मौसम के अनुसार मेरे नाखून बढ़ने की स्पीड कम हो जाती है , क्या करूं

सवाल

गरमियों में मेरे नाखून बहुत तेजी से बढ़ते हैं पर सर्दियों में उन के बढ़ाने की स्पीड कम हो जाती है. कोई उपाय बताएं? नाखूनों के तेजी से बढ़ने में मौसम का असर होता है. सर्दियों में अधिकतम ह्यूमिडिटी की कमी और सर्दी की ठंडक के कारण नाखूनों की ग्रोथ कम हो सकती है.

जवाब

ये कुछ उपाय आप के नाखूनों की स्वस्थ ग्रोथ को सहारा देने में मदद कर सकते हैं- नाखूनों पर रूखापन कम करने के लिए जैतून या नारियल के तेल से मालिश करें. तेल को हलका गरम कर नाखूनों को 5 से 7 मिनट तक डुबोए रखें.

इसके बाद क्यूटिकल्स पर अच्छे से मालिश करें. इस से नेल्स जल्दी बढ़ते हैं. पर्याप्त पानी पीएं. अच्छे हाइड्रेशन से नाखूनों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है इसलिए पर्याप्त पानी पीएं. सही पोषण और खाद्यसामग्री से भरपूर आहार लें, जिस में प्रोटीन, विटामिन और खनिज हों.

सर्दियों में नाखूनों को सर्दी से बचाने के लिए ग्लव्स का उपयोग करें. नियमित रूप से मैनीक्योर करना नाखूनों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है. इस तरह इन उपायों को अपनाने से आप अपने नाखूनों की सेहत को सही बनाए रख सकती हैं.

जब विवाह टूट जाएं विवाह में जोखिम भी होते हैं

जब विवाह टूट जाएं विवाह में जोखिम भी होते हैं. यह सपनों की दुनिया नहीं है. यहां फूलों के बाग हैं तो गड्ढे भी हैं, दलदल भी हैं… राधिका अमेरिका में नौकरी कर रही थी. वह जब भी अपने माता-पिता से मिलने भारत आती तो शादी कराने के इरादे से राधिका के माता-पिता अखबार में इश्तिहार देते. एक बार अजय जो एनआरआई था का रिश्ता आया. जांचपड़ताल, मिलनेजुलने के बाद मुंबई निवासी अजय से राधिका की शादी तो होती है पर शादी की पहली रात ही राधिका को पता चलता है कि अजय को भयंकर चर्मरोग है जो उस की पीठ पर पूरी तरह फैल चुका है.

राधिका घबरा गई और कमरे से निकल आई. अजय के परिवार के सारे सदस्य इस बात से परिचित थे पर राधिका के नहीं. अगली सुबह जब राधिका के मातापिता को पता चला तो अपनी बेटी को अपने घर बुला लिया. बाद में यह रिश्ता आपसी सहमति से राधिका ने खुद तोड़ दिया. अब करीब 2 साल बाद राधिका ने अपनी पसंद के एक लड़के से शादी कर ली और खुश है मगर इस सब का प्रभाव राधिका की मां लता पर पड़ा. जब उन्हें दामाद के बारे में पता चला था तो उन्होंने डाक्टर से बात कर उस के रोग का पता लगाया पर पता चला कि ऐसे रोग सिर्फ जानवरों में होते हैं.

मनुष्यों में 1 हजार व्यक्तियों में सिर्फ 1 को होता है. यह लाइलाज है. इस का प्रभाव आने वाली पीढ़ी को भी हो सकता है. ऐसा सुनने पर इस रिश्ते को जोड़े रखना उचित नहीं था इसलिए तोड़ना पड़ा. इस का अर्थ यह है कि जब लगे कि शादी का यह रिश्ता अब आगे नहीं चल सकता तब उसे तोड़ देना ही बेहतर होता है. इस बारे में मुंबई की मैरिज काउंसलर कहती हैं कि शादी के रिश्ते को तोड़ने से पहले कुछ बातों की बारीकियों को अवश्य परख लें. द्य आत्म निरिक्षण करें, संबंधों को बढ़ाने की या उन में सुधार लाने की कोशिश करें. द्य शादी पूरी तरह से बिना शर्तों के स्वीकार होनी चाहिए.

सामने वाले की कमियों को स्वीकार कर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करें. द्य किसी प्रकार की जल्दबाजी न करें ताकि बाद में आप को रिश्ता टूटने का अफसोस न हो. द्य आप क्या सोच रहे हैं, क्या महसूस कर रहे हैं, इसे सामने वाले को बताएं. उसे बदलने का पूरा मौका दें. इस के बाद भी अगर कोई बदलाव न आए तो आप को अपनी जिंदगी कैसे बितानी है इस बारे में सोचें. आप को उसी दशा में जीना है या फिर नई जिंदगी शुरू करती है, अच्छी सोच लें. इस सब के दौरान आप को अपनेआप को भी सुधारना है. लेकिन अगर आप की शादी मंडप में ही टूट जाए तो भी आप घबराएं नहीं बल्कि यह सोचें कि जो हुआ है कुछ अच्छे के लिए ही हुआ है. उसे सकारात्मक रूप में लें. लंबी कानूनी प्रक्रिया बेटे के मातापिता को भी धीरज रखना चाहिए. उन्हें भी आगे कुछ और अच्छा सोचना है. समाज और धर्म की आड़ में न जाएं बल्कि अपने बेटे या बेटी के भविष्य की भलाई के बारे में सोचे क्योंकि अगर मातापिता बुरा सोचेंगे, उन का मानसिक संतुलन बिगड़ेगा तो बेटे या बेटी को भी डिप्रैशन होगा. बेटे या बेटी को मौरल सपोर्ट दें और शुक्रिया मनाएं कि शादी से पहले ही रिश्ता टूट गया. अगर शादी हो जाती तो लंबी कानूनी प्रक्रिया अपनानी होती. हिंदू विवाह करना आसान है, तोड़ना एक आफत है.

हिंदू विवाह औरतों के लिए बड़ी आफत है खासतौर पर जब तोड़ना हो. अपने एक अनुभव के बारे में एक काउंसलर बताते हैं कि एक उच्चवर्ग परिवार में ब्याही लड़की पर ससुराल पक्ष से बहुत अत्याचार होता था. उसे अपने मायके नहीं आने दिया जाता था. उसे कहीं बाहर जाने की भी मनाही थी. घरपरिवार का सारा काम उसे ही करना पड़ता था. ऐसे बनाएं खुशहाल जिंदगी बेटा इसलिए अपने मातापिता को कुछ नहीं कहता था क्योंकि वह अपने पिता के व्यवसाय पर आश्रित था. इस दौरान जब वह प्रैंगनैंट हुई तो लड़की के मातापिता ने बिना बताए उस का अबौर्शन करवा दिया. करीब डेढ़ साल तक लड़की इसे सहती रही पर जब बात नहीं बन पाई तो उस ने खुद तलाक दे दिया. तलाक लेने में तकलीफ तो हुई मगर 2 साल बाद उस की दोबारा शादी हो गई और आज वह खुशहाल जिंदगी बिता रही है. एक पतिपत्नी ने 20 साल की अपनी शादीशुदा जिंदगी और फिर दोनों ने दोबारा शादी कर ली क्योंकि दोनों ही आपस में सैक्सुअली संतुष्ट नहीं थे. इस बारे में एक अभिनेत्री का कहना है कि जब 12 साल बाद उस का तलाक हुआ तो सब लोगों ने उसे बड़ी घृणा भरी नजरों से देखा था. तलाक के समय उस की बेटी 5 वर्ष और बेटा 2 वर्ष का था.

उस ने पहले पति के साथ रहने की बहुत कोशिश की पर वे रह नहीं पाए. उन्हें लगा कि एकसाथ रह कर ?ागड़ने से अच्छा है वे अलग रहें. आज वे तलाक के बाद भी अच्छे दोस्त हैं. वह अभिनेत्री पूर्व पति की गर्लफ्रैंड और उस का बौयफ्रैंड चारों मिलते रहते हैं ताकि बच्चों के मातापिता को इकट्ठा देखने की आदत रहे. वे अलग हो कर खुश हैं. उन के बच्चे भी खुश हैं. जिंदगी का प्रैक्टिकल उसूल है कि वह काम करो जिस से खुशी मिले. अगर आप खुश रहोगे तो दूसरों को भी खुशी बांट सकते हो. यह बात हरेक को हमेशा याद रखनी चाहिए. ऐसी गलती न करें अगर किसी युवती या युवक ने कोई निश्चय लिया है तो जरूर सोचसम?ा कर लिया होगा. मातापिता को इस में कुछ नहीं कहना चाहिए.

पर अगर उसे कभी भी उन की जरूरत हो तो मातापिता हमेशा साथ रहें. तलाक को पाप मानने की गलती न करें. भारतीय समाज में तलाक को गलत नजरों से देखते हैं. तलाक का मतलब है युवती की जिंदगी खत्म. पर ऐसा नहीं होने दें. नई स्थिति में खुश रहें और पछताएं नहीं कि उठाया गय कदम गलत तो नहीं है. बच्चों को भी सब खुल कर बताएं क्योंकि दूसरे उन्हें बहुत कुछ बताएंगे ही. जो रिश्ता खुशी न दे सके उसे तोड़ देना ही अच्छा होता है मगर हां तोड़ने से पहले उसे बनाए रखने की भरपूर कोशिश की जानी चाहिए. विवाह लायक साथी औनलाइन परचेज की तरह नहीं मिलते कि कुछ बटन दबाए और डिलिवरी हो गई.

कोई अफसोस न कर खुश रहें और नई स्थिति में पुराने पति को कम से कम याद करें. दुखी या तनावग्रस्त हुए बिना सकारात्मक सोच बनाना बेहतर होता है. बड़ों का भी इस स्थिति में हमेशा साथ देना जरूरी होता है क्योंकि युवाओं की जिंदगी अपनी है इसे कैसे जीया जाना है इसे उन्हें सम?ाना जरूरी होता है. युवाओं के टूटे रिश्ते पर कोई रिग्रैट न हो, यह सब से बड़ी जरूरत है क्योंकि यही बाद में डिप्रैशन का कारण बनता है.

उधर कुआ इधर खाई : मां की मौत के बाद नीमा के साथ क्या हुआ

उधर कुआ इधर खाई : मां की मौत के बाद नीमा के साथ क्या हुआ

मां की मौत के बाद नीमा अकसर गुमसुम रहने लगी थी. उस की सौतेले पिता से कभी बनी नहीं. एक दिन एक अजीब घटना घट गई…

कुछ  दिनों से नीमा कालेज जाते समय अपनेआप को असहज महसूस कर रही थी क्योंकि

वह जब कौलेज जाती तो चौराहे पर खड़ा एक लड़का उसे गंदी नजरों से रोज घूरता रहता. यह रोज रोज की बात हो गई थी. नीमा परेशान रहने लगी. उस ने सौतेले पिता से इस बारे में कोई बात नहीं की.

नीमा की मां का कैंसर के कारण कुछ  समय पहले देहांत हो गया था. जीते जी नीमा

की मां ने अपनी बेटी को समाज में हो रहे अत्याचारों से लड़ने की और अपने को कैसे सुरक्षित रखें अच्छी तरह बता दिया था. वह घर की अकेली बेटी थी.  मां की मृत्यु के बाद नीमा चुपचुप रहने लगी. उस की सौतेले पिता से कभी बौंडिंग बनी ही नहीं. वह सब बातें अपने मन में ही रखती. एक दिन तो हद हो गई. कालेज जाते समय उस लड़के ने नीमा का दुपट्टा खींच कर उस का नाम जानने की कोशिश की.

नीमा उस लड़के के दुपट्टा खींचने से भड़क गई. आव देखा ना ताव और उसे एक थप्पड़ जड़ दिया. उस लड़के को नीमा से ऐसी उम्मीद नहीं थी. भीड़ इकट्ठी होने के डर से यह कह तुझे तो मैं देख लूंगा, वह लड़का वहां से नौ दो ग्यारहा हो गया.

नीमा ने मजबूरीवश इन सब बातों से

बचने के लिए अपना रास्ता बदल लिया. वह रास्ता भी उस के लिए ठीक नहीं था. वहां छोटे तबके के लोग रहते थे और उस रास्ते का डिस्टैंस भी ज्यादा था लेकिन फिर भी मरती क्या न करती. संध्या का समय था. नीमा के सौतेले पिता ने नीमा को पुकारा. नीमा के आने पर  उस से पूछा, ‘‘कालेज जाते समय आज तुम ने अपना रास्ता क्यों बदला?’’  नीमा ने आश्चर्य से कहा, ‘‘आप ने कैसे जाना?’’  ‘‘मैंने बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं. मैं बाज की नजर रखता हूं.’’

नीमा ने कहा, ‘‘वह क्या है एक लड़का

रोज रास्ते में मु?ो छेड़ कर परेशान करता था, इसलिए.’’

‘‘तो तुम ने यह कैसे सोच लिया कि रास्ता बदल लेने से प्रौब्लम दूर हो जाएगी? ऐसा नहीं है. जिधर से तुम गुजरोगी वह लड़का वहां भी तुम्हें छेड़ने से बाज नहीं आएगा. मु?ो बताना तो चाहिए था.’’

‘‘हां, आप की बात ठीक है पर मैं ने

अपने मन में विचार किया है कि कालेज के फाइनल ऐग्जाम खत्म होने जा रहे हैं. फिर

‘मैं किसी अच्छी कंपनी में जौब के लिए

आवेदन करती हूं, कुछ समय मैं घर में ही

रहूंगी. फिर न बजेगा बांस, न बजेगी बांसुरी,’’ नीमा ने कहा.

‘‘मैं तुम्हारे इस फैसले से सहमत हूं,’’ सौतेले बाप ने कहा,’’ घर की चीज घर में ही

रहे वही अच्छा है,’’ इतना कह उस के पिता ने नीमा को अपनी ओर खींचा और प्यार से गालों पर हाथ फेरा.

इस छुअन से नीमा को असहजता सी महसूस हुई. वह ठीक से सम?ा भी नहीं पाई थी कि नीमा के पिता ने इधरउधर हाथ लगाते हुए कहा, ‘‘जरा बताना, उस लड़के ने यहांवहां, कहांकहां छुआ?’’

नीमा को बहुत गुस्सा आया. वह सोच  भी नहीं सकती थी कि यह सौतेला पिता उसे  इस नजर से देखता है. नीमा ने आड़े हाथों लिया. और कहा, ‘‘आप एक पिता हैं, आप को ऐसा करते शर्म नहीं आती? क्यों अपना अंत बिगाड़ रहे हैं? आप तो आस्तीन के सांप निकले.’’ ‘‘पिता होना और पिता कहलाने में बहुत फर्क है समझा’’ नीमा को पिता में अचानक आया यह बदलाव अच्छा नहीं लगा. उस ने देखा उन की आंखों में वासना साफ झलक रही थी. नीमा की आंखों में कितने चित्र बनते बिगड़ते रहे. वह मन में सोचने

लगी कि उधर कुआं तो इधर खाई. इस समय नीमा को बाप कहलाने वाला यह व्यक्ति उस लड़के से ज्यादा खतरनाक लग रहा था. पिता कहलाने वाला यह बाप हैवानियत पर न उतर आए, नीमा उनका हाथ ?ाटक दूर हट कर खड़ी हो गई.

नीमा के मन में आया कि इस बाप कहलाने वाले व्यक्ति के मुंह पर थूके, लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया, ‘‘अगर इस जगह आप की अपनी बेटी होती तब? क्यों अपनी इज्जत मिट्टी में मिला रहे हैं. मेरी मां बीमार थीं मां को बेटी के भविष्य की चिंता थी.

‘‘उन्होंने संरक्षण के लिए आप से शादी की थी, जबकि आप उम्र में उन से काफी बड़े थे. देखा जाए तो मेरे नाना की उम्र के हैं आप. आप को यह सब करते लज्जा नहीं आई? अब मैं यहां रुकूंगी नहीं.’’ ‘‘भाग कर जाओगी कहां? तुम्हें लगता है कि तुम यहां से भाग जाओगी. उस  लड़के के पास,’’ सौतेले पिता ने कहा. ‘‘नहीं. यह आप की गलतफहमी है भागूंगी नहीं. मैं और यह मत सोचिए कि मैं डर गई. आप ने मु?ा पर गलत नजर डाली है.  आवाज उठाना मुझे आता है. बस मेरे एक फोन करने की देर है. फिर जेल की हवा खाते देर नहीं लगेगी सम?ो.’’

‘‘अरे बेटी… अरे बेटी…’’

‘‘बेटी मत कहो मुझे. आप की जबान

से बेटी शब्द सुनना अच्छा नहीं लग रहा.

आप की नजरों में रिश्तों की अहमियत ही

नहीं रही.’’

‘‘बेटी, तुम ने तो मेरी आंखें खोल दीं. मैं

तो बस यही देख रहा था कि तुम इस परिस्थिति

से कैसे मुकाबला करोगी. तुम अपनेआप में कितनी स्ट्रौंग हो.’’

‘‘अगरमगर मत करिए. आग बिना

धुआं नहीं उठता. मैं अभी पुलिस को फोन

करती हूं.’’

‘‘क्यों मेरी इज्जत मिट्टी में मिलाने

लगी हुई हो,’’ कह पिता ने नीमा के पैर पकड़

कर गिड़गिड़ाते हुए आगे कहा, ‘‘बेटी मु?ो

माफ कर दे, मेरे बुढ़ापे की लाठी तो तू ही है.

मैं स्वयं की बुराई को दूर कर अच्छाई को आत्मसात करूंगा… मैं न जाने क्यों इतना

विकृत हो गया जो तेरे पर गलत नजर डाली,’’ इतना कह पिता नीमा के पैरों पर सिर रख कर बिलख पड़ा.

एक और चुनावी ढोंग

नागरिकता संशोधन कानून को चुनावों से पहले लागू कर के भारतीय जनता पार्टी ने अपने कट्टर समर्थकों को बोलने का एक और मुद्दा दे दिया है. इस कानून से कुछ ज्यादा होगा इस में शक है क्योंकि हर सुविधा देने वाले कानून की तरह इस में भी सैकड़ों तरह के दस्तावेज मांगे गए हैं और जिस के पास भी अंतिम ठप्पा लगाने का हक होगा वह क्या कीमत वसूलेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता.

इस कानून की राजनीति में न जाते हुए यही देखें कि कोई औरत अफगानिस्तान, बंगलादेश, पाकिस्तान में पैदा हुई थी. वह हिंदू, बौद्ध या सिख थी और 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ गई थी, साबित करने के लिए कितने ही डौक्यूमैंट्स चाहिए. पहली बात तो यह साबित करनी होगी कि इन देशों की ही नागरिकता थी और किसी देश की नहीं. भारत में बाहर से आने वाले लोग तिब्बत, श्रीलंका, बर्मा, नेपाल, भूटान या और कहीं से भी हो सकते हैं. इस कानून का फायदा उठाना है तो इन 3 देशों का पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट, स्कूल सर्टिफिकेट, वहां की सरकार का कोई डौक्यूमैंट, जमीन के कागजात, किराएनामा आदि जरूरी होंगे.

अब जो छिप कर इन 3 देशों से या कहीं और से आया है, क्या भागते हुए इन डौक्यूमैंट्स को ले कर जंगलों, समुद्र, नदियों को पार कर रहा होगा? वह बर्फ, सूखे, पानी, भूख से सताया होगा. उस के कपडे़ फट चुके होंगे. उस को लूटा जा चुका होगा. वह कैसे यह दस्तावेज लाएगा. जिस का जन्म 2014 के बाद भारत में हुआ है, वह कैसे साबित करेगा कि जन्म भारत में हुआ? यह सब अफसरों की मरजी पर होगा.

देश के भीतरी हिस्सों में सदियों से गांवों में रह रहे लोगों के पास किसी तरह का डौक्यूमैंट नहीं होता. एक आग, एक बाढ़, एक दुर्घटना कितनों के सारे डौक्यूमैंट्स नष्ट कर देती है.

आज औरतों को कानूनी किताबों में बहुत से हक दिए गए हैं पर आज भी अकेली औरत के लिए अपना और अपने बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना एक टेढ़ा काम है खासतौर पर अगर वह गरीब है. पढ़ेलिखे घरों में कागजों को संभालने का काम पुरुषों का होता है. जहां पुरुष कहीं चला गया, मृत्यु हो गई, जेल भेज दिया गया, वे कागज कहां हैं, किसी को नहीं मालूम रहता.

यह कानून नया बन रहा था. कहने को सताए गए हिंदुओं को बचाने के लिए था. पर इन डौक्यूमैंट्स की जरूरत होगी तो कहां से आएंगे. ये ?ाठे बनेंगे. ये सच्चे हैं या नहीं कैसे पता चलेगा? पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बंगलादेश की सरकार तो कभी उन्हें चैक नहीं करेगी.

कानून बनाने का ढोंग कर के वाहवाही लूटना ऐसा ही है जैसे कैंसर होने पर महामृत्युंजय पाठ कर के उम्मीद करना कि सब भला होगा. जिन शातिर रिफ्यूजियों के पास कोई तरकीब थी वे तो कब के भारतीय नागरिक बन चुके होंगे. उन्हें कानून से फायदा न होगा. हां, जो पैसे वाले हिंदू इन देशों से हवाईजहाजों से आए थे, वे ही इस कानून का फायदा उठा सकते हैं पर उन्हें नागरिकता की जरूरत क्या है?

आज जिसे नागरिकता चाहिए वह अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर की चाहता है भारत की नागरिकता का शिगूफा तो सिर्फ मंत्र पढ़ने जैसा है.

Summer Special: गर्मियों में कैसे रखें अपनी त्वचा का ख्याल

धूल, गंदगी, सनबर्न, टैनिंग ये ऐसी दिक्कतें हैं जिन का सामना हर किसी को समर सीजन में करना ही पड़ता है, फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष. ऐसे में अपनी स्किन का खास खयाल रखना बहुत जरूरी हो जाता है. मार्केट में ऐसे बहुत से प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं जिन्हें अपने डेली रूटीन में शामिल करने से आप के फेस पर एक अलग ही चमक देखने को मिलेगी.

ये प्रोडक्ट्स कौनकौन से है, आइए जानते हैं: बैस्ट क्लींजिंग ब्रैंड बायोटिक बायो बेरीबेरी का हाइडे्रटिंग क्लींजर- इस से स्किन चमकदार, साफ, मुलायम और कोमल बनती है. इस का मार्केट प्राइस क्व210 है. इस में 120 एमएल क्लींजर होता है. प्लम क्लींजिंग लोशन- इस क्लींजिंग लोशन से स्किन चमकदार और सौफ्ट बनती है, साथ ही स्किन को पोषण भी मिलता है. इस की 200 एमएल बोतल की कीमत क्व370 है. वीएलएलसी सैंडल क्लींजिंग मिल्क- यह स्किन से गंदगी को साफ कर के उसे औयल फ्री बनाने में हैल्प करता है. इस की कीमत क्व205 है.

औक्सीग्लो ऐलोवेरा क्लींजिंग मिल्क- यह भी बैस्ट क्लींजर की लिस्ट में शामिल है, जो साइट्रस और ऐलोवेरा से मिल कर बना है. ऐलोवेरा से स्किन मौइस्चराइज और सौफ्ट होती है. साइट्रस स्किन को अंदर तक साफ करता है. इस की 120 एमएल वाली बोतल की कीमत क्व140 है. लोरियल पैरिस ग्लाइकोलिक ब्राइट फेस क्लींजर- इस का यूज कर के स्किन को ब्राइट, ग्लोइंग और हैल्दी बनाया जा सकता है. यह स्किन को डीप क्लीन कर के डार्क स्पौट्स को कम करता है. यह पिंपल्स जैसी प्रौब्लम से भी छुटकारा दिलाता है. इस की 100 एमएल की बोतल की कीमत क्व329 है. इन के अलावा कुछ और बहुत से बेहतरीन क्लीजिंग प्रौडक्ट्स मार्केट में उपलब्ध हैं. मौइस्चराइजर पौंड्स सुपर लाइट जैल मौइस्चराइजर: इस में नौनऔयली जैल फौर्मूला है. यह लाइटवेटेड है.

यह स्किन को 24 घंटे मौइस्चराइज रखता है. इस की कीमत क्व119 हैं. न्यूट्रोजेना औयल फ्री फेशियल मौइस्चराइजर: यह अल्कोहाल फ्री है, साथ ही ऐलर्जी टैस्टेड भी. इस की कीमत क्व367 है. बायोटिक बायो मौर्निंग नैक्टर सनस्क्रीन अल्ट्रा सूदिंग फेस लोशन: यह लोशन एसपीएफ 30 के साथ आता है. यह नैचुरल है. यह सनस्क्रीन का भी काम करता है. इस की 120 एमएल की बोतल की कीमत क्व148 है. लैकमे पीच मिल्क मौइस्चराइजर: यह बहुत लाइट होता है और एसपीएफ 24 के साथ आता है. यह मौइस्चराइजर स्किन में ऐब्जौर्ब हो जाता है. इसे लगाने के 12 घंटे बाद तक आप को दोबारा मौइस्चराइजर लगाने की जरूरत नहीं होती. इन के अलावा और भी कई मौइस्चराइजर मार्केट में उपलब्ध हैं. सनस्क्रीन ब्रिंटन यूवी डौक्स सनस्क्रीन लोशन: यह आप को यूवीए/यूवीबी किरणों से बचाता है.

इस की कीमत क्व1,080 है. न्यूट्रोजेना अल्ट्रा शीयर ड्राईटच सनब्लौक: यह एसपीएफ 50+ के साथ आता है. इस सनस्क्रीन में ड्राईटच फीचर एक मैट फिनिश देता है. यह सनस्क्रीन उम्र बढ़ने के संकेतों और धूप से होने वाले नुकसान को भी रोकने में हैल्प करता है. इस की कीमत क्व299 है. ला शील्ड सनस्क्रीन जैल: यह जैल बेस्ड सनस्क्रीन है. इस में यूवीए और यूवीबी फिल्टर शामिल हैं. यह एसपीएफ 50+ पीए+++ सुरक्षा की एक अच्छी रेंज प्रदान करता है. इस की कीमत क्व988 है. मामाअर्थ हाइड्राजेल इंडियन सनस्क्रीन: यह सनस्क्रीन एसपीएफ 50 और जैल बेस्ड फौर्मूला वाला है. यह स्किन को हाइड्रेट भी करता है.

इस की कीमत क्व399 है. इन के अलावा और भी बहुत से सनस्क्रीन मार्केट में उपलब्ध हैं. ये सभी समर्स ब्यूटी प्रौडक्ट्स किसी भी मैडिकल और कौस्मैटिक शोप पर आसानी से मिल जाएंगे. इस के अलावा ये औनलाइन भी उपलब्ध हैं.

द कपिल शर्मा शो पर इंडियन कैप्टन रोहित शर्मा ने अपनी पत्नी को लेकर कही ये बात

द ग्रेट इंडियन कपिल शो के दूसरे एपिसोड में इस बार डंडियन क्रिकेट टीम के कैप्टन रोहित शर्मा और खिलाड़ी श्रेयस अय्यर बतौर गेस्ट शामिल हुए. शो में रोहित की पत्नी रितिका सजदेह भी थी जो उनकी मैनेजर भी हैं.

मैनेजर की तरह काम करने पर रितिका ने भी अपने कई एक्सपीरियंस शेयर किए. शो में कपिल ने रोहित से एक सवाल पूछा कि क्या किसी खिलाड़ी की गर्लफ्रेंड के स्टेडियम में मौजूद होने पर किसी ने उनसे रिक्वेस्ट की है कि वह छक्के ना लगाएं.

इस सवाल के जवाब में रोहित ने कहा कि हां ऐसा हुआ है ऐसे में मैं उन खिलाड़ियों को कहता हूं कि जब तुम्हारी गर्लफ्रेंड वहां होती है तो मेरी पत्नी वहां मौजूद रहती है और पूरे मैच के दौरान फिंगर क्रॉस्ड करके रहती है. पत्नी उनके लिए ज्यादा जरूरी है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kapil Sharma (@kapilsharma)

शो पर रोहित की पत्नी से कपिल ने सवाल किया कि रोहित को किस तरह संभालना मुश्किल होता है पति की तरह या टीम के कैप्टन की तरह?

इस पर रितिका ने जवाब दिया कि बतौर पति और कैप्टन, उन्हें मैनेज करने के लिए उनके पास टीम है. मुझे कुछ नहीं करना पड़ता. इस पर रोहित ने तुरंत कहा कि रितिका ड्रेसिंग रूम में और फील्ड में नहीं आ सकती लेकिन मुझे घर जाना है और वहां पर रितिका कैप्टन हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kapil Sharma (@kapilsharma)

 

आंखों ही आंखों में अनी और झनक एक-दूसरे से कहेंगे अपने दिल का हाल, देखें Video

Jhanak Serial Update: झनक सीरियल के नए एपिसोड में अनी और झनक के बीच रोमांस दिखाया जाएगा. शो के आनेवाले एपिसोड में आप देखेंगे कि झनक के हाथ में चोट लगी हुई है और अनी उसे खुद अपने हाथों से खाना खिलाता है. शुरुआत में तो झनक अनी के हाथ से खाना खाने से मना कर देती है, लेकिन अपु दी जिद करती है और अनी भी कहता है, इसके बाद वो अनी के हाथों से खाने लगती है.

अनि झनक और अपु दी दोनों को अपने हाथों से खाना खिलाता है. दूसरी तरफ झनक अनि को भी खाने के लिए कहती है, ऐसे में अपु दी झनक को फोर्स करती है कि वो भी अनी को अपने हाथ से खाना खिलाए, इसके बाद झनक भी अपू दी के कहने पर शर्माते हुए अपने हाथ से खाना खा लेती है. दरअसल, इस समय परिवार के अन्य सदस्य घर पर नहीं होते हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by jhanak (@jhanak2424)

कुछ देर बाद परिवार के लोग घर लौटते हैं, इसके बाद बिपाशा अपू दी को बाहर से मंगाया हुआ खाना देने को मना करती है, क्योंकि वो उन्हें सूट नहीं करता और वो उसे खाने से बीमार हो सकती है. बड़ो मां को इस बात का बुरा लगता है और वह अनी के पापा को खरी-खोटी सुना देती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by jhanak (@jhanak2424)

 

इसके बाद अनी खाने की टेबल पर आता है, अर्शी भी वहां मौजूद होती है और उसकी बहन झनक से खाना खाने के लिए कहती है. फिर अपू दी आकर कहती हैं कि झनक ने भी खाना खा लिया है. लेकिन अर्शी को यह बात अच्छी नहीं लगती और और वह कहती है कि झनक को किसने खाना खिलाया. तभी अनी आ जाता है और कहता है कि मैंने झनक को खाना खिला दिया है. अर्शी के साथ अनी के इस तरह से बात करने पर उसे बहुत बुरा लगता है और वह हैरान रह जाती है. अब फैंस को उस समय का इंतज़ार है जब अनी बासु परिवार के सामने अपने प्यार का इज़हार करेगा.

अपने डिनर को बनाएं खास, ट्राई करें ये टेस्टी रेसिपीज

अक्सर हम लोग घर में खाना बनाने के समय कंफ्यूज हो जाते हैं कि खाने में क्या बनाया जाए, आपकी इसी उलझन को सुलझाने के  लिए शेयर कर रहे हैं कुछ टेस्टी रेसिपीज.

कड़ाही पनीर

सामग्री

  • 20 ग्राम बटर
  •  2 ग्राम क्रश की साबूत लालमिर्च
  •  2 ग्राम क्रश किया हुआ साबूत धनिया
  •  15 ग्राम चौकोर टुकड़ों में हरी शिमलामिर्च कटा
  •  15 ग्राम चौकोर टुकड़ों में कटे हुए प्याज
  • द्य 15 ग्राम चौकोर टुकड़ों में कटे हुए टमाटर
  •  50 ग्राम लबाबदार मसाला
  •  50 ग्राम मखनी ग्रेवी
  •  180 ग्राम कौटेज चीज टुकड़ों में कटा
  •  3 ग्राम कसूरीमेथी पाउडर
  •  5 ग्राम देगीमिर्च पाउडर
  • द्य थोड़ा सा गरममसाला
  •  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी
  •  थोड़ा सा लैमन जूस
  • नमक स्वादानुसार

विधि

पैन में बटर गरम कर उस में क्रश की साबूत लालमिर्च, साबूत धनिया डाल कर चटकाएं. फिर इस में प्याज, टमाटर और शिमलामिर्च डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. अब इस में लबाबदार मसाला, मखनी ग्रेवी और सारे बचे हुए मसाले डाल कर मिलाते हुए थोड़ा पकाएं. आखिर में कौटेज चीज के साथ ऊपर से लेमन जूस और गरम मसाला डालकर धनियापत्ती से गार्निश कर के स्टीम्ड राइस या नान के साथ सर्व करें.

सब्ज पुदीना पुलाव

सामग्री

  1.  60 ग्राम कटी गाजर द्य 80 ग्राम बींस कटी
  2.  40 ग्राम फ्रोजन मटर द्य 30 ग्राम ब्लैंचड फूलगोभी द्य 5 ग्राम कटा हुआ पुदीना द्य 10 ग्राम अदरक कद्दूकस किया द्य 10 ग्राम हरीमिर्च कटी
  3.  5 ग्राम जीरा द्य 50 ग्राम देशी घी द्य 20 ग्राम रिच क्रीम द्य 5 ग्राम हींग द्य 30 ग्राम ब्राउन ग्रेवी
  4. द्य थोड़ा सी धनियापत्ती कटी द्य 15 ग्राम प्याज भुना द्य 300 ग्राम बिरयानी राइस द्य 60 मिलीलीटर बिरयानी ?ोल द्य थोड़ा सा केवरा वाटर.

विधि

पैन में तेल डाल कर उस में उबली सब्जियों को डाल कर उस में सारे सूखे मसालों के साथ पुदीना, अदरक, प्याज, केवरा वाटर और देशी घी ऐड करें. फिर इस मिक्स्चर पर पके बिरयानी राइस डाल कर 2-3 मिनट तक ढक कर पकाएं और फिर प्याज, पुदीना और अदरक के टुकड़ों से सजा कर रायते के साथ गरमगरम सर्व करें.

  • सामग्री बिरयानी ?ोल की
  •  100 ग्राम रिच क्रीम द्य 10 ग्राम देशी घी
  •  15 ग्राम बटर द्य 2 ग्राम छोटी इलायची का पाउडर द्य 2 ग्राम खस की जड़ का पाउडर
  •  1 ग्राम जावित्री पाउडर द्य 3 मिलीलीटर रोजवाटर द्य 3 मिलीलीटर रोह केवरा वाटर
  •  5 ग्राम पीली मिर्च का पाउडर द्य 5 मिलीलीटर लैमन जूस द्य थोड़ी पुदीनापत्ती कटी द्य 5 ग्राम अदरक कटा द्य थोड़े से तेजपत्ते द्य 2 ग्राम साबूत छोटी हरी इलायची द्य थोड़ी सी दालचीनी
  •  1 ग्राम लौंग द्य 1 ग्राम साबूत जावित्री द्य 2 ग्राम साबूत काली इलाइची द्य 50 मिलीलीटर पानी
  •  नमक स्वादानुसार.

विधि

पैन में औयल गरम कर के उस में सारे साबुत मसाले डाल कर चटकाएं. फिर क्रीम, पानी और बाकी बची सामग्री डाल कर तब तक पकाएं जब तक पानी कम हो कर क्रीमी टैक्स्चर में न आ जाए. बिरयानी ? तेल तैयार है.

तरकारी बिरयानी

सामग्री

  •  20 ग्राम गाजर चौकोर टुकड़ों में कटी
  •  20 ग्राम बींस कटी द्य 20 ग्राम आलू चौकोर टुकड़ों में कटे द्य 75 ग्राम दही द्य थोड़ा सा अदरक व लहसुन का पेस्ट द्य 5 ग्राम हलदी पाउडर
  • द्य 10 ग्राम देगी लालमिर्च द्य थोड़ा सा लैमन जूस
  • द्य थोड़ा सा गरममसाला द्य थोड़ी सी पुदीनापत्ती व धनियापत्ती कटी द्य 10 ग्राम शाही जीरा द्य थोड़ा सा केसर द्य 1 मिलीलीटर केवड़ा द्य 15 ग्राम घी
  • द्य 150 ग्राम बासमती राइस द्य 10 ग्राम प्याज भुना
  • द्य 10 ग्राम इलायची पाउडर द्य नमक स्वादानुसार.

बनाने की विधि

सब्जियों को डायमंड शेप में काट कर औयल में थोड़ा भूनें. फिर इन में चावल, केवड़ा, इलायची पाउडर, धनिया पुदीनापत्ती और गरममसाला छोड़ कर बाकी बचे सारे मसाले डाल कर तीनचौथाई होने तक पकने के लिए छोड़ दें. फिर अलग से पैन में थोड़ा घी डाल कर उस में जीरा, अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर थोड़ा भूनते हुए उस में बासमती राइस में पानी डाल कर पकाएं. फिर राइस को वैजिटेबल मसाले पर डाल कर ऊपर से घी, केसर का पानी, भुना प्याज, केवड़ा, धनियापत्ती व गरममसाला डाल कर सील कर के  दम बासमती राइस को कुछ मिनट और पकाएं फिर गरमगरम सर्व करें.

कहानी लव स्टोरी की: जिंदगी के खट्टेमीठे पलों को याद करती रेणु

उम्र की परिपक्वता की ढलान पर खड़ी रेणु पार्क में अपनी शाम की सैर खत्म कर के बैंच पर बैठी सुस्ता रही थी. पास वाली बैंच पर कुछ लड़कियां बैठी गपशप कर रही थीं. वे शायद एक ही कालेज में पढ़ती थीं और अगले दिन की क्लास बंक करने की योजना बना रही थीं. उन की बातों को सुन कर रेणु के चेहरे पर एक चंचल सी मुसकान दौड़ गई. उसे उन की बातों में कहीं अपना अतीत झलकता सा लगा.

अपनी जिंदगी की कहानी के खट्टेमीठे पलों को याद करती रेणु कब पार्क की सैर से निकल कर अतीत की सैर पर चल पड़ी, उसे पता ही नहीं चला. अतीत के इस पन्ने पर लिखी थी करीब 30 साल पुरानी वह कहानी जब रेणु नईनई कालेज गई थी. अभी ग्रैजुएशन के पहले साल में थी. पहली बार आजादी का थोड़ा सा स्वाद चखने को मिला था वरना स्कूल तो घर के इतने पास था कि जोर से छींक भी दो तो आवाज घर पहुंच जाती थी.

घर से कौलेज पहुंचने में रेणु को बस से करीब 40-45 मिनट लगते थे. वह खुश थी कि कालेज घर से थोड़ी तो दूर है. रेणु के महल्लेपड़ोस की ज्यादातर लड़कियां इसी कालेज में आती थीं, इसलिए किसी भी शरारत को छिपाना तो अब भी आसान नहीं था. सब को राजदार बनाना पड़ता था.

महरौली के निम्न मध्यवर्गीय परिवार में पलीबढ़ी रेणु के घर का रहनसहन काफी कुछ गांव जैसा ही था. दरअसल, रेणु के जैसी पारिवारिक स्थिति वाले लोग एक दोहरी कल्चरल स्टैंडिंग के बीच ? झेलते रहते थे. एक ओर पढ़ी-लिखी नई पीढ़ी अपने को महानगरीय सभ्यता के नजदीक पाकर उस ओर खिंचती थी, तो दूसरी ओर कम पढ़ी-लिखी पिछली पीढ़ी अपनी प्राचीन नैतिकता की जंजीर उनके

पैरों में डाल देती थी. सगे रिश्तों के अलावा ढेर सारे मुंह बोले रिश्ते जहां पुरानी पीढ़ी का सरमाया होते थे, वहीं नई पीढ़ी के लिए अनचाही रवायत. हर बात पर घर वालों के साथसाथ महल्लेपड़ोस की भी रोकटोक

के बीच नई पीढ़ी को 1-1 कदम ऐसे फूंकफूंक कर रखना पड़ता था जैसे लैंड माइंस बिछी हों.

‘‘2 साल पहले ही रेणु के बड़े भाई

की शादी हुई थी और अभी 2 दिन पहले ही वह एक प्यारे से गोलमटोल भतीजे की बूआ बनी थी. यह बच्चा नई पीढ़ी का पहला नौनिहाल था. घर में बहुत ही खुशी का माहौल था.

रेणु के बुआ बनने की खुशखबरी जब उस की सहेलियों तक पहुंची तो सब ने उस से पार्टी के तौर पर नई फिल्म ‘लव स्टोरी’ दिखाने का आग्रह किया. रेणु के लिए सब

के टिकट का इंतजाम करना इतना मुश्किल नहीं था जितना कि सहेलियों के साथ पिक्चर देखना, अम्मां से इजाजत लेना. रेणु आज

तक अपनी अम्मां को यह तो सम?ा नहीं सकी थी कि पिक्चर देखने का मतलब लड़की का हाथ से निकल जाना या बिगड़ जाना नहीं होता. ऐसे में अम्मां उसे सहेलियों के साथ पिक्चर देखने की इजाजत देने से पहले तो उस का कालेज जाना बंद करवा देगी और कहेगी,

‘‘घर बैठ कर घर के कामकाज सीख ले, कोई जरूरत नहीं है कालेज जाने की, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी.’’

रेणु सोच रही थी कि कोई तिगड़म तो भिड़ानी ही पड़ेगी वरना इतने सालों में

जो एक निर्भीक लड़की की छवि सहेलियों के बीच बनाई थी उस की तो इतिश्री हो जाएगी. उस ने सोचा क्यों न अम्मां के बजाय बड़े भाई से पूछ लूं. वैसे तो रेणु की आजादी के मामले में वह अम्मां से भी दो कदम आगे था लेकिन आजकल स्थिति थोड़ी अलग थी. उस ने नयानया बाप का स्वाद चखा था, सो आजकल उस खुशी के नशे में रहता था. रेणु ने सोचा कि जब वह नवजात के साथ होगा, तब वह बात करेगी. फिर कुछ सहारा तो भाभी भी लगा देंगी. वैसे भी जब से उन्होंने बेटे को जन्म दिया है तब से उन की बात की खास महत्ता हो गई है पूरे परिवार में.

अगले दिन जब रेणु ने अपनी रिकवैस्ट को नरमनरम शब्दों के तौलिए में लपेट कर उस पर माहौल की खुशी का इत्र छिड़क कर बड़े भाई के सामने पेश किया तो पता नहीं ये रेणु के शब्दों का जादू था या भाई के पिता बनने का असर या यह कि उस के भाई ने न केवल इजाजत दे दी बल्कि अपनी जेब से पैसे निकालते हुए पूछा. ‘‘कितनी सहेलियां जाएंगी?’’

‘‘5,’’ रेणु खुशी से उछल कर बोली.

‘‘ठीक है, छोटे भाई के साथ जाना,’’ कह कर वह रेणु के खुशी के उबाल पर ठंडे पानी के छींटे मारकर चलता बना.

अब समस्या थी कि छोटे भाई का

पत्ता कैसे काटें? रेणु ने छोटे भाई को सारी बात बता कर उसे कल के 6 टिकट लाने

को कहा.

यह सुनते ही वह उबल पड़ा, ‘‘पागल है क्या, मैं भला तेरे और तेरी सहेलियों के साथ फिल्म देखने क्यों जाऊंगा?’’

रेणु अपनी खुशी छिपाते हुए रोआंसे स्वर में बोली, ‘‘ठीक है, फिर हम सब अकेली चली जाएंगी पर तू बड़े भाई को

मत बताना.’’

‘‘ठीक है तू भी मत बताना कि मैं तेरे साथ नहीं गया और हां मेरे टिकट के पैसे तो दे दे जो भाई ने दिए थे.’’

पैसे ले कर छोटा भाई भी मस्त हो गया. मेहनत मेरी पर फल उसे भी मिल गया था.

रेणु को लगा कि चलो अपना काम

तो हो गया. छोटे भाई का पत्ता खुद ही कट गया. उस ने तुरंत अपनी सहेलियों को फोन किया.

‘‘कल 12 से 3 का शो पक्का. हमें अपना लंच के बाद की 2 क्लासेज मिस करनी होंगी.’’

इस में भला किसे मुश्किल होनी थी? उन्हें तो बस कालेज से लौटने के टाइम तक घर लौटना था.

अगले दिन सही वक्त पर सब सहेलियां सिनेमाहौल पहुंच गईं.

रोमांटिक फिल्म थी, तो सभी लड़कियां जमीन से 2-3 इंच ऊपर ही चल रही थीं. फिल्म समय पर शुरू हो गई. कुमार गौरव के साथ विजयेता पंडित तो हमें सिर्फ 2-4 सीन में ही दिखाई दीं वरना तो परदे पर ज्यादातर हर लड़की खुद को कुमार गौरव के साथ

देख रही थी और सपनों के हिंडोले में ल रही थी.

मध्यांतर में रेणु वाशरूम गई. वह वाशरूम से निकल कर वाशबेसिन में हाथ धो रही थी कि शीशे में उस की नजर अपने पीछे खड़ी आशा दीदी पर पड़ी.

आशा दीदी, रेणु के पड़ोस में रहने वाले उस के मुंह बोले मामा की बेटी थी.

‘‘मुंह बोले क्यों.’’

‘‘अरे भई वे अम्मा के गांव के थे न इसीलिए.’’

अच्छा कालेज के टाइम में, क्लास छोड़ कर, घर वालों से छिप कर फिल्म देखी जा रही है. जरा पहुंचने दे मु?ो घर ऐसा बम फोड़ूंगी कि नानी याद आ जाएगी,’’ आशा दीदी तो चुप थीं पर जैसी उन की आंखें कह रही हों.

यह 80 के दशक की बात है, जब किसी लड़की का स्कूलकालेज के टाइम पर सिनेमाहौल में पाया जाना किसी गंभीर अपराध से कम नहीं था. रेणु के पड़ोस की एक लड़की की इसी

जुर्म के लिए आननफानन में शादी कर दी गई

थी. यह खबर महल्ले में फैले कि लड़की

कालेज के समय में फिल्म देखते हुए पकड़ी

गई, उस से पहले ही लड़की को विदा कर दिया गया था.

अब ऐसी स्थिति में रेणु की हालत खराब होना तो लाजिम था. वह चाह रही थी कि चाहे डांट कर ही सही, लेकिन आशा दीदी पूछ तो ले कि मैं कालेज के टाइम में यहां क्यों हूं ताकि मैं बता सकूं कि मैं घर वालों से इजाजत ले कर आई हूं. अब बिना पूछे कैसे बताऊं.

लेकिन आशा दीदी थी कि उस की गुस्से से भरी आंखें तो बोल रही थीं, लेकिन जबान पर ताला पड़ा था.

आखिर रेणु ने खुद ही इधरउधर की बातें शुरू कीं, ‘‘नमस्ते दीदी, कैसी

हो? जीजाजी कैसे हैं?’’

‘‘सब ठीक,’’ एक छोटा सा जवाब जबान से आया लेकिन गुस्से से भरी आंखें कह रही थीं कि हिम्मत तो देखो इस छोरी की, कालेज से भाग कर यहां लव स्टोरी देखी जा रही है और हाल पूछ रही है मेरे. हाल तो मैं तेरे पूछूंगी, तेरी यह हरकत सब को बताने के बाद.

इधर रेणु की पिक्चर शुरू होने वाली थी उधर दीदी थी कि पूछ ही नहीं रही थी.

उसे पूरा भरोसा था कि अगर दीदी बिना पूछे चली गई तो रेणु के घर पहुंचने से पहले तो दीदी पूरे महल्ले में पोस्टर लगवा चुकी होंगी. फिर भला इजाजत ले कर जाने की बात बताने का भी क्या फायदा होगा. लेकिन बिना पूछे बताए भी कैसे. रेणु अजीब कशमकश में थी.

तभी उस ने देखा कि दीदी तो अंदर की ओर जा रही हैं.

अब रेणु क्या करे, बिना बताए भला कैसे जाने दे, सो वह दौड़ कर दीदी के सामने जा खड़ी हुई और बोली, ‘‘दीदी आप को खुशखबरी पता है न? मैं बूआ बन गई हूं.’’

‘‘पता है,’’ कह कर दीदी हलका सा मुसकराई और फिर चल दी.

रेणु भी बिना पूछे अपनी सफाई देती हुई पीछेपीछे चलते हुए बोली, ‘‘हां दीदी, इसी खुशी में तो मैं अपनी सहेलियों को पार्टी दे रही हूं.’’

‘‘पार्टी, यहां सिनेमाहौल में,’’ दीदी ठसके से बोलीं, ‘‘अभी घर जा कर तेरी अम्मां को सब बताती हूं, तेरी सारी पार्टी निकालती हूं,’’ दीदी का लावा फूटा.

‘‘अरे नहीं दीदी, मैं तो घर वालों से पूछ कर आई हूं. भतीजा आने की खुशी में घर वालों ने इजाजत दी है,’’ रेणु सफाई देते हुए बोली.

‘‘अच्छा, घर वालों से पूछ कर वह भी कालेज के टाइम में, हां…’’ आंखें मटकाते हुए दीदी ने सीधा वार किया.

‘‘अरे दीदी, वह मेरी लंच के बाद आज कोई क्लास नहीं थी न इसलिए आज का प्लान बनाया था.’’

‘‘अच्छा, दीदी ने संदेहात्मक दृष्टि से इधर उधर नजर घुमाई, जैसे किसी के वहां होने की उन्हें पूरी उम्मीद है.

‘अब मैं दीदी को कैसे विश्वास दिलाऊं,’ रेणु ने सोचा. ये तो घर जा कर चुप रहने से रहीं.

तभी उस ने अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया, मुड़ कर देखा तो उस का छोटा भाई था.

वह नकली चिंता जताते हुए बोला, ‘‘अरे रेणु तू यहां क्या कर रही है, मैं अंदर कब से तेरा इंतजार कर रहा था. पिक्चर निकल जाएगी भई. जल्दी कर. फिर दीदी की ओर एक नजर देख कर बोला, ‘‘नमस्ते दीदी, कैसी हो?’’

‘‘बिलकुल ठीक. अच्छा तू भी आया है? चलो फिर तुम पिक्चर देखो मैं चलती हूं,’’ कह कर दीदी चल दीं.

रेणु की सांस में सांस आई. वह भाई से बोली, ‘‘तूं यहां कैसे?’’

भाई ने बताया, ‘‘तेरी मेहरबानी से मु?ो भी टिकट के पैसे तो मिल ही गए थे, तो मैं भी अपने दोस्तों के साथ पिक्चर देखने आ गया. यहां देखा तो तेरी क्लास लगी हुई थी,’’ फिर शरारत से मुसकरा कर बोला, ‘‘चल सम?ा ले कि मैं ने तेरा एहसान उतार दिया. तूने मेरे लिए टिकट के पैसों का इंतजाम किया और मैं ने तु?ो दीदी से बचाया. हिसाब बराबर,’’ दोनों का ठहाका सिनेमाहौल में गूंज उठा.

तभ रेणु का मोबाइल फोन बज उठा और वह अतीत की टाइम मशीन से निकल कर

तुरंत पार्क की बैंच पर पहुंच गई. रेणु ने फोन उठाया.  उस की बेटी नीरा का फोन था.

‘हैलो मम्मा, मैं आज घर देर से आऊंगी. फ्रैंड्स के साथ मूवी देखने जा रही हूं,’’ कालेज में ऐक्सट्रा क्लासेज के बाद नीरा ने फोन किया था.

‘‘ओके बेटा,’’ कह कर रेणु ने फोन रख दिया और वह घर की ओर चल पड़ी. रास्ते मे कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था, इसलिए वह अंधेरा होने से पहले घर पहुंच जाना चाहती थी.

जिन रास्तों पर वह जिंदगीभर चली थी, अब वे रास्ते लोगों को लंबे लगने लगे थे और सरकार द्वारा उन पर फ्लाईओवर बना कर उन्हें किसी तरह छोटा किया जा रहा था. रेणु सोच रही थी कि क्या ये फ्लाईओवर सिर्फ सड़कों पर ही बने हैं? जिंदगी की राहों पर भी तो हर कदम पर फ्लाईओवर बन गए हैं.                         द्य

उम्र की परिपक्वता की ढलान पर खड़ी रेणु पार्क में अपनी शाम की सैर खत्म कर के बैंच पर बैठी सुस्ता रही थी. पास वाली बैंच पर कुछ लड़कियां बैठी गपशप कर रही थीं. वे शायद एक ही कालेज में पढ़ती थीं और अगले दिन की क्लास बंक करने की योजना बना रही थीं. उन की बातों को सुन कर रेणु के चेहरे पर एक चंचल सी मुसकान दौड़ गई. उसे उन की बातों में कहीं अपना अतीत ?ालकता सा लगा.

अपनी जिंदगी की कहानी के खट्टेमीठे पलों को याद करती रेणु कब पार्क की सैर से निकल कर अतीत की सैर पर चल पड़ी, उसे पता ही नहीं चला. अतीत के इस पन्ने पर लिखी थी करीब 30 साल पुरानी वह कहानी जब रेणु नईनई कालेज गई थी. अभी ग्रैजुएशन के पहले साल में थी. पहली बार आजादी का थोड़ा सा स्वाद चखने को मिला था वरना स्कूल तो घर के इतने पास था कि जोर से छींक भी दो तो आवाज घर पहुंच जाती थी.

घर से कालेज पहुंचने में रेणु को बस से करीब 40-45 मिनट लगते थे. वह खुश थी कि कालेज घर से थोड़ी तो दूर है. रेणु के महल्लेपड़ोस की ज्यादातर लड़कियां इसी कालेज में आती थीं, इसलिए किसी भी शरारत को छिपाना तो अब भी आसान नहीं था. सब को राजदार बनाना पड़ता था.

महरौली के निम्न मध्यवर्गीय परिवार में पलीबढ़ी रेणु के घर का रहनसहन काफी कुछ गांव जैसा ही था. दरअसल, रेणु के जैसी पारिवारिक स्थिति वाले लोग एक दोहरी कल्चरल स्टैंडिंग के बीच ?ालते रहते थे. एक ओर पढ़ीलिखी नई पीढ़ी अपने को महानगरीय सभ्यता के नजदीक पा कर उस ओर खिंचती थी, तो दूसरी ओर कम पढ़ीलिखी पिछली पीढ़ी अपनी प्राचीन नैतिकता की जंजीर उन के

पैरों में डाल देती थी. सगे रिश्तों के अलावा ढेर सारे मुंह बोले रिश्ते जहां पुरानी पीढ़ी का सरमाया होते थे, वहीं नई पीढ़ी के लिए अनचाही रवायत. हर बात पर घर वालों के साथसाथ महल्लेपड़ोस की भी रोकटोक

के बीच नई पीढ़ी को 1-1 कदम ऐसे फूंकफूंक कर रखना पड़ता था जैसे लैंड माइंस बिछी हों.

‘‘2 साल पहले ही रेणु के बड़े भाई

की शादी हुई थी और अभी 2 दिन पहले ही वह एक प्यारे से गोलमटोल भतीजे की बूआ बनी थी. यह बच्चा नई पीढ़ी का पहला नौनिहाल था. घर में बहुत ही खुशी का माहौल था.

रेणु के बुआ बनने की खुशखबरी जब उस की सहेलियों तक पहुंची तो सब ने उस से पार्टी के तौर पर नई फिल्म ‘लव स्टोरी’ दिखाने का आग्रह किया. रेणु के लिए सब

के टिकट का इंतजाम करना इतना मुश्किल नहीं था जितना कि सहेलियों के साथ पिक्चर देखना, अम्मां से इजाजत लेना. रेणु आज

तक अपनी अम्मां को यह तो सम?ा नहीं सकी थी कि पिक्चर देखने का मतलब लड़की का हाथ से निकल जाना या बिगड़ जाना नहीं होता. ऐसे में अम्मां उसे सहेलियों के साथ पिक्चर देखने की इजाजत देने से पहले तो उस का कालेज जाना बंद करवा देगी और कहेगी,

‘‘घर बैठ कर घर के कामकाज सीख ले, कोई जरूरत नहीं है कालेज जाने की, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी.’’

रेणु सोच रही थी कि कोई तिगड़म तो भिड़ानी ही पड़ेगी वरना इतने सालों में

जो एक निर्भीक लड़की की छवि सहेलियों के बीच बनाई थी उस की तो इतिश्री हो जाएगी. उस ने सोचा क्यों न अम्मां के बजाय बड़े भाई से पूछ लूं. वैसे तो रेणु की आजादी के मामले में वह अम्मां से भी दो कदम आगे था लेकिन आजकल स्थिति थोड़ी अलग थी. उस ने नयानया बाप का स्वाद चखा था, सो आजकल उस खुशी के नशे में रहता था. रेणु ने सोचा कि जब वह नवजात के साथ होगा, तब वह बात करेगी. फिर कुछ सहारा तो भाभी भी लगा देंगी. वैसे भी जब से उन्होंने बेटे को जन्म दिया है तब से उन की बात की खास महत्ता हो गई है पूरे परिवार में.

अगले दिन जब रेणु ने अपनी रिकवैस्ट को नरमनरम शब्दों के तौलिए में लपेट कर उस पर माहौल की खुशी का इत्र छिड़क कर बड़े भाई के सामने पेश किया तो पता नहीं ये रेणु के शब्दों का जादू था या भाई के पिता बनने का असर या यह कि उस के भाई ने न केवल इजाजत दे दी बल्कि अपनी जेब से पैसे निकालते हुए पूछा. ‘‘कितनी सहेलियां जाएंगी?’’

‘‘5,’’ रेणु खुशी से उछल कर बोली.

‘‘ठीक है, छोटे भाई के साथ जाना,’’ कह कर वह रेणु के खुशी के उबाल पर ठंडे पानी के छींटे मारकर चलता बना.

अब समस्या थी कि छोटे भाई का

पत्ता कैसे काटें? रेणु ने छोटे भाई को सारी बात बता कर उसे कल के 6 टिकट लाने

को कहा.

यह सुनते ही वह उबल पड़ा, ‘‘पागल है क्या, मैं भला तेरे और तेरी सहेलियों के साथ फिल्म देखने क्यों जाऊंगा?’’

रेणु अपनी खुशी छिपाते हुए रोआंसे स्वर में बोली, ‘‘ठीक है, फिर हम सब अकेली चली जाएंगी पर तू बड़े भाई को

मत बताना.’’

‘‘ठीक है तू भी मत बताना कि मैं तेरे साथ नहीं गया और हां मेरे टिकट के पैसे तो दे दे जो भाई ने दिए थे.’’

पैसे ले कर छोटा भाई भी मस्त हो गया. मेहनत मेरी पर फल उसे भी मिल गया था.

रेणु को लगा कि चलो अपना काम

तो हो गया. छोटे भाई का पत्ता खुद ही कट गया. उस ने तुरंत अपनी सहेलियों को फोन किया.

‘‘कल 12 से 3 का शो पक्का. हमें अपना लंच के बाद की 2 क्लासेज मिस करनी होंगी.’’

इस में भला किसे मुश्किल होनी थी? उन्हें तो बस कालेज से लौटने के टाइम तक घर लौटना था.

अगले दिन सही वक्त पर सब सहेलियां सिनेमाहौल पहुंच गईं.

रोमांटिक फिल्म थी, तो सभी लड़कियां जमीन से 2-3 इंच ऊपर ही चल रही थीं. फिल्म समय पर शुरू हो गई. कुमार गौरव के साथ विजयेता पंडित तो हमें सिर्फ 2-4 सीन में ही दिखाई दीं वरना तो परदे पर ज्यादातर हर लड़की खुद को कुमार गौरव के साथ

देख रही थी और सपनों के हिंडोले में ?ाल रही थी.

मध्यांतर में रेणु वाशरूम गई. वह वाशरूम से निकल कर वाशबेसिन में हाथ धो रही थी कि शीशे में उस की नजर अपने पीछे खड़ी आशा दीदी पर पड़ी.

आशा दीदी, रेणु के पड़ोस में रहने वाले उस के मुंह बोले मामा की बेटी थी.

‘‘मुंह बोले क्यों.’’

‘‘अरे भई वे अम्मा के गांव के थे न इसीलिए.’’

अच्छा कालेज के टाइम में, क्लास छोड़ कर, घर वालों से छिप कर फिल्म देखी जा रही है. जरा पहुंचने दे मु?ो घर ऐसा बम फोड़ूंगी कि नानी याद आ जाएगी,’’ आशा दीदी तो चुप थीं पर जैसी उन की आंखें कह रही हों.

यह 80 के दशक की बात है, जब किसी लड़की का स्कूलकालेज के टाइम पर सिनेमाहौल में पाया जाना किसी गंभीर अपराध से कम नहीं था. रेणु के पड़ोस की एक लड़की की इसी

जुर्म के लिए आननफानन में शादी कर दी गई

थी. यह खबर महल्ले में फैले कि लड़की

कालेज के समय में फिल्म देखते हुए पकड़ी

गई, उस से पहले ही लड़की को विदा कर दिया गया था.

अब ऐसी स्थिति में रेणु की हालत खराब होना तो लाजिम था. वह चाह रही थी कि चाहे डांट कर ही सही, लेकिन आशा दीदी पूछ तो ले कि मैं कालेज के टाइम में यहां क्यों हूं ताकि मैं बता सकूं कि मैं घर वालों से इजाजत ले कर आई हूं. अब बिना पूछे कैसे बताऊं.

लेकिन आशा दीदी थी कि उस की गुस्से से भरी आंखें तो बोल रही थीं, लेकिन जबान पर ताला पड़ा था.

आखिर रेणु ने खुद ही इधरउधर की बातें शुरू कीं, ‘‘नमस्ते दीदी, कैसी

हो? जीजाजी कैसे हैं?’’

‘‘सब ठीक,’’ एक छोटा सा जवाब जबान से आया लेकिन गुस्से से भरी आंखें कह रही थीं कि हिम्मत तो देखो इस छोरी की, कालेज से भाग कर यहां लव स्टोरी देखी जा रही है और हाल पूछ रही है मेरे. हाल तो मैं तेरे पूछूंगी, तेरी यह हरकत सब को बताने के बाद.

इधर रेणु की पिक्चर शुरू होने वाली थी उधर दीदी थी कि पूछ ही नहीं रही थी.

उसे पूरा भरोसा था कि अगर दीदी बिना पूछे चली गई तो रेणु के घर पहुंचने से पहले तो दीदी पूरे महल्ले में पोस्टर लगवा चुकी होंगी. फिर भला इजाजत ले कर जाने की बात बताने का भी क्या फायदा होगा. लेकिन बिना पूछे बताए भी कैसे. रेणु अजीब कशमकश में थी.

तभी उस ने देखा कि दीदी तो अंदर की ओर जा रही हैं.

अब रेणु क्या करे, बिना बताए भला कैसे जाने दे, सो वह दौड़ कर दीदी के सामने जा खड़ी हुई और बोली, ‘‘दीदी आप को खुशखबरी पता है न? मैं बूआ बन गई हूं.’’

‘‘पता है,’’ कह कर दीदी हलका सा मुसकराई और फिर चल दी.

रेणु भी बिना पूछे अपनी सफाई देती हुई पीछेपीछे चलते हुए बोली, ‘‘हां दीदी, इसी खुशी में तो मैं अपनी सहेलियों को पार्टी दे रही हूं.’’

‘‘पार्टी, यहां सिनेमाहौल में,’’ दीदी ठसके से बोलीं, ‘‘अभी घर जा कर तेरी अम्मां को सब बताती हूं, तेरी सारी पार्टी निकालती हूं,’’ दीदी का लावा फूटा.

‘‘अरे नहीं दीदी, मैं तो घर वालों से पूछ कर आई हूं. भतीजा आने की खुशी में घर वालों ने इजाजत दी है,’’ रेणु सफाई देते हुए बोली.

‘‘अच्छा, घर वालों से पूछ कर वह भी कालेज के टाइम में, हां…’’ आंखें मटकाते हुए दीदी ने सीधा वार किया.

‘‘अरे दीदी, वह मेरी लंच के बाद आज कोई क्लास नहीं थी न इसलिए आज का प्लान बनाया था.’’

‘‘अच्छा, दीदी ने संदेहात्मक दृष्टि से इधर उधर नजर घुमाई, जैसे किसी के वहां होने की उन्हें पूरी उम्मीद है.

‘अब मैं दीदी को कैसे विश्वास दिलाऊं,’ रेणु ने सोचा. ये तो घर जा कर चुप रहने से रहीं.

तभी उस ने अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया, मुड़ कर देखा तो उस का छोटा भाई था.

वह नकली चिंता जताते हुए बोला, ‘‘अरे रेणु तू यहां क्या कर रही है, मैं अंदर कब से तेरा इंतजार कर रहा था. पिक्चर निकल जाएगी भई. जल्दी कर. फिर दीदी की ओर एक नजर देख कर बोला, ‘‘नमस्ते दीदी, कैसी हो?’’

‘‘बिलकुल ठीक. अच्छा तू भी आया है? चलो फिर तुम पिक्चर देखो मैं चलती हूं,’’ कह कर दीदी चल दीं.

रेणु की सांस में सांस आई. वह भाई से बोली, ‘‘तूं यहां कैसे?’’

भाई ने बताया, ‘‘तेरी मेहरबानी से मु?ो भी टिकट के पैसे तो मिल ही गए थे, तो मैं भी अपने दोस्तों के साथ पिक्चर देखने आ गया. यहां देखा तो तेरी क्लास लगी हुई थी,’’ फिर शरारत से मुसकरा कर बोला, ‘‘चल सम?ा ले कि मैं ने तेरा एहसान उतार दिया. तूने मेरे लिए टिकट के पैसों का इंतजाम किया और मैं ने तु?ो दीदी से बचाया. हिसाब बराबर,’’ दोनों का ठहाका सिनेमाहौल में गूंज उठा.

तभ रेणु का मोबाइल फोन बज उठा और वह अतीत की टाइम मशीन से निकल कर

तुरंत पार्क की बैंच पर पहुंच गई. रेणु ने फोन उठाया.  उस की बेटी नीरा का फोन था.

‘हैलो मम्मा, मैं आज घर देर से आऊंगी. फ्रैंड्स के साथ मूवी देखने जा रही हूं,’’ कालेज में ऐक्सट्रा क्लासेज के बाद नीरा ने फोन किया था.

‘‘ओके बेटा,’’ कह कर रेणु ने फोन रख दिया और वह घर की ओर चल पड़ी. रास्ते मे कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था, इसलिए वह अंधेरा होने से पहले घर पहुंच जाना चाहती थी.

जिन रास्तों पर वह जिंदगीभर चली थी, अब वे रास्ते लोगों को लंबे लगने लगे थे और सरकार द्वारा उन पर फ्लाईओवर बना कर उन्हें किसी तरह छोटा किया जा रहा था. रेणु सोच रही थी कि क्या ये फ्लाईओवर सिर्फ सड़कों पर ही बने हैं? जिंदगी की राहों पर भी तो हर कदम पर फ्लाईओवर बन गए हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें