आज 55वां जन्मदिन मना रहे हैं बौलीवुड के ‘सिंघम’, जानें Ajay Devgan की फिल्मी करियर से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें

Ajay Devgan Birthday: बॉलीवुड के सिंघम यानि अजय देवगन आज अपना 55वां जन्मदिन मना रहे हैं. इंड्रस्टी में काम करते हुए उन्हें 3 दशक हो चुके हैं. अपने करियर में उन्होंने रोमांस, एक्शन, कॉमेडी और ड्रामा हर प्रकार की फिल्मों में काम किया है. उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी नवाज़ा जा चुका है और वह फिल्मों में बतौर डायरेक्टर और प्रड्यूसर भी काम कर चुके हैं. आइए जानते हैं, एक्टर के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें.

अजय का जन्म 2 अप्रैल 1969 में हुआ था उनके पिताजी वीरू देवगन फिल्मों में एक्शन डॉयरेक्टर का काम करते थे. आपको बता दें कि अजय का असली नाम विशाल है. उन्होंने फूल और कांटे फिल्म से वर्ष 1991 में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी.

निर्देशक कुकू कोहली द्वारा निर्देशित इस फिल्म में एक्ट्रेस मधू मुख्य भूमिका में थीं. इस रोल के लिए अजय को बेस्ट डेब्यू मेल एक्टर का अवॉर्ड भी मिला था. इसके बाद अजय ने दिलवाले, सुहाग, जिगर,  विजयपथ आदि अन्य फिल्मों में काम किया. अजय ने 1999 में एक्ट्रेस काजोल से शादी कर ली. दोनों के 2 बच्चे हैं नीसा और युग. काजोल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने अपने पति को बर्थडे विश किया है. उन्होंने इस पोस्ट में लिखा है अजय के बर्थडे पर अजय खुद काफी एक्साइटेड है,  इसलिए वो उन्हें सबसे पहले बर्थडे विश करना चाहती हैं.

आपकों बता दें कि अजय ने साल 2008 में यू मी और हम नामक फिल्म से निर्देशन करने की शुरुआत की थी. अजय की कुछ प्रमुख फिल्में हैं गोलमाल, सिंघम, ओंकारा, द लेजेंड ऑफ भगत सिंह, कच्चे धागे, हम दिल दे चुके सनम, प्यार तो होना ही था. 1998 में आई फिल्म प्यार तो होना ही था के बाद अजय ने एक्ट्रेस काजोल से शादी कर ली थी.

अगर फिल्म और निर्देशन से इतर बात करें तो अजय समाजसेवा का काम करने में भी पीछे नहीं हैं. उनकी संस्था  “NY foundation” बच्चों नीसा और युग के नाम पर है जो गरीब बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराती है. यह संस्था समय-समय पर बच्चों के लिए वर्कशॉप भी आयोजित करती है.

जल्द ही अजय की नई फिल्म ‘मैदान’ आने वाली है जिसमें वे मशहूर भारतीय फुटबॉल क्रिकेट टीम के कोच सईद अब्दुल रहीम की भूमिका निभा रहें हैं यह सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है, जो सईद जी के जीवन से प्रेरित है.

Summer Special: गर्मियों के मौसम में बेस्ट रहेंगे, ये 7 होममेड स्क्रब

गर्मियों का मौसम आते ही जाती है स्किन संबंधी समस्याएं. एसी में जानना जरूरी होता है कि स्किन की क्लियर किस प्रकार करें.  देखा जाए तो स्किन केयर रूटीन में कई सारी चीजें शामिल होती हैं जैसे क्लींजिंग, टोनिंग, फेसवॉश, स्क्रबिंग. आज हम बात करेंगे स्क्रबिंग की. असल में स्क्रबिंग का स्किन केयर रूटीन में अधिक महत्व होता, क्योंकि स्क्रब करने से आपकी त्वचा में छिपी गंदगी बाहर होती है. स्क्रब का उपयोग डेड स्किन को बाहर निकालने में भी मददगार साबित हो सकता है.

इससे त्वचा मुलायम और चमकदार दिखाई देती है. यह त्वचा की रंगत को निखारती है और कील-मुंहासों और झुर्रियों को भी कम करने में मदद कर सकती है. हम आपको यहां होममेड स्क्रब बनाने के तरीके बताएंगे जिनसे आप गर्मियों के मौसम में अपने घर पर ही अपनी स्किन का ध्यान अच्छे से रख पाएंगे तो आइए जानते हैं इन फेस स्क्रब को बनाने की विधि के बारे में-

खीरा-पुदीना स्क्रब

आधा खीरा और एक मुट्ठी पुदीने के पत्तों को ब्लेंड करें जब तक कि स्मूथ पेस्ट ना बन जाए. इस पेस्ट में एक चम्मच शहद और दो बड़े चम्मच ओटमील मिलाएं. अपने चेहरे पर इस मिश्रण को लगाएं और सरकुलेशन मोशन में धीरे-धीरे स्क्रब करें. स्क्रब करने के बाद चेहरे को पानी से धो ले.

स्ट्रॉबेरी-शुगर स्क्रब

एक स्मूथ पेस्ट बनाने के लिए 4-5 पके स्ट्रौबरी को कांटे से मैश करें. दो बड़े चम्मच चीनी के साथ एक बड़ा चम्मच जैतून तेल का मिलाएं. जहां रूखापन हो उस को ध्यान में रखते हुए चेहरे पर स्क्रब की मालिश करें और इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरे को धो ले.

नींबू-नमक का स्क्रब

दो बड़े चम्मच नमक के साथ एक बड़ा चम्मच नींबू का रस और एक बड़ा चम्मच शहद मिलाएं. इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाकर स्क्रब करें . इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें.

वॉटर मेलन -ब्राउन शुगर स्क्रब

तरबूज के टुकड़ों का एक कप, अच्छे से ब्लेंड कर मुलायम पेस्ट बना ले. इसमें एक तिहाई कप ब्राउन शुगर और एक बड़ा चम्मच जैतून तेल मिलाएं. अपने चेहरे पर यह मिश्रण लगाएं और सरकुलेशन मोशन में धीरे-धीरे स्क्रब करें. इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें.

पपीता-दही का स्क्रब

आधे पके पपीते को अच्छे से मैश कर लें और इसमें दो बड़े चम्मच दही और एक बड़ा चम्मच शहद मिलाएं. अनइवन स्किन वाली जगह पर ध्यान देते हुए अपने चेहरे पर स्क्रब की मालिश करें और इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को धो लें.

एलोवेरा-ग्रीन टी स्क्रब

एक ग्रीन टी बैग को आधे कब गर्म पानी में कुछ देर के लिए भिगोए और इसे ठंडा होने दें. दो बड़े चम्मच एलोवेरा जेल, एक बड़ा चम्मच पिसी हुई ग्रीन टी और दो बड़े चम्मच बारीक दलिया का मिक्सचर तैयार करें. अब इस स्क्रब को अपने चेहरे पर सरकुलेशन मोशन में मसाज करें. इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें.

कीवी-हनी स्क्रब

एक कीवी को कांटे से मैश कर ले. इसके बाद इसमें एक बड़ा चम्मच शहद और दो बड़े चम्मच बारीक ओटमील मिलाएं. अपने चेहरे पर सरकुलेशन मोशन में धीरे-धीरे स्क्रब करते रहे और बाद में गुनगुने पानी से चेहरे को धो ले.

इनमें से किसी भी स्क्रब का इस्तेमाल करने से पहले अपनी त्वचा के साथ एक छोटे से क्षेत्र पर पैच टेस्ट जरूर करें ताकि आपको पता चल सके कि इन स्क्रब से आपको कोई एलर्जी तो नहीं है.

मैं 35-36 की उम्र में मां बनना चाहूं तो क्या इस में कोई समस्या आ सकती है?

सवाल

मैं 25 साल की विवाहित महिला हूं. मेरे कुछ सपने हैं, इसलिए मैं अभी मां नहीं बनना चाहती. यदि मैं 35-36 की उम्र में मां बनना चाहूं तो क्या इस में कोई समस्या आ सकती है? कुछ लोग कहते हैं कि इस उम्र में मां बनना संभव नहीं है. क्या यह सच है?

जवाब-

बढ़ती उम्र के साथ अंडों की संख्या और गुणवत्ता दोनों ही कम होने लगती है, जिस कारण इस उम्र में कंसीव कर पाना मुश्किल होता है. यदि आप ने ठान लिया है कि आप 35 की उम्र में मां बनना चाहती हैं, तो इस में कोई समस्या नहीं है. आज साइंस और टैक्नोलौजी में प्रगति के कारण कई ऐसी तकनीकें उपलब्ध हैं, जिन के माध्यम से इस उम्र में भी गर्भधारण किया जा सकता है. इस के लिए आप आईवीएफ की मदद ले सकती हैं.

आप की उम्र अभी कम है, इसलिए आप के अंडों की गुणवत्ता अच्छी होगी. आप अपने स्वस्थ अंडे फ्रीज करवा सकती हैं जो भविष्य में मां बनने में आप के लिए सहायक साबित होंगे और आईवीएफ ट्रीटमैंट भी आसानी से पूरा हो जाएगा. फ्रीज किए अंडे को आप के पति के स्पर्म के साथ मिला कर पहले भू्रण तैयार किया जाएगा और फिर उस भ्रूण को आप के गर्भ में इंप्लाट कर दिया जाएगा. कुछ ही दिनों में आप को प्रैगनैंसी की खुशखबरी मिल जाएगी.

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शादी के बाद कपल्स सारी कोशिश करके भी मां-बाप नहीं बन पाते हैं तो इसकी वजह इन्फर्टिलिटी यानी बांझपन को माना जाता है. इसमें बच्चा पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है या फिर पूरी तरह खत्म हो जाती है.

आमतौर पर शादी के एक से डेढ़ साल बाद अगर बिना किसी प्रोटेक्शन के कपल्स रिलेशनशिप बनाने के बाद भी मां-बाप नहीं बन पाते हैं तो मेडिकली इन्हें इन्फर्टिलिटी का शिकार माना जाता है. इसमें समस्या महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- सही समय पर हो इलाज तो दूर होगी इन्फर्टिलिटी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

डे केयर में भेजने से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

कुछ दिन पहले नवी मुंबई के एक क्रेच में 10 महीने की एक बच्ची को पीटने और पटकने की दिल दहलाने वाली घटना सामने आई थी. जब पुलिस एवं बच्ची के अभिभावकों ने क्रेच के सीसी टीवी कैमरे में फुटेज देखीं तो वे हैरान रह गए. फुटेज में डे केयर सैंटर की आया बच्ची की पिटाई कर रही थी. उसे लातें और थप्पड़ मार रही थी. वैसे यह पहली घटना नहीं है जब क्रेच में बच्चों के साथ ऐसा किया गया हो. इस से पहले भी दिल्ली में पुलिस ने क्रेच चलाने वाले करीब 70 साल के एक शख्स को गिरफ्तार किया था, जिस पर आरोप था कि वह क्रेच में 5 साल की बच्ची के साथ छेड़छाड़ करता था.

आए दिन इस तरह की घटनाएं घटती हैं, जिन में क्रेच में बच्चों के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है.

दरअसल, आज महिलाएं सासससुर के साथ रहना पसंद नहीं करतीं और न ही अपने कैरियर के साथ किसी तरह का समझौता करती हैं. उन्हें लगता है क्रेच तो हैं ही, जहां उन के बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं. वहां उन के खानेपीने से ले कर खेलने, आराम करने और ऐक्टिविटीज सीखने तक का पूरा इंतजाम होता है. वे सुबह औफिस जाते समय बच्चे को क्रेच में छोड़ देती हैं और शाम को घर लौटते समय साथ ले आती हैं. अगर किसी दिन वे लेट हो जाती हैं, तो क्रेच संचालक को फोन कर के बता देती हैं.

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जब बच्चे को घर ले कर आती हैं तब उस के साथ समय बिताने के बजाय अन्य कामों में व्यस्त हो जाती हैं, सिर्फ संडे को ही बच्चे के साथ समय बिताती हैं.

मगर अपने बच्चे को पूरी तरह से डे केयर के हवाले छोड़ना सही नहीं है. ऐसा करने से आप के और बच्चे के बीच बौंडिंग नहीं बन पाती है. वह आप से अपनी बातें शेयर नहीं कर पाता, उदास रहने लगता है. कई बार तो बच्चा अपने साथ हो रहे शोषण को समझ ही नहीं पाता कि उस के साथ क्या हो रहा है.

क्रेच में बच्चे का अच्छी तरह ध्यान रखा जाता है, वह वहां नईनई चीजें भी सीखता है, लेकिन इस के बावजूद हर दिन बच्चे की मौनिटरिंग करें कि क्रेच में उसे किस तरह से रखा जाता है, उसे वहां कोई परेशानी तो नहीं होती, क्योंकि बच्चे कुछ कहते नहीं हैं, बस रोते रहते हैं और मातापिता को लगता है कि वे वहां जाना नहीं चाहते, इसलिए रो रहे हैं. यह आप की जिम्मेदारी है कि आप जानें कि आखिर बच्चा वहां क्यों नहीं जाना चाहता.

हर दिन करें ये काम

– औफिस से घर आने के बाद आप कितनी भी क्यों न थक गई हों, अपने बच्चे के साथ समय जरूर बिताएं. उस से बातें करें कि आज क्रेच में क्या किया, क्या खाया, क्या सीखा? वहां मजा आता है या नहीं? अगर बच्चा कुछ अजीब सा जवाब दे तो उसे हलके में न लें, बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि बच्चा ऐसा क्यों कह रहा है.

– बच्चा जब क्रेच से वापस आए तो जरूर चैक करें कि उस के शरीर पर कोई निशान तो नहीं है. अगर है तो बच्चे से पूछें कि निशान कैसे पड़ा, साथ ही यह भी देखें कि उस का नैपी बदला गया है या नहीं. आप ने लंच में उसे जो खाने के लिए दिया था क्या उस ने वह खाया है या नहीं.

जब करें क्रेच का चयन

– बिजली व पानी की कैसी व्यवस्था है, बिस्तर साफ है या नहीं, बच्चे के खेलने के लिए किस तरह के खिलौने हैं, यह जरूर देखें.

– क्रेच हमेशा हवादार, खुला और रोशनी वाला होना चाहिए.

– यह भी देखें कि क्रेच में जो बच्चे का ध्यान रखती है वह कैसी है, बच्चों के प्रति उस का व्यवहार कैसा है.

– वहां आने वाले बच्चों के मातापिता से बात करें कि क्रेच कैसा है, वे संतुष्ट हैं कि नहीं, वे अपने बच्चे को कब से वहां भेज रहे हैं आदि.

– सस्ते व घर के पास के चक्कर में अपने बच्चे को किसी भी क्रेच में न रखें, क्योंकि वहां आप के बच्चे को रहना है, इसलिए कोशिश करें क्रेच साफसुथरा हो.

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बच्चों के लिए घर पर बनाएं यम्मी एंड टेस्टी चौकलेट केक

अक्सर आपके घरों में बच्चे केक की डिमांड करते होंगे, लेकिन रोजाना बच्चों को केक देना सही नही है. वहीं दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि घर में केक बनाना मुश्किल भी है, पर आज हम आपको आसान टिप्स से घर पर केक बनाना सिखाएंगें. जिससे आप अपने बच्चों को घर पर ही हेल्दी और टेस्टी केक खिला पाएंगी.

हमें चाहिए…

3 कप मैदा

2 फेंटे हुए अंडे

2 चम्मच बेकिंग सोडा

2 चम्मच वनीला एसेंस

2 कप बारीक चीनी (चीनी का बुरादा)

2 कप बटर

2 कप दूध

बनाने का तरीका

-चीनी और मक्खन को मिलाते हुए तब तक फेंटें जब तक ये हल्का और फ्लफी न हो जाए. इसे इलेक्ट्रिक ब्लेंडर से फेंटे, कुछ न हो तो कांटे से भी फेंट सकती हैं. जब ये तैयार हो जाए तो इसमें फेंटा हुआ अंडा डालकर अच्छी तरह मिलाएं. अच्छी तरह फेंटें ताकि मिश्रण हल्का और सफेद दिखाई देने लगे.

-इसमें मैदा और बेकिंग सोडा एक साथ डालें. अगर जरूरत पड़े तो थोड़ा सा दूध डालें और तब तक मिलाएं जब तक बैटर फ्लफी और सौफ्ट न हो जाए. इसमें वनीला एसेंस मिलाकर अच्छे से मिलाएं. वनीला एसेंस अंडे की महक को छिपाने के लिए जरूरी होता है.

-बेकिंग टिन को थोड़ा ग्रीसी कर लें और इस पर मैदा डालें. इससे केक बेस पर नहीं चिपकेगा. इस पर बटर पेपर भी लगा सकते हैं. तैयार किया हुआ पेस्ट टिन में डालें और इसे प्रेशर कुकर में रखें. कुकर में पानी न डालें और ये ध्यान रखें कि टिन कुकर के बेस से टच न हो. आप बेकिंग डिश के नीचे एक स्टील की प्लेट को उल्टा करके रख सकते हैं.

-आंच बढ़ाएं और दो मिनट तक प्रेशर कुक करें. अब सीटी हटा दें और धीमी आंच पर 35-40 मिनट तक पकाएं. अगर आप इलेक्ट्रिक अवन इस्तेमाल कर रहे हैं तो 180 डिग्री पर 30-35 मिनट तक पकाएं.

– केक तैयार है या नहीं, ये चेक करने के लिए केक में चाकू डालें और अगर इस पर केक नहीं लगता है तो इसका मतलब केक तैयार है. इसे अवन/कुकर से निकाल लें और वायर रैक पर ठंडा होने के लिए रख दें औऱ ठंडा केक बच्चों को परोसें.

सुरक्षा कवच है मां का दूध

मां का दूध शुरुआत से ही इम्यूनिटी को बूस्ट करने वाली ऐंटीबौडीज से भरपूर होता है. कोलोस्ट्रम, जो ब्रैस्ट मिल्क की पहली स्टेज कहा जाता है, ऐंटीबौडीज से भरा होता है. यह गाढ़ा व पीले रंग का होने के साथसाथ प्रौटीन, फैट सोलुबल विटामिंस, मिनरल्स व इम्मुनोग्लोबुलिंस में रिच होता है. यह बच्चे की नाक, गले व डाइजेशन सिस्टम पर प्रोटैक्टिव लेयर बनाने का काम करता है, जिसे अपने बच्चे की इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए जरूर देना चाहिए.

फौर्मूला मिल्क में ब्रैस्ट मिल्क की तरह पर्यावरण विशिष्ट ऐंटीबौडीज नहीं होती हैं और न ही इस में शिशु की नाक, गले व आंतों के मार्ग को ढकने के लिए ऐंटीबौडीज यानी फौर्मूला मिल्क बेबी को कोई खास प्रोटैक्शन देने का काम नहीं करता है. इसलिए शिशु के लिए मां का दूध ही है सब से उत्तम व हैल्दी.

वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक

वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक दुनियाभर में 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है, जिस का उद्देश्य ब्रैस्ट फीडिंग के प्रति मां व परिवार में जागरूकता पैदा करना होता है. साथ ही मां के पहले गाढ़े दूध के प्रति भ्रांतियों को भी दूर किया जाता है. इस में बताया जाता है कि जन्म के पहले घंटे से ही शिशु को मां का दूध दिया जाना चाहिए क्योंकि यह बच्चे के लिए संपूर्ण आहार होता है.

मां को दूध पिलाने में उस के परिवार, डाक्टर, नर्स को भी अहम योगदान देना चाहिए क्योंकि ब्रैस्ट फीड न सिर्फ बच्चे को बल्कि मां को भी बीमारियों से बचाने में मदद करता है. रिसर्च के अनुसार अब ब्रैस्ट फीडिंग के प्रति महिलाएं भी इस के महत्त्व को समझते हुए जागरूक हो रही हैं.

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ब्रैस्ट मिल्क के और भी हैं फायदे

वजन को बढ़ाने में मददगार ब्रैस्ट मिल्क हैल्दी वेट को प्रोमोट करने के साथसाथ मोटापे के खतरे को भी कम कर देता है. अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि फौर्मूला मिल्क पीने वाले शिशुओं की तुलना में ब्रैस्ट फीड करने वाले शिशुओं में मोटापे का खतरा 15 से 30% कम हो जाता है. यह विभिन्न गट बैक्टीरिया के विकास के कारण होता है.

स्तनपान करने वाले शिशुओं में बड़ी मात्रा में गट बैक्टीरिया देखे जाते हैं, जो फैट स्टोरेज को प्रभावित करने का काम करते हैं. साथ ही ब्रेस्ट फीड करने वाले शिशुओं में लैप्टिन की मात्रा बहुत अधिक होती है. यह ऐसा प्रमुख हारमोन होता है, जो भूख व वसा के भंडारण को नियंत्रित करने का काम करता है.

ज्यादा स्मार्ट

हम जितनी हैल्दी व न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट लेते हैं, तो उस से हमारे संपूर्ण विकास में मदद मिलने के साथसाथ हमारा माइंड भी ज्यादा तेज व ऐक्टिव बनता है. ठीक यही बात ब्रैस्ट मिल्क के संदर्भ में भी लागू होती है.

जिन भी शिशुओं को शुरुआती 6 महीने भरपूर स्तनपान करवाया जाता है उन बच्चों का मस्तिष्क विकास बहुत तेजी से होता है. उन की उम्र के साथसाथ सोचनेसमझने की क्षमता का भी तेजी से विकास होता है क्योंकि ब्रैस्ट मिल्क में पाए जाने वाले न्यूट्रिएंट्स जैसे डोकोसा इनोस ऐसिड, आराछिडोनिक ऐसिड, ओमेगा 3 व 6 फैटी एसिड्स शिशु के मस्तिष्क विकास में मदद करते हैं. इस से बच्चे की लर्निंग ऐबिलिटी में भी सुधार होता है. ऐसे बच्चों का आईक्यू लैवल भी अच्छाखासा देखा गया है.

बीमारियों से प्रोटैक्शन

जब बच्चा इस दुनिया में आता है तो पेरैंट्स उसे हर तरह से सुरक्षा देने का काम करते हैं ताकि उन का बच्चा बीमारियों से बचा रहे. लेकिन इस दिशा में शिशु के लिए मां के दूध से बढ़ कर कुछ नहीं हो सकता. अगर शुरुआती 6 महीने आप के शिशु ने ब्रैस्ट फीड कर लिया, फिर आप को बारबार उस के लिए डाक्टर के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे क्योंकि मां का परिपक्व इम्यून सिस्टम कीटनियों के प्रति ऐंटीबौडीज बनाता है, जो ब्रैस्ट मिल्क के जरीए शिशु के शरीर में प्रवेश कर के बीमारियों से बचाता है.

इम्युनोग्लोब्यूलिन ए, जो ऐंटीबौडी रक्त प्रोटीन होता है. बच्चे की अपरिपक्व आंतों की परत को कवर करता है, जिस से कीटाणुओं व जर्म्स को बाहर निकलने में मदद मिलती है. इस कारण वह रैस्पिरेटरी इन्फैक्शन, कान में इन्फैक्शन, एलर्जी, आंतों में इंफैक्शन, पेट में इंफैक्शन आदि से बचा रहता है.

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लोअर रेट आफ इन्फैंट मोर्टैलिटी

अगर बात करे इन्फैंट मोर्टैलिटी की तो ये दुनिया में बहुत बड़ी चिंता का विषय है. अकसर इस का कारण होता है लो बर्थ वेट, श्वसन संबंधित दिक्कत, फ्लू, डायरिया, निमोनिया, मलेरिया, ब्लड में इन्फैक्शन, इन्फैक्शन आदि. लेकिन देखने में आया है कि जो मांएं अपने बच्चे को भरपूर स्तनपान करवाती हैं, उन के बच्चे का वजन बढ़ने के साथसाथ इम्यूनिटी भी धीरेधीरे मजबूत होने से वे आसानी से किसी भी तरह के संक्रमण के संपर्क में नहीं आते हैं व उस का मुकाबला करने में सक्षम हो जाते हैं. इस से ऐसे बच्चों में मृत्यु दर कम देखने को मिलती है यानी ब्रैस्ट मिल्क से बेबी को स्पैशल केयर दे कर उस की जान बचाई जा सकती है.

मौम के लिए भी मददगार

बेबी को ही नहीं बल्कि ब्रैस्ट फीडिंग से मौम को भी ढेरों फायदे मिलते हैं. इस से ऐक्स्ट्रा कैलोरीज बर्न होने से मौम को अपने बढ़े हुए वेट को मैनेज करने में आसानी होती है. यह औक्सीटौक्सिन हारमोन को रिलीज करता है, जो यूटरस को अपने साइज में लाने व ब्लीडिंग को कम करने में मददगार होता है. साथ ही यह ब्रैस्ट, ओवेरियन कैंसर, डायबिटीज, दिल से संबंधित बीमारी के खतरे को कम करने का काम करता है. इसलिए ब्रैस्ट फीडिंग से बेबी के साथसाथ खुद की हैल्थ का भी रखें खयाल.

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के.एल. राहुल और अथिया शेट्टी के घर गूंजने वाली है किलकारी? जानिए क्या बोले सुनील शेट्टी

बॉलिवुड एक्टर सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी और क्रिकेटर के.एल. राहुल की शादी 23 जनवरी 2023 को सुनील के खंडाला स्थित फार्महाउस में संपन्न हुई थी और बीती जनवरी को इन्होंने अपनी शादी की पहली सालगिरह मनाई. सुनील हाल ही में कलर्स चैनल पर प्रसारित होने वाले रियलटी शो डांस दिवाने पर बतौर गेस्ट पहुंचे. इस दौरान होस्ट भारती सिंह ने अभिनेता सुनील शेट्टी से मज़ाक करते हुए कहा कि वह किस तरह के नाना बनेंगे. जिसके बाद अथिया की मां बनने की अफवाहें और अटकलें तेज़ हो गईं हैं.

इस प्रश्न के जवाब में अभिनेता सुनील शेट्टी ने कहा कि अगली बार वह स्टेज पर नाना की तरह आएंगे. हालांकि अथिया और राहुल ने इस सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

 

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दरअसल, इससे पहल भी दोनों ने सोशल मीडिया पर शादी की कुछ यादगार तस्वीरें शेयर की थीं. दोनों ने ज्वाइंट पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि “ तुम्हें पाना घर आने जैसा है.“

इससे पहले भी सुनील ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने दामाद के.एल. राहुल को अपना बेटा कहा था. उन्होंने कहा था कि वह राहुल से उसी तरह प्यार करते हैं जिस तरह आज की उभरती हुई युवा प्रतिभाओं की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा कि पहले वो राहुल के प्रशंसक थे और अब उनके पिता बन गए हैं.

सुनील कहते हैं कि जब छोटे-छोटे शहरों से आने वाले बच्चे कामयाबी हासिल करते हैं कि उन्हें बहुत खुशी होती है.

होठों पर लिपस्टिक लगाने को लेकर क्या बोले अभिनेता शक्ति अरोड़ा, जानिए यहां

स्टार प्लस का धारावाहिक ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों  दर्शकों के दिलों पर छाया हुआ है। इस शो के लीड एक्टर शक्ति अरोड़ा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है. जिस पोस्ट पर उनके को-स्टार्स  अदीति शर्मा और प्रियमवदा सिंह ने उनकी प्रशंसा की है.

इसी तस्वीर पर कमेंट करते हुए शक्ति के एक प्रशंसक ने उनके होठों पर लिपस्टिक लगाने को लेकर कमेंट किया है. इसका जवाब देते हुए शक्ति ने लिखा है, वह इसके साथ ही पैदा हुए हैं.

 

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इस धारावाहिक के आने वाले एपिसोड और भी रोमांचक होने वाले हैं जिसमें सवी को यह एहसास होगा कि वह ईशान से बहुत प्यार करती है. अभी तक ईशान नहीं जानता है कि सवी को ईशान से प्यार है.

आगे आने वाले एपिसोड्स में पता लगेगा कि सवी अपनी भावनाओं को ईशान के प्रति ज़ाहिर करेगी या फिर “ईश्वी”  की प्रेम कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी.

 

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लड़कियों को खुद चुननी है अपनी राह  

उत्तर प्रदेश के देवरिया से मुंबई आकर रहने वाली सिमरन और उसके परिवार को ये शहर बहुत पसंद आया, क्योंकि यहाँ उन्हें एक अच्छी शहर, साफ सुथरा इलाका, पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था सब मिला. 3 बहनों मे सबसे छोटी सिमरन ने कॉलेज मे पढ़ाई भी पूरी की और जॉब के लिए अप्लाइ किया और उन्हें काम भी मिला, लेकिन सिमरन के पिता को ये आपत्ति थी कि सिमरन कहीं काम न करें, बल्कि घर से कुछ कमाई कर सकती है, तो करें, बाहर जाकर उनके काम करने पर बिरादरी मे उनकी नाक कटेगी. सिमरन कई बार अपने पिता को समझाने की कोशिश करती रही कि उनकी बिरादरी यहाँ नहीं है और जॉब करना गलत नहीं, आज हर किसी को काम करना जरूरी है, उनके सभी दोस्त काम करते है, लेकिन उनके पिता नहीं मान रहे थे.

5 लोगों के परिवार में सिर्फ उनके पिता के साधारण काम के साथ अच्छी लाइफस्टाइल बिताना सिमरन के लिए संभव नहीं था, जिसका तनाव उनके पिता के चेहरे पर साफ सिमरन देख पा रही थी. साथ ही सिमरन काम करना चाह रही थी, क्योंकि वह आज के जमाने की पढ़ी – लिखी लड़की है और आत्मनिर्भर बनना उसका सपना है. इसलिए देर ही सही पर उसने आज अपने पेरेंट्स को मना लिया है और आज एक कंपनी मे काम कर वह खुश है, लेकिन यहाँ तक पहुँचने में उन्हें दो साल का समय लगा है.

आत्मनिर्भर बनना है जरूरी     

असल में आज लड़के हो या लड़की सभी को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आत्मनिर्भर बनने का उनका सपना होता है, ताकि वे अपने मन की जीवन चर्या बीता सकें. ये सही भी है, क्योंकि हर व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी बात होती है उसकी आत्मसम्मान को बनाए रखना और उसके लिए जरूरी है, आत्मनिर्भर बनना. व्यक्ति चाहे कितना भी बुद्धिमान, सुंदर और बलशाली क्यों ना हो, अगर खुद की खर्चे उठाने के लिए उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, तो आपकी ज्ञान की कोई कीमत नहीं होती.

अंग्रेजी में एक कहावत है. “ There is no free lunch.” ( दुनिया में मुफ्त की रोटी कहीं नहीं मिलती). ये बात बहुत सही है. पश्चिमी देशों में बड़े बड़े अरबपतियों के बच्चे भी पढ़ाई के साथ साथ कहीं न कहीं काम करते हैं, क्योंकि वहां हर एक इन्सान को अपना काम खुद करना और अपने रोटी का इंतजाम खुद करना बचपन से सिखाया जाता है. इसीलिए उन लोगों को पैसों और परिश्रम का मोल बहुत अच्छे तरीके से पता रहता है. भारत में ऐसी उदाहरण बहुत कम देखने को मिलता है, क्योंकि भारत में पेरेंट्स को बच्चों के लिए अपना सबकुछ त्याग देने की एक आदत होती है. हालांकि आज इसमें बदलाव धीरे – धीरे आ रहा है, लेकिन कुछ लोग अभी भी इसे स्वीकार कर पाने में असमर्थ होते है.

इसका एक उदाहरण नासिक की एक मराठी अभिनेत्री की है. उनके पिता ने बेटी के साथ दो साल तक बात नहीं की, क्योंकि वह मुंबई जॉब करने की झूठी बात कहकर ऐक्टिंग के लिए आई थी, हालांकि उनकी माँ को इस बात की जानकारी थी. उनके पिता को ऐक्टिंग की बात, तब मालूम पड़ा, जब उन्होंने टीवी पर बेटी को अभिनय करते हुए देखा और रिश्तेदारों के तारीफ को सुनकर उन्होंने अपनी बेटी से दो साल बाद बात किया.

जिम्मेदारी बेटियों की   

इस बारें में काउन्सलर रशीदा कपाड़िया कहती है कि आज के जेनरेशन की लड़कियां पढ़ी – लिखी है और वे खुद कमाई कर अपना जीवन यापन करना पसंद करती है, उन्हें अपने पेरेंट्स पर बोझ बनना पसंद नहीं, क्योंकि बड़े शहरों में उनके उम्र के सभी यूथ जब जॉब कर रहे होते है, तो उन्हें भी काम करने की इच्छा होती है, क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं कर पाते है, तो खुद को अपने दोस्तों के बीच में कमतर और शर्मिंदगी महसूस करते है, साथ ही उन्हे हताशा, स्ट्रेस आदि भी होती है, ऐसे में अगर उनके परिवार वाले काम करने से मना करते है, तो इसका रास्ता उन्हे खुद ही ढूँढना पड़ता है कि वे अपने पेरेंट्स को कैसे मनाएँ. ये सही है कि छोटे शहर या गाँव से आने वाले लोगों के लिए बड़े शहर को बेटियों के लिए सुरक्षित मानना सहज नहीं होता, क्योंकि वे इतनी बड़ी शहर से अनजान होते है, जबकि गाँव घर में रहने वाले सभी एक दूसरे को जानते और पहचानते है, ऐसे में बच्चों की जिम्मेदारी होती है कि वे इन बड़े शहरों की अच्छाइयों से पेरेंट्स को परिचित करवाएँ. फिर भी वे अगर काम करने से मना करते है, तो उसकी वजह जानने की कोशिश कर उसका हल निकालने चाहिए.

अपने अनुभव के बारें में राशीदा बताती है कि मेरे पास भी बैंक में जॉब करने वाली इंटेलिजेंट लड़की आई थी, उसके पेरेंट्स गाँव के थे. मुंबई में उसके काम से खुश होकर बैंक वालों ने उसे लंदन दो साल के लिए भेजा था, जिसके लिए उसे अपने पेरेंट्स को मनाना मुश्किल हुआ था. यहाँ वापस आने पर उसे अपने प्रेमी और जिम ट्रैनर से शादी करना संभव नहीं हो पा रहा था, क्योंकि उसके ससुराल वाले इतनी स्मार्ट लड़की को घर की बहू बनाना नहीं चाहते थे, लेकिन सबको समझाने पर उसकी शादी हुई और आज वह खुश है.

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इसलिए जब भी पेरेंट्स, बेटी को जॉब करने से मना करें, तो बेटियों को कुछ बातों से पेरेंट्स को अवश्य अवगत करवाएँ,

  • अपने कार्यस्थल पर उन्हे ले जाए,
  • संभव हो तो, सह कर्मचारियों से मिलवाएँ,
  • उन्हे मोबाईल के जरिए लोकेशन की जानकारी दें,
  • जाने – आने की सुविधा के बारें मे जानकारी दें, क्योंकि आजकल कई ऑफिस में जाने आने की ट्रांसपोर्ट की अच्छी व्यवस्था भी होती है, जो सुरक्षित परिवहन होता है.

इन सभी जानकारी से पेरेंट्स आश्वस्त होकर बेटी को काम करने से मना नहीं कर सकेंगे और अंत में जब पैसे घर आते है, तो पूरा परिवार बेटी की कमाई को अच्छा महसूस करते है, क्योंकि बेटियाँ बेटों से अधिक समझदार होती है. उनके कमाने पर अधिकतर घरों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है

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