कर्ज का बोझ ऐसे करें कम

ईशा के पापा ने उस के बर्थडे पर उसे आईफोन 14 प्रो प्लस गिफ्ट किया, जिस की कीमत क्व80 हजार है. ईशा जब अगले दिन अपना न्यू ब्रैंडिंग फोन ले कर कालेज गई तो सब उस का फोन देख कर हैरान थे. लेकिन सब से ज्यादा हैरान थी समायरा. समायरा ईशा की क्लासफैलो है. उस का बर्थडे भी आने वाला है. उस ने सोचा कि वह भी यह फोन लेगी. लेकिन समायरा के पापा एक औटोरिकशा चालक है. ऐसे में वे उसे आईफोन 14 प्रो प्लस जैसा फोन दिलाने में असमर्थ हैं क्योंकि उन की इतनी इनकम नहीं है.

अब समस्या यह है कि समायरा के पास खुद इतने पैसे नहीं हैं कि वह इस फोन को खरीद सके क्योंकि समायरा एक पार्टटाइम वौइस आर्टिस्ट है इसलिए उस ने इस फोन को ईएमआई पर लेने की सोची. ईएमआई के जरीए वह धीरेधीरे कर के फोन की पेमैंट कर देगी और उस पर इतना बर्डन भी नहीं होगा. यही सोच कर उस ने आईफोन 14 प्रो प्लस ले लिया.

3 ईएमआई भरने के बाद समायरा की तबीयत खराब हो गई. डाक्टर ने उसे बैड रैस्ट करने को कहा. बस तभी से वह घर पर पड़ी है. काम न करने की वजह से वह फोन की ईएमआई भी नहीं भर पाई और बैंक का कर्मचारी बारबार उसे फोन कर के ईएमआई पे करने को कहने लगा. कुछ दिनों बाद बैंक के कर्मचारी उसे धमकी भरे फोन भी करने लगे. हद तो तब हो गई जब बैंक की तरफ से उस के दोस्तों, परिवार वालों और रिश्तेदारों को फोन किया जाने लगा. समायरा इन सब से तंग आ चुकी थी. अंत में उस के पापा ने किसी तरह बची ईएमआई की पेमैंट की.

ईएमआई के जरीए लोन

अगर आप समायरा जैसी प्रौब्लम में फंसना नहीं चाहते तो यह जान लें कि लोन को ईएमआई के पार्ट में दिया जाता है, ईएमआई आप को कितने पार्ट में देनी है यह आप और बैंक पर डिपैंड करता है. आप ईएमआई की स्टालमैंट को 2 महीनों से ले कर 2 सालों तक कितने भी समय में दे सकते हैं या इस से भी ज्यादा हो सकता है. इसलिए अगर आप ईएमआई के जरीए लोन चुकता करने के बारे में सोच रहे हैं तो लोन सम झ कर लें.

यह न समझें कि हम बहुत सा सामान खरीद लेते हैं और धीरेधीरे कर के ईएमआई चुकाते रहेंगे. ईएमआई के लालच में पड़ कर आप एकसाथ बहुत सारा सामान न खरीदें. सामान तभी खरीदें जब आप को उस की जरूरत हो. यह न हो कि आप ईएमआई लोन के दलदल में डूबते जां.

ईएमआई का मतलब है कि आप अपने लोन को धीरेधीरे कर के मासिक किस्तों में चुका सकते हैं. इस से आप की मासिक किस्तें हलकी होती हैं लेकिन बाजार दर के कारण आप को ईएमआई लोन पर अधिक ब्याज का सामना भी करना पड़ सकता है. अपनी फाइनैंशियल स्टैबिलिटी और फाइनैंशियल गोल्स को ध्यान में रखते हुए लोन को सोचसम झ कर लेना चाहिए. यह एक सम झदार इनसान की खूबी है.

खर्चों के हिसाब से लोन

जयपुर के ऐक्सिस बैंक में कार्यरत ज्ञान यादव कहते हैं, ‘‘कोई भी ईएमआई लोन लेने से पहले अपनी मंथली इनकम का कैलकुलेशन जरूर कर के देख लें क्योंकि ईएमआई हर महीने जाएगी इसलिए ईएमआई वाले अमाउंट को पहले ही निकाल कर साइड में रख लें. फिर इस के बाद अपने डेली खर्चे और बाकी के खर्च के लिए पर्याप्त बैलेंस देखें. इस के बाद डिसाइड करें कि आप को लोन लेना है या नहीं. कहीं ऐसा न हो कि आप ईएमआई के भरोसे लोन तो ले लें और फिर उसे चुका न पाएं.

‘‘ऐसे में आप को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इस में बैंकों द्वारा दी जाने वाली धमकी भी शामिल है. इसीलिए सोचसम झ कर, अपनी इनकम और अपने खर्चों के हिसाब से ही लोन लें.’’

ईएमआई के तौर पर चढ़े कर्ज का बो झ कम करने के लिए कुछ टिप्स इस तरह हैं-

बजट तैयार करें: अपनी इनकम और खर्चों की लिस्ट बना कर एक बजट तैयार करें जिस से आप अपनी फाइनैंशियल स्थिति को सही रख सकते हैं.

ईएमआई को दें प्राथमिकता: ईएमआई लोन की किस्त का समय पर भुगतान करें ताकि ब्याज बढ़ने से बचाया जा सके और भविष्य में आप का क्रैडिट स्कोर भी न बिगड़े.

इमेरजैंसी योजना बनाएं: इमेरजैंसी योजना बनाना बहुत जरूरी है ताकि आप अचानक आई फाइनैंशियल प्रौब्लम का सामना कर सकें और कर्ज से निकल सकें.

फाइनैंशियल ऐजुकेशन: फाइनैंशियल ऐजुकेशन लें और सही जगह इनवैस्ट करने के बारे में सीखें ताकि आप अपनी पैसिफ इनकम बढ़ा सकें.

ऐक्स्ट्रा इनकम के सोर्स ढूंढ़ो: अगर अवसर मिले तो ऐक्स्ट्रा इनकम के सोर्स ढूंढ़ो, जैसेकि फ्रीलांस इनकम या साइड बिजनैस.

ज्यादा खर्च से बचें: अपने खर्चों को कम से कम करें और सेविंग्स को बढ़ाएं ताकि आप आने वाले समय में कर्ज जैसी स्थित का सामना कर सकें.

क्रैडिट स्कोर की निगरानी: अपने क्रैडिट स्कोर को निरंतर निगरानी में रखें और उसे सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाएं. क्रैडिट स्कोर एक इंपौर्टैंट इकौनौमिक पैरामीटर है जो आप की फाइनैंशियल हैल्थ को मापने में हैल्प करता है. यह एक निर्दिष्ठ संख्या है जो व्यक्ति की फाइनैंशियल हिस्ट्री के बारे में जानकारी देती है और साथ ही वित्तीय लेनदेन की स्थिति को भी दर्शाती है.

इन टिप्स को अपना कर आप अपने कर्ज का बो झ कम कर सकते हैं और अपनी फाइनैंशियल हैल्थ को सुधार सकते हैं.

लेट पेमैंट चार्ज और डिफाल्टर होने से बचने के लिए हम आप को कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिन के माध्यम से आप को लोन मिलना भी आसान हो जाएगा और ईएमआई का भुगतान करने में आप को कोई परेशानी भी नहीं आएगी. आइए, जानते हैं इन उपायों को:

ईएमआई चुकाने के 2 तरीके होते हैं-  एडवांस और एरियर. ज्यादातर लोग एडवांस ईएमआई जमा करते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर आप एरियर ईएमआई भी भर सकते हैं. लोन के ब्याज की तारीख आमतौर पर महीने के शुरू में ही होती है. इसे एडवांस ईएमआई कहते हैं. वहीं अगर आप महीने के आखिर में ब्याज चुकाते हैं तो इसे एरियर ईएमआई कहा जाता है.

अपने लोन की अवधि बढ़वाएं

अगर आप ईएमआई का भुगतान समय पर नहीं कर पा रहे हैं और इस की वजह से आप फाइनैंशियल प्रौब्लम से जू झ रहे हैं तो आप अपने मौजूदा ऋण देने वाले बैंक से लोन की समय सीमा बढ़ाने की अपील कर सकते हैं. ऐसा करने से आप को पेमैंट रिटर्न करने के लिए और समय मिल जाएगा. पेमैंट रिटर्न के लिए ज्यादा समय मिलने पर आप डिफाल्टर होने की संभावना से बच जाएंगे.

रखें इमरजैंसी फंड

समय पर ईएमआई का भुगतान करने के लिए आप को बचत कर इमरजैंसी फंड के तौर पर अपने पास कुछ राशि रखनी चाहिए. आर्थिक संकट से जू झने में यह फंड आप की मदद कर सकता है. अगर आप की लाइफ में कुछ बुरा हो जाता है जैसे अगर आप की जौब छूट जाती है या आप बीमार हो जाते हैं तो यह फंड आप के काम आ सकता है. इस से आप की लोन चुकाने की क्षमता प्रभावित नहीं होगी.

सिबिल स्कोर ठीक करें

बैंक लोन देने से पहले आप का सिबिल स्कोर चैक करते हैं. इस से आप की फाइनैंशियल केपिबिलिटी का अंदाजा लगता है और आप को आसानी से लोन मिल जाता है. इसलिए आप लोन के लिए अप्लाई करने से पहले ही अपना सिबिल स्कोर ठीक कर लें. अगर ईएमआई चुकाने में देरी हो जाती है तो हमारा क्रैडिट स्कोर भी कम हो जाता है, जिस की वजह से फ्यूचर में लोन मिलना मुश्किल हो जाता है. इन तरीकों को अपना कर आप अपने लोन को जल्दी से जल्दी चुका पाएंगे.

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जानें, ब्रेस्ट रैशेज होने के क्या हैं कारण

ब्रेस्ट रैशेज महिलाओं को होने वाली एक गंभीर समस्या है. रैशेज यानी चकत्ते लाल रंग के होते हैं. इनमें सूजन भी हो सकती है, इसके अलावा इनमें पस भी भरा होता है.

त्वचा की यह समस्या महिलाओं की दूसरी गंभीर बीमारी की तरफ भी इशारा करती है. ब्रेस्ट रैशेज के क्या कारण हैं, इसके बारे में जानें यहां.

ब्रेस्ट रैशेज के कारण

– ब्रेस्ट रैशेज के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कारक एलर्जी, संक्रमण या ऑटोइम्यून डिजीज है.

– कुछ तरह के चर्म रोगों के कारण भी ब्रेस्ट रैशेज हो सकते हैं.

– रैशेज कॉस्मे‍टिक्स या डिटर्जेंट से भी हो सकते हैं.

– ज्वैलरी के कारण भी रैशेज होते हैं.

– दवाओं के साइड-इफेक्ट से होते हैं रैशेज.

– अधिक तनाव लेने से होते हैं ब्रेस्ट रैशेज.

– औद्योगिक केमिकल जैसे – इलास्टिक, लैटेक्स या रबर के संपर्क में आने से भी रैशेज हो सकते हैं.

ब्रेस्ट रैशेज के दूसरे कारण

– एग्जीमा के कारण भी ब्रेस्ट रैशेज होते हैं

– फूड एलर्जी से भी होता है

– कीड़े के काटने या डंक मारने से भी होता है.

– चिकेनपॉक्स, फंगल इंफेक्शन (Candida albicans), इंपेटिगो, लाइम डिजीज, मेस्टाइटिस, रूबेला आदि त्वचा की बीमारियों से भी होते हैं.

– कावासाकी, रूमेटाइड अर्थराइटिस, सिस्टेमिक ल्यूपस आदि ऑटोइम्यून डिजीज के कारण कारण भी ब्रेस्ट रैशेज होते हैं.

– सेलुलाइटिस और स्कैबीज के कारण भी यह हो सकता है

रैशेज होने पर आजमायें ये कुछ प्रभावी तरीके

ब्रेस्ट रैशेज के कारण खुजली और जलन होती है, जो कि असहनीय हो सकती है. ऐसे में बेबी पाउडर का इस्तेमाल करें, इसे लगाने से खुजली और जलन में आराम मिलेगा और रैशेज बढ़ेंगे नहीं. फंगल रैसेज की समस्या है, तो मीठा खाना कम करें. कॉर्न स्टॉर्च लगाएं, इससे बढ़ते हुए रैशेज कम होंगे. कॉर्न- स्टार्च का पेस्ट 10-15 मिनट लगाने के बाद हटा दें. तुलसी के पत्तों का पेस्ट लगाएं. हल्दी को ऐलोवेरा और दूध के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगायें.

अगर रैशेज की समस्या गंभीर है तो स्त्री रोग विशेषज्ञ या त्व‍चा रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Pankaj Udhas Death: नहीं रहे मखमली आवाज के जादूगर पंकज उदास, इस बीमारी से हार गए जंग

Pankaj Udhas Death: मखमली आवाज के जादूगर पंकज उधास, भारत के जाने माने गजल गायक अब नहीं रहे. 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. पंकज उधास की मौत आज सुबह 11 बजे मुंबई में हुई. उनकी बेटी नायाब उधास ने पिता के मौत की खबर की पुष्टि की है. सिंगर के निधन की खबर का पता चलने के बाद संगीत जगत में शोक की लहर फ़ैल गई है. पंकज जैसे गजल गायक का यूं दुनिया छोड़ जाना फैंस को भी गमगीन कर गया है. उन्होंने अपने कैरियर में एक से एक बेहतरीन गाने गाये है. गायक सोनू निगम, कम्पोजर शंकर महादेवन आदि संगीत जगत के सेलेब्रिटी ने उनके देहांत को संगीत जगत की एक बड़ी क्षति बताया और श्रद्धांजलि दी है.

पिछले कुछ समय से वे मुंबई के ब्रीच क्रैंडी अस्पताल में भर्ती थे. इसी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. जानकारी के मुताबिक पंकज उधास को कुछ महीने पहले कैंसर डिटेक्ट हुआ था और वो पिछले कुछ महीने से किसी से मिल नहीं रहे थे. उनका अंतिम संस्कार कल मुंबई में किया जाएगा.

गजल गायिकी के क्षेत्र में पंकज उधास ने में अपना लोहा मनवाया और अपनी बेहतरीन आवाज के लिए उन्हें कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया. इनमें सबसे अहम पद्मश्री है जो कि उन्हें 2006 में दिया गया था. उनकी बेहतरीन गजल ‘चिट्ठी आई है’ से उन्हें शोहरत मिली. इसके अलावा पंकज ने कई गजलों को अपनी आवाज दी जिनमें ‘ये दिल्लगी’, ‘फिर तेरी कहानी याद आई’, ‘चले तो कट ही जाएगा’ और ‘तेरे बिन’ शामिल है. इसे अलावा ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’ पंकज के यादगार गानों में से एक हैं.

उनके आवाज के दीवाने केवल देश में ही नहीं, विदेशों में भी बहुत थे. पंकज उधास न केवल गजल के लिए बल्कि हिंदी गानों के लिए भी जाने जाते रहे. उनका विनम्र स्वभाव ही उन्हें फैन्स के बीच काफी पोपुलर बनाया. उन्होंने हिंदी सिनेमा जगत की कई फिल्मों के गानों में अपनी शानदार आवाज से दर्शकों के दिलों को जीता है.

बच्चों के लिए पानी पूरी से बनाएं ये हैल्दी रेसिपीज

बच्चों के लिए उनकी पसन्द का भोजन बनाना अक्सर बहुत बड़ी चुनौती होती है क्योंकि वे बहुत चूजी होते हैं. इसके अलावा उन्हें दिन में कई बार भूख भी लगती है. उन्हें समुचित पोषण मिले इसके लिये आवश्यक है कि उन्हें हैल्दी भोजन दिया जाए. आजकल बच्चे पिज़्ज़ा, बर्गर और नूडल्स जैसे फ़ास्ट फ़ूड के दीवाने हैं परन्तु फ़ास्ट फूड पेट तो भर सकता है परन्तु इनमें पोषण न के बराबर होता है. आपकी इसी समस्या का हमने समाधान किया है हमने आज अपनी इन 2 रेसिपीज के साथ. पानी पूरी को अक्सर चाट के रूप में जाना जाता है परन्तु आज इसी पानी पूरी से हमने बच्चों के लिए फ़ास्ट फ़ूड तैयार किया है तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है. इन्हें बनाते समय ध्यान रखें कि आटे की पानी पूरी के स्थान केवल सूजी से बनी  पूरी का ही प्रयोग करें क्योंकि सूजी की पूरी आटे की अपेक्षा थोड़ी मोटी होती है जिससे वह जल्दी गलती नहीं है-

-मैक्सिकन पानी पूरी

कितने लोगों के लिए                6

बनने में लगने वाला समय         20 मिनट

मील टाइप                              वेज

सामग्री

सूजी पानी पूरी                      6

हरी शिमला मिर्च                  1/4

लाल शिमला मिर्च                    1/4

पीली शिमला मिर्च                    1/4

प्याज                                      2

अदरक, लहसुन पेस्ट               1 टीस्पून

उबले कॉर्न                             1 टीस्पून

उबले राजमा                          1 टीस्पून

शेजवान सॉस                       1 टीस्पून

नमक                                   1/4 टीस्पून

नीबू का रस                           1/4 टीस्पून

टोमेटो सॉस                           1 टीस्पून

चिली फ्लैक्स                         1/4 टीस्पून

ऑरिगेनो                              1/4 टीस्पून

नमक                                   1/4 टीस्पून

चीज क्यूब्स                           4

तेल                                       1 टीस्पून

विधि

प्याज, तीनों शिमला मिर्च को छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. गर्म तेल में प्याज को सुनहरा होने तक सौते करें. अदरक, लहसुन का पेस्ट डालकर चलाएं और शिमला मिर्च, उबले राजमा और कॉर्न डालकर अच्छी तरह चलाएं और नमक डालकर ढककर 5 मिनट तक पकाएं. 5 मिनट बाद खोलकर शेजवान, टोमैटो सॉस और नींबू का रस डालकर चलाएं और फिलिंग को ठंडा होने दें. अब पानी पूरी के ऊपरी कवर को चम्मच की सहायता से तोड़ लें. टूटी हुई पानी पूरी में 1-1 टेबलस्पून फिलिंग को भर लें. ऊपर से चीज क्यूब्स को अच्छी तरह किस लें. चीज के ऊपर चिली फ्लैक्स और ऑरिगेनो बुरककर माइक्रोवेव में 4-5 मिनट तक माइक्रोवेब करके सर्व करें. माइक्रोवेब न होने की स्थिति में तैयार पानी पूरी को एक नॉनस्टिक पैन में ढककर धीमी आंच पर चीज के मेल्ट होने तक पकाएं.

-पानी पूरी पिज्जा

1- कितने लोगों के लिए               6

2- बनने में लगने वाला समय        30 मिनट

3- मील टाइप                           वेज

सामग्री

4- सूजी पानी पूरी                6

5-वर्मीसेली                        1 कप

6- पानी                              3/4 कप

7- नमक                             1/4 टीस्पून

8- घी                                  1 टीस्पून

9- बारीक कटी शिमला मिर्च     1/4 कप

10- बारीक कटी गाजर             1/4 कप

11- बारीक कटी बींस               1/4 कप

12- बारीक कटा प्याज              1

13- कटी हरी मिर्च                     3

14- कटा अदरक                        1 छोटी गांठ

15- कटा लहसुन                        6 कली

16- टोमेटो सॉस                        1 टीस्पून

17- वेनेगर                               1/4 टीस्पून

18- सोया सॉस                         1/4 टीस्पून

19- रेड चिली सॉस                    1 /4 टीस्पून

20- ग्रीन चिली सॉस                  1/4 टीस्पून

21- तेल                                    1 टीस्पून

22- किसा मोजरेला चीज             1 कप

विधि

वर्मीसेली को पानी और नमक के साथ उबालकर रख लें. अब एक पैन में तेल डालकर प्याज, अदरक, हरी मिर्च, लहसुन और अदरक को हल्का सा भून लें. अब सभी सब्जियां डालकर तेज आंच पर  5-7 मिनट तक पकाएं ताकि सब्जियां नरम हो जाएं. अब नमक, वेनेगर और सभी सॉसेज डालकर उबली वर्मीसेली डालकर अच्छी तरह चलाएं. पानी पूरी को ऊपर से तोड़ लें और ठंडी होने पर वर्मीसेली को इसमें ऊपर तक भर दें.अब इन्हें एक पैन में पास पास रखकर ऊपर से मोजरेला चीज फैला दें. पैन का ढक्कन लगाकर एकदम धीमी आंच पर चीज के मेल्ट होने तक पकाएं. चिली फ्लैक्स बुरककर हैल्दी पिज्जा सर्व करे.

बढ़ती उम्र के बाद भी दिखें बेहद खूबसूरत

आप अपनी उम्र को बढ़ने से तो नहीं रोक सकते मगर बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम जरूर कर सकते हैं. अगर आप युवा और सक्रिय बने रहना चाहते हैं तो इन बातों का खयाल रखें:

खानपान

हम क्या खाते हैं और कैसे खाते हैं इस का हमारे स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और सक्रियता से सीधा संबंध है. ऐसे में हमें अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

क्या खाएं

द्य ऐंटीऔक्सीडैंट्स से भरपूर खाद्यपदार्थ जैसे सूखे मेवे, साबूत अनाज, चिकन, अंडे, सब्जियां और फल खाएं. ऐंटीऔक्सीडैंट्स फ्री रैडिकल्स से लड़ते हैं और बुढ़ापे के लक्षणों को धीमा करते हैं. ये इम्यून सिस्टम यानी रोग से लड़ने की क्षमता को मजबूत बना कर संक्रमण से बचाते हैं.

उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कम होने लगती है. इस के लिए दिन में कम से कम एक कप ग्रीन टी पीएं तो याददाश्त कम नहीं होगी.

ओमेगा-3 फैटी ऐसिड्स और मोनो सैचुरेटेड फैट से भरपूर खाद्यपदार्थों जैसे मछली, सूखे मेवे, जैतून का तेल आदि का सेवन करें. ओमेगा-3 आप को जवां और खूबसूरत बनाता व रखता है.

द्य विटामिन सी शरीर के लिए प्राकृतिक बोटोक्स के समान कार्य करता है. इस से त्वचा की कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं और उस पर ?ार्रियां नहीं पड़तीं. इस के लिए संतरा, मौसमी व पत्तागोभी आदि का सेवन करें.

कुछ मीठा खाने का मन करे तो गहरे रंग की चौकलेट खाएं यह फ्लैवेनौल से भरपूर होती है जो रक्त नलिकाओं की कार्यप्रणाली को स्वस्थ रखने में सहायता करती है.

दोपहर के खाने के साथ एक कटोरी दही जरूर खाएं. यह कैल्सियम का अच्छा स्रोत है जो औस्टियोपोरोसिस से बचाता है.

युवा व सक्रिय रहना चाहती हैं तो ओवरईटिंग से बचें. जितनी भूख है उस का 80% ही खाएं.

क्या न खाएं

ऐसे खाद्यपदार्थ जिन में रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, न खाएं. इन से कमरका घेरा बढ़ता है. अत्यधिक मीठे फल, जूस, चीनी, गेहूं आदि का सेवन कम करें.

सोयाबीन, कौर्न, कनोला औयल के सेवन से बचें क्योंकि इन में पौली सैचुरेटेड वसा अधिक मात्रा में होती है. इन के स्थान पर ब्राउन राइस और जैतून के तेल का सेवन करें.

लाल मांस, पनीर, वसायुक्त दूध और क्रीम में अत्यधिक मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है. इन से धमनियां ब्लौक हो सकती हैं और हृदयरोग हो सकता है.

मैदे से बनी सफेद ब्रैड, पास्ता, पिज्जा आदि का कम सेवन करें.

कैलोरी इनटेक पर रखें नजर मोटापे और केलौरी इनटेक में सीधा संबंध है. मोटापा बढ़ने से न केवल स्वास्थ्य प्रभावित होगा वरन शारीरिक सक्रियता भी घटेगी और उम्र भी अधिक दिखने लगेगी.

जीवनशैली में बदलाव अपनी रोजमर्रा की आदतों में छोटेछोटे बदलाव ला कर हम लंबे समय तक युवा और सक्रिय रह सकते हैं:

अपने दिमाग को हमेशा व्यस्त रखें. कुछ नया

सीखती रहें ताकि दिमाग सक्रिय रहे और आप मानसिकरूप से युवा बनी रहें.

कुछ हारमोन उम्र बढ़ाने और स्वस्थ बनाए रखने में योगदान देते हैं. ग्रोथ हारमोन, टेस्टोस्टेरौन, ऐस्ट्रोजेन, थायराइड, कार्टिसोल और डीएचई ऐजिंग की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अपने हारमोन स्तर पर नियंत्रण रखें ताकि आप ऐजिंग से जुड़े लक्षणों से दूर रह सकें.

कम से कम 6-7 घंटे की नींद लें. जब आप नींद ले रहे होती हैं तो त्वचा की कोशिकाएं अपनी मरम्मत करती हैं जिस से त्वचा की ?ार्रियां और फाइनलाइंस दूर हो जाती हैं.

आप चीजों को किस नजरिए से देखती हैं, यह एक महत्त्वपूर्ण कारक है जो आप को जवां व खूबसूरत बनाए रखने में मदद करता है. हर चीज के सकारात्मक पहलू को देखें. अपनेआप को खुश और मोटिवेटेड रखें.

त्वचा को जवां और सुरक्षित रखें धूप में बाहर जाने से त्वचा का रंग काला पड़ जाता है. इन काले हिस्सों पर ?ार्रियां भी जल्दी पड़ जाती हैं. इसलिए बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करें.

त्वचा को स्वस्थ व हाइड्रैटेड बनाए रखने के लिए त्वचा के अनुरूप नौनटौक्सिक मौइस्चराइजर्स चुनें. सोने से पहले इसे खासतौर पर जरूर लगाएं.

फेशियल ऐक्सरसाइज चेहरे की पेशियों का व्यायाम चेहरे को ?ार्रियों से बचाता है. माथे को ?ार्रियों से बचाने के लिए अपने दोनों हाथों को माथे पर रखें और उंगलियों को हेयरलाइन व भौंहों के बीच फैला लें. धीरेधीरे उंगलियों को हलके दबाव के साथ बाहर की ओर खिसकाएं.

कुछ अच्छी फेशियल ऐक्सरसाइज हैं

चीक लिफ्ट: अपने होंठों को हलके से बंद करें और गालों को आंखों की ओर खींचने की कोशिश करें. चौड़ी मुसकान के साथ अपने होंठों के बाहरी कोनों को उठाएं. 10 सैकंड के लिए इसी मुद्रा में रहें. हंसना गालों के लिए अच्छी ऐक्सरसाइज है.

फिश फेस: यह गालों और जबड़ों के लिए अच्छी ऐक्सरसाइज है. इस से आप के होंठ सही शेप में आ जाते हैं. हलके से होंठ बंद करें. गालों को जहां तक हो सके भीतर की ओर खींचें. इसी मुद्रा में मुसकराने की कोशिश करें और 15 सैकंड तक इसी मुद्रा में रहें. इसे 5 बार दोहराएं.

पपेट फेस: यह ऐक्सरसाइज पूरे चेहरे पर काम करती है. यह गालों की पेशियों को मजबूत बनाती है. वे ढीली नहीं पड़तीं. अपनी उंगलियों के पोरों को गालों पर रखें और मुसकराएं. गालों को ऊपर की ओर खींचें और मुसकान की मुद्रा में 30 सैकंड तक रहें.

हाउसवाइफ का काम है ‘अमूल्य’, वर्किंग पर्सन से कम आंकना है गलत : सुप्रीम कोर्ट

आज के दौर में यह धारणा बढ़ रही है कि पत्नी वर्किंग होनी चाहिए, तभी गृहस्थी ठीक से चल पाती है. महंगाई के साथ-साथ इसकी एक वजह यह भी है कि हाउसवाइफ के काम को नौकरी करने वालों के बराबर नहीं माना जाता है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने साफ कहा है कि हाउसवाइफ का काम नौकरी कर सैलरी लाने वाले साथी से कम नहीं होता है. कोर्ट ने हाउसवाइफ के योगदान को ‘अमूल्य’ बताया है.

रुपए-पैसों से नहीं तोल सकते काम

जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि परिवार की देखभाल करने वाली महिला का विशेष महत्व है. परिवार में उसके योगदान का रुपए-पैसों से आकलन नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने यह टिप्पणी मोटर दुर्घटना मामले में क्लेम को लेकर सुनवाई करते हुए की.

ये है मामला

दरअसल, साल 2006 में एक सड़क हादसे में उत्तराखंड की एक महिला की मौत हो गई थी. वह जिस गाड़ी में सफर कर रही थी, उसका बीमा नहीं था. परिजनों ने बीमे का दावा किया तो ट्रिब्यूनल ने महिला के पति और नाबालिग बेटे को ढाई लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने का फैसला किया. परिवार के अनुसार महिला को मिलने वाली बीमा राशि को ट्रिब्यूनल ने कम आंका था. परिवार ने अधिक मुआवजे के लिए ट्रिब्यूनल के इस फैसले को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी. हालांकि हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल का फैलसा सही है. महिला गृहणी थी इसलिए मुआवजा जीवन प्रत्याशा और न्यूनतम अनुमानित आया के आधार पर तय किया गया. ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में संबंधित महिला की आय किसी दिहाड़ी मजदूर से भी कम मानी थी. जिसके बाद परिवार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लेकर पहुंचा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम ने हाईकोर्ट के उस दृष्टिकोण पर नाराजगी जताई जिसमें महिला की अनुमानित आय को दूसरे वर्किंग पर्सन से कम आंका गया था. कोर्ट ने कहा, एक हाउसवाइफ की आय को किसी वर्किंग पर्सन से कम कैसे आंका जा सकता है. हम इस एप्रोच को सही नहीं मानते. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में छह लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया. शीर्ष अदालत ने  कहा कि किसी भी हाउसवाइफ के काम, मेहनत और बलिदान के आधार पर उसकी अनुमानित आय की गणना करनी चाहिए. यदि एक हाउसवाइफ के काम की गणना की जाए तो यह योगदान अमूल्य है. सुप्रीम कोर्ट छह सप्ताह  के अंदर परिवार को भुगतान करने का निर्देश देते हुए कहा कि किसी को हाउसवाइफ के मूल्य को कभी कम नहीं आंकना चाहिए.

करोड़ों गृहणियों को मिला सम्मान

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला और टिप्पणी भारत की उन करोड़ों महिलाओं को सम्मान देने जैसा है, जो निस्वार्थ भाव से दिन रात सिर्फ अपने परिवार की देखभाल में जुटी रहती हैं. ऐसी गृहणियां जो अपनी सेहत की परवाह किए बिना पूरे परिवार की सेहत का ध्यान रखती हैं. जिन्हें साल में कोई छुट्टी नहीं मिलती. साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की करीब 159.85 मिलियन महिलाओं ने घरेलू काम को अपनी प्राथमिकता बताया था. वहीं पुरुषों का आंकड़ा महज 5.79 मिलियन था.

रोज करती हैं 7 घंटे घरेलू काम

आइआइएम अहमदाबाद के अध्ययन के अनुसार भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच अवैतनिक काम के घंटों में बड़ा अंतर है. देश में 15 से 60 साल तक की महिलाएं रोजाना औसतन 7.2 घंटे घरेलू कामों में बिताती हैं. इस काम के बदले उन्हें कोई वेतन नहीं दिया जाता है. वहीं पुरुष ऐसे कामों में प्रतिदिन 2.8 घंटे बिताते हैं.

मेरे लिप्स के किनारों में छोटेछोटे दाने होने लगे हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 21 वर्ष की हूं. मेरे होंठों के किनारों में छोटेछोटे दाने होने लगे हैं. ये दिखने में बहुत अजीब और भद्दे लगते हैं. कृपया समाधान बताएं?

जवाब-

होंठों के आसपास दाने निकलने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे गरमी, मेकअप को सही ढंग से क्लीन नहीं करना वगैरह. कैमिकलयुक्त लिपस्टिक के कारण भी इन्फैक्शन हो सकता है.

इस को ठीक करने के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खों का लाभ उठा सकती हैं. मसलन:

बर्फ से सिकाई: बर्फ सूजन कम करने में मदद करता है. साथ ही यह त्वचा से गंदगी निकालने में भी सहायक है. अगर आप के चेहरे पर दाने या पिंपल्स हो गए हैं तो भी आप बर्फ का इस्तेमाल कर सकती हैं. बर्फ से सिकाई करने के लिए बर्फ को किसी कपड़े में लपेट लें फिर इसे प्रभावित जगहों पर लगाएं.

हल्दी: हलदी को त्वचा और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. हलदी में ऐंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो चेहरे से मुंहासों को दूर करने का काम करता है. हलदी का इस्तेमाल करने के लिए आप को हलदी का पेस्ट बनाना होगा. इस के लिए आप 1 छोटा चम्मच हलदी लें और इस में थोड़ा गुलाबजल मिक्स कर के पेस्ट बना लें. अब इस पेस्ट को होंठों के चारों तरफ लगा कर 10 मिनट के लिए छोड़ दें.

शहद: शहद में ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटी इंफ्लैमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मुंहासे पैदा करने वाले जीवाणुओं को मारने का काम करते हैं. शहद सूजन को कम करने का काम भी करता है. यदि आप को चाले की समस्या है तो भी आप शहद का इस्तेमाल कर सकती हैं. इन्फैक्शन से छुटकारा पाने के लिए शहद को होंठों के आसपास अच्छे से लगाएं. इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएं.

सच्ची खुशी: विशाखा को भूलकर वसंत क्या दूसरी शादी से खुश रह पाया?

वसंत एक जनरल स्टोर के बाहर खड़ा अपने दोस्तों से बातें कर रहा था. उसे आज फिर विशाखा दिखाई दे गई. विशाखा उस के पास से निकली तो उस के दिल में आंधियां उठने लगीं. उस ने पहले भी कई बार आतेजाते विशाखा को देख कर सोचा, ‘धोखेबाज, कहती थी मेरे बिना जी नहीं सकती, अब यही सब अपने दूसरे पति से कहती होगी. बकवास करती हैं ये औरतें.’ फिर अगले ही पल उस के मन से आवाज आई कि तुम ने भी तो अपनी दूसरी पत्नी से यही सब कहा था. बेवफा तुम हो या विशाखा?

वह अपने दोस्तों से विदा ले कर अपनी गाड़ी में आ बैठा और थोड़ी दूर पर ही सड़क के किनारे गाड़ी खड़ी कर के ड्राइविंग सीट पर सिर टिका कर विशाखा के बारे में सोचने लगा…

वसंत ने विशाखा से प्रेमविवाह किया था. विवाह को 2 साल ही हुए थे कि वसंत की मां उमा देवी को पोतापोती का इंतजार रहने लगा. उन्हें अब विशाखा की हर बात में कमियां दिखने लगी थीं. विशाखा सोचती क्या करे, उस के सिर पर मां का साया था नहीं और पिता अपाहिज थे. बरसों से वे बिस्तर पर पड़े थे. एक ही शहर में होने के कारण वह पिता के पास चक्कर लगाती रहती थी. उस की एक रिश्ते की बूआ और एक नौकर उस के पिता प्रेमशंकर का ध्यान रखते थे.

उमा देवी को अब हर समय वसंत की वंशवृद्धि की चिंता सताती. विशाखा उन की हर कड़वी बात चुपचाप सहन कर जाती. सोचती, जो बात कुदरत के हाथ में है, उस पर अपना खून जलाना बेकार है. वह आराम से घर के कामों में लगी रहती. उसे परेशानी तब होती जब वसंत को उस से कोई शिकायत होती. वह वसंत को इतना प्यार करती थी कि उस की बांहों में पहुंच कर वसंत कह उठता, ‘तुम किस मिट्टी की बनी हो, पहले दिन की तरह आज भी कितनी सुंदर दिखती हो.’

विशाखा हंस कर उस के सीने से लग जाती और इस तरह 5 साल बीत गए थे.

वसंत के औफिस से आने के समय विशाखा उसे तैयार हंसतीमुसकराती मिलती. उमा देवी को यह पसंद नहीं था. एक दिन वे वसंत से बोलीं, ‘तुम उदास और दुखी क्यों रहते हो?’

वसंत हंसा, ‘क्या हुआ है मुझे? अच्छा तो हूं?’

‘बिना बच्चे के भी कोई जीवन है,

बच्चों से ही तो जीवन में रौनक आती है,’ उमा देवी बोलीं.

‘मां, दुनिया में हजारों लोग हैं, जिन्हें बच्चे नहीं हैं,’ वसंत शांत रहते हुए बोला.

‘तुम ढंग से डाक्टर को दिखाते क्यों नहीं हो?’

‘अभी तक इस बारे में गंभीरता से नहीं सोचा था मां, अगले हफ्ते दिखाता हूं,’ यह कह कर वसंत अपने कमरे में चला गया.

विशाखा वसंत के लिए चाय ले कर आई, तो वसंत की मुखमुद्रा देख कर समझ गई कि मांबेटे में क्या बातें हुई होंगी.

फिर डाक्टर, चैकअप, टैस्ट का सिलसिला शुरू हुआ और जब रिपोर्ट आई कि विशाखा कभी मां नहीं बन सकती, तो विशाखा के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे.

वसंत विशाखा को समझाता रहता कि हम किसी अनाथालय से बच्चा गोद ले लेंगे. लेकिन उमा देवी किसी पराए बच्चे को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हुईं.

वसंत उन्हें भी समझाता, ‘मां, जमाना कहां से कहां पहुंच गया है और आप अपनेपराए में उलझी हुई हैं.’

वसंत के बचपन में ही उस के पिता का देहांत हो गया था. उमा देवी ने बड़ी मेहनत से वसंत को पढ़ायालिखाया था. वसंत मां का दिल कभी नहीं दुखाना चाहता था.

उमा देवी अब कभीकभी वसंत को अपने पास बैठा कर दूसरे विवाह की बात करतीं तो वह चुपचाप उठ कर अपने कमरे में चला जाता.

अब बच्चे के नाम पर वसंत की ठंडी आहें विशाखा को अंदर तक चीरने लगीं. वसंत की वही आंखें जो पहले उस के प्यार के विश्वास से लबालब नजर आती थीं, अब निरादर और अवहेलना के भाव दर्शाने लगी थीं. वसंत लाख अपने भावों को छिपाने का प्रयास करता, लेकिन विशाखा उस की हर धड़कन, उस की हर नजर पहचानती थी.

मन ही मन घुटती रहती विशाखा, चारों ओर कुहासा सा नजर आता उसे. जीवन के सफर में साथ चलतेचलते अब दोनों के हाथ एकदूसरे से छूटने लगे थे.

एक दिन विशाखा अपने पिता को देखने गई. उन की तबीयत बहुत खराब थी. वसंत ने फोन पर कह दिया, ‘जितने दिन चाहो उतने दिन रह लो.’

विशाखा ने पूछा, ‘तुम्हें परेशानी तो नहीं होगी?’

‘नहीं,’ सपाट स्वर में कह कर वसंत ने रिसीवर रख दिया.

विशाखा हैरान रह गई कि यह वही वसंत है, जिस ने इतने सालों में 2 दिन के लिए भी पिता के पास नहीं छोड़ा था. सुबह छोड़ता तो शाम को अपने साथ ले जाता था. उसे लगा, वसंत सचमुच पूरी तरह बदल गया है और फिर वसंत ने न फोन किया, न आया ही. विशाखा फोन करती तो अनमना सा हां, हूं में जवाब दे कर रिसीवर रख देता.

एक बार भी वसंत ने विशाखा को घर आने के लिए नहीं कहा और अब 2 महीने बीत गए थे.

विशाखा को रोज उस का इंतजार रहता. प्रेमशंकर बोल तो नहीं सकते थे, मगर देख तो सकते थे. उन की हालत बिगड़ती जा रही थी. आंखों में विशाखा के प्रति चिंता व दुख साफ दिखाई देता था.

एक दिन वसंत ने तलाक के पेपर भेज दिए और उसी दिन शाम को किसी से विशाखा का सारा सामान भी भिजवा दिया.

विशाखा के घर में सन्नाटा फैल गया. जिसे दिल की गहराई से इतना प्यार किया था, ऐसा करेगा, विशाखा ने कभी सोचा न था. इतना बड़ा धोखा. जिस आदमी को इतना प्यार किया, जिस के सुख में सुखी, दुख में दुखी हुई, वही आदमी इतना बदल गया… वह जितना सोचती उतना ही उलझती जाती. फिर अपने को समझाने लगती, अगर मैं गलत नहीं हूं तो मैं इतनी दुखी क्यों होऊं? तलाक के पेपर फिर आंखों के आगे घूम गए, वह छटपटाती, बेचैन, असहाय सी सुबकती रही.

इतना बड़ा विस्फोट पर कहीं कोई आवाज नहीं. बाहर से सब कुछ कितना शांत पर भीतर ही भीतर बहुत कुछ टूट कर बिखर गया. पिता की बिगड़ती हालत देख कर वह और दुखी हो जाती.

थोड़े समय बाद तलाक भी हो गया. उसे पता चला कि वसंत ने दूसरा विवाह कर लिया है. रात भर वह रोतीसिसकती रही. वसंत के साथ बिताया 1-1 पल याद आता रहा.

प्रेमशंकर को अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा. उन्होंने अपने वकील सिद्धार्थ गुप्ता को बुला लिया और घर व किराए पर चढ़ी हुई सारी दुकानें विशाखा के नाम कर दीं. उन की आंखों में विशाखा के लिए चिंता साफ दिखाई देती.

सिद्धार्थ गुप्ता शहर के प्रसिद्ध वकील थे, उम्र में विशाखा से कुछ ही बड़े थे, लेकिन बहुत ही सहृदय व सुलझे हुए इंसान थे. इस पूरी दुनिया में प्रेमशंकर को सिद्धार्थ से ज्यादा भरोसा किसी पर न था.

वे जब भी आते, विशाखा ने देखा था प्रेमशंकर की चिंता कुछ कम हो जाती थी. विशाखा के विवाह के बाद भी सिद्धार्थ ही प्रेमशंकर का हर तरह से ध्यान रख रहे थे. प्रेमशंकर सिद्धार्थ को सालों से जानते थे. विशाखा से सिद्धार्थ की जितनी भी बातें होतीं, प्रेमशंकर के बारे में ही होतीं. विशाखा तलाकशुदा है, यह वे जानते थे, लेकिन विशाखा से इस बारे में उन्होंने कभी कुछ नहीं पूछा था.

वसंत के दुख के साथसाथ पिता की आंखों में बसी चिंता विशाखा को और व्याकुल किए रहती. उस की बूआ और नौकर घर संभालते रहे. वह अस्पताल में प्रेमशंकर के पास थी. सिद्धार्थ आतेजाते रहते.

एक दिन सिद्धार्थ जाने लगे, तो विशाखा बोली, ‘एक व्यक्तिगत प्रश्न पूछना चाहती हूं आप से.’

सिद्धार्थ ने देखा, प्रेमशंकर नींद में हैं और विशाखा बहुत परेशान है व कुछ कहने की हिम्मत जुटा रही है. अत: बोले, ‘पूछिए.’

‘आप ने विवाह क्यों नहीं किया?’

सिद्धार्थ को एक झटका सा लगा, लेकिन फिर धीरे से बोले, ‘कोई मजबूरी थी,’ कह कर वे जाने लगे तो विशाखा ने तेजी से आगे बढ़ कर कहा, ‘क्या आप मुझे बता सकते हैं?’

सिद्धार्थ वहीं अपना बैग रख कर बैठ गए और फिर धीरेधीरे बोले, ‘कुछ लोग कमियों के साथ पैदा होते हैं और अगर मैं विवाह के योग्य होता तो सही समय पर विवाह कर लेता… आप मेरी बात समझ गई होंगी.’

‘हां, सिद्धार्थ साहब, ऐसा सिर्फ पुरुषों के साथ ही नहीं, स्त्रियों के साथ भी तो होता है. मैं भी कभी मां नहीं बन सकती. इसी कारण मेरा तलाक हो गया. मैं ने हर संभव तरीके से विवाह को बचाने का प्रयत्न किया, लेकिन बचा नहीं सकी.’

सिद्धार्थ ने हैरान हो कर उस की तरफ देखा तो विशाखा ने कहा, ‘क्या आप मेरे साथ विवाह कर सकते हैं?’

‘विशाखा, आप होश में तो हैं?’

‘बहुत सोचसमझ कर कह रही हूं, मेरे पापा की जान मुझ में अटकी है, आप तो वकील हैं, यह जानते हैं कि एक अकेली औरत को दुनिया कैसे परेशान करती है. अगर आप मुझ से विवाह कर लेंगे तो हम दोनों को एक जीवनसाथी और उस से भी बढ़ कर एक दोस्त मिल जाएगा. हम अच्छे दोस्तों की तरह जीवन बिता लेंगे. बस, आप का साथ मांग रही हूं, मुझे और कुछ नहीं चाहिए. क्या आप मेरी बात मान सकते हैं?’

सिद्धार्थ ने विशाखा को गौर से देखा, उस के सच्चे चेहरे को परखा और फिर मुसकरा दिए.

शीघ्र ही दोनों का विवाह हो गया और विवाह के कुछ समय बाद ही प्रेमशंकर ने हमेशा के लिए आंखें बंद कर लीं.

विशाखा सिद्धार्थ के घर आ गई. घर वैसा ही था जैसा औरत के बिना होता है. नौकर तो थे, लेकिन विशाखा का हाथ लगते ही घर चमक उठा. एक दिन सिद्धार्थ भावुक हो कर बोले, ‘कैसा पति था, जिस ने तुम्हें तलाक दे दिया.’

दोनों अपने मन की ढेरों बातें करते, दोनों को एकदूसरे में अच्छा दोस्त दिखाई देता था. विशाखा दिन भर घर को बनातीसंवारती, उन की फाइलें संभालती. रात को उन के कमरे में उन की दवा और पानी रख कर मुसकरा कर ‘गुडनाइट’ बोल कर अपने बैडरूम में आ जाती. बैड पर लेट कर किताबें पढ़ती और सो जाती. सुबह अच्छी तरह तैयार हो कर सिद्धार्थ के साथ नाश्ता करती. उन के जाने के बाद गाड़ी निकालती और सिद्धार्थ के बताए कामों को पूरा करती यानी कभी बैंक जाना, कभी उन के डाक्टर से मिलती, उन का हिसाबकिताब देखती, उन का हर काम हंसीखुशी करती.

आज वसंत को विशाखा फिर दिखाई दे गई थी. छोटा शहर था, इसलिए कई बार पहले भी दिख चुकी थी. औफिस से उठ कर इधरउधर घूमना वसंत की आदत बन गई थी. न जाने क्यों अब भी जब कभी विशाखा को देख लेता, दिल में एक फांस सी चुभती. कई महीने तो विशाखा उसे नजर नहीं आई थी. वैसे उस ने सुन लिया था कि उस ने शादी कर ली है और बहुत खुश रहती है.

न जाने क्यों उसे विशाखा की शादी से दुख पहुंचा था. शहर के किसी चौराहे पर, किसी मार्केट में विशाखा कभीकभी नजर आ ही जाती थी अपने पति के साथ, किसी नई सहेली के साथ, तो कभी अकेली कार में. उस के शरीर पर शानदार कपड़े होते और चेहरे पर शांति. वसंत का दिल जल कर रह जाता. ऐसी सुखशांति तो उस के जीवन में नहीं आई थी. आज भी जब विशाखा उस के सामने से निकली तो उस का दिल चाहा कि वह उस का पीछा करे, बिलकुल उसी तरह जैसे विवाह से पहले करता था.

गाड़ी खड़ी कर के वसंत बेचैनी में टहलता सड़क पर दूर निकल गया. सड़क के पार उस की नजर ठिठक गई, विशाखा बैंक से आ रही थी. वसंत तेजी से सड़क पार कर के उस तरफ बढ़ा जहां विशाखा अपनी गाड़ी में बैठने वाली थी.

जैसे ही विशाखा गाड़ी में बैठ कर गाड़ी स्टार्ट करने लगी वसंत ने नौक किया.

विशाखा देखती रह गई. वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इस तरह वसंत से मुलाकात हो जाएगी. वह कुछ बोल ही नहीं पाई.

वसंत ने कहा, ‘‘क्या गाड़ी में बैठ कर बात कर सकता हूं?’’

विशाखा ने पल भर सोचा, फिर कहा, ‘‘नहीं, आप को इस तरह बात करने का कोई हक नहीं है अब.’’

वसंत को धक्का सा लगा. वह टूटे

स्वर में बोला, ‘‘बस थोड़ी देर, फिर खुद ही उतर जाऊंगा.’’

‘‘कौन सी बातें आप को 3 साल बाद याद आ गई हैं?’’

वसंत बैठता हुआ बोला, ‘‘बहुत बदल गई हो… क्या खुश हो अपने जीवन से? कैसा है तुम्हारा पति?’’

‘‘वे बहुत अच्छे हैं और उन्हें बच्चे की भी कोई इच्छा नहीं है. बच्चे के लिए वे पत्नी को धोखा देने वाले इंसान नहीं हैं,’’ विशाखा ने सख्त स्वर में कहा.

वसंत झूठ नहीं बोल सका, कोई बात न बना सका, चोर की तरह अपने दिल का हर राज उगलने लगा, ‘‘विशाखा, मुझे देखो, मैं खुश नहीं हूं.’’

विशाखा ने पलट कर उस की तरफ देखा, सच में वह खुश नहीं लग रहा था. उस का हुलिया ही बदल गया था. वह बहुत सुंदर हुआ करता था, लेकिन आज बदसूरत और बेहाल लग रहा था.

‘‘विशाखा,’’ वसंत शर्मिंदा सा बोला, ‘‘यह तो ठीक है कि बच्चे दुनिया का सब से बड़ा उपहार हैं, लेकिन सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए मैं इस सच से आंखें फेर लिया करता था. लेकिन जब मां ने दूसरे विवाह की बातें कीं तो मेरी इच्छा भी जाग उठी… मेरे जुड़वां बच्चे हुए. मैं ने दुनिया की सब से बड़ी खुशी देख ली है फिर भी मैं टूट गया हूं. मंजिल पर पहुंचने के बाद भी भटक रहा हूं, क्योंकि मेरी पत्नी रेखा बहुत ही कर्कश स्वभाव की है. वह समझती है मैं ने बच्चों के लिए ही शादी की है. उसे अपने सिवा किसी का खयाल नहीं. कहती है कि बच्चे तुम्हारी जिम्मेदारी हैं. बहुत ही फूहड़ और बदमिजाज लड़की है.

‘‘मां से बातबात पर उस का झगड़ा होता है. वही घर, जो तुम्हारी उपस्थिति में खुश और शांत नजर आता था, अब कलह का अड्डा लगता है. घर जाने का मन नहीं होता. तुम ने मेरा इतना खयाल रखा था कि मैं बीते दिन याद कर के रात भर सो नहीं पाता हूं. बहुत दिन बाद मुझे पता चला कि संसार की सब से बड़ी खुशी तुम्हारे जैसी पत्नी है. मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सका और मानता हूं कि बच्चे का न होना इतनी बड़ी कमी नहीं जितनी बड़ी तुम्हारे जैसी पत्नी को ठुकराना है.’’

विशाखा ने बेरुखी से पूछा, ‘‘क्या यही वे बातें हैं, जो आप करना चाहते थे?’’

‘‘विशाखा, मुझे यकीन है तुम भी मेरे बिना खुश तो नहीं होगी. मैं ने तुम से अलग हो कर अच्छा नहीं किया. हम अच्छे दोस्तों की तरह तो रह सकते हैं न?’’

‘‘अच्छे दोस्तों की तरह से मतलब?’’

‘‘और कुछ तो हो नहीं सकता… कुछ समय तो एकदूसरे के साथ बिता ही सकते हैं… मैं तुम्हें अब भी प्यार करता हूं, विशाखा.’’

‘‘तुम्हारे लिए प्यार जैसा पवित्र शब्द एक खेल बन कर रह गया है. मेरे पति का प्रेम कितना शक्तिशाली है, तुम सोच भी नहीं सकते. उन के निश्छल, निर्मल प्रेम के प्रति मेरा मन श्रद्धा से भर उठा है. हमारे रिश्ते में विश्वास, समर्पण, आदर, अपनापन है और जब भी मैं उन के साथ होती हूं, तो मुझे लगता है कि मैं एक घनी छाया में बैठी हूं. निश्चिंत, सुरक्षित और बहुत खुश,’’ कहतेकहते विशाखा ने वसंत की तरफ का दरवाजा खोल दिया, ‘‘अब आप जा सकते हैं.’’

वसंत ने कुछ कहना चाहा, लेकिन विशाखा पहले ही बोल पड़ी, ‘‘अब और नहीं,’’ और फिर वसंत के उतरते ही उस ने गाड़ी आगे बढ़ा दी और अपने दिल में सिद्धार्थ के प्रेम की भीनीभीनी सुगंध से सराबोर घर पहुंची तो सिद्धार्थ उसे देखते ही मुसकरा दिए.

विशाखा को लगा कि कुछ पल आंखों में तैरता प्यार भी कभीकभी पूरा जीवन जीने के लिए काफी होता है. लेकिन इस बात को सिर्फ खुशनुमा पलों को जीने वाले ही समझ सकते हैं.

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