Anupama और अनुज की जाएगी याद्दाश्त! काव्या-वनराज की जिंदगी पर पड़ेगा असर

एक्ट्रेस रुपाली गांगुली स्टारर सीरियल अनुपमा के बीते दिनों टीआरपी चार्ट से पहले नंबर से हटने के कारण मेकर्स सीरियल (Anupamaa) की कहानी में बड़ा ट्विस्ट लाने की तैयारी कर रहे हैं. जहां हाल ही में प्रोमो वायरल हो रहा था कि अनुपमा और अनुज  के साथ वेकेशन पर जाते समय हादसा हो जाता है. वहीं अब खबरें हैं कि इस हादसे के बाद सीरियल की कहानी उलट-पुलट होते हुए दिखने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे…

अनुपमा-अनुज के साथ हुआ हादसा

 

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हाल ही में पाखी के ड्रामे के बाद अनुज-अनुपमा वेकेशन के लिए निकलते हुए नजर आए थे. जहां पर उनकी मुलाकात एक कपल से होती है, जिनके साथ वह अपना सफर बिताते हुए दिखते हैं. लेकिन कुछ गुंडे एक लड़की के पीछे पड़ जाते हैं. वहीं बात इतनी बढ़ जाती है कि गुंडे कपल पर हमला कर देते हैं. हालांकि अनुपमा और अनुज उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं. इसी दौरान गुंडे अनुपमा और अनुज के सिर पर हमला कर देंगे. वहीं खबरों की मानें तो अनुज और अनुपमा के साथ हुआ हादसा उनकी पूरी जिंदगी बदल देगा. दरअसल, कहा जा रहा है कि एक्सीडेंट के बाद दोनों अपनी याद्दाश्त गवा बैठेंगे, जिसके चलते जहां अनुपमा, अनुज को भूल वनराज के साथ शादीशुदा जिंदगी में चलेगी तो वहीं दूसरी तरफ अनुज भी अनुपमा को भुला बैठेगा, जिसका फायदा बरखा और अंकुश उठाते दिखेंगे.

 

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फैंस हुए निराश

सोशलमीडिया पर अनुज-अनुपमा की याद्दाश्त जाने का ट्रैक सुनकर जहां दर्शक अपकमिंग ट्विस्ट के लिए बेकरार दिख रहे हैं तो वहीं #MaAn फैंस अनुपमा-अनुज को साथ ना देख पाने के कारण नए ट्रैक से नाराज नजर आ रहे हैं. वहीं मेकर्स से ऐसा ना करने की गुजारिश करते दिख रहे हैं. हालांकि अगर खबरों को सच मानें तो नए ट्रैक में दर्शकों काव्या का भी नया रुप देखने को मिलेगा. क्योंकि अनुपमा, वनराज के अफेयर और तलाक की बातें भी भूल जाएगी.

बेटा मेरा है तुम्हारा नही: क्या थी संजना की गलती

Story in Hindi

 

चित्र अधूरा है – भाग 1 : क्या सुमित अपने सपने साकार कर पाया

फोन की घंटी लगातार बज रही थी, किचन में काम करतेकरते उमा झुंझला उठी थी, ‘फोन उठाने भी कोई नहीं आएगा, एक पैर पर खड़ी मैं इधर भी देखूं, उधर भी देखूं-..’ गैस का रेगुलेटर कम कर के वह दौड़ी

और रिसीवर उठाया, हैलो– कहते ही सुमित की आवाज सुनाई पड़ी, जो बहुत खुश हो कर कह रहा था, ममा, आप के आशीर्वाद से मेरा भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया है- मैरिट सूची में नाम ऊपर होने के कारण आशा है कि मुख्य सेवा में मेरा नाम आ जाएगा- मैं 1-2 दिन में घर पहुंचूंगा-

उमा कुछ कहती कि फोन कट गया-

उमा ने सोचा कार्तिकेय को जा कर खुशखबरी सुना दूं, शयनकक्ष में गई तो देखा कार्तिकेय गहरी नींद में सोए हुए हैं- कल रात 1 बजे, 3 दिन के टूर के बाद लौटे थे- थके होंगे वरना 6 बजे के बाद तो बिस्तर पर रह ही नहीं सकते- साढे़ 6 से 7 बजे तक उन का ‘योगा’ करने का समय है और 7 बजे से आसपास के एरिया की फोन के द्वारा जानकारी हासिल करने का, क्योंकि सभी एरिया के स्टाफ अफसरों को नित्य अपने एरिया के कामों की जानकारी देने के निर्देश दिए हुए हैं, ताकि कहीं कोई समस्या होने पर तुरंत उस का समाधान किया जा सके- एक पब्लिक अंडरटेकिंग कंपनी में चीफ इंजीनियर जो हैं-

अनुज ट्यूशन गया है और पिताजी सुबह की सैर के लिए- सन, सन की आवाज आई तो, याद आया कि गैस पर, दही जमाने के लिए दूध गरम करने के लिए रखा था- दोपहर के खाने में सब को खाने के साथ ताजा दही चाहिए इसलिए रोजाना सुबह उठ कर पहले यही काम करना पड़ता है- जल्दी से जा कर गैस का रेगुलेटर बंद किया- अनुज ने आज नाश्ते में आलू के परांठे खाने की फरमाइश की थी इसलिए कुकर में आलू रख कर आटा गूंधने लगी.

उसे याद आया, पिताजी ने उसे एक बार समझाते हुए कहा था, ‘उमा, तुझ में धैर्य क्यों नहीं है? जीवन में प्रत्येक वस्तु, पलक झपकते ही हासिल नहीं हो जाती बल्कि उस के लिए धीरज के साथ प्रयत्न करना पड़ता है- यह बात और है कि किसीकिसी को अपने मकसद में सफलता कम प्रयास करने पर ही मिल जाती है और किसी को बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद, लेकिन सच्ची लगन, धैर्य और विश्वास हो तो कोई वजह नहीं कि मानव अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर पाए- पता नहीं इनसान जरा सी असफलता से बेकार ही इतना विचलित क्यों हो उठता है.?’ और आज सचमुच पिताजी की कही बात सत्य सिद्ध हुई थी, बेवजह ही इतने मानसिक तनाव झेलने के बाद यह खुशी का क्षण आ ही गया— हाथ आटा गूंध रहे थे किंतु अनायास ही दिमाग में आज से 6 साल पहले का दिन चलचित्र की भांति मंडराने लगा.

उस दिन सुबह से ही मन बेचैन था, 12वीं का परीक्षाफल निकलने वाला था- सुमित शुरू से ही पढ़ाई में अच्छा था- हमेशा ही कक्षा में प्रथम आता था, अतः सभी शिक्षक उसे प्यार करते थे और उस से बहुत खुश रहते थे- 10वीं की बोर्ड की परीक्षा में मैरिट सूची में आ कर उस ने न केवल अपना बल्कि अपने स्कूल का नाम भी रोशन किया था और इस साल भी सभी उस से यही आशा कर रहे थे.

महाराष्ट में तो प्रवेश परीक्षा होती नहीं है, केवल 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर ही मेडिकल और इंजीनियरिंग कालिज में एडमीशन मिल जाता है, इसलिए शहर के नामी कालिज में सुमित का दाखिला करा कर हम भविष्य के लिए आश्वस्त हो गए थे.

सुमित के मौसा, दिवाकर काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. बेचारी अनिला 2 छोटेछोटे बच्चों के साथ परेशान थी. दिवाकर अपने मातापिता की एकलौती संतान थे, इसलिए अनिला को ससुराल पक्ष से भी कोई मदद नहीं मिल पाती थी- सुमित को अपने मौसामौसी से बेहद लगाव था इसलिए उस ने स्वयं ही दिल्ली मौसी के पास जाने की इच्छा जताई तो उमा ने थोड़ी हिचकिचाहट के साथ जाने की आज्ञादे दी. वैसे उमा ने कभी बच्चों को अकेले नहीं भेजा था, इसलिए वह थोड़ी झिझक रही थी, किंतु कार्तिकेय का विचार था कि एक उम्र के पश्चात बच्चों को स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता आनी चाहिए और यह तभी संभव है जब बच्चों को अकेले रहने और आनेजाने की आदत डाली जाए.

1-2 दिन में सुमित आने वाला था. 10वीं का परीक्षाफल निकलने से पहले जब वह सुमित से बारबार पूछती कि क्या तुम पास हो जाओगे, तो एक दिन वह झुंझला कर बोला था, ‘ममा, आप मुझे किसी से कम क्यों आंक रही हैं. मैं मैरिट में अवश्य आ जाऊंगा.’

सचमुच मैरिट लिस्ट में उस का नाम देख कर घर भर की छाती गर्व से फूल उठी थी. वह सब की आशाओं का केंद्र बिंदु बन बैठा था. दादी कहतीं, ‘डाक्टर बनाऊंगी अपने पोते को, कम से कम बुढ़ापे में मेरी सेवा तो करेगा. दूसरों के पास तो दिखाने नहीं जाना पड़ेगा— उन का वश चले तो एक ही बार में मरीज का खून चूस लें.’

दादा कहते, ‘डाक्टर नहीं, मैं अपने पोते को अपनी तरह कलक्टर बनाऊंगा ताकि वह समाज में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने में सहायक बन कर समाज के उत्थान हेतु काम कर सके.’

तनाव को कहें बायबाय

एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत उमा को शादी के बाद तनाव इसलिए हुआ, क्योंकि उस की ससुराल में भिंडी की सब्जी बनती थी, जिसे वह खाना पसंद नहीं करती थी. दूसरी समस्या यह थी कि पति के घर में भैंस का दूध आता था, जबकि उस ने बचपन से गाय का दूध पिया था. बात इतनी बढ़ी कि उमा ने अपने पति को तलाक देने की ठान ली, क्योंकि इन हालात की वजह से उसे नींद नहीं आती थी और वह हमेशा घबराहट में रहती थी. ऐसा होने से उस का काम में मन नहीं लगता था. ऐसी और भी कई समस्याएं आने लगीं तो वह मनोरोग चिकित्सक के पास गई, जिस से उसे अपनी समस्या का समाधान मिला. इस तरह की कई बड़ी अजीबोगरीब समस्याएं कभीकभी तनाव या डिप्रैशन का कारण बनती हैं.

महिलाओं में तनाव ज्यादा

यह देखा गया है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं तनाव की शिकार अधिक होती हैं, जिस का अनुपात 2:1 का होता है. इस के बारे में हुए शोध से पता लगा है कि करीब 87 प्रतिशत महिलाएं भारत में तनावग्रस्त रहती हैं. इस के बारे में मुंबई के फोर्टिस हौस्पिटल और एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट की मनोरोग विशेषज्ञा डा. पारुल टौक कहती हैं कि महिलाओं में तनाव कई अवस्थाओं में आता है. जिस की वजह उन की शारीरिक संरचना होती है. मसलन, ‘एडौल्सन पीरियड’ जब माहवारी शुरू होती है. इस के बाद ‘पोस्टपार्टम डिप्रैशन’ और तीसरी अवस्था ‘मेनौपोज’ के बाद होती है. इन सभी अवस्थाओं में महिलाएं तनाव या डिप्रैशन का शिकार होती हैं और बारबार उन में होने वाला हारमोंस का बदलाव तनाव को अधिक बढ़ाता है. इस के अलावा बदलती हुई जीवनशैली, जिस में आज की महिलाएं घर और बाहर दोनों को संभालती हैं, की वजह से डबल स्ट्रैस उन में हो रहा है, लेकिन समय रहते अगर डाक्टरी परामर्श ले लिया जाए, तो तनाव का शिकार होने से महिलाएं बच सकती हैं.

तनाव के लक्षण

  • हमेशा थकान व चिड़चिड़ापन महसूस करना.
  • किसी काम का निर्णय न ले पाना, काम में मन न लगना.
  • जीवन के प्रति नकारात्मक सोच, खानपान में बदलाव, आत्महत्या की प्रवृत्ति का होना.
  • वजन का बढ़ना या घटना, एकाग्रता खोना और अनिद्रा का शिकार होना.

पारुल बताती हैं कि आजकल की महिलाओं में सहनशीलता का अभाव हो चुका है. इस की वजह उन का वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होना है. पहले महिलाएं घर पर रह कर बच्चे और परिवार को संभालती थीं, जबकि आज घर और बाहर दोनों संभालने पड़ते हैं. ऐसे में तनाव कम करने के लिए परिवार और समाज की सोच को बदलना आवश्यक है.

ऐसे बचें तनाव से

  • तनाव ही धीरेधीरे डिप्रैशन का रूप ले लेता है, इसलिए समय रहते मानसिक रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है और ऐसी नौबत न आने देने के लिए कुछ बातें अगर महिलाएं दैनिक जीवन में शामिल करें तो वे तनाव से बच सकती हैं.
  • व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. अगर ऐसा संभव न हो तो सुबहशाम टहलने की कोशिश करें.
  • जीवन में घटित हुई नकारात्मक बातों से अपनेआप को हमेशा दूर रखें. उन के बारे में न सोचें.
  • दिमाग का अधिक से अधिक उपयोग करें. इस के लिए समाचारपत्र व पत्रिकाएं नियमित रूप से पढ़ें. टीवी से अधिक समय  किताबें पढ़ने में दें, क्योंकि पढ़ने से कल्पनाशीलता बढ़ती है, जिस से दिमाग का व्यायाम हो जाता है.
  • आर्थिक परेशानी आने पर तनाव के बजाय शांत दिमाग से सोचें कि आप की आय कितनी है. फिर वैधानिक तरीके से कैसे, क्या करें इस की सलाह ऐक्सपर्ट से लें.
  • पतिपत्नी के रिश्ते में अगर तनाव चल रहा हो तो करीबी मित्र या घर वालों से इस बारे में बात करें. मैरिज काउंसलर से भी सलाह ली जा सकती है.
  • किसी शारीरिक बदलाव या बीमारी को ले कर तनाव में हैं, तो विशेषज्ञ से संपर्क करें.
  • सहकर्मी या बौस की वजह से तनाव होता हो तो समस्या की चर्चा संबंधित व्यक्ति से करें.
  • आजकल अधिकतर लोग कंप्यूटर और मोबाइल का प्रयोग करते हैं. काम खत्म होने पर उन्हें अपने से दूर रखें, क्योंकि कई बार गैजेट्स भी तनाव बढ़ाते हैं.
  • कुछ भोजन ऐसे हैं, जो हमारे शरीर को तनाव से लड़ने की शक्ति देते हैं. संतरे व सूखे मेवे में पोटैशियम की मात्रा अधिक होने से दिमाग को शक्ति मिलती है. आलू में विटामिन बी अधिक मात्रा में होता है, जो हमारी चिंता और खराब मूड को ठीक करता है.
  • अगर आप अकेली हैं तो ‘पैट्स’ या ‘बर्ड्स’ रख सकती हैं. उस से भी तनाव कम होगा.
  • हमेशा याद रखिए जिंदगी खुल कर आनंद के साथ जिएंगी तो स्वस्थ और सुखी रहने के साथसाथ तनावमुक्त भी रहेंगी.

11 टिप्स: फालतू पड़ी चीजों का ऐसे करें उपयोग

घर में ऐसी कई चीजें होती हैं जो पुरानी हो चुकी होती हैं. लेकिन इन चीजों को फेंके नहीं इनको फिर से इस्‍तेमाल करने के तरीके कुछ आसान से तरीके हैं जिन्हें अपना कर देखिए.

1. बेबी फूड जार

जब आपका बेबी जार यूज में ना आ रहा हो तो खाना बाहर निकालें और इस जार को एट-होम-स्पा के लिए यूज करें. इस जार में एक स्पॉन्ज डालें. अब इस स्पॉन्ज में नेल पॉलिश रिमूवर डाल दें. नेल पॉलिश हटाने के लिए अपनी अंगुली इसमें डिप करें.

2. प्लास्टिक बैग्स

पेंट ट्रे कवर करने के बजाए एक प्लाटिक बैग से इसे लाइन कर दें. अब इसके ऊपर पेंट डालें. हार्डवेयर स्टोर्स वाले लाइनर्स तो महंगे पड़ेंगे लेकिन ये ट्रिक पूरी तरह से फ्री है.

3. कैचप बॉटल

कैचप की बॉटल में आप अपने पैनकेक बनाने का बैटर रख सकते हैं. ऐसा करने से आपके पैनकेक हमेशा एक ही साइज के बनेंगे और साथ ही गोल भी बनेंगे. इस तरह आप अपने बैटर-पोरिंग स्किल को नया रूप  दे पाएंगी.

4. एग कार्टन

फैंसी कप-केक होल्डर अलग से खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी अगर आपके पास खाली हो चुके एग-कार्टन रखे हुए हैं. इस तरह से आप एक समय में 12 ट्रीट्स तैयार कर सकते हैं.

5. पेपर बिन

अपने मेल और पुरानी मैगजीन के लिए कॉर्नफ्लेक्स के खाली हो चुके पेपर बॉक्स को यूज किया जा सकता है. सबसे पहले तो इस बॉक्स पर अपने पसंद का गिफ्ट पेपर चिपका लें. अब पीछे वाली साइड पर एक मैग्नेट अटैच कर दें जिससे इसे फ्रिज के साइड में लटकाया जा सके.

6. टिशू बॉक्स

जब आपके टिशू बॉक्स खाली हो जाए तो इन्हें फेंके नहीं. इन्हें अन्य ग्रोसरी आइटम रखने के लिए यूज करें. जैसे प्लास्टिक बैग्स वगैरह.

7. चॉक्लेट बॉक्स

चॉकलेट बॉक्स के वे कम्पार्टमेंट जिनमें कुछ समय पहले तक आपकी फेवरेट कैंडी रखी हुई थीं अब आपके सुई-धागे और बटन वगैरह रखने के काम आ सकते हैं. यहां इन चीजों को रखने का फायदा यह है कि सभी चीजें अलग-अलग रखी रहती हैं तो किसी के हाथ में चुभेगी नहीं और आपस में मिक्स भी नहीं होंगी.

8. मोजे का इस्तेमाल

बबल रैप और पैकिंग पेपर बेहद कॉमन पैकिंग हो चुके हैं और ओवररेटेड भी. कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो मोजे का इस्तेमाल करें. अपने नाजुक क्रॉकरी आइटम या महंगा क्रिस्टल और कैंडल स्टैंड, वाज वगैरह पैक करके स्टोर करना है तो मौजे में लपेट कर स्टोर करें. ये चीजें इस तरह ज्यादा सुरक्षित रहेंगी.

9. कंटेनर्स

चाय, कॉफी और कुकीज के कंटेनर्स को भी आप चाहें तो दूसरा जीवन दे सकते हैं. खाली होने के बाद इन पर अपनी पसंद का कलरफुल कपड़ा या पेपर चिपकाएं और पेंटिंग करके डेकोरेट करने के बाद इसे अपनी स्टडी टेबल पर पेन स्टैंड की तरह यूज करें.

ज्यादा बड़े टिन हों तो आप इन्हें किड्स रूम में डस्टबिन की तरह भी यूज कर सकते हैं. इस पर मिक्की-डॉनल्ड या अन्य कोई पॉप्युलर कार्टून कैरेक्टर का स्केच बना दें. इसके अलावा आप इन टिन के डिब्बों में घी या तेल भी भरकर रख सकते हैं.

10. टिक टैक बॉक्स

अगर आप वेकेशन पर हैं और रूम या घर रेंट पर लिया है तो आप अच्छी तरह जानते हैं कि सात दिन के लिए किचन स्टॉक करके ले जाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. आपके टिक टैक के खाली बॉक्स इस वक्त बहुत काम आते हैं. इनमें आप सभी तरह के मसाले भर कर रख सकते हैं.

11. वाइन कॉर्क्स

अपने फालतू पड़े हुए कॉर्क्स को की-चेन में तब्दील कर लें. आप चाहें तो हर कॉर्क पर स्टाइलिश अंदाज में नाम भी लिख सकते हैं.

खुश रहेंगी, तभी दूसरों को खुश रख पाएंगी

गृहिणी हूं और एक लेखिका भी. मैं सुबह 5.30 बजे उठती हूं. पति के लिए चाय बनाती हूं, और फिर हर सुबह एक भाग का काम मैं ब्रेकफास्ट से पहले कर लेती हूँ. 10.30 बजे नाश्ता करने के बाद फिर से काम पर लग जाती हूं.  आप सोच रही होंगी मैं आपको अपनी डेली रूटीन किसलिये बता रही हूं? क्योंकि मैंने दोस्तों को कहते सुना है, कि वे काम और घर में बराबर ध्यान नहीं दे पा रहीं हैं और शायद ये आपकी भी समस्या हो सकती है, इसलिए निराश ना हों.

1. खुद को दोषी मानना बंद करें

अगर काम और घर के बीच सामंजस्य सम्भव नहीं है, तो खुद को अपराधी मानने की जरूरत नहीं. आप काम कर रहे हैं यह कोई गलत बात नहीं है, इसके लिए सबसे पहले आप घर में हो रही समस्याओं के लिए खुद को दोषी मानना बंद करें.

2. बनाएं टाइमटेबल

खुद के लिए एक टाइम टेबल बनाएं. दिन में 24 घंटे होते हैं, और अगर आप सही तरीके से टाइम-टेबल के हिसाब से चलेंगे, तो सारे काम आराम से हो जाएंगे. पर एक समय सीमा के हिसाब से चलना जरूरी है, अगर किसी एक काम पर आप जरुरत से ज्यादा वक्त जाया करेंगे, या सुस्ती दिखाएंगे, तो संतुलंत कभी नहीं बना पाएंगे.

3. आपसी समझ है जरूरी

जो काम ज्यादा जरूरी हैं, उसे पहले करें. अगर सुबह आपको औफिस में प्रोजेक्ट सबमिट करना है, तो पहले उसका काम खत्म करें, क्योंकि आप वर्किंग वुमन हैं, अगर बच्चों को ऐसी स्थिति में आप कम समय दे पा रहीं हैं तो, घर के सदस्यों के मदद लें, और प्यार और सहयोग के साथ अपना कार्य पूर्ण करने के बाद बच्चों और परिवार के साथ समय व्यतीत करें. हां एक बात का ध्यान रखें, कार्य बढ़ने की स्थिति में अपने परिवार के जिम्मेदार लोगों को सूचित करें, और आपसी समझ से घर परिवार की जिम्मेदारी निभाएं.

4. अपने मनपसंद काम को दे ज्यादा समय

आपको क्या चाहिए ये तय करें. ज्यादा पैसों के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में आप जो काम पसंद से कर रही हैं वही करें. अगर घर में ज्यादा वक़्त देने से आप को ख़ुशी मिल रही है, तो उसे अधिक महत्व दें.

5. मन से करें काम

काम से प्रेम होना बहुत ज़रूरी है. कम काम करें लेकिन अच्छा काम करें, तो आप खुश रहेंगी, मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगी.

6. खुद के लिए निकालें समय

खुद के लिए समय रखें. अपने लिए समय होना भी ज़रूरी है, इस वक़्त में आप सिर्फ वह करें, जो आपको अच्छा लगता हो. ये आराम का वक़्त भी हो सकता है. इस समय अन्य कोई कार्य न करें.

7. आसान तरीका ढूंढे

यह ध्यान रखें, की आप वर्किंग होते हुए सभी जिम्मेदारियों को नहीं निभा सकती, ऐसी स्थिति में आप वही जरूरी कार्य करें जो आप के अलावा और दूसरा नहीं कर सकता, आधुनिकता के दौर में औनलाइन शौपिंग का महत्त्व समझें, घर के समान आर्डर करना, कपडे खरीदना, बिल जमा करना आदि कार्य आप औनलाइन भी कर सकती हैं. इससे आप थकेंगी कम, और वही समय आप परिवार को दे सकती हैं.

अगर सोचें, तो ऐसा कोई क्षेत्र  नहीं, जहां महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो.अपनी लगन, मेहनत, और दृढ़ता से महिला खुद में साफ़ सोच लाती हैं, जिससे वह फैसला ले पाती है. तभी आज हमारे बीच इंद्रा नूई (सी इ ओ पेप्सिको),  हेलेन केलर, और बुला चौधरी जैसी महान महिलाएं हैं.

ऐसी महिलाएं हमें भविष्य में भी प्रेरित करती रहेंगी. खुद खुश रहेंगी, तभी दूसरों को खुश रख पाएंगी. अपनी सोच समझ पर टिके रहे. इस तरह से आप अपनी सभी जिम्मेदारियों को सही से निभा पाएंगी.

शादीशुदा जिंदगी से जुड़ी बातों के बारे में बताएं?

सवाल-

मेरी सगाई हो चुकी है और कुछ ही महीनों में शादी होने वाली है. मेरी चिंता यह है कि मुझे सैक्स के बारे में बिलकुल जानकारी नहीं है. कहीं इस वजह से मेरा दांपत्य जीवन प्रभावित तो नहीं होगा? मेरी कोई बड़ी बहन या भाभी भी नहीं है, जिस से मैं कुछ पूछ सकूं. मुझे यह जानकारी कहां से प्राप्त हो सकती है?

जवाब-

सैक्स के बारे में प्राय: सभी युवाओं की स्थिति अमूमन आप जैसी ही होती है, जो थोड़ीबहुत जानकारी होती भी है वह इधरउधर से सुनीसुनाई और अधकचरी होती है, बावजूद इस के उन्हें कोई परेशानी नहीं आती. फिर भी आप सैक्स पर किसी अच्छे लेखक की किताब पढ़ कर जानकारी हासिल कर सकती हैं.

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पश्चिमी देशों में ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ का चलन कोई नया नहीं है. लेकिन भारत में जरूर इस टर्म को अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल और निभाया जाता है. जब साल 2011 में जस्टिन टिम्बरलेक और मिल्ला कुनिस की फिल्म ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ आई थी तो इस टर्म का मोटामोटी अर्थ यही निकला गया कि जब दो दोस्त अपने रिश्ते का इस्तेमाल सेक्सुअल रिलेशन के तौर पर करते हैं तो वो फ्रेंडशिप ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ के दायरे में आ जाती है. यानी जब दोस्ती से अन्य फायदे लिए जाने लगे तो यह फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स वाला रिश्ता बन जाता है.

अब आप सोचेंगी कि दोस्ती में क्या फायदा उठाना. लेकिन अगर आप मैरिड या एंगेज्ड होने के बावजूद अपनी बेस्टफ्रेंड के साथ सेक्स करना चाहती हैं तो यह दोस्ती से बेनिफिट लेने जैसा ही है. क्योंकि उक्त लड़की आपकी फ्रेंड हैं तो फिर बिस्तर पर जाने से पहले उसके साथ न तो किसी भी तरह की रोमांटिक इन्वोल्व्मेंट की जरूरत है और न भरोसा कायम रखने की. आप दोनों एकदूसरे को पहले से जानते हैं और आपसी सहमति है तो अपनी फ्रेंडशिप को बेनिफिट के साथ कायम रख सकती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स : दोस्त से सेक्स या सेक्स से दोस्ती?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

चौथापन- भाग 1 : मुन्ना के साथ क्या हुआ

वह एक कोने में कुरसी पर बैठे कोई किताब पढ़ रहे थे. अचानक उन्होंने ऊब कर किताब एक ओर  रख दी. आंखों  से चश्मा उतार कर मेज पर रख दिया. रूमाल से आंखें साफ कीं और निरुद्देश्य खिड़की  से बाहर की चहलपहल देखने लगे.

‘‘दादाजी, यह कामिक्स पढ़ कर सुनाइए जरा,’’ उन की 10 वर्ष की नातिन अंजू रंगबिरंगी पुस्तकें लिए कमरे में पहुंच गई.

‘‘लाओ, देखें,’’ उन्होंने बड़े चाव से  पुस्तकें ले लीं.

वह पुस्तकों के चित्र तो देख पा रहे थे, किंतु चश्मा लगाने के बाद भी उन पुस्तकों को पढ़ पाना उन्हें बड़ा कठिन लग रहा था. फिर नाम भी क्या थे पुस्तकों के, ‘आग का दरिया’, ‘अंतरिक्ष का शैतान’.

‘‘छि: छि:… ये क्या हैं? अच्छी पुस्तकें पढ़ा करो, बेटे.’’

‘‘अच्छी कौन सी, दादाजी?’’

‘‘जिस पुस्तक से कोई अच्छी बात सीखने को मिले. बच्चों के लिए तो आजकल बहुत सी पत्रपत्रिकाएं  निकलती हैं.’’

‘‘आप नहीं जानते, दादाजी, ये थ्री डायमेंशनल कामिक्स हैं. इन को पढ़ने के लिए अलग से चश्मा मिलता है. यह देखिए.’’

‘‘अरे, यह कोई चश्मा है? लाल पन्नी लगी है इस में तो. इस से आंखें खराब हो जाएंगी. फेंको इसे.’’

‘‘आप को कुछ नहीं मालूम, दादाजी,’’ अंजू ने उपेक्षा से कहा और पुस्तकें ले कर तेजी से बाहर चली गई.

वह अकुलाए से अपनी जगह पर बैठे रह गए और सोचते रहे. शायद वह वर्तमान से कट चुके हैं. उन का जमाना लद चुका था. उन के सिद्धांत, आदर्श ओैर विचार अब अप्रासंगिक हो चुके थे.

अभी कुछ ही दिन पहले की तो बात थी. उन के बेटे मुन्ना  ने भी यही कहा था. हुआ यों था कि उस दिन वह कारखाने में मौजूद थे. नौकर ने एक ग्राहक को बिल दिया तो उन्हें वह बहुत ज्यादा लगा. वह एक प्रकार से ग्राहक को लूटने जैसा ही  था. उन्होंने नौकर को डांट दिया और जोर दे कर उस से बिल में परिवर्तन करने को कहा.

उसी दिन मुन्ना रात को घर आने के बाद  उन पर बहुत बिगड़ा था, ‘बाबूजी, आप तो बैठेबिठाए नुकसान करवा देते हैं. क्या जरूरत थी आप को  कारखाने में जा कर कीमत कम करवाने की?’

‘मैं ने तो उचित दाम ही लगाए थे, बेटा. वह नौकर बहुत ज्यादा  बिल बना रहा था.’

‘आप बिलकुल नहीं समझते, बाबूजी. इतना बड़ा कारखाना चलाना आज के जमाने में कितना मुश्किल काम है. अब कामगारों को वेतन कितना बढ़ा कर देना पड़ता है, जानते हैं आप? नई मशीन की किश्त हर माह देनी पड़ती है सो अलग. फिर आयकर भी इसी महीने में भरना है.’

उन की दृष्टि में ग्राहकों से मनमाना पैसा वसूल करने का यह कोई उचित तर्क नहीं था, लेकिन वह चुप ही रह गए.

एक बार वह बीमार पड़ गए थे. 2-3 महीने तक कारखाने नहीं जा सके. बस, तभी अचानक मुन्ना ने उन की गद्दी हथिया ली. फिर मुन्ना यह सिद्ध करने की कोशिश करने लगा कि वह व्यापार में उन से अधिक कुशल है.

जहां उन्हें ग्राहक से 4 पैसे वसूल करने में कठिनाई होती थी वहां मुन्ना बड़ी आसानी से 6 पैसे वसूल कर लेता था. उस ने बैंकों से ऋण ले कर अल्प समय में ही नई मशीनें मंगवा ली थीं. किस आदमी से कैसे काम लिया जा सकता है, इस काम में मुन्ना खुद को उन से कहीं अधिक दक्ष होने का दावा करता था.

जब वह स्वस्थ हो कर कारखाने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कारखाने का शासन सूत्र मुन्ना अपने हाथों में दृढ़ता से थामे हुए है. एक बार हाथों में शासन सूत्र  आने के बाद कोई भी उसे सरलता से वापस नहीं करना चाहता.

अब मुन्ना कारखाने के तमाम कार्य अपनी मरजी से करता था. उन की ठीक सलाह भी उसे अपने मामलों में दखलंदाजी लगती थी. मुन्ना अकसर उन्हें एहसास दिलाता था, ‘बाबूजी, डाक्टर ने आप को पूरी तरह आराम करने के लिए कहा है. आप घर पर रह कर ही आराम किया करें. कारखाने का सारा कारोबार मैं संभाल लूंगा. आप बेकार उधर की चिंता किया करते हैं.’

जब उन की पत्नी इंदू जिंदा थी तो उस का भी यही विचार था. वह प्राय: कहा करती थी, ‘आज नहीं तो कल, मुन्ना को ही तो संभालना है कारखाना. वह व्यापार को बढ़ा ही रहा है, घटा तो नहीं रहा? वैसे भी अब लड़का बड़ा हो गया है. बाप का जूता उस के पैर में आने लगा है. उन्हें खुद आगे हो कर मुन्ना को कारोबार सौंप देना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार आदमी को चौथेपन में सांसारिक झंझटों से संन्यास ले लेना चाहिए.’

और इस तरह बीमारी के दौरान अकस्मात ही उन की इच्छा के विरुद्ध कारखाने से उन का निष्कासन हो गया था.

उन्होंने एक नजर नाश्ते की प्लेट पर डाली. आज फिर घर का नौकर बड़ी उपेक्षा से उन के सामने सिर्फ मक्खन लगे स्लाइस रख गया था. उन के अंदर ही अंदर कुछ घुटने सा लगा था, ‘यह भी कोई नाश्ता है? बाजार से डबलरोटी मंगवाई और चुपड़ दिया उस पर जरा सा मक्खन.’

जब इंदू थी तब उन के लिए बीसियों तरह के तो लड्डू ही बनते थे घर में. मूंग के, मगज के, रवे के वगैरहवगैरह. मठरी, सेव और कई तरह के नमकीन भी परोसे जाते थे उन के आगे. पकवानों का तो कोई हिसाब ही नहीं था और अब मात्र मक्खन लगे डबलरोटी के टुकड़े.

वह खीज उठे और उठ कर सीधे अंदर गए, ‘‘बरसात में डबलरोटी क्यों मंगवाती हो, बहू? घर में ही कुछ मीठा या नमकीन बना लिया करो. कल जो डबलरोटी आई थी उस में फफूंद लगी हुई थी.’’

‘‘डाक्टर ने उन्हें अधिक घीतेल खाने की मनाही कर दी है. अगर आप को डबलरोटी पसंद नहीं है तो आप के लिए दूसरा इंतजाम हो जाएगा,’’ बहू ने रूखेपन से जवाब दिया.

दूसरे दिन उन के लिए जो नाश्ता लगाया गया वह होटल से मंगवाया गया था. एक प्लेट में बेसन का लड्डू तथा थोड़ा सा चिड़वा था. बरसात के कारण चिड़वा बिलकुल हलवा बन गया था. लड्डू बेशक स्वादिष्ठ था, परंतु उस में वनस्पति घी इतनी अधिक मात्रा में था कि खाने के बाद उन्हें बहुत देर तक खट्टी डकारें आती रही थीं.

सुंबुल को पिता ने दोबारा दी वॉर्निंग, शालीन और टीना को लेकर कही ये बात

हर साल की तरह इस साल भी बिग बॉस एक हिट शो की तरह ही लोगों की बीच लाइमलाइट में बना हुआ है, जिसकी टीआरपी भी हर दिन लिस्ट में टॉप नंबर पर होती जा रही है.  शो में हर दिन नया ड्रामा लोगों को काफी  एंटरटेन कर रहा है. इसी बीच हर साल की तरह ही पेरेंटस बिग बॉस के घर में आए और सभी को गेम सुधारने के नए तरीके बताएं. आइए आपको बता दें, कि इन दिनों बिग बॉस के घर में क्या-क्या हुआ.

बिग बॉस 16 की रेस में कौन हुआ बाहर

बिग बॉस 16 में बीते दिन कंटेस्टेंट गौतम विज का एलिमिनेशन हुआ, जिसे फैंस को बड़ा झटका लगा. दूसरी ओर टीना दत्त और सुंबुल तौकीर खान की लड़ाई ने फैंस को काफी एंटरटेन किया. इसी बीच घर में कंटेस्टेट को अपने घर में पेरेंटस बात करने का मौका मिला. जी हां, घर में सुंबुल को ये मौका दिया गया कि वह अपने पिता से बात कर सकें.

 

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सुंबुल के पिता ने कही ये बात

सुंबुल के पिता ने उन्हें खेल में बने रहने के लिए नए-नए तरीके बताए, उनके पिता ने उन्हे यहा तक कहा कि वह टीना दत्ता और शालीन भनोट को अपनी औकात दिखाए कि वो क्या कर सकती है और क्या है? इसी बीच सुंबुल अपने पापा से बात करते हुए भावुक हो उठी और पिता से कहा कि ” पापा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है” बता दें, कि सुंबुल इससे पहले भी अपने पिता से बात कर चुकी है. लेकिन, पिता के समझाने के बाद भी सुंबुल कुछ बेहतर करती नज़र नही आ रही है.

 

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पहले भी आ चुके हैं सुंबुल के पिता

बिग बॉस 16 के दूसरे हफ्ते में भी सुंबुल के पिता बिग बॉस में नज़र आए थे. जहां उन्होंने शालीन भनोट और टीना दत्ता को जमकर फटकारा और सुंबुल को जीतने के लिए नए तरीको के सुझाव दिए थे. इसके अलावा उन्होने बाकी केंटेस्टे की जमकर तारीफ भी की था. देखना ये रहेगा कि सुंबुल अपने पिता की बातों को कितना सीरियस लेती है और शो में कबतक टीकी रहती है.

ब्रेन स्ट्रोक से इस एक्ट्रेस का हुआ निधन, 24 साल की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा

पिछले दिनों एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से कई बुरी खबरें सामने आ रही हैं, जिनमें कम उम्र के कलाकारों की अचानक मौत फैंस को हैरान कर रही है. इसी बीच बीते लगभग एक महीने ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रहीं बंगाली एक्ट्रेस ऐन्द्रिला शर्मा (Aindrila Sharma Died) जिंदगी की जंग हार गई हैं. वहीं रविवार को एक्ट्रेस को 24 साल की कम उम्र में निधन हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

कैंसर से लड़ चुकी थीं ऐन्द्रिला

 

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‘जियो काठी’, ‘झुमुर’ और ‘जीवन ज्योति’ जैसे सीरियल्स का हिस्सा रह चुकीं एक्ट्रेस ऐन्द्रिला शर्मा बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की रहने वाली थीं. वहीं दो बार कैंसर को मात भी दे चुकी थीं और टीवी इंडस्ट्री में लगातार काम कर रही थीं. लेकिन गंभीर बिमारी से जूझने के बाद भी वह ठीक नहीं हुई और उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ, जिसके बाद बीते दिन उनका निधन हो गया.

इस बीमारी से थीं पीड़ित

 

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एक्ट्रेस ऐन्द्रिला शर्मा गंभीर बीमारी इविंग सारकोमा से पीड़ित थीं, जो कि बेहद दुर्लभ कैंसर है, जिसमें हड्डियों में या हड्डियों के आसपास के कोमल ऊतकों में होता है. इस बीमारी का इलाज सर्जरी और कीमोरैडिएशन के जरिए किया जाता था. वहीं बीते एक नवंबर को ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद एक्ट्रेस को हावड़ा के एक निजी हौस्पिटल में एडमिट किया गया था, जिसके बाद 20 नवंबर को 24 साल की उम्र में एक्ट्रेस ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

बता दें, एक्ट्रेस के निधन पर बंगाली टीवी इंडस्ट्री के कई सेलेब्स ने दुख जताया है. यही नहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी एक्ट्रेस की मौत पर उनके परिवार को सांत्वना देने की बात कही है.

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