KBC 15: अभिषेक बच्चन ने बिग बी से पूछा ये सवाल, अमिताभ बोले- ‘मुझे नहीं खेलना ये गेम’

‘कौन बनेगा करोड़पति 15’ के बीते एपिसोड में अभिषेक बच्चन, सयामी खेर और आर बाल्की मनोरंजन का तड़का लगाने के लिए शो में आई. अभिषेक अपनी फिल्म ‘घूमर’ को प्रमोट करने के लिए आए.

अभिषेक बच्चन हॉट सीट पर बैठकर अमिताभ बच्चन से उनके सवालों का जवाब देने के लिए कहते हैं. वहीं ‘घूमर’ फिल्म की टीम ने शो में 12 लाख 50 हजार जीते. शो में काफी मस्ती हुई अभिषेक ने अमिताभ के संग ‘सुपर फंदूक’ खेला.

अभिषेक ने बिग बी से पूछा, ये सवाल

अभिषेक का पहला सवाल था “पा में पा कौन था?” अमिताभ बच्चन ने  अभिषेक बच्चन जवाब दिया, लेकिन अभिषेक ने कहा, “गलत, आप मेरे पा हैं ना.” बिग बी कहते हैं, ‘यारहे गलत खेल रहा है…’ अभिषेक ने जवाब दिया, ‘मेरा गेम मेरे नियम’.

 

अभिषेक ने अमिताभ से कुछ सवाल पूछे, जहां जवाबों को उन्होंने घुमा दिया. अभिषेक ने पूछा- ‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे ___ लगते हैं’? इस पर अमिताभ जवाब में बाप कहते हैं तो जूनियर बी कहते हैं कि मैं तो आपका बेटा लगता हूं, तो ये गलत जवाब है. इसके बाद ‘दोस्ताना’ के एक किरदार पर अभिषेक सवाल पूछते हैं लेकिन जवाब में अपनी दोस्ताना रखते हैं. ऐसे में फिर अमिताभ का जवाब गलत हो जाता है. ऐसे करते हुए अमिताभ का हर सवाल गलत होता जाता है.

वह आगे एक मजेदार सवाल करते हैं, “आप मां से कितने लंबे हैं?” अमित जी ने हाथ का इशारा करते हुए कहा, ”इतना लंबा”. अभिषेक ने उनकी टांग खींचते हुए कहा, “क्या मुझे मां को यहां बुला लेना चाहिए?” बिग बी ने जवाब दिया, “नहीं नहीं, मेरे को नहीं खेलना ये खेल”.

अमिताभ के आंखों में आ गए थे आंसू

पिछले  सीजन में जब अभिषेक बच्चन और जया बच्चन कौन बनेगा करोड़पति के सेट पर आए थे, तो बिग बी की आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि वह शो के साथ अपनी जर्नी और अपने सबसे प्रसिद्ध अभिनय करियर को याद करके भावुक हो गए थे.

कासनी का फूल: भाग 5-अभिषेक चित्रा से बदला क्यों लेना चाहता था

रात काफी बीत चुकी थी. चित्रा सब कह कर बेसुध सी अपने जीवन की कड़वी यादों में डूबी थी. ईशान चाह रहा था कि चित्रा अब सो जाए. कुछ. सोचते हुए चित्रा का हाथ अपने हाथ में ले कर उस ने चित्रा की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा दीं और बोला, ‘‘फिक्र मत करो, हम सब सुलझ लेंगे बस तुम्हारी उंगलियां मेरी उंगलियों में यों ही उलझ रहनी चाहिए हमेशा.’’

‘‘उलझन में सुलझन,’’ चित्रा खिलखिला कर हंस पड़ी.

चित्रा की हंसी कमरे में चारों ओर बिखरी रही, उन दोनों के सो जाने के बाद भी.

सूरज की किरणें सुबह खिड़की के परदे से छन कर भीतर आईं तो नींद से जागे वे.

कुछ देर बाद साधुपुल के लिए निकल पड़े. आज चित्रा का एक नया ही रूप दिख रहा था. कल तक गुमसुम सी, कम बोलने वाली चित्रा आज चंचल हिरणी सी मदमस्त हो चिडि़या सी चहक रही थी.

‘‘आज गाने नहीं सुनोगे, ईशान?’’ रास्ते में चित्रा पूछ बैठी.

‘‘नहीं, आज मैं तुम्हें सुनूंगा, कितने दिनों बाद इतना बोलते देख रहा हूं तुम्हें,’’ ईशान हौले से मुसकरा दिया.

साधुपुल पहुंच कर छोटी सी धारा के रूप में बहती अश्विनी नदी के आसपास टहलते रहे दोनों. थक गए तो पानी में मेजकुरसियां लगे रैस्टोरैंट में खाना खा कर नदी किनारे आ बैठे. नदी की कल-कल ध्वनि को सुनते हुए पैर पानी में डाले हुए बैठना, पक्षियों की चहचहाहट को महसूस करना और छोटेछोटे लकड़ी के बने कच्चे पुलों पर एकदूसरे का हाथ थामे इस से उस पार आनाजाना, दुनिया को भूले बैठे थे आज वे.

शाम हुई तो नदी किनारे बने टैंटनुमा कमरे में रात बिताने चल दिए. रात को बैड पर ईशान से सट कर बैठी खिड़की से बाहर झांकती चित्रा को देख लग रहा था जैसे जीवन में पहली बार प्रकृति की खूबसूरती देख रही हो.

‘‘एक बात कहूं ईशान?’’ चित्रा कुछ देर बाद बोली.

‘‘यही न कि अब नींद सता रही है. सोना चाहती हो?’’ ईशान ने उस की नाक पकड़ कर खींचते हुए कहा.

‘‘नहीं ईशान, मैं तो कहना चाहती थी कि यहां कार वाला म्यूजिक होता तो मैं पता है कौन सा गाना सुनती.’’

‘‘कौन सा?’’

‘‘पुराना है, ‘भीगी रात’ फिल्म का, आज मैं सिर्फ वही गुनगुनाना

चित्रा की आंखों से आंसू बह निकले. अपने हाथों से आंसू पोंछते हुए ईशान बोला, ‘‘नहीं, दुखी नहीं होना है तुम्हें अब. अपने आने वाले बच्चे को खुश रखना है. कल से तुम रैस्टोरैंट काम पर नहीं आओगी, अब आराम करो.’’

‘‘ईशान डाक्टर ने मुझे ऐक्टिव रहने की सलाह दी है. मैं इतना करूंगी कि देर से आ जाया करूंगी और जल्दी वापस हो लिया करूंगी.’’

चित्रा को अगले दिन दोपहर हो गई रैस्टोरैंट पहुंचने में. अंदर दाखिल हुई तो ईशान किसी ग्राहक से बातों में मशगूल था.

चित्रा को देख ईशान चिहुंक उठा, ‘‘आज तो कम से कम आराम कर लेतीं चिकोरी. इतने दिनों से तुम ही तो संभाल रही थीं सब.’’

उस ग्राहक को देख चित्रा जड़वत रह गई. धीरे से ईशान के कान में बताया कि वह तो अभिषेक है.

‘‘तुम तो चित्रा हो न? यह चिकोरी कह कर क्यों बुला रहे हैं?’’ अभिषेक चित्रा को देख हैरान रह गया.

रैस्टोरैंट में कई लोग बैठे थे. सब के सामने अभिषेक न जाने क्या कह दे यह सोच कर ईशान बोला, ‘‘चलो कुछ देर अंदर बने कमरे में बैठते हैं.’’

तीनों रैस्टोरैंट की किचन के साथ बने छोटे से कमरे में चले गए. ईशान खुशनुमा माहौल तैयार करते हुए बोला, ‘‘मेरी पत्नी को कासनी के फूल बहुत पसंद हैं. कासनी का एक नाम चिकोरी है, इसलिए ही मैं इन्हें चिकोरी कहता हूं.’’

अभिषेक जलाभुना सा बोल उठा, ‘‘ओह, पतिपत्नी, भई लगता है आप दोनों में तो अच्छी जमती है. वैसे मैं ने भी कुछ बुरा तो किया नहीं था, रिश्ता तो चित्रा की वजह से टूटा था. अड़ गई थी छोटी सी बात पर.’’

फिर मुंह चित्रा की ओर घुमाता हुआ बोला, ‘‘माफ करना, तुम ने पता

नहीं इन को अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ बताया या नहीं, मैं कौन हूं आज जान जाएंगे तुम ने छिपाया होगा तो,’’ बात समाप्त करते ही अभिषेक विद्रूप हंसी हंस दिया.

ईशान का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा, ‘‘अभिषेक, चिकोरी ने कुछ नहीं छिपाया मु?ा से. हां एक बात और कि तुम पिछली जिंदगी की बात करते हुए अच्छे नहीं लगते. चित्रा के अड़ने की जिस बात को तुम छोटी सी कह रहे हो वह भी उस की पिछली जिंदगी, उस के बचपन से जुड़ी थी, लेकिन तुम्हें क्या? कभी सोचना जरूरी ही नहीं समझ होगा कि पत्नी के मन में क्या चल रहा है.’’

‘‘तुम्हारे पति से क्या बहस करूं? न जाने तुम्हारे बचपन की कौन सी बात के बारे में जिक्र कर रहे हैं जनाब. अजीब सनकी को चुना है तुम ने इस बार.’’

ईशान के विषय में अभिषेक के कहे शब्द चित्रा को तीर से चुभ गए. व्यंग्यात्मक हंसी हंसते हुए बोली, ‘‘तुम बिलकल नहीं बदले अभिषेक. तुम्हें जरूर सुन कर हैरानी होगी कि ईशान अभी मेरे पति नहीं हैं. कम से कम तुम्हारे जैसी सोच रखने वालों के अनुसार तो मैं अभी किसी की ब्याहता नहीं हूं, लेकिन पति होने का अर्थ यदि पत्नी को मानसम्मान देना, उस की इच्छाओं और विचारों की कद्र करना और उस का हमदर्द होना है तो हां मैं एक पत्नी हूं, मेरे होने वाले बच्चे के पिता ईशान हैं और हम कुछ दिनों बाद परिवारों की खुशी के लिए शादी भी करेंगे.

ऐसे साथी को तुम सनकी कहते हो? काश, तुम भी सनकी होते, अब तुम से ज्यादा बहस करूंगी तो मेरी तबीयत ही खराब होगी और उस से ईशान को तकलीफ होगी. इतना ही कहूंगी कि तुम भी जीवनसाथी ढूंढ़ लो, लेकिन प्लीज उसे एक जीताजागता इंसान समझना कठपुतली नहीं.’’

अभिषेक चुपचाप बाहर निकल गया. जातेजाते रैस्टोरैंट के बोर्ड पर निगाह चली ही गई, ‘कासनी फूड हट.’

‘‘कासनी मतलब चित्रा,’’ बुदबुदाता हुए हारे खिलाड़ी सा मुंह लिए वह लौट गया.

Raksha Bandhan: राखी के लिए फॉलो करें ये ब्यूटी स्किन केयर रुटीन, ग्लो करेगा चेहरा

रक्षा बंधन पर महिलाएं समेत पुरुष भी आउटफिट से लेकर शूज तक हर चीज हमारी लुक का विशेष ख्याल रखते है. आमतौर पर महिलाएं राखी के लिए ग्लोइंग स्किन के लिए ब्यूटी सैलून पर जा कर महंगे- महंगे स्किन ट्रीटमेंट करवाती है लेकिन वह त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते है. वैसे तो स्किन को एक दिन में ग्लोइंग नहीं बनाया जा सकता. ज्यादातर मामलों में लोग त्योहार या किसी खास मौके से एक दिन पहले ब्लीच, स्क्रबिंग या फेशियल करके ग्लोइंग स्किन पाने की कोशिश करते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक ग्लोइंग स्किन के लिए खास स्किन केयर रुटीन फॉलो करना चाहिए.

क्या आप भी राखी पर निखरी और ग्लोइंग स्किन चाहते है तो आज ही से शुरु कर दें ये ब्यूटी स्किन केयर रुटीन. जानें इन टिप्स के बारे में…

  1. डे स्किन केयर रुटीन

प्रतिदिन सुबह उठते ही फेश को वॉश करें. इसके लिए आपको बाजार में कई प्रोडक्ट्स मिल जाएंगे, लेकिन आप नेचुरल तरीके से भी स्किन की क्लीनजिंग कर सकते हैं. इसके लिए एलोवेरा जेल लें और उसे चेहरे व हाथों पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें. अब कॉटन में गुलाब जल डालें और आराम से इसे रिमूव करें. ऐसा आप रोजाना भी कर सकते हैं.

2. एक्सफोलिएशन

रक्षा बंधन से पहले आपको कम से कम दो बार तो स्किन की स्क्रबिंग भी करनी चाहिए. बाजार में आपको स्क्रब के कई प्रोडक्ट्स आसानी से मिल जाएंगे. लेकिन आप नेचुरल तरीके से भी स्किन को एक्सफोलिएट कर सकते हैं. एक कटोरी में दो से तीन चम्मच शहद लें और इसमें थोड़ी सी कॉफी को मिलाएं. ये एक नेचुरल स्क्रब बन जाएगी. अब स्किन को रब करें और फिर नॉर्मल वाटर से धो लें.

3. फेस मसाज

राखी के लिए सुंदर दिखने के लिए आपको मसाज करना जरुरी है. आपको हफ्ते मे कम से कम तीन बार मसाज करनी चाहिए. बाजार में आपको कई नेचुरल या हर्बल प्रोडक्ट्स मिल जाएंगे, जिनकी मदद से स्किन की डीप क्लींनिंग की जा सकती है.

4. नाइट रुटीन

स्किन केयर रुटीन के लिए दिन ही नहीं रात में सोने से पहले भी त्वचा की देखभाल करना बहुत जरूरी होता है. नाइट स्किन केयर रूटीन में पहले स्किन को क्लीन करें और फिर इस पर सीरम लगाएं.  इसके बाद स्किन को मॉइस्चराइजर से लॉक करना न भूलें. आप नेचुरली मॉइस्चराइज करना चाहते हैं, तो ऐसे में आपको वर्जिन कोकोनट ऑयल की मदद लेनी चाहिए.

मृगमरीचिका: भाग 1- आखिर अनिमेष को बंद लिफाफे में क्या मिला

‘‘अन्नू, प्लीज फ्रिज से सौस ले आओ. मैं पिज्जा ला रही हूं. बहुत बढि़या बना है. वाऊ. टौपिंग क्या शानदार गोल्डन ब्राउन बेक हुई है. मेरे तो मुंह में पानी आ रहा है,’’ ओटीजी से बेक किया हुआ पिज्जा निकाल कर लाते हुए मणिका मुदित मन पति से बोली.

तभी अनिमेष का मोबाइल बजा.

‘‘अन्नू, किस का फोन है?’’

‘‘मणिका, तुम जब तक पिज्जा टेबल पर लगाओ, मैं अभी आया.’’

‘‘अरे बताओ तो सही, किस का फोन है यह रात के एक बजे? कहां जा रहे हो भई? भूख लग रही है. कभीकभी तो दोनों एकसाथ खाते हैं, आधी रात को भी लोगों को चैन नहीं है. जरूर उस मुंह झंसी अमोला का फोन होगा. नहीं, तुम अभी कहीं नहीं जाओगे… आज का ऐनिवर्सरी डिनर हम साथ करेंगे.’’

‘‘अनिमेष बस अभी आया,’’ कह घर से निकल गया.

क्रोध से चालू ओटीजी बंद कर मणिका अपने बिस्तर पर जा कर पड़ गई. दिल में भीषण दावानल सुलग रहा था.

‘‘अन्नू को मेरी परवाह ही नहीं है. यह नहीं सोचा कि आज के स्पैशल दिन तो लगीलगाई टेबल छोड़ कर न जाए. जरूर वह चुड़ैल अमोला ही होगी,’’ शक का बिरवा वटवृक्ष बन बैठा और फिर गुस्से से थरथर कांपते हुए उस ने अमोला को फोन मिलाया, ‘‘अमोला, तुम कहां हो? अनिमेष तुम्हारे साथ है?’’

‘‘हां मणिका, अनिमेष ड्राइविंग कर रहा है. आज औफिस में देर तक रुकना पड़ा. सो मैं ने सोचा उसे ही बुला लूं.’’

‘‘तुम किराए की गाड़ी से नहीं जा सकती थी जो इतनी देर रात अनिमेष को बुलाया? हद है. जरा सोचा करो भई, उस की एक अदद बीवी भी है, जिसे उस का साथ चाहिए. यों रातबिरात मत बुलाया करो उसे, हां. खुद ड्राइव कर के क्यों नहीं आई?’’ मणिका ने क्रोध में फुफकारते हुए कहा.

‘‘अरे बाबा, मेरा औफिस बदल गया है. अब नया औफिस अपने शहर शिकागो के बाहरी इलाके में शिफ्ट हो गया है. यह एरिया मेरा देखा नहीं है. रात को एकदम सुनसान रहता है. सो इतनी रात को वहां से किराए की गाड़ी से या खुद ड्राइव कर आने की हिम्मत नहीं हुई. मेरे मोबाइल का गूगल ऐप भी एक वीक से काम नहीं कर रहा. सो अनिमेष को बुला लिया. फिक्र न करो. तुम्हारे पति को सहीसलामत भेजती हूं, बस आधे घंटे में. क्या हुआ मणिका, बहुत अपसैट लग रही हो? अनिमेष से झगड़ा हुआ क्या?’’

‘‘अभी तक तो नहीं हुआ, हां अब उसे आने दो. अब होगा असली झगड़ा तो,’’ इसी के साथ मणिका ने गुस्से से फोन को बैड पर उछाल दिया. वह बैड पर पड़ आंखें बंद कर सोने की कोशिश करने लगी, लेकिन नींद आज उस की आंखों की राह भूल बैठी थी. मन अतीत में विचरने लगा…

अमोला शिकागो में उन के अपार्टमैंट में करीब सालभर पहले किसी और शहर से आई थी. उस ने मणिका को बताया कि उस के पति की 2-3 वर्ष पहले एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. बेहद व्यवहारकुशल महिला थी. कुछ ही दिनों में अपने मधुर स्वभाव से उस ने मणिका का दिल जीत लिया था. इधर कुछ महीनों से उस के घर उस का उठनाबैठना बहुत बढ़ गया था. उस के अकेले रहने की वजह से मणिका के मन में उस के प्रति गहरी सहानुभूति थी.

मणिका गाहेबगाहे अनिमेष को उस की घरबाहर की जिम्मेदारियों में हाथ बंटाने अकेले उस के घर भेज देती. हर छुट्टी के दिन कुछ पकवान बनाने पर उसे अपने घर बुला लेती और बड़े प्यारमनुहार से खिलाती. उसे लेशमात्र भी अंदेशा नहीं था पर हर चमकती चीज सोना नहीं होती.

भोली सरल, सहज, निश्छल मन की मणिका को सपने में भी अंदाजा नहीं था कि अमोला के चरित्र में ठहराव नहीं था. एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मणिका का अमोला से पूरी तरह से भरोसा उठ गया. वह दिन आज तक उसे भुलाए नहीं भूलता.

शाम के 7 बजे जब वह घर लौट अपनी चाबी से घर का ताला खोल घर में घुसी, उस ने देखा कि अमोला अनिमेष के कंधे से लगी आंसू बहा रही थी और अनिमेष उस की बांहों को सहला रहा था.

अमोला और पति को अपनी अनुपस्थिति में यों देख मणिका के पांवों तले से जमीन खिसक गई. उस दिन के बाद से अमोला के प्रति उस का मन साफ न रहा. उस ने उसे लाख सफाई दी कि वह अनिमेष को अपना भाई जैसा मानती है, उन दोनों के बीच कोई गलत भाव नहीं है, लेकिन कहते हैं न, भरोसे का शीशा एक बार दरक जाए तो फिर नहीं जुड़ता.

अमोला के प्रति उस के मन में दरार आ गई, जो समय के साथ गहरी होती जा रही थी. उस की लाख सफाइयां भी उस के मन का मैल न हटा सकीं.

वह इस मुद्दे पर पति के साथ भी बहुत उलझ, लेकिन उस ने उसे मात्र उसका ओवर इमैजिनेशन करार देते हुए उस बात को खारिज कर दिया. तभी ट्रेन की सीटी की आवाज से वह वर्तमान में लौट आई. उस ने अपने मोबाइल पर नजर डाली, ढाई बज गए थे.

आंखों के सामने से रोतीसिसकती अनिमेष के कंधे से लगी अमोला की तसवीर बारबार आ रही थी, जिस से उस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. आननफानन में वह बैड से उठी, अपना पर्स उठाया और अपनी गाड़ी स्टार्ट कर उसे अपने मायके की ओर मोड़ दिया.

‘‘मणिका तू इतनी रात को? क्या हुआ भई? आज तो तेरी ऐनिवर्सरी है. अनिमेष कहां है? वह ठीक तो है?’’

‘‘यस मम्मा, उसे क्या होना है. आज ऐनिवर्सरी के दिन बनेबनाए पिज्जे को छोड़ कर उस अमोला की एक कौल पर उसे घर ड्रौप करने गया है. मैं ने आज कितने मन से उस की पसंद का औलिव और मशरूम टौपिंग का पिज्जा बनाया था. लेकिन उसे तो मेरी, मेरी फीलिंग्स की परवाह ही नहीं है. मैं ने फैसला कर लिया है मां, अब उस के साथ मेरा गुजारा नहीं है. मैं उसे छोड़ रही हूं.’’

‘‘अरे पागल हुई है क्या? यों जराजरा सी बात पर शादी तोड़ी जाती है, शादी न हुई चाइनी सामान हो गया. जा, तू अभी बहुत गुस्से में है. अभी जा कर सो जा. सुबह बात करेंगे.’’

‘‘मां, जब उस अनिमेष के लिए मेरी कोई अहमियत नहीं है तो ऐसे इंसान के साथ जिंदगी गुजारने का क्या फायदा. नहींनहीं या तो अनिमेष उस अमोला के साथ पूरी तरह से अपनी दोस्ती खत्म करे या फिर मुझे छोड़ दे. उसे हम दोनों में से एक को चुनना ही होगा. वह उस के साथ औफिस के बाद घूमता फिरता है. उस के साथ हर समय व्हाट्सऐप पर टच में रहता है. उन दोनों के बीच गलत वे में मैसेजिंग चलती है. वह उसे अमूमन रोज फोन करती है. उस का फोन आते ही वह सबकुछ छोड़ उस के पास भागा जाता है. आज तो हद ही हो गई. उस की एक कौल पर वह लगीलगाई टेबल छोड़ उस के पास चला गया. अब मैं और बरदाश्त नहीं कर सकती.’’

‘‘अरे, यह तुम दोनों के बीच अमोला कहां से आ गई?’’ तभी मणिका के पापा भी घर में शोरगुल सुन कर वहां आ गए.

मणिका ने रोतेरोते दोनों को अनिमेष के साथ अमोला की बढ़ती नजदीकियों के बारे में बताया.

‘‘अणिमा, मैं ने तुम से कहा था, अनिमेष मुझे शुरू से सही नहीं लगा. उस की शख्सियत में कतई कोई गहराई नहीं है. फ्लर्ट है नंबर एक का. हर समय मजनूं बना फिरता है. अरे जब मणिका को अमोला के साथ उस की करीबी नहीं पसंद तो वह उस से दूरी क्यों नहीं बनाता. उस के लिए अपनी बीवी इंपौर्टैंट है या अमोला. हद है इम्मैच्योरिटी की.

‘‘अरे मुझे तो वह हमेशा से लपाडि़या लगता था. वह तो मणिका ने उस के लिए हां कर दी. फिर तुम ने भी मुझ से उस की वकालत की, तो मैं उस के लिए मान गया नहीं तो मुझे तो वह शुरू से ही कतई पसंद नहीं था.’’

‘‘जी, मुझे तो वह काफी हंसमुख लगा था. मुझे लगा था, आप की तरह उस की यह सोच नहीं है कि बोलने में भी टैक्स लगता है. सो अपने बातूनी, मजाकिया स्वभाव से अपनी मणिका को खुश रखेगा, मैं ने इसीलिए उस के लिए हां की. फिर मणिका को तो वह पसंद था ही. आप के चुप्पे स्वभाव से मैं ने कितना दुख पाया है, आप को उस का अंदाज भी नहीं है.’’

‘‘अच्छा, तो तुम्हें मेरे कम बोलने पर भी आपत्ति है? मैं कुछ बोलता नहीं हूं, तभी आज हर चीज में मनमानी करती हो. ऐश की जिंदगी जी रही हो मेरी वजह से. अगर में पसंद नहीं हूं तो ढूंढ़ लो न कोई दूसरा, जो खूब बोले. अभी भी देर तो नहीं हुई.चली जाओ न अपने उस जिम के साथ, जिस के संग तुम हमेशा हंसहंस कर नौनस्टौप बातें करती हो.’’

‘‘अच्छा जी, अब तुम्हें मेरे किसी और से बातें करने पर भी ऐतराज है. तुम कहो तो मुंह पर पट्टी बांध 7 तालों में कैद हो जाऊं.’’

आप के झगड़े शुरू हो जाते हैं. कहीं चैन नहीं है,’’ कहते हुए मणिका फूले मुंह पांव पटकते हुए अपने कमरे में चली गई.

नवजात के पहले स्नान से पहले जानें कुछ जरुरी बातें

नवजात शिशु को पहली बार नहलाना पेरेंट्स के लिए एक मुश्किल काम होता है, क्योंकि इस समय न्यू पेरेंट्स नवजात की देखभाल बहुत सावधानी से करती है, जिसमे वे कई बार अपनी माँ, सास या किसी बड़े का सहारा लेते है, लेकिन कई बार अकेले रहने पर उन्हें खुद ही सबकुछ करना पड़ता है. हालाँकि, डॉक्टर की सलाह के साथ नवजात शिशु को स्नान कराने पर समस्या नहीं होती साथ ही माता – पिता का बच्चे के साथ बोन्डिंग अच्छी हो जाती है, इसलिए डॉक्टर्स भी पेरेंट्स को इसे सीखने की सलाह देते है.

इस बारें में क्लाउडनाइन इंडिया एंड हेल्थकेयर डिलीवरी के कसल्टेंट, निओनाटोलॉजिस्ट डॉ आर किशोर कुमार कहते है कि शिशु की त्वचा तेजी से नमी खोती है, जिससे उसमें रूखापन और जलन पैदा होने का खतरा रहता है. असल में नवजात की त्वचा वयस्क की तुलना में तीन गुना अधिक पतली होने के साथ – साथ अपरिपक्व होती भी है. इससे त्वचा दोगुनी तेज़ी से नमी खो देती है. शिशु का pH भी बढ़ता है, जिससे उसमें सूखापन, जलन, चकत्ते, सूजन और डर्मेटाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है.

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) ने नवजात शिशुओं और बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण त्वचा देखभाल सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत दिशानिर्देश लागू किए हैं, जो निम्न है,

  • नवजात को पहला स्नान जन्म के 6 से 24 घंटों के बाद कराना चाहिए.
  • पहले, अस्पतालों में जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशुओं को नहलाना एक आम बात थी, लेकिन अब इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का सुझाव है कि जन्म के बाद एक बार जब बच्चा स्थिर हो जाए, जो आमतौर पर जन्म के 6 से 24 घंटों के बीच होता है, तब उसे नहलाया जा सकता है.

नहलाने के लिए प्रोडक्ट कैसे हो, उसकी जानकारी भी आवश्यक है.  

  • शिशु के लिए बेबी सेफ क्लींज़र चुने, जो लार्ज मिसेल्स वाला हो, ताकि यह बच्चे की त्वचा के भीतर न जा सके.
  • आजकल बाज़ार में शिशुओं के लिए उत्पादों की भरमार हैं. सही उत्पाद चुनना माता-पिता के लिए काफी कठिन होता है. ऐसे में उन उत्पादों को चुने, जो डोक्टर्स के द्वारा टेस्टेड, रिकमेंडेड हो और शिशुओं की त्वचा के लिए सुरक्षित हो. ये उत्पाद शिशु को क्लीन करने के अलावा त्वचा के लिए जेंटल भी होना जरुरी है, ताकि ये त्वचा के अंदर तक प्रवेश न कर सकें.
  • वयस्कों के क्लीन्ज़र की तुलना में बच्चों के क्लीन्ज़र के मोलिक्यूल्स बड़े अकार में होने चाहिए, जो नवजात के लिए सुरक्षित होते है और किसी प्रकार की रैशेज, आँखों में जलन या स्किन में जलन का खतरा नहीं रहता.
  • क्लीनर में ग्लिसरीन या नारियल तेल जैसे प्राकृतिक तत्व होने चाहिए जो शिशु की त्वचा को मॉइस्चराइज़ करें और उसमें माइक्रोबायोम को बनाए रखने में मदद करें. ध्यान रखें कि क्लींज़र स्किन की सतह के एसिड मेंटल अर्थात पसीने में सीबम मिश्रण से बने पसीने की एक परत, जिसे एसिड मेंटल कहा जाता है उसे प्रभावित न करें, नैचरल  मॉइस्चराइजिंग फैक्टर (NMF) को न हटाएं. हाइपोएलर्जेनिक और pH-संतुलित ऑल-पर्पज़ क्लीन्ज़र चुनें. इस तरह के जेंटल लिक्विड क्लींजर आमतौर पर त्वचा को आसानी से साफ कर देते हैं.
  • जन्म के बाद पहले दिन शिशु को कम से कम समय में नहलाएं और स्नान कराने के पानी का तापमान अवश्य जांच लें.
  • पहले स्नान के दौरान गर्भनाल को गुनगुने पानी से साफ करके सूखा और साफ रखना चाहिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि संक्रमण को रोकने के लिए कॉड स्टंप पर कुछ भी नहीं लगाना चाहिए.
  • शिशु को हमेशा गर्म कमरे में ही नहलाना चाहिए, स्नान की अवधि 5 से 10 मिनट से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. सर्दियों के दौरान शिशु को सप्ताह में दो या तीन बार ही नहलाएं.
  • स्पंज स्नान की तुलना में टब स्नान ज़्यादा सुरक्षित और आरामदायक विकल्प है क्योंकि इससे नवजात के शरीर को ठंडक मिलती है. बबल बाथ और बाथ एडिटिव्स का इस्तेमाल न करें क्योंकि ये त्वचा का pH बढ़ा सकते हैं और बच्चे को इरीटेशन हो सकता हैं.
  • पहले दिन की स्नान में बालों की देखभाल भी जरुरी होता है. गर्भनाल गिरने पर बच्चे के बाल धोने चाहिए. साबुन से बच्चे की आंखों में जलन न हो, इसके लिए बालों को धीरे-धीरे हाथ से धोना चाहिए. केशों को सप्ताह में दो बार से अधिक न धोएं.
  • शिशु की त्वचा लगातार नमी खोती रहती है, इस दौरान भले ही वह रूखी न दिखे, लेकिन उसमें रूखापन आने का खतरा रहता है, इसलिए बच्चे के स्किन पर मॉइस्चराइज़र लगाना ज़रूरी है. बच्चे को नहलाने के बाद, उसे धीरे से थपथपाकर सुखाएं और मॉइस्चराइज़र लगाएं. इसे आमतौर पर ‘सोक एंड सील’ मेथड कहा जाता है. इसमें क्लिनिकली टेस्टेड और नवजात शिशु के लिए बनाया गया मॉइस्चराइज़र चुनें ताकि शिशु की त्वचा को दिन भर सुरक्षा मिलती रहें. नारियल तेल जैसी सामग्री से बना सौम्य बेबी लोशन शिशु के पूरे शरीर पर लगाया जा सकता है. चेहरे पर डर्मटोलॉजिस्ट्स द्वारा टेस्टेड क्रीम लगाएं, क्योंकि इसकी कंसिस्टेंसी गाढ़ी होती है और यह शिशु की नाजुक त्वचा को धीरे से पोषण देती है और नमी को त्वचा में ही सील करके त्वचा को हाइड्रेटेड रखती है.

इन आसान टिप्स के जरिये न्यू पेरेंट्स, नवजात को फर्स्ट बाथ देने के साथ -साथ उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं. उन्हें सुरक्षित तरीके से नहला सकते हैं और  उनकी इस प्रक्रिया को अपने लिए और शिशु के लिए भी एक खास अनुभव बना सकते हैं.

मेरे जीजा जी बड़े भाई की तरह मुझ से स्नेह करते हैं पर मेरे पति उन्हें पसंद नहीं करते, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी शादी को 1 साल हुआ है. यों तो पति और ससुराल वाले सब अच्छे हैं, पर पति को मेरा मायके जाना पसंद नहीं है. दरअसल, हमारा कोई भाई नहीं है. इसीलिए मेरी बड़ी बहन सपरिवार मम्मी पापा के पास रहती है. बहन मुझ से 10 साल बड़ी है. मेरे जीजा जी बिलकुल बड़े भाई की तरह मुझ से स्नेह करते हैं पर मेरे पति उन्हें पसंद नहीं करते. मुंह से कुछ नहीं कहते पर उन का चेहरा सब बयां कर जाता है. पति को कैसे समझाऊं?

जवाब

आप की शादी को थोड़ा ही वक्त बीता है, अभी आप को अपने पति को समय देना चाहिए. यदि आप के पति नहीं चाहते कि आप मायके ज्यादा जाएं या अपने बहनोई से खुल कर बात करें. तो आप उन्हें शिकायत का मौका न दें. हो सकता है कि समय के साथ उन का व्यवहार बदल जाए और उन्हें रिश्तों की अहमियत समझ आने लगे.

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सबक : साली ने जीजा को चखाया मजा

कल्पना से मेरी शादी 2 साल पहले हुई थी. उस की छोटी बहन शालिनी उस समय 16 साल की थी. वह कल्पना से ज्यादा खूबसूरत थी, चंचल भी बहुत थी.

कल्पना से शादी तय होने से पहले मैं अगर उसे देख लेता, तो उसी से शादी करता.

मैं ने कल्पना से शादी तो कर ली थी, मगर शालिनी को पाने की इच्छा मन में रह गई थी.

वैसे भी कहावत है कि साली आधी घरवाली होती है. मेरे 2 दोस्तों ने इस की पुष्टि भी की थी. उन्होंने मुझे बताया था कि उन के भी अपनी सालियों से नाजायज रिश्ते हैं.

मैं ने तय कर लिया था कि कोशिश करूंगा, तो मैं भी शालिनी को पा लूंगा.

शालिनी ने शादी के दिन मेरी खातिरदारी में कोई कमी नहीं की थी. मेरे साथ वह बराबर बनी रहती थी. वह कभी हंसीमजाक करती थी, तो कभी छेड़छाड़.

शालिनी ने बातोंबातों में यह भी कह दिया था, ‘‘आप इतने हैंडसम हैं कि मैं आप पर फिदा हो गई हूं. अगर मैं आप को पहले देख लेती, तो झटपट आप से शादी कर लेती. दीदी को पता भी नहीं चलने देती.’’

मैं ने भी झट से कह दिया था, ‘‘चाहो तो अब भी तुम मुझे अपना बना सकती हो. तुम्हारी दीदी को पता भी नहीं चलेगा.’’

उस ने भी मुसकराते हुए कह दिया था, ‘‘ऐसी बात है, तो किसी दिन आप को अपना बना लूंगी.’’

पता नहीं, शालिनी ने मजाक में यह बात कही थी या दिल से, मगर मैं ने उस की यह बात दिल में बैठा ली थी.

एक पत्नी से जो सुख मिलने चाहिए, वे तमाम सुख कल्पना से मुझे मिले. वह मेरी छोटीछोटी जरूरतों का भी खयाल रखती थी. इस के बावजूद मैं शालिनी को पाने की तमन्ना जेहन से निकाल नहीं पाया.

एक बार फोन पर मैं ने कहा था कि किसी बहाने से तुम से मिलने मुंबई आ जाऊं? तो उस ने जवाब दिया था, ‘‘आ जाते तो अच्छा होता, मेरे दिल को करार मिल जाता.

‘‘मगर, ऐसे में मामामामी को शक भी हो सकता है, इसलिए थोड़ा इंतजार कीजिए. मौका देख कर मैं खुद ही कोलकाता आ जाऊंगी?’’

उस के बाद मैं ने कभी मुंबई जाने का विचार नहीं किया. दरअसल, मैं नहीं चाहता था कि मेरे चलते शालिनी की बदनामी हो.

इसी तरह 2 साल बीत गए. एक दिन अचानक शालिनी ने फोन पर कहा, ‘जीजाजी, अब आप के बिना रहा नहीं जाता. हफ्तेभर बाद मैं आप के पास आ रही हूं.’

मैं खुशी से खिल उठा. शालिनी 12वीं पास कर कालेज में चली गई थी. वह गरमी की छुट्टियों में कोलकाता आ रही थी.

एक हफ्ते बाद शालिनी आई. उसे रिसीव करने मैं अकेले ही रेलवे स्टेशन पहुंच गया था. वह पहले से ज्यादा गदरा गई थी. उस की खूबसूरती देख कर मेरे मुंह से लार टपक गई. मुझ से रहा नहीं गया, तो उस से कह दिया, ‘‘तुम तो पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई हो. तुम्हें चूम लेने का मन करता है.’’

‘‘रास्ते पर ही चूमेंगे क्या…? पहले घर तो पहुंचिए,’’ कह कर शालिनी ने मुसकान बिखेर दी.

घर पहुंचने के बाद उस से अकेले में मिलने का मौका नहीं मिला. वह अपनी बहन के साथ चिपक सी गई थी.

उस रात मुझे ठीक से नींद नहीं आई. रातभर यही सोचता रहा कि जब शालिनी के साथ हमबिस्तरी करूंगा, तो वह कितना सुखद पल होगा.

रातभर जगे रहने के चलते मेरी आंखें लाल हो गई थीं. सुबह बाथरूम से बाहर आया, तो शालिनी से सामना हो गया.

मेरी तरफ देखते हुए उस ने कहा, ‘‘क्या बात है जीजाजी, आप की आंखें लाल हैं. क्या रात में नींद नहीं आई?’’

‘‘नहीं?’’

‘‘क्यों?’’

‘‘रातभर तुम्हारी याद आती रही?’’

‘‘मेरी क्यों? दीदी तो आप के साथ थीं. आप मुझ से जो चाहते हैं, वह दीदी भी तो दे ही सकती हैं. फिर मेरे लिए क्यों परेशान हैं?’’

‘‘देखो शालिनी, फालतू की बात मत करो. तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं तुम्हें पाना चाहता हूं. जब तक तुम्हें पा नहीं लूंगा, मुझे चैन नहीं मिलेगा.’’

मैं ने शालिनी को बांहों में लेना चाहा, तो वह बिजली सी तेजी के साथ बाथरूम में चली गई और झट से भीतर से दरवाजा बंद कर लिया.

फिर अंदर से वह बोली, ‘‘मुझे पाने के लिए सही मौका आने दीजिए जीजाजी. मैं खुद अपनेआप को आप के हवाले कर दूंगी.’’

2 दिन बाद कल्पना की तबीयत कुछ खराब थी, तो उस ने खाना बनाने के लिए शालिनी को रसोई में भेज दिया.

मौका ठीक देख कर मैं रसोई में गया. शालिनी खाना बनाने में बिजी थी. उस की पीठ दरवाजे की तरफ थी. पीछे से एकबारगी मैं ने उसे बांहों में भर लिया.

पहले तो वह घबराई, मगर मुझे देखते ही सबकुछ समझ गई. वह जोर लगा कर मेरी बांहों से अलग हो गई, फिर बोली, ‘‘अगर दीदी ने देख लिया होता, तो मेरा जीना मुश्किल कर देतीं. कहीं ऐसा किया जाता है क्या?

‘‘मुझे पाने  के लिए जिस तरह आप बेकरार हैं, मैं भी आप को पाने के लिए उसी तरह बेकरार हूं. मगर उस के लिए सही मौका चाहिए न.’’

कुछ सोचते हुए शालिनी ने कहा, ‘‘आप ऐसा कीजिए कि रात में जब दीदी गहरी नींद में सो जाएं, तो मेरे कमरे में आ जाइए.

‘‘दीदी जल्दी से गहरी नींद में सो जाएं, इसलिए उन के दूध में नींद की दवा मिला दूंगी. आप जा कर कैमिस्ट से नींद की दवा ले आइए.’’

शालिनी की बात मुझे जंच गई.

कुछ देर बाद नींद की दवा ला कर मैं ने उसे दे दी.

नींद की दवा ले कर शालिनी पहले मुसकराई, फिर बोली, ‘‘आप सो मत जाइएगा, नहीं तो रातभर जल बिन मछली की तरह मैं तड़पती रह जाऊंगी.’’

‘‘कैसी बात करती हो. तुम्हें पाने के लिए मैं खुद तड़प रहा हूं, फिर सो कैसे जाऊंगा. तुम दरवाजा खोल कर रखना. मैं हर हाल में आऊंगा.’’

रात का भोजन करने के बाद मैं अपने कमरे में जा कर बिस्तर पर लेट गया.

कल्पना 10 बजे के बाद बिस्तर पर आई और बोली, ‘‘आज मुझे तंग मत कीजिएगा. न जाने क्यों नींद से मेरी आंखें बंद होती जा रही हैं.’’

मैं समझ गया कि शालिनी ने नींद की दवा वाला दूध उसे पिला दिया है.

कुछ देर बाद ही कल्पना गहरी नींद में सो गई.

थोड़ी देर बाद बिस्तर से उठ कर मैं यह जानने के लिए मां के कमरे में गया कि वे भी सो गई हैं या जगी हुई हैं?

मां भी गहरी नींद में थीं.

जब मैं शालिनी के कमरे में गया, उस समय रात के 11 बज गए थे.

शालिनी मेरा इंतजार कर रही थी. वह फुसफुसाई, ‘‘आप ने अच्छी तरह देख लिया है न कि दीदी गहरी नींद में सो गई हैं?’’

‘‘मैं ने उसे हिलाडुला कर देखा है. वह गहरी नींद में है.’’

अचानक मुझे कुछ खयाल आया और मैं ने शालिनी से कहा, ‘‘आज हम दोनों के बीच जो कुछ भी होगा, वह तुम भूल से भी दीदी को मत बताना.’’

‘‘अगर बता दूंगी तो क्या होगा?’’ पूछ कर शालिनी मुसकरा उठी.

‘‘तुम बेवकूफ हो क्या? हमबिस्तरी की बात किसी को नहीं बताई जाती. अगर तुम्हारी दीदी को पता चला गया, तो तुम्हारी तो बेइज्जती होगी ही, मुझे भी नहीं छोड़ेगी.

वह पूरे महल्ले में मुझे बदनाम कर देगी. मैं सिर उठा कर चल नहीं पाऊंगा,’’ मैं ने उसे समझाने की कोशिश की.

‘‘ऐसी बात है तो मुझ से हमबिस्तरी क्यों करना चाहते हैं? पत्नी के वफादार बन कर रहिए,’’ उस ने मुझे सीख देने की कोशिश की.

उस की बात से मैं चिढ़ गया और कहा, ‘‘तुम तो नाहक में बात बढ़ा रही हो. मैं तुम्हें हर हाल में पाना चाहता हूं और आज पा कर रहूंगा. वैसे भी तुम मेरी साली हो और साली पर जीजा का हक होता ही है.’’

‘‘तुम दीदी या किसी और को बताओगी तो बता देना. तुम्हें पाने के लिए मैं बदनामी सह लूंगा.’’

‘‘मैं ने तो ऐसे ही कहा था. आप नाराज क्यों हो गए? मैं जानती हूं कि ऐसी बातें किसी को नहीं बताई जाती हैं. मैं तो खुद आप को पाना चाहती हूं, फिर किसी को क्यों बताऊंगी.’’

मैं समय बरबाद नहीं करना चाहता. दरवाजा बंद करने लगा, तो शालिनी ने रोक दिया. कहा, ‘‘दरवाजा बंद करने से पहले मेरी एक बात सुन लीजिए.’’

‘‘बोलो?’’

‘‘बात यह है कि मैं पहली बार आप से संबंध बनाऊंगी, इसलिए मुझे शर्म आएगी.

‘‘मैं चाहती हूं कि हमबिस्तरी के समय कमरे में अंधेरा हो और हम दोनों में से कोई किसी से बात न करे. जो कुछ भी हो चुपचाप हो.’’

शालिनी का बेलिबास शरीर देखने की बहुत इच्छा थी. मुझे उस की इच्छा का भी ध्यान रखना था, इसलिए उस की बात मैं ने मान ली.

वह खुश हो कर बोली, ‘‘अब आप पलंग पर जा कर बैठिए. मैं बाथरूम हो कर तुरंत आती हूं.’’

लाइट बंद कर और दरवाजा बंद कर शालिनी चली गई. मैं उस के लौटने का इंतजार करने लगा.

कुछ देर बाद ही शालिनी आ गई. दरवाजा अंदर से बंद कर वह पलंग पर आई, तो मेरा दिल खुशी से बल्लियों उछलने लगा.

मेरा 2 साल का सपना पूरा होने जा रहा था. उसे बांहों में भर कर मैं ने खूब चूमा. उस के बाद…

घुप अंधेरा होने के चलते भले ही उस का शरीर नहीं देख पाया, मगर उसे भोगने का मौका तो मिला था.

मैं ने पूरे जोश के साथ उस के साथ हमबिस्तरी की. मंजिल पर पहुंचते ही मुंह से निकल गया, ‘‘मजा आ गया शालिनी.’’

शालिनी कुछ बोली नहीं.

कुछ देर बाद बिस्तर से उठ कर उस ने अपने कपड़े ठीक कर लिए.

मैं ने भी अपने कपड़े दुरुस्त कर लिए, तो उस ने लाइट जला दी.

फिर तो मेरी बोलती बंद हो गई. आंखों के आगे अंधेरा छा गया.

शालिनी समझ कर अंधेरे में जिस के साथ मैं ने हमबिस्तरी की थी, वह शालिनी नहीं, बल्कि पत्नी कल्पना थी. वह मुसकरा रही थी.

उस की मुसकान देख कर मैं शर्म से पानीपानी हो गया.

मैं कुछ कहता, उस से पहले कल्पना बोली, ‘‘आप तो मुझे प्यार करने का दावा करते थे. कहते थे कि किसी पराई औरत से नाजायज संबंध बनाने से बेहतर मर जाना पसंद करूंगा, फिर यह क्या था?’’

मैं चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रहा था. सिर उठा कर मैं उसे देख भी नहीं पा रहा था.

अचानक दरवाजे पर किसी ने हौले से दस्तक दी. कल्पना ने दरवाजा खोल दिया.

दरवाजे पर शालिनी थी. वह झट से अंदर आ गई. फिर मुसकराते हुए मुझ से बोली, ‘‘क्यों जीजाजी, मजा आया?’’

मेरे कुछ कहने से पहले कल्पना बोली, ‘‘तुम्हारे जीजाजी को बहुत मजा आया शालिनी.’’

‘‘सच जीजाजी?’’

मैं कुछ बोल नहीं पाया. मगर यह समझ गया कि सब शालिनी और कल्पना की मिलीभगत है.

मेरे नजदीक आ कर शालिनी बोली, ‘‘आप तो साली को आधी घरवाली समझते थे, फिर आप ने शर्म से सिर क्यों झुका लिया?’’

फिर वह मुझे समझाते हुए बोली, ‘‘देखिए जीजाजी, साली को आधी घरवाली समझ कर उस के साथ नाजायज संबंध बनाने की सोच छोड़ दीजिए.

‘‘पत्नी को इतना प्यार कीजिए कि उसी में आप को हर दिन एक नया शरीर मिलने का एहसास होगा, जैसा कि आज आप ने महसूस किया.’’

कुछ देर चुप रह कर शालिनी ने कहा, ‘‘मैं ने दीदी के साथ मिल कर आप को जो सबक सिखाया, उस के लिए माफ कर दीजिएगा.

‘‘दरअसल बात यह थी कि जब मुझे एहसास हो गया कि आप मेरा जिस्म पाना चाहते हैं, तो एक दिन मैं ने आप का इरादा दीदी को बताया.

‘‘दीदी को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ. उन्हें आप पर पूरा यकीन था. उन्होंने मुझ से कहा कि आप मर जाएंगे, मगर किसी पराई औरत से संबंध नहीं बनाएंगे.

‘‘उस के बाद मैं ने दीदी को सुबूत देने का फैसला कर लिया. यह बात साबित करने के लिए ही मुझे मुंबई से कोलकाता आना पड़ा.’’

मैं सबकुछ समझ गया था. गलती के लिए पत्नी और साली से माफी मांगनी पड़ी. पत्नी का मैं ने विश्वास तोड़ा था, इसलिए वह मुझे माफ नहीं करना चाहती थी, मगर शालिनी के समझाने पर माफ कर दिया.

मुझे माफी मिल गई, तो शालिनी से पूछा, ‘‘मैं यह नहीं समझ पाया कि कमरे में तुम्हारी दीदी कब और कैसे आईं?’’

‘‘मैं ने दीदी को अपनी सारी योजना बता दी थी. उन्हें नींद की दवा नहीं दी गई थी.

‘‘जब आप दीदी को छोड़ कर मेरे पास आए थे, उस समय वे जगी हुई थीं.

‘‘आप को कमरे में बैठा कर मैं बाथरूम के बहाने गई और दीदी को भेज दिया.

‘‘अंधेरा होने के चलते आप को जरा भी शक नहीं हुआ कि साली है या घरवाली.’’

उम्र में शालिनी मुझ से छोटी थी, मगर उस ने मुझे ऐसा सबक सिखाया कि उस की चतुराई पर मैं गर्व किए बिना न रह सका.

शालिनी की सूझबूझ से मैं अपने चरित्र से गिरने से बच गया था.

Raksha Bandhan: सरप्राइज- भाई-बहनों का जीवन संवारने वाली सीमा क्या खुद खुश रह पाई?

रविवार को सुबह 10 बजे जब सीमा के मोबाइल की घंटी बजी तो उस ने उसे लपक कर उठा लिया. स्क्रीन पर अपने बचपन की सहेली नीता का नाम पढ़ा तो वह भावुक हो गई और खुद से ही बोली कि चलो किसी को तो याद है आज का दिन.

लेकिन अपनी सहेली से बातें कर उसे निराशा ही हाथ लगी. नीता ने उसे कहीं घूमने चले का निमंत्रण भर ही दिया. उसे भी शायद आज के दिन की विशेषता याद नहीं थी.

‘‘मैं घंटे भर में तेरे पास पहुंच जाऊंगी,’’ यह कह कर सीमा ने फोन काट दिया.

‘सब अपनीअपनी जिंदगियों में मस्त हैं. अब न मेरी किसी को फिक्र है और न जरूरत. क्या आगे सारी जिंदगी मुझे इसी तरह की उपेक्षा व अपमान का सामना करना पड़ेगा?’ यह सोच उस की आंखों में आंसू

भर आए.

कुछ देर बाद वह तैयार हो कर अपने कमरे से बाहर निकली और रसोई में काम कर रही अपनी मां को बताया, ‘‘मां, मैं नीता के पास जा रही हूं.’’

‘‘कब तक लौट आएगी?’’ मां ने पूछा.

‘‘जब दिल करेगा,’’ ऐसा रूखा सा जवाब दे कर उस ने अपनी नाराजगी प्रकट की.

‘‘ठीक है,’’ मां का लापरवाही भरा जवाब सुन कर उदास हो गई.

सीमा का भाई नवीन ड्राइंगरूम में अखबार पढ़ रहा था. वह उस की तरफ देख कर मुसकराया जरूर पर उस के बाहर जाने के बारे में कोई पूछताछ नहीं की.

नवीन से छोटा भाई नीरज बरामदे में अपने बेटे के साथ खेल रहा था.

‘‘कहां जा रही हो, दीदी?’’ उस ने अपना गाल अपने बेटे के गाल से रगड़ते हुए सवाल किया.

‘‘नीता के घर जा रही हूं,’’ सीमा ने शुष्क लहजे में जवाब दिया.

‘‘मैं कार से छोड़ दूं उस के घर तक?’’

‘‘नहीं, मैं रिकशा से चली जाऊंगी.’’

‘‘आप को सुबहसुबह किस ने गुस्सा दिला दिया है?’’

‘‘यह मत पूछो…’’ ऐसा तीखा जवाब दे कर वह गेट की तरफ तेज चाल से बढ़ गई.

कुछ देर बाद नीता के घर में प्रवेश करते ही सीमा गुस्से से फट पड़ी, ‘‘अपने भैयाभाभियों की मैं क्या शिकायत करूं, अब तो मां को भी मेरे सुखदुख की कोई चिंता नहीं रही.’’

‘‘हुआ क्या है, यह तो बता?’’ नीता ने कहा.

‘‘मैं अब अपनी मां और भैयाभाभियों की नजरों में चुभने लगी हूं… उन्हें बोझ लगती हूं.’’

‘‘मैं ने तो तुम्हारे घर वालों के व्यवहार में कोई बदलाव महसूस नहीं किया है. हां, कुछ दिनों से तू जरूर चिड़चिड़ी और गुस्सैल हो गई है.’’

‘‘रातदिन की उपेक्षा और अपमान किसी भी इंसान को चिड़चिड़ा और गुस्सैल बना देता है.’’

‘‘देख, हम बाहर घूमने जा रहे हैं, इसलिए फालतू का शोर मचा कर न अपना मूड खराब कर, न मेरा,’’ नीता ने उसे प्यार से डपट दिया.

‘‘तुझे भी सिर्फ अपनी ही चिंता सता रही है. मैं ने नोट किया है कि तुझे अब मेरी याद तभी आती है, जब तेरे मियांजी टूर पर बाहर गए हुए होते हैं. नीता, अब तू भी बदल गई है,’’ सीमा का गुस्सा और बढ़ गया.

‘‘अब मैं ने ऐसा क्या कह दिया है, जो तू मेरे पीछे पड़ गई है?’’ नीता नाराज होने के बजाय मुसकरा उठी.

‘‘किसी ने भी कुछ नहीं किया है… बस, मैं ही बोझ बन गई हूं सब पर,’’ सीमा रोंआसी हो उठी.

‘‘तुम्हें कोई बोझ नहीं मानता है, जानेमन. किसी ने कुछ उलटासीधा कहा है तो मुझे बता. मैं इसी वक्त उस कमअक्ल इंसान को ऐसा डांटूंगी कि वह जिंदगी भर तेरी शान में गुस्ताखी करने की हिम्मत नहीं करेगा,’’ नीता ने उस का हाथ पकड़ा और पलंग पर बैठ गई.

‘‘किसकिस को डांटेगी तू. जब मतलब निकल जाता है तो लोग आंखें फेर लेते हैं. अब मेरे साथ ऐसा ही व्यवहार मेरे दोनों भाई और उन की पत्नियां कर रही हैं तो इस में हैरानी की कोई बात नहीं है. मैं बेवकूफ पता नहीं क्यों आंसू बहाने पर तुली हुई हूं,’’ सीमा की आंखों से सचमुच आंसू बहने लगे थे.

‘‘क्या नवीन से कुछ कहासुनी हो गई है?’’

‘‘उसे आजकल अपने बिजनैस के कामों से फुरसत ही कहां है. वह भूल चुका है कि कभी मैं ने अपने सहयोगियों के सामने हाथ फैला कर कर्ज मांगा था उस का बिजनैस शुरू करवाने के लिए.’’

‘‘अगर वह कुसूरवार नहीं है तब क्या नीरज ने कुछ कहा है?’’

‘‘उसे अपने बेटे के साथ खेलने और पत्नी की जीहुजूरी करने से फुरसत ही नहीं मिलती. पहले बहन की याद उसे तब आती थी, जब जेब में पैसे नहीं होते थे. अब इंजीनियर बन जाने के बाद वह खुद तो खूब कमा ही रहा है, उस के सासससुर भी उस की जेबें भरते हैं. उस के पास अब अपनी बहन से झगड़ने तक का वक्त नहीं है.’’

‘‘अगर दोनों भाइयों ने कुछ गलत नहीं कहा है तो क्या अंजु या निशा ने कोई गुस्ताखी की है?’’

‘‘मैं अब अपने ही घर में बोझ हूं, ऐसा दिखाने के लिए किसी को अपनी जबान से कड़वे या तीखे शब्द निकालने की जरूरतनहीं है. लेकिन सब के बदले व्यवहार की वजह से आजकल मैं अपने कमरे में बंद हो कर खून के आंसू बहाती हूं. जिन छोटे भाइयों को मैं ने अपने दिवंगत पिता की जगह ले कर सहारा दिया, आज उन्होंने मुझे पूरी तरह से भुला दिया है. पूरे घर में किसी को भी ध्यान नहीं है कि मैं आज 32 साल की हो गई हूं…

तू भी तो मेरा जन्मदिन भूल गई… अपने दोनों भाइयों का जीवन संवारते और उन की घरगृहस्थी बसातेबसाते मैं कितनी अकेली रह गई हूं.’’

नीता ने उसे गले से लगाया और बड़े अपनेपन से बोली, ‘‘इंसान से कभीकभी ऐसी भूल हो जाती है कि वह अपने किसी बहुत खास का जन्मदिन याद नहीं रख पाता. मैं तुम्हें शुभकामनाएं देती हूं.’’

उस के गले से लगेलगे सीमा सुबकती हुई बोली, ‘‘मेरा घर नहीं बसा, मैं इस बात की शिकायत नहीं कर रही हूं, नीता. मैं शादी कर लेती तो मेरे दोनों छोटे भाई कभी अच्छी तरह से अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते. शादी न होने का मुझे कोई दुख नहीं है.

‘‘अपने दोनों छोटे भाइयों के परिवार का हिस्सा बन कर मैं खुशीखुशी जिंदगी गुजार लूंगी, मैं तो ऐसा ही सोचती थी. लेकिन आजकल मैं खुद को बिलकुल अलगथलग व अकेला महसूस करती हूं. कैसे काटूंगी मैं इस घर में अपनी बाकी जिंदगी?’’

‘‘इतनी दुखी और मायूस मत हो, प्लीज. तू ने नवीन और नीरज के लिए जो कुरबानियां दी हैं, उन का बहुत अच्छा फल तुझे मिलेगा, तू देखना.’’

‘‘मैं इन सब के साथ घुलमिल कर जीना…’’

‘‘बस, अब अगर और ज्यादा आंसू बहाएगी तो घर से बाहर निकलने पर तेरी

लाल, सूजी आंखें तुझे तमाशा बना देंगी.

तू उठ कर मुंह धो ले फिर हम घूमने चलते हैं,’’ नीता ने उसे हाथ पकड़ कर जबरदस्ती खड़ा कर दिया.

‘‘मैं घर वापस जाती हूं. कहीं घूमने जाने का अब मेरा बिलकुल मूड नहीं है.’’

‘‘बेकार की बात मत कर,’’ नीता उसे खींचते हुए गुसलखाने के अंदर धकेल आई.

जब वह 15 मिनट बाद बाहर आई, तो नीता ने उस के एक हाथ में एक नई काली साड़ी, मैचिंग ब्लाउज वगैरह पकड़ा दिया.

‘‘हैप्पी बर्थडे, ये तेरा गिफ्ट है, जो मैं कुछ दिन पहले खरीद लाई थी,’’ नीता की आंखों में शरारत भरी चमक साफ नजर आ रही थी.

‘‘अगर तुझे मेरा गिफ्ट खरीदना याद रहा, तो मुझे जन्मदिन की मुबारकबाद देना कैसे भूल गई?’’ सीमा की आंखों में उलझन के भाव उभरे.

‘‘अरे, मैं भूली नहीं थी. बात यह है कि आज हम सब तुझे एक के बाद एक सरप्राइज देने के मूड में हैं.’’

‘‘इस हम सब में और कौनकौन शामिल है?’’

‘‘उन के नाम सीक्रेट हैं. अब तू फटाफट तैयार हो जा. ठीक 1 बजे हमें कहीं पहुंचना है.’’

‘‘कहां?’’

‘‘उस जगह का नाम भी सीके्रट है.’’

सीमा ने काफी जोर डाला पर नीता ने उसे इन सीक्रेट्स के बारे में और कुछ भी

नहीं बताया. सीमा को अच्छी तरह से तैयार करने में नीता ने उस की पूरी सहायता की. फिर वे दोनों नीता की कार से अप्सरा बैंक्वेट हौल पहुंचे.

‘‘हम यहां क्यों आए हैं?’’

‘‘मुझ से ऐसे सवाल मत पूछ और सरप्राइज का मजा ले, यार,’’ नीता बहुत खुश और उत्तेजित सी नजर आ रही थी.

उलझन से भरी सीमा ने जब बैंक्वेट हौल में कदम रखा, तो अपने स्वागत में बजी तालियों की तेज आवाज सुन कर वह चौंक पड़ी. पूरा हौल ‘हैप्पी बर्थडे’ के शोर से

गूंज उठा.

मेहमानों की भीड़ में उस के औफिस की खास सहेलियां, नजदीकी रिश्तेदार और

परिचित शामिल थे. उन सब की नजरों का केंद्र बन कर वह बहुत खुश होने के साथसाथ शरमा भी उठी.

सब से आगे खड़े दोनों भाई व भाभियों को देख कर सीमा की आंखों में आंसू छलक आए. अपनी मां के गले से लग कर उस के मन ने गहरी शांति महसूस की.

‘‘ये सब क्या है? इतना खर्चा करने की क्या जरूरत थी?’’ उस की डांट को सुन कर नवीन और नीरज हंस पड़े.

दोनों भाइयों ने उस का एकएक बाजू पकड़ा और मेहमानों की भीड़ में से गुजरते हुए उसे हौल के ठीक बीच में ले आए.

नवीन ने हाथ हवा में उठा कर सब से खामोश होने की अपील की. जब सब चुप

हो गए तो वह ऊंची आवाज में बोला,

‘‘सीमा दीदी सुबह से बहुत खफा हैं. ये सोच रही थीं कि हम इन के जन्मदिन की तारीख भूल गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं था. आज हम इन्हें बहुत सारे सरप्राइज देना चाहते हैं.’’

सरप्राइज शब्द सुन कर सीमा की नजरों ने एक तरफ खड़ी नीता को ढूंढ़ निकाला. उस को दूर से घूंसा दिखाते हुए वह हंस पड़ी.

अब ये उसे भलीभांति समझ में आ गया था कि नीता भी इस पार्टी को सरप्राइज बनाने की साजिश में उस के घर वालों के साथ मिली हुई थी.

नवीन रुका तो नीरज ने सीमा का हाथ प्यार से पकड़ कर बोलना शुरू कर दिया, ‘‘हमारी दीदी ने पापा की आकस्मिक मौत के बाद उन की जगह संभाली और हम दोनों भाइयों की जिंदगी संवारने के लिए अपनी खुशियां व इच्छाएं इन के एहसानों का बदला हम कभी नहीं भूल गईं.’’

‘‘लेकिन हम इन के एहसानों व कुरबानियों को भूले नहीं हैं,’’ नवीन ने फिर

से बोलना शुरू कर दिया, ‘‘कभी ऐसा वक्त था जब पैसे की तंगी के चलते हमारी आदरणीय दीदी को हमारे सुखद भविष्य की खातिर अपने मन को मार कर जीना पड़ रहा था. आज दीदी के कारण हमारे पास बहुत कुछ है.

‘‘और अपनी आज की सुखसमृद्धि को अब हम अपनी दीदी के साथ बांटेंगे.

‘‘मैं ने अपना राजनगर वाला फ्लैट दीदी के नाम कर दिया है,’’ ऊंची आवाज में ये घोषणा करते हुए नवीन ने रजिस्ट्री के कागजों का लिफाफा सीमा के हाथ में पकड़ा दिया.

‘‘और ये दीदी की नई कार की चाबी है. दीदी को उन के जन्मदिन का ये जगमगाता हुआ उपहार निशा और मेरी तरफ से.’’

‘‘और ये 2 लाख रुपए का चैक फ्लैट की जरूरत व सुखसुविधा की चीजें खरीदने

के लिए.

‘‘और ये 2 लाख का चैक दीदी को अपनी व्यक्तिगत खरीदारी करने के लिए.’’

‘‘और ये 5 लाख का चैक हम सब की तरफ से बरात की आवभगत के लिए.

‘‘अब आप लोग ये सोच कर हैरान हो रहे होंगे कि दीदी की शादी कहीं पक्की होने की कोई खबर है नहीं और यहां बरात के स्वागत की बातें हो रही हैं. तो आप सब लोग हमारी एक निवेदन ध्यान से सुन लें. अपनी दीदी का घर इसी साल बसवाने का संकल्प लिया है हम दोनों भाइयों ने. हमारे इस संकल्प को पूरा कराने में आप सब दिल से पूरा सहयोग करें, प्लीज.’’

बहुत भावुक नजर आ रहे नवीन और नीरज ने जब एकसाथ झुक कर सीमा के पैर छुए, तो पूरा हौल एक बार फिर तालियों की आवाज से गूंज उठा.

सीमा की मां अपनी दोनों बहुओं व पोतों के साथ उन के पास आ गईं. अब पूरा परिवार एकदूसरे का मजबूत सहारा बन कर एकसाथ खड़ा हुआ था. सभी की आंखों में खुशी के आंसू झिलमिला रहे थे.

बहुत दिनों से चली आ रही सीमा के मन की व्याकुलता गायब हो गई. अपने दोनों छोटे भाइयों के बीच खड़ी वह इस वक्त अपने सुखद, सुरक्षित भविष्य के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही थी.

Raksha Bandhan: 5 टिप्स-ताकि घर रहे महकता

सुगंध या खुशबू एक ऐसा एहसास है, जो किसी को भी आकर्षित करता है. महकता व सुगंधित घर न केवल किसी होममेकर की सुगढ़ता को दर्शाता है, बल्कि इस से उस की पसंद व स्टाइल की भी जानकारी मिलती है. कोई भी घर तभी संपूर्ण माना जाता है जब वह सही इंटीरियर के साथसाथ अच्छा महकता भी हो. क्या आप चाहेंगी कि जब कोई आप के घर में आए, तो उस का स्वागत घर की प्याजलहसुन की गंध से हो, जिस से वह आते ही नाकभौं सिकोड़े और उस का घर में बैठना दूभर हो जाए?

दरअसल, हर घर की एक अलग गंध होती है, जो अगर सुगंध है तो आने वाले को सम्मोहित कर देती है. इस से आने वाला तनावरहित व फ्रैश भी हो जाता है. लेकिन वही गंध अगर दुर्गंध हो यानी घर से प्याजलहसुन, सीलन, गीले कपड़ों वगैरह की गंध आती हो, तो आने वाला ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता. वह घर से जल्दी निकलने के लिए मजबूर हो जाता है. घर से सुगंध आए, इस के लिए घर को महकाने का चलन बहुत पहले से चला आ रहा है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि घर से आने वाली अन्य तरह की गंध को कम किया जा सके. पुराने जमाने में लोग अपने घर के बाहर रात की रानी, चमेली या रजनीगंधा के पेड़पौधे लगा देते थे ताकि घर सदा महकता रहे. लेकिन बदलते समय के साथ समय व स्पेस की कमी ने इस तरीके को थोड़ा कम कर दिया है. इसलिए लोगों ने आर्टिफिशियल सुगंध पर निर्भर होना प्रारंभ कर दिया है.

होम फ्रैशनर मिलते कई

घर से आने वाली दुर्गंध को कम करने के लिए बाजार में अनेक तरह के होम फ्रैगरैंस उपलब्ध हैं, जिन का चुनाव आप अपनी पसंद व सुविधा के अनुसार कर सकती हैं.

अगरबत्तियां: घर को महकाने के लिए अगरबत्तियों का इस्तेमाल पहले से होता रहा है. लेकिन आजकल बाजार में अगरबत्तियों की अनेक खुशबुएं मिलती हैं, जिन्हें बेहतरीन होम फ्रैगरैंस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. नैचुरल फ्रैगरैंस की बात की जाए तो जैसमीन, चंदन, गुलाब, देवदार आदि की प्राकृतिक खुशबुओं वाली अनेक अगरबत्तियां हैं.

बाजार में 2 प्रकार की अगरबत्तियां उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार चुन सकती हैं. पहली, डायरैक्ट बर्न जिस में अगरबत्ती स्टिक को सीधे जलाया जाता है और उस की सुगंध से वातावरण सुगंधित हो जाता है. दूसरी, इनडायरैक्ट बर्न जिस में फ्रैगरैंस मैटीरियल को मैटल की हौटप्लेट या आंच पर रखा जाता है, जिस से न केवल पूरा घर महक जाता है वरन घर से मच्छरमक्खियां भी दूर भागती हैं.

फ्रैगरैंस कैंडल्स: कैंडल्स का प्रयोग सिर्फ दीवाली पर जगमगाहट के लिए करने के अलावा घर को महकाने व रोमानी वातावरण बनाने के लिए भी किया जा सकता है. रंगबिरंगी सैंटेड कैंडल्स बाजार में इतने आकर्षक डिजाइनों, रंगों व फ्रैगरैंस में उपलब्ध हैं, जिन से आप घर को महका सकती हैं और घर से आ रही प्याजलहसुन व सीलन की बदबू को दूर भगा सकती हैं.

कैंडल्स में वारमर्स भी मौजूद हैं, जो मोम को गरम करते हैं और पिघलते मोम से सारा घर महकता रहता है. सैंटेड कैंडल को बिना जलाए घर को महकाने का यह बेहतरीन तरीका साबित होता है.

एअर फ्रैशनर्स: घर को महकाने में एअर फ्रैशनर्स स्प्रे का भी प्रयोग किया जा सकता है. इस से घर से आने वाली दुर्गंध हट जाती है. खूबसूरत कैन्स में उपलब्ध इन फ्रैशनर्स को आप दीवार पर भी टांग सकती हैं और उस में लगे बटन को औन कर के घर को महका सकती हैं.

फ्रैगरैंस पौटपोरी: आकर्षक पैकिंग में उपलब्ध सूखे फूल व खुशबूदार सामान को भी घर को महकाने में प्रयोग किया जा सकता है. इन पैकेट से निकलने वाली सुगंध घर के माहौल को महकदार व रोमांटिक बना देती है.

रीड डिफ्यूजर: अनेक खुशबुओं को बोतल व कंटेनर में सैंटेड औयल व रीड्स के रूप में घर को महकाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. इस रीड डिफ्यूजर को आप किचन, लिविंग रूम, बैडरूम, बाथरूम कहीं भी रख सकती हैं व घर के कोनेकोने को मस्ती भरी सुगंध से महका सकती हैं.

बाजार में मिलने वाले इन रैडीमेड होम फ्रैगरैंस के अलावा आप चाहें तो घर में भी होम फ्रैगरैंस बना सकती हैं यानी कुछ तरीके अपना कर घर को महका सकती हैं:

कमरे की खिड़कियां सुबहशाम अवश्य खोलें ताकि बाहर की फ्रैश हवा भीतर आ सके.

घर में प्राकृतिक खुशबू वाले फूलों के पौधे लगाएं, साथ ही किसी कांच के बाउल में पानी भर कर उन फूलों की पंखुडि़यों को उस में डाल कर सैंटर टेबल पर रखें. हवा के साथ आती फूलों की ताजा खुशबू पूरे घर को महकाएगी और प्राकृतिक होम फ्रैगरैंस का काम करेगी.

ऐसेंशियल औयल को 1 कप पानी में मिला कर किसी स्प्रे वाली बोतल में भर लें और एअर फ्रैशनर के तौर पर इस्तेमाल करें.

वाशबेसिन में रंगबिरंगी नैप्थेलीन बौल्स डालें.

कपड़े की अलमारियों में नैप्थेलीन बौल्स फ्रैगरैंस पौटपोरी रखें.

किचन में ऐग्जौस्ट फैन व चिमनी लगाएं.

घर के कालीन व परदों को समयसमय पर साफ कराती रहें.

महकते घर के फायदे

महकता घर उस घर में रहने वालों को तनावरहित रखने के साथसाथ उन्हें रिलैक्स भी करता है.

महकता घर, घर में आने वालों का मूड फ्रैश कर देता है और उन में पौजिटिव ऐनर्जी भर देता है.

दुर्गंधयुक्त वातावरण जहां रिश्तों में खटास लाता है, वहीं सुगंधित घर आपसी रिश्तों में भी मधुरता लाता है. उन्हें प्रकृति के करीब होने का एहसास कराता है. दिन भर की भागदौड़ व प्रदूषण से दूर जब आप महकते घर में प्रवेश करते हैं तब दिन भर की थकान दूर हो जाती है और घर में रोमांटिक वातावरण मिलता है. इस से पतिपत्नी के रिश्ते में भी नजदीकी आती है. तो फिर तैयार हैं न अपने महकते घर में रिश्तों को नई ताजगी देने के लिए और मेहमानों का स्वागत करने के लिए.

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Raksha Bandhan: फैमिली के लिए बनाएं शाही ड्राईफ्रूट खीर

रक्षाबंधन पर अगर आप कुछ मीठा बनाने की रेसिपी ढूंढ रहे हैं तो शाही ड्राईफ्रूट खीर की ये रेसिपी जरुर ट्राय करें.

सामग्री

3 कप दूध

– 1/4 टिन मिल्कमेड

– 5-6 खजूर कटे

– 5-6 खुबानी कटी

– 7-8 बादाम लंबे कटे

– 8-10 किशमिश

शहद स्वादानुसार

– 1 बड़ा चम्मच नारियल कसा

– 1/8 छोटा चम्मच छोटी इलायची पाउडर

– चुटकी भर केसर.

विधि

खजूर और खुबानी को 20 मिनट के लिए 1 कप गरम दूध में भिगो दें. दूध कड़ाही में तब तक उबालें जब तक वह आधा न हो जाए. अब इस में मिल्कमेड मिला दें. फिर खजूर और खुबानी डाल दें. उस के बाद नारियल मिला कर 5-10 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें. अब बादाम और किशमिश डालें और आंच बंद कर उतार लें. इस में केसर, इलायची पाउडर और स्वादानुसार शहद मिलाएं. अब नारियल से सजा कर ठंडा या गरम इच्छानुसार परोसें.

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