family story in hindi
family story in hindi
प्रणय ने होटल में बैठ कर सोनाली की तारीफ के पुल बांधे तो उस युवक ने पूछा, ‘‘क्या सचमुच ऐसी कन्या उपलब्ध है?’’
‘‘अजी, हाथ कंगन को आरसी क्या. मैं कल ही आप को उस से मिला देता हूं, लेकिन कुछ अपने बारे में भी बताइए.’’
‘‘मेरा नाम सतीश है. मैं नागपुर से नौकरी की तलाश में यहां आया था. आप जानते ही हैं कि मुंबई महानगरी में नौकरी मिल जाती है, छोकरी भी मिल जाती है, पर रहने को मकान नहीं मिलता. लाचारी से पिछले 5 वर्षों से एक पारसी महिला के घर पर बतौर पेइंगगैस्ट रह रहा हूं. वह है तो भली, पर जरा खब्ती है. पैसेपैसे का हिसाब रखती है, रात को 10 बजे रसोई में ताला लगा देती है. देर से लौटो तो थाली से ढका ठंडा खाना मिलता है, जिसे खाने की तबीयत नहीं होती. वह तो भला हो मकान मालकिन की बेटी नर्गिस का, जो मेरे लिए चोरी से आमलेट
बना देती है. चाय के तो अनगिनत
प्याले पिलाती है, बड़ी भली है, बेचारी 30 साल पार कर चुकी है, पर उसे भी मनपसंद वर नहीं मिला.
‘‘मैं अपने एकाकीपन से आजिज आ गया हूं. सोचा, एक लड़की ढूंढ़ कर शादी कर ही डालूं. अच्छा, अब मुझे चलना चाहिए.’’
‘‘तो कल मिल रहे हो न? इसी जगह, इसी समय?’’
‘‘पक्का.’’
दूसरे दिन प्रणय बेसब्री से सतीश की राह देखता रहा, पर वह न आया. प्रणय ने अपनेआप को कोसा कि उस ने सतीश का पता, ठिकाना तक मालूम नहीं किया.
वह फिर मनपसंद कार्यालय जा पहुंचा और बाहर टहलता रहा. उसे निराश नहीं होना पड़ा. अचानक उस ने देखा कि एक सुंदर नौजवान लिफ्ट से निकल कर मनपसंद की ओर बढ़ रहा है.
प्रणय ने उसे बीच ही में घेर लिया, वे बातें करतेकरते वर्ली की तरफ निकल गए, समुद्र के किनारे घूमतेघूमते उन्होंने ढेरों बातें कर डालीं. प्रणय ने शीघ्र ही जान लिया कि युवक का नाम शांतनु है. वह अपने मातापिता के साथ मालाबार हिल पर रहता है, उस के पिता व्यापारी हैं यानी खातेपीते लोग हैं. घर में शांतनु के अलावा 2 छोटे भाईबहन हैं.
प्रणय को शांतनु बेहद जंचा. कोई भी लड़की उसे पतिरूप में पा कर धन्य हो जाएगी.
प्रणय खुशीखुशी घर पहुंचा. रात को देर तक अपने और दीपाली के बारे में सोचता रहा.
दूसरे दिन शांतनु आग्रह कर के उसे अपने घर ले गया. उस ने प्रणय को बढि़या खाना खिलाया और अपने परिवार के दूसरे सदस्यों से मिलाया. फिर वह उसे उस के घर छोड़ने गया.
रास्ते में वे हाजीअली पर रुके. एक पान की दुकान से पान ले कर खाया. बात लड़कियों की चल पड़ी तो प्रणय ने पूछ लिया, ‘‘तुम्हें कैसी लड़की पसंद है?’’
शांतनु ने उसे विस्तार से बताया.
‘‘मेरी नजर में एक बहुत सुंदर लड़की है,’’ प्रणय ने कहा, ‘‘ऐसी लड़की चिराग ले कर ढूंढ़ोगे, तो भी नहीं मिलेगी. लाखों में एक है.’’
‘‘सच?’’ शांतनु की आंखें चमकने लगीं.
‘‘एकदम सच, जब कहो दिखा दूं? तुम उसे कब देखना चाहोगे?’’
‘‘देखने की जरूरत ही क्या है. तुम जब इतनी तारीफ कर रहे हो तो जरूर अच्छी होगी.’’
‘‘फिर भी. शादीब्याह के मामले में अच्छी तरह देखभाल कर लेनी चाहिए.’’
‘‘भई, मैं तुम से साफसाफ बता दूं, मैं ने तय कर लिया है कि जो व्यक्ति मेरी बहन से शादी करेगा, मैं उस की बहन या उस के परिवार की लड़की से ब्याह कर लूंगा.’’
‘‘अरे,’’ प्रणय अचकचाया, ‘‘यह क्या कह रहे हो, यार?’’
‘‘ठीक कह रहा हूं, मेरी बहन की शादी नहीं हो रही है. जहां बात चलती है, टूट जाती है. मेरे मांबाप उस की शादी को ले कर बहुत परेशान हैं. इसीलिए मैं ने फैसला किया है कि जो मेरी बहन का हाथ थामेगा, मैं उस की बहन से शादी कर लूंगा. इस हाथ दे, उस हाथ ले. बोलो, क्या कहते हो?’’
‘‘अब मैं क्या बोलूं?’’
‘‘क्यों, क्या तुम्हें मेरी बहन पसंद नहीं आई?’’
‘‘यार, पसंदनापसंद का सवाल नहीं है. मैं किसी और लड़की को चाहता हूं. हमारी मंगनी हो चुकी है.’’
‘‘ओह, तुम यह मंगनी तोड़ नहीं सकते?’’
‘‘असंभव,’’ प्रणय ने दृढ़ता से कहा.
‘‘ओह,’’ शांतनु मायूस हो गया.
‘‘मेरे भाई,’’ प्रणय ने उसे समझाना चाहा, ‘‘क्यों तुम अपनी बहन की खातिर अपना जीवन बरबाद करना चाहते हो. तुम्हारी बहन को अच्छा लड़का मिल ही जाएगा. मैं खुद भी उस के लिए वर खोजूंगा, बल्कि एक लड़का तो मेरी नजर में है भी.’’
प्रणय घर लौट कर सोचने लगा कि कुछ भी हो, सोनाली की शादी तो वह करा कर ही रहेगा. इस काम का बीड़ा उठाया है तो पूरा कर के रहेगा.
अगले रोज जब प्रणय मनपसंद कार्यालय के करीब पहुंचा तो दरबान ने उसे घूर कर देखा.
करीब एक घंटे बाद उस ने देखा कि एक लंबाचौड़ा कद्दावर इंसान मनपसंद की ओर बढ़ रहा है. प्रणय सोचने लगा, ‘वाह, यदि यह शिकार फंस जाए तो क्या कहने, सोनाली के मांबाप मेरे चरणों में बिछ जाएंगे. खुद सोनाली भी उम्रभर मेरा आभार मानेगी.’
‘‘भाईसाहब,’’ वह फुसफुसाया.
युवक ठिठक गया, ‘‘कहिए?’’
प्रणय ने सोनालीपुराण शुरू किया तो युवक भड़क उठा, ‘‘क्या कह रहे हैं आप? मैं यहां लड़कियों की खोज में नहीं आया. मैं शादी कर के बाकायदा घर बसाना चाहता हूं.’’
प्रणय ने दांतों तले जीभ काटी, ‘‘आप मुझे गलत समझ रहे हैं. मैं भी शादी की ही बात कर रहा हूं.’’
उस ने अपनी बात का खुलासा किया तो युवक चुपचाप सुनता रहा. वे दोनों उस इमारत से बाहर निकले और चौपाटी की ओर चलते गए.
मेरीन ड्राइव पर पहुंच कर उस युवक ने कहा, ‘‘मैं यहीं रहता हूं,’’ उस ने एक भव्य इमारत की तरफ इशारा किया, ‘‘मैं आप को अपने घर ले चलता, पर क्या करूं, मजबूर हूं.’’
प्रणय ने उस की ओर सवालिया नजरों से देखा तो युवक ने अपनी गाथा सुनाई, ‘‘मेरा नाम रणवीर सिंह है. हम लोग ठाकुर हैं. बिहार में हमारी बहुत जमीनजायदाद है. लेकिन कईर् सालों से हम मुंबई में ही रह रहे हैं, क्योंकि यहां भी हमारा व्यापार फैला हुआ है. मेरे मांबाप बहुत पहले गुजर गए. मैं अपने चाचाचाची के साथ रहता हूं. जायदाद हाथ से निकल जाने के डर से वे मेरी शादी नहीं करना चाहते. जब भी कोई रिश्ता आता है, वे लड़की वालों को मेरे खिलाफ उलटासीधा बता कर भड़का देते हैं. इधर मेरी शादी की उम्र बीतती जा रही है. लाचार हो कर मैं ने सोचा, किसी वैवाहिक संस्था में अरजी दे दूं.’’
‘‘बस, आप अब सबकुछ मुझ पर छोड़ दीजिए,’’ प्रणय ने आश्वासन दिया.
‘‘तो आप लड़की वालों से मेरी बात चलाइए, यदि वे राजी हों, तो हम इसी जगह, इसी समय, ठीक 8 दिनों बाद मिलते हैं.’’
‘‘ठीक है,’’ प्रणय ने मुसकराते हुए कहा.
लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी, प्रणय घंटों रणवीर की प्रतीक्षा करता रहा, लेकिन वह न आया.
अनिरुद्ध घर के अंदर घुसते हुए मंजुला से बोले, ‘‘मैडम, आप के भाईसाहब ने श्रेयसी के कन्यादान की तैयारी कर ली है.’’
‘‘क्या?’’
‘‘उन्होंने उस की शादी का कार्ड भेजा है.’’
‘‘क्या कह रहे हैं, आप?’’ चौंकती हुई मंजुला बोली, ‘‘क्या श्रेयसी की शादी तय हो गई है?’’
‘‘जी मैडम, निमंत्रणकार्ड तो यही कह रहा है.’’
मंजुला ने तेजी से कार्ड खोल कर पढ़ा और उसे खिड़की पर एक किनारे रख दिया. फिर बुदबुदाई, ‘भाईसाहब कभी नहीं बदलेंगे.’ उस के चेहरे पर उदासी और खिन्नता का भाव था.
‘‘क्या हुआ? तुम श्रेयसी की प्रस्तावित शादी की खबर सुन कर खुश नहीं हुई?’’
‘‘आप तो बस.’’
तभी बहू छवि चाय ले कर ड्राइंगरूम में आई, ‘‘पापाजी, किस की शादी का कार्ड है?’’
‘‘अरे बेटा, खुशखबरी है. अपनी श्रेयसी की शादी का कार्ड है.’’
छवि खुश हो कर बोली, ‘‘वाउ, मजा आ गया.’’
छवि के जाने के बाद मंजुला बोली, ‘‘क्या भाईसाहब एक बार भी फोन नहीं कर सकते थे?’’
‘‘तो क्या हुआ? लो, मैं अपनी ओर से भाई साहब को फोन कर के बधाई दे देता हूं.’’
मन ही मन अपमानित महसूस करती हुई मंजुला वहां से उठ कर दूसरे कमरे में चली गई.
‘‘साले साहब, बहुतबहुत बधाई. आप का भेजा हुआ कार्ड मिल गया. श्रेयसी की तरह उस की शादी का कार्ड भी बहुत सुंदर है. मेरे लायक कोई सेवा हो तो निसंकोच कहिएगा. लड़के के बारे में आप ने अच्छी तरह से जानकारी तो कर ही ली होगी?’’
‘‘हां, हां, क्यों नहीं. महाराजजी ने सब पक्का कर दिया है.’’
‘‘एक बात बताइए, आप ने श्रेयसी से पूछा कि नहीं?’’
‘‘उस से क्या पूछना? ऐसा राजकुमार सा छोरा सब को नहीं मिलता. अपनी श्रेयसी तो सीधे अमेरिका जाएगी. इसी वजह से जल्दबाजी में 15 दिनों के अंदर शादी करनी पड़ रही है.’’
‘‘अच्छा, श्रेयसी कहां है, फोन दीजिए उसे, बधाई तो दे दें.’’
‘‘देखिए अनिरुद्धजी, बधाईवधाई रहने दीजिए. पहले मेरी बात सुनिए, हमारे हिंदू धर्म में कन्यादान को महादान कहा गया है, लेकिन भई, आप की और मेरी सोच में बहुत अंतर है. आप तो पहले आयुषी से नौकरी करवाएंगे, फिर उस के लिए लड़का खोजेंगे या फिर उस की पसंद के लड़के से उस की शादी कर देंगे. परंतु मैं तो जल्द से जल्द बेटी का कन्यादान कर के बोझ को सिर से उतारना चाहता हूं. मेरी तो रातों की नींद उड़ी हुई थी. अब तो उस की डोली विदा करने के बाद ही चैन कीनींद सोऊंगा. अच्छा, ठीक है, अब मैं फोन रखता हूं.’’
‘‘छवि, तुम्हारी आदरणीया मम्मीजी कहां गईं? अपने भाईसाहब या भाभी से उन्होंने बात भी नहीं की, क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है?’’ मंजुला को आता देख अनिरुद्ध बोले, ‘‘आइए श्रीमतीजी, चाय आप के इंतजार में उदास हो कर ठंडी हुई जा रही है.’’
मंजल का मुंह उतरा हुआ था पर शादी की खबर से उत्साहित छवि बोली, ‘‘मुझे तो बहुत सारी खरीदारी करनी है, आखिर मेरी प्यारी ननद की शादी जो है.’’
‘‘हांहां, कर लेना, जो चाहे वह खरीद लेना,’’ अनिरुद्ध बोले.
बेटा उन्मुक्त मौका देखते ही बोला, ‘‘पापा, आप का इस बार कोई भी बहाना नहीं चलेगा, आप को नया सूट बनवाना ही पड़ेगा.’’
‘‘न, यार, मुझे कौन देखेगा?’’ मंजुला की ओर निगाहें कर के अनिरुद्ध बोले, ‘‘भीड़ में सब की निगाहें लड़की की सुंदर सी बूआ और भाभी पर होंगी. और हां, आयुषी कहां है? वह तो शादी की खबर सुनते ही कितना हंगामा करेगी.’’
मंजुला चिंतामग्न हो कर बोली, ‘‘वह कालेज गई है, उस का आज कोई लैक्चर था.’’
मंजुला सोचने लगी कि बड़े भाईसाहब क्या कभी नहीं बदलेंगे. वे हमेशा अपनी तानाशाही ही चलाते रहेंगे. वे रूढि़वादिता और जातिवाद के चंगुल से अपने को कभी भी बाहर नहीं निकाल पाएंगे.
फिर वह मन ही मन शादी होने वाले खर्च का हिसाबकिताब लगाने लगी. तभी आयुषी कालेज से लौट कर आ गई. जैसे ही उस ने श्रेयसी की शादी का कार्ड देखा, उस का चेहरा एकदम बदरंग हो उठा. उस के मुंह से एकबारगी निकल पड़ा, ‘‘श्रेयसी की शादी’’ फिर वह एकदम से चुप रह गई.
मंजुला ने पूछा कि क्या कह रही हो? तो वह बात बदलते हुए बोली, ‘‘पापा, इस बार आप की कोई कंजूसी नहीं चलेगी. मेरा और भाभी का लहंगा बनेगा और सुन लीजिए, डियर मौम के लिए भी इस बार महंगी वाली खूबसूरत कांजीवरम साड़ी खरीदेंगे. हर बार जाने क्या ऊटपटांग पुरानी सी साड़ी पहन कर खड़ी हो जाती हैं.’’
‘‘आयुषी, तुम बहुत बकबक करती हो. पैसे पेड़ पर लगते हैं न, कि हिला दिया और बरस पड़े.’’ मंजुला अपनी खीझ निकालती हुई बोली, ‘‘श्रेयसी को कुछ उपहार देने के लिए भी तो सोचना है.’’
‘‘श्रीमतीजी आप इतनी चिंतित क्यों हैं?’’
‘‘मेरी सुनता कौन है? आप को तो अपनी आयुषी की कोई फिक्र ही नहीं है.’’
‘‘जब वह शादी के लिए तैयार होगी, तभी तो उस के लिए लड़का देखेंगे.’’
‘‘इस साल 24 की हो जाएगी. मेरी तो रातों की नींद उड़ जाती है.’’
‘‘तुम अपने भाईसाहब की असली शागिर्द हो. उन की भी नींद उड़ी रहती है.’’ यह कह कर अनिरुद्ध अपने लैपटौप में कुछ करने में व्यस्त हो गए.
मंजुला इस बीच श्रेयसी के बचपन में खो गई. उस ने श्रेयसी को पालपोस कर बड़ा किया है. भाभी के जुड़वां बच्चे हुए थे. वे 2 बच्चों को एकसाथ कैसे पालतीं, इसीलिए वह श्रेयसी को अपने साथ ले आई थी. उस ने रातदिन एक कर के उसे पालपोसकर बड़ा किया. जब वह 6 साल की हो गई तो भाभी बोलीं, ‘यह मेरी बेटी है, इसलिए यह मेरी जिम्मेदारी है.’ और वे उसे अपने साथ ले गई थीं.
श्रेयसी के जाने के बाद वह फूटफूट कर रो पड़ी थी. उस के मन में श्रेयसी के प्रति अतिरिक्त ममत्व था. श्रेयसी बहुत दिनों तक मंजुला को ही अपनी मां समझती रही थी. मंजुला छुट्टियों में श्रेयसी को बुला लेती थी.
श्रेयसी आती तो उन्मुक्त और आयुषी उस के हाथ से खिलौना झपट कर छीन लेते. उसे कोई चीज छूने नहीं देते. इस बात पर मंजुला जब उन्मुक्त को डांट रही थी तो वह धीरे से बोली थी, ‘मम्मी, मुझे तो आदत है. वहां प्रखर मेरे हाथ से सब खिलौने छीन लेता है. चाहे खाने की हों या खेलने की, सब चीजें झपट लेता है. अम्मा भी कहती हैं कि वह भाई है, उसे दे दो.’
यह सब कहते हुए श्रेयसी की आंखें नम हो उठी थीं. तभी वह मंजुला से लिपट कर बोली थी, ‘मम्मी, मेरा घर कहां है? आप अच्छी मम्मी हैं. वे गंदी अम्मा हैं, मुझे मारती हैं.’
‘‘मैडम, क्या बात है बड़ी अपसैट दिख रही हो?’’ अनिरुद्ध की आवाज से वह वर्तमान में लौट आई थी. ‘‘सुनिए जी, श्रेयसी अपनी ससुराल में खुश तो रहेगी न? मेरे मन में अपराधबोध है कि मैं ने उसे अपने से दूर कर के भाभी के पास क्यों भेजा?’’
‘‘तुम तो फुजूल की बात करती हो. वह उन की बेटी है, जैसा वे चाहें वैसा करें.’’
जैसेजैसे श्रेयसी बड़ी होती गई, गुमसुम और चुप होती गई. श्रेयसी की आंखों का सूनापन देख मंजुला अपराधबोध से भर जाती. वह सोचती कि यदि वह उसे अपने पास रख सकती तो शायद श्रेयसी खुश रहती. भाभी के कड़क और दकियानूसी स्वभाव के कारण श्रेयसी सब से दूर, अकेली खड़ी दिखाई पड़ती. हंसनेचहचहाने की उम्र में भी उस के चेहरे पर गंभीरता का आवरण होता था.
उन्मुक्त और आयुषी धीरेधीरे बड़े होते गए और भाईसाहब व भाभी ने अपने बच्चों को मंजुला के यहां भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
पंसारी ग्रुप बहुत पुराना ब्रांड हैं, जिसकी शुरुआत राजस्थान के पावटा में एक छोटी सी किराना दुकान से हुई थी. लेकिन आज देश-विदेश में पंसारी ग्रुप एक जाना-माना नाम बन चुका हैं.
अपने माइंड और अपनी कड़ी मेहनत से शम्मी अग्रवाल ने पंसारी ग्रुप के प्रोडक्ट की ब्रांडिंग कर उन्हें मार्केट में लॉन्च किया, जिसके बाद आज पंसारी समूह तेल, चावल, आटा, पास्ता, मसाले और इंडिमिक्स रेंज के तहत पारंपरिक नाश्ते के विकल्पों की एक सूची प्रस्तुत करता है. इनमें पौष्टिक नाश्ता प्रीमिक्स, चटपटे व्यंजन और मीठे व्यंजन शामिल हैं. जिन्हें पंद्रह मिनट से भी कम समय में तैयार किया जा सकता है. पंसारी प्रोडक्ट की खास बात ये है कि ये हेल्दी हैं और हर में इनका इस्तेमाल किया जाता हैं.
तो आइए अब जानते हैं पंसारी ग्रुप के बासमती चावल से कोलकाता चिकन बिरयानी बनाने की रेसिपी के बारे में.
इसके लिए सबसे पहले एक बड़े बर्तन में चिकन ले लें. फिर उसमें पंसारी ग्रुप का ओरियल ऑयल और शाशा बिरयानी मसाला डाले. इसके बाद सभी को मिक्स कर लें. मिक्स करने के बाद फिर उसमें कटी हुई प्याज और स्वाद अनुसार नमक डालें. फिर एक फ्राई पैन लें और उसमें पंसारी का तेल डालें. अपने हिसाब से फिर उसमें कटी हुई प्याज और लहसुन डाल सकते है. अब आपकी चावल की ग्रेवी तैयार हो गई है.
इससे पहले आपने जो चिकन का पेस्ट बनाया था. अब वो इसमें डालें और धीमी आंच पर उसे भूने. इसके बाद उसमें धनिया डाले और आखिर में पंसारी ग्रुप के खास बासमती चावल. अब बनकर तैयार हो गई है आपकी स्पेशल कोलकाता चिकन बिरयानी. हालांकि इसमें आप ऊपर से ड्राईफ्रूट, धनिया और मिर्च आदि भी ड़ाल सकते हैं, जिससे खाने में ये और ज्यादा स्वादिष्ठ लगेगी. साथ ही सेहत के लिए भी ये काफी हेल्दी होती हैं.
रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में इन दिनों काफी ड्रामा चल रहा है. एक तरफ काव्या की सच्चाई जानने के बाद भी वनराज शांत है. वहीं दूसरी तरफ अधिक का असली चेहरा सबके सामने आ गया है, जिसके बाद कपाड़िया हाउस में खूब हंगामा हो रहा है. टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ के अपकमिंग एपिसो में देखने को मिलेगा कि घरेलू हिंसा पर बात होगी. अनुपमा पाखी को समझाने की कोशिश करेगी. लेकिन वह अपनी शादी और अधिक को बचाने की कोशिश करेगी.
अधिक का साथ देगी पाखी
बीते एपिसोड में देखने को मिला अनुपमा और वनराज पाखी को अधिक के खिलाफ शिकायात करने के लिए कहते है. वहीं पाखी आज के एपिसोड में अधिक के खिलाफ शिकायात करने से मना कर देगी. वह कहेगी, ‘माना कि हमारे बीच सबकुछ ठीक नहीं है. लेकिन, इसका ये मतलब थोड़ी है कि हम दोनों एक-दूसरे से प्यार नहीं करते हैं. मैंने भी तो कई बार गुस्से में रिएक्ट किया है.
अधिक ने भी कर दिया तो कौन- सी बड़ी बात हो गई और अधिक ने ऐसा किया क्योंकि मेरी गलती थी. मैंने उसे उकसाया था.’ लेकिन पाखी अपने मां की बात नहीं मानती. अनुपमा आगे उसे समझाती है देख तेरे पापा गलत थे लेकिन मैनें उन्हें छोड़ दिया था. जिस रिश्ते में बराबरी न हो, सम्मान न हो, वो रिश्ता, रिश्ता नहीं जंजीर है. लेकिन पाखी नही समझेगी वह जिद पर अड़ी रहेगी.
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अधिक का नाटक शुरु हुआ
‘अनुपमा’ में आगे देखने के लिए मिलेगा कि बरखा अपने भाई अधिक को समझाती है और बताती है कि जब पाखी तेरा साइड ले रही है, तो तू भी जल्दी उससे माफी मांग ले. इस दौरान बरखा के कहने पर अधिक पाखी के सामने घुटनों पर भी बैठ जाता है. हालांकि, अधिक इस दौरान पूरी तरह ड्रामा करता है.
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टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में इन दिनों ढेर सारा ड्रामा देखने को मिलेगा. प्रणाली राठौड़ और हर्षद चोपड़ा स्टारर इस सीरियल में जय सोनी का रोल पूरी तरह खत्म हो गया है. अभिनव की मौत हो गई है, जिसके बाद गोयनका परिवार ने अभिमन्यु को जेल में डलवा दिया है. अभिमन्यु के खिलाफ कोर्ट में पूरा गोयनका परिवार गवाही दे चुका है, लेकिन जैसी ही अक्षरा की बारी आएगी तो सीरियल में नया ट्विस्ट आएगा.
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अक्षरा का बयान
टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अक्षरा कस्टडी के पेपर्स जमा करके कोर्ट में ये साबित करने की कोशिश करेंगी कि अभिमन्यू को मारने का कोई मोटिव नहीं था. वह कहेगी, ‘अभिमन्यु बिड़ला ने अभिनव शर्मा के जन्मदिन से एक दिन पहले अबीर की कस्टडी अभिनव शर्मा के नाम कर दी थी. अगर उन्हें मेरे पति को मारना ही होता तो वह ये सब क्यों करते? इसलिए आज मैं सबके सामने ये कहना चाहती हूं कि मेरे क्लाइंट अभिमन्यु बिड़ला पर लगाया गया इल्जाम झूठा है. इन्होंने लेट अभिनव शर्मा को नहीं मारा है.’
अभिमन्यू पर भड़केगा कायरव
अक्षरा अभिमन्यू का साथ दे रही है इस बार कायरव भड़क जाएगा. वह कार्यवाही के बाद अभिमन्यू का कॉलर पकड़ लेता है. वह बोलेगा- डॉक्टर के नाम पर तुम धब्बा हो. इस हलात में तुम मेरी बहन का इस्तेमाल कर रहे हो. फिर अक्षरा कायरव से लड़ने लगती है.
मुस्कान पर भड़क जाएंगे बड़े पापा
टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि एक तरफ, अभिमन्यू शांत होगा. वहीं दूसरी तरफ, गोयनका परिवार अक्षरा पर सवाल उठाना शुरू कर देगा. बड़े पापा भड़क जाएंगे. वह कहेंगे, ‘तुझे मुझपर भी भरोसा नहीं रहा? मैंने खुद अपनी आंखों से देखा था… अभिमन्यु ने अभिनव जी को धक्का दिया था.’ कायरव, अक्षरा से अभिमन्यु की नाही का सबूत मांगने लगेगा.
वहीं मुस्कान, अक्षरा के चरित्र पर सवाल उठाने लगेगी. मुस्कान की बातें सुनकर बड़े पापा भड़क जाएंगे. वे मुस्कान को खरीखोटी सुनाने लगेंगे.
अबीर होगा नाराज
शो में आगे देखने को मिलेगा कि अबीर और रूही बड़ो की बातें सुन लेते हैं. वहीं रूही अक्षरा को गले लगाकर थैक्यू कहेगी. वहीं अबीर अक्षरा से मुंह फूलाते नजर आएंगे. अक्षरा अबीर को मनाने की कोशिश करेगी. वह अबीर को बताएगी उसके पास अभिमन्यू के खिलाफ बेगुनाही का सबूत है. फिर अबीर अभिनव के याद में रोता है.
रक्षा बंधन का त्यौहार जल्द ही आने वाला है. यह हर भाई-बहन के लिए स्पेशल दिन होता है. राखी फेस्टिवल साल में एक बार आता है इसी वजह से हम सभी इतने एक्साइटेड रहते हैं, खासकर लड़कियां जो किसी भी त्यौहार से बहुत पहले अपने लुक की तैयारी शुरू कर देती हैं.
लुक के साथ ही महिलाएं मेकअप कैसा हो इसके बारे में लगातर सोचती रहती है वहीं कई लड़कियां सैलून में अपॉइंटमेंट बुक कर लेंती है. राखी पर इतना पैसा खर्च करने की क्या जरूरत है? घर पर भी खुद से मेकअप करना इतना मुश्किल नहीं है, बस आपको कुछ टिप्स को फॉलो करने की जरूरत है.
आइए आपको बताते है रक्षा बंधन मेकअप टिप्स (Raksha Bandhan Makeup Tips)
बेस्ट मेकअप लुक के लिए सबसे पहले आप अपने चेहरे को साफ करें और उसके बाद अपने फेस पर मॉइस्चराइजर लगाएं. अब मेकअप के लिए एक फ्लॉलेस बेस पाने के लिए प्राइमर लगाएं.
2. दाग-धब्बों को कंसील करें
मेकअप करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि अपनी स्किन टोन से एक शेड लाइट कंसीलर का उपयोग करें. कंसीलर की मदद से काले घेरे और दाग-धब्बों को कंसील करें. इसके लिए आप एक साफ ब्रश या एक नम ब्यूटी ब्लेंडर का उपयोग करके धीरे-धीरे इसे थपथपाएं और इसे त्वचा पर सेट होने दें.
3. फाउंडेशन लगाएं
कंसीलर के इस्तेमाल के बाद चेहरे पर फाउंडेशन लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखे कि फाउंडेशन का शेड आपके स्किन टोन से मैच करता हो. इसे चेहरे, कान और गर्दन के आसपास के एरिया में ब्लेंड करें. इसके बाद, चेहरे को अच्छी तरह से कॉन्टूर करें और गालों को मोटा करने के लिए न्यूट्रल पीच ब्लश लगाएं.
4. सॉफ्ट हाइलाइटर
चेहरे को कंप्लीट करने के लिए और चेहरे के अच्छे फीचर्स को हाइलाइट करने के लिए हाई पॉइंट्स पर सॉफ्ट हाइलाइटर का इस्तेमाल करें. आईब्रो बोन, चीक बोन, लिप सेंटर पर सॉफ्ट हाइलाइटर लगाएं.
5. आई मेकअप
मेकअप का सबसे बेस्ट पार्ट होता है आई मेकअप. आई लुक के लिए, आंख के बाहरी कॉर्नर पर एक पतली फ्लिक के साथ ब्लैक और ब्राउन लाइनर लगाएं. इनर वाटरलाइन पर ब्लैक या न्यूड आई पेंसिल का प्रयोग करें. अपनी लैश को फुलर और बड़ा दिखाने के लिए लाइट फॉल्स लैश लगाएं और मस्कारा से इसे पूरा करें. आई के इनर कॉर्नर पर भी हाइलाइटर लगाएं.
6. ब्राइट लिप्स
अपने मेकअप लुक को पूरा करने के लिए एक ब्राइट पिंक या रेड लिप्सटिक लगाएं. यह आपके लुक को बोल्ड करेगा. अगर आपको ब्राइट शेड पसंद नहीं है तो आप न्यूड लिप कलर भी लगा सकती हैं. न्यूड लिपस्टिक भी इस आई मेकअप के साथ अच्छी लगेगी.
‘‘विभोर, कुछ खाओगे?’’
‘‘नहीं, मुझे सोने दो.’’
सुबह जब वह सो कर उठी तो उसे किचन में आमलेट बनाता देख बोली, ‘‘बबिता आ रही होगी.’’
‘‘प से प्यारी परिधि आज बबिता नहीं आएगी, अपने फोन पर मैसेज बौक्स में देखो… डौंट वरी माई लव योर फैवरिट आमलेट इज रैडी.’’
परिधि विभोर के संग मन ही मन सुखद भविष्य के मीठे सपने बुनती रहती.
‘‘परिधि मैं तो बिलकुल मध्य परिवार से ताल्लुक रखता हूं, मेरी एक बहन भी है, जिस की शादी पापा ने अपने खेत गिरवी रख कर की थी. छोड़ो मैं भी बेकार में अपना दुखड़ा तुम्हें सुनाने बैठ गया. समय को साथ सब ठीक हो जाएगा, कुछ महीनों की बात है.’’
परिधि ने संवेदना जताते हुए कहा, ‘‘तुम परेशान मत हो, अपने पापा के पास पैसे भेज दो. उन के खेत छूट जाएं. अब हम दोनों मिल कर कमाएंगे तो घर की सारी समस्या दूर हो जाएगी,’’ कहते हुए परिधि ने प्यार से उसे अपनी बांहों में लिपटा कर चूम लिया. फिर दोनों जीवन की रंगीनियों में डूब गए.
परिधि घर का पूरा खर्च खुशीखुशी उठा रही थी. किसी महीने में तो उसे सेविंग अकाउंट से भी पैसे निकालने पड़ते थे, लेकिन वह अंतरंग रिश्तों के आनंद में आकंठ डूबी हुई अपने सुनहरे भविष्य के सपने देख रही थी.
सैटरडे औफ था, उस की प्रोमोशन हुई थी. वह मैनेजर बन गई थी. उस के टीम मैंबर्स पार्टी मांग रहे थे. उस ने अपने टीम मैंबर्स के लिए कौकटेल पार्टी अरेंज की. वह विभोर को ले कर पार्टी में गई तो अपनी शादी की पार्टी के सपनों में खोई हुई सब के साथ उस ने भी एक पैग ले लिया. वहां डांस फ्लोर पर बांहों में डाल कर दोनों बहुत देर तक डांस करते रहे. यहां तक कि प्रीशा ने तो उसे चुपचाप विभोर जैसे बौयफ्रैंड के लिए मुबारकवाद भी दी. वह खिलखिला कर हंसते हुए थैंक्यू बोली.
तभी विभोर ने आ कर उस की हथेलियों पर चुंबन ले कर उसे प्यार से अपने सीने से लगा लिया.
परिधि तो ऐसा प्रेमी पा कर अभिभूत हो उठी थी. जब विभोर ने अपने घुटनों पर बैठ कर उस की हथेलियां पकड़ कर कहा, ‘‘मेरी जीवनसंगिनी बनोगी?’’
पूरा हौल तालियों से गूंज उठा. वह विश्वास नहीं कर पा रही थी कि विभोर जैसा परफैक्ट जीवनसाथी इतनी आसानी से उसे हासिल हो सकता है.
वह विभोर के सीने से लग गई. पूरा हौल तालियों से गूंज रहा था. वह खुशी से अभिभूत हो रही थी. पार्टी समाप्त हो गई थी. वह गहरी नींद के आगोश में चली गई थी.
कुछ नशे की खुमारी, सपने सच होने का एहसास होने की खुशी में डूबी वह सपनों की दुनिया में खोई हुई थी.
वह और विभोर बहुत ऊंचे पहाड़ पर गए हुए हैं और विभोर उसे अकेला छोड़ कर कहीं चला जा रहा है… वह जोरजोर से चीख रही है. विभोर… विभोर… मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ… प्लीज… विभोर…
तभी विभोर ने उसे जगा दिया, परिधि कोई बुरा सपना देख रही थीं?
‘‘हां विभोर मुझे छोड़ कर तुम कभी मत जाना,’’ कहते हुए उस ने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
‘‘कैसी बात करती हो? मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. तुम तो मेरी जान हो मेरा लव हो,’’ कहते हुए उस पर चुंबनों की बौछार कर दी.
प्यार में डूबी परिधि की आंखें छलछला उठीं. दोनों को साथ रहते लगभग 6 महीने हो गए थे. परिधि अब विभोर से शादी कर सैटल होना चाहती थी.
एक दिन विभोर अनमना सा औफिस से लौट कर आया और अपना सामान समेटने लगा. उस की आंखें छलछला रही थीं. उस ने डिनर तैयार किया और परिधि का इंतजार करने लगा. जब से वह मैनेजर बनी थी, वह शाम को लेट आने लगी थी.
परिधि जब लौट कर आई तो अचानक विभोर को पैक सामान के साथ देख वह चौंक पड़ी. सुबह तो सब ठीक था. पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’
‘‘मैं अपने घर जा रहा हूं, मेरी मां को कैंसर का शक है, इसलिए उन्हें ले कर टाटा कैंसर हौस्पिटल जाना पड़ेगा… परिधि जिस स्टार्टअप के लिए मैं रातदिन मेहनत कर रहा था. उस के फाइनैंसर ने हाथ खड़े कर दिए. हम लोगों की सैलरी भी मारी गई. ऐसा मन कर रहा है कि पंखें से लटक जाऊं,’’ कहते हुए अपना मुंह फेर लिया. शायद वह अपने आंसू छिपाना चाहता था, ‘‘मैं पापा के सामने किस मुंह से जाऊंगा. मेरे पास तो कुछ भी नहीं है.
‘‘मैं तुम्हारे पैसे भी नहीं लौटा पाया. मैं बहुत नालायक हूं… पापा आस लगाए बैठे हैं कि बेटा कमा कर पैसा ले कर आएगा तो मां का इलाज बड़े हौस्पिटल में करवाएंगे.’’
‘‘परिधि, यदि मैं जीवित रहा तो तुम्हारे पैसे जरूर लौटाऊंगा नहीं तो अगले जन्म में,’’ यह कहते हुए वह तेजी से उठ खड़ा हुआ.
परिधि असमंजस की स्थिति में विभोर की बातों पर सहसा विश्वास नहीं कर पा रही थी. यह कैसी दुविधा की घड़ी उस के जीवन में आ खड़ी हुई है. विभोर के लिए उस के दिल में अप्रतिम प्यार था. वह उस के प्यार में आकंठ डूबी हुई थी. उस के बिना अपने जीवन की कल्पना करते ही घबरा उठी.
कुछ क्षणों तक सोचने के बाद बोली, ‘‘विभोर, तुम पैसे के लिए मेरातेरा क्यों कर रहे हो? तुम्हारी मां आखिर मेरी भी तो मां हुईं. जो कुछ भी मेरा है. वह हम दोनों का ही है… मां बीमार हैं तो मेरा भी तो तुम्हारे साथ चलना बनता है. मैं छुट्टी के लिए अप्लाई करती हूं.’’
विभोर घबरा कर बोला, ‘‘इस समय तुम्हारा जाना क्या उचित होगा? सब लोग वैसे ही परेशान हैं, तुम नई मुसीबत खड़ी करने की बात कर रही हो… मेरी जान तो वैसे ही हलक में अटकी हुई है. एक हफ्ते से अपने पैसे मिलने के लिए हर तरह से कोशिश कर रहा था लेकिन सारी मेहनत बेकार हो गई. 3 महीने से एक पैसा नहीं मिला परंतु मिलने की आस तो बनी हुई थी. आज तो वह आस भी टूट गई,’’ विभोर के चेहरे पर निराशा, हताशा और मायूसी छाई हुई थी, ‘‘परिधि, मैं ने तुम्हारे लिए डिनर बना दिया है,’’ कहते हुए अपना बैग उठाते वह रोंआसा हो उठा.
‘‘बाय…’’ कहते हुए बैग उठा कर चलने लगा तो परिधि को लगा कि जैसे उस का सबकुछ लुटता जा रहा है. वह दौड़ती हुई आई और उस के गले में अपनी बांहें डाल कर उस के सीने से लिपट कर बोली, ‘‘मेरे अकाउंट में केवल 1 लाख रुपए हैं. मैं ट्रांसफर कर देती हूं. तुम मां के इलाज के लिए पैसे भेज दो. मैं आज अपने यहां हायरिंग के लिए तुम्हारे नाम को रिकमैंड कर दूंगी.’’
‘‘मेरा जाना जरूरी है परिधि… मैं तुम्हारा यह एहसान सारी जिंदगी नहीं भूल सकता,’’ कहते हुए उसे अपने आलिंगन में समेट कर उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए फिर बैग उठा कर डबडबाई आंखों से तेजी से बाहर चला गया.
परिधि ने निया को फोन मिलाया और काफी देर तक बात करती रही? लेकिन विभोर के जाने की बात नहीं बताई. उस की आंखों की नींद उड़ गई थी. एक ओर विभोर चला गया था तो दूसरी ओर उस ने भावुकता में आ कर अपनी बचत के सारे पैसे भी उसे दे दिए थे.
कुछ दिनों पहले जब पापा ने उस से पूछा था कि परिधि तुम्हारी शादी के लिए लड़का
देख रहे हैं तो उस ने बोल दिया था, ‘‘आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है, मेरे औफिस में एक लड़का मुझे पसंद है. मैं जल्द ही आप लोगों के पास उसे ले कर आऊंगी.’’
वह फोन मिलाती तो उस का फोन बंद आता. उस की आंखों की नींद उड़ी हुई थी. वह उस के गांवघर के बारे में कुछ नहीं जानती थी. न ही उस का औफिस में मन लगे न ही अपने फ्लैट में. वह रातदिन बिन पानी के मछली की तरह तड़प रही थी. बारबार फोन मिलाती, लेकिन उस का फोन बंद आता.
वह अपनी बेवकूफी पर कभी रोती तो कभी नाराज हो कर अपने पैर पटकती, ‘‘आने दो… इतना सुनाऊंगी कि वह भी याद करेगा कि उस का भी किस से पाला पड़ा है.’’
अब उस के चेहरे पर मुसकराहट छा गई थी. लेकिन तुरंत ही उस के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं.
वह हताशानिराशा के गर्त में डूब गई. ऐसा तो नहीं कि विभोर उसे धोखा दे कर कहीं चला गया है. फिर वह स्वत: कहती नहीं ऐसा नहीं हो सकता. वह उसे बहुत प्यार करता है… धोखा नहीं दे सकता…
पूरे 5 दिनों के बाद रात के 10 बजे उस का फोन आया, ‘‘परिधि, हम लोगों का सपना पूरा होने वाला है.’’
वह छूटते ही बोली, ‘‘पहले यह बताओ तुम्हारा फोन क्यों बंद आ रहा था? मैं बहुत नाराज हूं… मुझे कुछ नहीं सुनना.’’
‘‘मैं कान पकड़ कर माफी मांग रहा हूं. पहले खुशखबरी सुन लो फिर नाराजगी दिखा लेना.’’
‘‘ मां को कैंसर नहीं है. दूसरी खुशखबरी मेरी जौब आस्ट्रेलिया में फाइनल हो गई है अब हम दोनों साथसाथ आस्ट्रेलिया जाएंगे.’’
‘‘मैं कैसे जाऊंगी…’’
‘‘मैं कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं. मैं ने कोर्ट में शादी की एप्लिकेशन लगा रखी है. तुम मेरी पत्नी बन कर मेरे साथ चलोगी.’’
‘‘तुम कब आ रहे हो?’’
‘‘दरवाजा तो खोलो,’’ अंदर आते ही उसने परिधि को अपने आलिंगन में ले कर चुंबनों की बौछार कर दी और फिर दोनों एकदूसरे में समा गए. परिधि के सारे गिलेशिकवे बादल के टुकड़ों की तरह हवा के ?ांके में उड़ गए.
‘‘माई लव, तुम्हारे रुपयों ने मेरी इज्जत बचा ली नहीं तो पापा से मुझे बहुत गालियां मिलतीं…’’
‘‘अरे यार पैसा तो हाथ का मैल है.’’
‘‘आई एम सो लकी माई डियर,’’ कहते हुए अपने बैग से लाल रेशमी कपड़े में बंधे हुए एक जोड़ी कंगन निकाल कर उस की सूनी कलाइयों में पहना दिए, ‘‘ये कंगन चुपके से अम्मां ने अपनी बहू के लिए दिए हैं.’’
परिधि कंगन पहन कर भावुक हो उठी और फिर अपने प्रियतम के गले से लग गई.
‘‘परिधि, माई डियर, डोंट वरी मैं तुम्हारा पूरा पैसा चुका दूंगा.’’
परिधि ने उस के होंठों पर अपनी ऊंगली रख दी. फिर दोनों एकदूसरे में खो गए.
1-2 दिन ही बीते थे वह बोला, ‘‘अच्छी मुसीबत है, सब फ्रैंड्स पार्टी मांग रहे हैं.’’
‘‘सही तो कह रहे हैं… पार्टी तो बनती ही है… चलो तुम भी क्या कहोगे… मैं तुम्हारे लिए पार्टी स्पौंसर कर देती हूं.’’
जल्द ही पार्टी हुई. जम कर धमाल हुआ… पार्टी को यादगार बनाने के लिए परिधि ने जाने मानें सिंगर कृष्णन को बुलाया था. संगीत की धुन पर शोरशराबा, डांस और ड्रिंक की मस्ती में सब डूबे हुए थे. आधी रात तक प्रोग्राम चलता रहा.