ब्रेन स्ट्रोक से इस एक्ट्रेस का हुआ निधन, 24 साल की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा

पिछले दिनों एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से कई बुरी खबरें सामने आ रही हैं, जिनमें कम उम्र के कलाकारों की अचानक मौत फैंस को हैरान कर रही है. इसी बीच बीते लगभग एक महीने ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रहीं बंगाली एक्ट्रेस ऐन्द्रिला शर्मा (Aindrila Sharma Died) जिंदगी की जंग हार गई हैं. वहीं रविवार को एक्ट्रेस को 24 साल की कम उम्र में निधन हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

कैंसर से लड़ चुकी थीं ऐन्द्रिला

 

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‘जियो काठी’, ‘झुमुर’ और ‘जीवन ज्योति’ जैसे सीरियल्स का हिस्सा रह चुकीं एक्ट्रेस ऐन्द्रिला शर्मा बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की रहने वाली थीं. वहीं दो बार कैंसर को मात भी दे चुकी थीं और टीवी इंडस्ट्री में लगातार काम कर रही थीं. लेकिन गंभीर बिमारी से जूझने के बाद भी वह ठीक नहीं हुई और उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ, जिसके बाद बीते दिन उनका निधन हो गया.

इस बीमारी से थीं पीड़ित

 

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एक्ट्रेस ऐन्द्रिला शर्मा गंभीर बीमारी इविंग सारकोमा से पीड़ित थीं, जो कि बेहद दुर्लभ कैंसर है, जिसमें हड्डियों में या हड्डियों के आसपास के कोमल ऊतकों में होता है. इस बीमारी का इलाज सर्जरी और कीमोरैडिएशन के जरिए किया जाता था. वहीं बीते एक नवंबर को ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद एक्ट्रेस को हावड़ा के एक निजी हौस्पिटल में एडमिट किया गया था, जिसके बाद 20 नवंबर को 24 साल की उम्र में एक्ट्रेस ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

बता दें, एक्ट्रेस के निधन पर बंगाली टीवी इंडस्ट्री के कई सेलेब्स ने दुख जताया है. यही नहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी एक्ट्रेस की मौत पर उनके परिवार को सांत्वना देने की बात कही है.

कीमत: क्या थी वैभव की कहानी

वैभव खेबट एक दिन के लिए मुंबई गया था. उसे विदा करने के बाद उस की पत्नी नेहा और भाभी वंदना घर से बाहर जाने को तैयार हो गईं.

‘‘कोई भी मुश्किल आए, तो फोन कर देना. हम फौरन वहीं पहुंच जाएंगे,’’ इन की सास शारदा ने दोनों को हौसला बढ़ाया.

‘‘इसे संभाल कर रख लो,’’ ससुर रमाकांत ने एक चैकबुक वंदना को पकड़ाई, ‘‘मैं ने 2 ब्लैंक चैक साइन कर दिए हैं. आज इस समस्या का अंत कर के ही लौटना.’’

‘‘जी, पिताजी,’’ एक आत्मविश्वासभरी मुसकान वंदना के होंठों पर उभरी.

दोनों बहुओं ने अपने सासससुर के पैर छू कर आशीर्वाद लिया और दरवाजे की तरफ चल पड़ीं. रमाकांत जब से शहर आए हैं, शहरी बन कर जी रहे हैं पर उन के पिता गांव के चौधरी थे और जानते थे कि टेढी उंगली से घी निकालना आसान नहीं है पर निकाला जा सकता है. वे तो कितने ही चुनाव जीत चुके थे और उन के चेलेचपाटे हर तरफ बिखरे पड़े थे. वे अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे.

कार से उन्हें रितु के फ्लैट तक पहुंचने में 40 मिनट का समय लगा.

‘‘नेहा, ध्यान रहे कि तुम्हें उस के सामने कमजोर नहीं दिखना है. नो आंसुं, नो गिड़गिड़ाना, आंखों में नो चिंता, ओके.’’ वंदना ने रितु के फ्लैट के दरवाजे के पास पहुंच कर अपनी देवरानी को हिदायतें दीं.

‘‘ओके,’’ नेहा ने मुसकराने के बाद एक गहरी सांस खींची और आने वाली चुनौती का सामना करने को तैयार हो गई.

मैजिक आई में से उन दोनों को देखने के बाद रितु ने दरवाजा खोला और औपचारिक सी मुसकान होंठों पर सजा कर बोली, ‘‘कहिए.’’

‘‘रितु, मैं वंदना खास हूं और यह मेरी देवरानी नेहा है,’’ वंदना ने शालीन लहजे मैं उसे परिचय दिया.

नामों से उन दोनों को पहचानने में रितु को कुछ देर लगी, पर जब नामों का महत्त्व उस की समझ में आया, तो उस के चेहरे का रंग एकदम से फीका पड़ गया था.

‘‘मुझ से क्या काम है आप दोनों को?’’ अपनी आवाज में घबराहट के भावों को दूर रखने की कोशिश करते हुए उस ने सवाल किया.

‘‘तुम ने शायद अभी तक हमें पहचाना नहीं है?’’

‘‘आप वैभव सर की भाभी और ये सर की वाइफ हैं न.’’

‘‘करैक्ट,’’ वंदना ने उस की बगल से हो कर फ्लैट के अंदर कदम रखा, ‘‘आगे की बात हम अंदर बैठ कर करें, तो तुम्हें कोई एतराज होगा?’’ “आइए,” अब घबराहट की जगह चिंता के भाव रितु की आवाज में पैदा हुए और उस ने एक तरफ हो कर वंदना व नेहा को अंदर आने का पूरा रास्ता दे दिया.

ड्राइंगरूम में उन दोनों के सामने सोफे पर बैठते हुए रितु ने पूछा, ‘‘आप चाय या कुछ ठंडा लेंगी?’’

‘‘नो, थैंक्स, हम जो बात करने आए हैं, उसे शुरू करें?’’ वंदना एकदम से गंभीर हो गई.

‘‘करिए,’’ रितु ने बड़ी हद तक अपनी भावनाओं नियंत्रित कर लिया था.

वंदना ने अर्थपूर्ण लहजे में नेहा की तरफ देखा. नेहा ने एक बार अपना गला साफ किया और रितु से मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम सचमुच किसी फिल्मस्टार जैसी सुंदर हो. वैभव को अपने प्रेमजाल में फंसाना तुम्हारे लिए बड़ा आसान रहा होगा.’’

‘‘न, न, सफाई दे कर इस आरोप से बचने की कोशिश मत करो, रितु,’’ वंदना ने रितु को कुछ बोलने से पहले ही टोक दिया, ‘‘इन तसवीरों को देख लोगी, तो हम सब का काफी वक्त बरबाद होने से बच जाएगा. इन के प्रिंट कुछ दिनों पहले ही लिए गए हैं. मोबाइल पर और बहुत सी हैं.” और वंदना ने अपने बैग से निकाल कर कुछ तसवीरें रितु को पकड़ा दीं.

उन पर नजर डालने के बाद पहले तो रितु डर सी गई, लेकिन धीरेधीरे उस की आंखों से गुस्सा झलकने लगा. उस ने तसवीरें मेज पर फेंक दीं और खामोश रह कर उन दोनों की तरफ आक्रामक नजरों से देखने लगी.

‘‘इन तसवीरों से साफ जाहिर हो जाता है कि तुम वैभव की रखैल हो और…’’

‘‘आप तमीज से बात कीजिए, प्लीज,’’ रितु ने वंदना को गुस्से से भरी आवाज में टोक दिया.

‘‘आई एम सौरी, पर शादीशुदा आदमी से संबंध रखने वाली स्त्री को रखैल नहीं तो फिर क्या कहते हैं, रितु?’’

‘‘आप दोनों यहां से चली जाओ. मैं इस बारे में कोई भी बात वैभव की मौजूदगी में ही करूंगी.’’

‘‘ऐसा,’’ वंदना झटके से उठी और रितु का हाथ मजबूती से पकड़ कर बोली, ‘‘आओ, मैं इस खिडक़ी से तुम्हें कुछ दिखाना चाहती हूं.’’

रितु को लगभग खींचती सी वंदना खुली खिडक़ी के पास ले आई और नीचे सडक़ पर खड़े एक व्यक्ति की तरफ इशारा कर बोली, ‘‘यह आदमी रुपयों की खातिर कुछ भी कर सकता है और दौलत की हमारे पास कोई कमी नहीं है. इस तथ्य से तुम भलीभांति परिचित न होतीं, तो वैभव को अपने जाल में फंसाती ही नहीं.’’

‘‘आज यह आदमी हमारे साथ तुम्हारा फ्लैट देखने आया है. हमें उंगली टेढ़ी करने को मजबूर मत करो, नहीं तो अपने भलेबुरे के लिए तुम खुद जिम्मेदार होगी.’’

वंदना ने उसे से धमकी धीमी पर बेहद कठोर आवाज में दी थी. एक बार को तो ऐसा लगा कि रितु भडक़ कर तीखा जवाब देगी, पर उस ने ऐसा करना उचित नहीं समझा और वापस अपनी जगह आ बैठी.

जब रितु ने कुछ और बोलने के लिए मुंह नहीं खोला तो नेहा ने वार्त्तालाप आगे बढ़ाया, ‘‘हमारी तुम से कोई दुश्मनी नही है, रितु, लेकिन हम आज इस समस्या का स्थाई हल निकाल कर ही यहां से जाएंगी. हमें उम्मीद है कि तुम ऐसा करने में अपना पूरा सहयोग दोगी.’’

‘‘मुझ से कैसा सहयोग चाहिए?’’ रितु ने माथे में बल डाल कर पूछा.

‘‘तुम्हारे इस सवाल का जवाब देने से पहले मैं तुम से कुछ पूछना चाहती हूं.’’

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि तुम्हें वैभव चाहिए या उसे छोड़ कर उस की जिंदगी से बहुत दूर चली जाने की अच्छीखासी कीमत.’’

‘‘क्या मतलब?’’ रितु जोर से चौंक पड़ी.

‘‘मतलब मैं समझाती हूं,’’ वंदना बीच में बोल पड़ी, ‘‘देखो, अगर तुम्हें विश्वास हो कि वैभव और तुम्हारे बीच प्यार की जड़ें मजबूत और गहरी हैं, तो तुम उसी को चुनो. नेहा वैभव को तलाक दे देगी क्योंकि वह उसे किसी के भी साथ बांटने को तैयार नहीं है. लेकिन अगर तुम वैभव के साथ सिर्फ मौजमस्ती के लिए प्रेम का खेल खेल रही हो, तो हम तुम्हें इस खेल को सदा के लिए खत्म करने की कीमत देने को तैयार हैं.’’

‘‘मुझे नहीं लगता कि तुम वैभव को आसानी से तलाक देने के लिए तैयार हो जाओगी,’’ कुछ पलों के सोचविचार के बाद रितु ने नेहा को घूरते हुए ऐसी शंका जाहिर की, तो देवरानी व जेठानी दोनों ठहाका मार कर इकट्ठी हंस पड़ीं.

अपनी हंसी पर काबू पाते हुए नेहा ने जवाब दिया, ‘‘यू आर वेरी राइट, रितु. जिस इंसान के साथ मैं 5 साल से शादी कर के जुड़ी हुई हूं और जो मेरी 2 साल की बेटी का पिता है, यकीनन उसे मैं आसानी से तलाक नहीं दूंगी. मुझे बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी इस काम को करने के लिए.’’

‘‘तुम्हें कैसी मेहनत करनी पड़ेगी,’’ रितु की आंखों में उलझन के भाव उभरे.

‘‘मुझे वैभव के मन में अपने लिए इतनी नफरत पैदा करनी पड़ेगी कि वह मुझे तलाक देने पर तुल जाए. उस के दिल को बारबार गहरे जख्म देने पड़ेंगे, माई डियर.’’

‘‘और यह काम तुम कैसे करोगी?’’

‘‘बड़ी आसानी से. तुम उसे अगर बहुत प्यारी होगी, तो वह तुम्हें दुख और परेशान देख कर जरूर गुस्से और नफरत से धधकता ज्वालामुखी बन जाएगा.’’

वंदना ने उस की बात का आगे खुलासा किया, ‘‘नेहा रोज तुम से मिलना शुरू कर देगी. तुम्हें तंग करने और तुम्हारा नुकसान करने का कोई मौका यह नहीं चूकेगी. वैभव इसे मना करेगा पर यह न मानेगी. बस, कुछ दिनों में ही वैभव इस से बहुत ज्यादा खफा हो कर तलाक लेने की जिद पकड़ लेगा और तुम्हारी लौटरी निकल आएगी.’’

‘तुम दोनों पागल हो. प्लीज, मेरा दिमाग न खराब करो और यहां से जाओ,’’ रितु ने चिढ़े अंदाज में उन के सामने हाथ जोड़ दिए.

‘‘इस ने मुझे पागल कहा है. मैं पागल नहीं हूं,’’ नेहा अचानक ही जोर से चिल्लाई और उस की अगली हरकत रितु का खून सुखा गई. गुस्से से कांप रही नेहा ने पास में रखा सुंदर फूलदान उठाया और उसे फर्श पर पटक कर चूरचूर कर दिया.

फूलदान के टूटने की आवाज में बुरी तरह से डरी हुई रितु के चीखने की आवाज दब गई थी.

‘‘जैसे चोर को चोर कहो तो वह गुस्सा हो जाता है, वैसे ही पागल हो पागल कहो तो वह नाराज हो उठता है. इस फूलदान के टूटने की टैंशन मत लो. हर टूटफूट को मैं नोट कर रही हूं और उन की कीमत चुका कर जाऊंगी,’’ वंदना ने धीमी आवाज में रितु से कहा और फिर बैग से डायरी निकाल कर उस में पैन से फूलदान की कीमत एक हजार रुपए लिख ली.

नेहा ने टूटे फूलदान का जोड़ीदार मेज पर से उठाया और कमरे में इधर से उधर चहलकदमी करने लगी. बीचबीच में वह जब भी रितु को घूर कर देखती, तो उस बेचारी का डर के मारे दिल कांप जाता.

‘‘टैंशन मत लो, यार. ये इंसानों के साथ हिंसा नहीं करती है,’’ वंदना की इस सलाह को मानते हुए नेहा अपनी जगह आ कर बैठ गई.

कुछ देर तो नेहा ने रितु को गुस्से से घूरना जारी रखा. फिर अचानक बड़ी प्यारी सी मुसकान वह अपने होंठों पर लाई और उस से पूछा, ‘‘तो मेरी सौतन को वैभव चाहिए, या उसे छोडऩे की कीमत.’’

‘‘म…मैं वैभव की जिंदगी से निकल जाऊंगी,’’ रितु ने थूक सटकते हुए जवाब दिया.

‘‘गुड, वैरी गुड,’’ नेहा ने खुश हो कर ताली बताई, ‘‘लेकिन हमें कैसे विश्वास हो कि तुम सच कह रही हो.’’

‘‘मैं सच ही बोल रही हूं.’’

‘‘भाभी, क्या हमें इस की बात पर विश्वास कर लेना चाहिए,’’ नेहा वंदना की तरफ घूमी.

‘‘हमारा विश्वास है कि ये अपने कार्यों से जीतेगी, न कि सिर्फ बातों से,’’ वंदना ने अजीब सा मुंह बनाते हुए जवाब दिया.

‘‘हमारे गांवों में जब भी चौपाल पर फैसले होते थे, लोग तब तो हां कर देते थे पर बाद में मुकर जाते थे. हां, जिन औरतों के मर्द दूसरी औरतों के चक्कर में पड़ जाते थे वे तो देवी आने का नाटक बहुत दिनों तक कर सकती थीं. कौन जाने कितनी असल में मानसिक बीमार होती थीं, कितनी स्वांग करती थीं. नेहा ने कहां, क्या सीखा, मैं नहीं जानती.’’

‘‘और हमारा विश्वास जीतने वाले कार्य क्या हैं, भाभी?’’

‘‘नौकरी से इस्तीफा देने के बाद इस शहर को हमेशा के लिए छोड़ कर जाना.’’

‘‘तुम पाग…’’ फूलदान वाली घटना को याद कर रितु ने अपनी जबान को शब्द पूरा करने से रोका और उन से झगड़ालू लहजे में बोली, ‘‘जो काम हो नहीं सकता, उसे करने के लिए मुझे मत कहो. मैं अपनी अच्छीखासी नौकरी छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगी.’’

वंदना ने अपने मोबाइल पर एक नंबर मिलाते हुए रितु से कहा, ‘‘मेरे ससुर मिस्टर आनंद खेवट की सोसाइटी में बड़ी धाक है और उन की पहुंच ऊंचे लोगों तक है. उन्होंने तुम्हारा तबादला तुम्हारी होम सिटी बेंगलुरु की शाखा में करा दिया है. मैं तुम्हारे एमडी मिस्टर राजन से तुम्हारी बात कराती हूं.’’ तुम जानती हो न रिजर्वेशन वालों का समाज कई बार एकजुट हो जाता है.

संपर्क स्थापित होते ही वंदना ने मिस्टर राजन से कहा, ‘‘सर, मैं आनंद खेबट की बड़ी बहू वंदना बोल रही हूं. उन्होंने आप से बात…जी, मैं रितु को फोन देती हूं. थैंक यू वैरी मच, सर.’’

वंदना ने मोबाइल रितु को पकड़ा दिया था. उस बेचारी को अपने एमडी से मजबूरन बात करनी पड़ी.

‘‘गुड मौर्निंग सर. …नहीं सर, यह तो मेरे लिए अच्छी खबर है. सर, क्या मैं आज ही चार्ज दे सकती हूं. आई एम ग्रेटफुल टु यू, सर. थैंक यू वैरी मच, सर. गुड डे टु यू, सर.’’

वंदना का मोबाइल वापस करते हुए उस ने हैरान लहजे में पूछा, ‘‘जिस तबादले के लिए मैं सालभर से नाकाम कोशिश कर रही थी, उसे इतनी आसानी से तुम लोगों ने कैसे करा लिया?’’

‘‘अभी तुम ने देखा ही क्या है. अब इसे भी लगेहाथ संभाल लो,’’ उस की प्रशंसा को नजरअंदाज करते हुए वंदना ने बेंगलुरु का एक प्लेन टिकट उसे पकड़ा दिया, “इस का बोर्डिंग पास भी ले लिया गया है.”

‘‘यह आज शाम की फ्लाइट है,’’ नेहा ने अपनी आवाज में नकली मिठास घोल कर उसे समझाया.

‘‘इस तरह की जोरजबरदस्ती मैं नहीं सहूंगी. मैं तुम लोगों के साथ सहयोग करने को तैयार हूं, पर अपनी सहूलियत को ध्यान में रख कर ही मैं बेंगलुरु जाने का कार्यक्रम बनाऊंगी,’’ रितु एकदम से चिढ़ उठी.

‘‘अपनी सहूलियत का ध्यान रखोगी तो तुम्हारा 5 लाख रुपए का नुकसान हो जाएगा.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘तुम्हारी जिंदगी को अस्तव्यस्त करने वाली इतनी ज्यादा हलचल पैदा करने का हम इतना ही मुआवजा तुम्हें देना चाहते हैं.’’

‘‘रियली.’’

‘‘यैस.’’

‘‘लेकिन, मुझे पैकिंग करनी होगी, चार्ज देने औफिस भी जाना है. मुझे 2-3 दिन का समय…’’

‘‘कतई नहीं मिलेगा,’’ वंदना ने उसे टोक दिया, ‘‘यह डील इसी बात पर निर्भर करती है कि तुम आज ही वैभव की जिंदगी से सदा के लिए निकल जाओ. फिर एक सूटकेस को पैक करने में देर ही कितनी लगती है.’’

‘‘मेरे बाकी के सामान का क्या होगा.’’

‘‘उसे कभी बाद में आ कर ले जाना. हम दोनों आज भी पैकिंग कराने में तुम्हारी हैल्प करेंगी और उस दिन भी जब तुम बाकी का सामान लेने वापस आओगी.’’

‘‘मेरा सारा जरूरी सामान एक सूटकेस में नहीं आएगा.’’

‘‘तुम किसी नई जगह नहीं, बल्कि अपने मातापिता के घर जा रही हो. फिर 5 लाख रुपयों से तुम मनचाही खरीदारी कर सकती हो.’’

‘‘मुझे इस फ्लैट का किराया देना है.’’

‘‘वह भी हम दे देंगे और तुम्हारे 5 लाख रुपए में से वह रकम काटेंगे भी नहीं. और कोई समस्या मन में पैदा हो रही हो, तो बताओ.’’

रितु को इस सवाल का कोई जवाब नहीं सूझा, तो वंदना और नेहा दोनों की आंखों में सख्ती के भाव उभर आए.

पहले वंदना ने उसे चेतावनी दी, ‘‘इस फ्लैट का अगले 3 महीने तक किराया हम देंगे. तुम्हारे सामान को बेंगलुरु तक भिजवाने का खर्चा भी हमारे सिर होगा. तुम्हारा ट्रांसफर मनचाही जगह हो ही गया है. ऊपर से तुम्हें 5 लाख रुपए और मिलेंगे.’’

‘‘इन सब के बदले में हम इतना चाहते हैं कि तुम वैभव की जिंदगी से पूरी तरह से निकल जाओ. न कभी उसे फोन करना, न कभी उस के फोन का जवाब देना. क्या तुम्हें हमारी यह शर्त मंजूर है?’’

रितु कुछ जवाब देती उस से पहले नेहा बोल पड़ी, ‘‘रितु, तुम्हारे मन में हमें डबल क्रौस कर वैभव से किसी भी तरह जुड़े रहने का खयाल आ सकता है. उस स्थिति में तुम हमारी यह चेतावनी ध्यान रखना.’’

‘‘वैभव की दौलत तुम्हें उस की तरफ आकर्षित करती है, तो उस दौलत के ऊपर हम दोनों का भी हक है, यह तुम कभी मत भूलना. आज हम वैभव की गलती का मुआवजा तुम्हें खुशी से दे रहे हैं. अगर कल को तुम ने हमें धोखा दिया, तो उस की दौलत की ताकत के बल पर हम तुम्हारा भारी नुकसान करने में जरा भी नहीं हिचकिचाएंगी.’’

‘‘मैं वैभव सर से कोई संबंध नहीं रखूंगी,’’ नेहा की आंखों से फूट रही चिनगारियों से घबरा कर रितु ने फौरन वादा किया और फिर हिम्मत कर के आगे बोली, ‘‘लेकिन मुझे 5 लाख रुपए की रकम मिल जाएगी, मैं इस बात का कैसे विश्वास करूं?’’

‘‘अगर हमारा चैक बाउंस हो जाए, तो तुम भी अपना वादा तोड़ कर वैभव से फिर संबंध जोड़ लेना.’’

‘‘ठीक बात है. मुझे रुपए मिल गए तो मैं उन की जिंदगी से हमेशा के लिए निकल जाऊंगी.’’

‘‘क्या तुम सच बोल रही हो?’’

‘‘बिलकुल.’’

‘‘हमें किसी तरह की शिकायत ले कर तुम से मिलने बेंगलुरु तो नहीं आना पड़ेगा?’’

‘‘न…नहीं.’’

‘‘अपना भलाबुरा पहचानती हो, तो अपने इस वादे को कभी न तोडऩा,’’ नेहा ने अचानक ही दूसरा फूलदान उठा कर फर्श पर दे मारा, तो रितु की इस बार भी चीख निकल गई.

वे दोनों रितु को गुस्से से घूर रही थीं. बुरी तरह से डरी रितु उन की आंखों में देखने की हिम्मत पैदा नहीं कर सकी और उस ने नजरें झुका लीं.

‘‘अब उठो और फटाफट पैकिंग करनी शुरू करो,’’ वंदना के इस आदेश पर रितु फौरन उठ कर अपने शयन कक्ष की तरफ चल पड़ी थी.

टीन क्रश: जिम्मेदारी का एहसास

किशोरावस्था मनुष्य के जीवनकाल का वह समय है, जब न तो बचपन रहता है और न ही जवानी आई होती है. यह दौर किशोरों में शारीरिक व मानसिक परिवर्तन व विकास का होता है. बदलावों के इस दौर से गुजर रहे किशोरों में क्रश के भाव उपजना आम बात है. क्रश एक तरह का आकर्षण है, जो उस के साथ पढ़ने वाले किशोर या किशोरी किसी के प्रति भी उपज सकता है.

क्रश को ज्यादातर लोग प्यार की श्रेणी में ही रख कर देखते हैं, लेकिन यह प्यार से एकदम अलग होता है, क्योंकि प्यार एक बार हो गया तो यह जीवन भर बना रहता है. किशोरों में होने वाला क्रश जनून की हद तक जा सकता है. क्लास में एकदूसरे के हावभाव, बौडी लैंग्वेज, पढ़ाई में तेजतर्रार होने, अलग पहनावा व हेयरस्टाइल, बनसंवर कर रहने के चलते भी हो सकता है. कभीकभी किसी की मासूमियत देख कर भी क्रश हो सकता है.

किशोरावस्था में होने वाले क्रश के दौर में अगर सावधानी न बरती जाए तो यह कैरियर व पढ़ाई को तो बरबाद करता ही है साथ ही जिस के प्रति आकर्षण है उस की पढ़ाई व कैरियर भी चौपट हो सकता है. ऐसे में क्रश विपरीत लिंग के प्रति मात्र आकर्षण ही नहीं बढ़ाता बल्कि जिम्मेदारी का एहसास कराने की पहली सीढ़ी भी माना जाना चाहिए. अगर आप के किशोर मन में किसी के प्रति आकर्षण है तो उस के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभा कर उस की नजर में अच्छे बन सकते हैं.

क्रश को बनाएं जिम्मेदारी

आप को जब भी किसी के प्रति क्रश हो तो उस के पीछे न भागें और न ही उसे ले कर पढ़ाई व कैरियर से मुंह मोड़ें बल्कि उसे भी समझने की कोशिश करें और जरूरत पड़ने पर उस की पढ़ाईलिखाई में भी मदद करें. कई बार देखा गया है कि जिस के प्रति आप क्रश के भाव रखते हैं वह अपनी पढ़ाई व कैरियर को ले कर निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होता. ऐसे में उसे एहसास करा सकते हैं कि आप उस के करीबियों में से हैं और उस की समस्या का निदान आसानी से कर सकते हैं. अगर आप को उस के पढ़ाई व कोर्स से जुडे़ सवालों के जवाब न भी पता हों तो अपने किसी जानने वाले की मदद से उस की मदद कर सकते हैं.

कभीकभी पढ़ाई के बीच कैरियर का सवाल आप के क्रश के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर देता है. ऐसे में आप उसे उबारने में बेहतर मददगार साबित हो सकते हैं. आप उसे समझा सकते हैं कि उस का मन जिस कैरियर को चुनने के लिए गवाही दे रहा हो, वह उसे चुने.

आप की यह जिम्मेदारी आप के क्रश को एहसास करा सकती है कि आप उस का भला ही सोचते हैं. जैसा कि जाहनवी के साथ हुआ. 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली जाहनवी का अपने सहपाठी नीरज के साथ क्रश था, जिस के चलते वह स्कूल जल्दी पहुंच जाती और स्कूल के गेट पर खड़ी हो कर नीरज का इंतजार करती. नीरज के स्कूल आने के बाद जाहनवी का मन गुलजार हो जाता, लेकिन  जिस दिन नीरज स्कूल न आता उस दिन जाहनवी का मन पढ़ाई में नहीं लगता.

जब नीरज को जाहनवी के इस लगाव के बारे में पता चला तो उस का भी जाहनवी के प्रति आकर्षण बढ़ गया. परंतु वह समझदार निकला. उसे लगा कि इस के चलते जाहनवी की पढा़ई व कैरियर पर प्रभाव पढ़ रहा है. अत: उस ने उसे सचेत किया और कहा कि हम एकदूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन इस का हमारी पढ़ाई पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए.

साथ ही उस ने उस की पढ़ाई में भी मदद की. इस से जाहनवी अपनी क्लास के बच्चों के समकक्ष पहुंच गई. इस प्रकार जिम्मेदारी का एहसास हो तो क्रश मजबूत बनता है वरना बरबादी का कारण.

बुरी आदतों को छुड़ाने में करें मदद

अगर आप के साथ किसी का क्र्रश है तो आप सिर्फ उस की पढ़ाईलिखाई या कैरियर के मामले में ही मदद नहीं कर सकते बल्कि आप उस में आई बुराई को भी दूर करने में मदद कर सकते हैं. आप के क्रश को तंबाकू, सिगरेट, गुटका, शराब आदि व्यसनों की लत है तो उस की इस बुरी लत को छुड़ाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं. आप इन से होने वाली हानि से बचाने के लिए उस से जुड़ी जागरूकता सामग्री, पत्रपत्रिकाएं, साहित्य, गिफ्ट कर उन की मदद कर सकते हैं. अगर आप के प्रयास के चलते आप का क्रश इन बुरी आदतों को छोड़ता है तो निश्चित ही उस का लगाव आप के प्रति और बढ़ जाएगा.

सोशल मीडिया से डालें मदद करने की आदत

अगर आप खुद के क्रश के लिए सचमुच समर्पित हैं तो इस में सोशल मीडिया आप का बेहतर मददगार साबित हो सकता है. आप सोशल मीडिया के जरिए अपने साथी के सवालों का समाधान चैट बौक्स या वीडियो कौलिंग के जरिए कर सकते हैं.

सैक्स संबंध बनाने से बचें

चिकित्सक डा. श्यामनारायण चौधरी के अनुसार किशोरावस्था में अपने से विपरीत लिंग के प्रति क्रश होना और उस को ले कर सैक्स संबंध बनाने के सपने देखना आम बात है. इस का एक बड़ा कारण किशोरों में कई तरह के हारमोनल चेंज

होना है. ऐसी स्थिति में किशोर जिस से क्रश रखते हैं उस के साथ सैक्स अपराध करने में भी नहीं हिचकते. ऐसे में जब तक आप इस स्थिति में न पहुंच जाएं कि आप परिपक्व सैक्स के बारे में पूरी तरह से जानकारी प्राप्त कर लें, इन चीजों से दूरी बना कर रखना ही ज्यादा उचित होगा.

क्रश के चलते जिम्मेदार बनें व निम्न बातों का ध्यान रख कर आदर्श प्रस्तुत करें : 

– अपने क्रश को ले कर खुद की भावनाओं पर संतुलन बनाना सीखें.

– अपने क्रश की रुचि और पसंदनापसंद को जानें, इस से आप को उस की मदद करने में आसानी होगी.

– अगर आप का क्रश अत्यधिक शरमीला है तो आप आत्मविश्वास जगाने में उस की मदद करें.

– आप अपने क्रश की दिनचर्या की जानकारी रखें. इस से आप को उस की मदद करने में आसानी होगी.

– क्रश पर भरोसा करना सीखें.

– अच्छे कपडे़ पहनें, अच्छा हेयरस्टाइल रखें, खुद साफसफाई रखें और क्रश को भी इस के लिए प्रेरित करें.

– जब भी क्रश के साथ बैठें तो पढ़ाई से जुड़ी बातों से शुरुआत करें ताकि वह भी अपनी पढ़ाई व कैरियर से जुड़ी समस्याओं को आप से शेयर करे, जिस से आप उस की मदद कर पाएंगे, लेकिन जब लगे कि वह आप की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहा, तो टौपिक चेंज करें और हलकीफुलकी बातें करें.

युवा पीढ़ी और पढ़ाई

प्यार करने में कितने जोखिम हैं, यह शीरीं फरहाद, लैला मंजनू से ले कर शंकुलता दुष्यंन, आहिल्या इंद्र, हिंदी फिल्म ‘संगम’ जैसे तक बारबार सैंकड़ों हजार बार दोहराया गया है. मांबाप, बड़ों, दोस्तों, हमदर्दों की बात ठुकरा कर दिल की बात को रखते हुए कब कौन किस गहराती से प्यार कर बैठे यह नहीं मालूम. दिल्ली में लिवइन पार्टनर की अपनी प्रेमिका की हत्या करने और उस के शव के 30-35 टुकड़े कर के एकएक कर के कई दिनों तक फेंकने की घटना पूरे देश को इसी तरह हिला दिया है जैसा निर्भया कांड में जबरन वहशी बलात्कार ने दहलाया था.

इस मामले में लडक़ी के मांबाप की भी नहीं बनती और लडक़ी बिना बाप को बताए महीनों गायब रही और बाप ने सुध नहीं ली. इस बीच यह जोड़ा मुंबई से दिल्ली आ कर रहने लगा और दोनों ने काम भी ढूंढ़ लिया पर निरंतर ङ्क्षहसा के बावजूद लडक़ी बिना किसी दबाव के बावजूद प्रेमी को छोड़ कर न जा पाई.

ज्यादा गंभीर बात रही कि लडक़े को न कोई दुख या पश्चाताप था न ङ्क्षचता. लडक़ी को मारने के बाद, उस के टुकड़े फ्रिज में रख कर वह निश्ङ्क्षचतता से काम करता रहा.

जो चौंकाने वाला है, वह यह व्यवहार है. अग्रेजी में माहिर यह लडक़ा आखिर किस मिट्टी का बना है कि उसे न हत्या करने पर डर लगा, न कई साल तक जिस से प्रेम किया उस का विद्रोह उसे सताया. यह असल में इंट्रोवर्ट होती पीढ़ी की नई बिमारी का एक लक्षण है. केवल आज में और अब में जीने वाली पीढ़ी अपने कल का सोचना ही बंद कर रही है क्योंकि मांबाप ने इस तरह की प्रोटेक्शन दे रखी थी कि उसे लगता है कि कहीं न कहीं से रुपए का इंतजाम हो ही जाएगा.

जब उस बात में कुछ कमी होती है, जब कल को सवाल पूछे जाते हैं, कल को जब साथी कुछ मांग रखता है जो पूरी नहीं हो पाती तो बिफरता, आपा खोता, बैलेंस खोना बड़ी बात नहीं, सामान्य सी है. जो पीढ़ी मांबाप से जब चाहे जो मांग लो मिल जाएगा की आदी हो चुकी हो, उसे जरा सी पहाड़ी भी लांघना मुश्किल लगता है, उसे 2 मंजिल के लिए भी लिफ्ट चाहिए, 2 मील चलने के लिए वाहन चाहिए, और न मिले तो वह गुस्से में कुछ भी कर सकती है.

यह सबक मांबाप पढ़ा रहे हैं. मीडिया सिखा रहा है. स्कूली टैक्सट बुक्स इन का जवाब नहीं है. रिश्तेनातेदार हैं नहीं जो जीवन के रहस्यों को सुलझाने की तरकीब सुझा सकें. और कुछ है तो गूगल है. व्हाट्सएप है, फेसबुक है, इंस्टाग्राम है. ट्विटर है जिन पर समझाने से ज्यादा भडक़ाने की बातें होती है.

पिछले 20-25 सालों से धर्म के नाम पर सिर फोड़ देने का रिवाज सरकार का हिस्सा बन गया है. हिंसक देवीदेवताओं की पूजा करने का हक पहला बन गया है. जिन देवताओं के नाम पर हमारे नेता वोट मांगते हैं, जिन देवताओं के चरणों में मांबाप सिर झुकाते हैं, जिन देवीदेवताओं के जुलूस निकाले जाते हैं सब या तो हिंसा करने वाले हैं या हिंसा के शिकार हैं.

ऐसे में युवा पीढ़ी का विवेक, डिस्क्रीशन, लौजिक दूसरे के राइट्स के बारे में सोचने की क्षमता आएगी कहां से आखिर? न मांबाप कुछ पढऩे को देते है, न बच्चे कुछ पढ़ते हैं. न मनोविज्ञान के बारे में पक जाता है न जीवन जीने के गुरों के बारे में. नेचुरल सैक्स की आवश्यकता को संबंधों का फेवीफौल मान कर साथ सोना साथ निभाने और लगातार साथ रातदिन महीनों सालों तक रहने से अलग है.

युवाओं को दोष देने की हमारी आदत हो गई है कि वे भटक गए हैं. जबकि असलियत यह है कि भटकी वह जैनरेशन है जिस ने एमरजैंसी में इंदिरा गांधी के गुणगान किया, जिस ने ओबीसी रिजर्वेशन पर हल्ला किया, जिस के एक धड़े ने खालिस्तान की मांग की और फिर दूसरे धड़े ने मांगने वालों को मारने में कसर न छोड़ी. भटकी वह पीढ़ी है जिस ने हिंदू मुसलिम का राग अलापा, जिसने बाबरी मसजिद बनवाई. जिस ने हर गली में 4-4 मंदिर बनवा डाले जिस ने लाईब्रेरीज को खत्म कर दिया, जिस ने बच्चों के हाथों में टीवी का रिमोट दिया.

आज जो गुनाह हमें सता रहा है, परेशान कर रहा है वह इन दोने उस पीढ़ी से सीख कर किया जो देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार है, जो बाबरी मसजिद तोडऩे की जिम्मेदार है, जो करप्शन की गुलाम है. जो पैंपरिंग को पाल देना समझती है. जरा सा कुरेदेंगे तो सदा बदबूदार मैला अपने दिलों में दिखने लगेगा, इस युवा पीढ़ी में नहीं जिसे जीवन जीने का पाठ किसी ने पढ़ाया ही नहीं.

अब साफ-सफाई की नो टैंशन

घर के कामों में सब से बड़ा काम सफाई का होता है. घर बड़ा हो या छोटा, सफाई का काम सभी को करना पड़ता है औैर वह भी अलगअलग कमरों में अलगअलग तरीके से. मसलन, रसोई हो या बाथरूम, बैडरूम हो या डाइनिंगरूम हर जगह सफाई करने का अलग तरीका होता है. सलीके से सफाई न होने पर घर में पनपने वाले कीटाणु परिवार की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं.

स्टीम क्लीनिंग

अमूमन गृहिणियां पानी के साथ कैमिकल, साबुन और कास्टिक का इस्तेमाल कर घर की सफाई करती हैं. ये वस्तुएं भले ही घर को चमका दें, लेकिन इन से घर पूरी तरह स्वच्छ होगा, इस की गारंटी नहीं होती. लेकिन स्टीम क्लीनर्स 99.9% तक बैक्टीरिया का खात्मा करने की क्षमता रखते हैं. इन की खासीयत यह है कि इन में 100 डिग्री सैल्सियस तक पानी को गरम कर उस की भाप से सफाई की जाती है.

स्टीम क्लीनिंग का आधार

कार्चर स्टीम क्लीनिंग सिस्टम के साथ मल्टीपल ऐक्सैसरीज मिलती हैं, जिन का इस्तेमाल विभिन्न तरीके से अलगअलग स्थान को साफ करने में किया जा सकता है.

नोजल्स: इस का इस्तेमाल सख्त स्थान को साफ करने के लिए किया जाता है. जैसे कि घर का फर्श. कमर को झुका कर फर्श पर झाड़ू और पोंछा लगाना हर किसी के बस का नहीं होता. बावजूद इस के गंदगी कुछ हद तक ही साफ हो पाती है. लेकिन स्टीम नोजल भाप से फर्श की अच्छी तरह सफाई कर देता है.

ब्रश अटैचमैंट: सिंक और किचन स्लैब्स को साफ करने के लिए अब हाथों को घिसने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्टीम क्लीनिंग सिस्टम में ब्रश अटैचमैंट्स भी मौजूद हैं, जो आसानी से सिंक और स्लैब्स साफ कर देते हैं.

स्टीम हौसेस: अमूमन बाथरूम में टाइल्स लगी होती हैं. बाथरूम की साफसफाई के दौरान ज्यादा ध्यान टाइल्स को चमकाने पर दिया जाता है, जबकि असली गंदगी टाइल्स के बीच की दरारों में होती है. टाइल्स के बीच छिपी गंदगी को साफ करने के लिए स्टीम हौसेस परफैक्ट क्लीनिंग टूल है.

क्लौथ किट: ओवन, फ्रिज और मिरर की सफाई बिना कपड़े के अधूरी है. स्टीम क्लीनिंग सिस्टम की क्लौथ किट इस तरह की चीजों को साफ करने में कामयाब है.

स्टीम क्लीनिंग के फायदे

  1. इस के द्वारा साफसफाई में किसी भी कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि सिर्फ पानी की भाप के इस्तेमाल से सफाई की जाती है.
  2. 1 लिटर पानी से 1,700 लिटर भाप तैयार होती है. खास बात यह है कि भाप से उन स्थानों की भी आसानी से सफाई की जा सकती है जहां दूसरे क्लीनिंग टूल्स नहीं पहुंच पाते.
  3. इस विधि से सफाई जल्दी होती है और वह भी कम पैसों में.

बढ़ते शुगर को ऐसे करें कंट्रोल

हम सभी जानते हैं कि खाने-पीने के रेडीमेड सामानों और सॉफ्ट ड्रिंक्स के जरिए हम सबसे ज्यादा शुगर (चीनी) कंज्यूम करते हैं. ये शूगर ही हमारे शरीर को कई तरह से सबसे ज्यादा नुकसान भी पहुंचाती है.

इस एक्स्ट्रा शुगर से आपकी सेहत को कोई भी फायदा नहीं होता बल्कि जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक ये शरीर में घटिया किस्म के कॉलेस्ट्रोल को बढ़ावा देती है जिससे आगे चलकर दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा पहले से कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है.

ज्यादा शुगर वाली खाने-पीने की चीजें इस्तेमाल करने से डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है. एडल्ट्स को करीब 30 ग्राम शुगर एक दिन में कंज्यूम करने की सलाह दी जाती है जबकि 4 से 6 साल के बच्चों के लिए ये मात्रा 19 ग्राम और 7 से 10 साल के बच्चों के लिए 34 ग्राम है.

अगर आप मीठा खाने के बहुत ज्यादा शौकीन हैं और डायबिटीज जैसे इसके नुकसानों से भी बचे रहना चाहते हैं तो न्यूट्रीशन एक्सपर्ट डॉक्टर मर्लिन ग्लेनविल बता रहीं हैं ऐसे 6 तरीके जिससे आप अपनी आदत बदले बिना रह सकते हैं डायबिटीज से दूर.

1. बाहर संभल कर खाएं: सबसे ज्यादा शुगर बाहर से खाने-पीने वाली चीजों के जरिये कंज्यूम की जाती हैं. ऐसे में थोड़े सी सतर्कता से आप मीठा खाकर भी बीमारियों से बचे रह सकते हैं. आपको करना बस इतना है कि स्पैगिटी सॉस और मियोनीज की जगह ऑर्गनिक योगार्ट इस्तेमाल करें और ऐसी दुकानों पर खाएं जो अपने सॉस खुद तैयार करते हैं. घर में बने सॉस में अपेक्षाकृत कम शुगर होती है.

2. कम-कम खाइए लेकिन जरूर खाइए: डायबिटीज है और लो ब्लड शुगर जैसी दिक्कतों से जूझना पड़ता है तो साथ में चॉकलेट बार या मीठी बिस्किट्स का पैकेट रखिए. थोड़ा-थोड़ा खाइए लेकिन खाना अवॉयड मत कीजिये. नाश्ता, लंच और डिनर के आलावा दोपहर और शाम में स्नैक्स भी लीजिए. तीन घंटे से ज्यादा बिना खाए मत रहिए नहीं तो लो ब्लड शुगर की दिक्कत को झेलना ही पड़ेगा.

3. इस दौरान फास्टिंग से बचे: जब आपने अपनी डाइट से शुगर कम करने का जिम्मा उठाया है तो फास्टिंग से बचे. बालिग लोगों के हिसाब से एक पुरुष को दिन में 2500 कैलोरी जबकि महिला को कम से कम 2000 कैलोरी कंज्यूम करनी ही चाहिए. हालांकि डाइट में शुगर और कार्बोहाइड्रेट से बचें. बता दें कि लो या हाई ब्लड शुगर ही शरीर में इन्सुलिन के स्त्राव पर असर डालता है. इसके अलावा स्ट्रेस हारमोंस जैसे एड्रिलिन और कोरिस्टोल भी इसी से नियंत्रित होते हैं.

4. दिन में दूसरी बार कॉफी या चाय पीने से बचें: चाय या कॉफी के जरिये आप जो कैफीन कंज्यूम करते हैं अब उस पर भी कंट्रोल करने का समय आ गया है. चाय या कॉफी पीने से शरीर में एड्रिलिन और कोरिस्टोल हारमोन का स्त्राव होता है जिससे इन्सुलिन का स्त्राव अफेक्ट होता है. चाय या कॉफी आप में ज्यादा शुगर कंज्यूम करने की आदत को भी बढ़ावा देती हैं.

5. कार्बोहाइड्रेट के साथ डाइट में शामिल करें प्रोटीन: ये तो सब जानते हैं कि शरीर में पहुंचने के बाद कार्बोहाइड्रेट ही टूटकर शुगर में तब्दील हो जाता है. लेकिन आप जितना प्रोटीन का इस्तेमाल करेंगे वो कार्बोहाइड्रेट के शुगर में तब्दील होने की प्रक्रिया को उतना ही धीमा और नियंत्रित कर देगा. आप डाइट में मूंगफली जैसी चीजों को शामिल कर ऐसा कर सकते हैं.

6. ‘कम्फर्ट’ डाइट से बचें: आप जब भी स्ट्रेस्ड फील करते हैं कुछ मीठा खाना चाहते हैं और ज्यादातर लोग मीठा खाते भी हैं. स्ट्रेस की सिचुएशन में मीठे को ‘कम्फर्ट फ़ूड’ कहा जाता है, क्योंकि मीठा खाने से आप राहत महसूस करते हैं. लोग सिर्फ स्ट्रेस में ही नहीं, बोर होने, अकेले होने, दुखी होने और गुस्सा होने पर भी कम्फर्ट इटिंग करते हैं. बस आपको करना इतना है कि इसका दूसरा रास्ता निकालें और मीठा खाने की जगह किसी दूसरी एक्टिविटी में खुद को व्यस्त कर लें.

Winter Special: ताकि ठंडी हवाएं स्किन की नमी न चुराएं

हौलेहौले सर्दियों ने दस्तक दे दी है. इस मौसम का ठंडापन और रूखापन त्वचा से नमी को चुरा लेने वाला होता है, जिस से त्वचा सूखीसूखी, फटीफटी सी लगने लगती है और थोड़ी सैंसिटिव भी हो जाती है. लेकिन ऐसे मौसम में अगर आप चाहें तो सर्द हवाओं को अपनी त्वचा का दोस्त भी बना सकती हैं, जिस के उपाय बता रही हैं साकेत सिटी हौस्पिटल की डर्मैटोलौजिस्ट डाक्टर लिपि गुप्ता:

1. त्वचा क्यों होती है ड्राई

सर्दियों के मौसम में त्वचा इसलिए ड्राई हो जाती है क्योंकि खुश्क हवा त्वचा के नीचे से नमी सोख लेती है. त्वचा में नमी की कमी होने से सेल्स की बाहरी सतह सूखी हो कर चटकने लगती है, तो नमी का सुरक्षा कवच हट जाता है. इस से अंदरूनी त्वचा पर भी मौसम का असर होने लगता है. ऐसी त्वचा पर स्थायी या अस्थायी लकीरें अपना स्थान बनाने लगती हैं. ऐसा न हो इस के लिए आप आगे बताए जा रहे उपाय अपना कर त्वचा की देखभाल कर उस की नमी बरकरार रख सकती हैं.

2. हौट शौवर स्नान

इस मौसम में हर सुबह स्फूर्तिदायक गरम पानी से स्नान बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा स्नान आप को ताजगी प्रदान करता है और त्वचा की हाइजीन को बनाए रखता है. पर यह ध्यान रहे कि पानी बहुत ज्यादा गरम नहीं होना चाहिए, क्योंकि वह त्वचा की कुदरती नमी को सोख लेता है. अच्छी तरह से हाइड्रेटेड त्वचा के लिए कुनकुना पानी सब से बेहतर उपाय है.

3. बौडी औयलिंग

सर्दी के मौसम में खुश्क हवा से त्वचा को बचाने व सूखेपन को दूर करने का असरदार तरीका है कुनकुने तेल से मालिश करना. लेकिन मालिश के लिए ऐसे तेल का चुनाव करें जो बहुत ज्यादा चिकनाईयुक्त न हो और शरीर में जल्दी मर्ज हो जाने वाला हो. जैसे औलिव, जोजोबा और ऐलोवेरा औयल. तेल की मसाज सोने से पहले या नहाने से 1 घंटा पहले करें, जिस से तेल का असर बौडी पर अच्छी तरह से हो जाए.

4. फेसवाश कैसा हो

सरदी के मौसम में सब से ज्यादा चेहरे की देखभाल की जरूरत पड़ती है. इस के लिए संतुलित, सौम्य व हाइडे्रटिंग फेसवाश का इस्तेमाल करें, जिस में क्लींजिंग व मौइश्चराइजिंग जड़ीबूटियों के साथसाथ ऐलोवेरा पर्याप्त मात्रा में हो. ये तत्त्व त्वचा को हाइड्रेट करते हैं.

5. साबुन का चुनाव

त्वचा की नियमित सफाई व नमी के लिए ऐसे सौफ्ट साबुन का चुनाव करें जिस में औलिव औयल और ऐलोवेरा के गुण हों.

6. घरेलू मौइश्चराइजर

आधा चम्मच गुलाबजल में 1 चम्मच शहद मिलाएं और चेहरे पर आहिस्ताआहिस्ता मलें. इसे 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर पानी से साफ कर लें. शहद से सूखी त्वचा की नमी लौट आएगी. इस के अलावा नाखूनों के आसपास मौइश्चराइजर लगाएं क्योंकि पानी में ज्यादा देर काम करने से वे भुरभुरे और सूखे हो सकते हैं. आप दस्तानों का प्रयोग भी कर सकती हैं.

7. स्क्रबिंग

सर्दी के मौसम में धूलमिट्टी से त्वचा को बचाने के लिए सप्ताह में 2 बार स्क्रबिंग जरूर करवाएं. स्क्रबिंग त्वचा से जमा मैल और डैडस्किन प्रभावी तरीके से निकालने और त्वचा से अतिरिक्त मौइश्चर को सोखने में सक्षम होती है, इसलिए आप की त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाए रखती है.

8. टोनर और क्लींजिंग मिल्क

सर्दी के मौसम में पसीना न आने की वजह से लोग फेसवाश करने पर कम ध्यान देते हैं, जिस से त्वचा की सफाई बेहतर ढंग से नहीं हो पाती. ऐसे में अच्छी क्वालिटी के टोनर और क्लींजिंग मिल्क प्रभावी तरीके से त्वचा की गहराई से सफाई करते हैं और सूखी त्वचा को स्वच्छ, नर्म व नमीयुक्त बनाते हैं.

9. मौइश्चराइजर

सर्दी के मौसम में ऐसे मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें जो धूप से सुरक्षा दे. आप नौर्मल मौइश्चराइजर की जगह सेरेमाइकयुक्त मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. सैलिब्रिटीज मेकअप ऐक्सपर्ट, आशमीन मुंजाल के अनुसार, मौइश्चराइजर त्वचा में पीएच बैलेंस को मैंटेन करता है. अगर पीएच बैलेंस बढ़ता है, तो ऐक्ने की शुरुआत होती है और अगर कम होता है, तो फेस पर रिंकल्स उभर आते हैं. इसलिए ऐसे मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें, जो त्वचा में पीएच बैलेंस सही बनाए रखे. इस के अलावा बादाम क्रीम, वैसलीन व ग्लिसरीन का इस्तेमाल करें. ये त्वचा पर एक सुरक्षा कवच बना देते हैं जिस से उस पर शुष्क हवाओं का असर नहीं पड़ता. अच्छा मौइश्चराइजर त्वचा की खोई नमी तो लौटाता ही है, साथ ही नए ऊतकों को पैदा करने में भी मददगार होता है. यह धूल, धूप और मौसम की तीखी मार से बचाते हुए मेकअप की नमी बनाए रखता है. जहां सूखी त्वचा के लिए सामान्य मौइश्चराइजर मददगार साबित होता है, वहीं तैलीय त्वचा के लिए औयलफ्री मौइश्चराइजर बेहतर विकल्प है.

10. सनस्क्रीन लोशन जरूर इस्तेमाल करें

डाक्टर लिपि के अनुसार, जाड़े में धूप भी आप की त्वचा पर सीधा असर डालती है, इसलिए गरमी की तरह ही जाड़े में भी सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल जरूर करें. दरअसल, सर्दी में भी अल्ट्रावायलेट किरणें नुकसानदेह होती हैं और चूंकि आप जाड़े में धूप में ज्यादा समय बिताती हैं, इसलिए त्वचा पर अल्ट्रावायलेट किरणों का असर भी ज्यादा होता है. सनस्क्रीन लोशन उस के असर से तो त्वचा को बचाता ही है, उस की वजह से आप की खुली त्वचा पर होने वाली फाइनलाइन झुर्रियों और ऐज स्पौट वगैरह से भी बचाता है.

11. खानपान का रखें खास खयाल

सर्दी के मौसम में अपने खानेपीने का खास खयाल रखें. अपनी त्वचा को हाइड्रेट करने के लिए दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीएं. इस मौसम में प्यास कम लगती है फिर भी आप कुछकुछ देर में कोई न कोई लिक्विड जरूर लेती रहें. गरम पानी में नीबू डाल कर भी पीएं. इस से शरीर से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है. इस के अलावा ग्रीन टी, नारियल पानी, स्प्राउट, फल वगैरह लें. खानपान में संतुलन रखें व पौष्टिक भोजन को प्राथमिकता दें.

12. पर्याप्त नींद लें

त्वचा को खूबसूरत बनाने के लिए 7-8 घंटे नींद जरूर लें क्योंकि यह हमारी ऊर्जा को ताजा करती है और शरीर को फुरतीला बनाए रखती है.

कविता

गुज़रते मौसमों की

गुज़रती बातों में

रातों कि आहटों में

बातों कि चाहतों में

कभी रूठते कभी मुस्कराते

कभी बैठते तो कभी नाचते

उसको उसी की ही बातों में उलझाते

हर गुज़रते मौसम कि तरह

हम भी गुज़र जाते

फिर मिलते फिर बिछडते

फिर से गाते फिर से गुन गुनाते

उसकी मोहब्बत को

अपनी चाहतो से मिलाते

नए मौसम को इस बार

मौसम कि तरह ही मनाते

गुज़रते मौसमों की

गुज़रती बातों में

हम यूहीं गुज़र जाते

…संदीप भारती

गहराइयां : विवान को शैली की कौनसी बात चुभ गई? -भाग 2

उधर शैली के बिना न तो विवान का घर में मन लग रहा था और न ही औफिस में. हर वक्त उस के ही खयालों में खोया रहता था. विवान के मन की बात उस के दोस्त अमन से छिपी न रह पाई. पूछा, ‘‘क्या बात है बड़े देवदास बने बैठे हो? लगता है भाभी के बिना मन नहीं लग रहा है? अरे, तो चले जाओ न…’’

अमन की बातें सुन विवान अपनेआप को वहां जाने से रोक न पाया. ‘‘लो आ गए मजनूं… क्यों, रहा नहीं गया अपनी लैला के बिना? विवान को आए या देख शैली की छोटी भाभी ने चुटकी लेते हुए कहा.

अचानक विवान को अपने सामने देख, पहले तो शैली का दिल धक्क से रह गया. ऊपर से उस की भाभी का यह कहना उस के तनबदन को आग लगा गया. विवान को घूर कर देखा. गुस्से से उस की आंखें धधक रही थीं. यह भी न सोचा कि मेहमानों का घर है तो कोई सुन लेगा. कर्कशा आवाज में कहने लगी, ‘‘जब मैं ने तुम से बोल दिया था कि जल्दी आ जाऊंगी तो क्या जरूरत थी यहां आने की? क्या कुछ दिन चैन से अकेले जीने नहीं दे सकते?’’

झेंपते हुए विवान कहने लगा, ‘‘न… नहीं शैली ऐसी बात नहीं है. वह क्या है कि छुट्टी मिल गई तो सोचा… और वैसे भी तुम्हारे बिना घर में मन ही नहीं लग रहा था तो आ गया.’’

‘‘मन नहीं लग रहा था तो क्या मैं तुम्हारा मन लगाने का साधन हूं? अरे कैसे इंसान हो तुम जो अपना कामकाज छोड़ कर मेरे पीछे पड़े रहते हो? मैं पूछती हूं तुम में स्वाभिमान नाम की कोई चीज है या नहीं… जताते हो कि तुम मुझ से बहुत प्यार करते हो… अरे, नहीं चाहिए मुझे तुम्हारा प्यार… सच में उकता गई हूं मैं तुम से और तुम्हारे प्यार से. जानते हो मैं यहां क्यों आई? ताकि कुछ दिनों के लिए तुम से छुटकारा मिले, पर नहीं, तुम्हारे इस छिछले व्यवहार के कारण मेरी सारी सहेलियां और भाभियां मुझ पर हंसती हैं. कहती हैं… जाने दो तुम से तो कुछ बोलना ही बेकार है. अब जाओ यहां से, मुझे जब आना होगा खुद ही आ जाऊंगी समझे?’’ अपने दोनों हाथ जोड़ कर शैली चीखते हुए बोली.

शैली का यह रूप विवान को हैरान कर गया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस की शैली उस के बारे में ऐसा सोचती है. जिस शैली को वह अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता है और जिस की खातिर वह भागता हुआ यहां तक आ गया, वह इतने लोगों के सामने उस की बेइज्जती कर देगी, उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. अत: बोला, ‘‘ठीक है तो फिर, अब मैं यहां कभी नहीं आऊंगा, बुलाओगी तो भी नहीं,’’ और फिर वह 1 पल भी वहां न ठहरा. शैली की कड़वी बातों ने उस के दिल के टुकड़टुकड़े कर दिए थे.

इधर शैली की मांबहन व भाई सब ने उसे इस बात के लिए बहुत सुनाया, पर उसे अपनी कही बातों का जरा भी पछतावा नहीं हुआ, बल्कि उस के दिल को ठंडक ही पहुंची. घमंड में चूर शैली को यह भी समझ नहीं आ रहा था कि उस ने एक ऐसे इंसान का दिल तोड़ा जो उस का पति है और उसे बेइंतहा प्यार करता है.

घर पहुंचने के बाद रात के 2 पहर बीत जाने के बाद भी विवान की आंखों में नींद नहीं थी. अब भी शैली की कही 1-1 बात उस के कानों में गूंज रही थी.

अपनी आदतानुसार विवान औफिस पहुंच जैसे ही शैली को फोन मिलाने लगा कि फिर उस की कही 1-1 बात उस के कानों में गूंजने लगी कि अरे, तुम में तो स्वाभिमान नाम की कोई चीज ही नहीं है वरना यों यहां न चले आते… हथेलियों से अपने दोनों कान दबा कर विवान ने अपनी आंखें मूंद लीं और फिर मन ही मन कोई निश्चय कर बैठा.

‘‘सर, आप और यहां?’’ विवान को मार्केट में देख कर आयुषी, जो कभी उस की पीए होती थी और अपनी पत्नी के कहने पर ही उस ने उसे काम से निकाल दिया था, उसे देख कर बोली, ‘‘सौरी सर, पर आप को इतने साल बाद देखा तो रहा नहीं गया और आवाज दे दी.’’

‘‘नो… नो… इट्स ओके… और बताओ?’’ विवान ने आयुषी को ताड़ते हुए पूछा.

‘‘बस सर सब ठीक ही है. आप सुनाओ?’’

‘‘सब ठीक है,’’ कह कर विवान मुसकरा दिया.

‘‘सर मेरा घर यहीं पास में ही है… प्लीज घर चलें.’’व्

‘‘फिर कभी,’’ कह विवान जाने को हुआ.

‘‘सर प्लीज, सिर्फ 5 मिनट के लिए चलिए.’’ आयुषी के इतना आग्रह करने पर विवान घर चलने को तैयार हो गया.

चाय पीतेपीते विवान ने उस के पूरे घर का मुआयना किया. उसे यह देख कर बुरा लग रहा था कि आयुषी इतने छोटे से घर और अभावों में जी रही है.

‘‘अरे, सर आप ने तो कुछ लिया ही नहीं… यह टेस्ट कीजिए न.’’

आयुषी की आवाज से विवान चौंका. बोला, ‘‘बसबस बहुत हो गया… चाय बहुत अच्छी बनाई है… वैसे अभी क्या कर रही हो मेरा मतलब कहां जौब कर रही हो?’’

‘‘कुछ नहीं सर, घर मैं ही बैठी हूं क्योंकि… अच्छा वह सब छोडि़ए, बताइए और क्या खाएंगे आप?’’

‘‘नहींनहीं कुछ नहीं. अब घर जाऊंगा,’’ विवान बोला. फिर रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि आखिर क्या गलती थी आयुषी की?

बस यही न कि वह मुझ से खुल कर हंसबोल लेती थी और काम के ही सिलसिले में कभी भी मुझे फोन कर दिया करती थी… हां, याद है मुझे उस रोज भी एक जरूरी फाइल पर आयुषी मेरे साइन लेने मेरे घर आ गई थी और इसी बात को ले कर शैली ने कितना हंगामा मचा दिया था यह कह कर कि वह मुझ पर डोरे डालती और जानबूझ कर मेरे करीब आने की कोशिश करती है. उस वक्त मैं उस के प्यार में पागल था, इसलिए सहीगलत का अनुमान नहीं लगा पाया और उस के जोर डालने पर आयुषी को नौकरी से निकाल दिया.

व्एक लंबी सांस खींचते हुए विवान सोचने लगा कि वैसे गलती तो उस की भी थी. क्यों उस वक्त उस ने शैली की बात मानी थी? क्या वह कोई दूध पीता बच्चा था?

फिर गलती तो सुधारी भी जा सकती है, सोच उसी वक्त विवान ने आयुषी को फोन कर कल सुबह 10 बजे औफिस बुला लिया.

अपने हाथ में नियुक्ति पत्र देख आयुषी की आंखें छलक आईं. आभार प्रकट करते हुए कहने लगी, ‘‘अब मैं पहले से भी ज्यादा सक्रिय हो कर काम करूंगी और कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगी.’’

‘‘न पहले मुझे तुम से कोई शिकायत थी और न अब है. बस समझ लो एक गलतफहमी के कारण… खैर अब छोड़ो वे सब पुरानी बातें हैं. लग जाओ अपने काम पर… और हां, मुझे तुम्हारे हाथ के वे मूली के परांठे खाने हैं… क्या मिलेंगे? विवान ने जब हंसते हुए यह कहा तो सुन कर आयुषी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.’’

आयुषी रोज कोई न कोई व्यंजन बना कर विवान के लिए ले आती और फिर खूब आग्रहपूर्वक खिलाती. अब तो यह रोज का सिलसिला बन गया था.

एक रोज यह बोल कर आयुषी ने विवान को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया कि आज उस का जन्मदिन है.

‘‘तो फिर पार्टी मेरी तरफ से,’’ विवान बोला तो आयुषी मना नहीं कर पाई.

तोहफे के तौर पर जब विवान ने आयुषी को स्मार्टफोन और एक सुंदर सी ड्रैस गिफ्ट की तो वह उस का आभार प्रकट किए बिना नहीं रह पाई.

‘‘इस में आभार कैसा? अरे, वह तो तुम्हारा हक है. हमेशा की तरह उस रोज भी विवान उसे उस के घर तक छोड़ने गया था और आयुषी के आग्रह करने पर कौफी पीने बैठ गया. लेकिन उस रात कौफी पीते उसे खुमारी सी आने लगी और वह वहीं सो गया. सुबह जब उस की आंखें खुलीं और अपनी बगल में आयुषी को देखा तो वह हैरान रह गया, ‘‘तुम यहां और मैं यहां कैसे?’’

अपने कपड़े ठीक करते हुए रोनी सी सूरत बना कर आयुषी कहने लगी, ‘‘रात में आप ने मुझे शैली समझ कर मेरे साथ…’’

‘‘उफ, ये मुझ से क्या हो गया?’’ उस के मुंह से निकला और फिर मन ही मन बोला कि गलत क्या किया उस ने… शैली ने कहा था कि मुझ में स्वाभिमान नाम की कोई चीज नहीं है और वह मेरे प्यार से ऊकता गई है. तो अब मैं बताऊंगा उसे… तरसेगी मेरे प्यार के लिए और फिर उस ने आयुषी को अपने सीने से लगाते हुए कहा, ‘‘जो हुआ अच्छा हुआ.’’

नंदिनी का घर लेगी पाखी, हादसे का शिकार होंगे Anupama-अनुज

अनुपमा (Anupama) शो इन दिनों सुर्खियों में है, अनुपमा की बेटी पाखी और अधिक की शादी का ड्रामा लाइमलाइट में बना हुआ है. हालांकि मेकर्स के नए ट्विस्ट के बावजूद सीरियल की टीआरपी दूसरे नंबर पहुंच गई है. इसी के चलते मेकर्स सीरियल में एक बार फिर नया ट्विस्ट लाने के लिए तैयार हो गए हैं, जिसके चलते अनुज और अनुपमा हादसे का शिकार (Anupama And Anuj Accident) होते हुए दिखने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे (Anupama Serial Update) …

ट्रिप पर पहुंचे अनुपमा- अनुज

 

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अब तक आपने देखा कि पाखी को घर से निकालने के बाद अनुपमा और अनुज, बरखा और अंकुश को कपाड़िया हाउस छोड़ने के लिए कहते हैं, जिसके बाद वह छोटी अनु को लेकर ट्रिप पर निकल जाते हैं. लेकिन इस दौरान अनुपमा को कुछ बुरा होने का अंदेशा होने लगता है.

हादसे का शिकार होंगे कपल

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा और अनुज, छोटी अनु को उसके कैंप छोड़ने के बाद ट्रिप पर निकलेंगे. जहां पर दोनों को रास्ते में एक कपल मिलता है, जिन्हें बचाने के चलते कुछ गुंडे अनुपमा और अनुज पर हमला कर देंगे. इसी कारण दोनों घायल हो जाएंगे.

शाह की पड़ोसी बनेगी पाखी

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि अनुपमा और वनराज से बदला लेने के लिए पाखी, नंदिनी का पुराना घर किराए पर ले लेगी, जिसके चलते वह शाह फैमिली की पड़ोसी बन जाएगी. हालांकि पाखी के इस कदम से शाह फैमिली को बड़ा झटका लगने वाला है. इसी के साथ अपकमिंग में अनुपमा और अनुज पर हुए हमले के पीछे कौन है. इसका पता भी चलने वाला है.

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