Avon skincare range के साथ अपनी स्किन को दें एक परफेक्ट AM-PM रूटीन

धूल और वातावरण में मौजूद वायु प्रदूषण से हमारी त्वचा रूखी और बेरंग हो गई. धूल से हमारी त्वचा खराब हो रही है. जिस वजह से त्वचा धीरे-धीरे रंगत खो रही है.

अच्छी त्वचा की देखभाल के लिए स्क्रीन रूटीन फॉलो करना बेहद जरूरी होता है. अगर आपको भी चमकदार और मॉइश्चराइज त्वचा चाहिए तो स्किन केयर रूटीन फॉलो करना जरूरी है.

ऐसे में हम खिली-खिली और चमकदार त्वचा के लिए बहुत ही प्यारा स्किन केयर किट आपके लिए लेकर आए हैं. जी हां, Avon स्किन केयर प्रोडक्ट स्किन केयर के लिए सबसे बेस्ट है. खास बात ये है कि Avon के सभी प्रोडक्ट्स Cruelty Free और Dermatologically tested है. तो आज से ही इस्तेमाल करें

Avon के ये स्किन केयर प्रोडक्ट समय से पहले एजिंग को दूर करते हैं. इसके साथ ही चेहरे की फाइन लाइंस और रिंकल्स को जड़ से उखाड़ देते हैं.

  1. Anew Reversalist Cleanser by Avon

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यह क्लींजर ट्रिपल यूथ टेक्नोलॉजी के साथ तैयार किया गया है. यह त्वचा से गंदगी, तेल और अशुद्धियां साफ करता है. इसी के साथ ये त्वचा की नमी को बनाए रखता है. खास बात ये है कि ये क्लींजर समय से पहले की एजिंग को समाप्त करता है. इस प्रोडक्ट को आमतौर पर 35 से 45 साल के लोग इस्तेमाल कर सकते हैं.

  1. Anew Reversalist Toner by Avon

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Anew Reversalist Toner आपकी त्वचा को टाइट करता है, स्किन को सॉफ्ट और बाउंसी बनाता है. इस टोनर के इस्तेमाल करने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती. इसके इस्तेमाल से त्वचा में कसाव बना रहता है और ये ड्राई लाइंस को कम करता है. यह टोनर समय से पहले की एजिंग को खत्म करता है. इसको यूज करने के लिए सबसे पहले आप अपने चेहरे को क्लींजर से साफ कर लें उसके बाद कॉटन बॉल की मदद से टोनर से पूरे फेस को वाइप करें.

  1. Avon care sunscreen lotion_sun_body_spf_30__c31828_1

त्वचा की देखभाल करने के लिए सनस्क्रीन चेहरे पर लगाना बहुत जरूरी है. धूप में अपना बचाव रखें, न केवल जब आप धूप में बाहर निकलें, बल्कि घर के अंदर भी रहें, जहां भी आप जाएं, एवन के SPF 30 सन लोशन का इस्तेमाल करें.

यह सन लोशन सूरज की किरणों से निकालने वाली हानिकारक UVA/UVB किरणों से बखूबी सुरक्षा देता है. मॉइस्चराइजिंग लोशन से त्वचा पर चिपचिपापन नहीं आता और इसका उपयोग फेस और बॉडी के लिए उपयुक्त  है.

  1. Avon Anew Reversalist Night Cream

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इस प्रोडक्ट के इस्तेमाल करने से केवल 7 दिनों में स्किन चमकदार हो जाती है और चेहरे की झुर्रियां कम हो जाती हैं.

यह नाइट क्रीम प्रोटीनॉल + फाइटोल के कांबिनेशन से बनी है.

यह फाइन लाइन्स को कम करता है, और त्वचा को पुनर्स्थापित करता है.

नाइट क्रीम को कैसे यूज करें, आइए आपको बताते हैं.

सबसे पहले अपने चेहरे को साफ कर लें. सोने से पहले क्रीम को पूरे फेस पर लगा लें. उसके बाद उंगलियों से ऊपर और नीचे की डायरेक्शन में मसाज करें.

नाइट क्रीम समय से पहले एजिंग को समाप्त करती है, चेहरे की फाइन लाइंस और रिंकल्स को जड़ से खत्म कर देती है. स्किन को सॉफ्ट और चमकदार बनाती है.

मैं चुप रहूंगी – भाग 2 : विजय की असलियत जब उसकी पत्नी की सहेली को पता चली

गार्ड का कहना ठीक था. उस नई बसी कालोनी में जहां इक्कादुक्का कोठियां ही खड़ी थीं, हलके गुलाबी रंग की टाइलों वाली एक ही कोठी ऐसी थी जिस पर नजर नहीं टिकती थी. कोठी के गेट पर पहुंचते ही नजर नेम प्लेट पर पड़ी. सुनहरे अक्षरों में लिखा था ‘विजय’ हालांकि अब विजय का व्यक्तित्व मेरी नजर में इतना सुनहरा नहीं रह गया था.

औटो वाले को रुकने के लिए कह कर जैसे ही मैं आगे बढ़ी, गेट पर खड़े गार्ड ने पहले तो मुझे सलाम किया, फिर पूछा कि किस से मिलना है और मेरा नामपता क्या है?

‘‘मैं एक अखबार के दफ्तर से आई हूं.

मुझे तुम्हारे विजय साहब का इंटरव्यू लेना है,’’ कहते हुए मैं ने अपना पहचानपत्र उस के सामने रख दिया.

‘‘साहब तो इस समय औफिस में हैं.’’

‘‘घर में कोई तो होगा जिस से मैं बात कर सकूं?’’

‘‘मैडम हैं. पर आप रुकिए मैं उन से पूछता हूं,’’ कह उस ने इंटरकौम द्वारा विजय की पत्नी से बात की. फिर उस से मेरी भी बात करवाई. मेरे बताने पर मुझे अंदर जाने की इजाजत मिल गई.

अंदर पहुंचते ही मेरा स्वागत एक 25-26 वर्ष की बहुत ही सुंदर युवती ने किया. दूध जैसा सफेद रंग, लाललाल गाल, ऊंचा कद, तन पर कीमती गहने, कीमती साड़ी. गुलाबी होंठों पर मधुर मुसकान बिखेरते हुए वह बोली, ‘‘नमस्ते, मैं स्मृति हूं. विजय की पत्नी.’’

‘‘आप से मिल कर बहुत खुशी हुई. विजय साहब तो हैं नहीं. मैं आप से ही बातचीत कर के उन के बारे में कुछ जानकारी हासिल कर लेती हूं,’’ मैं ने कहा.

‘‘जी जरूर,’’ कहते हुए उस ने मुझे सोफे पर बैठने का इशारा किया. मेरे बैठते ही वह भी मेरे पास ही सोफे पर बैठ गई.

इतने में नौकर टे्र में कोल्डड्रिंक ले आया. मुझे वास्तव में इस की जरूरत थी. बिना कुछ कहे मैं ने हाथ बढ़ा कर एक गिलास उठा लिया. फिर जैसेजैसे स्मृति से बातों का सिलसिला आगे बढ़ता गया, वैसेवैसे विजय की कहानी पर पड़ी धूल की परतें साफ होती गईं.

स्मृति विजय को कालेज के समय से जानती है. कालेज में ही दोनों ने शादी करना तय कर लिया था. विजय का तो अपना कोई है नहीं, लेकिन स्मृति के पिता, सेठ अमृतलाल को यह रिश्ता स्वीकार नहीं था. उन का कहना था कि विजय मात्र उन के पैसों की लालच में स्मृति से प्रेम का नाटक करता है. कितनी पारखी है सेठ की नजर, काश स्मृति ने उन की बात मान ली होती. वे स्मृति की शादी अपने दोस्त के बेटे से करना चाहते थे, जो अमेरिका में रहता था. लेकिन स्मृति तो विजय की दीवानी थी.

वाह विजय वाह, इधर स्मृति, उधर मीनाक्षी. 2-2 आदर्श, पतिव्रता पत्नियों का एकमात्र पति विजय, जिस के अभिनयकौशल की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. स्मृति से थोड़ी देर की बातचीत में ही मेरे समक्ष पूरा घटनाक्रम स्पष्ट हो गया. हुआ यों कि जिन दिनों स्मृति को उस के पिता जबरदस्ती अमेरिका ले गए थे, विजय घबरा कर मुंबई की नौकरी छोड़ दिल्ली आ गया था और दिल्ली में उस ने मीनाक्षी से शादी कर ली. उधर अमेरिका पहुंचते ही सेठ ने स्मृति की सगाई कर दी, लेकिन स्मृति विजय को भुला नहीं पा रही थी. उस ने अपने मंगेतर को सब कुछ साफसाफ बता दिया. पता नहीं उस के मंगेतर की अपने जीवन की कहानी इस से मिलतीजुलती थी या उसे स्मृति की स्पष्टवादिता भा गई थी, उस ने स्मृति से शादी करने से इनकार कर दिया.

स्मृति की शादी की बात तो बनी नहीं थी. अत: वे दोनों यूरोप घूमने निकल गए. उस दौरान स्मृति ने विजय से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी, क्योंकि विजय मुंबई छोड़ चुका था. 6 महीनों बाद जब वे मुंबई लौटे तो विजय को बहुत ढूंढ़ा गया, लेकिन सब बेकार रहा. स्मृति विजय के लिए परेशान रहती थी और उस के पिता उस की शादी को ले कर परेशान रहते थे.

एक दिन अचानक विजय से उस की मुलाकात हो गई. स्मृति बिना शादी किए लौट आई है, यह जान कर विजय हैरानपरेशान हो गया. उस की आंखों में स्मृति से शादी कर के करोड़पति बनने का सपना फिर से तैरने लगा.

मेरे पूछने पर स्मृति ने शरमाते हुए बताया कि उन की शादी को मात्र 5 महीने हुए हैं. मन में आया कि इसी पल उसे सब कुछ बता दूं. धोखेबाज विजय की कलई खोल कर रख दूं. स्मृति को बता दूं कि उस के साथ कितना बड़ा धोखा हुआ है. लेकिन मैं ऐसा न कर सकी. उस के मधुर व्यवहार, उस के चेहरे की मुसकान, उस की मांग में भरे सिंदूर ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया.

मेरे एक वाक्य से यह बहार, पतझड़ में बदल जाती. अत: मैं अपने को इस के लिए तैयार नहीं कर पाई. यह जानते हुए भी कि यह सब गलत है, धोखा है मेरी जबान मेरा साथ नहीं दे रही थी. एक तरफ पलदोपल की पहचान वाली स्मृति थी तो दूसरी तरफ मेरे बचपन की सहेली मीनाक्षी. मेरे लिए किसी एक का साथ देना कठिन हो गया. मैं तुरंत वहां से चल दी. स्मृति पूछती ही रह गई कि विजय के बारे में यह सब किस अखबार में, किस दिन छपेगा? खबर तो छपने लायक ही हाथ लगी थी, लेकिन इतनी गरम थी कि इस से स्मृति का घरसंसार जल जाता. उस की आंच से मीनाक्षी भी कहां बच पाती. ‘बाद में बताऊंगी’ कह कर मैं तेज कदमों से बाहर आ गई.

प्रेग्नेंसी में तनाव से होता है मिसकैरिज का खतरा, जानिए क्या करना चाहिए

प्रेग्नेंसी के वक्त आपको बेहद सीवधानी बरतनी होती है. इसमें आपका खानपान, दिनचर्या और मानसिक अशांति शामिल है. हालिया अध्ययन में ये बात सामने आई कि प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा तनाव में रहने वाली महिलाओं में मिसकैरिज (Miscarriage) का खतरा बढ़ जाता है.

शोधकर्ताओं का दावा है कि प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव में रहने वाली महिलाओं में गर्भपात का खतरा 42 फीसदी अधिक हो जाता है. इससे पहले हुए अध्ययन की रिपोर्ट में यह पाया गया था कि 24 सप्ताह की प्रेग्नेंसी में होने वाले गर्भपात में 20 फीसदी मामले तनाव के कारण होते हैं. हालांकि बाद में हुए अध्ययन के बाद यह पाया गया कि आंकड़ें इससे कहीं ज्यादा हैं. क्योंकि गर्भपात के कई मामले दर्ज ही नहीं होते.

इसके अलावा रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई कि युवावस्था से ही तनाव और अवसाद का सामना करने वाले लोगों को आगे जीवन में कई तरह की बीमारियों का खतरा तेज हो जाता है.

जानिए कैसे करें प्रेग्नेंसी में तनाव पर काबू

  • अगर आप कोई काम नहीं करना चाहती तो मना करना सीखें. टेंशन ले कर किसी काम को करना आपके और आपके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है.
  • घर का ज्यादा काम ना करें. कोशिश करें कि अपने लिए कुछ खास वक्त निकालें. खाली वक्त में आप किताबें पढ़ सकती हैं या आराम कर सकती हैं.
  • अगर आप कामगर महिला हैं तो औफिस से छुट्टी लें और घर पर आराम कर अपना वक्त बिताएं.
  • स्वीमिंग या वौक नियमित तौर पर करें.
  • हेल्दी खाएं, संतुलित आहार आपके शरीर और मानसिक सेहत दोनों को ठीक रखेगा.
  • रात में जल्दी सोने की आदत डाल लें. आपके बच्चे के लिए ये बेहद जरूरी है.
  • दूसरों की बातों का बुरा ना माने. इस दौरान अगर लोग आपको कुछ कहते भी हैं तो उन्हें अनसुना कर दिया करें.
  • लाख कोशिशों के बाद भी आप तनाव से दूर नहीं हो पा रही हैं तो बेहतर है कि आप किसी डाक्टर या थेरेपिस्ट से संपर्क करें.

Anupama: डिंपल ने दी गुड न्यूज, मालती देवी ने छोड़ा घर

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में इन दिनों काफी ट्विस्ट देखने को मिल रहे है. वहीं ‘अनुपमा’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि शाह हाउस में खुशखबरी आने वाली है. शो में खुशी का महौल है छाया हुआ है. डिंपी ने अपनी प्रेग्नेंसी की गुड न्यूज  सुना दी है जिससे शाह हाउस से लेकर कपाड़िया हाउस तक खुशी से झूम उठा है. वहीं शो में गणपति बप्पा के आगमन के साथ ही घर में नन्हें मेहमान का जश्न भी मनाया जा रहा है. टीवी सीरियल अनुपमा के बीते एपिसोड में देखने को मिला था कि एक तरफ डिंपल प्रेग्नेंसी की खबर को लेकर काफी खुश है. वहीं दूसरी ओर मालती देवी घर छोड़कर चली जाएगी.

समर डिंपल की प्रेग्नेंसी को लेकर एक्साइटेड है

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि डिंपी की प्रेग्नेंसी की खबर सुनकर समर बहुत खुश होते है. इस दौरान वह डिंपी से खुशी जाहिर करता है और कहता है वह अपने आने वाले बच्चों को कभी किसी चीज के लिए कमी नहीं होने देंगे. इसके बाद वह कहता है कि मुझे अब पापा और तोषू का इमोशन्स समझ आया है. उसी के बाद समर की फोटो फ्रेम नीचे गिर जाता है.

वहीं शो में आगे देखने को मिलेगा कि अनुपमा और अनुज बेडरुम में होते है वह समर और डिंपी की गुड न्यूज को लेकर खुश नजर आते है. वहीं अनुज मजाक में अनुपमा से कहता है कि हम दोनों को भी बेबी प्लान करना चाहिए.

 

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शाह हाउस छोड़कर जाएगी मालती देवी

टीवी सीरियल अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में आगे देखने को मिलेगा कि डिंपी की प्रेग्नेंसी की गुड न्यूज के बीच मालती देवी घर छोड़कर चली जाएगी. वह अनुपमा के लिए एक चिट्ठी भी छोड़कर जाएगी. चिट्ठी में लिखा होगा, “मैं जा रही हूं, तुम परेशान मत होना अपनी जान नहीं दूंगी. मेरी जिंदगी ही मेरी सजा है. अनुज का कहना है कि मेरी गलती माफी लायक नहीं है, लेकिन अनुज अपनी अभाग मां को माफ कर देना.”

फिर वही शून्य- भाग 3 : क्या शादी के बाद पहले प्यार को भुला पाई सौम्या

वज्रपात हुआ जैसे मुझ पर. नियति ने कैसा क्रूर मजाक किया था मेरे साथ. समर की रिहाई  हुई तो मेरी शादी के फौरन बाद. किस्मत के अलावा किसे दोष देती? समय मेरी मुट्ठी से रेत की तरह फिसल चुका था. अब हो भी क्या सकता था?

इसी उधेड़बुन में कई दिन निकल गए. पहले सोचा कि वीरां से बिना मिले ही वापस लौट जाऊंगी, लेकिन फिर लगा कि जो होना था, हो गया. उस के लिए, वीरां के साथ जो मेरा खूबसूरत रिश्ता था, उसे क्यों खत्म करूं? अजीब सी मनोदशा में मैं ने उस के घर का नंबर मिलाया.

‘‘हैलो,’’ दूसरी तरफ से वही आवाज सुनाई दी जिसे सुन कर मेरी धड़कनें बढ़ जाती थीं.

विधि की कैसी विडंबना थी कि जो मेरा सब से ज्यादा अपना था, आज वही पराया बन चुका था. मैं अपनी भावनाओं पर काबू न रख पाई. रुंधे गले से इतना ही बोल पाई, ‘‘मैं, सौम्या.’’

‘‘कैसी हो तुम?’’ समर का स्वर भी भीगा हुआ था.

‘‘ठीक हूं, और आप?’’

‘‘मैं भी बस, ठीक ही हूं.’’

‘‘वो…मुझे वीरां से बात करनी थी.’’

‘‘अभी तो वह घर पर नहीं है.’’

‘‘ठीक है,’’ कह कर मैं रिसीवर रखने लगी कि समर बोल उठा, ‘‘रुको, सौम्या, मैं…मैं कुछ कहना चाहता हूं. जानता हूं कि मेरा अब कोई हक नहीं, लेकिन क्या आज एक बार और तुम मुझ से शाम को उसी काफी शाप पर मिलोगी, जहां मैं तुम्हें ले जाता था?’’

एक बार लगा कि कह दूं, हक तो तुम्हारा अब भी इतना है कि बुलाओगे तो सबकुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ जाऊंगी, लेकिन यह सच कहां था? अब दोनों के जीवन की दिशा बदल गई थी. अग्नि के समक्ष जिस मर्यादा का पालन करने का वचन दिया था उसे तो पूरा करना ही था.

‘‘अब किस हैसियत से मिलूं मैं आप से? हम दोनों शादीशुदा हैं और आप की नजरों का सामना करने का साहस नहीं है मुझ में. किसी और से शादी कर के मैं ने आप को धोखा दिया है. नहीं, आप की आंखों में अपने लिए घृणा और वितृष्णा का भाव नहीं देख सकती मैं.’’

‘‘फिर ऐसा धोखा तो मैं ने भी तुम्हें दिया है. सौम्या, जो कुछ भी हुआ, हालात के चलते. इस में किसी का भी दोष नहीं है. मैं तुम से कभी भी नफरत नहीं कर सकता. मेरे दिल पर जैसे बहुत बड़ा बोझ है. तुम से बात कर के खुद को हलका करना चाहता हूं बाकी जैसा तुम ठीक समझो.’’

मैं जानती थी कि मैं उसे इनकार नहीं कर सकती थी. ?एक बार तो मुझे उस से मिलना ही था. मैं ने समर से कह दिया कि मैं उस से 6 बजे मिलने आऊंगी.

शाम को मैं साढे़ 5 बजे ही काफी शाप पर पहुंच गई, लेकिन समर वहां पहले से ही मौजूद था. जब उस ने मेरी ओर देखा, तो उठ कर खड़ा हो गया. उफ, क्या हालत हो गई थी उस की. जेल में मिली यातनाओं ने कितना अशक्त कर दिया था उसे और उस का बायां पैर…बड़ी मुश्किल से बैसाखियों के सहारे खड़ा था वह. कभी सोचा भी न था कि उसे इन हालात में देखना पडे़गा.

हम दोनों की ही आंखों में नमी थी. बैरा काफी दे कर चला गया था.

‘‘वीरां कैसी है?’’ मैं ने ही शुरुआत की.

‘‘अच्छी है,’’ एक गहरी सांस ले कर समर बोला, ‘‘वह खुद को तुम्हारा गुनाहगार मानती है. कहती है कि अगर उस ने जोर न दिया होता तो शायद आज तुम मेरी…’’

मैं निगाह नीची किए चुपचाप बैठी रही.

‘‘गुनाहगार तो मैं भी हूं तुम्हारा,’’ वह कहता रहा, ‘‘तुम्हें सपने दिखा कर उन्हें पूरा न कर सका, लेकिन शायद यही हमारी किस्मत में था. पकड़े जाने पर मुझे भयंकर अमानवीय यातनाएं दी जातीं. अगर हिम्मत हार जाता, तो दम ही तोड़ देता, लेकिन तुम से मिलन की आस ही मुझे उन कठिन परिस्थितियों में हौसला देती. एक बार भागने की कोशिश भी की, लेकिन पकड़ा गया. फिर एक दिन सुना कि दोनों तरफ की सरकारों में संधि हो गई है जिस के तहत युद्धबंदियों को रिहा किया जाएगा.

‘‘मैं बहुत खुश था कि अब तुम से आ कर मिलूंगा और हम नए सिरे से जीवन की शुरुआत करेंगे. जब यहां आ कर पता चला कि तुम्हारी शादी हो चुकी है, तो मेरी हताशा का कोई अंत न था. फिर वीरां भी शादी कर के चली गई. जेल में मिली यातनाओं ने मुझे अपंग कर दिया था. मैं ने खुद को गहन निराशा और अवसाद से घिरा पाया. मेरे व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगा था. जराजरा सी बात पर क्रोध आता. अपना अस्तित्व बेमानी लगने लगा था.

‘‘उन्हीं दिनों नेहा से मुलाकात हुई. उस ने मुझे बहुत संबल दिया और जीवन को फिर एक सकारात्मक दिशा मिल गई. मेरा खोया आत्मविश्वास लौटने लगा था. मैं तुम्हें तो खो चुका था, अब उसे नहीं खोना चाहता था. तुम मेरे दिल के एक कोने में आज भी हो, मगर नेहा ही मेरे वर्तमान का सच है…’’

मैं सोचने लगी कि एक पुरुष के लिए कितना आसान होता है अतीत को पीछे ढकेल कर जिं?दगी में आगे बढ़ जाना. फिर खुद पर ही शर्मिंदगी हुई. अगर समर मेरी याद में बैरागी बन कर रहता, तब खुश होती क्या मैं?

‘‘…बस, तुम्हारी फिक्र रहती थी, पर तुम अपने घरसंसार में सुखी हो, यह जान कर मैं सुकून से जी पाऊंगा,’’ समर कह रहा था.

‘‘मुझे खुशी है कि तुम्हें ऐसा साथी मिला है जिस के साथ तुम संतुष्ट हो,’’ मैं ने सहजता से कहने की कोशिश की, ‘‘दिल पर कोई बोझ मत रखो और वीरां से कहना, मुझ से आ कर मिले. अब चलती हूं, देर हो गई है,’’ बिना उस की तरफ देखे मैं उठ कर बाहर आ गई.

जिन भावनाओं को अंदर बड़ी मुश्किल से दबा रखा था, वे बाहर पूरी तीव्रता से उमड़ आईं. यह सोच कर ही कि अब दोबारा कभी समर से मुलाकात नहीं होगी, मेरा दिल बैठने लगा. अपने अंदर चल रहे इस तूफान से जद्दोजहद करती मैं तेज कदमों से चलती रही.

तभी पर्स में रखे मोबाइल की घंटी बज उठी. अनिरुद्ध का स्वर उभरा, ‘‘मैं तो अभी से तुम्हें मिस कर रहा हूं. कब वापस आओगी तुम?’’

‘‘जल्दी ही आ जाऊंगी.’’

‘‘बहुत अच्छा. सौम्या, वह बात कहो न.’’

‘‘कौन सी?’’

‘‘वही, जिसे सुनना मुझे अच्छा लगता है.’’

मैं ने एक दीर्घनिश्वास छोड़ कर कहा, ‘‘मैं आप से बहुत प्यार करती हूं,’’ जेहन में समर का चेहरा कौंधा और आंखों में कैद आंसू स्वतंत्र हो कर चेहरे पर ढुलक आए. जीवन में फिर वही शून्य उभर आया था.

घर पर बनाएं टेस्टी स्टीम्ड इंस्टैंट दही वड़ा

इंडिया की बात की जाए तो दही वड़ा हर किसी को पसंद आता है. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी होता है, लेकिन इसे बनाने में टाइम लगता है. आज हम आपको स्टीम्ड इंस्टैंट दही वड़ा की रेसिपी बताएंगे, जिसे ट्राय करके आप अपनी फैमिली को कम समय में दही वड़ा बनाकर खिला सकती हैं.

हमें चाहिए

–  5 बड़े चम्मच उड़द की दाल का पाउडर

–  2 बड़े चम्मच धुली मूंग दाल आटा

–  चुटकीभर हींग पाउडर

–  1 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

–   1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

  1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

–  9-10 किशमिश

–  1 बड़ा चम्मच काजू बारीक कटे

–  1 छोटा चम्मच चिरौंजी

–  2 कप फेंटा दही,

–  काला व सफेद नमक स्वादानुसार.

अन्य सामग्री

–  6-7 करीपत्ते

–   1/2 छोटा चम्मच राई

–  चुटकीभर हींग पाउडर

–   1/2 छोटा चम्मच जीरा

–  थोड़ीथोड़ी मीठी लाल चटनी और हरी चटनी

–  1 छोटा चम्मच रिफाइंड औयल.

बनाने का तरीका

दोनों दालों को 1/2 कप पानी डाल कर मिक्स कर 1/2 घंटा ढक कर रख दें. पानी कम लगे तो थोड़ा और डालें व अच्छी तरह तब तक फेंटें जब तक दाल पानी में तैरने न लगे. हींग पाउडर और चुटकीभर नमक डाल दें. मेवा, अदरक व हरीमिर्च को मिक्स करें. इडली मोल्ड में थोड़ा मिश्रण डालें. फिर मेवा बुरकें और पुन: दाल के मिश्रण से ढक दें. लगभग इस तरह 8 वड़े बनेंगे. इडली की तरह भाप में 10 मिनट पकाएं. ठंडा होने पर निकाल लें.

1 छोटे चम्मच तेल में हींग, जीरा, राई और करीपत्तों का तड़का बनाएं और 2 कप कुनकुने पानी में डाल दें. इसी में वड़े भी 5 मिनट के लिए डालें. फिर हलके हाथ से निचोड़ें. दही, मीठी व खट्टी चटनी, नमक, मिर्च व जीरा बुरक कर सर्व करें.

हाय बेचारी: रंजना का क्या था फैसला

रंजना सोसाइटी के गेट पर अन्य महिलाओं के साथ खड़ी थी. मांओं और स्कूल जाने वाले बच्चों का मेला सा लगा था. रंजना भी अपनी 11 वर्षीय बेटी मिनी का हाथ पकड़े खड़ी थी. स्कूल बस आने वाली थी. सभी महिलाएं रंजना को जिन नजरों से देख रही थीं, उन नजरों की भाषा से रंजना भलीभांति परिचित थी. सब की निगाहें हमेशा की तरह यही कह रही थीं कि हाय बेचारी. निगाहों का यह संदेश पा कर रंजना को हमेशा मन ही मन हंसी आती. सब उसे रोज ऊपर से नीचे तक कई बार देखतीं. उस के लेटैस्ट हेयरस्टाइल, बढि़या फिगर और आधुनिक कपड़ों की खूब प्रशंसा करतीं. लेकिन आंखों में वही हाय बेचारी के भाव.

स्कूल बस आ गई तो मांओं का अपनेअपने बच्चे को फ्लाइंग किस करने, आई लव यू बेटा, बाय बेटा, टेक केयर कहने का सिलसिला शुरू हो गया. रंजना ने भी मिनी को किस किया और मिनी बस में चढ़ गई. जब तक बस दिखती रही, रंजना वहीं खड़ी रही. फिर अपने फ्लैट की ओर चल दी. 11 बज रहे थे. मिनी का स्कूल 12 से 6 बजे तक था.

सारे काम करने के लिए मेड आ गई. 12 बजे तक रंजना फ्री हो चुकी थी. उस ने घड़ी देखी. 1 बजे अमित, उस का लेटैस्ट बौयफ्रैंड आने वाला था. उस ने सोचा 1 घंटा आराम कर ले. फिर अमित के साथ लंच कर के… इस के आगे की सोच कर ही रंजना के शरीर में मादक सी लहर दौड़ गई. आज

4 बजे उस की किट्टी पार्टी भी है. अमित को भेज कर वह किट्टी पार्टी में चली जाएगी. बैड पर लेट कर रंजना की आंखों के सामने बीते दिन किसी चलचित्र की तरह घूम गए… रंजना 21 साल की थी जब वह विनोद से एक पार्टी में मिली थी. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे.

दोनों ही सुंदर, स्मार्ट और आकर्षक थे. विनोद बैंगलुरु से मुंबई अपने बिजनैस के किसी काम से आया था. मिलने के 6 महीने बाद ही रंजना ने विजातीय विनोद से प्रेमविवाह कर लिया. दोनों के मातापिता इस विवाह के खिलाफ थे. रंजना के मातापिता जो अंधेरी, मुंबई में रहते थे, उन्होंने उस से संबंध तोड़ लिए. उस की छोटी बहन संजना कभीकभी उस से फोन पर बात कर लेती थी. रंजना विनोद के साथ बैंगलुरु चली गई. विनोद के मातापिता भी रंजना को बहू मानने के लिए तैयार नहीं हुए थे.

रंजना को याद आ रहा था कि उस ने अच्छी पत्नी और अच्छी बहू बनने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन बेहद कट्टरपंथी ससुराल में रहना मुश्किल होता जा रहा था.

एक दिन विनोद ने ही कह दिया, ‘‘रंजना, ऐसा करता हूं कि अलग घर ले लेता हूं, घर में रोजरोज का कलह अच्छा नहीं लगता.’’

रंजना को इस में भला क्या आपत्ति हो सकती थी. वह तैयार हो गई. विनोद ने एक फ्लैट ले लिया. अब रंजना खुश थी.

लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकी. उस ने नोट किया, विनोद उस के साथ बस रात को सोने ही आता है. सुबह अपने घर चला जाता है. एक दिन वह झंझला गई. बोली, ‘‘यह क्या चल रहा है… यहां बस सोने आते हो… अब यही तो हमारा घर है?’’

‘‘वहां मेरे मातापिता, भाईबहन हैं, उन्हें छोड़ दूं?’’ विनोद ने चिढ़ कर पूछा.

‘‘मैं उन्हें छोड़ने के लिए कहां कह रही हूं, रोज मिलने जाओ. मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन यहां अपनी पत्नी के पास तुम चोरों की तरह आ रहे हो. मुझे बड़ा अजीब लग रहा है.’’

विनोद गरदन झटक कर चला गया. रंजना को कुछ समझ नहीं आया. यह तो वह देख ही चुकी थी कि विनोद एक बहुत धनी बिजनैसमैन का बेटा है, उन का बहुत लंबाचौड़ा बिजनैस था. पूरा दिन अकेली रहने पर रंजना बोर होने लगी थी. सुबह नाश्ते से डिनर तक वह अकेली होती थी. विनोद ने मेड का भी इंतजाम कर दिया था. 1 साल बीत रहा था. रंजना अब गर्भवती थी. उसे लगा शायद अब सब ठीक हो जाएगा. उस ने यह खुशखबरी विनोद को सुनाई तो उस ने कोई खास उत्साह नहीं दिखाया. 2 दिन बाद रात को आ कर कहने लगा, ‘‘मैं ने मां को यह खबर सुनाई.’’

रंजना ने चहक कर पूछा, ‘‘वे खुश हुईं?’’

विनोद ने तटस्थ भाव से कहा, ‘‘मां ने कहा कि इस हालत में तुम्हारा

अपने मातापिता के पास जाना ज्यादा ठीक रहेगा.’’

रंजना को जैसे धक्का लगा. वह भड़क उठी, ‘‘मैं क्यों जाऊं कहीं? मैं ने सब को छोड़ कर तुम्हें अपनाया है, सब मुझ से नाराज हैं.’’

‘‘लेकिन मम्मीपापा अब भी तुम्हें अपनाने को तैयार नहीं हैं.’’

‘‘तुम तो हो न मेरे साथ, मुझे प्यार करते हो न? फिर मुझे किसी की जरूरत नहीं है.’’

विनोद ने थोड़ा अटकते हुए कहा, ‘‘वह तो ठीक है, पर मैं उन के खिलाफ नहीं जा सकता.’’

‘‘यह बात अब याद आ रही है मेरे जीवन से खेल कर?’’ रंजना चिल्ला पड़ी.

विनोद ने धीमे स्वर में कहा, ‘‘मैं ने इस बारे में बहुत सोचा… यही ठीक लगा कि तुम मुंबई चली जाओ, मैं आता रहूंगा.’’

‘‘मैं क्यों जाऊं कहीं? मैं यहीं रहूंगी और अपने होने वाले बच्चे को पूरा हक दिलवाऊंगी.’’

रात भर रंजना और विनोद में कहासुनी होती रही. सुबह विनोद चला गया. अगले कुछ दिनों में विनोद के कुछ रिश्तेदारों से उसे उड़तीउड़ती खबर मिली कि विनोद के घर वाले उस पर दूसरा विवाह करने का दबाव डाल रहे हैं और रंजना को तलाक दिलवाना चाहते हैं.

रंजना को अपनी दुनिया उजड़ती लगी. वह पूरा दिन फूटफूट कर रोती रही. पड़ोसिन मालती आंटी उस की पूरी स्थिति से परिचित थीं. अत: उन्होंने उसे बहुत कुछ समझया. तब रंजना ने खुद को संभाला. अपने आंसू पोंछे. गर्भस्थ संतान को मन ही मन प्यार किया. अब वह और तरह सोच रही थी कि अगर विनोद और उस का परिवार इस विवाह के बंधन को खेल समझ रहा है तो वह क्यों रोते हुए जीए? क्यों वह एक कमजोर पुरुष के साथ अपनी जिंदगी बिताने के लिए मजबूर हो? वह आधुनिक लड़की है अत: कमजोर और बेबस हो कर नहीं जीएगी. कल उस की संतान इस दुनिया में जन्म ले लेगी. तब वह उस के साथ जी लेगी.

अब आगे क्या करना है, रंजना ने यह भी उसी समय सोच लिया. वह बस ग्रैजुएट थी. उसे कोई बहुत बड़ी नौकरी मिलने से रही, यह भी वह जानती थी.

अगली रात जब विनोद आया तो रंजना ने कहा था, ‘‘मैं मुंबई जाने के लिए

तैयार हूं.’’

विनोद उस का मुंह देखता रह गया.

रंजना ने कहा, ‘‘तुम मुझे मेरे नाम से वहां एक फ्लैट ले दो.’’

‘‘हां, यह तो हो जाएगा, मैं भी आता रहूंगा.’’

रंजना व्यंग्यपूर्वक हंसी, ‘‘और घर का खर्च?’’

‘‘मैं हर महीने क्व25-30 हजार तुम्हारे खाते में डाल दिया करूंगा और जरूरत हुआ करेगी तो और दे दिया करूंगा. तुम्हें कतई परेशानी नहीं होगी. बस मैं अपने परिवार से अलग कुछ कर नहीं सकता, यह मेरी मजबूरी है.’’

‘‘तुम रहो अपने परिवार के साथ, जितनी जल्दी हो सके मेरा मुंबई में रहने का अच्छा सा प्रबंध कर दो.’’

विनोद ने उसे बांहों में भरने की कोशिश की तो रंजना ने उस की बांहें झटक दीं. कहा, ‘‘तुम्हारे अब तक के प्यार को समझने में मुझ से जो भूल हुई है, पहले उस से तो उबर लूं… एक बात याद रखना, अगर मुझे या मेरे बच्चे को पैसे की तंगी हुई तो मैं तुम्हें कोर्ट में घसीट लूंगी.’’

रंजना जानती थी कि विनोद के परिवार को अपनी इज्जत जान से ज्यादा प्यारी है. समाज में एक नाम, इज्जत थी उन की.

‘‘नहींनहीं, तुम्हें कोई कमी नहीं रहेगी,’’ विनोद तुरंत बोला.

विनोद का बिजनैस के सिलसिले में मुंबई चक्कर लगता रहता था. उस ने 1 महीने के अंदर मुलुंड की एक अच्छी सोसाइटी में एक बैडरूम सैट खरीद कर रंजना के नाम कर दिया. मन ही मन वह दुखी और शर्मिंदा तो था. परिवार के दबाव के चलते उस ने रंजना के साथ अच्छा नहीं किया था. लेकिन परिवार की बात न मानने पर उसे सारी संपत्ति से हाथ धोना पड़ेगा, यह वह अच्छी तरह जानता था.

खुद को पूरी हिम्मत से संभाल कर रंजना मुंबई के इस फ्लैट में आ गई. संजना

उस के संपर्क में रहती थी. उसे पूरी बात पता थी. जब संजना ने अपने मम्मीपापा को यह बात बताई तो नाराजगी भूल उन्होंने आ कर रंजना को गले लगा लिया. तय समय पर रंजना ने स्वस्थ सुंदर मिनी को जन्म दिया. रंजना मिनी का चेहरा देख खिल उठी थी. विनोद और रंजना की फोन पर बातचीत होती रहती थी. वह खबर पाते ही मिनी को देखने चला आया.

सारा काम रंजना की मम्मी ने संभाला था. उस के मम्मीपापा विनोद से खिंचेखिंचे ही रहे. विनोद 2 दिन में रंजना के हाथ में भारी रकम रख कर चला गया. रंजना ने कोई नाराजगी नहीं दिखाई.

मिनी 2 महीने की हो गई तो रंजना ने अपनी मम्मी से कहा, ‘‘मम्मी, अब आप घर लौट जाओ. अब मैं मिनी को देख लूंगी.’’

‘‘लेकिन तू अकेली कैसे…?’’

‘‘नहीं मम्मी, मैं सब कर लूंगी, मुझे अपनी लाइफ खुद संभालने दो,’’ रंजना बीच ही में बोली.

रंजना के चेहरे पर छाए आत्मविश्वास को देख कर अंजना भी कुछ कह नहीं सकीं और बेटी को बहुत सी हिदायतें दे कर अपने घर लौट गईं.

रंजना ने बखूबी मिनी को संभाल लिया था, उसी को देख कर उस के रातदिन कटते, सुंदर और आकर्षक तो वह थी ही, उस पर बेहतरीन रखरखाव, बेहद मौडर्न कपड़े, यत्न से संवारा रूपरंग. तभी तो भीड़ में भी वह अलग दिखती.

ऐसे ही दिन बीत रहे थे. 2-3 महीनों में विनोद आता तो शारीरिक जरूरत की पूर्ति के चलते. विनोद का सामीप्य, एक पुरुष और स्त्री का नैसर्गिक संबंध दोनों को एकदूसरे के करीब ले आता और फिर दोनों अभी पतिपत्नी तो थे ही.

पासपड़ोस में भी सब को यही लगता कि बेचारी बच्ची के साथ

अकेली रहती है. रंजना ने सब को यही बताया था कि उस के पति की टूरिंग जौब है. उन्हें अकसर विदेश जाना पड़ता है. मिनी 1 साल की हो रही थी. बैंगलुरु की एक परिचिता ने रंजना को बताया था कि विनोद दूसरी शादी करने के लिए तैयार हो गया है. सुन कर रंजना के तनबदन में आग लग गई. फिर उस ने ठंडे दिमाग से सोचा. वह विनोद पर आर्थिक रूप से निर्भर थी. वह ताव में आ कर अपना नुकसान नहीं कर सकती थी. अत: उस ने विनोद से कहा, ‘‘तुम्हें जो करना है कर लो, लेकिन कानूनन आज भी मैं ही तुम्हारी पत्नी हूं. मेरा और मिनी का खर्च हमेशा तुम ही उठाओगे, मैं भी अब कुछ भी करूं, तुम्हें बोलने का हक नहीं होगा.’’

विनोद ने तो जान छूटी, सोच कर झट से कहा, ‘‘हांहां, बिलकुल, तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी, मैं भी मिलने आता रहूंगा.’’

‘‘मिलने में मुझे अब कोई रुचि नहीं रहेगी. मिनी के प्रति कोई फर्ज महसूस हो तो उस से मिलने आ जाना,’’ और उसी क्षण रंजना ने अकेली और उदास रह कर नहीं, बल्कि आनंदपूर्वक जीने का निश्चय कर लिया.

मिनी को वह मां और पिता दोनों का प्यार देती. उस की हर जिम्मेदारी मन से पूरा कर रही थी. सुजय उस की सहेली निशा का छोटा भाई था. वह रंजना के मादक सौंदर्य के आकर्षण से बच नहीं पाया. कभी मिनी से मिलने तो कभी किसी और बहाने आने लगा तो रंजना मन ही मन मुसकरा उठी. उस ने सुजय को बड़ी अदाओं से बढ़ावा दिया और फिर दोनों एकदूसरे में खो गए. एमबीए करने के बाद वह जौब की तलाश में था. मिनी के स्कूल जाने के बाद वह रंजना के पास पहुंच जाता और रंजना का पुरुषस्पर्श को तरसता मन उस की चाहत में डूबडूब जाता. सुजय उस से विवाह करने के लिए भी तैयार था, लेकिन अब रंजना विवाह के नाम से ही दूर भागती. हाथ में भरपूर पैसा, मनचाहा जीवन, न पति का कोई काम, न कोई रोकनेटोकने वाला, उसे अब अपने आजाद जीवन में कोई अड़चन नहीं चाहिए थी.

सुजय को दिल्ली से जौब का बुलावा आया तो वह उदास मन से चला गया और रंजना सिर झटक कर जीवन में आगे बढ़ गई. वह अपने मम्मीपापा और बहन से फोन पर संपर्क में रहती ही थी, मिनी की छुट्टियों में आनाजाना भी लगा रहता था. विनोद आज भी फोन पर हालचाल लेता रहता था. अब भी मुंबई आने पर मिलने जरूर आता था. बस, अब मेहमान की तरह आता था, मेहमान की तरह चला जाता था. मिनी को अभी रंजना ने बहला दिया था. समझदार होने पर वह अपनी बेटी को सब साफसाफ समझ देगी, यह वह सोच चुकी थी.

विनोद के मन में आज भी अपराधबोध था. बेचारी कैसे जीती है अकेली. लेकिन रंजना कैसे जी रही है, यह उसे बताने वाला कोई नहीं था. वह दूसरा विवाह कर चुका था और अब 1 बेटे का पिता भी बन चुका था. रंजना सब जानती थी, लेकिन विनोद के पैसे पर ही उसे मौज करनी थी, इसलिए वह गंभीर बनी रहती थी.

फिर उस के जीवन में आए डा. नीरज. वे चाइल्ड स्पैशलिस्ट थे. उन्होंने एक बार मिनी को तेज बुखार होने पर उस का इलाज किया था. वे भी रंजना के आकर्षण में बंधे एक दिन मिनी को देखने के बहाने उस के घर जा पहुंचे और फिर

2 साल रंजना और उन का प्रेमप्रसंग चला. वे तलाकशुदा थे. वे भी रंजना के साथ विवाह करना चाहते थे, पर रंजना उन के साथ शारीरिक रूप से तो जुड़ी लेकिन विवाह तो अब उसे करना नहीं था. अंत में रंजना के साफसाफ मना करने पर उन्होंने अन्यत्र विवाह कर लिया. अब रंजना की दोपहरें अमित के साथ बीत रही थीं.

अमित कालसैंटर में काम करता था. उस की अकसर नाइट शिफ्ट होती थी.

अमित से रंजना मिनी के स्कूल में मिली थी. वह मिनी की क्लास में पढ़ रहे सुधांशु का चाचा था. सुधांशु के मातापिता दोनों कामकाजी थे, इसलिए पीटीएम में अकसर अमित ही आता था. अमित से 2-4 मुलाकातें होने पर ही रंजना को वह अच्छा लगने लगा था. फिर उन की धीरेधीरे अंतरंगता बढ़ती गई.

अब अमित के इंतजार में अतीत की स्मृतियों में डूबतेउतरते डोरबैल बजने पर ही उस की तंद्रा भंग हुई. अमित ने आते ही उसे बांहों में भर लिया.

रंजना ने अपनी मादक हंसी बिखेरते हुए कहा, ‘‘अरे, पहले फ्रैश तो हो जाओ, लंच तो कर लो.’’

‘‘सब बाद में,’’ कहते हुए अमित रंजना को गोद में उठा कर बैड पर ले गया. रंजना भी उस की बांहों में समाती चली गई. भावनाओं का ज्वार जब थमा तो दोनों काफी देर लेट कर हंसीमजाक करते रहे. फिर लंच करते हुए रंजना ने कहा, ‘‘आज मेरी किट्टी पार्टी है.’’

‘‘अच्छा, कब निकलोगी?’’

‘‘4 बजे.’’

‘‘ठीक है, मैं चलता हूं, तुम भी तैयारी करो,’’ अमित बोला.

‘‘कल से मिनी की गरमी की छुट्टियां हैं. हम फिलहाल नहीं मिलेंगे… स्कूल शुरू होने के बाद ही मिलेंगे.’’

‘‘एज यू विश, चलता हूं,’’ कहते हुए अमित ने रंजना के गाल पर किस किया.

रंजना ने तुरंत किचन समेटी, टाइम देखा.

3 बज चुके थे. ‘15 मिनट लेट कर तैयार होगी,’ सोच कर वह बैड पर लेट गई. लेटते ही कुछ पल पहले अमित के साथ बिताए पलों ने उसे फिर आंतरिक खुशी दी कि कितनी खुश है वह, क्या बढि़या जीवन जी रही है. अभी अपनी लेटैस्ट ड्रैस पहनेगी, लंबी रैड स्कर्ट के साथ ब्लैक टौप, साथ में मैचिंग ज्वैलरी. किट्टी पार्टी में सभी उस की डै्रसिंगसैंस की तारीफ करती नहीं थकतीं. उसे उन कुछ मूर्ख महिलाओं पर हंसी आती जिन की यह कानाफूसी उस के कानों में पड़ती कि हाय बेचारी, कितनी अकेली है, कैसे जीती होगी, अपना समय कैसे काटती होगी? इन फुसफुसाहटों पर उस का मन होता कि वह जोर से ठहाका लगाए, वह और बेचारी? बिलकुल नहीं, वह तो लाइफ ऐंजौय कर रही है. कहां जरूरत है उसे पति नामक प्राणी की? फिर वह मन ही मन हंस कर उठ कर तैयार होने लगी.

तैयार हो कर शीशे में देखा तो खुद पर इतरा उठी. फिर पर्स ले कर निशा के घर चल दी.

पार्टी आज उस के घर पर ही थी. उसे देखते ही सब वाहवाह कर उठीं. किट्टी पार्टी में लगभग 50 साल की 2-3 आंटियां भी थीं. सविता आंटी ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, फिर पूछा, ‘‘कैसी हो, बेटा?’’

‘‘एकदम ठीक,’’ कह कर रंजना औरों से मिलने लगी.

सविता अब मंजू आंटी से कह रही थी,

‘‘बेचारी किट्टी पार्टी में आ जाती है तो थोड़ा मन लग जाता होगा, हाय बेचारी.’’

अपने बारे में हमेशा होने वाली इस टिप्पणी

पर रंजना मन ही मन इन कुंठित सोच वाली महिलाओं पर तरस खाती थी. फिर रंजना ने पार्टी का पूरे मन से आनंद लिया. 5 बजते ही कई महिलाओं ने अपनाअपना पर्स संभाल कर कहा, ‘‘अब चलना पड़ेगा… अपना तो खानापीना हो गया, पति और बच्चों के लिए तो जा कर बनाना ही पड़ेगा.’’

एक ने कहा, ‘‘अरे, मुझे तो सासससुर के लिए चायनाश्ता बनाना है जा कर.’’

रंजना आराम से बैठी थी. मन ही मन सोच रही थी कि बेचारी तो ये हैं. वह कितने आराम से जी रही है, जीवन के 1-1 पल का भरपूर आनंद उठा रही है, और आगे भी उठाती रहेगी.

सब चली गईं. रंजना भी उठ खड़ी हुई तो निशा ने कहा, ‘‘तू बैठ न, तुझे क्या जल्दी है?’’

‘‘मिनी के आने का समय हो रहा है. आज उसे पिज्जा और आइसक्रीम खिलाने ले जाना है. सुबह ही कह कर गई थी,’’ कह कर निशा से विदा ले कर रंजना बस स्टैंड की ओर चल दी.

बस आई तो मिनी फुदकती हुई उस की तरफ बढ़ गई, बोली, ‘‘मौम, आज बाहर चलेंगे न?’’

‘‘बिलकुल, पहले चल कर कपड़े तो

बदल लो.’’

‘‘ठीक है मौम.’’

घर आ कर मिनी को याद आया, ‘‘अरे, आज आप की किट्टी पार्टी थी न? आप बहुत स्मार्ट लग रही हैं, आप की फ्रैंड्स आप की नई डै्रस देख कर क्या बोलीं मौम?’’

‘‘वे बोलीं, हाय बेचारी,’’ कह कर रंजना ने जोर से ठहाका लगाते हुए बेटी को सीने से लगा लिया.

अच्छे बाल और स्किन के लिए डाइट बताएं?

सवाल- 

मैं 44 साल की महिला हूं. मुझे बाल झड़ने, महीन रेखाएं और झुर्रियों की काफी समस्या है. बेहतर त्वचा और बालों का झड़ना रोकने के लिए मुझे अपने आहार में क्या बदलाव लाने चाहिए?

जवाब-

जैसेजैसे उम्र बढ़ती है, वैसेवैसे हमारा मैटाबौलिज्म रेट कम होता जाता है. हमारी मांसपेशियां कम होने लगती हैं और हारमोन का स्तर थोड़ा कम हो जाता है, जिस से वजन बढ़ने, मूड में बदलाव आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

ऐंटीऔक्सिडैंट युक्त खाना खाने से आप को अपने समग्र स्वास्थ्य में सुधार करते हुए भूख और क्रेविंग पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है. अलसी, चिया सीड्स, सालमन, ऐवोकाडो, नट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, गोभी, डार्क चौकलेट, बेरीज, ग्रीक योगर्ट, ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल, अंडे, चिकन, बींस, खट्टे फल शरीर को पोषण देने में मदद कर सकते हैं.

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महिलाओं को 2 चीजें सब से ज्यादा प्यारी होती हैं- हैल्दी बौडी और मेकअप. इस से न केवल उन में निखार आता है, बल्कि वे स्मार्ट और ऐक्टिव भी नजर आती हैं और अगर वे औफिस में काम करती हैं तो अपनी ब्यूटी को ले कर ज्यादा ही सतर्क रहती हैं.

इस सतर्कता में अच्छा खाना और सही मेकअप बहुत ज्यादा माने रखता है वरना स्वाति जैसा हाल भी हो सकता है.

स्वाति एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती है, पर औफिस में किस तरह का मेकअप करना है या क्या खानापीना है, इसे ले कर वह बेपरवाह हो जाती है. एक तो वह अपने आकार में कुछ ज्यादा ही हैल्दी है और उस पर मेकअप भी हैवी कर लेती है, इसलिए पीठ पीछे उस का बहुत मजाक बनता है.

मगर इस का हल क्या है? क्या औफिस के लिए कोई खास तरह का मेकअप होता है? क्या सही खानपान किसी औफिस गर्ल को सब की चहेती बना सकता है? ऐसा क्या किया जाए  कि कोई महिला अपने औफिस में हंसी का पात्र न बने?

इन सब सवालों के जवाब देते हुए डाइटीशियन और मेकअप आर्टिस्ट नेहा सागर कहती हैं, ‘‘किसी लड़की खासकर औफिस गर्ल के लिए अच्छा खानपान और मेकअप में बैलेंस बनाना कोई रौकेट साइंस यानी मुश्किल काम नहीं है. औफिस में काम का तनाव होने की वजह से अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देना चाहिए. कुछ छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर कोई भी औफिस गर्ल खुद को सेहतमंद रख सकती है.

‘‘जहां तक मेकअप की बात है तो औफिस में ज्यादा हैवी मेकअप जरूरी नहीं है. अपने रंगरूप और बौडी शेप के हिसाब से मेकअप करने से भी बात बन सकती है.’’

चेहरे पर ग्लो लाने के 5 टिप्स

 यूवी किरणें हमारे चेहरे की रंगत बिगाड़ देती है, बौडी का खुला हिस्सा काला पड़ने लग जाता है. पर आज हम आपको गरमियों में इन हानिकारक यूवी किरणों के कारण आपके प्लान को खराब होने से बचाने के लिए डेली रूटीन टिप्स बताएंगे, जिससे गरमियों में स्किन के चेहरे की चमक को बरकरार रख पाएंगे.

  1. चेहरे के लिए इस्तेमाल करें मिस्ट…

चेहरे को हाइड्रेट रखने का सबसे अच्छा तरीका फेशियल मिस्ट है। इसे हमेशा अपने पर्स में रखें और इसे अपने चेहरे पर स्प्रे करें जब भी आपको लगे कि आपकी त्वचा को नमी की जरूरत है, तो आपकी स्किन हेल्दी और धूप में रहने में मदद मिलेगी

2. ककड़ी,एलो वेरा और ग्रीन टी से करें स्किन टैम्प्रेचर को कंट्रोल

गरमियों में स्किन को हाइड्रेटेड और फ्रेश रखने के लिए एक और ट्रिक हैं ककड़ी, एलोवेरा, और ग्रीन टी. ये नेचुरली हाइड्रेटिंग तत्व है जो स्किन को ताज़ा और गरमी में टैम्प्रेचर को कंट्रोल करने में मदद करता है. एलोवेरा में कंडीशनिंग गुण होते हैं, जबकि खीरे और ग्रीन टी में एंटीऔक्सिडेंट में होते है. जो समय से पहले झुर्रियों को रोकने में मदद करता है।

3. हाइड्रेशन-बूस्टिंग स्किनकेयर प्रोडक्टों का करें इस्तेमाल

ग्लिसरीन और हाइलूरोनिक एसिड के साथ स्किनकेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे स्किन कोमल बनने के साथ-साथ आपकी स्किन और ज्यादा शाइनी और जवान दिखने लगते हैं.

4.खूब पिएं ग्रीन टी

बिना दाग धब्बे के सुंदर स्किन पाने के लिए ग्रीन टी गरमियों में सबसे अच्छी ड्रिंक है। एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर ग्रीन टी उम्र के कारण बढ़ती झुर्रियों को कम करने में मदद करता है. रोजाना सिर्फ एक कप ग्रीन टी हमारे कॉम्प्लेक्शन को बिना रूके और रिंकल-फ्री बनाए रखने में मदद करती है.

5.रोजाना लगाएं सनस्क्रीन

हम जानते हैं कि 80% समय से पहले बूढ़ा होने के लिए यूवी किरणें जिम्मेदार हैं, इसलिए झुर्रियों और काले धब्बों को रोकने के लिए हर दिन एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी है।

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