मृगमरीचिका: भाग 3-आखिर अनिमेष को बंद लिफाफे में क्या मिला

मणिका को घर छोड़े हुए 2 माह होने को आए. इस अवधि में स्वच्छंद प्रवृत्ति के अनिमेष ने कई बार कोशिश की कि वह अमोला के साथ शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन अमोला इस दृष्टि से उसे अपने ऊपर हाथ न रखने देती.

वह आए दिन रईस मर्दों को दोस्त बना कर उन के साथ बढि़या समय गुजारने में विश्वास रखती. वह एक लालची प्रवृत्ति की महिला थी, जिस की जिंदगी का फलसफा था उन से कीमती तोहफे ऐंठ कर उन के साथ बिंदास ऐश करना.

उस ने अपने लटके झटकों से न्यूयौर्क में रह रहे अपने दौलतमंद बौस को अपने शिकंजे में फंसा लिया था और अब वह जल्दी से जल्दी उस से विवाह कर सैटल हो जाना चाहती थी. उस का मंगेतर जल्द ही शिकागो शिफ्ट होने वाला था. सो इस स्थिति में वह अनिमेष के साथ संबंध बना कर अपनी जिंदगी में किसी भी तरह की कोई पेचीदगी नहीं चाहती थी. अत: उस ने अपने रवैए द्वारा अनिमेष के अपनी ओर बढ़ते कदमों पर अंकुश लगा दिया.

भोले अनिमेष को अगर अमोला की इस मंशा का तनिक भी आभास होता, तो वह उस के पीछे अपनी बसीबसाई गृहस्थी को उजाड़ने की राह पर कतई न बढ़ता.

पिछले कुछ समय से वह अनिमेष से अपना व्यक्तिगत काम करवाने लगी थी. आए दिन उसे कोई न कोई काम दे देती या फिर उसे अपने साथ लिएलिए फिरती और अनिमेष उसे पाने के लोभ से खुशीखुशी उस का कहा मानता. उस के पीछेपीछे डोलता. मणिका के घर छोड़ने के बाद उस ने उसे न जाने कितने महंगेमहंगे उपहार दे दिए थे.

जैसेजैसे वक्त बीत रहा था अमोला को पूरी तरह से पाने की उस की तृष्णा बढ़ती ही जा रही थी.

उस दिन संडे था. उस दिन एक अच्छे रेस्तरां में लंच करने के बाद अमोला शौपिंग के लिए एक मौल में ले गई और उस ने वहां जम कर अति कीमती कपड़ों की लगभग क्व30 हजार की शौपिंग की. सब बिल अनिमेष ने ही चुकाए. फिर उस ने एक ज्वैलरी के शोरूम से करीब क्व3 लाख की कीमत के गहने खरीदे. उन का बिल भी अनिमेष ने ही चुकाया.

अमोला इतनी शौपिंग कर खुशी से चहक रही थी और उसे यों मगन देख अनिमेष के मन में लड्डू फूट रहे थे कि आज शायद उन दोनों के मिलन का चिरप्रतीक्षित दिन आ पहुंचा है.

इतनी शौपिंग करतेकरते दोनों ही बहुत थक गए थे और फिर डिनर के लिए एक इंडियन रेस्तरां पहुंचे. वहां पहुंच कर वे दोनों बैठे ही थे कि तभी एक स्मार्ट, सुदर्शन, प्रौढ़ावस्था की दहलीज पर कदम रखता पुरुष उन की टेबल पर आया. उसे देख कर अमोला उठ खड़ी हुई और उस ने उस आगंतुक का परिचय अनिमेष से यह कहते हुए कराया, ‘‘अनिमेष, ये मेरे मंगेतर हैं, भुवन. भुवन. ये मेरे बेहद अजीज फ्रैंड हैं, अनिमेष.’’

अमोला की यह बात सुन अनिमेष जैसे आसमान से औंधे मुंह गिरा. घोर सदमे से उस का चेहरा यों पिचक गया जैसे किसी ने हवा भरे गुब्बारे में पिन चुभो दी हो.

वह हक्काबक्का हो रंग उड़े चेहरे से अमोला को अविश्वसनीय नजरों से ताकने लगा और उस ने भुवन के हैंड शेक के लिए बढ़े हाथ की ओर अपना शिथिल हाथ आगे बढ़ा दिया.

उधर उस के चेहरे पर छाई मायूसी को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए अमोला चहक रही थी, ‘‘भुवन मेरे ही औफिस में मेरे सीनियर हैं. ये न्यूयौर्क में पोस्टेड हैं. अगले महीने ही शिकागो शिफ्ट हो रहे हैं. हम अगले माह ही शादी कर रहे हैं.’’

जबरदस्त शौक से अनिमेष की मानो सोचनेसमझने की शक्ति लुप्त हो गई और वह अमोला और भुवन से यह कहते हुए रेस्तरां से हारे हुए जुआरी की तरह पस्त चाल से बाहर निकल आया, ‘‘ऐंजौय यौर सैल्व्स. मुझे किसी जरूरी काम से अभी कहीं जाना है. तुम से कल मिलता हूं.’’

धीरेधीरे पूरी तसवीर अनिमेष की आंखों के सामने स्पष्ट हो रही थी. मन में बारंबार एक ही खयाल आ रहा था कि वह यह कैसी बेवकूफी कर बैठा कि अमोला जैसी चतुरचालाक औरत के हाथों ठगा गया. उस के क्षणिक आकर्षण में वह अपना सबकुछ गवां बैठा.

अनिमेष सोच रहा था उस की अक्ल पर क्या पत्थर पड़ गए थे, जो वह उस की असली मंशा और फितरत नहीं समझ पाया. उस के झांसे में आ कर उस ने एक बड़ी रकम का नुकसान तो सहा ही, साथ ही वह अपने सुखी संसार को भी आग लगा बैठा. तभी उस के फ्लैट की घंटी बजी और उस ने दरवाजा खोला. सामने उस के बेहद करीबी अमेरिकन मित्र किम और उस की पत्नी जुआना थे.

‘‘हाय अनिमेष, हम शौपिंग कर के आ रहे थे. बहुत भूख लग रही थी तो सोचा, मणिका के हाथ का कुछ बढि़या स्पाइसी खाते चलें. मणिका कहां है? मणिका… मणिका…’’ जुआना धड़धड़ाते हुए पूरे घर का चक्कर काट आई.

मणिका को घर में न पा कर उस ने अनिमेष से पूछा, ‘‘अनिमेष, मणिका कहां है?’’

‘‘वह मेरी जिंदगी से हमेशाहमेशा के लिए चली गई जुआना.’’

‘‘क्या?’’ घोर सदमे से दोनों पतिपत्नी के मुंह खुले के खुले रह गए.

अनिमेष से पूरी बात सुनने के बाद किम उस से बोला, ‘‘यह तूने क्या

किया ब्रो. मणिका जैसी समर्पित, केयरिंग और गोल्डन हार्टेड वाइफ तुझे इस जन्म में तो क्या अगले 10 जन्म में नहीं मिलेगी. वह तेरा इतना खयाल रखती थी. तू कोई बात ऊंची आवाज में कहता था तो भी चुपचाप सह लेती थी. वह तेरे लिए ब्लैसिंग थी ब्रो. तूने एक चीप औरत

के लिए उस की बेकदरी की, यह तूने अच्छा नहीं किया.’’

तभी जुआना बोल पड़ी, ‘‘यस ब्रो. तुम ने ऐसी आइडियल वाइफ का दिल दुखा कर अच्छा नहीं किया. तुम्हें अभी रियलाइज नहीं हो रहा, लेकिन उस के रूप में तुम अपनी लाइफ की अनमोल नियामत को गवां बैठे हो. तुम्हें उस से दिल से माफी मांगनी चाहिए. इस में देर नहीं करनी चाहिए.’’

किम और जुआना के जाने के बाद अनिमेष के मन में निरंतर मंथन चल रहा था. बिना मणिका के सूना फ्लैट सांयसांय कर रहा था. आंखों के सामने मणिका की हंसतीमुसकराती तसवीर जैसे फ्रीज हो गई. उस के अल्फाज कानों में हथौड़े की मानिंद प्रहार करने लगे कि वह तुम्हें यूज कर रही है. तुम उस के लिए यूज और थ्रो से अधिक कुछ साबित नहीं होंगे.

तभी दरवाजे पर खटखट हुई. उस ने दरवाजा खोला. कूरियर बौय ने उसे एक लिफाफा थमाया. उस में मणिका के वकील द्वारा भेजा हुआ तलाक का नोटिस था. उसे देख कर वह कटे वृक्ष की भांति दिल की गहराइयों से निकले चीत्कार के साथ बैड पर ढह गया और फूटफूट कर रोने लगा.

Raksha Bandhan: कितना प्यारा भाई-बहन का रिश्ता

रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला था. घर में सब बहुत खुश थे मगर नेहा के मन में एक कसक उठ रही थी. दरअसल उस के अपने भाई ने पिछले 7 साल से उस से कोई संबंध नहीं रखा था. उस का हर रक्षाबंधन और भाईदूज वीराना जाता था और ऐसा पिछले 7 साल से हो रहा था.

नेहा को याद है 7 साल पहले रक्षाबंधन के दिन जब वह अपने भाई के घर गई थी तो उपहार को ले कर एक छोटी सी बात पर दोनों भाईबहन के बीच झगड़ा हुआ जो बढ़ता ही गया. मांबाप ने रोकना चाहा पर यह झगड़ा रुका नहीं और उस दिन से दोनों के बीच बातचीत बंद थी. हर रक्षाबंधन को नेहा अपने भाई को याद करती है लेकिन उस के घर कभी नहीं जाती. इस तरह उस का रक्षाबंधन अधूरा ही रह जाता है और इस दिन जो ख़ुशी वह पहले अनुभव करती थी उस से वंचित रह जाती है. देखा जाए तो आज के समय में हमारे पास बहुत सारे भाईबहन नहीं होते.

सामान्यतः एक या दो भाईबहन ही होते हैं. अगर वे ही आपस में लड़ लें या बातचीत बंद कर दें तो त्यौहार का मजा ही जाता रहता है. खासकर रक्षाबंधन तो भाईबहन का ही त्यौहार है. होलीदिवाली भी ऐसे त्यौहार हैं जब इंसान अपनों का साथ पाकर खिल उठता है. एकदूसरे के घर जाता है. महिला अपने मायके में ढेर सारा प्यार बटोर कर घर लौटती है. मगर यदि आप ने अपनों के घर आनेजाने या मिलने का रास्ता ही बंद कर रखा है तो आप के लिए त्यौहार की खुशियां ही बेमानी हो जाती हैं.

इसलिए जरूरी है कि आप अपने इकलौते भाई या बहन को संजो कर रखें. उन का प्यार एक ऐसा खजाना है जिस से महरूम रह कर आप खुश नहीं रह सकते. याद रखें आप को आप के भाई या बहन से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता. आप ने उन के साथ अपना बचपन बिताया है. साथ बड़े हुए हैं. मांबाप का प्यार साझा किया है. 20 – 22 साल का यह खूबसूरत साथ कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन के साथ मिलने वाली ख़ुशी, पुराने बचपन के दिनों को याद करने का सुख और कोई नहीं दे सकता.

रक्षाबंधन भाई बहन के स्नेह का प्रतीक है. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उन की लंबी उम्र और कामयाबी की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं.

भारत के सभी राज्यों में यह त्यौहार अलगअलग नाम से मनाया जाता है. उत्तरांचल में रक्षा बंधन को श्रावणी के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा तो राजस्थान में राम राखी कहा जाता है. दक्षिण भारतीय राज्यों में इसे अवनि अवित्तम कहते हैं. रक्षाबंधन का सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी है.

वैसे आधुनिकता की बयार में बहुत कुछ बदल गया है. आज के ग्लोबल माहौल में रक्षाबंधन भी हाईटेक हो गया है. वक्त के साथसाथ भाई बहन के पवित्र बंधन के इस पावन पर्व को मनाने के तौरतरीकों में विविधता आई है. व्यस्तता के इस दौर में काफी हद तक त्यौहार महज रस्म अदायगी तक ही सीमित हो कर रह गए हैं.

अब बहुत सी महिलाएं बाबुल या प्यारे भईया के घर जाने की जहमत भी नहीं उठातीं. कुछ मजबूरीवश ऐसा नहीं कर पाती. रक्षाबंधन से पहले की तैयारियां और मायके जा कर अपने अजीजों से मिलने के इंतजार में बीते लम्हों का मीठा अहसास ज्यादातर महिलाएं नहीं ले पातीं. कभी भाई दूर देश चला जाता है तो कभी दिल से दूर हो जाता है और कभी व्यस्तता का आलम. मगर मत भूलिए कि ऑनलाइन राखी की रस्म अदायगी में अहसासों का वह मंजर नहीं खिल पाता जो भाईबहन के रिश्तों में मजबूती लाता है.

आप कितनी भी व्यस्त क्यों न हों या भाई से कितनी भी नाराज ही क्यों न हों इस दिन भाई से जरूर मिलें. अपनों के साथ समय बिताने और मीठी नोकझोंक के साथ रिश्ते में प्यार की मिठास घोलने का मौका मत गंवाइए.

क्या कहता है विज्ञान

भाईबहन पर दुनियाभर की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में हुईं रिसर्च ये साबित करती हैं कि इन का रिश्ता एकदूसरे को काफी कुछ सिखाता है और ये दोनों परिवार के लिए कितने जरूरी हैं.

अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक भाईबहन एकदूसरे की संगत से जीवन के उतारचढ़ाव सीखते हैं और समाज में कैसे आगे बढ़ना है इस की समझ बढ़ती है क्योंकि सब से लम्बे समय तक यही एकदूसरे के साथ रहते हैं.

भाईबहन एकदूसरे का अकेलापन कितना दूर कर पाते हैं इसे जानने के लिए तुर्की में एक रिसर्च हुई. रिसर्च के मुताबिक बहनें अपने भाइयों के लिए ज्यादा केयरिंग होती हैं. वह इस रिश्ते को अधिक गंभीरता से निभाती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों पर कई बार गुस्सा दिखाते हैं या नाराज हो जाते हैं. ऐसा बहनों की तरफ से बहुत कम होता है.

सिबलिंग इफेक्ट

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और सायकोलॉजिस्ट लौरी क्रेमर के मुताबिक भाईबहन के सम्बंधों से बढ़ने वाली समझ को सिबलिंग इफेक्ट कहते है. यह सिबलिंग इफेक्ट दोनों पर कई तरह से असर डालता है. भाईबहन एकदूसरे की दिमागी क्षमता को बढ़ाते हैं. इन में गंभीरता बढ़ने के साथ ये एकदूसरे को समाज में अपनी जगह बनाना सिखाते हैं.

अमेरिका की पार्क यूनिवर्सिटी ने भाईबहन के रिश्तों को समझने के लिए सिबलिंग प्रोग्राम शुरू किया और पेन्सेल्वेनिया राज्य के 12 स्कूलों को शामिल किया गया. इस प्रोग्राम का लक्ष्य था कि भाईबहन की जोड़ी मिल कर कैसे निर्णय लेते हैं और जिम्मेदारी किस तरह निभाते हैं. रिसर्च में सामने आया कि कम उम्र से एकदूसरे का साथ मिलने की वजह से इन में समझदारी जल्दी विकसित होती है. इस की वजह से इन में डिप्रेशन, शर्म और अधिक हड़बड़ी जैसा स्वभाव नहीं विकसित होता.

जब कोई व्यक्ति सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़ा होता है तो उस में सहानुभूति, साझा करने और करुणा के भाव भी विकसित होते हैं. एक अध्ययन के अनुसार इस से बच्चे विशेष रूप से लड़के दूसरों के प्रति अधिक दयालु और निस्वार्थ बन सकते हैं.

स्वीडन के एक अध्ययन से पता चला है कि सिबलिंग रिलेशनशिप आप को खुश रहना वाला व्यक्ति बनाती है. जीवन के बाद के वर्षों में भी यह असर कायम रहता है.  बहन के साथ सपोर्टिव रिलेशनशिप आप की मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है. बड़ी ब हन आप को आइसोलेशन, गिल्टी आदि से बचाती है.

सिबलिंग होने से बच्चों में सोशल और इंटरपर्सनल स्किल्स को बढ़ावा मिलता है. जो बच्चे सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़े होते हैं वे अपने साथियों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत कर सकते हैं. सिबलिंग होने से आप अपने लक्ष्यों को पाने के लिए मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य हासिल करते हैं.

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने 395 परिवारों पर स्टडी की जिन के एक से ज्या दा बच्चेप थे और उन के कम से कम एक बच्चे की उम्र 10 साल या इस से कम थी. डाटा इकट्ठा करते समय प्रोफेसर ने इस बात पर गौर किया कि छोटी या बड़ी बहन होने से सिबलिंग कोई बुरी आदत या व्यवहार से दूर रहते हैं जैसे हिचकिचाना या डरना.

अन्यो स्टेडी में खुलासा हुआ कि जब भाई या बहन लड़ते हैं तो इस से दोनों को बहस करना और अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने का हुनर सीखने का मौका मिलता है. अगर किसी की बहन है तो वे नकारात्मक चीजों से ज्यादा दूर रहते हैं. इन में अकेलापन, डर और शर्मीलापन कम देखा जाता है. ये चीजें मिल कर किसी इंसान के रवैये में नकारात्मकता ला सकती हैं और उसे डिप्रेशन या किसी खाने या किसी चीज से नफरत हो सकती है. यहां तक कि कुछ मामलों में इंसान खुद को ही नुकसान पहुंचा सकता है.

बहन होने से इन सब चीजों को सकारात्मक तरीके से हैंडल करने में मदद मिलती है. जिन लोगों की बहन होती है वो आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं और अपने मतभेदों को सुलझा पाते हैं. अगर भाई बहन के बीच प्यार हो तो दोनों के व्यवहार में सकारात्मकता आती है जो कि केवल पेरेंट्स के प्यार से नहीं मिल सकती है.

एक नारी ब्रह्मचारी: पति वरुण की हरकतों पर क्या था स्नेहा का फैसला

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Raksha Bandhan: फेस्टिवल के दौरान ऐसे रखें सेहत का ख्याल

त्यौहारों में अलग-अलग वैरायटी की मिठाइयां मार्केट में मौजूद होती हैं, लेकिन ये डिफरेंट वैरायटी कभी-कभी हमारी हेल्थ पर बुरा असर डालती है. आपने भी सुना होगा कि मीठे से कईं सारी बीमारियां होती हैं, जो हेल्थ को बहुत नुकसान पहुंचाती है. डौक्टर्स का कहना है कि अगर आप त्यौहारों में कुछ मीठा बनाना चाहते हैं तो चीनी के औप्शन की बजाय आप ब्राउन राइस सिरप, स्टीविया, शहद, गुड़, खजूर आदि को इस्तेमाल कर सकती हैं. आज हम ऐसी ही कुछ टिप्स आपको बताएंगे जो त्यौहारों में हेल्थ का ख्याल रख सकती हैं.

1. फेस्टिवल में बनाएं कुछ हेल्दी 

मीठा बनाने के लिए आपके पास बहुत औप्शन हैं, पर इस बारी कुछ ऐसा पकाइए, जो न सिर्फ मीठा हो, बल्कि उसमें और भी कई पोषक तत्व मौजूद हों. इससे आपकी दिवाली में स्वाद के साथ पोषण का तड़का भी लग जाएगा.

2. खुद को रखें डीटौक्स

बौडी को डीटौक्स करने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है, पहली पर्याप्त मात्रा में पानी मतलब हाइड्रेशन, दूसरा एंटी- औक्सीडेंट और तीसरा फाइबर. हाइड्रेशन के लिए कम से कम आठ गिलास पानी पिएं. आप तरल खुराक के तौर पर जलजीरा, नीबू पानी आदि भी ले सकती हैं. खट्टे फल, हरी सब्जियों से आपको एंटीऔक्सीडेंट व फाइबर अच्छी मात्रा में मिल जाएंगे.

3. सही वक्त पर सही खाना है जरूरी

बादाम, अखरोट, पिस्ता आदि मेवों से दिन की शुरुआत कीजिए. डौ. भारती बताती हैं कि सुबह नाश्ते में सूखे मेवों को खाना रात के लंबे उपवास के बाद बौडी की अधिक ऊर्जा की मांग को पूरा करता है, साथ ही इनमें मौजूद अमीनो एसिड पाचन क्रिया को ठीक रखता है. दोपहर के भोजन के बाद की अपनी खुराक को हल्का रखें. रात के खाने में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जिनमें कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट दोनों ही कम हों.

4. डाइजेशन को रखें फिट

त्यौहार में अक्सर हम हैवी फूड खा लेते हैं, जो हमारी हेल्थ पर बुरा असर डालते हैं. इसीलिए हैवी फूड आपके पेट पर भारी न पड़े, इसलिए आप उन चीजों को अपनी खुराक में शामिल कीजिए, जो आपके डाइजेशन को तेज या फिर यूं कहें कि ठीक रखते हैं. डाइजेशन को ठीक रखने के लिए जिन चीजों में प्रचुर मात्रा में फाइबर और कम मात्रा में वसा होता है, वो हमारे डाइजेशन के लिए अच्छा रहता है. इसके लिए ओट्स, दही, नींबू पानी, पुदीना का पानी, ग्रीन टी, उबला आलू, कद्दू, पालक, फलियां, समूचे अनाज, मिल्क शेक आदि जैसी चीजें अच्छी रहेगी.

Raksha Bandhan:सोनाली की शादी- भाग 1- क्या बहन के लिए प्रणय ढूंढ पाया रिश्ता

दीपाली सुंदर थी, युवा थी. प्रणय भी सजीला था, नौजवान था. दोनों पहलेपहल कालेज की कैंटीन में मिले, आंखें चार हुईं और फिर चोरीछिपे मुलाकातें होने लगीं. दोनों ने उम्रभर साथ निभाने के वादे किए.

प्रणय की पढ़ाई समाप्त हो चुकी थी. वह उच्चशिक्षा के लिए शीघ्र ही अमेरिका जाने वाला था. दीपाली से 2-3 साल दूर रहने की कल्पना से वह बेचैन हो गया. सो, उस ने प्रस्ताव रखा, ‘‘चलो, हम अभी शादी कर लेते हैं.’’

दोनों कालेज की कैंटीन में बैठे हुए थे.

‘‘शादी? उंह, अभी नहीं,’’ दीपाली बोली.

‘‘क्यों नहीं? हमारी शादी में क्या रुकावट है? तुम भी बालिग हो, मैं भी.’’

‘‘तुम समझते नहीं. मेरी बड़ी बहन सोनाली अभी तक कुंआरी बैठी हैं और वे मुझ से 5 साल बड़ी हैं. मेरे मातापिता कहते हैं कि जब तक उस की शादी न हो जाए, मेरी शादी का सवाल ही नहीं उठता.’’

प्रणय सोच में पड़ गया. कुछ क्षण रुक कर बोला, ‘‘अभी तक सोनाली की शादी क्यों नहीं हुई? क्या वे बदसूरत हैं या कोई नुक्स है उन में?’’

दीपाली खिलखिलाई, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है, दीदी बहुत सुंदर हैं.’’

‘‘तुम से भी ज्यादा?’’ प्रणय ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘अरे, मैं तो उन के सामने कुछ भी नहीं हूं. दीदी बहुत रूपवती हैं, पढ़ीलिखी हैं, स्मार्ट हैं, कालेज में पढ़ाती हैं. उन के जोड़ का लड़का मिलना मुश्किल हो रहा है. दीदी लड़कों में बहुत मीनमेख निकालती हैं. अब तक बीसियों को मना कर चुकी हैं. मेरी मां तो कभीकभी चिढ़ कर कहती हैं कि पता नहीं, कौन से देश का राजकुमार इसे ब्याहने आएगा.’’

‘‘तब हमारा क्या होगा, प्रिये?’’ प्रणय ने हताश हो कर कहा, ‘‘3 महीने बाद मैं अमेरिका चला जाऊंगा. फिर पता नहीं कब लौटना हो. क्या तुम मेरी जुदाई सह पाओगी? मैं तो तुम्हारे बगैर वहां रहने की सोच भी नहीं सकता.’’

समस्या गंभीर थी, सो, दोनों कुछ क्षण गुमसुम बैठे रहे.

‘‘अच्छा, यह तो बताओ कि तुम्हारी दीदी कैसा वर चाहती हैं? जरा उन की पसंद का तो पता चले.’’

‘‘ऊंचा, रोबीला, मेधावी, सुसंस्कृत, शिक्षित, सुदर्शन.’’

‘‘अरे बाप रे, इतनी सारी खूबियां एक आदमी में तो मिलने से रहीं. लगता है, तुम्हारी दीदी को द्रौपदी की तरह 5-5 शादियां करनी पड़ेंगी.’’

‘‘देखो जी,’’ दीपाली ने तनिक गुस्से से कहा, ‘‘मेरी बहन का मजाक मत उड़ाओ, नहीं तो…’’

‘‘खैर, छोड़ो. पर यह तो बताओ कि हमारी समस्या कैसे हल होगी?’’

‘‘वह तुम जानो,’’ दीपाली उठ खड़ी हुई, ‘‘मेरी क्लास है, मैं चलती हूं. वैसे मैं ने मां के कानों में अपनी, तुम्हारी बात डाल दी है. उन्हें तो शायद मना भी लूंगी, पर पिताजी टेढ़ी खीर हैं. वे इस बात पर कभी राजी नहीं होंगे कि सोनाली के पहले मेरी शादी हो जाए.’’

उस के जाने के बाद प्रणय बुझा हुआ सा बैठा रहा. तभी उस के कुछ दोस्त  कैंटीन में आए.

‘‘अरे, देखो, अपना यार तो यहां बैठा है,’’ रसिक लाल ने कहा, ‘‘क्यों मियां मजनूं, आज अकेले कैसे, लैला कहां है? और सूरत पर फटकार क्यों बरस रही है?’’

प्रणय ने उन्हें अपनी समस्या बताई, ‘‘यार, दीपाली की बहन सोनाली को एक वर की तलाश है…और वर भी ऐसावैसा नहीं, किसी राजकुमार से कम नहीं होना चाहिए.’’

‘‘राजकुमार?’’ श्यामल चमक कर बोला, ‘‘गुरु, यदि राजकुमार की दरकार है तो अपन अर्जी दिए देते हैं.’’

‘‘हा…हा…हा…’’ दामोदरन ने हंसते हुए कहा, ‘‘कभी आईने में अपनी शक्ल देखी है? ये रूखे बाल, ये सूखे गाल, फटेहाल…राजकुमार ऐसे हुआ करते हैं?’’

‘‘अरे, शक्ल का क्या है, अभी उस साबुन से नहा लूंगा. वही जिस का आएदिन टीवी पर विज्ञापन आता रहता है. तब तो एकदम तरोताजा लगने लगूंगा. शेष रहे कपड़े, तो एक भड़कीली पोशाक किराए पर ले लूंगा. अगर चाहो तो ताज और तलवार भी.’’

‘‘यार, बोर मत कर,’’ प्रणय ने कहा, ‘‘यहां मेरी जान पर बनी है और तुम लोगों को मजाक सूझ रहा है.’’

‘‘यार,’’ रसिक लाल ने कहा, ‘‘हमारे ताड़देव के इलाके में एक ‘मैरिज ब्यूरो’ खुला है, नाम है, ‘मनपसंद विवाह संस्था.’ ब्यूरो वालों ने अब तक सैकड़ों शादियां कराई हैं. वहां अर्जी दे दो, अपनी जरूरत बता दो, लड़का वे मुहैया करा देंगे.’’

‘‘यह हुई न बात,’’ प्रणय खुशी से उछल पड़ा, ‘‘झटपट वहां का पता बता. लेकिन क्या पता, सोनाली के मांबाप वहां पहले ही पहुंच कर नाउम्मीद हो चुके हों?’’

‘‘यह कोईर् जरूरी नहीं. कई लोग अखबार में शादी का विज्ञापन देने और ऐसी संस्थाओं में लड़का तलाशने से कतराते हैं.’’

ताड़देव में एक इमारत की तीसरी मंजिल पर मनपसंद विवाह संस्था का कार्यालय था. प्रणय ने जब अंदर प्रवेश किया तो एक छरहरे बदन के धोतीधारी सज्जन ने चश्मे से उसे घूरा, ‘‘कहिए?’’

‘‘मैं…मैं,’’ प्रणय हकलाने लगा.

‘‘हांहां, कहिए? क्या शादी के लिए वधू चाहिए?’’

‘‘जी नहीं, लड़का.’’

‘‘जी?’’

‘‘मेरा मतलब है, शादी मुझे नहीं करनी. अपनी पत्नी की भावी बहन… नहींनहीं, अपनी भावी पत्नी की बहन के लिए वर की जरूरत है.’’

‘‘ठीक है. यह फौर्म भर दीजिए. अपनी जरूरतें दर्ज कीजिए और लड़की का विवरण भी दीजिए. फोटो लाए हैं? अगर नहीं, तो बाद में दे जाइएगा. हां, फीस के एक हजार रुपए जमा कर दीजिए.’’

‘‘एक हजार?’’

‘‘यह लो, एक हजार तो कुछ भी नहीं हैं. लड़का मिलने पर आप शादी में लाखों खर्च कर डालेंगे कि नहीं? और फिर हम यहां खैरातखाना खोल कर तो नहीं बैठे हैं. हम भी चार पैसे कमाने की गरज से दफ्तर खोले बैठे हैं. यहां का भाड़ा, कर्मचारियों और दरबान का वेतन वगैरह कहां से निकलेगा, बताइए?’’

‘‘ठीक है. मैं कल फोटो और रुपए लेता आऊंगा.’’

‘‘अच्छी बात है. फौर्म भी कल ही भर देना, यह हमारा कार्ड रख लीजिए, मेरा नाम बाबूभाई है.’’

प्रणय जाने लगा तो बाबूभाई ने उसे हिकारत से देख कर मुंह फेर लिया. ‘हुंह,’ वह बुदबुदाया, ‘चले आते हैं खालीपीली टाइम खोटा करने के लिए.’

प्रणय दफ्तर से बाहर निकल कर सोचने लगा, ‘अगर एक हजार रुपए भरने पर भी काम न बना तो यह रकम पानी में गई, समझो. उंह, हटाओ, मुझे सोनाली की शादी से क्या लेनादेना है, भले शादी करे या जन्मभर कुंआरी रहे, मेरी बला से.’

अचानक लिफ्ट का द्वार खुला और उस में से एक नौजवान निकल कर सधे कदमों से चलता ‘मनपसंद’ के दफ्तर में दाखिल हुआ. प्रणय उसे घूरता रहा, अरे, यह कौन था, कोई हीरो या किसी रियासत का राजकुमार. वाह, क्या चेहरामोहरा था, क्या चालढाल थी, ऐसे ही वर की तो मुझे तलाश है.’

वह वहीं गलियारे में चहलकदमी करता रहा. कुछ देर बाद वह युवक दफ्तर से निकला तो प्रणय ने उसे टोका, ‘‘सुनिए.’’

युवक मुड़ा, ‘‘जी, कहिए?’’

प्रणय बोला, ‘‘बुरा न मानें, तो एक बात पूछूं? आप इस मनपसंद संस्था में वधू के लिए अरजी देने गए थे?’’

‘‘आप का अंदाजा सही है. मुझे शादी के लिए एक लड़की की खोज है.’’

‘‘यदि आप के पास थोड़ा समय हो तो चलिए, पास के होटल में चाय पी जाए. मेरी निगाह में एक अति उत्तम कन्या है.’’

लिव इन धोखा है: भाग 1- आखिर क्यों परिधि डिप्रेशन में चली गई

इतवार का दिन था. रात से ही बादल खूब बरस रहे थे. मौसम सुहावना था. निया ने अपने मनपसंद मूली के परांठे बनाए थे और नाश्ता कर के छुट्टी मनाने के मूड से गहरी नींद में सो गई थी. जब लगभग

3 बजे उस की आंख खुली तो परिधि को तैयार होते देख उस ने पूछा, ‘‘परिधि क्या बात है आज कुछ ज्यादा ही सजधज रही हो? यह डार्क लिपस्टिक, शोल्डर कट ड्रैस  किसी के साथ डेट पर जा रही हो क्या?’’

‘‘निया आज तू अपनी फ्रैंड के घर नहीं जा रही है क्या?’’

‘‘नहीं यार, आज तो मैं पूरा दिन सोऊंगी या फिर अपना नौवेल गौन विद द विंड पूरा करूंगी. वैरी इंट्रैस्टिंग नौवेल है.’’

‘‘लेकिन आज तो तुझे रूम से 4 बजे जाना ही पड़ेगा,’’ कहते हुए उस के चेहरे पर  मुसकराहट छा गई.

‘‘क्यों किसी के साथ डेट कर रही है?’’

‘‘यस माई डियर.’’

‘‘कौन है?’’

‘‘यह नहीं बताऊंगी.’’

परिधि और निया दिल्ली के आसपास की हैं. एक गाजियाबाद से तो दूसरी मेरठ से है. दोनों ने एमबीए किया है और 1 साल से बैंगलुरु में रह रही हैं. दोनों ही मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती हैं. पहले एक वूमंस लाउंज में रहती थीं. वहीं पर दोनों में दोस्ती हो गई थी. डोसा, इडली और सांभर खातेखाते परेशान हो गई थीं. फिर वहां के रूल्स… रूम में खाना ले कर नहीं जा सकतीं… देर हो जाने पर चायनाश्ता नहीं मिलता. फिर प्याजलहसुन की भी समस्या थी. उन लोगों को वहां का खाना अच्छा नहीं लगता था. 6 महीने किसी तरह झेलने के बाद दोनों ने फ्लैट ले कर रहना तय किया.

दोनों ही सारा खर्च आधाआधा बांट लेतीं. काम भी बांट कर करती. कोई झगड़ा नहीं. साथ में मूवी देखतीं, एकदूसरे के कपड़े शेयर करतीं, अपनेअपने बौस की बातें कर के खूब हंसतीखिलखिलातीं… औफिस की दिनभर की गौसिप करतीं.

निया को पढ़ने का शौक था. फुरसत के समय उस के हाथ में नौवेल होता तो परिधि के हाथ में मोबाइल. वह  तरहतरह के वीडियो देखा करती.

आज पहली बार उसे परिधि की बात पसंद नहीं आ रही थी. उस ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘वही तेरा चश्मिशपोपू आ रहा है क्या?’’

‘‘परिधि तू गलत रास्ते पर कदम बढ़ा रही है. यदि तेरे घर वालों को पता लगा तो?’’

‘‘निया तू भी बूढ़ी दादी जैसी बात कर रही है. चल जल्दी निकलने की तैयारी कर 4 बजने वाले हैं… मुझे कमरा भी तो ठीक करना है.’’

‘‘तेरा इरादा शादीवादी का तो नहीं है?’’

वह निया का हाथ पकड़ कर उठाती हुई

बोली, ‘‘शादी माई फुट… मैं तो लाइफ को ऐंजौय कर रही हूं.’’

‘‘तुम भी एक बौयफ्रैंड बना लो, जीवन हसीन हो जाएगा.’’

‘‘बस कर अपनी सीख अपने पास रख… मैं तुझ से सीरियसली कह रही हूं. आज तो मैं मौल  में जा कर भटक लूंगी, लेकिन मेरे साथ रहना है तो रूम से बाहर चाहे जो करो रूम के अंदर कुछ नहीं.’’

‘‘निकल, आज तो जा… फिर बाद में जो होगा वह देखेगें.’’

‘‘यह तो बता कि मुझे कितनी देर में लौट कर आना है?’’

‘‘आज संडे है, डिनर तो बाहर ही करना है.’’

निया ने अपने बैग में बुक रखी और सोचने लगी कि कहां जाऊं. वह मौल में गई. वहां मल्टीप्लैक्स में ‘अवेंजर’ का पोस्टर देख टिकट लिया और हौल में चली गई. पिक्चर देख कर बाहर आई, तो भूख लगी थी. उस ने पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक और्डर की.

उस के बाद जब वह अपने कमरे में पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था क्योंकि परिधि का बौयफ्रैंड अभी भी रूम में था. उस ने नौक किया तो परिधि ने अपने कपड़ों को ठीक करते हुए दरवाजा खोला, लेकिन बिस्तर की हालत वहां पर जो कुछ हो रहा था उस की गवाही दे रहीं थी.

उस के बौयफ्रैंड ने परिधि को पहले हग किया फिर किस. उस के बाद निया को गहरी नजरों से देखा और बोला, ‘‘हैलो… आई एम विभोर. निया, यू आर वैरी स्मार्ट ऐंड ब्यूटीफुल.’’

‘‘थैंक्स फौर कंप्लिमैंट ऐंड विभोर नाइस टू मीट यू.’’

दोनों के चेहरे पर मुस्कान छा गई थी. परिधि के चेहरे पर फैला हुई प्रसन्नता का अतिरेक उस के रोमरोम से फूट रहा था. निया थकी हुई थी. अपने बैड पर जा कर लेट गई. परिधि उस के पास आ कर लेट गई और विभोर की बातें  करने लगी.

विभोर प्राइवेट कालेज से इंजीनियरिंग कर के आया था. वह मध्यवर्गीय परिवार से था. लेकिन सपने बड़े ऊंचे देखता था. एक स्टार्टअप कंपनी में काम कर रहा था. 6 फुट लंबा, गोराचिट्टा स्मार्ट आकर्षक युवक. उस का बात करने का स्टाइल रईस परिवार जैसा था. वह अमेरिकन एसेंट में फर्राटेदार इंग्लिश बोल कर सब को प्रभावित कर लेता था. परिधि भी उस की प्यार भरी मीठीमीठी बातों के जाल में फंस गई थी.

‘‘निया मैं बता नहीं सकती कि आज कितना मजा आया… तू इतनी जल्दी क्यों आ गई… विभोर तो रात में यहीं रुकना चाह रहा था,’’ कहते हुए वह उस से लिपट गई.

निया ने उस के हाथों को अपने ऊपर से हटा दिया और करवट बदल ली, ‘‘परिधि तुझे घर वालों का डर नहीं रहा क्या? जब उन्हें तेरी हरकत पता चलेगी तो सोचा है कि क्या होगा?’’

‘‘तू चिंता मत कर, यहां की बात भला उन लोगों को कौन है बताने वाला…’’

परिधि की खुशी से निया को थोड़ी जलन सी हो रही थी परंतु उस छोटे शहर वाले संस्कार वह अभी भूल नहीं पाई थी.

परिधि अपने बैड पर लेटी हुई लगातार चैटिंग में बिजी थी शायद यह उस के आनंद का आफ्टर इफैक्ट चल रहा था. निया की आंखों से नींद ने दूरी बना ली थी. उसे  कुछ अजीब सी फीलिंग हो रही थी.

अब निया जब औफिस से आती दोनों आपस में गुटुरगूं करते मिलते. उस के आते ही कौफी या खाने की बात होने लगती या फिर विभोर कहता, ‘‘चलो आइसक्रीम खा कर आते हैं.’’

1 महीने से ज्यादा तक यह नाटक चलता रहा. फिर एक दिन परिधि ने कह दिया, ‘‘मैं ने दूसरा फ्लैट देख लिया है मैं उस में शिफ्ट कर रही हूं.’’

‘‘परिधि मैं तुझे वार्न कर रही हूं. लिव इन धोखा है.’’

‘‘तू 18वीं सदी की बातें मत कर. मुझे लाइफ को ऐंजौय करने दे. तुम किसी दूसरे के साथ रूम शेयर कर लेना.’’

निया को गुस्सा तो आया, लेकिन इस रोजरोज के फिल्मी लव सीन से तो उसे नजात मिली. प्यार में डूबी परिधि ने ब्रोकर से बात कर के जल्दी में 1 लाख सिक्युरिटी मनी दे कर वन रूम फ्लैट ले लिया. उस ने सोचा था कि विभोर सिक्युरिटी मनी तो देगा ही लेकिन  अंतिम समय में वह बोला, ‘‘सौरी यार मेरा तो कार्ड रूम में ही रह गया.’’

अब दोनों प्रेमी लिव इन में रहने लगे थे. विभोर सुबह उस के लिए बैड टी बना कर ले आता और वह उस की गोद में बैठ कर चाय का मजा लेती. दोनों मिल कर नाश्ता बनाते फिर अपनेअपने औफिस चले जाते.

विभोर को कुकिंग का शौक था और वह अच्छा खाना बना लेता था. इसलिए वह कुछकुछ बनाता रहता.

एक दिन परिधि औफिस से आ कर बोली, ‘‘आज बहुत भूख लगी है.’’

‘‘डार्लिंग, फिकर नौट मैं आज डिनर में तुम्हें  लच्छा परांठे और शाहीपनीर खिलाने वाला हूं,’’ और ऐक्सपर्ट कुक की तरह उस ने डिनर बनाना शुरू कर दिया. वह हैल्प के लिए गई तो उस ने प्यार से उसे अपनी बांहों के घेरे में ले चुंबन ले कर कहा, ‘‘माई लविंग शोना, आज नो ऐंट्री का बोर्ड लगा है. तुम आराम से मूवी देखो… बस तुम्हारा शैफ हाजिर है.

परिधि तो अपने निर्णय पर खुशी से झमी जा रही थी कि विभोर के साथ लिव इन के लिए उस ने पहले क्यों नहीं सोचा. वह विभोर की बाहों के झाले में खुशी के गोते लगा रही थी.

समय को तो जैसे पंख लगे हुए थे. वह नाश्ता बनाती तो विभोर कौफी बना देता, जब तक वह औफिस के लिए तैयार होती वह फटाफट किचन की सफाई और बरतन भी धो देता. परिधि को उस का इतना काम करना कई बार अच्छा नहीं लगता और वह भी परेशान हो जाती, इसलिए उस ने वाचमैन से कह कर बबिता (सहायिका) को रख लिया.

अब दोनों जब बबिता कौलबैल बजाती तब ही उठते. वह झाड़ूबरतन कर के उन दोनों के लिए नाश्ता बना देती. दोपहर में दोनों ही औफिस में लंच लेते थे.

परिधि मन ही मन सोच रही थी कि घर के खर्च में विभोर ज्यादा कुछ नहीं करता. ज्यादातर सबकुछ उसे ही करना पड़ रहा है लेकिन वह उस से कुछ कह नहीं पाती. निया का साथ था तो बराबर खर्च कर के उस के पास अच्छा बैंक बैलेंस इकट्ठा हो गया था. लेकिन विभोर की मीठीमीठी बातों में वह सबकुछ भूल जाती और सोचती कि विभोर ग्रोसरी तो जबतब और्डर कर ही देता है. ज्यादातर मोटा खर्च तो वही करती. वह फल और नाश्ता लाती तो विभोर ब्रैड या सब्जी ले आता. किराया,बिजली का बिल, बाहर डिनर या थियेटर वगैरह के समय विभोर कहीं पर कुछ भी नहीं खर्च करता.

महीना पूरा होते ही किराया देना था. विभोर अनमना सा उदास चेहरे के साथ औफिस से लौट कर आया था.

‘‘डियर, मेरे सिर में बहुत दर्द है, हरारत सी लग रही है.’’

स्वाभाविक था कि परिधि ने उस के सिर में  बाम लगाया, टैबलेट खिला कर कौफी बना कर पिलाई. तब तक रात के 9 बज गए थे. वह थक गई थी, इसलिए उस ने खाना और्डर कर दिया.

मृगमरीचिका: भाग 2-आखिर अनिमेष को बंद लिफाफे में क्या मिला

बेटी के दुख से परेशान उस के पिता देर रात तक पत्नी पर अनिमेष को मणिका के लिए फाइनल करने का आरोप लगाते हुए झगड़ते रहे.

बहुत सोचविचार कर मणिका के मातापिता ने अगली सुबह ही बेटी के जीवन में अमोला को ले कर आई परेशानी का तोड़ ढूंढ़ने के लिए समधीजी के घर पर धावा बोल दिया, जो शिकागो में ही रहते थे.

‘‘भाई साहब, आप अपने बेटे को समझते क्यों नहीं. एक पराई औरत की खातिर वह अपने घर की शांति भंग करने पर क्यों उतारू है?’’ मणिका के पिता ने समधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा.

समधी के इस वार पर तिलमिलाते हुए अनिमेष के पिता बोले, ‘‘आप की बेटी ने तो तिल का ताड़ बना दिया है. अमोला अनिमेष की बहन जैसी है. अगर वह उस के बुलावे पर उसे घर छोड़ने चला भी गया, तो क्या गजब हो गया?’’

‘‘जी, एक पराई औरत की खातिर बीवी का दिल तोड़ना क्या सही है? कल मणिका ने इतने मन से इतना समय लगा कर अनिमेष की पसंद का पिज्जा बनाया. वे दोनों खाने बैठने ही वाले थे कि अनिमेष लगीलगाई टेबल छोड़ कर उस अमोला के एक फोन पर उसे घर ड्रौप करने चला गया. अगर जाना इतना ही जरूरी था तो क्या वह थोड़ी देर बाद खापी कर उसे छोड़ने नहीं जा सकता था? लेकिन उसे तो मणिका की रत्तीभर भी परवाह नहीं. उस के लिए अमोला पहले है. मणिका की कोई अहमियत ही नहीं उस की निगाहों में,’’ इस बार मणिका की मां ने समधी से आक्रामक ढंग से बोला.

‘‘बहनजी, आप कुछ ज्यादा ही बढ़ाचढ़ा कर बोल रहीं. मणिका अनिमेष की वाइफ है और अमोला जस्ट एक अच्छी फ्रैंड. दोनों का क्या मुकाबला.’’

‘‘जी समधीजी, अमोला मात्र एक अच्छी फ्रैंड नहीं वरन उस से कुछ ज्यादा ही है. आप को शायद पूरी बात पता नहीं,’’ कह उन्होंने समधीसमधन को दामाद और अमोला के साथ घूमनेफिरने और मैसेजिंग की बात बताई, जिसे सुन कर वे भी चिंतित हो उठे कि उन का बेटा अमोला के मोहपाश में बहकने लगा है.

दोनों समधीसमधन ने अमोला के जीवन में आई इस विपदा का तोड़ ढूंढ़ने के विषय में गंभीरता से चिंतनमनन किया. इस विचारविमर्श के परिणामस्वरूप निष्कर्ष निकला कि अनिमेष के पेरैंट्स उसे धमकाएंगे कि वह अमोला की ओर अपने बढ़ते कदम खींचे और उस से अपना मेलजोल बिलकुल बंद करे और यदि वह ऐसा नहीं करता तो मणिका उस से तलाक ले लेगी.

समधीसमधन से यह आश्वासन पा कर मणिका के मातापिता को बहुत तसल्ली हुई और वे शांत मन से घर लौट गए.

शाम को अनिमेष के औफिस से घर लौटने पर उस के मातापिता ने सख्त स्वर में उसे उस की अमोला से बढ़ती नजदीकियों की वजह से मणिका के उस से तलाक लेने के निर्णय से अवगत कराया. उन्होंने उसे यह भी कहा कि वे दोनों इस मुद्दे पर बहू का साथ देंगे न कि उस का. मगर उन की इस बात का उस पर कोई असर नहीं हुआ.

उस ने उन से महज यह कह कर इस बात से पल्ला झड़ लिया कि मणिका अमोला को ले कर हाइपर हो रही है और ओवर रिएक्ट कर रही है. उस की बातों में लेशमात्र भी सचाई नहीं.

इस के बाद वह मणिका पर क्रोधावेश में जम कर बरसा कि वह नाहक अमोला की बात को अनावश्यक रूप से तूल दे रही है और अपनी सुखी गृहस्थी उजाड़ने पर तुली हुई है.

अनिमेष को यों अपनी जिद पर अडिग देख मणिका ने उसे अल्टीमेटम दे दिया कि मैं अब तुम जैसे छिछोरे आदमी के साथ जिंदगी कतई नहीं बिताऊंगी, जिसे इधरउधर मुंह मारने से गुरेज नहीं. मैं जल्द ही तुम से तलाक के लिए अर्जी दे दूंगी और 10-15 दिनों में अपने अलग रहने का इंतजाम कर लूंगी.

‘‘यह अमोला इतनी सीधीसच्ची नहीं है, जितनी दिखती है. वह मु?ा से एक बार कह चुकी है कि वह बहुत जल्दी दूसरी शादी करने वाली है. जहां तक मैं उसे पहचान पाई हूं, वह तुम से अपना स्वार्थ साधने के लिए नजदीकियां बढ़ा रही है. वह तुम्हें यूज कर रही है. तुम उस के लिए यूज और थ्रो से अधिक कुछ साबित नहीं होंगे. बहुत शातिर है वह. उस से दूर रहो.’’

पत्नी की इन बातों से अनिमेष आगबबूला हो गया. वह अंत तक अमोला प्रकरण में अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हुआ और अपनी बात पर अडिग रहा कि वह निर्दोष है.

उस रात उसने इस मुद्दे पर बहुत संजीदगी से सोचा और फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मणिका से आत्मिक संबंध की तुलना में अमोला के प्रति उस की भावनाएं बेहद छिछली है. वह बस उस के प्रति शारीरिक रूप से आकर्षित है और उस के साथ कुछ समय के लिए मुंह का जायका बदलने के लिए संबंध जोड़ कर मन बहलाना चाहता है.

पत्नी मणिका के प्रति उस का नजरिया फौर ग्रांटेड वाला है. उसे भरोसा है कि वह चाहे कितनी ही गलतियां कर ले, मणिका एक टिपिकल ओल्ड फैशंड वाइफ की तरह उस के सौ खून भी माफ कर देगी. कभी उस से अलग होने जैसा मजबूत कदम नहीं उठा पाएगी, लेकिन मणिका एक कड़े इरादों वाली, सिद्धांतप्रिय युवती है, जो शादी में एकदूसरे के प्रति प्रतिबद्धता और एकनिष्ठा को अपरिहार्य मानती है. आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ी थी.

सो पति की ज्यादती को मानने से इनकार करते हुए वह अपने कहे अनुसार एक पखवाड़े के भीतर उसे छोड़ कर एक अलग घर किराए पर ले उस में रहने चली गई.

मणिका के घर छोड़ कर चले जाने के बावजूद उस ने उसे गंभीरता से नहीं लिया और उस के इस कदम को मात्र उस की गीदड़ भभकी सम?ाते हुए उस ने अमोला का साथ नहीं छोड़ा. उस के मन के कोने में यह सोच थी कि वह बस एक बार अमोला को पूरी तरह पा कर कुछ दिन उस के साथ मौज कर मणिका के पास लौट आएगा. अपनी इसी सोच के चलते उस के प्रति दैहिक आकर्षण की मृगमरीचिका में वह उस के पीछेपीछे भागता रहा.

मणिका के घर छोड़ कर चले जाने से अनिमेष अब बिंदास अमोला के साथ हर जगह टंगाटंगा फिरता. औफिस के बाद का समय वह उस के साथ गुजारता.

49 की उम्र में फरदीन खान का ट्रांसफॉर्मेशन, क्या सच में कमबैक कर रहे एक्टर

बॉलीवुड एक्टर फरदीन खान काफी चर्चा में है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा की है. जिसमें उनकी फिजिक देखकर सबके होश उड़ गए. फरदीन की ये फोटो समंदर किनारे की है. फोटो देखकर बॉलीवुड के एक्टर्स उनकी तारीफ के पुल बांध रही है. दिया मर्जा से लेकर अभिषेक बच्चन फरदीन की तारीफ कर रहे है. इस तस्वीरे में फरदीन फैट टू फिट नजर आ रहे है. उनकी बॉडी देखकर हर कोई दंग है.

फिल्मों में नजर आ सकते है फरदीन खान

कई हालिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि फरदीन खान जल्द ही रितेश देशमुख की फिल्म विस्फोट से बॉलीवुड में वापसी करेंगे. जबकि हम प्रोजेक्ट पर अधिक अपडेट का इंतजार कर रहे हैं, फरदीन अपनी कातिलाना तस्वीरों से खूब चर्चाओं में है.

अपने जबरदस्त शारीरिक परिवर्तन के बाद, फरदीन सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरों को साझा कर अपने फैंस का पारा हाई कर रहे हैं.

 

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संमदर किनारे अपने कातिल लुक से कहर ढ़ा रहे फरदीन

सोशल मीडिया पर शेयर की पोस्ट में देख सकते है. समुद्र के किनारे बिल्कुल लुभावनी जगह के साथ, अभिनेता ने अपना ट्रिम हेयरस्टाइल और बिना दाढ़ी वाला लुक दिखाया.  फरदीन खान ने पोस्ट को कैप्शन दिया है- “सूर्य संदर सूर्यास्त. एक खूबसूरत दिन का सही अंत,”

 

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फैट टू फिट हुए फरदीन

फरदीन के इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई तस्वीरों में वह काफी फिट नजर आ रहे है. क्योंकि कुछ समय पहले ही वह फैट टू फिट हुए है. उनकी तस्वीरों पर फेमस फोटोग्राफर डब्बू रतनानी ने भी तस्वीर पर खूब प्यार बरसाया है. फरदीन खान को पर्दे पर आखिरी बार 2010 में देखा गया था. वहीं अब अनकी फिट बॉडी देखकर फैंस उनके कमबैक करने के लिए कह रहे. फरदीन खान जल्द ही रितेश देशमुख की फिल्म विस्फोट से बॉलीवुड में वापसी करेंगे.

KBC 15: अभिषेक बच्चन ने बिग बी से पूछा ये सवाल, अमिताभ बोले- ‘मुझे नहीं खेलना ये गेम’

‘कौन बनेगा करोड़पति 15’ के बीते एपिसोड में अभिषेक बच्चन, सयामी खेर और आर बाल्की मनोरंजन का तड़का लगाने के लिए शो में आई. अभिषेक अपनी फिल्म ‘घूमर’ को प्रमोट करने के लिए आए.

अभिषेक बच्चन हॉट सीट पर बैठकर अमिताभ बच्चन से उनके सवालों का जवाब देने के लिए कहते हैं. वहीं ‘घूमर’ फिल्म की टीम ने शो में 12 लाख 50 हजार जीते. शो में काफी मस्ती हुई अभिषेक ने अमिताभ के संग ‘सुपर फंदूक’ खेला.

अभिषेक ने बिग बी से पूछा, ये सवाल

अभिषेक का पहला सवाल था “पा में पा कौन था?” अमिताभ बच्चन ने  अभिषेक बच्चन जवाब दिया, लेकिन अभिषेक ने कहा, “गलत, आप मेरे पा हैं ना.” बिग बी कहते हैं, ‘यारहे गलत खेल रहा है…’ अभिषेक ने जवाब दिया, ‘मेरा गेम मेरे नियम’.

 

अभिषेक ने अमिताभ से कुछ सवाल पूछे, जहां जवाबों को उन्होंने घुमा दिया. अभिषेक ने पूछा- ‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे ___ लगते हैं’? इस पर अमिताभ जवाब में बाप कहते हैं तो जूनियर बी कहते हैं कि मैं तो आपका बेटा लगता हूं, तो ये गलत जवाब है. इसके बाद ‘दोस्ताना’ के एक किरदार पर अभिषेक सवाल पूछते हैं लेकिन जवाब में अपनी दोस्ताना रखते हैं. ऐसे में फिर अमिताभ का जवाब गलत हो जाता है. ऐसे करते हुए अमिताभ का हर सवाल गलत होता जाता है.

वह आगे एक मजेदार सवाल करते हैं, “आप मां से कितने लंबे हैं?” अमित जी ने हाथ का इशारा करते हुए कहा, ”इतना लंबा”. अभिषेक ने उनकी टांग खींचते हुए कहा, “क्या मुझे मां को यहां बुला लेना चाहिए?” बिग बी ने जवाब दिया, “नहीं नहीं, मेरे को नहीं खेलना ये खेल”.

अमिताभ के आंखों में आ गए थे आंसू

पिछले  सीजन में जब अभिषेक बच्चन और जया बच्चन कौन बनेगा करोड़पति के सेट पर आए थे, तो बिग बी की आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि वह शो के साथ अपनी जर्नी और अपने सबसे प्रसिद्ध अभिनय करियर को याद करके भावुक हो गए थे.

कासनी का फूल: भाग 5-अभिषेक चित्रा से बदला क्यों लेना चाहता था

रात काफी बीत चुकी थी. चित्रा सब कह कर बेसुध सी अपने जीवन की कड़वी यादों में डूबी थी. ईशान चाह रहा था कि चित्रा अब सो जाए. कुछ. सोचते हुए चित्रा का हाथ अपने हाथ में ले कर उस ने चित्रा की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा दीं और बोला, ‘‘फिक्र मत करो, हम सब सुलझ लेंगे बस तुम्हारी उंगलियां मेरी उंगलियों में यों ही उलझ रहनी चाहिए हमेशा.’’

‘‘उलझन में सुलझन,’’ चित्रा खिलखिला कर हंस पड़ी.

चित्रा की हंसी कमरे में चारों ओर बिखरी रही, उन दोनों के सो जाने के बाद भी.

सूरज की किरणें सुबह खिड़की के परदे से छन कर भीतर आईं तो नींद से जागे वे.

कुछ देर बाद साधुपुल के लिए निकल पड़े. आज चित्रा का एक नया ही रूप दिख रहा था. कल तक गुमसुम सी, कम बोलने वाली चित्रा आज चंचल हिरणी सी मदमस्त हो चिडि़या सी चहक रही थी.

‘‘आज गाने नहीं सुनोगे, ईशान?’’ रास्ते में चित्रा पूछ बैठी.

‘‘नहीं, आज मैं तुम्हें सुनूंगा, कितने दिनों बाद इतना बोलते देख रहा हूं तुम्हें,’’ ईशान हौले से मुसकरा दिया.

साधुपुल पहुंच कर छोटी सी धारा के रूप में बहती अश्विनी नदी के आसपास टहलते रहे दोनों. थक गए तो पानी में मेजकुरसियां लगे रैस्टोरैंट में खाना खा कर नदी किनारे आ बैठे. नदी की कल-कल ध्वनि को सुनते हुए पैर पानी में डाले हुए बैठना, पक्षियों की चहचहाहट को महसूस करना और छोटेछोटे लकड़ी के बने कच्चे पुलों पर एकदूसरे का हाथ थामे इस से उस पार आनाजाना, दुनिया को भूले बैठे थे आज वे.

शाम हुई तो नदी किनारे बने टैंटनुमा कमरे में रात बिताने चल दिए. रात को बैड पर ईशान से सट कर बैठी खिड़की से बाहर झांकती चित्रा को देख लग रहा था जैसे जीवन में पहली बार प्रकृति की खूबसूरती देख रही हो.

‘‘एक बात कहूं ईशान?’’ चित्रा कुछ देर बाद बोली.

‘‘यही न कि अब नींद सता रही है. सोना चाहती हो?’’ ईशान ने उस की नाक पकड़ कर खींचते हुए कहा.

‘‘नहीं ईशान, मैं तो कहना चाहती थी कि यहां कार वाला म्यूजिक होता तो मैं पता है कौन सा गाना सुनती.’’

‘‘कौन सा?’’

‘‘पुराना है, ‘भीगी रात’ फिल्म का, आज मैं सिर्फ वही गुनगुनाना

चित्रा की आंखों से आंसू बह निकले. अपने हाथों से आंसू पोंछते हुए ईशान बोला, ‘‘नहीं, दुखी नहीं होना है तुम्हें अब. अपने आने वाले बच्चे को खुश रखना है. कल से तुम रैस्टोरैंट काम पर नहीं आओगी, अब आराम करो.’’

‘‘ईशान डाक्टर ने मुझे ऐक्टिव रहने की सलाह दी है. मैं इतना करूंगी कि देर से आ जाया करूंगी और जल्दी वापस हो लिया करूंगी.’’

चित्रा को अगले दिन दोपहर हो गई रैस्टोरैंट पहुंचने में. अंदर दाखिल हुई तो ईशान किसी ग्राहक से बातों में मशगूल था.

चित्रा को देख ईशान चिहुंक उठा, ‘‘आज तो कम से कम आराम कर लेतीं चिकोरी. इतने दिनों से तुम ही तो संभाल रही थीं सब.’’

उस ग्राहक को देख चित्रा जड़वत रह गई. धीरे से ईशान के कान में बताया कि वह तो अभिषेक है.

‘‘तुम तो चित्रा हो न? यह चिकोरी कह कर क्यों बुला रहे हैं?’’ अभिषेक चित्रा को देख हैरान रह गया.

रैस्टोरैंट में कई लोग बैठे थे. सब के सामने अभिषेक न जाने क्या कह दे यह सोच कर ईशान बोला, ‘‘चलो कुछ देर अंदर बने कमरे में बैठते हैं.’’

तीनों रैस्टोरैंट की किचन के साथ बने छोटे से कमरे में चले गए. ईशान खुशनुमा माहौल तैयार करते हुए बोला, ‘‘मेरी पत्नी को कासनी के फूल बहुत पसंद हैं. कासनी का एक नाम चिकोरी है, इसलिए ही मैं इन्हें चिकोरी कहता हूं.’’

अभिषेक जलाभुना सा बोल उठा, ‘‘ओह, पतिपत्नी, भई लगता है आप दोनों में तो अच्छी जमती है. वैसे मैं ने भी कुछ बुरा तो किया नहीं था, रिश्ता तो चित्रा की वजह से टूटा था. अड़ गई थी छोटी सी बात पर.’’

फिर मुंह चित्रा की ओर घुमाता हुआ बोला, ‘‘माफ करना, तुम ने पता

नहीं इन को अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ बताया या नहीं, मैं कौन हूं आज जान जाएंगे तुम ने छिपाया होगा तो,’’ बात समाप्त करते ही अभिषेक विद्रूप हंसी हंस दिया.

ईशान का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा, ‘‘अभिषेक, चिकोरी ने कुछ नहीं छिपाया मु?ा से. हां एक बात और कि तुम पिछली जिंदगी की बात करते हुए अच्छे नहीं लगते. चित्रा के अड़ने की जिस बात को तुम छोटी सी कह रहे हो वह भी उस की पिछली जिंदगी, उस के बचपन से जुड़ी थी, लेकिन तुम्हें क्या? कभी सोचना जरूरी ही नहीं समझ होगा कि पत्नी के मन में क्या चल रहा है.’’

‘‘तुम्हारे पति से क्या बहस करूं? न जाने तुम्हारे बचपन की कौन सी बात के बारे में जिक्र कर रहे हैं जनाब. अजीब सनकी को चुना है तुम ने इस बार.’’

ईशान के विषय में अभिषेक के कहे शब्द चित्रा को तीर से चुभ गए. व्यंग्यात्मक हंसी हंसते हुए बोली, ‘‘तुम बिलकल नहीं बदले अभिषेक. तुम्हें जरूर सुन कर हैरानी होगी कि ईशान अभी मेरे पति नहीं हैं. कम से कम तुम्हारे जैसी सोच रखने वालों के अनुसार तो मैं अभी किसी की ब्याहता नहीं हूं, लेकिन पति होने का अर्थ यदि पत्नी को मानसम्मान देना, उस की इच्छाओं और विचारों की कद्र करना और उस का हमदर्द होना है तो हां मैं एक पत्नी हूं, मेरे होने वाले बच्चे के पिता ईशान हैं और हम कुछ दिनों बाद परिवारों की खुशी के लिए शादी भी करेंगे.

ऐसे साथी को तुम सनकी कहते हो? काश, तुम भी सनकी होते, अब तुम से ज्यादा बहस करूंगी तो मेरी तबीयत ही खराब होगी और उस से ईशान को तकलीफ होगी. इतना ही कहूंगी कि तुम भी जीवनसाथी ढूंढ़ लो, लेकिन प्लीज उसे एक जीताजागता इंसान समझना कठपुतली नहीं.’’

अभिषेक चुपचाप बाहर निकल गया. जातेजाते रैस्टोरैंट के बोर्ड पर निगाह चली ही गई, ‘कासनी फूड हट.’

‘‘कासनी मतलब चित्रा,’’ बुदबुदाता हुए हारे खिलाड़ी सा मुंह लिए वह लौट गया.

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