क्या आपको भी आती है बार-बार छींक, तो जानें इसके कारण और इलाज

छींक शरीर द्वारा नाक या गले के जरीए अशुद्धियों को बाहर निकालने का तरीका है. यह हमेशा ही अचानक आती है और आप का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता. हालांकि यह काफी परेशान करने वाली हो सकती है, परंतु यह किसी गंभीर शारीरिक समस्या का संकेत नहीं होती.

छींक का कारण

सांस के रूप में शरीर के अंदर हम जो हवा लेते हैं उसे साफ करना नाक के काम का हिस्सा है, जिस से वह धूलकण व जीवाणुरहित हो जाए. ज्यादातर मामलों में आप की नाक धूलकणों व जीवाणुओं को श्लेष्मा में कैद कर लेती है. इस के बाद आप का पेट इस श्लेष्मा झिल्ली में जलन या उत्तेजना पैदा करती है, तो छींक का कारण बनती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के अनुसार, ऐलर्जी, सामान्य सर्दी या फ्लू, नाक की परेशानी व किसी दवा को छोड़ने आदि की वजह से छींकें पैदा हो सकती हैं.

ऐलर्जी:

यह बाहरी जीवों के संपर्क में आने के पश्चात शरीर द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रिया है. सामान्य स्थिति में आप के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली रोग के कारक विषाणुओं से आप की रक्षा करती है. लेकिन अगर आप को ऐलर्जी है तो आप के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नुकसानरहित जीवों को भी चेतावनी के तौर पर लेती है. ऐलर्जी की वजह से जब आप का शरीर उन बाहरी जीवाणुओं को बाहर निकाल फेंकना चाहता है, तो आप को छींक आती है.

विषाणु (वायरस):

इस की वजह से होने वाले संक्रमण जैसे, सामान्य सर्दी व फ्लू से भी छींक आती है, तो नाक में आई चोट, किसी खास दवा, मिर्च और धूलकणों आदि का सांस के जरीए अंदर जाना और ठंडी हवा में सांस लेना भी छींक आने का कारण बनता है. इस बात का पता अब तक नहीं चला है कि किसी खास चीज से जहां किसी को ऐलर्जी हो जाती है, वहीं दूसरे के साथ ऐसा क्यों नहीं होता. लेकिन इस बात का पता चल जाता है कि आप का शरीर ऐलर्जी के किन कारकों को ले कर संवेदनशील है. हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ इस प्रकार बनी होती है कि जैसे ही कोई बाहरी अवयव हमारी नाक में प्रवेश करता है, उस से पीछा छुड़ाने के लिए शरीर में कई तरह की प्रतिक्रियाएं होती हैं.

इन प्रतिक्रियाओं की वजह से हिस्टामिन का स्राव होता है, जिस के परिणामस्वरूप नाक व आंखों में पानी आने लग जाता है और प्रतिक्रिया की प्रकृति के अनुसार, सांस लेने में परेशानी व घरघराहट जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं. वे कारक जो नाक में ऐलर्जी पैदा करते हैं, वातावरण में मौजूद होते हैं और उन में से नाक की ऐलर्जी के मुख्य कारक परागकण तो विभिन्न स्थानों पर अलगअलग मात्रा में पाए जाते हैं. खरपतवार के पराग लंबी दूरी तय कर सकते हैं, तो फूल के पेड़, घास, झाडि़यां व पौधे भी ऐसे परागकण छोड़ते हैं, जिस से नाक में ऐलर्जी हो सकती है.

धूल की वजह से भी छींक आ सकती है, परंतु इस की वजह से प्राय: कोई ऐलर्जी नहीं होती. लेकिन फर्श पर बिछाने वाले गद्दे, पुराने फर्नीचर, कालीन आदि में मौजूद धूलकणों की वजह से नाक की ऐलर्जी हो सकती है. ठंड के मौसम में जब हवा में परागकणों का स्तर बहुत अधिक नहीं होता, एक व्यक्ति बड़ी आसानी से पता कर सकता है कि उसे किन परागकणों की वजह से छींक आती है. जानवरों में मौजूद रहने वाले डेंडर कण भी नाक की ऐलर्जी का एक बड़ा कारण बनते हैं. बिल्लियों व कुत्तों के शरीर से निकलने वाले ये कण प्राय: घर के फर्नीचर, कालीन तक पहुंच जाते हैं, जो इन पालतू जानवरों के वहां से हटने के बाद भी वहां बने रहते हैं. इन से नजात पाने का सब से बढि़या तरीका है कि आप कालीन आदि को नियमित अंतराल पर शैंपू से धोया करें व वैक्यूम क्लीनर से उन की सफाई करें.

नाक की ऐलर्जी को पहचानने का सब से आसान तरीका यह है कि आप यह याद रखें कि ऐसे में अचानक आप की नाक में एक खिंचाव सा अनुभव होने लगता है और बारबार छींक आने लग जाती है. इस का मतलब यह है कि आप का शरीर बाहर से प्रविष्ट किसी चीज या ऐलर्जी के कारक से पीछा छुड़ाना चाह रहा है. कुछ देर बाद आप की नाक बंद होने लग जाती है और संवेदनशील हो जाती है. यह सिलसिला तब तक जारी रहता है, जब तक हमारा शरीर उन तत्त्वों को बाहर निकाल कर नहीं फेंक देता.

निदान

ऐलर्जी विशेषज्ञ आप के लक्षण किसी ऐलर्जी की ओर इशारा कर रहे हैं या नहीं और ऐलर्जी के उन खास कारकों को पहचानने के लिए विशेषतौर पर प्रशिक्षित व अनुभवी होते हैं, जिन की वजह से छींक पैदा होती है. वे इस की पुष्टि के लिए जरूरी जांच जैसे, स्किन प्रिक व ब्लड टैस्ट के साथसाथ आप से आप के स्वास्थ्य से संबंधित इतिहास की जानकारी भी हासिल करते हैं. जांच की इन प्रक्रियाओं से यह पता चलता है कि व्यक्ति को किनकिन चीजों से ऐलर्जी है. स्किन प्रिक यानी त्वचा का ऐलर्जी परीक्षण, ऐलर्जी परीक्षण का सब से आम, विश्वसनीय तथा अपेक्षाकृत दर्दरहित रूप है. इस के लिए कुछ ऐलर्जी कारकों की थोड़ी सी मात्रा को आप की त्वचा की सतह पर एक छोटी सी खरोंच या चुभन के जरीए डाल दिया जाता है. फिर त्वचा की प्रतिक्रियाओं के आधार पर विशिष्ट ऐलर्जी कारक की पहचान की जाती है. इस के लिए आप को बहुत लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता. 15 मिनट के अंदर प्रतिक्रियाएं सामने होती हैं.

इस में होता यह है कि जिस चीज से आप को ऐलर्जी है उस को जिस स्थान पर डाला जाता है वहां पर थोड़ी सूजन आ जाती है. जैसे अगर आप को खरपतवार के पराग से ऐलर्जी है न कि बिल्लियों से तो खरपतवार के ऐलर्जी कारक के इस्तेमाल से उस स्थान पर सूजन या खुजलाहट होगी. लेकिन वहां पर बिल्ली से प्राप्त ऐलर्जी कारक डाले जाने पर त्वचा सामान्य बनी रहेगी. सामान्यतया ब्लड टैस्ट का सहारा तब लिया जाता है जब स्किन टैस्ट असुरक्षित हो या कारगर न हो. जैसे अगर आप कोई दवा ले रहे हों या कि त्वचा की स्थिति कुछ ऐसी हो, जिस में त्वचा की जांच करने से समस्याएं सामने आने की संभावना हो.

घर पर ही छींक का इलाज

छींक से बचने का एक सब से बढि़या तरीका तो यह है कि आप उन चीजों से बचें, जो आप की छींक को जगाती हों. इस के लिए आप अपने घर में कुछ छोटेमोटे बदलाव कर के देखें. सब से पहले तो आप अपने किचन में गैस के चूल्हे पर लगे फिल्टर को बदलें ताकि आप के घर का फिल्ट्रेशन सिस्टम सुचारू रूप से चल सके. यदि आप के पास पालतू जानवर है और उस के बालों या फर से आप को बहुत परेशानी हो रही है तो उस के बालों को कटवाने या उसे घर से बाहर निकालने पर विचार कर सकते हैं. गंभीर मामलों में आप को अपने घर के फफूंद के बीजाणु की जांच कराने की आवश्यकता पड़ सकती है, जो हो सकता है कि आप की छींक का कारण हो.

मूल कारणों का इलाज

अगर आप की छींक में ऐलर्जी या संक्रमण का योगदान है तो आप और आप के डाक्टर इस के कारण के इलाज के लिए साथ मिल कर काम कर सकते हैं ताकि छींक की समस्या का समाधान हो. यदि छींक किसी ऐलर्जी की वजह से आ रही है, तो आप का पहला काम ऐलर्जी के उस कारक को हटाना है. आप के डाक्टर उस कारक का पता लगाने में मदद करेंगे ताकि आप उस से दूर रह सकें. आप के लक्षणों से राहत या निवारण के लिए बाजार में दवाएं भी उपलब्ध हैं, जिन्हें ऐंटीहिस्टामाइन्स कहा जाता है. ऐंटी ऐलर्जी की कुछ प्रचलित दवाएं क्लेरिटिन व जिरटेक हैं. नेजल स्प्रे भी उन में शामिल है, जो नाक के भीतर की जलन या उत्तेजना को कम कर छींक में कमी लाने में सहायक है. अगर आप को ऐलर्जी की गंभीर समस्या है, तो आप के डाक्टर आप को ऐलर्जी शौट्स लेने की सलाह दे सकते हैं. ऐलर्जी शौट्स में ऐलर्जी के कारकों का शुद्ध सार मौजूद होता है. इस के अंतर्गत आप के शरीर को ऐलर्जी के कारकों की छोटी मात्रा की नियमि खुराक दी जाती है, जिस से आप का शरीर भविष्य में ऐलर्जी के उन कारकों का प्रतिकार करने में सक्षम होता है. यह प्रक्रिया डी सैंसिटाइजेशन कहलाती है. अगर आप को सर्दीजुकाम की छोटीमोटी समस्या है तो आप के उपचार का विकल्प और सीमित हो जाता है. तत्काल सर्दी और जुकाम के कारक विषाणुओं से निबटने के लिए कोई ऐंटीबायोटिक कारगर नहीं है. आप अपनी बंद नाक या बहती नाक से राहत के लिए नेजल स्प्रे की मदद ले सकते हैं या फ्लू होने की स्थिति में जल्दी से स्वस्थ होने के लिए ऐंटीवायरल दवाओं का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के अलावा आप को पर्यात आराम और अधिक मात्रा में पानी व अन्य तरल पदार्थ लेना चाहिए ताकि शरीर में पानी का स्तर बना रहे. जिस से आप के शरीर को तेजी से स्वस्थ होने में मदद मिलती है.

– डा. संजय जैन
एससीआई इंटरनैशनल हौस्पिटल

क्या दवा के बिना PCOS का इलाज करने का कोई अन्य तरीका है?

सवाल-

मैं 28 साल की शादीशुदा महिला हूं, मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और हम बच्चे की योजना बना रहे हैं, लेकिन अपने पीकौस के कारण मैं गर्भधारण नहीं कर पा रही हूं. मैं दवा या कोई सर्जिकल उपचार नहीं लेना चाहती. क्या दवा के बिना पीकौस का इलाज करने का कोई अन्य तरीका है?

जवाब-

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जिस का अनुभव गर्भधारण की उम्र की हर 10 में से 1 महिला करती है. 2 आम तरीके जो डाइट पीकौस को प्रभावित करते हैं वे हैं वजन प्रबंधन और इंसुलिन का उत्पादन व प्रतिरोध.

आप के आहार में साबुत अनाज, फलियां, नट्स, बीज, फल, स्टार्च युक्त सब्जियां और कम कार्बोहाइड्रेट वाले फूड, ऐंटीइनफ्लैमेटरी फूड जैसे कि जामुन, वसायुक्त मछली, पत्तेदार साग और ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल, असंसाधित फूड, हाई फाइबर फूड, वसायुक्त मछली, गहरे लाल फल जैसे लाल अंगूर, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी और चेरी, ब्रोकली और फूलगोभी, सूखी बींस, दाल और अन्य फलियां, स्वास्थ्यबर्धक फैट जैसे जैतून का तेल, ऐवाकाडो और नारियल, नट्स, जिन में पाइन नट्स, अखरोट, बादाम और पिस्ता शामिल हैं.

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शादी के बाद मां बनने की ख्वाहिश हर महिला की होती है. लेकिन कैरियर के चक्कर में एक तो देरी से शादी करने का फैसला और उस के बाद भी मां बनने का फैसला लेने में देरी करना उन की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, जिस से उन्हें कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है समय पर सही फैसला लेने की व कंसीव करने में सफलता नहीं मिलने पर डाक्टरी परामर्श ले कर इलाज करवाने की.

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बेकार पड़ी प्‍लास्टिक की बोतल से ऐसे भगाएं मच्छर

मच्‍छरों को भगाने के लिए आप कई तरह के उपाय आजमाती होंगी. पर क्या आप जानती हैं, आपके घऱ में खाली पड़े प्‍लास्टिक बोतल भी मच्छर भगाने के काम आ सकता है. जी हां, खाली पड़े प्‍लास्टिक बोतल का इस्‍तेमाल कर आप मच्‍छरों से छुटकारा पा सकती हैं. चलिए जानते है कैसे?

इसके लिए आप घर में पड़ी खाली कोल्‍ड ड्रिंक्‍स या पानी की बोतल का इस्तेमाल कर सकती हैं. और इससे आप मौस्किटो ट्रैप बना सकती हैं. आइए बनाने की विधि जानते हैं.

इस ट्रैप की सबसे खास बात यह है कि बोतल के अंदर एक ऐसा लिक्विड बनाकर डाला जाता है जो मच्छर को अपनी खुश्‍बू से अट्रेक्‍ट करता है मच्छर खुद-ब-खुद इसके अंदर आते हैं और फंस जाते हैं. मच्छर बाहर नहीं निकल पाते और बोतल के अंदर ही मर जाते हैं.

 बनाने की सामग्री

  • पैकिंग टेप चौड़ा वाला
  • ब्राउन शुगर
  • कैंची या पेपर नाइफ
  • 2.5 लीटर वाली कोल्डड्रिंक की खाली बोतल
  • 500ml पानी
  • आधा चम्मच शहद

बनाने की विधि

स्टेप 1

सबसे  पहले एक 2.5 लीटर वाली कोल्डड्रिंक की खाली बोतल लें. अब उसे बीच में से काट लें. काटने के लिए कैंची या पेपर नाइफ का इस्तेमाल कर सकती हैं. अब कटे हुए हिस्से में 500ml पानी डालें और उसमें 2 स्पून ब्राउन शुगर डाल लें. अब इसे अच्छी तरह मिक्स कर लें. शुगर मिक्स होने के बाद पानी का कलर ब्राउन हो जाएगा.

स्टेप2

अब इस लिक्विड में एक चम्मच का चौथा हिस्से के बराबर शहद मिलाकर अच्छी तरह मिक्स करें. अब बोलत के कटे मुंह के हिस्‍से को बोतल में उल्‍टा करके लगा दें. यानी बोतल का मुंह नीचे की तरफ रहेगा. इसके बाद उल्टा रखकर इसे पैकिंग टैप की मदद से फिक्स कर लें.

अब टैप के ऊपर निकल रहे बोलत के एक्स्ट्रा पार्ट को कैंची से काट लें. इस तरह से आपका मौस्किटो ट्रैप तैयार होगी.

मां बनने पर समय से जाए डाक्टर के पास

डाक्टर मालविका मिश्रा, महिला रोग विषेषज्ञ

मां बनना किसी भी महिला के लिये जिदंगी का सबसे सुखद अहसास होता है. इसको और सुखद बनाने के लिये जरूरी है कि मां की सेहत की देखभाल बहुत ध्यान पूर्वक की जायें. मां बनने पर सबसे पहले डाक्टर के पास जाये. यह ना सोचे कि जब कोई दिक्कत होगी तब जायेगे. पहले के समय में जब कोई दिक्कत होती थी तभी महिलाओं को डाक्टर के पास ले जाया जाता था. अब गर्भ के ठहरते ही होने वाली मां को डाक्टर के पास जाना चाहिये. पहले यह काम सास या घर की कोई दूसरी महिला करती थी. अब ज्यादातर मामलों में पति खुद डाक्टर के पास ले जाता है. कई बार महिला खुद भी डाक्टर के पास संपर्क करने चली जाती है. यह बदलाव बहुत अच्छा है. समय पर डाक्टर के पास जाने से बहुत सारी उन बीमारियों से बचाव होने लगा है जिनकी जानकारी पहले नहीं हो पाती थी.

मां बनने वाली महिला को भी अपने बारें में सबकुछ पता होना चाहिये. उसे यह जानना भी जरूरी होता है कि किस तरह के लक्षण दिखाई देने पर डाक्टर के पास जाना चाहिये. मां बनने के बाद कुछ रेगुलर जांच भी कराते रहना चाहिये. इससे होने वाली परेशानी का हाल पहले पता चल जाता है. गर्भवती महिला और उसकी देखभाल में लगे लोगों को इन बातों की जानकारी होनी जरूरी होती है. इस संबंध में महिलारोग विषेषज्ञ डाक्टर मालविका मिश्रा से बातचीत हुई. डाक्टर मालविका ने कुछ बातें बताई. जिनसे मां बनने वाली महिला की जानकारियां बढ जाती है. वह कहती है कि समय से डाक्टर के पास जाने से भविष्य में होने वाली दिक्कते कम हो सकती है.

गर्भधारण के लिये पहले से ही तैयारी करना ठीक होता है. गर्भधारण की तैयारी करने पर ही महिला को फ्लोरिक एसिड लेना शुरू कर देना चाहिये. जैसे ही माहवारी रूके डाक्टर के पास जाना चाहिये. ड़ाक्टर की सलाह पर ब्लड टेस्ट कराना चाहिये. इसमें हीमाग्लोबिन, ब्लड ग्रुप, वीडीआरएल, आरबीएस और एचआईवी जैसी जांचे प्रमुख होती है.

जरूरत पडने पर पेशाब की जांच और अल्ट्रासंाउड भी करा लेना चाहिये. ब्लड टेस्ट के जरीये होने वाली मां के शरीर में हीमोग्लोबिन, शुगर और थायरायड का पता लगा लेना चाहिये. इससे अगर कोई परेशानी हो तो उसके हिसाब से इलाज समय पर होने लगता है.

गर्भावस्था के शुरूआती महीने से 6 माह तक हर माह डाक्टर से चेकअप कराना जरूरी होता है. चेकअप में मां का वजन, ब्लड प्रेशर, बच्चे का विकास, उसके दिल की धडकन को देखा जाता है. अगर कोई परेशानी दिखती है तो डाक्टर उसका इलाज शुरू कर देता है.

चैथे माह में गर्भवती महिला को ताकत की दवायें आयरन और कैल्शियम दी जाती है. ताकत का पाउडर भी दिया जाता है. आयरन महिला के हीमोग्लोबिन बढाने का काम करता है. कैल्शियम की गोली हडिडयों में आने वाली कमजोरी को दूर करती है. यह दवायें बच्चा पैदा होने के बाद तक चलती रहती है.

गर्भवती को टेटवेक के 2 इंजेक्शन दिये जाते है. पहला इंजेक्शन 5 वें महीने और दूसरा 6 महीने में लगाया जाता है.

गर्भावस्था के 7 वें माह से हर 15 दिन में रेगुलर चेकअप कराना चाहिये. ब्लड की कुछ जांचें हर माह कराई जाती है. जिससे शरीर में होने वाले नुकसानदायक बदलाव का पता पहले से चल जाये.

गर्भावस्था के दौरान 2 अल्ट्रासाउंड कराये जाते है. पहला अल्ट्रासांउड 5 वें माह में यह देखने के लिये कराया जाता है कि बच्चे के सभी अंग ठीक से बन गयें है. दूसरा अल्ट्रासाउंड 8 वें माह में कराया जाता है. इससे बच्चे का विकास, बच्चेदानी में पानी और गर्भ की स्थित का पता चल जाता है जरूरत पडने पर अल्ट्रासांउड ज्यादा भी हो सकते है.

7 वें माह में बच्चे की जांच करानी चाहिये. अगर कोई परेशानी होने वाली हो तो प्रसव पहले करा लिया जाता है. इस समय बच्चे को बाहर भी पाला जा सकता है. 7 वें माह में बच्चे के पेट में घूमने का ध्यान रखना चाहिये. अगर उसके घूमने का अहसास न हो तो डाक्टर के पास जाना चाहिये.

8 वें माह में 4 बातों का खास ख्याल रखना चाहिये. पहला: बच्चे का कम या न घूमना, दूसरा: रूकरूक कर दर्द आना, तीसरा: अंदर के अंग से खून आना, चार: अंदर के अंग से पानी आना. इनमें से कुछ भी हो तो तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिये.

खांसी और कब्ज नहीं होने चाहिये. अगर यह परेशानी हो तो डाक्टर से पास जाये. जिससे यह बढने न पायें. गर्भावस्था के दौरान मां को अच्छी डाइट लेनी चाहिये. अच्छी डाइट से मां स्वस्थ्य रहती है और एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म देती है. शुरू के 3-4 महीनों में बच्चे के अंग बनते है. इस समय मां को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिये.

कोई ऐसी दवा नहीं लेनी चाहिये जिसके खाने का खराब प्रभाव होने वाले बच्चे पर पडे. इसलिये गर्भावस्था में कोई भी दवा बिना डाक्टर से पूछे नहीं लेना चाहिये खाना एक साथ न खाकर थोडी थोडी देर में खाते रहना चाहिये. ताजे फल हरी सब्जी का सेवन करना चाहिये.

चाय काफी कोल्ड ड्रिंक का सेवन कम करना चाहिये. चाइनीज और मैदे से बनी चीजे भी नहीं खानी चाहिये. दूध और उससे बनी चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिये. इन बातों का ख्याल करके गर्भावस्था को सुखद बनाया जा सकता है.

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मेरी मां और पत्नी के बीच लड़ाई होती रहती है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं सरकारी स्कूल में शिक्षक हूं. घर में किसी चीज की दिक्कत नहीं है पर मेरी परेशानी मेरी पत्नी है, जो निहायत ही झगड़ालू और क्रोधी है. घर में मेरी मां के साथ वह हमेशा लड़ती रहती है और मुझ पर दबाव डालती है कि कहीं और फ्लैट ले लो, मुझे तुम्हारी मां के साथ नहीं रहना. मैं किसी भी हाल में अपनी मां को खुद से अलग नहीं कर सकता. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

पहले तो आप यह जानने की कोशिश करें कि आप की पत्नी ऐसा क्यों चाहती है? तह तक जाए बगैर फिलहाल कोई निर्णय लेना सही नहीं होगा. पत्नी को समझाबुझा सकते हैं. संभव हो तो पत्नी के मातापिता को भी मध्यस्थ बनाएं. पत्नी के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं और साथ घूमनेफिरने जाएं. इन सब से पत्नी सही रास्ते पर आ सकती है.

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अक्सर जब एक लड़की की शादी होती है और वो ससुराल जाती है तो अपने घर को छोड़कर उसे अपने ससुराल को अपनाना होता है. एक नया परिवार मिलता है. पति उसे अपना ज्यादा वक्त देता है और ये सही भी भला ऐसे में जब एक लड़की अपना सबकुछ छोडकर आपके पास आई है तो आपका उसे वक्त देना बिल्कुल भी गलत नहीं है क्योंकि एक-दूसरे को समझने और जानने के लिए साथ में वक्त बिताना बहुत जरूरी है.लेकिन जब पति ऐसा करता है तो अक्सर मां को लगता है कि लड़की घर में आई नहीं कि मेरे बेटे को मुझसे दूर कर दिया.घर को तोड़ दिया. मेरा बेटा दिनभर उससे चिपका रहता है और भला मेरी अब कहां सुनेगा अब तो कोई और है इसकी जिंदगी में ऐसे में बेटे का रिश्तों को संभालना तोड़ा कठिन हो जाता है.जब घर में नए रिश्ते बनते हैं तो उनको वक्त देना पड़ता है और फिर ये तो पति-पत्नी का रिश्ता है.यदि बेटा मां की ज्यादा बात माने तो ऐसे में पत्नी को लगता है कि उसका पति उसे वक्त नहीं देता मां के पल्लू से चिपका रहता है.ऐसे में कुल मिलाकर यदी कोई बीच में फंसता तो है वो है लड़का जो बेटा और पति दोनों ही है.अब ऐसे में उसे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे वो अपनी मां और पत्नी में सामंजस्य बिठा सके.

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बच्चों के लिए घर पर बनाएं मफीन

मफीन का नाम सुनते ही बच्चों के चेहरे खिल से जाते हैं. लेकिन ज्यादा मफीन खाना सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है. इसलिए आप अपने बच्चों के लिए घर पर ही स्वादिष्ट मफीन बनाएं. तो आइए जानते हैं मफीन बनाने की विधि.

सामग्री

भरावन की सामग्री

एक बड़ा चम्मच बटर (छोटे टुकड़ों में कटे हुए)

एक बड़े चौथाई चम्मच अखरोट (कटे हुए)

एक बड़े चौथाई चम्मच ब्राउन शुगर

3 बड़े चम्मच आटा

टिकिया की सामग्री

दो कप आटा

एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा

नमक

एक चौथाई बड़ा चम्मच जायफल

एक बड़ा चम्मच दालचीनी

आधा कप वेनिला एसेंस

विधि

एक छोटे कटोरी में अखरोट, बटर, ब्राउन शुगर और आटे को अच्छी तरह से मिक्स कर लें जब तक ये पूरी तरह से ना मिल जाए. मिक्सचर को पैक करके थोड़ी देर के लिए फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें.

ओवन को पहले 400 डिग्री फॉरेनहाईट पर गर्म कर लें. एक बड़े बर्तन में टिक्कियां बनाने की सारी सामग्री मिला लें और टिक्कियां तैयार कर लें. आटे के मिक्सचर को हाथ से गोल करके बीच में गहरा करें. भरावन की सामग्री को भरें.

स्टफ्ड टिक्कियों को 18-22 मिनट तक पकायें. इसके बाद पैन में 5 मिनट तक ठंडा होने के लिए छोड़ दें. स्वीट पोटैटो मफीन तैयार है.

व्रत: क्या वर्षा समझ पाई पति की अहमियत

story in hindi

मेरे मुंह से हमेशा बदबू आती है, क्या करूं?

सवाल

मैं 22 साल का हूं. मेरे दांतों से हमेशा बदबू आती है, जिस कारण मुझे कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है. कई उपाय अपनाए, लेकिन समस्या से राहत नहीं मिली. कृपया इस का इलाज बताएं?

जवाब

हमारा मुंह एक प्रकार से फूड प्रोसैसर की तरह होता है, जहां भोजन लार के संपर्क में आ कर घुलतामिलता है. वहां से भोजन पेट तक पहुंचता है, जहां वह छोटेछोटे टुकड़ों में बंट जाता है. दरअसल, लार में ऐंजाइम्स मौजूद होते हैं, इसलिए अगर खाना ढंग से न चबाया जाए तो उसे हमारा शरीर ठीक से ग्रहण नहीं कर पाता है, जिस के कारण बदबू की समस्या होती है.

हरकोई स्वस्थ चमकीले दांत तो चाहता है, लेकिन डाक्टर की सलाह के बाद भी दांतों की सफाई कराने से डरता है. कई लोगों का मानना है कि दांतों की सफाई कराने से वे कमजोर पड़ जाते हैं और भविष्य में और कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं. स्कैलिंग यानी दांतों की सफाई की प्रक्रिया सुनने में ही खतरनाक लगती है, जबकि असल में यह आराम से पूरी हो जाती है. अगर आप इस डर से बाहर आ कर दांतों की सफाई करा लेते हैं, तो इस से बेहतर कुछ और नहीं. दांतों की नियमितरूप से सफाई करना जरूरी है. कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करें और रात को सोने से पहले ब्रश करना न भूलें.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

स्रूस्, व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

ईवनिंग स्नैक्स में बनाएं पेरी पेरी राइस डोनट्स

सर्दियां लगभग प्रस्थान कर चुकीं हैं और गर्मियां अपने आगमन की दस्तक दे चुकीं हैं. सर्दियों के छोटे दिनों की अपेक्षा गर्मियों के दिन काफी लम्बे होते हैं जिससे शाम होते होते भूख लगने लगती है और ये भूख ऐसी होती है कि बस कुछ छोटा मोटा खाने का मन करता है ताकि भूख शांत भी हो जाये और पेट भी न भरे. बाजार के नाश्तों में पौष्टिकता तो न के बराबर होती ही है साथ ही वे काफी महंगे भी होते हैं जिन्हें रोज रोज नहीं खाया जा सकता. वहीँ घर पर थोड़े से प्रयास से बनाया गया नाश्ता पौष्टिक भी होता है दूसरे बजट फ्रेंडली भी होता है जिसे आप आराम से खा सकते हैं. आज हम आपको ऐसा ही नाश्ता बनाना बता रहे हैं जिसे आराम से घर पर बनाया जा सकता है तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-
कितने लोगों के लिए 6 बनने में लगने वाला समय 20 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

उबले किसे आलू 2
पके चावल 2 कप
कोर्नफ्लोर 2 बड़े चम्मच
कटा प्याज 1
कटी हरी मिर्च 2
कटा हरा धनिया 1 टेबलस्पून
किसा अदरक 1 इंच
लाल मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
नमक स्वादानुसार
अमचूर पाउडर 1/4 टीस्पून
गरम मसाला 1/4 टीस्पून
किसी गाजर 1 टेबलस्पून
पेरी पेरी मसाला 1 टीस्पून
दरदरी कुटी मूंगफली 1 टीस्पून
तलने के लिए तेल पर्याप्त मात्रा में

विधि

एक बाउल में तेल को छोडकर समस्त सामग्री को एक साथ अच्छी तरह मिलाएं. तैयार मिश्रण में से एक बड़ा चम्मच मिश्रण लेकर डोनट मोल्ड में डालें और सभी डोनट्स को तैयार करें. यदि आपके पास मोल्ड नहीं है तो एक चम्मच मिश्रण को हथेली पर फैलाकर ऊँगली से बीच में छेद करके डोनट बनाएं. तैयार डोनट्स को गरम तेल में मद्धिम आंच पर तलें, सुनहरा होने पर बटर पेपर पर निकालें और टोमेटो सौस या हरी चटनी के साथ सर्व करें.

बड़े काम की डिस्टैंट कजिंस से दोस्ती

‘‘अरे यार सायमी,आज फ्राइडे है. शाम को मूवी देखने चलें? आज प्रिंसिपल मैडम की  झाड़ खा कर मेरा मूड बेहद खराब हो रहा है. थोड़ा चिल करना चाहती हूं. टिकट बुक करवा लूं क्या?’’ कियारा ने अपनी फ्रैंड सायमी से कहा.

‘‘नहीं यार. आज शाम को तो मूवी बिलकुल नहीं जा पाऊंगी. शाम को अपने कजिंस के साथ मूवी देखने उन्हीं के पास जा रही हूं.’’

‘‘क्या तेरी कजिंस तु झ से इतने क्लोज हैं कि तू एक पूरी शाम उन के साथ बिताएगी? तू भी न वास्तव में विचित्र है. मौजमस्ती के लिए आउटिंग्स पर फ्रैंड्स के साथ जाया जाता है या परिवार के साथ.’’

‘‘अरे भई, मेरे ये डिस्टैंट कजिंस मेरे फ्रैंड्स ही हैं. मेरा कजिन मेरी जिंदगी का सब से फ्रैंडली और स्ट्रौंग सपोर्ट सिस्टम है. उन्हीं की वजह से मैं इस अनजान शहर में अकेले रहते हुए लाइफ के हर उतारचढ़ाव को बड़ी आसानी से फेस कर रही हूं. तू इमैजिन नहीं कर सकती, जिंदगी के हर मोड़ पर वे मेरा कितना साथ देते हैं. तू तो अभी इस स्कूल में नईनई आई है. कोई भी तो ऐसा नहीं है जिस से मन की बातें शेयर कर के जी हलका कर सकूं. हम 3 डिस्टैंट कजिंस हैं. बचपन से साथ पलेबढ़े हैं. तीनों इसी शहर में हैं. इन फैक्ट मु झे नए शहर में अकेले आने की परमिशन मिली तो वह भी मेरे इन कजिंस की वजह से ही.’’

निर्भरता खटकने लगी

‘‘मेरा परिवार बेहद रूढि़वादी और परंपरावादी है. हम जयपुर के पास खैरथल नाम के एक कसबे में संयुक्त परिवार में रहते हैं. हमारे घर के कर्ताधर्ता मेरे ताऊजी हैं. पापा का बिजनैस कोई खास नहीं चलता. उस से तो बस हम 5 सदस्यों के परिवार की दालरोटी ही बेहद मुश्किल से चल पाती है. बड़े खर्चों के लिए हमें ताऊजी का मुंह देखना पड़ता है.

‘‘जब से हम भाईबहन बड़े हुए, हर बात पर ताऊजी पर निर्भरता हमें खटकने लगी. मेरे कुछ डिस्टैंट कजिंस अपने कसबे से निकल कर यहीं जयपुर में जौब कर रहे हैं. यहां नए शहर में आने की परमीशन भी उन्हीं की वजह से मु झे मिली. पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद मेरे लिए नितांत नए और अजनबी शहर जयपुर में नौकरी करने की इच्छा इन्हीं तीनों की वजह से पूरी हुई.’’

‘‘अच्छा. तो यह बात है.’’

‘‘बिलकुल. चल मैं आज तु झे डिस्टैंट कजिंस के साथ दोस्ती के फायदे बताती हूं.’’

तो चलिए पाठको, सायमी ने अपनी सहेली कियारा को डिस्टैंट कजिंस के साथ दोस्ती के जोजो फायदे गिनाए उन्हें आप के साथ शेयर कर रही हूं.

तनाव में कमी

गाहेबगाहे हर किसी की जिंदगी में तनाव आता ही है. कभी बड़े मसलों पर, तो कभी दैनिक जीवन के मामूली मुद्दों पर लेकिन यह कब गंभीर रूप धारण कर ले, कुछ कहा नहीं जा सकता.

तनाव के चलते आप ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन अथवा चिड़चिड़ाहट अनुभव कर सकती हैं. लंबी अवधि तक तनाव  झेलने की वजह से आप को बहुत सारी हैल्थ प्रौब्लम्स हो सकती हैं. आप की इम्यूनिटी कम हो सकती है, आप को अनिद्रा, पाचन संबंधित शिकायतें, हृदय की समस्या, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रैशर जैसी गंभीर प्रौब्लम हो सकती है, लेकिन यदि आप के पास फ्रैंड्स के रूप में अपने कजिंस का सशक्त सपोर्ट सिस्टम है जो आप की केयर करते हैं और आप की मदद करना चाहते हैं, तो उस स्थिति में तनाव आप का कुछ नहीं बिगाड़ पाता.

समुचित सलाह

आप अपने डिस्टैंट कजिंस के सामने दोस्तों के रूप में बाहरी लोगों से अपेक्षाकृत अधिक सहजता से खुल सकते हैं. इस का कारण है कि  आप बचपन से उन से मिलते आ रहे हैं, उन के साथ इंटरैक्शन करते आ रहे हैं जिस से आप उन के साथ बिना किसी हिचक के अपनी हर तरह की परेशानियों का खुलासा कर सकते हैं और उसी सहजता से उन्हें हल करने के उन के सु झाव ग्रहण कर सकते हैं.

भावनात्मक सपोर्ट

किसी भी तरह का अपनापन भरा संबंध हमें भावनात्मक संबल देता है. परेशानी की हालत में जब कोई हमारी समस्याओं को सुनता है, हमारी फीलिंग्स को वैलिडेट करता है, हमारे साथ अच्छा व्यवहार करता है या हमारी मदद करता है तो हमें अच्छा महसूस होता है क्योंकि यह मदद हमारा ध्यान अपनी उदासी, दुख या खराब मूड से बंटा देती है.

व्यक्तिगत विकास

यदि आप के डिस्टैंट कजिंस की शख्सियत पौजिटिव है तो वे आप को अपने अनुरूप ढलने में अपरोक्ष रूप से सहायक सिद्ध हो सकते हैं. आप के सम्मुख अपने पौजिटिव व्यवहार का उदाहरण रखते हुए आप को अच्छी आदतें जैसे नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करना, जिम जाना, स्मोकिंग या ड्रिंकिंग छोड़ना, अच्छा लाइफस्टाइल अथवा कोई हौबी अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

अच्छे फ्रैंड्स के तौर पर वे आप को अपनेआप में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए निरंतर प्रेरित कर सकते हैं. उन का प्रेरक व्यवहार आप के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी करते हुए आप को अपने लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता के चांस बढ़ाएगा और भरोसेमंद मित्रों के तौर पर वे आप को पौजिटिविटी अपनाने का संकल्प मैंटेन करने में आप की मदद कर सकते हैं.

अपनत्व भाव

किसी के भी साथ नजदीकी दोस्ती आप के अपनत्व भाव को पोषित करने में मददगार होती है. इस की आवश्यकता मानव की भोजन आवास और सुरक्षा की मूलभूत आवश्यकताओं के बाद के पायदान पर आती है. डिस्टैंट कजिंस के रूप में एक सपोर्ट नैटवर्क आप को अपने जीवन में सुरक्षा का एहसास दिलाता है.

चुनौतियों का सामना करने में मददगार

जिंदगी में कदमकदम पर कठिन चुनौतियां आती हैं. वयस्क जीवन में ब्रेकअप अथवा डिवोर्स, किसी प्रियजन की मृत्यु, कोई बीमारी, बेरोजगारी, पारिवारिक समस्याएं आदि ऐसी चुनौतियां हैं, जिन का सामना हर इंसान को कभी न कभी करना ही पड़ता है. इन स्थितियों में डिस्टैंट कजिंस आप को न केवल इन का सफलतापूर्वक सामना करने में सहायक सिद्ध होते हैं वरन इन के प्रभाव से सफलतापूर्वक उबरने में भी मदद कर सकते हैं.

बढ़िया कंपनी

आप अपने डिस्टैंट कजिंस से गाहेबगाहे सामाजिक, पारिवारिक उत्सवों, आयोजनों और त्योहारों पर प्रारंभिक बचपन से मिलते आ रहे हैं जिस की वजह से बाहरी मित्रों, परिचितों की अपेक्षा आप उन से अपने इंटरैक्शन में बेहद सरलता से सहज अनुभव करते हैं और हर मौके पर उन की कंपनी ऐंजौय कर सकते हैं.

डिस्टैंट कजिंस से नजदीकी दोस्ताने के चलते आप को शौपिंग, मूवी, पिकनिक जैसी आउटिंग्स के लिए क्लोज दोस्त मिलते हैं, जिस के चलते आप जिंदगी को बेहतरीन ढंग से ऐंजौय कर सकते हैं और अथाह खुशियां पा सकते हैं.

अकेलापन दूर करने में सहायक

आज की आधुनिक जीवनशैली और आभासी मित्रों के प्रभाव में लोगों के अकेलेपन एवं सामाजिक आइसोलेशन में बढ़ोतरी होती जा रही है. डिस्टैंट कजिंस से इन से बचाव संभव होता है.

यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि यदि आप के और आप के कजिंस के परिवारों के मध्य किसी भी तरह का विवाद, मतभेद या वैमनस्य है तो उस स्थिति में उन की ओर दोस्ती का हाथ न बढ़ाना ही उचित है.

डिस्टैंट कजिंस आप के विश्वसनीय मित्र के रूप में जिंदगी की चुनौती भरी कठिन दौड़ में आप का ताउम्र साथ निभाते हुए आप के फ्रैंड, फिलौसफर एवं गाइड की भूमिका भलीभांति निभा सकते हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि वैज्ञानिकों ने डीएनए टैस्ट्स द्वारा पता लगाया है कि जब हम नए मित्रों को चुनते हैं, हम शायद अनजाने में डिस्टैंट रिश्तेदारों की कंपनी का चुनाव कर रहे होते हैं.

‘सैनडिएगो यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया’ के मैडिकल जेनेटिक्स के प्रोफैसर जेम्सफाओलर कहते हैं कि एक अनऐक्सप्लेन्ड मेकैनिज्म अपने दोस्तों का चुनाव करते वक्त उन के और हमारे डीएनए में समानता के आधार पर उन्हें चुनने में हमारी मदद करता है.

इस से यह निष्कर्ष निकलता है कि औसत तौर पर हमारे और हमारे मित्रों के डीएनए में बहुत हद तक साम्यता होती है.

इस निष्कर्ष के आधार पर कहा जा सकता है कि डिस्टैंट कजिंस के साथ दोस्ती का रिश्ता बखूबी बनाया भी जा सकता है और निभाया भी तथा उन के साथ दोस्ती यकीनन बड़े काम की साबित हो सकती है.

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