Social Media : रियल नहीं हैं ये रील्स

Social Media :  रील्स… जी हां रील्स … आज से कुछ साल पहले अगर ये लफ्ज हमारे कानों में जाते तो इस का मतलब या तो फिल्मों से या फिर जिंदगी के खूबसूरत और यादगार लमहे कैद करने वाले कैमरे की रील से होता.

मगर आज के इस स्मार्टफोनयुग में इस लफ्ज रील को किसी इंट्रोडक्शन की जरूरत नहीं. आज के इस दौर में अगर कोई इंसान स्मार्ट फोन यूजर है या अगर नहीं भी है तो वह इन पलपल बदलती रील्स से अनजान तो बिलकुल नहीं.

कहने को तो रील बिलकुल छोटा सा लफ्ज है मगर इस ने तो हमारी उंगलियों के जरीए हमारे माइंड पर ऐसा कब्जा जमाया है कि अगर एक बार अपने स्मार्टफोन पर हमारी उंगलियां जब इन रील्स के यूनिवर्स के अंदर जाती हैं तो कुछ सैकंड्स से शुरू हुआ वह सफर कब मिनटों में और कभीकभी तो घंटों में बदल कर ही रुकता है.

कोई तो इसे कुछ मिनटों के लिए टाइम पास समझ कर देखना शुरू करता है तो कोई एकाध घंटा. मगर इस जैनरेशन का एक हिस्सा ऐसा भी है जो इन रील्स पर अपने दिन के 24 घंटों में से न जाने कितने घंटे गुजार देता है.

अनगिनत रील्स की बाढ़

जी हां आज जब अपने स्मार्टफोन पर उंगलियां पहले किसी एक रील पर जा कर थमती हैं तो फिर एक सिलसिला सा शुरू हो जाता है. उस एक रील के बाद दूसरी रील, फिर तीसरी आती है और फिर एक के बाद एक उंगलियां अपनेआप ही सामने आने वाली उन रील्स पर स्क्रौल करती ही चली जाती हैं. फिर न तो वो अंगूठा ही थमता है और न फोन के अंदर से आती हुई अनगिनत रील्स की वह बाढ़.

उस 1 मिनट की रील में कभी कोई अपने पूरे 24 घंटे की लाइफ समेट कर दिखाने के दावे करता हुआ दिखाई देता है, कभी कोई जिंदगी जीने के 7 अहम गुर सिखा रहा होता है तो कभी कोई उन 60 सैकंड्स में बेहतरीन खाने की डिश की पूरी रैसिपी बता चुका होता है यानी 1 मिनट में जो मरजी चाहे देख लो. एक बार देख लो या जितनी बार जी चाहे देख लो. फिर उतार लो या कहें कि कौपी पेस्ट कर लो अपनी लाइफ में.

मगर जब 1 मिनट की यह क्लिप अपने दिलोदिमाग पर हावी हो जाती है और उस रील में दिख रहा सबकुछ रियल लग रहा होता है तब माइंड चाहे कितना भी प्रैकटिकली क्यों न सोच ले दिल उसे यह सोचने पर मजबूर कर ही देता है कि अभीअभी आंखों से गुजरा वह 60 सैकंड्स का नजारा लाइफ में सबकुछ ठीक कर सकता है.

चाहे वह दिनरात चढ़तेगिरते शेयरों की अपडेट हो या मार्केट में आने वाली तबाही से खुद को बचाने के लिए दिए गए आसान से लगने वाले टिप्स जो पहले तो उंगलियों पर गिना दिए जाते हैं मगर जब वह रील आंखों से आ कर गुजर जाती है तो शायद ही उस का आधा हिस्सा भी माइंड की मेमोरी में रुक पाता है.

अगर वह रील ऐंटरटेनिंग है तो भी कुछ सैकंड्स के उस प्लेजर के लिए या अगर वह रील इनफौर्मेटिव है तो भी उसे रिकाल करने के लिए दोबारा से देखना ही पड़ता है.

यही होता है जब कोई आसान सी दिखने वाली रैसिपी हो या फिर बेहद अट्रैक्टिव तरीके से सिखाए जा रहे बौडी फिटनैस मंत्र सब एक नजर में ही आजमाए जाने के लायक लगते हैं.

रील्स की बेलगाम दुनिया

रील्स की इस बेलगाम दुनिया में सबकुछ बस 1 मिनट में ही मिल जाने की जब अपनी खुली आंखों के सामने कोई गारंटी दिख रही होती है तो लाइफ कितनी सौर्टेड और कंट्रोल में नजर आती है. कभी किसी खास इंसान की लाइफ के 24 घंटे समेटने वाली ये रील वाकई में उन 24 घंटों में ही फिल्माई जाती हैं और फिर घंटों की मेहनतमशक्कत और ऐडिटिंग के बाद ही वे उस 60 सैकंड्स के फ्रेम में फिट कर दी जाती हैं. इसी तरह कभी 1 मिनट में बनने वाली वह खास रैसिपी भी रिऐलिटी में 2 से 3 घंटों में ही बन कर तैयार हो पाती है.

और तो और फिटनैस गोल्स सैट करने वाली वह रील तो न जाने कितने दिनों और कितने हफ्तों की मेहनत के बाद उस 1 मिनट की क्लिप में समा पाती है.

मगर हमें तो जो दिखाई देता है उस पल हम उसे ही सच मान लेते हैं. 1 मिनट में आंखों से गुजरने वाला वह नजारा कितना अच्छा और इतना सच्चा लगने लगता है कि हम खुली आंखों से उस छलावे को हकीकत मान लेते हैं और फिर लग जाते हैं उस अंधी दौड़ में जिस की कोई फिनिशिंग लाइन है ही नहीं.

Monsoon Skin Care : जानें मौनसून में कैसे रखें अपने स्किन को हैल्दी

Monsoon Skin Care :  हमारी स्किन बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती है. गरमियों के मौसम में अलट्रावायलेट किरणें स्किन को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं. तब टैनिंग और सनबर्न से स्किन की रंगत खो जाती है.

तब आप अपनी स्किन को टैनिंग और सनबर्न से बचाने के लिए 4 एस का नियम अपना सकती हैं. क्या है यह नियम? आइए जानते हैं:

4 एस नियम यानी सनस्क्रीन+स्टे हाइड्रेटेड+ स्क्रब+स्किन नरिशमैंट.

सनस्क्रीन का इस्तेमाल

वैसे तो सनस्क्रीन की जरूरत हर मौसम में होती है लेकिन गरमियों के मौसम में जो महिलाएं अपना ज्यादा वक्त धूप यानी बाहर महिलाएं बिताती हैं. उन्हें 30-50 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन चेहरे पर लगाने की जरूरत होती है ताकि अपनी स्किन को टैनिंग और सनबर्न से बचा कर रख सकें. मौनसून में सनस्क्रीन का इस्तेमाल स्किन के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है. इस के लिए बाहर जाने से करीब 15 मिनट पहले स्किन पर सनस्क्रीन लगाएं. ऐसा करने से सनस्क्रीन आप की त्वचा पर आसानी से अवशोषित हो जाता है और आप को सूर्य की यूवी किरणों से बचाए रखता है.

सनस्क्रीन के फायदे

स्किन को नमी प्रदान कर उसे तरोताजा रखता है और रूखेपन से मुक्त बनाता है.

स्किन को उम्र के लक्षणों से बचा कर उसे स्वस्थ और जवां बनाए रखता है.

यूवी रैडिएशन को रोक कर स्किन को सुरक्षा प्रदान करता है.

स्टे हाइड्रेटेड इन समर

गरमियों के मौसम में तापमान बढ़ने पर मौनसून बढ़ती है, जिस के कारण शरीर से ज्यादा पसीना निकलता है और शरीर डिहाइड्रेटेड हो जाता है. इस मौसम में डिहाइड्रेशन की समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने शरीर की हाइड्रेटेड रखें और डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करें, जिन से शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी दूर हो सके.

गरमियों में मिलने वाले सीजनल फल और सब्जियां जैसेकि तरबूज, खीरा, अंगूर और खरबूजा जैसी चीजें खाने से आप हाइड्रेटेड रह सकती हैं, साथ ही ये शरीर को ताजगी भी देते हैं.

शरीर का काम करने के लिए हाइड्रेट रहना जरूरी होता है ताकि शरीर के सभी अंग ठीक से काम करते रहें एवं ऊर्जा बनी रहे, एक बेहतर पाचनतंत्र, ब्लड फ्लो और शरीर के तापमान के  नियंत्रण के लिए हाइड्रेट रहने की जरूरत होती है. इस के लिए भोजन में पानी से भरपूर खाद्यपदार्थ जैसे तरबूज, संतरा, स्ट्राबेरी, खीरा, सलाद, टमाटर और सूप शामिल करें. ये खाद्यपदार्थ न केवल हाइड्रेट करते हैं बल्कि आवश्यक विटामिन, खनिज और ऐंटीऔक्सीडैंट भी प्रदान करते हैं .

मौनसून के मौसम में पसीना आने से शरीर में इलैक्ट्रोलाइट का संतुलन बिगड़ सकता है. इस के लिए इलैक्ट्रोलाइट्स से भरपूर खाद्यपदार्थों का सेवन कर के पसीने के माध्यम से खोए गए इलैक्ट्रोलाइट्स की भरपाई करने के लिए नारियल पानी, मठा, केले, टमाटर या टमाटरों का सूप जैसे पोटैशियम युक्त खाद्यपदार्थ शामिल करें. इलैक्ट्रोलाइट्स हाइड्रेशन और मांसपेशियों के कार्य को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

मौनसून के मौसम में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए सादे पानी के साथसाथ इन्फ्यूज्ड पानी भी पी सकते है इस के लिए आप नीबू, पुदीना, खीरा और स्ट्राबेरी जैसी चीजों को पानी में मिला कर रख सकते हैं और घर में इन्फ्यूज्ड वाटर तैयार कर सकती हैं. यह पानी पीने में स्वादिष्ठ लगता है और इसे पीने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्त्व भी मिलते हैं.

गरमियों में स्क्रब

मौनसून के मौसम में स्किन पर अधिक पसीना और गंदगी जमा होती है जो रोमछिद्रों को बंद कर सकती है, स्क्रबिंग से स्किन की गंदगी और डैड स्किन सैल्स से छुटकारा पाने में मदद मिलती है एवं स्किन पर ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. स्क्रबिंग स्किन को साफ, मुलायम और चमकदार बनाने में मदद करता है, जिस से पिंपल्स और ऐक्ने की समस्या कम हो सकती है.

मौनसून के मौसम में त्वचा जल्दी सूख जाती है. कुछ स्क्रब जैसे नारियल का तेल और शहद त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करते हैं और कुछ स्क्रब जैसे खीरे का रस और दही त्वचा को ठंडक पहुंचाते हैं.

रखें ध्यान

ज्यादा स्क्रबिंग से त्वचा को नुकसान हो सकता है, इसलिए महीने में 2-3 बार ही स्क्रब करें.

स्क्रब करते समय स्किन जोर से न रगड़ना इस के लिए हलके हाथों से स्क्रब करें.

स्क्रब करने के बाद मौइस्चराइजर लगाना न भूलें.

कई बार स्क्रबिंग के बाद स्किन ड्राई हो सकती है, इस के लिए मौइस्चराइजर लगाएं.

स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी का इस्तेमाल करें. यह  स्किन को ठंडक पहुंचाता है.

यदि आप की स्किन सैंसिटिव है तो आप घर पर बने स्क्रब का इस्तेमाल करें जैसे ओट्स, बेसन, दही और चंदन त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं.

दही का स्क्रब: गरमियों में चेहरे से टैनिंग दूर करने के लिए इस स्क्रब को लगाया जा सकता है. दही का स्क्रब बनाने के लिए 1 चम्मच दही में 1 चम्मच संतरे का रस और 11/2 चम्मच शहद मिला कर पेस्ट तैयार करें. इस तैयार स्क्रब को चेहरे पर मलें और फिर चेहरा धो कर साफ कर लें.

ऐलोवेरा का स्क्रब

गरमियों में खिलीखिली त्वचा पाने के लिए ऐलोवेरा का स्क्रब इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे बनाने के लिए 1 चम्मच ऐलोवेरा जैल में 1 चम्मच कौफी मिलाएं. इसे चेहरे पर लगाएं. लगभग 10-15 मिनट बाद पानी से धो लें.

स्किन नरिशमैंट

जब गरमियों में स्किन की देखभाल की बात आती है तो नैचुरल चीजों का उपयोग करना ही सब से अच्छा तरीका होता है क्योंकि वे स्किन को किसी भी तरह के नुकसान से बचाए रखते हैं, साथ ही स्किन को  नमी और पोषण देते हैं.

नैचुरल चीजों के लिए गरमियों में ऐलोवेरा, नीम और हलदी का इस्तेमाल आप की स्किन को स्वस्थ बनाए रखता है.

ऐलोवेरा

ऐलोवेरा एक नैचुरल घटक है जो स्किन को आराम देने और अपने हाइड्रेटिंग गुणों के लिए जाना जाता है. ऐलोवेरा जैल में स्किन का लचीलापन बढ़ाने और ऐंटीऐंजिंग के गुण होते हैं, साथ ही इस में ऐसे एंजाइम्स और ऐंटीऔक्सीडैंट्स होते हैं जो स्किन की सूजन और लालिमा को कम करने में मदद करते हैं.

नीम और हलदी

गरमियों में नीम और हलदी दोनों ही स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं. नीम के ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटीइनफ्लैमेटरी, ऐंटीफंगल गुण पिंपल्स, खुजली और त्वचा के संक्रमण से राहत दिलाते हैं, जबकि हलदी के ऐंटीऔक्सीडैंट्स और ऐंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करते हैं.

नीम के फायदे

नीम और हलदी का एकसाथ उपयोग पिंपल्स, ऐक्ने और त्वचा के संक्रमण के लिए बहुत प्रभावी होता है.

हलदी के फायदे

हलदी त्वचा के रंग को निखारने, दागधब्बों को कम करने और त्वचा को चमकदार बनाने में मदद करती है. हलदी में ऐंटीऔक्सीडैंट और ऐंटीइनफ्लैमेटरी गुण होते हैं जो शरीर की सूजन को कम करने और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. आप नीम के पत्तों का पेस्ट बना कर हलदी पाउडर के साथ मिला कर त्वचा पर लगा सकती हैं.

ऐसे बना सकती हैं नीमहलदी का फेस पैक

एक कटोरी में नीम की पत्तियों का पेस्ट, बेसन और थोड़ी सी हलदी मिला कर गाढ़ा पेस्ट तैयार करें.

जरूरत पड़ने पर पानी या गुलाबजल भी मिला सकती हैं.

इसे पूरे चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट सूखने के बाद नौर्मल पानी से धो लें.

स्किन नरिशमैंट के लिए क्या खाएं

गरमियों में स्किन को बाहर से जितनी केयर की जरूरत होती है उतना ही अंदर से भी उस की हैल्दी रहना जरूरी होता है. अत: आप जो भी खाते हैं उस का सीधा असर आप की स्किन पर दिखाई देता है. गरमियों में कुछ चीजों का सेवन मुंहासों और दूसरी स्किन से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकते हैं वहीं कुछ चीजें आप की स्किन को हाइड्रेटेड और कोमल बनाए रखने में मदद कर सकती हैं.

आइए, जानते हैं वे फूड आइटम्स जो गरमियों में आप की स्किन को ग्लोइंग और हाइड्रेटेड बनाए रखने में मदद कर कर सकते हैं:

हाइड्रेटिंग फूड्स

तरबूज: यह पानी का अच्छा स्रोत है जो त्वचा को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है.

खीरा: खीरा भी एक बेहतरीन हाइड्रेटिंग फूड है जो त्वचा को ठंडा और ताजा रखता है.

नारियल पानी: गरमियों में नारियल और नारियल पानी का सेवन करना सेहत के साथसाथ त्वचा के लिए भी बेहद लाभदायक होता है. यह इलैक्ट्रोलाइट्स का अच्छा स्रोत है जो त्वचा को अंदर से हाइड्रेटेड रखता है. नारियल का सेवन करने से शरीर को विटामिन ई मिलता है, जिस से त्वचा को पोषण मिलता है. नारियल में ऐंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा संक्रमण से बचाते हैं.

ऐंटीऔक्सीडैंट रिच फूड

ऐंटीऔक्सिडैंट रिच फूड स्किन को फ्री रैडिकल्स, यूवी रेज और पौल्यूशन से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं. ये कोलोजन बूस्ट करने और स्किन को रिपेयर करने में बढ़ावा देते हैं. इस के लिए अपने खाने में कलरफुल फल और सब्जियां जैसे जामुन, संतरे, टमाटर और पत्तेदार सब्जियां शामिल करें.

विटामिन सी युक्त फल और सब्जियां

संतरा, नीबू, टमाटर आदि पालक विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं जो त्वचा को जवां रखने और कोलोजन उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं. ये स्किन को रिंकल्स से बचाए रखते हैं.

बेरी

बेरी जैसे ब्लूबेरी, स्ट्राबेरी आदि ऐंटीऔक्सीडैंट से भरपूर होती हैं जो त्वचा को नुकसान से बचाने में मदद करती हैं.

ओमेगा 3 फैटी ऐसिड

ओमेगा 3 फैटी ऐसिड स्किन को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है. सूजन को कम करता है और स्किन को बेहतर तरीके से फंक्शन करने में मदद करता है. यह स्किन को ग्लोइंग, स्मूथ और इवन बनाए रखने में मदद करता है. अपनी डाइट में ओमेगा 3 के लिए अलसी के बीज, चिया सीड्स और अखरोट शामिल करें.

Family : पति के परिवार को ऐसे बनाएं अपना

Family : शादी सिर्फ 2 लोगों का ही नहीं बल्कि 2 परिवारों का भी मिलन होता है. हमारी संस्कृति में बहू से अपेक्षा होती है कि वह पति के परिवार को अपना माने लेकिन यह प्रक्रिया कई महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है.

कई मनोवैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया है और उन के अनुसार, आत्मसम्मान और सीमाओं को बनाए रखते हुए रिश्तों को मजबूत किया जा सकता है.

नर्मी से शुरुआत

अगर आप ससुराल वालों के साथ तालमेल बैठाना चाहती हैं तो शुरुआत में ही टकराव से बचें. छोटेछोटे हावभाव जैसे:

उन के रीतिरिवाजों और पारिवारिक मूल्यों को समझने की कोशिश करें.

शुरू में ज्यादा बदलाव की उम्मीद न रखें, पहले भरोसा बनाएं.

सीमाएं तय करें

बहू को खुद को बदलने के दबाव में नहीं आना चाहिए. अगर आप को कुछ चीजें असहज लगती हैं तो सम्मानजनक तरीके से अपनी सीमाएं तय करें, जैसे:

अगर ससुराल की कोई परंपरा आप को नहीं जंचती तो प्यार से अपनी राय रखें.

अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को नजरअंदाज न करें, चाहे वह आप की नौकरी हो या अकेले समय बिताने की इच्छा.

प्रेम की भाषा समझें

हर इंसान अपने तरीके से प्यार व्यक्त करता है. कुछ लोग शब्दों से, कुछ उपहारों से, कुछ सेवाभाव से और कुछ समय दे कर.

सासससुर की लव लैंग्वेज को सम?ाने की कोशिश करें. अगर वे सराहना पसंद करते हैं तो उन की तारीफ करें. अगर उन्हें सेवाभाव खुश करता है तो उन की सेवा करें.

असली और नकली अपनापन

जब आप खुद को किसी रिश्ते में पूरी तरह खो देती हैं तो अपनापन महसूस करने के बजाय असुरक्षा बढ़ सकती है.

शादी के बाद महिलाएं अकसर खुद को भूल जाती हैं. माना कि परिवार को अपनाना जरूरी है लेकिन यह अपनी इच्छाओं और जरूरतों को दबाने की कीमत पर नहीं होना चाहिए.

अपने विचार और भावनाएं खुल कर रखें ताकि आप ससुराल में अपनी जगह बना सकें.

हर बात पर हां कहना जरूरी नहीं. आत्मसम्मान को बनाए रखना भी जरूरी है.

हर दिन थोड़ा समय खुद के लिए निकालें,

चाहे वह योग हो, किताब पढ़ना हो या दोस्तों से बात करना.

पति के परिवार को अपनाना एक प्रक्रिया है, जिस में धैर्य, समझदारी और आत्मसम्मान की जरूरत होती है. जब आप खुद को खोए बिना परिवार में घुलनेमिलने की कोशिश करेंगी तो न सिर्फ आप का रिश्ता मजबूत होगा बल्कि आप खुद भी खुश और संतुष्ट महसूस करेंगी.

Grihshobha Empower Moms: A Special Tribute to Mothers

Grihshobha Empower Moms: Delhi, May 10 – A day before Mother’s Day, Grihshobha magazine hosted its “Empower Moms” event at Casa Royal, Peeragarhi, celebrating the tireless spirit of mothers who manage everything—from homes to lives. After successful editions in Mumbai, Bengaluru, Ahmedabad, Lucknow, Indore, Chandigarh, Ludhiana, and Jaipur, Season 3 kicked off in Delhi, with plans to expand to 10+ cities, including Noida, Pune, and Mumbai.

 

Session 1: Women’s Mental Health & Wellness

Clinical psychologist Shirley Raj (consultant at Ampower – The Centre, Lajpat Nagar, and former faculty at Amity University) addressed often-overlooked mental health challenges. She emphasized:

  • *”Self-care isn’t selfish—it’s essential. Even 10 minutes of tea or mindful breathing can transform your household’s energy.”*

  • Solutions for anxiety (GAD, OCD, phobias), parenting stress, and emotional neglect.

Silk Mark India (Deputy Secretary Tek Shri Dashrathi Behera) also educated attendees on identifying pure silk products.

Session 2: SIP Saheli – Finance Workshop

Sagarika Singh (Mutual Fund Expert, HDFC Mutual Fund) decoded:

  • Goal-based investing in mutual funds (SIPs, long-term wealth creation).

  • Why financial independence matters for mothers.

Session 3: Quick Makeup & Hair Styling Demo

Entrepreneur Annie Munjal Kharbanda (founder, Star Academy) shared:

  • 5-minute glam hacks for busy moms: “Look like a queen to be treated like one!”

  • Hands-on demo transforming looks from “Ugh” to “Yes, Queen!”

Inspirational Journeys

  • Jeneeya Chaddha (Anchor/Influencer) and Pooja Jangra (Teacher) shared heartfelt stories of maternal support shaping their confidence.

Fun & Prizes

Games, Q&A rounds, and gifts by Vivel kept the energy high. Attendees left with goodie bags and a renewed spark!

Event Partners:

  • Silk Purity Partner: Silk Mark India

  • Financial Education Partner: HDFC Mutual Fund

  • Associate Sponsor: Haier

  • Beauty Partner: Green Leaf Aloe Vera Gel (Brihans Natural Products)

  • Gifting Partner: ITC Personal Care

Sad Hindi Story: जाने के बाद- उजड़े सिंदूर से व्यथित पत्नी

Sad Hindi Story: काश, यह सपना ही होता क्योंकि मेहंदी का रंग हलका भी नहीं हुआ था, मन की हसरतें पूरी भी न हुई थीं और प्रियांश का पार्थिव शरीर कल्याणी के सामने था. बाहर मीडिया का शोर है. उस से ज्यादा शोर कल्याणी के हृदय में मच रहा है.

कितना कुछ है उस के भीतर, उसे समझ ही नहीं आ रहा है कि वह कहां है. एक पल वह कमरे में चल रहे एसी से खुद को यकीन दिलाती है कि वह पहाड़ों की ठंडी हवाओं में नहीं, मैदानी इलाके में वापस लौट आई है और दूसरे ही पल उसे लगता है कि उस ने एक खौफनाक सपना देखा है और नींद खुल जाने से उस की जान बच गई है. कभी उस के जेहन में खयाल आता है कि अभी उस की शादी ही कहां हुई हैं, अभी तो उस के हनीमून की जगह ही फाइनल नहीं हो पाई है.
प्रियांश भी तो फोन पर यही कह रहा था- ‘सुनो, एक बात तो पूछनी ही रह गई?’
‘यही घंटाभर पहले ही तुम ने कितने प्रश्न किए थे- कौन सा रंग पसंद है? कौन सी मिठाई पसंद है? कौन सी किताब पसंद है? अब और क्या रह गया है? मुझे तो लगता है तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड कभी रही ही नहीं.’
‘तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?’
‘क्योंकि जो बातें तुम मुझ से पूछते हो न, वह टीनऐजर एकदूसरे से पूछते हैं. हमारी 2 महीने में शादी होने वाली है. कुछ मैच्योर बातें करो.’
‘तुम्हीं बता दो न फिर, वह मैच्योर बातें,’ प्रियांश ने कहा.
‘हम लोग हनीमून पर कहां चलें, यह पूछो तो लगे भी कि होने वाले पतिपत्नी की बातें हैं.’
‘ओह हां, दरअसल पूछना तो यही चाहता था मगर वह गले में अटक कर रह जा रहा था,’ प्रियांश ने कहा.
‘सो स्वीट, तुम कितने सौम्य हो, वह गाना सुना है- ‘बड़ा भोला सा है दिलबर…’ मुझे तो लगता है कि तुम शादी के बाद भी मुझ से पूछे बिना मेरा हाथ नहीं पकड़ोगे, कहोगे, ‘सुनो, क्या मैं तुम्हारा हाथ थाम सकता हूं’.’
‘उड़ा लो मजाक, शादी के बाद ही तुम्हें पता चलेगा कि मेरी पकड़ कितनी मजबूत है. अभी तो तुम पराई ही हो मेरे लिए. एक बार हमारी शादी हो जाए, फिर देखना, मेरे हाथों की पकड़. अरे देखो न, जो पूछना था वह तो रह ही गया.’
‘हनीमून की जगह न? मैं हनी हूं और तुम मून हो. जब हम दोनों एकसाथ हो जाएंगे तो वह जगह हनीमून की, अपनेआप ही हो जाएगी. उस के लिए क्यों परेशान हो?’ कल्याणी खिलखिलाई.
‘तो ठीक है मैं बेकार ही एक हफ्ते से टूर एंड ट्रैवल के साथ माथापच्ची करने में लगा हुआ था. सोच रहा था कि तुम्हें सरप्राइज दूंगा. लेकिन मेरे दोस्त तिमिर ने कहा, ‘यार, ऐसी गलती न करना. मैं ने अपनी सुहागसेज लाल गुलाब से भर दी थी और मेघना की छींकछींक कर हालत खराब हो गई. पता चला कि उसे गुलाब क्या हर फूल से एलर्जी है. वह दवा खा कर सो गई और अपनी सुहागरात की ऐसीतैसी हो गई.’
‘अब समझ आया कि फल, फूल, मिठाई के बहाने तुम मेरी एलर्जी का पता लगाना चाहते हो. तो सुनो, न तो मुझे किसी फल, फूल से एलर्जी है और न ही पहाड़ की चोटियों व समुद्र की गहराइयों में जाने से कोई डर या फोबिया है.’
‘तब ठीक है, मैं ने अंडमान और कश्मीर यानी या तो अपने देश के नक्शे में टौप पर या एकदम चरणों में बिछे हुए आइलैंड को फाइनल किया हुआ है. दोनों में से कौन सी जगह है, अब यह सीक्रेट रहेगा,’ प्रियांश ने उत्साह से भर कर कहा.
‘अभी 2 महीने बाकी हैं, देखती हूं तुम्हारे पेट में कितने दिनों तक बात पचती है.’

कल्याणी की आंखें नींद से बोझिल होने लगीं. दवा का असर होने लगा था. मानसिक तनाव घटने से वह नींद की गहराइयों में चली गई.
‘बहनजी, ये गुलाबी लहंगा सगाई के दिन के लिए तो ठीक है मगर शादी के दिन के लिए यह हलका है. यह वाला लहंगा देखिए. यह चटक लाल रंग, इस में जरदोजी और मोतियों का कितना सुंदर काम है. इधर नजर डालिए, इस के निचले भाग में पूरी बरात ही सजी है- डोली ले जाते कहार, आगे शहनाई वादक, डोली के पीछे नाचतेगाते बराती,’ दुकानदार सुभाष पूरी ताकत लगा कर दुकान के सब से कीमती लहंगे को आज ही बेच देना चाहता था. इस परिवार को वह बरसों से जानता है. बड़ी बहन विमिता, भाई आलोक सभी की शादी की शौपिंग उस के शोरूम में आए बिना पूर्ण हो न सकी.
‘ऐसा ही आप ने मेरी शादी पर भी कहा था कि ऐसा लहंगा, बस, एक ही पीस बना है. बाद में मेरी सहेली गौतमी ने भी अपनी शादी में वैसा ही लहंगा पहना हुआ था,’ विमिता तुनक कर बोली.
‘आप ने पूछा नहीं उस से कि उस ने वह लहंगा कहां से खरीदा था?’ सुभाष आज लहंगे को बेचे बिना कहां हार मानने वाला था.
‘आप की दुकान से ही तो लिया था,’ विमिता तुनक कर बोली.
‘आप की शादी की फोटो साथ में ले कर आई थी कि उसे भी ऐसा ही लहंगा बनवाना है, पीछे ही पड़ गई थी. जरा आप ही सोचिए, वह पूरे शहर में लहंगा पसंद करने तो गई ही होगी, फिर भी आप के लहंगे से बेहतर न मिला होगा. तभी तो जिद कर के वैसा ही बनवाया. लेकिन आप की शादी से पहले किसी के पास देखा आप ने ऐसा लहंगा?’
‘हां यह बात तो सही कही आप ने, मेरे लहंगे की कशीदाकारी की तो ससुराल में भी बड़ी चर्चा हुई थी,’ विमिता ने कहा.

‘सुन रही हैं कल्याणी बहन,
आज इस लहंगे को फाइनल
कर दीजिए. आप के लिए ही खास तैयार करवाया है. आप बहनों की पसंद तो बचपन से ही हमें पता है, सब से अलग, हट कर है. आप को हुनर की कद्र भी है और सम?ा,’ सुभाष को लहंगा किसी भी तरह आज बेचना ही है.
‘मु?ो इस का रंग कुछ ज्यादा ही चटख लग रहा है,’ कल्याणी हिचकिचाती
हुई बोलीं.
‘अरे बहन, अभी तो उम्र है चटख पहनने की. वह क्या कहते हैं कि मौका भी है और दस्तूर भी. आप के लिए 5 परसैंट डिस्काउंट.’
‘ओके, इसे तैयार करवा दीजिए.’
कल्याणी ने करवट बदली और नींद खुल गई. बैड में अभी भी सूखे फूलों की डोरियां लटकी हुई थीं जिन्हें देख कर कल्याणी की आंखों से आंसू गिरने लगे. वह वर्तमान में लौट आई थी.
तभी कमरे का दरवाजा खुला, विमिता हाथ में भोजन की थाली उठाए चली आ रही थी.
‘‘क्या प्रियांश आ गए?’’ आंखों से बहते आंसुओं को पोंछती हुई कल्याणी ने कहा.
थाली को बैड के साइड टेबल पर रख कर विमिता ने उस के आंसू पोंछे और उस के होंठों की तरफ पानी का गिलास बढ़ाते हुए कहा, ‘‘कल सुबह तक आ जाएंगे,’’
‘‘वे ठीक तो हो जाएंगे न?’’ कल्याणी ने उस के हाथ को बीच में ही रोक कर पूछा.
‘‘हां श-शायद,’’ कहते हुए उस की जबान लड़खड़ा गई.
‘‘ठीक ही होंगे, उन्हें कुछ नहीं हो सकता. मैं भी तो बच गई न उस गोलाबारी के बीच. बहुत से बच गए. सब दौड़ पड़े थे न. प्रियांश को तो गोली लगी थी, वे पीछे रह गए थे. बाद में सब को अस्पताल ले कर गए थे न वे लोग. उन्हें भी ले कर गए थे. वे लोग कह रहे थे, तुम चिंता मत करो, उसे कुछ नहीं होगा,’’ कल्याणी बड़बड़ाने लगी.

विमिता उस की बात में हांहां कहती हुई उस के मुंह में रोटी के दोचार कौर ठूंसने में सफल हो गई.
‘‘सुनो न, वे आतंकवादी उन्हीं घने पेड़ों के जंगल से अचानक निकल कर आए थे जहां सब लोग रील बना रहे थे. गोलियां चलने लगीं, सब भागने लगे.  कुछ लोगों को 4 लोगों ने घेर लिया, वहीं पर शूट कर दिया. हम भी हाथ पकड़ कर भागे लेकिन तब तक इन के कमर में गोली मार दी गई थी. मेरे हाथों में भी खून ही खून हो गया था.’’
‘‘मुंह खोलो, यह दवा खा लो,’’ उस की बारबार दोहराई जाने वाली बातों को विमिता ने बीच में ही काट दिया.
कल्याणी अपने मेहंदी रचे हाथों को घूरघूर कर देखने लगी, फिर उठ कर वाशबेसिन में हैंडवाश से हथेलियों को रगड़रगड़ कर धोने लगी मानो हाथों में लगे खून को साफ करना चाह रही हो.
विमिता जो कल से अपनी छोटी बहन की इसी कहानी और हरकत को दोहराते हुए देख रही थी, अपने आंसुओं को पोंछ कर कल्याणी को संभालने के लिए उठी और उस के हाथों को तौलिए से पोंछते हुए बोली, ‘‘यह देखो, तुम्हारे हाथ एकदम साफ हैं, इन में कुछ नहीं लगा है.’’
‘‘मेहंदी लगी हुई है, देखो न, कितनी गहरी रची है. वह तुम्हारी फ्रैंड गौतमी क्या कह रही थी, याद है?’’
‘‘नहीं, मुझे कुछ याद नहीं,’’ विमिता ने कहा.
‘‘यही कि जिस की मेहंदी जितनी गहरी रचती है, उस का पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है. सच है एकदम. ये भी मुझे बहुत प्यार करते हैं. यह देखो, मेरी मेहंदी का रंग इसी बात का सुबूत है,’’ कल्याणी की बहकीबहकी बातें सुन कर विमिता का कलेजा मुंह को आने लगा.

उस ने कल्याणी को बिस्तर पर लिटा दिया. उस का माथा दबाती हुई बोली, ‘‘सो जा, बहन. सुबह बहुत से काम करने होंगे.’’
‘‘कौन से काम, मैं कोई काम नहीं करूंगी. कल तो प्रियांश भी अस्पताल से घर आ जाएंगे. वे तो कहते हैं, ‘मैं तो तुम्हें रानी बना कर रखूंगा,’’ कल्याणी बुदबुदाने लगी. दवा के असर से उस की आंखें बंद होने लगीं.
विमिता ने उस के कमरे की रोशनी धीमी कर दी और खाने की थाली ले कर बाहर निकल गई.
तेज पटाखों की रोशनी व शोर, बैंडबाजों की धुनों के बीच घोड़ी पर सवार प्रियांश, उस के दरवाजे बाजेगाजे के साथ पहुंच गया. कल्याणी अपनी छत से उसे देख रही है. नीचे दूल्हे की द्वारचार की रस्म चल रही है.
‘चल कल्याणी, बहुत देख ली अपनी बरात,’ उसे गौतमी ने छेड़ा.
‘‘चल उठ, कल्याणी,’’ विमिता ने उसे जगा दिया.
‘‘प्रियांश, प्रियांश कहां हैं?’’
‘‘बाहर चलो, सभी वही हैं.’’
‘‘लेकिन मैं तो अभी तैयार नहीं हुई. इतनी जल्दी बरात कैसे आ गई, क्या मेरी विदाई ऐसे ही हो जाएगी?’’ कल्याणी
ने पूछा.
‘‘तेरी नहीं, प्रियांश की अंतिम विदाई है. जा बहन, उस के अंतिम दर्शन कर ले. वह आतंक का शिकार हो गया है. उसे आने में इसीलिए देर हुई क्योंकि बहुत सी कानूनी कार्यवाही पूरी करनी थी. तुझे तो ग्रुप के साथ पहले भेज दिया गया था. होश में आ, कल्याणी.’’
‘‘तुम झूठ कह रही हो, अभी मेरी शादी ही कहां हुई, अभी तो सिर्फ बरात ही आई है,’’ कल्याणी सच को स्वीकारने की स्थिति में नहीं थी.
कल्याणी के आगे उस के विवाह कार्ड को लहराते हुए विमिता ने कहा, ‘‘याद कर, एक हफ्ते पहले ही तेरी शादी हुई है. फिर तुम लोग कश्मीर घूमने गए थे और वहीं आतंकवादी हमले में जो लोग शहीद हो गए उन्हीं में एक तेरा, हमारा, हम सब का प्यारा प्रियांश भी था. इस सच को स्वीकार कर लो, बहन. पिछले एक हफ्ते में तेरी जिंदगी इतनी तेजी से भागी है कि तेरे दिलोदिमाग पर गहरा असर हो चला है,’’ विमिता उसे सहारा दे कर बाहर के कमरे में ले आई.
उस कमरे से बाहर गेट तक प्रियांश के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की कतारें लगी हुई थीं. मीडिया के फ्लैश उसे देखते ही चमकने लगे.
मीडियाकर्मी उस के मुंह पर माइक लगाने को उतावले हो उठे, ‘‘आप बताइए कि यह सब कैसे हुआ?’’
‘‘सब से पहले आतंकियों ने किसे गोली मारी थी?’’
‘‘आप के साथ और कौनकौन था?’’
‘‘कितने आतंकी थे? आप ने उन का चेहरा देखा था या उन के मुंह ढके
हुए थे?’’
‘‘उन का हुलिया, मतलब, पहनावा कैसा था?’’
‘‘नहीं, यह सच नही है. कहो कि सब ठीक है,’’ कल्याणी चीत्कार कर उठी और प्रियांश के पार्थिव शरीर से लिपट गई. उस के माथे को बारबार चूमती हुई कहने लगी, ‘‘उठो
प्रियांश, कहो न, कहो प्रियांश, यह सब ठीक है.’’
‘‘मेरे बस में होता तो इस घटना को झुठला देती,’’ कह कर विमिता उस के गले लग कर, फफक कर रो पड़ी.
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Wedding Vibes : मुझसे 5 साल छोटा एक लड़का शादी करने को तैयार है, बताएं क्या करूं?

Wedding Vibes  : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक पढ़ें

सवाल

मैं 38 साल की कामकाजी अविवाहिता हूं. घर की परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि शादी नहीं कर पाई. इस का कुसूरवार भी मैं खुद को मानती हूं. माता पिता जब तक थे तब तक सहारा था अब भाई भाभी अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त रहते हैं तो कई बार अकेलापन महसूस होता है. क्या शादी से मेरा अकेलापन दूर हो सकता है और मुझे जिंदगी जीने का मकसद मिल सकता है? मुझसे 5 साल छोटा एक लड़का शादी करने को तैयार है पर सोचती हूं कि न जाने परिवार और समाज क्या सोचेगा? बताएं क्या करूं?

जवाब

पलपल बदलती दुनिया में कई बार अकेलापन महसूस होता है. आप के साथ इस की वजहें भी हैं. मातापिता के गुजर जाने के बाद जाहिर है आप अपना दुखदर्द शायद ही किसी के साथ बांट पा रही होंगी.

कई ऐसी बातें होती हैं, जिन्हें आप किसी से भी फिर चाहे वे दोस्त हों या रिश्तेदार खुल कर नहीं कह सकतीं. यों तो अकेलापन दूर करने के कई साधन हैं पर चूंकि आप विवाह करने को उत्सुक हैं तो समाज व रिश्तेदारों की परवाह किए बगैर शादी कर सकती हैं.

आप से 5 साल छोटा लड़का आप से विवाह करने को इच्छुक है तो बिना वक्त गंवाए शादी के लिए हामी भर दें. इस से न सिर्फ आप का अकेलापन दूर हो जाएगा, आप को जीने का मकसद भी मिल जाएगा. लड़का इतना भी छोटा नहीं है कि आप की जोड़ी बेमेल लगे. समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं, जो उम्र में काफी अंतर होने के बावजूद अच्छा व खुशहाल शादीशुदा जीवन बिता रहे हैं. यदि बाद में कोई दिक्कत होगी तो देखा जाएगा. यह जोखिम वह लड़का ले रहा है, आप नहीं.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

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Love Stories In Hindi : कैक्टस के फूल- क्या विजय और सुषमा बन पाए हमसफर

Love Stories In Hindi : फोन आने की खबर पर सुषमा हड़बड़ी में पलंग से उठी और उमाजी के क्वार्टर की ओर लंबे डग भरती हुई चल पड़ी. कैक्टस के फूलों की कतार पार कर के वह लौन में कुरसी पर बैठी उमाजी के पास पहुंच गई.

‘‘तुम्हारे कजिन का फोन आया है, वह शाम को 7 बजे आ रहा है. उस के साथ कोई और भी आ रहा है इसलिए कमरे को जरा ठीकठाक कर लेना,’’ उमाजी के चेहरे पर मुसकराहट आ गई.

उमाजी के चेहरे पर आज जो मुसकराहट थी, उस में कुछ बदलाव, सहजता और सरलता भी थी. उमाजी तेज स्वर में बोली, ‘‘आज कोई अच्छी साड़ी भी पहन लेना. सलवारकुरता नहीं चलेगा.’’

बोझिल मन के साथ वह कब अपने रूम में पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला. एक बार तो मन में आया कि वह तैयार हो जाए, फिर सोचा कि अभी से तैयार होने से क्या फायदा? आखिर विजय ही तो आ रहा है.

कई महीने पहले की बात है, उस दिन सुबह वाली शटल टे्रन छूट जाने के बाद पीछे आ रही सत्याग्रह ऐक्सप्रैस को पकड़ना पड़ा था. चैकिंग होने की वजह से डेली पेसैंजर जनरल बोगी में लदे हुए थे. वह ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रही थी तभी टे्रन चल पड़ी. गेट पर खड़े विजय ने उस का हाथ पकड़ कर उसे गेट से अंदर किया था. उस ने कनखियों से विजय को देखा था. सांवले चेहरे पर बड़ीबड़ी भावुक आंखों ने उसे आकर्षित कर लिया था.

उस के बाद वह अकसर विजय के साथ ही औफिस तक की यात्रा पूरी करती. विजय राजनीति, साहित्य और फिल्मों पर अकसर बहस व गलत परंपराओं और कुरीतियों के प्रति नाराजगी प्रकट करता. विजय मेकअप से पुती औरतों पर अकसर कमैंट करता. इस बात पर वह सड़क पर ही उस से झगड़ा करती और फिर विजय के हावभाव देखती.

एक दिन सुबह ही वह उमाजी के क्वार्टर पर पहुंची और उन से फिरोजाबाद से मंगाई चूडि़यां मांगने लगी थी. ‘मैडम, आप ने कहा था कि रंगीन चूडि़यां तो आप पहनती नहीं हैं, आप के पास कई पैकेट आए थे, उन में से एक…’

‘अरे, तुझे चूडि़यों की कैसे याद आई? तू तो कहती थी कि साहब के सामने डिक्टेशन लेने में चूडि़यां बहुत ज्यादा खनकती हैं. एकदो पैकेट तो मैं ने आया मां की लड़की को दे दिए हैं, वह ससुराल जा रही थी पर तुझे भी एक पैकेट दे देती हूं.’

एक दिन उमाजी ने सुषमा से मुसकराते हुए पूछा, ‘तुम्हारे जिस कजिन का फोन आता है, उस से तुम्हारा क्या रिश्ता है?’

वह एकदम हड़बड़ा सी गई. उस ने अपने को संयत करते हुए कहा, ‘अशोक कालोनी में मेरे दूर के रिश्ते की आंटी हैं, उन का बेटा है.’

‘सीधा है, बेचारा,’ उमाजी मुसकराईं.

‘क्या मतलब आंटी? कैसे? मैं समझी नहीं,’ उस ने अनजान बनने की कोशिश की.

‘मैं ने फोन पर उस से तेज आवाज में पूछ लिया कि आप सुषमा से बात तो करना चाहते हैं पर बोल कौन रहे हैं, तो वह हड़बड़ा कर बोला, ‘मैं विजय सरीन बोल रहा हूं, मैं बहुत देर तक सोचती रही कि सरीन सुषमा गुप्ता का कजिन कैसे हो सकता है.’

‘ओह आंटी, आप को तो सीबीआई में होना चाहिए था. एक होस्टल वार्डन का पद तो आप के लिए बहुत छोटा है.’

उमाजी सुषमा में आए परिवर्तन को अच्छी तरह समझने लगी थीं. वे बेटी की तरह उसे प्यार करती थीं.

मुरादाबाद में सांप्रदायिक दंगे होने के कारण टे्रनों में भीड़ नहीं थी. एक दिन विजय उसे पेसैंजर टे्रन में मिल गया था. कौर्नर की सीट पर वह और विजय आमनेसामने थे. हलकी बूंदाबांदी होने से बाहर की तरफ फैली हरियाली मन को अधिक लुभा रही थी. सुषमा भी बेहद खूबसूरत नजर आ रही थी.

‘आज तुम्हें देख कर करीना कपूर की याद ताजा हो रही है,’ विजय ने उस को देख कर कहा. उसे लगा कि विजय ने शब्द नहीं चमेली के फूल बिखेर दिए हों. उस ने एक नजर विजय की ओर डाली तो वह दोनों हाथ खिड़की से बाहर निकाल कर बरसात की बूंदों को अपनी हथेलियों में समेट रहा था.

वह उस से कहना चाहती थी कि विजय, तुम्हें एकपल देखने के लिए मैं कितनी रहती हूं. तुम से मिलने की खातिर बेचैन अलीगढ़, कानपुर, इलाहाबाद शटल को छोड़ कर सर्कुलर से औफिस जाती हूं और देर से पहुंचने के कारण बौस की झिड़की भी खाती हूं.

अकसर विजय उस से मिलने होस्टल भी आ जाता था. उसे भी रविवार और छुट्टी के दिन उस का बेसब्री से इंतजार रहता था. अकसर रूटीन में वह रविवार को ही कमरा साफ करती थी, पर जब उसे मालूम होता कि विजय आ रहा है तो विशेष तैयारी करती. अपने लिए वह इतनी आलसी हो जाती थी कि मौर्निंग टी भी स्टेशन पहुंच कर टी स्टौल पर पीती. विजय के जाने के बाद जो सलाइस बच जाती उन्हें भी नहीं खाती. उसे या तो चूहे खा जाते या फिर माली के लड़के को दे देती, जिन्हें वह दूध में डाल कर बड़े चाव से खाता.

एक दिन विजय ने सुषमा के सारे सपने तोड़ दिए थे. डगमगाते कदमों से वह रूम तक आया और ब्रीफकेस को पटक कर पलंग पर लेट गया. शराब की दुर्गंध पूरे कमरे में फैल गई थी. उस ने उठ कर दरवाजे पर पड़ा परदा हटा दिया था.

उसे आज विजय से डर सा लगा था, जबकि वह उस के साथ नाइट शो में फिल्म देख कर भी आती रही है.

‘सुषमा, तुम जैसी खूबसूरत और होशियार लड़की को अपना बनाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है. उस दिन ट्रेन में पहले मैं चढ़ा था, मैं जानता था कि चलती टे्रन में चढ़ने के लिए तुम्हें सहारे की जरूरत होगी. उस दिन तुम्हें सहारा दे कर मैं ने आज तुम्हें अपने पास पाया,’ विजय ने लड़खड़ाती जबान से बोला.

उस ने सोचा था कि अपने सपनों को भरने के लिए उस ने गलत रंगों का इस्तेमाल कर लिया है. उस का चुनाव गलत साबित हुआ है. उस दिन सुषमा एक लाश बनी विजय को देखती रही थी. चौकीदार की सहायता से उस की मोटरसाइकिल को अंदर खड़ा करवा कर उसे ओटो से उस के घर के बाहर तक छोड़ आई थी. सुबह विजय चुपके से चौकीदार से मोटरसाइकिल मांग कर ले गया था.

अगले दिन उमाजी ने सुषमा को एक माह के अंदर होस्टल खाली करने का नोटिस दे दिया था. वह नोटिस ले कर मिसेज शर्मा के पास गई और उन के गले लग कर फफकफफक कर रो पड़ी थी. उमाजी ने नोटिस फाड़ दिया था.

विजय से मिलने में उस की कोई खास दिलचस्पी नहीं रह गई थी. उस ने अब लेडीज कंपार्टमैंट में आनाजाना शुरू कर दिया था. अगर वह स्टेशन पर मिल भी जाता तो हल्का सा मुसकरा कर हैलो कह देती. उस का सुबह उठने से ले कर रात सोने तक का कार्यक्रम एक ढर्रे पर चलने लगा था.

सुषमा की नीरसता से भरी दिनचर्या उमाजी से देखी नहीं गई. एक दिन उमाजी ने उसे चाय पर बुलाया, ‘सुषमा, नारी विमर्श और नारी अधिकारों की चर्चाएं बहुत हैं पर आज भी समाज में पुरुषों का डोमिनेशन है. इसलिए बहुत कुछ इग्नोर करना पड़ता है और तू कुछ ज्यादा ही भावुक है. अपनी जिंदगी को प्रैक्टिकल बना कर खुश रहना सीखो.

‘शराब को ले कर ही तो तुम्हारे अंकल से मैं लड़ी थी. 2 दिन बाद ही एक विमान दुर्घटना में उन की मौत हो गई. आज भी उस बात का मुझे दुख है.’

अचानक स्मृतियों की शृंखला टूट गई. सुषमा ने देखा कि गेट पर उमाजी खड़ी थीं. उन के हाथ में रात में खिले कैक्टस के फूल के साथ ही पिंक कलर की एक साड़ी थी.

‘‘आंटीजी, आप ने मुझे बुला लिया होता,’’ सुषमा को पता है कि पिंक कलर विजय को पसंद है.

‘‘जाओ, इस साड़ी को पहन लो.’’

साड़ी पहन कर जैसे ही सुषमा कमरे में आई तो उसे उमाजी के साथ एक और भद्र महिला दिखीं. उमाजी ने परिचय कराया, ‘‘यह तुम्हारे कजिन विजय की मम्मी हैं.’’

‘‘सुषमा, मेरा बेटा बहुत नादान है. तुम तो बहुत समझदार हो. उस के लिए तुम से मैं माफी मांगने आई हूं. तुम दोनों की स्मृतियों के हर पल को मैं ने महसूस किया, क्योंकि तुम्हारे से हुई हर मुलाकात का ब्योरा वह मुझे देता था. जिस रात तुम ने उसे घर तक छोड़ा है, उस रात वह मेरे गले लग कर बहुत रोया था. तुम उस के जीवन में एक नया परिवर्तन ले कर आई हो,’’ विजय की मम्मी ने सुषमा के चेहरे से नजरें हटा कर उमाजी की ओर डालीं, ‘‘उमाजी ने तुम तक पहुंचने में हमारी बहुत मदद की है. मैं तुम्हें अपनी बहू बनाना चाहती हूं, क्योंकि मेरे बेटे के उदास जीवन में अब तुम ही रंग भर सकती हो. यह साड़ी में उसी की पसंद की तुम्हारे लिए लाई हूं.’’

‘‘सुषमा, हर बेटी को विदा करने का एक समय आता है. विजय ने तुम्हें एक अंगूठी दी थी, तुम ने उसे कहीं खो तो नहीं दिया है.’’

‘‘नहीं आंटी, वह ट्रंक में कहीं नीचे पड़ी है,’’ सुषमा ने ट्रंक खोल कर अंगूठी निकाली तथा सड़क की ओर खुलने वाली खिड़की को खोल दिया.

सुषमा ने देखा, बाहर मोटरसाइकिल पर विजय बैठा था. उमाजी और विजय की मम्मी ने एकसाथ आवाज दी, ‘‘विजय, ऊपर आ जा. इस अंगूठी को तो तू ही पहनाएगा,’’ सुषमा को लगा जैसे उस के सपने इंद्रधनुषी हो गए हैं.

Grihshobha Empower Her : Event Kicks Off in Chandigarh with Great Enthusiasm

Grihshobha Empower Her : The Delhi Press Publication successfully launched the “Grihshobha Empower Her” event at Kalagram, Chandigarh, on 7th December 2024 at 11 AM. The participating women were visibly excited—and why wouldn’t they be? Partnering with Grihshobha gave them an opportunity to get inspired, learn, and empower themselves.

The “Grihshobha Empower Her” initiative aims to help women advance in the fields of health, beauty, and financial planning. From skincare and wellness tips to smart saving strategies, this program is designed to empower women to live their best lives. After successful editions in Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Lucknow, Bangalore, and Ludhiana, the event finally made its way to Chandigarh.

The event’s associate sponsors included Dabur Chyawanprash, beauty partner Green Leaf Brillance, skincare partner La Shield, and homeopathy partner SBL Homeopathy. Throughout the event, these brands organized interactive sessions and fun games, with participants also receiving gift hampers.

By 12 PM, the hall was packed. Women were welcomed with snacks and tea, followed by the formal inauguration by Vandana, who beautifully outlined the day’s agenda.

 Women’s Health & Wellness Session

The Dabur Chyawanprash session on women’s health and wellness was led by Dr. Madhu Gupta, an Ayurvedic doctor with over 20 years of experience.

Currently practicing at Shakti Bhavan, Panchkula, she holds an MD in Kayachikitsa (Medicine) from RGGPG Ayurvedic College, Himachal Pradesh and a Bachelor’s in Ayurvedic Medicine from Shri Dhanwantri Ayurvedic College, Chandigarh. She specializes in lifestyle disorders and autoimmune diseases.

Dr. Gupta spoke in detail about iron deficiency in women, a common yet often overlooked health issue, and shared effective remedies.

Financial Planning & Investment Session for Women

Financial expert Devendra Goswami, with over 21 years of experience in money management and financial planning, conducted this session. A graduate from SCD Government College and holding a Master’s in Financial Planning from PCTE, he has worked with top banks and corporations and is the founder of Bluerock Wealth Private Limited.

He explained why financial literacy is crucial for women, emphasizing saving a portion of income and investing wisely for economic independence. He introduced Systematic Investment Plans (SIPs) in mutual funds as a smart way to invest small amounts monthly. He also highlighted the importance of life and health insurance, empowering women to secure their future.

SBL Homeopathy Session

Dr. Shweta Goel, a gold medalist in BHMS from Panjab University, Chandigarh, and an MD in Homeopathy (specializing in Greece), shared insights on managing menopause-related health issues with homeopathy. With over five years of experience, she runs two clinics in Punjab and focuses on treating chronic ailments from the root.

La Shield Beauty & Skincare Session

Health and savings have been discussed, but some important topics essential for women are still left — yes, we’re talking about beauty.

During the event, beauty and skincare expert Dr. Rashmi Mahajan, representing ‘La Shield’, shed light on various aspects related to facial beauty. She spoke about the factors that damage the skin and how it can be protected effectively.

Grand Finale

As the event concluded, women enjoyed lunch, collected their goodie bags from the registration desk, and headed home after a fulfilling and empowering day.

This Grihshobha Empower Her event once again proved to be a transformative experience, equipping women with knowledge and tools to lead healthier, financially secure, and more confident lives.

 

Family Story : तेरी सास तो बहुत मौडर्न है

Family Story : आज सुबहसुबह जैसे ही नियति का फोन श्रीकांतजी के मोबाइल पर आया, उन की पत्नी लीला ने उन्हें फोन स्पीकर पर डालने का इशारा किया और उन्होंने स्पीकर औन कर दिया.

नियति हंसती हुई बोली, “हैलो पापा, आप ने स्पीकर औन कर लिया हो और मम्मी आ गई हों तो मैं अपनी बात शुरू करूं.”

पिछले 2 महीनों से यही चल रहा है. नियति का फोन जब भी आता है, श्रीकांतजी स्पीकर औन कर देते हैं क्योंकि नियति और उस की मां लीला की बातचीत तब से बंद है, जब से नियति ने अपना निर्णय सुनाया है कि वह शादी अपने कलिग और स्कूल फ्रैंड विकल्प से ही करना चाहती है. यह बात जानते ही दोनों मांबेटी के बीच अबोलेपन ने अपना स्थान ले लिया. लेकिन जब भी नियति का फोन आता है, लीला अपने सारे काम छोड़ कर फोन के करीब आ जाती है, यह जानने के लिए कि नियति क्या कह रही है.

नियति की बातों को सुन कर लीला के चेहरे के हावभाव बनतेबिगड़ते रहते हैं, क्योंकि लीला किसी हाल में नहीं चाहती कि उन की बेटी किसी विजातीय लड़के से ब्याह करे.

वैसे, लीला क‌ई दफा विकल्प की मां मिसेज चंद्रा से नियति के स्कूल फंक्शन और पैरेंट्स टीचर मीटिंग में मिल चुकी है. मिसेज चंद्रा मौडर्न और स्वतंत्र विचारधारा की महिला है.

लीला को लगता है कि मिसेज चंद्रा जरूरत से ज्यादा ही मौडर्न है. मिस्टर चंद्रा इंडियन नेवी में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर थे. उन का घर ग्वालियर के पौश एरिया में है और काफी आलीशान भी है. नौकरचाकर सब हैं. किसी चीज की कोई कमी नहीं है. उन के घर का वातावरण, रहनसहन थोड़ा भिन्न है, जो लीला को शुरू से ही अटपटा लगता आया है. क्योंकि लीला जहां रहती है, वहां की औरतें ना तो मिसेज चंद्रा की भांति बिना आस्तीन का ब्लाउज पहनती हैं और ना ही बिना सिर पर पल्लू लिए घर से बाहर निकली हैं. ऊपर से इन का पूरा परिवार शुद्ध शाकाहारी और उन के घर पर बिना अंडा, मांस, मछली के काम ही नहीं चलता.

श्रीकांतजी एक सुलझे हुए और सरल व्यक्तिव के धनी हैं. उन्हें इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं, क्योंकि उन के लिए तो नियति की खुशी ही सब से बड़ी है. उन का मानना है कि जातिपांति, धर्म कुछ नहीं होता, मनुष्य की बस एक ही जाति है और एक ही धर्म होता है और वह है मानवता का धर्म. श्रीकांतजी को मिसेज चंद्रा के मौडर्न होने से भी कोई तकलीफ नहीं है.

श्रीकांतजी ने भी हंसते हुए कहा, “हां बोलो, तुम्हारी मम्मी आ गई हैं.”

“पापा, कल मैं और विकल्प ग्वालियर आ रहे हैं, फिर शाम को विकल्प के मौमडैड आप और मम्मी से हमारी शादी की बात करने आएंगे.”

श्रीकांतजी नियति को आश्वस्त करते हुए बोले, “तुम चिंता मत करो. सब ठीक होगा.”

यह सुनने के बाद नियति ने कहा, “थैंक्यू पापा, मुझे आप से एक बात और शेयर करनी है. मैं ने और विकल्प ने कंपनी चेंज कर ली है. हमारी न‌ई कंपनी का सबडिविजनल औफिस ग्वालियर में भी है तो शादी के बाद हम दोनों ग्वालियर आ जाएंगे.”

“यह तो और भी अच्छी बात है. हमारी बेटी शादी के बाद भी इसी शहर में रहेगी, हमें और क्या चाहिए. यह खबर सुनते ही तुम्हारी भाभी बहुत खुश हो जाएगी.”

भाभी का नाम सुनते ही नियति चहकती हुई बोली, “पापा, भाभी कहां है. बात तो कराइए.”

“इस वक्त तो वह किचन में व्यस्त है.”

नियति थोड़ा नाराज होती हुई बोली, “पापा, मैं ने मम्मी से कितनी बार कहा है कि एक फुल टाइम मैड रख लो, सुबह से ले कर रात तक भाभी बेचारी घर के कामों में ही उलझी रहती है. यहां तक कि उन के पास अपने खुद के लिए भी समय नहीं होता. और मम्मी हैं कि कुछ समझती ही नहीं. उन्हें लगता है कि घर का सारा काम बहू का ही है. ऊपर से भाभी को सारे काम साड़ी पहन कर करने पड़ते हैं. उन्हें काम करने में कितनी असुविधा होती है.

“पापा आप मम्मी को समझाइए, वक्त तेजी से बदल रहा है. अब मम्मी को भी थोड़ा बदलना होगा. अच्छा पापा, अब मैं फोन रखती हूं.”

ऐसा कह कर नियति ने फोन रख दिया.

नियति के फोन रखते ही लीला के चेहरे का रंग गुस्से से लाल हो गया और वह बड़बड़ाती हुई कहने लगी, “लो… अब ये छोरी सिखाएगी मुझे बहू से क्या काम करवाना है और क्या नही. खुद को तो ढेलेभर की अक्ल नहीं. एक ऐसी औरत की बहू बनने को उतावली हुए जा रही है, जिसे हमारी संस्कृति का जरा सा भी ज्ञान नहीं. ना तो वह अपने सिर पर पल्लू लेती है और ना ही उसे छोटेबड़े का लिहाज है. शादी हो जाने दो, फिर पता चलेगा मौडर्न सास कैसी होती है.”

लीला को अपनी स्वयं की बेटी के लिए इस प्रकार मुंह से आग उगलता देख श्रीकांतजी बोले, “अब बस भी करो लीला, मिसेज चंद्रा मौडर्न हैं, इस का मतलब यह नहीं कि वे बुरी हैं या फिर बुरी सास ही साबित होगी, कम से कम अपनी बेटी के लिए तो अच्छा सोचो और अच्छा बोलो. विकल्प अपने पैरेंट्स के साथ हम से मिलने आ रहा है. कल न‌ए रिश्तों की नींव पड़ने वाली है. मैं नहीं चाहता कि किसी भी रिश्ते की शुरुआत खटास से हो.”

श्रीकांतजी के ऐसा कहते ही लीला कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किए बगैर वहां से चली गई.

दूसरे दिन नियति आ गई. शाम की पूरी तैयारियां जोरों पर थीं. वह वक्त भी आ गया, जब विकल्प अपने पैरेंट्स के साथ नियति के घर पहुंचा.

मिसेज चंद्रा की खूबसूरती आज भी बरकरार थी. उसे देखते ही लीला मन ही मन कुड़कुड़ाने लगी. जवान बेटे की मां और ये साजोसिंगार, अपनी उम्र तक का लिहाज नहीं. आग लगे ऐसे मौडर्ननेस को, लेकिन मिसेज चंद्रा इन सब से बेखबर, घर के सभी सदस्यों के साथ बड़ी आत्मीयता से मिल रही थी. बातों ही बातों में मिसेज चंद्रा ने कहा, “मैं बड़ी खुश किस्मत हूं, जो मुझे नियति जैसी खूबसूरत और समझदार बहू मिल रही है. मैं ढूंढ़ने भी निकलती तो नियति जैसी बहू मुझे नहीं मिलती.”

मिसेज चंद्रा के ऐसा कहने पर लीला व्यंग्यात्मक लहजे में बोली, “खूबसूरत, समझदार के साथसाथ कमाऊ बहू भी मिल रही है मिसेज चंद्रा, ये कहना भूल ग‌ईं आप.”

लीला का ऐसा कहना श्रीकांतजी, नियति और उस के भैयाभाभी को बड़ा अटपटा और बुरा लगा, लेकिन मिसेज चंद्रा बड़े सहज भाव से लीला की बातों को हंसी में उड़ा गई. उस के कुछ सप्ताह बाद नियति और विकल्प की शादी बड़े धूमधाम से हो गई.

शादी में आए सभी मेहमानों द्वारा शादी में किए गए शानदार इंतजाम को ले कर खूब तारीफ हुई, साथ ही साथ नियति व विकल्प की भी काफी प्रशंसा हुई. इन सब के अलावा सभी की जबान पर एक और बात की चर्चा जोरों पर थी और वह थी मिसेज चंद्रा की लेटेस्ट ज्वेलरी, स्टाइलिस साड़ी और हेयर स्टाइल.

लीला के सभी सगेसंबंधी और सहेलियां उस से यह कहने से नहीं चूकीं कि लीला बहन तुम ने तो दामाद के संग समधन भी बड़ी जोरदार पाई है. नियति की सास तो बड़ी मौडर्न है. इस उम्र में इतना स्टाइल, कमाल है… तुम्हारी समधन तो काफी स्टाइलिश है.

सभी के मुंह से बस एक ही बात सुन कर कि नियति की सास तो बड़ी मौडर्न है, लीला के कान पक गए और जब नियति शादी के बाद पहली बार घर आई तो लीला नियति की खैरखबर लेने के बजाय उस से कहने लगी, “कैसी है तेरी मौडर्न सास..? सजनेसंवरने के अलावा भी कुछ करती है या बस सारा दिन केवल आईने के सामने ही बैठी रहती है.”

अपनी मां का इस तरह बातबेबात नियति को उस की सास के मौडर्न होने का ताना देना उसे अच्छा नहीं लगता, इसलिए धीरेधीरे अब नियति अपने मायके आने से कतराने लगी. बस फोन पर ही अपने पापा और भाभी से बात कर लेती.

औफिस का भी यही हाल था. नियति के हर फैंड्स और कलीग्स को बस यही जानना होता है कि उस की सास का उस के साथ व्यवहार कैसा है..? उसे परेशान तो नहीं करती है…? नियति अपनी सास के होते हुए इतना फ्री कैसे रहती है…? क्योंकि सभी को लगता है कि नियति की सास बड़ी तेजतर्रार, स्टाइलिश और मौडर्न है.

नियति को यह बात समझ ही नहीं आ रही थी कि लोग सभी को एक ही तराजू पर क्यों तौलते हैं. ऐसा जरूरी तो नहीं कि जो महिला स्टाइलिश हो, मौडर्न हो, वह तेजतर्रार और बुरी सास ही होगी और जो देखने में सिंपल हो, सीधीसादी लगती हो, वह अच्छी सास ही होगी.

एक शनिवार नियति अपने मायके में फोन कर अपनी मम्मी से बोली, “मम्मी, इस वीकेंड पर हम पिकनिक पर जा रहे हैं. मौम कह रही थीं कि आप सब भी हमारे साथ चलते तो एक अच्छा फैमिली पिकनिक हो जाएगा. आप भैयाभाभी से भी चलने को कह देना.”

नियति का इतना कहना था कि लीला भड़क उठी और कहने लगी, “हमें कहीं नहीं जाना तेरी मौडर्न सास के साथ और ना ही हमारी बहू जाएगी तुम लोगों के साथ. तुम सासबहू दोनों घूमो जींसपेंट घटका कर पूरे शहर में. तुम्हें ना सही, पर हमें तो है लोकलाज का खयाल.

“वैसे भी तुम्हारी भाभी अपने मायके इंदौर गई है और तुम्हारा पत्नीभक्त भाई उस के साथ ही गया है. दोनों यहां होते भी तो हम में से कोई ना जाता तुम्हारे मौडर्न परिवार के साथ कहीं, क्योंकि उस दिन मेरे गुरुजी का जन्मदिन है, इसलिए हमारी समिति की ओर से इस अवसर पर भव्य सत्संग रखा है. उस दिन गुरुजी सभी को दर्शन और आशीर्वाद देंगे, जो जीवन की सद्गति के लिए बहुत जरूरी है. यह सब तेरी मौडर्न सास क्या समझेगी.”

लीला का इतना कहना था कि नियति ने गुस्से में फोन काट दिया.

निर्धारित दिन पर नियति अपने पूरे परिवार के साथ इधर पिकनिक के लिए निकल पड़ी, उधर लीला और श्रीकांतजी भी गुरुजी से आशीष लेने सत्संग के लिए निकल पड़े.

आज पूरा दिन परिवार के संग इतना अच्छा समय बिता कर नियति काफी खुश थी. उसे बस इस बात का अफसोस था कि आज की इस खुशी का हिस्सा उस के अपने मम्मीपापा केवल उस की मौम की संकुचित मानसिकता की वजह से नहीं बन पाए थे.

पिकनिक से लौटते वक्त नियति इन्हीं सब बातों में गुम थी कि अचानक उस का मोबाइल बजा. फोन किसी अनजान नंबर से था. फोन रिसीव करते ही नियति की आंखों से अविरल अश्रुधारा प्रवाहित होने लगी.

यह देख नियति की सास ने उस से कारण जानना चाहा, तो नियति रोती हुई बोली, “मम्मी का फोन था. सत्संग से लौटते हुए मम्मीपापा का एक्सीडेंट हो गया है. पापा गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. मम्मी को ज्यादा चोटें नहीं आई हैं. मोबाइल भी टूट गया है, इसलिए उन्होंने किसी दूसरे के मोबाइल से फोन किया था. भैयाभाभी भी शहर से बाहर हैं और वहां सिटी अस्पताल में पुलिस प्रक्रिया में देर होने की वजह से पापा का इलाज शुरू नहीं हो पा रहा है. मम्मी बहुत घबराई हुई हैं और परेशान हैं.”

इतना सुनते ही मिसेज चंद्रा बोलीं, “तुम्हें रोने या परेशान होने की जरूरत नहीं बेटा, शहर के डीएसपी से मेरा बहुत अच्छा परिचय है. मैं अभी उन्हें फोन कर देती हूं और अस्पताल में भी फोन कर देती हूं. वहां भी मेरी पहचान के काफी सीनियर डाक्टर हैं, वे सब संभाल लेगें. तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं और कुछ घंटों में तो हम भी शहर पहुंच ही जाएंगे.”

ऐसा कहती हुई मिसेज चंद्रा ने अपने क‌ई मित्रों और पहचान के नामीगिरामी हस्तियों को फोन कर नियति के मम्मीपापा को हर संभव मदद करने को कह दिया.

जब नियति अपने पूरे परिवार के साथ अस्पताल पहुंची, तो उस के मम्मीपापा का इलाज शुरू हो गया था. पुलिस और अस्पताल के डाक्टर व स्टाफ अपना पूरा सहयोग दे रहे थे.

यह देख एक बार फिर नियति की आंखें नम हो गईं और उस के चेहरे पर अपनी सास के प्रति आदर और कृतज्ञता के भाव उभर आए.

नियति की मम्मी 3 दिनों तक अस्पताल में एडमिट रहीं और उस के पापा 15 दिनों तक, मिसेज चंद्रा पूरी आत्मीयता से हर रोज अस्पताल में मिलने जाती. उन की वजह से नियति के मम्मीपापा को अस्पताल में कभी कोई परेशानी नहीं हुई. वहां उन का विशेष ध्यान रखा गया और अस्पताल के डाक्टरों व स्टाफ के द्वारा भरपूर सहयोग मिला. उस के बावजूद मिसेज चंद्रा के प्रति लीला के विचार और बरताव में कोई फर्क नहीं आया.

लीला अब भी अपने स्वस्थ होने और सही समय पर इलाज मिलने का श्रेय अपने गुरुजी की कृपा और आशीर्वाद को ही दे रही थी.

मिसेज चंद्रा को लीला अपने गुरुजी के द्वारा भेजा गया केवल एक माध्यम समझ रही थी, जबकि गुरुजी का इस बात से कोई वास्ता ही नहीं था.

लीला की इस प्रकार अंधभक्ति देख और बारबार अपनी ही मां से अपनी सास के लिए अपमान भरे शब्द सुनसुन कर नियति ने यह तय कर लिया कि वह अब ना तो अपने मायके जाएगी और ना ही अपनी मम्मी को फोन करेगी.

काफी दिनों तक जब नियति अपने मायके नहीं गई, तो एक दिन नियति की सास ने उस से कहा, “नियति बेटा, तुम बहुत दिनों से अपने मायके नहीं गई हो, इस संडे समय निकाल कर उन से मिल आओ. उन्हें तुम्हारी चिंता होती होगी.”

नियति अपनी सास की बात टालना नहीं चाहती थी और ना ही उन्हें सच बता कर उन का दिल दुखाना चाहती थी, इसलिए वह बोली, “जी. इस संडे चली जाऊंगी.”

संडे को जब नियति अपने मायके पहुंची, तो पापा उसे वरांडे में आरामकुरसी पर बैठे किताब पढ़ते मिल गए. काफी देर पापा के पास बैठने के बाद जब नियति अंदर गई तो उस ने देखा कि उस की मम्मी अपनी सहेलियों के साथ बैठी हंसीठिठोली कर रही है और उस की भाभी भागभाग कर सब के लिए चायनाश्ता और पानी की व्यवस्था कर रही है.

यह देख नियति अपनी भाभी का हाथ बंटाने किचन की ओर बढ़ी ही थी कि वहां बैठी उस की मम्मी की सहेलियों में से एक ने कहा, “अरे नियति, तुम कब आई? इधर आ… हमारे पास बैठ. मैं ने तो सुना है कि तेरी सास बड़ी मौडर्न है, तुम अपनी सास के साथ ससुराल में कैसे निभा रही हो?”

नियति चुप रही, फिर क्या था एक के बाद एक सभी ने नियति की सास का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. कोई उन की लिपिस्टिक पर फिकरे कसने लगा, तो कोई हेयर स्टाइल पर, किसी को उन का इस उम्र में जींस पहनना गलत लग रहा था, तो किसी को उन के लहराते हुए आंचल से आपत्ति थी.

सभी की अनर्गल बातें सुन कर नियति से रहा नहीं गया और वह सब पर बरस पड़ी और कहने लगी, “हां, मेरी सास बड़ी मौडर्न है. वह केवल मौडर्न ड्रेस ही नहीं पहनती, उन की सोच भी मौडर्न है. वे अपनी बहू को चारदीवारी में घूंघट के पीछे घुटनभरी जिंदगी नहीं, खुली हवा में आजादी की सांस लेने देती है.

“यहां आप में से कितनी सास अपनी बहू को उन की मरजी से जीने देती है…?अपनी बहू का बेटी की तरह मां बन कर ध्यान रखती है..? लेकिन मेरी मौडर्न सास मेरा खयाल अपनी बेटी की तरह रखती है और मुझे उन के मौडर्न होने पर गर्व है. क्योंकि वह मुझे केवल बेटी बुलाती ही नहीं, अपनी बेटी समझती भी हैं. और सब से बड़ी बात यह कि बुरे वक्त में साथ खड़ी रहती हैं. ऊपर वाले की इच्छा कह कर अपना पल्ला नहीं झाड़ लेती हैं.”

नियति की बातें सुन कर सब की आंखें शर्म से झुक गईं और नियति के पापा वरांडे में बैठे मंदमंद मुसकरा रहे थे.

Story In Hindi : वसीयत – प्यार और परिवार की कहानी

Story In Hindi :सामने दीवार पर टंगी घड़ी शाम के 7 बजा रही थी. पूरे घर में अंधेरा पसरा हुआ था. मेरे शरीर में इतनी ताकत भी नहीं थी कि उठ कर लाइट जला सकूं. सुजाता, उस की बेटी, मैं और मेरी बेटी, इन्हीं चारों के बीच अनवरत चलता हुआ मेरा अंतर्द्वंद्व.

आज दोपहर, मैं अपनी सहेली के घर जा कर उस को बहुत अच्छी तरह समझा आई थी कि कोई बात नहीं सुजाता, अगर आज बेटी किसी के साथ रिलेशनशिप में रह रही है तो उसे स्वीकार करना ही हमारे हित में है. अब तो जो परिस्थिति सामने है, हमें उस के बीच का रास्ता खोजना ही पड़ेगा और अब अपनी बेटी का आगे का रास्ता साफ करो.

तो, तो क्या मेरी बेटी अपरा भी. नहीं, नहीं. लगा, मैं और सुजाता एक ही नाव में सवार हैं…नहीं, नहीं. मुझे कुछ तो करना पड़ेगा. फिर किसी तरह अपने को संभाल कर अजीत के आने का समय देख चाय बनाने किचन में चल दी.

उलझते, सोचते, समझते दिल्ली में इंजीनियरिंग कर रही अपनी बेटी अपरा के आने का इंतजार करने लगी. उस ने आज घर आने की बात कही थी.

वह सही वक्त पर घर पहुंच गई. उस के आने पर वही उछलकूद, खाने से ले कर कपड़ों तक की फरमाइशें मानो घरआंगन में छोटी चिडि़या चहचहा रही हो. डिनरटाइम पर सही समय देख सुजाता की बेटी का जिक्र छेड़ा तो वह बोली, ‘अरे छोड़ो भी मां, हमें किसी से क्या लेनादेना.’’

‘‘अच्छा चल, छोड़ भी दूं, पर कैसे बेटा? कैसे इस जहर से अपने गंदे होते समाज को बचाऊं?’’

‘‘मां, सब की अपनीअपनी जिंदगी है, जो जिस का मन चाहे, सो करे,’’ वह बोली.

मैं ने लंबी सांस ली और कहा, ‘‘अच्छा बेटा, मैं सोच रही हूं कि इस कमरे का परदा हटा दूं.’’

‘‘अरे, क्यों मां, कुछ भी बोलती हो. यह क्या हो गया है तुम्हें, बिना परदे के घर में कैसे रहेंगे,’’ वह झुंझलाई.

‘‘क्यों मेरी भी तो अपनी जिंदगी है, जो चाहे मैं करूं,’’ मेरा लहजा थोड़ा तल्ख था. मैं आगे बोली, ‘‘आज आधुनिकता के नाम पर हम ने अपनी संस्कृति, सभ्यता, लोकलिहाज, मानमर्यादा के सारे परदे भी तो उतार फेंके हैं. अपने वेग और उफान में सीमा से आगे बढ़ती नदी भी सदा हाहाकार मचाती है और आज की पीढ़ी भी क्या अपने घरपरिवार, समाज, रिश्तों को दरकिनार कर अपनी सीमा से आगे नहीं बढ़ रही है.

‘‘मैं मानती हूं कि हमारे बच्चे उच्च शिक्षित, समझदार और परिपक्व हैं किंतु फिर भी जीवन की समझ अनुभव से आती है और अनुभव उम्र के साथ. हम सब उम्र की इस प्रौढ़ता पर पहुंच कर भी जीवन के कुछ निर्णयों के लिए तुम्हारे बाबा, दादी, नानू, नानी पर निर्भर हैं.’’ अपरा चुपचाप सुनती जा रही थी.

थोड़ी देर रुक कर मैं फिर बोली, ‘‘प्रेम तो दिल से जुड़ी एक भावना है और विवाह एक अटूट बंधन, जो हमारे सामाजिक ढांचे का आधार स्तंभ है. और यह लिवइन रिलेशनशिप क्या है? बेटा, चढ़ती हुई बेल भी तभी आगे बढ़ती है जब उसे बांध कर रखा जाए, सो बिना बंधे रिश्तों को क्या भविष्य? क्यों आंख बंद कर अपने भविष्य को गर्त में ढकेल रहे हो? हमारी संस्कृति में आश्रम व्यवस्था के नियम भी इसीलिए बने थे, किंतु अब तो ये सब दकियानूसी बातें हो कर रह गई हैं.

‘‘माना कि आज समय बहुत बदल गया है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हम बड़े लोगों ने अपने को नहीं बदला.

बड़ों की स्वीकृति है तभी ज्यादातर शादियां लवमैरिज होती हैं. किंतु आज आधुनिकता के नाम पर अपनी संस्कृति को त्याग, पश्चिम की आयातित

संस्कृति की नकल करना बंद करो. सोचो और समझो कि तुहारे लव, ब्रेकअप, टाइमपास लव और टाइमपास रिलेशनशिप के क्या भयावह परिणाम होंगे. असमय बनाए संबंधों के अनचाहे परिणाम तुम्हारे कमजोर कंधे क्या…? बेटा, हर चीज का कुछ नियम होता है, बिना समय के तो पुष्प भी नहीं पल्लवित होते. इस तरह तो सारी सामाजिक व्यवस्था ही चरमरा जाएगी.

‘‘हमेशा याद रखना कि मांबाप कभी बच्चों का अहित नहीं सोचते. इसलिए अपने जीवन के अहम फैसले तुम खुद लो. किंतु उन से छिप कर नहीं, बल्कि उन्हें अपने फैसलों में शामिल कर के. बचपन तो जीवन के भोर के मानिंद रमणीय होता है किंतु जीवन का अपराह्न आतेआते तपती धूप में मांबाप ही तुम्हारे वटवृक्ष हैं, उन से जुड़े रहो, अलग मत हो.’’

तभी अजीत, थोड़ा माहौल को संभालते हुए, ताली बजाते हुए अपरा

से बोले, ‘‘अरे भई, इतनी नसीहत, तुम्हारी मां तो बहुत अच्छा भाषण देने लगी हैं, लगता है अगले चुनाव की तैयारी है.’’

मैं मन ही मन बोली, ‘नसीहत नहीं, वसीयत.’

पूरी तरह सहज अपरा 2 दिन रह कर फिर दिल्ली जाने के लिए तैयार होने लगी. बुझे मन और आंखों में आंसू लिए, जब उसे छोड़ मैं अपने कमरे में वापस आई तो मेरा मन सामने टेबल

पर रखे कार्ड को देख खुशी से नाच उठा जिस पर उस ने लिखा था, ‘यू आर ग्रेट, मौम.’

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