रक्षाबंधन पर मेहमानों के लिए बनाएं पनीर टिक्का चीला

त्यौहार कोई भी हो मेहमानों का आना तो होता ही है. रोज सुबह सुबह नाश्ते में क्या बनाया जाए यह समस्या तो हर घर में ही होती है और यदि मेहमान आ जाएं तो यह समस्या और भी अधिक गम्भीर हो जाती है क्योंकि मेहमानों के लिए कुछ विशेष बनाना होता है तो क्यों न कुछ ऐसा बनाया जाए जिसे बनाना भी आसान हो, मेहमानों को पसन्द भी आये और घर में उपलब्ध सामान से आसानी से बन भी जाये तो आइए बनाते हैं ऐसी ही एक रेसिपी-

  1. पनीर टिक्का चीला

कितने लोगों के लिए-  4

बनने में लगने वाला समय-  20 मिनट

मील टाइप-  वेज

सामग्री(चीले के लिए)

 1. धुली मूंग दाल 1 कप

 2. नमक  स्वादानुसार

 3. हींग 1 चुटकी

 4. हल्दी पाउडर  1 चुटकी

 5. बारीक कटा हरा धनिया  1 टीस्पून

  6. घी  1 टेबलस्पून

7. टोमेटो सॉस 1  टेबलस्पून

    8. बटर 1 टीस्पून  

सामग्री(स्ट्फिंग के लिए)

1. पनीर 250 ग्राम

  2. गाढ़ा दही  1/2 कप

  3. बेसन  1/2 टीस्पून

   4. नमक  1 चुटकी

    5. कश्मीरी लाल मिर्च 1/4 टीस्पून

     6. अदरक

     7. हरी मिर्च पेस्ट 1/4 टीस्पून

      8. लहसुन पेस्ट 1/4 टीस्पून

       9. गरम मसाला  1/4 टीस्पून

      10. कसूरी मैथी 1/2 टीस्पून

       11. बटर  1 टीस्पून

विधि

बनाने से एक दिन पहले मूंग दाल को पानी में भिगो दें. सुबह इसका पानी निकालकर हींग, हल्दी पाउडर और नमक डालकर मिक्सी में बारीक पीस लें. इसमें हरा धनिया मिलाएं और ढककर रख दें. पनीर को आधे इंच मोटे और 2 इंच लम्बे टुकड़ों में काट लें. दूसरे बाउल में दही डालकर सभी मसाले, बेसन और कसूरी मैथी डालकर अच्छी तरह चलायें. कटे पनीर के टुकड़ों को इसमें डालकर आधे घंटे के लिए रख दें ताकि मसाला इस पर अच्छी तरह कोट हो जाये. एक पैन में बटर डालकर मसाले से कोट किये पनीर को मध्यम आंच पर उलटते पलटते हुए सुनहरा होने तक सेककर प्लेट में निकाल लें. अब मूंग की पिसी दाल में हरा धनिया मिलाएं. यदि डोसा के बेटर से गाढ़ी कंसिस्टेंसी लग रही है तो थोडा पानी मिलाएं. तैयार मिश्रण से तवे पर घी लगाकर पतले पतले चीले बना लें. अब एक चीले को फैलाकर पहले बटर लगायें फिर टोमेटो सॉस लगाकर सिके टिक्के को किनारे पर रखकर रोल कर दें. तवे पर एक बार फिर घी लगाकर सुनहरा होने तक सेककर टोमेटो सॉस या हरे धनिये की चटनी के साथ सर्व करें.

ऋतिक रोशन ने अपनी बहनों के साथ मनाया रक्षा बंधन, बहन की उतारी आरती

बॉलीवुड में रक्षा बंधन पर्व की धूम दिखाई दे रही है. इस खास दिन पर सभी एक्टर्स अपनी बहनों पर प्यार लुटा रहे है. वहीं बॉलीवुड के हैडसम हंक ऋतिक रोशन राखी पर अपनी छोटी बहन की आरती उतारते नजर आए.

बहन पश्मीना ने शेयर की तस्वीरें

हम बात कर रहे हैं ऋतिक रोशन की कजिन पश्मीन रोशन की. जिन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर राखी सेलिब्रेशन की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं. इन तस्वीरों में वो अपने भाई ऋतिक रोशन के साथ धूमधाम से राखी मनाती नजर आई हैं. तस्वीरें अब तेजी से वायरल भी हो रही हैं.

ऋतिक रोशन ने बुधवार को अपनी बहनों और भाई के साथ रक्षाबंधन मनाया. उनकी बहन पश्मीना रोशन ने उनके समारोहों की तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसमें रितिक की रस्में निभाते और पश्मीना की कलाई पर राखी बांधते हुए एक तस्वीर दिखाई गई. उन्होंने पोस्ट को कैप्शन दिया, “मेरी और मेरी तरफ से आपको और आपको हैप्पी राखी.”

 

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ऋतिक रोशन ने बहन पश्मीना की उतारी आरती

अक्सर देखा जाता है कि राखी पर पहले बहन भाई की आरती उतारती है और फिर उसे राखी बांधती है, लेकिन ऋतिक रोशन ने इस बार राखी पर कुछ अलग किया और अपनी बहन पश्मीन की आरती उतारी.

पश्मीना ब्लू सूट पहने नजर आई

ऋतिक रोशन की बहन पश्मीना रक्षाबंधन के मौके पर पश्मीन रोशन सूट पहने दिखाई दे रही हैं. पश्मीन रोशन का ये लुक लोगों को काफी पसंद आया. पश्मीना ने ऋतिक रोशन के अलावा अपने भाई ईशान रोशन को भी राखी बांधी. तस्वीरों में दोनों काफी खुश नजर आ रहे हैं.

सुनैना रोशन भी आई नजर

इस मौके पर ऋतिक रोशन की बहन सुनैना रोशन काफी समय बाद दिखाई दी है. सुनैना रोशन इन तस्वीरों में भाई को राखी बांधते नजर आ रही है.

 

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अर्जुन कपूर ने बहनों के साथ मनाया रक्षा बंधन, नहीं दिखी जाह्नवी कपूर

अर्जुन कपूर ने अपनी बहन अंशुला कपूर, रिया कपूर, खुशी कपूर, शनाया कपूर और मोहित मारवाह के साथ रक्षा बंधन मनाया. अभिनेता ने इंस्टाग्राम पर अपने त्योहार रक्षा बंधन उत्सव की एक मनमोहक तस्वीर साझा की.

सोनम कपूर और जान्हवी कपूर इस महफिल से दूर रहीं. अर्जुन ने अपनी बहन और भाइयों के साथ, परिवार के सदस्यों को स्नेहपूर्वक स्वीकार करते हुए तस्वीर खिंचवाई. कपूर खानदान की सबसे बड़ी बहन, रिया कपूर ने मौज-मस्ती के लिए अपने सभी चचेरे भाइयों बहनों को अपने घर पर आमंत्रित किया. एक-एक करके खुशी कपूर, अर्जुन कपूर, शनाया कपूर, अंशुला कपूर और अनिल कपूर को रिया के आवास पर पहुंचते देखा गया था.

शनाया कपूर ने शेयर की तस्वीरे

शनाया ने इंस्टाग्राम पर कई तस्वीरें पोस्ट कीं जिसमें दिखाया गया कि उनका एक साथ बिताया समय कैसा था. सबसे पहले फ्रेम में उनके सभी चचेरे भाइयों के साथ एक पारिवारिक तस्वीर थी. आगे खुशी, अंशुला और शनाया की सेल्फी थी. तीसरी तस्वीर अपने भाइयों के हाथों पर राखी बांधती हुई बहनों की थी. आगे कपूर परिवार के सबसे प्यारे सदस्य, उनके कुत्ते की तस्वीर थी. आखिरी तस्वीर उन भाइयों में से एक के हाथ की थी जिनकी कलाई पर कई राखियां बंधी थीं.

 

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रक्षाबंधन पर अर्जुन कपूर को अपने दूसरे कजिन्स की याद आई

कपूर खानदान के कुछ कजिन्स दिन भर एक साथ थे, सोनम कपूर और जान्हवी कपूर जैसे अन्य लोग पारिवारिक मनोरंजन में शामिल नहीं हुए. अर्जुन भी उन्हें मिस कर रहे थे इसलिए उन्होंने परिवार की तस्वीर पोस्ट की और कैप्शन में बताया कि वह कपूर खानदान के अन्य लोगों को मिस कर रहे हैं.

उन्होंने लिखा, “राखी मोहिकों में से आखिरी !!! “इस कबीले में से कुछ मुख्य लोग गायब हैं, जो छूट गए हैं.” अर्जुन कपूर की इस तस्वीर पर लोग खूब रिएक्ट कर रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, “आप सभी को रक्षाबंधन की बधाई” तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “आखिर ये जाह्नवी कपूर कहां हैं?”

अर्जुन कपूर के इस पोस्ट पर शनाया कपूर ने दिल का इमोजी बनाया है लेकिन जाह्नवी ने इस पोस्ट पर अब तक कोई रिएक्शन नहीं दिया है. अर्जुन के पोस्ट को अब तक 38 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं.

ड्रैगन फ्रूट से मिलेंगे आपकी स्किन को कई फायदे

आजकल सभी अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखते हैं ऐसे में ड्रैगन फ्रूट को अपनी डाइट में शामिल करने से हमें कई फायदे मिलते हैं. यह फल स्वाद और पोषक तत्वों से भरपूर होता है.  ड्रैगन फ्रूट का सेवन न केवल स्वास्थ्यवर्धक है बल्कि इस फ्रूट का फेस मास्क स्क्रीन के लिए भी फायदेमंद हो सकता है .असल में ड्रैगन फ्रूट का सेवन करने से आपकी स्किन  हाइड्रेट रहती है. जिससे स्किन निखरी और बेदाग  होती है। ड्रैगन फ्रूट से बने प्रोडक्ट और मास्क का इस्तेमाल करने से भी आपकी स्किन को पोषण मिलता है. तो आईए जानते  है ड्रैगन फ्रूट से होने वाले फायदों के बारे में-

स्किन को पोषण देता है

ड्रैगन फ्रूट में मौजूद विटामिन और खनिज स्किन को पोषण देने में मदद करते हैं और इससे समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है.

 स्किन को हाइड्रेट रखने में मदद करता है 

ड्रैगन फ्रूट में नेचुरल शुगर ओर हाइड्रेटिंग गुण होने के कारण यह त्वचा को नमी प्रदान करता है. ड्रैगन फ्रूट में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण यह स्किन को  हेल्दी बनाये रखने में मदद कर सकता है.

  1. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर

ड्रैगन फ्रूट एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी से भरपूर होता है जो स्किन को फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है. इससे आपकी स्किन में कसावट आती है जिससे उम्र बढ़ने पर भी आपकी स्किन युवाओं जैसी बनी रहती है.

2. स्किन ग्लोइंग रहती है 

ड्रैगन फ्रूट में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है जिससे चेहरे के काले धब्बों और अनइवन स्किन टोन को कम किया जा सकता है इसलिए आपकी स्किन ग्लोइंग बनी रहती है. ड्रैगन फ्रूट प्रोडक्ट या मास्क का उपयोग करने से भी आपकी स्किन को नेचुरल चमक मिल सकती है.

3. त्वचा की जलन को शांत करता है

ड्रैगन फ्रूट में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आपकी त्वचा की एलर्जी और जलन को शांत कर सकते हैं. इसका उपयोग वो लोगों भी कर सकते है जिनकी स्किन सेंसिटिव होती है.

4. मुंहासे को कम करता है

ड्रैगन फ्रूट में रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो स्किन पर होने वाले बैक्टीरिया को रोकने में मदद कर सकते है और मुंहासे को कम कर सकता है.

5. कॉलेजन उत्पादन को बढ़ाता है 

ड्रैगन फ्रूट में मौजूद विटामिन सी कॉलेजन उत्पादन के लिए जरूरी होता है. इसके नियमित उपयोग से कॉलेजन उत्पादन को बढ़ावा मिलता है जो आपकी अच्छी स्किन के लिए बेहद आवश्यक है.

6. एक्सफोलिएशन

ड्रैगन फ्रूट में काले बीज आपकी स्किन का विशेष ध्यान रखने में उपयोग किए जाते हैं. यह हल्के एक्सफोलिएटर के रूप में काम करता है. ड्रैगन फ्रूट का सेवन करने से डेड स्किन सेल्स को हटाने और आपकी त्वचा को निखारने में मदद मिलती है.

क्या है बेरियाट्रिक सर्जरी और कब की जाती है

मोटापा एक गंभीर वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या बन चुका है जिसके कारण कई तरह के क्रोनिक विकार जैसे कि मधुमेह (डायबिटीज़), हृदय रोग (कार्डियोवास्‍क्‍युलर डिज़ीज़) और जोड़ों की समस्‍याएं (बोन ज्‍वाइंट्स) पनपने लगती हैं. बेहद गंभीर किस्‍म के मोटापे से पीड़ि‍त लोगों के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी एक ऐसे संभावित समाधान के रूप में सामने आयी है जो वज़न घटाने के साथ-साथ स्‍वास्‍थ्‍य में भी सुधार लाने में मददगार है. लेकिन यह याद रखना महत्‍वपूर्ण है कि बेरियाट्रिक सर्जरी सभी के लिए एक जैसे तरीके से उपयोगी साबित नहीं होती और लंबे समय तक इसकी कामयाबी के लिए अपने लक्ष्‍यों के लिए प्रतिबद्धता होना और लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाना जरूरी होता है.

एक्सपर्ट व्यू

डॉ संजय वर्मा, डायरेक्‍टर, मिनीमल एक्‍सेस, जीआई एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली बताते हैं कि बेरियाट्रिक सर्जरी में कई तरह की प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है, जिसमें गैस्ट्रिक बायपास, स्‍लीव गैस्‍ट्रैक्‍टमी, और एडजस्‍टैबल गैस्ट्रिक बैंडिंग प्रमुख हैं. ये प्रक्रियाएं या तो पेट में खाद्य पदार्थों के समाने की क्षमता सीमित करती हैं या न्यूट्रिएंट्स का अवशोषण घटाती हैं. जिसके चलते तेजी से न सिर्फ वज़न कम होता है बल्कि मोटापे से जुड़ी कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी दूर होती हैं. इस प्रक्रिया से मरीजों को न केवल ब्‍लड शुगर कंट्रोल होता है, वरन ब्‍लड प्रेशर और कलेस्‍ट्रॉल में भी सुधार होता है और इनसे जुड़े रोगों का जोखिम भी घटता है.

कैसे करती है कार्य

बेरियाट्रिक सर्जरी द्वारा लंबे समय के लिए वज़न कम होने की संभावना के पीछे एक प्रमुख कारण है कि यह भूख को नियंत्रित करती है. इस प्रक्रिया से आंतों और मस्तिष्‍क के बीच संचार में बदलाव होता है. जिसके परिणामस्‍वरूप भूख घटती है और मरीज को पेट भरा होने का अहसास बना रहता है. लेकिन बेरियाट्रिक सर्जरी की सफलता मरीज द्वारा स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और उसका पालन करने पर निर्भर करती है. हालांकि सर्जरी के बाद से ही वेट लॉस की शुरुआत हो जाती है लेकिन वजन को बढ़ने नहीं देने के लिए आहार में सुधार, नियमित शारीरिक व्‍यायाम और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट की आवश्‍यकता भी होती है.

 क्या व्यक्ति हमेशा के लिए वजन कम कर पता है

यह भी समझना होगा कि बेरियाट्रिक सर्जरी भविष्‍य में वजन न बढ़ने की गारंटी नहीं होती. इस प्रक्रिया को करवाने वाले मरीजों को आहार संबंधी निर्देशों और बतायी गई शारीरिक गतिविधियों का नियमित रूप से पालन करना जरूरी है, ताकि पेट की थैली में कोई फैलाव न हो. जिसकी वजह से वजन दोबारा बढ़ने लगता है. इसके अलावा, बेरियाट्रिक सर्जरी की उपयोगिता अलग-अलग व्‍यक्तियों पर अलग-अलग ढंग से अपना असर दिखाती है जो उनकी मेडिकल तथा मनोवैज्ञानिक स्थितियों पर निर्भर है.

यह सर्जरी कब है कामयाब

बेरियाट्रिक सर्जरी की सफलता काफी हद तक पोस्‍ट-ऑपरेटिव सपोर्ट तथा फौलो-अप पर टिकी होती है. चिकित्‍सक, आहार-विशेषज्ञ और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों की भी भूमिका अहम् होती है जो मरीजों को खान-पान की नई आदतों के मुताबिक ढालने की चुनौतियों और भावनात्‍मक स्‍तर पर आ रहे बदलावों के लिए तैयार करते हैं. नियमित जांच और लगातार दिया गया मार्गदर्शन मरीजों को वजन घटाने की राह में आने वाली परेशानियों से निपटने में भी सहायक साबित होता है.

निष्कर्ष

संक्षेप में, बेरियाट्रिक सर्जरी मोटापे को दूर करने का एक संभावनाशील समाधान है, जो तुरंत वेट लॉस की शुरुआत कर संबंधित स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में भी सुधार ला सकती है. लेकिन यह समझना महत्‍वपूर्ण है कि सर्जरी अपने आप में कोई जादू की छड़ी नहीं. लंबे समय तक वजन नियंत्रित रखने के लिए काफी कुछ करना जरूरी है जैसे कि लाइफस्‍टाइल में बदलाव, खान-पान में सुधार, नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां और मनोवैज्ञानिक स्‍तर पर सपोर्ट. बेरियाट्रिक सर्जरी ऐसा टूल है जो मरीजों के समर्पण और सहयोगी हेल्थकेयर टीम के साथ मिलकर वेट लॉस के लक्ष्‍य को स्‍थायी रूप से साकार कर मरीजों के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार का भरोसा भी दिला सकता है.

एक्सपर्ट के मुताबिक बेरियाट्रिक सर्जरी वास्‍तव में, मोटापे के खिलाफ एक महत्‍वपूर्ण टूल साबित हो सकता है, लेकिन इसके लिए मरीजों का अपना नजरिया और स्‍वस्‍थ जीवनशैली के लिए उनके खुद के प्रयास भी काफी मायने रखते हैं.

अगर ड्राई स्किन है तो ब्राइड कैसे करें मेकअप

आपकी शादी का दिन आपके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और यादगार दिनों में से एक होता है. इस खास दिन पर आपके लुक को परफेक्ट दिखना महत्वपूर्ण है, खासकर अगर आपकी त्वचा शुष्क है तो. शुष्क त्वचा के साथ मेकअप करना कुछ मुश्किल हो सकता है, लेकिन सही तरीके और तकनीकों के साथ, आप शानदार दुल्हन लुक पा सकती हैं, जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा.

  1. त्वचा केयर

अपने ब्राइडल मेकअप रुटीन की शुरुआत करें. पर्याप्त पानी पीकर अपनी त्वचा को हाइड्रेट करें. एक साफ्ट क्लींस़र का उपयोग करें. उसके बाद एक हाइड्रेटिंग टोनर और एक थिक मोइस्चराइज़र का उपयोग करके मेकअप बेस बनाएं.

2. एक्सफोलिएंट का प्रयोग

सूखी त्वचा के लिए नियमेकअप के लिए एक समरस आधार मिले।मित रूप से एक्सफोलिएशन महत्वपूर्ण है. हफ्ते में एक या दो बार एक्सफोलिएट करें ताकि  सूखी और पापड़ेदार त्वचा हट जाए.

3. प्राइमर और हाइड्रेशन

हाइड्रेटिंग प्राइमर का चयन करें जो आपकी त्वचा में नमी को लॉक करके मेकअप के लिए एक बेस बना सके. ग्लिसरीन व हायल्यूरोनिक एसिड जैसे  जैसे प्राइमर का चयन करें ताकि त्वचा को अतिरिक्त हाइड्रेशन मिल सके.

4. फाउंडेशन का चयन

जब आप फाउंडेशन का चयन कर रहे हैं, तो शुष्क त्वचा के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए फार्मूला का चयन करें. तरल या क्रीम फाउंडेशन आदर्श हैं क्योंकि वे एक ग्लो प्रदान करते हैं और त्वचा को फ्लेकी या केकी दिखने से बचाते हैं.

5. हाइड्रेटिंग कंसीलर

किसी भी दाग या आँख के नीचे के घेरे के लिए, एक क्रीमी, हाइड्रेटिंग कंसीलर का उपयोग करें जो आपकी त्वचा में सहजता से मिक्स हो जाए. मैट या सुखाने वाले कंसीलर से बचें, जो शुष्क स्किन को और अधिक शुष्क बना सकता है.

6. क्रीम ब्लश और हाइलाइटर

क्रीम ब्लश और हाइलाइटर शुष्क त्वचा के लिए बेहतर विकल्प हैं. यह दोनों की स्किन पर रेडिएंट ग्लो प्रदान करते हैं और स्किन को पैची दिखने से बचाते हैं. ब्लश का प्रयोग गालों को हाईलाइट करता है, जो कि आपके फेस का जरूरी हिस्सा है‌.

7. आई और लिप स्किन

क्रीमी आईशैडो का प्रयोग करें. इससे आंखों के नीचे के हिस्से की ड्राइनेस छिपेगी और आपकी नेचुरल ब्यूटी एनहांस होगी. होठों के लिए हाइड्रेटेड लिप बाम का प्रयोग करें जो की होठों की त्वचा को नमी प्रदान कर सकता है और लिप पर उभरे दाग धब्बों को छिपा सकता है. इससे आपकी ओवर ऑल लुक निखर कर आएगी.

8. सेटिंग स्प्रे

अपने मेकअप के लिए सुनिश्चित करें कि यह पूरे दिन रहे इसके लिए हाइड्रेटिंग सेटिंग स्प्रे का उपयोग करें. यह कदम न केवल आपके मेकअप को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि आपकी त्वचा में अतिरिक्त हाइड्रेशन की भी एक अतिरिक्त परत जोड़ता है.

9. टच उप 

दिन के लिए एक छोटा टच अप किट पैक करें, जिसमें एक हाइड्रेटिंग फेशियल मिस्ट, ब्लॉटिंग पेपर्स, एक कॉम्पैक्ट मिरर, और लिपस्टिक या लिप बाम हो.

10. सलाह

अगर शुष्क त्वचा है तो एक्सपर्ट की सलाह लें. वे आपकी त्वचा के मुताबिक सलाह देंगे. शुष्क त्वचा वाली दुल्हन के परफेक्ट मेकअप लुक के लिए उचित स्किनकेयर, हाइड्रेटिंग मेकअप प्रोडक्ट और एक्सपर्ट सलाह जरूरी है.

डिप्रेशन से कैसे करें डील?

WHO के अनुसार, अवसादग्रस्तता विकार (जिसे डिप्रेशन भी कहा जाता है) एक सामान्य मानसिक विकार है. इसमें उदास मनोदशा या लंबे समय तक गतिविधियों में आनंद या रुचि की हानि शामिल है.

डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है. जो लोग दुर्व्यवहार, गंभीर नुकसान या अन्य तनावपूर्ण घटनाओं से गुज़रे हैं उनमें अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक होती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अवसाद होने की संभावना अधिक होती है.

डिप्रेशन के कुछ लक्षण, जिनमें शामिल हो सकते हैं:

  •  कमज़ोर एकाग्रता
  • कम आत्मसम्मान की भावनाएँ
  •  भविष्य के प्रति निराशा
  • मरने या आत्महत्या के बारे में विचार
  • नींद में खलल
  • भूख या वजन में परिवर्तन
  • बहुत अधिक थकान या ऊर्जा की कमी महसूस होना।

डिप्रेशन या अवसाद से कुछ इस तरह लड़ा जा सकता है:

  1. किसी थेरेपिस्ट से बात करें

एक चिकित्सक के साथ काम करना अक्सर डिप्रेशन को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. मनोचिकित्सा लोगों को उनकी जीवनशैली को संभव तरीकों से समायोजित करने, उनके तनाव को कम करने और तनाव से निपटने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करती है.जिन मुद्दों को आप मिलकर संबोधित कर सकते हैं उनमें ये हैं कि अपने आत्म-सम्मान को कैसे सुधारें, नकारात्मक से सकारात्मक सोच की ओर कैसे जाएं और तनाव प्रबंधन का अभ्यास कैसे करें.

2. लेखन में स्वयं को अभिव्यक्त करें 

जर्नल में लिखना एक बेहतरीन थेरेपी है और यह अवसाद को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है. आप अपने लेखन में अपने विचारों, भावनाओं और चिंताओं के बारे में खुलकर बात करके तनाव से राहत पा सकते हैं. अपनी निजी पत्रिका में पूरी तरह ईमानदार रहें. अवसाद से जुड़ी अपनी भावनाओं और चुनौतियों को लिखने से दबी हुई भावनाएं दूर हो सकती हैं. आप यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि हर दिन बस कुछ मिनटों के लिए कागज पर कलम रखने के बाद आप कितना बेहतर महसूस करते हैं.

3. अपनी आत्म-छवि को बढ़ावा दें

स्ट्रेस और डिप्रेशन से ग्रस्त लोग अक्सर कम आत्मसम्मान का अनुभव करते हैं, इसलिए अपने बारे में बेहतर महसूस करने के तरीके ढूंढना उपचार का एक महत्वपूर्ण पहलू है. अपने विचारों को अपने सर्वोत्तम गुणों पर केंद्रित करके सकारात्मक सोच का अभ्यास करें. आप जीवनशैली में बदलाव भी कर सकते हैं जो आपके आत्म-सम्मान में सुधार कर सकता है, जैसे स्वस्थ आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और उन दोस्तों के साथ समय बिताना जो आपको अच्छा महसूस कराते हैं.

4. शामिल रहें 

यदि आप अवसाद का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आप कम आत्मसम्मान या रुचि की कमी के कारण सामाजिक रूप से अलग हो जाना चाहते हैं और अपने तक ही सीमित रहना चाहते हैं. लेकिन याद रखें कि सामाजिक जीवन महत्वपूर्ण है. अपने दोस्तों के साथ जुड़े रहने के लिए खुद को प्रेरित करें. सामाजिक संपर्क आपको गहरे डिप्रेशन में जाने से और अकेले होने से बचाने में मदद कर सकता हैं. फ़िल्म देखने जाएँ, सैर करें, या बस किसी करीबी दोस्त से मिलें या बाहर डिनर करने चले जाएं, इससे आपका उत्साह बढ़ेगा और आप बेहतर महसूस करेंगे.

5. दूसरों पर निर्भर रहना 

जब अवसाद आपको उदास कर देता है तो परिवार और दोस्त आपको अपने बारे में बेहतर महसूस करने में मदद कर सकते हैं. जब आपको प्रियजनों की आवश्यकता हो तो स्वयं को उन पर निर्भर रहने दें. वे आपको अपनी उपचार योजना का पालन करने, व्यायाम करने, स्वस्थ आहार खाने और आम तौर पर अपना ख्याल रखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. आप अन्य लोगों से बात करने के अवसर के लिए अवसादग्रस्त लोगों के लिए एक सहायता समूह में भी शामिल हो सकते हैं जो समझते हैं कि आप किस दौर से गुजर रहे हैं.

6. भोजन और मनोदशा का संबंध बनाएं 

कुछ अध्ययनों से पता चला है कि ओमेगा-3 का उच्च दैनिक सेवन, जो आपको सैल्मन जैसी मछली से या मछली के तेल की खुराक के माध्यम से मिल सकता है, मूड में सुधार कर सकता है. आहार के तत्वों और अच्छे पोषण और डिप्रेशन के बीच कई संबंध हैं. स्वस्थ आहार खाने से आप स्वस्थ, फिट और आकर्षक महसूस कर सकते हैं, जिससे आपका मूड लाइट होगा और साथ ही आत्म-सम्मान में सुधार भी होता है, जबकि अस्वस्थ महसूस करने से डिप्रेशन बढ़ सकता है और नकारात्मक आत्म-धारणा हो सकती है.

7. व्यायाम करें 

व्यायाम शारीरिक लाभ प्रदान करता है जो स्ट्रेस, एंजाइटी या डिप्रेशन से गुजर रहे लोगों की मदद कर सकता है. शारीरिक गतिविधि तनाव से राहत दिलाती है और आपको अच्छा महसूस करा सकती है. साथ ही, एक आकर्षक और चुनौतीपूर्ण कसरत को पूरा करने से आपको जो संतुष्टि मिलती है, वह आपके आत्म-सम्मान को बढ़ा सकती है क्योंकि आप मजबूत और शारीरिक रूप से अधिक फिट हो जाते हैं. जब आप नियमित व्यायाम से अवसाद से लड़ते हैं, तो आप भावनात्मक और शारीरिक रूप दोनो से ही बेहतर महसूस करेंगे.

8. शराब को कहें ना 

जब आप अवसाद से जूझ रहे हों तो शराब कोई समाधान नहीं है, लेकिन कई लोग प्रोब्लम से दूर भागने के लिए शराब का सहारा लेते है. हालांकि, शराब पीने से अवसाद के लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं, और इसको नियंत्रित करने के लिए आप जो दवाएं ले रहे हैं, उन पर शराब का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है. अवसाद को प्रबंधित करने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता होती है, और नशीली दवाओं और शराब से बचना एक स्वस्थ जीवन शैली की कुंजी है.

मेरी शादी होने वाली है शादी के बाद ससुराल में मेरी लाइफ कैसी रहेगी इसको लेकर मुझे चिंता हो रही है.

सवाल

मैं 25 साल की हूं और जल्द ही मेरी शादी होने वाली है. शादी के बाद ससुराल में मेरी जिंदगी कैसी होगी, यह सवाल मुझे बहुत परेशान करता है. ऊपर से खुश हूं लेकिन अंदर ही अंदर यह डर खाए जा रहा है. इस तनाव को कैसे दूर करूं?

जवाब

शादी के बाद विशेषकर एक लड़की की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है. नई जिम्मेदारियों का खयाल अकसर तनाव का कारण बनता है. लेकिन यह आप को मानसिक रूप के साथसाथ शारीरिक रूप से भी बीमार कर सकता है. शादी जैसे माहौल में विशेषकर दूल्हादुलहन का पौजिटिव रहना बेहद जरूरी है. इस के लिए सब से पहले खुद को इन सब सवालों से मुक्त कर दें. रोज हैल्दी नाश्ता करें क्योंकि यह आप को पूरे दिन ऐक्टिव रहने में मदद करता है. फाइबर, हरी सब्जियां, फलों और ड्राई फ्रूट्स का सेवन अवश्य करें. दिनभर ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. दोस्तों के साथ समय बिताएं और हंसीमजाक में शामिल हों. इस से आप को तनाव से मुक्ति मिलेगी.

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जल्द ही मेरा निकाह होने वाला है. घर में तरहतरह के लोग आ कर मुझे तरहतरह की सीख दे कर जाते हैं. यह माहौल मेरे तनाव का कारण बन गया है. इस कारण मैं अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकलती हूं, तो मम्मी चिल्लाने लगती हैं. मैं ये सब बातें और बरदाश्त नहीं कर सकती. इस तनाव को कैसे दूर करूं?

आप का परेशान होना स्वभाविक है लेकिन यदि आप अपने परिवार वालों के सामने अपनी बात रखेंगी तो वे इसे जरूर समझेंगे. उन्हें बताएं कि कैसे लोगों की बातें आप को परेशान कर रही हैं. वे कोई न कोई हल जरूर निकालेंगे. इस के अलावा आप लोगों की बातों से बचने के लिए काम का बहाना बना सकती हैं. यदि कोई अच्छी सीख दे रहा है तो अवश्य लें लेकिन यदि आप को लगता है कि इस से आप सिर्फ तनावग्रस्त हो रही हैं तो उन्हें प्यार से यह बात समझएं. तनाव से बचने के लिए दिनभर अच्छी गतिविधियों में शामिल हों. अच्छा खाएं, अच्छा पीएं. सुबह उठ कर व्यायाम करें.

डाक्टर गौरव गुप्ता
साइकोलौजिस्ट, डाइरैक्टर,
तुलसी हैल्थकेयर

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चावल के आटे से बनाएं हैल्दी स्नैक्स

सुबह के नाश्ते, लंच और डिनर के बाद शाम को या फिर चायकौफी के साथ अथवा छोटीमोटी भूख के लिए हमें अकसर किसी न किसी स्नैक्स की आवश्यकता पड़ती है. यों तो बाजार भांतिभांति के स्नैक्स से भरे होते हैं परंतु बाजार में मिलने वाले स्नैक्स उतने स्वास्थ्यवर्धक नहीं होते. इस का कारण है उन्हें बनाने में खराब क्वालिटी का तेल, मैदा, लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए ढेरों प्रिजर्वेटिव और कलरफुल बनाने के लिए भांतिभांति के रंगों का प्रयोग किया जाता है जो सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह होते हैं.ऐसे क्यों न घर पर ही थोड़े से प्रयास से हैल्दी स्नैक्स बनाए जाएं. घर पर बनाने से ये हैल्दी होने के साथसाथ बाजार की अपेक्षा बहुत अधिक सस्ते भी पड़ते हैं. हम आप को 2 हैल्दी स्नैक्स बनाना बता रहे हैं जिन्हें मैदे की जगह चावल के आटे से बनाया है. ये बहुत हैल्दी भी हैं. आइए जानते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है:

  1. शेजवान राइस रोल

सामग्री

1. 2 कप चावल का आटा 

  2. 1 छोटा चम्मच घी

  3. 1/2 लिटर पानी

   4. 1 शिमलामिर्च बारीक कटी

   5. 1 गाजर 

  6. 1 प्याज बारीक कटा 

   7. 4 हरीमिर्च कटी

    8. 1 टमाटर बारीक कटा 

     9. 1 छोटा चम्मच धनियापत्ती 

     10. 1/4 छोटा चम्मच जीरा 

      11. 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला पाउडर 

      12. 1/4 छोटा चम्मच गरम अमचूर पाउडर 

       13. 1 छोटा चम्मच शेजवान चटनी 

        14.  2 छोटे चम्मच तेल 

         15.  नमक स्वादानुसार.

विधि

पानी में 1/2 चम्मच नमक और 1/2 छोटा चम्मच घी डाल कर उबालें. अब पानी को चावल के आटे में धीरेधीरे मिलाएं. केवल उतना ही पानी मिलाएं जितने में आटा मुट्ठी में बंधने लगे. अब इसे आधा घंटे के लिए ढक कर रख दें.आधे घंटे बाद चावल के आटे को शेष घी डाल कर हाथों से मसल कर चिकना कर लें. इस में सभी सब्जियां, शेजवान चटनी और मसाले मिला कर 3-4 मोटेमोटे रोल बना लें. एक भगौने में 2 लिटर पानी गरम करें. उस पर छलनी रख कर तीनों रोल रख दें. 20 मिनट तक ढक कर पकाएं. 20 मिनट बाद इन्हें ठंडा कर के आधे आधे इंच के गोल टुकड़ों में काट लें. एक नौनस्टिक पैन में तेल डाल कर इन रोल्स को तेज आंच पर सुनहरा होने तक शैलो फ्राई करें. टिशू पेपर पर निकाल कर टोमैटो सौस या हरी चटनी के साथ सर्व करें.

2. स्पिनैच राइस नाचोज

सामग्री

1.  250 ग्राम पालक

  2. 1 आलू 

   3. 4 हरीमिर्चें

   4. 1 इंच अदरक 

   5. 1 छोटा चम्मच धनियापत्ती

   6. 2 कप चावल का आटा 

    7. 1/4 छोटा चम्मच अजवाइन 

    8. हींग चुटकी भर द्य तलने के लिए तेल 

     9. नमक स्वादानुसार.

विधि

पालक, आलू, हरीमिर्च, अदरक और धनियापत्ती को 1 छोटा चम्मच पानी के साथ ग्राइंड कर के पेस्ट बना लें. अब चावल के आटे में अजवाइन, नमक, हींग और 1 छोटा चम्मच तेल अच्छी तरह मिलाएं ताकि मोयन और नमक पूरे आटे में मिक्स हो जाए. पालक और आलू की प्यूरी को धीरेधीरे आटे में मिलाते हुए आटा गूंधें. तैयार आटे को दो भागों में बांटें, एक हिस्से को एक पौलिथीन पर रखें. ऊपर से दूसरी पौलिथीन रख कर हलके हाथ से बेलन से रोटी बेल कर तवे पर मध्यम आंच पर दोनों तरफ से सेंक लें. इसी प्रकार अन्य रोटियां भी तैयार कर लें. गरम रोटियों से तिकोनी शेप में नाचोज काट लें. अब इन कटे नाचोज को गरम तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तल कर बटरपेपर पर निकालें. इसी प्रकार सारे नाचोज तैयार कर लें. नोट : आटे को गूंध कर न रखें वरना पानी छोड़ देगा.

बुरे नहीं दूर रहने वाले बेटेबहू

लखनऊ के फैमिली कोर्ट के अंदर वकीलों और मुकदमा करने वालों की भीड़ लगी थी. जज साहब के कोर्ट के बाहर एक कोने में लड़का अपने पेरैंट्स और लड़की अपने पेरैंटस के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. कुछ समय में ही चपरासी ने दोनों के नाम की आवाज दी. लड़कालड़की अंदर गए.जज साहब ने पहले फाइल को उलटापलटा फिर लड़की से सवाल किया, ‘‘तुम इन के साथ क्यों नहीं रहना चाहती?’’लड़की बोली, ‘‘सर मैं भी नौकरी करती हूं. औफिस जाती हूं. वहां से वापस आ कर सारा काम करना होता है.

मैं नौकरानी लगाना चाहती हूं तो सासससुर नौकरानी के हाथ का खाना खाने से मना करते हैं. मैं ने बहुत प्रयास किया कि बात बनी रहे. मैं यह भी नहीं चाहती कि ये अपने मातापिता को हमारी वजह से छोड़े. ऐसे में अलग हो जाना ही एक रास्ता बचता है.’’जज साहब ने लड़के के पेरैंट्स को बुलवाया. उन को सम?ाया कि वे कुछ दिन बेटाबहू को अलग रहने दें. इस बीच अपनी सेवा के लिए नौकर रख लें. यह सोच लीजिए कि बेटाबहू किसी दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गए हैं. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.जज साहब की बात सुन कर पेरैंट्स राजी हो गए. धीरेधीरे सबकुछ सामान्य हो गया. इस तरह से एक घर टूटने से बच गया.ऐसे बहुत सारे मामले हैं. फैमिली कोर्ट की वकील मोनिका सिंह कहती है, ‘‘तलाक के लिए आने वाले मुकदमों में सब से बड़ी संख्या ऐसे मामलों की होती है जिन में लड़की सासससुर के साथ नहीं रहना चाहती है.’’

जरूरी है प्राइवेसी

लड़कालड़की की शादी की उम्र कानूनी रूप से भले ही 21 और 18 साल हो पर औसतन शादी की उम्र 25-30 साल हो गई है. ज्यादातर लड़कालड़की नौकरी या बिजनैस करने के बाद ही शादी करते हैं. ऐसे में उन को परिवार के साथ रहने में दिक्कत होने लगती है. कई मसलों में विवाद का कारण पति का परिवार के साथ रहना हो जाता है, जिस का खमियाजा लड़के के मातापिता को भी भुगतना पड़ता है.घरेलू हिंसा के कई मामलों में लड़के के मातापिता को जबरन घसीटा जाता है. ऐसे में बुढ़ापे में उन्हें भी कचहरी और थाने के चक्कर काटने पड़ते हैं. दूसरी बात यह भी है कि मातापिता के साथ रहते हुए बच्चे अपनी जिंदगी खुल कर नहीं जी पाते हैं.

एकदूसरे की जरूरत

इन परेशानियों से निबटने के लिए जरूरी है कि युवा कपल खुद अपनी जिम्मेदारी उठाएं. शादी के बाद वे मातापिता के साथ रहने की जगह अलगअलग रहें. जब उन्हें मातापिता की और मातापिता को उन की जरूरत हो तो एकदूसरे की मदद के लिए आ जाएं. इस से दोनों के बीच कोई बिगाड़ भी नहीं होगा और एकदूसरे की जरूरत पर खडे़ भी रहेंगे.

मातापिता को इस में बड़ा मन दिखाते हुए फैसला लेना पडे़गा और बच्चों को यह समझना होगा कि वे अलग नहीं रह रहे केवल दूर रह रहे जैसे दूसरे शहर में नौकरी करते समय अलग रहते हैं.इस में समाज को भी अपना नजरिया बदलना होगा. अलग रहने वाले लड़के और बहू को गलत नजरों से नहीं देखना चाहिए. हमारा समाज मातापिता से अलग रहने वाले बेटाबहू का सब से बड़ा आलोचक होता है. इस तरह की आलोचना से बचना चाहिए. शादी के बाद हर बेटाबहू अपनी प्राइवेसी चाहते हैं. पेरैंट्स को इस का खयाल रखते हुए इस की आजादी देनी चाहिए. इस से उन के आपसी संबंध अच्छे बने रहेंगे.

बुरे नहीं हैं दूर रहने वाले बेटेबहू

हमारे समाज में मुख्य रूप से परिवार के 2 प्रकार होते हैं, जिन में एकल परिवार और संयुक्त परिवार. एकल परिवार यानी सिंगल फैमिली का अर्थ ऐसे परिवार से होता है, जिस में सदस्यों की संख्या संयुक्त परिवार के मुकाबले कम हो. सिंगल फैमिली को पारिवारिक संरचना का सब से छोटा रूप माना जाता है. इस में सिर्फ पतिपत्नी और उन के बच्चे ही शामिल होते हैं.हमारे समाज में एकल परिवार को अच्छा नहीं माना जाता है, जबकि यह परिवार अब समय की जरूरत है. सिंगल फैमिली के लाभ और हानि दोनों ही हैं. अगर प्राइवेसी के हिसाब से देखें तो सिंगल फैमिली सब से अच्छी होती है. इस के कई लाभ हैं:

आज के इस महंगाई भरे दौर में अपनी निजी जरूरतों को पूरा कर पाना भी एक कठिन काम हो गया है. ऐसे हालात में सिंगल फैमिली ही एक बढि़या विकल्प है. सिंगल फैमिली में निजी जरूरतों को पूरा कर पाना थोड़ा सरल हो जाता है. परिवार को चलाने के लिए मातापिता दोनों ही कार्य करते हैं.परिवार में सीमित सदस्य होने के कारण कार्य का ज्यादा बो?ा भी नहीं रहता है.परिवार की सीमित जरूरतों को सरलता से पूरा कर लिया जाता है, जिस से जीवन में उल्लास बना रहता है. सिंगल फैमिली में मातापिता बच्चों को अच्छी शिक्षा के पूरे प्रयास करते हैं.

नई और आशावादी जीवनशैली

सिंगल परिवार में किसी भी महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के बाद शीघ्रता से निर्णय लिया जाता है. निश्चित सदस्यों के बीच आपस में बातचीत के बाद सरलता से किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. सभी के साथ चर्चा के बाद आपस में पारिवारिक कलह होने की संभावना भी कम हो जाती है और सदस्यों में मतभेद भी कम होता है. संयुक्त परिवार में बड़ेबुजुर्ग तथा अन्य लोगों की विचारधारा काफी रूढि़वादी होती है.

संयुक्त परिवार के सदस्य किसी नई विचारधारा को अपनाने के लिए तैयार नहीं रहते हैं. लेकिन एकल परिवार में सभी लोग एक नई और आशावादी जीवनशैली को अपनाने के लिए कभी पीछे नहीं हटते हैं. एकल परिवार के सदस्यों को अपनेअपने ढंग से कार्य और विचार करने की पूरी आजादी होती है.सिंगल फैमिली सभी रूढि़वादी विचारधाराओं को पीछे छोड़ कर समाज में एक नए तरीके से अपना जीवन व्यतीत करती है. अपने जीवन में नए और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए नईनई चीजों को सीखती है. आज के समय में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं कि उन्हें अपने कार्य के अलावा कुछ और करने का समय ही नहीं बच पाता है.

पारिवारिक कलह

ऐसे में एकल परिवार के सदस्य अपने परिवार के लोगों को भी समय नहीं दे पाते हैं. व्यस्त जीवनशैली के कारण जब प्रत्येक सदस्य अपनेअपने कार्य में बिजी रहेगा तो उसे किसी मुद्दे पर वादविवाद करने का समय ही नहीं मिलेगा.

इसी कारण मतभेद और पारिवारिक कलह की संभावनाएं एकल परिवार में बहुत हद तक घट जाती हैं. संयुक्त परिवार में परिवार के सभी सदस्यों का बो?ा केवल 1 अथवा 2 लोगों पर पड़ जाता है.ऐसी स्थिति में घर के मुखिया पर काम का दबाव तो बढ़ता ही है, साथ ही घर के अन्य सदस्य परिवार के मुखिया पर ही निर्भर रहते हैं. सिंगल फैमिली में प्रत्येक सदस्य घर चलाने के लिए अपना योगदान देता रहता है. जब माता पिता को उन के बच्चे परिश्रम करते देखते हैं, तो उन के मन में भी बड़ा हो कर आर्थिक स्वावलंबी बनने की भावना विकसित होती है.

दूर रहने वाले बेटेबहू नजदीकी बनाए रखें

अब हालात पहले जैसे नहीं रह गए हैं. बदलती लाइफस्टाइल में बुढ़ापा कम हो गया है. 70 साल तक आदमी हैल्दी जीवन जीते हैं. ऐसे में वे अपना ध्यान रखें तो स्वस्थ रह सकते हैं. इस तरह से उन्हें परिवार की बहुत जरूरत नहीं पड़ती है. अगर बेटाबहू दूर भी रहें तो बहुत दिक्कत वाली बात नहीं होती है. दूरदूर रहने से बेटे और बहू के साथ आपसी संबंध अच्छे रहने के चांस ज्यादा होते हैं.

संबंध ऐसे रखने चाहिए कि जब किसी भी तरह से परिवार की जरूरत किसी को महसूस हो तो सब साथ खडे़ हो जाएं. तब परिवार की कमी महसूस नहीं होगी.बाजारवाद के इस दौर में बहुत कुछ पैसे की बदौलत मिलने लगा है. किसी भी तरह की खरीदारी करने के लिए किसी के साथ या बाजार जाने की जरूरत नहीं होती है. कई बेटाबहू ऐसे हैं जो बाहर शहर में रहते हैं. कई तो विदेश में रहते हुए भी वीडियो और दूसरे माध्यमों से एकदूसरे से इतने जुडे़ होते हैं जितने कि पास रह रहे बेटेबहू भी नहीं जुड़ पाते हैं. औनलाइन जरूरत का सामान भेज देते हैं. किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो भी मैनेज कर देते हैं.

कभी खुद मिलने चले आते हैं तो कभी पेरैंट्स को बुला लेते हैं.दूर या पास रहना कोई बड़ी बात नहीं होती है. जरूरी यह है कि दिल से बच्चे आप के साथ जुडे़ रहें. समय के साथ परिवर्तित होना अति आवश्यक है. सिंगल फैमिली या अलग रहने वाले बेटेबहू को गलत समझना ठीक नहीं होता है. फैस्टिवल पर पेरैंट्स के साथ रहें. उन के साथ मजे करें. फैस्टिवल में अकेले रहना ठीक नहीं होता. परिवार के साथ खुशियां मनाएं. अलगअलग रहते हुए भी अकेलापन महसूस न हो इस का ध्यान रखें.

कठिन परिस्थितियों में पेरैंट्स के साथ खड़े रहें.आर्थिक और भावनात्मक सहायता देने में पीछे न हटेंकोई भी बड़ा फैसला करना हो तो पेरैंट्स की राय जरूर लें. उन की राय बिना किसी स्वार्थ के होती है. अलग रहते हुए भी कोई ऐसे काम न करें जो उचित न हो. मातापिता अपने बच्चों का पालनपोषण इसीलिए करते हैं कि उन के बच्चे बड़े हो कर वृद्धावस्था में उन्हें सहारा दें. उन से दूर भले ही रहना पडे़ पर उन्हें अकेला न छोड़ें खासतौर पर जब मातापिता में से कोई एक हो. तब बहुत ध्यान रखें. तब अलग रहने पर सवाल नहीं उठेंगे.

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