Story in Hindi
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आज महिलाएं घर संभालने के साथसाथ कमाई करने बाहर भी जाती हैं. बच्चों के पालनपोषण और परिवार की देखभाल के साथ ही घर खर्च में भी मदद करती हैं. हाल ही में वर्किंग स्त्री नाम की एक सर्वे रिपोर्ट जारी हुई. करीब 10 हजार महिलाओं पर किए गए इस सर्वे में पाया गया कि दिल्ली में 67त्न से अधिक कामकाजी महिलाएं अपनी तनख्वाह से घर खर्च में सक्रिय योगदान देती हैं. वहीं 31त्न महिलाएं ऐसी हैं जो अपनी
जाहिर है आर्थिक रूप से महिलाएं जिम्मेदार और आत्मनिर्भर हैं. इस के बावजूद आज भी वित्तीय फैसले वे पिता, भाई और पति की मदद से ही लेती हैं, ‘औनलाइन मार्केट प्लेस इंडिया लैंड्स’ द्वारा कराए गए इस सर्वे में मैट्रो, टियर
1 और टियर 2 की 21 से 65 उम्र वर्ग की 10 हजार से ज्यादा कामकाजी महिलाओं से सवाल पूछे गए. रिपोर्ट में कामकाजी महिलाओं को ले कर जो आंकड़े सामने आए वे वाकई चौंका देने वाले हैं. दिल्ली की 47 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि घर के खर्चों को नियमित रूप से ट्रैक करने में मुश्किल होती है. 37त्न महिलाएं ऐसी थीं जिन्हें क्रैडिट स्कोर से संबंधित कोई जानकारी नहीं. वहीं दिल्ली की करीब
32त्न कामकाजी महिलाओं ने बताया कि बचत और निवेश से जुड़े फैसले लेने में उन्हें कठिनाई महसूस होती है. हालांकि यह समस्या केवल दिल्ली की महिलाओं को ही नहीं बल्कि देशभर में अधिकतर कामकाजी महिलाएं वित्तीय फैसले लेने के लिए अपने पिता, पति या भाई पर निर्भर होती हैं.
पुरुषों की तुलना में कम भागेदारी इसी तरह एलएक्सएमई द्वारा एक्सिस माय इंडिया (ए ऐंड माई इंडिया) के साथ मिल कर किए सर्वे के अनुसार देश की 33त्न महिलाएं निवेश के बारे में कुछ भी ध्यान नहीं देती हैं. बाकी महिलाओं की पहली पसंद सोना और फिक्स्ड डिपौजिट है. इस से आगे वे सोच ही नहीं पातीं. शेयर बाजार और दूसरे तरह के निवेश में उन की भागीदारी पुरुषों की तुलना में काफी कम है. कई महिलाएं कंपनियों में बड़ी जिम्मेरियां के चलते सिर्फ अपने घर और बच्चों की चिंता में उल?ो रहने के कारण निवेश नहीं कर पाती हैं.
निवेश और वित्तीय फैसलों के साथसाथ महिलाएं अकसर अपनी संपत्ति की सुरक्षा और संपत्ति से जुड़े अधिकारों की भी जानकारी नहीं रखतीं. यह भी देखने को मिलता है कि महिलाओं को फाइनैंस कभी पसंद नहीं आता खासकर पढ़ाई के समय. ज्यादातर लड़कियां आर्ट्स या साइंस लेती हैं मगर कौमर्स लेने वाली लड़कियों की संख्या बहुत कम होती है. इसी तरह महिलाओं की तुलना में पुरुषों द्वारा वित्तीय सलाहकार से संपर्क किए जाने की संभावना 2 गुना अधिक होती है. घरेलू जीवन में महिलाएं अपने पैसों को मैनेज करने के लिए अपने पिता, भाई या
औफिस के किसी सहकर्मी पर निर्भर रहती हैं. मगर सवाल उठता है कि जब वे अपने घर को कलात्मक ढंग से मैनेज करती हैं तो पैसों को मैनेज करने से हिचकती क्यों हैं? उस तरफ ध्यान क्यों नहीं देतीं? शिक्षा के लिहाज से भी महिलाओं का डिगरी हासिल करने का प्रतिशत बढ़ रहा है, साथ ही उन की कमाई भी बढ़ी है. पिछले 30 वर्षों में कामकाजी महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है और आज कार्य बल में प्रवेश करने वाली महिलाओं ने अपने भाइयों और पतियों के साथ आर्थिक समानता हासिल कर ली है.
कानून ने भी महिलाओं को संपत्ति से जुड़े बहुत से हक दे दिए हैं. अब उन्हें पिता की संपत्ति में भाइयों के बराबर हिस्सा मिलता है. यानी महिलाओं के पास अब अधिक पैसा है और उन्हें इसे मैनेज करने की पूरी जानकारी होनी चाहिए.
महिलाओं के संपत्ति से जुड़े अधिकार मायके की संपत्ति पर हक: एक लड़की को शादी में पर्याप्त दहेज दिया गया तो इस का यह मतलब नहीं है कि उस का अपने परिवार की संपत्ति पर अधिकार खत्म हो गया. मायके की संपत्ति पर महिला का अधिकार होता है खासकर 2005 के संसोधन के बाद महिलाओं को मायके की संपत्ति पर भाइयों के साथ बराबरी का हक मिला है भले ही वे विवाहित हों या अविवाहित.
यह 2 तरह से लागू हो सकता है: पहला- अगर पिता ने संपत्ति खुद अर्जित की है और पिता की मौत बिना किसी वसीयत के हो जाती है तो संपत्ति बेटों और बेटियों में बराबर बांटी जाएगी. अगर मां जिंदा हैं तो उन को भी संपत्ति पर अधिकार मिलेगा. अगर पिता अपनी वसीयत बना कर किसी एक बच्चे को या किसी अजनबी को भी अपना उत्तराधिकारी बनाते हैं तो संपत्ति उस व्यक्ति को मिलेगी. जहां तक शादी के बाद इस अधिकार का सवाल है तो यह अधिकार शादी के बाद भी कायम रहेगा.
दूसरा पैतृक संपत्ति का अधिकार जन्म से तय होता है. हिंदू सैक्शन एक्ट, 1956 में पहले घर में पैदा होने वाले बेटों को संपत्ति पर अधिकार मिलता था. 2005 में कानून में बदलाव किया गया. अब किसी घर में पैदा होने वाले पुरुष और महिला का उस परिवार की पैतृक संपत्ति में बराबर अधिकार होता है. शादीशुदा बेटी और गोद लिए बच्चे को भी बराबर अधिकार दिए गए हैं.
यहां भी 2 पहलू हैं: पहला- अगर संपत्ति पति की कमाई हुई है तो पत्नी पति की संपत्ति में बच्चों और मां समेत बराबर की अधिकारी होती है. यदि किसी शख्स की बिना वसीयत के मौत हो जाती है तो उस की संपत्ति उन सभी में बराबर बंटती है. मगर अगर वह शख्स वसीयत में किसी को अपना वारिस बना कर जाता है तो वह प्रौपर्टी उस के वारिस को ही मिलेगी.
दूसरा- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के मुताबिक अगर एक महिला की ससुराल में संपत्ति पैतृक है और पति की मौत हो जाती है तो पति की संपत्ति में महिला को बच्चों के साथ बराबर का हक मिलेगा.
अगर एक महिला अपने पति से अलग होना चाहती है तो हिंदू मैरिज एक्ट के सैक्शन 24 के तहत वह पति से अपना भरणपोषण मांग सकती है. यह भरणपोषण पति और पत्नी दोनों की आर्थिक स्थिति के आधार पर तय होता है. यह तलाक का वन टाइम सैटलमैंट भी हो सकता है और मासिक भत्ता भी. इस के साथ ही तलाक के बाद अगर बच्चे मां के साथ रहते हैं तो पति को उन का भरणपोषण भी देना होगा.
एक महिला को शादी से पहले, शादी में और शादी के बाद गिफ्ट में जो भी कैश, गहने या सामान मिलता है उस सब पर महिला का ही पूरा अधिकार होता है. हिंदू सैक्शन एक्ट का सैक्शन 14 और हिंदू मैरिज एक्ट के सैक्शन 27 दोनों अधिकार देते हैं. इस के अलावा वरवधू को कौमन यूज की तमाम चीजें दी जाती हैं ये भी स्त्रीधन के दायरे में आती हैं. स्त्रीधन पर लड़की का पूरा अधिकार होता है.
अगर ससुराल वालों ने महिला का स्त्रीधन अपने पास रख लिया है तो महिला इस के खिलाफ आईपीसी की धारा-406 (अमानत में खयानत) की भी शिकायत कर सकती है. इस के तहत कोर्ट के आदेश से महिला को अपना स्त्रीधन वापस मिल सकता है. इस के अलावा महिला डोमैस्टिक वायलैंस एक्ट के सैक्शन 19 ए के तहत पुलिस में शिकायत भी कर सकती है.
कोई भी महिला अपने हिस्से में आई पैतृक संपत्ति और खुद अर्जित संपत्ति को चाहे तो उसे बेच भी सकती है. इस में कोई दखल नहीं दे सकता. महिला इस संपत्ति की वसीयत कर सकती है और चाहे तो उस संपत्ति से अपने बच्चों को बेदखल भी कर सकती है.
कैसे करें अपनी प्रौपर्टी मैनेज: अपनी प्रौपर्टी मैनेज करने के लिए एक अलग सीए रखिए जो आप को सही सलाह दे. अगर आप पति के साथ जौइंट में कोई सीए रखती हैं तो वह फायदे दिलाने के नाम पर या टैक्स बचाने की बात कह कर आप की प्रौपर्टी आप के बेटे के नाम ट्रांसफर कर सकता है या फिर पति के साथ मिलाने की कवायद शुरू करेगा. इस तरह वह आप से ज्यादा आप के पति या बेटे को फायदा पहुंचाएगा और आप रिश्तों की वजह से न भी नहीं कह सकेंगी.
कभी भी बैंक वगैरह जाना हो तो खुद जाएं. अकसर महिलाएं अपने बैंक अपडेट रखने और पैसे जमा करने या निकालने के लिए पति पर निर्भर रहती हैं. पति को अपने बैंक के साइन, क्रैडिट कार्ड का पासवर्ड वगैरह सब दे देती हैं. यह सही नहीं है. जब भी बैंक का कोई काम हो तो खुद जाएं और अपने पैसे की ग्रोथ के लिए हर संभव कोशिश करें. आजकल शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड वगैरह निवेश के अच्छे विकल्प हैं.
अगर आप के नाम से कोई घर है और आप उस में किराएदार रख रही हैं तो खुद ही किराएदार का चयन करें और किराया वगैरह लेने का काम भी खुद करें. उन पैसों को अपने खाते में जमा करें. ध्यान रखें अपनी प्रौपर्टी से जुड़े सारे कागजात अपने पास एक फाइल में रखें ताकि जब भी कोई जरूरत हो तो आप कागज दिखा सकें और आप के पति यह उलाहना न दें कि आप से कुछ नहीं संभलता. इस तरह फाइल में सारे कागज सही से रखने पर वे खोते भी नहीं और आप को अपनी प्रौपर्टी से जुड़ी हर जानकारी भी बनी रहती है.
जब तक बच्चे छोटे हैं तब तक पति को कहें कि वे आप को ही हर जगह नौमिनी बनाएं. कई घरों में जब बच्चे छोटे होते हैं या नहीं होते तो पुरुष अपना नौमिनी अपने भाइयों को बना देते हैं. यह उचित नहीं है. इस के विपरीत ऐसे में पत्नी को नौमिनी बनाना ही सुरक्षित रहता है. इसी तरह महिलाओं को भी अपने भाइयों पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए और पति या बच्चों को ही अपना नौमिनी बनाना चाहिए.
2016में मिस इंडिया प्रतिस्पर्धा में फाइनल रहीं वैष्णवी पटवर्धन तेलुगु फिल्मों में भी योगदान दे चुकी हैं. इस के अलावा कन्नड़ फिल्म ‘श्रीमंथा’ में भी अभिनय किया है. फिलहाल वैष्णवी अपनी जल्द ही रिलीज होने वाली फिल्म ‘व्हाट ए किस्मत’ को ले कर चर्चा में हैं. यह एक कौमेडी फिल्म है जो आज की जिंदगी में चल रहे हालात पर है. इस फिल्म में वैष्णवी मुख्य भूमिका निभा रही हैं.
तेलुगु और हिंदी फिल्मों में काम करने के अलावा वैष्णवी का एक यूट्यूब चैनल भी है, जिस में वे फैशन लाइफस्टाइल से संबंधित ब्लौग बनाती हैं. ‘वाट ए किस्मत’ में वैष्णवी का क्या किरदार है? इस फिल्म में उन का काम करने का अनुभव कैसा रहा? हिंदी फिल्मों में वे अपना भविष्य बतौर अभिनेत्री कैसे दिखती हैं? ऐसे ही कई दिलचस्प सवालों के जवाब दिए वैष्णवी ने खास बातचीत के दौरान:
उम्मीदें तो बहुत हैं क्योंकि यह एक लाइट हार्टेड कौमेडी फिल्म है, जिस में जीवन की सचाई को दिखाया गया है. खासतौर पर हालात जब खराब हों तो क्या होता है और जब हालात पलटते हैं तो क्या होता है. आशा है फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी और मेरे जीवन में भी कुछ अच्छा हो जाए.
मेरा रोल फिल्म में बहुत महत्त्वपूर्ण है. मैं फिल्म के हीरो चंदू की पत्नी आरती का किरदार निभा रही हूं. जिस के खुद के भी बहुत सारे सपने हैं, खुद का संघर्ष है, अपने पति से बहुत सारी उम्मीदें हैं, लेकिन जब उस का पति उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो पतिपत्नी के बीच प्यारभरे ?ागड़ा भी हैं. इस हिसाब से मु?ो लगता है अगर फिल्म में हीरोइन न हो तो हीरो का कोई महत्त्व नहीं होता. कहने का मतलब यह है जिस तरह पतिपत्नी एकदूसरे के बगैर अधूरे हैं उसी तरह कोई भी फिल्म हीरोहीरोइन के बगैर अधूरी है. फिल्म में मेरा भी उतना ही योगदान है जितना हीरो का है.
मैं ने इस से पहले एक फिल्म की थी जो हिंदी और पंजाबी दोनों भाषाओं में बनी थी. पूरी तरह से यह फिल्म मेरी पहली हिंदी फिल्म है और इस में मेरा काम करने का अनुभव बहुत ही अच्छा रहा. शूटिंग के आखिरी दिन हम सभी बहुत दुखी हो गए थे यह सोच कर कि हमारा साथ यहीं तक था. फिल्म की पूरी यूनिट डाइरैक्टर, ऐक्टर्स सभी ने मु?ो बहुत इज्जत दी.
अपने हिंदी फिल्म के अलावा तेलुगु फिल्म में भी काम किया है. सुना है वहां हीरोइन को कमतर आंका जाता है क्योंकि तेलुगु फिल्में ज्यादातर हीरो प्रधान होती हैं. इस बारे में आप का क्या कहना है?
हां, मैं ने भी काफी इस तरह की बातें सुनी थीं कि तेलुगु इंडस्ट्री में हीरो को ज्यादा महत्त्व दिया जाता है. लेकिन मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैं ने जो तेलुगु फिल्म की उस में मु?ो अच्छा रिस्पौंस मिला फिल्म भी अच्छी चल रही है. फिल्म का नाम ‘साधा नानू नाडिपे’ है. इस फिल्म में काम करने के दौरान मेरा अनुभव काफी अच्छा रहा.
अभिनय के अलावा आप फैशन और लाइफस्टाइल में भी दिलचस्पी रखती हैं जिस के चलते आप का एक यूट्यूब चैनल भी है. उसे बारे में कुछ बताएंगे?
हां, मेरी कालेज के समय से ही फैशन, मेकअप, और लाइफस्टाइल से संबंधित चीजों में बहुत दिलचस्पी थी और मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेने के दौरान मैं ने काफी कुछ सीखा भी था. लिहाजा 2016 में मिस इंडिया प्रतिस्पर्धा में फाइनलिस्ट होने के बाद मैं ने वैष्णवी पटवर्धन के नाम से अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया, जिस में मैं ने फैशन मेकअप और लाइफस्टाइल से रिलेटेड बहुत सारे ब्लौग बनाएं. फिलहाल मेरे 10 हजार फौलोअर्स हैं. मैं खुश हूं कि मु?ो अभिनय और चैनल दोनों में दर्शकों का पूरी सपोर्ट मिली है.
आरती और मु?ा में काफी समानताएं हैं जैसे हम दोनों ही आत्मनिर्भर हैं, अपने हिसाब से जिंदगी जीना पसंद करते हैं. इस के अलावा आरती की जिंदगी में जो संघर्ष है मैं ने भी वह संघर्ष तय किया है इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए. हम दोनों ही मेहनती हैं और कभी न हार मानने वाले शख्स हैं.
आजकल तेलुगु इंडस्ट्री से कई सारे कलाकार हिंदी इंडस्ट्री में काम करने आ रहे हैं. आप ने भी तेलुगू इंडस्ट्री में काम किया है तो क्या अब आप भी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में खुद को आजमाना चाहेंगी?
मेरा मानना है तेलुगु हो या हिंदी इंडस्ट्री अभिनय की कोई भाषा नहीं होती. मु?ो जहां भी अच्छा काम करने का मौका मिलेगा वहां मैं अभिनय करना चाहूंगी.
आज छोटा परदा छोटा नहीं रहा. छोटा परदा अर्थात टीवी से कई छोटेबड़े कलाकारों को प्रसिद्धि मिल रही है. खासतौर पर कलर्स चैनल के रिएलिटी शो ‘बिग बौस’ के जरीए कई कलाकारों को नाम, पैसा और शोहरत मिली है.
सच कहूं तो मैं ने इस बारे में कभी सोचा ही नहीं. लेकिन मैं इस बात से भी पूरी तरह सहमत हूं कि छोटा परदा बड़े परदे से कहीं ज्यादा पावरफुल है क्योंकि छोटा परदा तब से प्रसिद्ध है जब मैं खुद छोटी सी थी. इस की पहुंच छोटेछोटे गांवों तक है. ऐसे में अगर मु?ो बिग बौस का औफर मिला तो मैं जरूर जाना चाहूंगी. आप अपनी फिल्म ‘व्हाट ए किस्मत’ के नाम के मुताबिक किस्मत पर ज्यादा भरोसा करती हैं या मेहनत पर? अगर आप तकदीर पर भरोसा कर के हाथ पर हाथ धरे बैठ गए मेहनत नहीं की तो किस्मत भी साथ नहीं देगी. अगर मेहनत करते रहें तो एक न एक दिन सफलता जरूर मिलती है.
अनुराधा की सासू मां को अचानक से दिल का दौरा पड़ गया, पति आनन्द ने जल्दी से सोर्बीटेट गोली लाने को कहा पर अनुराधा ने हर ड्राअर को खोल कर देख लिया कहीं टेबलेट नहीं मिल रही थी, हर बार केमिस्ट से आफत मुसीबत में काम आएगी ये सोचकर ले आती है और आज जब काम पड़ा तो……….खैर वह जल्दी से अपनी पड़ोसन के यहां से टेबलेट लेकर आई और सासू मां को दी, हॉस्पिटल में जब डाक्टर ने बताया कि समय पर सोर्बीटेट देने के कारण ही वे बच पायीं वरना…..तो अनुराधा को अपनी लापरवाही पर बहुत गुस्सा आया.
विपाशा के सास ससुर दोनों ही काफी लम्बे समय से बीमार थे उन्हें दवाई देने का काम विपाशा ही करती थी. एक दिन उसने ससुर की बी पी की दवाई अपनी सास को दे दी गोली खाते ही सास बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ीं. जब उसने देखा कि ससुर की बी पी की दवाई उसने अपनी सास को दे दी है चूंकि वे लो बी पी की पेशेंट हैं और हाई बी पी की गोली खाने से उनका बी पी और अधिक नीचे चला गया जिससे वे बेहोश हो गयीं आनन फानन में वह उन्हें हास्पिटल लेकर भागी बड़ी मुश्किल से उनकी जान बचाई जा सकी.
रचिता को अपने भाई की शादी में जाने के लिए बैंक लाकर से गहने निकालकर लाने थे पर दो दिन से लाकर की चाबी मिल ही नहीं रही थी. जब बहुत खोजने पर भी चाबी नहीं मिली तो उसने पति अमन को बताया, तब अमन ने कहा,”पिछली बार जब तुम लाकर गयीं थीं तो चाबी तुमसे गुम गयी थी और तुमने बैंक में सूचना भी दी थी फिर दूसरी चाबी तो लायीं ही नहीं.” अब इतना समय भी नहीं था कि वह बैंक जा सके अंत में उसे शादी में असली जेवर होने के बाद भी नकली जेवर ही पहनने पड़े.
हम सभी जानते हैं कि घर में फर्स्ट एड बोक्स का होना अत्यंत आवश्यक है. गरिमा ने भी बाजार से सुंदर सा प्लास्टिक बॉक्स लाकर फर्स्ट एड बोक्स बनाया परन्तु जब एक दिन उसके बेटे को लूज मोशन हुए तो उसने उसे जो गोली खाने को दी उसे खाने के बाद ही बेटे को पूरे शरीर पर एलर्जी हो गयी. डॉक्टर के अनुसार एक्सपायरी डेट वाली दवाई देने के कारण बेटे के शरीर पर एंटी रिएक्शन हो गया था.
रजत के पास एक अननोन नम्बर से फोन आया कि उसे पुलिस स्टेशन बुलाया है क्योंकि उसके स्कूटर से एक्सीडेंट हुआ है. उसने लाख कहा कि उसने अपना स्कूटर 2 साल पहले ही ओलेक्स के जरिये एक सज्जन को बेच दिया था परन्तु पुलिस ने उसकी एक न सुनी क्योंकि आज तक भी स्कूटर आर टी ओ ऑफिस में उसी के नाम पर दर्ज था.
आशिमा वर्ष भर का किराना एक साथ खरीद कर उनमें पारे की गोलियां डाल देती हैं जिससे वे लम्बे समय तक खराब नहीं होतीं. अक्सर वह दालों को बनाने से पहले गोलियों को निकाल कर वापस डिब्बे में डाल देती थी परन्तु एक दिन जल्दबाजी में उसने दाल के साथ गोली को भी उबाल दिया. दाल खाने के बाद परिवार के हर सदस्य को फ़ूड पोइजनिंग हो गयी और सभी को हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ गया.
उपरोक्त घटनाएँ निस्संदेह भयंकर लापरवाही का जीता जागता उदाहरण हैं. इस तरह की लापरवाहियां न केवल किसी कि जान ले सकतीं हैं बल्कि अनचाहे मानसिक अशांति और तनाव देने वाली भी होतीं हैं. इस प्रकार की किसी भी लापरवाही कभी आपसे भी न हो इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना अत्यंत
प्रत्येक घर में फर्स्ट एड बॉक्स का होना जितना आवश्यक है उतना ही अहम है उसका अपडेट रहना. प्रति माह इसे चेक करके एक्सपायरी डेट की दवाइयों को हटाकर नई दवाइयों से रिप्लेस कर दें. बी पी, शुगर जैसी रेगुलर यूज की दवाइयों को इसमें न रखें. सोर्बीटेट, डिस्प्रिन जैसी कभी कभार प्रयोग होने वाली दवाइयां घर के सभी लोगों को बताकर रखें और पैकेट के ऊपर ही एक्सपायरी डेट और नाम भी लिख दें ताकि आफत मुसीबत में घर के किसी भी सदस्य को आसानी से दवाई मिल जाये. फर्स्ट एड बोक्स हमेशा बड़ा बनाएं और उसमें 2-3 पार्टीशन करें ताकि दवाइयों के ट्यूब्स, थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, टेबलेट और बेंडेज आदि को अलग अलग रखा जा सके.
कार, स्कूटर या स्कूटी जैसे किसी भी वाहन को आप ऑनलाइन या ऑफ़लाइन कैसे भी बेंचें परन्तु खरीददार को देने से पहले आर टी ओ ऑफिस में वाहन को खरीददार के नाम पर ट्रांसफर अवश्य करवा दें ताकि भविष्य में कोई दुर्घटना होने पर आप जिम्मेदार न हों. क्योकिं अनहोनी होने पर जिसके नाम पर वाहन होता है उसे ही तलब किया जाता है. हो सके तो ट्रांसफर किये कागजों कि एक फोटो खींचकर अपने पास भी रखें.
अक्सर हम बैंक में एक बार जेवर रख देते हैं फिर कई कई महीनों तक उसे नहीं खोलते इसकी अपेक्षा 6 माह में एक बार अपने लाकर को अवश्य खोलें इससे आप अपनी चाबी और लाकर नम्बर से अपडेट तो रहेंगें ही साथ ही लाकर के गहने भी चेक कर पायेंगें क्योंकि बेंक आपके गहनों कि कोई गारंटी नहीं लेता. लाकर की चाबी को हमेशा एक गुच्छे में डालकर निश्चित जगह पर रखने के साथ साथ पति, सास या बड़े बच्चों को बताकर भी रखें ताकि याद न आने पर आप उनकी मदद ले सकें.
घर में प्रोपर्टी, इंश्योरेंस, मेडिकल फाइल्स, मुचुअल फंड्स, बच्चों की मार्कशीट जैसे अनेकों कागज़ होते हैं जो हमारे लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं. इसके लिए प्रत्येक विषय की व्यवस्थित फाइल बनाकर उसके ऊपर स्केच पैन से विषय का नाम लिखकर रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर समय व्यर्थ न हो. सभी फाइलों को रखने की भी एक निश्चित जगह पर रखें.
समय समय पर हम घर में फ्रिज, ए सी, टेबलेट और लेपटॉप जैसी अनेकों वस्तुएं खरीदते हैं इन पर काफी सालों की वारंटी या गारंटी होती है. यदि आप इन्हें व्यवस्थित तरीके से नहीं रखते हैं तो इसके खराब होने पर आप फ्री सर्विस का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं और फिर आपको अनावश्यक खर्चा करना पड़ जाता है
चिलचिलाती गर्मी में ठंडे पेय मन को बहुत राहत देते हैं. गर्मी में शरीर से निकलने वाले पसीने की कमी को पूरा करने के लिए भी आहार विशेषज्ञ अधिक से अधिक पेय पीने की सलाह देते हैं. बाजार में मिलने वाले पेय पदार्थ न तो स्वास्थ्यप्रद होते हैं और न ही हाईजिनिक. इसके अतिरिक्त बाजार से हर रोज खरीदना बजट फ्रेंडली भी नहीं होता तो क्यों न घर पर ही कुछ आसान से ड्रिंक तैयार कर लिए जायें जो बजट फ्रेंडली भी हैं और हाईजिनिक भी. मैंने इन्हें सर्व करने के लिए शॉट (छोटे ग्लास ) का प्रयोग किया है आप किसी भी प्रकार के ग्लास का प्रयोग कर सकतीं हैं.
1.पान शॉट
सामग्री
विधि
पान के पत्तों को धोकर साफ़ कर लें. अब इन्हें 1 टेबलस्पून पानी, शकर, गुलकंद, इलायची पाउडर और सौंफ के साथ मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें. पिसे मिश्रण में ठंडा दूध मिलाकर मिक्सी में ब्लेंड करें. ग्लास में कुटी बर्फ डालकर ब्लेंड किया दूध डालें और कटे पिस्ता से गार्निश करके सर्व करें.
2. खस शॉट
कितने लोगों के लिए – 4
बनने में लगने वाला समय – 30 मिनट
मील टाइप – वेज
सामग्री
विधि
खसखस के दाने, बादाम, काजू और इलायची को 4-5 घंटे के लिए पानी में भिगो कर मिक्सी में पीस लें. अब दूध को गैस पर उबलने रखें जब दूध में उबाल आ जाये तो पिसा खस का मिश्रण डालकर 2-3 उबाल ले लें. अब इस दूध को ठंडा होने दें. जब दूध बिल्कुल ठंडा हो जाये तो 2 बूँद हरा रंग डालकर मिक्सी में ब्लेंड कर लें. अब सर्विंग ग्लास में कुटी बर्फ डालकर ब्लेंड किया दूध डालकर सर्व करें.
3. जामुन शॉट
कितने लोगों के लिए – 6
बनने में लगने वाला समय – 20 मिनट
मील टाइप – वेज
सामग्री
विधि
जामुन को अच्छी तरह धोकर सूती कपड़े पर फैलाकर सुखा लें. अब शकर डालकर हाथों से मसलकर बीज और गूदे को अलग कर दें. चम्मच से बीजों को अलग कर दें और 1 ग्लास पानी, काला नमक और काली मिर्च डालकर ब्लेंडर से ब्लेंड कर लें. छलनी से छानकर ग्लास में कुटी बर्फ डालकर सर्व करें.
वैसे तो त्वचा में झुर्रियां उम्र के बढ़ने का एक संकेत होती हैं, लेकिन कई बार ऐक्सप्रैसिव फेस, डिहाइड्रेटेड स्किन या अधिक सन ऐक्सपोजर से कम उम्र में भी झुर्रियां दिखाई पड़ सकती हैं. इस का सब से अधिक असर चेहरे और हाथों की स्किन पर पड़ता है. उम्र को रोका नहीं जा सकता, लेकिन त्वचा की नियमित देखभाल से इस के असर को कम अवश्य किया जा सकता है.
इस बारे में क्यूटिस स्किन क्लीनिक की डर्मैटोलौजिस्ट डा. अप्रतिम गोयल कहती हैं कि त्वचा का हमेशा ध्यान रखना चाहिए और यह कम उम्र से ही रखना चाहिए.
झुर्रियां पड़ने की खास वजह
डा. अप्रतिम कहती हैं कि उम्र के बढ़ने के साथ त्वचा पतली और रूखी हो जाती है. इस से उस का लचीलापन कम हो जाता है और वह धीरेधीरे डैमेज होने लगती है और खुद रिकवर नहीं कर पाती. इस से झुर्रियां दिखाई पड़ने लगती हैं. आजकल कम उम्र में झुर्रियां दिखाई पड़ने की वजह व्यस्त जीवनशैली कम नींद, तनाव और आहार संबंधी लापरवाही है, जिसे समय रहते ठीक किया जा सकता है.
इस के अलावा जो लोग धूप में लंबे समय तक काम करते हैं, उन में भी झुर्रियां जल्दी दिखती हैं क्योंकि सूर्य की किरणों से त्वचा में मौजूद कोलोजन और इलास्टिक फाइबर अलग होने लगते हैं जबकि ये दोनों मिल कर ही कोशिकाओं को बांधे रखते हैं, जिस से त्वचा कसी हुई नजर आती है. इस परत के टूटने से स्किन कमजोर हो जाती है और झुर्रियां पड़ने लगती हैं.
त्वचा को तरोताजा रखने के 5 आसान टिप्स निम्न हैं:
पर्याप्त मात्रा में पानी का करें इनटेक
रोज सही मात्रा में पानी के इनटेक से त्वचा हाइड्रेटेड रहती है, जिस से त्वचा पर सूखे की वजह से पतली धारियां नहीं बनती हैं. यह आसान, अफोर्डेबल और साधारण तरीका है, जिस से स्किन को तरोताजा होने से कोई रोक नहीं सकता.
विटामिन सी और ए रिच फलों और सब्जियों का करें सेवन: औरेंज, स्वीटलाइम, लैमन, अमरूद आदि कोलोजन को समन्वय करने में मदद करते हैं, जिस से स्किन की चमक और टैक्स्चर इंप्रूव होता है, जबकि विटामिन ए रिच फल और सब्जियां मसलन गाजर, पपीता, हरी सब्जियां आदि सभी रैटिनौल के नैचुरल सोर्सेज हैं, जो स्किन टैक्स्चर को ही नहीं बल्कि स्किन टोन को भी इंप्रूव करते हैं.
सन ऐक्सपोजर को करें लिमिट
अधिक समय तक धूप में रहने से बचना जरूरी है क्योंकि बारबार सूर्य की किरणों से कोलोजन के डैमेज होने पर स्किन का ऐजिंग प्रोसैस जल्दी शुरू हो जाता है और झुर्रियां दिखाई पड़ने लगती हैं. बाहर निकलते वक्त त्वचा की रक्षा के लिए स्कार्फ, और सनस्क्रीन अवश्य लगाएं.
मैजिकल पल्प का करें प्रयोग
ऐलोवेरा पल्प को ओरली लेने या फेसपैक के रूप में प्रयोग करने पर स्किन हमेशा हाइड्रेटेड और स्मूद रहती है, जिस से फ्रैश लुक बना रहता है. ‘बनाना मास्क’ बनाने के लिए पके केले को मैश कर लगाने से भी त्वचा स्मूद होती है क्योंकि यह फेसपैक मौइस्चराइजर का काम करता है. औरेंज पल्प भी विटामिन सी रिच होता है, जो स्किन को ग्लो करने और रिजुविनेट करने में मदद करता है.
औयल और मसाज को न करें अनदेखा
नारियल और आमंड औयल दोनों ड्राई स्किन के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं. ये स्किन के क्रैक्स को भर कर त्वचा में फाइनलाइंस और झुर्रियां बनने से रोकते हैं. नियमित चेहरे की जैंटल मसाज से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिस से स्किन रिजुविनेट होती है. इस प्रकार औयल और मसाज के फायदे तो अनेक होते हैं, लेकिन ऐक्ने संभावित स्किन वालों के लिए औयल और मसाज को अवौइड करना चाहिए.
सवाल
मेरे आईब्रोज बहुत बुशी हैं. मुझे थ्रैडिंग कराते वक्त बहुत दर्द होता है. बताएं क्या करूं?
जवाब
आप जहां भी आईब्रोज कराने जाती हैं उन्हें बोलें कि वे आईब्रोज करने से पहले आप की आईब्रोज पर थोड़ी सी बर्फ रगड़ दें. इस से आईब्रोज थोड़ी सुन्न हो जाती हैं और दर्द नहीं होता. वे चाहें तो थ्रैड को भी गीला कर सकती हैं जिस से थ्रैडिंग करने से दर्द नहीं होता. थ्रैडिंग करते वक्त आप अपनी स्किन को अच्छे से स्ट्रैच कर के रखेंगी तो भी दर्द कम होता है. आईब्रोज को स्ट्रैच कराने के लिए किसी और की हैल्प ली जा सकती है, जिस से आईब्रोज ज्यादा स्ट्रैच हो जाती हैं और दर्द कम होता है. चाहें तो लेजर से भी आईब्रोज को हमेशा के लिए शेप दिलवा सकती हैं.
हैल्थ इज वैल्थ यानी अच्छा स्वास्थ्य ही वास्तविक दौलत या धन है. अत: शरीर को चुस्तदुरुस्त रखने के लिए हमें बचपन से ही 3 बातों पर ध्यान देना बताया जाता है- उचित खानपान, आवश्यक विश्राम और नियमित व्यायाम.आज बात करेंगे व्यायाम की. व्यायाम या ऐक्सरसाइज को चिकित्सक पौलिपिल की संज्ञा भी देते हैं. कारण, नियमितरूप से इसे करने वाला व्यक्ति कई बीमारियों से मुक्त रहता है और साथसाथ उस की कार्यक्षमता भी बढ़ती है. ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि एक वयस्क को
खुद को फिट और स्वस्थ रखने के बहुत से तरीके हैं. मसलन, जिम जाना, रनिंग, योगासन, ऐरोबिक्स या किसी तरह का स्पोर्ट्स इत्यादि. अगर आप इन से हट कर कुछ ट्राई करना चाहते हैं, तो स्विमिंग भी एक अच्छा विकल्प हैं खासकर गरमियों के मौसम में यह लोगों को बहुत पसंद आता है. ‘सैंटर औफ डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रीवैंशन’ के अनुसार स्विमिंग एक बेहतरीन फुल बौडी वर्कआउट है.
एक स्टडी के मुताबिक लगातार 3 महीने तक हरेक सप्ताह करीब 40-50 मिनट की तैराकी से व्यक्ति की ऐरोबिक फिटनैस में सुधार होता है जो इंसान के शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है. स्टडी के अनुसार यह कई तरह की बीमारियों यथा कैंसर, डायबिटीज, डिप्रैशन हृदयरोग और औस्टियोपोरोसिस के खतरे को भी कम करने में सहायक साबित होता है.
यों तो तैरने से शरीर के कई हिस्सों की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं और विकसित होती हैं पर हां अलगअलग स्ट्रोक या स्विमिंग तकनीक अलगअलग मांसपेशियों को प्रभावित करती है क्योंकि इन सब में तैरने के तरीके और टैक्नीक में थोड़ाबहुत अंतर होता है. हालांकि ज्यादातर स्ट्रोक्स में शरीर के सभी प्रमुख अंगों- धड़, बाजू, पैर, हाथ, पांव और सिर की लयबद्ध और समन्वित हरकतें शामिल होती हैं पर इन तैराकियों में शरीर का इस्तेमाल अलगअलग तरीके से होने की वजह से इन के फायदे भी अलग होते हैं.
उदाहरण के तौर पर फ्री स्टाइल में आप किसी भी तरीके से तैर सकते हैं. ब्रैस्टस्ट्रोक में आप सीने से जोर लगाते हैं, बटरफ्लाई में पूरे शरीर का इस्तेमाल होता है और साइड स्ट्रोक में एक हाथ हमेशा पानी में होता है और तैराक दूसरे हाथ का इस्तेमाल करते हुए तैरते हैं.
फ्रीस्टाइल तैराकी में लंबे समय तक स्ट्रोक के लिए धड़ को घुमाने में कोर ऐब्डौमिनल और औब्लिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं वहीं हिप फ्लैक्सर्स का उपयोग कौंपैक्ट और स्थिर नियमित किक बनाए रखने के लिए होता है. फ्रीस्टाइल बैकस्ट्रोक तैराकी के दौरान तैराकों को पीठ के बल लेट कर पानी पर तैरना होता है. पीठ के बल लेटने के बाद तैराक अपने हाथों और पैरों को चलाते हुए ऐसे तैरते हैं जैसे नाव में चप्पू चलाया जा रहा हो.
हाथों और पैरों की मूवमैंट इस में भी फ्रीस्टाइल की तरह ही होती है बस इस में अंतर इतना होता है कि आप पीठ के बल लेट कर तैरते हैं. डाक्टरों का कहना है कि पीठ की समस्याओं से जू?ा रहे लोगों के लिए ऐसे तैरना काफी फायदेमंद होता है.
बटरफ्लाई स्ट्रोक को वजन घटाने के लिए बेहतर माना गया है. इस स्ट्रोक को सही तरीके से 10 मिनट करने से लगभग 150 कैलोरी बर्न होती है. कोर ऐब्डौमिनल और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां सांस लेते समय शरीर को पानी से बाहर निकालती हैं. ग्लूट्स यह सुनिश्चित करते हैं की पैर डौल्फिन की तरह हों. पेक्स, लास्ट्स, क्वाड्स, काल्व्स, शोल्डर्स, बाइसैप्स ट्राइसैप्स सभी इस स्ट्रोक के दौरान खूब काम करते हैं.
ब्रैस्टस्ट्रोक की बात करें तो इस में तैराक अपने सीने के बल तैरते हैं और बाकी का धड़ बहुत कम गतिविधि करता है. इस में सिर लगभग पानी से बाहर ही होता है, शरीर सीधा रहता है और हाथों और पैरों को इस तरह से इस्तेमाल किया जाता है जैसेकि मेढक पानी में तैरते हैं. पेक्टोरल और लैटीसिमस डार्सी मांसपेशियों का उपयोग हाथों को पानी के विरुद्ध अंदर की और घुमाने के लिए किया जाता है. ग्लूट्स और क्वाड्रिसैप्स मसल्स ब्रैस्टस्ट्रोक किक देने में काम आती हैं.
1.लंग्स के लिए है लाभकारी
‘इंडियन जर्नल औफ फिजियोलौजी’ में प्रकाशित एक स्टडी ‘कंपैरेटिव स्टडी औफ लंग फंक्शन इन स्विमर्स ऐंड रनर्स’ में पाया गया कि स्विमिंग फेफड़ों को मजबूत करती है और उन में मौजूद औक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में भी असरदार है. स्विमिंग करते समय फेफड़े काफी सक्रिय रहते हैं और गहरी सांस लेने और देर तक थामे रखने का अभ्यास करते हैं.
इस से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और लंग्स मसल्स पर सकारात्मक दबाव पड़ता है. साथ ही तैराकों को अपनी सांस को अपने स्ट्रोक के साथ समयबद्ध करना पड़ता है और बस थोड़े ही अंतराल में सांस लेनी होती है. इस का मतलब है कि शरीर को थोड़ी देर इंतजार करने की ट्रेनिंग मिलती है जिस से सांस की सहनशक्ति विकसित होती है. इन अभ्यासों का सकारात्मक प्रभाव अस्थमा के मरीजों पर भी दिखता है.
2.स्ट्रैंथ बढ़ाने में मददगार
तैरते वक्त पैर लगातार चलाने पड़ते हैं. साथसाथ हाथों और कंधों को भी मूव करना होता है. चूंकि पानी हवा की तुलना में अधिक घना होता है, इसलिए पानी का शरीर पर दबाव भी अधिक महसूस होता है. पानी मूवमैंट में लगातार प्रतिरोध पैदा करता है. इस प्रतिरोध से आगे बढ़ने के लिए आप के शरीर को ज्यादा मेहनत करनी होती है. इस से मांसपेशियां टोन होती हैं और स्टैमिना और स्ट्रैंथ भी बढ़ती है. वयस्कों के कूल्हे या हिप की मांसपेशियों को मजबूत बनाने, औस्टियोआर्थ्राइटिस के रोगियों में ग्रिप स्ट्रैंथ में भी सुधार के लिए स्विमिंग को अच्छा माध्यम माना जाता है.
3. मैंटल वैल बीइंग
व्यायाम से ‘फील-गुड हारमोन’ और ऐंडोर्फिंस को बढ़ावा मिलता है और स्ट्रैस हारमोन ऐड्रेनालाइन और कोर्टिसोल को कम करता है.लो मूड, ऐंग्जाइटी, स्ट्रैस या डिप्रैशन आदि से बचने अथवा इन से पीडि़त लोगों के इलाज के दौरान भी स्विमिंग करने की सलाह दी जाती है. अन्य व्यायामों की तुलना में कुछ लोग स्विमिंग कर ज्यादा रिलैक्स्ड फील करते हैं.
4. जोड़ों के लिए भी बेहतर है स्विमिंग
आर्थ्राइटिस हो या हड्डियों की कोई अन्य इंजरी स्विमिंग को अन्य ऐक्सरसाइज की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है. रनिंग, साइक्लिंग या जिम के अन्य वर्कआउट में जो सब से बड़ा खतरा है वह है हड्डियों या जोड़ों में इंजरी का. आर्थ्राइटिस के मरीजों को भी डाक्टर स्विमिंग की सलाह देते हैं. जब आप का शरीर पानी में होता है तब आप ऐसी मूवमैंट्स भी कर पाते हैं, जो आमतौर पर करना मुश्किल हो जाता है. तैरते वक्त जोड़ों पर काफी कम भार पड़ता है. इसलिए जोड़ों में दर्द के बावजूद आराम से तैरा जा सकता है.
5. बेहतर आती है नींद
‘नैशनल इंस्टिट्यूट औफ हैल्थ’ के अनुसार बुजुर्गों के लिए अनिद्रा का सबसे अच्छा उपाय है स्विमिंग.
6. दिल का रखे खयाल
स्विमिंग एक तरह की ऐरोबिक ऐक्सरसाइज है, जो हार्ट को मजबूती देती है, ब्लड प्रैशर को नियंत्रित रखने में मदद करती है. यदि महिलाएं प्रत्येक दिन 30 मिनट तैरती हैं, तो कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा 30 से 40% तक कम हो जाता है. तैराकी गुड कोलैस्ट्रौल लैवल को बढ़ाने में भी मदद करता है.
Story in Hindi
अवसर चाहे छोटा हो या बड़ा हम उसे फेमिली और फ्रेंड्स के साथ इंजॉय करना ही चाहते हैं. अब चूंकि गर्मियों का मौसम प्रारम्भ हो चुका है और गर्मियों की हीट वेव से बचने के लिए आजकल पूल पार्टी का चलन फैशन में है. पूल पार्टी करना काफी आसान होता है क्योंकि इसमें सामान्य इंजॉय के साथ साथ पानी में भी मेहमान बहुत अच्छी तरह पार्टी का आनन्द उठा पाते हैं. ऐसी पार्टी को स्विमिंग पूल के आसपास के एरिया में प्लान किया जाता है. यदि आप भी ऐसी किसी पार्टी को अरेंज करना चाहते हैं तो ये टिप्स आपके बहुत काम आयेंगे-
स्वीमिंग पूल के आसपास विविधता भरी सिटिंग का इंतजाम करना उचित रहता है. इसके लिए लम्बी और कम हाईट की बोहो टेबल चेयर्स, रग्स या दरियों का इंतजाम बैठने के लिए करना उचित रहता है. दोनों पर ही कम्फर्ट के लिए पिलो, और मसनद का प्रयोग किया जा सकता है. पूल पार्टी में सबसे महत्वपूर्ण है कि मेहमानों के आराम का बहुत अधिक ध्यान रखा जाये ताकि पूल में न जाने वाले मेहमान भी भरपूर आनंद ले सकें.
कोई भी साधारण सा अवसर भी बेहद ख़ास बन जाता है जब आप उसमें कोई ड्रेस या कलर सेट कर देते है. महिलाओं के लिए साड़ी, सूट, शरारा सूट और पुरुषों के लिए कुरता पाजामा जैसा ड्रेस कोड पार्टी की थीम के अनुसार रखा जा सकता है. ड्रेस कोड किसी के लिए मुश्किल का कारण न बने इसके लिए आप कलर कोड भी रखें जिससे सारे मेहमान देखने में एक समान प्रतीत होते हैं. ड्रेस के कलर कोड के अनुसार ही पूल की सजावट भी करें. या फिर सजावट के अनुसार ट्रोपिकल, आल व्हाइट या कलरफुल ड्रेस कोड भी रखा जा सकता है. यदि थीम कलरफुल है तो निआन थीम भी रखी जा सकती है.
यूं तो आजकल हर पार्टी में लिकर, बीयर जैसे ड्रिंक का होना सामान्य सी बात है. समर पार्टी के ड्रिंक में फ्रूट पंच, मोकटेल्स, ज्युसेज, गन्ने का ज्यूस, बर्फ का गोला और कोल्ड ड्रिंक रखा जा सकता है. ड्रिंक को सर्व करने के लिए आप अच्छी क्वालिटी के डिस्पोजेबल ग्लास और नल वाली केन या कंटेनर का प्रयोग करें इससे मेहमान खुद ही ले भी सकेंगें और हाइजीनिक भी रहेगा.
गेम्स के बिना तो हर पार्टी ही अधूरी रहती है. रंग बिरंगे पूल बैलून पूरे पूल में बिखेरकर हिट एंड कैच गेम, अच्छा ख़ासा इंजॉय हर उम्र के लोंगों के द्वारा किया जा सकता है. इसके अलावा आप तम्बोला. तीन पत्ती, अन्ताक्षरी जैसे गेम्स से पार्टी को और अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है. पूल के अंदर डोनट्स, फ्लेमिंगो, यूनिकॉर्न और पाइन एप्पल शेप के फ्लोट पूल में बहुत आराम से डाले जा सकते हैं और इससे पूल में बहुत अच्छे से इंजॉय किया जा सकता है. म्यूजिक के लिए वाटर प्रूफ अलेक्सा का प्रयोग करें.
भले ही पूल में कितनी भी ठंडक क्यों न हो परन्तु सूर्य की तेज धूप से बचाव बेहद जरूरी है. इसलिए पूल के एक कोने में टेबल पर तीन चार सनस्क्रीन का इंतजाम करकें रखें ताकि बार बार इसे एप्लाई किया जा सके साथ ही पूल के चारों तरफ टेंट के द्वारा शेड का इंतजाम करना बेहद आवश्यक है ताकि मेहमान धूप से प्रभावित होने से बचे रहें.
किसी भी पार्टी की जान होता है वहां सर्व किया जाने वाला फ़ूड. फ़ूड में वेराइटी और एज ग्रुप का ध्यान रखना बेहद आवश्यक होता है. मेन कोर्स के स्थान पर ऐसा फ़ूड रखना आवश्यक जिसे ब्रेक ले लेकर आराम से खाया जा सके. नूडल्स, पास्ता, वेजिटेबल सैंडविच, मिक्स वेज पकौड़े, सलाद, एवोकाडो, बीटरूट और पालक से बने सलाद के साथ साथ साउथ इंडियन फ़ूड को भी शामिल किया जा सकता है.
चूंकि पूल पार्टी का आयोजन ही धूप से पूल के अंदर डोनट्स, फ्लेमिंगो, यूनिकॉर्न और पाइन एप्पल फ्लोट पूल में बहुत आराम से डाले जा सकते हैं बचने के लिए किया जाता है इसलिए इसका समय भी शाम का ही रखा जाना चाहिए ताकि शाम के ढलते सूरज और निकलते चन्द्रमा का आनन्द उठाया जा सके. इसे आप प्री डिनर या नाईट पार्टी का नाम दे सकते हैं.
चेंजिग रूम की साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें. मेहमानों की संख्या के अनुसार कुछ टावेल का इंतजाम आप स्वयं करें साथ ही मेहमानों से भी अपनी टावेल साथ लाने को कहें. चेंजिग रूम में एक मग और बाल्टी की व्यवस्था भी करें. अंत में सबसे महत्वपूर्ण आप जैसे ही आप पूल पार्टी का प्लान करें तो जहां भी आप पार्टी का प्लान करें वहां बुकिंग कर लें ताकि ऐनवक्त पर कोई परेशानी न हो.