मैं बाल लंबे करना चाहती हूं उसके लिए मैं क्या करूं

सवाल

मैं बाल लंबे करना चाहती हूं. क्या तेल लगाना बालों को लंबा करने में हैल्प करता है? इस के अलावा क्या करने से बाल लंबे हो सकते हैं?

जवाब

बालों में कोकोनट, बादाम या जैतून का तेल लगाने और मालिश करने से उन की लंबाई बढ़ती है. मालिश से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जिस से खाया हुआ खाना बालों की जड़ों तक पहुंचता है और बालों की ग्रोथ में हैल्प करता है. इस के अलावा संतुलित आहार का विटामिंस और खनिज से भरपूर होना भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि बाल बढ़ते हैं प्रोटीन से. इसलिए खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने से बाल लंबे होंगे. इस के लिए चिकन, अंडा, राजमा, सोयाबीन, अंकुरित दालें प्रोटीन से भरपूर होती हैं. ये सब बालों को लंबा करने में हैल्प करते हैं. पर्याप्त पानी पीना, नियमित व्यायाम और गहरी नींद भी बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है. बालों को लंबा करने में मदद करने के लिए नियमित रूप से ट्रिम करना भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह स्प्लिट एंड्स को रोक सकता है. इस के अलावा हीट स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल कम करें और टाइट हेयर स्टाइल्स से बचना भी बालों को नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है.

किस्मत: सीमा ने अपनी बहू को बेटी का दर्जा क्यों नहीं दिया

‘‘हमारी बहू के कदम तो बड़े ही शुभ हैं. घर में पड़ते ही सभी की किस्मत चमक उठी,’’ सीमा आंटी यह बात अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों को दिन में कम से कम 10 बार तो जरूर सुनाती थीं.

1 महीना हो गया था सोहन और गौरी की शादी हुए. सोहन ने भी क्या किस्मत पाई थी, जो गौरी जैसी सलीकेदार, पढ़ीलिखी दुलहन मिली. सोहन खुद कई बार फेल होने के बाद बड़ी मुश्किल से 12वीं कक्षा पास कर पाया था. ऐसे लड़के को भला कौन सी नौकरी मिलने वाली थी? यह तो सिफारिश से चिपकाने के लायक भी नहीं था.

मनोज अंकल कमिश्नर के सैक्रेटरी के पद पर थे. उन्होंने बहुत कोशिशों के बाद गांव में रास्ता बनवाने का ठेका अपने बेटे को दिलवाया तो कहने को सोहन कमाऊ बेटा हो गया. लेकिन ठेकेदारी से हाथ में थोड़ाबहुत पैसा क्या आ गया, सोहन लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगा.

मनोज अंकल व सीमा आंटी को उस की चिंता होने लगी. उन्होंने सोचा, वैसा ही किया जाए जैसा हमारे समाज में ज्यादातर मांबाप करते हैं. उस की शादी कर दी जाए तो घर के खूंटे से बंधा रहेगा. लेकिन जानपहचान में, रिश्तेदारी में कोई भी अपनी लड़की सोहन को देने के लिए राजी नहीं था

तब मनोज अंकल ने गांव से दूर गौरी नाम की लड़की ढूंढ़ी, क्योंकि इतनी दूर सोहन के गुणों के बारे में कोई नहीं जानता था. गौरी के पिता उस गांव के वैद्य थे. जड़ीबूटियों से लोगों का इलाज करते थे. लोग उन की बड़ी इज्जत करते थे.

सोहन हर लिहाज से नालायक वर था सिवा एक चीज के और वह थी उस की खूबसूरती. उस का बोलचाल का तरीका भी एकदम भिन्न था. उस के तौरतरीके इतने अच्छे थे कि सामने वाला धोखा खा जाए और गौरी के पिता भी धोखा खा गए.

सोहन के व्यक्तित्व और मनोज अंकल के रुतबे से गौरी के पिताजी इतने प्रभावित हो गए कि इन लोगों के बारे में ज्यादा खोजबीन करने की सोची ही नहीं. मनोज अंकल व सीमा आंटी भी बिना दहेज के चट मंगनी और पट ब्याह कर के बहू को घर ले आए.

सचाई कितने दिनों तक छिपती और कैसे छिपती? महीने भर के अंदर ही गौरी को सारी असलियत का पता चल गया. सोहन कहने भर को ठेकेदार है और ऊपर से अनपढ़ टाइप. उधर छोटे से गांव में रहने वाली गौरी ने दूर शहर जा कर एम.ए. की डिगरी हासिल की थी. वह भी दिखने में बहुत खूबसूरत थी और एकदम सलीकेदार थी.

गौरी जान गई कि इस शादी में उस के साथ धोखा हुआ है. मगर मांपिताजी से कैसे कहे? कब कहे? जब भी फोन पर उन से बात होती है घर का कोई न कोई सदस्य सामने जरूर मौजूद रहता है.

सीमा आंटी ने अपनी चालाकी का जाल बिछाना शुरू किया. वे बहू के बारे में सभी से अच्छीअच्छी बातें करतीं, उस की तारीफों के पुल बांधतीं, गुणों के कसीदे पढ़तीं. मनोज अंकल के वेतन में बढ़ोतरी हुई तो सीमा आंटी ने इस का भी श्रेय बहू को दिया कि हमारी बहू इतनी किस्मत वाली है कि उस के आते ही हमारी आमदनी बढ़ गई. साक्षात लक्ष्मी है हमारी बहू.

मनोज अंकल की सिफारिश पर सोहन को एक बड़ा ठेका मिल गया. यह भी बहू के शुभकदमों का कमाल था. एक शुभ काम वाकई में हुआ. वह यह कि मनोज अंकल की छोटी बेटी पूजा की शादी तय हो गई. पूजा दिखने में बहुत ही साधारण और मर्दाना व्यक्तित्व की मालकिन थी. पढ़ीलिखी थी, मगर कोई सलीका नहीं.

पूजा की शादी तय होना वाकई में अजूबा था. वर इतना अच्छा मिला कि पूछिए मत. इंजीनियर पिता का इकलौता लड़का. दिल्ली में नौकरी कर रहा था. मांपिताजी मुंबई में रहते थे. शादी के बाद पूजा को सासससुर का कोई झंझट नहीं. उन की सारी फैमिली एकदम खुले विचारों वाली थी.

सुमन आंटी 7वें आसमान पर थीं, ‘‘देखो, मेरी बहू के कदम पड़ते ही हमारी किस्मत तो सच में चमक गई. कितना अच्छा दामाद मिल गया. इतने भले लोग तो ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेंगे. क्या किस्मत पाई है हमारी पूजा बेटी ने,’’ सीमा आंटी अपने समधियों के गुण गाते नहीं थकती थीं.

सोहन और गौरी की शादी के 4 महीने बाद ही बड़ी धूमधाम से पूजा की शादी हो गई. पूजा अपने पति के साथ दिल्ली चली गई. बहू और बेटी का तीज का पहला त्योहार आया. सीमा आंटी ने जोरशोर से तैयारी शुरू कर दी.

‘‘हम तो पूजा को यहीं बुला लेंगे. उस का पहला त्योहार है न. 8-10 दिन हमारे साथ रहेगी. उस के सासससुर को भी न्योता भेजेंगे. 2-3 दिन के लिए वे लोग भी आ जाएंगे. समधियों को खुश रखना जरूरी है न?’’

एक दिन सीमा आंटी अपनी पड़ोसिन से कह रही थीं.

‘‘तो क्या गौरी भी अपने मायके जाएगी? उस का भी तो पहला त्योहार है,’’ पड़ोसिन ने खोजबीन शुरू की.

‘‘घर की बहू है. समधी लोग आएंगे तो घर की बहू का घर में होना जरूरी है. फिर वैसे भी उस छोटे से गांव में जा कर

क्या त्योहार मनाना?’’ सीमा आंटी ने सफाई दी.

‘‘उस का भी तो मन होगा मायके जाने का?’’ पड़ोसिन सीमा आंटी को कहां छोड़ने वाली थी.

‘‘इतने लोग आने वाले हैं, घर का काम कौन करेगा?’’ सच बात आंटी की जबान पर आ ही गई.

त्योहार सिर्फ बेटी के लिए था, बहू ने तो नौकरानी का दर्जा पाया था.

गौरी ने अपना मन मार कर सब का स्वागत किया. ढेर सारे पकवान बनाए. ननद के सासससुर, ननदोई खुश हो कर चले गए. गौरी समझ गई साल के सारे त्योहार, जो उस के भी पहले त्योहार होंगे, खुशी मनाने के बजाय काम करने में ही बीतेंगे.

पूजा 8 दिन और रही. उस के तौरतरीके, रंगढंग इस कदर बदल चुके थे कि

सामने वाला पहचान न पाए. जींस, शौर्ट कुरता, स्कर्ट, टौप व अलगअलग फैशन के जूते पहनती. मनोज अंकल व आंटी को यह सब बहुत अच्छा लगता था.

‘‘हमारी बेटी की किस्मत तो देखो, उस के सासससुर ने उसे सब कुछ पहनने की इजाजत दे रखी है. कहते हैं लड़कियों को तो नौकरी करनी चाहिए. जाते ही हमारी पूजा नौकरी ढूंढ़ेगी,’’ सीमा आंटी अपनी पड़ोसिन से कह रही थीं.

पड़ोसिन क्या कहती? वह तो हर रोज गौरी को सिर पर पल्लू लिए रसोई में खाना बनाते देख रही थी. सीमा आंटी खुद तो स्लीवलैस ब्लाउज पहनती थीं, तरहतरह की लिपस्टिक लगाती थीं, मगर बहू फुलस्लीव ब्लाउज पहने और बिना मेकअप के रसोई में पसीने में नहाती दिखाई देती.

सोहन, जो गौरी का पति था, अपनी कमाई बाहर उड़ाता था. जो पति अपनी पत्नी की कदर नहीं करता, उस का सम्मान नहीं करता उस की इज्जत बाकी घर वाले भी नहीं करते. वह घर वालों के लिए महज नौकरानी बन कर रह जाती है.

गौरी देखने में बहुत सुंदर थी. अगर बहू बनठन कर रहे तो अपनी बेटी फीकी पड़ जाएगी, इस ईर्ष्या से सीमा आंटी बहू को संवरने नहीं देतीं. उस के लिए बेढंगे ब्लाउज सिलवा कर लातीं.

‘‘हम तो पुराने खयालात के लोग हैं,’’ कह कर बहू पर पाबंदियां लगाती रहतीं.

गौरी ने एक बार दबे मुंह कह दिया, ‘‘पूजा के तो सारे शौक पूरे होते हैं. हमें तो नौकरानी बना कर लाया गया है.’’

गौरी के मांपिताजी को कभी न्योता नहीं गया, न गौरी को मायके भेजा गया. पूजा 6 महीने में चौथी बार मायके आ गई. आंटी का सोशल वर्क यानी किट्टी पार्टी, क्लब जाना, महिला मंडल जाना, पिक्चर देखने जाना बढ़ गया.

साल बीत गया. गौरी मां बन गई. एक नन्हे से प्यारे बेटे को जन्म दिया.

‘‘कसबे में बच्चा कैसे होगा?’’ कहकर सीमा आंटी ने उसे ससुराल में रोक लिया था.

‘‘वहां की औरतों के भी बच्चे होते हैं. इतनी ही सुविधाएं वहां भी मौजूद हैं,’’ गौरी ने अपना पक्ष रखने की कोशिश की थी मगर

उस की कौन सुनता? सोहन तो गौरी का कभी था ही नहीं, जो उस के पक्ष में बोलता. न गौरी मायके गई, न उस के मांपिताजी को न्योता गया.

40 दिन तक गौरी को जिस्मानी आराम तो मिल गया, मगर उस का मन रोता रहा. 40 दिन होते ही सीमा आंटी पुण्य कमाने 20 दिन की तीर्थ यात्रा पर चली गईं. बहू के लिए 40 दिन का आराम बहुत है. बहू कमर कस कर काम पर लग गई.

भाभी की मदद करने पूजा आ गई. वह बच्चे ले कर कमरे में लेटी रहती और गौरी किचन में खड़ी उस की फरमाइशें पूरी करती.

‘भाभी आज मालपूए बनाओ’, ‘भाभी आज कचौडि़यां खाने को मन कर रहा है.’

घर के कामों में गौरी इस कदर उलझ गई कि बच्चे को वक्त पर दूध भी न पिला पाती. उस का दूध सूख गया. बच्चा कमजोर होता चला गया.

20 दिन बाद वापस आ कर सास ने बहू को खूब सुनाया, ‘‘कैसी मां हो, बच्चे को वक्त पर दूध भी नहीं पिलाया. हमारे पोते को दुबला कर दिया. बच्चे को देखने के लिए पूजा तो थी, तुम्हें क्या काम था?’’

गौरी क्या बताती? 2 महीने बाद बच्चे का नामकरण करना तय हो गया. सभी रिश्तेदार आए, पूजा के सासससुर आए. उन्होंने गौरी से पूछा, ‘‘तुम्हारे मांबाबूजी नहीं आए?’’

गौरी ने जवाब दिया, ‘‘बुलाएंगे तभी तो आएंगे.’’

पूजा के ससुरजी से रहा न गया. उन्होंने मनोज से पूछा, ‘‘गौरी के मांबाप तो कभी दिखे नहीं.’’

सीमा आंटी ने बखूबी जवाब दिया, ‘‘अजी, पहले से ही इतने सारे मेहमान आए हैं और लोग कहां समाएंगे?’’

‘‘बच्चे के नामकरण पर बहू अपनी सास को तोहफा देती है, ऐसा हमारे यहां रिवाज है,’’ सीमा आंटी की जेठानी ने आग में घी डालने का काम शुरू किया, ‘‘अरे, बहू तो आप के लिए कोई तोहफा लाई ही नहीं. क्या सिखा कर भेजा है इस के मांबाप ने?’’

गौरी कहां से तोहफा लाती? उस के पास पैसे कहां थे. सोहन ने कभी उस के हाथ में पैसे दिए ही नहीं. फिर उस की मां उसे कब सिखातीं? शादी को सवा साल से ऊपर हो गया था, मां से मिलना नहीं हुआ था. मां यह सब कब सिखातीं?

इस शादी में उस के और उस के परिवार के साथ धोखा ही हुआ था. ऐसा निठल्ला पति और पाबंदियों में दबा कर रखने वाले सासससुर पा कर उस के हिस्से में काम और ताने ही आए थे.

पूजा के सासससुर को मनोज अंकल व सीमा आंटी का गौरी के प्रति रवैया काफी अच्छा नहीं लगा. पूजा की सास से रहा न गया. वे उठ खड़ी हुईं और बोलीं, ‘‘उस की मां न आ सकीं तो क्या हुआ? मैं हूं न, यह मेरी बेटी है, सास का सगुन मैं दूंगी,’’ और उन्होंने अपनी सोने की अंगूठी उतार कर थाली में रख दी.

सब के मुंह बंद हो गए. सीमा आंटी चुप रह गईं. समारोह खत्म होने के बाद सीमा आंटी अपनी जेठानी से कह रही थीं, ‘‘देखिए, मेरी बेटी के सासससुर कितने भले लोग हैं. ऐसे सासससुर किसीकिसी को ही मिलते हैं. उन्होंने तो दूसरे की बेटी को भी अपनी बेटी मान लिया. क्या किस्मत पाई है मेरी बेटी पूजा ने.’’

बगल में खड़ी पड़ोसिन मन ही मन सोच रही थी कि आंटी 1 बार सिर्फ 1 बार गलती से ही सही, अपनी बहू की किस्मत पर गौर कीजिए.

हैलो इट्स कामिनी नौट कमीनी

जब भी मेरे मोबाइल पर किसी अनजान व्यक्ति का फोन आता, मैं मजे लेने लग जाती और उसे खूब परेशान करती. एक दिन मेरी यही आदत मुझ पर भारी पड़ गई…

यह कहानी है सन 2006 की…

जब फोन कंपनी के कंप्यूटराइज फोन नंबर पर घंटों लाइन में लगे रहने के बाद आप कौलर ट्यून और अन्य सर्विस का लुत्फ उठा सकते थे.

मैं ठहरी म्यूजिक लवर मु?ो उस जमाने में क्व110 महीना अपने बैलेंस से कटवाना मंजूर था मगर मेरी कौलर ट्यून औरों से बिलकुल अलग और कड़क होनी चाहिए.

ट्रिंग… ट्रिंग…

ट्रिंग… ट्रिंग…

‘‘इस का फोन दे… देखें तो इस कमीनी को अनसेव्ड नंबर से कौन फोन लगा रहा है.’’

नेहा और ज्योति ने मेरी हथेली से फोन खींच कर अंकिता को थमा मु?ो जकड़ लिया.

‘‘हैलो.’’

‘‘हैलो मैडम.’’

‘‘जी बोलिए.’’

‘‘मैडम क्या मैं कामिनीजी से बात कर रहा हूं?’’ एक बिलकुल नवयुवक की तरोताजा आवाज में किसी ने पूछा.

फोन के स्पीकर को अपनी हथेली से दबा कर मेरा फोन पकड़ी हुई अंकिता जोरजोर से हंसते उस युवक से आगे कहने लगी, ‘‘ऐसा क्या काम है आप को हमारी कामिनीजी से हम भी तो सुनें?’’

‘‘नमस्ते मैडम मैं आइडिया सर्विस से सुबोध बात कर रहा हूं, कामिनीजी ने अपनी कौलर ट्यून चेंज करने के लिए रिक्वैस्ट भेजी थी.’’

‘‘अच्छा तो लगा दीजिए कोई भी घटिया सा गाना, वैसे भी इस कमीनी को कोई फोन लगाता भी नहीं है.’’

‘‘जी मैडम क्या?’’

बेतहाशा हंसती हुई ज्योति और नेहा ने मु?ो कस कर पकड़ रखा था कि मैं अंकिता को बात करते समय डिस्टर्ब न कर सकूं मगर जैसे ही उस ने किसी लड़के के सामने मेरे नाम के साथ छेड़खानी की तो मैं ने हंस कर ढीले पड़ चुके उन के हाथों से अपना हाथ ?ाटक कर ?ाट से अंकिता से फोन खींच लिया और अपनी कमान खुद संभालते हुए पूछा, ‘‘हैलो कौन बात कर रहा है?’’

‘‘हैलो कमीनीजी मैं सुबोध आइडिया सर्विस से आप से बात कर रहा हूं.‘‘

‘‘फर्स्ट औफ औल इट्स कामिनी नौट कमीनी.’’

‘‘सौरी मैडम मगर आप की सहेली आप को इसी नाम से संबोधित कर रही थी. मु?ो लगा शायद आप का नाम यही होगा,’’ सुबोध निर्दोष भाव से जवाब देने लगा.

‘‘वह तो है ही सड़क छाप. आप तो नहीं हैं न? वे जो बोलेगी तो क्या आप मान जाएंगे?’’

और वे 3 बेशरमों की तरह अपनाअपना पेट पकड़ कर बिस्तर में लोटपोट होने लगीं. उन की ऐसी हरकत देख मेरा दिमाग और खराब होने लगा.

‘‘कामिनीजी माफ करिएगा,’’ सुबोध एकदम से घबरा गया.

‘‘कोई बात नहीं… आप ने किसलिए फोन लगाया था?’’ मैं ने सोचा इस में इस बेचारे की क्या गलती जो मेरे दोस्त ही ऐसे पागल हैं.

‘‘जी जो आप ने कौलर ट्यून की रिक्वैस्ट भेजी थी वह अब हमारे सिस्टम से ऐक्सपायर हो चुकी है.’’

‘‘ऐक्सपायर हो गई. मगर मैं तो उस के पैसे दे चुकी हूं?’’

‘‘जी इसी विषय में मैं आप से चर्चा करना चाहता हूं.’’

‘‘हां बोलिए.’’

‘‘आप उस के बदले कोई दूसरा गाना सैट करा सकती हैं.’’

‘‘नाम क्या बताया आप ने अपना?’’

‘‘जी सुबोध.’’

‘‘देखो सुबोध मु?ो वह गाना बहुत पसंद था और अब आप कह रहे हैं कि वह अब आप के सिस्टम में नहीं है. ऐसा न हो कि मैं इस बार भी कोई गाना चुनूं और आप कह दें कि वह हमारे सिस्टम में नहीं है. देखिए इतना टाइम नहीं है मेरे पास.’’

पीछे से ज्योति ने जोर से चिल्लाते हुए कहा, ‘‘नल्ली, दिनभर घर में खाली पड़ी

रहती है और कहती है कि टाइम नहीं है.’’

वे तीनों फिर से ठहाके मार कर हंसने लगीं.

‘‘मैडम, मैं अभी आप को औप्शन दे देता हूं. आप उसी में से चुन लीजिए और मैं अभी आप की कौलर ट्यून सैट कर सकता हूं.’’

‘‘ठीक है बताइए औप्शन.’’

‘‘मैडम कुल 10 गाने हैं.’’

‘‘कौनकौन से?’’

‘‘पलपल हर पल…’’ सुबोध ने उस गाने को पंक्ति के जैसे कह दिया. वैसे मैं जानती थी इस ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ के गाने के बोल कैसे हैं.

मगर थी तो मैं अपनी सहेलियों के लिए उन की पक्की कमीनी दोस्त. मैं ने उस अनजान नंबर से आए भोलेभाले सुबोध से मजे लेना चाहे. अत: अपनी सहेलियों को आंख मारते हुए मैं ने उस से कहा, ‘‘ये कौन सा गाना है? मु?ो सम?ा नहीं आ रहा जरा गा कर सुनाइए तब क्लीयर होगा.’’

उस ने घबराते हुए पूछा, ‘‘मैडम गा कर सुनाऊं?’’

‘‘हांहा गा कर सुनाइए और कैसे जान पाऊंगी?’’

‘‘जी ठीक है…’’

मैं ने अपना फोन स्पीकर में लगा दिया और दूसरी तरफ सुबोध ने हिचकते हुए अपना गला साफ करते हुए एक के बाद एक कौलर ट्यून गाना शुरू किया, ‘‘पलपलपलपल हरपल कैसे कटेंगे पलपल हरपल.’’

उसे गाता सुन मेरी सहेलियां बिस्तर में खड़ी हो कर नाचने लगीं.

‘‘अगला.’’

मैं ने अपनी सहेलियों को रुकने का संकेत किया और जैसे ही सुबोध ने अगला गाना शुरू किया मैं ने उन्हें फिर से डांस करने का इशारा किया और साथसाथ हर गाने में मैं भी फोन पकड़े उन के संग ?ाम रही थी.

‘‘?ालक दिखला जा ?ालक दिखला जा एक बार आजा आजा आजा आजा आजा…’’

इस बार वे अपनी हथेलियों को माइक की तरह बना हिमेश की रेशमिया बन लिपसिंग करने लगी.

‘‘वैसे सुबोधजी मानना पड़ेगा आप की आवाज काफी अच्छी है.’’

‘‘थैंक यू मैडम.’’

‘‘जरा अगला सुनाइए.’’

अब तक सुबोध थोड़ा सहमा हुआ था मगर कुछ पल बाद ऐसा लगा कि हमारी मस्ती में वह भी खुल के मजे ले रहा हो.

‘‘देश रंगीला रंगीला देश मेरा रंगीला…’’

अपने गाने को बीच में रोकते हुए उस ने खुद कहा, ‘‘मैडम यह मत लगाइएगा, ऐसा लगेगा जैसेकि आज गणतंत्र या स्वतंत्रता दिवस हो.’’

‘‘आप ने बिलकुल ठीक कहा. नैक्स्ट प्लीज.’’

‘‘जयजय मनी…’’

इस गाने में वे तीनों बंदरिया भाती उछलने लगीं.

‘‘नैक्स्ट.’’

‘‘दिल तोड़ के न जा दिल तोड़ के न जा…’’

‘‘बिलकुल नहीं अगला.’’

‘‘मैडम यह गाना बहुत अच्छा है,’’ यह कहते हुए उस ने अपना गला साफ किया और पूरे सुर और ताल के साथ ‘गैंगस्टर’ में फिल्माया गया यह गाना बड़ी शिद्दत से गाने लगा, ‘‘तू ही मेरी शब है, सुबह है, तू ही दिन है मेरा…’’

‘‘नहीं यह वाला नहीं.’’

‘‘मैडमजी एक बार सुन तो लीजिए,’’ वह खुद को गाना गाने से रोक ही नहीं पाया और आगे बड़े प्यार से गाने लगा.

‘‘तू ही मेरा रब है, जहां है, तू ही मेरी दुनिया. तू वक्त मेरे लिए, मैं हूं तेरा लमहा कैसे रहेगा भला, होके तू मु?ा से जुदा…’’ और इन तीनों महारथियों ने आगे का ‘‘ओ ओ ओ’’ कोरस दे डाला.

‘‘बस भाई अगला बताओ.’’

मैडम यह आखिरी वाला आप को सुनाता हूं, ‘‘खाई के पान बनारस वाला…’’

दूसरी ओर मेरी सहेलियां नगाड़ा बजाने जैसा हावभाव करते हुए बिलकुल फुल ऐनर्जी के साथ अपने हाथ और पैर सुबोध के गानों के बोल संग मटकाने लगी, ‘‘खुल जाए बंद अकल का ताला फिर तो…’’

मैं ने उसे बीच गाने से रोका. मगर मेरी ?ाल्ली सहेलियां बिन पीए बहक चुकी थीं. सुबोध ने तो गाना बंद कर दिया मगर वे आगे के बोल गाते जा रही थी, ‘‘फिर तो ऐसा हुआ धमाल सीधी कर दे सब की चाल. ओ छोरा गंगा किनारे वाला… ओ छोरा गंगा किनारे वाला…’’

उन के शोरशराबे के बीच मैं सुबोध से कहने लगी, ‘‘हां समझ गई समझ गई मगर यह तो काफी पुराना गाना लगता है?’’

‘‘अरे नहीं मैडम यह ‘डौन’ पिक्चर का है, अपने शाहरुख खान और प्रियंका चोपड़ा पर फिल्माया गया बढि़या रीमिक्स गाना. यह लगवा लीजिए मेरा वादा है सब लोग बड़ी तारीफ करेंगे.’’

‘‘चलो फिर ठीक है इसे डौन सौरी डन

करते हैं.’’

‘‘मैडम आप 1 मिनट लाइन पर रहिएगा आप को एक मैसेज आएगा उसे कन्फर्म कर के मुझे बताइए.’’

‘‘ठीक है,’’ फोन पकड़ेपकड़े मुझे मैसेज की टोन कानों में सुनाई दी.

‘‘हां आ गया मैसेज.’’

‘‘मैडम क्या आप मेरी सर्विस से खुश हैं?’’

‘‘हां बिलकुल.’’

‘‘मैडम यह मेरी सर्विस की स्टार रेटिंग का मैसेज है, हम जैसे नए इंप्लोई को इसी बेस पर नौकरी में रखा जाता है. मैं जानता हूं आप के पास समय कम है मगर फिर भी अगर आप…’’

‘‘आप निश्चिंत रहें मैं आप को जरूर रेटिंग दूंगी.’’

‘‘थैंक यू मैडम. आप की बात हो रही थी आइडिया सर्विस के सुबोध नायक से. मैं उम्मीद करता हूं आप की कंप्लेन दूर हो चुकी होगी. आप का दिन शुभ हो.’’

‘‘आप का भी,’’ यह कहते हुए हम दोनों ने अपनाअपना फोन काट दिया.

‘‘अरे कमीनी कहां रह गई आना इधर.’’

‘‘हां 2 मिनट में आई.’’

ऐसे में यह काम करना हमेशा इग्नोर करती हूं मगर पता नहीं क्यों इस बार मैं ने वह

मैसेज ओपन कर के उसे रेटिंग देने की सोची, बताओ उस ने अपनी नौकरी के लिए मुझे बिना झिझक के कितने गाने सुना दिए. हमारा इतना अच्छा ऐंटरटेनमैंट कर दिया वह अलग.

‘‘मैं दोस्तों के बीच जा ही रही थी कि किसी का फोन फिर से आया.’’

‘‘हैलो.’’

‘‘हां हैलो बोलिए.’’

‘‘मैडम मैं सुबोध आइडिया से.’’

‘‘हां बोलिए.’’

‘‘आप की कौलर ट्यून सैट हो गई है.’’

‘‘अरे वाह बढि़या.’’

‘‘मुझे इतनी जल्दी और इतनी अच्छी रेटिंग देने के लिए आप को बहुत थैंक यू.’’

‘‘अरे थैंक्यू कैसा? आप ने बहुत अच्छी सर्विस दी थी.’’

‘‘मैडम आज मेरा पहला दिन है, सुबह से करीब 70 फोन पर बात कर चुका हूं मगर रिक्वैस्ट करने पर भी मु?ो आप के सिवा किसी ने रेटिंग नहीं दी.’’

‘‘आप अपना दिल छोटा न करें. ऐसे ही मन लगा कर काम करिएगा. गुड लक.’’

इस वाकेआ को घटे आज कितने साल हो गए मगर हमारे बीच फोन मैं हुई यह चर्चा मुझे और मेरी (हाथ पकड़ने कहो तो गला पकड़ने वाली) सहेलियों को आज भी याद है. आशा करती हूं सुबोध आज आप जहां कहीं भी हों बहुत खुश हों.

घातक हो सकती है ब्रेन ट्यूमर के उपचार में देरी

कईं बीमारियां इतनी गंभीर होती हैं कि समय रहते उनका उपचार न कराया जाए तो घातक हो सकता है. इन्हीं में से एक है, ब्रेन ट्यूमर. तो जानिए क्यों इतना गंभीर होता है, ब्रेन ट्यूमर? इसके उपचार के कौन-कौनसे विकल्प उपलब्ध हैं? और समय रहते उपचार न कराने से स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है?

ब्रेन ट्यूमर

कभी-कभी सिरदर्द हो तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर आपको लगातार कईं दिनों से सिरदर्द हो रहा हो, रात में तेज सिरदर्द होने से नींद खुल रही हो, चक्कर आ रहे हों, सिरदर्द के साथ जी मचलाने और उल्टी होने की समस्या हो रही हो तो समझिए की आपके मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ रहा है. मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ने का कारण ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. अगर आप पिछले कुछ दिनों से इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डायग्नोसिस कराएं.

इन संकेतों को गंभीरता से लें

ब्रेन ट्यूमर के कारण शरीर जो संकेत देता है, वो उसके आकार, स्थिति और उसके विकास की दर के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. इन संकेतों में सम्मिलित हो सकते हैं:

दृष्टि संबंधी परिवर्तन.

बार-बार सिरदर्द होना.

बिना किसी कारण के जी मचलाना और उल्टी आना.

 

बोलने और सुनने में दिक्कत होना.

शारीरिक और मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना.

दौरे पड़ना.

डायग्नोसिस

ब्रेन ट्यूमर का संदेह होने पर डॉक्टर कुछ जरूरी जांचों और प्रक्रियाओं का सुझाव दे सकता है, जिनमें सम्मिलित हैं:

न्युरोलॉजिकल एक्जाम

इमेजिंग टेस्ट्स

कम्प्युटराइज़ टोमोग्रॉफी (सीटी) और पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्रॉफी (पीईटी)

बायोप्सी

कोविड-19 के प्रकोप में भी समय रहते उपचार है जरूरी

मस्तिष्क हमारे शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील भाग है, जब इसमें ट्यूमर विकसित हो जाता है तो जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है. अगर ट्यूमर हाई ग्रेड है तो तुरंत उपचार की आवश्यकता पड़ेगी, उपचार कराने में देरी मृत्यु का कारण बन सकती है. अगर ट्यूमर का विकास बहुत धीमा है तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं. लेकिन डायग्नोसिस पर ही पता चलेगा की उसका आकार कितना बड़ा है और वो किस चरण पर है. इसलिए डायग्नोसिस कराने में बिल्कुल देरी न करें. कुछ ट्यूमर इतने घातक होते हैं कि कईं लोग ब्रेन ट्यूमर के डायग्नोसिस के 9-12 महीने में मर जाते हैं.   लेकिन, समय पर डायग्नोसिस और उपचार करा लिया जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

उपचार के विकल्प

ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थिति पर निर्भर करता है, इसके साथ ही आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और आपकी प्राथमिकता का भी ध्यान रखा जाता है. लेकिन डायग्नोसिस होने के तुरंत बाद उपचार कराना जरूरी है, ताकि जटिलताओं से बचा जा सके.

सर्जरी

अगर ब्रेन ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां ऑपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है, तो सर्जरी का विकल्प चुना जाता है. जब ट्यूमर मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के पास स्थित होता है तो सर्जरी जोखिम भरी हो सकती है. इस स्थिति में, सर्जरी के द्वारा उतना ट्यूमर निकाल दिया जाएगा जितना सुरक्षित होता है. अगर ब्रेन ट्यूमर के एक भाग को भी निकाल दिया जाए तो भी लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है.

कीमोथेरेपी

कीमोथेरैपी में शक्‍तिशाली रसायनों का उपयोग किया जाता है जो प्रोटीन या डीएनए को क्षतिग्रस्‍त करके कोशिका विभाजन में हस्‍तक्षेप करते हैं, जिससे कैंसरग्रस्‍त कोशिकाएं मर जाती हैं.

रेडिएशन थेरेपी

रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई-एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है.

टारगेट थेरैपी

कीमोथेरैपी के दुष्‍प्रभावों को देखते हुए टारगेट थेरैपी का विकास किया गया है. इसमें सामान्‍य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसरग्रस्‍त कोशिकाओं को नष्‍ट किया जाता है. इसके साइड इफेक्‍ट भी कम होते हैं. पिछले दशक में टारगेट थेरैपी के बहुत अच्‍छे परिणाम आएं हैं.

 

रेडियो सर्जरी

यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है. इसमें कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कईं बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बिंदु (ट्यूमर) पर फोकस होती हैं.इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर एक्सेलेटर.रेडियो सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर का एक अत्याधुनिक उपचार है, यह एक ही सीटिंग में हो जाता है और अधिकतर मामलों में, मरीज उसी दिन घर जा सकता है.

अधिक होता है संक्रमण का खतरा

जिन लोगों को कैंसर है, उनके लिए कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि कैंसर के कारण शरीर अतिसंवेदनशील और इम्यून तंत्र अत्यधिक कमजोर हो जाता है. ऐसे में शरीर वायरस के आक्रमण का मुकाबला नहीं कर पाता है. पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अनुसार, जो लोग पहले से ही शरीर के किसी भी भाग के कैंसर से जूझ रहे हैं, उनमें संक्रमण होने का खतरा स्वस्थ्य लोगों की तुलना में कईं गुना अधिक हो जाता है.

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार जो लोग कैंसर का उपचार करा रहे हैं, विशेषकर कीमोथेरेपी उनके लिए संक्रमण की आशंका अधिक हो जाती है, क्योंकि कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली ड्रग्स इम्यून तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं.

इसलिए बहुत जरूरी है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं, या इसका उपचार करा रहे हैं, वो कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें.

डॉ. मनीष वैश्य,निदेशक, न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित

कहीं आपका पार्टनर चीटिंग तो नहीं कर रहा ?

इस दुनिया में किसी के लिए भी सबसे मीठा एहसास होता है प्यार.  आप किसी शख्स को दिल से चाहें और वह भी आपको उतनी ही निष्ठा के साथ प्रेम करे, तो इससे अच्छी और कोई फिलिंग हो ही नहीं सकती. प्रेम करने वाला बदले में प्रेम की ही आस रखता है. लेकिन इंसान प्यार में हमेशा वफादार रहे, ये जरूरी नहीं है. विश्वासघात, बेवफाई, धोखा, चीटिंग ये सब सिर्फ शब्द नहीं हैं बल्कि मजबूत से मजबूत रिश्ते के नींव हिलाने के लिए काफी हैं. कई लोग अपने पार्टनर को चीट करते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, कुछ सालो में ऐसे काफी सारे केसेस सामने आए हैं, जिनमें अक्सर शादी के बाद पार्टनर चीट करते हैं और आज के समय तो ये समस्या बेहद आम हो गई है.

लेकिन इस बात का पता लगाना कि आपका पार्टनर वास्तव में आपके साथ चीट कर रहा है या नहीं, जानना थोड़ा मुश्किल है. कटा-कटा रहना, आदतों में एकदम से बदलाव, काफी हद तक रिलेशनशिप में चीटिंग को दर्शता है. आपका पार्टनर विश्वासपात्र है या नहीं और कहीं वो अपकों धोखा तो नहीं दे रहा. जानिए इन संकेतों से जो बताते हैं कि कहीं आपका पार्टनर आपके साथ चीटिंग तो नहीं कर रहा.

1. व्यवहार में बदलाव

सबसे बड़ी पहचान यही है कि पार्टनर के व्यवहार में बदलाव होने लगता है. ‘मैं बोर हो गया हूँ’ जैसे शब्दों से समझ में आने लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. दीप्ति माखीजा के अनुसार, पार्टनर जब चीट करने लगता है तो अपने आप ही कुछ क्लू या बातें सामने आने लगती है, जिन्हें बस समझने की देरी है. जैसे उसके बोल होने लगते हैं, ‘तुम्हें बोलने का तरीका नहीं है ? अपना वजन कम करो, मोटी हो गई हो. साथ ही, आपके पार्टनर आपकी तुलना किसी दूसरे-तीसरे से करने लगते हों, बेवजह आपकी गलती निकालने लगे हों, आपकी किसी एक छोटी सी गलती पर आपको गैरजिम्मेदार ठहराने लगें हों, तो आपको सचेत हो जाना चाहिए, खासकर तब जब ऐसा पहले कभी नहीं होता था. यह न समझें कि अब वह ऐसा करके आपको शर्मिंदा महसूस कराने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा कोई इंसान तभी करता है जब वह अपने पुराने रिश्ते को तोड़ कर किसी और के साथ रिश्ते बनाना चाहता है.

2. दिनचर्या में बदलाव

दैनिक दिनचर्या में लगातार आने वाले बदलाव भी पार्टनर के आपको धोखा देने के संकेत हो सकते हैं.  जैसे, अचानक अपने वोडरोब में कपड़ों को बदलना, खुद पर ज्यादा ध्यान देने लगना, आईने में खुद को निहारते रहना, आपके आने पर सतर्क हो जाना, मतलब कुछ तो गड़बड़ है. पहले की तरह आपमें रुचि न दिखाना, क्योंकि पहले आप दोनों एकदूसरे के नजदीक जाने के बहाने ढूंढा करते थे और अब आपका पार्टनर आपसे दूर जाने के बहाने ढूँढने लगें, कमीटमेंट से घबराने लगे तो समझिए वह आपको धोखा दे रहे हैं.  इसके अलावा आपसे बेवजह लड़ाइयाँ होने लगना, आपके हर काम में नुख्स निकालने लगना,, पहले की तरह व्यक्तिगत बातें, करियर-संबन्धित बातें आदि आपसे समझा न करने लगें, तो समझ लीजिये कि वह आपसे दूर होने की कोशिश कर रहे हैं.

3. आपके प्रति प्यार कम होना

पहले जहां आपकी हर बातें उन्हें प्यारी लगती थी, पर अब आपकी हर बात पर वह झल्लाने लगें, मूवी देखने या कहीं बाहर जाने में आना-कानी करने लगें, ज्यादा समय ऑफिस में बिताने लगें, जैसी बातों से साफ पता चलता है कि आपका पार्टनर आपको चीट कर रहा है. इसके अलावा अचानक अकेले ट्रिप पर जाना आदि कारण हो सकता है कि अब उनका ध्यान कहीं और लग गया है. जरूरी नहीं यह धोखे का ही संकेत हो. हो सकता है आपका पार्टनर किसी और बात को लेकर परेशान हो या कुछ और वजह हो सकती है. लेकिन अगर इस सबके साथ आपका पार्टनर कोई फैसला लेने में आपसे आपकी राय नहीं पूछते या आपसे अपनी बातें शेयर नहीं करते, तो यह धोखे का संकेत हो सकता हैं.

4. फोन से जुड़े बदलाव

यदि आप अपने पार्टनर की फोन से जुड़ी गतिविधियों में बदलाव को नोटिस करते हैं, तो यह धोखा देने का संकेत हो सकता है. जैसे आपका पार्टनर जरूरत से ज्यादा फोन पर व्यस्त रहने लगें. ऑफिस में उनका फोन कई-कई घंटों तक एंगेज आता हो. आप से अपने फोन और मैसेज छुपाने लगे हों.  फोन का पसवोर्ड बदल दिये हों और आपको अपना पसवोर्ड न बताएं और न ही अपना फोन छूने दें, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है. इसके अलावा उनके सोशल मीडिया की आदतों में भी बदलाव हो सकता है, जैसे ज्यादा फोटो अपलोड करना या बार-बार अपनी प्रोफाइल बदलते रहना, बार-बार मैसेज अलर्ट चेक करना, जैसे कई छोटे-छोटे बदलाव धोखे का संकेत हो सकता हैं.

5. छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलने लगना

यदि आपका साथी आपसे हर छोटी-छोटी बात पर झूठ बोलने लगें, बातें छुपाने लगें, तो समझिए जरूर कुछ गड़बड़ है.

6. आँखें चुराने लगे

यदि आपका साथी आपसे बात करने से बचने लगे या बात करते वक़्त अपनी आँखें न मिला पाए, इधर-उधर देखने लगे, आपकी बातों को अनसुना करने लगे, आपकी के किसी भी बात को गंभीरता से न लेने लगे, वही काम करे जो आपको पसंद नहीं है, अपनी गलती न मनाने के बजाय आपकी ही गलती निकालने लगे, आपका फोन न उठाए और न ही आपके किसी मैसेज का जवाब दे, तो समझ लेना चाहिए की आपका पार्टनर आपको नजरंदाज कराने की कोशिश कर रह है.

धोखा देने वाला हमेशा कोई करीबी ही होता है और शायद यही वजह है कि जब इंसान को धोखा मिलता है तो सबकुछ बिखर जाता है. खासतौर पर जब धोखा देने वाला आपका पार्टनर हो. फिर क्या करें जब पार्टनर के धोखे का पता चल जाए

7. पूरा समय लें

अगर आप अपने पार्टनर के धोखा देने की बात से परेशान हैं तो जल्दबाज़ी करने से बचें. पूरा समय लें. आपको किसी से भी इस बारे में बात करने की जरूरत नहीं है. अपने पार्टनर से तो बिल्कुल नहीं. आपको गुस्सा तो आ रहा होगा, लेकिन नाराजगी में कहें शब्द नुकसान अधिक पहुँचाते हैं.

8. न तो बहस करें, न लड़े

विरोध दर्ज़ करना जरूरी है और सामने वाले को भी तो पता चलना चाहिए कि कुछ ऐसा हुआ है जिसकी वजह से आप परेशान हैं. लेकिन अपनी आवाज और शब्दों पर संयम रखें. पार्टनर को यह जरूर बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं.

9. वोको दोष न दें

ज़्यादातर मामलों में धोखा देने वाले पार्टनर को दोषी मानने के बजाय उस लड़की या लड़के को दोषी मान लिया जाता है, जिसकी वजह से धोखा दिया गया. ऐसा करना सही नहीं है. क्योंकि जो शख्स आपके प्यार को झुठलाकर आगे निकल गया, तो गलती उसकी है.

 

10. अपने मामले में किसी और को बोलने न दें

अगर आप चाहते हैं कि आपके और आपके पार्टनर के बीच सब कुछ ठीक हो जाए तो बेहतर यही होगा कि आप इस बात की चर्चा किसी और से न करें. किसी तीसरे को इन बातों में शामिल करना आपके लिए ही खतरनाक हो सकता है.

11. एक मौका और दें

अगर आपको लगे कि आपके पार्टनर को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सबकुछ ठीक करना चाहता है तो उसे वक़्त दें. हो सकता है सब फिर पहले जैसा हो जाए. इसके लिए आपदोनों का साथ रहना और साथ वक़्त बिताना जरूरी है, ताकि आप दोनों के बीच की गलतफहमी खत्म हो सके.

विश्वास की आन: क्या मृदुला का सिद्धार्थ पर भरोसा करना सही था?

‘‘दिलसंभल जा जरा, फिर मुहब्बत करने चला है तू…’’ गाने की आवाज से मृदुला अपना फोन उठाने के लिए रसोई से भागी, जो ड्राइंगरूम में पड़ा यह गाना गा रहा था. नंबर पर नजर पड़ते ही उस का दिल जोरजोर से धड़कने लगा. नाम फ्लैश नहीं हो रहा था, पर जो  नंबर चमक रहा था वह उसे अच्छी तरह याद था. वह नंबर तो शायद वह सपने में भी न भूल पाए.

रोहन अपने कमरे से चिल्ला रहा था, ‘‘मौम, आप का फोन बज रहा है.’’

मृदुला ने झटके से फोन उठाया. एक नजर उस ने कमरे में टीवी देखने में व्यस्त ऋषि पर डाली और दूसरी नजर रोहन पर जो अपने कमरे में पढ़ रहा था. वह फोन उठा कर बाहर बालकनी की ओर बढ़ गई.

‘‘हैलो… हाय… क्या हाल हैं?’’

‘‘अब ठीक हूं,’’ उधर से आवाज आई.

‘‘क्यों? क्या हुआ?’’

‘‘बस तुम्हारी आवाज सुन ली बंदे का दिन अच्छा हो गया.’’

‘‘अच्छा, तो यह बात है… अच्छा बताओ फोन क्यों किया? आज मेरी याद कैसे आ गई? तुम अच्छे से जानते हो आज शनिवार है. ऋषि और रोहन दोनों घर पर होते हैं… ऐसे में बात करना मुश्किल होता है,’’ मृदुला जल्दीजल्दी कह रही थी.

‘‘मैं ने तो बस यह बताने के लिए फोन किया कि अब मुझ से ज्यादा सब्र नहीं होता. मैं अगले हफ्ते दिल्ली आ रहा हूं तुम से मिलने. प्लीज तुम किसी होटल में मेरे लिए कमरा बुक करवा दो जहां बस तुम हो और मैं और हो तनहाई,’’ सिद्धार्थ ने अपना दिल खोल कर रख दिया.

‘‘होटल? न बाबा न मैं होटल में मिलने नहीं आऊंगी.’’

‘‘तो फिर हम कहां मिलेंगे? मैं 1500 किलोमीटर मुंबई से दिल्ली सिर्फ तुम्हें मिलने आ रहा हूं ओर एक तुम हो जो होटल तक नहीं आ सकतीं.’’

मृदुला बातों में खोई हुई थी. उसे एहसास ही न हुआ कि कब रोहन अपने कमरे से निकल कर बाहर बालकनी में उस के पीछे आ खड़ा हो गया था.

रोहन पर नजर पड़ते ही मृदुला ने कहा, ‘‘अच्छा, मैं बाद में बात करती हूं,’’ और फिर फोन काट दिया.

‘‘किस का फोन था मौम?’’ रोहन ने पूछा.

‘‘वो… वो मेरी फ्रैंड का फोन था.’’ कह वह फोन ले कर रसोई में चली गई और सब्जी काटने लगी.

वैसे तो वह रसोई में काम कर रही थी पर दिलोदिमाग मुंबई में सिद्धार्थ के पास पहुंच चुका था. दिल जोरजोर से धड़क रहा था. बस एक मिलने की आस में वह पिछले 8 सालों से जल रही थी. अब समझ नहीं पा रही थी कि कहां, कब और कैसे मिलेगी.

जिंदगी में कब कोई आ जाए, इनसान जान ही नहीं पाता. कोई दिल के इतने करीब पहुंच जाता है कि बाकी सब से दूर हो जाता है.

यों तो मृदुला की जिंदगी में कोई कमी न थी. प्यार करने वाला पति ऋषि था. होशियार और समझदार 16 साल का बेटा रोहन था पर फिर सिद्धार्थ, औनलाइन फ्रैंड बन कर उस की जिंदगी में आ गया था और फिर सब उलटपुलट हो गया था.

वह बेटे और पति से छिपछिप कर कंप्यूटर से बहुत मेल और चैट करती थी और फोन भी बहुत करती थी. उस की जिंदगी का हर खुशीगम तब तक अधूरा होता जब तक वह उसे सिद्धार्थ से बांट न लेती.

दोस्ती एक जनून बन गई थी. वह उस से एक दिन भी बिना बात किए न रहती थी. रोज बात करना दोनों की दिनचर्या का अभिन्न अंग था. ऐसा ही कुछ हाल सिद्धार्थ का भी था.

यों तो मृदुला पति के औफिस और बेटे के स्कूल जाने के बाद बात करती थी, फिर भी रोहन गूगल की हिस्ट्री में जा कर कई बार पूछता था कि मम्मी यह सिद्धार्थ कौन है? और वह कुछ जवाब नहीं दे पाती थी सिवा इस के कि पता नहीं.

रोहन को कुछकुछ अंदाजा होता जा रहा था कि मम्मी कुछ ऐसा कर रही हैं, जिसे वे छिपा रही हैं. कई बार गुस्से और आक्रोश में वह अपनी परेशानी का इजहार भी करता पर ज्यादा कुछ कह न पाता.

अब मृदुला क्या करेगी, सिद्धार्थ से मिलने की तमन्ना को दबा लेगी? या फिर होटल जाएगी उस से मिलने? यही सब सोचसोच कर वह परेशान थी.

फिर अचानक उस ने अपना मन बना दिया और सिद्धार्थ को फोन मिला लिया,

‘‘सिद्धार्थ, मैं पहले ही जिंदगी में काफी डरडर कर तुम से बात करती हूं… मैं अब इस डर के साथ और नहीं जीना चाहती. मेरे मन में कोई खोट नहीं है और न ही तुम्हारे मन में, तो क्यों न तुम मेरे घर आ जाओ. मैं तुम से मिलने होटल नहीं आ पाऊंगी और न ही मैं तुम से मिलने का मौका गंवाना चाहती हूं.’’

मृदुला की बात सुन कर सिद्धार्थ हड़बड़ा गया, ‘‘पागल हो गई हो क्या? तुम्हारा पति और रोहन क्या कहेंगे? नहीं यह ठीक नहीं होगा.’’

‘‘क्या ठीक नहीं होगा? क्या यह मेरा घर नहीं है जहां मैं किसी को अपनी मरजी से बुला सकूं? मेरे मन में कोई खोट नहीं है. मैं ने तुम से दोस्ती की तो क्या गलत किया? और अगर ऋषि, रोहन कोई परेशानी हैं तो ठीक है हम इस चैप्टर को अभी हमेशा के लिए बंद कर देते हैं… पर मुझे एक बार तो तुम से मिलना ही है. बहुत बेताब है यह दिल तुम से मिलने को… तुम आओगे न मेरे घर?’’ एक सांस में मृदुला सब बोल गई.

‘‘मुझे थोड़ा वक्त दो सोचने का,’’ उस ने गंभीर होते हुए कहा.

‘‘बस घबरा गए? यों तो बहुत दलीलें देते थे कि मैं तुम्हारे एक बार बुलाने पर दौड़ा चला आऊंगा… अब क्या हुआ? देख ली तुम्हारी फितरत… तुम मुझे होटल में बुला कर मेरा नाजायज फायदा उठाना चाहते थे,’’ उस की आवाज ऊंची हो गई थी.

‘‘चुप करो,’’ सिद्धार्थ बोला, ‘‘ठीक है मैं 20 तारीख को 12 बजे वाली फ्लाइट से

दिल्ली आऊंगा और वह शाम तुम्हारे और तुम्हारी फैमिली के नाम… पर प्लीज, ऋषि मुझे मारेगा तो नहीं?’’

‘‘ठीक है, मैं इंतजार करूंगी,’’ कह कर फोन काट दिया.

मृदुला ने उसे अपने घर बुला तो लिया पर फिर  उलझन में पड़ गई कि ऋषि और रोहन को क्या बताएगी कि सिद्धार्थ कौन है?

ऋषि तो फिर भी समझ जाएगा पर न जाने रोहन कैसे रिएक्ट करेगा… उस की क्या इज्जत रह जाएगी उस के सामने…

इंतजार के 7 दिन एक इम्तिहान की तरह गुजरे जिन में पलपल वह अपने  निर्णय पर अफसोस करती रही, पछताती रही.

मृदुला के अंदर चल रहे तूफान की बाहर किसी को भनक न थी. इन 7 दिनों में मिलने की दिली चाहत को दिमाग में चल रहे प्रश्न ‘अब क्या होगा’ ने दबा दिया था. अब मृदुला को मिलने की तीव्र इच्छा से ज्यादा इस बात की टैंशन थी कि 20 तारीख को वह ऐसा क्या करे ताकि सब अच्छी तरह से निबट जाए?

सुबह उठती तो इसी आस के साथ कि काश 20 तारीख को ऋषि और रोहन अपने दोस्तों से मिलने चले जाएं और वह सिद्धार्थ से बिना टैंशन के मिल सके. पर अकसर लोग जो सोचते हैं वह होता नहीं. उन दोनों का भी ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं बना.

आखिरकार 20 तारीख आ ही गई. इस दौरान वह सिद्धार्थ से कोई बात न कर पाई. सारी रात करवटें बदलतेबदलते निकाल दी उस ने कि कल का दिन न जाने क्या तूफान ले कर आएगा उस की जिंदगी में.

कई मरतबा उस ने अपनेआप को कोसा भी कि क्यों ऐसा निर्णय लिया, पर तीर कमान से निकल चुका था. यह भी नहीं कह सकती थी कि वह न आए.

न जाने किस रौ और विश्वास में बह कर उस ने सिद्धार्थ को इतनी दूर से बुला लिया था. घर में शांति थी. सब अपनेअपने काम में लगे थे. तूफान से पहले ऐसा ही सन्नाटा होता है.

ठीक 3 बजे सिद्धार्थ का फोन आ गया, ‘‘मैं एअरपोर्ट पहुंच चुका हूं.’’

मृदुला का दिल जोरजोर से धड़कने लगा. आंखें खुशी से चमकने लगीं और चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया.

‘‘एक बार फिर सोच लो, कहीं और मिल लेते हैं?’’ सिद्धार्थ ने घबराते हुए पूछा.

‘‘नहीं, अब जो होगा देखा जाएगा. मैं पीछे नहीं हटूंगी,’’ कह उस ने उसे मैट्रो से घर आने का रास्ता बताया और फिर फोन काट दिया.

अब मारे घबराहट के उस के हाथपैर फूलने लगे थे. ऋषि और रोहन अपनेअपने कमरे में थे. अचानक घंटी बजी. धड़कते दिल से उस ने दरवाजा खोला तो एक स्मार्ट, आकर्षक, लंबा, सांवला 38 वर्षीय युवक उस के सामने खड़ा था, जिसे देख उस का मुंह खुला का खुला रह गया.

वही चिरपरिचित हाय सुन कर वह चहक उठी और फिर अपने सूखे गले से धीरे से कहा, ‘‘हाय, आओ अंदर आओ.’’

डरतेडरते सिद्धार्थ ने अंदर कदम रखा, तो झट से रोहन अपने कमरे से बाहर ड्राइंगरूम में आ गया.

‘‘बेटा, ये सिद्धार्थ अंकल हैं.’’

मृदुला के मुंह से सिद्धार्थ नाम बड़ी मुश्किल से निकला, जिसे सुन कर रोहन थोड़ा सकपका गया और फिर अपना गुस्सा छिपाता जल्दी से नमस्ते कर के अपने कमरे में चला गया.

अपनी बेचैनी, घबराहट को छिपाते मृदुला ने हलकी मुसकान से सिद्धार्थ को देखा और सोफे पर बैठने को कहा.

ऋषि के कमरे में कोई हलचल नहीं थी. वहां रोज की तरह टीवी चल रहा था. ऋषि टीवी के सामने बैठे थे. वह कमरे में गई और बोली, ‘‘कोई आया है.’’

‘‘कौन?’’

‘‘सिद्धार्थ.’’

‘‘सिद्धार्थ कौन?’’ चौंकते हुए ऋषि ने पूछा.

‘‘मेरा दोस्त,’’ एक झटके में उस ने बोल दिया और अब वह तैयार थी किसी भी परिणाम के लिए. उस ने निर्णय कर लिया था कि अगर ऋषि नहीं चाहेगा तो वह वहां नहीं रहेगी और सिद्धार्थ के साथ तो कतई नहीं. वह जानती थी कि वह उस का अच्छा दोस्त तो हो सकता है पर अच्छा हमसफर नहीं.

10 मिनट तक ऋषि ने न तो कोई जवाब दिया और न ही अपनी जगह से हिला.

मृदुला रसोई में जा कर कौफी बनाने लगी. बीचबीच में अकेले बैठे सिद्धार्थ से भी बतियाती रही.

अचानक रोहन रसोई में आया और अपना आक्रोश निकालते हुए घर से बाहर चला गया.

कौफी बना कर लाई तो मृदुला ने देखा कि ऋषि कमरे से बाहर आया और फिर बड़े आराम से सिद्धार्थ से हाथ मिला कर उस के पास बैठ गया. उस का दिल जोरजोर से धड़कने लगा कि न जाने अब क्या हो. यह उन दोनों के रिश्ते की मजबूती थी कि कभी भी अपने आपसी झगड़े, गलतफहमी और शिकवेशिकायत को किसी के सामने नहीं आने दिया. यह सब कुछ बैडरूम के बाहर नहीं आता था. चाहे कितनी भी लड़ाई हो बैडरूम के बाहर वे नौर्मल पतिपत्नी ही होते थे. 10 मिनट बैठ कर बात करने से माहौल की बोझिलता थोड़ी कम हो गई थी. फिर वह मृदुला और सिद्धार्थ को अकेले छोड़ कर वापस अपने कमरे में चला गया.

पूरी तरह से संभालने में मृदुला को थोड़ा वक्त लगा. जैसेजैसे वक्त बीतता गया. उस का खोया विश्वास लौटने लगा आधे घंटे बाद रोहन वापस आया और सीधा रसोई में चला गया. वह उस के पीछेपीछे रसोई में गई तो देखा रोहन समोसे और जलेबियां ले कर आया था.

मृदुला ने आश्चर्य से उस की तरफ देखा तो वह बोला, ‘‘मां, आप के दोस्त के लिए. जब मेरे दोस्त आते हैं तब आप भी तो बाजार जा कर हमारे लिए पैप्सी और चिप्स लाती हो हमारी पसंद का, तो मैं भी आप की पसंद का आप के फ्रैंड के लिए लाया हूं… क्या आप को हक नहीं है दोस्त बनाने का?’’

मृदुला की आंखों में खुशी के आंसू भर आए और फिर वह खुशीखुशी प्लेट में समोसे और जलेबियां डालने लगी.

करीब 2 घंटे बाद सिद्धार्थ 7 बजे की फ्लाइट से मुंबई लौट गया.

सिद्धार्थ के जाने के बाद मृदुला को डर लग रहा था कि न जाने अब ऋषि क्या बखेड़ा करेगा. डर के मारे वह उस के सामने जाने से कतरा रही थी.

रात का खाना खाने के बाद जब वह बिस्तर पर लेटी तो ऋषि ने पूछा, ‘‘सिद्धार्थ

चला गया?’’

‘‘हां, चला गया.’’

‘‘तुम्हारा सच्चा दोस्त लगता है, तभी इतनी दूर से तुम से मिलने चला आया.’’

‘‘आप को बुरा लगा कि मैं ने एक आदमी से दोस्ती की? मुझे अपना घर दोस्त से ज्यादा प्यारा है और आज की इस हरकत के लिए आप जो चाहो मुझे सजा दे सकते हो.’’

‘‘सजा? कैसी सजा? तुम ने कुछ गलत तो नहीं किया… मैं 1 हफ्ते पहले से ही जानता था कि तुम्हारा दोस्त आने वाला है.’’

मृदुला यह सुन कर चौंक गई. फिर बोली, ‘‘तो आप ने मुझे कुछ कहा क्यों नहीं?’’

‘‘देखो मृदुला, मैं ने 20 साल तुम्हारे साथ काटे हैं… तुम्हारी रगरग से वाकिफ हूं. तुम चाहतीं तो उस से बाहर भी मिल सकती थीं पर तुम ने ऐसा नहीं किया…

कहीं अंदर तुम्हें भी मुझ पर हमारे रिश्ते पर विश्वास था… मैं उन पतियों में से नहीं हूं जो पत्नी को इनसान नहीं समझते… दोस्ती तो किसी से और कभी भी हो सकती है… हफ्ता भर पहले जब तुम ने उसे फोन पर घर आने का न्यौता दिया था तभी मैं ने तुम्हारी सारी बातें सुन ली थीं और मैं तुम्हारे विश्वास को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता था. विश्वास की आन तो मुझे रखनी ही थी,’’ पति की बातें सुन कर मृदुला की आंखों से खुशी की आंसू बहने लगे.

‘‘और हां रही बात यह कि एक आदमी और एक औरत कभी दोस्त नहीं हो सकते, उस में मैं समझता हूं कि मैं ने आज तक तो तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दिया… क्यों ठीक कह रहा हूं न मैं?’’

पति की आखिरी बात का मतलब समझते हुए मृदुला शर्म से लाल हो गई और फिर लजाती हुई पति की बांहों में समा गई.

टीवी एक्ट्रेस आरती सिंह जल्द लेंगी सात फेरे, अपनी शादी के बारे में कहीं ये बातें

टीवी एक्ट्रेस आरती सिंह जल्द ही शादी करनेवाली हैं. एक इंटरव्यू के दौरान आरती ने बताया कि वे एक बिजनेसमैन दीपक चौहान से शादी करने जा रही हैं जो नवी मुंबई से हैं. यह शादी 25 अप्रैल 2024 को होगी. आरती ने बताया कि दोनों की मुलाकात प्राइवेट मैचमेकर्स के ज़रिए हुई थी. जुलाई 2023 से दोनों ने एक दूसरे से बात करनी शुरू की और फाइनली अगस्त 2023 में दोनों की मुलाकात हुई. 01 जनवरी 2024 को दीपक ने आरती को दिल्ली स्थित गुरुजी के मंदिर में प्रपोज कर दिया, इसे वो अपनी सगाई मानती हैं.

शादी को लेकर बेहद एक्साइटेड हैं आरती सिंह

आरती ने बताया कि दोनों की हल्दी, मेंहदी और शादी की रस्में मुंबई में होंगी. आरती शादी को लेकर बहुत खुश हैं. आरती के ससुराल में एक पिताजी और दो बहने हैं.
अरती कहती हैं कि वो खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि उनके जीवन में दीपक हैं. वह आशा और उत्साह के साथ दीपक के संग अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत करेंगी. उन्होंने आगे ये भी कहा कि इस रिश्ते में उन्हें आज़ादी और खुशी का एहसास होता है और वो बनावटी ना रहकर असली आरती बनकर रह सकती हैं. उन्होंने कहा कि सही वक्त पर सब कुछ सही हो रहा है.

 

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इन शोज में नजर आई थीं एक्ट्रेस

आपको बता दें कि आरती कॉमेडियन और एक्टर कृष्णा-अभिषेक की बहन हैं और मशहूर कॉमेडी एक्टर गोविंदा की भांजी हैं. आरती बिग बॉस के सीजन 13 में भी आ चुकी हैं. उन्होंने 2007 में टीवी पर आने वाले शो मायका के एक्टिंग की शुरुआत की थी. इसके बाद वो बस थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है, परिचय और वारिस नामक शोज़ में भी नज़र आईं थीं. इससे पहले भी आरती ने फरवरी में वेलेंटाइन डे पर एक पोस्ट शेयर कर कैप्शन में दीपक के बारे में लिखा था जिसका मुझे था इंतज़ार.

मेरी ‘मिनी’ के साथ मेरी ट्विनिंग, बेटी संग फोटो शेयर कर बोली बिपाशा बसु

बॉलीवुड की बंगाली बाला बिपाशा बसु ने शुक्रवार को अपनी बेटी देवी के साथ एक फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर की है. उन्होंने फोटो के साथ कैप्शन में लिखा है, ‘’मेरी बेटी के साथ मेरी ट्विनिंग”. इस फोटो में दोनों ने गुलाबी रंग की ड्रेस पहनी हुई है.

बिपाशा अक्सर ऐसी फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. दरअसल बिपाशा और एक्टर करण ग्रोवर की मुलाकात वर्ष 2015 में भूषण पटेल की फिल्म ‘अलोन’ में हुई थी और अप्रैल 2016 में दोनों ने शादी कर ली थी.

शादी के 6 साल के बाद नवंबर 2022 में दोनों के घर बेटी देवी का जन्म हुआ. वर्किंग करियर की बात करें तो बिपाशा ने अब्बास-मस्तान द्वारा निर्देशित फिल्म ‘अजनबी’ से 2001 में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद वर्ष 2002 में विक्रम भट्ट की फिल्म ‘राज़’ से बिपाशा बसु को एक नई पहचान मिली. अपने इस रोल के लिए उन्हें इसी वर्ष बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवार्ड भी दिया गया.

 

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अपने करियर में बिपाशा ने कई हिट फिल्में भी दी हैं जैसे, ‘धूम 2’, ‘कॉर्पोरेट’, ‘फिर हेरा फेरी’, ‘अलोन’, ‘जिस्म’, ‘नो एंट्री’. फिल्म ओंकारा में ‘बिड़ी जलेइले’ आइटम नंबर किया जिससे बिपाशा की खूब सराहना की गई थी.

बिपाशा ने हिन्दी फिल्मों में ही नहीं ब्लकि तमिल, तेलुगू, बंगाली और अंग्रेज़ी फिल्मों में भी काम किया है.

बिपाशा के करियर में एक समय ऐसा भी आया था जब उनका फिल्म इंड्रस्ट्री के एक अभिनेता के साथ ब्रेकअप हो गया था. लेकिन इस दौर से बाहर निकलने के लिए उन्होंने खुद को काम में व्यस्त कर लिया था. ये उनके जीवन का बहुत ही कठिन दौर था. इसके बाद मीडिया में कई एक्टर्स के साथ उनके लिंक अप्स का खबरें आई लेकिन वह लगातार इन सब खबरों का खंडन करती रही.

बालों और त्वचा के लिए वरदान है जोजोबा का तेल

जोजोबा का तेल त्वचा को पोषित करने के साथ ही बालों को भी मजबूत, घना व स्वस्थ रखता है. इसका इस्तेमाल त्वचा और बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में कारगर है. आइए जानते हैं जोजोबा तेल लगाने के फायदे.

हटाए दाग-धब्बे

जोजोबा का तेल मुंहासों को नियंत्रित करता है, इसके इस्तेमाल से मुंहासे नहीं होते हैं और दाग-धब्बे भी दूर हो जाते हैं.

त्वचा के लिए लाभदायक

यह त्वचा को नमी प्रदान करता है. यह अन्य तेलों की तुलना में हल्का होता है और त्वचा में गहराई से समा जाता है. यह त्वचा को मुलायम बनाता है और चमक लाता है. यह त्वचा को जवां बनाता है और उसमें कसाव ले आता है. यह सनबर्न को दूर करने के साथ ही जलन और खुजली भी दूर करता है.

बालों का रूखापन करे दूर

गर्मियों में बाल अक्सर उलझ जाते हैं और रूखे व बेजान हो जाते हैं. जोजोबा का तेल पसीने व अनचाही नमी को ब्लॉक कर बालों का रूखापन दूर करता है और उन्हें मुलायम बनाता है. वहीं यह स्कैल्प को नमी प्रदान करता है, जो अक्सर हानिकारक रसायन युक्त शैम्पू के इस्तेमाल से स्कैल्प से निकल जाता है.

चेहरे की नमी रखे बरकरार

जोजोबा का तेल विटामिन ई और बी युक्त होने के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से समृद्ध होता है, जो त्वचा को पोषण और सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही नमी भी बरकरार रखता है. जोजोबा के तेल में उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्व होते हैं. जोजोबा तेजी से कोशिकाओं को रिजेनरेट करता है.

शारीरिक और मानसिक थकान को करे दूर

जोजोबा तेल खासकर लैवेंडर जोजोबा तेल खुशबूदार फूलों की महक से समृद्ध होने के साथ ही सुकून का अहसास कराता है. यह शारीरिक और मानसिक थकान को दूर करता है, अगर तकिए पर इस तेल की कुछ बूंदें डाल दी जाए तो अच्छी नींद आती है.

क्या महिलाओं में सैक्स संबंधी समस्याएं होती हैं?

सवाल-

मेरी उम्र 21 साल है और जल्द ही शादी होने वाली है. मैं शादी के बाद सैक्स को ले कर डरी हुई हूं. क्या महिलाओं में सैक्स संबंधी समस्याएं होती हैं? क्या इन का उपचार संभव है?

जवाब-

शादी के बाद सैक्स को लेकर आप डरी हुई हैं. सैक्स संबंध कुदरती प्रक्रिया है. महिलाओं में भी सैक्स समस्याएं हो सकती हैं जैसे सैक्स संबंध के समय योनि में दर्द, चरमसुख का अभाव, उत्तेजना में कमी आदि. मगर पुरुषों की ही तरह महिलाओं की सैक्स समस्याओं का भी निदान संभव है. आप के लिए बेहतर यही है कि इन सब बातों से डरे बगैर खुद को शादी के लिए तैयार करें.

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शादी जिंदगी का एक अहम रिश्ता होता है. इसके जरिए आपको ढ़ेर सारा प्यार और नए रिश्ते मिलते हैं. शादी और भी कई चीजों से जुड़ी होती है जो आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लाती है. ऐसी बहुत सी चीजे हैं जिन्हें आप शादी के बिना अनुभव नहीं कर सकती हैं. जब आप शादी के बंधन में बंध रही होती हैं तो आप एक नई जीवनशैली के साथ भी जुड़ रही होती हैं. शादी के बाद शुरुआत में आपकी जीवनशैली की बहुत सी चीजें बदल सकती है. आइए आज हम ऐसी ही चीजों के बारे में बात करते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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