सर्दियों में दिल का ख्याल रखें कुछ ऐसे

सर्दियों का मौसम सभी के लिए बड़ा सुहावना होता  है और हो भी क्यों न, क्योकि इस सुहाने  मौसम में हर किसी के लिए कुछ न कुछ त्योहार होता है और इस दौरान हम सभी अपने रिश्तेदारों एवं दोस्तों के साथ मिलकर समय बिताते हैं और खुलकर जश्न मनाते है, लेकिन सर्दियों में व्यक्ति की दिनचर्या भी थोड़ी सिमित भी हो जाती है, इससे स्वास्थ्य पर इसका असर दिखता है और ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है, क्योंकि वर्कआउट कम हो जाता है. सर्दियाँ हमारे दिल को कमजोर  बना देती है, लेकिन थोडा ध्यान इसे तंदुरुस्त बना सकती है.

ठण्ड  के महीनों में लोगों में दिल की बीमारियों और स्ट्रोक की वजह से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दिखाई देती  है. सेहतमंद जीवन-शैली को अपनाकर दिल की किसी भी बीमारी से बचा जा सकता है. इस वजह से समय-समय पर जाँच कराना और डॉक्टर्स से सलाह लेना बेहद जरुरी होता है, ताकि इन बीमारियों का शुरुआत में ही पता लगाया जा सके और सही समय पर उनका इलाज किया जा सके.

इस बारें में न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के डॉ. विज्ञान मिश्रा कहते है कि कई अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि, गर्मियों की तुलना में सर्दियों में होने वाला हार्ट-अटैक जानलेवा साबित हो सकता है, जिसके कुछ ख़ास समय होते है मसलन सर्दियों के मौसम में सुबह के समय और एन्जाइना, दिल के दौरे और दिल से जुड़ी दूसरी बीमारियों का खतरा सबसे अधिक होता है.

रिस्क फैक्टर है क्या

  • ठंड की वजह से ब्लड वेसल्स (धमनियाँ) सिकुड़ जाती हैं. इससे ब्लड-प्रेशर (रक्तचाप) बढ़ जाता है, जो दिल के दौरे या स्ट्रोक के खतरे का कारण बन सकता है.
  • सर्दियों में ठंड की वजह से कोरोनरी धमनियों के सिकुड़ने के कारण एन्जाइना या कोरोनरी हृदय रोग के चलते सीने में दर्द के मामले बढ़ जाते हैं और कई बार स्थिति काफी बिगड़ सकती है.
  • सर्दियों में शरीर के तापमान को एक-समान बनाए रखने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. सर्दियों में शरीर का तापमान बड़ी तेजी से घटता है, और सर्द हवाओं की वजह से परेशानी अधिक बढ़ सकती है.
  • हाइपोथर्मिया (ऐसी अवस्था, जिसमें शरीर का तापमान काफी गिर जाता है) होने पर अगर आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री से कम हो जाए, तो आपके दिल की मांसपेशियों को काफी नुकसान हो सकता है.

शारीरिक गतिविधियों में कमी

डॉ. विज्ञान आगे कहते है कि सर्दियों के मौसम में ठंड भरे माहौल की वजह से हमें बार-बार सुस्ती का एहसास होता है और कहीं बाहर जाने की हमारी इच्छा खत्म हो जाती है. कंबल ओढ़कर या आग के पास न बैठकर, व्यायाम करना फायदेमंद हो सकता है, जिससे हृदय का ब्लड सर्कुलेशन सही बनी रहे.

मिठाइयों और जंकफूड का अधिक सेवन से बढ़ता है खतरा

सर्दियों में हम सभी को ज्यादा भूख लगती है, जिसकी वजह से खाने-पीने पर  ध्यान देते हैं और हमारी खुराक भी बढ़ सकती है. यह जरूरी नहीं है कि हमारे खान-पान की सभी चीजें सेहत के लिए फायदेमंद हों, बहुत अधिक फैट (वसा) वाले भोजन तथा मीठी चीजों के सेवन की वजह से वजन बढ़ सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएँ भी बढ़ जाती हैं.

सबसे अधिक खतरा किसे

  • खतरे की संभावना बढ़ाने वाली कई चीजें होती हैं, जो दिल की बीमारी होने के जोखिम को बढ़ा देती हैं. उम्र बढ़ना और परिवार में पीढ़ी-दर-पीढ़ी दिल की बीमारी की समस्या, दो ऐसे जोखिम हैं, जिन्हें चाहकर भी बदलना संभव नहीं होता.
  • महिलाओं में 55 साल की उम्र और पुरुषों में 45 साल की उम्र के आसपास दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा परिवार के निकट सदस्यों में किसी को भी पहले से दिल की बीमारी है, तो शायद आप भी इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं.
  • वंशानुगत समस्या की वजह से दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है, लेकिन आज की दिनचर्या की खराब आदतों का भी इस पर काफी बुरा असर पड़ता है.

कुछ बदलाव लाये जीवन में

दिनचर्या से जुड़ी कुछ खराब आदते निम्न है, जो सेहत को नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ दिल की बीमारियों का कारण बन सकती हैं,

  • एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठकर काम करने की आदत,
  • पर्याप्त व्यायाम नहीं करना,
  • फैट (वसा), प्रोटीन, ट्रांस-फैट, मीठी चीजों तथा सोडियम से भरपूर आहार का सेवन करना,
  • धूम्रपान और अत्यधिक नशा करना,
  • तनाव को कम करने के लिए असरदार तकनीकों का उपयोग किए बिना तनावपूर्ण माहौल में काम करना जारी रखना,
  • अनियंत्रित डायबिटीज का होना आदि कई है.

जांच कैसे करें

कुछ टेस्ट निम्न है, जिसकी जानकारी होना आवशयक है. 

जीनोमिक टेस्टिंग:

जेनेटिक टेस्ट, यानी आनुवंशिक जाँच प्रक्रिया में कार्डियो जीनोमिक प्रोफाइल शामिल है, जिसे “हार्ट हेल्थ” प्रोफाइल भी कहा जाता है. इस तरह के परीक्षण में आनुवंशिक तौर पर होने वाले परिवर्तन की जाँच की जाती है, जो इस बीमारी के उच्च जोखिम से जुड़ी होने की प्रतिशत का पता लगा सकती है और इसके जरिए कार्डियोवस्कुलर डिजीज होने की संभावना का भी पता लगाया जाता है.  इन परीक्षणों का उद्देश्य किसी व्यक्ति को हृदय रोग होने की संभावना के बारे में जानना होता है.

आजकल कार्डियो जीनोमिक प्रोफाइल की मदद से लोगों के हृदय रोग, खास तौर पर दिल का दौरा या स्ट्रोक होने के जोखिम का अनुमान लगाया जाता है.

खून और पेशाब की जाँच

जाँच के नतीजों में लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) के उच्च स्तर जैसी कई बातों से दिल की बीमारी के बढ़ते जोखिम का संकेत मिलता है. दिल की बीमारियों के साथ-साथ रक्त वाहिका (ब्लड वेसल्स) संबंधी रोग की संभावना का पता लगाने के लिए डॉक्टर खून और पेशाब की जाँच कराने की सलाह दे सकते है. सेहत की देखभाल करने वाली डॉक्टरों की टीम जाँच के नतीजों और पहले कराए गए उपचार की जानकारी के आधार पर  इलाज की सबसे बेहतर योजना तैयार करती है.

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) बेहद कम समय में पूरी होने वाली जाँच प्रक्रिया है, जिसमें कोई दर्द नहीं होता है, जिसकी मदद से दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी और धड़कन की लय की जाँच की जाती है. दिल हर बार धड़कने पर जो इलेक्ट्रिकल संकेत देता है, उसे त्वचा से चिपके सेंसर द्वारा ग्रहण किया जाता है. फिर एक मशीन इन संकेतों को रिकॉर्ड करती है, जिसे देखकर डॉक्टर यह पता लगाता है कि उन संकेतों में कुछ विषमता है या नहीं.

स्ट्रेस टेस्ट

स्ट्रेस टेस्ट को सामान्य तौर पर ट्रेडमिल या एक्सरसाइज टेस्ट भी कहा जाता है, जिसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि हृदय किसी तनाव को कितने असरदार तरीके से सहन कर सकता है. इस जाँच के नतीजे से यह मालूम होता है कि दिल की धमनियों में खून के प्रवाह में कमी है या नहीं. इससे डॉक्टरों को मरीज के लिए सबसे उचित व्यायाम और उसकी तीव्रता निर्धारित करने में भी मदद मिलती है.

Valentine’s Special: सुर बदले धड़कनों के- भाग 1

लेखक- जितेंद्र मोहन भटनागर

इसबार जब गरमी की छुट्टियों में तान्या अपनी मम्मी के साथ नानी के घर रुड़की आई तो उन्हीं दिनों उस के बड़े मामामामी भी छुट्टी ले कर आए हुए थे, इसलिए उन के साथ घूमनेफिरने और बातों में ही सारा समय बीत गया.

छुट्यिं खत्म हुईं तो दिल्ली तक तान्या के बड़े मामा निकुंज और मामी शिवाली उन्हें अपनी कार से दिल्ली एअरपोर्ट छोड़ने आए. दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट के टाइम से 2 घंटे पहले वे पहुंच गए.

मम्मी के साथ एअरपोर्ट में प्रवेश से पहले तान्या मामी से गले मिलते हुए बोली, ‘‘देखो मामी मेरी हाइट आप के बराबर हो गई है, मुझे मामा जैसी हाइट पकड़नी है.’’

‘‘मामा तो 6 फुट के हैं और मैं उन से केवल 4 इंच छोटी हूं तेरी मम्मी की और मेरी हाइट लगभग बराबर है. तुझे पता है हम जैसी लंबी हाइट की लड़कियों को शादी के लिए लड़के बड़ी मुश्किल से मिलते हैं. तू 6 फुट की हो जाएगी तो हम सब के लिए लड़का ढूंढ़ना मुश्किल हो जाएगा.’’

‘‘मामी एक बात बताओ, नानी को, मम्मी को और आप को भी, मेरी शादी की इतनी फिक्र क्यों रहती है? मैं ने अभी तो एमएससी एविएशन पूरा किया है और अब मैं ऐविशन अफसर बनने का एडवांस कोर्स कर रही हूं. मुझे हर हालत में अपना सपना पूरा करना है और आर्मी जौइन करनी है.’’

‘‘ठीक है तेरी पढ़ाई कौन रोक रहा है तू जितना चाहती है पढ़ ले. पायलट अफसर भी बन जा पर एक समय तो आएगा जब तेरा मन किसी को लाइफपार्टनर बनाना चाहेगा… आर्मी जौइन कर भी लेगी तो शादी तो तेरी हमें करनी ही है… तेरी मामी यह कहना चाह रही है.’’ मामा ने मुसकराते हुए तान्या का समझना चाहा.

अपने पर्स से चैकिंग हेतु, एअर टिकट निकालते हुए तान्या बोली, ‘‘मामा, आप मामी की बात छोड़ो, आप तो मिलिटरी में कैप्टन हो आप बताओ आप क्या चाहते हो? क्या मैं अपना विजन बदल दूं? शादी की सोचने लगूं?’’

‘‘अब तू बड़ी हो गई है… हम सब की एक ही तो लाडली है, इसलिए हम सब हमेशा तेरे अच्छे के लिए ही सोचते हैं,’’ कहते हुए मामा ने तान्या को गले से लगा लिया.

समय हो रहा था. मामामामी को बायबाय करते हुए तान्या ने अपनी मम्मी के साथ एअरपोर्ट के अंदर प्रवेश किया. लगेज चैक इन के बाद अपने बोर्डिंग पास ले कर दोनों वेटिंग लाउंज में डिसप्ले बोर्ड के सामने सीट पर बैठ गए.

बैठते ही तान्या बोली, ‘‘मम्मा, काश हमारे रेलवे प्लेटफौर्म भी इतने नीट ऐंड क्लीन होते?’’

‘‘एक दिन वह भी आ जाएगा बेटी…’’ मां ने बड़ी तसल्ली से कहा.

पता नहीं कब आएगा वह दिन,’’ तान्या मन ही मन बुदबुदाई.

इंडिगो फ्लाइट नंबर 232 ए की उड़ान के लिए गेट नंबर 2 से ऐरोप्लेन में ऐंट्री शुरू हो गई थी.

मां के साथ चलती हुई तान्या ने ऐरोप्लेन के भीतर अपनी निर्धारित सीटों के पास पहुंच कर नंबर देखने के बाद मां को विंडो वाली सीट पर बैठा दिया.

वह जानती थी कि 3 सीटों में से विंडो वाली सीट किसी और को ऐलौट है और मां को

विंडो सीट ही पसंद है, इसलिए उस ने मां को विंडो सीट पर बैठा दिया और खुद बीच वाली सीट पर बैठ गई. उस ने सोच लिया था कि जो भी तीसरी सीट पर आएगा उस से रिक्वैस्ट कर लेगी कि वह किनारे वाली सीट पर बैठ जाए.

तभी स्मार्ट, 6 फुट हाइट के बेहद आकर्षक तथा हैंडसम लड़के ने किनारे वाली खाली सीट के पास रुक कर पहले तो ऊपर के कैबिन में अपना हैंडबैग रखा, फिर एक नजर सीट नंबर पर डाली और बारीबारी से तान्या और उस की मम्मी को देखने के बाद अपनी उंगली से तान्या की मम्मी को इंगित करते हुए बुदबुदाया, ‘‘मम्मी ऐंड डौटर.’’

उस की बुदबुदाहट सुन कर तान्या बोल पड़ी, ‘‘यस शी इज माई मौम अनिला, ऐंड माइसैल्फ तान्या.

‘‘तान्या, लैट मी गो टु माई अलौटेड सीट,’’ कहते हुए अनिला उठने को हुई तभी तान्या ने उन्हें बैठे रहने का इशारा कर के उस हैंडसम से कहा, ‘‘आई फील ग्लैड इफ यू कैन एडजस्ट…’’

तान्या की बात पूरी होने से पहले ही वह बोला, ‘‘लैट हर सिट औन दैट सीट तान्या,’’ इतना कह कर वह किनारे वाली सीट पर बैठ गया और बीच वाली सीट पर बैठी तान्या से बोला, ‘‘आई एम डाक्टर नितिन.’’

‘‘ओह नाइस, आर यू बिलौंग्स टु मुंबई.’’

‘‘नहीं मैं दिल्ली का रहने वाला हूं. मुंबई के नानावटी हौस्पिटल में इंटर्नशिप कर रहा हूं, मां संसार में हैं नहीं, डैडी की तबीयत बिगड़ जाने के कारण 1 हफ्ते की छुट्टी ले कर दिल्ली गया था पर तीसरे ही दिन लौटना पड़ा.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘क्योंकि यह लास्ट फ्लाइट है. कोविड 19 के प्रकोप के कारण आज रात 12 बजे से सारी ट्रेन्स, फ्लाइट्स, इंटर स्टेट बसेज सब की गतिविधियां बंद हो रही हैं. पूरी कंट्री में आज रात 12 बजे से कंप्लीट लौकडाउन लगा दिया गया है.

‘‘मेरी छुट्टियां भी कोविड-19 की गंभीरता को देखते हुए कैंसिल कर दी गई हैं.’’

तान्या अब तक चुप थी. अचानक पूछ बैठी, ‘‘न्यूज मैं भी सुन रही थी डाक्टर, पर यह वायरस क्या इतना गंभीर है कि कंप्लीट लौकडाउन लगाना और ट्रैवलिंग तथा मूवमैंट रोक देना जरूरी था क्या?’’

‘‘हां बीमारी स्प्रैड न हो, इसलिए स्टैप तो सही है, लेकिन कितना सफल रहेगा यह आने वाला समय ही बताएगा…’’

तभी यात्रियों से अपनीअपनी सीट बेल्ट बांध लेने का अनुरोध हुआ, साथ ही एअर होस्टेज ने आवश्यक निर्देशों का प्रैक्टिकल डिस्प्ले कर के बताया और उस के बाद उस फ्लाइट ने कुछ देर रनवे पर दौड़ने के बाद उड़ान भरी. कैबिन कू्र के ऐनाउंसमैंट से पता चला कि कुल 1 घंटे 55 मिनट का दिल्ली से मुंबई तक का सफर है.

फ्लाइट ने ठीक 19:20 पर टेक औन किया. आसमान में पहुंच कर ऐरोप्लेन के एक लेबल पर आने के बाद सीट बैल्ट खोलने की इंस्ट्रंक्शन दे दी गई. रिलैक्स हो कर बैठने के बाद तान्या ने 2-3 बार मुंह घुमा कर डाक्टर नितिन की तरफ देखा. वह कानों में इयर प्लग लगाए संगीत सुनने में व्यस्त हो गया था.

हृष्टपुष्ट शरीर का मालिक, चेहरे पर तेज, निश्चिंत चेहरा, बड़ी आंखें, चौड़ा माथा, घुंघराले बाल, डैनिम की शर्ट और पैंट पहने, आंखों पर महंगा चश्मा पहने एक प्रभावशाली व्यक्तित्त्व डाक्टर नितिन.

तान्या सोचने लगी कि हौस्पिटल में सफेद कोट पहने वह कैसा लगता होगा. उस ने पहली बार एक अच्छी हाइट वाले स्मार्ट और यंग डाक्टर को देखा था. अभी इंटर्नशिप कर रहा है तो शादी तो हुई नहीं होगी हां यह हो सकता है कि अपने साथ पढ़ने वाली किसी लेडी डाक्टर से उस का अफेयर हो.

सच तो यह था कि जीवन में पहली बार तान्या को महसूस हुआ कि उस के दिल की धड़कनों के सुर बदल गए हैं. अगर कभी उस का मन शादी को राजी होगा तो ऐसा ही लड़का वह चाहेगी.

वह अपने साथ उस को ले कर पेयर मैचिंग करने लगी. उसे लगा मामी सही तो कहती हैं कि लंबे लड़के बड़ी मुश्किल से मिलते हैं. इस उड़ान के साथसाथ वह अपना कल्पना की भी उड़ान भरने लगी.

मगर तान्या के विचारों से बेखबर नितिन कानों में इयर प्लग ठूंसे आंखें बंद कर के संगीत सुनने में व्यस्त था.

कहते हैं कि जब अपने को बहुत आकर्षक समझने वाली किसी खूबसूरत लड़की की तरफ स्मार्ट और हैंडसम दिखने वाला लड़का कोई विशेष तवज्जो नहीं देता है तो उस लड़की के अहं को ठेस सी लगती है.

उस ने वहां से ध्यान हटा कर दूसरी तरफ लगाना चाहा. अनिला तो चाहे ट्रेन हो या फ्लाइट, हमेशा की तरह गति पकड़ते ही नींद के झेंके लेने लगी थीं. इसीलिए उन्हें किनारे की विंडो वाली सीट पसंद थी.

एक दिन वह भी पायलट सीट पर बैठ कर इस से भी तेज गति से फाइटर प्लेन

चलाएगी. उस का ध्यान अपने सहपाठी तेजस की तरफ चला गया. उस का किसी से कंपीटिशन था तो तेजस से. क्लास में वही उस से 1 इंच ऊंची हाइट का था. अपने को उस ने ऊंची हाइट का दिखने के लिए 2 इंच ऊंची हील के सैंडल या चप्पलें पहनती थी.

तेजस के बुद्धिकौशल की वे कायल थी. अपने मन को पूरे नियंत्रण में रखते हुए वह उस से बातें तो खूब घुलमिल कर करती थी, पर कभी सीमा पार करने की हिम्मत न कर सके, ऐसा तान्या ने अपना स्वभाव बना रखा था.

इसीलिए उस के सहपाठी जो अपना दिल उसे देना तो चाहते थे पर देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे. उन्होंने तान्या को बंद किताब की उपमा दे रखी थी. एक ऐसी किताब जिसे केवल तान्या ही खोल सकती थी.

एक बार तान्या ने ऐविएशन के एडवांस कोर्स की क्लास में अपने करीब बैठे तेजस की, उस के मुंह पर ही तारीफ कर दी, ‘‘आज तुम बहुत स्मार्ट लग रहे हो. यह बताओ कि ऐसा क्या खाते हो जिस से तुम्हारा ब्रेन एक बार में ही सब ग्रेस्प कर लेता है?’’

तेजस इतना सुनते ही उस के करीब खिसकते हुए बोला, ‘‘क्या वास्तव में आज मैं तुम्हें जंच रहा हूं?’’

‘‘यस इट इज फैक्ट. तुम पर स्माल चेक वाली ब्लैक शर्ट और औफ वाइट ट्राउजर बहुत जमता है, फिर मैचिंग  टाई पहन कर तुम बहुत अच्छे लगते हो.’’

उस दिन तेजस तान्या के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर पगला सा गया. अचानक बोल पड़ा, ‘‘तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं तुम से…’’

उस की बात को काटते हुए तान्या बोली, ‘‘मुझे पता है कि आगे तुम क्या कहने वाले हो, इसलिए मैं पहले से ही तुम्हें बता दे रही हूं कि मेरा यह शरीर तुम्हारे लिए नहीं बना है… यह किसी और के लिए है, कह कर वह जोर से हंसी.

तेजस जितना तान्या की तरफ खिसका था उतना ही वापस खिसक कर बैठ गया.

अचानक तान्या का ध्यान फिर नितिन की तरफ चला गया. उसे अपनी ही दुनिया में खोया देख कर इस बार उस से रहा नहीं गया. उस ने जानबूझ कर अपनी कुहनी से उस की कुहनी जोर से टकरा दी.

तान्या चाहती थी वही हुआ. नितिन का ध्यान भंग हुआ. उस ने ईयर प्लग कानों से

हटाए और फिर तान्या को देखते हुए बोला,

‘‘ऐनी प्रौब्लम?’’

तान्या ने समझ लिया था कि अगर उस ने ‘नो’ कह दिया तो यह फिर कानों में इयर प्लग लगा कर म्यूजिक सुनने में व्यस्त हो जाएगा और यह सफर भी कोई लंबा नहीं है, इसलिए वह बोली, ‘‘हां, प्रौब्लम है.’’

कानों में लगे दोनों इयर प्लग हटा कर नितिन बोला, ‘‘ओह क्या प्रौब्लम है? मुझे खुशी होगी तुम्हारी प्रौब्लम को सौल्व कर के.’’

यह सुनते ही तान्या को मौका मिल गया. वह अपनी मुसकान को जितना कातिलाना

बना सकती थी उतना बनाती हुई बोली, ‘‘छोटा सा सफर है. बाएं मम्मी तो निद्रा की गोद में चली गई हैं और आप संगीत सुनने में व्यस्त हो गए. बीच में फंसी बैठी मैं बोर हो रही हूं, आखिर करूं तो क्या करूं?’’

‘‘यदि तुम्हें भी संगीत का शौक है तो यह लो एक इयर प्लग तुम अपने कान में लगा लो. एक मैं लगा लेता हूं. दोनों मिल कर संगीत सुनते हैं.’’

‘‘अरे संगीत तो मैं घर में भी सुनती रहती हूं. मुझे तो बातें करना अच्छा लगता है और इस से समय भी अच्छा कट जाता है.

‘‘तो लो मैं इयर प्लग जेब में रख लेता हूं, मोबाइल का म्यूजिक औफ कर देता हूं… बातें करना तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता है. बोलो क्या बातें करनी हैं?’’

‘‘आप अपने बारे में कुछ बताएं, फिर मुझ से मेरे बारे में कुछ पूछें.’’

‘‘ऐसा क्यों.’’

‘‘बस ऐसे ही ताकि सफर बातोंबातों में कट जाए और बोरियत भी न हो.’’

तान्या की नजरों की भाषा और भावनाएं समझते हुए नितिन मुसकराया और बोला, ‘‘प्यार भरी बातें करना चाह रही हो तो यह तभी संभव है जब मुझे अपनत्व से पुकारो.’’

‘‘अपनत्व से मतलब?’’ तान्या ने थोड़ा उस की तरफ झकते हुए पूछा?

‘‘मतलब मुझे ‘आप’ कहना छोड़ कर ‘तुम’ कहो. जैसे तुम मुझ से पूछ सकती हो कि नितिन क्या तुम्हारी शादी हो गई है. तब मैं कहूंगा, नहीं मुझे अभी कोई सूटेबल लड़की नहीं मिली है या मेरा यह भी उत्तर हो सकता है कि अभी तो मेरा कैरियर शुरू हुआ है शादी के बारे में नहीं सोचा है.’’

तान्या को उस की बातों में रस आना शुरू हो गया था, इसलिए जब बोलतेबोलते नितिन ने चुप हो कर तान्या के नयनों में अपनी नजरें समा दीं तो प्रेम के रहस्यमयी जादू ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया.

तान्या के मुंह से निकल पड़ा, ‘‘डाक्टर, तुम चुप क्यो हो गए? मुझे तुम्हारा बोलना अच्छा लग रहा था.’’

‘‘तुम्हें तो अच्छा लगना शुरू हो गया, पर तुम शांत और चुप हो, तो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है. अब तुम कुछ अपने बारे में बताओ… अपनी शादी वगेहरा के बारे में.’’

तान्या जो अभी तक तो चाह रही थी कि नितिन उस से खूब सारी बातें करे पर जब उस ने बातें शुरू करीं तो उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अपने मन के उद्गारों को कैसे व्यक्त करे. अपने मन के विचारों की बंद किताब एकदम से कैसे खोल कर कह डाले कि वह उसे चाहने लगी है. यह भी बात ठीक नहीं रहेगी.

मगर जब नितिन ने उसे बोलने के लिए बाध्य किया तो उस ने बताना शुरू किया, ‘‘उस के पिता फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे और प्लेनक्रैश हो जाने के कारण उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. तब से मेरा सपना भी फ्लाइट अफसर बनने का है. आजकल मैं एमएससी ऐविएशन करने के बाद ऐविएशन का एडवांस कोर्स कर रही हूं. रही शादी की बात तो इस बारे में बस इतना ही जानती है कि जब भी शादी करूंगी तो तुम्हारी जैसी हाइट वाले लड़के से.’’

‘‘मेरे जैसी हाइट वाले लड़के से? इस का अर्थ हुआ कि शादी करोगी पर मुझ से नहीं. ठीक है मैं फिर किसी और को ढूंढ़ लूंगा,’’ कह कर नितिन हंसा.

उस के इतना कहते ही तान्या की हथेली स्वत: ही उस की भुजाओं से जा चिपकी और आंखें अपने कहानी कह बैठीं.

‘‘देखो तान्या, इन दिनों कोरोना का प्रकोप अपने चरम पर है और डाक्टर होने के नाते मेरा अभी तो केवल एक ही उद्देश्य है. अस्पताल पहुंच कर अपने स्टाफ के साथ संक्रमितों के

प्राणों की रक्षा करना, उस के बाद शादी के बारे

में सोचूंगा. अभी तो मैं इतना ही कह सकता हूं कि तुम्हारी जैसी हाइट की लड़कियां कम ही दिखती हैं और अगर तुम से शादी हो जाती तो हमारी जोड़ी सभी को अच्छी लगेगी,’’ कह

कर नितिन अपने बाजू को थामे तान्या की

हथेली को अपने दूसरे हाथ की हथेली से

सहलाने लगा.

तान्या को उस का सहलाना अच्छा लग रहा था. वह कुछ बोलने जा ही रही थी कि अचानक प्लेन के भीतर की सभी लाइट्स औन हो गईं और ऐनाउंसमैंट होने लगी कि शीघ्र ही हम मुंबई के छत्रपति शिवाजी एअरपोर्ट के डोमैस्टिक टर्मिनल 1 में लैंड करने वाले हैं. कृपया अपनीअपनी सीट बैल्ट बांध लें.

ऐनाउंसमैंट में उपजे शोर से अनिला की भी आंख खुल गई थी. सभी यात्री अपनीअपनी सीट बैल्ट कसने में जुट गए.

प्लेन लैंड होने के बाद जब गंतव्य पर रुका तो सभी ने उतरना शुरू किया. डाक्टर नितिन के चेहरे पर आनंद के भाव थे. तान्या उसे पसंद आ गई थी. अपना बैग कैबिन से निकाल कर वह पहले निकल गया, क्योंकि पीछे से यात्रियों ने प्लेन के ऐक्जिट गेट की तरफ खिसकना शुरू कर दिया था.

प्लेन से निकल कर तान्या अपनी मम्मी के साथ उसी ऐक्जिट गेट से बाहर लौबी में आई तो नितिन तान्या के इंतजार में रुका हुआ था. तीनों लगभग साथसाथ चलते हुए लगेज कलैक्शन कैरोसेल के घूमते पट्टे के पास आए.

अनिला वहीं पीछे वेटिंग बैंचों में से एक खाली बैंच पर बैठ गई थीं. उन्हें पता था कि चक्कर खाते कैरोसेल पर अपने सूटकेस सामने आने में समय लगता ही है. उस के पास बैठी विदेशी महिला लगातार खांस रही थी और बीचबीच में उसे 1-2 छींकें भी आ चुकी थीं.

लगातार खांसने और छींकने की आवाज सुन कर डाक्टर नितिन लपक

कर पीछे गया और अपनी जेब से एक फेस मास्क निकाल कर अनिला को देते हुए बोला, ‘‘मम्मीजी, आप इसे पहन लीजिए और यहां से हट कर उस खाली बैंच पर बैठ जाइए.’’

अनिला उठ कर उस विदेशी औरत से दूर एक खाली चेयर पर बैठ गई और नितिन अपना ब्रीफकेस लेने के लिए तान्या के पास आ कर खड़ा हो गया.

नितिन और तान्या ने अपनेअपने लगेज संभाले. दोनों की आंखें एक बार फिर मिलीं. दोनों ही मुसकराए. फिर एअरपोर्ट के एक्जिट गेट की तरफ बढ़ते हुए नितिन तान्या से बोला, ‘‘मुझे यह जर्नी हमेशा याद रहेगी. सी यू अगेन,’’ कहते हुए नितिन ने अपनी जेब से विजिटिंग कार्ड निकाला और तान्या की तरफ बढ़ाते हुए बोला, ‘‘तान्या कीप माई विजिटिंग कार्ड फौर एनी मैडिकल असिस्टैंस, इन केस औफ नीड.’’

तान्या ने हाथ बढ़ा कर कार्ड ले लिया और फिर मुसकराते हुए आंखों में एक सपना लिए नितिन को अपने से दूर जाते देखने लगी.

आगे पढ़ें- अनिला उठ कर उस विदेशी औरत से दूर एक खाली चेयर पर बैठ गई और नितिन अपना ब्रीफकेस लेने के लिए तान्या के पास आ कर खड़ा हो गया…

Valentine’s Special: सुर बदले धड़कनों के- भाग 2

लेखक- जितेंद्र मोहन भटनागर

नितिनने अपना ब्रीफकेस उठाया और पीछे वेटिंग बैंच पर बैठी अनिला की तरफ हाथ वेव करता हुआ तेजी से एअरपोर्ट के ऐक्जिट गेट की तरफ बढ़ गया.

सैल्फ सर्विस ट्रौली पर अपने दोनों सूटकेस और हैंड बैग लिए जब अनिला के साथ तान्या बाहर निकली तो सफेद ड्रैस में ड्राइवर गोपाल उन्हें रिसीव करने खड़ा था.

गोपाल ने लपक कर तान्या के हाथ से ट्रौली ले ली और कार पार्किंग की तरफ बढ़ गया. अपनेअपने पर्स कंधे पर लटकाए दोनों गोपाल को फौलो करते हुए पार्किंग में खड़ी कार में बैठ गईं. अनिला ने मास्क निकाल कर पर्स में रख लिया था. उन्हें मास्क पहनने में घुटन सी हो रही थी.

एअरपोर्ट से बाहर निकल कर नवी मुंबई के पलवल एरिया की पौश लोकैलिटी में बने खूबसूरत प्राइवेट बंगलौ की तरफ जाने वाली सड़क पर नीली हौंडा सिटी कार ने मुड़ कर जैसे ही गति पकड़ी, तान्या ने पूछा, ‘‘गोपाल, सुना है कि कोरोना वायरस महाराष्ट्र में तेजी से फैल रहा है. हमारे एरिया की पोजीशन क्या है?’’

आप की हाउसिंग सोसाइटी में तो अभी कोई केस नहीं निकला है पर हां आसपास की दूसरी सोसाइटियों में केसेज हैं.

‘‘मैडम आप तो जानती ही हैं कि मेरा परिवार धारावी क्षेत्र में रहता है वहां कोरोना ने कहर बरपा रखा है. उसे कंटेनमैंट जोन घोषित कर दिया गया है. 4 डैथ भी हो चुकी हैं.

‘‘मेरे बड़े भाई और भाभी भी कोरोना पौजिटिव होने के कारण हौस्पिटल में भरती हैं. कहते हैं कि इस में मास्क पहनना, सैनिटाइजर इस्तेमाल करते रहना, दूरी बना कर रखना और कुछ भी छूने के बाद लगातार 20 सैकंड तक हाथ धोने बहुत जरूरी है.

‘‘हम तो डर के मारे अपनी फैमिली को आप के दिए हुए सर्वैंट क्वार्टर में ले आए थे. सुनते हैं बड़ा खतरनाक वायरस है पहले गले को जकड़ता है फिर फेफड़ों को, आदमी तेज बुखार से परेशान हो कर दम तोड़ देता है,’’ कहतेकहते गोपाल एकदम चुप हो कर ड्राइव करता रहा.

कुछ देर खामोश ड्राइविंग के बाद गोपाल बोला, ‘‘मैडम, अभी 45 मिनट के बाद मुंबई ही नहीं पूरा भारत अपनेअपने घर में कैद हो जाएगा. सब का मूवमैंट बंद, मौल, थिएटर्स, रैस्टोरैंट, यूनिवर्सिटी, सारे कालेज और सभी ट्रेनिंग सैंटर बंद.’’

ट्रेनिंग सैंटर की बात सुनते ही उस ने तेजस को फोन लगाया, ‘‘उधर से खुशी भरा स्वर उभरा,’’ हैलो तान्या, वैलकम बैक टु मुंबई, आई वाज मिसिंग यू.’’

तान्या ने सीधे मतलब की बात पूछी, ‘‘क्या अपना ऐविएशन एडवांस स्टडी सैंटर भी क्लोज रहेगा?’’

‘‘हां, टिल फरदर इंस्ट्रक्शन.’’

‘‘ओह,’’ तान्या के मुंह से निकला.

उधर से तान्या की तरफ की खामोशी को समझते हुए तेजस बोला, ‘‘ओके तान्या, जैसे ही मुझे कोई सूचना मिलेगी मैं तुम्हें तुरंत कौल करूंगा और हां इस लौकडाउन में बहुत सावधानी से रहना. अपना ध्यान रखना. बाहर निकलने की सोचना भी नहीं. महाराष्ट्र में यह वायरस बहुत तेजी से स्प्रैड हो रहा है. सी यू गुड नाइट,’’ और फोन कट गया.

चिरपरिचित बंद शौपिंग कौंप्लैक्स के सामने से कार गुजरते देख वह समझ गई कि अभी 15 मिनट घर पहुंचने में और लगेंगे. बाइ रोड कोई 37 किलोमीटर की ड्राइव थी एअरपोर्ट से ‘पलवल’ तक की.

वह अपने ऐंड्रौयड मोबाइल फोन गूगल खोल कर कोविड-19 वायरस से संबंधित जानकारी जुटाने में लग गई. कुछ बातों ने उसे थोड़ा विचलित कर दिया.

चीन से चले इस वायरस ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है. असावधानी के कारण लोगों के जीवन को यह लील रहा है. छींकनेखांसने से जो मुंह और नाक से निकलने वाले सुआब के छींटे पड़ने या संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुई गई किसी सतह, वस्तु, कपड़े आदि को छू लेने मात्र से यह वायरस 5 दिन बाद अपना असर दिखाना शुरू कर देता है.

इस के अलावा उस ने गूगल से अन्य जानकारी भी इकट्ठी की जैसे किस सतह पर यह वायरस कितने घंटे जीवित रहता है, इस के प्रारंभिक लक्षण क्या हैं, तुरंत उपचार के लिए क्या करना चाहिए आदि.

घर पहुंचतेपहुंचते तान्या यह समझ चुकी थी कि यह महामारी बहुत खतरनाक है.

बंगले के मेन गेट के ठीक सामने गोपाल ने कार रोकी. उतर कर पहले अनिला वाली साइड का डोर खोला.

अनिला के उतरते ही लपक कर तान्या वाली साइड का डोर खोला. दोनों उतर कर

खड़ी हुईं तो उन की नजर गोपाल की पत्नी और 14 साल की लड़की पर पड़ी. साफसुथरे कपड़ों में. गोपाल जानता था कि मालकिन से ज्यादा तान्या को साफसफाई से रहना बेहद पसंद है.

वे दोनों कार से कुछ दूर पर आ कर खड़ी हो गई थीं. गोपाल ने परिचय कराया यह मेरी पत्नी रानी और यह मेरी बेटी निंदिया,’’ फिर उस ने रानी और निंदिया को आदेश दिया कि अरे टुकुरटुकुर क्या देख रहीं यह हमारी मालकिन हैं. वह तान्या बिटिया… बढ़ कर दोनों के पैर छूओ.’’

अनिला ने तो पैर छुआ लिए पर तान्या पीछे हटते हुए बोली, ‘‘मेरे पैर छूने की जरूरत नहीं बस नमस्ते करो,’’ कह कर वह मेन गेट खुलवा कर घर के अंदर प्रवेश कर गई, रानी पीछेपीछे थी.

गोपाल ने डिक्की से पहिएदार सूटकेस निकाल कर निंदिया को अंदर ले चलने को कहा और बाकी सामान खुद लाया.

तान्या तो सीधी फ्रैश होने चली गई थी. अनिला ड्राइंगरूम में अपने उस चिरपरिचित सोफे पर बैठ गई थीं जहां से उन्हें अपने पति का बड़ा सा तैल चित्र लगातार दिखता रहता.

गोपाल सूटकेसों को उन के निर्धारित स्थान पर रख कर अनिला के

सामने आया और अपने दोनों हाथों की हथेलियां आगे फंसा कर खड़ा होते हुए बोला, ‘‘मालकिन, आप के और बिटिया के लिए गरमगरम चाय बनवाऊं या कौफी? रानी सब बनाना जानती है.’’

गोपाल की बात का उत्तर देते हुए अनिला बोलीं, ‘‘तान्या को आने दो उस की जो इच्छा होगी वह बना लेना,’’ फिर उन्होंने रानी और निंदिता पर एक गहरी नजर डाली और गोपाल से पूछा, ‘‘क्यों गोपाल, बरतन माजने वाली मंजरी और झड़ूपोंछे वाली कामिया आ रही है न?’’

‘‘नहीं मैडम, संक्रमण को देखते हुए प्रत्येक बाई का घर के अंदर आना प्रतिबंधित कर दिया गया है. पिछले 4 दिनों में मैं ने इन दोनों को सारे काम सिखा और बता दिए हैं. अपने क्वार्टर में गरम पानी से सवेरे शाम नहाना… हर काम करने से पहले और बाद में हाथ धोना मैं ने सिखा दिया है.’’

‘‘लेकिन अभी तो इन्होंने हाथ नहीं धोए हैं, निंदिया ने हमारा सूटकेस उठाया, रानी ने मेन डोर का लौक खोला, दरवाजा हाथ से धकेला और तुम ने भी एअरपोर्ट पर ट्रौली छुई, हमारा लगेज छूआ पर हाथ कहां धोए?’’ तान्या शावर बाथ लेने के बाद फ्रैश हो कर बाथरूम से निकल कर अनिला के पास आ कर बैठती हुई बोली.

तान्या की बात सुनते ही गोपाल सकपका गया. वह बाहर बगीचे वाले नल पर जा कर हाथ धोने के लिए निंदिया का हाथ पकड़ कर लपका. रानी भी पीछेपीछे जाने लगी तो तान्या सर्विस वाशबेसिन की तरफ इशारा करते हुए तीनों से बोली, ‘‘अभी तो वहां रखे साबुन से हाथ धो लो और सभी करीब 20 सैकंड तक साबुन से हाथ रगड़रगड़ कर धोएंगे.’’

वे तीनों जब हाथ धोने चले गए तो तान्या मां के सामने बैठती हुई बोली, ‘‘मां, आप भी फ्रैश हो लो, मैं ने गीजर औन कर दिया है… शावर बाथ ले लोगी तो अच्छा लगेगा. मन न करे तो गरम पानी से हाथमुंह धो लेना.’’

मां की वहां से उठने की इच्छा तो नहीं थी वह कुछ देर और अपने पति की तसवीर से मौन बातें कर लेना चाहती थीं, पर तान्या की बात थी, सफर की थकान भी थी इसलिए वे जल्दी फ्रैश हो कर आ गईं.

तान्या की कौफी पीने की इस समय इच्छा नहीं थी. उस का ग्रीन टी पीने का मन था, इसलिए रानी को उस के लिए बोल कर उस ने मां से पूछा, ‘‘आप को भूख तो नहीं लगी है?’’

अनिला ने घड़ी देखी 12:30 बज चुके थे. वे तान्या से बोली, ‘‘समय बहुत हो गया है… स्नैक चाय के साथ ले लेते हैं.’’

चाय के साथ थोड़े से स्नैक ले कर तान्या आज अनिला वाले कमरे में ही सो गई. उन के कमरे में जाते ही गोपाल ने घर का मेन डोर लोक किया और अंदर के बरामदे से होता हुआ रानी तथा निंदिया के साथ अपने क्वार्टर में जा कर लेट गया. कार उस ने गैरेज में खड़ी कर दी थी.

सवेरे वातावरण खामोश था. लौकडाउन का पहला दिन. पक्षियों ने भी मानो चहकना बंद कर दिया था. तान्या ने पूरी सतर्कता के साथ रानी और निंदिया को पूरा दिन कोविड 19 की सावधानियों के साथसाथ कई बार हाथ धोने के निर्देश दिए.

गोपाल का पूरा दिन घरबाहर के सारे उपयोग में आने वाले सर्फेस और अपने क्वार्टर के भीतर की वस्तुओं को सैनिटाइजर करने में बीता.

लौकडाउन के 5 दिन ऐसे ही बीते. इस बीच तान्या ने 2 बार तेजस से यूनिवर्सिटी के हालचाल लिए. यह पता चलते ही कि यूनिवर्सिटी अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी गई है, वह थोड़ी निराश और उदास हो गई.

कर भी क्या सकती थी रोज न्यूज चैनल पर भारत और विदेशों में संक्रमण के बढ़ते आंकड़े देखदेख कर चिंतित होने के.

घर के बाहर जाने का सवाल ही नहीं था. अपने कमरे से निकल कर दिन में कई बार मां के पास भी जा कर बैठी, अपनी कोर्स की किताबों में भी उस का मन नहीं लगा. उस ने कई बार ऐरोप्लेन में नितिन के साथ गुजरे पलों को याद किया.

आगे पढ़ें- पिता के मरने के बाद उन के अपने कमरे में….

रिश्ते: क्यूं हर बार टूट जाती थी स्नेहा की शादी

मैं कामकाजी महिला हूं. काम में व्यस्त रहने के कारण दांतों का अधिक खयाल नहीं रख पाती. मेरे मसूड़े फूल जाते हैं,मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 35 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. काम में व्यस्त रहने के कारण दांतों का अधिक खयाल नहीं रख पाती. पिछले कुछ महीनों से मेरे मसूड़े फूल जाते हैं और इन में पस पड़ जाती है व दर्द भी होता है. कुछ खानापीना मुश्किल हो जाता है. मुंह से बदबू भी आती है. बताएं मु?ो क्या करना चाहिए?

जवाब

यह पायरिया (मसूड़ों की बीमारी) है जो जिंजिवाइटिस से शुरू होती है. जिंजिवाइटिस में केवल मसूड़ों में सूजन होती है. जब यह बढ़ जाती है तो पेरियोडोंटल लिगामैंट को संक्रमित कर सूजन व दर्द पैदा करती है. यह हड्डी को भी नुकसान पहुंचाती है. मसूड़ों और लिगामैंट की पकड़ कमजोर हो जाती है और धीरेधीरे दांत हिलने लगते हैं. मसूड़ों के इलाज से पायरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है. दांतों की सफाईरूट प्लानिंग और क्यूरेटाज से मसूड़ों को स्वस्थ किया जाता है.

सैक्स पर चर्चा: वर्जित क्यों

महानगर में रहने वाली अधेड़ मानसी मध्यवर्गीय गृहिणी है. अपने फक्कड़ प्रोफैसर पति की सीमित आमदनी से उस की और घर की जरूरतें तो जैसेतैसे पूरी हो जाती हैं, लेकिन इच्छाएं और शौक पूरे नहीं होते. पैसों की तंगी अकसर इतनी रहती है कि वह अपनी 8 वर्षीय बेटी के स्कूली जूते भी फटने पर तुरंत नहीं खरीद पाती. इस के बाद भी उसे अपने सीधेसादे पति से कोई शिकवाशिकायत नहीं.

मगर मन में जो असंतुष्टियां पनप रही थीं वे उस वक्त उजागर होती हैं जब अपनी एक परिचित के जरीए वह पैसा कमाने की गरज से शौकिया देह व्यापार करने लगती है. सोचने में यह बेहद अटपटी सी बात लगती है कि सिंदूर से लंबी सी मांग भरने वाली एक भारतीय नारी यह तथाकथित गंदगी भरा रास्ता पैसा कमाने के लिए चुनेगी. वह भी खासतौर से 90 के दशक में जब सामाजिक खुलापन, उदारता या आजादी आज के मुकाबले 25 साल पिछड़े ही थे.

1997 में मशहूर निर्मातानिर्देशक बासु भट्टाचार्य ने एक ऐसी बात ‘आस्था’ फिल्म के जरीए कहने का जोखिम उठाया था जिसे उम्मीद के मुताबिक दर्शकों ने पसंद नहीं किया था, लेकिन कोई बात तो थी ‘आस्था’ में जो लोग उसे एकदम खारिज भी नहीं कर पाए थे और न ही असहमत हो पाए थे.

मानसी की भूमिका में रेखा ने जितनी गजब की ऐक्टिंग की थी उतनी ही अमर के रोल में ओम पुरी ने भी की थी. अभावों से जू?ाते मिडल क्लास पतिपत्नी के तमाम तरह के द्वंद्व उजागर करती इस फिल्म की एक अहम बात सैक्स उन्मुक्तता भी थी. मिस्टर दत्त के रोल में नवीन निश्छल थे जो मानसी के ग्राहक हैं. उन से मानसी की आर्थिक जरूरतें तो पूरी होने लगती हैं, लेकिन हैरतअंगेज तरीके से सैक्स संबंधी जरूरतें कई जिज्ञासाओं के साथ सिर उठाने लगती हैं. असल में दत्त सैक्स के मामले में काफी प्रयोगवादी और सब्र वाला मर्द है. वह मानसी पर भूखे भेडि़ए की तरह टूटता या ?ापटता नहीं है बल्कि बेहद कलात्मक ढंग से सैक्स करता है.

सैक्स पर चुप्पी क्यों

दत्त मानसी को नख से ले कर शिख तक चूमता है, उसे इत्मीनान से उत्तेजित करता है तो सैक्स सुख के समंदर में गोते लगाती मानसी को एहसास होता है कि इस मामले में अमर परंपरावादी और अनाड़ी है. लिहाजा वह दत्त से जो सीखती है उसे अमर पर आजमाने लगती है, जिसे इस तरह के लंबे फोर प्ले वाले सैक्स का कोई खास तजरबा नहीं है. लिहाजा आनंद के क्षणों में वह पत्नी से निहायत भोलेपन और मासूमियत से पूछ बैठता है कि तुम ने ये सब कहां से सीखा. मानसी इस सवाल को टाल जाती है और फिल्म इसी तरह आगे बढ़ती रहती है.

तब फिल्म समीक्षक और बुद्धिजीवी दर्शक यह तय नहीं कर पाए थे कि आखिर इस फिल्म के जरीए बासु भट्टाचार्य असल में कहना या बताना क्या चाह रहे हैं. एक पत्नी की सैक्स सीमाएं और दबी असंतुष्टि या एक गृहिणी का पार्टटाइम कौलगर्ल बन जाना. मुमकिन है ये दोनों ही बातें रही हों, लेकिन यह पहली फिल्म थी जिस में यह प्रमुखता से बताया गया कि एक पत्नी की भी सैक्स संबंधी अपनी चौइस और इच्छाएं होती हैं जो अकसर अव्यक्त रह जाती हैं. इस की अपनी पारिवारिक और सामाजिक वजहें भी हैं जो आखिरकर साबित यह करती हैं कि औरत सैक्स के मामले में भी शोषित और पुरुष पर निर्भर है.

समाज में गुनाह है

दौर कहने को ही नारी सशक्तीकरण का नहीं है बल्कि इस दिशा में बीते सालों में थोड़ा कुछ हुआ भी है. महिलाओं को अधिकार मिले हैं. मिले क्या हैं उन्होंने अपने दम पर हासिल किए हैं, वे अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं, जायदाद और अपनी अलग पहचान भी बना रही हैं, अपने फैसले भी खुद ले रही हैं, लेकिन ये सब आधाअधूरा और एक वर्ग विशेष तक सीमित है जिस में सैक्स की चर्चा तक नहीं होती गोया कि वर्जनाओं से भरे समाज में यह अभी भी गुनाह है.

भोपाल की 55 वर्षीय एक सरकारी अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताती हैं कि उन की शादी को 28 साल हो गए हैं. अब तो बेटी की भी शादी होने वाली है, लेकिन इन सालों में वे कभी पति को खुल कर अपनी सैक्स इच्छाएं नहीं बता पाईं कि उन्हें किस तरह से सैक्स पसंद है और आनंद देता है.

इन साहिबा को पति से कोई शिकायत नहीं है जो इन्हें बहुत चाहते हैं पर सैक्स के मामले में कुछ ऐसा हुआ कि अकसर सबकुछ पति की मरजी से हुआ और आज भी यही हालत है. ?ि?ाक की मारी औरत तो क्या इन की हालत मानसी जैसी है? तो कहा जा सकता है कि कम से कम पैसों के मामले में तो नहीं है, लेकिन इन्हें बिना किसी बाहरी जानकारी या दखल के यह एहसास तो है कि जिंदगी भले अच्छीखासी गुजरी पर कहीं एक अधूरापन रह गया जिसे पूरा करने के लिए न तो इन्होंने पहल की और न ही पति ने जरूरत महसूसी. इन्हें इस बात का डर था कि अगर सैक्स संबंधी इच्छा जताई तो पति इसे अन्यथा ले सकता है और शक भी कर सकता है.

वह अमर की तरह सहज भाव से नहीं पूछेगा कि ये सब कहां से सीखा बल्कि ताना मार सकता है कि तुम तो बिना मेरे बताए बहुत ऐक्सपर्ट हो गई हो. कोई भी पत्नी अपने वैवाहिक जीवन में इस तरह की कटुता नहीं चाहती इसलिए मशीनी ढंग के सैक्स का शिकार होती रहती है जिसे कहने वाले ड्यूटी सैक्स भी कहते हैं. इसे आनंददायक कहने की कोई वजह नहीं.

समाज की ज्यादती का शिकार तय है ऐसी लगभग 90% महिलाएं रूढि़वादी और सैक्स के मामले में भी पूर्वाग्रही समाज की ज्यादती का शिकार हैं जो महिलाओं को सैक्स संतुष्टि का उन का हक नहीं देता ठीक वैसे ही जैसे कभी शादी, तलाक, जायदाद और वोटिंग तक का नहीं देता था. सैक्स संतुष्टि पर कभी खुल कर बात न होने देना पुरुषों के दबदबे वाले समाज का एक और उदाहरण और मनमानी रही है जो सशक्तीकरण के फैशन और अनुष्ठान से कतई मेल नहीं खाती.

अधिकांश पुरुष भी सैक्स पोर्न फिल्मों से सीखते हैं जिन का सार यह होता है कि महिला आक्रामक और ताबड़तोड़ सैक्स से संतुष्ट होती है इस गलत धारणा का किसी मंच से कोई खंडन आज तक नहीं हुआ.

धर्म की तरह सैक्स भी निहायत जाति मसला है, फर्क इतना है कि धर्म का विस्तार किसी सुबूत का मुहताज नहीं लेकिन सैक्स का सिकुड़ापन कभी विस्तार ले पाएगा ऐसा लगता नहीं. कोई महिला अगर इस बाबत खुल कर बात करेगी तो उसे बिना किसी लिहाज के चालू, बेशर्म और चरित्रहीन तक करार दिया जा सकता है, जबकि दूसरे मामलों पर बोलने में पुरुषों के पास सिवा खामोश रह जाने या सम?ाता कर लेने के कोई और रास्ता नहीं रह जाता. सैक्स पर हल्ले का मकसद सच यह भी है कि तरक्की और अधुनिकता के तमाम दावों के बाद भी परिवारों और समाज में सैक्स पर चर्चा वर्जित है और अगर कोई लीक से हट कर कायदे की या नई पीढ़ी के लिए शिक्षाप्रद बात करता भी है तो उसे समाज संस्कृति और धर्म का दुश्मन घोषित करते हुए लोग उस पर मधुमक्खियों की तरह टूट पड़ते हैं.

इस की ताजी मिसाल सांसद और अपने दौर की कामयाब अभिनेत्री जया बच्चन हैं जिन्होंने एक शो के जरीए अपनी नातिन नव्या नवेली नंदा से यह कहा कि मु?ो कोई समस्या नहीं है अगर तुम्हारे बच्चे बिना शादी के हों. इतना कहना भर था कि भक्तों की नजर में वे धर्म और संस्कृति को नष्टभ्रष्ट करने वाली हो गईं.

सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियोज की बाढ़ आ गई जिन में उन्हें पानी पीपी कर कोसा गया. ये सनातनी लोग कुंती और कर्ण जैसे दर्जनों पौराणिक किस्से और उदाहरण भूल गए जिन में कुंआरी मां बनना आम बात थी. यही बात महिलाओं की सैक्स इच्छाओं पर लागू होती है जिस के तहत उन का अपनी इच्छा जताना एक तरह की घोषित निर्लज्जता है. उन्हें बचपन से ही सिखा दिया जाता है कि सैक्स बुरी बात है और पति के अलावा किसी और से सैक्स करना तो और भी बुरी बात है. यह भी मान लिया गया है कि सैक्स की पहल करना और उस के तरीके तय करना मर्दों की जिम्मेदारी है, फिर चाहे महिला इस से संतुष्ट हो या न हो पर संतुष्टि प्रदर्शित करना ही उस का धर्म है

बराबरी की बात और दर्जा सशक्तीकरण का अहम हिस्सा है, लेकिन सैक्स में इस का न मिलना महिलाओं के पिछड़ेपन की बड़ी वजह है जिस के चलते उन में अपेक्षित आत्मविश्वास नहीं आ पाता. नए कपल्स एक हद तक इस का अपवाद कहे जा सकते हैं, लेकिन उन की संख्या अभी इतनी नहीं है कि किसी क्रांति का जनक उसे कहा जा सके.

घर पर बनाए बेकरी जैसा केक

केक जिसे हम घर पर असान तरीकों से बना सकते है. तो रेडी है कुछ केक की लिस्ट जिसे घर वालों के साथ बनाएं और खाएं भी. 

1- एप्पल  सिनेमन केक

सामग्री

–  3 अंडे

– 3/4 कप चीनी

–  1 छोटा चम्मच वनीला एसेंस

–  1/3 कप मैदा

– 1 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

– 1 छोटा चम्मच दालचीनी

–  2 सेब

–  1/2 कप बटर

– चुटकी भर नमक.

बनाने की विधि

सबसे पहले अंडे में चीनी मिलाकर उसे फेंटें.

अब इसमें वनीला एसेंस को मिलाएं.

फिर इसमें बटर डालकर मिलाएं.

अब एक अन्य बाउल में मैदा, बेकिंग पाउडर, दालचीनी पाउडर और नमक को डालकर अच्छे से मिक्स करें.

अब मैदा के मिश्रण को अंडे के मिश्रण में मिक्स करें. फिर बैटर में कटे हुए सेब डालें.

अब इस बैटर को फ्रेशरैप एल्युमीनियम बेकिंग फोइल पर डालकर 9-10 इंच के टिन में डालें.

फिर इसे 200 डिग्री सेल्सियस पर पहले से गरम ओवन में सुनहरा होने तक लगभग 40 मिनट तक बेक करें.

फिर इसमें टूथपिक डालकर चेक करें कि केक अच्छे से बेक हुआ है या नहीं. अगर टूथपिक साफ बाहर निकले तो सम?ा जाए कि केक बनकर तैयार है. फिर आप इसे अपने के सामने सर्व कर सकते हैं. (फ्रेशरैप इंटरनेशनल एक्स्ट्रा स्ट्रांग प्रीमियम एल्युमीनियम फॉयल साधारण फॉयल की तुलना में 70 प्रतिशत मोटी है और बेकिंग के लिए उपयुक्त है. इससे केक को सही तरह से बेक करने में मदद मिलती है. साथ ही इस एल्युमीनियम फॉयल को बीआईएस की मान्यता प्राप्त है इसलिए यह इस्तेमाल के लिए सुरक्षित भी है. तो इस क्रिसमस अपना मनपसंद केक बेक करने के लिए फ्रेशरैप इंटरनेशनल एक्स्ट्रा स्ट्रांग प्रीमियम एल्युमीनियम फॉयल का इस्तेमाल करें.)

2- बनाना केक

सामग्री

-1 कप मैदा द्य 1 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

-1 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा द्य 1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर द्य 1 बड़ा चम्मच मिल्क पाउडर

-1/4 कप बटर द्य 1 मैश किया केला

-100 ग्राम कंडैंस्ड मिल्क द्य थोड़े से अखरोट

– नमक स्वादानुसार.

विधि

केले को मैश कर लें. उस के बाद मैदा, बेकिंग पाउडर, बेकिंग सोडा, कौर्नफ्लोर, मिल्क पाउडर और नमक को छान लें. इस के बाद उस में केला और कंडैंस्ड मिल्क को मिलाएं. अब बैटर को ग्रीस किए पैन में डाल कर पहले से गरम ओवन में 40 मिनट तक बेक करें. जब यह अच्छी तरह बेक हो जाए तो इसे थोड़ा ठंडा कर सर्व करें.

3- चौकलेट केक

सामग्री

-1 कप मैदा

-1/2 कप कोको पाउडर

– 1 कप योगर्ट

-3/4 कप कैस्टर शुगर

-1/2 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा

– 1/2 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

– 1/2 कप औयल

-1 छोटा चम्मच वैनिला ऐक्सट्रैक्ट.

विधि

ओवन को 200 डिग्री सैल्सियस पर प्रीहीट करें. फिर 8 इंच के टिन को बटर से ग्रीस करें. फिर मैदा और कोको पाउडर को छान लें. इस के बाद योगर्ट, शुगर और वैनिला को डाल कर अच्छी तरह फेंटें. फिर इस में बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. अब इस में औयल और मैदे का मिक्स्चर ऐड करें. फिर इसे बेकिंग डिश में डाल कर पहले से गरम ओवन में 40 मिनट तक बेक करें. जब केक पक जाए तो इसे 15 मिनट के लिए ठंडा होने के लिए एक तरफ रख दें. फिर सर्व करें.

4- कौफी केक

सामग्री

–  200 ग्राम मैदा

–  1 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

–  2 छोटे चम्मच कौफी पाउडर

–   4 अंडे

–  200 ग्राम बटर

–  200 ग्राम शुगर

–   2 छोटे चम्मच मिल्क

–   स्वादानुसार.

विधि

ओवन को 160 डिग्री सैल्सियस पर प्रीहीट करें. फिर सारी सामग्री को एक बाउल में मिक्स करें. फिर इसे बटर बेकिंग टिन में डाल कर 40 मिनट तक बेक कर सर्व करें.

5- लैमन केक

सामग्री

– 3 लैमन द्य 180 ग्राम मैदा

–  150 ग्राम शुगर

– 2 अंडे द्य 1 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

–  125 ग्राम बटर

–  60 मिलीलीटर मिल्क.

विधि

ओवन को 180 डिग्री सैल्सियस पर प्रीहीट करें. फिर एक बाउल में बटर, शुगर और अंडे डाल कर अच्छी तरह फेंटें. फिर इस में लैमन जूस मिक्स करें. अब इस में सारे ड्राई इनग्रीडिऐंट्स मिला कर अच्छी तरह मिक्स करें.

फिर इसे बेकिंग पैन में डालें. अब इसे पहले से प्रीहीट ओवन में 45 मिनट तक बेक करें. जब यह बेक हो जाए तो इसे 5 मिनट तक ठंडा कर प्लेट में निकाल कर सर्व करें.

प्रीमैच्योर बेबी: मिथ्स और फैक्ट्स

वैश्विक स्तर पर पैदा होने वाले 15मिलियन बच्चों में से 1/5 भारत में जन्म लेते हैं और पूरी दुनिया में 5 साल से कम उम्र में बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण समय से पहले पैदा होना है. इस में कोई संदेह नहीं है कि भारत में इन नवजातों की गहन चिकित्सा और देखभाल की काफी जरूरत है,जो हमारे देश में समय पर संभव नहीं होती.

‘प्रीमैच्योर चाइल्ड बर्थ ऐंड केयर वीक’ पर समय से पहले शिशुओं के जन्म के बारे में नवी मुंबई, कोकिलाबेन, धीरुभाई अंबानी हौस्पिटल की कंसलटैंट, औब्सटेरिक्स और गायनेकोलौजी डाक्टर बंदिता सिन्हा कहती है कि आम तौर पर गर्भावस्था का पूरा समय 40 हफ्तों का होता है, लेकिन कुछ मामलों में अचानक ऐसी जटिलताएं हो जाती हैं कि 37 हफ्तों की गर्भावस्था पूरी होने से पहले ही शिशु का जन्म हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस स्थिति को प्री टर्म या समय से पहले जन्म कहा है और इस की 3 उप श्रेणियां बताई हैं:

द्य अत्यधिक अपरिपक्व (28 हफ्तों से कम),

द्य बहुत अपरिपक्व (28 से 32 हफ्तों के बीच पैदा होने वाले शिशु),

द्य मध्यम से देर से अपरिपक्वता (32 से 37 हफ्तों के बीच पैदा होने वाले शिशु).

अगर शिशु गंभीर रूप से अस्वस्थ हो, तो पूरे परिवार के लिए बेहद तनावपूर्ण हो सकता है. इस समस्या के बारे में जानकारी या पूर्व अनुभव न होने की वजह से निओनेटल यूनिट में शिशु के मातापिता को बड़े संकट से गुजरने की भावना महसूस होती है. सी सैक्शन या सिजेरियन सैक्शन के जरीए कराए गए समय से पहले जन्म में, माताओं का जन्म के बाद पहले कुछ दिनों तक अपने नवजात शिशु के साथ बहुत कम या कोई संपर्क नहीं होता है.

इस से मातापिता पर तनाव और भी ज्यादा बढ़ जाता है. चिंता, डिप्रैशन, पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रैस डिसऔर्डर और कुल स्वास्थ्य पर असर पड़ने का खतरा रहता है. सिंगल साइट्स या अस्पतालों में किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि यह गर्भावस्था पूरी होने के बहुत पहले जन्म पैदा होने वाले तनाव व लंबे समय तक बना रह सकती है.

मिथ ऐंड फैक्ट

मातापिता को अकसर यह लगता है कि प्रसव के पहले की देखभाल ठीक से न किए जाने की वजह से उन के शिशु का जन्म समय से पहले हुआ है.

फैक्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि समय से पहले होने वाली प्रसूतियों में लगभग आधी प्रसूतियों के कारण अज्ञात रह जाते हैं. करीब 30% मामलों में मैमब्रैंस का समय से पहले टूटना पीपीआरओएम कारण होता है, जबकि 15-20% मामलों में प्रीक्लैंपसिया, प्लेसैटल ऐब्रप्शन, गर्भाशय के भीतर विकास को प्रतिबंध आईयूजीआर और इलैक्टिव प्रीटर्म बर्थ आदि कारण होते हैं.

मिथ

समय से पहले पैदा हुए बच्चों का मातापिता के साथ जुड़ाव नहीं हो पाता है.

फैक्ट

शिशु के साथ जुड़ाव बनाने के कई तरीके हैं. एनआईसीयू दिनचर्या में शिशु के साथ जुड़ाव बनाने के नए रास्ते मातापिता को खोजने चाहिए. कंगारू केयर यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क करें, डायपर बदलें, शिशु का टैंपरेचर जांचें और अगर संभव हो तो स्तनपान कराएं.

मिथ

2 साल की आयु तक शिशु अपने विकास के पड़ाव पार करेगा.

फैक्ट

भाषा विकास, संतुलन और समन्वय जैसे मोटर कौशल और फाइन मोटर कौशल मसलन पैंसिल पकड़ पाना, पजल के टुकड़े जोड़ना आदि विकसित होने में देरी हो सकती है. करीब 40% प्रीमैच्योर शिशुओं में मोटर कौशलों में जरा सी कमी देखी जा सकती है और माताओं को इन शिशुओं के साथ व्यवहार में कुछ कठिनाइयां महसूस हो सकती हैं.

योनि प्रसूति के फायदे

योनि प्रसूति होने से आप बड़ी सर्जरी या सी सैक्शन से जुड़े जोखिमों से बच जाती हैं जैसेकि गंभीर रक्तस्राव, निशान रह जाना, संक्रमण, ऐनेस्थीसिया के प्रभाव और सर्जरी के बाद का दर्द आदि.

द्य स्तनपान जल्दी शुरू हो जाता है.

द्य सांस की बीमारियों का खतरा कम रहता है.

द्य शरीर की रोग प्रतिरोध प्रणाली अच्छे से काम कर पाती है.

द्य स्तनपान कराने की अधिक प्रवृत्ति अधिक होती है हालांकि जब अनिवार्य हो तब सी सैक्शन की सलाह दी जाती है.

प्राथमिक सिजेरियन (सी सैक्शन) डिलिवरी के लिए सब से आम संकेत हैं:

द्य आईवीएफ प्रैगनैंसी.

द्य ऐल्डरली प्राइमिग्रेविडा.

द्प्रसवपीड़ा.

द्भ्रण की हृदयगति का पता न लगाना, फीटल मालप्रेजैंटेशन.

द्स्पैक्टेड मैक्रोसोमिया.

जुर्माना: क्या थी वजह

रविवारकी सुबह मेरी नींद मां व अंजु के ?ागड़ने की आवाजें सुन कर टूटी. मेरे छोटे भाई संजय की पत्नी से मां का अब लगभग पूरा दिन ?ागड़ा होता है. सिर्फ 1 साल के अंदर इन दोनों के संबंध बहुत खराब हो गए हैं. कुछ देर बाद मु?ो चाय का कप देते हुए मां ने रोआंसी आवाज में कहा, ‘‘समीर, मैं अंजु के साथ नहीं रह सकती हूं. तू शादी क्यों नहीं कर लेता. मैं तेरे घर में नौकरानी बन कर भी रहूंगी तो मु?ो यहां से ज्यादा इज्जत मिलेगी.’’ ‘तुम चुप रहोगी तो क्लेश नहीं होगा. तुम फालतू की बहस में उस के साथ क्यों उल?ाती हो?’’ उन के आंसुओं ने मु?ो दुखी किया तो मेरी आवाज में चिड़चिड़ाहट पैदा हो गई. ‘‘देख, सीमा अच्छी लड़की है. तू इस रिश्ते के लिए ‘हां’ कह दे,’’ मां ने आंखों में आंसू ला कर वार्त्तालाप को इच्छित दिशा में मोड़ दिया. ‘‘यों आंसू वहां कर मु?ा से जबरदस्ती हां कहलाने की कोशिश मत करो,’’ मैं चाय का कप लिए ही उठ कर बाथरूम में घुस गया.

जिस सीमा का रिश्ता मेरे लिए आया है, उस से मैं पिछले रविवार को अपनी बूआ के घर मिला था. वह अपने मम्मीपापा के साथ वहां आई थी. बूआ ने अगर मु?ो पहले बता दिया होता तो मैं शायद उन के यहां जाना ही टाल देता क्योंकि किसी लड़की से मैं उसे धोखे में रख शादी नहीं कर सकता था. बूआ की जिद के सामने मजबूर हो कर मैं ने सीमा से कुछ इधरउधर की बातें करने के बाद पूछा, ‘‘तुम ने अब तक शादी क्यों नहीं करी है?’’ मेरे इस सवाल को सुन उस ने गंभीर स्वर में मु?ो जानकारी दी, ‘‘मेरे बड़े भाई और मंगेतर की अब से 5 साल पहले सड़क हादसे में एकसाथ मौत हो गई थी. अब मेरे अलावा मम्मीपापा की देखभाल करने वाला और कोई नहीं है. मां का सूजा हुआ बांया घुटना तो अब बहुत तकलीफ देने लगा है.

‘‘अभी तक मैं ने शादी इसलिए नहीं करी है क्योंकि अपने मंगेतर से जुड़ी यादों के धूमिल होने में काफी वक्त लगा है. दूसरी बात यह कि अभी तक ऐसा कोई युवक नहीं मिला जो मेरे मातापिता की आजीवन देखभाल करने में मेरा हाथ बंटाने को खुशीखुशी राजी हो.’’

‘‘कोई न कोई ऐसा सम?ादार और संवेदनशील इंसान तुम्हें जरूर मिल जाएगा,’’ मैं ने उस का हौसला बढ़ाने को जवाब दिया.

‘‘मै ने भी उम्मीद नहीं छोड़ी है,’’ उस की मुसकराती आंखों में मु?ो जिंदगी के प्रति किसी तरह की कड़वाहट या शिकायत नजर नहीं आई.

‘‘तुम चाहो तो अपनी मम्मी को मेरे दोस्त रवि के पिताजी को दिखा सकती हो. वह बहुत अच्छे और जानेमाने और्थोपैडिक सर्जन हैं.’’ ‘क्या तुम उन के साथ हमारी मुलाकात का समय तय करा दोगे?’’

‘‘श्योर. मैं रवि से बात करने के बाद तुम्हें फोन करता हूं.’’

मेरी बात सुन कर वह धन्यवाद देने वाले अंदाज में मुसकराई और फिर उस ने अपना मोबाइल नंबर मु?ो नोट करा दिया.

मु?ो सीमा सम?ादार और आत्मविश्वास से भरी लड़की लगी. उस की इस बात ने मु?ो प्रभावित किया कि वह अपने मातापिता की देखभाल के सवाल को अनदेखा कर अपना घर नहीं बसाना चाहती. अब बूआ और मां इस रिश्ते के लिए हां कहने को मु?ा पर बहुत जोर डाल रहे थे. मु?ो शादी करनी नहीं थी पर फिर भी मैं इन दोनों को न नहीं कर पा रहा था. ‘‘मैं सोच कर जवाब देता हूं,’’ बारबार ऐसा बहाना बना कर मैं फिलहाल अपनी जान बचा रहा था. मैं तैयार हो कर घर से निकला तब सुबह के 10 बज रहे थे. कार से मैं सीधा महक से मिलने उस के घर पहुंचा. महक मेरे बचपन के दोस्त नीरज की पत्नी है. हम तीनों साथसाथ कालेज में पढ़ा करते थे. मैं ने जो अभी तक शादी नहीं करी है, उस का कारण महक है. मैं उस से प्रेम करता हूं और इसी कारण अब तक किसी अन्य लड़की को अपनी जीवनसंगिनी बनाने का कदम नहीं उठाया है. नीरज मु?ा से हाथ मिलाने के बाद नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया. उन का बेटा मयंक टीवी पर कार्टून चैनल देख रहा था. मौके का फायदा उठा कर मैं ने रसोई में काम कर रही महक को अपनी बांहों में भर कर कहा, ‘‘बहुत दिन हो गए हैं तुम्हें जी भर कर प्यार किए हुए और कितने दिनों तक मु?ो प्यासा रखोगी, मेरी जान?’’

‘‘ज्यादा दिन नहीं,’’ उस ने बड़ी अदा से मेरे होंठों पर छोटा सा चुंबन अंकित कर खुद को मेरी बाहों के घेरे से आजाद कर लिया. ‘‘सच कह रही हो?’’

‘‘हां, नीरज 2 दिनों के लिए अपने चचेरे भाई की शादी में शामिल होने कानपुर जा रहे हैं.’’

‘‘कब?’’ ‘‘कल रात को.’’ ‘‘मैं 2 दिन की छुट्टी ले कर सारा समय तुम्हारे साथ यहीं गुजारूंगा,’’ खुशी के मारे मेरा मन नाच उठा. ‘ओके, पर फिलहाल ड्राइंगरूम में जा कर बैठो. नीरज को हमारे ऊपर कभी शक नहीं होना चाहिए,’’ उस ने मु?ो धकेल कर रसोई से बाहर कर दिया. कुछ देर बाद चाय पीते हुए उस ने ?ि?ाकते स्वर में मु?ा से कहा, ‘‘समीर, अगले सोमवार तक हमें 50 हजार रुपए चाहिए होंगे.’’ ‘‘वह किसलिए?’’ मैं ने चैंक कर पूछा. ‘‘मयंक का नए स्कूल में ऐडमिशन होना है. वे लोग डोनेशन मांग रहे हैं.’’ मैं जवाब देने में कुछ ?ि?ाका तो उस ने भावुक हो कर कहा, ‘‘तुम से रुपए मांगने में हमें शर्म आ रही है क्योंकि अभी तक हम ने पिछले 50 हजार ही नहीं लौटाए हैं.’’ नीरज ने मेरे कुछ कहने से पहले ही परेशान लहजे में कहा, ‘‘हम दोनों कमाते हैं पर फिर भी कुछ जुटा नहीं पाते है. छोटी बहन की शादी में लिया कर्जा उतरा नहीं था कि पिताजी के दिल का औपरेशन कराना पड़ा. तुम से 50 हजार रुपए न मिलते तो किसी और के सामने हाथ फैलाना पड़ता. अब मैं इसे कहता हूं कि किसी सस्ते स्कूल में मयंक का दाखिला करा दो, पर यह मानती नहीं है.’’ ‘‘अगर 50 हजार का इंतजाम नहीं हुआ तो करा देंगे उस का एडमिशन किसी घटिया स्कूल में,’’ महक रोआंसी सी हो उठ थी. ‘‘मैं कर देता हूं 50 हजार का इंतजाम. तुम दिल छोटा न करो, महक,’’ मेरी बात सुन कर उन दोनों के चेहरे खुशी से खिल उठे थे. ‘‘तुम्हारे ये सारे एहसान हम जिंदगीभर नहीं भूलेंगे,’’ नीरज बहुत भावुक हो उठा. ‘‘दोस्त हो कर ऐसी घटिया बात मुंह से मत निकालो,’’ मेरा यह उलाहना सुन नीरज ने उठ कर मु?ो अपने गले लगा लिया. महक की आंखों में अपने लिए प्यार के गहरे भाव देख कर मेरा दिल खुश हो गया. उस के दिल में अपने प्रति प्यार की जड़ें मजबूत रखने के लिए मु?ो फिर से उन्हें 50 हजार रुपए देना जरा भी नहीं खल रहा था.

रात मैं उत्तेजना के मारे ढंग से सो नहीं सका. कुछ समय बाद महक को मैं जीभर कर प्यार कर सकूंगा, इस विचार ने मेरी नींद को अनगिनत रंगीन व मादक सपनों से भर दिया. इंसान सोचता कुछ है और होता कुछ और है. महक ने अगले दिन शाम को मु?ो फोन पर जो खबर दी, उसे सुन कर मेरा दिमाग बुरी तरह से भन्ना गया.

‘‘नीरज जिद कर के मु?ो भी अपने साथ शादी में शामिल होने को ले जा रहे हैं. आई एम सौरी,’’ उस की आवाज में अफसोस के भाव साफ ?ालक रहे थे.

‘‘ऐसा मत करो, यार. तुम किसी भी तरह से अपना जाना टालो,’’ अपने रंगीन सपनों की दुनिया को उजड़ते देख मु?ो गुस्सा आ गया था.

‘‘मैं उन की जिद के सामने मजबूर हूं समीर, पर यह पक्का वादा करती हूं कि मैं वापस आते ही तुम से अकेले में मिलने की कोई न कोई तरकीब जरूर निकालूंगी.’’

‘‘मु?ो बहुत जोर से गुस्सा आ रहा है.’’

‘‘गुस्सा मत करो, स्वीटहार्ट. वापस आ कर मैं तुम्हें इतना प्यार करूंगी कि तुम्हारा दिल खुश हो जाएगा.’’

‘‘पक्की बात?’’

‘‘बिलकुल पक्की.’’

उस के इस आश्वासन ने मु?ो जरा सी भी खुशी नहीं दी थी. फोन रखने के बाद मेरा मन बहुत चिड़चिड़ा और अकेला सा हो गया. गुस्से में आ कर मैं ने उसे मन ही मन काफी भलाबुरा कहा.

मैं सारी रात ढंग से सो नहीं पाया. बारबार मन महक के खूबसूरत बदन की महक व स्पर्शसुख की मांग उठाता रहा. उस ने मेरी भावनाओं को आंदोलित करने के बाद मु?ो प्यासा छोड़ कर बिलकुल अच्छा नहीं किया. सुबह औफिस न जा कर मैं सिटी अस्पताल पहुंच गया. मु?ो यह याद था कि सीमा अपनी मम्मी का रवि के चाचाजी से चैकअप कराने के लिए मंगलवार की सुबह वहां आने वाली है. इस मुलाकात का समय मैं ने ही तय कराया था. मु?ो अचानक सामने देख कर सीमा और उस के मातापिता चौंक पड़े. मैं ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘सीमा, तुम्हें अब रुकने की जरूरत नहीं है. मैं यहां सब संभाल लूंगा. तुम्हारा क्लोजिंग टाइम चल रहा है, इसलिए तुम औफिस चली जाओ. कुछ नानुकुर करने के बाद सीमा औफिस चली गई. विदा लेते समय उस की आंखों में मेरे व्यवहार से उपजे अजीब सी उल?ान के भावों को पढ़ कर मैं मन ही मन हंस पड़ा रवि के चाचाजी ने सीमा की मम्मी को अच्छी तरह से देख कर कुछ दवाइयां लिख दीं. उन के मुंह से यह सुन कर कि घुटने के औपरेशन की जरूरत नहीं है, सीमा की मम्मी ने बहुत राहत महसूस करी. मैं ने उन दोनों को अपनी कार से उन के घर छोड़ा. मेरा धन्यवाद करते हुए उन की जबान थक नहीं रही थी. मैं घर लौटा तो पाया कि मां और अंजु के बीच तकरार चल रही है. मां ने मु?ा से अंजु की शिकायत करनी शुरू करी पर मैं उन के पास रुका नहीं.

‘‘सब जल्दी ही ठीक हो जाएगा,’’ बस इतना कह कर मैं अपने कमरे में जाने को सीढि़यां चढ़ने लगा. पलंग पर आराम करते हुए शाम तक मैं ने अपना घर बसाने का महत्त्वपूर्ण फैसला कर लिया. यह बात मु?ो सम?ा में आ गई थी कि अपनी जिंदगी में खुशियां भरने का सब से ज्यादा बड़ा उत्तरदायित्व खुद मेरा ही है. मैं अब ऐसा जीवनसाथी चाहता था जिस की जिंदगी में मैं सब से प्रमुख स्थान रखता हूं, जो मेरे सुख और खुशियों को सर्वोपरि माने और मेरे सुखदुख बांटने को हमेशा मेरे पास रहे. मैं समाज में उस के साथ सिर ऊंचा कर के जीना चाहता था.

‘शादीशुदा महक के प्यार में पागल हो कर मैं अपने भविष्य की खुशियां और सुरक्षा कभी सुनिश्चित नहीं कर सकता हूं. उस की जिंदगी में मैं नीरज के पीछे हमेशा नंबर 2 पर आऊंगा. उस का दिल दुखाने के ऐवज में मैं 50 हजार का जुरमाना भर दूंगा. उस के साथ जुड़े रह कर मु?ो अपना भविष्य बरबाद नहीं करना है,’ ऐसा फैसला करने के साथ ही मेरे मन का सारा बो?ा व कड़वाहट समाप्त हो गई. मैं शाम को सीमा से मिलने उस के औफिस के बाहर पहुंच गया. यह देख कर मु?ो खुशी हुई कि वह मु?ो देख कर खुश हुई. हम दोनों कौफी पीने के लिए एक रेस्तोरां में आ बैठे. ‘‘मैं तुम्हें एक खास बात बताने के लिए आया हूं,’’ मैं ने गंभीर लहजे में वार्त्तालाप शुरू किया. जवाब में उस ने मुंह से कुछ कहने के बजाय अपना पूरा ध्यान मेरे ऊपर केंद्रित कर लिया था. ‘‘मैं तुम्हारे मातापिता की देखभाल की जिम्मेदारी उठाने में तुम्हारा हाथ बंटाने को तैयार हूं,’’ मैं ने उसे अपना जीवनसाथी बनाने की इच्छा इन शब्दों में जाहिर कर दी.

‘‘क्या तुम मु?ा से शादी करने के इच्छुक हो?’’ उस ने चौंक कर पूछा. ‘हां, मैं यही इरादा मन में ले कर तुम से मिलने आया हूं.’’ ‘‘तुम्हारी बात सुन कर मु?ो हैरानी हुई है,’’ उस की आवाज में अचानक बेचैनी के भाव उभरे.

‘‘क्यों?’’ ‘‘मेरे सुनने में आया है कि महक और तुम्हारे बीच कुछ चक्कर…’’ उस ने अपना वाक्य शायद जानबू?ा कर अधूरा छोड़ दिया. ‘‘हमारे बीच ऐसा चक्कर था, पर अब नहीं है. मैं ने उस की जिंदगी से हमेशा के लिए निकल जाने का फैसला कर लिया है,’’ मैं ने उसे सच्चाई बता दी. ‘‘कब किया है तुम ने यह फैसला.’’

‘‘आज ही किया है.’’ ‘‘और तुम्हारा यह फैसला कितना मजबूत है, समीर.’’ ‘‘मैं तुम से वादा करता हूं कि  उस रास्ते पर जिंदगी भर नहीं लौटूंगा.’’ ‘‘तब मु?ो तुम्हारे इस अतीत से कुछ लेनादेना नहीं है. मेरा दिल कहता है कि तुम बहुत अच्छे दिल वाले इंसान हो और मेरे मन में तुम्हारे लिए बहुत इज्जत है. एकदूसरे को सम?ा लेने के बाद अगर हम शादी करने का फैसला करते हैं तो मु?ो बहुत खुशी होगी.’’

‘‘मु?ो बस एक बात और कहनी है. मां हमेशा हमारे साथ रहेंगी. उन की मेरे छोटे भाई की पत्नी से बिलकुल नहीं पटती है.’’

‘‘नो प्रौब्लम.’’

‘‘थैंक यू. अब बताओ कि क्या खाओगी?’’

‘‘हम जीवनसाथी बनना चाहते हैं और यह खुशी की बात है, इसलिए मुंह मीठा कर लेते हैं. अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो कौफी पीने के बजाय आइसक्रीम खा लें?’’

‘श्योर,’’ मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपना हाथ सीमा की तरफ बढ़ा दिया. सीमा शरमाई सी कुछ पलों तक ?ि?ाकी पर फिर उस ने मेरा हाथ थाम लिया. उस के हाथ का स्पर्श मेरे मन को अंदर तक गुदगुदा गया. इस स्पर्श में महक के स्पर्श से पैदा होने वाली उत्तेजना के नहीं बल्कि दिल को भाने वाली गर्लफ्रैंड के स्पर्श से मिलने वाले रोमांस के भाव मौजूद थे.

दोस्ती लड़के और लड़की के बीच

साल 1989 की ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म ‘ मैं ने प्यार किया ‘ में लीड एक्टर सलमान खान और हीरोइन भाग्यश्री के रिश्ते की शुरुआत दोस्ती के जरिए हुई थी जो आगे चल कर प्यार में बदल गई. इस फिल्म का एक फेमस डायलॉग है जो विलेन मोहनीश बहल ने कहा था कि एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते. भले ही उस दौर में यह बात काफी हद तक सही थी मगर अब तीन दशक से अधिक का समय बीत चुका है. लोगों की खासकर यंग जेनरेशन की सोच काफी हद तक बदल चुकी है. अब लड़केलड़कियां न केवल दोस्त होते हैं बल्कि बेस्ट फ्रेंड भी बनते हैं. बदलते दौर में हम ऐसी कई मिसालें देखते हैं कि मेल और फीमेल न सिर्फ अच्छे दोस्त रहे हैं बल्कि इस खूबसूरत रिश्ते को जिंदगी भर निभाया भी है. आयरलैंड के मशहूर कवि ऑस्कर वाइल्ड ने कहा था, ‘दोस्ती प्यार के मुकाबले ज्यादा ट्रैजिक होती है. यह लंबे वक्त तक टिकती है’. जब मेल फीमेल के बीच दोस्ती का रिश्ता होता है तो यह और भी ज्यादा समय तक टिकता है. इस दोस्ती में कभीकभी रोमांस की भी एंट्री हो सकती है. हालांकि ज्यादातर मामले में

यह प्यार एकतरफा होता है.

याद कीजिए फिल्म ‘ ऐ दिल है मुश्किल’ के रणवीर कपूर को जो अनुष्का शर्मा को दोस्त से बढ़ कर मानते थे. मगर अनुष्का उन्हें केवल दोस्त बनाए रखना चाहती थी. वह दोस्ती के प्यार को महसूस करना चाहती थी. ऐसा ही कुछ फिल्म बेफिक्रे के रणबीर सिंह के साथ भी हुआ. बेफिक्रे फिल्म में रणवीर कहता है, ‘ वह डेट पर जाती तो मुझ से पूछती क्या पहनूं. हर एडवाइस मुझ से लेती और अब शादी किसी और से कर रही है.’

आज के युवाओं की भाषा में इसे फ्रेंडजॉन नाम दिया जाता है. कई बार एक लड़की और लड़के के केस में महज दोस्त भर रह जाना लड़के को कंफ्यूज कर जाती है. एक लड़के के तौर पर आप कन्फ्यूज हो जाते हैं कि आखिर यह लड़की चाहती क्या है. क्या बस एक कंधा जो उसे हर इमोशनल परिस्थिति में सहारा दे? कहीं वह सिर्फ अपनी इमोशनल जरूरतों के लिए ‘यूज’ तो नहीं कर रही?

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिस के बिना कोई भी व्यक्ति नहीं रह सकता पहले के समय में अधिकतर लड़कियों की दोस्ती लड़कियों से और लड़कों की समान उम्र के लड़कों से होती थीं लेकिन आज के समय में लड़कालड़की की दोस्ती होना सामान्य बात है और इस में कोई बुराई भी नहीं है स्कूल कॉलेज में लड़के लड़कियां मिल कर मस्ती करते हैं और दोस्तों की तरह पढ़ाई के साथ साथ जिंदगी के उतार चढ़ाव में एकदूसरे की मदद भी करते हैं. दुनिया के अधिकतर रिश्ते तो हमें जन्म के साथ ही मिलते हैं लेकिन दोस्ती के रिश्ते में सामने वाले व्यक्ति को हम स्वयं चुनते हैं किसी से दोस्ती करते समय नहीं देखा जाता कि वह लड़का है या लड़की या फिर उस का रंगरूप या धर्म क्या है दोस्ती के लिए सामने वाले व्यक्ति का अच्छा इंसान होना और आपस में विचार मिलना जरूरी है किसी भी दोस्ती की शुरुआत तब होती है जब हालात या फिर इंट्रेस्ट एक जैसे हों. इस दोस्ती में भी अपने फ्रेंड को वैसे ही ट्रीट किया जाता है जैसा कि आप सेम जेंडर के फ्रेंड्स को करते हैं. हालांकि ज्यादातर पुरुष दोस्त अपनी फीमेल फ्रेंड्स से ज्यादा रिस्पेक्टफुली बात करते हैं क्योंकि महिलाएं असल में मर्दों के मुकाबले ज्यादा सेंसिटिव होती है. किसी भी दोस्ती में सब से जरूरी है भरोसा इस के साथ ही ये रिश्ता तब तक चलेगा जब तक कि दोनों के बीच में किसी तरह का स्वार्थ न पैदा हुआ हो. लड़कियों को ये भरोसा होना चाहिए कि वे अपने पुरुष मित्र के साथ सेफ हैं. वहीं मेल फ्रेंड को भी इस बात का यकीन रहे कि वो दोस्ती के नाम पर इस्तेमाल तो नहीं किए जा रहे. यही विश्वास फ्रेंडशिप को पक्का करता है.

क्यों मजबूत होती है ये दोस्ती

विश्वास

लड़कियां अपनी सहेलियों की बजाय पुरुष मित्रों पर अधिक विश्वास करती हैं इस के पीछे एक वजह यह भी है कि लड़कियां अन्य लड़कियों पर ज्यादा विश्वास नहीं कर पाती हैं कई बार उन में आपस में जलन की भावना भी उत्पन्न हो जाती है लेकिन लड़के और लड़की की दोस्ती में ऐसा कभी नहीं होता है. जलन के बजाए आकर्षण सदैव बना रहता है. नकारात्मक भाव न होने के कारण विश्वसनीयता भी बनी रहती है

लगाव और आकर्षण

आकर्षण होने का मतलब जरूरी नहीं कि प्रेम ही हो. हमें किसी की कोई बात पसंद आती है उस की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं. विपरीत लिंग के लोगों में वैसे भी अधिक आकर्षण होता है. आकर्षण वाला यह लगाव एकदूसरे को एक मजबूत बंधन में बांधता है.

केयर करना

यदि आप का दोस्त कहता है कि घर पहुंच कर मैसेज करना, समय से घर पहुंचना, अपना ख्याल रखना तो बहुत अच्छी फीलिंग आती है. लगता है जैसे घरवालों के अलावा भी कोई है जिसे आप की इतनी फ़िक्र है. दो लड़कियां भी बातोंबातों में एक दूसरे की फिक्र जताती हैं लेकिन लड़के के फ़िक्र जताने का तरीका अलग होता है. वह अपनी दोस्त के प्रति बहुत केयरिंग होते हैं. इसी तरह लड़कियां भी लड़के दोस्त के लिए खास तौर पर केयरिंग होती हैं.

आखिर क्यों होनी चाहिए हर लड़के के पास एक अच्छी फीमेल दोस्त

अंडरस्टैंडिंग

आप की फीमेल दोस्त आप को बाकी दोस्तों से बेहतर तरीके से समझ पाती है अक्सर देखा जाता है कि लड़को को सिर्फ उतना ही समझ आता है जितना उन्हें कुछ बताया जाता है लेकिन अगर आप के पास कोई महिला मित्र है तो वह आप के मूड को देख कर ही भांप जाएगी कि आप के दिमाग में आखिर क्या चल रहा है आपकी दोस्त न केवल आप को बेहतर समझती है बल्कि यह भी जानती है कि आप को कौन सी बात खुश करेगी और कौन सी बात से आप उदास हो सकते है इतना ही नहीं वह आप के साथ शॉपिंग पर जाने से कभी बोर भी नहीं होगी

रोने के लिए कन्धा

लोग कहते है कि पुरुष कभी नहीं रोते हालांकि इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है अक्सर देखा गया है कि पुरुष महिलाओं से ज्यादा इमोशनल होते हैं कोई परेशानी आने पर अक्सर लड़के बहुत अकेला महसूस करते है ऐसे में अगर कोई फीमेल फ्रेंड होगी तो उस के सामने रोकर आप अपना दुख हलका कर सकते हैं ऐसा करने पर वह दूसरे लड़के की तरह आप का मजाक नहीं उड़ायेगी

शॉपिंग गाइड

बाज़ार जाने के नाम से ही लड़कों की शक्ल बन जाती है. ऐसे में ज़रा सोचिये कि आप को अपनी गर्लफ्रेंड या फिर बहन या माँ के लिए कुछ तोहफा लेना हो तो क्या करेंगे? ऐसे मौके पर काम आती है आप की लड़की दोस्त. लड़कियों को खरीददारी का बहुत शौक होता है और अक्सर वे जानती है कि कौन सी चीज़ किस मार्किट में अच्छी मिलती है. उन्हें नए नए फैशन का भी ध्यान होता है. कीमत का भी सही अंदाजा होता है. इसलिए तोहफे खरीदने के लिए ही नहीं आप उन की मदद अपने मेकओवर में भी ले सकते है. इस के विपरीत अगर आप अपने किसी लड़के दोस्त के साथ शॉपिंग करने जाते हैं तो आप को यकीनन काफी परेशानी होती है क्यों कि शॉपिंग के मामले में लड़के कच्चे होते हैं इसी तरह बीवी या गर्लफ्रेंड के साथ जाने का मतलब है उन के लिए ही शॉपिंग करते रहना और बैठेबिठाए जेब खाली हो जाना. लेकिन अगर एक लड़की आप की दोस्त है तो उस के साथ आप का शॉपिंग एक्सपीरियंस काफी अच्छा होता है आप उस के साथ कई दुकानों पर जा कर अपने लिए वह खरीद सकते हैं जो आप पर सब से ज्यादा सूट करता हो साथ ही वह आप को कुछ अच्छे आईडियाज भी देती रहेगी कि आप पर क्या अच्छा लगेगा

रिलेशनशिप गाइड

कई बार ऐसा होता है कि आप की लव लाइफ सही नहीं चल रही होती है. उस समय आप को समझ नहीं आता कि आप क्या करें और किस से मदद लें इस स्थिति में एक लड़की दोस्त से बेहतर दूसरा कोई सहारा नहीं हो सकता एक लड़की होने के नाते

आप की दोस्त आप की स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकती है अक्सर लड़के लड़कियों की बातें या इशारे नहीं समझ पाते. अगर आप को भी अपनी गर्लफ्रेंड को समझने में दिक्कत आती है तो इस मामले में भी लड़की दोस्त आप की मदद कर सकती है वह बता पायेगी कि आप की गर्लफ्रेंड की हर बात का सही मायनों में मतलब क्या है लड़की दोस्त के साथ समय बिताने पर आप समझने लगते है कि लड़कियों का व्यवहार कैसा होता है. उन्हें क्या पसंद आता है क्या नहीं, किस तरह उन्हें खुश किया जा सकता है. यही नहीं आप की दोस्त गर्लफ्रेंड से मिलाने में आप की मदद भी करती है.

हमराज

एक लड़की बेस्टी होने का मतलब है कि आप उसे बिना झिझक के कुछ भी आसानी से बता सकते हैं वैसे तो एक लड़के दोस्त से भी बातें शेयर की जा सकती हैं लेकिन वह आप की फीलिंग को उस तरह नहीं समझ सकता जिस तरह एक लड़की समझ सकती है लड़कों के साथ इमोशनल टॉक करना उतना अच्छा आईडिया नहीं है लेकिन जब एक लड़की दोस्त की बात आती है तो आप उस से अपने डीप सीक्रेट आसानी से बता सकते हैं कभीकभी लड़के दोस्त किसी संजीदा बात को भी मजाक में उड़ा देते है लेकिन अगर वही बात आप अपनी लड़की दोस्त को बताते है तो वह सुनती है. सुनने के साथसाथ अक्सर लड़कियां समस्या का हल भी बता देती है. आप बेहिचक उन से अपनी ख़ुशी, सपने, दुःख या डर के बारे में बात कर सकते है.

बुरे वक्त का सहारा

जिंदगी में बहुत बार ऐसे मौके आते है जब हम किसी बात से परेशान होते है. ऐसे वक्त में अगर कोई लड़की आप की दोस्त है तो उस से अच्छा सहारा कोई नहीं हो सकता. वो आप की बात को समझती है खासकर अगर मामला प्रेम प्रसंग का हो.

हर जगह साथ

एक लड़की दोस्त जीवन के हर पहलू में आप की ताकत बन कर खड़ी होती है आप उस के साथ मस्ती भी कर सकते हैं और गंभीर बातें भी. आप उस के साथ हंस भी लेते हैं और रो भी सकते हैं. उन के साथ बाहर घूमनेफिरने के लिए भी आप को ज्यादा सोचना नहीं पड़ता इसी तरह मुश्किल वक्त में या दुखी होने पर एक लड़की अच्छी दोस्त के रूप में आप का साथ देती है और आप से इमोशनली कनेक्ट होती है.

एक लड़की से दोस्ती मतलब उस की सहेलियों से भी दोस्ती

अगर आप की कोई लड़की दोस्त नहीं है तो किसी लड़की से बात करना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन अगर आप की बेस्ट फ्रेंड कोई लड़की है तो किसी और लड़की से बात करना बहुत ही आसान हो जाता है क्योंकि आप की एक पहचान होती है कि आप फलां लड़की के दोस्त है. इस से काम आसान हो जाता है.

एक लड़की को मिलते हैं लड़के दोस्त से ये फायदे

आप के लिए हमेशा तैयार

अगर आप के पास एक लड़का दोस्त है जो आप का बेस्ट फ्रेंड है तो फिर आप को यह चिंता करने की जरुरत नहीं होगी कि कहीं आप गलत समय पर तो फोन नहीं कर रहीं? दिन हो या आधी रात, आप उसे बेफिक्र हो कर कभी भी फ़ोन कर सकती हैं और अपना दुखड़ा सुना सकती हैं. आप किसी प्रॉब्लम में हाँ तो वह आप की सहायता के लिए पहुँच जाएगा कहीं ट्रैफिक, बारिश या किसी मुसीबत में फंस गई है तो वह बाइक लेकर हाजिर हो जाएगा. इस तरह किसी गंभीर रिलेशनशिप में न होते हुए भी वह गंभीरता से आप की केयर करेगा.

नखरे कम करते हैं लड़के

लड़कियां लड़को को फ्रेंड बनाना इसलिए पसंद करती हैं क्यों कि लड़के बहुत कम नखरे करते हैं उन के साथ कोई प्रोग्राम बनाना या कुछ काम करना बहुत आसान होता है और वे हेल्प करने के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं. आधी रात में भी अपनी मदद करने के लिये बुलाएंगी तो भी वे हंसतेमुसकुराते आपकी मदद के लिए पहुंच जाएंगे न वे खाने में चूजी होते हैं और न कपड़ों में न मेकअप में समय लगाते हैं और न कहीं जाने में आनाकानी करते हैं. उन्हें जैसे चाहो वैसे घुमाया जा सकता है.

अपने बारे में कुछ नहीं छिपाते

एक लड़का आप का दोस्त बनने के बाद अपने बारे में आप से कभी कुछ नहीं छिपाता कोई राज नहीं रखता. वह आप से हर बात शेयर कर लेता है. इस से आप पुरुषों के व्यवहार के बारे में अच्छी तरह से जान सकती हैं और यही बात आगे चल कर पति के साथ आप के रिश्ते को रोमांटिक बनाने के काम आ सकती है

प्रॉब्लम सॉल्वर

एक लड़के दोस्त के पास आप की हर समस्या के लिए समाधान होता है और आप के गुस्से को शांत करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है लड़कों को टेक्निकल नॉलेज भी ज्यादा होता है और वे स्ट्रांग भी होते हैं. वे आप को कार या बाइक चलाना भी सिखा सकते हैं और तैराकी या सेल्फ डिफेन्स भी. आप की समस्याओं का हल वे चुटकियों में निकाल सकते हैं.

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