विमोहिता: भाग 3-कैसे बदल गई अनिता की जिंदगी

बहुत देर उस के पास मैं चुप बैठा रहा. वह इसे समझ रही थी. बाद में शायद दूसरी बार उस के हाथों को अपने हाथों में ले कर मैं ने कहा, ‘नहीं, कुछ ऐसा मत सोचो. सब ठीक हो जाएगा.’

पर वह फिर फफकफफक कर रोने लगी. मैं उसे देखता रहा और मैं कुछ कह नहीं सका. इस तरह बैठेबैठे जब बहुत रात हो गई तो उस ने ही कहा, ‘जाओ. घर पर रमा चिंता कर रही होगी. बहुत रात हो गई है.’

और जब घर आया तो रात के 2 बज रहे थे. रमा इंतजार कर रही थी. उस ने कहा, ‘बहुत देर कर दी. सब ठीक तो है न?’

मैं ने कहा, ‘अनिता से मिल कर आने में देरी हो गई.’

और फिर रमा को मैं ने अनिता के बारे में सब कुछ बताया. उस रात हम दोनों बिना कुछ खाए ही लेट गए. रात भर हमें नींद नहीं आई. मैं अनिता के बारे में ही सोचता रहा. उस के जीवन का अंत इस तरह होगा, इस की कभी मैं ने कल्पना तक नहीं की थी.

2 दिन बाद कुछ मित्रों की सहायता से उसे निर्मला अस्पताल में ऐडमिट करा जब चलने को हुआ तो उस ने मेरी ओर बड़ी करुणा से देखा. बहुत दर्द था उस में. मैं ने कहा, ‘इस ऐडवांस स्टेज में तुम जानती हो कुछ नहीं हो सकता. यहां रहोगी तो कोई पास तो होगा, कम से कम छोटीमोटी जरूरतों के लिए.’

उस ने कुछ नहीं कहा. धीरे से उस ने अपनी पलकें उठाईं. पलकें उठाते ही वहां से आंसू ढलकते देख मेरी आंखें भर आईं. मैं कुछ देर बैठा रहा. चलने को हुआ तो उस ने कहा, ‘अमित कैसा है?’

‘अच्छा है, बहुत चाहती हो उसे? अगली बार आऊंगा तो उसे लेता आऊंगा,’ मैं ने कहा.

‘नहीं, उसे मत लाना. वह बहुत छोटा है. यहां लाना ठीक नहीं होगा,’ कह कर उस ने अपनी आंखें दूसरी तरफ कर लीं.

‘ठीक है. अपना खयाल रखना. 1-2 दिन के अंतर पर मैं आता रहूंगा,’ कह कर मैं चलने के लिए दरवाजे की ओर बढ़ा. उस ने कुछ नहीं कहा.

वह मुझे ही देख रही थी. वह नजर बहुत कातर थी. मैं आगे नहीं बढ़ सका. लौट कर कुछ देर उस के हाथों को अपने हाथों में ले सहलाता रहा और फिर बिना कुछ कहे चला आया.

और आज जब हम आए तो वह जा चुकी थी सदा के लिए. सब कुछ छोड़ कर. नर्स ने कहा, ‘‘रात में वह आप लोगों के बारे में बारबार पूछ रही थी. ऐसा लगता है जैसे वह अपने जाने के बारे में जानती थी.’’

उस का सामने पड़ा चेहरा सरल था. वहां कोई विषाद या तनाव का चिह्न नहीं था और अपने हाथों में उस ने लाल चूडि़यां पहन रखी थीं. उसे देखते हुए मैं ने नर्स की ओर देखा.

उस ने कहा, ‘‘ये लाल चूडि़यां रोज पर्स से निकाल कर वह घंटों देखा करती थी और फिर पर्स में रख लेती थी. कल उस के आग्रह करने पर मैं ने इसे उस के हाथों में पहनाया था. रात मेरे कहने पर उस ने निकालने से मना कर दिया और कहा, ‘नहीं, आज की रात इसे पहन कर सोऊंगी.’’’

दाह संस्कार कर घर लौटने पर परेशान देख रमा ने कहा, ‘‘चलो, सो जाओ. वह चली गई अच्छा हुआ. वह बहुत दुख में थी.’’

मैं मौन रहा. वह कुछ देर सामने खड़ी रही और बाद मेरी ओर देखते हुए कहा, ‘‘उन चूडि़यों से तुम्हारा क्या संबंध था?’’

मैं ने कहा, ‘‘उस दिन जब हम हिल्टन के करीब बांद्रा में घूम रहे थे, उसे वे लाल चूडि़यां पसंद आ गई थीं. उस ने मुझ से कहा था, ‘अखिल, ये चूडि़यां तुम मुझे खरीद दो. आई प्रौमिस यू, उस रात इसे पहन कर तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’’

‘‘और?’’

‘‘और कुछ नहीं. जीवन के अंतिम पलों में कदाचित वह अपनी व्यथा में भावुक हो गई थी हमारे उन संबंधों को ले कर.’’

दूसरे दिन एक रजिस्टर्ड पत्र मिला. पत्र अनिता के सौलिसिटर का था. वह अपनी सारी संपत्ति, जिस में 3 रूम का उस का कार्टर रोड का फ्लैट और करीब 1 करोड़ रुपए बैंक डिपौजिट था, अमित के नाम कर गई थी. साथ में उस का एक पत्र था. पत्र में उस ने लिखा था-

अखिल,

दुख के गहरे पलों से गुजर रही हूं इन दिनों और यह दुख समय के साथ कम नहीं हो रहा. बढ़ता ही जा रहा है.

मेरा किया हुआ सदा मेरे सामने होता है. मैं सदा उसे अपलक देखती रहती हूं. उस किए हुए में तुम भी होते हो और जब वहां तुम होते हो, तुम्हें पाने के लिए मन बेचैन हो उठता है. ये सब कुछ मैं ने कभी नहीं कहा तुम से. किस मुंह से कहती?

उस दिन तुम ने पूछा था, क्या मैं अमित को बहुत चाहती हूं? सच, बहुत चाहती हूं. जब भी मैं ने उस के बारे में सोचा है इस अवस्था में भी मेरी छाती में दूध उमड़ने लगा है. आज सोचती हूं, काश तुम्हारी दुलहन बनती. तुम्हारे लिए घंटों सजती और अमित मेरी छाती पर खेलता. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. और देखो, कहां जा फंसी. कहीं की नहीं रही और जाने का समय भी आ गया. असहनीय पीड़ा होती है आखिल. मन में, सब सोच कर.

वह मेरा जीवन के प्रति अज्ञान था. उस के नियमों के प्रति कोई विद्रोह नहीं. आज सोचती हूं हरसिंगार बन यों न फैलती और तुम्हारी निर्दोष दृष्टि को समझ पाती तो यह दुख तो आज नहीं भोगती.

तुम्हें दुख पहुंचाया है मैं ने, उस के लिए मेरा स्वयं मुझे कोसता रहता है. पर ऐसा कहना आज अर्थहीन होगा. जिंदगी का एक पल भी तुम्हें नहीं दे सकी और देखो आज लाश ढोने के लिए कह रही हूं.

इस जन्म में तो नहीं, मगर अगले जन्म में मुझे अवश्य साथ ले लेना. तुम जो भी कहोगे आई प्रौमिस यू, वही करूंगी. उस के सिवा कुछ नहीं करूंगी.

– तुम्हारी अनिता

और आज सुबह रमा को तैयार होते देख मैं ने कहा, ‘‘कहां जा रही हो सुबह सुबह?’’

‘‘मैं अनिता के सौलिसिटर के पास जा रही हूं. मैं सब कुछ निर्मला अस्पताल को गिफ्ट कर देना चाहती हूं.’’

और उस दिन निर्मला को गिफ्ट कर जब मैं घर लौट रहा था तो लगा, रमा नहीं अनिता साथ में है लौंग ड्राइव पर.

Priyanka Chopra के जेठ-जेठानी के रिश्ते में आई दरार! शादी के 4 साल बाद लेंगे तलाक

बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक ग्लोबल स्टार प्रियंका चोपड़ा का परिवार इन दिनों काफी सुर्खियों में है. प्रियंका के ससुराल वालो को इंडिया में बहुत प्यार मिलता है. प्रियंका के जेठ-जेठानी जो जोनस और सोफी टर्नर को इंडिया से बहुत प्यार मिला है. जो जोनस और सोफी टर्नर हॉलीवुड के सबसे फेमस कपल है.

जो जोनस और सोफी टर्नर के रिश्ते में आई दरार

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जो जोनास और सोफी टर्नर के रिश्ते में खटास आ गई है और तलाक की नौबत आ गई है. जोड़े के करीबी सूत्रों ने खुलासा किया है कि जो सोफी से अपनी शादी खत्म करने की संभावना पर विचार करते हुए लॉस एंजिल्स में तलाक के वकीलों के साथ परामर्श कर रहे है.

 

दुनिया से छुपकर की थी शादी

बता दें, जो जोनस और सोफी टर्नर का रिश्ता साल 2016 में शुरू हुआ था. इसके बाद दोनों ने साल 2017 में सगाई कर ली. दोनों ने अपना रिश्ता दुनिया से छिपाकर रखा था. वहीं सगाई भनक किसी को नहीं थी. साल 2019 में कपल ने दुनिया से छुपकर शादी की थी. सोफी और जो ने लास वेगस में परिवार के साथ सीक्रेट शादी की थी. इस शादी में परिवार वाले और  करीबी दोस्त शामिल हुए थे. जोड़े ने अपने पहले बेवी के अनाउंस करते हुए शादी का ऐलान किया था.

 

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जो जोनस और सोफी टर्नर का करियर

पेशे के तौर पर जो और सोफी दोनों अपने-अपने करियर में सक्रिय रहे हैं. जो, अपने भाइयों के साथ, एक सफल संगीत यात्रा पर निकले, जबकि सोफी, जो “गेम ऑफ थ्रोन्स” में अपनी भूमिका के लिए जानी जाती है.

इंतकाम: भाग 1- सुजय ने संजय को रास्ते से कैसे हटाया

‘‘नेहा इधर तो आ,’’ मां ने आवाज लगाई तो मोबाइल पर आंखें टिकाए नेहा सामने आ कर खड़ी हो गई.

‘‘इस बार तु झे पीरियड्स नहीं आए?’’

‘‘हां, आई गैस 20 डेज ऐक्स्ट्रा हो चुके हैं,’’ नेहा ने सहजता से जवाब दिया.

‘‘कल तेरा जी भी मिचला रहा था?’’

नेहा ने मोबाइल उठा कर रख दिया. मां जिस तरफ इशारा कर रही थी वह बात सम झते ही वह चौकन्नी हो गई. फिर कौन्फिडैंस के साथ बोली, ‘‘अरे, ये आप कैसी बात कह रही हैं मौम?’’

‘‘तु झे जानती हूं इसलिए कह रही हूं. आजकल वैसे भी तेरा ज्यादा समय किस के साथ गुजरता है इस की भी खबर है मु झे. बेटी इस मामले में शायद तू नादान है, लेकिन मेरी बात सम झ. मैं अभी जानना चाहती हूं कि सब ठीक है या नहीं. ऐसा कर अभी जा कर प्रैगनैंसी टैस्ट कर. ये मैं कल ले कर आई थी. मु झे तु झ पर कई दिनों से शक है,’’  मां ने उसे प्रैगनैंसी टैस्ट किट देते हुए कहा.

‘‘मौम आप अपनी बेटी पर शक कैसे कर सकते हो?’’

‘‘क्योंकि तेरी संगत गलत है. अब जा,’’ मां ने थोड़े नाराज स्वर में कहा.

नेहा टैस्ट करने चली गई. थोड़ी देर में ही मुंह लटका कर लौटी. वह सच में प्रैगनैंट थी.

‘‘अभी मेरे आगे संजय को फोन लगा और सारी बात बता कर पूछ कि क्या वह तु झ से शादी करेगा और इस बच्चे को अपनाएगा?’’ मां ने और्डर दिया.

‘‘पर मां उसे अभी अचानक फोन कैसे करूं. पता नहीं कहां होगा. मैं बाद में कर के बताती हूं,’’ नेहा ने टालना चाहा.

‘‘बेटा अभी मेरे सामने कर. इन मामलों में देर नहीं की जा सकती. मैं जानती हूं वह शादी करने को तैयार नहीं होगा. फिर भी तू पूछ कर तसल्ली कर ले,’’ मां ने सम झाते हुए कहा.

नेहा ने जब संजय को सब बता कर शादी के लिए पूछा तो वह हंस पड़ा, ‘‘क्या यार अभी हमारी उम्र है इन  झं झटों में पड़ने की? एक बार मिस्टेक हो गई. साफ करवा ले. फिर सोचेंगे क्या करना है. वैसे भी मु झे बहुत बड़ा आदमी बनना है.

‘‘सो तू अभी शादीवादी के बारे में मत सोच. मेरे प्यार में कमी आए तो कहना. शादी के लफड़े को अभी किनारे रख.’’

‘‘नेहा ने मां को सारी बात बताई तो मां तुरंत उसे नर्सिंगहोम ले गई और गर्भपात करवा कर वापस आ गई. मां को बेटी की प्रैगनैंसी की टैंशन से तो मुक्ति मिली मगर अब उस का घर बसाने की जल्दी होने लगी.

‘‘देख नेहा यह लड़का तु झ से कभी शादी नहीं करेगा यह बात लिख कर रख ले. जब उसे ऐसे ही सारी चीजें मिल रही हैं तो भला वह रिश्तों के चक्कर में क्यों पड़ेगा. सम झदारी इसी में है हम तेरी अच्छी जगह शादी करा दें. मैं तेरे पापा से बात करती हूं,’’ मां ने कहा.

‘‘मौम प्लीज ऐसा मत करो. मैं किसी और से शादी नहीं कर सकती,’’ नेहा गिड़गिड़ाई.

‘‘तो क्या तेरे पिता को सारी बात बता दूं?’’ मां ने डराया.

‘‘नहीं मम्मी प्लीज.’’

‘‘तो मैं जैसा कह रही हूं वैसा कर. मैं तेरा इन गलत कामों में और साथ नहीं दे सकती,’’ मौम ने सख्त आवाज में कहा.

नेहा 2-4 दिन बहुत परेशान रही. कई बार संजय को फोन कर के रिक्वैस्ट की. शादी के लिए मनाने की कोशिश की मगर संजय हर बार बहाने बना देता.

कभी कहता कि अभी शादी नहीं करनी है, कभी कहता कि जाति अलग है घर वाले नहीं मानेंगे और कभी कहता कि कुछ बड़ा बनने के बाद ही सोचूंगा.

एक दिन फिर नेहा संजय से मिली तो. उस से वही बात करनी चाही और

साफसाफ बोली, ‘‘यार मेरे घर वाले अब जल्द से जल्द मेरी शादी कराना चाहते. हैं. तु झे मेरी जरा भी फिक्र है तो शादी के लिए हां कह दे.’’

संजय उस की आंखों में  झांकता हुआ बोला, ‘‘देख नेहा मैं तु झे प्यार बहुत करता हूं और शादी भी कर लूंगा, मगर अभी नहीं. तू ऐसा कर अभी अपने मांबाप के कहे अनुसार शादी कर ले. हम पहले की तरह मिलते रहेंगे. तेरे मांबाप भी तु झे ले कर फ्रिक हो जाएंगे. बाद में जब मैं कुछ बन जाऊंगा और अपने सपने पूरे कर लूंगा तब तु झ से शादी भी कर लूंगा. तेरी शादी के बाद भी हमारे बीच प्यार कम नहीं होगा यह मेरा वादा है.’’

काफी मानसिक द्वंद और तनाव के बाद आखिर एक दिन नेहा ने मौम के आगे किसी दूसरे से शादी के लिए हामी भर दी. आननफानन में पिता ने उस की शादी एक मिडल क्लास फैमिली के सब से बड़े बेटे से करा दी जो दिल्ली में जौब करता था. उस के पेरैंट्स पुणे में रहते थे.

शादी के बाद नेहा कुछ दिन पुणे में रही और फिर वापस दिल्ली अपने पति के पास आ गई. उस का पति सुजय उस से काफी प्यार करता था और नेहा भी यही दर्शाती थी कि वह भी उस से गहरा प्यार करती है. मगर नेहा कहीं न कहीं 2 नावों की सवारी कर रही थी. एक तरफ तो पति को यह दिखाती कि वह उस की बहुत केयर करती है और दूसरी तरफ वह अपने पूर्व प्रेमी यानी संजय के साथ पहले की तरह रिश्ते में थी.

बहुत जल्द सुजय को यह एहसास हो गया कि नेहा उस से चीट कर रही है और किसी दूसरे लड़के के संपर्क में है. दरअसल, वह पूरा समय मोबाइल में लगी रहती और कई बार इस चक्कर में जरूरी काम भी भूल जाती. मगर सुजय नेहा पर ऐसे ही कोई इलजाम नहीं लगाना चाहता था. इसलिए वह कोई पुख्ता सुबूत मिलने का इंतजार कर रहा था.

एक दिन सुजय को वह सुबूत भी मिल गया जब उस ने नेहा को एक मौल में अपने प्रेमी के साथ देखा.

उस दिन वह औफिस से आया तो बहुत गुस्से में था. आते ही नेहा से सवाल किया, ‘‘आज तुम मौल में किस के साथ थी.’’

अचानक किए गए इस सवाल से नेहा थोड़ी सहमी फिर चालाकी से

बोली, ‘‘मेरा दोस्त मतलब स्कूल फ्रैंड था?’’

‘‘यह दोस्त तुम्हारे ज्यादा ही करीब नहीं था?’’

‘‘अरे आप भी न क्या सोचने लगे. बस दोस्त है रास्ते में मिल गया. आप की भी तो कोई दोस्त होगी ऐसी?’’

‘‘मैं ऐसी कोई दोस्त नहीं रखता,’’ कह कर सुजय हाथमुंह धो कर अपने कमरे में चला गया.

अब सुजय का प्यार डांवांडोल हो चुका था. वह सम झ गया था कि उस की पत्नी का एक यार भी है जो अब भी उस के करीब है.

इस बात को काफी दिन बीत चुके थे मगर सुजय ने नेहा से दूरी बना ली थी. इसी बीच नेहा संजय की वजह से एक बार फिर प्रैगनैंट हो गई. जैसे ही उसे एहसास हुआ कि वह प्रैगनैंट है उस ने जल्दी से अपना दिमाग चलाना शुरू किया. आजकल सुजय दूर रहता था. ऐसे में प्रैगनैंसी के बारे में जान कर वह बच्चे को अपना नहीं मानेगा. इस बात का खयाल आते ही उस ने तय किया कि वह सुजय को मनाएगी और करीब जाएगी. उस ने ऐसा ही किया और पूरी तैयारी के साथ हौट ऐंड सैक्सी नाइटी पहन कर सुजय के पास पहुंची.

उसे सौरी कहने के बाद अपने जलवे दिखा कर काबू में कर लिया और उस की बांहों में आ गई. सुजय को पता नहीं था कि नेहा की चाल क्या है. एक खूबसूरत स्त्री का साथ पा कर पुरुष खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाते और ऐसा ही कुछ सुजय के साथ हुआ. कुछ दिनों के बाद नेहा ने बेफिक्र हो कर अपनी प्रैगनैंसी की खबर सुजय को दे दी.

सुजय को शक तो हुआ पर वह दावे से नहीं कह सकता था कि बच्चा उस का नहीं है. इसलिए उस ने बच्चे के आने की तैयारियां शुरू कर दीं. सुजय के घर वाले बहुत खुश हो गए. बस सुजय का दिल ही पूरी तरह खुशी नहीं मना पा रहा था. सही समय पर नेहा ने बेटे को जन्म दिया. बच्चे का चेहरा देख कर सुजय का दिल खिल उठा. नेहा के प्रति उस का गुस्सा भी ठंडा पड़ गया और वह फिर से नेहा और बच्चे के साथ अपनी खूबसूरत जिंदगी की कल्पना करने लगा. इस बीच वैसे भी नेहा का संपर्क संजय से काफी कम हो चुका था जिस का एहसास सुजय को था. वह अपने मन को दिलासा देने लगा कि अब बच्चे के आने के बाद नेहा वापस संजय के पास नहीं जाएगी बल्कि उस के साथ प्यार से गृहस्थी चलाएगी.

कुछ समय तक ऐसा हुआ भी. नेहा अपने बच्चे के पालनपोषण में व्यस्त रहने लगी. उस का बाहर जाना या घंटों फोन में बिजी रहना काफी हद तक कम हो गया.

सुजय ने दिल से नेहा को माफ कर दिया था. मगर जल्द ही उसे एक कड़वी हकीकत का सामना करना पड़ा जब उस ने फिर से नेहा और संजय को साथ देखा. एक बार फिर से उस के मन की शांति चली गई.

सुजय चाह कर भी नेहा से अलग नहीं हो सकता था क्योंकि वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करता था और कहीं न कहीं नेहा की खूबसूरती उस की कमजोरी थी. वह नेहा से भी अलग नहीं होना चाहता था. इसलिए वह घुटघुट कर जीने को विवश हो गया.

Cook Book special: टेस्ट औफ मालाबार

फेमस कुक शेफ हरपाल सिंह शोखी के जायके घर में एक बार जरुर ट्राई करें. टेस्ट से भरपूर मालाबार. आज ही घर पर बनाएं ये रेसिपी स्वाद ऐसा कि उंगलियां चाटते रह जाओ. आइए देखें ये रेसिपी.

  1. चिकन सुक्का

सामग्री

1.  6 बड़े चम्मच औयल

 2.  3-4 हरी इलाइची 

 3. 2-3 दालचीनी 

  4. 2 चक्र फूल 

   5. 9-10 लौंग 

   6. 2 छोटे चम्मच जीरा 

   7. 11/2 छोटे चम्मच साबूत धनिया 

   8. 2 छोटे चम्मच कालीमिर्च 

   9. 5-6 साबूत लालमिर्च

  10. 1/2 कप कद्दूकस किया नारियल 

  11. 3 प्याज मीडियम आकार के कटे 

  12. 1 बड़ा चम्मच खसखस 

  13. 11/2 बड़े चम्मच अदरक कटा 

   14. 11/2 बड़े चम्मच लहसुन कटा 

   15. 3-4 हरीमिर्चें 

   16. 15-20 करीपत्ते 

   17. 11/2 बड़े चम्मच धनिया पाउडर 

   18. 2 छोटे चम्मच लालमिर्च पाउडर 

   19. 1 छोटा चम्मच गरममसाला

    20.  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर 

   21. 800 ग्राम चिकन द्य नमक स्वादानुसार.

विधि

एक पैन में घी गरम कर के उस में थोड़ी हरी इलायची, दालचीनी, चक्र फूल, लौंग, जीरा, साबूत धनिया, कालीमिर्च, प्याज, कद्दूकस किया नारियल डाल कर चलाते हुए 8-10 मिनट तक अच्छे से पकाएं. अब इस में खसखस डालकर अच्छे से चलाएं. फिर इसे एक तरफ ठंडा होने के लिए रख दें. ठंडा कर इस मिक्स्चर को जार में ब्लैंड कर इस का स्मूद पेस्ट बनाएं. अब पैन में आयल डाल कर उस में चक्र फूल, दालचीनी, लौंग, कटा अदरकलहसुन डाल कर अच्छे से कुछ सैकंड तक चलाएं. अब इस में करीपत्ता, कटी हरीमिर्च डाल कर उस में ग्राइंड किए पेस्ट डाल कर थोड़ा और चलाएं. फिर इस में हलदी पाउडर, धनिया पाउडर, लालमिर्च पाउडर, गरममसाला और नमक डाल कर तब तक पकाएं, जब तक मसाला औयल न छोड़ दे. फिर इस में चिकन डाल कर इसे मीडियम आंच पर 20 मिनट तक पकाएं. फिर चिकन सुक्का को धनियापत्ती से गार्निश कर के गरमगरम सर्व करें.

2. साउथ इंडियन ब्लैक पैपर चिकन  

सामग्री

1.  2 चिकन ब्रस्ट 

  2. 2 छोटे चम्मच सोया सौस 

  3. 2 छोटे चम्मच विनेगर 

  4. 2 छोटे चम्मच कालीमिर्च पाउडर 

  5. 1 बड़ा चम्मच मैदा 

  6. 1 बड़ा चम्मच कौर्न स्टार्च 

  7. 1 साबूत अंडा 

  8. फ्राई करने के लिए औयल 

  9. 1 बड़ा चम्मच लहसुन कटा 

  10. 1 बड़ा चम्मच अदरक कटा

  11.  4-5 हरीमिर्चें कटी 

  12. 6-7 करीपत्ते 

  13. 1 प्याज कटा 

  14. 1 छोटा प्याज क्यूब्स में कटा 

  15. 1 छोटा शिमलामिर्च क्यूब्स में कटा 

  16. 3 बड़े चम्मच ग्रीन चिली सौस 

  17. थोड़ी सी स्प्रिंग ओनियन 

  18. स्वादानुसर नमक.

विधि

सब से पहले चिकन ब्रैस्ट को छोटे क्यूब्स में काट लें. इसी बीच पैन में फ्राई करने के लिए औयल गरम करें. अब एक बाउल में चिकन डाल कर उस में नमक, सोया सौस, विनेगर, कालीमिर्च पाउडर, मैदा, कौर्न स्टार्च और अंडा डाल कर उसे अच्छे से मिक्स करें. जब औयल गरम हो जाए, तब उस में मैरिनेट चिकन को डाल कर तब तक फ्राई करें, जब तक वह नर्म न पड़ जाए. अब अन्य पैन में औयल को गरम कर के उस में कटा हुआ लहसुनअदरक, हरीमिर्च व कालीमिर्च पाउडर को डाल कर 1 मिनट तक अच्छे से चलाएं. अब इस में करीपत्ता, कटे प्याज डाल कर 3-4 मिनट तक और पकाएं. अब इस में क्यूब ओनियन व शिमलामिर्च डाल कर 2 मिनट तक चलाएं. फिर इस में सोया सौस, विनेगर, ग्रीन चिली सौस, नमक, स्प्रिंग ओनियन और फ्राइड चिकन डाल कर 1 मिनट तक अच्छे से मिलाते हुए चलाएं. अब इसे बाउल में निकाल कर स्प्रिंग ओनियन से गार्निश कर के गरमगरम सर्व करें.

3. मालाबारी परांठा

चिकन घी रोस्ट सामग्री 

 1. 200 ग्राम चिकन क्यूब में कटा 

 2. 3-4 बड़े चम्मच घी 

 3. 4-5 सूखी लालमिर्च 

 4. 1 बड़ा चम्मच साबूत धनिया 

 5. 1 छोटा चम्मच जीरा 

  6. 1 छोटा चम्मच सौंफ 

  7. 1/2 इंच दालचीनी 

  8. 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च 

  9. 3-4 लौंग द्य थोड़ा सा नीबू का रस 

  10. 1 इंच अदरक कटा 

  11. थोड़ा सा लहसुन कटा 

  12. 17-18 करीपत्ते 

  13. 1 प्याज कटा

  14.  एकचौथाई छोटा चम्मच हलदी पाउडर

   15.  एकचौथाई कप दही 

   16. 1 छोटा चम्मच कद्दूकस किया गुड़ 

  17. 1 छोटा चम्मच इमली का पल्प 

   18. 2 मलबारी परांठे 

   19. स्वादानुसार नमक.

विधि

पैन गरम कर के लालमिर्च, साबूत धनिया, जीरा, सौंफ, दालचीनी, कालीमिर्च को तब तक  ड्राई रोस्ट करें, जब तक मसालों से खुशबू न आने लगे. अब इसे ग्राइंडर में डाल कर नीबू का रस, अदरकलहसुन, थोड़े सा करीपत्ते और 1/2 कप पानी डाल कर फाइन पेस्ट बनाएं. अब इस मिक्स्चर में चिकन डाल कर नमक, हलदी पाउडर डाल अच्छे से मिला कर 1 घंटे के लिए एक तरफ रख दें. अब पैन में घी गरम कर के उस में बचे करीपत्ते और प्याज डाल कर 1 मिनट तक अच्छे से चलाएं. फिर इस में मैरिनेट चिकन डाल कर अच्छे से मिला कर 14-15 मिनट तक पकाएं. अब इस में दही, गुड़ और इमली का पल्प डाल कर तब तक पकाएं, जब तक मिक्स्चर ड्राई न हो जाए. इसी बीच परांठे को दोनों तरफ से गरम कर के उस पर लैटूस लीव रख कर उस पर तैयार चिकन रख कर परांठे को बीच से आधा कर गरमगरम सर्व करें.

4. पनियारम

सामग्री

 1.  1 कप पूरी रात भीगे चावल 

 2. एकचौथाई कप पूरी रात भीगी उरद दाल 

 3. 3 बड़े चम्मच दही 

 4. एकचौथाई छोटा चम्मच हींग 

 5. 1 छोटा चम्मच मेथी दाना.

सामग्री तड़के की

 1.  1 बड़ा चम्मच औयल 

 2. एकचौथाई छोटा चम्मच हींग 

 3. 1 छोटा चम्मच सरसों 

 4. 1 छोटा चम्मच उरद दाल 

 5. 1/2 इंच अदरक का टुकड़ा कटा 

 6. 4-5 हरीमिर्च कटी 

 7. 8-10 करीपत्ते 

 8. 1 छोटी गाजर कटी हुई 

 9. 1 प्याज मीडियम आकार की कटी 

 10. एकचौथाई कप कद्दूकस किया नारियल 

 11. 1 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा 

 12. नमक स्वादानुसार.

विधि

चावल और उरद दाल से पानी निकाल कर ग्राइंडर में ग्राइंड करें. फिर इस में दही, हींग, मेथी दाना डाल कर इस का स्मूद पेस्ट तैयार करें. अब इसे एक बाउल में निकाल कर एक तरफ रख दें. अब एक पैन में औयल गरम कर के उस में हींग, सरसों, उरद दाल डाल कर 1 मिनट तक चलाएं. फिर इस में गाजर डाल कर 2 मिनट तक और चलाएं. अब इसे बैटर में डाल कर इस में प्याज, नारियल और नमक डाल कर अच्छे से मिलाएं. फिर इसमें सोडा डाल कर अच्छे से मिक्स करें. अब पनियारम पैन को गरम कर के उस में औयल डाल कर बैटर डालें. फिर 2-3 मिनट तक उलटपलट कर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक पकाएं. फिर इन्हें सर्विंग बाउल में निकाल कर कोकोनट चिली सौस के साथ गरमगरम सर्व करें.

5. मैसूर बोंडा

सामग्री

 1.  1 कप मैदा 

 2. 2 बड़े चम्मच चावल का आटा 

 3. 3 बड़े चम्मच दही 

 4. 3 हरीमिर्चें कटी 

5. 1 छोटा चम्मच जीरा 

 6. 1 प्याज मीडियम आकार का कटा

 7.  1/2 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा

 8. स्वादानुसार नमक.

सामग्री चटनी की

1.  एकचौथाई कप कद्दूकस किया नारियल

 2.  2 बड़े चम्मच चना दाल रोस्ट की 

 3. 3 हरीमिर्चें कटी द्य थोड़ी सी धनियापत्ती

 4.  थोड़ी सी पुदीनापत्ती 

 5. थोड़ा सा नीबू का रस 

 6. स्वादानुसार नमक.

टेंपरिंग के लिए सामग्री

  1. 1 बड़ा चम्मच औयल 

  2. एकचौथाई छोटा चम्मच हींग 

  3. 1/2 छोटा चम्मच सरसों 

 4. 1 छोटा चम्मच उरद दाल 

 5. 16-18 करीपत्ते.

विधि

एक मिक्सिंग बाउल में मैदा, चावल का आटा, दही, कटी हरीमिर्च, अदरक, प्याज, जीरा, नमक, सोडा और पानी डाल कर इस का गाढ़ा बैटर तैयार करें. फिर इसे एक तरफ रख दें. अब ग्राइंडर जार की मदद से कद्दूकस किया नारियल, चना दाल, हरीमिर्च, धनिया व पुदीनापत्ती, नमक, नीबू का रस और पानी डाल कर इस का स्मूद पेस्ट बनाएं. अब इसे भी बाउल में निकाल कर एक तरफ रख दें. अब पैन में औयल को गरम कर के उस में हींग, सरसों, उरद दाल को डाल कर एक मिनट तक चलाएं. अब इस में करीपत्ता डाल कर 10 सैकंड तक चलाएं. अब इसे तैयार चटनी पर डाल कर अच्छे से मिलाएं. अब कड़ाही में औयल गरम करें. अब तैयार बैटर में कद्दूकस किया नारियल, धनियापत्ती डाल कर अच्छे से मिलाएं. फिर अपने हाथों पर पानी लगा कर इस बैटर से नीबू के आकार की बौल्स बना कर उसे मीडियम आंच पर सुनहरा व क्रिस्पी होने तक फ्राई करें. अब इसे सर्विंग प्लेट में निकाल कर कोकोनट चटनी के साथ सर्व करें.

आशीर्वाद: क्यों टूट गए मेनका के सारे सपने

इन 7 आदतों के कारण नही घटता आपका वजन, पढ़ें खबर

आपका वजन जल्दी बढ़ता है या आप दूसरों की तुलना में जल्दी वेट गेन नहीं करते, यह सब आपके मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करता है. अगर वॉक और एक्सरसाइज करने के वाबजूद आपका वजन कंट्रोल नहीं हो पा रहा है तो आपको जरूरत है अपनी इन आदतों पर ध्यान देने की…

1. आप पूरी नींद नहीं लेते हैं

पूरी नींद न लेना आपके फैट को बढ़ाता है. शरीर को पूरा आराम नहीं मिलने पर आपका मेटाबॉलिज्म धीमे काम करता है, जिससे आपकी भूख तो बढ़ती है, लेकिन आपका एनर्जी लेवल कम रहता है. यह स्थिति एक्सरसाइज का भी पूरा फायदा आपके शरीर को नहीं मिलने देती.

2. आदत मेहनत पर पानी फेर देती है

आप कितने भी घंटे जिम, एक्सरसाइज या योग करती हैं, अगर आपको हर घंटे या दो घंटे में कुछ मीठा खा लेने की आदत है तो यह आदत जिम में की गई आपकी मेहनत पर पानी फेर देती है.

3. पीना अच्छा है पर मीठा पीना नहीं

भले ही आप डाइट चार्ट फॉलो करती हैं लेकिन अगर आपकी ड्रिंकिंग हैबिट्स सही नहीं हैं तो डाइट फॉलो करना बेकार हो जाएगा. डिब्बा बंद जूस और एनर्जी ड्रिक्स में शुगर और कैलोरीज़ एड होती हैं. इसलिए ग्रीन-टी, नेचुरल फ्रूट जूस और नारियल पानी लेना सही रहता है.

4. बेहद कम खाना

आप डाइटिंग पर हैं, इसलिए खाने की बेहद कम मात्रा लेती हैं तो ये भी आपका फैट बढ़ा सकता है. ऐसा करने पर आप जो भी खाती हैं, उसे बॉडी फैट के तौर पर स्टोर कर लेती है. आपका एनर्जी लेवल डाउन हो जाता है और आप कमजोरी महसूस करते हैं.

5. बस सलाद खाना

यह एक बड़ी भूल है. लंच और डिनर में अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं, तो इसे तुरंत बंद कर दीजिए. क्योंकि शरीर को हेल्दी और फिट रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार चाहिए होता है. स्नैक्स से दूरी बनाना नहीं, बल्कि अपनी डाइट को बैलेंस बनाना जरूरी है.

6. एक-जैसी एक्सरसाइज

जल्द वजन घटाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी एक्सरसाइज में बदलाव करते रहें. एक जैसी एक्सरसाइज से आपकी बॉडी को इसकी आदत पड़ जाती है और इसका असर कम हो जाता है. इसलिए बदलाव जरूरी है.

7. बीमारियां या हॉर्मोनल दिक्कत

कई बार मेडिकल कंडीशन्स की वजह से भी वजन बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आप डॉक्टर की गाइड लाइन में इसे घटाने का प्रयास करें. सबसे खास बात है कि बढ़े वजन को लेकर टेंशन न लें क्योंकि चिंता करना, आपका वजन और बढ़ा सकता है.

मेरे पति ‘मम्माज बौय’ है, इसीलिए मैं तनाव में हूं ऐसे में मैं क्या करुं?

सवाल

28 वर्षीय महिला हूं. पिछले साल ही शादी हुई थी. शादी के बाद ससुराल आई तो 2-3 दिन में ही समझ गई कि पति मम्माज बौयहैं. वे अपनी मां से पूछ कर ही कोई काम करते हैं और मेरी एक भी बात नहीं मानते. खाने से ले कर परदे के रंग तक का चयन मेरी सास ही करती हैं और मेरी बातों को जरा भी अहमियत नहीं देतीं. इस से मैं काफी तनाव में रहती हूं. समझ नहीं आ रहा क्या करूं?

जवाब

अभी आप की नई-नई शादी हुई है. आप के पति समझदार हैं और इसीलिए वे नहीं चाहते होंगे कि अचानक मां को नजरअंदाज कर आप की बातों को उन के सामने ज्यादा तवज्जो दें. इस से घर में अनावश्यक ही तनाव भरा माहौल हो जाएगा.

आप को धीरेधीरे समय के साथ घर में अपनी जगह बनानी चाहिए. बेहतर होगा कि आप अपनी सास को सास नहीं मां समझें. उन के साथ खाली वक्त में साथ बैठें, टीवी देखें, शौपिंग करने जाएं, उन की पसंद की ड्रैस खरीद कर उन्हें दें. घर के कामकाज में उन की सहायता करें.

जब आप की सास को यह यकीन हो जाएगा कि अब आप अच्छी तरह से गृहस्थी संभाल सकती हैं, तो धीरेधीरे वे आप को पूरी जिम्मेदारी सौंप देंगी.

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नेहा की नई-नई शादी हुई है. वह विवाह के बाद जब कुछ दिन अपने मायके रहने के लिए आई तो उसे अपने पति से एक ही शिकायत थी कि वह उस का पति कम और ‘मदर्स बौय’ ज्यादा है. यह पूछने पर कि उसे ऐसा क्यों लगता है? उस का जवाब था कि वह अपनी हर छोटीबड़ी जरूरत के लिए मां पर निर्भर है. वह उस का कोई काम करने की कोशिश करती तो वह यह कह कर टाल देता कि तुम से नहीं होगा, मां को ही करने दो.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 

दिल दे चुके सनम

शिखा को नीचे से ऊपर तक प्रशंसा भरी नजरों से देखने के बाद रवि ऊंचे स्वर में सविता से बोला, ‘‘भाभी, आप की बहन सुंदर तो है, पर आप से ज्यादा नहीं.’’

‘‘गलत बोल रहा है मेरा भाई,’’ राकेश ने हंसते हुए कहा, ‘‘अरे, यह तो सविता से कहीं ज्यादा खूबसूरत है.’’

‘‘लगता है शिखा को देख कर देवरजी की आंखें चौंधिया गई हैं,’’ सविता ने रवि को छेड़ा.

‘‘भाभी, उलटे मेरी स्मार्टनैस ने शिखा को जबरदस्त ‘शाक’ लगाया है. देखो, कैसे आंखें फाड़फाड़ कर मुझे देखे जा रही है,’’ रवि ने बड़ी अकड़ के साथ अपनी कमीज का कालर ऊपर किया.

जवाब में शिखा पहले मुसकराई और फिर बोली, ‘‘जनाब, आप अपने बारे में काफी गलतफहमियां पाले हुए हैं. चिडि़याघर में लोग आंखें फाड़फाड़ कर अजीबोगरीब जानवरों को उन की स्मार्टनैस के कारण थोड़े ही देखते हैं.’’

‘‘वैरीगुड, साली साहिबा. बिलकुल सही जवाब दिया तुम ने,’’ राकेश तालियां बजाने लगा.

‘‘शिखा, गलत बात मुंह से न निकाल,’’ अपनी मुसकराहट को काबू में रखने की कोशिश करते हुए सावित्री ने अपनी छोटी बेटी को हलका सा डांटा.

‘‘आंटी, डांटिए मत अपनी भोली बेटी को. मैं ने जरा कम तारीफ की, इसलिए नाराज हो गई है.’’

‘‘गलतफहमियां पालने में माहिर लगते हैं आप तो,’’ शिखा ने रवि का मजाक उड़ाया.

‘‘आई लाइक इट, भाभी,’’ रवि सविता की तरफ मुड़ कर बोला, ‘‘हंसीमजाक करना जानती है आप की मिर्च सी तीखी यह बहन.’’

‘‘तुम्हें पसंद आई है शिखा?’’ सविता ने हलकेफुलके अंदाज में सब से महत्त्वपूर्ण सवाल पूछा.

‘‘चलेगी,’’ रवि लापरवाही से बोला, ‘‘आप लोग चाहें तो घोड़ी और बैंडबाजे वालों को ऐडवांस दे सकते हैं.’’

‘‘एक और गलतफहमी पैदा कर ली आप ने. कमाल के इंसान हैं आप भी,’’ शिखा ने मुंह बिगाड़ कर जवाब दिया और फिर हंस पड़ी.

‘‘भाभी, आप की बहन शरमा कर ऐसी बातें कर रही है. वैसे तो अपने सपनों के राजकुमार को सामने देख कर मन में लड्डू फूट रहे होंगे,’’ रवि ने फिर कालर खड़ा किया.

‘‘इन का रोग लाइलाज लगता है, जीजू. इन्हें शीशे के सामने ज्यादा खड़ा नहीं होना चाहिए. मेरी सलाह तो किसी दिमाग के डाक्टर को इन्हें दिखाने की भी है. आप सब मेरी सलाह पर विचार करें, तब तक मैं सब के लिए चाय बना कर लाती हूं,’’ ड्राइंगरूम से हटने के इरादे से शिखा रसोई की तरफ चल पड़ी.

‘‘शर्मोहया के चलते ‘हां’ कहने से चूक गईं तो मैं हाथ से निकल जाऊंगा, शिखा,’’  रवि ने उसे फिर छेड़ा.

जवाब में शिखा ने जीभ दिखाई, तो ठहाकों से कमरा गूंज उठा.

रवि अपनी सविता भाभी का लाड़ला देवर था. उस की अपनी बहन शिखा के सामने प्रशंसा करते सविता की जबान न थकती थी.

अपनी बड़ी बहन सविता की शादी की तीसरी सालगिरह के समारोह में शामिल होने के लिए शिखा अपनी मां सावित्री के साथ दिल्ली आई थी.

सविता का इकलौता इंजीनियर देवर रवि मुंबई में नौकरी कर रहा था. वह भी सप्ताह भर की छुट्टी ले कर दिल्ली पहुंचा था.

सविता और उस के पति राकेश के विशेष आग्रह पर रवि और शिखा दोनों इस समारोह में शामिल हो रहे थे. जब वे पहली बार एकदूसरे के सामने आए, तब सविता, राकेश और सावित्री की नजरें उन्हीं पर जम गईं.

राकेश अपनी साली का बहुत बड़ा प्रशंसक था. वह चाहता था कि शिखा भी उन के घर की बहू बन जाए.

अपने दामाद की इस इच्छा से सावित्री पूरी तरह सहमत थीं. देखेभाले इज्जतदार घर में दूसरी बेटी के पहुंच जाने पर वह पूरी तरह से चिंतामुक्त हो जातीं.

सावित्रीजी, राकेश और सविता को उम्मीद थी कि लड़कालड़की यानी रवि और शिखा इस बार की मुलाकात में उन की पसंद पर अपनी रजामंदी की मुहर जरूर लगा देंगे.

रवि ने अपनी बातों व हावभाव से साफ कर दिया कि शिखा उसे पसंद आ गई है. उस का दीवानापन उस की आंखों से साफ झलक रहा था. उस के हावभाव से साफ जाहिर हो रहा था कि शिखा की ‘हां’ के प्रति उस के मन में कोई शक नहीं है.

अपने भैयाभाभी का लाड़ला रवि शिखा को छेड़ने का कोई मौका नहीं चूक रहा था.

उस दिन शाम को शिखा अपनी बहन का खाना तैयार कराने में हाथ बंटा रही थी, तो रवि भी वहां आ पहुंचा.

‘‘शिखा, मेरी रुचियां भाभी को अच्छी तरह मालूम हैं. वे जो बताएं, उसे ध्यान से सुनना,’’ रवि ने आते ही शिखा को छेड़ना शुरू कर दिया.

‘‘आप को मेरी एक तमन्ना का शायद पता नहीं है,’’ शिखा का स्वर भी फौरन शरारती हो उठा.

‘‘तुम इसी वक्त अपनी तमन्ना बयान करो, शिखा. बंदा उसे जरूरपूरी करेगा.’’

‘‘मैं दुनिया की सब से घटिया कुक बनना चाहती हूं और इसीलिए अपनी मां या दीदी से पाक कला के बारे में कुछ भी सीखने का मेरा कोई इरादा नहीं है.’’

‘‘लेकिन यह तो टैंशन वाली बात है. मैं तो अच्छा खानेपीने का बहुत शौकीन हूं.’’

‘‘मैं कब कह रही हूं कि आप इस तरह का शौक न पालिए.’’

‘‘पर तुम अच्छा खाना बनाना सीखोगी नहीं, तो हमारी शादी के बाद मेरा यह शौक पूरा कैसे होगा?’’

‘‘रवि साहब, बातबात पर गलतफहमियां पाल लेने में समझदारी नहीं.’’

‘‘अब शरमाना छोड़ भी दो, शिखा. तुम्हारी मम्मी, भैया, भाभी और मैं इस रिश्ते के लिए तैयार हैं, तो तुम क्यों जबरदस्ती की ‘न’ पर अड़ी हो?’’

‘‘जब लड़की नहीं राजी, तो क्या करेगा लड़का और क्या करेंगे काजी?’’ अपनी इस अदाकारी पर शिखा जोर से हंस पड़ी.

रवि उस से हार मानने को तैयार नहीं था. उस ने और ज्यादा जोरशोर से शिखा को छेड़ना जारी रखा.

अगले दिन सुबह सब ने सविता और राकेश को उन के सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं. इस दौरान भी रवि और शिखा में मीठी नोकझोंक चलती रही.

अपने असली मनोभावों को शिखा ने उस दिन दोपहर को अपनी मां और दीदी के सामने साफसाफ प्रकट कर दिया.

‘‘देखो, रवि वैसा लड़का नहीं है, जैसा मैं अपने जीवनसाथी के रूप में देखती आई हूं. उस से शादी करने का मेरा कोई इरादा नहीं है,’’ शिखा ने दृढ़ लहजे में उन्हें अपना फैसला सुना दिया.

‘‘क्या कमी नजर आई है तुझे रवि में?’’ सावित्री ने चिढ़ कर पूछा.

‘‘मां, रवि जैसे दिलफेंक आशिक मैं ने हजारों देखे हैं. सुंदर लड़कियों पर लाइन मारने में कुशल युवकों को मैं अच्छा जीवनसाथी नहीं मानती.’’

‘‘शिखा, रवि के अच्छे चरित्र की गारंटी मैं लेती हूं,’’ सविता ने अपनी बहन को समझाने का प्रयास किया.

‘‘दीदी, आप के सामने वह रहता ही कितने दिन है? पहले बेंगलुरु में पढ़ रहा था और अब मुंबई में नौकरी कर रहा है. उस की असलियत तुम कैसे जान सकती हो?’’

‘‘तुम से तो ज्यादा ही मैं उसे जानती हूं. बिना किसी सुबूत उसे कमजोर चरित्र का मान कर तुम भारी भूल कर रही हो, शिखा.’’

‘‘दीदी मैं उसे कमजोर चरित्र का नहीं मान रही हूं. मैं सिर्फ इतना कह रही हूं कि उस जैसे दिलफेंक व्यक्तित्व वाले लड़के आमतौर पर भरोसेमंद और निभाने वाले नहीं निकलते. फिर जब मैं उसे ज्यादा अच्छी तरह जानतीसमझती नहीं हूं, तो उस से शादी करने को ‘हां’ कैसे कह दूं? आप लोगों ने अगर मुझ पर और दबाव डाला, तो मैं कल ही घर लौट जाऊंगी,’’ शिखा की इस धमकी के बाद उन दोनों ने नाराजगी भरी चुप्पी साध ली.

सविता ने शिखा का फैसला राकेश को बताया, तो राकेश ने कहा, ‘‘उसे इनकार करने का हक है, सविता. इस विषय पर हम बाद में सोचविचार करेंगे. मैं रवि से बात करता हूं. तुम शिखा पर किसी तरह का दबाव डाल कर उस का मूड खराब मत करना.’’

पति के समझाने पर फिर सविता ने इस रिश्ते के बारे में शिखा से एक शब्द भी नहीं बोला.

राकेश ने अकेले में रवि से कहा, ‘‘भाई, शिखा को तुम्हारी छेड़छाड़ अच्छी नहीं लग रही है. उस से अपनी शादी को ले कर हंसीमजाक करना बंद कर दो.’’

‘‘लेकिन भैया, उस से तो मेरी शादी होने ही जा रही है,’’ रवि की आंखों में उलझन और उदासी के मिलेजुले भाव उभरे.

‘‘सोच तो हम भी यही रहे थे, लेकिन अंतिम फैसला तो शिखा का ही माना जाएगा न?’’

‘‘तो क्या उस ने इनकार कर दिया है?’’

‘‘हां, पर तुम दिल छोटा न करना. ऐसे मामलों में जबरदस्ती दबाव बनाना उचित नहीं होता है.’’

‘‘मैं समझता हूं, भैया. शिखा को शिकायत का मौका मैं अब नहीं दूंगा,’’ रवि उदास आवाज में बोला.

शाम को शादी की सालगिरह के समारोह में राकेश के कुछ बहुत करीबी दोस्त सपरिवार आमंत्रित थे. घर के सदस्यों ने उन की आवभगत में कोई कमी नहीं रखी, पर कोई भी खुल कर हंसबोल नहीं पा रहा था.

रवि ने एकांत में शिखा से सिर्फ इतना कहा, ‘‘मैं सचमुच बहुत बड़ी गलतफहमी का शिकार था. मेरी जिन बातों से आप के दिल में दुख और नाराजगी के भाव पैदा हुए, उन सब के लिए मैं माफी मांगता हूं.’’

‘‘मैं आप की किसी बात से दुखी या नाराज नहीं हूं. आप के व मेरे अपनों के अति उत्साह के कारण जो गलतफहमी पैदा हुई, उस का मुझे अफसोस है,’’ शिखा ने मुसकरा कर रवि को सहज करने का प्रयास किया, पर असफल रही, क्योंकि रवि और कुछ बोले बिना उस के पास से हट कर घर आए मेहमानों की देखभाल करने में व्यस्त हो गया. उस के हावभाव देख कर कोई भी समझ सकता था कि वह जबरदस्ती मुसकरा रहा है.

‘इन जनाब की लटकी सूरत सारा दिन देखना मुझ से बरदाश्त नहीं होगा. मां को समझा कर मैं कल की ट्रेन से घर लौटने का इंतजाम करती हूं,’ मन ही मन यह फैसला करने में शिखा को ज्यादा वक्त नहीं लगा, मगर उसे अपनी मां से इस विषय पर बातें करने का मौका ही नहीं मिला और इसी दौरान एक दुर्घटना घटी और सारा माहौल तनावग्रस्त हो गया.

आखिरी मेहमानों को विदा कर के जब सविता लौट रही थी, तो रास्ते में पड़ी ईंट से ठोकर खा कर धड़ाम से गिर गई.

सविता के गर्भ में 6 महीने का शिशु था. काफी इलाज के बाद वह गर्भवती हो पाई थी. गिरने से उस के पेट में तेज चोट लगी थी. चोट से पेट के निचले हिस्से में दर्द शुरू हो गया. कुछ ही देर बाद हलका सा रक्तस्राव हुआ, तो गर्भपात हो जाने का भय सब के होश उड़ा गया.

राकेश और रवि सविता को फौरन नर्सिंगहोम ले गए. सावित्रीजी और शिखा घर पर ही रहीं और कामना कर रही थीं कि कोई और अनहोनी न घटे.

सविता की हालत ठीक नहीं है, गर्भपात हो जाने की संभावना है, यह खबर राकेश ने टेलीफोन द्वारा सावित्रीजी और शिखा को दे दी.

मांबेटी दोनों की आंखों से नींद छूमंतर हो गई. दोनों की आंखें रहरह कर आंसुओं से भीग जातीं.

सुबह 7 बजे के करीब रवि अकेला लौटा. उस की सूजी आंखें साफ दर्शा रही थीं कि वह रात भर जागा भी है और रोया भी.

‘‘सविता की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है,’’ यह खबर इन दोनों को सुनाते हुए उस का गला भर आया था.

फिर रवि जल्दी से नहाया और सिर्फ चाय पी कर नर्सिंगहोम लौट गया.

उस के जाने के आधे घंटे बाद राकेश आया तो उस का उदास, थका चेहरा देख कर सावित्रीजी रो पड़ीं.

राकेश बहुत थका हुआ था. वह कुछ देर आराम करने के इरादे से लेटा था, पर गहरी नींद में चला गया. 3-4 घंटों के बाद सावित्रीजी ने उसे उठाया.

नाश्ता करने के बाद सावित्री और राकेश नर्सिंगहोम चले गए. शिखा ने सब के लिए खाना तैयार किया, पर शाम के 5 बजे तक रवि, राकेश या सावित्रीजी में से कोई नहीं लौटा. चिंता के मारे अकेली शिखा का बुरा हाल हो रहा था.

 

करीब 7 बजे राकेश और सावित्रीजी लौटे. उन्होंने बताया कि रवि 1 मिनट को भी वहां से हटने को तैयार नहीं था.

सुबह से भूखे रवि के लिए राकेश खाना ले गया. फोन पर जब शिखा को अपने जीजा से यह खबर मिली कि रवि ने अभी तक खाना नहीं खाया है और न ही वह आराम करने के लिए रात को घर आएगा, तो उस का मन दुखी भी हुआ और उसे रवि पर तेज गुस्सा भी आया.

खबर इस नजरिए से अच्छी थी कि सविता की हालत और नहीं बिगड़ी थी. उस रात भी रवि और राकेश दोनों नर्सिंगहोम में रुके. शिखा और सावित्रीजी ने सारी रात करवटें बदलते हुए काटी. सुबह सावित्रीजी पहले उठीं. शिखा करीब घंटे भर बाद. उस ने खिड़की से बाहर झांका, तो बरामदे के फर्श पर रवि को अपनी तरफ पीठ किए बैठा पाया.

अचानक रवि के दोनों कंधे अजीब से अंदाज में हिलने लगे. उस ने अपने हाथों से चेहरा ढांप लिया. हलकी सी जो आवाजें शिखा के कानों तक पहुंची, उन्हें सुन कर उसे यह फौरन पता लग गया कि रवि रो रहा है.

बेहद घबराई शिखा दरवाजा खोल कर रवि के पास पहुंची. उस के आने की आहट सुन कर रवि ने पहले आंसू पोंछे और फिर गरदन घुमा कर उस की तरफ देखा.

रवि का थका, मुरझाया चेहरा देख कर शिखा का दिल डर के मारे जोरजोर से धड़कने लगा.

‘‘दीदी की तबीयत…’’ शिखा रोंआसी हो अपना सवाल पूरा न कर पाई.

‘‘भाभी अब ठीक हैं. खतरा टल गया है,’’ रवि ने मुसकराते हुए उसे अच्छी खबर सुनाई.

‘‘तो तुम रो क्यों रहे हो?’’ आंसू बहा रही शिखा का गुस्सा करने का प्रयास रवि को हंसा गया.

‘‘मेरी आंखों में खुशी के आंसू हैं, शिखाजी,’’ रवि ने अचानक फिर आंखों में छलक आए आंसुओं को पोंछा.

‘‘मैं शिखा हूं, ‘शिखाजी’ नहीं,’’  मन में गहरी राहत महसूस करती शिखा उस के बगल में बैठ गई.

‘‘मेरे लिए ‘शिखाजी’ कहना ही उचित है,’’ रवि ने धीमे स्वर में जवाब दिया.

‘‘जी नहीं. आप मुझे शिखा ही बुलाएं,’’ शिखा का स्वर अचानक शरारत से भर उठा, ‘‘और मुझ से नजरें चुराते हुए न बोलें और न ही मैं आप को ठंडी सांसें भरते हुए देखना चाहती हूं.’’

‘‘वह सब मैं जानबूझ कर नहीं कर रहा हूं. तुम्हें दिल से दूर करने में कष्ट तो होगा ही,’’ रवि ने एक और ठंडी सांस भरी.

‘‘वह कोशिश भी छोडि़ए जनाब, क्योंकि मैं अब जान गई हूं कि इस दिलफेंक आशिक का स्वभाव रखने वाले इनसान का दिल बड़ा संवेदनशील है,’’ कह शिखा ने अचानक रवि का हाथ उठा कर चूम लिया.

रवि मारे खुशी के फूला नहीं समाया. फिर अचानक गंभीर दिखने का नाटक करते हुए बोला, ‘‘मेरे मन में अजीब सी बेचैनी पैदा हो गई है, शिखा. सोच रहा हूं कि जो लड़की जरा सी भावुकता के प्रभाव में आ कर लड़के का हाथ फट से चूम ले, उसे जीवनसंगिनी बनाना क्या ठीक होगा?’’

‘‘मुझ पर इन व्यंग्यों का अब कोई असर नहीं होगा, जनाब,’’ शिखा ने एक बार फिर उस का हाथ चूम लिया, ‘‘क्योंकि आप की इस सोच में कोई सचाई नहीं है और…’’

‘‘और क्या?’’ रवि ने उस की आंखों में प्यार से झांकते हुए पूछा.

‘‘अब तो तुम्हें हम दिल दे ही चुके सनम,’’ शिखा ने अपने दिल की बात कही और फिर शरमा कर रवि के सीने से लग गई.

देर आए दुरुस्त आए

रात का 1 बज रहा था. स्नेहा अभी तक घर नहीं लौटी थी. सविता घर के अंदर बाहर बेचैनी से घूम रही थी. उन के पति विनय अपने स्टडीरूम में कुछ काम कर रहे थे, पर ध्यान सविता की बेचैनी पर ही था. विनय एक बड़ी कंपनी में सीए थे. वे उठ कर बाहर आए. सविता के चिंतित चेहरे पर नजर डाली. कहा, ‘‘तुम सो जाओ, मैं जाग रहा हूं, मैं देख लूंगा.’’

‘‘कहां नींद आती है ऐसे. समझासमझा कर थक गई हूं. स्नेहा के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. क्या करूं?’’

तभी कार रुकने की आवाज सुनाई दी. स्नेहा कार से निकली. ड्राइविंग सीट पर जो लड़का बैठा था, उसे झुक कर कुछ कहा, खिलखिलाई और अंदर आ गई. सविता और विनय को देखते ही बोली, ‘‘ओह, मौम, डैड, आप लोग फिर जाग रहे हैं?’’

‘‘तुम्हारे जैसी बेटी हो तो माता पिता ऐसे ही जागते हैं, स्नेहा. तुम्हें हमारी हैल्थ की भी परवाह नहीं है.’’

‘‘तो क्या मैं लाइफ ऐंजौय करना छोड़ दूं? मौम, आप लोग जमाने के साथ क्यों नहीं चलते? अब शाम को 5 बजे घर आने का जमाना नहीं है.’’

‘‘जानती हूं, जमाना रात के 1 बजे घर आने का भी नहीं है.’’

‘‘मुझे तो लगता है पेरैंट्स को चिंता करने का शौक होता है. अब गुडनाइट, आप का लैक्चर तो रोज चलता है,’’ कहते हुए स्नेहा गुनगुनाती हुई अपने बैडरूम की तरफ बढ़ गई.

सविता और विनय ने एकदूसरे को चिंतित और उदास नजरों से देखा. विनय ने कहा, ‘‘चलो, बहुत रात हो गई. मैं भी काम बंद कर के आता हूं, सोते हैं.’’

सविता की आंखों में नींद नहीं थी. आंसू भी बहने लगे थे, क्या करे, इकलौती लाडली बेटी को कैसे समझाए, हर तरह से समझा कर देख लिया था. सविता ठाणे की खुद एक मशहूर वकील थीं.

उन के ससुर सुरेश रिटायर्ड सरकारी अधिकारी थे. घर में 4 लोग थे. स्नेहा को घर में हमेशा लाड़प्यार ही मिला था. अच्छी बातें ही सिखाई गई थीं पर समय के साथ स्नेहा का लाइफस्टाइल चिंताजनक होता गया था. रिश्तों की उसे कोई कद्र नहीं थी. बस लाइफ ऐंजौय करते हुए तेजी से आगे बढ़ते जाना ही उस की आदत थी. कई लड़कों से उस के संबंध रह चुके थे. एक से ब्रेकअप होता, तो दूसरे से अफेयर शुरू हो जाता. उस से नहीं बनती तो तीसरे से दोस्ती हो जाती. खूब पार्टियों में जाना, डांसमस्ती करना, सैक्स में भी पीछे न हटने वाली स्नेहा को जबजब सविता समझाने बैठीं दोनों में जम कर बहस हुई. सुरेश स्नेहा पर जान छिड़कते थे. उन्होंने ही लंदन बिजनैस स्कूल औफ कौमर्स से उसे शिक्षा दिलवाई. अब वह एक लौ फर्म में ऐनालिस्ट थी. सविता और विनय के अच्छे पारिवारिक मित्र अभय और नीता भी सीए थे और उन का इकलौता बेटा राहुल एक वकील.

एक जैसा व्यवसाय, शौक और स्वभाव ने दोनों परिवारों में बहुत अच्छे संबंध स्थापित कर दिए थे. राहुल बहुत ही अच्छा इनसान था. वह मन ही मन स्नेहा को बहुत प्यार करता था पर स्नेहा को राहुल की याद तभी आती थी जब उसे कोई काम होता था या उसे कोई परेशानी खड़ी हो जाती थी. स्नेहा के एक फोन पर सब काम छोड़ कर राहुल उस के पास होता था.

सविता और विनय की दिली इच्छा थी कि स्नेहा और राहुल का विवाह हो जाए पर अपनी बेटी की ये हरकतें देख कर उन की कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि वे इस बारे में राहुल से बात भी करें, क्योंकि स्नेहा के रंगढंग राहुल से छिपे नहीं थे. पर वह स्नेहा को इतना प्यार करता था कि उस की हर गलती को मन ही मन माफ करता रहता था. उस के लिए प्यार, केयर, मानवीय संवेदनाएं बहुत महत्त्व रखती थीं पर स्नेहा तो इन शब्दों का अर्थ भी नहीं जानती थी.

समय अपनी रफ्तार से चल रहा था. स्नेहा अपनी मरजी से ही घर आतीजाती.  विनय और सविता के समझाने का उस पर कोई असर नहीं था. जब भी दोनों कुछ डांटते, सुरेश स्नेहा को लाड़प्यार कर बच्ची है समझ जाएगी कह कर बात खत्म करवा देते. वे अब बीमार चल रहे थे. स्नेहा में उन की जान अटकी रहती थी. अपना अंतिम समय निकट जान उन्होंने अपना अच्छा खासा बैंक बैलेंस सब स्नेहा के नाम कर दिया.

एक रात सुरेश सोए तो फिर नहीं जागे. तीनों बहुत रोए, बहुत उदास हुए, कई दिनों तक रिश्तेदारों और परिचितों का आनाजाना लगा रहा. फिर धीरेधीरे सब का जीवन सामान्य होता गया. स्नेहा अपने पुराने ढर्रे पर लौट आई. वैसे भी किसी भी बात को, किसी भी रिश्ते को गंभीरतापूर्वक लेने का उस का स्वभाव था ही नहीं. अब तो वह दादा के मोटे बैंक बैलेंस की मालकिन थी. इतना खुला पैसा हाथ में आते ही अब वह और आसमान में उड़ रही थी. सब से पहले उस ने मातापिता को बिना बताए एक कार खरीद ली.

सविता ने कहा, ‘‘अभी से क्यों खरीद ली? हमें बताया भी नहीं?’’

‘‘मौम, मुझे मेरी मरजी से जीने दो. मैं लाइफ ऐंजौय करना चाहती हूं. रात में मुझे कभी कोई छोड़ता है, कभी कोई. अब मैं किसी पर डिपैंड नहीं करूंगी. दादाजी मेरे लिए इतना पैसा छोड़ गए हैं, मैं क्यों अपनी मरजी से न जीऊं?’’

विनय ने कहा, ‘‘बेटा, अभी तुम्हें ड्राइविंग सीखने में टाइम लगेगा, पहले मेरे साथ कुछ प्रैक्टिस कर लेती.’’

‘‘अब खरीद भी ली है तो प्रैक्टिस भी हो जाएगी. ड्राइविंग लाइसैंस भी बन गया है. आप लोग रिलैक्स करना सीख लें, प्लीज.’’

अब तो रात में लौटने का स्नेहा का टाइम ही नहीं था. कभी भी आती, कभी भी जाती. सविता ने देखा था वह गाड़ी बहुत तेज चलाती है. उसे टोका, ‘‘गाड़ी की स्पीड कम रखा करो. मुंबई का ट्रैफिक और तुम्हारी स्पीड… बहुत ध्यान रखना चाहिए.’’

‘‘मौम, आई लव स्पीड, मैं यंग हूं, तेजी से आगे बढ़ने में मुझे मजा आता है.’’

‘‘पर तुम मना करने के बाद भी पार्टीज में ड्रिंक करने लगी हो, मैं तुम्हें समझा कर थक चुकी हूं, ड्रिंक कर के ड्राइविंग करना कहां की समझदारी है? किसी दिन…’’

‘‘मौम, मैं भी थक गई हूं आप की बातें सुनतेसुनते, जब कुछ होगा, देखा जाएगा,’’ पैर पटकते हुए स्नेहा कार की चाबी उठा कर घर से निकल गई.

सविता सिर पकड़ कर बैठ गईं. बेटी की हरकतें देख वे बहुत तनाव में रहने लगी थीं. समझ नहीं आ रहा था बेटी को कैसे सही रास्ते पर लाएं.

एक दिन फिर स्नेहा ने किसी पार्टी में खूब शराब पी. अपने नए बौयफ्रैंड विक्की के साथ खूब डांस किया, फिर विक्की को उस के घर छोड़ने के लिए लड़खड़ाते हुए ड्राइविंग सीट पर बैठी तो विक्की ने पूछा, ‘‘तुम कार चला पाओगी या मैं चलाऊं?’’

‘‘डोंट वरी, मुझे आदत है,’’ स्नेहा नशे में डूबी गाड़ी भगाने लगी, न कोई चिंता, न कोई डर.

अचानक उस ने गाड़ी गलत दिशा में मोड़ ली और सामने से आती कार को भयंकर टक्कर मार दी. तेज चीखों के साथ दोनों कारें रुकीं. दूसरी कार में पति ड्राइविंग सीट पर था, पत्नी बराबर में और बच्चा पीछे. चोटें स्नेहा को भी लगी थीं. विक्की हकबकाया सा कार से नीचे उतरा. उस ने स्नेहा को सहारा दे कर उतारा. स्नेहा के सिर से खून बह रहा था. दोनों किसी तरह दूसरी कार के पास पहुंचे तो स्नेहा की चीख से वातावरण गूंज उठा. विक्की ने भी ध्यान से देखा तो तीनों खून से लथपथ थे. पुरुष शायद जीवित ही नहीं था.

विक्की चिल्लाया, ‘‘स्नेहा, शायद कोई नहीं बचा है. उफ, पुलिस केस हो जाएगा.’’

स्नेहा का सारा नशा उतर चुका था. रोने लगी, ‘‘विक्की, प्लीज, हैल्प मी, क्या करें?’’

‘‘सौरी स्नेहा, मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा. प्लीज, कोशिश करना मेरा नाम ही न आए. मेरे डैड बहुत नाराज होंगे, सौरी, मैं जा रहा हूं.’’

‘‘क्या?’’ स्नेहा को जैसे तेज झटका लगा, ‘‘तुम रात में इस तरह मुझे छोड़ कर जा रहे हो?’’

विक्की बिना जवाब दिए एक ओर भागता चला गया. सुनसान रात में अकेली, घायल खड़ी स्नेहा को हमेशा की तरह एक ही नाम याद आया, राहुल. उस ने फौरन राहुत को फोन मिलाया. हमेशा की तरह राहुल कुछ ही देर में उस के पास था. स्नेहा राहुल को देखते ही जोरजोर से रो पड़ी. स्नेहा डरी हुई, घबराई हुई चुप ही नहीं हो रही थी.

राहुल ने उसे गले लगा कर तसल्ली दी, ‘‘मैं कुछ करता हूं, मैं हूं न, तुम पहले हौस्पिटल चलो, तुम्हें काफी चोट लगी है, लेकिन उस से पहले भी कुछ जरूरी फोन कर लूं,’’ कह उस ने अपने एक पुलिस इंस्पैक्टर दोस्त राजीव और एक डाक्टर दोस्त अनिल को फोन कर तुरंत आने के लिए कहा.

अनिल ने आकर उन 3 लोगों का मुआयना किया. तीनों की मृत्यु हो चुकी थी. सब सिर पकड़ कर बैठ गए. स्नेहा सदमें में थी. उस पर केस तो दर्ज हो ही चुका था. उसे काफी चोटें थीं तो पहले तो उसे ऐडमिट किया गया.

सरिता और विनय भी पहुंच चुके थे. स्नेहा मातापिता से नजरें ही नहीं मिला पा रही थी. कई दिन पुलिस, कोर्टकचहरी, मानसिक और शारीरिक तनाव से स्नेहा बिलकुल टूट चुकी थी. उस की जिंदगी जैसे एक पल में ही बदल गई थी. हर समय सोच में डूबी रहती. उस के लाइफस्टाइल के कारण 3 लोग असमय ही दुनिया से जा चुके थे. वह शर्मिंदगी और अपराधबोध की शिकार थी. 1-1 गलती याद कर, बारबार अपने मातापिता और राहुल से माफी मांग रही थी. राहुल और सविता ने ही उस का केस लड़ा. रातदिन एक कर दिया. भारी जुर्माने के साथ स्नेहा को थोड़ी आजादी की सांस लेने की आशा दिखाई दी. रातदिन मानसिक दबाव के कारण स्नेहा की तबीयत बहुत खराब हो गई. उसे हौस्पिटल में ऐडमिट किया गया. अभी तो ऐक्सिडैंट की चोटें भी ठीक नहीं हुई थीं. उस की जौब भी छूट चुकी थी. पार्टियों के सब संगीसाथी गायब थे. बस राहुल रातदिन साए की तरह साथ था. हौस्पिटल के बैड पर लेटेलेटे स्नेहा अपने बिखरे जीवन के बारे में सोचती रहती. कार में 3 मृत लोगों का खयाल उसे नींद में भी घबराहट से भर देता. कोर्टकचहरी से भले ही सविता और राहुल ने उसे जल्दी बचा लिया था पर अपने मन की अदालत से वह अपने गुनाहों से मुक्त नहीं हो पा रही थी.

विनय, सविता, राहुल और उस के मम्मीपापा अभय और नीता भी अपने स्नेह से उसे सामान्य जीवन की तरफ लाने की कोशिश कर रहे थे. अब उसे सहीगलत का, अच्छेबुरे रिश्तों का, भावनाओं का, अपने मातापिता के स्नेह का, राहुल की दोस्ती और प्यार का एहसास हो चुका था.

एक दिन जब विनय, सविता, अभय और नीता चारों उस के पास थे, बहुत सोचसमझ कर उस ने अचानक सविता से अपना फोन मांग कर राहुल को फोन किया और आने के लिए कहा.

हमेशा की तरह राहुल कुछ ही देर में उस के पास था. स्नेहा ने उठ कर बैठते हुए राहुल का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘इस बार तुम्हें किसी काम से नहीं, सब के सामने बस इतना कहने के लिए बुलाया है, आई एम सौरी फौर ऐवरीथिंग, आप सब मुझे माफ कर दें और राहुल, तुम कितने अच्छे हो,’’ कह कर रोतेरोते स्नेहा ने राहुल के गले में बांहें डाल दीं तो राहुल वहां उपस्थित चारों लोगों को देख कर पहले तो शरमा गया, फिर हंस कर स्नेहा को अपनी बांहों के सुरक्षित घेरे में ले कर अपने मातापिता, फिर विनय और सविता को देखा तो बहुत दिनों बाद सब के चेहरे पर एक मुसकान दिखाई दी, सब की आंखों में अपनी इच्छा पूरी होने की खुशी साफसाफ दिखाई दे रही थी.

इन 6 टिप्स से लगाएं नेल पेंट

नेल पॉलिश आपके हाथों को और भी खूबसूरत बनाती है, लेकिन नाखूनों पर नेल पॉलिश लगते समय नेल पेंट खराब तरीके से लग जाए, तो उससे आपके नाखून और हाथ भद्दे दिखने लगते हैं.

आइए  जानें,  नेल पेंट लगाते समय ध्यान रखने वाली ये 6 बातें…

1. नेल पेंट लगाते समय ध्यान रखें कि जब आपके नाखून पूरी तरह सूखे हों, तब ही नेल पेंट लगाएं. नेल पेंट लगाने से पहले अपने नाखूनों को शेप देना न भूलें.

2. नाखूनों को अच्छा और सही शेप देने के बाद सबसे पहले नेल पेंट का एक ट्रांसपेरैंट बेस कोट लगाएं, ट्रांसपेरैंट नेल पेंट को ब्रश से नाखूनों के बीच से लगाना शुरू करें और एक बार फिर ब्रश को ट्रांसपेरैंट नेल पेंट में डुबोकर ब्रश से नाखूनों के दो अलग हिस्सों में भी एक-एक कोट लगाएं.

3. ट्रांसपेरैंट नेल पेंट बेस कोट अच्छी तरह सूख जाए उसके बाद अपनी पसंद का नेल पेंट रंग लें और जिस तरह ट्रांसपेरैंट नेल पेंट बेस कोट नाखूनों पर लगाया है. उसी तरह अपने पसंदीदा नेल पॉलिश के रंग को भी नाखूनों पर बेस कोट के ऊपर लगाएं. अगर रंग हल्का दिख रहा है, तो पहला कोट सूखने के बाद नेल पॉलिश के रंग का दूसरा कोट भी लगाएं.

4. हमेशा अच्छी नेल पॉलिश लगाएं, अगर आपकी नेल पॉलिश अच्छी नहीं है तो नेल पॉलिश लगाने के बाद अपनी उंगलियों को बर्फ के पानी में डुबाएं इससे आपके नाखूनों पर नेल पॉलिश अच्छी तरह सेट हो जाएगी और चमकेगी.

5. अगर आपकी नेल पॉलिश नाखूनों से बाहर किनारों पर लग गई है तो उसे ध्यान से और अच्छी तरह नेल पॉलिश रिमूवर से साफ कर लें जिससे आपके नाखूनों पर नेल पॉलिश अच्छी और साफ दिखे.

6. नाखूनों पर नेल पॉलिश लगने के बाद अपने हाथ ठण्डे पानी में डुबाएं इससे आपकी नेल पॉलिश और पक्की हो जाएगी साथ ही साथ साफ दिखेगी, नेल पॉलिश पूरी तरह सूखने के बाद ही कोई काम करें.

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