इन चीजों को भूल कर भी ना खाएं खाली पेट

आपके खानपान में ही आपकी सेहत का राज छिपा है. कितने स्वस्थ हैं आप, आप क्या खाते हैं इसपर निर्भर करता है. इसके अलावा आपके खाने का वक्त भी काफी अहम होता है. किस समय पर क्या चीज खाई जा रही है, आपके सेहत को प्रभावित करती है.

कोई भी खाना तभी आपके शरीर को तब लगता है जब सही समय पर उसे खाया जाए. गलत समय पर उसे खाने से आपकी सेहत पर नकारात्मक असर हो सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जिन्हें खाली पेट नहीं खाना चाहिए.

कार्बोहाइड्रेटेड ड्रिंक

कार्बोहाइड्रेटेड ड्रिंक्स सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है. खाली पेट इनका सेवन और भी खतरनाक होता है. सुबह में, खाली पेट इसका सेवन बहुत हानिकारक होता है. इसके प्रयोग से कैंसर और दिल की बीमारी जैसी गंभीर परेशानियां हो सकती हैं.

कौफी या चाय

बहुत से लोगों की सुबह में चाय या कौफी की आदत होती है. इसका सेहत पर बहुत बुरा असर होता है. खाली पेट कौफी पीने से शरीर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. इसके अलावा कब्ज की परेशानी भी होने लगती है. पाचन क्रिया पर इसका बुरा असर होता है.

पेस्ट्रीड

पेस्ट्री नाश्ते के लिहाज से अच्छा औप्शन है. चूंकि इसमें यीस्ट अधिक होती है, खाली पेट खाने  से आपको परेशानी हो सकती है.

टमाटर

जी हां, अपनी तमाम खूबियों के बाद भी टमाटर को खाली पेट खाना हानिकारक है. इसमें एसिड की मात्रा अधिक होती है. अपने एसिडिक नेचर के कारण इसका खाली पेट सेवन करना हानिकारक हो सकता है. ये पेट पर जरूरत से ज्यादा दवाब डालते हैं और इससे पेट में दर्द हो सकता है. अल्सर से पीड़ित लोगों के लिए ये खतरनाक स्थिति हो सकती है.

खट्टे फलों से रहें दूर

खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, अंगूर को भूल कर भी खाली पेट नहीं खाना चाहिए. इन फलों में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है. खाली पेट इनके सेवन से पेट की बीमारी का खतरा अधिक रहता है.

 

मैं चुप रहूंगी – भाग 1: विजय की असलियत जब उसकी पत्नी की सहेली को पता चली

पिछले दिनों मैं दीदी के बेटे नीरज के मुंडन पर मुंबई गई थी. एक दोपहर दीदी मुझे बाजार ले गईं. वे मेरे लिए मेरी पसंद का तोहफा खरीदना चाहती थीं. कपड़ों के एक बड़े शोरूम से जैसे ही हम दोनों बाहर निकलीं, एक गाड़ी हमारे सामने आ कर रुकी. उस से उतरने वाला युवक कोई और नहीं, विजय ही था. मैं उसे देख कर पल भर को ठिठक गई. वह भी मुझे देख कर एकाएक चौंक गया. इस से पहले कि मैं उस के पास जाती या कुछ पूछती वह तुरंत गाड़ी में बैठा और मेरी आंखों से ओझल हो गया. वह पक्का विजय ही था, लेकिन मेरी जानकारी के हिसाब से तो वह इन दिनों अमेरिका में है. मुंबई आने से 2 दिन पहले ही तो मैं मीनाक्षी से मिली थी.

उस दिन मीनाक्षी का जन्मदिन था. हम दोनों दिन भर साथ रही थीं. उस ने हमेशा की तरह अपने पति विजय के बारे में ढेर सारी बातें भी की थीं. उस ने ही तो बताया था कि उसी सुबह विजय का अमेरिका से जन्मदिन की मुबारकबाद का फोन आया था. विजय के वापस आने या अचानक मुंबई जाने के बारे में तो कोई बात ही नहीं हुई थी.

लेकिन विजय जिस तरह से मुझे देख कर चौंका था उस के चेहरे के भाव बता रहे थे कि उस ने भी मुझे पहचान लिया था. आज भी उस की गाड़ी का नंबर मुझे याद है. मैं उस के बारे में और जानकारी प्राप्त करना चाहती थी. लेकिन उसी शाम मुझे वापस दिल्ली आना था, टिकट जो बुक था. दीदी से इस बारे में कहती तो वे इन झमेलों में पड़ने वाले स्वभाव की नहीं हैं. तुरंत कह देतीं कि तुम अखबार वालों की यही तो खराबी है कि हर जगह खबर की तलाश में रहते हो.

दिल्ली आ कर मैं अगले ही दिन मीनाक्षी के घर गई. मन में उस घटना को ले कर जो संशय था मैं उसे दूर करना चाहती थी. मीनाक्षी से मिल कर ढेरों बातें हुईं. बातों ही बातों में प्राप्त जानकारी ने मेरे मन में छाए संशय को और गहरा दिया. मीनाक्षी ने बताया कि लगभग 6 महीनों से जब से विजय काम के सिलसिले में अमेरिका गया है उस ने कभी कोई पत्र तो नहीं लिखा हां दूसरे, चौथे दिन फोन पर बातें जरूर होती रहती हैं. विजय का कोई फोन नंबर मीनाक्षी के पास नहीं है, फोन हमेशा विजय ही करता है. विजय वहां रह कर ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के जुगाड़ में है, जिस के मिलते ही वह मीनाक्षी और अपने बेटे विशु को भी वहीं बुला लेगा. अब पता नहीं इस के लिए कितने वर्ष लग जाएंगे.

मैं ने बातों ही बातों में मीनाक्षी को बहुत कुरेदा, लेकिन उसे अपने पति पर, उस के प्यार पर, उस की वफा पर पूरा भरोसा है. उस का मानना है कि वह वहां से दिनरात मेहनत कर के इतना पैसा भेज रहा है कि यदि ग्रीन कार्ड न भी मिले तो यहां वापस आने पर वे अच्छा जीवन बिता सकते हैं. कितन भोली है मीनाक्षी जो कहती है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए ऐसी चुनौतियों को स्वीकार करना ही पड़ता है.

मीनाक्षी की बातें सुन कर, उस का विश्वास देख कर मैं उसे अभी कुछ बताना नहीं चाह रही थी, लेकिन मेरी रातों की नींद उड़ गई थी. मैं ने दोबारा मुंबई जाने का विचार बनाया, लेकिन दीदी को क्या कहूंगी? नीरज के मुंडन पर दीदी के कितने आग्रह पर तो मैं वहां गई थी और अब 1 सप्ताह बाद यों ही पहुंच गई. मेरी चाह को राह मिल ही गई. अगले ही सप्ताह मुंबई में होने वाले फिल्मी सितारों के एक बड़े कार्यक्रम को कवर करने का काम अखबार ने मुझे सौंप दिया और मैं मुंबई पहुंच गई.

वहां पहुंचते ही सब से पहले अथौरिटी से कार का नंबर बता कर गाड़ी वाले का नामपता मालूम किया. वह गाड़ी किसी अमृतलाल के नाम पर थी, जो बहुत बड़ी कपड़ा मिल का मालिक है. इस जानकारी से मेरी जांच को झटका अवश्य लगा, लेकिन मैं ने चैन की सांस ली. मुझे यकीन होने लगा कि मैं ने जो आंखों से देखा था वह गलत था. चलो, मीनाक्षी का जीवन बरबाद होने से बच गया. मैं फिल्मी सितारों के कार्यक्रम की रिपोर्टिंग में व्यस्त हो गई.

एक सुबह जैसे ही मेरा औटो लालबत्ती पर रुका, बगल में वही गाड़ी आ कर खड़ी हो गई. गाड़ी के अंदर नजर पड़ी तो देखा गाड़ी विजय ही चला रहा था. लेकिन जब तक मैं कुछ करती हरीबत्ती हो गई और वाहन अपने गंतव्य की ओर दौड़ने लगे. मैं ने तुरंत औटो वाले को उस सफेद गाड़ी का पीछा करने के लिए कहा. लेकिन जब तक आटो वाला कुछ समझता वह गाड़ी काफी आगे निकल गई थी. फिर भी उस अनजान शहर के उन अनजान रास्तों पर मैं उस कार का पीछा कर रही थी. तभी मैं ने देखा वह गाड़ी आगे जा कर एक बिल्डिंग में दाखिल हो गई. कुछ पलों के बाद मैं भी उस बिल्डिंग के गेट पर थी. गार्ड जो अभी उस गाड़ी के अंदर जाने के बाद गेट बंद ही कर रहा था मुझे देख कर पूछने लगा, ‘‘मेमसाहब, किस से मिलना है? क्या काम है?’’

‘‘यह अभी जो गाड़ी अंदर गई है वह?’’

‘‘वे बड़े साहब के दामाद हैं, मेमसाहब.’’

‘‘वे विजय साहब थे न?’’

‘‘हां, मेमसाहब. आप क्या उन्हें जानती हैं?’’

गार्ड के मुंह से हां सुनते ही मुझे लगा भूचाल आ गया है. मैं अंदर तक हिल गई. विजय, मिल मालिक अमृत लाल का दामाद? लेकिन यह कैसे हो सकता है? बड़ी मुश्किल से हिम्मत बटोर कर मैं ने कहा, ‘‘देखो, मैं जर्नलिस्ट हूं, अखबार के दफ्तर से आई हूं, तुम्हारे विजय साहब का इंटरव्यू लेना चाहती हूं. क्या मैं अंदर जा सकती हूं?’’

‘‘मेमसाहब, इस वक्त तो अंदर एक जरूरी मीटिंग हो रही है, उसी के लिए विजय साहब भी आए हैं. अंदर और भी बहुत बड़ेबड़े साहब लोग जमा हैं. आप शाम को उन के घर में उन से मिल लेना.’’

‘‘घर में?’’ मैं सोच में पड़ गई. अब भला घर का पता कहां से मिलेगा?

लगता था गार्ड मेरी दुविधा समझ गया. अत: तुरंत बोला, ‘‘अब तो घर भी पास ही है. इस हाईवे के उस तरफ नई बसी कालोनी में सब से बड़ी और आलीशान कोठी साहब की ही है.’’

मेरे लिए इतनी जानकारी काफी थी. मैं ने तुरंत औटो वाले को हाईवे के उस पार चलने के लिए कहा. विजय और उस का सेठ इस समय मीटिंग में हैं. यह अच्छा अवसर था विजय के बारे में जानकारी हासिल करने का. विजय से बात करने पर हो सकता है वह पहचानने से ही इनकार कर दे.

लहंगा चोली फैस्टिवल में फैशन का टशन

फैस्टिव सीजन शुरू हो चुका है. हम सभी फैस्टिवल्स पर पहनने के लिए अलगअलग ड्रैसेज खरीदते हैं, मगर आजकल लहंगा भी बहुत फैशन में है. लहंगा एक ऐसा परिधान है जो भले ही बहुत सिंपल सा हो पर आप के व्यक्तित्व में चार चांद जरूर लगा देता है. घाघरा, लहंगा, चनिया, लूगङा लहंगे के ही कुछ रूप हैं.

आजकल बाजार में कई तरह के लहंगे मौजूद हैं। आप इस फैस्टिव सीजन में अपनी आवश्यकतानुसार लहंगे को ट्राई कर सकती हैं.

एक नजर डालते हैं उन सभी विकल्पों  पर जो आजकल ट्रेंड में हैं :

  1. प्रिंटेड चनिया चोली

सामान्यतया कंटन या मिक्स फैब्रिक पर बनाया जाने वाला यह चनिया चोली हर जगह बड़ी सुगमता से उपलब्ध हो जाता है. यह पहनने में बहुत हलका और आरामदायक होता है. आजकल फ्लोरल, बूटा, अजरख, चुनरी और ब्लौक प्रिंटेड जैसे लहंगे बहुत डिमांड में हैं. इन की सब से बड़ी खासियत है कि बड़े प्रोग्राम्स में चुन्नी और हैवी ज्वैलरी के साथ कैरी कर के इन्हें हैवी लुक दे सकती हैं, तो बिना चुन्नी के आप इसे स्कर्टब्लाउज की तरह भी बड़े आराम से प्रयोग कर सकती हैं. कौटन के अतिरिक्त सिल्क, शिफौन, सैटिन, जौर्जेट, क्रैप और बेलवेट फैब्रिक के लहंगे भी आज खूब चलन में हैं.

2. लेयर्ड लहंगा चोली

लेयर्ड घाघरा कैरी करना थोड़ा मुश्किल जरूर होता है पर यह दिखने में बहुत अच्छा और हैवी लगता है. लेयर्स होने के कारण इसे अकसर शिफौन, जौर्जेट जैसे हलके और हैवी फौल वाले फैब्रिक से बनाया जाता है। इस के साथ हैवी वर्क वाला ब्लाउज, कंट्रास दुपट्टा और हलकी ज्वैलरी बहुत फबती है.

 

3. कलीदार लंहगा चोली

मनचाहे फैब्रिक से कलियां काट कर बनाए जाने से यह खूब घेर वाला होता है. इस पर वाइब्रैंट रंगों में हाथ से कढ़ाई की जाती है. इस का बौर्डर बहुत हैवी कढ़ाई वाला होता है, जिस से इस का लुक बहुत हैवी हो जाता है. आजकल बाजार में कढ़ाई वाले भारी लहंगे के साथसाथ अजरख जैसे मिक्स फैब्रिक के हलके लहंगे भी उपलब्ध हैं. इन्हें आप कंट्रास या सेम कलर के दुपट्टे के साथ कैरी कर सकती हैं.

4. गुजराती डांडिया ड्रैस

मुख्यतया गुजरात में बनने वाली यह ड्रैस अब पूरे देश में लोकप्रिय है. इसे मिरर, कच्छ कढ़ाई के साथ बनाया जाता है. नवरात्रि के गरबा पर्व के दौरान भांतिभांति के रंगों और कढ़ाई से सजे लहंगे बाजार में बहुत आराम से मिल जाते हैं. इस पर सिल्वर और किसी भी प्रकार की आर्टिफिशियल  ज्वैलरी कैरी की जा सकती है.

5. गमथी ऐंब्रौयडरी घाघरा चोली

ऊन जैसे मोटे रंगबिरंगे धागों से लहंगा चोली पर की जाने वाली कढ़ाई को गमथी कहा जाता है. इस में रेखागणितीय पद्धति से लाइनों के माध्यम से फूलपत्ती आदि बनाए जाते हैं. इस के साथ हैवी वर्क का ब्लाउज और चुन्नी कैरी की जाती है.

रखें कुछ बातों का ध्यान

  • लाइट शेड पर हैवी ज्वैलरी और हैवी वर्क वाले लहंगा चोली के साथ लाइट ज्वैलरी ही पहनें.
  •  यदि आप का वजन अधिक है तो आप लहंगे के नीचे स्लिम फिट पेटीकोट पहनें, इस से आप की लोअर बौडी स्लिम दिखेगी और आप की पर्सनैलिटी निखर उठेगी.
  • पहनने से पहले अपने लहंगे की सिलाइयों को मजबूत कर लें क्योंकि बाजार की सिलाइयां बहुत कच्ची होती हैं, कभी भी खिंचाव होने पर सिलाई खुलने की संभावना हो जाती है.
  • फाइनल दिन पहनने से पूर्व लहंगे के साथ पहनी जाने वाली मैंचिंग ज्वैलरी और चूड़ियां आदि को एक बार पहन कर जरूर देख लें.
  • इन्हें कभी किसी अन्य कपड़े के साथ धोने की अपेक्षा अलग से ही धोएं, साथ ही बहुत अधिक देर तक भिगो कर रखने की अपेक्षा तुरंत ही धो कर सुखाएं अन्यथा इन का रंग एकदूसरे पर चढ़ जाने की संभावना हो जाती है पर महंगे घाघरे को ड्राईक्लीन कराना ही उचित रहता है.
  • छोटी बच्चियों को भूल कर भी लंबा लहंगा न पहनाएं वरना वे गिर सकती हैं। साथ ही उन की चुन्नी, ज्वैलरी आदि को भी सैफ्टी पिन से अच्छी तरह अटैच कर दें.
  • बाजार से नया लहंगा नहीं लेना चाहती हैं तो आप बौर्डर वाली अपनी साड़ियों में भी चुन्नट डाल कर बहुत अच्छा लहंगा तैयार कर सकती हैं। इस के साथ आप किसी भी क्रौप टौप और हैवी चुन्नी को कैरी कर सकती हैं.

मुखरता: रिचा घुटनभरी जिंदगी क्यों जी रही थी

रिचा बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी. वह क्लास में आखिरी बैंच पर बैठती थी और एकदम बुझीबुझी सी रहती थी. कुछ पूछने पर वह या तो चुप हो जाती या फिर बहुत कम सवालों का जवाब देती. वैसे रिचा पढ़ने में होशियार और मेहनती थी, लेकिन हरदम अकेली, खुद में खोई रहती.

कोई न कोई बात तो थी जो उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी. सब से ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि वह लड़कों की मौजूदगी में सामान्य नहीं रहती थी. अगर गलती से कोई लड़का उसे छू लेता या कंधे पर हाथ रख देता, तो वह क्रोधित हो जाती.

उस के मातापिता भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे. वे अगर उस से कुछ पूछते, तो वह एक गहरी चुप्पी साध लेती. उस की बचपन की सहेली मीरा जब भी मिलती, रिचा से चुप रहने की वजह पूछती पर उसे कोई जवाब नहीं मिलता.

लेकिन मनोविज्ञान की स्टूडैंट होने के कारण वह रिचा की मानसिक अवस्था समझ रही थी. उसे किसी अनहोनी का डर खाए जा रहा था.  एक दिन मीरा ने उस से बात करने का निश्चय किया. शुरू में तो रिचा ने सवालों से बचना चाहा, शायद वह थोड़ी भयभीत भी थी, पर मीरा के साथ रोज वार्त्तालाप करने से उस का हौसला बढ़ने लगा.

एक दिन उस के दुखों का बांध ढह गया और उस की भावनाओं ने उथलपुथल की और वह रोने लगी. फिर धीरेधीरे उस ने अपनी बीती सारी बातें बताईं.

उस ने बताया, ‘‘एक दिन दोपहर को मैं इतिहास पढ़ रही थी. वैसे भी इतिहास का विषय सब के लिए नींद की गोली जैसा होता है, पर मेरे लिए यह एक रोमांचक था. अनजाने में ही मेरे अंकल जल्दी घर वापस आ गए. वे हमेशा से ही मेरे कपड़ों, पढ़ाई व मेरे दोस्तों में रुचि रखते थे.

‘‘मैं उन से प्रेरित थी. वे मुझे मेरे पिता से ज्यादा निर्देशित करते थे. कई चीजों के बारे में चर्चा करतेकरते अंकल ने मुझे अपने पास आ कर बैठने को कहा. मुझे इस में कुछ भी अटपटा नहीं लगा और मैं उन के पास जा कर बैठ गई.

बात करतेकरते वे अचानक मेरे गुप्तांगों को बेहूदे तरीके से छूने लगे. यह देख कर मैं पीछे हट गई. मुझे उन की इस हरकत से असुविधा महसूस होने लगी. मैं सही समय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाई. संयोग से मेरी मां हौल में आ गईं. मैं मौके का फायदा उठा कर अपने कमरे में भाग गई.

मेरे साथ हौल में जो कुछ हुआ वह समझने में मुझे थोड़ा वक्त लगा. वह एक ऐसी अनहोनी थी जिस ने मेरी जिंदगी अस्तव्यस्त कर दी थी.‘‘मैं ने खुद से घृणा के भाव से पूछा, ‘मेरे साथ क्यों?’ मैं अपनी मां को यह बात नहीं बता पा रही थी, क्योंकि मुझे शर्मिंदगी और घबराहट महसूस हो रही थी.

‘‘अगले दिन अंकल ने मुझे फिर पीछे से पकड़ा और शैतानों वाली हंसी हंसते हुए पूछा कि मुझे कैसा लग रहा है.‘‘मेरे कुछ जवाब न देने और घूर कर देखने पर उन्होंने मुझे धमकाया. मैं डर के साथसाथ क्रोधित भी हो गई थी. मैं उन्हें थप्पड़ मारना चाहती थी पर उन की पकड़ से छूट ही नहीं पा रही थी.

‘‘मेरी चुप्पी उन की इस हरकत को बढ़ावा दे रही थी. धीरेधीरे मैं अंकल से दूरी बना कर रहने लगी. मैं ऐसी किसी जगह नहीं जाती थी जहां वे मौजूद हों. अब उन्हें देखते ही मुझे घृणा महसूस होने लगती थी. मेरा सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा न लेना मेरे मातापिता को अनुचित लगता था.

वे मेरे इस व्यवहार का कारण पूछते थे. मैं इस उलझन में थी कि यह सब सुनने के बाद इस बारे में उन की क्या राय होगी? डर से मैं ने यह बात उन्हें न बताना ही सही समझ.‘‘मैं अब खुद को असहाय सा महसूस करने लगी हूं और सालों से सबकुछ चुपचाप सह रही हूं.

लंबे समय से वे बातें मेरे दिमाग में चलचित्र की तरह ताजी हैं. मैं अपनी मां से इस बारे में बात करना चाहती हूं पर नहीं कर पाती.‘‘जीवन में आगे चल कर मैं मर्दों के साथ रिश्ता नहीं निभा पाऊंगी. मुझे अपने दोस्तों (किसी लड़के) का साधारण तरीके से छूना भी पसंद नहीं आता.

मैं अपने बिगड़ते रिश्तों का कारण नहीं जान पा रही हूं. मैं खुद का आदर नहीं कर पाती और खुद से ही नाराज रहती हूं.’’ यह सब कहते हुए वह रोने लगी. यह सब सुन कर मीरा को बहुत दुख हुआ.

मीरा ने उस से कहा,’’ अच्छा, बुरा मत मानना, अन्याय सहना भी बहुत बड़ा अपराध है. आज अपनी इस दशा की जिम्मेदार तुम खुद हो. अगर तुम खुल कर अपनी मम्मी से इस यौनशोषण के बारे में बतातीं, तो शायद आज यह स्थिति न आती.

‘‘तुम क्यों हिचकिचाती रही? क्यों तुम ने शर्मिंदगी महसूस की. जीवन में बलि का बकरा बनने से अच्छा है कि हम खुद के लिए आवाज उठाएं. तुम आज ही अपनी मां से इस बारे में बात करो. तुम ने कोई अपराध नहीं किया है, जो तुम डरो. अगर तुम डर कर अपराधी को सजा नहीं दोगी, तो तुम उसे अपराध करने के लिए प्रेरित करोगी.

कल को कुछ भी हो सकता है.‘‘मुखरता, सहनशीलता और आक्रामकता का सही बैलेंस है. मुखर होना मतलब खुद के या दूसरों के अधिकार के लिए आराम से और सकारात्मक भाव से अपनी बात रखना होता है, न कि आक्रामक या सहनशील हो कर खड़ा होना.

मुखरता खुद में ही एक पुरस्कार की तरह है, क्योंकि यह देख कर अच्छा लगता है कि लोग आप की बातें ध्यान से सुनते हैं और परिस्थितियां भी अकसर अपने अनुसार ही चलती हैं. ‘‘मुखरता हमें अपने सोचविचार को खुल कर सामने लाने का आत्मविश्वास और ताकत देती है.

यह हम से किसी को भी गलत फायदा उठाने नहीं देती है. मुखरता एक तरह का व्यावहारिक उपचार है जो लोगों को खुद की मदद करने में सक्षम बनाता है.’’ मीरा की बातें सुन कर रिचा शायद अपनी भूल समझ गई थी.

उस ने उसी दिन अपनी मां को सारी बातें बता दीं. रिचा की मां कु्रद्ध हो गईं और उस की इस दुर्दशा को न जान पाने के लिए शर्मिंदगी महसूस करने लगी.

अब रिचा को एहसास हुआ कि जिस बात को सब के सामने आने के डर से वह हिचकिचाती थी और शर्मिंदगी महसूस करती थी, अगर चुप नहीं रहती, तो उसे इतने समय तक सबकुछ नहीं सहना पड़ता.रिचा अपने अंकल से ही नहीं, बल्कि अपनी बात समाज के सामने रखने से भी नहीं डरती.

मीरा ने उसे एक नया जीवन दिया. परिचय कराया उस का मुखरता से. उसे एक सकारात्मक आत्मछवि और जीने का विश्वास दिया. रिचा अब चुपचाप कुछ भी नहीं सहती है.

ईवनिंग स्नैक्स में बनाएं चपाती चीज पार्सल

नाश्ता चाहे शाम का हो या सुबह का एक होममेकर के लिए हमेशा ही हर रोज का यक्ष प्रश्न रहता है. रोज रोज न तो तला भुना नाश्ता किया जा सकता है और न ही उबला बिना मिर्च मसाले वाला. आहार विशेषज्ञों के अनुसार सुबह का नाश्ता बहुत अधिक पौष्टिक होना चाहिए क्योंकि रात्रि के भोजन के बाद सुबह तक काफी लम्बा समय हो जाता है और हमारे शरीर को एनर्जी प्राप्त करने के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है. आज हम आपको ऐसा ही एक नाश्ता बनाना बता रहे हैं जो बहुत हैल्दी तो है ही साथ ही इसे बनाना भी बहुत आसान है इसे आप सुबह या शाम किसी भी समय पर बना सकतीं हैं तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जा सकता है-

कितने लोगों के लिए- 6

बनने में लगने वाला समय- 20 मिनट

मील टाइप – वेज

सामग्री

1. गेहूं का आटा 1 कप

  2. नमक   1/4 टीस्पून 

 3. अजवाईन 1 चुटकी

 4. पनीर 250 ग्राम

 5. बारीक कटी शिमला मिर्च   3

 6. बारीक कटा प्याज 1

  7. बारीक कटी मिर्च  4

  8. लहसुन कटी 6 कली

  9. स्वीट कॉर्न 1 टेबलस्पून

  10. शेजवान चटनी  1 टीस्पून

   11. कश्मीरी लाल मिर्च 1/2 टीस्पून

   12. काली मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून

 13. चिली फ्लेक्स 1 चुटकी

 14. ओरेगेनो 1/4 टीस्पून

  15. नमक  1/2 टीस्पून

 16. अमचूर पाउडर  1/4 टीस्पून 

  17. बटर  1 टीस्पून

  18. बारीक कटा हरा धनिया   1 टीस्पून

विधि

पनीर को छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. गेहूं के आटे में नमक, अजवाइन डालकर पानी की सहायता से रोती जैसा आटा लगाकर चकले पर रोटी बनाकर तवे पर दोनों तरफ से हल्का सा सेंक लें. ध्यान रखें कि हमें रोटी केवल इतना सेंकना है कि आटा अपना आकार ले ले. सभी चपातियों को इसी प्रकार सेककर केसरोल में रख लें. अब एक पैन में आधा चम्मच बटर डालकर प्याज, शिमला मिर्च, लहसुन और स्वीट कॉर्न डालकर 3-4 मिनट तक भूनें. अब इसमें शेजवान चटनी, कटा पनीर और सभी मसाले डालकर अच्छी तरह चलायें. जब पानी एकदम सूख जाये तो गैस बंद कर दें. हरा धनिया डालकर मिश्रण को ठंडा होने दें.

अब आधा कटोरी पानी में 1 टीस्पून गेहूं का आटा अच्छी तरह मिलाकर एक स्लरी तैयार कर लें. अब एक चपाती को फैलाकर उस पर बटर लगायें और किनारों पर ब्रश से तैयर स्लरी लगायें चपाती के बीच में एक टेबलस्पून मिश्रण रखकर इसे एक पार्सल की तरह फोल्ड करके हाथ से दबा दें ताकि अतिरिक्त हवा निकल जाये. इसी प्रकार सारे पार्सल तैयार कर लें. अब एक नानस्टिक पैन में 1 टेबलस्पून तेल डालकर पार्सल को मध्यम आंच पर उलटते पलटते हुए सुनहरा होने तक सेंक लें. बटर पेपर पर निकालकर बीच से काटकर सर्व करें.

गोल्ड लोन की बारीकियां

भारतीय परिवारों में सोने व इस के बने आभूषणों के प्रति दीवानगी शुरू से ही रही है. सोने के आभूषण जहां महिलाओं की पहली चाहत होती हैं, वहीं सोने में निवेश करना भी एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है. सोना किसी विषम परिस्थिति में परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम है. शायद यही वजह है कि लोग ऐसी किसी स्थिति में किसी दोस्त, रिश्तेदार आदि से उधार मांगने से बेहतर गोल्ड लोन को तरजीह दे रहे हैं. दरअसल, गोल्ड के बदले लोन लेने की प्रक्रिया सरल है और इस में बैंकों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ते.

गोल्ड लोन की जरूरत

घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने, व्यवसाय में पैसा लगाने, किसी दुर्घटना अथवा अन्य विषम परिस्थितियों में जब पैसे की सख्त जरूरत हो और कोई आसान रास्ता नहीं हो तो लोग उस वक्त गोल्ड लोन लेते हैं. मगर इस के लिए जरूरी है कि घर में पर्याप्त गोल्ड मौजूद हो.कर्ज चाहे जैसा भी हो, होता तो एक बोझ ही. लेकिन अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े, इसलिए लोग गोल्ड लोन को तरजीह देते हैं.

लोन की प्री पेमैंट

लोन की प्री पेमैंट अधिकांश मामलों में यों तो अच्छी मानी जाती है, मगर जानकारों का मानना है कि अगर प्री पेमैंट की तुलना में उसी राशि से कुछ अधिक अर्जित किया जाए, तो प्री पेमैंट की तुलना में उस का निवेश बेहतर माना जाएगा.मासिक किस्तों (ईएमआई) के बो?ा तले न दबेंगोल्ड लोन हो अथवा अन्य कोई लोन, अपनी मासिक आमदनी को ध्यान में रखते हुए ही लोन लें ताकि आप को उस मासिक किस्त भरने में आसानी हो. कहीं ऐसा न हो कि आप की आमदनी का अधिकांश भाग मासिक किस्त चुकाने में ही चला जाए और आप और अधिक कर्ज में डूबते जाएं.

कहां से लें लोन

हाल के दिनों में गोल्ड लोन के कारोबार में उतरी कंपनियां खासी तरक्की कर रही हैं. अभी भारतीय बाजार में 3 तरह की मुख्य कंपनियां हैं, जो गोल्ड लोन दे रही हैं. पहली, बैंक जो 60 से 65% तक लोन देते हैं. दूसरी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जो 70 से 75% तक लोन देती हैं और तीसरी कुछ ब्रोकर के द्वारा 100% तक लोन मिलता है.

सभी बड़े बैंक भी गोल्ड रख कर कर्ज देते हैं. इंडियन बैंक, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा, सैंट्रल बैंक, यूनियन बैंक, स्टेट बैंक सभी गोल्ड लोन देते हैं और 7 से 9% के ब्याज पर कर्ज देते हैं. लेकिन गोल्ड लोन लेने से पहले जरूरी है कि उस की इन बारीकियों को अच्छी तरह समझ लें:

  •  गोल्ड लोन अन्य लोन की तरह नहीं होता. गोल्ड लोन चुकाने की अवधि कम होती है. आमतौर पर 1 महीने से 1 साल तक समय पर अदा नहीं करने पर जुरमाना भरना पड़ सकता है.द्य अकसर ऐसी कंपनियां, जो गोल्ड के बदले लोन की राशि अधिक देती हैं, वे भारी ब्याज वसूल करती हैं.
  •  1 दिन का विलंब भी ब्याज की दरों में बदलाव ला सकता है. मान लिया जाए कि 24% ब्याज दर पर लोन की किस्त यदि निर्धारित तिथि पर नहीं जमा की जाए तो ब्याज दर 25% हो सकती है.
  •  गोल्ड लोन समय पर अदा नहीं करने पर 5% से 30% तक ब्याज दर वसूला जा सकता है.
  •  उधार चुकाने का समय कब तक है, यह अवश्य जान लें.द्य समय की अवधि खत्म होने पर सोना वापस नहीं मिल पाता. इस के लिए सोने को फिर से गिरवी रखना होगा. इसलिए यह जरूरी है कि आप समय पर लोन चुका दें.
  •  गोल्ड लोन का उधार चुकाने के लिए बैंककर्मी कभीकभी याद दिलाते हैं अथवा पत्र के माध्यम से सूचित करते हैं. ऐसे में यह जरूरी होगा कि आप फौर्म भरते समय सहीसही पता व फोन नंबर लिखें.
  •  फौर्म भरते समय नियम व शर्तों को तसल्लीपूर्वक पढ़ लें. अन्य जानकारी के लिए लोन प्रदाता कंपनी के कर्मचारियों से खुल कर बात करें.

कैसे मिलता है लोन

आप के पास पर्याप्त गोल्ड हो क्योंकि इसी के मार्केट वैल्यू के आधार पर लोन मिलता है. सोने की शुद्धता (कैरेट) कितनी है, यह भी देखा जाता है. गोल्ड लोन प्रदाता कंपनी आप से गोल्ड के अलावा अन्य जरूरी कागजातों मसलन, पहचानपत्र और ऐड्रैस प्रूफ के साथसाथ आप के फोटो (पासपोर्ट) की भी डिमांड करेगी, इसलिए इन्हें साथ ले जाना न भूलें.सर्तकता है जरूरीबाजार में ऐसे कई नकली संस्थान, स्थानीय दुकानदार जो गोल्ड के बदले 100% लोन देने की पेशकश करते हैं, उन से सतर्क रहें.

बाजार में ये कुछ नकली संस्थान असंगठित तरीके से सोने के बदले कर्ज देते हैं, जिस में धोखाधड़ी की गुंजाइश रहती है. आप बैंक या अन्य बड़े वित्तीय संस्थानों से ही गोल्ड लोन लें ताकि आप का सोना सुरक्षित रहे.नकली या खोटा सोना रख कर कर्ज लेने वाले धोखेबाज भी मार्केट में सक्रिय हैं जिन की वजह से बैंकों को कर्ज देते समय काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है. अगर कर्ज समय पर न चुकाया जाए तो गोल्ड की नीलामी कर दी जाती है.

फिल्मों में बदलते प्यार के अंदाज

कहते हैं फिल्में समाज का आईना हैं. इन में वही दिखाया जाता है, जो समाज में हो रहा होता है. फिर चाहे वह प्यार हो, तकरार हो, अपराध हो अथवा आज के समय में फिल्मों में दिखाया जाने वाला बदलता हुआ प्यार ही क्यों न हो. एक समय था जब प्यार का मतलब लैलामजनूं, हीररांझा और सोनीमहिवाल की प्रेम कहानी हुआ करती थी, लेकिन उस के बाद समय बदला, सोच बदली, तो ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे,’ ‘कुछकुछ होता है,’ ‘हम आप के हैं कौन,’ ‘मैं ने प्यार किया,’ जैसी फिल्मों का दौर आया, जिस में प्यार के अंदाज अलग थे, शादी के माने भी काफी अलग थे, लेकिन एक बात कौमन थी कि लड़कियां प्यार के मामले में शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, रितिक रोशन जैसे प्रेमी की कल्पना करती थीं. वे अपने पति में भी शाहरुख जैसे प्यार करने वाले प्रेमी को देखती थीं.

फिर जैसेजैसे वक्त बदला, लोगों की सोच बदली वैसेवैसे शादी और प्यार को ले कर भी लोगों का नजरिया बदलने लगा.जैसाकि कहते हैं ‘यह इश्क नहीं आसान बस इतना समझ लीजिए एक आग का दरिया है और डूब के जाना है…’ ऐसा ही कुछ आजकल मुहब्बत का पाठ पढ़ाने वाली फिल्मों में अलग तरीके से देखने को मिल रहा है. आज के प्रेमीप्रेमिका या पतिपत्नी प्यार में अंधे नहीं हैं, बल्कि वे अपने प्रेमी और उस के साथ गुजारे जाने वाले जीवन को ले कर पूरी तरह से आजाद खयाल रखते हैं.

आज के प्रेमी झूठ में जीने के बजाय प्यार के साथ सच को कबूलने में विश्वास रखते हैं.मगर इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आज के समय में प्यार मर गया है या लोगों का प्यार पर विश्वास नहीं रहा बल्कि आज भी लोगों में अपने प्रेमी या पति के लिए उतना ही प्यार है जितना कि लैलामजनूं के समय में था. लेकिन फर्क बस इतना है कि आज लोग प्यार और शादी के मामले में प्रैक्टिकल हो गए हैं क्योंकि जिंदगीभर का साथ है इसलिए दिखावा तो बिलकुल मंजूर नहीं है.

प्यार वही सोच अलगप्यार वही है बस सोच अलग है, जो आज की रोमांटिक फिल्मों में भी दिखाई दे रहा है. पेश है इसी सिलसिले पर एक नजर हालिया प्रदर्शित फिल्मों में दिखे प्यार के बदलते अंदाज के.हाल ही में प्रदर्शित करण जौहर की आलिया भट्ट और रणवीर सिंह द्वारा अभिनीत फिल्म ‘रौकी रानी की प्रेम कहानी’ में ऐसे 2 किरदारों को दिखाया है. आलिया भट्ट और रणवीर सिंह जिन के बीच प्यार हो जाता है, लेकिन दोनों ही एकदूसरे से एकदम विपरीत हैं, सिर्फ ये दोनों ही नहीं बल्कि इन के परिवार भी स्वभाव से एकदम विपरीत होते हैं.

लेकिन चूंकि ये दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं इसलिए परिवार से और अपनेआप से 3 महीने का समय मांगते हैं. इस के तहत ये दोनों प्रेमी तभी शादी करेंगे जब दोनों ही एकदूसरे के परिवार के बीच अपना सम्मान और प्यार बना पाएंगे. कहानी दिलचस्प और अलग भी है इसलिए दर्शकों ने इसे स्वीकारा.जरूरी है एकदूसरे का साथइसी तरह वरुण धवन और जाह्नवी कपूर द्वारा अभिनीत फिल्म ‘बवाल’ एक ऐसी पतिपत्नी की कहानी है जहां पति अपनी पत्नी को इसलिए स्वीकार नहीं करता क्योंकि उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं.

पत्नी को शादी के दिन ही मिर्गी का दौरा पड़ जाता है इसलिए बवाल में पति बना वरुण धवन अपनी पत्नी को स्वीकारने से मना कर देता है और उस से दूरी बना लेता है. लेकिन पत्नी हार मानने के बजाय पति के सामने यह साबित करने में कामयाब होती है कि भले ही उसे मिर्गी के दौरे आते हैं, लेकिन हर मामले में वह अपने पति से कहीं ज्यादा होशियार है. वह पति से नाराजगी दिखाने के बजाय अपनी काबिलीयत दिखा कर पति के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाती है.

इसी तरह ‘जरा हट के जरा बच के’ फिल्म की कहानी भी एक ऐसे ही पतिपत्नी की कहानी है जो प्यार में पड़ कर शादी तो कर लेते हैं, लेकिन खुद का मकान न होने की वजह से दुखी हो जाते हैं और मकान पाने की जुगाड़ में पतिपत्नी अपनी शादी को भी ताक पर रख देते हैं. लेकिन बाद में उन्हें एहसास होता है कि मकान से भी ज्यादा जरूरी उन के लिए एकदूसरे का साथ है. लिहाजा अपनी गलती सुधार कर एक हो जाते हैं.

एक अनोखी कहानी

हाल ही में प्रदर्शित रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘तू ?ाठी मैं मक्कार’ की कहानी ऐसे 2 प्रेमियों की कहानी है जो आपस में प्यार तो बहुत करते हैं लेकिन प्रेमिका संयुक्त परिवार का हिस्सा नहीं बनना चाहती क्योंकि उस का मानना है कि जौइंट फैमिली में रहने से घर वालों की बहुत ज्यादा दखलंदाजी से पतिपत्नी की प्राइवेसी खत्म हो जाती है. लेकिन बाद में अपनी ससुराल वालों का प्यार देख कर प्रेमिका की सोच बदल जाती है और वह शादी के लिए मान जाती है.

इसी तरह शराबी प्रेमी पर आधारित फिल्में अमिताभ बच्चन की ‘शराबी,’ शाहिद कपूर की ‘कबीर सिंह,’ आदित्य राय कपूर की ‘आशिकी-2’ में ऐसे प्रेमियों को दिखाया गया जो अपनी प्रेमिका से प्यार तो बहुत करते हैं परंतु शराब नहीं छोड़ना चाहते, जिस वजह से काफी मुश्किलों के बाद उन्हें अपना प्यार मिलता है.

प्यार के लिए त्याग

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ की कहानी भी एक ऐसी प्यार करने वाली गंगुबाई यानी आलिया भट्ट की कहानी है जो यह बात अच्छी तरह जानती है कि कोई भी प्रेमी वैश्या से प्यार तो कर सकता है परंतु समाज उस प्रेमी को जो वैश्या को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार लेगा समाज चैन से जीने नहीं देगा और बहुत ज्यादा तकलीफ देगा.

लिहाजा, गंगूबाई अपने प्रेमी को समाज में सम्मानीय बनाए रखने के चक्कर में अपने प्यार का बलिदान दे देती है और अपने प्रेमी की शादी खुद किसी और से करवा देती है.हाल ही में प्रदर्शित ‘गदर-2’ की कहानी भी एक ऐसे प्रेमीप्रेमिका की कहानी है जिस में प्रेमिका अपने प्यार के लिए पाकिस्तान से हिंदुस्तान आ जाती है और हिंदुस्तान में ही अपना परिवार बसाती है. इस से यही निष्कर्ष निकलता है कि आज के हालात के चलते प्यार करने का अंदाज भले ही बदल गया हो परंतु प्यार वही है जो आज से 100 साल पहले था. बस इस का स्वरूप बदल गया है.

 

आधुनिक महिलाओं में बांझपन की बीमारी का कारण और निदान

महिलाओं के जीवन में मां बनना सबसे बड़ा सुख माना जाता है लेकिन आजकल की आधुनिक जीवनशैली और अन्‍य कारणों की वजह से अब महिलाओं में बांझपन यानि इनफर्टिलिटी की समस्‍या बढ़ रही है. अगर आप भी बांझपन का शिकार हैं या इससे बचना चाहती हैं तो आइए जानते हैं औनलाइन हेल्थकेयर कंपनी myUpchar से इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में.

क्‍या होता है बांझपन

बांझपन वह स्थिति है जिसमें महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. अगर कोई महिला प्रयास करने के बाद भी 12 महीने से अधिक समय तक गर्भधारण नहीं कर पाती है तो इसका मतलब है कि वो महिला बांझपन का शिकार है. गौरतलब है कि गर्भधारण न हो पाने का कारण पुरुष बांझपन भी हो सकता है.

कुछ महिलाएं शादी के बाद कभी कंसीव नहीं कर पाती हैं तो कुछ स्त्रियों को एक शिशु को जन्‍म देने के बाद दूसरी बार गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं. इस तरह बांझपन दो प्रकार का होता है.

क्‍या है बांझपन का कारण

  • फैलोपियन ट्यूब अंडे को अंडाशय से गर्भाशय तक पहुंचाती है, जहां भ्रूण का विकास होता है. पेल्विक में संक्रमण या सर्जरी के कारण फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंच सकता है जिससे शुक्राणुओं को अंडों तक पहुंचने में दिक्‍कत आती है और इसी वजह से महिलाओं में बांझपन उत्‍पन्‍न होता है.
  • महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होने के कारण भी इनफर्टिलिटी हो सकती है. शरीर में सामान्‍य हार्मोनल परिवर्तन ना हो पाने की स्थिति में अंडाशय से अंडे नहीं निकल पाते हैं.
  • गर्भाशय की असामान्य संरचना, पौलिप्स या फाइब्रौएड के कारणबांझपन हो सकता है.
  • तनाव भी महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण है.
  • महिलाओं की ओवरी 40 वर्ष की आयु के बाद काम करना बंद कर देती है. अगर इस उम्र से पहले किसी महिला की ओवरी काम करना बंद कर देती है तो इसकी वजह कोई बीमारी, सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन हो सकती है.
  • पीसीओएस की बीमारी के कारण भी आज अधिकतर महिलाएं बांझपन का शिकार हो रही हैं. इस बीमारी में फैलोपियन ट्यूब में सिस्‍ट बन जाते हैं जिसके कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं.

बांझपन के लक्षण

  • myUpchar की गायनेकोलौजिस्ट डा. अर्चना नरूला के अनुसार लम्बे समय तक गर्भधारण में असमर्थता ही बांझपन का सबसे मुख्‍य लक्षण है.
  • अगर किसी महिला का मासिक धर्म 35 दिन या इससे ज्‍यादा दिन का हो तो ये बांझपन का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा बहुत कम दिनों की माहवारी या 21 दिन से पहले माहवारी का आना अनियमित माहवारी कहलाता है जोकि बांझपन बन सकता है.
  • चेहरे पर अनचाहे बाल आना या सिर के बालों का झड़ना भी महिलाओं में इनफर्टिलिटी की वजह से हो सकता है.

बांझपन से कैसे बचें

बांझपन से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार करना सबसे जरूरी है. यहां कुछ ऐसे सरल सुझाव दिए गए हैं जिन्हें अपनाकर इनफर्टिलिटी से बच सकते हैं.

संतुलित आहार खाएं

  • बांझपन को दूर करने के लिए उचित भोजन करना बहुत जरूरी है. अपने आहार में जस्ता, नाइट्रिक औक्साइड और विटामिन सी और विटामिनई जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें.
  • ताजी फल-सब्जियां खाएं. शतावरी और ब्रोकली से फर्टिलिटी बढ़ती है. इसके अलावा बादाम, खजूर, अंजीर जैसे सूखे-मेवे खाएं.
  • आपको रोज़ कम से कम 5-6 खजूर या किशमिश खानी चाहिए. डेयरी उत्पाद, लहसुन, दालचीनी, इलायची को अपने आहार में शामिल करें.
  • सूरजमुखी के बीज खाएं. चकोतरा और संतरे का ताजा रस पीएं. फुल फैट योगर्ट और आइस्‍क्रमी से भी फर्टिलिटी पावर बढ़ती है.
  • जो महिलाएं अपनी फर्टिलिटी पावर को बढ़ाना चाहती हैं उन्‍हें अपने आहार में टमाटर, दालें, बींस और एवोकैडो को शामिल करना चाहिए.
  • अनार में फोलिक एसिड और विटामिन बी प्रचुर मात्रा में होता है. फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए महिलाओं को अनार का सेवन जरूर करना चाहिए.
  • विटामिन डी के लिए अंडे खाएं और ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्‍त खाद्य पदार्थों का सेवन करें. कंसीव करने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए रोज़ एक केला खाएं.
  • अश्‍वगंधा शरीर में हार्मोंस के संतुलन को बनाए रखता है और प्रजनन अंगों की समुचित कार्यक्षमता को बढ़ावा देती है. बार-बार गर्भपात होने के कारण शिथिल गर्भाशय को समुचित आकार देकर उसे बनाने में अश्‍वगंधा मदद करता है. महिलाओं को अपने आहार में दालचीनी को भी जरूर शामिल करना चाहिए.

इन खाद्य पदार्थों से रहें दूर

  • धूम्रपान और शराब बांझपन का प्रमुख कारण हैं इसलिए इनसे दूर रहें.
  • तैलीय भोजन और सफेद ब्रैड जैसे परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से बचें.
  • प्रिजर्वेटिव्स फूड, कैफीन और मांस का सेवन कम करें. फ्रेंच फ्राइज, तली हुई और मीठी चीजों का बहुत कम सेवन करें.
  • इसके अलावा कोल्‍ड ड्रिंक आदि भी ना पीएं. कौफी और चाय भी कम पीएं क्‍योंकि इनमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है जिसका फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है.

ये आदतें छोड़ दें

  • मासिक धर्म के दिनों में तैलीय और मसालेदार भोजन ना लें.
  • मारिजुआना या कोकीन का सेवन ना करें.
  • धूम्रपान करने से ओवरी की उम्र और अंडों की आपूर्ति कम हो जाती है. धूम्रपान फैलोपियन ट्यूब और सर्विक्‍स को भी नुकसान पहुंचाता है जिससे एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी या गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए सिगरेट बिलकुल ना पीएं.
  • शराब का सेवन ना करें. गर्भधारण से पूर्व शराब का सेवन करने वाली महिलाओं में औव्‍यूलेशन विकार हो सकता है इसलिए शराब से दूर रहें.
  • अगर आपका वजन बहुत ज्‍यादा या कम है तो उसे भी संतुलित करें. इनफर्टिलिटी से जूझ रही महिलाओं को अपना वजन संतुलित रखना चाहिए.
  • आधुनिक युग में बांझपन का प्रमुख कारण तनाव है. तनाव से दूर रहकर बांझपन की समस्‍या से बचा जा सकता है. मानसिक शांति पाने के लिए रोज़ सुबह प्राणायाम करें.

बांझपन की जांच

अगर कोई महिला लंबे समय से गर्भधारण नहीं कर पा रही है तो उसे डौक्टर के निर्देश पर निम्‍न जांच करवानी चाहिए:

  • ओव्यूलेशनटेस्ट: इसमें किट से घर पर ही ओव्यूलेशन परीक्षण कर सकती हैं.
  • हार्मोनल टेस्‍ट: ल्‍युटनाइलिंग हार्मोन और प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन की जांच से भी बांझपन का पता लग सकता है. ल्युटनाइज़िंगहार्मोन का स्तर ओव्यूलेशन से पहले बढ़ता है जबकि प्रोजेस्टेरोन हार्मोन ओव्यूलेशन के बाद उत्पादित हार्मोन होता है. इन दोनों हार्मोंस के टेस्‍ट से ये पता चलता है कि ओव्यूलेशन हो रहा है या नहीं.  इसके अलावा प्रोलैक्टिन हार्मोन के स्तर की भी जांच की जाती है.
  • हिस्टेरोसल पिंगोग्राफी: ये एक एक्स-रे परीक्षण है. इससे गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और उनके आस-पास का हिस्‍सा देखा जा सकता है. एक्‍स-रे रिपोर्ट मेंगर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब को लगी कोई चोट या असामान्‍यता को देखा जा सकता है. इसमें अंडे की फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय तक जाने की रूकावट भी देख सकते हैं.
  • ओवेरियन रिज़र्वटेस्ट: ओव्यूलेशन के लिए उपलब्ध अंडे की गुणवत्ता और मात्रा को जांचने में मदद करता है. जिन महिलाओं में अंडे कम होने का जोखिम होता है, जैसे कि 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं, उनके लिए रक्त और इमेजिंग टेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • थायरौयड और पिट्यूटरी हार्मोन की जांच: इसके अलावा प्रजनन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने वाले ओव्यूलेटरीहार्मोन्स के स्तर के साथ-साथ थायरौयड और पिट्यूटरी हार्मोन  की जांच भी की जाती है.
  • इमेजिंग टेस्ट: इसमें पेल्विक अल्ट्रासाउंड होता है जोकि गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में हुए किसी रोग की जांच करने के लिए किया जा सकता है.

बांझपन का इलाज

चूंकि बांझपन एक जटिल विकार है इसलिए डा. नरूला कहती हैं कि, “इनफर्टिलिटी का इलाज इसके होने के कारण, आयु, यह समस्या कितने समय से है और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है. बांझपन के इलाज में वित्तीय, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति महत्‍व रखती है.”

आइए जानें आपके पास क्या विकल्प हैं इनफर्टिलिटी को दूर करने के लिए:

  • दवाएं: ओव्यूलेशन विकार के कारण गर्भधारण ना हो पाने की स्थिति में दवाओं से इलाज किया जाता है. ये दवाएं प्राकृतिक हार्मोन फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) की तरह काम करती हैं.इन दवाओं से ओव्यूलेशन को ट्रिगर किया जाता है.
  • आधुनिक तकनीक: प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए गए तरीकों में शामिल हैं –
    • इन्ट्रायूट्राइन गर्भाधान (आईयूआई) – आईयूआई के दौरान, लाखों स्वस्थ शुक्राणुओं को गर्भाशय के अंदर ओव्यूलेशन के समय रखा जाता है.
    • आईवीएफ – इस प्रक्रिया में अंडे की कोशिकाओं को महिला के गर्भ से बाहर निकालकर उसे पुरुष के स्‍पर्म के साथ निषेचित किया जाता है. ये पूरी प्रक्रिया इनक्‍यूबेटर के अंदर होती है और इस पूरी प्रक्रिया में लगभग तीन दिन का समय लगता है. भ्रूण के पर्याप्‍त विकास के बाद इसे वापिस महिला के गर्भ में पहुंचा दिया जाता है. इस प्रक्रिया के 12 से 15 दिनों तक महिला को आराम करने की सलाह दी जाती है.
  • सर्जरी: कई सर्जिकल प्रक्रियाएं बांझपन को ठीक यामहिला प्रजनन क्षमता में सुधार ला सकती हैं. हालांकि, बांझपन के इलाज में अब ऊपर बताई गयी नई पद्धतियां आ चुकी हैं जिनके कारण सर्जरी बहुत ही कम की जाती है. गर्भधारण की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए लैप्रोस्कोपिक या हिस्ट्रोस्कोपी सर्जरी की जा सकती है. इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध होने पर ट्यूबल सर्जरी भी की जा सकती है.

मां बनना इस दुनिया का सबसे बड़ा सुख है. अगर आप भी मातृत्‍व सुख पाना चाहती हैं तो स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाएं.

फिर वही शून्य- भाग 2 : क्या शादी के बाद पहले प्यार को भुला पाई सौम्या

हमारे प्यार को परिवार वालों की सहमति मिल गई और तय हुआ कि मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद हमारा विवाह किया जाएगा.

समर की छुट्टियां खत्म होने को थीं. उस के वापस जाने से पहले जो लम्हे मैं ने उस के साथ गुजारे वे मेरे जीवन की अमूल्य निधि हैं. उस का शालीन व्यवहार, मेरे प्रति उस की संवेदनशीलता और प्रेम के वे कोमल क्षण मुझे भावविह्वल कर देते. उस के साथ अपने भविष्य की कल्पनाएं एक सुखद अनुभूति देतीं.

मगर इनसान जैसा सोचता है वैसा हो कहां पाता है? पड़ोसी देश के अचानक आक्रमण करने की वजह से सीमा पर युद्ध के हालात उत्पन्न हो गए. एक फौजी के परिवार को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, इस का अंदाजा मुझे उस वक्त ही हुआ. टीवी पर युद्ध के हृदयविदारक दृश्य और फौजियों की निर्जीव देहें, उन के परिजनों का करुण रुदन देख कर मैं विचलित हो जाती. मन तरहतरह की आशंकाआें से घिरा रहता. सारा वक्त समर की कुशलता की प्रार्थना करते ही बीतता.

ऐसे में मैं एक दिन वीरां के साथ बैठी थी कि समर की बटालियन से फोन आया. समर को लापता कर दिया गया था. माना जा रहा था कि उसे दुश्मन देश के सैनिकों ने बंदी बना लिया था.

कुछ देर के लिए तो हम सब जड़ रह गए. फिर मन की पीड़ा आंखों के रास्ते आंसू बन कर बह निकली. वहां समर न जाने कितनी यातनाएं झेल रहा था और यहां…खुद को कितना बेबस और लाचार महसूस कर रहे थे हम.

युद्ध की समाप्ति पर दुश्मन देश ने अपने पास युद्धबंदी होने की बात पर साफ इनकार कर दिया. हमारी कोई कोशिश काम न आई. हम जहां भी मदद की गुहार लगाते, हमें आश्वासनों के अलावा कुछ न मिलता. उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी.

वक्त गुजरता गया. इतना सब होने के बाद भी जिंदगी रुकी नहीं. वाकई यह बड़ी निर्मोही होती है. जीवन तो पुराने ढर्रे पर लौट आया लेकिन मेरा मन मर चुका था. वीरां और मैं अब भी साथ ही कालिज जाते, मगर समर अपने साथ हमारी हंसीखुशी सब ले गया. बस जीना था…तो सांस ले रहे थे, ऐसे ही…निरुद्देश्य. जीवन बस, एक शून्य भर रह गया था.

फिर हम दोनों ने साथ ही बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का कोर्स भी कर लिया. तब एक दिन मम्मी ने मुझे अनिरुद्ध की तसवीर दिखाई.

‘मैं जानती हूं कि तुम समर को भुला नहीं पाई हो, लेकिन बेटा, ऐसे कब तक चलेगा? तुम्हें आगे के बारे में सोचना ही पडे़गा. इसे देखो, मातापिता सूरत में रहते हैं और खुद अमेरिका में साफ्टवेयर इंजीनियर है. इतना अच्छा रिश्ता बारबार नहीं मिलता. अगर तुम कहो तो बात आगे बढ़ाएं,’  वह मुझे समझाने के स्वर में बोलीं.

उन की बात सुन कर मैं तड़प उठी, ‘आप कैसी बातें कर रही हैं, मम्मी? मैं समर के अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती. आप एक औरत हैं, कम से कम आप तो मेरी मनोदशा समझें.’

‘तो क्या जिंदगी भर कुंआरी  रहोगी?’

‘हां,’ अब मेरा स्वर तल्ख होने लगा था, ‘और आप क्यों परेशान होती हैं? आप लोगों को मेरा बोझ नहीं उठाना पडे़गा. जल्दी ही मैं कोई नौकरी ढूंढ़ लूंगी. फिर तो आप निश्ंिचत रहेंगी न…’

‘पागल हो गई हो क्या? हम ने कब तुम्हें बोझ कहा, लेकिन हम कब तक रहेंगे? इस समाज में आज के दौर में एक अकेली औरत का जीना आसान नहीं है. उसे न जाने कितने कटाक्षों और दूषित निगाहों का सामना करना पड़ता है. कैसे जी पाओगी तुम? समझ क्यों नहीं रही हो तुम?’ मम्मी परेशान हो उठीं.

मगर मैं भी अपनी जिद पर अड़ी रही, ‘मैं कुछ समझना नहीं चाहती. मैं बस, इतना जानती हूं कि मैं सिर्फ समर से प्यार करती हूं.’

‘और समर का कुछ पता नहीं. वह जिंदा भी है या…कुछ पता नहीं,’ वीरां की धीमी आवाज सुन कर हम दोनों चौंक पड़ीं. वह न जाने कब से खड़ी हमारी बातें सुन रही थी, लेकिन हमें पता ही न चला था. मम्मी कुछ झेंप कर रह गईं लेकिन उस ने उन्हें ‘मैं बात करती हूं’ कह कर दिलासा दिया और वह हम दोनों को अकेला छोड़ कर वहां से चली गईं.

‘वीरां, तू कुछ तो सोचसमझ कर बोला कर. तू भूल रही है कि जिस के बारे में तू यह सब बातें कर रही है, वह तेरा ही भाई है.’

‘जानती हूं, लेकिन हकीकत से भी तो मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. हमारी जो जिम्मेदारियां हैं, उन्हें भी तो पूरा करना हमारा ही फर्ज है. तुम्हें शायद भाई के लौटने की आस है, लेकिन जब 1971 के युद्धबंदी अब तक नहीं लौटे, तो हम किस आधार पर उम्मीद लगाएं.’

‘लेकिन…’

‘लेकिन के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, सौम्या. तुम अपने मातापिता की इकलौती संतान हो. तुम चाहती हो कि वे जीवनभर तुम्हारे दुख में घुलते रहें? क्या तुम्हारा उन के प्रति कोई फर्ज नहीं है?’

‘लेकिन मेरा भी तो सोचो, समर के अलावा मैं किसी और से कैसे शादी कर सकती हूं?’

‘अपनी जिम्मेदारियों को सामने रखोगी तो फैसला लेना आसान हो जाएगा,’ उस दिन हम दोनों सहेलियां आपस में लिपट कर खूब रोईं.

फिर मैं अनिरुद्ध से विवाह कर के न्यू जर्सी आ गई, मगर मैं समर को एक दिन के लिए भी नहीं भूल पाई. हालांकि मैं ने अनिरुद्ध को कभी भी शिकायत का मौका नहीं दिया, अपने हर कर्तव्य का निर्वहन भली प्रकार से किया, पर मेरे मन में उस के लिए प्रेम पनप न सका. मेरे मनमंदिर में तो समर बसा था, अनिरुद्ध को कहां जगह देती.

यही बात मुश्किल भी खड़ी करती. मैं कभी मन से अनिरुद्ध की पत्नी न बन पाई. उस के सामने जब अपना तन समर्पित करती, तब मन समर की कल्पना करता. खुद पर ग्लानि होती मुझे. लगता अनिरुद्ध को धोखा दे रही हूं. आखिर उस की तो कोेई गलती नहीं थी. फिर क्यों उसे अपने हिस्से के प्यार से वंचित रहना पडे़़? अब वही तो मेरे जीवन का सच था. मगर खुद को लाख समझाने पर भी मैं समर को दिल से नहीं निकाल पाई. शायद एक औरत जब प्यार करती है तो बहुत शिद्दत से करती है.

अलार्म की आवाज ने विचारों की शृंखला को तोड़ दिया. सारी रात सोचतेसोचते ही बीत गई थी. एक ठंडी सांस ले कर मैं उठ खड़ी हुई.

फिर 1 साल बाद ही भारत आना हुआ. इस बीच वीरां का विवाह भी हो चुका था. जब इस बात का पता चला तो मन में एक टीस सी उठी थी.

‘‘तुम्हारी पसंद का मूंग की दाल का हलवा बनाया है, वहां तो क्या खाती होगी तुम यह सब,’’ मम्मी मेरे आने से बहुत उत्साहित थीं.

‘‘वीरां कैसी है, मम्मी? वह अपने ससुराल में ठीक तो है न?’’

‘‘हां, वह भी आई है अभी मायके.’’

‘‘अच्छा, तो मैं जाऊंगी उस से मिलने,’’ मैं ने खुश हो कर कहा.

इस पर मम्मी कुछ खामोश हो गईं. फिर धीरे से बोलीं, ‘‘हम ने तुम से एक बात छिपाई थी. वीरां की शादी के कुछ दिन पहले ही समर रिहा किया गया था. उस का एक पांव बेकार हो चुका है. बैसाखियों के सहारे ही चल पाता है. अभी महीना भर पहले ही उस का भी विवाह हुआ है. तुम वहां जाओगी तो जाहिर है, अत्यंत असहज महसूस करोगी. बेहतर होगा किसी दिन वीरां को यहीं बुला लेना.’’

इन 5 चीजों से अब घर पर ही बनाएं ब्लीचिंग क्रीम

बेजान त्वचा को निखारने के लिए बहुत से लोग ब्लीच कराते हैं. ब्लीच कराने से एक ओर जहां डेड स्किन साफ हो जाती है वहीं फेशियल हेयर भी हल्के पड़ जाते हैं. जिससे रंग साफ हो जाता है. लेकिन ब्लीच करना या कराना खतरनाक भी हो सकता है. कई लोगों की स्क‍िन इतनी ज्यादा सेंसिटिव होती है कि ब्लीच के इस्तेमाल से उनके चेहरे पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं. या फिर त्वचा झुलस जाती है. ऐसे में आप चाहें तो नेचुरल ब्लीच का इस्तेमाल कर सकते हैं.

नेचुरल ब्लीच तुरंत तो कारगर नहीं होते हैं लेकिन कुछ बार के इस्तेमाल से आपको फर्क साफ नजर आने लगेगा. बाजार में ब्लीचिंग क्रीम की हजारों वेरायटी मौजूद हैं लेकिन कौन सा प्रोडक्ट आपके लिए सही होगा ये बता पाना मुश्क‍िल है. इनमें कई प्रकार के केमिकल होते हैं जो स्क‍िन को डैमेज कर सकते हैं.

ऐसे में इन नेचुरल ब्लीच का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा और वो भी बिना किसी डैमेज के….

1. टमाटर

टमाटर एक बेहतरीन ब्यूटी प्रोडक्ट है. एक पके हुए टमाटर का रस निकाल लें. अब इस रस को पूरे चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें. उसके बाद चेहरे को सादे पानी से धो लें. इस उपाय को हर रोज करें.

2. दही

दही में मौजूद लैक्ट‍िक एसिड त्वचा की रंगत निखारने का काम करता है. चेहरे पर दही लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें. इसके बाद चेहरे को सामान्य पानी से धो लीजिए.

3. नींबू

नींबू को नेचुरल ब्लीच के तौर पर जाना जाता है. इसमें ब्लीचिंग एजेंट होते हैं. सोने से पहले चेहरे पर नींबू का रस लगाकर सोएं.

4. आलू

आलू के रस को चेहरे पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें. उसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें. इस प्रक्रिया को सप्ताह में एक बार करें.

5. पपीता

पपीता भी एक नेचुरल ब्लीच है. पपीते के रस को चेहरे पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दीजिए और उसके बाद हल्के गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.

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