Hindi Moral Tales : यह दोस्ती हम नहीं झेलेंगे

Hindi Moral Tales :  रात को 8 से ऊपर का समय था. मेरे खास दोस्त रामहर्षजी की ड्यूटी समाप्त हो रही थी. रामहर्षजी पुलिस विभाग के अधिकारी हैं. डीवाईएसपी हैं. वे 4 सिपाहियों के साथ अपनी पुलिस जीप में बैठने को ही थे कि बगल से मैं निकला. मैं ने उन्हें देख लिया. उन्होंने भी मुझे देखा.

उन के नमस्कार के उत्तर में मैं ने उन्हें मुसकरा कर नमस्कार किया और बोला, ‘‘मैं रोज शाम को 7 साढ़े 7 बजे घूमने निकलता हूं. घूम भी लेता हूं और बाजार का कोई काम होता है तो उसे भी कर लेता हूं.’’

‘‘क्या घर चल रहे हैं?’’ रामहर्षजी ने पूछा.

मैं घर ही चल रहा था. सोचा कि गुदौलिया से आटोरिकशा से घर चला जाऊंगा पर जब रामहर्षजी ने कहा तो उन के कहने का यही तात्पर्य था कि जीप से चले चलिए. मैं आप को छोड़ते हुए चला जाऊंगा. उन के घर का रास्ता मेरे घर के सामने से ही जाता था.

लोभ विवेक को नष्ट कर देता है. यही लोभ मेरे मन में जाग गया. नहीं तो पुलिस जीप में बैठने की क्या जरूरत थी. रामहर्षजी ने तो मित्रता के नाते ऐसा कहा था पर मुझे अस्वीकार कर देना चाहिए था.

यदि मैं पैदल भी जाता तो 20-25 मिनट से अधिक न लगते और लगभग 15 मिनट तो जीप ने भी लिए ही, क्योंकि सड़क पर भीड़ थी.

‘‘जाना तो घर ही है,’’ मैं ने जैसे प्रसन्नता प्रकट की.

‘‘तो जीप से ही चलिए. मैं भी घर ही चल रहा हूं. ड्यूटी खत्म हो गई है. आप को घर छोड़ दूंगा.’’

पुलिस की जीप में बैठने में एक बार संकोच हुआ, पर फिर जी कड़ा कर के बैठ गया. मैं अध्यापक हूं, इसलिए जी कड़ा करना पड़ा. अध्यापकी बड़ा अजीब काम है. सारा समाज अपराध करे पर जब अध्यापक अपराध करता है तो लोग कह बैठते हैं कि अध्यापक हो कर ऐसा किया. छि:-छि:. कोई यह नहीं कहता कि व्यापारी ने ऐसा किया, नेता ने ऐसा किया या अफसर ने ऐसा किया. अध्यापक से समाज सज्जनता की अधिक आशा करता है.

बात भी ठीक है. मैं इस से सहमत हूं. समाज को बनाने की जिम्मेदारी दूसरों की भी है पर अध्यापक की सब से ज्यादा है. दूसरों का आदर्श होना बाद में है, अध्यापक को पहले आदर्श होना चाहिए.

मैं जीप में बैठ गया. रामहर्षजी ड्राइवर की बगल में बैठे. बाद में 4 सिपाही बैठे. 2 सामने और 1-1 मेरी अगलबगल.

जीप चल पड़ी.

जैसे ही जीप थोड़ा आगे बढ़ी, मैं ने चारों तरफ देखा. अगलबगल में इक्का, रिकशा, तांगा और कारें आजा रही थीं. किनारों पर दाएंबाएं लोग पैदल आजा रहे थे.

जीप में मेरे सामने बैठे दोनों सिपाही डंडे लिए थे, जबकि अगलबगल में बैठे सिपाहियों के हाथों में बंदूकें थीं. मैं चुपचाप बैठा था.

एकाएक मेरे दिमाग में अजीब- अजीब से विचार आने लगे. मेरा दिमाग सोच रहा था, यदि किसी ने मुझे पुलिस की जीप में सिपाहियों के बीच में बैठे देख लिया तो क्या सोचेगा. क्या वह यह नहीं सोचेगा कि मैं ने कोई अपराध किया है और पुलिस मुझे पकड़ कर ले जा रही है. पुलिस शरीफ लोगों को नहीं पकड़ती, अपराधियों को पकड़ती है.

मेरा चेहरा भी ऐसा है जो उदासी भरा गंभीर सा बना रहता है, हंसने में मुझे कठिनाई होती है. लोग जिन बातों पर ठहाके लगाते हैं, मैं उन पर मुसकरा भी नहीं पाता. मेरा स्वभाव ही कुछ ऐसा है- मनहूसोें जैसा.

अपने अपराधी होने की बात जैसे ही मेरे मन में आई, मैं घबराने लगा. शरीर से पसीना छूटने लगा. मन में पछतावा होने लगा कि यह मैं ने क्या किया. 10 रुपए के लोभ में इतनी बड़ी गलती कर डाली. अब बीच में जीप कैसे छोड़ूं. यदि मैं कहूं भी कि मुझे यहीं उतार दीजिए तो मेरे मित्र रामहर्षजी क्या सोचेंगे. प्रेम और सज्जनता के नाते ही तो उन्होंने मुझे जीप में बैठा लिया था.

मेरी मानसिक परेशानी बढ़ती जा रही थी. बचने का कोई उपाय सूझ नहीं रहा था. एकतिहाई दूरी पार कर चुका था. यदि अब आटोरिकशा से जाता या पैदल जाता तो व्यावहारिक न होता. मुझे यह ठीक नहीं लगा कि इतनी आफत झेल लेने के बाद जीप से उतर पड़ूं.

जीप आगे बढ़ रही थी. तभी मेरे एक मित्र शांतिप्रसादजी मिले. उन्होंने मुझे जीप में देखा पर मैं ने ऐसा बहाना बनाया मानो मैं उन्हें देख नहीं रहा हूं. उन्होंने मुझे नमस्कार भी किया पर मैं ने उन के नमस्कार का उत्तर नहीं दिया.

नमस्कार करते समय शांतिप्रसादजी मुसकराए थे. तो क्या यह सोच कर कि पुलिस मुझे पकड़ कर ले जा रही है, लेकिन शांतिप्रसाद के स्वभाव को मैं जानता हूं. वे मेरी तकलीफ पर कभी हंस नहीं सकते, सहानुभूति ही दिखा सकते हैं. फिर भी मैं यह सोच कर परेशान हो रहा था कि शांति भाई मुझे पुलिस की जीप में बैठा देख कर न जाने क्या सोच रहे होंगे. यदि सचमुच उन्होंने मेरे बारे में गलत सोचा या यही सोचा कि पुलिस गलती से मुझे गिरफ्तार कर के ले जा रही है, तब भी वे बड़े दुखी होंगे.

अब पुलिस की जीप में बैठना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था. मैं बारबार पछता रहा था कि क्यों जरा से पैसे के लोभ में आ कर पुलिस की गाड़ी में बैठ गया. अब तक न जाने मुझे कितने लोग देख चुके होंगे और क्याक्या सोच रहे होंगे.

चलतेचलते एकाएक जीप रुक गई. रामहर्षजी उतरे और 2 ठेले वालों को भलाबुरा कहते हुए डांटा. ठेले वाले ठेला ले कर भागे. वास्तव में उन ठेले वालों से रास्ता जाम हो रहा था, पर मित्र महोदय ऐसी भद्दीभद्दी गालियां दे सकते हैं, यह सुन कर मैं आश्चर्य में पड़ गया. हालांकि दूसरे पुलिस वालों को मैं ने उस से भी भद्दी बातें कहते हुए सुना है, पर एक अध्यापक का मित्र ऐसी बातें करेगा, यह अजीब लगा. लग रहा था मैं ने बहुत बड़ी भूल की है. मैं कहां फंस गया, किस जगह आ गया. लोग क्या जानें कि डीवाईएसपी रामहर्षजी मेरे मित्र हैं. लोग तो यही जानेंगे कि रामहर्षजी पुलिस अधिकारी हैं और मैं किसी कारण जीप में बैठा हूं, शायद किसी अपराध के कारण.

जब जीप रुकी हुई थी और रामहर्षजी ठेले वालों को डांट रहे थे, राजकीय इंटर कालेज के अध्यापक शशिभूषण वर्मा बगल से निकले. उन्होंने मुझे पुलिस के साथ जीप में देखा तो रुक गए, ‘‘अरे, विशेश्वरजी, आप. क्या बात है? कोई घटना घटी क्या. मैं साथ चलूं?’’

इस समय मैं शशिभूषण को न देखने का बहाना नहीं कर सकता था. बोला, ‘‘जीप गुदौलिया से लौट रही थी. डीवाईएसपी साहब ने मुझे जीप में बैठा लिया कि आप को घर छोड़ देंगे. डीवाईएसपी साहब मेरे मित्र हैं.’’

फिर मैं ने हंस कर कहा, ‘‘मैं ने कोई अपराध नहीं किया है. आप चिंता मत करिए. मैं न थाने जा रहा हूं, न जेल,’’ यह सुन कर मेरे मित्र शशिभूषण भी हंस पड़े. सिपाहियों को भी हंसी आ गई.

रामहर्षजी सड़क की भीड़ को ठीकठाक कर के जीप में आ कर बैठ गए थे. ड्राइवर ने जीप स्टार्ट की. आगे फिर थोड़ी भीड़ मिली. पुलिस की गाड़ी देख कर भीड़ अपनेआप इधरउधर हो गई और जीप आगे बढ़ती चली गई.

मेरा घर अभी भी नहीं आया था जबकि कई लोग मुझे मिल चुके थे. मैं चाह रहा था कि घर आए और मुझे पुलिस जीप से मुक्ति मिले. अब तक मैं काफी परेशान हो चुका था.

आखिर घर आया. जीप दरवाजे पर रुकी. मेरा छोटा बेटा पुलिस को देख कर डरता है. वह घर में भागा और दादी को पुलिस के आने की सूचना दी.

मां, दौड़ीदौड़ी बाहर आईं. मैं तब तक जीप से उतर कर दरवाजे पर आ गया था. उन्होंने घबरा कर पूछा, ‘‘क्या बात है. तुम पुलिस की जीप में क्यों बैठे थे? किसी से झगड़ा तो नहीं हुआ. मारपीट तो नहीं हो गई. कहीं चोट तो नहीं लगी है. फिर तो सिपाही घर नहीं आएंगे?’’

‘‘मां, तुम तो यों ही डर रही हो,’’ मैं ने मां को सारी बात बताई.

वे बोलीं, ‘‘मैं तो डर ही गई थी. आजकल पुलिस बिना बात लोगोें को परेशान करती है. अखबार में मैं रोज ऐसी घटनाएं पढ़ती रहती हूं. गुंडेबदमाशों का तो पुलिस कुछ कर नहीं पाती और भले लोगों को सताती है.’’

‘‘अरे, नहीं मां, रामहर्षजी ऐसे आदमी नहीं हैं. वे मेरे बड़े अच्छे मित्र हैं. तभी तो उन्होंने मुझे जीप में बैठा लिया था. वे कभी किसी को बेमतलब परेशान नहीं करते.’’

‘‘चलो, ठीक है,’’ बात समाप्त हो गई.

घर आ कर मैं ने कपड़े बदले, हाथमुंह धोया और बैठक में बैठ कर चाय पीने लगा.

‘‘टन…टन…टन…’’ घंटी बजी. मैं ने दरवाजा खोला.

‘‘आइए, आइए, आज कहां भूल पड़े,’’ मैं ने हंस कर रामपाल सिंह से कहा. रामपाल सिंह मेरे फुफेरे भाई हैं.

बैठक में आ कर कुरसी पर बैठते ही रामपाल सिंह बोले, ‘‘भाई, मैं तो घबरा कर आया हूं. लड़के ने तुम को नई सड़क पर पुलिस जीप से जाते देखा था. पुलिस बगल में बैठी थी. क्या बात थी. तुम्हें पुलिस क्यों ले जा रही थी? मैं यही जानने आया हूं्.’’

मैं ने रामपाल सिंह को सारा किस्सा बताया. फिर यह कहा, ‘‘मुझे पुलिस जीप में बैठा देख कर न जाने किसकिस ने क्याक्या सोचा होगा और न जाने कौनकौन परेशान हुआ होगा.’’

‘‘तब आप को पुलिस जीप में नहीं बैठना चाहिए था. जिस ने देखा होगा, उसे ही भ्रम हुआ होगा. हमलोग अध्यापक हैं,’’ वे बोले.

‘‘आप ठीक कहते हैं भाई साहब, मुझे अपने किए पर बहुत दुख हुआ. आज मैं ने यही अनुभव किया. आज मैं ने कान पकड़ लिए हैं. ऐसा नहीं होगा कि फिर कभी किसी पुलिस जीप में बैठूं.’’

मैं अभी बात कर ही रहा था कि हमारे एक पड़ोसी घबराए हुए आए और मेरा हालचाल पूछने लगे. चाय फिर से आ गई थी और तीनों चाय पी रहे थे. पुलिस जीप में बैठने की बात मैं अपने पड़ोसी को भी बता रहा था. मेरी बात पड़ोसी सुन कर खूब हंसे.

मैं पुलिस जीप में क्या बैठा, एक आफत ही मोल ले ली. एक बूढ़ी महिला मेरी मां से इसी बारे में पूछने आईं, एक पड़ोसिन ने श्रीमतीजी से पूछा और एक महाशय ने रात के 11 बजे फोन कर के बगल वाले घर में बुलाया, क्योंकि मेरे घर में फोन नहीं है. मैं मोबाइल रखता हूं जिस का नंबर उन के पास नहीं था. फोन पर उन्होंने पूरी जानकारी ली.

2 व्यक्ति दूसरे दिन भी मेरा हालचाल लेने आए, ‘‘भाई साहब, हम तो डर ही गए थे इस बात को सुन कर.’’

तीसरे दिन दोपहर को एक महाशय जानकारी लेने आए और कालेज में प्रिंसिपल ने पूरी जानकारी ली.

यद्यपि इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि शहर में मेरे प्रति लोगों की बड़ी अच्छी धारणा है तथा मेरे शुभचिंतकों की संख्या काफी अधिक है, पर अब मैं ने 2 प्रतिज्ञाएं भी की हैं, पहली, कि मैं कभी लोभ नहीं करूंगा और दूसरी, कि कभी पुलिस की जीप में नहीं बैठूंगा. पहली प्रतिज्ञा में कभी गड़बड़ी हो भी जाए, पर दूसरी प्रतिज्ञा का तो आजीवन पालन करूंगा.

रामहर्षजी गुदौलिया में बाद में भी मिले हैं और उन्होंने जीप में बैठने का प्रेमपूर्वक आग्रह भी किया है, पर मैं किसी न किसी बहाने टाल गया. जरा से लोभ के लिए अब प्रतिज्ञा तोड़ कर परेशानी में न पड़ने की कसम जो खा रखी है.

Famous Hindi Stories : ब्रैंड दीवानी – क्या था सुमित का जवाब

Famous Hindi Stories : भव्या बहुत देर तक मौल में इधरसेउधर घूमती रही. आखिकार उस के पति अक्षर ने झंझला कर कहा, ‘‘लेना क्या है तुम्हें? एक बार ले कर खत्म करो.’’

भव्या की मोटीमोटी आंखों में आंसू आ गए. रोंआसी आवाज में बोली, ‘‘मुझे मीना बाजार की साड़ी ही पसंद आ रही हैं.’’

‘‘तो ले लो, क्या समस्या हैं?’’ अक्षर बोला.

भव्या ?िझकते हुए बोली, ‘‘बहुत महंगी है, 20 हजार की.’’

भव्या यह साड़ी करवाचौथ के लिए लेना चाहती थी, इसलिए अक्षर उस का दिल नहीं तोड़ना चाहता था. अत: भव्या को साड़ी दिलवा दी थी. भव्या बेहद खुश हो गई.

फिर दोनों मेकअप का सामान लेने चले गए. वहां पर भी भव्या ने महंगे ब्रैंड का सामान लिया. यही कहानी चप्पलों और अन्य सामान खरीदते हुए दोहराई गई.

जब भव्या और अक्षर मौल से बाहर निकले तो अक्षर अपनी आधी तनख्वाह भव्या के ब्रैंडेड सामान पर खर्च कर चुका था.

भव्या घर आ कर अपनी सास मृदुला को सामान दिखाने लगी तो मृदुला बोलीं, ‘‘बेटा इतने महंगे कपड़े खरीदने की क्या जरूरत थी? मैं तुम्हें सरोजनी नगर मार्केट ले चलती, इस से भी अच्छे और सुंदर कपड़े मिल जाते.’’

भव्या बोली, ‘‘मम्मी मगर वे ब्रैंडेड नहीं होते न. ब्रैंडेड चीजों की बात ही कुछ और होती है. मुझे तो ब्रैंडेड चीजें बेहद पसंद हैं.’’

करवाचौथ के रोज भव्या बहुत प्यारी लग रही थी. लाल रंग की साड़ी में एकदम शोला लग रही थी.

रात को चांद निकल गया था और बहुत हंसीखुशी के माहौल में जब पूरा परिवार

डिनर करने के लिए बैठा तो भव्या बोली, ‘‘अक्षर मेरा गिफ्ट कहां है?’’

अक्षर ने अपनी जेब से एक अंगूठी निकाली तो भव्या बोली, ‘‘यह क्या किसी लोकल ज्वैलरी शौप से लाए हो तुम? तनिष्क, जीवा कोई भी ब्रैंड नहीं मिला तुम्हें?’’

और फिर भव्या बिना खाना खाए पैर पटकते हुए अपने कमरे में चली गई.

अक्षर अपमानित सा डाइनिंगटेबल पर बैठा रहा. सब की भूख मर गई थी.

मृदुला अक्षर से बोलीं, ‘‘बेटा तुम परेशान मत हो. धीरेधीरे ही सही भव्या हमारे रंग में रंग जाएगी.’’

अक्षर बोला, ‘‘3 साल तो हो गए हैं मम्मी, आखिर कब समझेगी भव्या?’’

जब अक्षर कमरे में पहुंचा तो भव्या अपनी मम्मी से वीडियो कौल पर बात कर रही थी.

रात में भव्या बोली, ‘‘पता है तुम्हें अंशिका दीदी को जीजू ने करवाचौथ पर तनिष्क का डायमंड सैट गिफ्ट किया है. तुम ने दी है बस यह अंगूठी वह भी ऐसी ही.’’

अक्षर गुस्सा पीते हुए बोला, ‘‘भव्या, अंशिका का पति इतने महंगे गिफ्ट अफोर्ड कर सकता होगा, मैं नहीं कर सकता हूं.’’

भव्या बोली, ‘‘अरे सब लोग करवाचौथ पर अपनी बीवी के लिए क्याक्या नही करते और एक तुम हो?’’

‘‘आगे से मेरे लिए यह व्रत करने की जरूरत नही है,’’ अक्षर गुस्से में बोला.

भव्या जोरजोर से रोने लगी. अक्षर बिना कुछ कहे पीठ फेर कर सो गया. अक्षर और भव्या के मध्य यह बात इतनी बार दोहराई गई है कि अब दोनों को ऐसे ही रात बिताने की आदत पड़ गई थी.

सुबह अक्षर और भव्या के बीच अबोला ही रहा. मगर शाम को अक्षर भव्या के लिए उस की पसंद की आइसक्रीम ले आया. आइसक्रीम पकड़ाते हुए बोला, ‘‘भव्या मेरा दोस्त सुमित और उस की पत्नी शालिनी कल रात खाने पर आएंगे.’’

भव्या एकदम से उत्साहित होते हुए बोली, ‘‘सुमित वह ही दोस्त है न जिस ने शादी में मुझे बांबेसिलैक्शन की बेहद प्यारी औरगेंजा की साड़ी गिफ्ट करी थी?’’

अक्षर हंसते हुए बोला, ‘‘हां वह ही है.’’

भव्या सुमित से पहले 2 बार मिल चुकी थी और दोनों ही बार भव्या सुमित की पर्सनैलिटी और उस के शाही अंदाज से प्रभावित थी. आज तक भव्या ने सुमित की पत्नी शालिनी को देखा नहीं था, मगर बस सुना था कि शालिनी बेहद सुलझ हुई महिला हैं.

शाम को जब शालिनी और सुमित आए तो शालिनी को देख कर भव्या चौंक गई. सुमित के शानदार व्यक्तित्व के आगे शालिनी कहीं भी नही ठहरती थी.

शालिनी का रंग दबा हुआ था और कद भी छोटा था. जहां सुमित ने चमचमाता हुआ सूट पहना हुआ था वहीं शालिनी एक सिंपल सी कौटन की साड़ी में बेहद सामान्य लग रही थी.

भव्या ने देखा जहां सुमित बातचीत में भी निपुण था वहीं शालिनी अधिकतर मौन रहती. सुमित ने स्टार्टर्स के बाद शालिनी से कहा, ‘‘भई भव्या भाभी का गिफ्ट तो दो, जो हम लाए हैं.’’

शालिनी ने मुसकराते हुए भव्या को 2 पैकेट्स पकड़ा दिए.

भव्या बोली, ‘‘क्या दोनों मेरे लिए हैं?’’

‘‘जी भाभी,’’ सुमित बोला.

तभी भव्या तुनक कर बोली, ‘‘मुझे आप भव्या कह सकते हो, मैं आप दोनों से ही छोटी हूं.’’

अक्षर भी बोला, ‘‘हां भई भव्या ठीक कह रही हैं.’’

भव्या ने जल्दीजल्दी पैकेट खोले, ‘‘एक पैकेट में हैदराबाद के सच्चे मोतियों का सैट था तो दूसरे में जयपुरी बंदेज की लाल रंग की साड़ी.’’

भव्या ?िझकते हुए बोली, ‘‘मैं इतने महंगे गिफ्ट कैसे ले सकती हूं?’’

सुमित बोला, ‘‘अरे भव्या तुम्हारी खूबसूरती के सामने तो सब फीका है.’’

एकाएक सब चुप हो गए, सुमित अपनी जीभ काटते हुए बोला, ‘‘तोहफे की कीमत नहीं, देने वाले की भावना समझनी चाहिए.’’

भव्या मगर उस पूरी शाम सुमित के आगेपीछे घूमती रही. उसे अच्छे से पता था कि सुमित उस की खूबसूरती का कायल है और दिल से भी दिलदार है. अगर वह थोड़ाबहुत उस से हंसबोल लेगी तो क्या ही बुरा होगा. बेचारा सुमित कितने महंगे और ब्रैंडेड गिफ्ट्स देता है और एक उस की ससुराल वाले हैं जो हमेशा कंजूसी करते हैं.

रात को भव्या ने वही साड़ी पहन कर देखी. वास्तव में भव्या उस साड़ी में शोला लग रही थी. फिर न जाने क्या सोचते हुए भव्या ने अपनी एक सैल्फी खींची और एकाएक सुमित को भेज दी.

तुरंत सुमित का रिप्लाई आया, ‘‘साड़ी की कीमत तो अब वसूल हुई है. मैं ने तुम्हारे लिए एकदम सही कलर चुना था.’’

भव्या का मैसेज पढ़ कर रंग लाल हो गया. उसे शर्म भी आ रही थी कि क्यों उस ने सुमित को फोटो भेजा. पर अब क्या कर सकती थी?

रात को नहा कर भव्या निकली ही थी कि उस के फोन पर सुमित के 2 मैसेज आए थे. भव्या ने बिना पढ़े ही छोड़ दिए. उसे एकाएक अक्षर को देख कर ग्लानि हो रही थी.

अगले दिन जब भव्या शाम को दफ्तर से घर पहुंची तो सुमित वहीं बैठा था.

अक्षर बोला, ‘‘भव्या सुमित की थोड़ी मदद कर दो. अगले हफ्ते भाभी का जन्मदिन है, सुमित को भाभी के लिए गिफ्ट सलैक्ट करना है.’’

भव्या बोली, ‘‘तुम नहीं चलोगे?’’

‘‘नहीं कल एक जरूरी प्रेजैंटेशन है,’’

अक्षर बोला.

भव्या ने निर्णय ले लिया कि वह सुमित से दूरी बना कर रखेगी.

गाड़ी में बैठ कर सब से पहले कार तनिष्क के शोरूम के आगे रुकी.

सुमित बोला, ‘‘अच्छा सा ब्रेसलेट और झमके पसंद करो.’’

भव्या ठंडी सांस भरते हुए खुद का कोस

रही थी.

जब सुमित ने 5 लाख का बिल चुकाया

तो भव्या बोली, ‘‘अक्षर तो कभी इतना खर्च

नहीं करेंगे.’’

सुमित बोला, ‘‘आप के पति हमारी तरह दिलदार नहीं हैं.’’

भव्या ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया.

फिर सुमित ने भव्या की पसंद से सूट, साड़ी खरीदी.

सुमित फिर भव्या से बोला, ‘‘चलो काफी देर हो गई, डिनर कर लेते हैं.’’

भव्या का मन था मगर फिर भी उस ने ऊपरी मन से कहा, ‘‘नहीं घर पर अक्षर इंतजार कर रहे होंगे.’’

‘‘जैसी तुम्हारी मरजी,’’ सुमित बोला.

भव्या को मन ही मन बहुत गुस्सा भी आ रहा था कि क्या वो कोई नौकर है जो सुमित की बीवी के लिए शौपिंग कर के अपना समय बरबाद करे. घर आ कर उस ने सुमित से बोल दिया कि वह आगे से नहीं जाएगी.

रातभर भव्या की आंखों के सामने वह हीरे का ब्रेसलेट और वह कपड़े घूमते रहे.

अगले दिन शालिनी का जन्मदिन था. भव्या बिना मन पार्टी में जाने के लिए तैयार हुई. शालिनी आज दर्शनीय लग रही थी. सुमित शालिनी के आगेपीछे घूम रहा था. न जाने क्यों भव्या के पूरे शरीर में आग लग गई.

तभी केक काटने का ऐलान हो गया. सुमित ने शालिनी के हाथों में उपहार की डब्बी पकड़ा दी.

शालिनी ने खोल कर देखा तो हीरे के झमके जगमगा रहे थे. शालिनी खुशी से सुमित के गले लग गई.

भव्या सोच रही थी कि सुमित ने ब्रेसलेट क्यों नहीं दिया. फिर बात आईगई हो गई.

एक रोज भव्या के मोबाइल पर सुमित का मैसेज था कि कोई अर्जेंट काम है. वह

दफ्तर में लंचटाइम पर उस के पास आ रहा है. न जाने क्यों भव्या मना नहीं कर पाई. लंचटाइम तक भव्या का काम में मन नहीं लग पाया. सुमित की मर्सिडीज, दौलत, उस की दिलदारी न चाहते हुए भी भव्या को खींचती थी.

भव्या ने आखिरी बार अपनेआप को बाथरूम के मिरर में देखा और फिर बालों पर आखिरी बार ब्रश फेर कर भव्या बाहर निकल गई.

सुमित रास्ते भर इधरउधर की बातें करता रहा. भव्या भी हांहूं में जवाब देती रही.

लंच और्डर करने से पहले सुमित बोला, ‘‘हाथ आगे करो भव्या,’’ फिर सुमित ने बिना कुछ कहे भव्या की कलाई में वह ब्रेसलेट पहना दिया और धीमे से बोला, ‘‘हैप्पी बर्थडे इन एडवांस.’’

भव्या की आंखों में हीरे से भी अधिक चमक थी. उल्लासित सी भव्या बोली, ‘‘यह आप ने मेरे लिए लिया था? पर मैं इतना महंगा तोहफा कैसे ले सकती हूं.’’

सुमित बोला, ‘‘कह देना तुम ने खरीदा है. तुम्हीं इस की असली हकदार हो.’’

भव्या अंदर से जानती थी यह गलत है, मगर हीरे के ब्रेसलेट का लालच भव्या पर हावी हो गया कि वह मना नहीं कर पाई.

जब शाम को भव्या घर पहुंची तो बेहद खुश थी. उस की गोरी कलाई पर ब्रेसलेट बेहद फब रहा था. उस ने अपने घर में सब से झठ बोल दिया कि यह ब्रेसलेट उस ने क्रैडिट कार्ड से खरीदा.

भव्या रातदिन सुमित के साथ चैट करती रहती थी. सुमित भव्या की जिंदगी में ताजा हवा के झंके की तरह आया था. भव्या का लालच उसे किस राह पर ले कर जा रहा था, यह खुद भव्या को भी समझ नहीं आ रहा था.

सुमित और भव्या हफ्ते में 2-3 बार मिल लेते थे. सुमित एक दौलतमंद इंसान था जिसे खूबसूरत लड़कियों के साथ फ्रैंडशिप करने का शौक था. वह सामान की तरह लड़कियां बदलता था. इस बात का अक्षर को पता था, मगर उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि सुमित उस की पत्नी भव्या के साथ भी वही खेल खेलेगा.

एक दिन अक्षर ने भव्या को सुमित के साथ देख भी लिया. जब अक्षर ने भव्या से पूछा तो भव्या बोली, ‘‘अरे मैं और सुमित बस अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं.’’

अक्षर ने कहा, ‘‘यह दोस्ती कब और कैसे हो गई?’’

भव्या ने गुस्से में कहा, ‘‘तुम मुझ पर शक कर रहे हो?’’

अक्षर शांति से बोला, ‘‘तुम पर नहीं भव्या, मैं सुमित के मंसूबों पर शक कर रहा हूं. ध्यान रहे कि तुम बस उस की दोस्त ही रहो.’’

जब भव्या ने यह बात सुमित को बताई तो वह गुस्से में बोला, ‘‘अक्षर जैसे लोग ऐसा ही सोचते हैं… उन्हें न खुद खुश रहना है और न दूसरों को रहने देना है. अगर हमारी मुलाकातें हम दोनों को खुशी देती हैं तो उस में क्या गलत है? मैं और तुम कोई बेवफाई थोड़े ही कर रहे हैं?’’

भव्या ने भी चुपचाप सिर हिला दिया.

अक्षर ने भव्या के व्यवहार में आए परिवर्तन को अनुभव कर लिया था. वह सामने से और इशारों में बहुत बार भव्या को समझ चुका था, मगर भव्या ने उस की बातों को कानों पर ही टाल दिया.

विवाह के 3 सालों में पहली बार उसे इतना रोमांचक अनुभव हो रहा था वरना तो शादी के बाद से ही अक्षर की कंजूसी से तंग आ चुकी थी. पिछले माह ही तो वह सुमित के साथ लेह लद्दाख घूम आई थी. मगर सुमित चंद माह में ही भव्या से उकता गया. वैसे भी वह अक्षर की बीवी थी इसलिए सुमित अब इस रिश्ते पर पूर्णविराम लगाना चाहता था.

उधर भव्या इस खुशफहमी में जी रही थी कि उस का और सुमित का रिश्ता हमेशा ऐसे ही चलता रहेगा.

पिछले 1 हफ्ते से सुमित ने एक बार भी भव्या को पिंग नहीं किया तो वह

बेचैन हो गई. उस ने सुमित को खुद ही 2-3 मैसेज किए, मगर वे अनरीड ही रहे. भव्या को सुमित का बरताव समझ नहीं आ रहा था, इसलिए 10 दिन के बाद वह खुद ही सुमित के औफिस जा धमकी.

भव्या को देख कर सुमित सकपका गया. बोला, ‘‘अरे मैं तुम्हें मैसेज करने ही वाला था.भव्या मुझे लगता है अब इस दोस्ती को यहीं खत्म कर देते हैं.’’

भव्या बोली, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘तुम मेरे दोस्त की बीवी हो, अगर उसे पता चल गया तो ठीक नहीं होगा,’’ सुमित बोला

‘‘पता लग जाने दो, मैं भी अब दोहरी जिंदगी से तंग आ गई हूं,’’ भव्या बोली.

सुमित अचकचाते हुए बोला, ‘‘भव्या यह क्या कह रही हो तुम? क्या इस टाइमपास को कुछ और समझने लगी हो? देखो भव्या जैसे तुम्हें अलगअलग ब्रैंड के सामान का शौक है वैसे ही मुझे अलगअलग ब्रैंड की लड़कियों का शौक है. तुम भी तो एक ही ब्रैंड से बोर हो जाती होगी तो मेरे साथ भी वैसा ही है.’’

भव्या सुमित के जवाब से ठगी खड़ी रह गई. यह महंगे ब्रैंड के सामान का शौक उसे कभी ऐसे मोड़ पर ला कर खड़ा कर देगा, उस ने कभी सोचा नहीं था. सुमित के लिए वह एक इंसान नहीं, एक ब्रैंड है, एक सामान है. भव्या ने हीरे का ब्रेसलेट सुमित की टेबल पर रखा और चुपचाप बाहर निकल गई. उसे समझ आ गया था कि सामान के ब्रैंड से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है इंसान का ब्रैंडेड होना.

Best Hindi Stories : विदेश – मीता ने क्या फैसला लिया?

Best Hindi Stories :  बेटी के बड़ी होते ही मातापिता की चिंता उस की पढ़ाई के साथसाथ उस की शादी के लिए भी होने लगती है. मन ही मन तलाश शुरू हो जाती है उपयुक्त वर की. दूसरी ओर बेटी की सोच भी पंख फैलाने लगती है और लड़की स्वयं तय करना शुरू कर देती है कि उस के जीवनसाथी में क्याक्या गुण होने चाहिए.

प्रवेश के परिवार की बड़ी बेटी मीता इस वर्ष एमए फाइनल और छोटी बेटी सारिका कालेज के द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी. मातापिता ने पूरे विश्वास के साथ मीता को अपना जीवनसाथी चुनने की छूट दे दी थी. वे जानते थे कि सुशील लड़की है और धैर्य से जो भी करेगी, ठीक ही होगा.

रिश्तेदारों की निगाहें भी मीता पर थीं क्योंकि आज के समय में पढ़ीलिखी होने के साथ और भी कई गुण देखे थे उन्होंने उस में. मां के काम में हाथ बंटाना, पिता के साथ जा कर घर का आवश्यक सामान लाना, घर आए मेहमान की खातिरदारी आदि वह सहर्ष करती थी.

उसी शहर में ब्याही छोटी बूआ का तो अकसर घर पर आनाजाना रहता था और हर बार वह भाई को बताना नहीं भूलती कि मीता के लिए वर खोजने में वह भी साथ है. मीता की फाइनल परीक्षा खत्म हुई तो जैसे सब को चैन मिला. मीता स्वयं भी बहुत थक गई थी पढ़ाई की भागदौड़ से.

अरे, दिन न त्योहार आज सुबहसुबह भाई के काम पर जाने से पहले ही बहन आ गई. कमरे में भाई से भाभी धीमी आवाज में कुछ चर्चा कर रही थी. सारिका जल्दी से चाय बना जब कमरे में देने गई तो बातचीत पर थोड़ी देर के लिए विराम लग गया.

पापा समय से औफिस के लिए निकल गए तो चर्चा दोबारा शुरू हुई. वास्तव में बूआ अपने पड़ोस के जानपहचान के एक परिवार के लड़के के लिए मीता के रिश्ते की सोचसलाह करने आई थी. लड़का लंदन में पढ़ने के लिए गया था और वहां अच्छी नौकरी पर था. वह अपने मातापिता से मिलने एक महीने के लिए भारत आया तो उन्होंने उसे शादी करने पर जोर दिया. बूआ को जैसे ही इस बात की खबर लगी, वहां जा लड़के के बारे में सब जानकारी ले तुरंत भाई से मिलने आ पहुंची थी.

अब वह हर बात को बढ़ाचढ़ा कर मीता को बताने बैठी. बूआ यह भी जानती थी कि मीता विदेश में बसने के पक्ष में नहीं है. शाम को भाईभाभी से यह कह कि पहले मीता एक नजर लड़के को देख ले, वह उसे साथ ले गई. समझदार बूआ ने होशियारी से सिर्फ अपनी सहेली और लड़के को अपने घर बुला चायपानी का इंतजाम कर डाला. बातचीत का विषय सिर्फ लंदन और वहां की चर्चा ही रहा.

बूआ की खुशी का ठिकाना न रहा जब अगले दिन सुबह ही सहेली स्वयं आ बूआ से मीता व परिवार की जानकारी लेने बैठीं. और आखिर में बताया कि उन के बेटे निशांत को मीता भा गई है. मीता यह सुन सन्न रह गई.

मीता ने विदेश में बसे लड़कों के बारे में कई चर्चाएं सुनी थीं कि वे वहां गर्लफ्रैंड या पत्नी के होते भारत आ दूसरा विवाह कर ले जाते हैं आदि. बूआ के घर बातचीत के दौरान उसे निशांत सभ्य व शांत लड़का लगा था. उस ने कोई शान मारने जैसी फालतू बात नहीं की थी.

मीता के मातापिता को जैसे मनमांगी मुराद मिल गई. आननफानन दोनों तरफ से रस्मोरिवाज सहित साधारण मगर शानदार विवाह संपन्न हुआ. सब खुश थे. मातापिता को कुछ दहेज देने की आवश्यकता नहीं हुई सिवा बेटीदामाद व गिनेचुने रिश्तेदारों के लिए कुछ तोहफे देने के.

नवदंपती के पास केवल 15 दिन का समय था जिस में विदेश जाने के लिए मीता के लिए औपचारिक पासपोर्ट, वीजा, टिकट आदि का प्रबंध करना था. इसी बीच, 4 दिन के लिए मीता और निशांत शिमला घूम आए.

अब उन की विदाई का समय हुआ तो दोनों परिवार उदास थे. सारिका तो जैसे बहन बगैर अकेली ही पड़ गई थी. सब के गले लगते मीता के आंसू तो जैसे खुशी व भय के गोतों में डूब रहे थे. सबकुछ इतनी जल्दी व अचानक हुआ कि उसे कुछ सोचने का अवसर ही नहीं मिला. मां से तो कुछ कहते नहीं बन पड़ रहा था, पता नहीं फिर कब दोबारा बेटी को देखना हो पाएगा. पिता बेटी के सिर पर आशीर्वाद का हाथ रखे दामाद से केवल यह कह पाए कि इस का ध्यान रखना.

लंदन तक की लंबी हवाईयात्रा के दौरान मीता कुछ समय सो ली थी पर जागते ही फिर उसे उदासी ने आ घेरा. निशांत धीरेधीरे अपने काम की व अन्य जानकारी पर बात करता रहा. लंदन पहुंच कर टैक्सी से घर तक जाने में मीता कुछ संयत हो गई थी.

छोटा सा एक बैडरूम का 8वीं मंजिल पर फ्लैट सुंदर लगा. बाहर रात में जगमगाती बत्तियां पूरे वातावरण को और भी सुंदर बना रही थीं. निशांत ने चाय बनाई और पीते हुए बताया कि उसे कल से ही औफिस जाना होगा पर अगले हफ्ते वह छुट्टी लेने की कोशिश करेगा.

सुबह का नाश्ता दोनों साथ खाते थे और निशांत रात के खाने के लिए दफ्तर से आते हुए कुछ ले आता था.

मीता का अगले दिन का लंच उसी में हो जाता था. अगले हफ्ते की छुट्टी का इंतजाम हो गया और निशांत ने उसे लंदन घुमाना शुरू किया. अपना दफ्तर, शौपिंग मौल, बसटैक्सी से आनाजाना आदि की बातें समझाता रहा. काफी पैसे दे दिए और कहा कि वह बाहर आनाजाना शुरू करे. जो चाहे खरीदे और जैसे कपड़े यहां पहने जाते हैं वैसे कुछ कपड़े अपने लिए खरीद ले. मना करने पर भी एक सुंदर सी काले प्रिंट की घुटने तक की लंबी ड्रैस मीता को ले दी. एक फोन भी दिलवा दिया ताकि वह उस से और इंडिया में जिस से चाहे बात कर सके. रसोई के लिए जरूरत की चीजें खरीद लीं. मीता ने घर पर खाना बनाना शुरू किया. दिन बीतने लगे. निशांत ने समझाया कि यहां रहने के औपचारिक पेपर बनने तक इंतजार करे. उस के बाद यदि वह चाहे तो नौकरी की तलाश शुरू कर सकती है.

एक दिन मीता ने सुबह ही मन में सोचा कि आज अकेली बाहर जाएगी और निशांत को शाम को बता कर सरप्राइज देगी. दोपहर को तैयार हो, टैक्सी कर, वह मौल में पहुंची. दुकानों में इधरउधर घूमती चीजें देखती रही. एक लंबी ड्रैस पसंद आ गई. महंगी थी पर खरीद ली. चलतेचलते एक रेस्टोरैंट के सामने से गुजरते उसे भूख का एहसास हुआ पर वह तो अपने लिए पर्स में सैंडविच ले कर आई थी. अभी वह यहां नई है और अब बिना निशांत के अकेले खाने का तुक नहीं बनता, उस ने बस, उस ओर झांका ही था, वह निशांत…एक लड़की के साथ रेस्टोरैंट में, शायद नहीं, पर लड़की को और निशांत का दूर से हंसता चेहरा देख वह सन्न रह गई. दिमाग में एकदम बिजली सी कौंधी, तो सही थी मेरी सोच. गर्लफ्रैंड के साथ मौजमस्ती और घर में बीवी. हताश, वह टैक्सी ले घर लौटी. शाम को निशांत घर आया तो न तो उस ने खरीदी हुई ड्रैस दिखाई और न ही रेस्टोरैंट की चर्चा छेड़ी.

तीसरे दिन औफिस से लौटते वह उस लड़की को घर ले आया और मीता से परिचय कराया, ‘‘ये रमा है. मेरे दूर के रिश्ते में चाचा की बेटी. ये तो अकेली आना नहीं चाह रही थी क्योंकि इस के पति अभी भारत गए हैं और अगले हफ्ते लौट आएंगे. रेस्टोरैंट में जब मैं खाना पैक करवाने गया था तो इसी ने मुझे पहचाना वहां. मैं ने तो इसे जब लखनऊ में देखा था तब ये हाईस्कूल में थी. मीता का दिल धड़का, ‘तो अब घर तक.’ बेमन से मीता ने उसे चायनाश्ता कराया.

दिन में एक बार मीता स्वयं या निशांत दफ्तर से फोन कर लेता था पर आज न मीता ने फोन किया और न निशांत को फुरसत हुई काम से. कितनी अकेली हो गई है वह यहां आ कर, चारदीवारी में कैद. दिल भर आया उस का. तभी उसे कुछ ध्यान आया. स्वयं को संयत कर उस ने मां को फोन लगाया. ‘‘मीता कैसी हो? निशांत कैसा है? कैसा लगा तुम्हें लंदन में जा कर?’’ उस के कुछ बोलने से पहले मां ने पूछना शुरू कर दिया.

‘‘सब ठीक है, मां.’’ कह फौरन पूछा, ‘‘मां, बड़ी बूआ का बेटा सोम यहां लंदन में रहता है. क्या आप के पास उस का फोन या पता है.’’

‘‘नहीं. पर सोम पिछले हफ्ते से कानपुर में है. तेरे बड़े फूफाजी काफी बीमार थे, उन्हें ही देखने आया है. मैं और तेरे पापा भी उन्हें देखने परसों जा रहे हैं. सोम को निशांत का फोन नंबर दे देंगे. वापस लंदन पहुंचने पर वही तुम्हें फोन कर लेगा.’’

‘‘नहीं मां, आप मेरा फोन नंबर देना, जरा लिख लीजिए.’’

मीता, सोम से 2 वर्ष पहले उस की बहन की शादी में कानपुर में मिली थी और उस के लगभग 1 वर्ष बाद बूआ ने मां को फोन पर बताया था कि सोम ने लंदन में ही एक भारतीय लड़की से शादी कर ली है और अभी वह उसे भारत नहीं ला सकता क्योंकि उस के लिए अभी कुछ पेपर आदि बनने बाकी हैं. इस बात को बीते अभी हफ्ताभर ही हुआ था कि शाम को दफ्तर से लौटने पर निशांत ने मीता को बताया कि रमा का पति भारत से लौट आया है और उस ने उन्हें इस इतवार को खाने पर बुलाया है.

मीता ने केवल सिर हिला दिया और क्या कहती. खाना बनाना तो मीता को खूब आता था. निशांत उस के हाथ के बने खाने की हमेशा तारीफ भी करता था. इतवार के लंच की तैयारी दोनों ने मिल कर कर ली पर मीता के मन की फांस निकाले नहीं निकल रही थी. मीता सोच रही थी कि क्या सचाई है, क्या संबंध है रमा और निशांत के बीच, क्या रमा के पति को इस का पता है, क्योंकि निशांत ने मुझ से शादी…?

ध्यान टूटा जब दरवाजे की घंटी 2 बार बज चुकी. आगे बढ़ कर निशांत ने दरवाजा खोला और गर्मजोशी से स्वागत कर रमा के पति से हाथ मिलाया. वह दूर खड़ी सब देख रही थी. तभी उस के पैरों ने उसे आगे धकेला क्योंकि उस ने जो चेहरा देखा वह दंग रह गई. क्या 2 लोग एक शक्ल के हो सकते हैं? उस ने जो आवाज सुनी, ‘आई एम सोम’, वो दो कदम और आगे बढ़ी और चेहरा पहचाना, और फिर भाग कर उस ने उस का हाथ थामा, ‘‘सोम भैया, आप यहां.’’

‘‘क्या मीता, तुम यहां लंदन में, तुम्हारी शादी’’ और इस से आगे सोम बिना बोले निशांत को देख रहा था. उसे समझते देर न लगी, कुछ महीने पहले मां ने उसे फोन पर बताया था कि मीता की शादी पर गए थे जो बहुत जल्दी में तय की गई थी. मीता अब सोम के गले मिल रही थी और रमा अपने कजिन निशांत के, भाईबहन का सुखद मिलाप.

सब मैल धुल गया मीता के मन का, मुसकरा कर निशांत को देखा और लग गई मेहमानों की खातिर में. उसे लगा अब लंदन उस का सुखद घर है जहां उस का भाई और भाभी रहते हैं और उस के पति की बहन भी यानी उस की ननद व ननदोई. ससुराल और मायका दोनों लंदन में. मांपापा सुनेंगे तो हैरान होंगे और खुश भी और बड़ी बूआ तो बहुत खुश होंगी यह जानकर कि सोम की पत्नी से जिस से अभी तक वे मिली नहीं हैं उस से अकस्मात मेरा मिलना हो गया यहां लंदन में. मीता की खुशी का आज कोई ओरछोर नहीं था. सब कितना सुखद प्रतीत हो रहा था.

Hair Care Tips : जब पहली बार कराएं हेयर कलर, तो फौलो करें ये टिप्स

Hair Care Tips : आजकल हेयर कलर का बड़ा क्रेज है. इस की खासीयत यह है कि यह कभी आउट औफ ट्रैंड नहीं रहता. अगर आप भी न्यू लुक के लिए पहली बार कलर करवाना चाहती हैं, लेकिन कौन सा कलर सही रहेगा या हेयर फौल तो नहीं होगा आदि सवाल मन में उठ रहे हैं तो हम यहां मेकअप ऐंड हेयर आर्टिस्ट पूनम चुग से बातचीत के आधार पर आप को पूरी जानकारी दे रहे हैं, जिस से आप की सारी उलझनें खत्म हो जाएंगी.

1. कैसे करें कलर का चुनाव

हेयर कलरिंग टीन और मैच्योर एजिंग दोनों के ऊपर की जा सकती है. टीनऐजिंग के लिए फैशन कलर का यूज किया जाता है. फैशन कलर को हम टाइम टु टाइम चेंज कर सकते हैं, जिस में रियल कलर से हट कर गोल्डन, ऐश, ब्लौन, रैड या कोई भी फैशन कलर बालों में किया जा सकता है. इस का यूज फैशन के रिगार्डिंग भी किया जाता है. मैच्योर हेयर्स यानी जिन के बाल ग्रे और व्हाइट होते हैं, उन के बालों में रियल कलर किया जाता है. रियल कलर के लिए ब्राउन, ब्लैक या डार्क ब्राउन कलर का इस्तेमाल किया जाता है.

2. बालों की केयर है जरूरी

अगर आप फैशन कलर करा रही हैं तो स्कैल्प से एकडेढ़ इंच ऊपर से कराएं. ऐसा करने से आप के बाल सेफ रहेंगे. कलर करवाने के बाद बालों की कंडीशनिंग बहुत अच्छी तरह की जानी चाहिए. इस के लिए अच्छे शैंपू, कंडीशनर, हेयर स्पा और औयलिंग की बहुत जरूरत होती है. ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि इस से बालों का नैचुरल कलर बना रहता है और वे खराब यानी डैमेज नहीं होते.

ग्रे कवरेज में भी कंडीशनिंग की काफी ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि कैमिकल से बालों को नुकसान पहुंचता है. स्कैल्प की केयर करने के लिए कंडीशनिंग के साथ औयलिंग जरूरी है. कलर करने के साथसाथ बालों की देखभाल करने के लिए खानेपीने की चीजों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. इस के लिए अच्छी डाइट लेनी चाहिए. डाइट में प्रोटीन शामिल करना न भूलें.

3. धूप से सुरक्षा

धूप में जाते समय हमेशा सिर कवर करें, क्योंकि फैशन कलर बहुत जल्दी उड़ जाते हैं. जैसे जब हम रैड कलर करते हैं तो वह कुछ ही वाश के बाद निकल जाता है. इसलिए कंडीशनिंग, सीरम और हैड कवर करना बहुत जरूरी होता है.

4. बार-बार वौश करने से बचें

जो महिलाएं हर 15 दिनों में ग्रे कवरेज के लिए बालों में कलर करती हैं उन्हें भी बालों को गीला बारबार नहीं करना चाहिए, क्योंकि जितना हैड को वाश करेंगी उतना ही बालों के रूट के पास कलर निकल जाएगा, साथ ही यह भी कोशिश करें कि बालों में पसीना न आए, क्योंकि पसीने की वजह से भी उन का कलर निकल जाता है.

5. अच्छी क्वालिटी के कलर से बनेगी बात

अच्छे ब्रैंड के कलर ही यूज करें. ये बालों के लिए अच्छे होते हैं. सस्ते के चक्कर में अपने बाल खराब न करें. बालों को साफ रखना भी बहुत जरूरी है. मगर आप के बालों में कुछ एक परसैंट भी ग्रे कलर है तो कैमिकल से बचने की कोशिश करें और आंवला, रीठा, शिकाकाई जैसे नैचुरल सोर्सेस से बालों को कलर करें.

6. समय निकालें

आजकल ज्यादातर महिलाएं व्यस्त रहने की वजह से बालों की देखभाल के लिए समय नहीं निकाल पातीं. लेकिन अगर आप ने बालों को कलर करवाने का मन बना लिया है तो समय निकालना भी शुरू कर दीजिए, क्योंकि कलर के साथ केयर बहुत जरूरी होती है. इस से कलर काफी लंबे समय तक चलता है.

7. ग्रे न कराएं

हाईब्लड प्रैशर पेशैंट और प्रैगनैंट महिलाओं को हेयर कलर अवौइड करना चाहिए. अगर कलर करवाना ही है तो कोशिश करें कि बालों की रूट से कलर न करवाएं और ओपन एरिया में बैठ कर ही कलर करवाएं, जहां वैंटिलेशन हो.

8. किसी की कौपी न करें

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अगर किसी ने कलर करवाया है तो आप को उस की कौपी नहीं करनी चाहिए. बालों में कलर हमेशा अपने हेयर, फेस और प्रोफैशन के हिसाब से ही करवाना चाहिए.

9. नैप एरिया पर टैस्ट

जब भी पहली बार बालों में कलर करवाएं तो 100% बालों में कलर न करवाएं. पहले नैप एरिया पर थोड़े से बाल ले कर कलर करवाएं. इस से एग्जैक्ट क्या कलर आने वाला है या कोई साइड इफैक्ट  तो नहीं हो रहा है इस का पता चल जाएगा. इसलिए बालों में कलर हेयर ऐक्सपर्ट से ही करवाएं. कलर चुनते समय सिर्फ  बौक्स पर छपी तसवीर को न देखें, बल्कि उस के नंबर और लेटर्स पर भी फोकस करें. आप चाहें तो ऐक्सपर्ट की मदद ले सकती हैं.

10. ब्लीच से बचें

बहुत सी महिलाएं हाइलाइट्स के अंदर ब्लीच कर लेती हैं, जो बालों के लिए नुकसानदायक होता है. जिन बालों में ब्लीच होती है उन का जल्दी सफेद होने का डर रहता है. इसलिए कोशिश करें कि जब भी बालों को हाइलाइट करवाएं तो अच्छे कलर से ही कराएं.

11. स्मार्ट टिप

अगर आप चाहती हैं कि कलर में मौजूद कैमिकल से आप के बालों को नुकसान न हो तो कम से कम 3 दिन पहले से हौट औयल ट्रीटमैंट करें.

Health Issue : मेरा बेटा इंग्युनल हर्निया के साथ जन्मा है, क्या इसका उपचार उपलब्ध है?

Health Issue :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

मेरी बेटी की उम्र 13 साल है. उसे अकसर पेट में दर्द रहता है. जांच कराने पर अपैंडिसाइटिस का पता चला. क्या सर्जरी कराना जरूरी है?

अपैंडिक्स के संक्रमण को अपैंडिसाइटिस कहते हैं. यह बच्चों में होने वाली सब से सामान्य समस्याओं में से एक है. इस के कारण बच्चों में पेट दर्द, उलटी होना, जी मिचलाना, बुखार, भूख न लगना, कब्ज, डायरिया या पेशाब से संबंधित समस्याएं भी हो जाती हैं. इसे दवाइयों या दूसरे उपचारों से ठीक नहीं किया जा सकता. सर्जरी ही इस का एकमात्र उपचार है. अपैंडिसाइटिस एक मैडिकल इमरजैंसी है इसलिए तुरंत सर्जरी कराएं. सर्जरी में देरी से जटिलताएं बढ़ सकती हैं और यह घातक भी हो सकता है.

मैं 28 वर्षीय 20 सप्ताह की गर्भवती महिला हूं. अल्ट्रासाउंड में आया है कि गर्भस्थ शिशु को हाइड्रोनेफ्रोसिस है?

फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस यानी ऐंटीनेटल रीनल स्वैलिंग जिसे सामान्य भाषा में किडनी की सूजन कहा जाता है जो यूरिन के जमा होने से होती है. फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस का पता अकसर प्रीनैटल अल्ट्रासाउंड में चलता है. अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीनों के आने से गर्भस्थ शिशु की किडनियों को ज्यादा स्पष्ट रूप से देखना संभव हो पाया है. अगर कोई गर्भस्थ शिशु इस से पीडि़त है तो उस पर नजर रखी जाती है और बच्चे के जन्म के बाद कुछ जरूरी जांचे की जाती हैं. जांचों के परिणाम पर ही निर्भर करता है कि उपचार की जरूरत है या नहीं और अगर उपचार जरूरी है तो समस्या की गंभीरता के आधार पर उपचार विकल्प चुने जाते हैं.

नवजात में यूरिनरी सिस्टम से संबंधित कौनकौन सी समस्याएं होने का खतरा होता है?

नवजातों में यूरिनरी सिस्टम या मूत्र तंत्र से संबंधित किसी भी भाग की जन्मजात विकृति हो सकती है. इन में सम्मिलित हैं- किडनी ही न होना, किडनियों का गलत पोजीशन में होना, हाइड्रोनेफ्रोसिस यानी किडनियों में सूजन होना, यूरिन के बाहर निकलने के रास्ते में ब्लौकेज होना या यूरिन का प्रवाह उल्टा हो कर वापस ब्लैडर की ओर होना जिसे रिफ्लक्स कहते हैं. यूरेथ्रा यानी मूत्रवाहिनी में ब्लौकेज आने से ब्लैडर या मूत्राशय के खाली होने में परेशानी आना है. इस से ब्लैडर में प्रैशर निर्मित होता है. यह गर्भस्थ शिशु में मूत्र तंत्र से संबंधित सब से सामान्य समस्या है.

मेरा बेटा इंग्युनल हर्निया के साथ जन्मा है. यह क्या होता है? क्या इस के लिए कोई नानसर्जिकल उपचार भी उपलब्ध है?

कई बच्चे जन्मजात इंग्युनल हर्निया की समस्या से पीडि़त होते हैं. यह समस्या तब होती है जब आंत का एक भाग पेट के निचले भाग में एक ओपनिंग से बाहर निकल जाता है जिसे इंग्युनल कैनल कहते हैं. कस कर बंद होने के बजाय कैनल आंत के लिए स्थान छोड़ देती है ताकि वह फिसल कर यहां से बाहर आ जाए. इंग्युनल हर्निया का कोई नौनसर्जिकल उपचार नहीं है. केवल सर्जरी के द्वारा ही इसे ठीक किया जा सकता है.

मेरी बेटी को यूपीजे है. इस के लिए उपचार के कौनकौन से विकल्प उपलब्ध हैं?

यूपीजे यानी यूरैट्रो पेल्विक जंक्शन औब्सट्रक्शन के कारण किडनी ब्लौक हो जाती है. अधिकतर मामलों में यह रीनल पेल्विस पर ब्लौक होती है जहां किडनी दोनों में से एक यूरैटर (ट्यूब जो ब्लैडर तक यूरिन ले जाती है) से जुड़ती है. ब्लौकेज के कारण किडनी से यूरिन का प्रवाह धीमा या ब्लौक हो जाता है. अगर इस का उपचार न कराया जाए तो किडनी की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. अगर किसी बच्चे को यह समस्या है तो मातापिता को घबराना नहीं चाहिए. इस का पूरी तरह उपचार संभव है. कीहोल सर्जरी ने इसे काफी आसान बना दिया है.

हाइड्रोनेफ्रोसिस क्या है और यह समस्या कितनी गंभीर है?

यूरिन जिस का निर्माण किडनियों में होता है सामान्यत: यूरेथ्रा या मूत्र वाहिनियों द्वारा किडनियों से पूरी तरह बाहर निकल जाता है और ब्लैडर या मूत्राशय में पहुंच जाता है जहां से वह शरीर से बाहर निकल जाता है. हाइड्रोनेफ्रोसिस में यूरिन एक या दोनों किडनियों में ट्रैप हो जाता है. सामान्यत: यह ब्लौकेज के कारण होता है. इस के कारण यूरिन सामान्य से धीमी गति से बाहर निकलता है. यह समस्या सभी उम्र के लोगों को हो सकती है. इस का पूरी तरह उपचार संभव है. यह समस्या तब भी हो सकती है जब बच्चा मां के गर्भ में हो.

मेरे 14 वर्षीय बेटे को 2-3 बार यूरिन में खून आ गया. मैं अपने बेटे की सेहत को ले कर बहुत चिंतित हूं क्या करूं?

यूरिन में रक्त आने का कारण सामान्य भी हो सकता है और कई बार यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है. यूरिन में रक्त आने को चिकित्सकीय भाषा में हेमैटुरिया कहते हैं. जो रक्त हम अपनी आंखों से देख सकते हैं ग्रौस हेमैटुरिया कहलाता है और जो यूरिनरी ब्लड केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा दिखाई देता है उसे माइक्रोस्कोपिक हेमैटुरिया कहते हैं. इस के बारे में तब पता चलता है जब डाक्टर यूरिन की जांच करता है. यूरिन में रक्त आने का कारण मूत्र मार्ग का संक्रमण (यूटीआई), किडनी का संक्रमण, ब्लैडर या किडनी में पथरी, किडनी या ब्लैडर कैंसर, कुछ आनुवंशिक डिसऔर्डर जैसे सिकल सेल ऐनीमिया, किडनी का चोटिल हो जाना, अत्यधिक वर्क आउट करना या नियमित रूप से कई किलोमीटर दौड़ना आदि हो सकता है. यूरिन में रक्त आने की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. तुरंत डाक्टर से जांच कराएं. हेमैटुरिया का उपचार उस के कारणों के आधार पर किया जाता है.

-डा. संदीप कुमार सिंहा

निदेशक, पीडिएट्रिक सर्जरी ऐंड

पीडिएट्रिक यूरोलौजी, मेदांता, गुरुग्राम 

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

स्रूस्, व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

किट्टी पार्टी में बनाएं ये इंस्टेंट स्नैक्स

बेसन का बाटी

सामग्री

11/2 कप बेसन

1/2 कप मक्के का आटा

2 बड़े चम्मच घी

1/2 कप पनीर

1 हरीमिर्च कटी

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

तलने के लिए तेल

नमक स्वादानुसार.

विधि

मक्के के आटे को छान कर बेसन, घी और नमक मिला कर गूंध लें. उबलते पानी में आटे की लोइयां बना कर 8-10 मिनट पकाएं. पानी से निकाल कर अच्छी तरह मसल कर छोटीछोटी बौल्स बनाएं. पनीर को मसल कर उस में धनियापत्ती, हरीमिर्च और नमक मिलाएं. आटे की छोटीछोटी बौल्स के बीच पनीर का मिश्रण भर कर अच्छी तरह बंद कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें, सरसों के साग के साथ सर्व करें.

बाजरा मेथी परांठा

सामग्री

2 कप बाजरे का आटा

1/2 कप मेथी कटी

1 छोटा टुकड़ा अदरक

1 हरीमिर्च कटी

1/4 कप दही

2 छोटे चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार.

विधि

बाजरे के आटे को छान लें. अदरक और हरीमिर्च को पीस लें. बाजरे के आटे में पिसा अदरक, हरीमिर्च, मेथी, तेल और नमक डाल कर दही के साथ आटा गूंध लें. इस आटे की लोइयां बना कर रोटियां बना लें. गरम तवे पर तेल लगा कर दोनों तरफ से सेंकें. गरमगरम परांठे सब्जी के साथ परोसें.

सरसों पालक के कटलेट

सामग्री

2 कप पालक कटा

2 कप सरसों कटी

1 छोटा टुकड़ा अदरक

1 हरीमिर्च कटी

2 ब्रैडस्लाइस

1/2 कप पनीर

2 बड़े चम्मच मक्खन

नमक स्वादानुसार.

विधि

पालक और सरसों को स्टीम कर लें. फिर इसे अदरक और हरीमिर्च के साथ मिक्सी में पीस लें. ब्रैडस्लाइस का मिक्सी में चूरा कर लें. फिर ब्रैड चूरा, पनीर, पालक व सरसों का पेस्ट और नमक मिला लें. टिकियां बना कर गरम तवे पर मक्खन के साथ दोनों तरफ से सेंक कर सौस के साथ गरमगरम परोसें.

स्वीट पोटैटो सूप

सामग्री

2 शकरकंदी

1 बड़ा चम्मच हरी शिमलामिर्च कटी

1 बड़ा चम्मच लाल शिमलामिर्च कटी

1 बड़ा चम्मच पीली शिमलामिर्च कटी

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

1 बड़ा चम्मच मक्खन

1/2 छोटा चम्मच चीनी

5-6 छोटेछोटे टुकड़े पनीर के

1 चुटकी दालचीनी पाउडर

नमक स्वादानुसार.

विधि

1 शकरकंदी को छील कर पतलेपतले स्लाइस में काट लें. 1 शकरकंदी को उबाल कर छिलका निकाल कर मैश कर लें. कड़ाही में मक्खन गरम कर सभी शिमलामिर्च और शकरकंदी के स्लाइस डाल कर भूनें. नमक, कालीमिर्च और 1 कप पानी डालें. शकरकंदी के पकने पर पनीर के टुकड़े, चीनी और मैश शकरकंदी डालें. ऊपर से 1 चुटकी दालचीनी पाउडर डाल कर गरमगरम परोसें.

साबूदाना फ्रूट बाउल

सामग्री

1/2 कप साबूदाना

1/2 कप नारियल का दूध

3 बड़े चम्मच कंडैंस्ड मिल्क

थोड़े काजूबादाम के टुकड़े

थोड़े से कटे फल सेब, अनार, संतरा, पाइनऐप्पल.

विधि

साबूदाने को पानी में भिगो कर उबाल लें. छलनी में डाल कर ठंडे पानी से धो लें. एक कड़ाही में कंडैंस्ड मिल्क और नारियल का दूध डाल कर गरम करें. फिर साबूदाना डाल कर 1-2 मिनट तक चला लें. फिर कटे फल और काजूबादाम डाल कर परोसें.

Summer Wedding : गर्मी में शादी अटेंड करनी हो, तो रखें इन बातों का ख्याल

Summer Wedding : मौसम कोई भी हो, शादी अटेंड करने का उत्साह ही अलग होता है. लेकिन ज्यादा गर्मी का मौसम अपने आप में कई परेशानियां लेकर आता है और ऐसे में यदि आपको शादी में जाना हो, तो समझ ही नहीं आता कि क्या पहना जाए और कैसे खुद का ख्याल रखा जाएं ताकि अच्छी तरह शादी अटेंड की जा सकें. इसलिए शादी गर्मियों में है, तो ये स्मार्ट हैक्स को जरूर अपनाएं.

खुद को हाइड्रेट (Hydrate) रखें

कई बार शादी की भागदौड़ में हम खुद का ख्याल रखना ही भूल जाते हैं और नतीजा होता है कि ऐन शादी वाले हम लो फील करते हैं और वीकनेस इतना हो जाती है कि शादी का वो पहले वाला एक्साइटमेंट कहीं छूमंतर हो जाता है. अब इसमें गलती भी तो आपकी ही है न. पहले ही अपना धयान न रहकर खुद को इतना थका लेंगे तो फिर एन्जौय कैसे करेंगे.

इसलिए शादी में काफी भागदौड़ और नाचगाना होता है जिसमें आपकी काफी एनर्जी और पसीना निकल जाता है इसीलिए उसकी भरपाई करना बहुत जरूरी है. शरीर में पानी की कमी ना होने दें. आज कल की शादियों में आपको नींबू पानी से लेकर नारियल पानी तक सभी ऑप्शन्स मिल जाएंगे, तो इन्हें पीते रहें. बीच बीच में आराम भी करते रहें.

योर बौडी नीड रेस्ट

जी हां, माना एक्साइटमेंट का लेवल काफी हाई है लेकिन उसका मतलब ये नहीं है न कि खुद को पूरा ही थका दो. इस तपतीझुलसती गर्मी में आपके शरीर को आराम की जरूरत है. पूरी 8 घंटे की नींद ना सही लेकिन कोशिश करें कि दिन में आधेआधे घंटे के 1-2 पावर नैप्स जरूर ले लें. रात को भी चाहे नींद कम हो लेकिन रिलैक्सिंग हो. तब आप कल की साड़ी चिंता छोड़कर आराम से सोये. तभी कल आपका दिन अच्छा बीतेगा वरना सुस्ती और आलस आपके एन्जौयमेंट की बैंड ना बजा दें तो कहना.

मेकअप करते समय धयान दें

सबसे पहले आपको यह तय करना है कि आप इंडीविजुअल अपनी  पर्सनैलिटी पर धयान देना चाहती हैं या आपका कंपटीशन डायरेक्ट ब्राइड से है. नहीं न, तो फिर हमारी सलाह माने तो मेकअप हैवी नहीं बल्कि लाइट ही रखें. आजकल वैसे भी नेचुरल लुक्स का जमाना है. हां, इतना जरूर याद रखें कि सारा मेकअप वाटरप्रूफ हो ताकि गर्मी में पसीने के साथ बह ना जाये. साथ ही पाउडर और मैटिफाइंग प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करें. मेकअप पूरा होने के बाद मेकअप फ़िक्सर का यूज़ करना ना भूलें.

फुटवियर कंफर्टेबल पहनें

शादी के समय घंटों खड़े रहना पड़ता है. जिससे पैरों में दर्द हो जाता है इससे बचने के लिए स्टाइलिश और कुशनिंग वाले फुटवियर को चुनें जिससे आपको कंफर्टेबल महसूस हो जैसे आप, फ्लैट्स या लो-हील सैंडल्स ले सकते हैं.

हेयरस्टाइल सिंपल और टिकाऊ रखें

गर्मियों के समय हेयरस्टाइल सिंपल रखें क्योंकि घने बालों में गर्मी ज्यादा लगती है. इस मौसम में खुले बाल रखें मतलब खुद के साथ टौर्चर करने जैसा होगा. इसलिए बन या ब्रेडेड हेयरस्टाइल्स अपनाएं जो स्मार्ट लुक के साथ आपको गर्मी से बचाएं.

Perfume और डिओड्रेंट यूज़ करें

अकसर गर्मियों के समय अधिक पसीना आता है जिससे पसीने की बैड स्मैल जैसी समस्याएं होने लगती है. इससे बचने के लिए लौन्गलास्टिंग डिओड्रेंट का इस्तेमाल करें.

बहुत ज्यादा खाने से बचें

जब भी हम किसी शादी या फंक्शन में जाते हैं तो स्वाद और तरहतरह की फूड आइटम को ट्राई करने के चक्कर में जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं. ऐसा करना बाद में आपको कष्ट देगा. इससे आपका पाचन खराब होगा, पेट संबंधी समस्याएं होंगी, वजन बढ़ेगा और कई अन्य रोगों का जोखिम भी बढ़ेगा. इसलिए बेहतर है कि भूख के अनुसार सीमित मात्रा में ही खाना खाएं.

स्टाइलिश लेकिन कम्फर्टेबल आउटफिर कैरी करें

साड़ी विद वेल्ट

गर्मी के मौसम में आप शिफॉन फैब्रिक की साड़ी का चयन कर सकती हैं. इस साड़ी पर बेल्ट होनी चाहिए जो इसे एक अलग ही स्टाइल देगी. अगर सर्जरी के साथ बेल्ट नहीं है तो आप अलग से भी खरीद सकते हैं.

टिश्यू फैब्रिक की साड़ी

टिश्यू फैब्रिक की साड़ी आजकल काफी ट्रेंड में है. इसके साथ मैचिंग ब्लाउज़ इसमें जान दाल देता है. यह साड़ी वैसे तो काफी हलकी होती है लेकिन इस पर किया गया कुंदन और जरदोज़ी का काम इसे हैवी लुक देता है.

नेट साड़ी

नेट की साड़ी हमेशा से आल ओवर रही है. इसका फैशन कभी आउट नहीं होता और समर सासिओं के लिए तो यह बेस्ट औप्शन है. गर्ल्स इसे पेह कर पूरी बौडी फ्लौन्ट कर सकती हैं.

लाइट वेट ड्रिप की हुई साड़ी पहने

शादी में साड़ी पहनना सबको पसंद आता है लेकिन गर्मी के मौसम में हेवी सिल्क और मोटी कढ़ाई वाली साड़ियों से बचकर रहें. किसके पास इतना समय है कि वह इस मौसम में प्लीट्स को एडजस्ट कर सके, पल्लू को संभाल सके. ऐसे में पहले से ड्रेप की हुई साड़ियां सही रहती हैं, जो सभी बड़े और छोटे फंक्शन के लिए परफेक्ट और ईजी हैं.

काफ्तान लुक हैवी ड्रेस

गर्मी की शादी के लिए फ्लोई काफ्तान आपका सबसे अच्छा दोस्त होना चाहिए. यह कम्फर्टेबल फिटिंग, ब्रीजी सिलूएट और खूबसूरत ड्रेप क साथ आपको कॉन्फिडेंट दिखाने के साथ ग्लैमरस लुक भी देगा. चाहे वह संगीत की रात के लिए एम्ब्रॉइडर्ड सिल्क काफ्तान हो या दिन के समय मेहंदी के लिए लाइट ऑर्गेन्जा फैब्रिक का काफ्तान, यह ड्रेस पूरी तरह से गेम चेंजर है.

को और्ड सेट

अब यह तो आपको किसी ने नहीं कहा कि आप हर वक्त शादी में भरी बहरी लहंगे ही पहने. बल्कि स्टाइलिश सिंपल ड्रेस में भी आप गजब कर सकती हैं.जैसे वेलकम लंच, शादी के बाद ब्रंच या कम्फर्टेबल कॉकटेल इवनिंग के लिए स्टाइलिश कोऔर्ड सेट सबसे बढ़िया है. चाहे वह स्टेटमेंट ब्लाउज के साथ फ्लोई पलाज़ो सेट हो, स्ट्रक्चर्ड टॉप के साथ ड्रेप्ड स्कर्ट हो या ब्रीजी शरारा सेट हो, को और्ड क्यूट दिखने के साथ कम्फर्टेबल भी होते हैं.

लहंगे भी हो कुछ ऐसे

गर्मी में लाइट शिफौन, जौर्जेट या और्गेन्जा फैब्रिक के लहंगे सही रहते हैं, जो आपको बिल्कुल भी हेवी नहीं महसूस कराते हैं. अगर यह क्यूट पेस्टल या फ्लोरल प्रिंट में है तो और ज्यादा खूबसूरत और परफेक्ट दिखता है.

Crochet : शौक के साथ ऐक्सरसाइज भी है क्रोशिया

Crochet : किसी जमाने में हर घर में क्रोशिया से बुनी तकिए के कवर, रूमाल, शोपीस और अन्य सामान आसानी से देखे जाते थे. बदलते वक्त और भागदौड़ भरी जिंदगी में घरों और बाजारों से क्रोशिया की बुनी हुई चीजें गायब सी होती चली गई थीं लेकिन इन दिनों एक बार फिर क्रोशिया से बने कपड़ों और ज्वैलरी के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है.

क्रोशिया एक फ्रैंच शब्द है जिस का मतलब है ‘हुक’. यानि क्रोशिया एक प्रकार की हुकदार लगभग 6 इंच लंबी सलाई का नाम है जिस से ‘लेस’ या ‘जाली’ हाथों से बुनी जाती है. इस से बुने काम को क्रोशिए का काम कहते हैं. अंगरेजी में क्रोशिया क्रोशे (crochet) कहलाता है.

लेस 3 प्रकार से बनाई जाती है- बौबिन से, क्रोशिया से और सलाइयों से. इस तरह क्रोशिया लेस बनाने के 3 प्रकारों में से एक है.

क्रोशिया से काम करने के फायदे

क्रोशिया करना एक रचनात्मक और फायदेमंद गतिविधि है जो कई तरह के मैंटल और फिजिकल बैनिफिट्स देती है. यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है, साथ ही यह ध्यान केंद्रित करने, रचनात्मकता को बढ़ावा देने और शारीरिक गतिविधियों को बेहतर बनाने में भी सहायक है.

क्रिएटिविटी को बढ़ावा देता है

क्रोशिया करने से क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिलता है और नए और अनोखे तरीके से सोचने की क्षमता विकसित होती है. जब आप अपनी समझ से नएनए डिजाइन बनाते हैं, तो एक खुशी का भी एहसास होता है.

फिजिकल ऐक्टिविटी को बेहतर बनाता है

क्रोशिया करने से हाथों और उंगलियों की ऐक्टिविटी बढ़ती है, जो फिजिकल ऐक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करती है. इस से पूरे हाथ की ऐक्सरसाइज होती है. इस से मसल्स मजबूत बनती है और हाथों की कलाई और अंगूठे में होने वाली कपल टर्नल सिंड्रोम जैसे बीमारियां जो आज बहुत कौमन है उन से राहत मिलती है.

कम्युनिटी स्प्रिट को बढ़ावा देता है

क्रोशिया एक सोशल ऐक्टिविटी है, जो लोगों को एकसाथ आने और बातचीत करने का अवसर प्रदान करती है. पहले के टाइम में भी बहुत सी महिलाएं एक ही जगह पर पार्क या फिर किसी के घर इकठ्ठा हो कर क्रोशिया करती थीं और काम के साथसाथ घंटों बातें कर अपना टाइम भी पास करती थीं.

सस्ती और पोर्टेबल

क्रोशिया करने के लिए बहुत अधिक खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है. यह एक पोर्टेबल गतिविधि है जिसे आप कहीं भी कर सकते हैं.

यार्न क्राफ्ट आप को खुश करता है

शौक नाटकीय रूप से आप के मूड और जीवन की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाते हैं. शौक मजबूत रिश्ते बनाते हैं, आप को अपनी सोसाइटी में शामिल रखते हैं और एक औब्जेक्टिव फीलिंग देते हैं. साथ ही आप अपने पसंदीदा टीवी शो को देखते हुए पूरी तरह से उपयोगी चीजें बना सकते हैं.

आप के गिफ्ट की कीमत मेहनत होगी

अगर आप ने कभी किसी को हाथों से बुना हुआ या क्रोकेटेड स्कार्फ दिया है तो आप समझ जाएंगे कि हमारा क्या मतलब है. यह ऐसी चीज है जिसे हमेशा पैसे से नहीं खरीदा जा सकता और बहुत से लोग समय और मेहनत की सराहना करते हैं जो आप किसी खूबसूरत चीज को बनाने में लगाते हैं.

यार्न क्राफ्ट मोबाइल जैसी बुरी आदत को छोड़ने का एक अच्छा तरीका है

अगर आप धूम्रपान, स्मोकिंग या फेसबुकिंग छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, तो यार्न क्राफ्ट आप के लिए सब से बढ़िया टूल होगा. जब आप अपने हाथों को किसी और काम से रोकने की कोशिश कर रहे हों, तो यह आप के हाथों को व्यस्त रखेगा.

स्ट्रैस को खत्म करता है क्रोशिया

क्रोशिया करने की दोहरावदार और एक ही चीज पर फोकस करने वाली क्रिया मन को शांत करती है और चिंता और तनाव को कम करने में मदद करती है. जब हम कुछ ऐसा करते हैं जो हमें पसंद होता है, तो हमारा मस्तिष्क डोपामाइन नामक रसायन छोड़ता है, जो हमारी फीलिंग्स को प्रभावित करता है.

क्रोशिया का काम करने के लिए क्या चाहिए

क्रोशिया हुक सुई की तरह का उपकरण है जिस का उपयोग धागों को लूप करने के लिए किया जाता है. यार्न (धागा) सूती, ऊनी या रेशमी धागा इस्तेमाल किया जा सकता है. कटिंग टूल्स जैसेकि कैंची, जो धागों को काटने के लिए उपयोग होते हैं.

कैसे किया जाता है

कपड़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण एक हुक वाली सुई है, इसलिए इस कला को ‘क्रोकेट’ नाम मिला. क्रोकेट सुइयों को कभीकभी शेफर्ड हुक भी कहा जाता है और यह आमतौर पर स्टील, लकड़ी, प्लास्टिक और अतीत में हाथी दांत से भी बनाई जाती है. इस प्रक्रिया में बस सूत या धागे के लूप को आपस में जोड़ कर कपड़ा बनाया जाता है. बुनाई के विपरित जहां एक समय में कई टांके खुले रहते हैं, क्रोकेट में  प्रत्येक टांका अगले टांके के शुरू होने से पहले पूरा हो जाता है.

दरअसल, क्रोशिए की लेस बनाने में 2 सलाइयों द्वारा केवल एक धागे को बुना जाता है, पर चाहे तो अन्य रंग भी ले सकते हैं. वैसे तो किसी भी रंग के धागे से लेस या क्रोशिए का काम बुना जाता है पर सर्वप्रिय तथा कलात्मक सफेद रंग ही रहा है. इस काम में धागे को सलाइयों या हुक पर लपेटते और मरोड़ी (गांठे) बनाते चलते हैं. क्रोशिए के हुक से लंबी लेस या झालर, गोल मेजपोश तथा चौकोर परदे आदि वस्तुएं बनाई जा सकती हैं. धागे के अनुसार काम भी मोटा या महीन होगा. क्रोशिए का काम रेशमी, सूती और ऊनी तीनों प्रकार के धागों से किया जाता है पर अधिकतर सूती धागा ही बरता जाता हैं.

डिजाइनों में ज्यामितिक आकार, फूलपत्तियां, पशुपक्षी और मनुष्याकृतियां बनाई जाती हैं. डिजाइन को घना बुना जाता है और आसपास के स्थान को जाली डाल कर. इस प्रकार आकृतियां बहुत स्पष्ट और उभरी दिखती हैं.

क्रोशिया का काम कैसे करें

क्रोशिया (Crochet) में हुक का इस्तेमाल कर के धागों को आपस में जोड़ा जाता है. इसे ही क्रोशिया का काम कहा जाता है. इस तकनीक का उपयोग कर के आप कई तरह की वस्तुएं जैसेकि कपड़े, खिलौने, और घर की सजावट के लिए चीजें बना सकते हैं. ऐसी कोई भी चीज बनाने के लिए आप काम करने के लिए एक धागा लें और हुक की मदद से एक लूप बनाएं.

धागे को लूप में से खींचें और फिर एक नया लूप बनाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते हुए आप स्टिच बना सकते हैं.

विभिन्न प्रकार के स्टिच का उपयोग कर के आप विभिन्न डिजाइन बना सकते हैं, जैसेकि लेस, झालर, मेजपोश साथ में और भी बहुत कुछ.

कुछ सामान्य क्रोशिया स्टिच

सिंगल क्रोशिया (Single Crochet) : यह सब से बुनियादी स्टिच है, जो लूप में से एक धागा खींचने और फिर 2 लूप में से एक साथ खींचने से बनता है.

डबल क्रोशिया (Double Crochet) : यह एक स्टिच है जिस में लूप में से 2 धागे खींचने और फिर 3 लूप में से एकसाथ खींचने से बनता है.

ट्रिपल क्रोशिया (Triple Crochet) : यह एक स्टिच है जिस में लूप में से 3 धागे खींचने और फिर 3 लूप में से एकसाथ खींचने से बनता है.

डिजाइन बनाने में समय

कुशन कवर को बनाने में 2-3 दिन लगते हैं, तो स्वेटर बनाने में 1 हफ्ते का समय लगता है. कुछ और बनाने में लगने वाला समय आप की क्षमता और कार्य पर डिपैंड करता है.

Home Decor Hacks : विंटेज और एंटीक चीजों से दें घर को नया लुक

Home Decor Hacks : सजाधजा घर किसे पसंद नहीं होता. हम सभी अपने घर को भांतिभांति की सजावटी वस्तुओं से सजाना चाहते हैं. कई बार काफी लंबे समय से एकजैसी सजावट देख कर भी हम बोर होने लगते हैं और ऐसे में हम अपने घर को कुछ नया लुक देना चाहते हैं. पहले के मुकाबले आजकल घरों को सजाने का ट्रैंड भी बदल रहा है. आजकल घरों की सजावट में ऐंटीक और विंटेज फैशन ट्रैंड में है जिस में विंटेज और एंटीक चीजों से घर को सजाया जाता है.

कोई भी कलाकृति, मूर्ति, बर्तन या फिर अन्य कोई भी डेकोरेशन की वस्तु जो 100 साल से भी अधिक पुरानी हो वह एंटीक कहलाती है. इस तरह की अधिकांश वस्तुओं से अपने घर को सजा कर आप अपने घर को ऐंटीक लुक देते हैं, वहीं 100 साल या उस से भी कम पुरानी चीजों को विंटेज की श्रेणी में रखा जाता है.

आजकल किसी एक शैली में घर को सजाने की अपेक्षा मिलीजुली शैली में घर सजाया जाता है जिस में एक तरफ जहां बहुत पुरानी चीजों को नया रूप दिया जाता है, वहीं दूसरी तरफ कुछ नई सजावटी वस्तुओं को भी सजावट में शामिल किया जाता है. इस तरह से कम खर्चे में भी आप अपने घर को एकदम नया लुक दे सकते हैं.

आजकल नएपुराने के इस सम्मिश्रण से ही घरों को सजाया जा रहा है. यदि आप भी अपने घर को एंटीक और विंटेज लुक देना चाहते हैं तो निम्न टिप्स का प्रयोग किया जा सकता है :

डार्क वुड : यद्यपि पिछले कुछ समय से डिजाइन वर्ल्ड में ब्लीचड और लाइटर वुड फर्नीचर का ट्रैंड रहा है पर अब पारंपरिक डार्क वुड में लोगों की रुचि देखने को मिल रही है. डार्क वुड फर्नीचर में डैप्थ, वार्म्थ और ट्रैडिशनल टच होता है जो मौडर्न स्पेस को क्लासिक टच देता है. हर कमरे में एक डार्क वुड पीस उस कमरे की सुंदरता को बढ़ा देता है फिर चाहे वह विंटेज ड्रैसर हो, बैड या चेयर जैसे डार्क ब्राउन फर्नीचर से आप अपने ड्राइंगरूम और घर को आकर्षक और ट्रैंडी लुक दे सकते हैं.

किचन टूल्स : स्टील के साथसाथ कौपर, पीतल, कुकवेयर से ले कर मिट्टी के बर्तन और लकड़ी और पीतल की स्पाइस कैबिनेट्स तक तरह तरह के किचन आइटम्स आजकल ट्रैंड में हैं. आजकल लोग इन्हें खरीद कर किचन को आकर्षक लुक दे रहे हैं. आजकल किचन की ट्रैंडी और पुरानी चीजों को आकर्षक बना कर घर की दीवारों को सजाने के लिए किया जा रहा है. ये रसोई की कम और सजावट की ज्यादा प्रतीत होतीं हैं. इन के प्रयोग से दीवारें स्कल्पचर जैसी लगाने लगती हैं.

आर्ट डैकोरेशन

अब आर्ट डैकोरेशन और आर्ट नोवो स्टाइल के डैकोरेटिव पीसेज की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है. हैंड कार्व्ड, हैंड पेंटेड, नक्काशीदार ऐंटीक फर्नीचर जैसे केस पीस और टेबल काफी पसंद किए जा रहे हैं. ये घर को बहुत ट्रैंडी और कलात्मक लुक देते हैं.

पैंटेड फर्नीचर : आजकल नए की अपेक्षा अच्छी तरह और डिटेलिंग से पेंट किए पुराने फर्नीचर अब फिर से डिमांड में हैं. ये आप के घर को नया और आकर्षक लुक प्रदान करते हैं.

यों आजकल विविधता का फैशन है और इस तरह से कलर किए गए फर्नीचर आप के घर में भांतिभांति के रंग एड करते हैं और अपने घर में कलर एड करना सिर्फ एक डिजाइन स्टेटमैंट नहीं रह गया बल्कि सैल्फ ऐक्सप्रेशन का तरीका भी बन गया है. विविध प्रकार के रंग आप के घर के स्पैस को तुरंत खुशनुमा और पर्सनल बनाते हैं.

यह प्रयोग भी करें

● आप भी अपने घर में पड़ी पुरानी टंकी, कंटेनर आदि को पेंट और ब्रश का प्रयोग कर उसे एंटीक लुक दे सकते हैं.

● पुराने हो चुके और पौलिश निकले किसी भी नौनस्टिक पैन या फिर तवे को उलटी तरफ से वर्ली आर्ट या फिर अन्य कोई भी ट्रैडिशनल आर्ट से सजा कर आप अपने घर के लिए कलात्मक डैकोरेटिव पीस तैयार कर सकते हैं.

● यदि आप के पास प्राचीन या परदादीपरदादा के जमाने की कोई भी वस्तु है तो उसे ऐंटीक पीस के रूप में सजाएं. घर को एकदम नया लुक मिलेगा.

● अपने घर को ऐंटीक लुक देने के लिए आप औनलाइन या औफलाइन मार्केट से भी पुरानी टेबल, कुरसी आदि खरीद सकते हैं. प्रत्येक शहर में पुरानी चीजों को खरीदनेबेचने का एक मार्केट जरूर होता है.

  • दादीनानी के पुराने बक्से को पेंट कर के नया रूप दें और अपने ड्राइंगरूम में सजाएं.

Reader’s Problem : मेरे सिर में बहुत खुजली होती रहती है, समझ नहीं आता क्या करूं?

Reader’s Problem :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मेरे सिर में बहुत खुजली होती रहती है. समझ नहीं आता क्या करूं?

जवाब-

अगर आप के सिर में खुजली हो रही है तो आप चैक करें कि कहीं आप के सिर में डैंड्रफ तो नहीं. डैंड्रफ से खुजली तो होती ही है साथ में आप के कपड़ों पर जब यह गिरती है तो बहुत ही खराब लगता है. इस के लिए आप 100 ग्राम दही  ले लें और उसे थोड़ी देर तक हैंग करें. अब उस के अंदर 10 एमएल ऐप्पल साइडर विनेगर मिला लें और इसे अपनी स्कैल्प पर लगा लें. 45 मिनट के बाद धा लें. इस से आप का डैंड्रफ भी कम होगी और खुजली भी. आप को बालों को साफ रखना बहुत जरूरी है. हर बार शैंपू करने के बाद अपनी कंघी, तौलिया और तकिए का कवर धो कर किसी ऐंटीसेप्टिक लोशन में भिगो दें. 1/2 घंटे बाद धूप में सुखा लें और अगली बार इस्तेमाल करें. बीचबीच में किसी अच्छे औयल से हैड मसाज करने से भी फायदा होता है.

ये भी पढ़ें- 

बरसात के मौसम में बालों का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है वरना वे झड़ने भी शुरू हो जाते हैं. आइए जानें कि बरसात में बालों की देखभाल कैसे की जाए:

पौष्टिक आहार लें

बालों का बढ़ना अमूमन आप की डाइट पर  निर्भर करता है. बालों की सही ग्रोथ के लिए हमेशा प्रोटीन, कैल्सियम और मिनरल्स युक्त आहार लें. इन के अलावा अपने आहार में फल और सलाद खासकर चुकंदर और जड़ वाली सब्जियों का ज्यादा सेवन करें.

बालों को कवर करें

बरसात में बालों को भीगने न दें, क्योंकि बरसात के प्रदूषित पानी की वजह से उन की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और वे झड़ने लगते हैं. अत: बरसात के गंदे पानी और नम हवा से बालों की रक्षा करने के लिए उन्हें किसी कपड़े अथवा स्कार्फ से ढक कर रखें. गोल हैट का इस्तेमाल भी कर सकती हैं ताकि बाल सुरक्षित रहें.

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गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055

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