Grihshobha Empower Her : Event Makes a Grand Debut in Chandigarh

Grihshobha Empower Her : On 7th December 2024, the Grihshobha Empower Her event, organized by Delhi Press Publications, kicked off splendidly at Kalagram, Chandigarh, at 11 AM. The participating women were brimming with enthusiasm—and why wouldn’t they be? This event provided them with an inspiring opportunity to learn, grow, and empower themselves alongside Grihshobha.

Session 1

The Grihshobha Empower Her initiative aims to support women in advancing their knowledge in health, beauty, and financial planning. From skincare and wellness tips to smart saving strategies, this program is designed to help women lead their best lives. After successful editions in Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Lucknow, Bangalore, and Ludhiana, the event made its mark in Chandigarh.

Session 2

The Grihshobha Empower Her initiative aims to support women in advancing their knowledge in health, beauty, and financial planning. From skincare and wellness tips to smart saving strategies, this program is designed to help women lead their best lives. After successful editions in Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Lucknow, Bangalore, and Ludhiana, the event made its mark in Chandigarh.

Session 3

The Grihshobha Empower Her initiative aims to support women in advancing their knowledge in health, beauty, and financial planning. From skincare and wellness tips to smart saving strategies, this program is designed to help women lead their best lives. After successful editions in Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Lucknow, Bangalore, and Ludhiana, the event made its mark in Chandigarh.

Session 4

The Grihshobha Empower Her initiative aims to support women in advancing their knowledge in health, beauty, and financial planning. From skincare and wellness tips to smart saving strategies, this program is designed to help women lead their best lives. After successful editions in Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Lucknow, Bangalore, and Ludhiana, the event made its mark in Chandigarh.

Objective of the Event

The Grihshobha Empower Her initiative aims to support women in advancing their knowledge in health, beauty, and financial planning. From skincare and wellness tips to smart saving strategies, this program is designed to help women lead their best lives. After successful editions in Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Lucknow, Bangalore, and Ludhiana, the event made its mark in Chandigarh.

Supporting Partners

The event was powered by:

  • Dabur Khajoor Prash (Wellness Partner)
  • Green Leaf Brahns (Beauty Partner)
  • La Shield (Skincare Partner)
  • SBL Homeopathy (Homeopathy Partner)

Throughout the day, engaging sessions and games were conducted, with participants receiving gift hampers as rewards.

Event Highlights

By 12 PM, the hall was packed. Women were welcomed with snacks and tea, after which the event commenced with Vandana beautifully outlining the day’s agenda.

1. Women’s Health & Wellness Session (by Dabur Khajoor Prash)

Dr. Madhu Gupta, an Ayurvedic doctor with over 20 years of experience, discussed iron deficiency in women—a common yet often overlooked health issue. Currently practicing at Shakti Bhavan, Panchkula, Dr. Gupta holds an MD in Kayachikitsa (Medicine) and specializes in lifestyle and autoimmune diseases. She shared practical remedies to combat iron deficiency.

2. Financial Planning & Investment Session

Deveshwar Goswami, a financial expert with 21+ years of experience, emphasized why financial independence is crucial for women. The founder of Bluerock Wealth Private Limited, he explained:

  • The importance of saving and investing a portion of income.
  • How Systematic Investment Plans (SIPs) in mutual funds can help build wealth.
  • The necessity of life and health insurance.

3. SBL Homeopathy Session

Dr. Shweta Goel, a gold medalist in BHMS (Panjab University) and MD in Homeopathy (Greece), shared insights on managing menopause-related health issues with homeopathy. With 5+ years of experience, she focuses on treating chronic ailments from the root.

4. Beauty & Skincare Session (by La Shield)

Dr. Betty Nangia (Founder, Betty Holistic & Skin Care) shared natural skincare tips for glowing, healthy skin.

Grand Finale

After an enriching day, women enjoyed a delicious meal, collected their goodie bags, and headed home—empowered, inspired, and ready to take on the world!

This event once again proved that Grihshobha Empower Her is not just an initiative but a movement towards a stronger, smarter, and self-reliant future for women.

Hindi Fiction Stories : दलाल – क्या राजन को माफ कर पाई काजल

Hindi Fiction Stories : 6 महीने पहले जब काजल की शादी राजन से हुई थी, तो वह मन में हजारों सपने ले कर अपने पति के घर आई . शुरुआती दिनों में उस के सपने पूरे होते भी दिखे थे. उस के ससुराल वाले खातेपीते लोग थे और वहां कोई कमी नहीं थी.

cookery

गरीबी में पलीबढ़ी काजल के लिए इतना होना बहुत था. उसे लगा था कि ससुराल आ कर उस की जिंदगी बदल गई है, उस की गरीबी हमेशा के लिए पीछे छूट गई है, पर बीतते दिनों के साथ उस का यह सपना टूटने लगा था.

काजल के मायके की जिंदगी गरीबी और तंगहाली से भरी जरूर थी, पर वहां उस की इज्जत थी. जैसे ही वह 20 साल की हुई थी, उस के मांबाप उस की इज्जत के प्रति कुछ ज्यादा ही सचेत हो उठे थे.

शादी के शुरू के दिनों में राजन का बरताव काजल के प्रति अच्छा था. उस के सासससुर भी उस का खयाल रखते थे, पर आगे चल कर राजन का बरताव काजल के प्रति कठोर होता चला गया.

राजन कपड़े का कारोबार करता था. उसे अपने कारोबार में 50 हजार रुपए का घाटा हुआ. उसे महाजन का उधार चुकाने के लिए अपने एक दोस्त से 50 हजार रुपए का कर्ज लेना पड़ा.

रजत नाम का यह दोस्त जब राजन से अपने पैसे मांगने लगा, तो उस के हाथपैर फूलने लगे. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह इतने रुपए कहां से लाए, ताकि अपने दोस्त के कर्ज से छुटकारा पा सके. उस ने इस बारे में गहराई से सोचा और तब उसे लगा कि उस की पत्नी ही उसे इस कर्ज से छुटकारा दिला सकती है.

अपनी इस सोच के तहत राजन ने काजल से बात की और उस से कहा कि वह अपने मांबाप से 50 हजार रुपए मांग लाए. पर जहां दो वक्त की रोटी का जुगाड़ ही मुश्किल से हो पाता हो, वहां इतने पैसों का इंतजाम कहां से हो पाता.

‘‘ठीक है,’’ राजन उदास लहजे में बोला.

‘‘पर मेरे पास एक और तरीका है,’’ काजल मुसकराते हुए बोली, ‘‘मेरे पास रूप और जवानी की दौलत तो है. मैं इसी का इस्तेमाल कर के पैसों का इंतजाम करूंगी.’’

‘‘क्या बकवास कर रही हो तुम?’’ राजन तेज आवाज में बोला.

‘‘मैं बकवास नहीं, बल्कि सच कह रही हूं.’’

‘‘नहीं, तुम ऐसा नहीं कर सकतीं. आखिरकार मैं तुम्हारा पति हूं और कोई पति अपनी पत्नी की इज्जत का सौदा नहीं कर सकता.’’

‘‘पर मैं कर सकती हूं,’’ काजल कुटिल आवाज में बोली, ‘‘क्योंकि पैसा पहले है और पति बाद में.’’

उन की स्कीम के अनुसार, रात के तकरीबन 10 बजे राजन लौटा, तो उस के साथ उस का वह दोस्त रजत भी था, जिस से उस ने कर्ज लिया था. राजन अपने दोस्त रजत को ले कर अपने बैडरूम में आ गया. उस ने काजल से कहा कि वह उस के और उस के दोस्त के लिए खानेपीने का इंतजाम करे.

आधे घंटे बाद जब काजल उन का खाना ले कर बैडरूम में पहुंची, तो दोनों शराब की बोतल खोले बैठे थे. काजल खाना लगा कर एक ओर खड़ी हो गई. शराब पीने के साथसाथ वे दोनों खाना खाने लगे.

खाना खाते समय रजत रहरह कर काजल को बड़ी कामुक निगाहों से देखने लगता था.

जब वे लोग खाना खा चुके, तो काजल जूठे बरतन ले कर रसोईघर में चली गई. थोड़ी देर बाद राजन ने आवाज दे कर उसे पुकारा. काजल कमरे में बैड के पास खड़ी थी और राजन के साथ बैठा रजत उसे बड़ी कामुक निगाहों से घूर रहा था. काजल ने आंखों ही आंखों में कुछ इशारा किया और राजन उठता हुआ बोला, ‘‘काजल, तुम यहीं बैठो, मैं अभी आया.’’

इतना कहने के बाद राजन तेजी से कमरे से निकल गया और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. पर वह कमरे से निकला था, घर से नहीं. राजन दरवाजे के पास अपने मोबाइल फोन के साथ छिपा बैठा था, ताकि काजल और रजत के प्यार के पलों की वीडियो फिल्म बना सके. राजन के कमरे से निकलते ही रजत काजल से छेड़छाड़ करने लगा.

‘‘यह क्या कर रहे हो तुम?’’ काजल नकली नाराजगी दिखाते हुए बोली, ‘‘छोड़ो मुझे.’’

‘‘तुम्हें कैसे छोड़ दूं जानेमन?’’ रजत बोला.

‘‘बड़ी कोशिश के बाद तो तुम मेरे हाथ आई हो,’’ कह हुए उस ने काजल को अपनी बांहों में भर लिया.

रजत की इस हरकत से काजल पलभर को तो बौखला उठी, फिर उस की बांहों में मचलते हुए बोली, ‘‘छोड़ो मुझे, वरना मैं तुम्हारी शिकायत अपने पति से करूंगी.’’

‘‘पति…’’ कह कर रजत कुटिलता से मुसकराया.

‘‘तुम्हारा पति भला मेरा क्या बिगाड़ लेगा? वह तो गले तक मेरे कर्ज में डूबा हुआ है.

‘‘सच तो यह है कि वह खुद चाहता है कि मैं तुम्हारी जवानी से खेलूं, ताकि उसे कर्ज चुकाने के लिए थोड़ी और मुहलत मिल जाए.’’

‘‘नहीं, राजन ऐसा नहीं कर सकता,’’ काजल अपने पति पर भरोसा करते हुए बोली.

‘‘तुम्हें यकीन नहीं आता?’’ रजत उस का मजाक उड़ाते हुए बोला, ‘‘तो खुद जा कर दरवाजा चैक कर लो. तुम्हारे पति ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है.’’

‘‘नहीं,’’ कह कर काजल दरवाजे की ओर भागी, पर शराब और वासना के नशे से जोश में आए एक मर्द से एक औरत कब तक बचती. रजत ने झपट कर उसे अपनी बांहों में उठाया और बिस्तर पर उछाल दिया. अब काजल संभलती हुई उस पर सवार थी.

ऐसा करते हुए यह बात रजत के सपने में भी न थी कि उस का यह मजा आगे चल कर उस के लिए कितनी बड़ी मुसीबत खड़ी करने वाला है.

रजत के जाने के बाद जब राजन कमरे में आया, तो नकली गुस्सा और अपमान से भरी काजल बोली, ‘‘कैसे पति हो तुम? पति तो अपनी पत्नी की इज्जत की हिफाजत के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं, पर तुम ने तो अपना कर्ज उतारने के लिए अपनी पत्नी की इज्जत को ही दांव पर लगा दिया?’’

बदले में राजन मुसकराते हुए बोला, ‘‘काजल, कुछ पल रजत के साथ बिताने के एवज में अब हमें उस के कर्ज से जल्दी ही छुटकारा मिल जाएगा.’’

इस के तीसरे दिन जब रजत अपने पैसे मांगने राजन के घर पहुंचा, तो राजन ने उसे अपने मोबाइल फोन से बनाई वह वीडियो फिल्म दिखाई, फिर उसे धमकाता हुआ बोला, ‘‘रजत, अब तुम अपने पैसे भूल ही जाओ. अगर तुम ने ऐसा नहीं किया, तो मैं यह वीडियो क्लिप पुलिस तक पहुंचा दूंगा और तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दूंगा कि तुम ने मेरी पत्नी के साथ बलात्कार किया है. इस के बाद पुलिस तुम्हारी क्या गत बनाएगी, इस की कल्पना तुम आसानी से कर सकते हो.’’

रजत हैरान सा राजन को देखता रह गया. उस के चेहरे से खौफ झलकने लगा था. वह चुपचाप राजन के घर से निकल गया.

इधर राजन ने उस के इस डर का भरपूर फायदा उठाया. इस वीडियो क्लिप को आधार बना कर वह रजत को ब्लैकमेल कर उस से पैसे ऐंठने लगा. रजत राजन की साजिश का शिकार जरूर हो गया था, पर वह भी कम शातिर न था. आखिर वह लाखों रुपए का कारोबार ऐसे ही नहीं चलाता था. उस ने इस मामले पर गहराई से विचार किया और राजन के हथियार से ही उसे मात देने की योजना बनाई.

अपनी योजना के तहत जब अगली बार राजन उस से पैसे वसूलने आया, तो रजत बोला, ‘‘राजन, तुम कब तक मुझे यों ही ब्लैकमेल करते रहोगे? आखिरकार तुम मेरे दोस्त हो, कम से कम इस बात का तो लिहाज करो.’’

‘‘मैं पैसे के अलावा और किसी का दोस्त नहीं.’’ ‘‘अगर मैं पैसे कमाने का इस से भी बड़ा जरीया तुम्हें बता दूं, तो क्या तुम मेरा पीछा छोड़ दोगे?’’

‘‘क्या मतलब?’’ राजन की आंखों में लालच की चमक उभरी.

‘‘मेरी नजर में एक करोड़पति है, जिस की कमजोरी खूबसूरत और घरेलू औरतें हैं. अगर तुम बुरा न मानो, तो तुम काजल को उस के पास भेज दिया करो. इस से तुम हजारों नहीं, बल्कि लाखों रुपए कमा सकते हो.’’

लालच के चलते काजल और राजन रजत द्वारा फैलाए जाल में फंस गए. अब रजत ने उस आदमी के साथ काजल के रंगीन पलों की वीडियो क्लिप बना ली और एक शाम जब पतिपत्नी उस के पास आए, तो यह फिल्म उन्हें दिखाई, फिर रजत बोला, ‘‘मैं जानता था कि तुम लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे. सो, मैं ने यह खूबसूरत वीडियो क्लिप बनाई है.

‘‘अब अगर तुम ने भूल कर भी मेरे घर का रुख किया, तो इस वीडियो फिल्म के जरीए मैं यह साबित कर दूंगा कि तुम्हारी पत्नी देह धंधा करती है और इस की आड़ में लोगों को ब्लैकमेल करती है. तुम इस में उस की मदद करते हो. तुम न सिर्फ उस के दलाल हो, बल्कि एक ब्लैकमेलर भी हो.’’

यह सुन कर पतिपत्नी के मुंह से बोल न फूटे. वे हैरान हो कर रजत को देखते रहे, फिर अपना सा मुंह ले कर उस के घर से निकल गए.

Hindi Story Collection : प्यार की तलाश में – क्या सोहनलाल को मिला सच्चा प्यार

Hindi Story Collection :  सोहनलाल बचपन से ही सच्चे प्यार की खोज में यहांवहां भटक रहे हैं. वैसे तो वे 60 साल के हैं, पर उन का मानना है कि दिल एक बार जवान हुआ तो जिंदगीभर जवान ही रहता है. रही बात शरीर की तो उस महान इनसान की जय हो जिस ने मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली दवाओं की खोज की और जो उन्हें ‘साठा सो पाठा’ का अहसास करा रही हैं.

उन्होंने कसरत कर के अपने बदन को भी अच्छाखासा हट्टाकट्टा बना रखा है और नएनए फैशन कर के वे हीरो टाइप दिखने की भी लगातार कोशिश करते रहते हैं.

सोहनलाल का रंग भले ही सांवला हो, पर खोपड़ी के बाल उम्र से इंसाफ करते हुए विदाई ले चुके हैं, पान खाखा कर दांत होली के लाल रंग में रंगी गोपी से हो चुके हैं, पर ठीकठाक आंखें, नाक और कसरती बदन… कुलमिला कर वे हैंडसम होने के काफी आसपास हैं. उन के पास रुपएपैसों की कमी नहीं है इसलिए उन की घुमानेफिराने से ले कर महंगे गिफ्ट देने तक की हैसियत हमेशा से रही है. लिहाजा, न तो कल लड़कियां मिलने में कमी थी और न ही आज है.

ऐसी बात नहीं है कि सोहनलाल को प्यार मिला नहीं. प्यार मिलने में तो न बचपन में कमी रही, न जवानी में और न ही अब है, क्योंकि प्यार के मामले में हमारे ये आशिक मैगी को भी पीछे छोड़ दें. मैगी फिर भी

2 मिनट लेगी पकने में, पर इन्हें सैकंड भी नहीं लगता लड़की पटाने में. इधर लड़की से आंखें चार, उधर दिल ‘गतिमान ऐक्सप्रैस’ हुआ.

कुलमिला कर लड़की को देखते ही प्यार हो जाता है और लड़की को भी उन से प्यार हो, इस के लिए वे भी प्रेमपत्र

से ले कर फेसबुक और ह्वाट्सऐप जैसी हाईटैक तकनीक तक का इस्तेमाल कर डालते हैं.

सोहनलाल अनेक बार कूटे भी गए हैं, पर ‘हिम्मत ए मर्दा, मदद ए खुदा’ कहावत पर भरोसा रखते हुए उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

प्यार के मामले में सोहनलाल ने राष्ट्रीय एकता को दिखाते हुए ऊंचनीच, जातिभेद, रंगभेद जैसी दीवारों को तोड़ते हुए अपनी गर्लफ्रैंड की लिस्ट लंबी

कर डाली, जिस में सब हैं जैसे धोबन की बेटी, मेहतर की भांजी, पंडितजी की बहन, कालेज के प्रोफैसर की बेटी, स्कूल मास्टर की भतीजी वगैरह.

सोहनलाल की पहली सैटिंग मतलब पहले प्यार का किस्सा भी मजेदार है. उन के महल्ले की सफाई वाली की भांजी छुट्टियों में ननिहाल आई हुई

थी और अपनी मामी के साथ शाम को खाना मांगने आती थी (उन दिनों मेहतर शाम को घरघर बचा हुआ खाना लेने आते थे).

उन्हीं दिनों ये महाशय भी एकदम ताजेताजे जवान हो रहे थे. लड़कियों को देख कर उन के तन और मन दोनों में खनखनाहट होने लगी थी. हर लड़की हूर नजर आती थी. सो, जो पहली लड़की आसानी से मिली, उसी पर लाइन मारना शुरू हो गए.

दोनों के नैना चार हुए और इशारोंइशारों में प्यार का इजहार भी

हो गया.

लड़की भी इन के नक्शेकदम पर चल रही थी यानी नईनई जवान हो रही थी इसलिए अहसास एकदम सेम टू सेम थे.

कनैक्शन एकदम सही लगा. दोनों के बदन में करंट बराबर दौड़ रहा था. सो, आसानी से पट गई. बाकी काम

मां की लालीलिपस्टिक ने कर दिया

जो इन्होंने चुरा कर लड़की को गिफ्ट में दी थी.

एक दिन मौका देख कर सोहनलाल उस लड़की को ले कर घर के पिछवाड़े की कोठरी में खिसक लिए, यह सोच कर कि किसी ने नहीं देखा.

अभी प्यार का इजहार शुरू ही हुआ था कि लड़की की मामी आ धमकीं और झाड़ू मारमार कर इन की गत बिगाड़ डाली और धमकी भी दे डाली, ‘‘आगे से मेरी छोरी के पीछे आया तो झाड़ू से तेरा मोर बना दूंगी और तेरे मांबाप को भी बता कर तेरी ठुकाई करा डालूंगी.’’

बेचारे आशिकजी का यह प्यार तो हाथ से गया, पर जान में जान आई कि घर वालों को पता नहीं चला.

इस के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वे पूरी हिम्मत से नईनई लड़कियों पर हाथ आजमाने लगे. कभी पत्थर में प्रेमपत्र बांध कर फेंके तो कभी आंखें झपका कर मामला जमा लिया और सच्चे प्यार की तलाश ही जिंदगी का एकमात्र मकसद बना डाला.

वैसे भी बाप के पास रुपएपैसों की कमी नहीं थी और जमाजमाया कारोबार था. सो, लाइफ सैट थी.

यह बात और है कि लड़की के साथ थोड़े दिन घूमफिर कर सोहनलाल को अहसास हो जाता था कि यह सच्चा प्यार नहीं है और फिर वे दोबारा जोरशोर से तलाश में जुट जाते.

सोहनलाल की याददाश्त तो इतनी मजबूत है कि शंखपुष्पी के ब्रांड एंबेसडर बनाए जा सकते हैं. मिसाल के तौर पर उन की गर्लफ्रैंड की लिस्ट पढ़ कर किसी भी भले आदमी को चक्कर आ जाएं, पर मजाल है सोहनलाल एक भी गर्लफ्रैंड का नाम और शक्लसूरत भूले हों.

कृपया सोहनलाल को चरित्रहीन टाइप बिलकुल न समझें. उन का मानना है कि हम कपड़े खरीदते वक्त कई जोड़ी कपड़े ट्राई करते हैं तब जा कर अपनी पसंद का मिलता है. तो बिना ट्राई करे सच्चा प्यार कैसे मिलेगा?

एक बार तो लगा भी कि इस बार तो सच्चा प्यार मिल ही गया. सो, उन्होंने चटपट शादी कर डाली.

सोहनलाल बीवी को ले कर घर पहुंचे तो मां और बहनों ने खूब कोसा. बाप ने तो पीट भी डाला… दूसरी जाति की लड़की को बहू बनाने की वजह से. पर उन पर कौन सा असर होने वाला था, क्योंकि इतनी बार लड़कियों के बापभाई जो उन्हें कूट चुके थे, इसलिए उन का शरीर यह सब झेलने के लिए एकदम फिट हो चुका था.

सब सोच रहे थे कि प्यार का भूत सिर पर सवार था इसलिए शादी की, पर बेचारे सोहनलाल किस मुंह से बताते कि इस बार वे सच्ची में फंस चुके थे. यह रिश्ता प्यार का नहीं, बल्कि मजबूरी

का था.

दरअसल, कहानी में ट्विस्ट यह था कि वह लड़की यानी वर्तमान पत्नी सोहनलाल के एक खास दोस्त की बहन थी और दोस्त से मिलने अकसर उस के घर जाना होता था, इसलिए इन का नैनमटक्का भी दोस्त की बहन से शुरू

हो गया.

दोस्त चूंकि उन पर बहुत भरोसा करता था और उस कहावत में विश्वास रखता था कि ‘चुड़ैल भी सात घर छोड़ कर शिकार बनाती है’ तो बेफिक्र था.

लेकिन सोहनलाल तो आदत से मजबूर थे और ऐसे टू मिनट मैगी टाइप आशिक का किसी चुड़ैल से मुकाबला हो भी नहीं सकता, इसलिए उन्होंने लड़की पूरी तरह पटा भी ली और पा भी ली जिस के नतीजे में सोहनलाल ने कुंआरे बाप का दर्जा हासिल करने का पक्का इंतजाम कर लिया था.

पर चूंकि मामला दोस्त के घर की इज्जत का था और दोस्त पहलवान था इसलिए छुटकारा पाने के बजाय पत्नी बनाने का रास्ता सेफ लगा. इस में दोस्त की इज्जत और अपनी बत्तीसी दोनों बच गए.

प्यार का भूत तो पहले ही उतर चुका था सोहनलाल का, अब जो मुसीबत गले पड़ी थी, उस से छुटकारा भी नहीं पा सकते थे… इसलिए मारपीट और झगड़ों का ऐसा दौर शुरू हुआ जो आज तक नहीं थमा और न ही थमी है सच्चे प्यार की तलाश.

इन लड़ाईझगड़ों के बीच जो रूठनेमनाने के दौर चलते थे, उन्होंने सोहनलाल को 4 बच्चों का बाप भी बना डाला. उन की बीवी ने भी वही नुसखा आजमाया जो अकसर भारतीय बीवियां आजमाती हैं यानी बच्चों के पलने तक चुपचाप भारतीय नारी बन कर जितना हो सके सहन करो और बच्चों के लायक बनते ही उन के नालायक बाप को ठिकाने लगा डालो.

सोहनलाल की हालत घर में पड़ी टेबलकुरसी से भी बदतर हो गई.

बीवी ने घर में दानापानी देना बंद कर दिया था. अब बेचारे ने पेट की आग शांत करने के लिए ढाबों की शरण ले ली और बाकी की भूख मिटाने के लिए फेसबुक व दूसरे जरीयों से सहेलियों की तलाश में जुट गए, जिस में काफी हद तक वे कामयाब भी रहे.

वैसे भी 60 पार करतेकरते बीवी के मर्डर और सच्चे प्यार की तलाश 2 ही सपने तो हैं जो वे खुली आंखों से भी देख सकते थे.

सोहनलाल में एक सब से बड़ी खासीयत यह है, जिस से लोग उन्हें इज्जत की नजर से देखते हैं. उन्होंने हमेशा अपनी हमउम्र लड़की या औरत के अलावा किसी को भी आंख उठा कर नहीं देखा. छिछोरों या आशिकमिजाज बूढ़ों की तरह हर किसी को देख कर लार नहीं टपकाते, न ही छेड़खानी में यकीन रखते हैं.

बस, जो औरत उन के दिल में उतर जाए, उसे पाने के सारे हथकंडे आजमा डालते हैं. वह ऐसा हर खटकरम कर डालते हैं जिस से उस औरत के दिल में उतर जाएं.

प्यार की कला में तो वे इतने माहिर?हैं कि कोई भी तितली माफ कीजिए औरत एक बार उन के साथ कुछ वक्त बिता ले तो उन के प्यार के जाल में खुदबखुद फंसी चली आएगी और तब तक नहीं जाएगी जब तक सोहनलाल खुद आजाद न कर दें.

वैसे भी महोदय को इस खेल को खेलते हुए 40 साल से ऊपर हो चुके हैं इसलिए वे इस कला के माहिर खिलाड़ी बन चुके हैं. साइकिल के डंडे से ले

कर कार की अगली सीट तक अनेक लड़कियों और लड़कियों की मांओं को वे घुमा चुके हैं.

आज सोहनलाल जिस तरह की औरत के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहते हैं, उसे छोड़ कर हर तरह की औरत उन्हें मिल रही है.

सब से बड़ी बात तो यह है कि वे अपनी वर्तमान पत्नी को छोड़े बिना ही किसी का ईमानदार साथ चाहते हैं.

एक बार धोखा खा चुके हैं इसलिए इस बार अपनी ही जाति की सुंदर, सुशील, भारतीय नारी टाइप का वे साथ पाना चाहते हैं.

अब कोई उन से पूछे कि कोई सुंदर, सुशील और भारतीय नारी की सोच रखने वाली औरत इस उम्र में नातीपोते खिलाने में बिजी होगी या प्रेम के चक्कर में पड़ेगी? लेकिन सोहनलाल पर कोई असर होने वाला नहीं. वे बेहद आशावादी टाइप इनसान हैं और खुद को कामदेव का अवतार मानते हुए अपने तरकश के प्रेम तीर को छोड़ते रहते हैं, इस उम्मीद के साथ कि किसी दिन तो उन का निशाना सही बैठेगा ही और उस दिन वे अपने सच्चे प्यार के हाथों में हाथ डाल कर कहीं ऐसी जगह अपना आशियाना बनाएंगे जहां यह जालिम दुनिया उन्हें तंग न कर पाए.

हमारी तो यही प्रार्थना है कि हमारे सोहनलालजी को उन की खोज में जल्दी ही कामयाबी मिले.

Latest Hindi Stories : संकरा – क्यों परिवार के खिलाफ हुआ आदित्य

Latest Hindi Stories : ‘बायोसिस्टम्स साइंस ऐंड इंजीनियरिंग लैब में कंप्यूटर स्क्रीन पर जैसेजैसे डीएनए की रिपोर्ट दिख रही थी, वैसेवैसे आदित्य के माथे की नसें तन रही थीं. उस के खुश्क पड़ चुके हलक से चीख ही निकली, ‘‘नो… नो…’’ आदित्य लैब से बाहर निकल आया. उसे एक अजीब सी शर्म ने घेर लिया था.

अचानक आदित्य के जेहन में वह घटना तैर गई, जब पिछले दिनों वह छुट्टियों में अपनी पुश्तैनी हवेली में ठहरा था. एक सुबह नींद से जागने के बाद जब आदित्य बगीचे में टहल रहा था, तभी उसे सूरज नजर आया, जो हवेली के सभी पाखानों की सफाई से निबट कर अपने हाथपैर धो रहा था.

आदित्य बोला था, ‘सुनो सूरज, मैं एक रिसर्च पर काम करने वाला हूं और मुझे तुम्हारी मदद चाहिए.’ सूरज बोला था, ‘आप के लिए हम अपनी जान भी लड़ा सकते हैं. आप कहिए तो साहब?’

‘मुझे तुम्हारे खून का सैंपल चाहिए.’ सूरज बोला था, ‘मेरा खून ले कर क्या कीजिएगा साहब?’

‘मैं देखना चाहता हूं कि दलितों और ठाकुरों के खून में सचमुच कितना और क्या फर्क है.’ ‘बहुत बड़ा फर्क है साहब. यह आप का ऊंचा खून ही है, जो आप को वैज्ञानिक बनाता है और मेरा दलित खून मुझ से पाखाना साफ करवाता है.’

यह सुन कर आदित्य बोला था, ‘ऐसा कुछ नहीं होता मेरे भाई. खूनवून सब ढकोसला है और यही मैं विज्ञान की भाषा में साबित करना चाहता हूं.’ आदित्य भले ही विदेश में पलाबढ़ा था और उस के पिता ठाकुर राजेश्वर सिंह स्विट्जरलैंड में बस जाने के बाद कभीकभार ही यहां आए थे, पर वह बचपन से ही जिद कर के अपनी मां के साथ यहां आता रहा था. वह छुट्टियां अपने दादा ठाकुर रणवीर सिंह के पास इस पुश्तैनी हवेली में बिताता रहा था.

पर इस बार आदित्य लंबे समय के लिए भारत आया था. अब तो वह यहीं बस जाना चाहता था. दरअसल, एक अहम मुद्दे को ले कर बापबेटे में झगड़ा हो गया था. उस के पिता ने वहां के एक निजी रिसर्च सैंटर में उस की जगह पक्की कर रखी थी, पर उस पर मानवतावादी विचारों का गहरा असर था, इसलिए वह अपनी रिसर्च का काम भारत में ही करना चाहता था.

पिता के पूछने पर कि उस की रिसर्च का विषय क्या है, तो उस ने बताने से भी मना कर दिया था. आदित्य ने समाज में फैले जातिवाद, वंशवाद और उस से पैदा हुई समस्याओं पर काफी सोचाविचारा था. इस रिसर्च की शुरुआत वह खुद से कर रहा था और इस काम के लिए अब उसे किसी दलित का डीएनए चाहिए था. उस के लिए सूरज ही परिचित दलित था.

सूरज के बापदादा इस हवेली में सफाई के काम के लिए आते थे. उन के बाद अब सूरज आता था. सूरज के परदादा मैयादीन के बारे में आदित्य को मालूम हुआ कि वे मजबूत देह के आदमी थे. उन्होंने बिरादरी की भलाई के कई काम किए थे. नौजवानों की तंदुरुस्ती के लिए अखाड़ा के बावजूद एक भले अंगरेज से गुजारिश कर के बस्ती में उन्होंने छोटा सा स्कूल भी खुलवाया था, जिस की बदौलत कई बच्चों की जिंदगी बदल गई थी.

पर मैयादीन के बेटेपोते ही अनपढ़ रह गए थे. उस सुबह, जब आदित्य सूरज से खून का सैंपल मांग रहा था, तब उसे मैयादीन की याद आई थी.

पर इस समय आदित्य को बेकुसूर सूरज पर तरस आ रहा था और अपनेआप पर बेहद शर्म. आदित्य ने लैब में जब अपने और सूरज के डीएनए की जांच की, तब इस में कोई शक नहीं रह गया था कि सूरज उसी का भाई था, उसी का खून.

आदित्य को 2 चेहरे उभरते से महसूस हुए. एक उस के पिता ठाकुर राजेश्वर सिंह थे, तो दूसरे सूरज के पिता हरचरण. आदित्य को साफसाफ याद है कि वह बचपन में जब अपनी मां के साथ हवेली आता था, तब हरचरण उस की मां को आदर से ‘बहूजीबहूजी’ कहता था. हरचरण ने उस की मां की तरफ कभी आंख उठा कर भी नहीं देखा था. ऐसे मन के साफ इनसान की जोरू के साथ उस के पिता ने अपनी वासना की भूख मिटाई थी. जाने उस के पिता ने उस बेचारी के साथ क्याक्या जुल्म किए होंगे.

यह सच जान कर आदित्य को अपने पिता पर गुस्सा आ रहा था. तभी उस ने फैसला लिया कि अब वह इस खानदान की छाया में नहीं रहेगा. वह अपने दादा ठाकुर रणवीर सिंह से मिल कर हकीकत जानना चाहता था. दादाजी अपने कमरे में बैठे थे. आदित्य को बेवक्त अपने सामने पा कर वे चौंक पड़े और बोले, ‘‘अरे आदित्य, इस समय यहां… अभी पिछले हफ्ते ही तो तू गया था?’’

‘‘हां दादाजी, बात ही ऐसी हो गई है.’’ ‘‘अच्छा… हाथमुंह धो लो. भोजन के बाद आराम से बातें करेंगे.’’

‘‘नहीं दादाजी, अब मैं इस हवेली में पानी की एक बूंद भी नहीं पी सकता.’’ यह सुन कर दादाजी हैरान रह गए, फिर उन्होंने प्यार से कहा, ‘‘यह तुझे क्या हो गया है? तुम से किसी ने कुछ कह दिया क्या?’’

‘‘दादाजी, आप ही कहिए कि किसी की इज्जत से खेल कर, उसे टूटे खिलौने की तरह भुला देने की बेशर्मी हम ठाकुर कब तक करते रहेंगे?’’ दादाजी आपे से बाहर हो गए और बोले, ‘‘तुम्हें अपने दादा से ऐसा सवाल करते हुए शर्म नहीं आती? अपनी किताबी भावनाओं में बह कर तुम भूल गए हो कि क्या कह रहे हो…

‘‘पिछले साल भी तारा सिंह की शादी तुम ने इसलिए रुकवा दी, क्योंकि उस के एक दलित लड़की से संबंध थे. अपने पिता से भी इन्हीं आदर्शों की वजह से तुम झगड़ कर आए हो. ‘‘मैं पूछता हूं कि आएदिन तुम जो अपने खानदान की इज्जत उछालते हो, उस से कौन से तमगे मिल गए तुम्हें?’’

‘‘तमगेतोहफे ही आदर्शों की कीमत नहीं हैं दादाजी. तारा सिंह ने तो अदालत के फैसले पर उस पीडि़त लड़की को अपना लिया था. लेकिन आप के सपूत ठाकुर राजेश्वर सिंह जब हरचरण की जोरू के साथ अपना मुंह काला करते हैं, तब कोई अदालत, कोई पंचायत कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि बात को वहीं दफन कर उस पर राख डाल दी जाती है.’’ यह सुन कर ठाकुर साहब के सीने में बिजली सी कौंध गई. वे अपना हाथ सीने पर रख कर कुछ पल शांत रहे, फिर भारी मन से पूछा, ‘‘यह तुम से किस ने कहा?’’

‘‘दादाजी, ऊंचनीच के इस ढकोसले को मैं विज्ञान के सहारे झूठा साबित करना चाहता था. मैं जानता था कि इस से बहुत बड़ा तूफान उठ सकता है, इसलिए मैं ने आप से और पिताजी से यह बात छिपाई थी, पर मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तूफान की शुरुआत सीधे मुझ से ही होगी… मैं ने खुद अपने और सूरज के डीएनए की जांच की है.’’ ‘‘बरसों से जिस घाव को मैं ने सीने में छिपाए रखा, आज तुम ने उसे फिर कुरेदा… तुम्हारा विज्ञान सच जरूर बोलता है, लेकिन अधूरा…

‘‘तुम ने यह तो जान लिया कि सूरज और तुम्हारी रगों में एक ही खून दौड़ रहा है. अच्छा होता, अगर विज्ञान तुम्हें यह भी बताता कि इस में तेरे पिता का कोई दोष नहीं. ‘‘अरे, उस बेचारे को तो इस की खबर भी नहीं है. मुझे भी नहीं होती, अगर वह दस्तावेज मेरे हाथ न लगता… बेटा, इस बात को समझने के लिए तुम्हें शुरू से जानना होगा.’’

‘‘दादाजी, आप क्या कह रहे हैं? मुझे किस बात को जानना होगा?’’ दादाजी ने उस का हाथ पकड़ा और उसे तहखाने वाले कमरे में ले गए. उस कमरे में पुराने बुजुर्गों की तसवीरों के अलावा सभी चीजें ऐतिहासिक जान पड़ती थीं.

एक तसवीर के सामने रुक कर दादाजी आदित्य से कहने लगे, ‘‘यह मेरे परदादा शमशेर सिंह हैं, जिन के एक लड़का भानुप्रताप था और जिस का ब्याह हो चुका था. एक लड़की रति थी, जो मंगली होने की वजह से ब्याह को तरसती थी…’’ आदित्य ने देखा कि शमशेर सिंह की तसवीर के पास ही 2 तसवीरें लगी हुई थीं, जो भानुप्रताप और उन की पत्नी की थीं. बाद में एक और सुंदर लड़की की तसवीर थी, जो रति थी.

‘‘मेरे परदादा अपनी जवानी में दूसरे जमींदारों की तरह ऐयाश ठाकुर थे. उन्होंने कभी अपनी हवस की भूख एक दलित लड़की की इज्जत लूट कर शांत की थी. ‘‘सालों बाद उसी का बदला दलित बिरादरी वाले कुछ लुटेरे मौका पा कर रति की इज्जत लूट कर लेना चाह रहे थे. तब ‘उस ने’ अपनी जान पर खेल कर रति की इज्जत बचाई थी.’’

कहते हुए दादाजी ने पास रखे भारी संदूक से एक डायरी निकाली, जो काफी पुरानी होने की वजह से पीली पड़ चुकी थी. ‘‘रति और भानुप्रताप की इज्जत किस ने बचाई, मुझे इस दस्तावेज से मालूम हुआ.

‘‘बेटा, इसे आज तक मेरे सिवा किसी और ने नहीं पढ़ा है. शुक्र है कि इसे मैं ने भी जतन से रखा, नहीं तो आज मैं तुम्हारे सवालों के जवाब कहां से दे पाता…’’ रात की सुनसान लंबी सड़क पर इक्कादुक्का गाडि़यों के अलावा आदित्य की कार दौड़ रही थी, जिसे ड्राइवर चला रहा था. आदित्य पिछली सीट पर सिर टिकाए आंखें मूंदे निढाल पड़ा था. दादाजी की बताई बातें अब तक उस के जेहन में घटनाएं बन कर उभर रही थीं.

कसरती बदन वाला मैयादीन, जिस के चेहरे पर अनोखा तेज था, हवेली में ठाकुर शमशेर सिंह को पुकारता हुआ दाखिल हुआ, ‘ठाकुर साहब, आप ने मुझे बुलाया. मैं हाजिर हो गया हूं… आप कहां हैं?’ तभी गुसलखाने से उसे चीख सुनाई दी. वह दौड़ता हुआ उस तरफ चला गया. उस ने देखा कि सुंदरसलोनी रति पैर में मोच आने से गिर पड़ी थी. उस का रूप और अदाएं किसी मुनि के भी अंदर का शैतान जगाने को काफी थीं. उस ने अदा से पास खड़े मैयादीन का हाथ पकड़ लिया.

‘देवीजी, आप क्या कर रही हैं?’ ‘सचमुच तुम बड़े भोले हो. क्या तुम यह भी नहीं समझते?’

‘आप के ऊपर वासना का शैतान हावी हो गया है, पर माफ करें देवी, मैं उन लोगों में से नहीं, जो मर्दऔरत के पवित्र बंधन को जानवरों का खेल समझते हैं.’ ‘तुम्हारी यही बातें तो मुझे बावला बनाती हैं. लो…’ कह कर रति ने अपना पल्लू गिरा दिया, जिसे देख कर मैयादीन ने एक झन्नाटेदार तमाचा रति को जड़ दिया और तुरंत वहां से निकल आया.

मैयादीन वहां से निकला तो देखा कि दीवार की आड़ में बूढ़े ठाकुर शमशेर सिंह अपना सिर झुकाए खड़े थे. वह कुछ कहता, इस से पहले ही ठाकुर साहब ने उसे चुप रहने का इशारा किया और पीछेपीछे अपने कमरे में आने को कहा. मैयादीन ठाकुर साहब के पीछेपीछे उन के कमरे में चल दिया और अपराधबोध से बोला, ‘‘ठाकुर साहब, आप ने सब सुन लिया?’’

शर्म पर काबू रखते हुए थकी आवाज में उन्होंने कहा, ‘‘हां मैयादीन, मैं ने सब सुन लिया और अपने खून को अपनी जाति पर आते हुए भी देख लिया… तुम्हारी बहादुरी ने पहले ही मुझे तुम्हारा कर्जदार बनाया था, आज तुम्हारे चरित्र ने मुझे तुम्हारे सामने भिखारी बना दिया. ‘धन्य है वह खून, जो तुम्हारी रगों में दौड़ रहा है… अपनी बेटी की तरफ से यह लाचार बाप तुम से माफी मांगता है. जवानी के बहाव में उस ने जो किया, तुम्हारी जगह कोई दूसरा होता है, तो जाने क्या होता. मेरी लड़की की इज्जत तुम ने दोबारा बचा ली…

‘अब जैसे भी हो, मैं इस मंगली के हाथ जल्द से जल्द पीले कर दूंगा, तब तक मेरी आबरू तुम्हारे हाथों में है. मुझे वचन दो मैयादीन…’ ‘ठाकुर साहब, हम अछूत हैं. समय का फेर हम से पाखाना साफ कराता है, पर इज्जतआबरू हम जानते हैं, इसलिए आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं. यह बात मुझ तक ही रहेगी.’

मैयादीन का वचन सुन कर ठाकुर साहब को ठंडक महसूस हुई. उन्होंने एक लंबी सांस ले कर कहा, ‘अब मुझे किसी बात की चिंता नहीं… तुम्हारी बातें सुन कर मन में एक आस जगी है. पर सोचता हूं, कहीं तुम मना न कर दो.’ ‘ठाकुर साहब, मैं आप के लिए जान लड़ा सकता हूं.’

‘‘मैयादीन, तुम्हारी बहादुरी से खुश हो कर मैं तुम्हें इनाम देना चाहता था और इसलिए मैंने तुम्हें यहां बुलाया था… पर अब मैं तुम से ही एक दान मांगना चाहता हूं.’ मैयादीन अचरज से बोला, ‘मैं आप को क्या दे सकता हूं? फिर भी आप हुक्म करें.’

ठाकुर साहब ने हिम्मत बटोर कर कहा, ‘‘तुम जानते हो, मेरे बेटे भानुप्रताप का ब्याह हुए 10 साल हो गए हैं, लेकिन सभी उपायों के बावजूद बहू की गोद आज तक सूनी है, इसलिए बेटे की कमजोरी छिपाने के लिए मैं लड़के की चाहत लिए यज्ञ के बारे में सोच रहा था. ‘‘मैं चाहता था, किसी महात्मा का बीज लूं, पर मेरे सामने एक बलवान और शीलवान बीजदाता के होते हुए किसी अनजान का बीज अपने खानदान के नाम पर कैसे पनपने दूं?’

यह सुन कर मैयादीन को जैसे दौरा पड़ गया. उस ने झुंझला कर कहा, ‘ठाकुर साहब… आज इस हवेली को क्या हो गया है? अभी कुछ देर पहले आप की बेटी… और अब आप?’ ‘मैयादीन, अगर तुम्हारा बीज मेरे वंश को आगे बढ़ाएगा, तो मुझे और मेरे बेटे को बिरादरी की आएदिन की चुभती बातों से नजात मिल जाएगी. मेरी आबरू एक दफा और बचा लो.’

ठाकुर साहब की लाचारी मैयादीन को ठंडा किए जा रही थी, फिर भी वह बोला, ‘‘ठाकुर साहब, मुझे किसी इनाम का लालच नहीं, और न ही मैं लूंगा, फिर भी मैं आप की बात कैसे मान लूं?’’ ठाकुर साहब ने अपनी पगड़ी मैयादीन के पैरों में रखते हुए कहा, ‘मान जाओ बेटा. तुम्हारा यह उपकार मैं कभी नहीं भूलूंगा.’’

ठाकुर साहब उस का हाथ अपने हाथ में ले कर बोले, ‘‘तुम ने सच्चे महात्मा का परिचय दिया है… अब से एक महीने तक तुम हमारी जंगल वाली कोठी में रहोगे. तुम्हारी जरूरत की सारी चीजें तुम्हें वहां मौजूद मिलेंगी. सही समय आने पर हम वहीं बहू को ले आएंगे…’ आदित्य का ध्यान टूटा, जब उस के कार ड्राइवर ने तीसरी बार कहा, ‘‘साहब, एयरपोर्ट आ गया है.’’

जब तक आदित्य खानदानी ठाकुर था, तब तक उस के भीतर एक मानवतावादी अपने ही खानदान के खिलाफ बगावत पर उतर आया था, पर अब उसे मालूम हुआ कि वह कौन है, कहां से पैदा हुआ है, उस का और सफाई करने वाले सूरज का परदादा एक ही है, तब उस की सारी वैज्ञानिक योजनाएं अपनी मौत आप मर गईं. जिस सच को आदित्य दुनिया के सामने लाना चाहता था, वही सच उस के सामने नंगा नाच रहा था, इसलिए वह हमेशा के लिए इस देश को छोड़े जा रहा था. अपने पिता के पास, उन की तय की हुई योजनाओं का हिस्सा बनने.

पर जाने से पहले उस ने अपने दादा की गलती नहीं दोहराई. उन के परदादा के जतन से रखे दस्तावेज को वह जला आया था.

Famous Hindi Stories : गहरी नजर – मोहन को आशु ने कैसे समझाया

Famous Hindi Stories : इंसपेक्टर मोहन देशपांडे अदालत से बाहर निकल रहे थे तो उन के साथ चल रही आशु हाथ हिलाहिला कर कह रही थी, ‘‘मैं बिलकुल नहीं मान सकती. भले ही अदालत ने उसे बेगुनाह मान कर बाइज्जत बरी कर दिया है, लेकिन मेरी नजरों में जनार्दन हत्यारा है. वही पत्नी का कातिल है. यह दुर्घटना नहीं, बल्कि जानबूझ कर किया गया कत्ल था और इसे अचानक हुई दुर्घटना का रूप दे दिया गया था.’’

‘‘लेकिन शक की कोई वजह तो होनी चाहिए,’’ मोहन देशपांडे ने आगे बढ़ते हुए कहा, ‘‘हम ख्वाहमख्वाह किसी पर आरोप तो नहीं लगा सकते. अदालत ठोस सबूत मांगती है, सिर्फ हवा में तीर चलाने से काम नहीं चलता.’’

‘‘जनार्दन ने अपनी पत्नी का कत्ल किया है. यह सच है.’’ आशु ने चलते हुए मुंह फेर कर कहा, ‘‘इस में शक की जरा भी गुंजाइश नहीं है.’’

‘‘अच्छा, अब इस बात को छोड़ो और कोई दूसरी बात करो.’’ मोहन ने कहा, ‘‘कई अदालत उसे रिहा कर चुकी है.’’

‘‘मेरी बात मानो,’’ आशु ने कहा, ‘‘जनार्दन को भागने मत दो. वह वाकई मुजरिम है. अगर वह हाथ से निकल गया तो तुम सारी जिंदगी पछताते रहोगे.’’

‘‘आखिर तुम मेरा मूड क्यों खराब कर रही हो?’’ इंसपेक्टर मोहन ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘मैं ने सोचा था कि अदालत से फुरसत पाते ही हम कहीं घूमनेफिरने चलेंगे, जबकि तुम फिर जनार्दन आगरकर का किस्सा ले बैठीं. मुझे लगता है, इस घटना ने तुम्हारे दिलोदिमाग पर गहरा असर डाला है?’’

‘‘हां, शायद तुम ठीक कह रहे हो,’’  आशु ने कहा.

उस समय उस की नजरें एक ऐसे आदमी पर जमी थीं, जो लिफ्ट से बाहर निकल रहा था. वही जनार्दन आगरकर था. मोहन देशपांडे भी उसे ही देख रहा था. आशु तेजी से उस की ओर बढ़ते हुए बोली, ‘‘मोहन, तुम यहीं रुको, मैं अभी आई.’’

मोहन ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह रुकी नहीं. जनार्दन आगरकर मध्यम कद का दुबलापतला आदमी था. लेकिन चेहरेमोहरे से वह अपराधी लग रहा था. उस का एयरकंडीशनर के स्पेयर पार्ट्स सप्लाई का काम था. 15 दिनों पहले उस की पत्नी पहाड़ की चोटी से गहरे खड्ड में गिर कर मर गई थी. उस समय वह उस की तसवीर खींच रहा था. उस की पत्नी सुस्त और काहिल औरत थी, सोने की दवा लेने की वजह से हमेशा नींद में रहती थी.

जनार्दन पहाड़ की उस चोटी पर उसे घुमाने ले गया था, ताकि उस की तबीयत में कुछ सुधर हो सके और वह नींद की स्थिति से मुक्त हो सके. उस पहाड़ के पीछे बर्फ से ढकी चोटियां दिख रही थीं. जनार्दन ने पत्नी से फोटो खींचने के लिए कहा. वह फोटो खींच रहा था, तभी न जाने कैसे उस की पत्नी का पैर फिसल गया और वह 50 फुट नीचे गहरी खाई में जा गिरी.

जनार्दन आगरकर के लिफ्ट से बाहर आते ही आशु ने उसे घेर लिया. दोनों में बातें होने लगीं. आशु उस से जोश में हाथ हिलाहिला कर बातें कर रही थी. जबकि जनार्दन शांति से बातें कर रहा था. वह आशु के हर सवाल का जवाब मुसकराते हुए दे रहा था.

इस बीच इंसपेक्टर मोहन देशपांडे का मन कर रहा था कि वह उस आदमी का मुंह तोड़ दे. क्योंकि उसे भी पता था इसी ने पत्नी का कत्ल किया था. लेकिन कोई सबूत न होने की वजह से वह बाइज्जत बरी हो गया था. जनार्दन चला गया तो आशु इंसपेक्टर मोहन के पास आ गई. इसंपेक्टर मोहन ने पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम जनार्दन के पास क्यों गई थीं?’’

आशु ने जवाब देने के बजाए होंठों पर अंगुली रख कर चुप रहने का इशारा किया. इस के बाद फुसफुसाते हुए बोली, ‘‘हमें जनार्दन का पीछा करना होगा. ध्यान रखना, वह निकल न जाए. समय बहुत कम है, इसलिए जल्दी करो. मैं रास्ते में तुम्हें सब बता दूंगी.’’

आशु सिर घुमा कर इधरउधर देख रही थी. अचानक उस ने कहा, ‘‘वह रहा, वह उस लाल कार से जा रहा है, जल्दी करो.’’

उन की गाड़ी लाल कार का पीछा करने लगी. जनार्दन की कार पर नजरें गड़ाए हुए मोहन ने पूछा, ‘‘आखिर इस की क्या जरूरत पड़ गई तुम्हें?’’

‘‘देखो मोहन, जनार्दन समझ रहा है कि अदालत ने उसे रिहा कर दिया है. इस का मतलब मामला खत्म. जबकि मेरे हिसाब से उस का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. अब हमें उस से असली बात मालूम करनी है.’’ आशु ने कहा.

‘‘तुम ने जनार्दन आगरकर से क्या बातें की थीं?’’

‘‘मैं ने कहा था कि मैं उस की अदाकारी की कायल हूं. अदालत के कटघरे में उस ने जिस मासूमियत का प्रदर्शन किया, वह वाकई तारीफ के काबिल था. मैं ने उस के आत्मविश्वास की तारीफ की तो उस ने मुझे रायल क्लब चलने को कहा.’’

‘‘तो क्या तुम उस के साथ वहां जाओगी? यह अच्छी बात नहीं है.’’ मोहन ने कहा.

‘‘मैं क्लब में उसे खूब शराब पिला कर उस से सच उगलवाना चाहती हूं.’’ आशु ने इत्मीनान के साथ कहा.

‘‘लेकिन मैं तुम्हें इस तरह का फालतू काम करने की इजाजत नहीं दूंगा.’’ मोहन ने नाराज हो कर कहा.

‘‘अच्छा, इस बात को छोड़ो और ड्राइविंग पर ध्यान दो. जनार्दन आगरकर की कार दाईं ओर घूम रही है. उसे नजर से ओझल मत होने देना, वरना जिंदगी भर पछताओगे.’’

‘‘आखिर तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है? जनार्दन आगरकर की रिहाई के बाद भी तुम उस का पीछा क्यों कर रही हो?’’ मोहन ने जनार्दन की कार पर नजरें जमाए हुए पूछा.

‘‘देखो मोहन,’’ आशु ने गंभीरता से कहा, ‘‘अदालत में जनार्दन ने खुद को इस तरह दिखाया था, जैसे वह बहुत दुखी है, लेकिन उस की आंखें भेडि़ए जैसी चमक रही थीं. उस के अंदाज में काफी सुकून लग रह था, जैसे वह पत्नी को खत्म कर के बहुत खुश हो. उस के भावनाओं का अंदाजा एक औरत ही लगा सकती है और मैं ने उस के दोगलेपन को अच्छी तह महसूस किया है.

‘‘अपनी तसल्ली के लिए ही मैं उस से बात करने गई थी. उस की बातों से मैं ने अंदाजा लगा लिया कि यह आदमी बहुत ही चालाक और दगाबाज है. उस ने पत्नी को धक्का दे कर मारा है.’’

‘‘अच्छा तो तुम ने इस हद तक महसूस कर लिया?’’ मोहन ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम्हें तो सीबीआई में होना चाहिए था.’’

जनार्दन की कार दाईं ओर घूमी तो आशु ने कहा, ‘‘अब यह कहां जा रहा है?’’

‘‘अपने घर… आगे इसी इलाके में वह रहता है.’’ मोहन ने कहा.

जर्नादन ने अदालत में माना था कि उस के अपनी पत्नी से अच्छे संबंध नहीं थे. दोनों में अकसर कहासुनी होती रहती थी. यह बात जनार्दन के पड़ोसियों ने भी बताई थी. आशु ने कहा, ‘‘जनार्दन ने अदालत में कहा था कि वह अपनी पत्नी को घुमाने के लिए पहाड़ों की उस चोटी पर ले गया था. कैमरा भी साथ ले गया था, इसलिए वहां एक सुंदर चट््टान पर उस ने पत्नी को खड़ा कर दिया, ताकि उस की यादगार तसवीर खींच सके.

‘‘इधर उस ने तसवीर खींची और उधर उस की पत्नी का पैर चट्टान से फिसल गया. जनार्दन ने उस समय की खींची हुई तसवीर भी अदालत में पेश की थी. सवाल यह है कि उस ने वह तसवीर सबूत के लिए अदालत में क्यों पेश की, उस की क्या जरूरत थी?’’

‘‘हां, यह बात तो वाकई गौर करने वाली थी,’’ मोहन ने कहा, ‘‘इस का मतलब यह है कि इस के पीछे कोई चक्कर था.’’

‘‘काश! वह तसवीर मैं देख पाती,’’ आशु ने कहा, ‘‘उस तसवीर से कोई न कोई सुराग जरूर मिल सकता है.’’

‘‘तसवीर देखनी है? वह तो मेरे पास है.’’ कह कर मोहन ने अपनी जेब से पर्स निकाला और उस में से एक तसवीर निकाल कर आशु की तरफ बढ़ा दी.

आशु ने तसवीर ले कर उसे गौर से देखते हुए कहा, ‘‘चलो, इस से एक बात तो साबित हो गई कि तुम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हो. तभी तो यह तसवीर साथ लिए घूम रहे हो. तुम्हारी नजरों में भी जनार्दन खूनी है.’’

‘‘हां आशु, कई चीजें ऐसी थीं कि जिन्होंने मुझे उलझन में डाल दिया था.’’

तसवीर को देखते हुए आशु बोली, ‘‘कितनी प्यारी औरत थी. शायद जनार्दन ने उसे इंश्योरेंस के लालच में मार डाला है या फिर किसी दूसरी औरत का चक्कर हो सकता है. लेकिन मुझे लग रहा है कि यह तसवीर दुर्घटना वाले दिन की नहीं है. यह तसवीर पहले की उस समय की है, जब पतिपत्नी में अच्छे संबंध थे. इस में जनार्दन की पत्नी बहुत खुश दिखाई दे रही है, जो इस बात का सबूत है कि यह तसवीर अच्छे दिनों की है.’’

‘‘तुम्हारे विचार से जनार्दन ने पत्नी को कैसे मारा होगा?’’ मोहन ने पूछा.

‘‘जनार्दन ने पत्नी को घर पर मारा होगा या फिर कार में.’’ आशु ने कहा, ‘‘संभव है, जनार्दन उसे जान से न मारना चाहता रहा हो, लेकिन वार जोरदार पड़ गया हो, जिस से वह मर गई हो. इस के बाद जनार्दन ने एक पुरानी तसवीर निकाली, जिस में वह पहाड़ की चोटी पर खड़ी मुसकरा रही थी. उस के बारे में उस ने यह कहानी बना दी. पत्नी की लाश को ले जा कर पहाड़ की चोटी से नीचे खड्ड में गिरा दी.’’

बातें करते हुए आशु की नजरें जनार्दन की कार पर ही टिकी थीं. उस की कार एक अपार्टमेंट में दाखिल हुई, तभी आशु ने कहा, ‘‘तुम ने मृतका के कपड़ों को देखा था? क्या वह वही कपड़े पहने थी, जो इस तसवीर में पहने है.’’

‘‘हां बिलकुल, मैं यह देख चुका हूं.’’ मोहन ने कहा.

‘‘अगर जनार्दन ने पत्नी को खत्म करने के बाद तसवीर वाले कपड़े पहनाए होंगे तो सलीके से नहीं पहनाया होगा.’’ आशु ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘कोई न कोई गलती उस ने जरूर की होगी.’’

‘‘मैं ने मुर्दाघर में लाश देखी थी. लाश पर वही कपड़े थे, जो तसवीर में है.’’ मोहन ने कहा.

‘‘वह तो ठीक है, तुम एक मर्द हो. इस मामले में कोई न कोई गलती जरूर रह गई होगी.’’ आशु ने कहा, ‘‘अगर मैं तुम्हारे साथ होती तो बहुत ही सूक्ष्मता से निरीक्षण करती.’’

आशु तसवीर को गौर से देखती हुई बोली, ‘‘इन छ: बटनों की लाइन के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है? क्या यह लाइन उस के कोट पर उस समय भी थी, जब लाश मुर्दाघर में लाई गई थी?’’

‘‘हां, यह लाइन मौजूद थी.’’ मोहन ने कहा.

‘‘उस के कोट के दाईं तरफ वाले कौलर के करीब?’’ आशु ने पूछा.

‘‘हां,’’ मोहन ने सिर हिलाते हुए कहा.

जनार्दन की कार अब तक पार्किंग में दाखिल हो चुकी थी. मोहन ने भी खाली जगह देख कर अपनी कार रोक दी. जनार्दन उन दोनों को देख चुका था. वह कार से उतरा और उन की ओर बढ़ा. उस के चेहरे पर नाराजगी साफ झलक रही थी. उस ने कहा, ‘‘तुम लोग मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? जबकि अदालत ने मुझे बेकसूर मान लिया है. मैं तुम्हारे खिलाफ मानहानि का मुकदमा करूंगा.’’

मोहन ने धैर्यपूर्वक कहा, ‘‘नाराज होने की जरूरत नहीं है. हम किसी दूसरे मामले में इधर आए हैं. उस से तुम्हारा कोई संबंध नहीं है.’’

‘‘अच्छा तो फिर यह लड़की अदालत के बाहर मेरे पास क्यों आई थी?’’ जनार्दन ने पूछा.

‘‘मेरा इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है.’’ मोहन ने कहा.

‘‘तुम मेरा पीछा कर रहे हो, मैं इस बात की शिकायत करूंगा. मेरा वकील तुम्हारे खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर करेगा.’’

‘‘जनार्दन, अदालत ने तुम्हें बरी कर दिया तो क्या हुआ, हमारी नजर में तुम अब भी अपराधी हो. तुम बच नहीं सकोगे.’’ आशु ने कहा.

आशु की बात सुन कर जनार्दन ने तीखे स्वर में कहा, ‘‘आखिर दिल की बात जुबान पर आ ही गई? मुझे शक था कि तुम मेरे पीछे लगी हो.’’

‘‘हां, मैं तुम्हारे पीछे लगी हूं,’’ आशु ने लगभग चीखते हुए कहा, ‘‘तुम ने अदालत में अपनी पत्नी की जो तसवीर पेश की थी, वह दुर्घटना वाले दिन की नहीं है. तुम ने यह तसवीर पहले कभी खींची थी. बताओ, तुम ने यह तसवीर अदालत में पेश कर के क्या साबित करने की कोशिश की?’’

आशु की बात सुन कर जनार्दन के चेहरे का रंग उड़ने सा लगा. बड़ी मुश्किल से उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी किसी बात का जवाब नहीं दूंगा, क्योंकि अदालत में सवालजवाब हो चुका है. अब जो भी बात करनी है, मेरे वकील से करना.’’ कह कर वह अपार्टमेंट की सीढि़यों की तरफ बढ़ गया.

‘‘मेरे खयाल से हमें कुछ भी हासिल नहीं हुआ,’’ मोहन ने कहा, ‘‘लेकिन तुम ने मुझे एक आइडिया जरूर दे दिया. मैं उस तसवीर को दोबारा देखना चाहूंगा.’’

कह कर मोहन ने आशु से वह तसवीर ले ली और उसे गौर से देखने लगा. अचानक वह उत्साह से बोला, ‘‘तुम ठीक कह रही हो, सबूत मिल गया.’’

कह कर मोहन अपार्टमेंट की ओर बढ़ा तो आशु ने पूछा, ‘‘कहां जा रहे हो?’’

‘‘अपराधी को पकड़ने, अगर मैं ने जरा भी देर कर दी तो वह फरार होने में सफल हो जाएगा.’’ मोहन ने कहा.

आशु भी मोहन के साथ चल पड़ी. लौबी में जनार्दन के नाम की प्लेट लगी थी. जिस पर फ्लैट नंबर 102 लिखा था. दोनों उस के फ्लैट के सामने थे. मोहन ने दरवाजे पर दस्तक देने के बजाए जोरदार ठोकर मारी. दरवाजा खुल गया तो दोनों आंधीतूफान की तरह अंदर दाखिल हुए. जनार्दन बैड पर रखे सूटकेस में जल्दीजल्दी सामान रख रहा था.

दोनों को देख कर वह चीखा, ‘‘क्यों आए हो यहां, क्या चाहते हो मुझ से?’’

मोहन ने उस की नजरों के सामने उस की पत्नी की तसवीर लहराते हुए कहा, ‘‘यह लड़की बहुत अक्लमंद है. इस ने तो कमाल ही कर दिया. मुझे भी पीछे छोड़ दिया. तुम ने अपनी पत्नी को इसी फ्लैट में मारा था, फिर उस की लाश को अपनी कार में डाल कर उस पहाड़ की चोटी पर ले गए थे. जहां से उसे गहरी खाई में फेंक दिया था.’’

‘‘देखो इंसपेक्टर,’’ जनार्दन ने अकड़ने के बजाए नरमी से कहा, ‘‘इस मुकदमे का फैसला सुनाया जा चुका है और इस तसवीर ने यह साबित कर दिया है कि…’’

‘‘इसी तसवीर ने तो तुम्हें झूठा साबित किया है,’’ मोहन ने कहा, ‘‘तुम ने यह तसवीर काफी समय पहले खींची थी. लेकिन जब तुम ने अपनी पत्नी का कत्ल किया तो उसे हादसे का रूप देने के लिए उस की लाश को तसवीर वाले कपड़े पहना दिए.

‘‘लेकिन जब लाश को पुलिस ने खाई से निकाल कर अपने कब्जे में लिया तो तुम्हें लगा कि तुम ने लाश को जो कोट पहनाया है, उस में तुम से एक गलती हो गई है. उस में बटनों की लाइन दाईं तरफ थी, जबकि तसवीर में बाईं तरफ है.’’

‘‘तुम बिलकुल अंधे हो, तसवीर को गौर से देखो.’’ जनार्दन ने गुस्से में कहा.

‘‘मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है.’’ ’’ मोहन ने कहा, ‘‘जब तुम्हें अपनी गलती का अहसास हुआ तो तुम ने तसवीर का निगेटिव पलट कर नई तसवीर बनवा ली. नई तसवीर में मृतका के कोट के दाएं कौलर के नीचे बटनों की लाइन दिखाई दे रही है, यही तसवीर तुम ने हमें दी थी. लेकिन तुम यहां एक गलती कर गए. निगेटिव को उलटने से कोट के कौलर के साथ भी सब कुछ उलटा हो गया. आमतौर पर पुरुषों के कोट के दाईं कौलर की तरफ बटन.’’

अभी मोहन की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि जनार्दन ने उस की तरफ छलांग लगा दी. लेकिन इंसपेक्टर मोहन ने उस का बाजू पकड़ लिया और उसे घुमाते हुए दीवार पर दे मारा. इस के बाद जनार्दन को उठा कर उस के सूटकेस के पास फेंक कर कहा, ‘‘मिस्टर जनार्दन, अब तुम अपना अपराध स्वीकार कर लो.’’

तभी जनार्दन ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल कर मोहन और आशु की तरफ तान कर कहा, ‘‘तुम दोनों अपने हाथ ऊपर उठा लो, वरना मैं गोली मर दूंगा. कोई होशियारी मत दिखाना.’’

जनार्दन ने दूसरे हाथ से सूटकेस बंद करते हुए कहा, ‘‘मेरे रास्ते से हट जाओ. मैं और लाशें अपने नाम के साथ नहीं जोड़ना चाहता.’’

‘‘मूर्ख आदमी, तुम ज्यादा दूर अपनी कार नहीं जा सकोगे, क्योंकि मैं ने उस में गड़बड़ी कर दी है.’’ मोहन ने उसे घृणा देखते हुए कहा.

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारी कार ले जाऊंगा.’’ जनार्दन ने कहा, ‘‘लाओ, उस की चाबी मेरे हवाले करो.’’

‘‘ठीक है,’’ यह कह कर मोहन ने चाबी निकालने के लिए जेब में हाथ डालना चाहा.

‘‘खबरदार, जेब में हाथ मत डालो. मुझे बताओ कि चाबी किस जेब में है. मैं खुद निकाल लूंगा.’’ जनार्दन चिल्लाया.

‘‘मेरे कोट की दाईं जेब में.’’ मोहन ने कहा.

जनार्दन ने उस के कोट की दाईं जेब की ओर हाथ बढ़ाया. उसी समय फायर हुआ, जिस की आवाज से कमरा गूंज उठा. इस के साथ ही जनार्दन बौखला कर दूर जा गिरा और आशु जोरजोर से चीखने लगी. फिर जमीन पर गिर पड़ी. दरअसल वह फायर जनार्दन ने किया था, मगर बौखलाहट के कारण वह फायर बेकार चला गया.

इंसपेक्टर मोहन के लिए इतनी मोहलत काफी थी. उस ने जनार्दन के कंधे पर फ्लाइंग किक मार कर उसे गिरा दिया. थोड़ी ही देर में उस ने जनार्दन के हाथों में हथकडि़यां लगा दीं. फिर उस ने आशु को उठा कर बैड पर बिठाया. उसे तसल्ली दी और किचन से पानी ला कर पिलाया.

थोड़ी देर बाद आशु संभल गई. मोहन ने कहा, ‘‘सुनो आशु, पहले तो मैं ने मजाक में कहा था कि तुम जैसी लड़की हमारे पुलिस स्क्वायड में शामिल नहीं होनी चाहिए. लेकिन अब मैं पूरी गंभीरता से कह रहा हूं कि तुम हमारे पुलिस स्क्वायड की अहम जरूरत हो. अगर तुम हमारे साथ शामिल हो गईं तो न जाने कितने केस हल हो जाएंगे, तमाम अपराधी कानून की गिरफ्त में आ जाएंगे और बेकसूर लोगों को रिहाई मिल जाएगी.’’

यह सुन कर आशु मुसकराने लगी.

Hindi Kahaniyan : बिग डील

Hindi Kahaniyan :  सोशल नैटवर्किंग साइट पर मोहना अपनी सगाई के कुछ फोटो अपलोड कर के हटी ही थी कि उस के स्मार्टफोन में नए मैसेज की टोन गूंज उठी. सभी मित्र तथा सहकर्मी उसे बधाई दे रहे थे. मुसकराती हुई वह सभी मैसेज पढ़ रही थी कि एक नाम पढ़ते ही उस के फैले अधर सिकुड़ गए, मुसकराते चेहरे पर त्योरियां चढ़ गईं और खुशमिजाज मूड बिगड़ गया. फिर भी उस ने बधाई का उत्तर दिया, ‘धन्यवाद गोपाल, मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’

एक बार को दिल किया कि गोपाल को अपनी फ्रैंडलिस्ट से निकाल दे लेकिन रुक गई. पिछले 3 वर्षों में गोपाल ने कोई ऐसी हरकत नहीं की थी. आज भी अन्य मित्रों की भांति बधाई दी है. फिर मोहना आज के जमाने की बोल्ड युवती है, खुले विचारों वाली, दकियानूसी विचारधारा से परे. 3 साल पहले हुई एक दुर्घटना उस का मनोबल कैसे तोड़ सकती है. लैपटौप बंद कर वह रसोई में अपने लिए एक कप कौफी बनाने चल दी. दूध के उबाल के साथसाथ उस के विचारों में भी ऊफान आने लगा और एक झटके में पुराने दिनों में पहुंच गई.

स्नातकोत्तर के लिए कालेज में प्रवेश के साथ ही मोहना की मित्रता गोपाल से हुई थी. दोनों का विषय एक था. कुछ ही अरसे की दोस्ती ने गोपाल को एक सुंदर, सुनहरे भविष्य के सपने दिखाने शुरू कर दिए. वह अकसर बात करता, ‘मोहना, जब हम अपना घर लेंगे तो उस में…’

मोहना बीच में ही बात काट देती, ‘अपना घर? हम एक घर क्यों लेंगे?’ गोपाल शरमा कर हंस देता और मोहना सिर झटक कर हंस देती. ‘जब मैं ने मोहना के आगे शादी का प्रस्ताव ही नहीं रखा तो वह क्यों मेरे इशारों को समझेगी. जब मैं प्रपोज करूंगा तभी तो मोहना भी मेरे प्रति अपना प्यार स्वीकारेगी,’ सोचता हुआ गोपाल एक सही समय की प्रतीक्षा कर रहा था.

कालेज के अंतिम वर्ष में प्लेसमैंट सैल द्वारा लगभग सभी की जौब लग गई. मोहना व गोपाल को भी अपनी पसंदीदा कंपनियों में अच्छे पैकेज वाली नौकरियां मिल गईं. किंतु एक को दिल्ली में तो दूसरे को हैदराबाद में नौकरी मिली. गोपाल इस से काफी उदास हो उठा.

‘अरे, हम टच में रहेंगे न, इतना क्यों उदास होते हो?’

‘मैं ने कल शाम. तुम्हारे लिए एक पार्टी रखी है, मोहना, आओगी न?’ गोपाल ने उदासी का चोला उतार पहले जैसी मुसकान ओढ़ ली.

‘बिलकुल आऊंगी. मेरे लिए पार्टी हो और मैं न आऊं?’ मोहना पार्टी का नाम सुन कर खुश थी. अगली शाम जब मोहना तैयार हो निर्धारित जगह पर पहुंची तो अपने ज्यादातर मित्रों को उस पार्टी में पा कर बोली, ‘‘अरे वाह, यहां तो सभी हैं.’’ ‘क्योंकि ये आम पार्टी नहीं, आज यहां कुछ खास होने वाला है. कुछ ऐसा जिसे तुम सारी उम्र नहीं भूलोगी,’ कहते हुए गोपाल के इशारे पर सारा वातावरण मधुर संगीत से गूंज उठा. आसपास खड़े मित्र, मोहना और गोपाल पर गुलाब की पंखुडि़यां बरसाने लगे.

मोहना आश्चर्यचकित थी पर साथ ही इतने मनमोहक माहौल में उस की मुसकान थमने का नाम नहीं ले रही थी. तभी गोपाल ने जेब से एक सुंदर सी डब्बी निकाली और खोल कर मोहना के समक्ष बढ़ा दी. उस डब्बी में एक खूबसूरत अंगूठी थी, ‘क्या तुम मेरी जीवनसंगीनी बनोगी, मोहना?’ मोहना की हंसी अचानक काफूर हो गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है, जिसे वह अपनी नौकरी मिलने की खुशी की पार्टी समझ रही थी वह तो दरअसल गोपाल ने उसे प्रपोज करने हेतु रखी थी. वह भी सब के सामने. इस अप्रत्याशित प्रस्ताव के लिए वह कतई तैयार नहीं थी. पहली बात उस ने अभी शादी करने के बारे में सोचा भी न था. गोपाल को उस ने कभी इस नजर से देखा भी नहीं था. वह तो उसे सिर्फ एक दोस्त मानती थी.

‘ओह गोपाल. एक बार मुझ से पूछ तो लेते. यों अचानक सब के सामने… देखो, मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहती पर मैं अभी शादी नहीं करना चाहती. मैं तुम से प्यार भी नहीं करती. प्लीज, बात समझने की कोशिश करो,’ मोहना अचकचा गई थी, वह गोपाल को किसी भी गलतफहमी में नहीं रखना चाहती थी. उस के इतना कहते ही पार्टी में हलचल मच गई. चारों ओर खुसफुसाहट सुनाई देने लगी. गोपाल को अपनी बेइज्जती महसूस हुई. सब मित्र अपनेअपने घर रवाना हो गए. मोहना भी चुपचाप चली गई. कुछ दिन बाद मोहना हैदराबाद चली गई और वहां नई नौकरी जौइन कर ली. उस शाम से आज तक उस ने गोपाल से कोई बातचीत नहीं की थी. नए शहर और नई नौकरी में मोहना खुश थी. मोहना को इस औफिस में अभी एक हफ्ता ही हुआ था कि एक सुबह अचानक औफिस में प्रवेश करते समय उस ने गोपाल को रिसैप्शन पर खड़ा पाया.

‘अरे, गोपाल तुम?’

‘हां, किसी काम से हैदाराबाद आया था. सोचा, तुम से भी मिलता चलूं. तुम्हारी कंपनी का नामपता तो मालूम ही था.’

‘अच्छा किया. कैसे हो? कहां ठहरे हो और कब तक?’

‘होटल मयूर में रुका हूं. यदि शाम को तुम फ्री हो तो आ जाओ, एक कप कौफी पीएंगे साथ में और गपशप करेंगे दोनों.’ गोपाल के इस प्रस्ताव पर मोहना झिझकी.

‘हां, मैं आऊंगी,’ मोहना ने झिझकते हुए कहा. शाम को मोहना होटल मयूर पहुंची. वहीं के रेस्तरां में दोनों ने कौफी पी. कुछ हलका सा खाया ही था कि गोपाल ने पेटदर्द की शिकायत की, ‘मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, मोहना. मैं अब कमरे में जाना चाहता हूं.’ मोहना गोपाल को छोड़ने उस के कमरे तक गई, ‘कोई दवा है तुम्हारे पास या मैं जा कर ले आऊं?’ ‘मेरी दवा तुम हो, मोहना,’ कहते हुए गोपाल ने अचानक कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और मोहना को घसीट कर बिस्तर पर गिरा दिया. ‘यह क्या कर रहे हो, गोपाल? क्या पागल हो गए हो? मैं तुम्हें साफतौर से बता चुकी हूं कि मैं तुम्हें नहीं चाहती. फिर भी तुम…’

गोपाल अपनी सुधबुध खो चुका था. मोहना की बातों का, उस की चीखों का उस पर कोई असर नहीं हुआ. उस पर तो जैसे फुतूर सवार हो गया था. वह मोहना पर टूट पड़ा और उस की अस्मिता भंग करने के पश्चात ही सांस ली. मोहना का रोरो कर बुरा हाल था. एक पुराने दोस्त के हाथों इतना बड़ा धोखा. उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि गोपाल उसे इतना आहत कर सकता है. शारीरिक वेदना से अधिक वह रोष अनुभव कर रही थी. मना करने के बावजूद उस के अपने मित्र ने उस के साथ छल किया. मोहना का दिल कसमसा उठा. रात काफी हो चुकी थी. मोहना अपने संताप को स्वीकार चुकी थी. गोपाल चुपचाप एक तरफ बैठा था. अचानक गोपाल उठ खड़ा हुआ और कमरे की एकमात्र अलमारी से फिर वही अंगूठी वाली डब्बी निकाल लाया और बोला, ‘अब तो मान जाओ, मोहना,’ और वही अंगूठी मोहना की ओर बढ़ा दी.

‘ओह, तो तुम ने ये सब इसलिए किया ताकि मैं कहीं और, किसी और के पास जाने लायक न रहूं? मुझे तरस आता है, गोपाल, तुम्हारी संकुचित सोच पर. ऐसी हरकत कर के तुम किसी लड़की को जबरदस्ती पा तो सकते हो, लेकिन उस का दिल कभी नहीं जीत सकते, उस के अंतर्मन में अपने लिए इज्जत कभी नहीं बना सकते. मैं आज के जमाने की लड़की हूं. मेरे लिए मेरे सभी अंग महत्त्वपूर्ण हैं. किसी एक अंग को भंग कर के तुम मेरा आत्मविश्वास नहीं खत्म कर सकते. ‘यदि तुम्हारी एक उंगली कट जाए तो क्या तुम जीना छोड़ दोगे? नहीं ना? वैसे ही इस घटना को मैं अपने मनमस्तिष्क पर हावी नहीं होने दूंगी. तुम ने मेरे साथ जबरदस्ती की, इस का पछतावा तुम्हें होना चाहिए, मुझे नहीं. मेरा मन साफ है. ‘मेरे मन में तुम्हारे लिए कभी भी प्यार नहीं था और अब तो बिलकुल नहीं पनप सकता. मैं यहीं बैठी हूं. चाहो तो ऐसी हरकत फिर कर लो. मगर बारबार आहत कर के भी तुम मुझे नहीं पा सकते,’ कहते हुए मोहना उठी और अपने कपड़े, पर्स संभालते हुए कमरे से बाहर निकल गई. गोपाल भोर तक वहीं उसी मुद्रा में बैठा रहा. यह क्या कर दिया था उस ने? जिस को इतना चाहता था उसे ही इतनी पीड़ा पहुंचाई उस ने. मोहना द्वारा कही बातें उस के कानों में गूंज रही थीं.

‘अब तो कभी उस की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करेगी मोहना?’ उस ने सोचा. अगले दिन पूरी हिम्मत जुटा कर गोपाल फिर मोहना के औफिस पहुंच गया. किंतु आज मोहना औफिस नहीं आई थी. वहां से उस के घर का पता ले, वह उस के घर जा पहुंचा. दरवाजे पर गोपाल को खड़ा देख मोहना ने उसे एक चांटा जड़ दिया. गोपाल फिर भी सिर झुकाए चुपचाप खड़ा रहा, हाथ जुड़े थे, मुख ग्लानि की स्याही से मलिन था. ‘मुझे माफ कर दो, मोहना. मैं पागल हो गया था. तुम्हें पा लेने के जनून में मैं ने अपना विवेक खो दिया था. प्लीज, मुझे माफ कर दो, मोहना,’ गोपाल गिड़गिड़ा रहा था.

मोहना एक आत्मविश्वासी, समझदार युवती थी. वह जानती थी कि किस चीज को कितनी अहमियत देनी है. गोपाल से उस की दोस्ती 3 साल पुरानी थी और इस समयाकाल में गोपाल ने उस का सिर्फ हित सोचा था. आज उस से एक भूल अवश्य हो गई थी लेकिन उस के पीछे भी उस की मनशा गलत नहीं थी. यह उस की मूर्खता थी. मोहना ने एक शर्त पर गोपाल को माफ कर दिया कि अब जब तक वह नहीं चाहेगी, दोनों एकदूसरे से मिलेंगे भी नहीं. गोपाल ने भी शर्त मान ली थी. ‘गोपाल, तुम्हारे मन में मेरे लिए जो भी भावना रही, उसे मैं विनिमय नहीं कर सकती और यह बात तुम्हें सहर्ष स्वीकारनी चाहिए. इसी में तुम्हारा बड़प्पन है,’ मोहना ने गोपाल को विदा किया. कौफी बन चुकी थी. हाथ में कौफी का मग लिए मोहना टीवी देखने बैठ गई. अपनी शादी पर पूरे 3 वर्ष पश्चात वह गोपाल से मिलेगी. गोपाल ने कहा था कि उस की शादी में अपनी गर्लफ्रैंड को भी लाएगा.

Hindi Stories Online : वो एक उम्र – पिकनिक पर नेहा के साथ क्या हुआ

Hindi Stories Online : ‘‘उठोनेहा, स्कूल नहीं जाना क्या? बस निकल जाएगी. फिर स्कूल कैसे जाएगी?’’ नीना ने उसे  झं झोड़ कर उठाया.

‘‘आज तबीयत ठीक नहीं है. स्कूल नहीं जाऊंगी,’’ नेहा ने करवट बदली. नीना ने अटैच्ड बाथरूम का गेट खोला तो नेहा लपक कर बिस्तर से उठी और मां का हाथ पकड़ लिया, ‘‘मैं ने जब कह दिया तबीयत ठीक नहीं है तो नहीं है. बाथरूम में क्या ताक झांक कर रही हो? क्या आप को पीरियड नहीं आते?’’

अपनी लड़की के मुंह से इतना सुनते ही नीना की भृकुटि तन गईर्, कुछ नहीं बोली और चुपचाप नेहा के कमरे से बाहर आ गई. मां के जाते ही नेहा ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.

‘‘जब बोल दिया तो जासूसी करने की क्या जरूरत है? खुद को पीरियड नहीं आते क्या?’’ 14 साल की नेहा बड़बड़ाती हुई फिर से बिस्तर में पसर गईर्.

नीना भी मन ही मन भन्ना रही थी, ‘‘ये लड़कियां एक बार टीनएज हो जाएं तो हाथ से निकल जाती हैं. सुनती भी नहीं हैं.’’

थोड़ी देर में नीना भी औफिस के लिए निकल गई.

यह उम्र ही कुछ ऐसी है. शारीरिक और मानसिक बदलाव से लड़कियों की सोच

और दुनिया बदल जाती है. खेल और पढ़ाई से आगे शारीरिक आकर्षण, सुंदरता और लड़कों में रुचि बढ़ने लगती है.

नेहा अब टीवी अधिक देखने लगी थी. टीवी और फिल्म अभिनेत्रियों के बदन से अपनी तुलना करने लगी.

बाथरूम में अपनी फिगर देखते समय उस के मन में अभिनेत्रियां ही थीं. उन के जैसे हावभाव करने लगी. उस का मन भी वैसे फैशन करने को करता. मगर मम्मी भी न… खुद तो सजसंवर कर मटकती हुई औफिस निकल

जाएंगी और मेरे ऊपर दुनियाभर की रिस्ट्रक्शन. माई फुट, यह न करो, वह न करो. खुद सारे काम करती हैं.

नित्य नए फैशन कर के औफिस जाती हैं. मैं कुछ नया पहनने की इच्छा जाहिर करूं तब सौ पाबंदियां. माई फुट.

नहाने के बाद नेहा इंटरनैट पर सर्च करती रही. मन ही मन बुदबुदाती रही, अब क्याक्या पूंछूं. जरूरी बातें भी हांहूं कर के टाल देती हैं. जो बात मम्मी से मालूम होनी चाहिए वह इंटरनैट से मालूम करनी पड़ती है.

शाम को नेहा की फ्रैंड अहाना का फोन आया, ‘‘स्कूल क्यों नहीं आई?’’

‘‘मिलने आजा,’’ नेहा बोली.

‘‘आती हूं.’’

थोड़ी देर में दोनों पक्की सहेलियां गप्पे ठोक रही थीं.

‘‘यह जो तेरे नीचे वाले फ्लैट में लड़का रहता है. उसे कोई कामधंधा नहीं है. जब भी तेरे से मिलने आती हूं बालकनी में खड़ा मिलता है.’’

‘‘स्मार्ट है, लड़कियों को देखता है, आसपास की कई लड़कियां उस पर मरती हैं.’’

‘‘हां देखने में तो डैशिंग है. तू बात करती है?’’

‘‘यार एक बार बात क्या कर ली मम्मी

ने घर में तीसरा महायुद्ध कर दिया कि पढ़ाई

छोड़ नैनमटक्का करती रहती है. मैं उन के मुंह नहीं लगती.’’

‘‘आज विहान तेरी सीट को देखे जा रहा था. तू आई नहीं आज तो बड़ा परेशान रहा. मैम ने उस ने प्रश्न पूछ लिया. वह तेरे खयालों में गुम था… बेचारे को पनिशमैंट मिल गया.’’

‘‘रियली?’’

‘‘और नहीं तो क्या.’’

‘‘लड़का हैंडसम है. हलकी मूंछें, दाढ़ी. बस मुसीबत एक है, रहता दूर है. आसपास रहता तो मिल भी लेते.’’

‘‘और सुना बिगबौस शुरू हो रहा है.’’

‘‘टीवी पर तो देख ही नहीं सकते. सैंसरबोर्ड बैठा हुआ है. मेरे कमरे से टीवी हटा कर ड्राइंगरूम में रख दिया. खुद अपने कमरे में धीमी आवाज में देते हैं और मुझे देखने नहीं देते. मालूम नहीं, मम्मी लोग को बिगबौस से क्या प्रौब्लम है. मजा आ जाता है देखकर.’’

नेहा के स्कूल नहीं जाने के कारण आज नीना औफिस से जल्दी लौट आई. मां को देख कर नेहा की भृकुटि तन गई.

‘जासूसी करने जल्दी चली आई,’ वह मन ही मन बुदबुदाई.

‘‘हैलो आंटी,’’ अहाना ने तुरंत बात बदली. दोनों फ्रैंड्स किताब खोल कर पढ़ाई पर चर्चा कर रही थीं.

‘‘नेहा, तबीयत कैसी है?’’

‘‘मां, यह तो कल ठीक होगी.’’

‘‘टेक केअर,’’ नीना अपने कमरे में चली गई.

नेहा ने मां को कमरे में बंद हो कर फोन पर बात करते सुना और जलभुन गई. नौटंकी कर रही हैं. मेरी तबीयत की फिक्र थी, तो छुट्टी कर लेतीं. जल्दी आ कर भी कौन से तीर चला दिए. खुद फोन पर लगी हुई हैं. मैं फोन उठा लूं तो आफत आ जाती है. कान लगाकर फोन सुनती हैं, किस को कर रही हूं. खुद को प्राइवेसी चाहिए. मेरे ऊपर सैंसरशिप.’’

‘‘क्या सोच रही है?’’

‘‘सैंसरशिप.’’

‘‘ठीक टाइम पर याद दिला दिया. मेरे घर पर भी सैंसर बोर्ड की चेयर वूमन राह तक रही होगी,’’ अहाना किताब उठा कर चलती बनी.

नीचे उतरकर अहाना ने ऊपर देखा. नीचे के फ्लैट वाला लड़का अभी भी बालकनी में टंगा था. एक नजर उस पर डाली और फटाफट घर की ओर कदम तेज किए, ‘‘लड़के में दम है. लगता है इस के घर सैंसरबोर्ड नहीं है. मांबाप को चिंता नहीं, लड़का पढ़ता भी है या लुढ़कने की तैयारी में है. बाप का मोटा बिजनैस होगा, तभी लड़कियों को देखने के लिए पूरी शाम बालकनी में टंगा रहता है,’ वह मन ही मन सोच रही.

सैटरडे सुबह ही नीना ने नेहा को शाम को तैयार रहने को कहा कि पार्टी में जाना है.

‘‘किसकी पाटी है?’’

‘‘राहुल अंकल की मैरिज ऐनिवर्सरी है.’’

पार्टी के नाम पर नेहा चहक उठी कि कम से कम वहां सैंसरशिप तो नहीं होगी. थोड़ी मौजमस्ती होगी मांबाप अपने मैं मस्त रहेंगे और हम अपने में. राहुल अंकल का लड़का अनिरुद्ध भी तो अब बड़ा होगा. अरे मेरी उम्र का है.

शाम को नीना का कोई रोकटोक नहीं थी. फंक्शन में जाना है. बच्चे स्मार्ट नजर आने चाहिए.

अत: आज नेहा को पूरी आजादी मिल गई. डिजाइनर ड्रैस, मेकअप. नेहा जब तैयार होकर कमरे से बाहर आई, तो नीना कभी खुद को देखती, कभी नेहा को. आज वह उसे कौंप्लैक्स दे रही थी.

फंक्शन में सभी नेहा से अधिक बात कर रहे थे, उस की खूबसूरती पर

कौप्लिमैट्स दे रहे थे. पहली बार नीना को महसूस हुआ, अब नेहा बड़ी हो गईर् है. वह उस से अधिक जानकारी रखती है, जिस तरह से वह सब से बात कर रही है.

फंक्शन शुरू होते सभी अपने ऐज गु्रप में घुलमिल गए. नेहा अनिरुद्ध के साथ गपशप में व्यस्त थी. राहुल अंकल नेहा के पिता के मित्र थे, जो पहले पड़ोस में रहते थे, फिर मकान बदल कर दूर कालिनी में चले गए. नेहा अनिरुद्ध को बचपन से जानती थी. अब एक लंबे अरसे के बाद मिलना हुआ.

अनिरुद्ध और नेहा बात करते हुए थोड़ा

कोने में चले गए. डिजाइनर ड्रैस और मेकअप में नेहा तरुणी नहीं, एक वयस्क युवती दिख रही थी. शारीरिक उभार और संरचना पर अनिरुद्ध की नजर टिक गई, जो उस से 2 साल बड़ा था.

अनिरुद्ध का उसे कामुक नजरों से देखना रोमांचित कर रहा था. आज उस का मन 1 अभिनेत्रियों की तरह अदाएं दिखा कर के अनिरुद्ध को रि झाने का कर रहा था. अनुरुद्ध ने उस का हाथ पकड़ा. दोनों एकदूसरे का हाथ सहला रहे थे. उन को प्रेम की अनिभूति प्रथम बार होने लगी. दोनों एकदूसरे का पहला क्रश हो गए.

‘‘हर काम कभी न कभी पहली बार करना होता है. यह तो नार्मल है. सभी पीते है, टेस्ट करो स्वीट हाटग नेहा. मैं भी ले रहा हूं.’’ एक पेग अनिरुद्ध ने अपने होठों से लगाया.

नेहा और अनिरुद्ध एकदम सटे खड़े थे. शरीर स्पर्श से एक नई अनुभूति का एहसास नेहा को हो रहा था. आज पहली बार वह स्वतंत्र थी. वह किशोरी नहीं, युवती है. अनिरुद्ध का चेहरा उस के चेहरे के समीप आया. अनिरुद्ध 1 मिनट तक नेहा की जुल्फों में उंगलियां फेरता रहा, फिर अचानक एक हलका सा चुंबन नेहा के गाल पर अंकित कर दिया. नेहा ने कोई ऐतराज नहीं जताया. एक हलकी सी मुसकराहट के साथ अलविदा कहा.

नेहा के मांबाप अपनी धुन में थे. वे फंक्शन की बातें कर रहे थे. नेहा के चेहरे पर बड़ी सी मुसकान थी. आज उस ने पहली बार मस्त आजाद जीवन जीया है.

बाकी रात उस ने बिस्तर पर करवटें बदलते बिताई. नींद आंखों से कोसों दूर थी. वह अपनी शारीरिक बनावट देखती रही और कटरीना कैफ से तुलनात्मक अध्ययन करने लगी. अनिरुद्ध का स्पर्श उसे खयालों में रोमांचित कर रहा था. नेहा के जीवन का नया अध्याय आरंभ हो चुका था. उस का केंद्रबिंदु अब पढ़ाई नहीं, बल्कि अपने को सजनेसंवारने पर स्थापित हो गया था. सुबह 6 बजे उस की आंख लगी.

संडे छुट्टी का दिन था. मंदमंद मुसकराते कल रात के फंक्शन की बातें उस के दिल और दिमाग में छाई रहीं.

शाम को अहाना का फोन आया. फोन पर नेहा चहकती हुई अनिरुद्ध की बातें

बताती रही. दोनों का विषय शारीरिक संरचना, लड़की और लड़के की चाहत पर केंद्रित रहा.

अहाना को जलन होने लगी कि नेहा जीवन का वह अनुभव प्राप्त कर गई, जो उसे अभी तक नहीं मिला.

मंडे स्कूल में नेहा को देख कर विहान का चेहरा खिल गया. क्लास शुरू होने में थोड़ा समय था. शुक्रवार की पढ़ाई के बारे में वह विहान से बात करने  लगी. वह विहान के बहुत नजदीक आ गई. दोनों की सांसें मिलने लगीं. कोई बात नहीं कर रहा था. स्कूल था वरना दोनों लिपटने को आतुर लग रहे थे.

क्लास में विहान नेहा के बारे में सोच रहा था. टीचर ने उसे खयालों में देखते ही प्रश्न पूछा. विहान को मालूम ही नहीं चला कि प्रशन उस से पूछा जा रहा है. वह सीट पर बैठा रह गया. टीचर ने उसे क्लास से बाहर खड़े होने का फिर से पनिशमैंट दे दिया. विहान की पनिशमेंट के बाद नेहा सतर्क हो गई. वह खयालों से बाहर आई. अहाना उस पर बराबर नजर गड़ाए हुई थी. यह तो गईर् काम से.

नेहा के दिमाग में पढ़ाई कम होती जा रही थी. उस के मस्तिष्क की कोशिकाओं में अब शारीरिक आकर्षण, संरचना, स्पर्श और सैक्स के विषय ने स्थान अधिक कब्जा लिया.

अगले सप्ताह स्कूल की पिकनिक का आयोजन हुआ. स्कूल विद्यार्थियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. 4 बसें एक  झील किनारे खूबसूरत पिकनिक स्पाट के लिए स्कूल से रवाना हुईं.

नेहा और विहान हाथ में हाथ डाले एक वीरान से कोने की ओर अग्रसर थे. अहाना उन के पीछे थी. उस के दिमाग में हलचल थी कि वे दोनों क्या करते हैं?

वीरान से कोने में नेहा ने अपना सिर विहान के कंधे पर टिका दिया. विहान की उंगलियां नेहा की जुल्फों में उल झी थीं. दोनों के शरीर में एकदूसरे के स्पर्श से जलतरंग उत्पन्न हो रही थी. अहाना दूर से उचकउचक कर दोनों को देख रही थी.

अधिक विद्यालयों के कारण स्कूल अध्यापक भी अधिक संख्या में पिकनिक पर उपस्थित थे. इंग्लिश टीचर सपना को अहाना का एक कोने में उचक कर देखना शंकित कर गया. उसने अहाना की पीठ थपथपाई. अहाना घबराहट में पसीने से नहा गई. मिस सबरवाल ने चारों और देखा और माजरा सम झ गईर्. अहाना का हाथ पकड़ कर नेहा और विहान के आगे खड़ी हो गईर्. नेहा और विहान के चेहरे एकदूसरे को किस करने के लिए आगे बढ़ रहे थे. सपना ने अपना हाथ दोनों के होंठों के बीच रखा. दोनों के घबराहट में पसीने छूट गए.

अनुभवी सपना ने किसी को नहीं डांटा. मुसकराते हुए विहान के साथ नेहा और अहाना को सम झाया, ‘‘अभी यह कार्य करने के लिए तुम छोटे हो. अभी की एक किस शारीरिक संबंधों में कैसे परिवर्तित होगी, तुम्हें खुद नहीं मालूम होगा.

‘‘मित्रता और शारीरिक संबंधों के बीच एक लक्ष्मण रेखा का होना अति आवश्यक है. यह रेखा ताउम्र जीवन में साथसाथ चलती है. इस उम्र में लड़के और लड़की के बीच शारीरिक आकर्षण स्वाभाविक है. मैं अनुचित नहीं मानती. तुम्हें हर क्षेत्र में साथसाथ चलना है. एकदूसरे का पूरक बनना है. स्कूल के बाद कालेज फिर औफिस में लड़का और लड़की एकसाथ काम करेंगे. हंसो और खुल कर बातें करो. अपना कैरियर चुनो, फिर जीवन में सैटल होने के बाद इस तरफ सोचना. अभी एक गलत कदम तुम्हारा भविष्य उजाड़ सकता है.’’

सपना में एक मित्र की तरह तीनों को सम झाया. तीनों ने उन से माफी मांगी.

‘‘तुम दोस्तों की तरह स्कूल और बाहर रहो. तुम्हारा कोई भी प्रश्न हो, मु झ से कभी भी पूछना, चाहे सैक्स के बारे में ही क्यों न हो क्योंकिमु झे मालूम है यह बात तुम अपने घर पर किसी से नहीं कर सकोगे. अब तुम पिकनिक ऐंजौय करो. अपने मन से अपराधबोध मिटा दो क्योंकि गलत काम हुआ नहीं,’’ और सपना ने तीनों से हाथ मिलाया और उन की पीठ थपथपाई.

‘‘थैंकयू मैम,’’ तीनों ने एकस्वर में कहा.

‘‘ऐसे नहीं मुसकराते हुए,’’ कह सपना बाय कहते हुए मुख्य पिकनिक की ओर मुड़ गई नेहा, अहाना और विहान हाथ में हाथ डाले सपना के पीछेपीछे चल रहे थे.

फ्रैगरेंस का दैनिक जीवन से क्या है कनैक्शन, जानें यहां

FRAGRANCE : सुगंध और खुशबू अदृश्य हो सकती हैं, लेकिन ये हमारे व्यस्त जीवनशैली के हर पहलू में शामिल हैं. रेचल हर्ट्ज ने अपनी किताब ‘द सेंट औफ डिजायर ’ में फ्रैगरेंस से हमारे मूड, स्वास्थ्य, खुश रहने को जोड़ा है, जिसे व्यक्ति रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस करता है.

उन्होंने कहा है कि किसी फ्रैगरेंस का तब तक कोई व्यक्तिगत महत्त्व नहीं होता, जब तक वह किसी ऐसी चीज से न जुड़ जाए, जिस का कोई अर्थ हो. आप के आसपास का कोई भी व्यक्ति अगर अच्छी परफ्यूम लगा कर आता है, तो अपने शुरुआती अनुभव के साथ आप नर्वस सिस्टम से कनैक्शन बनाना शुरू कर देते हैं, जो महक को व्यक्ति की भावनाओं के साथ जोड़ देता है.

आप जब किसी अवसर पर कहीं जाते हैं, तो खुशबू का प्रयोग करना नहीं भूलते, क्योंकि अच्छी खुशबू केवल आप को ही नहीं, बल्कि आप के आसपास के लोग भी उस से प्रभावित होते हैं, जिस से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति अधिक आकर्षक लगने लगता है.

साइंस क्या कहती है

असल में सुगंध मस्तिष्क के न्यूरोलौजिकल मार्ग के माध्यम से भावनात्मक केंद्रों से जुड़ी होती है. यह ठीक उसी तरह होता है, जैसा अगर आप ने नोटिस किया होगा कि किसी कमरे में चलते हुए हमें तुरंत बहुत शांत और ऊर्जावान महसूस होने लगता है, जैसा अधिकतर लैवेंडर, साइट्रस जैसी कोई भी खुशबू का सीधे मस्तिष्क के लिंबिक सिस्टम तक पहुंचने की वजह से होती है, जो भावनाओं और यादों का केंद्र होता है और तुरंत एक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया पैदा करती है.

यह सीधा संबंध बताता है कि एक विशेष गंध हमें तुरंत एक विशिष्ट क्षण में ले जा सकती है और हमें एक याद से उबार सकती है. आज के परिवेश में तनाव एक महत्त्वपूर्ण फैक्टर है और तनाव को कम करने और रिलैक्स महसूस करने में सुगंध बहुत सहायक होती है.

मूड में बदलाव

इस के अलावा एक विशेष खुशबू हमारे मूड को बदल सकती है और खुशी या शांति की भावना पैदा कर सकती है. ऐसा भी देखा गया है कि एक विशेष खुशबू हमें किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या अनुभव की याद दिला सकती है. इस के अलावा कुछ फ्रैगरेंस, जैसे लौंग या लैवेंडर ध्यान और एकाग्रता में सुधार कर सकती हैं. तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है. इतना ही नहीं, पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी सुगंध की बढ़ी भूमिका होती है, जिस में सुगंधित मोमबत्तियां और डिफ्यूजर जैसे सुगंधित प्रोडक्ट, जो कमरों और वातावरण को सुगंधित बना कर सुकून और ताजगी प्रदान करते हैं.

यूथ की खास पसंद

आज के मिलेनियल्स और जेनजी ने फ्रैगरेंस की दुनिया में अपनी व्यक्तिगत चौइस और प्रामाणिकता से एक क्रांति ला दी है. वे केवल एक अच्छी फ्रैगरेंस की तलाश नहीं करते, बल्कि एक यूनिक खुशबू को खोजते है, जो उन के व्यक्तित्व को सब से अलग दर्शाता है। यह बदलाव सुगंध के अधिक समय तक टिकने और ताजगी को प्रमुखता देना होता है, जिस में सोशल मीडिया सब से अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं.

आज की लड़कियों की पसंद यूनिसेक्स है. फ्रैगरेंस के क्षेत्र में आज की फीमेल कंज्यूमर्स के बीच एक दिलचस्प प्रवृत्ति भी देखा जा रहा है, जहां उन्हें सिर्फ फ्लौवरी फ्रैगरेंस नहीं, बल्कि यूनिसेक्स फ्रैगरेंस पसंद आ रहे हैं, जिसे वे जेब में कैरी कर किसी भी मौके पर कहीं भी स्प्रे कर सकती है. उन की यह सोच किसी सुगंध के लंबे समय तक टिके रहने वाली सुगंध की इच्छा को उजागर करता है. मिलेनियल्स से जेनजी उपभोक्ताओं के बीच फर्क बस इतना है कि जेनजी कैमिकल फ्री, क्रूऐल्टी फ्री, सस्टैनेबल फ्रैगरेंस को अधिक पसंद करते हैं, जो उन्हें सब से अलग फील कराती है.

गरमियों में बैड स्मेल को करें दूर

गरमियों में पसीने की बदबू एक आम समस्या है, ऐसे में ताजगी और महकते एहसास के लिए फूलों और सिट्रस फलों के महक वाले परफ्यूम का इस्तेमाल सामने वाले को तो फील गुड करवाता ही है, साथ ही आप के मन को भी सुकून देता है,

फ्रैगरेंस फौर बौइज

लेमन ग्रास, मिंट नोट्स वाले परफ्यूम ताजगी का एहसास कराते हैं और गरमियों के दिनों में इस की महक के साथ आप बेहतर अनुभव कर सकते हैं.

ऐक्वैटिक परफ्यूम कई तरह के मिनरल्स से भरपूर जल के गुणों से समृद्ध होते हैं. इस में स्वच्छ और ताजगी भरी महक होती है.

स्पाइसी परफ्यूम की खूशबू बहुत तेज होती है और अधिक गरमी और उम स में इसे ज्यादा लगाना उचित नहीं होता है। इस की खुशबू ज्यादा देर तक बरकरार रहती है और इस की हलकी खुशबू ही पर्याप्त होती है, इसलिए इसे कम मात्रा में लगाना सही होता है.

फ्रैगरेंस फौर गर्ल्स

आज की लड़कियां आधिकतर फूलों की खुशबू वाले या विभिन्न फलों से तैयार परफ्यूम पसंद करती हैं, क्योंकि फूलों की खूशबू वाले परफ्यूम आप को खुशनुमा माहौल और ताजगी का एहसास कराते हैं.
फलों से तैयार परफ्यूम गरमियों में लगाने के लिए सब से उपयुक्त माने जाते हैं। फूलों वाले इत्र के मुकाबले इन की खुशबू हलकी और भीनी होती है, जो उमस भरे मौसम में बेहतर माना जाता है.

रोजमैरी, लैवैंडर, क्यूमिन (जीरा), कपूर और अन्य वनस्पतियों से तैयार सुगंधित परफ्यूम आप को अनोखी ताजगी और खूशबू का एहसास कराते है. गरमियों में एरोमैटिक परफ्यूम भी लगाना अच्छा होता है.
अगर आप इत्र के शौकीन हैं, तो वुडी इत्र हलकी और भीनी खुशबू वाले होते हैं। सिट्रस फलों के सत्व से युक्त वुडी इत्र भी गरमियों में आप के लिए उपयुक्त साबित हो सकते हैं.

सही परफ्यूम खरीदने के तरीके

• किसी भी परफ्यूम की खुशबू चैक करने के लिए अपनी कलाई पर इसे 5 मिनट तक रखें। अगर इस से किसी प्रकार की खुजली या काला धब्बा नहीं पड़ता है, तो इस का मतलब है कि परफ्यूम आप की त्वचा के लिए सही है.

• प्राकृतिक खुशबू वाला परफ्यूम अधिकतर खरीदना सही होता है, जिस में लड़कियों को हलकी खुशबू और लड़कों को स्ट्रौंग खुशबू अच्छा रहता है.

• गरमियों में बाहर जाने पर धूल, मिट्टी, गंदगी, पसीना आदि शाम होने तक पूरा बदबूदार बना देता है। ऐसे में, शरीर के नैचुरल कैमिकल्स के साथ मेलखाते परफ्यूम बेहतर होता है और जो आप के व्यक्तित्व को भी निखारता है.

• ध्यान रखें कि परफ्यूम के सुगंध की जांच स्टोर से बाहर निकल कर भी करें, क्योंकि एअर कंडीशन की वजह से परफ्यूम की सुगंध में फर्क पड़ता है.

परफ्यूम इस्तेमाल के तरीके

परफ्यूम को शरीर के छोटेछोटे हिस्से में प्रयोग करें, ताकि किसी भी प्रकार की जलन या सनसनाहट महसूस होने पर तुरंत उस का उपयोग बंद कर दें. नहाने के बाद त्वचा को साफ और सूखा लें, त्वचा के कुछ खास हिस्सों पर जैसे कि नाड़ी बिंदुओं (कलाई, कान के पीछे, गरदन) पर परफ्यूम छिड़कें. परफ्यूम को कपड़ों पर स्प्रे करने से बचें, खासकर नाजुक कपड़ों पर क्योंकि इस से कपड़े पर दाग लग सकते हैं.

परफ्यूम रसायनिक पदार्थों के मिश्रण से बने होते हैं। इन में सुगंधित तेलों को सिंथैटिक सामग्री के साथ मिलाया जाता है.

फर्स्ट इंप्रैशन और परफ्यूम

इंप्रैशन की अगर बात की जाए, तो औफिसकर्मी हो या सैलिब्रिटीज, पहले दिन ही अपनी छाप सभी पर छोड़ना पसंद करते हैं। एक नई परफ्यूम एक नए व्यक्ति के साथ संबंध जोड़ने जैसा होता है, यही वजह है कि सैलिब्रिटीज भी हमेशा अपनी पसंद बता कर अपने फैंस के साथ सीधा संपर्क जोड़ते हैं और किसी सैलिब्रिटी की पसंद उन के फैंस की भी पसंद बन जाती है.

आइए जानते हैं कि हमारे सैलिब्रिटीज किस तरह की परफ्यूम लगाना पसंद करते हैं :

आलिया भट्ट : अभिनेत्री ने एक साक्षात्कार में बताया है कि उन्हें पुरुषों की खुशबू वाले परफ्यूम ज्यादा पसंद हैं. वे परफ्यूम मूड के हिसाब से लगाती हैं, लेकिन उन्हें अरमानी कोड या ब्लू डी चैनल परफ्यूम अधिक पसंद है.

सारा अली खान : अभिनेत्री सारा अली खान को चैनल नंबर 5 परफ्यूम बहुत पसंद है, क्योंकि यह उन्हें उन की मां की याद दिलाता है.

शाहरुख खान : अभिनेता शाहरुख खान की पसंद डनहिल और डिप्टीक है। उन्होंने एक जगह कहा है कि वे अधिकतर इस दोनों परफ्यूम को मिला कर प्रयोग करते हैं, जो उन के लंदन स्टोर में मिलता है.

दीपिका पादुकोण : नार्सिसो रोड्रिगेज परफ्यूम अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ और परिणिती चोपड़ा को बेहद पसंद है. गुलाबी और काले बोतल में आने वाली इस परफ्यूम को ये हमेशा लगाती हैं.

रणवीर सिंह : अभिनेता रणवीर की मनपसंद परफ्यूम एटकिंसन ओउड सेव द क्वीन है. इस की खुशबू बरगमोट, लौंग, नारंगी फूल, गुइयाक लकड़ी और उदइत्र से बनी है. इस की खुशबू स्ट्रौंग केसर और स्मोकी लेदर होने की वजह से उन के फैंस भी इसे पसंद करते हैं.

सोनम कपूर : अभिनेत्री सोनम कपूर की पसंद बायरेडो जिप्सी वाटर परफ्यूम है। इस कंपनी की यूनिसेक्स परफ्यूम कलैक्शन के साथसाथ, साफसुथरी पैकेजिंग की वजह से सभी को यह परफ्यूम बहुत पसंद है. जिप्सी वाटर, खुशबू ब्रैंड का सब से ज्यादा बिकने वाला परफ्यूम है और इस में चंदन और वैनिला, नीबू के साथसाथ अन्य सामग्री की खुशबू भी है.

करीना कपूर खान : अभिनेत्री करीना कपूर खान की पसंद का परफ्यूम उन के व्यक्तित्व के लिए एकदम सही है. अभिनेत्री को जीन पौल गौल्टियर के सभी परफ्यूम पसंद हैं, लेकिन क्लासिक उन का सब से पसंदीदा परफ्यूम है. गुलाब के फूलों के साथ वैनिला, ऐंबर और शहद की खुशबू वाला यह परफ्यूम सिग्नैचर टौर्सो बौटल में पैक किया गया है. यह परफ्यूम बेबो की तरह ही आइकोनिक है.

काजोल : काजोल की पसंदीदा खुशबू डेविड औफ कूल वाटर फौर विमेन है, क्योंकि इस में वाटरी नोट्स के साथ एक शांत प्रभाव महसूस कराता है, जो ठंडे समुद्री पानी, ताजे फलों और वुडी खुशबू की याद दिलाता है.

ऐश्वर्या राय : खूबसूरत ऐश्वर्या राय को क्लिनिक हैप्पी बहुत पसंद है, जो क्लिनिक का सब से ज्यादा बिकने वाला परफ्यूम है. यह एक ऐसी खुशबू है जिस में फलों और फूलों का एक अलग ही खुशबू है, जो गरमियों में सब से अधिक पसंद किया जाने वाला हाई प्राइस क्लासिक परफ्यूम है.

इस प्रकार फ्रैगरेंस का प्रयोग केवल आज ही नहीं, सालों से प्रचलित रहा है, जिसे खास अवसरों पर लगाना या छिड़कना एक प्रथा रही है. बदलते समय के साथसाथ इस की फ्रैगरेंस में परिवर्तन हुआ है, लेकिन इसे लगाने में कमी कभी नहीं आई. आज हर युवा इसे लगाना पसंद करते हैं, लेकिन सही समय पर सही फ्रैगरेंस का उपयोग करने पर ही आप किसी अवसर पर सब का ध्यान अपनी ओर खींच सकते हैं, क्योंकि आज की तारीख में बैड स्मैल किसी को पसंद नहीं होता.

Reader’s Problem : पीरियड्स के दिनों में पैरों में दर्द होने का क्या कारण है?

Skin Care :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी उम्र 24 साल है. पीरियड्स के दिनों में पैरों में दर्द होता है. क्या यह चिंता की बात है?

जवाब

नहीं, यह कोई बड़ी समस्या नहीं है. पीरियड्स के दौरान पैरों और शरीर के निचले हिस्से में दर्द आम बात है. पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द शरीर के  अन्य हिस्सों तक फैलता है. कई औरतों को यह समस्या होती है. पैरों में दर्द की एक वजह गर्भाशय में सिकुड़न भी है.

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पीरियड्स के दर्द से ऐसे पाएं निजात

पीरियड्स की डेट आने से पहले ही हर लड़की को डर सा लगने लगता है कि अब फिर से दर्द सहना पड़ेगा. मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द में लड़कियां परेशान हो जाती हैं और उन्‍हें मेडीसीन खाने के अलावा कुछ भी नहीं सूझता है.

पीरियड्स के दौरान, मांसपेशियों में संकुचन आने के कारण उनमें ऑक्‍सीजन का प्रवाह सही से न होने के कारण दर्द होने लगता है. ऐसे में दवा से इस दर्द को बंद करना सबसे आसान होता है.

पीरियड्स के दिनों में दर्द कम करने वाली घरेलू दवा.

आवश्‍यक सामग्री

1. जीरा – 2 चम्‍मच

2. शहद – 1 चम्‍मच

3. हल्‍दी – 1 चम्‍मच

तैयार करने की विधि

– एक पैन में थोड़ा पानी उबाल लें. इसमें जीरा, हल्‍दी और शहद को मिला दें. सभी को सामग्रियों को चलाते हुए उबलने दें.

– गाढ़ा हो जाने पर इसे एक कप में पलट लें. इसे पिएं. इस पेय को छाने नहीं और न ही इसे ठंडा होने फ्रिज में रखें.

– इस पेय को दिन में दो बार पीने से दर्द नहीं होता है.

आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहेंगे कि जीरा में ऐसे गुण होते हैं जो पेट में उठने वाली मरोड़ को शांत कर देते हैं और रक्‍त में ऑक्‍सीजन का प्रवाह अच्‍छी तरह करते हैं. वहीं, हल्‍दी और शहद में एंटी-इंफ्लामेन्‍टरी गुण होते हैं जो पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से राहत प्रदान करते हैं. आप भी इस पेय को पीरियड्स के दौरान पी सकती हैं इसका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होता है, हां स्‍वाद में थोड़ा अटपटा लग सकता है.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें :

गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055

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‘किंग’ में सुहाना की मां बनेगी ये ऐक्ट्रैस, SRK संग कर चुकी है रोमांस

Rani Mukherjee : बौलीवुड हीरोइनों के एक्टिंग करियर की उम्र काफी छोटी होती है, 35 साल की उम्र पार करते ही एक और जहां उनका ग्लैमर घटने लगता है, वही शादी करने के बाद कई हीरोइन अपने अभिनय करियर को लेकर थोड़ी लापरवाह भी हो जाती है. जिसके चलते कुछ सालों बाद ही यही ग्लैमरस हीरोइन मां या बहन भाभी के रोल में नजर आने लगती है. फिर चाहे वह काजोल हो या रानी मुखर्जी जवान दिखने के बावजूद मां का किरदार निभाने लगती है.

ऐसा ही कुछ खूबसूरत अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने भी कर दिखाया है. रानी मुखर्जी जो अपने ही प्रोडक्शन हाउस यश राज में मरदानी और मर्दानी 2 जैसी एक्शन फिल्में करती नजर आ रही थी. खबरों के अनुसार अब वह एक नवोदित हीरोइन की मां की भूमिका में नजर आने वाली है.

रानी मुखर्जी शाहरुख खान की अति चर्चित फिल्म किंग में बतौर मां एंट्री मारने वाली है. प्राप्त सूत्रों के अनुसार रानी मुखर्जी शाहरुख खान की फिल्म किंग में शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान जो इस फिल्म से डेब्यू कर रही है , उनकी मां के किरदार में नजर आने वाली है.

एक समय में जहां रानी मुखर्जी कुछ-कुछ होता है फिल्म में शाहरुख की प्रेमिका और पत्नी के रूप में नजर आई थी. वहीं अब फिल्म किंग में जहां शाहरुख खान तो हीरो के किरदार में ही नजर आएंगे लेकिन रानी मुखर्जी हीरोइन की मां के किरदार में नजर आने वाली है.

इसी फिल्म में अभिषेक बच्चन जो एक समय में कभी रानी मुखर्जी के प्रेमी हुआ करते थे ,वहीं इस फिल्म में पहली बार बतौर खलनायक नजर आएंगे . इसके अलावा दीपिका पादुकोण मां बनने के बाद पहली बार फिल्म किंग से फिर से फिल्मों में अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत कर रही है. ऐसे में फिल्म किंग को लेकर दर्शक बहुत ज्यादा उत्साहित है.

2026 में रिलीज होने वाली शाहरुख खान की किंग बौक्स औफिस पर अपनी बादशाही कितनी जाहिर कर पाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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