच’ में राधिका का रोल किया था. इसके बाद उन्होंने प्रदीप सरकार के द्वारा निर्देशित फिल्म ‘परीणिता’ में लोलिता का रोल किया था. यह विद्या की पहली फिल्म थी. इस फिल्म का गाना ‘पीयू बोले’ को दर्शकों ने काफी पसंद किया था.  फिल्म में सैफ अली खान, संजय दत्त और रायमा सेन ने भी काम किया था.

गर्मियों के लिए अपनी वार्डरॉब को ऐसे करें अपडेट

गर्मियों का मौसम अपने चरम पर पहुंचने लगा है और इस समय सबसे बड़ी आवश्यकता होती है अपने वार्डरोब को अपडेट करने की ताकि आप भी हर मौके पर फैशनेबल दिख सकें. अक्सर हम फैशन की जानकारी के अभाव में बाजार से कपड़ों की शोपिंग तो कर लाते हैं जिस पर अच्छा ख़ासा खर्च भी हो जाता है परन्तु फिर भी हमारी वार्डरोब में फैशनेबल कपड़ों का अभाव ही रहता है. आज हम आपको ऐसे ही कुछ ट्रेंडी फैशनेबल ड्रेसेज के बारे में बता रहे हैं ताकि आप भी अपनी वार्डरोब को समर फैशन के अनुकूल अपडेट कर सकें-

बटन डाउन शर्ट्स

यदि गर्मियों में आप हॉट और कूल दिखना चाहतीं हैं तो अपनी कवर्ड में बटन डाउन शर्ट को जरुर स्थान दें. इस समय ये ढीली ढाली शर्ट्स बहुत फैशन में हैं. ये बहुत अधिक महंगी भी नहीं होती इसलिए इन्हें आप नया भी खरीद सकतीं हैं और यदि आपके घर में कोई जेन्ट्स मेम्बर की शर्ट का रंग और फिटिंग आपको पसंद है तो आप उसका चयन भी कर सकतीं हैं.

ढीली ढाली फ्लोई पेंट्स

लिनेन और नेचुरल मेटेरियल से बनी फ्लोई पेंट्स आपकी वार्डरोब में होनी ही चाहिए. स्ट्रेचेबल फेब्रिक में होने के कारण इनका फ्लो भी बहुत अच्छा होता है और इससे बॉडी का लुक भी बहुत अच्छा आता है. ये प्रिंटेड और प्लेन दोनों ही डिजाइन में बाजार में बहुत आसानी से मिल जातीं हैं. चूंकि इनका फेब्रिक गर्मी के अनुकूल होता है इसलिए इन्हें पहनकर आप गर्मी में खुद को बहुत कूल अनुभव करेंगीं. इन्हें किसी भी टॉप या कुरते के साथ कैरी किया जा सकता है.

ओवरसाईजड टीशर्ट्स

नेचुरल मेटेरियल से बनी ये ओवरसाइज्ड टीशर्ट्स आपकी पर्सनेलिटी को एकदम नया लुक दे देतीं हैं. इन्हें डेनिम, बाइक शॉर्ट्स, या पेंट्स के साथ आसानी से पेयर किया जा सकता है. अजरख, बांधनी और टाई और डाई जैसे कॉटन फेब्रिक में बनी पैचवर्क और इम्ब्रोइडरी वाली टीशर्ट्स भी बहुत चलन में हैं जिन्हें आप अपनी वार्डरोब का हिस्सा बना सकतीं हैं. इनकी खासियत है कि इन्हें अंदर स्लीवलेस टीशर्ट पहनकर आप ऊपर से बटन्स को ओपन करके श्रग की तरह भी कैरी कर सकतीं हैं.

स्लिप आन ड्रेस

गर्मियों में जिपर या टाइट कपड़ों की अपेक्षा फ्लेयर्ड और बेबी डॉल टाइप लॉन्ग और शार्ट दोनों ही प्रकार की ड्रेस खूब अच्छी लगतीं हैं. आजकल फ्लोरल प्रिंट बहुत फैशन में है इससे बनी मैक्सी आदि काफी कम्फर्टेबल होती हैं. आप इन्हें पेस्टल, लाइट और शार्प किसी भी प्रकार के रंगों में खरीदकर अपनी वार्डरोब में शामिल कर सकतीं हैं.

टैंक टॉप

हौजरी मेटेरियल और कॉटन मेटेरियल से बने ये टॉप काफी ढीले और आरामदायक होते हैं. ये क्रॉपड या फुल लेंथ दोनों में होते हैं जिन्हें आप अपनी सुविधानुसार ले सकतीं हैं. इन्हें आप स्कर्ट, जींस या फिर पलाज़ो के साथ बहुत आराम से पेयर कर सकतीं हैं. आजकल चूंकि अजरख, कलमकारी, बांधनी जैसे प्रिंट बहुत चलन में हैं इसलिए खरीदते समय इन प्रिंट्स को तरजीह दें.

जरुरी एसेसरीज

हैट, स्कार्फ, सनग्लासेज, हैंडबैग और फुटवीयर भी गर्मियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. आजकल ट्रेडिशनल प्रिंट के स्टोल भी बहुत फैशन में हैं आप इन्हें भी अपनी कवर्ड का हिस्सा बनाएं पर सिंथेटिक स्कार्फ के स्थान पर कॉटन और लिनेन फेब्रिक ही खरीदें ताकि आप गर्मी के प्रभाव से बचे रहें. लेदर के स्थान पर हल्के और ब्राइट कलर के फ्लोटर और स्लीपर्स को अपनी वार्डरोब का हिस्सा बनाएं जिससे आपके पैरों को पर्याप्त हवा मिलती रहे. गर्मियों में होबो, ट्रेडिशनल अजरख, बांधनी आदि प्रिंट के बैग्स का प्रयोग आपको ट्रेंडी लुक देगा.

रूखे, टूटते बालों के लिए गेम चेंजर है हेयर बोटौक्स, ये है साल 2024 का लेटेस्ट ट्रेंड

‘हेयर बोटॉक्स’ से आप अपने बालों को मजबूत, घना और शाइनी बना सकती हैं. साल 2024 का यह नया ट्रेंड लाखों लोगों के लिए नई उम्मीद जैसा है.

क्या आप भी अपने टूटते, रूखे, बेजान बालों के लिए कोई ऐसा ट्रीटमेंट खोज रही हैं जिससे आपकी ये सभी परेशानियां एक बार में खत्म हो जाए. अगर हां, तो अब आपकी परेशानी का हल मिल गया है. ‘हेयर बोटॉक्स’ से आप अपने बालों को मजबूत, घना और शाइनी बना सकते हैं. साल 2024 का यह नया ट्रेंड लाखों लोगों के लिए नई उम्मीद जैसा है. खास बात ये है कि ये लंबे समय तक आपके बालों पर असर दिखाता है. एक बार इसे करवाने के बाद आप महीनों तक बालों को लेकर टेंशन फ्री रह सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है हेयर बोटॉक्स और कैसे आप इसे करवा सकते हैं.

जानिए क्या है हेयर बोटॉक्स

बेजान, उलझे हुए बाल आपका कॉन्फिडेंस और ब्यूटी दोनों ही कम कर देते हैं. ऐसे में अपने बालों को फ्रिज फ्री और शाइनी बनाने जरूरी है. हेयर बोटॉक्स बालों की इन परेशानियों को दूर करने में किसी गेम चेंजर की तरह काम करता है. प्रोटीन ट्रीटमेंट के कारण यह बालों को अंदर से मजबूत बनाता है. इससे बालों को डीप कंडीशनिंग मिलती है. यह बालों को केराटिन जैसे फिलर्स से कोट कर देता है. जिससे बालों में चमक आती है. इससे बालों को हाइड्रेशन मिलता है.

यह हेयर क्यूटिकल्स को चिकना कर देता है, जिससे बाल रूखे और बेजान नहीं लगते हैं। इसे करवाने से बालों को मजबूती मिलती है. साथ ही यह टूटे बालों को रिपेयर भी करता है। यह हेयर ट्रीटमेंट काफी लॉन्ग लास्टिंग है. यह आपके बालों पर कम से कम 3 से 4 माह तक काम करता है. हालांकि इस ट्रीटमेंट को करवाने में आपको करीब 4 घंटे का समय लग सकता है. लेकिन शानदार बालों के लिए इतना समय देना कोई बड़ी बात नहीं है.

सभी टाइप के बालों के लिए इफेक्टिव

विशेषज्ञों के अनुसार हेयर बोटॉक्स उन लोगों के लिए बहुत ही काम का है, जिन्हें अपने बालों की केयर करने का समय नहीं मिल पाता है. खास बात यह है​ कि ये हर टाइप के बालों के लिए अच्छा है. चाहे आपके बाल घुंघराले हों या फिर मोटे हों या बहुत पतले हों, ये सभी टाइप के बालों को सूट करता है. यह आपके हर एक बाल को एक शानदार कोटिंग देता है. दोमुंह के बालों की समस्या और फ्रिज की प्रॉब्लम को भी यह ट्रीटमेंट सॉल्व करता है.

इसलिए आया ट्रेंड में

हेयर बोटॉक्स के ट्रेंड में आने का एक कारण ये भी है कि इसे करवाने के बाद आप दूसरे ट्रीटमेंट भी आसानी से ले सकते हैं. जैसे आप कलर करवा सकते हैं या फिर हेयर कट भी ले सकते हैं. इसमें बालों को वॉश करने या स्टाइलिंग करने में कोई रोक नहीं है. हेयर बोटॉक्स करवाने के बाद कम से कम 70 वॉश तक इसकी चमक बनी रहती है.

 

परिणीति चोपड़ा ने ‘अमर सिंह चमकीला’ के लिए लूटी वाहवाही, बोली ‘आइ एम बैक’

बौलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा ने इमतियाज अली की बायोपिक फिल्म ‘अमर सिंह चमकीला’ से फिल्मों में वापसी कर ली है. इस फिल्म के लिए उनकी बहुत सराहना की जा रही है.  फिल्म को लेकर परिणीति ने सोशल मीडिया पर एक इमोश्नल नोट शेयर किया है.

सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म इंस्टाग्राम पर परिणीति ने लिखा है कि ‘’  मैं अपने कंबल में लिपटी हुई हूं. आपके शब्द कॉल्स और मूवी रिव्यूज से बहुत खुश हूं. मेरे आसूं रुक नहीं रहे हैं. ‘दीज वर्ड्स आर रिंगिंग लाउड, डिड्ंट थॉट ऑफ दिस, येस आई एम बैक एंड नॉट गोइंग अनीवेयर.”

 

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परिणीति के इस नोट पर फैन्स ने भी बहुत अच्छे-अच्छे पोस्ट किए हैं. एक फैन ने लिखा कि ‘’मुझे खुशी है कि आप इतनी अद्भुत परफॉर्मेंस के साथ वापस आई हैं.शुरुआत से आपसे प्यार किया है. थैंक गॉड आप इस फिल्म में सितारे की तरह चमक रही हैं और आप इसकी हकदार हैं.’’

इससे पहले इस फिल्म की शूटिंग एक्सपीरियंस को लेकर दिलजीत के साथ  एक रील शेयर करते हुए परिणीति ने लिखा था, ”दिलजीत और मुझे  दो लिजेंड की भूमिका निभाने का अवसर मिला जिन्होंने भारतीय संगीत की तस्वीर ही बदल दी है. उनकी यादों को फिर से जीवंत करना मेरे रोंगटे खड़े कर देता है. चमकीला मेरे जोड़ीदार के बिना संभव नहीं थी.”

 

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एक पाकिस्तानी फैन ने भी परिणीति की पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा है, आपने पूरे दिल से इस रोल को निभाया है, स्क्रीन पर अपनी प्रतिभा और सत्यता दर्शाने के लिए धन्यवाद, पाकिस्तान की ओर से ढेर सारा प्यार.

इस फिल्म को लेकर परिणीति की बहन  एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने भी उनकी तारीफ की है. उन्होंने लिखा, इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करते हुए टीम को बधाई दी है और लिखा है कि इम्तियाज सर, दिलजीत, तिशा और पूरी टीम को बधाई. बहुत अच्छा लगा. आपको बता दें कि फिल्म में परिणीति और दिलजीत दोसांज लीड रोल कर रहे हैं।

महिलाओं में थायराइड, इलाज है न

कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो महिलाओं पर अधिक हावी होती हैं. ‘हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म’ थायराइड से जुड़ी 2 बीमारियां हैं.

महिलाओं के जीवन में उन का सामना कई मानसिक, शारीरिक और हारमोनल बदलावों से होता है. हालांकि महिला जीवन के विभिन्न चरणों में हारमोनल बदलाव होना लाजिम है. लेकिन यदि ये बदलाव असामान्य हैं तो कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. यही कारण है कि महिलाएं थायराइड रोग के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं.

प्रिस्टीन केयर की डाक्टर शालू वर्मा ने महिलाओं में बढ़ती थायराइड की समस्याएं और उन से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दी है-

थायराइड क्या है

थायराइड गरदन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक तितलीनुमा ग्रंथि है. यह ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) नामक 2 मुख्य हारमोन का स्राव करती है. दोनों ही हार्मोन शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करने में अपना विशेष योगदान निभाते हैं.

परंतु जब दो में से किसी भी हार्मोन के उत्पादन की मात्रा में कोई बदलाव आता है तो इस से शरीर में विभिन्न समस्याओं की शुरुआत होती है. हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म में अंतर जब थायराइड हार्मोन का उत्पादन जरूरत से अधिक होता है तो उस स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं, जबकि थायराइड हार्मोन के कम उत्पादन की स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म के नाम से जाना जाता है. दोनों ही परिस्थितियां असामान्य हैं और रोगी को उपचार की आवश्यकता होती है.

पुरुषों की तुलना में महिलाएं प्रभावित

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म की परिस्थिति 10 गुना अधिक आम है. आकड़ों के अनुसार लगभग हर 8 महिलाओं में से 1 महिला थायराइड से परेशान होती है.

इस का एक कारण यह है कि थायराइड विकार अकसर औटोइम्यून प्रतिक्रियाओं से शुरू होता है. यह तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आटोइम्यून की स्थिति अधिक आम है.

मासिकधर्म चक्र के दौरान हारमोन में होने वाले उतारचढ़ाव और थायराइड हारमोन के बीच परस्पर क्रिया होने के कारण भी महिलाओं में थायराइड विकारों को देखा जा सकता है. थायराइड की समस्या किसी भी समय हो सकती है, लेकिन मेनोपौज के बाद हारमोन के स्तर में एकाएक बदलाव के कारण थायराइड डिसऔर्डर होना बहुत आम है.

इस के अतिरिक्त थायराइडाइटिस (थायराइड ग्रंथि का सूज जाना), आयोडीन की कमी और अधिकता भी हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म होने का कारण बन सकती है.

ऐसे प्रभावित करते हैं थायराइड विकार

महिला के प्रजनन तंत्र और थायराइड ग्लैंड के कार्य के बीच अच्छा तालमेल होना बहुत जरूरी है. यदि थायराइड कम या अधिक सक्रिय है तो इस से कई तरह के हारमोनल विकार होंगे और इस का असर महिला के प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक रूप से होगा.

मासिकधर्म

थायराइड विकारों के कारण मासिकधर्म असामान्य रूप से जल्दी या देरी से हो सकता है. इस के अलावा थायराइड हारमोन का कम या अधिक उत्पादन मासिकधर्म से जुड़ी कई समस्याओं जैसे अनियमित मासिकधर्म, मासिकधर्म का न होना और बहुत भारी मात्रा में रक्तस्राव होना आदि का कारण बन सकता है.

प्रजनन

हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म ओव्यूलेशन को भी प्रभावित कर सकता है. ओव्यूलेशन में महिला के अंडाशय से एक अंडा रिलीज होता है जो पुरुष के स्पर्म के साथ मिल कर भ्रूण निर्माण करता है. थायराइड विकार ओव्यूलेशन को रोक सकता है. वहीं यदि महिला को हाइपोथायरायडिज्म है तो ओवेरियन सिस्ट के विकार का खतरा बढ़ जाता है.

गर्भावस्था में

यदि महिला गर्भवती है और उसे थायराइड विकार है तो इस से कई जटिल परिस्थितियां जन्म ले सकती हैं. हाइपरथायरायडिज्म मौर्निंग सिकनैस होने की संभावना को बढ़ा सकता है, जबकि हाइपोथायरायडिज्म के कारण समय से पहले लेबर डिलिवरी, गर्भपात और अन्य गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है.

मेनोपौज

थायराइड विकारों के कारण मेनोपौज समय से पहले हो सकता है. हालांकि सही समय पर उपचार की मदद से प्रीमेनोपौज को रोका जा सकता है.

ऐसे करें बचाव

थायराइड विकार से ग्रस्त होने के बाद उसे रोक पाना मुश्किल है. अत: महिला को लक्षण नजर आने पर तुरंत डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

एक स्वस्थ महिला इस बीमारी से बचाव करने के लिए निम्नलिखित उपायों को आजमा सकती है:

प्रोसैस्ड फूड से बचें:

प्रोसैस्ड फूड में बहुत से कैमिकल होते हैं जो थायराइड हारमोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए थायराइड विकार से बचाव के लिए महिला को प्रोसैस्ड फूड का कम से कम सेवन करना चाहिए. यदि महिला थायराइड विकार से पीडि़त है तब तो उसे इस फूड का कतई सेवन नहीं करना चाहिए.

सोया से बचें:

हालांकि यह एक बहुत ही हैल्दी खा-पदार्थ है लेकिन थायराइड के संबंध में नहीं. सोया का जरूरत से अधिक सेवन करना थायराइड हारमोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है.

धूम्रपान बंद करें:

धूम्रपान के दौरान निकलने वाले विषाक्त पदार्थ थायराइड ग्रंथि को अधिक संवेदनशील बना सकते हैं, जिस से थायराइड विकार हो सकते हैं. स्मोकिंग न केवल थायराइड ग्रंथि के लिए बल्कि अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की जड़ भी बन सकता है.

तनाव को कम करें

थायराइड रोग सहित कई अन्य स्वास्थ्य विकारों में तनाव का बहुत बड़ा रोल होता है. तनाव को कम करने के लिए महिला मैडिटेशन, म्यूजिक आदि का सहारा ले सकती है.

नियमित रूप से डाक्टर से मिलें

अपने डाक्टर के पास नियमित रूप से जाएं. नियमित जांच न केवल आप के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बल्कि आप के थायराइड स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी होती है. यदि थायराइड के प्रारंभिक लक्षण नजर आते हैं तो डाक्टर बीमारी को कुछ दवाइयों की मदद से काबू में कर सकते हैं.

थायराइड ग्रंथि से स्रावित होने वाले हारमोन शरीर की बहुत सी क्रियाओं जैसे कैलोरी की खपत दर को नियंत्रित करना, हृदय गति को नियंत्रित करना आदि में मददगार होते हैं. लेकिन यदि इन के स्राव की मात्रा जरूरत से अधिक अथवा कम हो जाती है तो इस से शरीर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. यह महिला के प्रजनन स्वास्थ्य को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.

इस के लक्षण नजर आने पर एक महिला को देरी न करते हुए तुरंत ऐंडोक्राइनोलौजिस्ट के पास निदान के लिए जाना चाहिए. सही समय पर इलाज से इसे कुछ दवाइयों या थेरैपी की मदद से कंट्रोल कर सकते हैं. कुछ गंभीर मामलों में थायराइडेक्टामी की भी जरूरत पड़ सकती है. यह एक प्रकार की सर्जरी है. हालांकि इस की जरूरत तब पड़ती है जब थायराइड डिसऔर्डर को दवाइयों से ठीक न किया जा सके.

बेहतर है आप संतुलित आहार लें और कम से कम रोज आधा घंटा व्यायाम अवश्य करें. इस से न केवल थायराइड रोग बल्कि आप के सामान्य जीवन में भी सुधार होगा.                       –

थायराइड विकारों के लक्षण

महिलाओं में थायराइड विकारों के लक्षणों को इस तरह जान सकते हैं:

– टीएसएच का लैवल बढ़ना और टी4 का घटना.

– चेहरे में सूजन आना.

– स्किन टाइट होना.

– थकावट महसूस करना.

– नब्ज का धीमा होना.

– खाना समय पर हजम नहीं होना.

– गैस और कब्ज की समस्या होना.

– पेट खराब होना.

– ठंड लगना.

– अचानक मोटापा आ जाना.

– शरीर में खिंचाव और ऐंठन महसूस करना.

– मन विचलित होना.

 

महिला गर्भनिरोधक : क्या सही, क्या गलत

बचाव इलाज से ज्यादा अच्छा होता है, महिला गर्भनिरोधक उपायों पर यह बात बिलकुल सही बैठती है. बाजार में काफी पहले से महिला गर्भनिरोधक मौजूद हैं, लेकिन आज भी भारत में लाखों महिलाएं ऐसी हैं, जो नहीं जानतीं कि उनके लिए कौन सा गर्भनिरोधक उपाय सही है. इस वक्त तो महिलाओं के लिए अनचाहे गर्भ से बचने और बच्चों में अंतर रखने के लिए कई तरह के उपाय बाजार में मौजूद हैं. इन में ओरल पिल्स से ले कर इंप्लांट्स तक कई विकल्प हैं. लेकिन आमतौर पर इन में से सही विकल्प का चुनाव महिलाएं नहीं कर पातीं. ज्यादातर महिलाएं विज्ञापनों, सहेलियों या रिश्तेदारों के कहने पर गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करने लगती हैं, लेकिन जानकारी की कमी और गलत विकल्प का चुनाव महिलाओं के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन जाता है.

मूलचंद अस्पताल की सीनियर गायनाकौलोजिस्ट डा. मीता वर्मा के मुताबिक, ‘‘महिलाएं गर्भनिरोधकों के बारे में जानती हैं, लेकिन भारतीय समाज में ऐसी कई भ्रांतियां हैं, जो महिलाओं के लिए मुश्किल पैदा कर देती हैं. भारत में अभी भी बच्चों को कुदरत की देन मान कर परिवार नियोजन की सोच को ही खत्म कर दिया जाता है. कई महिलाओं में यह सोच भी विकसित हो जाती है कि गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करने से उन की प्रजनन क्षमता और होने वाले बच्चे के विकास पर गलत प्रभाव पड़ेगा. इसी तरह के और भी न जाने कितने मिथक महिलाओं के मन में घर किए रहते हैं, लेकिन आज के समय में जरूरी है कि डाक्टर की सलाह से सही गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया जाए.’’

डा. मीता बताती हैं कि ज्यादातर जोड़े ऐंजौयमैंट को ज्यादा तरजीह देते हैं, जिस के चलते वे कंडोम या किसी भी तरह के दूसरे कौन्ट्रासैप्टिव का इस्तेमाल नहीं करते और जब गर्भ ठहर जाता है, तो गर्भपात कराने से भी नहीं हिचकते. लेकिन यहां वे यह भूल जाते हैं कि गर्भपात इस का हल नहीं है, क्योंकि बारबार गर्भपात से बच्चेदानी पर बुरा असर पड़ता है, जो महिलाओं के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है. इसलिए युवा और नवविवाहित जोड़े अगर गर्भपात को आसान रास्ता मान रहे हैं तो यह उन की भूल है.

इस वक्त महिला गर्भनिरोधक के बाजार में 2 तरह के कौन्ट्रासैप्टिव मौजूद हैं-

हारमोन बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव्स.

नौनहारमोनल कौन्ट्रासैप्टिव्स.

हारमोन बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव्स : इस तरह के कौन्ट्रासैप्टिव सब से ज्यादा चलन में हैं. ये ऐसे कौन्ट्रासैप्टिव्स हैं, जिन के इस्तेमाल से शरीर के अंदर हारमोनल बदलाव के जरिए अनचाहे गर्भ को रोका जाता है. 35 से कम उम्र की कोई भी स्वस्थ महिला जो कुछ समय तक बच्चा नहीं चाहती, डाक्टर की सलाह से इन का प्रयोग कर सकती है. लेकिन अगर कोई महिला हार्ट या लिवर की बीमारी से पीडि़त है या उसे अस्थमा और ब्लडप्रैशर की शिकायत रहती है, तो हारमोन बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव्स उस के लिए ठीक नहीं हैं. इस से अलग जो महिलाएं धूम्रपान या शराब का सेवन करती हैं या जिन का वजन ज्यादा है उन्हें भी इस तरह के कौन्ट्रासैप्टिव्स से बचना चाहिए.

इस वक्त बाजार में इस कैटेगरी के सब से ज्यादा कौन्ट्रासैप्टिव्स उपलब्ध हैं.

 

ओरल पिल्स

यह सब से ज्यादा इस्तेमाल में लाया जाने वाला उपाय है. इसे महीने में 21 दिन खाना होता है. यह इसलिए भी ज्यादा चलन मेें है, क्योंकि इस का इस्तेमाल काफी आसान है और यह उपाय सस्ता भी है. लेकिन ओरल पिल्स को बिना डाक्टर की सलाह के न लें, क्योंकि ये सभी को सूट नहीं करतीं. इन्हें सही तरह से इस्तेमाल करने पर ही ये बचाव कर सकती हैं. लेकिन ज्यादातर महिलाएं सही पिल्स का चुनाव नहीं कर पातीं, जिस का नतीजा होता है अनचाहा गर्भ. ओरल पिल्स कई महिलाओं में वजन बढ़ाने और उल्टियों की समस्या का भी कारण बनती हैं. ओरल पिल्स के अलावा बाजार में मिनी पिल्स भी उपलब्ध हैं, जो ज्यादा कारगर और सेफ हैं. मिनी पिल्स भी प्रोजैस्ट्रौन और दूसरे हारमोंस के कौंबिनेशन से बनी होती हैं, जिन्हें दूध पिलाने वाली मां भी इस्तेमाल कर सकती है.

इमरजेंसी पिल्स

इस तरह की गर्भनिरोधक गोलियां ओरल पिल्स की पूरक हैं. अगर कोई महिला ओरल पिल्स लेना भूल जाती है और असुरक्षित सैक्स संबंध बनाती है, तो अनचाहे गर्भ से बचने के लिए 72 घंटे के अंदर वह इस का इस्तेमाल कर सकती है. इसीलिए इसे मौर्निंग आफ्टर पिल भी कहा जाता है. लेकिन यह उपाय भी सुरक्षा की पूरी गारंटी नहीं देता. इसलिए इसे केवल मजबूरी में ही इस्तेमाल करें, इसे आदत न बनाएं. लगातार इस्तेमाल से यह महिलाओं के लिए मुसीबत भी बन सकती है.

हारमोन इंजैक्शन

यह एक बेहद प्रभावशाली उपाय है. जो महिलाएं रोजाना गोलियां नहीं खाना चाहतीं, वे इस का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस में महिला को प्रोजैस्ट्रौन का इंजैक्शन दिया जाता है. यह इंजैक्शन यूटरस की दीवार पर मौजूद म्यूकस को गाढ़ा कर देता है ताकि स्पर्म अंदर न जाएं और औव्यूलेशन को रोका जा सके. इस इंजैक्शन को लेने के 24 घंटों के अंदर ही इस का असर शुरू हो जाता है. यह 10 से 13 हफ्तों तक सुरक्षा देता है, जिस के बाद फिर इंजैक्शन लेना होता है. कुछ महिलाओं का इस से वजन बढ़ सकता है और उन के पीरियड्स अनियमित भी हो सकते हैं. इस के इस्तेमाल के बाद कंसीव करने में भी कुछ महीनों का वक्त लग सकता है.

इंप्लांट

इस प्रक्रिया में एक बेहद पतली प्लास्टिक रौड हाथ के ठीक निचले हिस्से में फिट कर दी जाती है. यह रौड शरीर में प्रोजैस्ट्रौन रिलीज करती है, जिस से औव्यूलेशन नहीं हो पाता. यह यूटरस में मौजूद म्यूकस का नेचर बदल देता है, जिस से प्रैग्नैंसी को रोका जा सकता है. इसे सब से सेफ औप्शन माना जाता है. यह इंप्लांट 3 से 5 साल तक के लिए प्रैग्नैंसी से बचाव करता है. लेकिन भारत में अभी यह उपलब्ध नहीं है. 

नौनहारमोनल कौन्ट्रासैप्टिव्स: ये ऐसे कौन्ट्रासैप्टिव्स हैं जिन से किसी तरह के हारमोन शरीर के अंदर नहीं जाते. ये उन महिलाओं के लिए कारगर हैं, जिन्हें हार्ट, लिवर, अस्थमा या ब्लडप्रैशर की शिकायत रहती है. लेकिन नौनहारमोनल कौन्ट्रासैप्टिव्स के इस्तेमाल से पहले डाक्टरी सलाह बेहद जरूरी है.

फीमेल कौन्ट्रासैप्टिव्स की इस कैटेगरी में भी कई विकल्प मौजूद हैं.

 

फीमेल कंडोम

गर्भनिरोधकों की श्रेणी में महिलाओं के लिए कंडोम एक नई चीज है. यह कंडोम लुब्रिकेटेड पौलीथिन शीट का बना होता है. भारत में महिलाओं के लिए बने ये कंडोम हाल में ही बाजार में उतारे गए हैं. इसे भी पुरुष कंडोम की ही तरह एक ही बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है. ये प्रैग्नैंसी रोकने में पूरी तरह से कारगर हैं, बशर्ते सैक्स के दौरान इस की पोजीशन ठीक रहे. यह प्रैग्नैंसी रोकने के अलावा एचआईवी जैसे रोगों से भी सुरक्षा देता है. लेकिन यह एक महंगा विकल्प है. महिला कंडोम की कीमत बाजार में 80 रुपए तक है, इसलिए डाक्टर पुरुष कंडोम की सलाह देते हैं, क्योंकि वह ज्यादा सस्ता विकल्प है.

इंट्रायुटेराइन कौन्ट्रासैप्टिव डिवाइस

इस डिवाइस को कौपर टी या मल्टीलोड डिवाइस के नाम से ज्यादा जाना जाता है. यह एक तरह की लचीली प्लास्टिक की डिवाइस होती है जिसे कौपर के तार के साथ यूटरस में लगा दिया जाता है. इसे डाक्टर की सहायता से फिट किया जाता है. कौपर वायर यूटरस में ऐसा असर पैदा करता है जिस से शुक्राणु और अंडाणु आपस में मिल नहीं पाते और गर्भ नहीं ठहरता. यह 98% तक सुरक्षा देता है. इसे 3 या 5 साल के लिए लगवाया जा सकता है. सरकारी हैल्थ सैंटरों में यह मुफ्त उपलब्ध है, जबकि बाजार में इस की कीमत 375 रुपए से 500 रुपए के बीच है. इस से पीरियड ज्यादा होना और पैरों में दर्द रहना आम बात है. जिन्हें कौपर से ऐलर्जी है उन के लिए इस का इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है.

स्पर्मिसाइड जैली

इस तरह के कौन्ट्रासैप्टिव्स भी काफी अच्छे विकल्पों में गिने जाते हैं. अगर महिलाएं कंडोम या किसी तरह के डिवाइस को इस्तेमाल नहीं करना चाहतीं, तो इस तरह की जैली या फोम बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे सैक्स से ठीक पहले वजाइना में लगाना होता है. इस में मौजूद ‘नोनोक्सिनोल 9 कैमिकल’ स्पर्म को संपर्क में आते ही खत्म कर देता है. कुछ मेल कंडोम में भी स्पर्मिसाइड होते हैं. यह उपाय काफी कारगर है, लेकिन कुछ महिलाओं को इस से ऐलर्जी भी होती है, इस का ध्यान रखना जरूरी है.

Summer Special: बच्चों के लिए घर पर बनाएं बाजार जैसी अंजीर कुल्फी

गरमियों में आइसक्रीम मार्केट में हर जगह मिलती है. लेकिन क्या आप मार्केट की बजाय घर पर आइसक्रीम बनाकर अपने बच्चों को खिलाना चाहते हैं तो आइए आपको बताते हैं अंजीर कुल्फी की रेसिपी.

सामग्री

8 सूखे अंजीर 3-4 घंटे पानी में भीगे हुए

1 लिटर फुलक्रीम दूध

1 बड़ा चम्मच मिल्क पाउडर

100 ग्राम चीनी पिसी

1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

2 छोटे चम्मच पिस्ता कटा

विधि

दूध को मोटे तले के बरतन में चलाते हुए आधा रहने तक उबालें. फिर इस में मिल्क पाउडर, चीनी और इलायची पाउडर मिला कर ठंडा होने दें.

अब अंजीरों का मिक्सी में पेस्ट बनाएं. पेस्ट को पके दूध के साथ अच्छी तरह ब्लैंड करें. इस मिश्रण को कुल्फी मोल्ड्स में भर कर 7-8 घंटों के लिए फ्रीजर में रखें.

जमने पर कुल्फियों को निकाल कर उन पर पिस्ता बुरकें और सर्व करें.

 

कसक: वर्षों बाद मिले नीरव ने जूही की जिंदगी में कैसे उथलपुथल मचा दी

जूही का मन अचानक 10 वर्षों बाद नीरव को देख कर अशांत हो उठा था. 10 वर्षों पहले का वाकेआ उस की आंखों के सामने तैरने लगा. ठंड की भरी दोपहरी में हाथपैर सुन्न पड़ते जा रहे थे. वह तो अपनी सहेली के घर एक छोटे से फंक्शन में आई थी पर यों अचानक नीरव यहां टकरा जाएगा, उस ने कभी सोचा भी न था.

जूही न चाहते हुए भी नीरव के विषय में सोचने को मजबूर हो गईर् थी. ‘क्यों मुझे बिना कुछ कहे छोड़ गया था वह? क्यों मुझे एहसास कराया उस ने अपने प्यार का? क्यों कहा था कि मैं हमेशा साथ दूंगा? आखिर क्या कमी थी मुझ में? ‘कितने झूठे हो न तुम… डरपोक कहीं के.’ आज भी इस बात को सोच जूही के चेहरे पर दर्द की गहरी रेखा उभर गई थी, पर दूसरे ही क्षण गुस्से के भाव से पूरा चेहरा लाल हो गया था. फिर वही सवाल जेहन में आने लगे कि वह मुझे क्यों छोड़ गया था? आज क्यों फिर मुझ से मिलने आ गया? यों सामने आए सौरव को देखते ही मन में बेचैनी और सवालों की झड़ी लग गई थी.

जूही ने दोबारा उस कागज के टुकड़े को खोला और पढ़ा. नीरव ने केवल 2 लाइनें लिखी थीं, ‘प्लीज, एक बार बात करना चाहता हूं. यह मेरा मोबाइल नंबर है… हो सके तो अपना नंबर एसएमएस कर दो.’

यही पढ़ कर जूही बेचैन थी और सोच रही थी कि अपना मोबाइल नंबर दे या नहीं. क्या इतने वर्षों बाद कौल करना ठीक रहेगा? इन 10 वर्षों में क्यों कभी उस ने मुझ से मिलने या बात करने की कोशिश नहीं की? कभी मेरा हालचाल भी नहीं पूछा. मैं मर गई हूं या जिंदा हूं, किस हाल में हूं.  कभी कुछ भी तो जानने की कोशिश नहीं की उस ने. फिर क्यों वापस आया है? सवाल कई थे पर जवाब एक का भी नहीं था.

जाने क्या सोच मैं ने अपना नंबर लिख भेजा. 10 वर्षों पहले सहेली के घर गई थी, वहीं मुलाकात हुई थी. सहेली का रोका था. सब लोगों के बीच जो छिपछिप कर वह मुझे देख रहा था, शायद पहली नजर में ही वह मुझे भा गया था पर… न ही उस ने कुछ कहा न मैं ने. पूरे फंक्शन में वह मेरे आगेपीछे घूमता रहा. लेकिन जब चलने का समय हुआ तो अचानक चला गया था. न तो उस ने मुझे बाय बोला न ही कुछ… मन ही मन मैं ने उस को खूब गालियां दीं.

उस मुलाकात के बाद तो मिलने की उम्मीद भी नहीं थी. न उस ने जूही का नंबर लिया न ही जूही ने उस का. ऐसी तो पहली मुलाकात थी जूही और नीरव की. कितनी अजीब सी… जूही सोचसोच कर मुसकरा रही थी.  नीरव से हुई मुलाकात ने जूही के पुराने मीठे और दर्द भरे पलों को हरा कर दिया था.

एक दिन सहेलियों के साथ पैसिफिक मौल में मस्ती करते हुए नीरव से मुलाकात हो गई. वह मुझे बेबाकी से मिला. बात ही बात में उस ने मेरा नंबर और पता ले लिया.

अगले दिन शाम को घर पर बेतकल्लुफी के साथ वह हाजिर भी हो गया था. सारे घर वालों को उस ने सैल्फ इंट्रोडक्शन दिया और ऐसे घुलमिल गया जैसे सालों से हम सब से जानपहचान हो. जूही यह सब देख हैरान भी थी और कहीं न कहीं उसे एक अजीब सी फीलिंग भी हो रही थी. बहुत मिलनसार स्वभाव था उस का. मां, पापा और जूही की छोटी बहन तो उस की तारीफ करते नहीं थक रहे थे. वास्तव में उस का स्वभाव, हावभाव सबकुछ कितना अलग और प्रभावपूर्ण था. जूही उस के साथ बहती चली जा रही थी.

वह फैशन डिजाइनर बनना चाहता था. निट के फाइनल ईयर में था. उस से मेरी अच्छी दोस्ती हो गईर् थी. रोज आनाजाना होने लगा था. जूही के परिवार के सभी लोग उसे पसंद करते थे. धीरेधीरे उस ने जूही के दिल में भी खास जगह बना ली थी. जूही जब उस के साथ होती तो उसे लगता ये पल यहीं थम जाएं. उस के साथ बिताए पलों की याद में वह खोई सी रहती थी. जूही को यह एहसास हो गया था कि नीरव के दिल में भी जूही के लिए खास फीलिंग्स हैं. अब तक उस ने जूही से अपनी फीलिंग्स बताई नहीं थीं.

नीरव और जूही का कालेज एक ही रास्ते पर पड़ता था. इसलिए नीरव अकसर जूही को घर छोड़ने आया करता था. और तो और, जूही को भी उस के साथ आना अच्छा लगता था. रास्तेभर वे बातें करते व उस की बातों पर जूही का हंसना कभी खत्म ही नहीं होता था. वह अकसर कहा करता था, ‘जूही की मुसकराहट उसे दीवाना बना देती है.’ इस बात पर जूही और खिलखिला कर हंस पड़ती थी.

आज भी जूही को याद है, नीरव ने उसे 2 महीने बाद उस के 22वें बर्थडे पर प्रपोज किया था. औसतन लोग अपनी चाहत को, गुलदस्ते या उपहार के साथ दर्शाते हैं, पर उस ने जूही के हाथों में एक छोटा सा कार्ड रखते हुए कहा था, ‘क्या तुम अपनी जिंदगी का सफर मेरे साथ करना चाहोगी?’ कितनी दीवानगी थी उस की बातों में.

जूही उसे समझने में असमर्थ थी. यह कहतेकहते नीरव उस के बिलकुल नजदीक आ गया और जूही का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए उस के होंठों को अपने होंठों से छूते दोनों की सांसें एक हो चली थीं. जूही का दिल जोरों से धड़क रहा था. खुद को संभालते हुए वह नीरव से अलग हुई. दोनों के बीच एक अजीब मीठी सी मुसकराहट ने अपनी जगह बना ली थी. कुछ देर तो जूही वहीं बुत की तरह खड़ी रही थी. जब उस ने जूही का उत्तर जानने की उत्सुकता जताई तो जूही ने फौरन हां कह दी थी. उस रात जूही एक पल भी नहीं सोई थी. वह कई विषयों पर सोच रही थी जैसे कैरियर, आगे की पढ़ाई और न जाने कितने खयाल उस के दिमाग में आते. नींद आती भी कैसे, मन में बवंडर जो मचा था. तब जूही मात्र 22 वर्ष की ही तो थी फाइनल ईयर में थी. नीरव भी केवल 25 वर्ष का था. उस ने अभी नौकरी के लिए अप्लाई किया था.

इतनी जल्दी शायद नीरव भी शादी नहीं करना चाहता था. वह मास्टर्स करना चाहता था. पर जूही उसे यह बताना चाहती थी कि वह उस से बेइंतहा मुहब्बत करती है और हां, जिंदगी का पूरा सफर उस के साथ ही बिताना चाहती है, इसलिए उस ने नीरव को कौल किया. तय हुआ कि अगले दिन जीआईपी मौल में मिलेंगे. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. यह बात जूही के मन में ही रह गई थी, कभी उस से बोल नहीं पाई.

जैसा कि दोनों ने तय किया था अगले दिन जूही तय समय पर वहां पहुंच गई. वहां पहुंच कर नीरव का फोन मिलाया तो फोन स्विचऔफ आ रहा था. वह वहीं उस का इंतजार करने बैठ गई थी. आधे घंटे बाद फिर फोन मिलाया. तब भी फोन औफ ही आ रहा था.

जूही काफी परेशान और विचलित थी पर उस ने सोचा, शायद कोईर् जरूरी काम में फंसा होगा. वह उस का इंतजार करती रही. इंतजार करतेकरते काफी देर हो गई पर वह नहीं आया. उस के बाद उस का फोन भी कभी औन नहीं मिला. 2 वर्षों तक जूही उस का इंतजार करती रही पर कभी उस ने उसे एक भी कौल नहीं किया.

इन 2 सालों में उस ने मम्मीपापा से अपने दिल की बात बताई तो उन्होंने भी नीरव को मैसेज किया. पर कब तक वे इंतजार करते. आखिर, थक कर उन्होंने जय से जूही की शादी करवा दी. जूही भी कुछ नहीं कह पाई. जय एक औडिटिंग कंपनी चलाता था. उस के मातापिता उस के साथ ही रहते थे. जूही विवाह के बाद सबकुछ भूलना चाहती थी और नए माहौल, नए परिवार में ढलना चाहती थी. पर शायद सोचा हुआ काम कभी पूरा नहीं होता.

शादी के बाद कितने साल लगे थे जूही को उसे भूलने में पर ठीक से भूल भी तो नहीं पाई थी. कहीं न कहीं किसी मोड़ पर तो हमेशा उसे नीरव की याद आ ही जाया करती थी. आज अचानक क्यों आया है? और क्या चाहता है?

जूही की सोच की कड़ी को तोड़ते हुए तभी अचानक फोन की घंटी बजी, एक अनजाना नंबर था. दिल की धड़कनें तेज हो चली थीं. जूही को लग रहा था, ‘हो न हो, यह नीरव की कौल हो.’ वह एक आवेग सा महसूस कर रही थी. कौल रिसीव करते हुए उस ने ‘‘हैलो,’’ कहा तो दूसरी ओर नीरव ही था.

नीरव ने अपनी भारी आवाज में कहा, ‘‘हैलो, आप…’’ इतने सालों बाद भी नीरव की आवाज जूही के कानों से होते हुए पूरे शरीर को झंकृत  कर रही थी.

खुद को संभालते हुए जूही ने कहा, ‘‘जी, मैं जूही. आप कौन?’’ उस ने पहचानने का नाटक करते हुए कहा. नीरव ने अपने अंदाज में कहा, ‘‘तुम तो मुझे भूल ही गईं, मैं नीरव.’’

‘‘ओह, नहीं, ऐसा नहीं है. ऐसे कैसे हो सकता है?’’ फिर जूही ने घबराहट भरी आवाज में कहा, ‘‘तुम भूले या मैं?’’

जूही के दिमाग में काफी हलचल थी, इस  का अंदाजा लगाना भी मुश्किल था. यह नीरव के लिए उस का प्यार था या नफरत. मिलने का उत्साह था या असमंजसता थी. एक मिलाजुला मिश्रण था भावों का, जिस की तीव्रता सिर्फ जूही ही महसूस कर सकती थी.

कभीकभी यह समझना कितना मुश्किल हो जाता है न कि आखिर किसी के होने का हमारे जीवन में इतना असर क्यों हो जाता है. जूही भी एक असमंजसता से गुजर रही थी. खुद को रोकना चाहती थी पर धड़कन थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. नीरव ने आगे कहना शुरू किया, ‘‘इतने सालों बाद तुम्हें देखा, बहुत अच्छा लगा, कल तुम बहुत खूबसूरत लग रही थीं.’’

जूही अब भी एक गहरी सोच में डूबी हुई थी और एक हलकी मुसकान के साथ उस ने कहा, ‘‘थैंक्स, मैं भी तुम से मिल कर खुश हुई. इनफैक्ट, सरप्राइज्ड भी हुई.’’

नीरव भांप गया था, जूही के कहने का क्या तात्पर्य था. उस ने कहा, ‘‘क्या तुम ने अब तक मुझे माफ नहीं किया. मैं जानता हूं कि तुम से वादा कर मैं आ न सका.’’

जूही ने कहा, ‘‘10 साल कोई कम तो नहीं होते. माफ कर दूं? मैं आज तक अपने को ही माफ नहीं कर पाई.’’

उस की बात से व्यंग्य साफ झलक रहा था. ‘‘कैसे करूं तुम्हें माफ, क्या तुम लौटा सकते हो बीता वक्त? मैं ने ही नहीं, मेरे मातापिता दोनों ने भी तुम्हारे जवाब का, तुम्हारा बहुत इंतजार किया. क्या दोष था, उन का? यही न कि उन्होंने तुम्हारे साथ मेरे सुखी जीवन की चाह की, मेरे सपनों को सच करना चाहा. और तुम ने क्या किया? मैं जानना चाहती हूं, क्या हुआ था तुम्हारे साथ? क्यों नहीं आए तुम.’’

जूही की आवाज से नाराजगी साफ झलक रही थी. अपने को संभालते हुए नीरव ने कहा, ‘‘मैं तुम से प्यार करता था, करता हूं और करता रहूंगा. तुम से तो इजहार कर दिया था पर दुनिया के सामने अपना प्यार कुबूल करने की हिम्मत नहीं कर पाया.

‘‘अगले दिन तुम से मिलने आने से पहले सोचा, क्यों न दिल की बात अपने घर वालों को भी बता दूं. मां तो सुनते ही नाराज हो गईं और बाकी सब ने चुप्पी साध ली. मां कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थीं. अपनी कसम दे कर उन्होंने मुझे आने से रोक दिया. अगले दिन ही मुझे पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया गया. मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि परिवार से अलग हो जाऊं और न ही तुम्हारे सवालों का सामना करने की हिम्मत मुझ में थी. बाद में पता चला कि मेरी मां बहुत पहले ही मेरा रिश्ता तय कर चुकी थीं.

उन्होंने मेरे सुनहरे भविष्य के लिए बहुत से सपने बुन रखे थे और ये सारी चीजें आपस में इतनी उलझी हुई थीं कि उन्हें सुलझाने का वक्त ही नहीं मिला. और तो और, मां इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होंगी, मैं जानता था. उन्होंने अपनी कसम दे कर मेरे पैर रोक दिए थे. उन्हें उस वक्त मैं कह ही नहीं पाया कि मैं अपनी जिंदगी वहीं छोड़ आया हूं. उस वक्त मैं ने चुप रहना ही ठीक समझा था या यह कह लो, मैं डर गया था.

‘‘जब तक हिम्मत आई, पता चला तुम्हारा रिश्ता हो चुका है. तुम्हारा मोबाइल औफ होने की वजह से तुम तक खबर पहुंचाना भी मुश्किल था. तुम नए बंधन अपना चुकी थीं. मैं जानता हूं तुम अपनी जिंदगी से खुश नहीं हो. इस बंधन में खुश नहीं हो, शायद इस का कारण मैं हूं.’’

‘‘हां, इन सब बातों के कोई माने नहीं अब, नीरव. किस जिंदगी की बात कर रहे हो, वह जिसे तुम जानते थे. वह तो तभी खत्म हो गई थी जब तुम बीच में ही छोड़ कर चले गए थे. और अब यह जिंदगी कर्जदार है उन 2 मासूमों की, जिन्हें मैं ने जन्म दिया है,’’ रोते हुए जूही ने कहा.

‘‘क्या हम फिर से आगे नहीं सोच सकते, जूही’’? नीरव ने पूछा.

‘‘फिर… यह कैसा सवाल है? अब 2 प्यारीप्यारी जिंदगियां भी जुड़ी हुई हैं मुझ से. मैं एक बार अपनेआप को धोखा दे चुकी हूं, लेकिन अब सब को धोखा देना होगा और सारी बातें छोड़ो, क्या अब है तुम में हिम्मत, सब का सामना करने की? अरे, जो तब नहीं कर पाया वह आज कहां से हिम्मत करेगा? मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतने डरपोक हो. मैं लड़की हो कर भी हिम्मत कर पाई उस समय, और तुम… बहुत इंतजार किया तुम्हारा और तुम्हारे जवाब का.’’

नीरव की आवाज भारी हो गई थी और अपने को संभालते हुए वह बोला, ‘‘क्या तुम अपनी इस जिंदगी से खुश हो?’’

‘‘यही सवाल मैं करूं तो,’’ जूही ने कहा.

‘‘शायद नहीं, बस, जी रहा हूं. एक बीवी है, बेटी है. अच्छी है. बस, वह मेरा प्यार नहीं है. दिल में एक खालीपन है. पर उस खालीपन को भरा नहीं जा सकता, यही हकीकत है,’’ नीरव बोला.

‘‘नीरव, कितनी अजीब सी बात है न, जो हम चाहते हैं वह मिलता नहीं और जो मिलता है उसे हम चाहते नहीं,’’ कहते हुए जूही सुबकने लगी थी. कोशिश तो बहुत की थी कि रोक ले इन आंसुओं के सैलाब को, पर… इतने सालों से वही तो कर रही है. दुनिया में 2 तरह के लोग होते हैं, एक वे जो प्यार के लिए सबकुछ छोड़ दें, और दूसरे वे जो सब के लिए प्यार को छोड़ दें. तुम दूसरी तरह के लोगों में आते हो. तुम ने भी तो सुनहरे सपने और कैरियर को ही चुना था, क्यों?’’ जूही ने आगे कहा.

‘‘तुम सही कह रही हो. पर एक सच यह भी है कि आप की जेब में रुपए न हों और आप का बच्चा या परिवार का सदस्य दर्द से तड़प रहा हो, तब प्यार तो नहीं परोस सकते, लेकिन तुम्हें कभी भुला नहीं पाया.’’

फिर जिंदगी की आपाधापी में उलझता ही चला गया. पर तुम हमेशा याद आती रहीं. हमेशा सोचता था कि तुम क्या सोचती होगी मेरे बारे में, इसलिए तुम से मिल कर तुम्हें सब बताना चाहता था. काश, मैं इतनी हिम्मत पहले दिखा पाता. उस दिन जब हम मिलने वाले थे तब तुम मुझ से कुछ कहना चाहती थी न, आज बोल दो, क्या बताना था.

जूही को भी तो यह सब जानना था. वह तय नहीं कर पा रही थी कि नीरव को धोखेबाज कहे या इसे उस की मजबूरी माने. जूही ने कहा, ‘‘वह जो मैं तुम से कहना चाहती थी उन बातों का अब कोई वजूद नहीं.’’

जूही ने अपने जज्बातों को अपने अंदर ही दफनाने का फैसला किया था. एक फीकी सी मुसकराहट के साथ जूही ने कहा, ‘‘तुम से बात कर के अच्छा लगा.’’ अब शायद आंसुओं का सैलाब और हिचकियों का तूफान उसे बात नहीं करने दे रहा था. अंत में सिर्फ अच्छा कह कर उस ने बातों के सिलसिले पर पूर्णविराम लगाना चाहा. शायद सवाल तो बहुत से थे जेहन में पर उन सवालों का अब कोई औचित्य नहीं था.

 

नीरव ने हड़बड़ाते हुए कहा, ‘‘सुनो, एक वादा करो कि तुम हमेशा खुश रहोगी. करो वादा.’’

‘‘वादा तो नहीं पर कोशिश करूंगी,’’ जूही रोए जा रही थी और उसी पल कौल डिस्कनैक्ट हो गई.

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