गलत मानसिकता के लिए किसे दोषी मानती है अभिनेत्री नीना गुप्ता? पढ़े इंटरव्यू

अभिनेत्री नीना गुप्ता को‘वध’ फिल्म की कहानी एक अलग और चुनौतीपूर्ण लगी, क्योंकि इसमें एक कहानी ऐसी है,जो एक ह्यूमनस्टोरी है, जहाँ एक कपल साधारण जीवन बिता रहा है, जब पानी सर के ऊपर से तक चला जाता है, तब उसे यह समझना मुश्किल होता है किआखिर वह करें तोक्या करें? जब कोई चारा उससे निकलने का नहीं रहता, कानून के पास जाने पर भी वह वहां पर उसी को कानून के साथ बैठा पाता है, कर्जा चुका नहीं सकता क्या करें ?

ये फिल्म हर परिवार के लिए एक प्रश्नचिन्ह छोड़ जाती है, मसलन ऐसा किया क्यों ? वह क्या कर सकता था? क्या गलत किया? कैसे इस परिस्थिति से वह निकल सकता है?आदि कई बाते है, जिससे हर व्यक्ति खुद को जोड़ सकता है. ऐसी कहानियां हमे शाक ही जानी चाहिए, जिससे आम जनता खुद  के बारें में सही गलत का फैसला कर सकें. मनोहर कहानियां का किरदार इसमें प्रसंसनीय है.

 

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नीना आगे कहती है कि ‘वध’ फिल्म में सन्देश यह है कि एक दुर्घटना हुई, पर सभी को जितनी चादर हो उतनी ही पैर पसारें. कई लोग है, जो अपनी हैसियत से अधिक अपने बच्चों के लिए कर जाते है, ये सब मोह माया के वश में हो कर करते है, जिसका परिणाम बच्चे नहीं, खुद भोगते है, परिणाम गलत होता है.

नीना गुप्ता ने मनोहर कहानियां नहीं पढ़ी है,लेकिन जानती है कि इसके प्रेमी सालों से है, उन्होंने आसपास के कई घरों में इसे पढ़ते हुए पाया है. वे बताती है कि ये एक रुचिकर पत्रिका होने के साथ-साथ चुपके से एक सन्देश भी देती है.

तनाव में जीना ठीक नहीं

नीना ने अपने आसपास गलत  मानसिकता वाली घटनाएं नहीं देखी, पर सुनी अवश्य है कि ये एक मानसिक बीमारी  होती है और कई बार पैसे की लालच या सेक्स की लालच से होती है और वे समझते है कि उन्हें कोई कुछ नहीं कर सकता और वे बेख़ौफ़ होते है. कई बार ऐसे लोगत ना वया फ्रस्ट्रेशन के शिकार भी होते है.उनका सही इलाज जरुरी है.

 

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इसकी वजह के बारें में नीना कहती है कि वजह समझना बहुत कठिन है, लेकिन ऐसी मानसिक स्थिति उस व्यक्ति की पारिवारिक माहौल और पालन पोषण से हो सकता है. इसमें समाज को दोष देना उचित नहीं, क्योंकि वह हम से ही बनता है. ये एक व्यक्तिगत पारिवारिक समस्या हो सकती है बहुत दुखदऔर खतरनाक होता है, समय रहते उसका इलाज जरुरी होता है.

प्रोग्रेसिव विचार की धनी

अभिनेत्री नीना गुप्ता 80 के दशक में प्रसिद्द क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के साथ प्रेम की से चर्चा में रही और बिन ब्याहे ही माँ बनकर बेटी मसाबा को जन्म दिया. उनके इस बोल्ड स्टेप की काफी आलोचना हुई, लेकिन उसने किसी बात पर बिना ध्यान दिए ही आगे बढ़ती गयी. हालाँकि विवियन ने बेटी को अपना नाम दिया, पर नीना को पत्नी का दर्जा नहीं दिया.

नीना ने सिंगल मदर बनकर बेटी को पाला ,जो एक प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइनर है.इसके बाद साल 2008 में नीना ने चार्टे डएकाउंटेंट विवेक मेहरा से शादी की और अब खुश है. नीना स्पष्ट भाषी है,  जिसका प्रभाव उसके कैरियर पर भी पड़ा,पर वह इस से घबराती नहीं.

इसके अलावा नीना गुप्ता हॉट फोटोशूट, प्रेम प्रसंगों और नयी सोच को लेकर हमेशा चर्चा में रही. उनकी फिल्मों की अगर बात करें तो उन्होंने हमेशा लीक से हटकर फिल्में की और कमोवेश सफल रही. वह आज भी गृहशोभा पढ़ती है और इस पत्रिका के प्रोग्रेसिव विचार से सहमत रखती है.

आती है सहजता अनुभव से

नेचुरल लुक की बात करें तो नीना ने हमेशा सहजता से भूमिका निभाई है, इसे कर पाने की वजह उनका अनुभव और लगातार सीखते रहने की कोशिश है. नीना कहती है कि मैंने शुरू में अपने प्रतिभा को आगे लाने में समर्थ भले ही न रही हो, पर अब मुझे हर भूमिका अलग और नयी मिल रही है.

समय मिलने पर मैं दिल्ली अपने पति और उनके परिवार वालों से मिलने चली जाती हूँ. रोज की दिन चर्या की बात करें, तो सुबह उठ कर मैडिटेशन करना, खाना बनाना, टहलना आदि रोज करती हूँ. साथ ही महीने के  15 दिन मैं शास्त्रीय संगीत भी सीखती हूँ.

मुश्किल दौर में थी शांत

नीना गुप्ता के सब से मुश्किल दौर के बारें में पर वह बताती है कि मेरे जीवन का सबसे मुश्किल दौर तब था, जब मसाबा पैदा हुई. सोशल, फाइनेंसियल, पर्सनल प्रेशरआदि बहुत सारे मेरे जीवन में आ गए थे, ऐसी परिस्थिति में कभी ये सोचना ठीक नहीं कि पति ने मुझे पैसे नहीं दिए, छोड़ दिया है, बच्ची है, तो मेरा क्या होगा.

हर काम हमेशा काम ही होता है, गलत दिशा या काम मैंने कभी नहीं किया. अपनी सोच और विवेचना को सही रखा.

पाकिस्तानी गर्ल आयशा 3 लाख में बेच रहीं अपना ग्रीन कुर्ता, जाने कौन होगा खरीददार ?

वैसे तो एक्टर और एक्टर्स के कपड़ो की निलामी होना कोई नई बात नहीं है लेकिन इन दिनों एक एक्ट्रेस का कुर्ता खूब चर्चा में तल रहा है जी हां, ये एक पाकिस्तानी एक्ट्रेस का कुर्ता है जिस कुर्ते को निलाम किया जा रहा है जिसकी कीमत सुन आप हैरान हो जाओंगे.

आपको बता दें,कि मेरा दिल पुकारे आजा(mera dil pukare aaja) सॉन्ग की फेम पाकिस्तानी एक्ट्रेस इन दिनो चर्चा में बनी हुई है जिसकी वजह है उनका ग्रीन रंग का कुर्ता. दरअसल, एक्ट्रेस ने ये कुर्ता अपनी दोस्त की शादी के हल्दी फंक्शन पर पहना था. जिसकी वीडियो जमकर वायरल हो रही है. वीडियो में एक्ट्रेस आयशा ने हरे रंग का कुर्ता पहना हुआ है इस वीडियो में आयशा डांस करती हुई नज़र आ रही है इसी डांस वीडियो में पहने हुए कर्ते की एक्ट्रेस निलामी कर रही है जिसकी कीमत है 3 लाख रुपए है. जी हां, पीपल मैगजीन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आयशा ने अपने कुर्ते की कीमत 3 लाख रुपए रखी है. जिसकी खरीददारी भी शुरु हो चुकी है.

पीपल मैगजीन ने अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “मेरा दिल ये पुकारे आजा” गर्ल 3 लाख में अपनी ग्रीन ड्रेस बेच रही है.” पीपल मैगजीन के इस पोस्ट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, “ये लड़की अकेले ही पाकिस्तान की इकोनॉमी को बढ़ाने की कोशिश कर रही है. रिस्पेक्ट.” तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “3 हजार का सूट 3 लाख में और इसने खुद यह 300 से ज्यादा बार पहन लिया होगा. ”

कौन होगा खरीददार?

बता दें, कि उनका ये कुर्ता खरीद ने की इच्छा एक्टर उमर आलम ने जताई है उमर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि मुझे लूज होगा नहीं तो मैं ले लेता. हालांकि इसी के साथ उमर ने हसंने का इमोजी बनाया.एक्ट्रेस लाहौर की रहने वाली है जो कि एक फेमस टीकटॉक स्टार है.

जिजीविषा: अनु पर लगे चरित्रहीनता के आरोपों ने कैसे सीमा को हिला दिया- भाग 1

अनुराधा लगातार हंसे जा रही थी. उस की सांवली रंगत वाले चेहरे पर बड़ीबड़ी भावप्रवण आंखें आज भी उतनी ही खूबसूरत और कुछ कहने को आतुर नजर आ रही थीं. अंतर सिर्फ इतना था कि आज वे आंखें शर्मोहया से दूर बिंदास हो चुकी थीं. मैं उस की जिजीविषा देख कर दंग थी.

अगर मैं उस के बारे में सब कुछ जानती न होती तो जरूर दूसरों की तरह यही समझती कि कुदरत उस पर मेहरबान है. मगर इत्तफाकन मैं उस के बारे में सब कुछ जानती थी, इसीलिए मुझे मालूम था कि अनुराधा की यह खुशी, यह जिंदादिली उसे कुदरतन नहीं मिली, बल्कि यह उस के अदम्य साहस और हौसले की देन है. हाल ही में मेरे शहर में उस की पोस्टिंग शासकीय कन्या महाविद्यालय में प्रिंसिपल के पद पर हुई थी. आज कई वर्षों बाद हम दोनों सहेलियां मेरे घर पर मिल रही थीं.

हां, इस लंबी अवधि के दौरान हम में काफी बदलाव आ चुका था. 40 से ऊपर की हमउम्र हम दोनों सखियों में अनु मानसिक तौर पर और मैं शारीरिक तौर पर काफी बदल चुकी थी. मुझे याद है, स्कूलकालेज में यही अनु एक दब्बू, डरीसहमी लड़की के तौर पर जानी जाती थी, जो सड़क पर चलते समय अकसर यही सोचती थी कि राह चलता हर शख्स उसे घूर रहा है. आज उसी अनु में मैं गजब का बदलाव देख रही थी. इस बेबाक और मुखर अनु से मैं पहली बार मिल रही थी.

मेरे बच्चे उस से बहुत जल्दी घुलमिल गए. हम सभी ने मिल कर ढेर सारी मस्ती की. फिर मिलने का वादा ले कर अनु जा चुकी थी, लेकिन मेरा मन अतीत के उन पन्नों को खंगालने लगा था, जिन में साझा रूप से हमारी तमाम यादें विद्यमान थीं…

अपने बंगाली मातापिता की इकलौती संतान अनु बचपन से ही मेरी बहुत पक्की सहेली थी. हमारे घर एक ही महल्ले में कुछ दूरी पर थे. हम दोनों के स्वभाव में जमीनआसमान का फर्क था, फिर भी न जाने किस मजबूत धागे ने हम दोनों को एकदूसरे से इस कदर बांध रखा था कि हम सांस भी एकदूसरे से पूछ कर लिया करती थीं. सीधीसाधी अनु पढ़ने में बहुत होशियार थी, जबकि मैं शुरू से ही पढ़ाई में औसत थी. इस कारण अनु पढ़ाई में मेरी बहुत मदद करती थी.

अब हम कालेज के आखिरी साल में थीं. इस बार कालेज के वार्षिकोत्सव में शकुंतला की लघु नाटिका में अनु को शकुंतला का मुख्य किरदार निभाना था. शकुंतला का परिधान व गहने पहने अनु किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उस ने बड़ी ही संजीदगी से अपने किरदार को निभा कर जैसे जीवंत कर दिया. देर रात को प्रोग्राम खत्म होने के बाद मैं ने जिद कर के अनु को अपने पास ही रोक लिया और आंटी को फोन कर उन्हें अनु के अपने ही घर पर रुकने की जानकारी दे दी.

उस के बाद हम दोनों ही अपनी वार्षिक परीक्षा की तैयारी में व्यस्त हो गईं. जिस दिन हमारा आखिरी पेपर था उस दिन अनु बहुत ही खुश थी. अब आगे क्या करने का इरादा है मैडम? मेरे इस सवाल पर उस ने मुझे उम्मीद के मुताबिक जवाब न दे कर हैरत में डाल दिया. मैं वाकई आश्चर्य से भर  उठी जब उस ने मुझ से मुसकरा कर अपनी शादी के फैसले के बारे में बताया.

मैं ने उस से पूछने की बहुत कोशिश की कि आखिर यह माजरा क्या है, क्या उस ने किसी को अपना जीवनसाथी चुन लिया है पर उस वक्त मुझे कुछ भी न बताते हुए उस ने मेरे प्रश्न को हंस कर टाल दिया यह कहते हुए कि वक्त आने पर सब से पहले तुझे ही बताऊंगी.

मैं मां के साथ नाना के घर छुट्टियां बिताने में व्यस्त थी, वहां मेरे रिश्ते की बात भी चल रही थी. मां को लड़का बहुत पसंद आया था. वे चाहती थीं कि बड़े भैया की शादी से पहले मेरी शादी हो जाए. इसी बीच एक दिन पापा के आए फोन ने हमें चौंका दिया.

अनु के पापा को दिल का दौरा पड़ा था. वे हौस्पिटल में एडमिट थे. उन के बचने की संभावना न के बराबर थी. हम ने तुरंत लौटने का फैसला किया. लेकिन हमारे आने तक अंकल अपनी अंतिम सांस ले चुके थे. आंटी का रोरो कर बुरा हाल था. अनु के मुंह पर तो जैसे ताला लग चुका था. इस के बाद खामोश उदास सी अनु हमेशा अपने कमरे में ही बंद रहने लगी.

Bigg Boss 16: सलमान ने उठाया टीना-शालीन के लव एंगल पर सवाल

कलर्स टीवी रियलिटी शो बिग बॉस16 धमाकेदार होता जा रहा है शो में नए टास्क, दोस्ती और लडाई शो को एंटरटेनिंग बना रहे है बीते शुक्रवार शो में सलमान खान ने सबकी क्लास लगाई जिसमें सबसे ज्यादा फटकार टीना दत्ता को लगाई गई है.

आपको बता दें, कि सलमान खान ने टीना से पूछा कि आखिर उन्होंने बिग बॉस हाउस में अपने मैनेजर का नाम क्यो लिया है. सलमान की बात सुनकर एक्ट्रेस टीना दत्त बेहद ही इमोशनल हो गई और फूट-फूट कर रोने लगी. केवल इतना ही नहीं, सलमान खान ने टीना से शालीन भनोट के साथ उनके रिश्ते पर भी सवाल उठाया.

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जी हां, शुक्रवार का वार में सलमान खान ने खुलासा करते हुए बताया कि टीना किस तरह बिग बॉस हाउस में हर समय अपने करीबी दोस्त जू जू और मैनेजर का नाम लेती हैं. केवल इतना ही नहीं वह अर्चना को अपने दोस्त के नाम से धमकाती भी है.

क्या नकली है शालीन और टीना का प्यार

बिग बॉस में एक तरफ अकिंत और प्रिंयका का लव एंगल फैंस को बेहद पसंद आ रहा है तो, दूसरी तरफ शालीन और टीना का प्यार नकली बताया जा रहा है. जी हां, बिग बॉस 16 में सलमान खान ने टीना और शालीन के लव एंगल से भी पर्दा उठाया और घरवालों को बताया कि टीना दत्ता के मैनेजर ने उन्हें शालीन भनोट संग बिग बॉस हाउस में लव एंगल बनाने की सलाह दी थी. इस दौरान सलमान ने पीआर का नाम बताया और यह भी बताया कि वह शालिन और टीना की कॉमन फ्रेंड हैं. सलमान खान के आरोपों को सुनकर टीना पूरी तरह से टूट गईं.

पारिवारिक सुगंध: परिवार का महत्व

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धोखा : अनुभव के साथ क्या करना चाहती थी अनुभा

‘‘हैलो मिस्टर अनुभव, क्या मैं आप के 2 मिनट ले सकती हूं?’’ मेरे केबिन में अभीअभी दाखिल हुई मोहतरमा के मधुर स्वर ने मुझे एक सुखद अहसास से भर दिया था. फाइलों से आंखें हटा कर चश्मा संभालते हुए मैं ने सामने देखा तो देखता ही रह गया.

लग रहा था जैसे हर तरफ कचनार के फूल बिखर गए हों और सारा आलम मदहोश हो रहा हो. फ्लौवर प्रिंट वाली स्टाइलिश पिंक मिडी और घुंघराले लहराते बालों को स्टाइल से पीछे करती बाला के गुलाबी होंठों पर गजब  की आमंत्रणपूर्ण मुसकान थी.

हाल ही में वायरल हुए प्रिया के वीडियो की तरह उस ने नजाकत से अपनी भौंहों को नचाते हुए कुछ कहा, जिसे मैं समझ नहीं पाया, फिर भी बल्लियों उछलते अपने दिल को काबू में करते हुए मैं ने विनम्रता से उसे बैठने का इशारा किया.

‘‘मिस्टर अनुभव, मैं अनुभा. आप का ज्यादा वक्त न लेते हुए अपनी बात कहती हूं. पहले यह बताइए कि आप की उम्र क्या है?’’

ऊपर से नीचे तक मुझ पर निगाहें घुमाते हुए उस ने बड़ी अदा से कहा, ‘‘वैसे आप की कसी हुई बौडी देख कर तो लगता है कि आप 40 से ऊपर नहीं हैं. मगर किसी ने मुझे आप के पास यह कह कर भेजा है कि आप 50 प्लस हैं और आप हमारी पौलिसी का फायदा उठा सकते हैं.’’

वैसे तो मैं इसी साल 55 का हो चुका हूं, मगर अनुभा के शब्दों ने मुझे यह अहसास कराया था कि मैं अब भी कितना युवा और तंदुरुस्त दिखता हूं. भले ही थोड़ी सी तोंद निकल आई हो, चश्मा लग गया हो और सिर के सामने के बाल गायब हो रहे हों, मगर फिर भी मेरी पर्सनैलिटी देख कर अच्छेखासे जवान लड़के जलने लगते हैं.

मैं उस की तरफ देख कर मुसकराता हुआ बोला, ‘‘अजी बस शरीर फिट रखने का शौक है. उम्र 50 की हो गई है. फिर भी रोज जिम जाता हूं. तभी यह बौडीशौडी बनी है.’’

वह भरपूर अंदाज से मुसकराई, ‘‘मानना पड़ेगा मिस्टर अनुभव, गजब की प्लीजैंट पर्सनैलिटी है आप की. मेरे जैसी लड़कियां भी तुरंत फ्लैट हो जाएं आप पर.’’

कहते हुए एक राज के साथ उस ने मेरी तरफ देखा और फिर कहने लगी, ‘‘एक्चुअली हमारी कंपनी 50 प्लस लोगों के लिए एक खास पौलिसी ले कर आई है. जरा गौर फरमाएं यह है कंपनी और पौलिसी की डिटेल्स.’’

उस ने कुछ कागजात मेरी तरफ आगे बढ़ाए और खुद मुझ पर निगाहों के तीर फेंकती हुई मुसकराती रही. मैं ने कागजों पर एक नजर डाली और सहजता से बोला, ‘‘जरूर मैं लेना चाहूंगा.’’

‘‘ओके देन. फिर मैं कल आती हूं आप के पास. तब तक आप ये कागज तैयार रखिएगा.’’

कुरसी से उठते हुए उस ने फिर मेरी तरफ एक भरपूर नजर डाली और पूछा, ‘‘वैसे किस जिम में जाते हैं आप?’’

मैं सकपका गया क्योंकि जिम की बात तो उस पर इंप्रैशन जमाने के लिए कही थी. फिर कुछ याद करते हुए बोला, ‘‘ड्रीम पैलेस जिम, कैलाशपुरी में है ना, वही.’’

‘‘ओह, वाट ए कोइंसीडैंस! मैं भी तो वहीं जाती हूं. किस समय जाते हैं आप?’’

‘‘मैं 8 बजे,’’ मैं ने कहा.

‘‘अच्छा कभी हम मिले नहीं. एक्चुअली मैं 6 बजे जाती हूं ना!’’ इठलाती हुई वह दरवाजे से निकलते हुए उसी मधुर स्वर में बोली, ‘‘ओके देन बाय. सी यू.’’

वह बाहर चली गई और मैं अपने खयालों के गुलशन को आबाद करने लगा. सामने लगे शीशे में गौर से अपने आप को हर एंगल से निहारने लगा. सचमुच मेरी पर्सनैलिटी प्लीजैंट है, इस बात का अहसास गहरा हो गया था. यानी इस उम्र में भी मुझे देख कर बहुतों के दिल में कुछकुछ होता है.

मैं सोचने लगा कि सामने वाले आकाशचंद्र की साली को मैं अकसर उसी वक्त बालकनी में खड़ी देखता हूं जब मैं गाड़ी निकाल कर औफिस के लिए निकल रहा होता हूं. यानी वह इत्तफाक नहीं प्रयास है.

हो न हो मुझे देखने का बहाना तलाशती होगी और फिर पिंकी की दीदी भी तो मुझे देख कितनी खुश हो जाती है. आज जो हुआ वह तो बस दिल को ठंडक ही दे गया था. सीधेसीधे लाइन मार रही थी. बला की अदाएं थीं उस की.

मैं अपनी बढ़ी धड़कनों के साथ कुरसी पर बैठ गया. कुछ देर तक उसी के खयालों में खोया रहा. कल फिर आएगी. ठीक से तैयार हो कर आऊंगा. मैं सोच ही रहा था कि पत्नी का फोन आ गया. मैं ने जानबूझ कर फोन नहीं उठाया. कहीं मेरी आवाज के कंपन से वह अंदाजा न लगा ले और फिर औरतों को तो वैसे भी पति की हरकतों का तुरंत अंदाजा हो जाता है.

अचानक मेरी सोच की दिशा बदली कि मैं यह क्या कर रहा हूं. 55 साल का जिम्मेदार अफसर हूं. घर में बीवी, बच्चे सब हैं और मैं औफिस में किसी फुलझड़ी के खयालों में डूबा हुआ हूं. न…न…अचानक मेरे अंदर की नैतिकता जागी, पराई स्त्री के बारे में सोचना भी गलत है. मैं सचमुच काम में लग गया. बीवी के फोन ने मेरे दिमाग के शरारती तंतुओं को फिर से सुस्त कर दिया. शाम को जब घर पहुंचा तो बीवी कुछ नाराज दिखी.

‘‘मेरा फोन क्यों नहीं उठाया? कुछ सामान मंगाना था तुम से.’’

‘‘बस मंगाने के लिए फोन करती हो मुझे? कभी दिल लगाने को भी फोन कर लिया करो.’’ मेरी बात पर वह ऐसे शरमा कर मुसकराई जैसे वह कोई नई दुलहन हो. फिर वह तुरंत चाय बनाने चली गई और मैं कपड़े बदल कर रोज की तरह न्यूज देखने बैठ गया. पर आज समाचारों में मन ही नहीं लग रहा था? बारबार उस हसीना का चेहरा निगाहों के आगे आ जाता.

अगले दिन वह मोहतरमा नियत समय पर उसी अंदाज में अंदर आई. मेरे दिल पर छुरियां चलाती हुई वह सामने बैठ गई. कागजी काररवाई के दौरान लगातार उस की निगाहें मुझ पर टिकी रहीं. मैं सब महसूस कर रहा था पर पहल कैसे करता? 2 दिन बाद फिर से आने की बात कह कर वह जाने लगी. जातेजाते फिर से मेरे दिल के तार छेड़ती हुए बोली, ‘‘कल मैं 8 बजे पहुंची थी जिम, पर आप नजर नहीं आए.’’

मैं किसी चोर की तरह सकपका गया.

‘‘ओह, कल एक्चुअली बीवी के मायके जाना पड़ गया, सो जिम नहीं जा सका.’’

‘‘…मिस्टर अनुभव, आई डोंट नो, पर ऐसा क्या है आप में जो मुझे आप की तरफ खींच रहा है. अजीब सा आकर्षण है. जैसा मैं महसूस कर रही हूं क्या आप भी…?’’

उस के इस सवाल पर मुझे लगा जैसे कि मेरी सांसें ही थम गई हों. अजीब सी हालत हो गई थी मेरी. कुछ भी बोल नहीं सका.

‘ओके सी यू मैं इंतजार करूंगी.’’ कह कर वह मुसकराती हुई चली गई.

मैं आश्चर्य भरी खुशी में डूबा रहा. वह जिम में मेरा इंतजार करेगी. तो क्या सचमुच वह मुझ से प्यार करने लगी है. यह सवाल दिल में बारबार उठ रहा था.

फिर तो औफिस के कामों में मेरा मन ही नहीं लगा. हाफ डे लीव ले कर सीधा पहुंच गया ड्रीम प्लेस जिम. थोड़ी प्रैक्टिस की और अगले दिन से रोजाना 8 बजे आने की बात तय कर घर आ गया.

बीवी मुझे जल्दी आया देख चौंक गई. मैं बीमारी का बहाना कर के कमरे में जा कर चुपचाप लेट गया. एक्चुअली किसी से बात करने की कोई इच्छा ही नहीं हो रही थी. मैं तो बस डूब जाना चाहता था अनुभा के खयालों में.

अगले दिन से रोजाना 8 बजे अनुभा मुझे जिम में मिलने आने लगी. कभीकभी हम चाय कौफी पीने या टहलने भी निकल जाते. मेरी बीवी अकसर मेरे बरताव और रूटीन में आए बदलाव को ले कर सवाल करती पर मैं बड़ी चालाकी से बहाने बना देता.

जिंदगी इन दिनों बड़ी खुशगवार गुजर रही थी. अजीब सा नशा होता था उस के संग बिताए लम्हों में. पूरा दिन उसी के खयालों की खुशबू में विचरते हुए गुजर जाता.

मैं तरहतरह के महंगे गिफ्ट्स ले कर उस के पास पहुंचता, वह खुश हो जाती. कभीकभी वह करीब आती, अनजाने ही मुझे छू कर चली जाती. उस स्पर्श में गजब का आकर्षण होता. मुझे लगता जैसे मैं किसी और ही दुनिया में पहुंच गया हूं.

धीरेधीरे मेरी इस मदहोशी ने औफिस में मेरे परफौर्मेंस पर असर डालना शुरू कर दिया. मेरा बौस मुझ से नाखुश रहने लगा. पारिवारिक जीवन पर भी असर पड़ रहा था. एक दिन मेरे किसी परिचित ने मुझे अनुभा के साथ देख लिया और जा कर बीवी को बता दिया.

बीवी चौकन्नी हो गई और मुझ से कटीकटी सी रहने लगी. वह मेरे फोन और आनेजाने के समय पर नजर रखने लगी थी. मुझे इस बात का अहसास था पर मैं क्या करता? अब अनुभा के बगैर रहने की सोच भी नहीं सकता था.

एक दिन अनुभा मेरे बिलकुल करीब आ कर बोली, ‘‘अब आगे?’’

‘‘आगे क्या?’’ मैं ने पूछा.

‘‘आगे बताइए मिस्टर, मैं आप की बीवी तो बन नहीं सकती. आप के उस घर में रह नहीं सकती. इस तरह कब तक चलेगा?’’

‘तुम कहो तो तुम्हारे लिए एक दूसरा घर खरीद दूं.’’

वह मुसकुराती हुई बोली, ‘‘अच्छे काम में देर कैसी? मैं भी यही कहना चाहती थी कि हम दोनों का एक खूबसूरत घर होना चाहिए. जहां तुम बेरोकटोक मुझ से मिलने आ सको. किसी को पता भी नहीं चलेगा. फिर तो तुम वह सब भी पा सकोगे जो तुम्हारी नजरें कहती हैं. मेरे नाम पर एक घर खरीद दोगे तो मुझे भी ऐतबार हो जाएगा कि तुम मुझे वाकई चाहते हो. फिर हमारे बीच कोई दूरी नहीं रह जाएगी.’’

मेरा दिल एक अजीब से अहसास से खिल उठा. अनुभा पूरी तरह से मेरी हो जाएगी. इस में और देर नहीं होनी चाहिए. मैं ने मन में सोचा. तभी वह मेरे गले में बांहें डालती हुई बोली, ‘‘अच्छा सुनो, तुम मुझे कैश रुपए दे देना. मेरे अंकल प्रौपर्टी डीलर हैं. उन की मदद से मैं ने एक घर देखा है. 40 लाख का घर है. ऐसा करो आधे रुपए मैं लगाती हूं आधे तुम लगा दो.’’

‘‘ठीक है मैं रुपयों का इंतजाम कर दूंगा.’’ मैं ने कहा तो वह मेरे सीने से लग गई.

अगले 2-3 दिनों में मैं ने रुपयों का इंतजाम कर लिया. चैक तैयार कर उसे सरप्राइज देने के खयाल से मैं उस के घर के एडै्रस पर जा पहुंचा. बहुत पहले उस ने यह एडै्रस दिया था पर कभी भी मुझे वहां बुलाया नहीं था.

आज मौका था. बडे़ अरमानों के साथ बिना बताए उस के घर पहुंच गया. दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था. अंदर से 2 लड़कों की बातचीत के स्वर सुनाई पड़े तो मैं ठिठक गया. दोनों किसी बात पर ठहाके लगा रहे थे.

एक हंसता हुआ कह रहा था, ‘‘यार अनुज, अनुभा बन कर तूने उस अनुभव को अच्छे झांसे में लिया. लाखों के गिफ्ट्स लुटा चुका है तुझ पर. अब 20-25 लाख का चेक ले कर आ रहा होगा. यार कई सालों से तू लड़की बन कर लोगों को लूटता आ रहा है पर यह दांव आज तक का सब से तगड़ा दांव रहा…’’

‘‘बस यह चेक मिल जाए मुझे फिर बेचारा ढूंढता रहेगा कहां गई अनुभा?’’ लड़कियों वाली आवाज निकालता हुआ बगल में खड़ा लड़का हंसने लगा. बाल ठीक करता हुआ वह पलटा तो मैं देखता रह गया. यह अनुभा था यानी लड़का जो लड़की बन कर मेरे जज्बातों से खेल रहा था. सामने बिस्तर पर लड़की के गेटअप के कपड़े, ज्वैलरी और लंबे बालों वाला विग पड़ा था. वह जल्दी जल्दी होंठों पर लिपस्टिक लगाता हुआ कहने लगा, ‘‘यार उस तोंदू, बुड्ढे को हैंडसम कहतेकहते थक चुका हूं.’’

उस का दोस्त ठहाके लगाता हुआ बोला, ‘‘लेले मजे यार, लड़कियों की आवाज निकालने का तेरा हुनर अब हमें मालामाल कर देगा.’’

मुझे लगा जैसे मेरा कलेजा मुंह को आ जाएगा. उलटे पैर तेजी से वापस लौट पड़ा. लग रहा था जैसे वह लपक कर मुझे पकड़ लेगा. हाईस्पीड में गाड़ी चला कर घर पहुंचा.

मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीग रहा था. सामने उदास हैरान सी बीवी खड़ी थी. आज वह मुझे बेहद निरीह और मासूम लग रही थी. मैं ने बढ़ कर उसे सीने से लगा लिया. वह चिंतातुर नजरों से मेरी तरफ देख रही थी. मैं नजरें चुरा कर अपने कमरे में चला आया.

शुक्र था मेरी इस बेवफाई और मूर्खतापूर्ण कार्य का खुलासा बीवी के आगे नहीं हुआ था. वरना मैं धोबी का वह कुत्ता बन जाता जो न घर का होता है और न घाट का.

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कौन से घरेलू उपाय किए जा सकते हैं?

सवाल 

मैं 32 वर्षीय शिक्षिका हूं. मुझे लिवर में सूजन की परेशानी है. मैं जानना चाहती हूं लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कौन से घरेलू उपाय किए जा सकते हैं?

जवाब 

अपना भार औसत रखें विशेषकर शरीर के मध्य भाग में चरबी न बढ़ने दें. इस के लिए पोषक भोजन का सेवन करें जिस में फाइबरविटामिनऐंटीऔक्सीडैंट और मिनरल की मात्रा अधिक और वसा की मात्रा कम हो. नियमित रूप से ब्लड टैस्ट कराते रहें ताकि आप अपने रक्त में वसाकोलैस्ट्रौल और ग्लूटकोज के स्तर पर नजर रख सकें. नमकचाय और कौफी का सेवन कम करें.

दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीएं. तनाव को नियंत्रित रखें क्योंकि इस से पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती हैजिस का सीधा असर लिवर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है. सप्ताह में कम से कम 150 मिनट ऐक्सरसाइज करें. अगर धूम्रपान या शराब का सेवन करती हैं तो इसे तुरंत बंद कर दें.

Winter Special: विंटर में स्नैक्स के लिए बनाएं भुट्टे के चीले

विंटर में रोजाना पकौड़े खाना हेल्थ के लिए अच्छा नही होता. पर अगर आप हेल्दी को टेस्टी लुक देकर कोई चाज बनाएं तो वो आपकी हेल्थ पर कोई असर नही डालती. आज हम आपको भुट्टे के चीले के बारे में बताएंगे, जिसे आप आसानी से कम समय में हेल्दी तरीके से बना सकते हैं. विंटर में भुट्टे आपको आसानी से मिल जाते हैं और अगर आपकी फैमिली को भी भुट्टे पसंद हैं तो ये डिश आपके लिए परफेक्ट है.

सामाग्री

-1 कप धुली मूंग दाल

-1 कप भुट्टे के दाने पिसे हुए

-1 चम्मच जीरा

-चुटकीभर हींग

-कुछ हरी मिर्च

-1/2 कप कटा प्याज व टमाटर

-कटा धनिया

-1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर

-तेल 1 कटोरी

-नमक स्वादानुसार

विधि

– मूंग दाल को साफ करके धोकर 2 घंटे के लिए भिगो दें.

– भीगी दाल को जीरे-हरी मिर्च के साथ पीस लें. नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं.

– इसी तरह पिसे भुट्टों में प्याज-टमाटर और हरा धनियां मिलाकर थोड़ा सा नमक, लालमिर्च पाउडर भी डालकर रख दें.

– अब एक तवे में तेल गरम करें. छोटी सी कटोरी में मूंग का घोल लेकर उसे तवे पर डालकर फैला दें. इसे तवे पर चीले की तरह तलें. दो चम्मच भुट्टे का पेस्ट ऊपर से चीले पर डाल दें.

– चीले के किनारों पर थोड़ा तेल डालकर पकाएं और दूसरी तरफ पलट दें. धीमी आंच पर दो मिनट पकाएं. दोनों ओर से कुरकुरे हो जाने पर उतार लें और हरी चटनी के साथ अपनी फैमिली और बच्चों को स्नैक्स या ब्रेकफास्ट में सर्व करें.

बड़बोला: भाग-3

विपुल की बहन की शादी के दिन पूरे आफिस का स्टाफ नए शानदार चमकते कपड़े पहन कर आफिस आया. ऐसा लगा मानो आफिस बरातघर बन गया हो.

महेश को संबोधित करते हुए मैं ने पूछा, ‘‘क्या बात है, श्वेता नजर नहीं आ रही?’’

‘‘सर, आप भी क्या मजाक करते हैं, शादी से पहले अपनी ससुराल कैसे जा सकती है. बस, आज बहन की शादी हो जाए, अगले महीने विपुल का भी बैंड बजा समझें.’’

लंच के बाद सभी बस अड्डे पहुंच गए. थोड़ी देर इंतजार करने के बाद नवगांव की बस मिली. लगभग 4 बजे बस चली. बस चलते ही महेश और सुषमा शादी की बातें करने लगे, खासतौर से शादी के इंतजाम के बारे में और मैं उन की पिछली सीट पर बैठा मंदमंद मुसकराने लगा. तभी मेरे साथ सीट पर बैठे सज्जन ने बीड़ी सुलगाई और मेरे से पूछा, ‘‘भाई साब, क्या आप भी इन लोगों के साथ नवगांव जा रहे हैं बिहारी की छोरी की शादी में?’’

‘‘आप की बात मैं समझा नहीं,’’ मैं ने बीड़ी वाले सज्जन से पूछा.

बीड़ी का कश लगाते हुए उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम बांके है. मैं और बिहारी अनाज मंडी में दलाली करते हैं. बिहारी का छोरा नवयुग सिटी में किसी बड़े दफ्तर में काम करता है. ऐसा लगता है कि आप लोग उसी दफ्तर में काम करते हैं और उस की बहन की शादी में जा रहे हैं. मैं आप लोगों की बातों से समझ गया कि आप वहीं जा रहे हो, क्योंकि इतनी लंबी बातें पूरे नवगांव में बिहारी का खानदान ही कर सकता है. अगर इतना ही अमीर होता तो उस का लड़का 3 हजार की नौकरी करता, ठाट से 18 ट्रक चलाता.

‘‘बिहारी के महल्ले में रहता हूं, आप सब जिस दाल मिल की बात कर रहे हैं उसे बंद हुए 10 साल हो गए हैं. मैं और बिहारी उस दाल मिल में नौकरी करते थे. जब मिल बंद हुई तब से अनाज मंडी में दलाली कर रहे हैं,’’ बीड़ी का कश लगाते हुए बांके की आवाज में व्यंग्य था.

बांके की बातें सुन कर हम सब सकते में आ गए. सब की बोलती बंद हो गई और भौचक से एकदूसरे की शक्ल देखने लगे. साहस जुटा कर बड़ी मुश्किल से आवाज निकाल कर सुषमा बोली, ‘‘अंकल, आप सच कह रहे हो, कहीं मजाक तो नहीं कर रहे हो.’’

बांके ने एक और बीड़ी सुलगाई, फिर कश लगाते हुए बोला, ‘‘नवगांव पहुंच कर देख लेना. मेरी कोई दुश्मनी थोड़े है. इतना गपोड़ी निकलेगा, पता नहीं था. पूरा नवगांव बिहारी को एक नंबर का गपोड़ी मानता है पर बेटा तो बाप से भी दस कदम आगे निकला.’’

अब बाकी का रास्ता काटना दूभर हो गया. सभी इस सोच में थे कि जल्दी से नवगांव आ जाए और हकीकत से सामना करें. तभी बस एक पुरानी बिल्ंिडग के सामने रुकी. तब बांके ने कहा, ‘‘नवगांव आ गया, यह खंडहर ही दाल मिल है, जहां बिहारी क ा छोरा 18 ट्रक चला रहा है.’’

हम सब टूटे मन से बस से उतरे. अब करते भी क्या, कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था. जो दाल मिल 10 साल से बंद है उस की हालत खंडहर से कम क्या और ज्यादा क्या. कच्ची टूटी सड़क पर हम कारपेट ढूंढ़ते रह गए. अब स्टाफ का सब्र टूट गया, सब विपुल को गालियां निकालने लगे, अपनी झूठी शान के लिए विपुल इतना बड़ा झूठ बोलेगा, इस की उम्मीद किसी को नहीं थी.

तभी सामने से एक तांगे में कुछ कारपेट और कुरसियों के साथ विपुल आता दिखाई दिया. उसे देख कर सुषमा जोर से चिल्लाई, ‘‘विपुल के बच्चे, नीचे उतर. हमें बेवकूफ बना कर कहां जा रहा है. इन टूटी गड्ढे वाली सड़कों पर चल कर हमारी टांगें टूट गई हैं और तू मजे में तांगे की सवारी कर रहा है.’’

हमें देख कर विपुल तांगे से नीचे आ कर बोला, ‘‘आइए सर, कारपेट बिछने के लिए गली में जा रहे हैं. बांके अंकल, तांगे का सामान घर पहुंचवा दो, मैं सर के साथ हवेली जाता हूं.’’

महेश ने विपुल का कालर पकड़ कर पूछा, ‘‘बेटे, इतना झूठ बोलने की क्या जरूरत थी. इतने महंगे कपड़े पहन कर आए, सब खराब करवा दिए, अगर सच बता देता तब भी शादी में आते, तब और ज्यादा खुशी होती. पागल बना कर रख दिया, अब राष्ट्रपति भवननुमा हवेली के दर्शन भी करवा दे, उस को भी देख कर तृप्त हो जाएं.’’

शायद विपुल को हमारे आने की उम्मीद नहीं थी. एक पल के लिए वह हमें देख कर सन्न रह गया, लेकिन हर बड़बोले की तरह चतुराई से बातें बनाने लगा. ऐसे व्यक्ति आदत से मजबूर…हार नहीं मानते. बात को पलटते हुए बोला, ‘‘आइए सर, हवेली चलते हैं. आप सफर में थक गए होंगे, कुछ जलपान कर लेते हैं.’’

थोड़ी देर पैदल चलने के बाद हम सब हवेली में पहुंच गए. हवेली एक पुरानी इमारत निकली. हवेली को देख कर लगता था कि किसी समय जमींदार की रिहाइश रही होगी, जो अब एक धर्मशाला बन कर रह गई है, जिस के 2 तरफ कमरे बने हुए थे और बाकी 2 तरफ खाली मैदान. रोशनी के नाम पर 3-4 खंभों पर बल्ब लटक रहे थे. 2-3 कमरों में कुछ हलचल हो रही थी, जहां वरपक्ष के पुरुष तैयार हो रहे थे, कुछ महिलाएं तैयार हो कर तांगे पर बैठ कर जा रही थीं. तभी विपुल ने सफाई देते हुए कहा, ‘‘हमारे यहां औरतें बरात के साथ नहीं जातीं, इसीलिए पहले हमारे घर जा रही हैं.’’

हलवाई ने विपुल के आग्रह पर कुछ पकौड़े तल दिए और चाय बना दी. जलीभुनी बैठी सुषमा जलीकटी सुनाने लगी, ‘‘विपुल, तू ने यह अच्छा काम नहीं किया, इतना झूठ तो कोई अपने दुश्मन से भी नहीं बोलता. सारा मेकअप खराब हो गया, इतनी महंगी साड़ी धूल से सन गई, ड्राईक्लीनिंग के पैसे तेरे से लूंगी.’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं,’’ झेंपती हंसी के साथ विपुल बोला.

‘‘इतनी भूख लग रही है और खिलाने को तुझे ये सड़े हुए बैगन और सीताफल के पकौड़े ही मिले थे. नहीं चाहिए तेरी दावत. इस से तो उपवास अच्छा,’’ कहते हुए सुषमा ने पकौड़े की प्लेट विपुल को ही पकड़ा दी. विपुल ने एक पकौड़ा मुंह में डालते हुए कहा, ‘‘सुषमा, नाराज नहीं होते, फाइव स्टार होटल से अच्छे पकौड़े हैं.’’

‘‘तेरे घर का एक बूंद पानी भी नहीं पीना,’’ सुषमा तमतमाती हुई बोली.

‘‘सर, इस में नाराजगी की क्या बात है. आप इतनी दूर से आए हैं, कुछ तो लीजिए,’’ पकौड़ों की प्लेट मेरे आगे करते हुए विपुल ने कहा.

एक पकौड़ा खाते हुए मैं सुषमा से बोला, ‘‘छोड़ो नाराजगी, भूखे पेट रहना ठीक नहीं, कुछ खा लो,’’ लेकिन सुषमा टस से मस नहीं हुई. उस ने कुछ नहीं खाया.

सुषमा और महेश ने अपनी नाराजगी विपुल को जाहिर कर दी. बाकी स्टाफ चुप रहा, लेकिन मेरे समेत सभी दुखी थे.

आगे पढ़ें- हम विपुल के घर गए तो…

पति का मजाक उड़ाने से पहले सोचें

‘‘ बेटा, खाना ठीक से खाना. बेटा, वक्त पर सो जाना. बेटा, घर का खयाल रखना. बेटा, फोन करते रहना. अच्छा मम्मीजी. मम्मीजी के बेटेजी, अब हम चलें क्या?’’आस्था ने अपनी सास के अंदाज में ही महेश से मजाक किया, तो महेश का चेहरा उतर गया. महेश का सिर्फ चेहरा ही नहीं उतरा, वह मन से भी उखड़ गया. हर वक्त अपनी पत्नी आस्था का खयाल रखने वाला महेश बातबात पर खीजने लगा. एक छोटा सा मजाक प्यार भरे रिश्ते की दीवार बन गया. आस्था चाह कर भी वह दीवार लांघ नहीं पा रही थी. आस्था ने तो सीधा सा मजाक ही किया था, पर महेश को चुभ गया. कई बार हम अपने ही शब्दों के तीखेपन को नहीं पहचान पाते. पर जिसे तीर लगता है वह उसे भूल नहीं पाता और रिश्तों में खटास आने लगती है. बेहतर है कि ऐसी बातें जबान पर लाई ही न जाएं.

‘‘तुम्हारी मम्मी को पैसों की बड़ी चिंता रहती है,’’ मीना ने राजेश से मजाक किया. बात तो मजाक की ही थी. पर उस का अर्थ राजेश को चुभ गया. कुछ विषयों पर पतियों की आलोचना करते हुए मजाक न ही करें तो बेहतर है. दरअसल, आप नहीं जानतीं कि कौन सी बात या वस्तु उन के दिल के कितने नजदीक है और वे उसे कितना चाहते हैं. बहुत बार आप ने पुरुषों को देखा होगा कि वे अपने सिर के 2-4 बालों पर कितने प्यार से कंघी करते हैं, बारबार आईना देखते हैं. सोचिए, अगर उन्हीं 2-4 बालों को आप ने मजाक का विषय बनाया, तो क्या होगा? ‘‘इन की तो सड़क ही साफ है. इन्हें यह भी नहीं पता चलता कि कहां तक साबुन लगाना है और कहां तक मुंह धोना है.’’ रजनी ने मोहन के बारे में कहा और वह भी अपने मायके में, तो मोहन को बात चुभ गई. अब मोहन रजनी के मायके के नाम से भी चिढ़ने लगा है. बालों की तरह अपने चेहरे के मोटे, पतले या खराब होने पर किसी तरह की टीकाटिप्पणी उन्हें नहीं भाती, भले ही आप शब्दों को चाशनी में लपेटलपेट कर परोसें. पति फौरन चाशनी और मजाक के भाव को अलग कर देते हैं और भावार्थ दिल तक ले जाते हैं. यही पतिपत्नी के रिश्तों की दूरियां बढ़ा देता है.

रजनी जैसी ही एक बात रीटा के मुंह से भी निकल गई, जब किसी ने पूछा, ‘‘तेरे पति कहां हैं, दिख नहीं रहे?’’

‘‘मेरे चुन्नेमुन्ने किसी के पीछे छिप गए होंगे.’’

रीटा ने ‘चुन्नेमुन्ने’ शब्द पति के छोटे कद के कारण प्यार से कहा. पर किसी के सामने कह दिया, यही खल गया रोहन के मन को. रोहन को बुरा लगा कि वह अपने कद को बदल तो नहीं सकता, फिर सब के सामने मुझे ‘चुन्नेमुन्ने’ क्यों कहा. 

रिश्तों में कड़वाहट

अपने कद की तरह कोई अपने रिश्तेदारों को, उन की सूरतों को, उन के बात करने के अंदाज को भी बदल तो नहीं सकता न. फिर पत्नी अगर इन बातों को अपने मजाक का विषय बनाए, भले ही मजाक उड़ाना उस का उद्देश्य न हो, पति को कभी पसंद नहीं आएगा. अगर पत्नी ने कोई ऐसा तीर छोड़ दिया, तो वह फूल की तरह तो लगने से रहा. शूल की तरह मन में चुभता ही रहेगा और पत्नी चाह कर भी शूल निकाल नहीं पाएगी. एक अन्य विषय पत्नियों के मजाक का हो जाता है, वह यह कि अगर पति महोदय किसी खास व्यक्ति के स्वागत में बौराने लगें.

‘‘आओजी, बैठो जी, लाओजी, ठंडा पियोजी, चाय पियोजी. न न न अभी नहीं जा सकते आप. बैठो न. रह जाओ न. ऐसे कैसे जाने देंगे. फलांफलां.’’ भले ही मेहमान महिला नहीं पुरुष हो, पति के इस अंदाज में उतावला हो जाने पर स्वाभाविक है कि पत्नी मजाक कर दे. मजाक हुआ तो समझिए पत्नी की इज्जत का पत्ता भी साफ हुआ. पति सोच बैठते हैं कि पत्नी फलां मेहमान से जलती है. मैं इज्जत करता हूं किसी की, तो इस से बरदाश्त नहीं होता. ऐसे में पत्नी के मजाक पर पति अपना ध्यान केंद्रित कर के उसे ही दोषी मान लेता है. उस का तर्क होता है, ‘‘जब मैं किसी की इज्जत करता हूं तो मेरी पत्नी को भी करनी चाहिए,’’ मेरा तो मन खट्टा हो गया. उसे पत्नी ही मेहमान की प्रतिद्वंद्वी लगने लगती है.

एक विषय बहुत नाजुक

पिछली सभी बातों और विषयों को नजरों से ओझल भी कर दें, तो एक खास विषय है जिस पर कोई भी पति, कोई भी मजाक सुनना पसंद नहीं करता. वह है पति के यौनांग पर और उस के सहवास करने के तरीके पर. उस पर कोई भी मजाक होने पर पति के मन में पत्नी के प्रति कड़वाहट भर जाती है. नीना सोने के लिए कमरे में आई ही थी कि आशू को देख कर उस के मुंह से निकल गया, ‘‘तुम तो पहले से ही तैयार बैठे हो.’’ बात कुछ भी नहीं थी पर आशू को चुभ गई. उस के बाद तो हालात कुछ ऐसे बने कि नीना कहती रहे पर आशू का हर बार एक ही जवाब होता था ‘‘मूड नहीं है.’’

मीनाक्षी ने भी कुछकुछ नीना जैसा ही मजाक किया था, ‘‘चूहे की तरह कुतरकुतर क्या करते हो?’’ लो, नारंग तो मरे चूहे जैसा ही ठंडा हो गया. सहवास के दौरान ऐसे मजाक तो रिश्तों पर बहुत ही भारी पड़ जाते हैं. बहुत सी बातें देखसुन कर खामोश रह जाने की होती हैं. उन से जुड़े मजाक, मजाक उड़ाना ही कहलाते हैं. अपने मन की कड़वाहट या प्रश्नों को, शब्दों में न ही ढालें तो बेहतर होगा. मजाक करें भी तो सोचसमझ कर. उन विषयों पर कतई मजाक न करें, जिन्हें पति बदल नहीं सकता या वे उस के नितांत व्यक्तिगत हों.

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