क्या आइब्रो की कम ग्रोथ से आप भी हैं परेशान, तो बस अपनाएं ये नेचुरल उपाय

आंखें हमारे चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाती हैं और इन आंखों की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं, इनके ठीक ऊपर बनी आइब्रो. अगर ऑईब्रो घनी और परफेट शेप में होंगी तो ये चेहरे की रंगत बढ़ा देती हैं और ये हल्की हों तो चेहरे पर एक खालीपन रहता है. जिस कारण कई बार हमें शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है इन्हें घना बनाने के चक़्कर में हम कई सारे प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल करती हैं लेकिन जरूरी नहीं उनसे मनचाहा परिणाम मिले, इसलिए हमें आपको कुछ घरेलू चीजों के उपयोग के बारे में बता रहें हैं जिन्हे आप अपने ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साथ भी इस्तेमाल कर सकती हैं और आप अपनी आइब्रो को खूबसूरत और घनी बना सकती हैं.

विटामन ई

विटामिन ई एक पावरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट है यह हमारी स्किन व बालो के लिए बहुत लाभकारी होता है.इसके रेगुलर इस्तेमाल से बालों को नुकसान पहुंचाने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है. बेहतर रिजल्ट के लिए रात में सोने से पहले आप इसे अपनी आईब्रो पर अप्लाई कर सकती हैं.

कैस्टर (आरंडी )ऑयल

कैस्टर ऑयल में रिकिनोइलिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. इसके अलावा कई और अन्य पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.

इसे आप नारियल के तेल के साथ मिक्स कर के लगाएं. इस प्रक्रिया को लगातार 1 से 2 महीने तक जरूर ट्राई करें.फर्क आपको खुद नजर आने लगेगा.

ऑलिव ऑयल

ऑलिव ऑयल में फेनोलिक कंपाउंड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो बालों को लंबा और घना बनाने का काम करते हैं.

एलोवेरा जेल

एलोवेरा में विटामिन और खनिज होते हैं इसे आप फ्रेश भी लगा सकती हैं या बाजार में मिलने वाले जेल भी इस्तेमाल कर सकती है एलोवेरा से 10 मिनट के लिए मसाज करें और रात भर के लिए ऐसे ही छोड़ दें.

कच्चा दूध

कच्चे दूध में कई सारे प्रोटीन, विटामिन्स, मिनिरल्स और फैटी एसिड्स होते हैं, जो आइब्रो की ग्रोथ बढ़ाने के साथ साथ बालों की ग्रोथ को कोमल बनाते हैं.

चेहरे की रंगत दिनबदिन खत्म होती जा रही है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 45 साल है. चेहरे की रंगत दिनबदिन खत्म होती जा रही है. इस के लिए कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब-

नियमित रूप से करीपत्तों का उपयोग करने से आप के चेहरे की रंगत में निखार आ जाएगा. करीपत्तों का इस्तेमाल करने के लिए इन्हें अच्छी तरह धूप में सुखा लें. उस के बाद इन का पाउडर बना लें. उस में जरूरत के हिसाब से कुछ बूंदें शहद, गुलाबजल और 1 छोटा चम्मच मुलतानी मिट्टी मिला कर फेस पैक बना लें. अब इस पेस्ट को 20 से 30 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें. उस के बाद चेहरे को सादे पानी से धो लें. कुछ ही दिनों में चेहरे की त्वचा पर इस का अच्छा असर दिखाई देने लगेगा.

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आजकल तेज गरमी और पौल्यूशन से सबसे ज्यादा नुकसान स्किन को होता है, जिसके लिए हम मार्केट से क्रीम खरीदते हैं, लेकिन वह लंबे समय तक के लिए ठीक नही करती. अगर स्किन की खूबसूरती लंबे समय तक बरकरार रखने के लिए हम नेचुरल होममेड टिप्स का इस्तेमाल करें तो वह हमारी स्किन के लिए फायदेमंद होगा. इसीलिए आज हम आपको स्किन के लिए हनी के फायदें बताएंगे. जिससे आप मार्केट से लाएं हुए प्रोडक्ट की जगह होममेड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगे.

1. स्किन को शाइनी बनाएगा हनी

शहद और दूध में मौजूद एंटीऔक्‍सीडेंट शरीर के लिए बहुत अच्‍छा होता है. शहद और दूध से बना मास्‍क त्‍वचा पर लगाने से तुरंत चमक आ जाती है. ऑफिस में पूरा दिन काम करने के बाद इसके इस्‍तेमाल से आप फ्रेश दिखने लगते है. साथ ही नियमित रूप से शहद और दूध के मास्‍क से चेहरे की टैनिंग भी दूर होने लगती है. इसके अलावा विटामिन, मिनरल और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण यह रंगत को निखारने में भी मदद करता है.

2. झुर्रियों को दूर करें

अगर आपको उम्र बढ़ने की इस प्रौब्लम का सामना करना पड़ रहा हैं, और आप झुर्रियों को दूर करना चाहते हैं तो हनी और मिल्क से बना फेस पैक इस प्रौब्लम में आपकी मदद कर सकता है. इसके लिए दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर फेस पर लगा लें.

3. फटे लिप्स के लिए होम रेमेडी है हनी

अक्‍सर लोग को फटे होंठों की प्रौब्लम रहती हैं. फटे होंठों को नमी की जरूरत होती है. आप अपने होंठों को नमी देने के लिए इस मैजिकल पेस्ट का इस्‍तेमाल कर सकते हैं. टाइम से इसे लगाने पर आप जल्‍द ही फटे होंठों की प्रौब्लम से निजात पा सकते हैं.

डिनर में परोसें बेसनी शिमला मिर्च

अगर आप अपनी फैमिली को नई और टेस्टी डिश ट्राय करना चाहते हैं तो बेसनी शिमला मिर्च आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. बेसनी शिमला मिर्च को आप आसानी से बना सकते हैं.

हमें चाहिए

–   1/2 कप बेसन

–   2 प्याज कटे

–   2 शिमलामिर्च कटी

–   1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–   1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–   पकाने के लिए पर्याप्त तेल

–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी.

बनाने का तरीका

पैन में तेल गरम कर शिमलामिर्च डाल कर चलाते हुए भूनें और निकाल लें. बेसन को अच्छी तरह से छान कर अलग रख दें. कड़ाही में तेल गरम कर प्याज सुनहरा होने तक पका लें. अब इस में सारे मसाले और शिमलामिर्च मिला कर 2 मिनट तक पकाएं. बेसन व थोड़ा पानी मिला कर ढक कर 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं. धनियापत्ती से गार्निश कर परोसें.

क्या है लैक्टोज इनटौलरैंस

दूध, दही आदि डेयरी प्रोडक्ट्स स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे होते हैं. इस के बावजूद दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें दूध या अन्य डेयरी प्रोडक्ट सूट नहीं करते या कह सकते हैं उन्हें इन से ऐलर्जी होती है. मैडिकल भाषा में इसे लैक्टोज इनटौलरैंस कहते हैं. वे इन्हें पचा नहीं पाते हैं .

लैक्टोज क्या है:

दूध में शुगर होती है जिसे लैक्टोज कहते हैं. हालांकि लैक्टोज इनटौलरैंस कोई बीमारी नहीं है पर यह आप के लिए असहज हो सकती है. हमारे शरीर में एक ऐंजाइम ‘लैक्टेज’ होता है जो शरीर को शुगर एब्जार्ब करने में मदद करता है. यह एंजाइम छोटी आंत में होता है पर कुछ लोगों को यह नहीं होता है या बहुत कम होता है. जिन्हें लो लैक्टोज होता है वे डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं पचा पाते हैं यहां तक कि दूध से बनी स्वादिष्ठ देशी मिठाइयां भी.

लो लैक्टोज से क्या होता है:

जिन्हें लैक्टोज ऐंजाइम की कमी है उन की छोटी आंत में दूध का शुगर, लैक्टोज, ब्रेक डाउन नहीं हो पाता है. यह नीचे कोलन में जा कर वहां बैक्टीरिया से मिलता है और फरमैंट करता है जिस के चलते गैस, डकार, दस्त और उलटियों की शिकायत होती है.

लैक्टोज इनटौलरैंस किसे हो सकता है:

इस में कोई अपवाद नहीं है, यह शिकायत दुनियाभर में करोड़ों लोगों को है खासकर व्यस्कों को. इस में कोई आश्चर्य नहीं है कि लगभग 40% लोगों में 2 से 5 साल के बाद लैक्टोज ऐंजाइम बनना बंद हो जाता है या बहुत कम हो जाता है.

यह आनुवंशिक भी हो सकता है या कुछ अन्य बीमारियों के चलते भी.

सिंपटम्स: दस्त (डायरिया, मिचली, उलटी, पेट में दर्द या क्रैंम्प (ऐंठन), गैस और डकार.

डायग्नोसिस: आप स्वयं कुछ सप्ताह के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स खाना बंद कर देखें. आप के सिंप्टम खत्म हो गए हों तब पुन: डेयरी प्रोडक्ट्स खाना शुरू कर इस की प्रतिक्रिया देखें. आवश्यकतानुसार डाक्टर की सलाह लें.

आप के सिंप्टम के आधार पर डाक्टर आप को भोजन में डेयरी प्रोडक्ट्स कुछ दिनों के लिए बंद करने की सलाह दे कर उस का परिणाम देखना चाह सकते हैं. इस के अतिरिक्त निम्न टैस्ट की सलाह दे सकते हैं:

हाइड्रोजन ब्रेथ टैस्ट: आप को एक पेय पीने को कहा जाएगा जिस में लैक्टोज हाई लैवल में होगा. कुछ समय के अंतराल पर आप की सांस में हाइड्रोजन की मात्रा नापी जाएगी. अगर आप के द्वारा छोड़ी गई सांस में हाइड्रोजन की मात्रा अधिक हुई तो इस का मतलब आप को लैक्टोज इनटौलरैंस है.

लैक्टोज टौलरैंस टैस्ट: हाई लैवल लैक्टोज ड्रिंक पीने के 2 घंटे बाद आप का ब्लड टैस्ट किया जाएगा. अगर ब्लड में ग्लूकोस की मात्रा में वृद्धि नहीं हुई तो इस का मतलब आप लैक्टोज नहीं पचा पा रहे हैं और आप को  लैक्टोज इनटौलरैंस है.

उपचार: अगर लैक्टोज इनटौलरैंस कुछ निहित कारणों से हो तब उपचार के बाद ठीक हो सकता है हालांकि इस में महीनों लग सकते हैं अन्यथा इस के लिए कुछ उपाय हैं.

मिल्क और अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स खाना कम कर इनटौलरैंस रैग्युलेट किया जा सकता है. लैक्टोज ऐंजाइम का पाउडर दूध में मिला कर ले सकते हैं.

अकसर आटिज्म से ग्रस्त बच्चों को डाक्टर ग्लूटेन फ्री (बिना गेहूं वाला) और केसिन फ्री खाना खाने की सलाह देते हैं. ग्लूटेन और केसिन पेट में इनफ्लैमेशन बढ़ाते हैं जिस का असर ब्रेन पर भी पड़ता है और आटिज्म के सिंप्टम और खराब हो सकते हैं.

आजकल अन्य लैक्टोज फ्री मिल्क भी उपलब्ध हैं: सोया मिल्क, राइस मिल्क, आमंड मिल्क , कोकोनट मिल्क, काजू मिल्क, हेंप सीड मिल्क, ओट मिल्क, गोट मिल्क, पी नट मिल्क और हेजल नट मिल्क. इन में कुछ के दूध के अलावा दही, पनीर और मिठाई भी बन सकती है. डेयरी मिल्क का निकटतम वैकल्पिक मिल्क सोया मिल्क है, यह अन्य विकल्प की तुलना में सस्ता भी होता है.

मिलन: भाग 3- जयति के सच छिपाने की क्या थी मंशा

लेखक- माधव जोशी

एक रात मैं ने जयंत से इस बात का जिक्र भी किया. वे व्यथित हो गए और कहने लगे, ‘‘मां को सभी दुख उसी इंसान ने दिए हैं, जिसे दुनिया मेरा बाप कहती है. मेरा बस चले तो मैं उस से इस दुनिया में रहने का अधिकार छीन लूं. नहीं जयति, नहीं, मैं उसे कभी माफ नहीं कर सकता. उस का नाम सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है.’’ जयंत का चेहरा क्रोध से तमतमाने लगा. मैं अंदर तक कांप गई. क्योंकि मैं ने उन का यह रूप पहली बार देखा था.

फिर कुछ संयत हो कर जयंत ने मेरा हाथ पकड़ लिया और भावुक हो कर कहा, ‘‘जयति, वादा करो कि तुम मां को इतनी खुशियां दोगी कि वे पिछले सभी गम भूल जाएं.’’ मैं ने जयंत से वादा तो किया लेकिन पूरी रात सो न पाई, कभी मां का तो कभी जयंत का चेहरा आंखों के आगे तैरने लगता. लेकिन उसी रात से मेरा दिमाग नई दिशा में घूमने लगा. अब मैं जब भी मांजी के साथ अकेली होती तो अपने ससुर के बारे में ही बातें करती, उन के बारे में ढेरों प्रश्न पूछती. शुरूशुरू में तो मांजी कुछ कतराती रहीं लेकिन फिर मुझ से खुल गईं. उन्हें मेरी बातें अच्छी लगने लगीं. एक दिन बातों ही बातों में मैं ने जाना कि लगभग 7 वर्ष पहले वह दूसरी औरत कुछ गहने व नकदी ले कर किसी दूसरे प्रेमी के साथ भाग गई थी. पिताजी कई महीनों तक इस सदमे से उबर नहीं पाए. कुछ संभलने पर उन्हें अपने किए पर पछतावा हुआ. वे पत्नी यानी मांजी के पास आए और उन से लौट चलने को कहा. लेकिन जयंत ने उन का चेहरा देखने से भी इनकार कर दिया. उन के शर्मिंदा होने व बारबार माफी मांगने पर जयंत ने इतना ही कहा कि वह उन के साथ कभी कोई संबंध नहीं रखेगा. हां, मांजी चाहें तो उन के साथ जा सकती हैं. लेकिन तब पिताजी को खाली लौटना पड़ा था. मैं जान गई कि यदि उस वक्त जयंत अपनी जिद पर न अड़े होते तो मांजी अवश्य ही पति को माफ कर देतीं, क्योंकि वे अकसर कहा करती थीं, ‘इंसान तो गलतियों का पुतला है. यदि वह अपनी गलती सुधार ले तो उसे माफ कर देना चाहिए.’

मैं ने मांजी से यह भी मालूम कर लिया कि पिताजी की मुंबई में ही प्लास्टिक के डब्बे बनाने की फैक्टरी है. अब मैं ने उन से मिलने की ठानी. इस के लिए मैं ने टैलीफोन डायरैक्ट्री में जितने भी उमाकांत नाम से फोन नंबर थे, सभी लिख लिए. अपनी एक सहेली के घर से सभी नंबर मिलामिला कर देखने लगी. आखिरकार मुझे पिताजी का पता मालूम हो ही गया. दूसरे रोज मैं उन से मिलने उन के बंगले पर गई. मुझे उन से मिल कर बहुत अच्छा लगा. लेकिन यह देख कर दुख भी हुआ कि इतने ऐशोआराम के साधन होते हुए भी वे नितांत अकेले हैं. उस के बाद मैं जबतब पिताजी से मिलने चली जाती, घंटों उन से बातें करती. मुझ से बात कर के वे खुद को हलका महसूस करते क्योंकि मैं उन के एकाकी जीवन की नीरसता को कुछ पलों के लिए दूर कर देती. पिताजी मुझे बहुत भोले व भले लगते. उन के चेहरे पर मासूमियत व दर्द था तो आंखों में सूनापन व चिरप्रतीक्षा. वे मां व जयंत के बारे में छोटी से छोटी बात जानना चाहते थे. मैं मानती थी कि पिताजी ने बहुत बड़ी भूल की है और उस भूल की सजा निर्दोष मां व जयंत भुगत रहे हैं. पर अब मुझे लगने लगा था कि उन्हें प्रायश्चित्त का मौका न दे कर जयंत पिताजी, मां व खुद पर अत्याचार कर रहे हैं.

शीघ्र ही मैं ने एक कदम और उठाया. शाम को मैं मां के साथ पार्क में घूमने जाती थी. पार्क के सामने ही एक दुकान थी. एक दिन मैं कुछ जरूरी सामान लेने के बहाने वहां चली गई और मां वहीं बैंच पर बैठी रहीं.

‘‘विजया, विजया, तुम? तुम यहां कैसे?’’ तभी किसी ने मां को पुकारा. अपना नाम सुन कर मांजी एकदम चौंक उठीं. नजरें उठा कर देखा तो सामने पति खड़े थे. कुछ पल तो शायद उन्हें विश्वास नहीं हुआ, लेकिन फिर घबरा कर उठ खड़ी हुईं.

‘‘जयंत की पत्नी जयति के साथ आई हूं. वह सामने कुछ सामान लेने गई है,’’ वे बड़ी कठिनाई से इतना ही कह पाईं.

‘‘कब से यहां हो? तुम खड़ी क्यों हो गईं?’’ उन को जैसे कुछ याद आया, फिर अपनी ही धुन में कहने लगे, ‘‘इस लायक तो नहीं कि तुम मुझ से कुछ पल भी बात करो. मैं ने तुम पर क्याक्या जुल्म नहीं किए. कौन सा ऐसा दर्द है जो मैं ने तुम्हें नहीं दिया. प्रकृति ने तो मुझे नायाब हीरा दिया था, पर मैं ने ही उसे कांच का टुकड़ा जान कर ठुकरा दिया.’’ क्षणभर रुक कर आगे कहने लगे, ‘‘आज मेरे पास सबकुछ होते हुए भी कुछ नहीं है. नितांत एकाकी हूं. लेकिन यह जाल तो खुद मैं ने ही अपने लिए बुना है.’’ पुराने घाव फिर ताजा हो गए थे. आंखों में दर्द का सागर हिलोरें ले रहा था. दोनों एक ही मंजिल के मुसाफिर थे. तभी मां ने सामने से मुझे आता देख कर उन्हें भेज दिया. उस दिन के बाद मैं किसी न किसी बहाने से पार्क जाना टाल जाती. लेकिन मां को स्वास्थ्य का वास्ता दे कर जरूर भेज देती.

इसी तरह दिन निकलने लगे. मांजी रोज छिपछिप कर पति से मिलतीं. पिताजी ने कभी यह जाहिर नहीं किया कि वे मुझे जानते हैं. लेकिन मुझे अब आगे का रास्ता नहीं सूझ रहा था. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए? जब काफी सोचने पर भी उपाय न सूझा तो मैं ने सबकुछ वक्त पर छोड़ने का निश्चय कर डाला. लेकिन एक दिन पड़ोसिन नेहा ने टोका, ‘‘क्या बात है जयति, तुम आजकल पार्क नहीं आतीं. तुम्हारी सास भी किसी अजनबी के साथ अकसर बैठी रहती हैं.’’

‘‘बस नेहा, आजकल कालेज का काम कुछ ज्यादा है, इसलिए मांजी चाचाजी के साथ चली जाती हैं,’’ मैं ने जल्दी से बात संभाली. लेकिन नेहा की बात मुझे अंदर तक हिला गई. अब इसे टालना संभव नहीं था. इस तरह तो कभी न कभी जयंत के सामने बात आती ही और वे तूफान मचा देते. मैं ने निश्चय किया कि यह खेल मैं ने ही शुरू किया है, इसलिए मुझे ही खत्म भी करना होगा. लेकिन कैसे? यह मुझे समझ नहीं आ रहा था. उस रात मैं ठीक से सो न सकी. सुबह अनमनी सी कालेज चल दी. रास्ते में जयंत ने मेरी सुस्ती का कारण जानना चाहा तो मैं ने ‘कुछ खास नहीं’ कह कर टाल दिया. लेकिन मैं अंदर से विचलित थी. कालेज में पढ़ाने में मन न लगा तो अपने औफिस में चली आई. फिर न जाने मुझे क्या सूझा. मैं ने कागज, कलम उठाया और लिखने लगी…

‘‘प्रिय जय,

‘‘मेरा इस तरह अचानक पत्र लिखना शायद तुम्हें असमंजस में डाल रहा होगा याद है, एक बार पहले भी मैं ने तुम्हें प्रेमपत्र लिखा था, जिस में पहली बार अपने प्यार का इजहार किया था. उस दिन मैं असमंजस में थी कि तुम्हें मेरा प्यार कुबूल होगा या नहीं. ‘‘आज फिर मैं असमंजस में हूं कि तुम मेरे जज्बातों से इंसाफ कर पाओगे या नहीं. ‘‘जय, मैं तुम से बहुत प्यार करती हूं लेकिन मैं मांजी से भी बहुत प्यार करने लगी हूं. यदि उन से न मिली होती तो शायद मेरे जीवन में कुछ अधूरापन रह जाता. ‘‘मांजी की उदासी मुझ से देखी नहीं गई, इसलिए पिताजी की खोजबीन करनी शुरू कर दी. अपने इस प्रयास में मैं सफल भी रही. मैं पार्क में उन की मुलाकातें करवाने लगी. लेकिन मां को मेरी भूमिका का जरा भी भान नहीं था.

‘‘अब वे दोनों बहुत खुश हैं. मांजी बेसब्री से शाम होने की प्रतीक्षा करती हैं. वे तो शायद उन मुलाकातों के सहारे जिंदगी भी काट देंगी. लेकिन तुम्हें याद है, जब 2 महीने पहले मैं सेमिनार में भाग लेने बेंगलुरु गई थी तब एक सप्ताह बाद लौटने पर तुम ने कितनी बेताबी से कहा था, ‘जयति, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता, तुम मुझे फिर कभी इस तरह छोड़ कर मत जाना. तुम्हारी उपस्थिति मेरा संबल है.’ ‘‘तब मैं ने मजाक में कहा था, ‘मांजी तो यहां ही थीं. वे तुम्हारा मुझ से ज्यादा खयाल रखती हैं.’ ‘‘‘वह तो ठीक है जयति, मांजी मेरे लिए पूजनीय हैं, लेकिन तुम मेरी पूजा हो,’ तुम भावुकता से कहते गए थे. ‘‘याद है न सब? फिर तुम यह क्यों भूल जाते हो किमांजी की जिंदगी में हम दोनों में से कोई भी पिताजी की जगह नहीं ले सकता. क्या पिताजी उन की पूजा नहीं, उन की धड़कन नहीं? ‘‘जब मांजी को उन से कोई शिकवा नहीं तो फिर तुम उन्हें माफ करने वाले या न करने वाले कौन होते हो? यह तो किसी समस्या का हल नहीं कि यदि आप के घाव न भरें तो आप दूसरों के घावों को भी हरा रखने की कोशिश करें. ‘‘जय, तुम यदि पिताजी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम इतना तो कर सकते हो कि उन से नफरत न करो. मांजी तो सदैव तुम्हारे लिए जीती रहीं, हंसती रहीं, रोती रहीं. तुम सिर्फ एक बार, सिर्फ एक बार अपनी जयति की खातिर उन के साथ हंस लो. फिर देखना, जिंदगी कितनी सरल और हसीन हो जाएगी. ‘‘मेरे दिल की कोई बात तुम से छिपी नहीं. जिंदगी में पहली बार तुम से कुछ छिपाने की गुस्ताखी की. इस के लिए माफी चाहती हूं.

‘‘तुम जो भी फैसला करोगे, जो भी सजा दोगे, मुझे मंजूर होगी.

‘‘तुम्हारी हमदम,

जयति.’’

पत्र को दोबारा पढ़ा और फिर चपरासी के हाथों जयंत के दफ्तर भिजवा दिया. उस दिन मैं कालेज से सीधी अपनी सहेली के घर चली गई. शायद सचाई का सामना करने की हिम्मत मुझ में नहीं थी. रात को घर पहुंचतेपहुंचते 10 बज गए. घर पहुंच कर मैं दंग रह गई, क्योंकि वहां अंधकार छाया हुआ था. मेरा दिल बैठने लगा. मैं समझ गई कि भीतर जाते ही विस्फोट होगा, जो मुझे जला कर खाक कर देगा. मैं ने डरतेडरते भीतर कदम रखा ही था कि सभी बत्तियां एकसाथ जल उठीं. इस से पहले कि मैं कुछ समझ पाती, सामने सोफे पर जयंत को मातापिता के साथ बैठा देख कर चौंक गई. मुझे अपनी निगाहों पर विश्वास नहीं हो रहा था. मैं कुछ कहती, इस से पहले ही जयंत बोल उठे, ‘‘तो श्रीमती जयतिजी, आप ने हमें व मांजी को अब तक अंधेरे में रखा…इसलिए दंड भुगतने को तैयार हो जाओ.’’

‘‘क्या?’’

‘‘तुम पैकिंग शुरू करो.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘भई, जाना है.’’

‘‘कहां?’’

‘‘हमारे साथ मसूरी,’’ जयंत ने नाटकीय अंदाज से कहा तो सभी हंस पड़े.

दोस्ती में प्यार की अनचाही दस्तक, कहीं खलल का न बन जाए सबब

अब स्कूल और कालेजों में लड़केलड़कियां साथसाथ पढ़ रहे हैं. वे स्कूलकालेजों तक से नौकरी तक का सफर तय कर रहे हैं. अब वे 2 भागों में बंट चुके समाज का हिस्सा मात्र नहीं हैं बल्कि साथ मिल कर समाज के रूप को गढ़ रहे हैं. ऐसे में रोजमर्रा के जीवन में नजदीकियां और गलतफहमियों का बढ़ना लाजिमी सी बात है. चाहेअनचाहे कभी न कभी यह सिचुएशन आप के सामने भी आई होगी और ऐसा ज्यादातर लड़कियों के साथ होता है, इस बात से तो आप भी सहमत होंगे. उन की चंचलता ओवरफ्रैंडली व केयरिंग नेचर अकसर उन्हें ऐसी सिचुएशन में डाल देता है.

स्कूलकालेज और वर्कप्लेस में लड़केलड़कियां अच्छे दोस्त बन जाते हैं और अपोजिट सैक्स की तरफ अट्रैक्ट भी आसानी से हो जाते हैं. कई बार उन का बिहेवियर सिबलिंग जैसा होता है जिस में हंसीमजाक, एकदूसरे को हाथ मारना आम सी बात हो जाती है. एडल्ट जोक्स, एकदूसरे की टांग खींचना और गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड के नाम ले कर एकदूसरे का मजाक बनाना जेन जी के लिए सामान्य सा हो गया है. ऐसे में अकसर लोग गलतफहमियों का शिकार हो जाते हैं.

ये दोस्ती की हदों को नहीं स्वीकारते और न ही कोई मानमर्यादा का ध्यान रखते हैं, जिस के नैगेटिव इफैक्ट उन्हें कभी न कभी देखने को मिलते ही हैं और एक वक्त ऐसा भी आता है कि नजदीकियां अकसर गलतफहमियां पैदा कर देती हैं और रिश्तों में दरार आने लगती है.

कितनी ही बार ये गलतफहमियां इस हद तक बढ़ जाती हैं कि एकदूसरे की मौजूदगी तक अखरने लगती है. इस स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि वक्त रहते इन संकेतों को पहचान लें और अगर आप नहीं चाहते कि संबंधविच्छेद हो तो वक्त रहते रिश्तों को खराब होने से रोका जा सकता है.

अगर आप को लग रहा है कि आप का दोस्त आप की दोस्ती के रिश्ते को अनचाहा मोड़ देने की कोशिश कर रहा है और आप उस के लिए तैयार नहीं हैं तो आप कुछ बातों का ध्यान रख कर ऐसा होने से रोक सकते हैं.

ट्रिगर पौइंट्स बदलावों पर हो ध्यान

अगर आप का कोई दोस्त आप का जरूरत से ज्यादा ध्यान रख रहा या रही है और बातबात पर सवाल करना उस की आदत सी बनती जा रही है, एक्स्ट्रा पजैसिव रहना उस की आदत सी बनती जा रही है, वह हर वक्त आप को देखते रहता है.

अगर आप का दोस्त आप को महंगेमहंगे गिफ्ट देने लगा है और अकसर गैदरिंग में आप के हिस्से के पैसे बिना बोले दे रहा है. आप के नजदीक आने के और बात करने के बहाने ढूंढ़ना उस की आदत सी बनती जा रही है.

अगर वह बाकी दोस्तों को नजरअंदाज कर सिर्फ आप को इंपोर्टेंस दे रहा है. अगर वह छोटी से छोटी गलती पर भी माफी मांग कर आप को अनकंफर्टेबल फील करा रहा है तो यह साइन हो सकता है कि आप के दोस्त या जानकार का आप की तरफ रोमांटिक अप्रोच बढ़ रहा है. इसलिए वक्त रहते इन्हें पहचान लें और यदि आप उस के लिए तैयार नहीं हैं तो संभल जाएं.

क्या करें और क्या न

अगर आप का दोस्त आप की तरफ आकर्षित हो गया है जबकि आप केवल उसे एक दोस्त या सहकर्मी की तरह मानते हैं तो यह बहुत अजीब स्थिति बन जाती है. आप उसे नजरअंदाज करना भी चाहते हैं और नहीं भी. आप अपनी दोस्ती को खत्म नहीं करना चाहते लेकिन इस नई स्थिति को अवौयड जरूर करना चाहते हैं. आप को वह अनकंफर्टेबल फील कराने लगता है. कई बार एंग्जाइटी और डिप्रैशन आप को घेरने लगते हैं.

तब बहुत हद तक उस रिश्ते का क्या होना है, इस बात पर डिपैंड करता है कि आप स्थिति से कैसे निबटते हैं. अगर आप जल्दबाजी में या गुस्से में आ कर कोई ऐक्शन लेते हैं तो आप उस व्यक्ति को खोने का जोखिम उठा सकते हैं जिस पर आप भरोसा करते हैं या उसे खोना नहीं चाहते.

कुछ बातों का ध्यान रख कर ऐसा होने से रोका जा सकता है. आइए जानें कि कैसे-

कुछ सीमाएं निर्धारित करें

कुछ सीमाएं निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण है. कभीकभी हम ऐसे काम करते हैं जिन से दूसरे व्यक्ति को गलत संकेत जा सकते हैं. जैसे, अगर आप की आदत उस के साथ लगभग बौयफ्रैंड की तरह व्यवहार करने की है जैसे कि उसे समयसमय पर मिलने को बुला लेना, रोमांटिक जगहों पर मिलना जहां ज्यादातर कपल्स आते हैं, उस के साथ क्लोज हो जाना, बातबात पर हाथ पकड़ लेना और वजहबेवजह उस की तारीफ करते रहना.

हर वक्त मैसेज करते रहना जैसी आदतें भी गलत संकेत दे सकती हैं. अकसर ओपनमाइंडेड और चुलबुले स्वभाव की लड़कियां ऐसा कर बैठती हैं. जिन्हें पता ही नहीं होता कि इन बातों को किस तरह लिया जा सकता है. चंचलता ओवरफैं्रडली व केयरिंग नेचर उन के लिए परेशानी का सबब बन जाता है, जिन्हें बड़ी आसानी से मिसअंडरस्टैंड किया जाता है.

यह भी जरूरी है कि आप ऐज अ कपल मंदिर या किसी पूजास्थल न जाएं. ऐसी जगह जाने से दोस्त को यह गलतफहमी हो सकती है कि आप भी उस के साथ सहमति रखती हैं. मतलब आप भी इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती हैं क्योंकि साथ मंदिर जाने वाले अकसर अपने रिश्ते को भगवान की सहमति दिलाने जाते हैं और ऐसा आप का फ्रैंड सोच सकता या सकती है.

ईमानदार रहें

अपने दोस्त के लिए ईमानदार रहना जरूरी है.  दोस्त के सामने यह स्वीकार करें कि आप के मन में उस के लिए समान भावनाएं नहीं हैं या आप उस के लिए रोमांटिक फील नहीं करते. उसे बताएं कि आप अपनी दोस्ती को महत्त्व देते हैं और नहीं चाहते कि रिश्ते पर कोई असर पड़े.  इस बात का ध्यान रखें कि जब आप उस से बात करें तो आप रूड या गुस्से में न दिखें.

दूसरे मित्र से बात करें

अगर आप का दोस्त उस के बाद भी नहीं मानता और अभी भी जिद पर अड़ा हुआ है तो आप किसी कौमन दोस्त से बात करें जो मीडिएटर का काम कर सकता है. हो सकता है कि यह तीसरा दोस्त उसे बेहतर तरीके से समझा सके या आप को गाइड कर सके.

गौसिप्स का मसला न बनाएं

कुछ लोगों को हर बात दूसरे दोस्तों के साथ साझा करने की आदत सी होती है. ऐसे संवेदनशील टौपिक्स को दोनों के बीच ही रखा जाना बेहतर होता है. एक अच्छा दोस्त या सहकर्मी होने के नाते यह आप का कर्तव्य है कि आप उस की भावनाओं का सम्मान करें और इस के बारे में दूसरों के साथ गौसिप्स न करें. अगर गपशप उस के कानों तक पहुंच गई तो स्थिति बिगड़ सकती है और यह आप के रिश्ते में और अधिक प्रौब्लम पैदा कर सकती है.

भारतीय परंपरा कहें या पुरुषप्रवृत्ति, लड़कों को बड़ी आसानी से गलतफहमियों का शिकार बना देती है और बड़ी आसानी से वे अपनेआप को इन बातों से कनविंस कर लेते हैं कि सामने वाली लड़की उन्हें पसंद करने लगी है.

‘हंसी तो फंसी’ जुमला आप ने अकसर अपने दोस्तों को कहते सुना होगा जो फिल्मों में भी जबरदस्त इस्तेमाल किया जाता है. ‘डीडीएलजे’ फिल्म ने तो लड़की के ‘पलट’ कर देखनेभर को प्यार के इजहार से जोड़ दिया था. ‘लड़कियों की न में भी हां है’ और ‘लड़कियों की तो आदत है भाव खाना’ जैसे फिल्मी डायलौग रहीसही कसर पूरी कर देते हैं. ये तो लड़कों की अंडरस्टैंडिंग ही खत्म कर देते हैं.

लड़के का हाथ पकड़ लेने को लड़की का लड़के को पसंद करने का इंडीकेटर बना देना जैसे दृश्य पुरुष मानसिकता को भ्रमित कर रहे हैं. फिल्मी होते भारतीय समाज ने ऐसे मामूली से इंसिडैंट्स को भी रोमांस से जोड़ कर मेल मेंटैलिटी ही बदल दी है.

एक लड़की होने के नाते कितनी ही बार मैं ने इन्हीं बातों को महसूस कर अपने मेल फ्रैंड्स और कलीग्स से दूरियां बनाई हैं जो आप की अपनी सिक्योरिटी के लिए भी जरूरी हो जाता है.

ऐसे में लड़कों के लिए इस बात को समझ लेना जरूरी है कि वे इस मिसकंसैप्शन से बाहर निकलें कि हर अच्छे से बात करने वाली आप के साथ हंसनेबोलने, खानेपीने वाली और केयर करने वाली लड़की या महिला आप की दीवनी या प्यार में पड़ी नहीं, बल्कि एक अच्छी दोस्त व कलीग भी हो सकती है.

दोस्ती, दोस्तों और अच्छे संबंधों को खो देने से बेहतर है कि वक्त रहते सिचुएशन को संभाल लें. सच्चे दोस्त और विश्वासपात्र लोगों का मिलना उतना ही मुश्किल है जितना कि घास में सूई का मिलना. तो बेहतर होगा कि उन रिश्तों को इंपोर्टेंस दी जाए.

फ्लौप क्वीन श्रद्धा कपूर

Shraddha Kapoor: मेकिंग सोशल मीडिया सोशियली रिस्पौंसिबल श्रद्धा कपूर को कौन नहीं जानता. साल 2014 में शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर इंटरनैट पर सर्च की जाने वाली 6 नंबर की सैलिब्रेटी रही हैं लेकिन 2014 से 2023 की तुलना की जाए तो बिरले ही कोई श्रद्धा को इंटरनैट पर सर्च करता होगा. श्रद्धा एक समय अपने क्यूट फेस के चलते काफी चर्चा में थीं.

कुछ सालों में श्रद्धा की फिल्म इंडस्ट्री में मौजूदगी और बौक्सऔफिस पर उन की मौजूदगी का ग्राफ लगातार गिरता रहा है. उन के अभिनय कैरियर की शुरुआत 2010 में आई ‘तीन पत्ती’ से हुई थी. उस के बाद एकआध अच्छी फिल्मों के अलावा उन के पास ऐसी खास एचीवमैंट नहीं रही.

श्रद्धा की शुरुआत

बौलीवुड के विलेन कहे जाने वाले ऐक्टर शक्ति कपूर और शिवांगी कोल्हापुरी के घर 3 मार्च, 1987 को चुलबुली श्रद्धा कपूर का जन्म हुआ. वे लता मंगेशकर और आशा भोंसले की भतीजी हैं. इस साल श्रद्धा कपूर 37वां जन्मदिन सैलिब्रेट करने जा रही हैं.

बोस्टन यूनिवर्सिटी से साइकोलौजी की पढ़ाई बीच में छोड़ कर ऐक्ंिटग में कैरियर को चुनने वाली श्रद्धा, इंग्लिश और हिंदी के अलावा रशियन व ब्रिटिश एक्सैंट भी बढि़या बोल लेती हैं.

फिल्मी सफर

फिल्मी परिवार से आने वाली श्रद्धा को इस का फायदा मिला. उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ डैब्यू किया. 16 साल की उम्र में फिल्म ‘लकी नो टाइम फौर लव’ औफर को ठुकरा देने के बाद श्रद्धा कपूर ने साल 2010 में ‘तीन पत्ती’ से डैब्यू किया. अपनी पहली फिल्म में उन्होंने बौलीवुड के दिग्गज अमिताभ बच्चन और आर माधवन जैसे कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई. इस फिल्म के लिए इन्हें फिल्मफेयर का बैस्ट डैब्यू फीमेल अवार्ड के लिए नौमिनेट जरूर किया गया.

2011 में उन्होंने ‘लव का दि ऐंड’ की. जो बुरी तरह फ्लौप रही. उस के बाद उन्होंने ‘आशिकी 2’ की, यहां उन्हें कुछ तारीफें बटोरने का मौका मिला. बौक्सऔफिस पर इस का कलैक्शन अच्छा रहा पर उन की ऐक्ंिटग सामान्य रही. ‘आशिकी’ के नोस्टाल्जिया और फिल्म के गाने चलने की वजह से यह फिल्म हिट हुई.

श्रद्धा कपूर ‘हैदर’, ‘साहो’, ‘एक विलेन’, ‘छिछोरे’ और ‘बागी’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में नजर आ चुकी हैं. इन की सब से ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘स्त्री’ (2018). ‘साहो’ (2019), ‘छिछोरे’ (2019) और ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ रही हैं. लेकिन ऐसी कोई भी फिल्म उन की ऐक्ंिटग का लोहा मनवाने में कामयाब रही हो, नहीं कहा जा सकता. ये सारी फिल्में हीरो के इर्दगिर्द रहीं. जो फिल्म उन्होंने अपने दम पर की, ‘हसीना पार्कर’, वह बुरी तरह फ्लौप हो गई.

बौलीवुड में जहां टौप हीरोइनें 15 से 20 करोड़ रुपए लेती हैं वहीं श्रद्धा एक फिल्म के लिए केवल 5-6 करोड़ रुपए ही लेती हैं, जो कि उन के गिरते ग्राफ को बताता है. बौलीवुड इंडस्ट्री में एक दशक से ज्यादा का समय बिता चुकीं श्रद्धा के पास अभी भी कुछ गिनेचुने प्रोजैक्ट्स हैं जिन की बदौलत वे बौलीवुड में अपनी मौजूदगी दर्ज करा पाती हैं.

श्रद्धा कपूर पिछली बार फिल्म ‘तू ?ाठी मैं मक्कार’ में नजर आई थीं, जिस में उन की जोड़ी पहली बार रणबीर कपूर के साथ दिखी. जो कि वन टाइम मूवी रही. यहां भी एवरेज ऐक्ंिटग के चलते यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई. इस फिल्म ने जो बिजनैस किया वह डायरैक्टर लव रंजन के प्रति यूथ का रु?ान है. इस के अलावा इस फिल्म में बौलीवुड के चार्मिंग और टैलेंटेड ऐक्टर रणबीर कपूर थे.

हालांकि, साल 2015 में श्रद्धा कपूर ‘फोर्ब्स इंडिया सैलिब्रेटी 100’ की लिस्ट में भी शामिल रहीं जिस में उन का नंबर 57वां रहा. इस के अलावा वे ‘फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया’ की लिस्ट में भी शामिल रहीं. इस के बावजूद वे अपने कैरियर में कोई खास मुकाम हासिल नहीं कर पाईं.

अफेयर या अफवाह

श्रद्घा का नाम कई बौलीवुड स्टार्स के साथ जोड़ा गया. ‘आशिकी’ के दौरान उन के कोस्टार आदित्य राय कपूर के साथ लिंकअप की खबरें रहीं. तो कुछ समय बाद सैलिब्रिटी फोटोग्राफर रोहन श्रेष्ठा के साथ भी उन का नाम जोड़ा गया.

अक्तूबर 2023 में ऐसी अफवाहें थीं कि श्रद्धा ‘तू ?ाठी मैं मक्कार’ के लेखक राहुल मोदी को डेट कर रही हैं पर वे किसी सीरियस रिलेशनशिप में हैं, ऐसा उन्होंने किसी भी माध्यम से जाहिर नहीं किया है.

सोशल मीडिया पर हैं ऐक्टिव

श्रद्धा की ऐक्ंिटग चाहे जैसी भी हो पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सोशल मीडिया पर उन के फैंस की लिस्ट लंबी है और वे बहुत पौपुलर भी हैं. इंस्टाग्राम पर उन के फौलोअर्स की संख्या 86.9 मिलियन है, तो ट्विटर पर 14.9 मिलियन. सोशल मीडिया पर श्रद्धा को मीम क्वीन कहा जाता है. उन के पोस्ट इतने इंटे्रस्ंिटग होते हैं कि कुछ ही देर में वायरल हो जाते हैं. वे कमैंटबौक्स में लोगों को जवाब भी देती हैं.

Deepika Padukone और रणवीर सिंह ने दी गुड न्यूज, इस महीने में बनेंगे मम्मी-पापा

Deepika Padukone Pregnancy: बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी की खबर शेयर की हैं. काफी समय से एक्ट्रेस की प्रेग्नेंसी को लेकर अटकले लगाई जा रही थी, लेकिन अब रणबीर और दीपिका के घर में भी जल्द ही किलकारियां गूंजने वाली है.

इस कपल ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर बताया है कि वे सितंबर में अपने पहले बच्चे का स्वागत करेंगे, उनके इस पोस्ट फैंस और फ्रेंड्स बधाई संदेश दे रहे हैं.

दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह सिंतबर में पेरेंट्स बनेंगे. इस कपल ने आज यानी 29 फरवरी को अपने-अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक कार्ड शेयर किया है, आप देख सकते हैं कि इस कार्ड पर बच्चों के कपड़े, जूते, खिलौने बने हुए हैं.

 

इसी के साथ कार्ड पर सितंबर, 2024 भी लिखा है. इस पोस्ट के कैप्शन में फोल्डिंग हैंड की इमोजी डाला है. इस पोस्ट पर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज अनुपम खेर, सोनू सूद, सोनाक्षी सिन्हा, कृति सेनॉन, प्रियंका चोपड़ा सहित तमाम स्टार्स ने बधाई दी है. अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, सोनम कपूर, अभिषेक बच्चन ने भी इस जोड़े को बधाई दी है.

गौरतलब है कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने साल 2018 में शादी की थी और छह साल बाद ये कपल नए मेहमान के स्वागत की तैयारियों में जुट गए हैं. आपको बता दें कि दीपिका पादुकोण हाल ही में बाफ्टा अवॉर्ड्स फंक्शन में नजर आई थीं. इस अवॉर्ड्स से जुड़ा एक वीडियो फैंस के बीच वायरल हुआ था, जिसे देखने के बाद तमाम यूजर्स ने कयास लगाई थीं कि वह प्रेग्नेंट हैं और उन्होंने अपने बेबी बंप को साड़ी से छिपाया है. अब इस कपल ने यह खुशखबरी सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर भी की है.

अब घर पर ही बनाएं Mayonnaise

मेयोनीज एक आम डिप की तरह पूरे भारत में प्रसिद्ध हो चुका है. अगर आप बाजार से मेयो खरीदती हैं तो आज हम आपको इसे घर पर ही बनाना सिखाएंगे.

आप इन मेयोनीज को फ्रिज में बना कर रख सकती हैं और पास्‍ता, सलाद या फिर बर्गर आदि के लिये यूज कर सकती हैं.

हमने इसमें सिरके की जगह पर नींबू का प्रयोग किया है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि नींबू मेयो में बैक्‍टीरिया पड़ने से रोकेगा. तो अब देर ना करें और सींखे कि घर पर किस तरह मेयोनीज बनाया जा सकता है.

सामग्री

अंडा- 1

तेल- 1 कप

चीनी- 1/4 छोटा चम्मच

नमक- 1/4 छोटा चम्मच

काली मिर्च पाउडर- 1/4 छोटा चम्मच

नींबू- 1/2

विधि

एक जार में अंडे और अन्‍य सामग्रियां डालें और उसे हैंड ब्‍लेंडर से ब्‍लेंड करें. जब यह क्रीमी और गाढा हो जाए तब समझिये आपका मेयो तैयार हो गया.

फिर इसे एक एयरटाइट कंटेनर में डालें और फ्रिज में रख दें.

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