Winter Special: शिशु के लिए स्तनपान

अगर आप पहली बार मां बनी हैं तो आप के मन में अपने बच्चे को ले कर काफी उत्साह होगा, जोकि स्वाभाविक भी है, लेकिन बच्चे को पालना, उस की देखभाल ठीक तरह से हो, इस को ले कर चिंताएं भी कम नहीं होती हैं. अगर परिवार में कोई बुजुर्ग है तो फिर कोई बात नहीं, लेकिन आजकल परिवार छोटे होते हैं, न्यूक्लियर फैमिली. ऐसे में बच्चे की छोटीमोटी बातों की जानकारी आमतौर पर नई मां को नहीं होतीं. ऐसी मांओं को नवजात बच्चों को दूध पिलाने को ले कर बहुत सारी उलझनें होती हैं.

कैसे दूध पिलाया जाए

कोलकाता की जानीमानी डाक्टर संयुक्ता दे इस बारे में कहती हैं कि आमतौर पर नई मांएं समझती हैं कि दूध पिलाने में क्या रखा है. यह मामला स्वाभाविक है, इसीलिए बड़ा आसान भी है. लेकिन इस के लिए केवल शारीरिक नहीं, मानसिक तैयारी की भी जरूरत पड़ती है. ये दोनों तैयारियां अगर न हों तो पहली बार स्तनपान कराने में कुछ समस्याएं आ सकती हैं.

पहली बार कब

स्वाभाविक प्रसव के मामले में शिशु को बहुत जल्दी ब्रैस्ट फीड कराना संभव हो जाता है. स्पाइनल कौर्ड में इंजेक्शन लगा कर सीजर करने के मामले में भी मां उसी दिन ब्रैस्ड फीड करा सकती है. लेकिन पूरी तरह से बेहोश कर के सीजर करने पर कम से कम 2 दिनों के बाद ब्रैस्ट फीड कराया जा सकता है.

निप्पल के आकार की समस्या

कुछ महिलाओं के स्तन के निप्पल का आकार सही नहीं होता. ऐसे स्तन से दूध पीने में बच्चों को तकलीफ होती है. इसीलिए मां बनने की तैयारी के साथ स्तन की देखभाल जरूरी है. अगर स्वाभाविक निप्पल नहीं है, तो रोज सुबहशाम औलिव औयल उंगलियों के पोरों में लगा कर दबे निप्पल को बाहर लाने की कोशिश करना जरूरी है. कुछ दिनों में यह स्वाभाविक हो जाएगा. ऐसी समस्या के लिए प्रसूति विशेषज्ञ व गाइनाकौलोजिस्ट से भी सलाह ली जा सकती है.

क्रैक निप्पल की समस्या

कई बार निप्पल क्रैक होने की समस्या पेश आती है. कभीकभी दर्द होता है और कुछ के निप्पल से खून तक आने लगता है. ऐसे मामले में डाक्टरी सलाह ली जा सकती है, लेकिन दूसरे स्तन से दूध निकाल कर क्रैक में लगाया जाए तो यह दवा का भी काम करता है. बहरहाल, क्रैक निप्पल से ब्रैस्ट फीडिंग नहीं कराई जानी चाहिए. क्रैक निप्पल वाले स्तन से मिल्क ऐक्सप्रैस से दूध निकाल कर चम्मच से पिलाया जाना चाहिए. ऐक्सप्रैस कर के निकाला हुआ दूध 24 घंटे तक फ्रिज में रख कर भी पिलाया जा सकता है, बशर्ते इस दौरान फ्रिज एक बार भी बंद न किया जाए.

दूध पिलाने का सही तरीका

अब रही बात दूध पिलाने के सही और आरामदायक तरीके की, तो सब से पहले पैरों के नीचे तकिए का सपोर्ट ले कर बच्चे को गोद में सुलाएं. बेहतर होगा कि बच्चे के दोनों तरफ छोटा साइड तकिया भी रख लें. इस से बच्चे को आराम महसूस होगा. दूध पिलाते समय बच्चे के सिर पर हाथ फेरने से बच्चे को मां के प्यार भरे स्पर्श से सुखद अनुभूति होती है और मां के मन में भी संतोष होता है.

कई बार बच्चा दूध नहीं पीता. इस की कई वजहें हो सकती हैं. शिशु का कान, नाक दब जाने या दूध पीते हुए आराम नहीं मिल पाने के कारण वह ऐसा कर सकता है. ऐसे में पोजीशन को बदल कर देखना चाहिए. दूध पिलाने के लिए एकांत बेहतर होता है.

कितनी बार स्तनपान कराएं

डा. संयुक्ता दे का कहना है कि नवजात बच्चे को स्तनपान कराने के लिए किसी रूटीन को फौलो करने की जरूरत नहीं होती है. जबजब बच्चे को भूख लगे तबतब दूध पिलाया जा सकता है. लेकिन एक ही बार में बहुत सारा दूध पिलाने के बजाय कुछकुछ समय के अंतराल में थोड़ाथोड़ा दूध पिलाते रहना बेहतर होता है. इस की वजह यह है कि आमतौर पर नए बच्चे की पाचनशक्ति कमजोर होती है. ऐसे में कम से कम 8 बार तो दूध जरूर पिलाया जाना चाहिए. नवजात शिशु रात में 2-3 बार दूध के लिए नींद से जाग सकता है, लेकिन 6 सप्ताह के बाद वह एकसाथ 5 घंटे से ज्यादा नहीं सोता. 3 महीने के बाद कुछ बच्चों को बोतल का दूध भी देना पड़ता है. तब उन की भूख जरा कम हो जाती है. इस की वजह यह है कि बोतल का दूध फौर्मूला दूध होता है. मां के दूध की तुलना में इसे हजम करने में ज्यादा वक्त लगता है. इस दौरान 4 घंटे के अंतर में दूध पिलाया जा सकता है. यानी, दिन में 5 बार और रात में 2 बार पर्याप्त होता है.

लेकिन अगर प्री मैच्योर शिशु है तो कुछकुछ देर में डाक्टरी सलाह के अनुसार दूध दिया जाना चाहिए. ऐसे बच्चे आमतौर पर ज्यादा सोते हैं, इसलिए नींद के बीच में दूध पिलाने की कोशिश की जानी चाहिए. अगर वह नहीं लेता है तो जबरन नींद में खलल डाल कर दूध पिलाने से बचना चाहिए. एक जरूरी बात यह है कि दूध पीने के दौरान थोड़ी हवा भी बच्चे के पेट में चली जाती है. दूध पिला लेने के बाद शिशु को कंधे पर सुला कर उस की पीठ को थपकने या जरा सहला देने से पेट की हवा डकार के रूप में बाहर निकल जाती है. हवा रह जाने पर हो सकता है शिशु उलटी कर दे.

कैसे समझें शिशु स्वस्थ है

डाक्टर पल्लव चट्टोपाध्याय कहते हैं कि शिशु अगर ब्रैस्ट फीड के बाद सो जाता है तो समझें, उस का पेट भर गया है. इस बात पर ध्यान रखें कि वह कितनी बार पेशाब करता है, अगर दिन भर में 6-7 बार पेशाब करता है. तो समझें शिशु ठीकठाक है. शिशु जब ब्रैस्ट पर हो, तब तक पानी पिलाने की जरूरत नहीं. यहां तक कि मिसरी का पानी भी नहीं देना चाहिए. इस से पेट में गैस पैदा होती है. शुरू में हो सकता है कि शिशु दिन में सोए और रात में जगा रहे. इस में भी चिंता की कोई बात नहीं. कुछ ही दिन में वह अपनी आदत बदल लेगा.

दूध पिलाने के लिए जरूरी सामान

सोने के लिए साजोसामान और पहनने के लिए पोशाक के अलावा दूध पिलाने के लिए बोतल, चम्मच जैसी जरूरी चीजों के अलावा कुछ और छिटपुट चीजों की जरूरत पड़ती है. शिशु जब पहली बार बोतल में दूध पीना शुरू करता है, तो इन चीजों की जरूरत पड़ती है. मसलन, कटोरा, गिलास, टिट्स या रबर के निप्पल, बोतल के साथ डिस्पोजेबल लाइनर, मेजरिंग जग, दूध निकालने के लिए प्लास्टिक के चम्मच और दूध का पैकेट खोलने के लिए छोटी कैंची, एक प्लास्टिक का चाकू, बोतल में दूध डालने के लिए एक फनेल आदि.

दूध की बोतल 2 साइज की 200 मि.ली. और 250 मि.ली. की रखनी चाहिए. इस के अलावा बोतल साफ करने के लिए ब्रश, बड़ा सा बरतन, जिस में साबुन के पानी में कुछ चीजें थोड़ी देर डुबो कर रखी जा सकें. साथ में स्टेरलाइजर, फ्लास्क, कभी कहीं बाहर जाना हो तो इस के लिए एक इंसुलेटेड पिकनिक बौक्स, मेजरिंग स्पून.

दूध की बोतल कभी माइक्रोवेव में गरम नहीं करनी चाहिए. इस की वजह यह है कि ऊपर से बोतल इतनी गरम नहीं होती, लेकिन बोतल के अंदर दूध अधिक गरम हो जाता है. बहरहाल, बोतल शिशु के मुंह में देने से पहले अपनी हथेली के ऊपरी हिस्से पर दूध की कुछ बूंदें गिरा कर देख लेनी चाहिए.

स्टेरलाइज करने का तरीका

स्टीम स्टेरलाइजर या माइक्रोवेव स्टेरलाइजर का उपयोग किया जा सकता है. स्टेरलाइजर है तो काम आसान हो जाता है. बाजार में स्टेरलाइजर कैमिकल या स्टेरलाइजिंग टिकिया पाई जाती है. टिकिया के गल जाने के बाद शिशु के फीडिंग उपकरण को डालें और कम से कम 5 मिनट उबलने दें. डिशवाशर का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन टिट्स को तभी डिशवाशर में डालें, जब टिट्स डिशवाशर प्रूफ हो. हौट ड्राइंग साइकिल जरूर रखें. उच्च तापमान में ही बैक्टीरिया मरते हैं.

शादी के बाद रोमांटिक पोज देती दिखी हंसिका मोटवानी, देखें वीडियो

एक्ट्रेस हिसंका मोटवानी शादी के बंधन बंध चुकी है उन्होंने अपने बॉयफ्रेंड और बिजनेस पार्टन सोहेल कथूरिया के साथ शादी कर ली है. उनकी शादी 4 दिसंबर को हुई है. ये शादी धूमधाम से राजिस्थान में की गई. जिसमे टीवी जगत की तमाम हस्तिया शामिल हुई थी.ऐसे में शादी के बाद हंसिका की कुछ रोमांटिक वीडियो और फोटो सामने आई है जिसमें वो अपने पति के साथ रोमांटिक पोज़ देती दिख रही है.

आपको बता दे, कि दोनो कपल एयरपोर्ट पर एक साथ स्पॉट हुए. दोनो एक-दूसरे के हाथों में हाथ डाले हुए नज़र आएं. इन दोनों का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में आप देख सकते हैं कि हंसिका मोटवानी रेड कलर के सलवार सूट में नजर आ रही हैं. वहीं, सोहेल कथूरिया ने कुर्ता-पैजामा पहना हुआ था। एयरपोर्ट पर नजर आ रहा ये कपल पैपराजी को पोज देता है और गाड़ी में बैठकर चला जाता है.  हिसंका के वर्क फ्रंट की बात करें, तो पॉपुलर शो शकालाका बूम बूम में करुणा का किरदार निभाती थी.

 

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आपको बता दें, कि शादी के दिन हंसिका मोटवानी बेहद ही खूबसूरत लग रही थी, शादी का लहंगा उनपर बेहद ही खूबसूरत लग रहा था. शादी में उन्होंने लाल रंग का लेहंगा कैरी किया था. जिसके साथ उन्होंने ट्रैडिशनल ज्वैलरी और बैंगल्स कैरी किए.वही सुहेल ने खास दिन पर शेरवानी कैरी की थी.

अनुपमा और डिंपल को किडैनप करेंगे रेपिस्ट, खुद के जाल में फसेंगे मेहता

स्टार प्लस शो अनुपमा इऩ दिनों मीडिया की लाइमलाइट में बना हुआ है, टीआरपी की रेस से भी दूर नहीं है. वही अबतक शो में दिखाया गया है कि गुंडे अनुपमा और डिंपल को काफी परेशान करते है यहा तक की शाह परिवार को मारने की धमकी तक देते है. गुंडो को पुलिस स्टेशन से भी जमानत मिल जाती है लेकिन कहानी यही खत्म नहीं होती है. कहानी में अब नया मोड आया है जो फैंस को काफी खुश करने के साथ-साथ एंटरटेन भी कर रहा है.

 

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टीवी एक्ट्रेस रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर शो में नए नए मोड धूम मचा रहे है. बीते दिनो ये दिखाया गया कि अनुपमा बाकी औरतों के साथ विजेंद्र मेहता के घर के सामने धरने पर बैठ जाती है इतना ही नहीं इतना ही नहीं, वह मीडिया के सामने भी आरोपियों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। लेकिन रुपाली गांगुली के ‘अनुपमा’ में आने वाले ट्विस्ट यहीं खत्म नहीं होते है.

 

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अनुपमा में आगे दिखाया गया है कि अनुपमा जहां काव्या, किंजल, समर, डिंपल और बाकी औरतों के साथ मिलकर आरोपियों का सामना करती है तो वहीं वनराज घर में बैठकर गुंडों की धमकी से परेशान हो रहा होता है। दूसरी तरफ बा भी कहती हैं कि डिंपल को इंसाफ मिलना चाहिए.

अनुपम को किडनैप करेंगे विजेंद्र मेहता

आपको बता दें, कि शो में सबसे बड़ा टिवस्ट ये आता है कि विज्येंद्र मेहता पहले तो पटाखों के जरिए अनुपमा और बाकी औरतों को भगाने की कोशिस करते है लेकिन अनुपमा इसका सामना करने के बाद उसके घर के सामने ही बैठ जाती है और जोर-जोर से ढोल-मंजीरे बजाने लगती है। वहीं दूसरी औरतें भी उसका साथ देती हैं। ऐसे में वह और उसका बेटा अनुपमा और डिंपल को किडनैप कर लेता है।

 

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बता दें, कि विज्येंद्र मेहता अनुपमा को किडनैप करने में असफल रहते है अनुपमा और डिपंल कैसे ही वहा से भाग निकल जाते है और विज्येंद्र मेहता जब लाइट जला कर देखते है तो वहां किडनैप की हुई औरतें उसकी पत्नी और बेटी प्रिया नज़र आते है. इसके बाद सभी कोशिशों में सफल होने के बाद अनुपमा और डिंपल मनन व उसके पिता को पुलिस के हवाले कर देंगे और डिंपल सुबह होने से पहले ही उन्हे हवालाच पंहुचा देंगे.

रिश्ते: क्यूं हर बार टूट जाती थी स्नेहा की शादी- भाग 1

बरसातके पानी की बड़ी-बड़ी बूंदें रिम?िम करके बरस रही थीं. मौसम बड़ा खुशनुमा और प्यारा हो रहा था. पानी की फुहारें मानो ठंडी-ठंडी हवाओं के साथ मन को रि?ा रही थीं. उन्हें देख कर लग रहा था कि जैसे मन की सारी मुरादें पूरी होने वाली हैं. स्वनिल और स्नेहा के प्यार को स्वनिल की मां ने कबूल कर लिया था. स्वनिल एक हाईटेक कंपनी में मैनेजर था और स्नेहा उसकी जूनियर. साथ काम करते-करते न जाने कब दोनों के दिल के तार जुड़ गए और दोस्ती चाहत में बदल गई. स्वनिल के पिताजी उसके बचपन में ही गुजर गए थे, मां ने ही उसे आंखों में सपने लिए बड़ी मेहनत से पाला था. उसने अपनी मां को चिट्ठी लिख कर स्नेहा के बारे में सब बता दिया था और उसकी तसवीर भी भेजी थी. मां का जवाब उसी के पक्ष में आया था. अगले सप्ताह मां खुद आने वाली थीं, अपनी होने वाली बहू से मिलने. ऑफिस से आने के बाद स्वनिल ने जल्दी से स्नेहा को अपने केबिन में बुलाया.

‘‘क्या हुआ स्वनिल,’’ स्नेहा ने आते ही पूछा.

‘‘स्नेहा, तुम्हें तो पता ही था कि मैंने मां को तुम्हारे बारे में बताया है, कल घर जाने के बाद मु?ो उनका खत मिला.’’ स्वनिल ने उदास हो कर कहा, ‘‘क्या लिखा था उस खत में और तुम इतने उदास क्यों हो?’’ स्नेहा ने घबराते हुए पूछा. ‘‘बात ही ऐसी है, स्नेहा मां ने हमेशा के लिए तुम्हें मेरे पल्ले बांधने का फैसला सुनाया है,’’ स्वनिल ने बड़ी गंभीरता से अपनी बात पूरी की. स्वनिल ने यह बात इतनी ज्यादा गंभीरता से कही थी कि पहले तो स्नेहा सम?ा न सकी पर जब सम?ा तो उसका चेहरा खुशी से खिल उठा.

‘‘स्नेहा, अब तो मां ने भी हां कर दीं, तो तुम्हें भी अपने घर वालों से बात कर लेनी चाहिए. मैं वापस आने के बाद उन से मिलता हूं. तुम यह जानती हो न कि आज रात मु?ो टूर के लिए निकलना है और उससे पहले अपने काम जल्दी से निबटाने हैं. अब तुम जाओ,’’ स्वनिल ने वहां से करीब भगाते हुए उससे कहा. स्नेहा भी स्वनिल को रेलवे स्टेशन तक छोड़ने साथ गई. आते समय वह रास्ते भर सोचती रही शायद स्वनिल ही उसके लिए बना है वरना तीन बार पक्की हुई उसकी शादी टूटती नहीं, लेकिन इस बार उसे किसी तरह की अनहोनी का डर नहीं था. उसका प्यार… उसका स्वनिल जो उसके साथ था. पापा और मम्मी से किस तरह बात करें? इस बारे में स्नेहा सोचती रही. उसकी छोटी बहन की शादी हो चुकी थी. छोटे भाई ने भी अपनी पत्नी के साथ दूसरी जगह बसेरा बसा लिया था. अब अगर उसकी शादी भी हो गई, तो मम्मीपापा अकेले रहेंगे या भाई के पास, वह सम?ा नहीं पा रही थी. उसे कुछ पुराने दिन याद आ गए… उन दिनों स्नेहा घर में अकेली कमाने वाली थी, उसे जब कॉलेज की डिगरी मिली थी, उसी साल पापा की कंपनी बंद हो गई थी. वे सालों से उसी कंपनी में काम कर रहे थे. वे यह सदमा बरदाश्त नहीं कर सके. वे दिनभर कमरे की छत को ताकते घर में पड़े रहते. उस समय स्नेहा के दोनों भाईबहन छोटे थे. स्नेहा ने आगे बढ़ कर जिम्मेदारी ली, उसने एक नौकरी पकड़ ली. धीरे-धीरे सब ठीक हो गया. स्नेहा घर की कमाने वाली अकेली सदस्य थी. जाहिर था कि हर बात उससे पूछ कर की जाती. लिहाजा, वह घर के हालात ठीक करने के लिए जीजान से जुट गई. समय बीतता गया. उसके भाई-बहन बड़े हो गए. मम्मी ने स्नेहा से सलाह-मशवरा करके छोटी बेटी की शादी सीधे-सादे अभय से कर दी. पहले तो स्नेहा ने कभी इस बात पर गौर नहीं किया, लेकिन अब जब उसकी छोटी बहन घर आती और अपने पिता और ससुराल वालों के गुण गाती, तो स्नेहा को भी शादी करने की चाहत होती. एक दिन स्नेहा ने शरमाते हुए मम्मी से बात छेड़ी.

पापा पीछे खड़े होकर सब सुन रहे थे. बोले, ‘‘कैसी बात करती हो बेटी? घर में तुम अकेली कमाने वाली हो. अभी तो तुम्हारा भाई पढ़ रहा है, तुम शादी करके चली जाओगी तो हमारा सहारा चला जाएगा. एक-दो साल और रुक जाओ. जब तुम्हारे भाई की नौकरी लगेगी तो हम तुम्हारा भी ब्याह कर देंगे,’’ पापा ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.

दिन यों ही बीतते रहे. मौसम बदलते रहे. बहारें तो आईं, लेकिन स्नेहा की जिंदगी में नहीं, बल्कि भाई की जिंदगी में. हालात ने अजीब सी करवट ली. घर में रहने वाली पैसों की तंगी के चलते भाई अलग रहना चाहता था. जिस दिन उसे पहली तनख्वाह मिली, उसने मम्मी के सामने एक लड़की लाकर खड़ी कर दी और बोला, ‘‘मम्मी, यह है तुम्हारी होने वाली बहू. मैं अपनी नौकरी लगने तक रुका था. मैं दीदी पर एक और बो?ा नहीं डालना चाहता. हम दोनों अगले महीने कोर्ट मैरिज कर रहे हैं.’’ ‘‘तुम्हारी पसंद अच्छी है, बहू मु?ो अच्छी लगी, लेकिन बेटा तुम्हें पहले अपनी बहन के बारे में सोचना चािहए. उसकी भी तो उम्र हो रही है. पहले उसके हाथ पीले कर दें. बाद में तुम्हारी शादी…’’

‘‘एक मिनट मम्मी, हम, मेरा मतलब है कि मैं और मेरी पत्नी, शादी के बाद अलग रहने वाले हैं.’’

‘‘यह क्या कह रहा है तू?’’ मां ने हैरानी से पूछा.

इस प्यार को हो जाने दो

प्यार धर्मजाति की दीवारों से परे पनपता है. अफजल और पूनम इस की गिरफ्त में थे. लेकिन रिश्तेदार व जमाने वाले ऐसे प्यार को धर्म की भट्टी में राख करने को उतारू रहते हैं. यह तो पूनम व अफजल के लिए किसी कड़े इम्तिहान से कम न था, क्या हुआ दोनों का…

कालेज के वार्षिक उत्सव की तैयारियां जोरशोर से चल रही थीं. सभी छात्रछात्राएं अपनीअपनी खूबियों के अनुसार कार्यक्रम में भाग ले रहे थे. अफजल को गजलें लिखने का शौक था. उस की गजल का हर शब्द काबिलेतारीफ होता. पूरा कालेज दीवाना था उस की गजलों का. पूनम को गीतसंगीत बहुत पसंद था. बहुत मीठी आवाज थी उस की. पूरा कालेज उसे ‘स्वर कोकिला’ के नाम से जानता था. दोनों हर कार्यक्रम में एकसाथ ही भाग लेते. और न जाने कब दोनों एकदूसरे को चाहने लगे.

वेलैंटाइन डे पास आ रहा था. कालेज व बाजार में उस का माहौल अपना असर दिखा रहा था. कालेज के कई लड़केलड़कियां कार्ड खरीद कर लाए थे और अफजल से कुछ पंक्तियां लिख कर देने को कह रहे थे ताकि वे कार्ड में लिख अपने प्यार का इजहार कर सकें.

वहीं, कुछ लोगों ने वेलैंटाइन डे पर लाल गुलाब का गुलदस्ता बनवाया था. अफजल आज एक लाल गुलाब ले कर पूनम के पास जा पहुंचा और बोला, ‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं, पूनम. क्या तुम स्वीकारोगी मेरा प्यार?’’ यह कह वह अपने प्यार का इजहार कर बैठा. पूनम अफजल को मन ही मन चाहने लगी थी. सो, उस ने फूल हाथ में ले, शरमाते हुए, झुकी पलकों संग उस के प्यार को स्वीकार कर लिया था.

दोनों का प्यार बादलों के संग उड़ते हुए आजाद परिंदों की तरह परवाज करने लगा था. कालेज के बाद दोनों छिपछिप कर मिलने लगे थे. लेकिन इश्क और मुश्क भला छिपाए छिपे हैं किसी से? कालेज के सभी लोग उन्हें ‘हंसों का जोड़ा’ के नाम से पुकारते. इसी तरह मिलते और प्यार में डूबे 4 वर्ष बीत गए.

कालेज खत्म कर दोनों अपनीअपनी नौकरियों में लग गए. पूनम अपनी पूरी तनख्वाह अपनी मां के हाथ में रखती, हां, कुछ रुपए हर तनख्वाह में से अपने भाइयों के लिए उपहार के लिए रख लेती.

अब पूनम के घर में उस के विवाह के लिए चर्चा होने लगी थी और वह बहुत चिंतित हो गई थी. आज पूनम जब अफजल से मिली, कहने लगी, ‘‘अफजल, मेरे मातापिता मेरी शादी की बात कर रहे हैं और मुझे नहीं लगता कि वे हमारे प्यार को स्वीकारेंगे.’’

अफजल ने जवाब में कहा, ‘‘पूनम, तुम घबराओ नहीं. तुम अपनी मां को बताओ तो सही या मैं तुम्हारे पिताजी से बात करूं?’’

पूनम कहने लगी, ‘‘अफजल, देखती हूं, आज मैं ही मां को बता देती हूं.’’

जैसे ही मां ने सुना, वे तो बिफर पड़ी और आव देखा न ताव, जा बताया पिताजी को. जैसे ही पूनम के पिताजी ने उस के मुंह से अफजल का नाम सुना, तो वे आगबबूला हो उठे. मां तो कोसने लगी,  ‘‘कहा था लड़की को इतनी छूट मत दो. अब पोत रही है न हमारे मुंह पर कालिख. क्या फायदा इस को पढ़ानेलिखाने का. रातदिन इस की चिंता लगी रही. कभी देर से घर आती तो कलेजा मुंह को आ जाता. किंतु यह दिन दिखाएगी, ऐसा तो सोचा भी न था. मैं सोचती थी पढ़लिख जाए तो अच्छे घर में रिश्ता हो जाएगा. अपने पैरों पर खड़ी होगी तो किसी की मुहताज न होगी. पर हमें तो इस ने कहीं का न छोड़ा, अब क्या मुंह दिखाएंगे हम समाज में.’’

पिताजी बोले, ‘‘अगर प्रेम ही करना था तो कोई हिंदू लड़का नहीं मिला था. इन मुसलमानों में ही तुझे ज्यादा प्यार नजर आया? उन के घर में बुर्का पहन कर रहेगी? मांसमछली खाएगी? अपने धर्म की गीता छोड़ 5 वक्त नमाज पढ़ेगी? अरे, समझती क्यों नहीं, नाम भी बदल देंगे तेरा, जो कि तेरी अपनी पहचान है, कहीं की न रहेगी तू?’’

पूनम ने कितनी बार समझाने की कोशिश की थी अपनी मां को. वह कहती, ‘‘मां, अफजल एक नेक इंसान है, 4 साल साथ में गुजारे हैं हम ने और फिर हम एकदूसरे को अच्छे से समझते भी हैं. ऐसे में तुम क्यों खिलाफ हो उस के? उस की जगह किसी हिंदू लड़के से शादी कर लूं और हमारे विचार ही आपस में न मेल खाएं तो उस शादी का क्या फायदा मां? शादी तो 2 इंसानों का मिलन होता है, उस में धर्म की दीवार क्यों मां? क्या तुम पिताजी के साथ खुश हो मां?’’ जैसेतैसे अपनी जिंदगी की गाड़ी घसीट ही तो रहे हैं आप लोग.’’

इतना सुन मां ने उस के गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया, ‘‘बेशर्म, जबान लड़ाती है, इतनी अंधी हो गई है उस मुसलमान के प्यार में?’’

उस के घर में तो धर्म का बोलबाला था, कोई उस की बात समझना तो दूर की बात, सुनने के लिए भी तैयार न था. इसी कारण उन दोनों ने कोर्टमैरिज करने का फैसला किया. और कोई चारा भी न था.

शादी के बाद जब वे दोनों पूनम के घर आशीर्वाद लेने आए, उस के पिता कहने लगे, ‘‘हमारी छूट व प्यार का गलत फायदा उठाया है तुम ने. जरा सोचो, तुम्हारे छोटे भाइयों का क्या होगा आगे? कुछ तो लिहाज किया होता. बिरादरी में हमारी नाक क्यों कटवा दी? तुझे पैदा होते ही क्यों न मार डाला हम ने? जाओ, अब जहां रिश्ता जोड़ा है वहीं जा कर रहो. अब तो वे तुम्हारा धर्म भी परिवर्तन कर देंगे. अल्लाहअल्लाह करना रातदिन.’’

पूनम चुपचाप सब सुन रही थी. बीचबीच में कुछ बोलने की कोशिश करती, किंतु पिताजी के गुस्से के सामने चुप हो जाती. थोड़ी सी आस अपने दोनों भाइयों से थी. किंतु जैसे ही उस ने उन से नजरें मिलाने की कोशिश की, एक ने तो मुंह फेर लिया और दूसरे ने उस का हाथ पकड़ दरवाजे का रास्ता दिखा दिया और कहा, ‘‘जाओ दीदी, अब इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए सदा के लिए बंद हैं.’’

अफजल दरवाजे के बाहर ही खड़ा सुन रहा था. वह चाहता था कि पूनम के पिताजी से बात करे, किंतु पूनम ने उसे रोक दिया था और वह अफजल से बोली, ‘‘चलो अफजल, घर चलते हैं, पिताजी नहीं मानने वाले.’’

उस के जातेजाते पिताजी ने कह दिया था, ‘‘यदि वे तुम्हें इस्तेमाल कर तलाक दे कर निकाल दें तो लौट कर न आना वापस.’’ अफजल को भी बहुत बुरा लग रहा था कि पूनम उस से प्यार व निकाह क्या कर बैठी, आशीर्वाद मिलना तो दूर, उस के लिए उस के मातापिता के घर के दरवाजे भी हमेशा के लिए बंद हो गए थे. सो, दोनों अफजल के घर आ पहुंचे.

अफजल की मां ने नई बहू के स्वागत की पूरी तैयारियां कर रखी थीं. अफजल के रिश्तेदार इस विवाह के खिलाफ थे. आखिर हिंदू व मुसलिम एकदूसरे के कट्टर दुश्मन जो बने बैठे हैं. सो, उस की मां अकेली ही स्वागत कर रही थी अपनी बहू का. अफजल की मां ने उसे बेटी सा प्यार दिया. वे कहने लगीं, ‘‘बेटी, तुम मेरे अफजल के लिए अपना सबकुछ छोड़ कर आई हो. अब मैं ही तुम्हारी मांबाप, भाई हूं. इस घर में कोई परेशानी हो तो जरूर कहना.’’

अफजल की मां की बातें पूनम को बहुत सुकून दे रही थीं. कहां तो एक तरफ उस के अपने घर वाले उसे कोस रहे थे और जब से उस की व अफजल की बात उन्हें मालूम हुई, एक दिन भी वह चैन की नींद न सो पाई थी और न ही एक भी निवाला सुकून से खाया था. ऐसा मालूम होता था जैसे बरसों से भूखी हो व थकी हो.

2 दिनों बाद दोनों हनीमून के लिए मसूरी घूमने को गए. वहां की वादियों में दोनों रम जाना चाहते थे. लेकिन वहां भी पूनम को अपने मातापिता की बातें याद आती रहतीं. खैर, 15 दिन पूरे हुए, हनीमून खत्म हुआ. अब अफजल व पूनम दोनों को दफ्तर जाना था. अफजल की मां पूनम को सगी बेटी सा प्यार दे रही थीं. एक ही वर्ष में उस ने चांद सी बेटी को जन्म दिया.

पूनम को लगा शायद उस के

मातापिता अपनी नातिन को देख

कर खुश हो जाएंगे. सो, एक दिन उस ने अपनी मां को फोन मिलाया. पिताजी ने फोन उठाया और उस की आवाज सुन मां को फोन थमा दिया. मां ने तो उस की बात सुने बिना ही कह दिया, ‘‘पूनम, तुम हमारे लिए सदा के लिए मर चुकी हो.’’

उन की बात सुन कर पूनम खूब रोई. उस दिन पूनम ने मन ही मन अपने मातापिता से सदा के लिए रिश्ता तोड़ लिया था.

पूनम अपनी सास के साथ पूरी तरह हिलमिल गई थी. कभीकभी छुट्टी के दिन वह अपनी सास के बुटीक में भी जा कर उन का हाथ बंटाती.

पूनम की सास ने किसी भी मसजिदमजार में जाना बंद कर दिया और पूनम मंदिरों में नहीं जाती. वे नया साल, अपनी विवाह की वर्षगांठ, बच्चों के जन्मदिन जम कर मनाते.

ईद के दिन रिश्तेदारों के यहां खाना खाते और दीवालीहोली पर सब को घर पर खाने पर बुलाते. जो मुसलिम रिश्तेदार पहले नाराज थे, धीरेधीरे घुलमिल गए.

ऐसा चलते पूरे 7 वर्ष बीत गए. अब सास का शरीर भी जवाब देने लगा था. सो, बुटीक कम ही संभालती थीं. लेकिन पूनम उन का पूरा सहारा बन गई थी बुटीक को चलाने में. बारबार सास कहतीं, ‘‘अब शरीर तो साथ देता नहीं, लगता है बुटीक बंद ही करना पड़ेगा और वे बहुत दुखी हो जातीं.’’

पूनम उन के दुख को समझती थी. काम के चलते अफजल एक वर्ष के लिए अमेरिका चले गए. तभी अचानक एक दिन पूनम के भाई का फोन आया. पूनम बहुत खुश हो गई और कहने लगी, ‘‘मां कैसी है?’’ उस के भाई ने उस से बहुत प्यार से बात की. पूनम का मीठा रुख देख अगले दिन मां का भी फोन आया. पूनम तो मानो चहक उठी और पूछने लगी, ‘‘कैसी हो मां तुम सब, पिताजी कैसे हैं?’’

मां कहने लगी, ‘‘बेटी पूनम, तुम्हारे पिता तो बूढ़े हो चले हैं, भाई पढ़ाईलिखाई में तो कुछ खास अच्छे निकले नहीं. सो, तुम्हारे पिताजी ने उन्हें एक दुकान खुलवा दी. किंतु दोनों के दोनों एक फूटी कौड़ी घर में नहीं देते हैं, बल्कि कर्जा और हो गया. जिस बैंक से लोन ले कर कारोबार शुरू किया वह भी अब चुका नहीं पा रहे हैं. यदि तुम कुछ रुपयों का इंतजाम कर सको…’’

उसे ठीक तरह बात करते देख मां ने भाइयों के लोन चुकाने के लिए पूनम से रुपए मांग ही लिए.

अब पूनम सब समझ गई थी कि आज भी उन्होंने पूनम से सिर्फ उन की अपनी जरूरत पूरी करवाने के लिए ही फोन किया था. एक वह दिन था जब वह अफजल से निकाह करना चाहती थी, तो उस के परिवार वालों ने उस से रिश्ता तोड़ लिया था. तब तो उन्हें बेटी से ज्यादा धर्म प्यारा हुआ करता था. और आज, जब पैसों की जरूरत आन पड़ी तो अब वह अपनी हो गई. वरना क्या जैसे अफजल की मां ने हिम्मत कर अकेली हो कर भी गैरधर्म की लड़की को अपना लिया, क्या उस के अपने मांबाप, भाई साथ नहीं दे सकते थे उस का? और उस के निकम्मे भाइयों के लिए मां उस से वापस रिश्ता जोड़ने के लिए राजी हो गई. फिर भी उस ने अपनी मां को मीठा जवाब दे दिया ‘‘हां मां, देखती हूं.’’

और कुछ ही दिनों में जब उस की अपनी सास बीमार हुई और औपरेशन करवाना पड़ा तो पूनम ने अपने बैंक अकाउंट में से पैसे निकलवा कर अपनी सास का दिल का औपरेशन करवाया और उस की सेवा में लग गई. उस के बाद उस ने अपनी नौकरी छोड़ सास का बुटीक भी पूरी तरह से संभाल लिया. सास और बहू अब मांबेटी बन गई थीं. पूनम मन ही मन सोचती रहती, ऐसा धर्म किस काम का जिस की दीवार इतनी बड़ी होती है कि उस के सामने खून के रिश्ते भी बौने हो जाते हैं? और अपने धर्म को निभाने के लिए खून से जुड़े रिश्तों ने उसे छोड़ दिया था. उस ने तो धर्म की वह दीवार ढहा दी थी और वह गुनगुना रही थी –

धर्म, जाति, ऊंचनीच की दीवारों को ढह जाने दो.

इस प्यार को हो जाने दो, इस प्यार को हो जाने दो…

मच्छर भगाइए बिना ‘ऑल आउट’ के

मौसम एक ओर जहां अपने साथ नई ताजगी लेकर आता है वहीं दूसरी ओर ढ़ेर सारी बीमारियां भी. ये मौसम मच्छरों के प्रजनन का होता है.

आप लाख दरवाजे और खिड़कियां बंद कर लीजिए लेकिन डेंगू, मलेरिया और जीका जैसी जानलेवा बीमारियों को फैलाने वाले ये मच्छर कहीं न कहीं से घर में घुस ही जाते हैं. इन मच्छरों को भगाने के लिए हम हर महीने सैकड़ों रुपए के कॉयल और लिक्व‍िड वेपराइजर खरीदते हैं. लेकिन फायदा कुछ नहीं होता. न तो मच्छर भागते हैं और न ही मरते हैं. वे कमरे में ही किसी कोने में छिप जाते हैं.

जैसे ही कॉयल खत्म होता है, वे कोने से बाहर निकल आते हैं और अपने नुकीले एंटीना चुभाना शुरू कर देते हैं. एक ओर जहां ये केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट काफी महंगे होते हैं वहीं ये बहुत प्रभावी भी नहीं होते. साथ ही इनसे निकलने वाले धुंए का बुरा असर हमारी सेहत पर भी पड़ता है. लेकिन आप चाहें तो घरेलू और नेचुरल तरीके से भी मच्छरों से राहत पा सकते हैं.

जॉन्सन बेबी क्रीम

अगर आपको ये पढ़कर हंसी आ रही है तो आपको बता दें कि ये कोई मजाक नहीं है. जॉन्सन बेबी क्रीम लगाकर आप मच्छरों से राहत पा सकते हैं.

नीम और लैवेंडर का तेल

नीम का तेल तो मच्छरों से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा उपाय है. विशेषज्ञों की मानें तो नीम का तेल किसी भी कॉयल और वेपराइजर की तुलना में दस गुना ज्यादा इफेक्ट‍िव होता है. नीम के तेल में एंटी-फंगल, एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता है. आप चाहें तो नीम के तेल को लैवेंडर ऑयल के साथ मिलाकर भी लगा सकते हैं.

नींबू और लौंग

एक नींबू को बीच से काट लें और उसमें कुछ लौंग धंसा दें. इस नींबू को उस जगह पर रख दें जहां मच्छरों के होने की आशंका सबसे अधिक हो. इस उपाय को करने से मक्खियां भी दूर रहती हैं.

तुलसी

अपने घर में तुलसी का एक पौधा लगा लें. तुलसी कई बीमारियों में फायदेमंद है. इसके साथ ही ये मच्छरों को दूर रखने में भी मददगार है. इसकी गंध से मच्छर घर से दूर ही रहते हैं.

लहसुन

लहसुन की 5 से 6 कलियों को कूट लें. इसे एक कप पानी में मिलाकर कुछ देर के लिए उबाल लें. इस पानी को एक स्प्रे बॉटल में भरकर घर के अलग-अलग कोनों में छिड़क दें. इसकी गंध से भी मच्छर दूर ही रहेंगे.

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लिवइन रिलेशनशिप: सही या गलत?

लिवइन रिलेशनशिप को सब से बड़ा नुकसान यह है कि लडक़ी को हमेशा यह संदेह रहता है कि अगर पार्टनर छोड़ कर चला गया तो वह आॢथक रूप से कमजोर हो जाएगी. लिवइन रिलेशन शिप भी शादी की तरह ही होते है जिन में लडक़ा ज्यादा कमाता है और घर खर्च का भार उठाता है अगर मकान, गाड़ी व्यवसाय लडक़े के नाम हो तो कुछ दिन बाद पार्टनर को ङ्क्षचता होने लगती है कि चाहे वह कमाऊ क्यों न हो, अलग हो जाने के बाद वह लिङ्क्षवग स्टैर्ड नहीं रख सकेगी जो पार्टनर के साथ रहने पर मिलता है और वहीं उसे हक भी न मिलेगा.

लिवइन जोड़ों में ये झगड़े बढऩे लगे हैं और पूनावाला व श्रद्धा का मामला उन में से एक है जिस की जड़ में फाइनेंशियल इनस्क्यिोरिटी रही लिवइन समझौता लड़कियों के लिए बहुत खतरनाक है तो केवल इसलिए कि दोनों मिल कर जो कमाते है उस से जो लाइफ स्टाइल मिलता है वह एक की कमाई से नहींं मिल सकता. पार्टनस में पैस को ले कर झगड़ा इसलिए आम बात है.

इस का कोई आसान हल नहीं अदालतों ने लड़कियों के दरवाजे खटखटाने पर लिवइन रिलेशनशिप के बावजूद उन्हें मैंनटेनैंस देनी शुरू कर दी है पर इस का कानूनी आधार नहीं है इस पर आपत्ति इसलिए नहीं होती कि लडक़ी जब अदालत का दरवाजा खटखटाती तो वाकई बुरी हालत में होती है.

लिवइन रिलेशनशिप को कानूनी जामा पहनाना भी गलत होगा क्योंकि यह लडक़ेलड़कियों की स्वतंत्रता को खत्म कर देगा. कुछ मामलों में हत्या तक बात पहुंच जाए केवल इसीलिए इन कच्चे संबंध पर लिमेंट पोतना भी संबंधों से फ्रीडम छीनना होगा.

यह तो मामला समझदारी का है. लिवइन में रहने वाले हरेक  को अपनी हैसीयत समझनी चाहिए और संबंध कभी भी टूट जाए, इस की तैयारी करते रहना चाहिए. लिवइन में पार्टनर में आंख मूंद कर भरोसा गलत होगा. लिवइन में फाइनेंस अलग रखे जाए और खर्चें इस तरह बढ़ा नहीं लिए जाए कि दो को अलग रहना तो मुश्किल हो जाए. लिवइन रिलेशनशिप एक ऐसी पार्टनरशिप है जिस में ट्रेन में एक कूपे में सफर करने वाले होते साथसाथ है पर अपना खर्च संपत्ति अलग रखते हैं.

लिवइन को बिना कानूनी आधार वाली आजाद शादी की शक्ल देना गलत है. शादी में ढेरों बंधन हैं जो सदियों से समाजों ने चाहे मनचाहे लगाए हैं. लड़कियों को यह समझ देर से आती है क्योंकि उन का माहौल और उन्हें जानकारी तो उन से मिलती है जो शादीशुदा है. वे ही बेचैन होती हैं. वे ही रिलेशनशिप को पक्का करने पर विवाद करती हैं, वे आमतौर पर पैसे के बारे ङ्क्षचतित रहती हैं.

Winter Special: सर्दियों की परेशानियों को कहें बायबाय

पपड़ीदार व रूखी त्वचा, कटेफटे होंठ, फटी एडि़यां आदि ऐसी आम समस्याएं हैं, जिन का सामना सर्दियों में सभी को करना पड़ता है. सर्दियों में हम रूमहीटर और ब्लोअर का भी इस्तेमाल करते हैं. इस से हमारी त्वचा का रूखापन बढ़ता है, क्योंकि ये हमारी त्वचा से नमी सोखते हैं, जिस से त्वचा बेजान और पोषणविहीन हो जाती है. इसीलिए हम आप को कुछ टिप्स दे रहे हैं, जिन पर गौर कर आप सर्दी के मौसम में भी पा सकती हैं दमकती त्वचा:

त्वचा में नमी बनाए रखें

त्वचा शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग है. इसे कोमल और पोषित बनाए रखने के लिए अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है. क्रीमयुक्त मौइश्चराइजर, औयल बाथ और नहाते समय विटामिन ई युक्त बौडी वाश का इस्तेमाल करने से त्वचा में नमी बरकरार रहती है.

बौडी लोशन आप घर पर भी बना सकती हैं. औलिव औयल, आमंड औयल और विटामिन के कुछ कैप्सूल्स का ऐक्स्ट्रैक्ट अच्छी तरह मिलाएं. आप का बौडी लोशन तैयार हो गया.

इस मौसम में एक बार सैलून में जा कर फेशियल या बौडी मसाज कराना भी फायदेमंद रहता है. फेशियल के लिए आप रैडिएंस ग्लो फेशियल का चयन कर सकती हैं. इस में भरपूर ऐंटीऔक्सीडैंट्स होते हैं, जो त्वचा में नमी के स्तर को संतुलित रखते हैं. सर्दियों में कोकोआ बटर से बौडी मसाज कराने से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है. कोकोआ बटर त्वचा को कोमल तो बनाता ही है, उसे दागधब्बे और मृत कोशिकाओं से भी मुक्त करता है.

कोमल होंठ

सूखे, पपड़ीदार, कटेफटे होंठों की समस्या से छुटकारा पाने का सब से आसान तरीका है कि अपने हैंडबैग में छोटा सा लिप बाम रखें. प्राकृतिक रूप से होंठों में नमी लाने के लिए नियमित तौर पर नारियल या बादाम तेल लगाएं. इस से सूखे होंठ जल्दी भरते हैं और उन का कालापन भी दूर होता है.

फटी एडि़यां

फटी एडि़यां न केवल बदसूरत दिखती हैं बल्कि उन में दर्द भी होता है. इस की प्रमुख वजह होती है. सर्दियों में परेशानी ज्यादा हो जाती है. फटी एडि़यों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए नियमित तौर पर उन की क्लीनिंग, स्क्रबिंग और मौइश्चराइजिंग जरूरी है. इस के लिए आप सैलून से इंटैंस मौइश्चराइजिंग पैडीक्योर करा सकती हैं.

इंटैंस मौइश्चराइजिंग पैडीक्योर से मांसपेशियों को आराम मिलना है. पैडीक्योर त्वचा में रक्तप्रवाह बढ़ा कर त्वचा को पोषण देता है. इस के अतिरिक्त नियमित रूप से पैट्रोलियम जैली, फुट क्रीम लगाने से भी फटी एडि़यों को आराम मिलता है. इस के अलावा धूल आदि से बचने के लिए मोजे या फिर बंद जूते पहनें.

हाथों, घुटनों और टखनों की देखभाल

अकसर सर्दियों में घुटने और टखने काले पड़ने लगते हैं. उन पर नीबू और शहद रगड़ने से उन का रंग निखरने के साथसाथ उन में नमी बरकरार रखने में मदद मिलती है.

किशोरावस्था में यौन संबंधों पर नियंत्रण

एक अध्ययन के अनुसार हाल के वर्षों में किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों में तेजी से वृद्धि होने का मुख्य कारण विवाह की उम्र का बढ़ना है. जीव विज्ञानियों के अनुसार, बच्चे शारीरिक रूप से 13 साल की उम्र में परिपक्व हो जाते हैं और उन में सैक्स की इच्छा जाग्रत होने लगती है, जबकि अब उन का विवाह औसतन 27 वर्ष की उम्र में होता है. ऐसी स्थिति में वे इतने लंबे समय तक सैक्स की इच्छा को दबा पाने में असमर्थ होते हैं और वे यौन संबंध स्थापित कर लेते हैं.

अध्ययन में पाया गया है कि लड़कियों की तुलना में लड़के सैक्स संबंध में अधिक रुचि लेते हैं, जबकि लड़कियां भावनात्मक लगाव पसंद करती हैं. लेकिन लड़कियां जब लड़कों से भावनात्मक रूप से जुड़ती हैं, तो वे भी यौन संबंध की इच्छा प्रकट करने लगती हैं. आम धारणा है कि लड़कियां खुद को सैक्स से दूर रखना चाहती हैं, लेकिन इस का कारण परिवार और समाज का डर होता है. इसलिए इस से यह साबित नहीं होता कि लड़कियों में यौन इच्छा कम होती है.

कुछ लड़कियों का मानना है कि यौन संबंध के बगैर भी किसी लड़के से दोस्ती निभाई जा सकती है, लेकिन कुछ समय बाद भी जब लड़की यौन संबंध के लिए राजी नहीं होती है, तो उसे असामान्य मान लिया जाता है और उन की दोस्ती टूट जाती है. इसलिए मजबूरीवश भी लड़कियों को इस के लिए तैयार होना पड़ता है. कुछ लड़कों का कहना है कि लड़कियां शर्मीले स्वभाव की होती हैं, इसलिए वे सैक्स के मामले में पहल नहीं करती हैं, लेकिन बाद में इस के लिए तैयार हो जाती हैं.

किशोर लड़केलड़कियों के बीच यौन संबंध महानगरों में तो आम बात हैं ही, छोटे शहर व कसबे भी अब इन से अछूते नहीं हैं. कुछ लड़कों का कहना है कि कौमार्यता उन के लिए कोई माने नहीं रखती. शादी से पहले यौन संबंध बनाना कोई बुरी बात नहीं है. जबकि कुछ लड़कियों का कहना है कि इस मामले में लड़के दोहरा मानदंड अपनाते हैं. एक तरफ तो वे शादी से पूर्व शारीरिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन शादी के मामले में वे ऐसी लड़की से ही शादी करना चाहते हैं, जिस ने शादी से पूर्व यौन संबंध स्थापित न किए हों.

यौन संबंधों की शुरुआत

किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों की शुरुआत शारीरिक आकर्षण से होती है. जब लड़कालड़की एकदूसरे से सम्मोहित हो जाते हैं, तो वे एकदूसरे को प्यार से छूते और चूमते हैं और फिर बहुत जल्द ही उन में यौन संबंध कायम हो जाते हैं. लेकिन प्यार और दोस्ती उसी अवस्था में अधिक दिनों तक कायम रह पाती है जब शारीरिक संबंधों को महत्त्व न दिया जाए. जब प्यार पर सैक्स हावी हो जाता है तो जल्द ही उन का मन सैक्स से भर जाता है और संबंध टूट जाते हैं, क्योंकि यहां भावनात्मक लगाव कम या कह सकते हैं कि न के बराबर होता है. माना जाता है कि ऐसे मामलों में लड़कियां खुद को अधिक असुरक्षित महसूस करती हैं.

अधिकतर मामलों में वे लड़कों पर आंख बंद कर विश्वास नहीं करतीं. कभीकभी वे बड़ों से भी सलाह लेती हैं. लड़कियां किशोरावस्था में अपने व्यक्तित्व के विकास पर अधिक ध्यान देती हैं. वे लड़कों के बराबर चलना चाहती हैं. लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि लड़कियां संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं लेतीं, बल्कि वे इस में बराबर की भागीदार होती हैं. कुछ लड़कों का तो यहां तक कहना है कि आज के समय में लड़कियां लड़कों से आगे हो गई हैं. वे लड़कों के बीच भेदभाव पैदा कर देती हैं. सैक्स एवं यौन संबंधों के बारे में जानकारी के मुख्य स्रोत टैलिविजन, पत्रपत्रिकाएं, सिनेमा आदि हैं. लेकिन सैक्स शिक्षा के अभाव तथा सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे भटक जाते हैं. इस का सब से अधिक खमियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ता है.

लड़कियां यौन संबंध स्थापित तो कर लेती हैं, लेकिन गर्भनिरोध की जानकारी के अभाव में वे गर्भवती हो जाती हैं. हालांकि अधिकतर मातापिता का यह कहना है कि भारत में गैरशादीशुदा किशोर लड़कियों में गर्भवती होने के बहुत कम मामले होते हैं. शिक्षकों का भी यही मानना है. इस का कारण यह है कि मातापिता और शिक्षक इस मामले में अनभिज्ञ होते हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में उन्हें पता ही नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध बनाए हुए हैं. बच्चे भी डर से ऐसी बातें मातापिता या शिक्षकों को नहीं बताते. लड़केलड़कियां खुद ही गर्भपात कराने डाक्टर के पास चले जाते हैं. ऐसे मौके पर उन के दोस्त उन का साथ देते हैं. हालांकि कुछ मामलों में लड़कियां गर्भपात नहीं कराना चाहतीं, लेकिन चूंकि उन के पास दूसरा कोई उपाय नहीं होता, इसलिए अंतत: उन्हें गर्भपात कराना ही पड़ता है.

इंटरनैशनल प्लांड पैरेंटहुड फैडरेशन के अनुसार विश्व भर में हर साल कम से कम 20 लाख युवतियां गैरकानूनी गर्भपात कराती हैं. चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं की तुलना में किशोरवय की लड़कियों में गर्भपात अधिक घातक साबित होता है. अवैध और असुरक्षित यौन संबंध एड्स का बहुत बड़ा कारण है. हालांकि एड्स के भय से अब एक ही साथी से यौन संबंध बनाने में लड़केलड़कियां अधिक रुचि रखने लगे हैं, फिर भी शारीरिक संबंध बनाने के समय वे कोई सावधानी नहीं बरतते. कुछ स्कूलों में बच्चों को एड्स के बारे में शिक्षा दी जाने लगी है और कुछ मातापिता भी अपने बच्चों को एड्स तथा सुरक्षित सैक्स की जानकारी देने लगे हैं. फिर भी एचआईवी के नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे एकीकृत राष्ट्रीय कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी के नए मामलों में 60% मामले 15 से 24 वर्ष के बीच के युवाओं के पाए गए. इन में लड़कों की तुलना में दोगुनी लड़कियों में एड्स के मामले पाए गए.

अधिकतर मामलों में मातापिता को पता नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध स्थापित किए हुए हैं. फिर भी यदि मातापिता और शिक्षक चाहें तो सैक्स अपराध को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं. इस के लिए बच्चों को समय पर उचित सैक्स शिक्षा दी जानी चाहिए. प्रतिकूल हालात में उन की मदद करनी चाहिए. इस के अलावा उन्हें अपनी ऊर्जा किसी खेल या इसी तरह के दूसरे किसी शौक में लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

आज एड्स जैसी बीमारियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. ऐसे में किशोरों में फैल रही यौन उच्छृंखलता पर नियंत्रण आवश्यक है. इस के लिए किशोरों को सैक्स से दूर रहने की शिक्षा देने या सैक्स के बारे में आधीअधूरी जानकारी देने के बजाय उन्हें सही अर्थों में सैक्स के बारे में ज्ञानवान बनाया जाना चाहिए ताकि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए सही मार्ग अपना सकें.

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